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अध्याय 1
याक
ू ब आ लीआक पााँचम पुत्र इसाकर।
मन्द्रक क
े ललये भाडा का लिपााप संताि। ओ
सादगीक अपील करैत छलि.
1 इस्साकरक वचिक प्रलतलललप।
2 ओ अपि पुत्र सभ क
ेाँ बजा कऽ कहललिि,
“हे हमर बच्चा सभ, अहााँ सभक लपता
इसाकरक बात सुिू। जे प्रभुक लप्रय अलछ,
ओकर वचि पर काि करू।
3 हम याक
ू बक पााँचम पुत्र भेलहाँ, जे मंदरक
भाडाक रूप मे देल गेल छल।
4 हमर भाय रूबेि खेत साँ मन्दर अििे
छलाह आ राहेल हिका साँ भेंट कऽ कऽ लऽ
गेलाह।
5 तखि रूबेि कािैत रहलाह आ हिकर
आवाज पर हमर माय लीआ बाहर आलब
गेलीह।
6 ई मन्द्रक मधुर गंधक िेबो छल जे हाराि
देश मे पालिक खाईक िीचााँ उपजैत छल।
7 राहेल कहललिि, “हम अहााँ क
ेाँ िलह देब,
बल् लक ओ सभ हमरा लेल बच्चाक बदला मे
होयत।”
8 लकएक ताँ प्रभु हमरा लतरस्क
ृ त कयललि, आ
हम याक
ू बक संताि िलह जिौिे छी।
9 दू टा िेबो छल। ललआ राहेल क
ेाँ कहललिि,
“अहााँ हमर पलत क
ेाँ पकलड लेलहाँ, की अहााँ
एलह सभ क
ेाँ सेहो ल’ लेब?”
10 राहेल ओकरा कहललिि, “आइ रालत
तोहर पुत्रक मंदरक लेल याक
ू बक संग रहब।
11 ललआ ओकरा कहललिि, “याक
ू ब हमर
छलि, लकएक ताँ हम हिकर जवािीक पत्नी
छी।”
12 मुदा राहेल कहललिि, “अपि घमंड िलह
करू आ अपि घमंड िलह करू। ओ हमरा साँ
अहााँक समक्ष लववाह कयललि आ हमरा लेल
चौदह वर्ा धरर हमरा सभक लपताक सेवा
कयललि।
13 जाँ पृि् वी पर लशल्प िलह बल़ितैक आ मिुर््
य सभक दुर्् टता िलह बल़ितैक ताँ अहााँ आब
याक
ू बक मुाँह िलह देखखतहाँ।
14 अहााँ हिकर पत्नी िलह छी, बल् लक हमरा
बदला मे चालाकी साँ हिका लग लऽ गेल
गेलहाँ।
15 हमर लपता हमरा धोखा दऽ कऽ ओलह
रालत हमरा दू र कऽ देललि आ याक
ू ब हमरा
देखय िलह देललि। कारण जाँ हम ओतय
रलहतहाँ ताँ हिका संग एहि िलह भेल रलहतलि।
16 तैयो, मंद्रक लेल हम याक
ू ब क
ेाँ एक रालत
लेल अहााँक लेल भाडा पर राखख रहल छी।
17 याक
ू ब लीआ क
ेाँ लचन्हललि, आ ओ
गभावती भ’ क’ हमरा जन्म देललि, आ
भाडाक कारणेाँ हमरा इस्साकर कहल गेल।
18 तखि परमेश् वरक स् वगादू त याक
ू ब क
ेाँ
प्रगट भऽ कऽ कहललिि, “राहेल दू टा संताि
