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3. भूिमका
• दिक्षण भारत का महत्वपूणर् राजवंश
• प्राचीन काल से अिस्तत्व
• ईसवी ९ वी शती में शिक्तशाली
• आक्रामक युद्धनीित
• पहचान: चोल, चोड़, चोल्ड, चोड्डा
• योगदान: मंिदर िनमार्ण
• योगदान: धातुकला
• योगदान: व्यापार
• ग्रामीण प्रशासन
• भारतीय महाद्वीप क
े बाहर आक्रमण
• शिक्तशाली नौसेना
4. प्रस्तावना
•तामील देश क
े इितहास में महत्वपूणर् वंश
•चोलों का ईसवी ३०० से ईसवी ८५० तक का इितहास अज्ञात
•९वी शती में शिक्तशाली
•प्रारिम्भक क्षेत्र: उरैयूर एवं तंजोर
•बाद में सम्पूणर् सुदूर दिक्षण भारत में शासन
•लम्बे समय तक शासन ईसवी ३५०-१२००
•श्रीलंका प्रदेश अिधकार क्षेत्र में
5. चोलों का इितहास
संगम काल
६०० ईसा
पूवर् से
३०० ईसवी
चालुक्य-
चोल राजा
क
ु लोंतुंग १०७० ईसवी
संगम काल
से िवजयालय
३०० से ८५० ईसवी
िवजयालय से
राजराज
८५० ईसवी
से
१०७० ईसवी
6. उत्पित्त एवं वंश
उत्पित्त
• ितरुवलग़ाडु ताम्रपत्र : मूल पुरूष : चोल
• कन्याक
ु मारी अिभलेख: एक चोल राजा
ने आयार्वतर् से ब्राह्मणों को कावेरी नदी
पर बसाया। उसने जंगलो को साफ़ करक
े
रहनेयोग्य बनाया
• मूल प्रदेश: कावेरी नदी क्षेत्र
वंश
• वंश: किल्पत
• सूयर् वंश एवं चंद्र वंश
• प्रिसद्ध राजाओं से सम्बन्ध: मनु, इश्वाक
ु ,
पृथु, मांधाता आिद
• अनिबल ताम्रपत्र:िवजयालय क
े पूवर् १५
प्रिसद्ध राजाओं क
े नाम िजसमें किरकाल,
िकल्ली आिद
• ितरुवलग़ाडु ताम्रपत्र : ४४ राजा
• कन्याक
ु मारी अिभलेख: ५२ राजा
7. प्रारिम्भक चोल इितहास क
े प्रमाण
• संगम सािहत्य में उल्लेख (इसा पूवर् ६०० से ३०० ईसवी)
• अशोक: चोल, चेर, पांड्य
• मिणमेखलाई : िनवासस्थान – पुहार
• कात्यायन : चोल का वणर्न
• जातक कथा:
• टोलेमी: उरैयूर, कावेरीपत्तनम,अकोर्ट बंदरो का वणर्न
• िमिलं दपन्हो : चोलपत्तनम
• महावंश: चोल-लंका संबंध
25. प्रारिम्भक भौगोिलक क्षेत्र
•प्रारम्भ में कावेरी नदी का तिमल
प्रदेश में िनवास
•कालांतर में उत्तर एवं दिक्षणी भाग
समािहत
•दिक्षण में श्रीलंका का भाग
26. राजा
1. िवजयालय (ईसवी ८५०-८७१)
2. आिदत्य (ईसवी ८७१-९०७)
3. परांतक (ईसवी ९०७-९५३)
4. परांतक II/ सुंदर चोल (ईसवी ९७३-९७३)
5. उत्तम चोल (ईसवी ९७३-९८५)
6. राजराज प्रथम (ईसवी ९८५-१०१४)
7. राजेंद्र (ईसवी १०१४-१०४४)
8. राजािधराज (ईसवी १०४४-१०५२)
27. िवजयालय
•वंश का संस्थापक
•स्त्रोत: ितरुकोयील्लूर अिभलेख
•प्रारम्भ में पल्लवों का करद/ सामंत
•पांड्य एवं पल्लव संघषर् का फ़ायदा
•पल्लवों क
े तरफ़ से पांड्य क्षेत्र तंजोर पर आक्रमण
•अपने आप को स्वतंत्र घोिषत लेिकन पल्लवों की अधीनता
को स्वीकार
28. तंजोर िवजय
•ितरुवलग़ाडु ताम्रपत्र: तंजोर क्षेत्र में अिधकार
•तंजोर क
े आस-पास क
े क्षेत्र में आक्रमण एवं
अिधकार (कावेरी नदी क्षेत्र)
•ितरुकोयील्लूर अिभलेख: तंजयीकोंड,
परक
े सरी
•राजधानी: तंजोर
•तंजोर में दुगार् मंदीर का िनमार्ण
•राज्यकाल : ईसवी ८७१ तक
29. आिदत्य
• िवजयालय का पुत्र
• िपता क
े कायर्काल में युवराज िनयुक्त
• प्रशासन एवं सैिनकी अनुभव
