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6. वातापी (बादामी) चालुक्य
• चालुक्य वंश की प्राचीन एवं महत्वपूणण शाखा।
• दक्खन में वाकाटकों क
े पश््यात राज्य तनमाणण
• दक्खन में ईसवी ५४३ से ७५३ तक शासन
• कदंबों क
े साम्राज्य िेत्र पे अधिकार
• वातावप (बादामी) में राजिानी का तनमाणण वतणमान बीजापुर
ज़िला, कनाणटक।
• दक्षिण भारत क
े इततहास में महत्वपूणण योगदान
• कनाणटक िेत्र क
े इततहास का सुवणण काल
• मंहदर कला एवं स्थापत्य िेत्र में ववलिण योगदान
• चालुक्य स्थापत्य कला का जन्म एवं प्रसार।
16. चालुक्य वंशनाम
• चालुक्यों की उत्पवि, मूलतनवास एवं प्रारजभभक इततहास क
े
सूचनाओं का अभाव
• वंशनाम: अभभलेख अनुसार : चल्क्य, चलुक्की, चलेक्य, चभलक्य
तथा चलुक्य
• लाट चालुक्य राजा ववजयाहदत्य मंगलरसराज क
े (६९१ ई) क
े मैनर
अभभलेख में उसे “चलुक्य” कहा है।
• पुलक
े भशन द्ववतीय क
े लोहनेर अभभलेख में चलुक्की
• ववक्रमाहदत्य प्रथम क
े करनूल अभभलेख में चलेक्य
• ववजयाहदत्य क
े अभभलेखों में चभलक्य
• क
ु छ अभभलेखों में चलुख्य तथा धचररक्य नाम भमलते है।
17. चालुक्यों क
े उत्पवि पर ववद्वानो का
मत
• डी॰ सी॰ सरकार : वंश क
े संस्थापक का नाम चल्क, चभलक अथवा
चलुक रहा होगा।
• J॰ F॰ फ़्लीट एवं तनलक
ं ठ शास्त्री: वंश क
े संस्थापक का नाम
चल्क्य रहा होगा ।
• R॰ G॰ भण्डारकर एवं B॰ इंद्रजी : चलुक्य
• S॰ नंहदमथ: चलुकी, चल्की अथवा शजल्क
• चल्की अथवा शजल्क: कन्नड़ भार्षा में कृ वर्ष क
े एक उपकरण का
नाम
18. उत्पवि
• मूल अभभलेखों में कोई सूचना नही।
1. ववक्रमाहदत्य VI क
े हरककं दे अभभलेख क
े अनुसार चालुक्य
हररतत ऋवर्ष क
े चुल्लू से उत्पन्न हुएाँ।
2. १०२५-२६ ई॰ क
े कल्याण अभभलेख अनुसार हाररत क
े पुत्र
चालुक्य से चालुक्य उत्पन्न हुए।
3. बबल्हन क
े ववक्रमांकदेवचररत: ब्रह्मा ने दुष्टों क
े दमन क
े भलए
अपने चुल्लू से पराक्रमी पुरुर्ष को जन्म हदया जजसक
े वंशज
चालुक्य कहलाए।
4. वेंगी चालुक्य अभभलेखों में ब्रभहा को चालुक्यों का आहदपुरुर्ष
माना है।
5. गुजरात क
े चालुक्य राजा क
ु मारपाल क
े बड़नगर प्रशजस्त में
चालुक्य गंगाजल से पररपूणण चुलुक से उत्पन्न हुए।
6. ववक्रमाहदत्य VI क
े अभभलेखों में चालुक्यों को चंद्रवंशी (िबत्रय)
एवं ब्रभहा क
े पुत्र अबत्र क
े नेत्र से उत्पन्न बताया गया है।
19. मूलतनवास: उिर भारत
1. कौथेम अभभलेख: प्रारजभभक ५९ राजाओं ने अयोध्या में शासन
ककया बाद क
े १६ राजाओं ने दक्षिणापथ में राज्य ककया।
2. परवती चालुक्य अभभलेख: चालुक्य वंश का एक राजा
अयोध्या से दक्षिण में आया, उसने पल्लवों को पराजजत ककया
एवं पल्लव राजक
ु मारी से वववाह ककया।
3. इस वववाह से उत्पन्न पुत्र (ववजयाहदत्य) चालुक्य वंश का राजा
बना।
4. यही ववजयाहदत्य पुलक
े भशन का वपता था।
20. मूलतनवास: दक्षिण भारत
१ कनाणटक
• जॉन कीव, डी॰ सी॰ सरकार, हंस
राज, सेन,
• २. आंध्र प्रदेश
• इश्वाक
ु क
े सामंत
३ कदंबों क
े सामंत
22. चालुक्य राजवंश पररचय