पैदा करतीह, कारण ओ अपि पलतक संगलत
क
ेाँ मिा कऽ कऽ अपि संयम क
ेाँ चुििे छलि।”
19 जाँ हमर माय लीआ अपि संगलतक लेल
दुिू िेबोक भुगताि िलह कररतलि ताँ हिका
आठटा बेटा होइतलि। एलह कारणेाँ ओ छह टा
जन्म देललि आ राहेल दुिू क
ेाँ जन्म देललि।
20 ओ जिैत छलाह जे संतािक कारणेाँ ओ
याक
ू बक संग रहय चाहैत छलि, मुदा भोग-
लवलासक लेल िलह।
21 लकएक ताँ दोसर लदि सेहो ओ याक
ू ब क
ेाँ
फ
े र साँ छोलड देललि।
22 एलह लेल परमेश् वर राहेलक बात
सुिललि।
23 लकएक ताँ ओ हिका सभक इच्छा करैत
छलीह, मुदा हिका सभ क
ेाँ िलह, बल् लक
प्रभुक घर मे च़िा देललि आ ओलह समय मे
परमेश् वरक पुरोलहतक समक्ष च़िा देललि।
24 हमर बच्चा सभ जखि हम पैघ भेलहाँ
तखि हम सोझ मोि मे चललहाँ आ अपि
लपता आ भाइ सभक लेल लकसाि बलि गेलहाँ
आ खेत मे फल-फ
ू ल अपि समयक अिुसार
अिलहाँ।
25 हमर लपता हमरा आशीर् देललि, लकएक
ताँ ओ देखललि जे हम हिका सोझााँ ठीक-
ठाक चलैत छी।
26 हम अपि काज मे व्यस्त िलह छलहाँ, आ
िे पडोसीक प्रलत ईर्ष्ाा आ दुभााविापूणा
छलहाँ।
27 हम कलहयो ककरो लिन्दा िलह क
े लहाँ आ
िे ककरो जीविक लिन्दा िलह क
े लहाँ, जेिा
हम एक आाँखख मे चलैत छलहाँ।
28 तेाँ हम पैंतीस वर्ाक उम्र मे एकटा पत्नीक
संग लववाह कऽ लेलहाँ, लकएक ताँ हमर
पररश्रम साँ हमर सामि्ा य खतम भऽ गेल छल
आ हम स् त्रीगणक संग भोग-लवलासक लवर्य
मे कलहयो िलह सोचलहाँ। मुदा हमर पररश्रमक
कारणेाँ िींद हमरा पर हावी भ’ गेल।
29 हमर लपता सलदखि हमर सद् गुण पर
आिखन्दत रहैत छलाह, लकएक ताँ हम
पुरोलहतक माध्यमे प्रभुक समक्ष सभटा प्रिम
फल च़िबैत छलहाँ। तखि हमर लपताजी क
ेाँ
सेहो।
30 प्रभु हमरा हाि मे अपि लाभ क
ेाँ दस
हजार गुिा ब़िा देललि। आ हमर लपता याक
ू ब
सेहो जिैत छलाह जे परमेश् वर हमर
अलववालहतता मे सहायता करैत छलि।
31 लकएक ताँ हम सभ गरीब आ दबल-
क
ु चलल लोक सभ क
ेाँ अपि हृदय मे पृि् वीक
िीक-िीक वस्तु सभ क
ेाँ देलहाँ।
32 आब, हमर बच्चा सभ, हमर बात सुिू, आ
अपि हृदय साँ एकलता मे चलू, लकएक ताँ हम
एलह मे सभ लकछु देखलहाँ जे प्रभु क
ेाँ िीक
लगैत अलछ। ' .