• आिदत्य द्वारा पल्लव राजा (अपरािजत) को पांड्य क
े िवरुद्ध सहायता
• पल्लव राजा द्वारा िवजय पश्च्यात नया क्षेत्र देना
• आिदत्य द्वारा शिक्त का िनरंतर वधर्न
• अंत में ८९३ ईसवी में पल्लव राजा अपरािजत क
े साथ युद्ध एवं पल्लव वंश का पतन प्रारम्भ
• पल्लव राज्य की सीमा अिधग्रहीत
• प्रथम स्वतंत्र शासक
• पूवीर् समुद्री तट का क्षेत्र: चोलमंडलम
30. आिदत्य
• ितरुवलग़ाडु ताम्रपत्र: पल्लवों को परािजत िकया
• कन्याक
ु मारी अिभलेख: उपािध: कोंडनराम, तोंडईनाड़ु
• टोंडमंडलम पर अिधकार
• गंगा राजा से कोंगु प्रदेश िविज़त ( बाद में गंग चोलों क
े
सामंत)
• चोलों का राज्य िवस्तार
• राष्ट्रक
ू टों साम्राज्य तक सीमा िवस्तार
• वैवािहक संबंध: पल्लव राजक
ु मारी
• उपािध: राजक
े सरी, राजक
े सरवमर्न
• तंजोर में मंिदर िनमार्ण
• कालक्रम: नी॰ शास्त्री: ८९० ईसवी
31. परांतक
• आिदत्य का पुत्र
• कालक्रम (ईसवी ९०७-९५५)
• पांड्य एवं पल्लव संघषर् का फ़ायदा
• पांड्य राज्य का मदुरा प्रदेश अिधग्रहीत िकया
• चोल राज्य की सीमा दिक्षण में कन्याक
ु मारी
• अन्य िवजयें : श्रीलंका, बान, वैदुंब (पिश्चमी गंग राजा पृिथ्वपती िद्वतीय की सहायता से)
• अंत में श्रीलंका, बान, वैदुंब चोलों क
े सामंत बने
• योग्यता: क
ु शल प्रशासक,
• उत्तरमेरूर अिभलेख ९१९-९२१ ग्रामीण प्रशासन की जानकारी
• उपािध: वीरनारायण, पंिडतवत्सल, क
ुं जरमल्ल, पिरक
े सरीवमर्न, िवद्यानुराग आिद
32. चोल पांड्य संघषर्: प्रथम
• उदयेिद्रयम ताम्रपत्र: पांड्य राजा राजिसं ह II को परािजत िकया
• उदयेिद्रयम ताम्रपत्र: मदुरै पर अिधकार
• ितरुवलग़ाडु ताम्रपत्र: मदुरैकोंड, मदुरान्तक
• कन्याक
ु मारी तक साम्राज्य िवस्तार
33. चोल पांड्य संघषर्: िद्वतीय
• महावंश: पांड्य राजा से श्रीलंका क
े राजा से मदत माँगी
• श्रीलंका क
े राजा कस्सप V ने पांड्य राजा क
े िलए सेना भेजी
• ईसवी ९१५ में पांड्य + श्रीलंका सेना िवरुद्ध चोल सेना
• परांतक ने संयुक्त सेना को युद्ध में परािजत िकया
• उपािध: संग्रामराघव
• महावंश: महामारी क
े कारण संयुक्त सेना युद्ध में परािजत हुयी
34. चोल पांड्य संघषर्: तृतीय
• महावंश: पांड्य राजा राजिसं ह श्रीलंका आया
• श्रीलंका क
े राजा दाप्पूल चतुथर् ने उसकी मदत का आश्वासन िदया
• संभवतः इस युद्ध में भी पांड्य राजा परािजत हुआ
• उसने अपना राजमुक
ु ट एवं आभूषण श्रीलंका में छोड़कर चेर राज्य की शरण ली
• ९२० ईसवी में परांतक ने मदुरा पर आक्रमण िकया पांड्य राजा राजिसं ह को हराया
• परांतक ने मदुरा में अपना राज्यिभषेक का िनणर्य िकया
• परांतक ने श्रीलंका से पांड्य राजा राजिसं ह क
े राजमुक
ु ट एवं आभूषण लाने सेना को भेजा
• इस सेना को श्रीलंका क
े राजा ने परािजत िकया
35. अन्य िवजयें
• बाण: राष्ट्रक
ू टों को सहायता
• परांतक ने बाणों को परािजत िकया
• इस युद्ध में गंग सामंत पृथ्वीपित ने परांतक की मदत
की
• उपािध: बाणािधराज, हस्तीमहाराज,
• परांतक ने बाण क
े िमत्र वैदुंब (रेनाड) को परािजत
िकया
• वैदुंब (रेनाड): उत्तरी अकार्ट एवं नेल्लोर िज़ला
36. चोल-राष्ट्रक