अनु
क्र॰
राजा ततथिक्रम (ईसवी)
१ जयससंह प्रिम ५००-५२०
२ रणराग ५२०-५४३
३ पुलक
े सिन प्रिम ५४३-५६६-६७
४ कीततिवमिन प्रिम ५६६/६७ से ५९७/८
५ मंगलेि ५९७/८ से ६०९/१०
६ पुलक
े सिन द्ववतीय ६०९/१० से ६४२
७ ववक्रमाददत्य प्रिम ६५५ से ६८१
८ ववनयाददत्य ६८१ से ६९६
९ ववजयाददत्य ६९६ से ७३३/३४
१० ववक्रमाददत्य द्ववतीय ७३३/४ से ७४४/५
११ कीततिवमिन द्ववतीय ७४४/५ से ७५५
23. जयभसंह (५००-५२० ईसवी)
•चालुक्य वंश का प्रथम ऐततहाभसक शासक
•सवणप्रथम उल्लेख: क
ै रा ताम्रपत्र
•फ़्लीट: कदंबों का सामंत
•अन्य चालुक्य अभभलेखों में कोई राजकीय ववरुद
नही।
•नंहदमथ: कदंबों का सैन्य अथवा प्रशासकीय
अधिकारी
•ववरुद: वल्लभ, श्रीवल्लभ तथा वल्लभेंद्र
24. युद्ि गततववधियााँ
प्रारजभभक चालुक्य अभभलेखों में कोई उल्लेख नही।
1. जगदेकमल्ल क
े दौलतबाद अभभलेख में जयभसंग ने कदंबों क
े
ऐश्वयण को नष्ट ककया
2. जी एस मोरे़ि : कदभब शासक मृगेश अथवा रववमवणम
जयभसंह से अधिक शजक्तशाली
3. कल्याणी क
े चालुक्यों क
े कौथेम अभभलेख: जयभसंह से
राष्रक
ू ट शासक इंद्र एवं उसक
े पुत्र कृ ष्ण को पराजजत ककया।
4. कन्नड़ कवव रण: जयभसंह की राष्रक
ू टों पर गदायुद्ि द्वारा
ववजय
5. राष्रक
ू टों पर ववजय क
े कथन की प्रामाणणकता संदेहजनक
25. रणराग (५२०-५४० ईसवी)
• जयभसंह का पुत्र
• कोई अभभलेख नही
• कोई उल्लेखनीय सूचना नही।
• येवूर अभभलेख: वीर शासक एवं गदायुद्ि में रणराजभसंह की
उपाधि।
• भशव का उपासक
26. पुलक
े भशन प्रथम (५२०-५६६ ईसवी)
• फ़्लीट, डी॰ सी॰ सरकार : पुलक
े भशन = चीतों क
े समान बालों वाला
• तनलक
ं ठ शास्त्री: “ववशालकाय बाघ”
• रणराग का पुत्र
• महत्वपूणण एवं प्रथम स्वतंत्र राजा
• चालुक्य वंश का वास्तववक संस्थापक।
• चालुक्य वंश की महानता क
े युग की शूरवात
• महाक
ु ट स्तभभ अभभलेख: वातापी का प्रथम वविाता: वातावप
राजिानी
• कदंबों से वातापी िेत्र जीता होगा
• कल्याणी क
े चालुक्य शासक सोमेश्वर III क
े ववक्रमांकभ्युदय
अनुसार: पुलक
े भशन प्रथम ने अश्वमेि यज्ञ क
े अवसर पर
१३००० ग्राम पुरोहहतों को दान हदया।
27. साम्राज्य ववस्तार
1. तनलक
ं ठ शास्त्री एवं स॰ नंहदमथ: पुलक
े भशन ने वनवासी तथा
अन्य िेत्रों से कदंबों को हराया एवं स्वतंत्रता घोवर्षत की।
2. जी॰एस॰मोरेस : पुलक
े भशन कदंबों का सामंत था
3. मंगलेश क
े महाक
ू ट स्तभभ लेख क
े अनुसार:
“वातावप भाग्य वविाता”
• पुलक
े भशन प्रथम ने अश्वमेि, वाजपेय, अजग्नष्टोम,
अजग्नचयन, पौंडररक, बहुसुवणण तथा हहरण्यगभण यज्ञ ककए
• लाट चालुक्य राजा ववजयाहदत्य मंगलरसराज क
े नेरूर अभभलेख
में पुलक
े भशन प्रथम मनुस्मृतत, रामायण, महाभारत, इततहास
तथा पुराणों का ववद्वान कहा है।
• वैहदक िमण में पुलक
े भशन प्रथम की श्रद्िा थी।
• उपाधि: महाराज, िमणमहाराज, रणववक्रम, राजभसंह, सत्याश्रय,
वल्लभराज, धश्रवल्लभ तथा पृजवववल्लभ
28. कीततणवमणन प्रथम (५६६-५९६ ईसवी)
• पुलक
े भशन प्रथम का पुत्र
• युवराज काल में वपता को सहकायण