33 एक लवचारक लोक सोिाक लालसा िलह
करैत अलछ, अपि पडोसी क
ेाँ बेसी िलह
ब़िबैत अलछ, ओ अिेक तरहक भोग-
लवलासक लेल तरसैत िलह अलछ, आ तरह-
तरह क
े र पररधाि मे प्रसन्न िलह होइत अलछ।
34 ओ दीघाायु जीबाक इच्छा िलह रखैत अलछ,
बल् लक मात्र परमेश् वरक इच्छाक प्रतीक्षा
करैत अलछ।
35 धोखाक आत् मा ओकरा पर कोिो
सामर्थ्ा िलह रखैत अलछ, लकएक ताँ ओ स्
त्रीगणक सौन्दया लदस िलह तक
ै त अलछ, जालह
साँ ओ अपि मि क
ेाँ भ्रष्ट िलह कऽ सक
ै त
अलछ।
36 ओकर लवचार मे ईर्ष्ाा िलह होइत छै क,
कोिो दुभााविापूणा व्यखि अपि आत्मा क
ेाँ
धुाँधला िलह करैत अलछ, आ िे मि मे अतृप्त
इच्छा साँ लचन्ता करैत अलछ।
37 लकएक ताँ ओ एकल आत् मा मे चलैत
अलछ आ सभ लकछु क
ेाँ सोझ हृदय साँ देखैत
अलछ आ संसारक भ्रष्टाचार साँ दुष्ट आाँखख साँ
परहेज करैत अलछ, जालह साँ प्रभुक कोिो
आज्ञाक लवक
ृ तता िलह देखख सक
ै त अलछ।
38 एलह लेल, हमर सन्ताि सभ, परमेश् वरक
लियमक पालि करू आ अलववालहत रहू, आ
बेवक
ू फी मे चलू, अपि पडोसीक काज मे
व्यस्तताक संग िलह खेलू, बल् लक प्रभु आ
अपि पडोसी साँ प्रेम करू, गरीब आ कमजोर
पर दया करू।
39 खेती-बाडीक लेल पीठ झुकाउ आ सभ
तरहक खेती-बाडी मे पररश्रम करू आ
धन्यवादक संग प्रभु क
ेाँ वरदाि च़िाउ।
40 लकएक ताँ परमेश् वर पृि् वीक पलहल फल
साँ अहााँ सभ क
ेाँ आशीवााद देलिि, जेिा ओ
हालबल साँ एखि धरर सभ पलवत्र लोक क
ेाँ
आशीवााद देललि।
“
42 हमरा सभक लपता याक
ू ब हमरा पृि् वी आ
पलहल फलक आशीर् दऽ कऽ आशीवााद
देललि।
43 लेवी आ यहूदा क
ेाँ याक
ू बक पुत्र सभक
बीच परमेश् वर द्वारा मलहमा कयल गेललि।
कारण, प्रभु हिका सभ क
ेाँ उत्तरालधकार
देललि, आ लेवी क
ेाँ पुरोलहतक काज आ यहूदा
क
ेाँ राज्य देललि।
44 तेाँकी अहााँ सभ हिका सभक आज्ञा मािैत
छी आ अपि लपताक अलववालहतता मे चलैत
छी। लकएक ताँ इस्राएल पर आलब रहल सेिा
सभक िाश करबाक लेल गाद क
ेाँ देल गेल
अलछ।”
अध्याय 2
1 हे हमर सन्ताि सभ, अहााँ सभ ई जालि
ललअ जे अंलतम समय मे अहााँ सभक पुत्र सभ
अतृप्त वासिा साँ लचपकल रहत।
2 लिदोर्ता छोलड, दुभााविाक िजदीक
आलब जायत। आ प्रभुक आज्ञा छोलड ओ सभ
बेललयार साँ लचपकल रहताह।
3 खेती-बाडी छोलड ओ सभ अपि दुर्् ट
योजिाक अिुसरण करत आ गैर-यहूदी
सभक बीच लततर-लबतर भऽ जायत आ
अपि शत्रु सभक सेवा करत।
4 तेाँ की अहााँ सभ अपि बच्चा सभ क
ेाँ ई
आज्ञा दैत छी जे जाँ ओ सभ पाप करत ताँ ओ
