हिंदी_मनोविज्ञान का परिचय (introduction to psychology)
1. मनोविज्ञान का परिचय
डॉ िाजेश िमाा
अविस्टेंट प्रोफे िि (मनोविज्ञान)
िाजकीय महाविद्यालय आदमपुि, वहिाि, हरियाणा
2. कु छ वदलचस्प बातें औि एक शानदाि प्रयोग
“कल्पना ज्ञान िे ज्यादा महत्िपूणा होती है …”
– अल्बर्ट आइंस्र्ीन
“िही मायनों में हि व्यवि एकमनोिैज्ञावनक होता है”।
“मनोविज्ञान अक्िि िामान्य (आम) धािणा के विलाफ चलता
है” – 1975 में ड्वेक ने अपने एक प्रयोग के माध्यम से इसे ससद्ध करके
सिखाया था।
3. अर्ा
Psychology (मनोसवज्ञान) शब्ि िो ग्रीक शब्िों Psyche +
Logos से बना है।
Psyche का अथट होता है ‘आत्मा’
Logos का अथट होता है ‘विज्ञान या वकिी विषय का अध्ययन’।
इससिये मनोसवज्ञान को शुरुआत में आत्मा या मन का सवज्ञान माना जाता
था (एनसीईआरर्ी)।
िेसकन अब मनोसवज्ञान व्यवहार और
अंतसनटसहत मानससक प्रसियाएँ के
अध्ययन का सवज्ञान है।
4. पररचय
मनोसवज्ञान िशटनशास्त्र से ही सनकिा है। यह जैसवक, सामासजक,
संज्ञानात्मक, सस्थसतजन्य आसि सवसिन्न कारकों के संििट में मानव
व्यवहार की जसर्िताओं को समझने
का प्रयास करता है। मानव
व्यवहार को समझने और
उसकी व्याख्या करने के
सिए यह जैसवक और
सामासजक सवज्ञान िोनों
की सवसियों का उपयोग करता है। इसका अध्ययन क्षेत्र बहुत सवस्तृत हैं,
जैसे, व्यवि, िमूह एिं िंगठन।
5. यह मानससक स्वास््य सम्बन्िी समस्याओं, प्रत्यक्षण, मसस्तष्क
और व्यवहार, ध्यान, तनाव, संवेगों, बुसद्ध, प्रेरणा, मसस्तष्क की
कायटशीिता, पारस्पररक संबंिों, समूह व्यवहार और इसकी गसतशीिता,
िचीिापन
और व्यसित्व के बीच
संबंि का अध्ययन करता
है।
पारंपररक िारतीय
सासहत्य में क्षसणक ‘स्व’
और अनन्त अपररवतटनशीि ‘आत्मा’ (सवसकपीसडया) के बीच स्पष्ट अंतर
को मनोसवज्ञान का एक महत्वपूणट स्रोत माना जाता है।
6. परिभाषा
“मनोविज्ञान व्यिहाि प्रबंधन का िैज्ञावनक अध्ययन है”।
“मनोविज्ञान को
मानविक प्रवियाओं,
अनुभिों औि विवभन्न
िंदभों में व्यिहािों का
अध्ययन किने िाले
विज्ञान के रूप में
परिभावषत वकया गया है”
(एन सी ईआर र्ी, XI).
“मनोविज्ञान मानविक जीिन की घटना औि वस्र्वत दोनों के अध्ययन का विज्ञान
है” (सवसियम जेम्स, 1880).
7. परिभाषा के तीन मुख्य घटक
1. व्यिहाि – सिी बाहरी या प्रत्यक्ष सियाएं और प्रसतसियाएं जैसे सक बात करना,
चेहरे की असिव्यसि और संचिन (movements) आसि (Ciccarelli &
Meyer, 2016)। िूसरे शब्िों में वो सिी अनुसियाएँ, प्रसतसियाएँ और गसतसवसियाँ जो
हम सब करते हैं।
2. मानविक प्रवियाएँ – सिी
अंिरूनी संज्ञानात्मक गसतसवसियाँ
(सोच, प्रत्यक्षं, याि करने की प्रसिया,
महसूस करना, जानना, सीखना,
ध्यान िेना)।
3. अनुभि – वे घर्नाएँ जो हमारी
जागरूकता या चेतना में अंतसनटसहत
होते हैं। इनकी प्रकृ सत व्यसिपरक
होती है और सकसी अन्य व्यसि द्वारा
इन्हे जाना नहीं जा सकता है।
8. मनोविज्ञान की दो िमानांति धािाएँ
धािा ए (मनोविज्ञान एक प्राकृ वतक विज्ञान के रूप में) - यह िौसतक और जैसवक
सवज्ञान की सवसियों तथा व्यवहार को समझने के सिए जैसवक ससद्धांतों का उपयोग
करता है। ससद्धांत–पररकल्पना–परीक्षण–यसि आवश्यक हो तो संशोिन।
धािा बी (िामावजक विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान) - यह सामासजक और
सांस्कृ सतक सवज्ञान की सवसियों का उपयोग करता है। यह व्यसि और उसके
सामासजक-सांस्कृ सतक
वातावरण के
बीच व्यवहार की
व्याख्या पर
अपना ध्यान
कें सित करता है।
9. मन औि व्यिहाि के बीच िम्बन्ध
मन और व्यवहार एक-िूसरे से संबंसित होते हैं। यह न्यूरोसाइंसर्स्र् द्वारा प्रयोगों के
माध्यम से सासबत िी सकया गया है जो बताता है सक सकारात्मक मानससक-िशटन
(Visualization) शरीर में सकारात्मक शारीररक पररवतटन िा सकता है (ऑसनटश, 1990)।
कल्पना का उपयोग सवसिन्न प्रकार के डर (फोसबया), शारीररक बीमारी जैसे सक िमसनयों में
रुकावर् आसि को ठीक करने के सिए सकया जाता है। कल्पना शारीररक प्रसतसियाओं के एक पूरे
वणटिम (स्पेक्ट्रम) की शुरुआत कर सकती है जो हमारे स्वास््य और कल्याण में मिि या बािा
डाि सकती है (Amendola)। प्रेत-अंग (Phantom limbs) की अविारणा या असिी
माता-सपता को ढोंगी
माता-सपता समझने
का काम ‘मन’ का ही
करा िरा होता है।