• ईसवी ५६६-६७ में राजा बना।
• स्त्रोत: पुलक
े भशन द्ववतीय की एहोले प्रशजस्त
मंगलेश क
े महाक
ु ट अभभलेख
वातावप में अनेक मंहदरो का तनमाणण
29. साम्राज्य ववस्तार
• एहोले प्रशजस्त एवं कल्याणी चालुक्यों क
े अभभलेख :
नल, मौयण एवं कदंबों का ववनाशक
1. नल: संभवतः बेल्लारी एवं कनूणल का िेत्र
2. मौयण: महाराष्र क
े समुद्रतट क
े कोंकण क
े शासक, पुरी
राजिानी।
3. कदभब: कनाणटक क
े उिर िेत्र कनारा, बेलगााँव, िारवाड प्रदेश
ववजजत ककया एवं कदभब राजवंश की राजिानी वैजयन्ती
(वनवासी) भी अपने अिीन की।
4. एहोले प्रशजस्त: कीततणवमणन प्रथम ने कदंबों क
े संघ को हराया।
इस संघ में सेंद्रक एवं गंग राजवंश शाभमल थे।
5. मंगलेश क
े महाक
ू ट अभभलेख: कभलंग, मगि, अंग, वंग, मद्रक,
क
े रल, पांड्य इत्याहद िेत्रों का ववजेता कहा गया है। जो
30. वैवाहहक संबंि
•कीततणवमणन प्रथम ने सेंहद्रय वंशीय शासक
श्रीवल्लभसेनानन्द की बहहन क
े साथ वववाह
ककया।
•कदंबों क
े संघ को पराजजत करने में सहायक
भसद्ि
31. कीततणवमणन का साम्राज्य
• कनाणटक का उिरी िेत्र: िारवाड, बेलगााँव, बीजापुर, बेल्लरी,
शीमोगा आहद।
• महाराष्र: कोंकण िेत्र
• आंध्र प्रदेश: करनूल एवं गुंटूर
• साम्राज्य िेत्र: महाराष्र, कनाणटक एवं आंध्र प्रदेश
32. कीततणवमणन का मूल्यांकन
• चालुक्यों का साम्राज्य ववस्तार ककया
• कदंबों को हराया
• ववष्णु महदर का तनमाणण
• उपाधि:
1. सत्याश्रय,
2. वल्लभ,
3. धश्रपृववीवल्लभ,
4. महाराज,
5. पुरुरणपराक्रम तथा
6. परमभागवत
33. मंगलेश
•कीततणवमणन प्रथम का अनुज
•पुलक
े भशन द्ववतीय क
े संरिक क
े रूप में
•पूवणवती राजाओं से महान एवं महत्वकांिी
ववजेता
•नाम: मंगलेश्वर, मंगलीश, मंगलराज,
मंगलानावण
•उपाधि: पृववीवल्लभ, महाराज, रणववक्रम,
उरुणववक्रम, चभलक्यवंशांबरपूणणचंद्र
•ततधथ: संभवतः ५९६/७ से ६०९/१० ई॰
35. मंगलेश की युद्ि गततववधियााँ
• महाक
ू ट अभभलेख: उिर भारत क
े बुद्िराज को हराया
• मंगलेश क
े नेरुर अभभलेख एवं पुलक
े भशन द्ववतीय क
े एहोले
प्रशजस्त इसकी पुजष्ट करते है।
• नेरुर अभभलेख: शंकरगण क
े पुत्र बुद्िराज की सेना को परास्त
ककया
• इस युद्ि से प्राप्त िन-सभपवि को ववजयोत्सव में खचण ककया।
• ऐहोले अभभलेख: मंगलेश ने कलचुररयों को हराया
• कलचुरी ववजय: उिरववजजगीर्षु
• कलचुरी िेत्र: गुजरात, क
ं हठयााँवाड एवं नाभसक में राज्य करते
थे।
• यह युद्ि मंगलेश क
े शासन क
े ५वे अथवा ७वे वर्षण में हुआ होगा।
36. रेवतीद्वीप की ववजय
• महाराष्र का कोंकण िेत्र
• मौयों क
े पराजय क
े बाद संभवतः रेवतीद्वीप क
े
शासक ने मंगलेश क
े ववरुद्ि ववद्रोह ककया होगा
• कोंकण िेत्र का महत्वपूणण शहर
• पहचान: रत्नाधगरी ज़िले में वेंगूलाण क
े दक्षिण में
रेडी नामक स्थान
•नौसेना द्वारा रेवतीद्वीप की ववजय
• १८ युद्िों क
े ववजेता स्वाभमराज को पराजजत
ककया
37. मंगलेश का साम्राज्य ववस्तार
• मगलेश क
े राज्य में चालुक्य वंश का साम्राज्य
1. गुजरात
2. काहठयााँवाड
3. महाराष्र (नाभसक एवं कोंकण)