सभ जखिये प्रभुक लग घुरर जालि। कारण,
ओ दयालु छलि, आ हिका सभ क
ेाँ अपिा
देश मे वापस अिबाक लेल उद्धार करताह।
5 तेाँ देखू, जेिा अहााँ सभ देखैत छी, हम एक
सय छब्बीस वर्ाक छी आ कोिो पाप
करबाक ज्ञाि िलह अलछ।
6 अपि स् त्री क
ेाँ छोलड हम कोिो स् त्री क
ेाँ
िलह लचन्हलहाँ। आाँखख उठबैत कलहयो
व्यलभचार िलह क
े लहाँ।
7 हम मलदरा िलह पीलहाँ जालह साँ भटलक
जायब।
8 हमरा कोिो एहि वांछिीय वस्तुक लालसा
िलह छल जे हमर पडोसीक छल।
9 हमर हृदय मे छल-कपट िलह उठल।
10 एकटा झूठ हमर ठोरसाँ िलह गुजरल।
11 जाँ क
े ओ लवपलत्त मे पडैत छल तऽ हम
अपि आह क
ेाँ ओकर आह साँ जोडैत छलहाँ।
12 हम अपि रोटी गरीब सभक संग बााँलट
देललयैक।
13 हम परमेश् वरक भखि करैत रहलहाँ,
भरर लदि सत् य क
ेाँ रखलहाँ।
14 हम प्रभु साँ प्रेम करैत छलहाँ। तलहिा प्रत्
येक मिुर्् य साँ।
15 हमर बच्चा सभ, अहााँ सभ सेहो ई सभ
करू, आ बेललयारक सभ आत् मा अहााँ सभ
साँ भालग जायत, आ दुष्ट लोकक कोिो काज
अहााँ सभ पर राज िलह करत।
16 अहााँ सभ हरेक जंगली जािवर क
ेाँ अपिा
वश मे राखब, लकएक तऽ अहााँ सभक संग
स् वगा-पृथ्वीक परमेश् वर छलि आ मिुर्् य
सभक संग एकल हृदय मे चलब।
17 ई बात कलह कऽ ओ अपि पुत्र सभ क
ेाँ
आज्ञा देललिि जे ओ सभ हिका हेब्रोि लऽ
कऽ ओतलह गुफा मे अपि पूवाज सभक संग
गालड देलिि।
18 ओ अपि पएर पसारर कऽ मरर गेलाह।
हर अंगक आवाजक संग, आ अलवराम
शखिक संग, ओ शाश्वत िींद सुलत गेलाह |

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  • 2. अध्याय 1 याक ू ब आ लीआक पााँचम पुत्र इसाकर। मन्द्रक क े ललये भाडा का लिपााप संताि। ओ सादगीक अपील करैत छलि. 1 इस्साकरक वचिक प्रलतलललप। 2 ओ अपि पुत्र सभ क ेाँ बजा कऽ कहललिि, “हे हमर बच्चा सभ, अहााँ सभक लपता इसाकरक बात सुिू। जे प्रभुक लप्रय अलछ, ओकर वचि पर काि करू। 3 हम याक ू बक पााँचम पुत्र भेलहाँ, जे मंदरक भाडाक रूप मे देल गेल छल। 4 हमर भाय रूबेि खेत साँ मन्दर अििे छलाह आ राहेल हिका साँ भेंट कऽ कऽ लऽ गेलाह। 5 तखि रूबेि कािैत रहलाह आ हिकर आवाज पर हमर माय लीआ बाहर आलब गेलीह। 6 ई मन्द्रक मधुर गंधक िेबो छल जे हाराि देश मे पालिक खाईक िीचााँ उपजैत छल। 7 राहेल कहललिि, “हम अहााँ क ेाँ िलह देब, बल् लक ओ सभ हमरा लेल बच्चाक बदला मे होयत।” 8 लकएक ताँ प्रभु हमरा लतरस्क ृ त कयललि, आ हम याक ू बक संताि िलह जिौिे छी। 9 दू टा िेबो छल। ललआ राहेल क ेाँ कहललिि, “अहााँ हमर पलत क ेाँ पकलड लेलहाँ, की अहााँ एलह सभ क ेाँ सेहो ल’ लेब?” 10 राहेल ओकरा कहललिि, “आइ रालत तोहर पुत्रक मंदरक लेल याक ू बक संग रहब। 11 ललआ ओकरा कहललिि, “याक ू ब हमर छलि, लकएक ताँ हम हिकर जवािीक पत्नी छी।” 12 मुदा राहेल कहललिि, “अपि घमंड िलह करू आ अपि घमंड िलह करू। ओ हमरा साँ अहााँक समक्ष लववाह कयललि आ हमरा लेल चौदह वर्ा धरर हमरा सभक लपताक सेवा कयललि। 13 जाँ पृि् वी पर लशल्प िलह बल़ितैक आ मिुर्् य सभक दुर्् टता िलह बल़ितैक ताँ अहााँ आब याक ू बक मुाँह िलह देखखतहाँ। 14 अहााँ हिकर पत्नी िलह छी, बल् लक हमरा बदला मे चालाकी साँ हिका लग लऽ गेल गेलहाँ। 15 हमर लपता हमरा धोखा दऽ कऽ ओलह रालत हमरा दू र कऽ देललि आ याक ू ब हमरा देखय िलह देललि। कारण जाँ हम ओतय रलहतहाँ ताँ हिका संग एहि िलह भेल रलहतलि। 16 तैयो, मंद्रक लेल हम याक ू ब क ेाँ एक रालत लेल अहााँक लेल भाडा पर राखख रहल छी। 17 याक ू ब लीआ क ेाँ लचन्हललि, आ ओ गभावती भ’ क’ हमरा जन्म देललि, आ भाडाक कारणेाँ हमरा इस्साकर कहल गेल। 18 तखि परमेश् वरक स् वगादू त याक ू ब क ेाँ प्रगट भऽ कऽ कहललिि, “राहेल दू टा संताि पैदा करतीह, कारण ओ अपि पलतक संगलत क ेाँ मिा कऽ कऽ अपि संयम क ेाँ चुििे छलि।” 19 जाँ हमर माय लीआ अपि संगलतक लेल दुिू िेबोक भुगताि िलह कररतलि ताँ हिका आठटा बेटा होइतलि। एलह कारणेाँ ओ छह टा जन्म देललि आ राहेल दुिू क ेाँ जन्म देललि। 20 ओ जिैत छलाह जे संतािक कारणेाँ ओ याक ू बक संग रहय चाहैत छलि, मुदा भोग- लवलासक लेल िलह। 21 लकएक ताँ दोसर लदि सेहो ओ याक ू ब क ेाँ फ े र साँ छोलड देललि। 22 एलह लेल परमेश् वर राहेलक बात सुिललि। 23 लकएक ताँ ओ हिका सभक इच्छा करैत छलीह, मुदा हिका सभ क ेाँ िलह, बल् लक प्रभुक घर मे च़िा देललि आ ओलह समय मे परमेश् वरक पुरोलहतक समक्ष च़िा देललि।
  • 3. 24 हमर बच्चा सभ जखि हम पैघ भेलहाँ तखि हम सोझ मोि मे चललहाँ आ अपि लपता आ भाइ सभक लेल लकसाि बलि गेलहाँ आ खेत मे फल-फ ू ल अपि समयक अिुसार अिलहाँ। 25 हमर लपता हमरा आशीर् देललि, लकएक ताँ ओ देखललि जे हम हिका सोझााँ ठीक- ठाक चलैत छी। 26 हम अपि काज मे व्यस्त िलह छलहाँ, आ िे पडोसीक प्रलत ईर्ष्ाा आ दुभााविापूणा छलहाँ। 27 हम कलहयो ककरो लिन्दा िलह क े लहाँ आ िे ककरो जीविक लिन्दा िलह क े लहाँ, जेिा हम एक आाँखख मे चलैत छलहाँ। 