4. उिरी कनाणटक
5. आंध्र (कनूणल)
38. मंगलेश का मूल्यांकन
1. महान ववजेता
2. महाक
ू ट अभभलेख: बहुमुखी व्यजक्तत्व
3. चालुक्य वंश का चंद्र, इंद्र एवं राम क
े समान अजेय,
भशव क
े समान उदार, यूधिजष्टर क
े समान सत्यतनष्ट,
लक्ष्मी से सभपन्न आहद
4. नेरूर अभभलेख: परमभागवत
5. कीततणवमणन द्वारा प्रारभभ ककए ववष्णु मंहदर का
तनमाणण कायण
6. उदार: अनेक ग्राम दान
39. पुलक
े भशन द्ववतीय
• कीततणवमणन का पुत्र (मंगलेश का भतीजा)
• ऐहोले अभभलेख: पुलक
े भशन द्ववतीय ने अपनी मंत्र एवं
उत्साह शजक्त से मंगलेश को सभी ओर से दुबणल बना हदया
और मंगलेश को न क
े वल राज्य, बजल्क जीवन भी खोना पड़ा।
• चालुक्य वंश का सवाणधिक महत्वपूणण शासक
• साम्राज्यवादी एवं महत्वकांिी
• गृहयुद्ि क
े कारण अनेक सामंत स्वतंत्र
• अंतगणत ववद्रोह की पररजस्थतत
• राज्यारोहन: संभवतः ६०९/१० से ६४२
• स्त्रोत: ऐहोले प्रशजस्त
• हेनत्सगं का प्रवास वववरण
• सुवणण भसक्कों का प्रवतणन
40. पुलक
े सिन द्ववतीय की ववजये
1. आप्पातयक एवं गोववंद
2. कदभब
3. आलुक एवं गंग
4. कोंकण क
े मौयण
5. लाट, मालव एवं गुजणर
6. हर्षणविणन से युद्ि
7. पूवी दक्षिणापथ की ववजय
8. पल्लवों पर आक्रमण
41. आप्पातयक एवं गोववंद
• पुलक
े भशन द्ववतीय की हदजग्वजय यात्रा में सवणप्रथम पराजजत
• दक्षिणी महाराष्र क
े शासक
• राजवंश का उल्लेख नही
• संभवतः संयुक्त शासक
• ववद्वानो क
े अनुसार राष्रक
ू टों से सभबंधित
• गृहयुद्ि क
े जस्थतत का लाभ पाने अप्पातयक एवं गोववंद हस्ती-
सेना क
े साथ भीमरथी (भीमा) नदी क
े उिरी ककनारे तक आए थे।
• इससे चालुक्यों क
े क
ें द्र बीजापुर क
े भलए ख़तरा
• पुलक
े भशन द्ववतीय ने खुले युद्ि नीतत क
े स्थान पर भेद नीतत
का उपयोग ककया
• गोववंद को भमत्र बनाया और उसकी सहायता से आप्पातयक को
पराजजत ककया।
42. कदभब
• कदंबों को कीततणवमणन एवं मंगलेश ने पराजजत ककया था।
• गृहयुद्ि क
े कारण स्वतंत्र
• पुलक
े भशन ने कदंबों की राजिानी बनवासी को घेर भलया।
• क
ं दंब राजा वीरता पूवणक लढा अंत में समपणण ककया।
• पराजजत कदभब राजा की पहचान भोधगवमणन से की जाती
है।
• पुलक
े भशन ने कदंबों क
े राज्य को अपने सामंतो में
ववभाजजत ककया
1. अलुप: को कदभबमंडल का भाग
2. सेंद्रक: बनवासी का िेत्र
43. आलुक एवं गंग
• आलुक: कनाणटक राज्य क
े दक्षिणी कनारा िेत्र
• शीमोगा ज़िले की हुाँचा राजिानी
• आलुक राजा की पहचान क
ु न्दवमणरस से
• ववद्वानो क
े अनुसार आलुक कदंबों क
े सामंत थे, जो पराजजत
होने क
े पश््यात चालुक्यों का आधिपत्य स्वीकार ककया।
• गंग: तलकाड िेत्र
• कदंबों क
े सभबन्िी
• राजा: दुववणनीत
• ववद्वानो क
े अनुसार गंग भी कदंबों क
े सामंत थे, कदभब
पराजजत होने क
े पश््यात गंगो ने चालुक्यों का आधिपत्य
स्वीकार ककया।
44. कोंकण क
े मौयि
• िेत्र: पजश्चमी महाराष्र क
े मुंबई क
े पास वतणमान
एभलफ
ाँ टा द्वीप क
े िारापुरी
• मौयण राजिानी पूरी (पजश्चमी समुद्र की लक्ष्मी)
• मौयों को कोंकण का शासक
• गुजरात एवं महाराष्र क
े समुद्र क
े अधिपतत
• पुलक
े भशन ने उन्हें पराजजत ककया
• पराजजत राजा का उल्लेख नही।
45. लाट, मालव एवं गुजणर
लाट, मालव एवं गुजणर ने युद्ि क
े बबना ही पुलक
े भशन क
े समि
आत्मसमपणण ककया।
लाट
• िेत्र: दक्षिणी गुजरात में ककम नदी क
े दक्षिण में
• राजिानी नवसाररका
• पहचान: बड़ौदा क
े नवसारी
मालव
• िेत्र: गुजरात का वलभी
गुजणर
• िेत्र: भड़ौच क
े गुजणर
• राजिानी: नादींपुरी
• पहचान: असंहदग्ि (भड़ौच, नन्दोद)
46. हर्षणविणन से युद्ि
• हर्षण: उिर भारत का शजक्तशाली शासक
• पुलक
े भशन: दक्षिण भारत का शजक्तशाली शासक
• दोनो समकालीन, महत्वकांिी एवं साम्राज्यवादी
• यह युद्ि पुलक
े भशन द्ववतीय की सामररक उपलजधि मानी गयी
• इस युद्ि को चालुक्यों अभभलखो में अत्यधिक महत्व हदया
गया
• वातापी चालुक्यों क
े अततररक्त कल्याणी क
े चालुक्यों एवं
• राष्रक
ू ट शासकों क
े अभभलेखों में भी इसका वववरण भमलता है।
47. हर्षणविणन से युद्ि
• एहोले अभभलेख क
े अनुसार “युद्ि में हर्षण क
े हाथी धगर पड़े और वह
भयग्रस्त हो गया”
• एहोले अभभलेख:
युधिपतततगजेन्द्रानीक ववभत्सभूतो
भयववगभलतहर्षों येन चाकारर हर्षण:
• हेनत्सााँग: हर्षण ने पंचभारत की सेनायें एकबत्रत कक एवं स्वयं सेनाध्यि
बनक
े पुलक
े भशन को जीतने गया।
• एहोले अभभलेख: पुलक
े भशन द्ववतीय ने “सकलउिरापथनाथ” को
हराया
• हेनत्सााँग: हर्षण ने पुलक
े भशन द्ववतीय को ना हराया एवं ना अधिनस्त
बनाया
• इस युद्ि पश््यात पुलक
े भशन ने “परमेश्वर”की उपाधि ली
• नमणदा दोनो राज्यों की सीमा बनी
49. युद्ि की ततधथ
बीजापुर-मुंबई ताम्रपत्र
(हदनांक ४ एवप्रल ६१९,
वैशाख पूणणणमा )
खोज
• मुंबई क
े रघुवीर पाई क
े पास
• उन्होंने बीजापुर क
े कबाड़ीवाले से ख़रीदा
• २०१७ में भंडारकर संस्था क
े श्री॰ बापट ने
प्रकाभशत ककया
• भार्षा: संस्कृ त
• भलवप: दक्षिण ब्राह्मी
• आकार: २२ x ५.८ सेमी
• वजन: ९१९ ग्राम
• नयी ततधथ: ४ एवप्रल ६१९ से पूवण
52. आंध्रराज्य ववजय
• आंध्र:
िेत्र: वतणमान आंध्रप्रदेश
ववजजत िेत्र: वपष्टपुरम (गोदावरी:वपठापुरम)
राजवंश: ववष्णुक
ुं डडन
पराजजत शासक: इंद्रवमणन
• युद्ि क
े फलस्वरूप कोणाल झील (गोदावरी तथा कृ ष्णा नदी क
े
मध्य का िेत्र: वतणमान कोल्लेरू झील) का पानी रक्तरंजजत हो
गया।
• पुलक
े भशन द्ववतीय ने आंध्र ववजय क
े बाद “ववष्णुविणन” को वहा
का राजा तनयुक्त ककया।
• ६३२ ई॰ क
े आसपास ववष्णुविणन ने स्वतंत्रता घोवर्षत की और नए
वंश की स्थापना की जजसे “पूवी चालुक्य राजवंश ” कहते है।
53. पल्लव आक्रमण: प्रथम
• पुलक
े भशन ने र्षडंग सेना से पल्लव राज्य पर आक्रमण
ककया।
• पल्लव शासक: महेंद्रवमणन प्रथम
• महेंद्रवमणन प्रथम ने पराजजत होकर युद्ि मैदान से भाग
गया एवं कााँचीपुरम में शरण ली।
• क
ु छ समय तक पल्लव क
े क
ु छ िेत्र अपने अिीन ककया।
• युद्िततधथ: संभवतः ईसवी ६१७-१८ ई
• ववजय क
े पश््यात: पुलक
े भशन ने चोल, पांड्य, क
े रल को
भमत्र बनाया।
• युद्ि तनणाणयक नही।
54.