28 तेाँ हम पैंतीस वर्ाक उम्र मे एकटा पत्नीक संग लववाह कऽ लेलहाँ, लकएक ताँ हमर पररश्रम साँ हमर सामि्ा य खतम भऽ गेल छल आ हम स् त्रीगणक संग भोग-लवलासक लवर्य मे कलहयो िलह सोचलहाँ। मुदा हमर पररश्रमक कारणेाँ िींद हमरा पर हावी भ’ गेल। 29 हमर लपता सलदखि हमर सद् गुण पर आिखन्दत रहैत छलाह, लकएक ताँ हम पुरोलहतक माध्यमे प्रभुक समक्ष सभटा प्रिम फल च़िबैत छलहाँ। तखि हमर लपताजी क ेाँ सेहो। 30 प्रभु हमरा हाि मे अपि लाभ क ेाँ दस हजार गुिा ब़िा देललि। आ हमर लपता याक ू ब सेहो जिैत छलाह जे परमेश् वर हमर अलववालहतता मे सहायता करैत छलि। 31 लकएक ताँ हम सभ गरीब आ दबल- क ु चलल लोक सभ क ेाँ अपि हृदय मे पृि् वीक िीक-िीक वस्तु सभ क ेाँ देलहाँ। 32 आब, हमर बच्चा सभ, हमर बात सुिू, आ अपि हृदय साँ एकलता मे चलू, लकएक ताँ हम एलह मे सभ लकछु देखलहाँ जे प्रभु क ेाँ िीक लगैत अलछ। ' . 33 एक लवचारक लोक सोिाक लालसा िलह करैत अलछ, अपि पडोसी क ेाँ बेसी िलह ब़िबैत अलछ, ओ अिेक तरहक भोग- लवलासक लेल तरसैत िलह अलछ, आ तरह- तरह क े र पररधाि मे प्रसन्न िलह होइत अलछ। 34 ओ दीघाायु जीबाक इच्छा िलह रखैत अलछ, बल् लक मात्र परमेश् वरक इच्छाक प्रतीक्षा करैत अलछ। 35 धोखाक आत् मा ओकरा पर कोिो सामर्थ्ा िलह रखैत अलछ, लकएक ताँ ओ स् त्रीगणक सौन्दया लदस िलह तक ै त अलछ, जालह साँ ओ अपि मि क ेाँ भ्रष्ट िलह कऽ सक ै त अलछ। 36 ओकर लवचार मे ईर्ष्ाा िलह होइत छै क, कोिो दुभााविापूणा व्यखि अपि आत्मा क ेाँ धुाँधला िलह करैत अलछ, आ िे मि मे अतृप्त इच्छा साँ लचन्ता करैत अलछ। 37 लकएक ताँ ओ एकल आत् मा मे चलैत अलछ आ सभ लकछु क ेाँ सोझ हृदय साँ देखैत अलछ आ संसारक भ्रष्टाचार साँ दुष्ट आाँखख साँ परहेज करैत अलछ, जालह साँ प्रभुक कोिो आज्ञाक लवक ृ तता िलह देखख सक ै त अलछ। 38 एलह लेल, हमर सन्ताि सभ, परमेश् वरक लियमक पालि करू आ अलववालहत रहू, आ बेवक ू फी मे चलू, अपि पडोसीक काज मे व्यस्तताक संग िलह खेलू, बल् लक प्रभु आ अपि पडोसी साँ प्रेम करू, गरीब आ कमजोर पर दया करू। 39 खेती-बाडीक लेल पीठ झुकाउ आ सभ तरहक खेती-बाडी मे पररश्रम करू आ धन्यवादक संग प्रभु क ेाँ वरदाि च़िाउ। 40 लकएक ताँ परमेश् वर पृि् वीक पलहल फल साँ अहााँ सभ क ेाँ आशीवााद देलिि, जेिा ओ हालबल साँ एखि धरर सभ पलवत्र लोक क ेाँ आशीवााद देललि। “