55. पल्लव राज्य पर आक्रमण: द्ववतीय
• पल्लव राज्य पर द्ववतीय आक्रमण
• पल्लव शासक: महेंद्रवमणन क
े पुत्र नरभसंहवमणन प्रथम
• क
ू रम अभभलेख: नरभसंहवमणन प्रथम ने पुलक
े भशन
द्ववतीय को पररयाल, शूरमार तथा मणणमंगलम क
े
युद्िों में पराजजत ककया।
• नरभसंहवमणन प्रथम क
े सेनापतत भशरुतोंडर क
े नेतृत्व में
में पल्लव सेना ने वातापी पर आक्रमण ककया जजसमें
पुलक
े भशन द्ववतीय पराजजत हुआ और मारा गया।
• युद्ि ववजय उपरांत नरभसंहवमणन प्रथम ने
“वातापीकोंड”उपाधि ली।
• यह घटना संभवतः ईसवी ६४२ की होगी।
56. पुलक
े भशन द्ववतीय का मूल्यांकन
• चालुक्य साम्राज्य का ववस्तारक
• सामवयणशाली यौद्िा, क
ु शल संघटक, क
ू टनीततज्ञ
• हेनत्संग पुलक
े भशन द्ववतीय को दानशील राजा कहता
है।
• पुलक
े भशन द्ववतीय क
े राज्य का िेत्र ५००० ली (१३३४
की॰मी॰)
• उपाधियााँ: सत्याश्रय, वल्लभ, पृववीवल्लभ,
महाराजाधिराज, परमेश्वर, भट्टारक, परमभागवत
57. क
ू टनीततक सभबन्ि
• संभवतः फारस क
े शासक खुसरो परवे़ि द्ववतीय से
क
ू टनीततक सभबन्ि स्थावपत ककए थे।
• फारसी इततहासकार तबरी (८३८-९२३ ई) क
े अनुसार
भारत क
े एक राजा ने अपना दूतमंडल फारस क
े शासक
खुसरो परवे़ि द्ववतीय क
े कायणकाल क
े ३६ वे वर्षण (६२५-
२६ ई) में भेजा था।
• दूतमंडल एक पत्र, हाथी तथा अन्य बहुमूल्य वस्तुयें
लेकर गया था।
• खुसरो परवे़ि द्ववतीय ने भी अपना दूत भारत में भेजा
था।
• तबरी ने भारत क
े शासक का नाम फरभमस या प्रमेश
बताया है; जो परमेश्वर का फारसी रूपांतर है।
62. पुलक
े भशन द्ववतीय का मूल्यांकन
• चालुक्य साम्राज्य का ववस्तारक
• सामवयणशाली यौद्िा, क
ु शल संघटक, क
ू टनीततज्ञ
• हेनत्संग पुलक
े भशन द्ववतीय को दानशील राजा कहता
है।
• पुलक
े भशन द्ववतीय क
े राज्य का िेत्र ५००० ली (१३३४
की॰मी॰)
• उपाधियााँ: सत्याश्रय, वल्लभ, पृववीवल्लभ,
महाराजाधिराज, परमेश्वर, भट्टारक, परमभागवत
63. ववक्रमाहदत्य प्रथम
• पुलक
े भशन द्ववतीय क
े 6-7 पुत्र
• पुलक
े भशन द्ववतीय क
े मृत्यु उपरांत (१३ वर्षण)
साम्राज्यवादी गृहयुद्ि में ववजयी।
• अभभलेख: पुलक
े भशन द्ववतीय का वप्रयपुत्र
• अभभलेख: कई युद्िों में ववजेता।
• ववक्रमाहदत्य प्रथम क
े नाना गंग वंशीय दुववणनीत
की सहायता।
• राज्यततधथ: ईसवी ६५५-६८१
64. ववक्रमाहदत्य प्रथम की युद्ि
गततववधियााँ
• करनूल अभभलेख: तीन शासकों को पराजजत ककया
“अवतनपततबत्रतय”
• Fleet + K.V.Ramesh: अवतनपततबत्रतय =
1. नरभसंहवमणन I,
2. महेंद्रवमणन II,
3. परमेश्वरवमणन I से
• K.A.N.Shastri: अवतनपततबत्रतय= ववक्रमाहदत्य प्रथम क
े २ भाई
1. आहदत्यवमणन
2. चंद्राहदत्य
3. पल्लव नरेश नरभसंहवमणन I
• D॰P॰ दीक्षित: अवतनपततबत्रतय= चेर , चोल एवं पांड्य
65. पल्लव ववजय
• होन्नुर अभभलेख: ई॰६७०-७१ में ववक्रमाहदत्य प्रथम कााँची क
े
समीप मल्लीपुर ग्राम में जस्थत था।
• गदवल अभभलेख, सवनूर अभभलेख: पल्लवों को पराजजत ककया।