  • 4. 42 हमरा सभक लपता याक ू ब हमरा पृि् वी आ पलहल फलक आशीर् दऽ कऽ आशीवााद देललि। 43 लेवी आ यहूदा क ेाँ याक ू बक पुत्र सभक बीच परमेश् वर द्वारा मलहमा कयल गेललि। कारण, प्रभु हिका सभ क ेाँ उत्तरालधकार देललि, आ लेवी क ेाँ पुरोलहतक काज आ यहूदा क ेाँ राज्य देललि। 44 तेाँकी अहााँ सभ हिका सभक आज्ञा मािैत छी आ अपि लपताक अलववालहतता मे चलैत छी। लकएक ताँ इस्राएल पर आलब रहल सेिा सभक िाश करबाक लेल गाद क ेाँ देल गेल अलछ।” अध्याय 2 1 हे हमर सन्ताि सभ, अहााँ सभ ई जालि ललअ जे अंलतम समय मे अहााँ सभक पुत्र सभ अतृप्त वासिा साँ लचपकल रहत। 2 लिदोर्ता छोलड, दुभााविाक िजदीक आलब जायत। आ प्रभुक आज्ञा छोलड ओ सभ बेललयार साँ लचपकल रहताह। 3 खेती-बाडी छोलड ओ सभ अपि दुर्् ट योजिाक अिुसरण करत आ गैर-यहूदी सभक बीच लततर-लबतर भऽ जायत आ अपि शत्रु सभक सेवा करत। 4 तेाँ की अहााँ सभ अपि बच्चा सभ क ेाँ ई आज्ञा दैत छी जे जाँ ओ सभ पाप करत ताँ ओ सभ जखिये प्रभुक लग घुरर जालि। कारण, ओ दयालु छलि, आ हिका सभ क ेाँ अपिा देश मे वापस अिबाक लेल उद्धार करताह। 5 तेाँ देखू, जेिा अहााँ सभ देखैत छी, हम एक सय छब्बीस वर्ाक छी आ कोिो पाप करबाक ज्ञाि िलह अलछ। 6 अपि स् त्री क ेाँ छोलड हम कोिो स् त्री क ेाँ िलह लचन्हलहाँ। आाँखख उठबैत कलहयो व्यलभचार िलह क े लहाँ। 7 हम मलदरा िलह पीलहाँ जालह साँ भटलक जायब। 8 हमरा कोिो एहि वांछिीय वस्तुक लालसा िलह छल जे हमर पडोसीक छल। 9 हमर हृदय मे छल-कपट िलह उठल। 10 एकटा झूठ हमर ठोरसाँ िलह गुजरल। 11 जाँ क े ओ लवपलत्त मे पडैत छल तऽ हम अपि आह क ेाँ ओकर आह साँ जोडैत छलहाँ। 12 हम अपि रोटी गरीब सभक संग बााँलट देललयैक। 13 हम परमेश् वरक भखि करैत रहलहाँ, भरर लदि सत् य क ेाँ रखलहाँ। 14 हम प्रभु साँ प्रेम करैत छलहाँ। तलहिा प्रत् येक मिुर्् य साँ। 15 हमर बच्चा सभ, अहााँ सभ सेहो ई सभ करू, आ बेललयारक सभ आत् मा अहााँ सभ साँ भालग जायत, आ दुष्ट लोकक कोिो काज अहााँ सभ पर राज िलह करत। 16 अहााँ सभ हरेक जंगली जािवर क ेाँ अपिा वश मे राखब, लकएक तऽ अहााँ सभक संग स् वगा-पृथ्वीक परमेश् वर छलि आ मिुर्् य सभक संग एकल हृदय मे चलब। 17 ई बात कलह कऽ ओ अपि पुत्र सभ क ेाँ आज्ञा देललिि जे ओ सभ हिका हेब्रोि लऽ कऽ ओतलह गुफा मे अपि पूवाज सभक संग गालड देलिि। 18 ओ अपि पएर पसारर कऽ मरर गेलाह। हर अंगक आवाजक संग, आ अलवराम शखिक संग, ओ शाश्वत िींद सुलत गेलाह |