1. धश्रवल्लभ (ववक्रमाहदत्य) ने नरभसंह (नरभसंहवमणन I) क
े यश
को नष्ट ककया
2. महेंद्र (महेंद्रवमणन II) क
े शौयण को समाप्त ककया।
3. ईश्वर (परमेश्वरवमणन I) क
े ववरुद्ि सफलता प्राप्त की।
4. कााँची पर अधिकार ककया
5. इसक
े उपरांत रणरभसक ने महामल्ल (नरभसंहवमणन I) को पूणण
परास्त कर “राजमल्ल” उपाधि िारण की।
6. पररखा एवं प्राकार से सुरक्षित कााँची को अपने अिीन ककया।
• अलम अभभलेख: पल्लव नरेश ने उसकी चरण वंदना की।
67. ववक्रमाहदत्य प्रथम एवं पल्लव
आक्रमण
क
ू रम ताम्रपत्र: पल्लव नरेश परमेश्वरवमणन I ने
ववक्रमाहदत्य प्रथम को युद्ि से भागने क
े भलए वववश
ककया।
पल्लव अभभलेख: पेरुवडनल्लूर क
े युद्ि में वल्लभ की
सेना पराजजत हुई।
चालुक्यों की राजिानी को संत्रस्त ककया।
पेररयापुराणम: पल्लव सेनानायक ने वातावप पर
आक्रमण ककया शत्रु की बहुत िन-सभपवि स्वामी
(नरभसंहवमणन I ? अथवा परमेश्वरवमणन I) को दी।
68. ववक्रमाहदत्य प्रथम का मूल्यांकन
1. उपाधि: सत्याश्रय, वल्लभ,
श्रीपृववीवल्लभ, महाराजाधिराज,
परमेश्वर, भट्टारक, राजमल्ल,
2. दानशूर राजा: अनेक मंहदरो को दान
3. अनेक दानों का पुनःनवीनीकरण
4. नमणदा नदी (गुजरात, लाट) तक साम्राज्य
ववस्तार
5. दक्षिण में चोल, कााँची िेत्र तक
6. ततनो समद्रों पर शासन
69. ववनयाददत्य
• ववक्रमाहदत्य प्रथम का पुत्र
• वपता क
े शासनकाल में युवराज तनयुक्त
• अनेक युद्िों में वपता को सहयोग
• वपता की अनुपजस्थतत में राजिानी की सुरिा
• ईसवी ६८१ से ६९६
70. ववनयाददत्य की ववजये
1. त्रैराज्यपल्लवपती
2. कलभ्र: ववदेशी? कभबोडडया?
3. क
े रल
4. पांड्य
5. चोल
6. ववल
7. मालव
8. हैहय: पराजजत ककया
9. मूसक: मूसी नदी का तटवती िेत्र
10. लाट
11. काभब : गुंटूर ज़िला
12. जस्त्रराज्य
13. सकलोिरपथनाथ : क
े ववरुद्ि ववजये प्राप्त की। (राजा का नाम नही)
a) कमेर: कावेरी नदी
b) पारभसक: पारसी
c) भसंहलद्ववप : कर वसूल ककए
71. ववनयाददत्य का मूलयांकन
1. अनेक भूभम-दान
2. उपाधि: सत्याश्रय, वल्लभ, श्रीपृववीवल्लभ, महाराजाधिराज,
परमेश्वर, भट्टारक, युद्िमल्ल, राजाश्रय
3. ववस्तृत साम्राज्य को सुरक्षित रखा
4. साम्राज्य ववस्तार ककया
5. ववनयाहदत्य साम्राज्य का दौरा ककया करता था।
6. उसकी पत्नी एवं पुत्री ने अनेक मंहदरो का तनमाणण ककया।
72. • ववनयाहदत्य का रानी ववनयवती से उत्पन्न पुत्र
• ईसवी ६९१ में ही युवराज तनयुक्त।
• वपतामह ववक्रमहदत्य प्रथम एवं वपता ववनयाददत्य
दोनो क
े काल में राजकाज, सैतनकी एवं प्रिासन कायि
का अनुभव।
• चालुक्यों में सवािथिक ४० असभलेख।
• दीर्ि लेककन िांततमय िासन
• युवराज काल में अनेक युद्िों में सहयोग (ईसवी ६९६-
७३३)
• सामंत: आलुप, गंग, सेंद्रक, बाण, तेलगू-चोड़ आदद।
ववजयाहदत्य
73. ववजयाहदत्य
• ववजयाहदत्य ने अपने पुत्र युवराज
ववक्रमाहदत्य को पल्लवों की राजिानी
कााँची पर आक्रमण क
े भलए भेजा। उसने
पल्लव राजा परमेश्वर वमणन II को हराया।
• पट्टदकल में ववजयेश्वर (संगमेश्वर)
मंहदर का तनमाणण
• जैन िमाणनुयायी
• संगीत में अभभरुधच
• धचककत्सालय स्थावपत ककए, भसंचन
व्यवस्था सुदृढ की।
75. ववक्रमाहदत्य द्ववतीय
•ववजयाहदत्य का पुत्र
•वपता क
े काल में युवराज तनयुक्त (ई॰७१०)
•कायणकाल: c.733- 745 ईसवी
•उपाधि: कांधचनकोंड, सत्याश्रय, वल्लभ,
श्रीपृववीवल्लभ, महाराजाधिराज, परमेश्वर,
भट्टारक, वल्लभदुजणय
76. ववक्रमाहदत्य द्ववतीय की युद्ि
गततववधियााँ
• युवराज: सफल पल्लव अभभयान
• राजा: नवसारी अभभलेख (लाट शासक)-अरब आक्रमण
• पुलक
े भशराज: चाल्लुजक्कक
ु लालंकार, पृजवववल्लभ आहद
उपाधि
• नरवण अभभलेख: पल्लवों पर द्ववतीय आक्रमण
• लोकमहादेवी क
े पट्टदकल अभभलेख: ववक्रमाहदत्य
द्ववतीय ने पल्लवों पर तीन ववजये प्राप्त की थी।
• नरवण तथा अभभलेख: वंशपरंपरागत शत्रु पल्लव ववनाश
का तनश्चय
77. ववक्रमाहदत्य द्ववतीय का पल्लव
अभभयान
1. राज्यारोहण पश््यात ववक्रमाहदत्य द्ववतीय ने
अपने स्वाभाववक एवं वंशपरंपरागत शत्रु पल्लव
ववनाश का तनश्चय।
2. पल्लव नरेश नंदीवमणन को पराजजत ककया
3. शत्रुओं से हाथी, बहुमूल्य रत्न एवं मणणयााँ
हस्तगत की।
4. राजिानी कााँची पर अधिकार स्थावपत ककया
5. ववक्रमाहदत्य द्ववतीय ने कााँची में ववनाश न
करते हुए ब्राह्मणों- तनिणनो को दान हदया।
6. कााँची क
े नरभसंह वमणन द्वारा तनभमणत
राजभसंहेश्वर मंहदर की सभपवि को ितत नही
पहुाँचायी।
7. स्वतः मंहदर में बहुमूल्य वस्तुयें भेंट दी।
8. बबरुद: कांधचनकोंड (कााँची पर ववजय प्राप्त
करने वाला)
9. चोलों, क
े रलों, पांड्य आहद को पराजजत ककया।
10. रानी: लोकमहादेवी ने प्रभसद्ि लोक
े श्वर
(ववरूपाि) मंहदर का तनमाणण कराया।
78. क
ें दूर अभभलेख
ववक्रमाहदत्य सत्याश्रय ने कांची पर ववजय
प्राप्त करने क
े बाद, राजभसंहेश्वर मंहदर की
संपवि को जधत नहीं ककया, लेककन उसे बड़ी
राभश प्रदान की।
81. कीततणवमणन द्ववतीय
• ववक्रमाहदत्य द्ववतीय का त्रैलोक्यमहादेवी से उत्पन्न पुत्र
• युवराज काल में पल्लव ववरुद्ि अभभयान का नेतृत्व
• राजा बनने क
े बाद क
े युद्िों क
े स्पष्ट प्रमाण नही।
• उपाधि: श्रीवल्लभ, श्रीपृववीवल्लभ, राजाधिराज,
महाराजाधिराज, परमेश्वर, भट्टारक, नृपभसंह
• सामंत: पजश्चमी गंग एवं राष्रक
ू ट
• राष्रक
ू ट ववद्रोह:
दंततदुगण :
1. लाट क
े चालुक्य को पराजजत ककया
2. नमणदा नदी तक िेत्र ववस्तार ककया
3. कीततणवमणन द्ववतीय को पराजजत ककया।
• दंततदुगण क
े ई॰ ७५३-५४ क
े समनगड अभभलेख: कम सैन्य क
े
साथ दंततदुगण ने कीततणवमणन द्ववतीय को पराजजत ककया।
82. चालुक्य वंश क
े पतन क
े कारण
•भौगोभलक जस्थतत
1. तनरंतर पल्लव युद्ि
2. साम्राज्य का ववभाजन
3. नए ववज़ित प्रदेशों में सामंती व्यवस्था
4. सामंतो का ववद्रोह
5. अरब आक्रमण
6. प्रभावशाली राजवंशो का उदय
7. राष्रक
ू टों का उदय