ू ट संघषर्
• दिक्षण में चोल; उत्तर में राष्ट्रक
ू ट
• लाईडेन + ितरुवलग़ाडु ताम्रपत्र: युद्ध में परांतक का पुत्र राजािदत्य का अंत हुआ
• अटाक़
ु र अिभलेख: तक्कोलम क
े युद्ध में राष्ट्रक
ू ट सेनापित बूतुग ने राजािदत्य को परािजत
िकया
• राष्ट्रक
ू ट राजा क
ृ ष्ण तृतीय ने तोंडमडलम प्रदेश अिधग्रहीत िकया
• इस युद्ध से चोल राजवंश को अत्यिधक क्षित
• परांतक क
े सम्पूणर् िवजयों का अंत
• लगभग ३० वषोर्ं तक चोल इितहास को क्षित
37. गंडरािदत्य 953-956 ईसवी
• परांतक प्रथम का पुत्र
• वीरासोिलयम में क
ु छ शत्रुओं को परािजत िकया।
• क
े .ए.एन.शास्त्री: वे क
ृ ष्ण तृतीय क
े सामंत थे।
• रानी सेिम्बयन महादेवी: चोल साम्राज्य की सबसे शिक्तशाली रािनयों में से एक िजन्होंने
साठ वषोर्ं की अविध में कई मंिदरों का िनमार्ण िकया और कई मंिदरों को उदार उपहार
िदए।
• कला को प्रोत्साहन।
• गंडारािदत्य क
े बाद उसका भाई अिरंजय राजा बना
• अिरंजय की जल्द ही मृत्यु हुयी
38. सुंदर चोल (परांतक िद्वतीय) ईसवी 957-973
• अिरंजय का पुत्र
• राष्ट्रक
ू ट पतनअवस्था की और
• सुंदर चोल ने तोंडामंडलम राष्ट्रक
ू टों से वापस ले िलया।
• आकोर्ट + िचं गलपुट िजले में क
ृ ष्ण तृतीय की तुलना में अिधक संख्या में चोल िशलालेख।
• पांड्यों का िवद्रोह: वीरपांड्य + श्रीलंकाई राजा िवरुद्ध सुंदर चोल।
• सुंदर चोल ने संयुक्त सेनाओं को हराया।
• पांड्य राजा को भागने क
े िलए मजबूर िकया गया।
• इसक
े बाद सुंदर चोल ने श्रीलंका पर हमला िकया।
• तिमल और संस्क
ृ त भाषा क
े सािहत्य का संरक्षक।
• उसकी रानी वनमहादेवी पित क
े मृत्यु पर सती हुयी।
39. उत्तम चोल
• परांतक प्रथम क
े पुत्र: १) राजािदत्य २) गंडरािदत्य ३) अिरंजय
• राजािदत्य की तक्कोलम क
े युद्ध में मृत्यु हुयी।
• परांतक प्रथम क
े बाद गंडरािदत्य राजा बना
• गंडरािदत्य को पुत्र ना होने से उसने अपने भाई अिरंजय को राजा
बनाया
• उसक
े बाद गंडरािदत्य को पुत्र उत्पन्न हुआ= उत्तम चोल
• अिरंजय का पुत्र: परांतक िद्वतीय/ सुंदर चोल
• अिरंजय क
े बाद उसका पुत्र परांतक िद्वतीय/ सुंदर चोल राजा बना
• सुंदर चोल (परांतक िद्वतीय) ने अपने पुत्र आिदत्य िद्वतीय को राजा
बनाया
• इस पर उत्तम चोल (गंडरािदत्य का पुत्र) ने आपित्त दजर् की
• आिदत्य िद्वतीय की जल्द ही संिदग्ध अवस्था में मृत्यु हुयी
• राजराज ने उत्तम चोल को राजा बनाया
• उत्तम चोल क
े मृत्यु क
े बाद राजराज राजा बना
43. राजराज प्रथम
• सुंदर चोल का पुत्र
• राजराज प्रथम उफ़
र् अरुलमोली वमर्न
• राजराज महान
• ईसवी ९८५ में राजा िनयुक्त
• कालक्रम: ईसवी ९८५-१०१४
• राष्ट्रक
ू टों से पराजय क
े बाद चोल राजवंश की
उन्नित का श्रेय राजराज को
• अनेक युद्द अिभयान
• प्रदेश िवस्तार क
े प्राथिमकता
• राज्य दमन की नीित का अवलंब
• चोल वंश का उद्धारकतार्
44. राजराज का सैन्य अिभयान
तंजोर अिभलेख क
े असुसार
1. पिश्चमी चालुक्य को परािजत िकया
2. पूवीर् चालुक्य (वेंगी) को युद्ध में हराया
3. मदुरा क
े पांड्य को परािजत िकया
4. क
े रल क
े चेर को परािजत िकया
5. क़
ु गर् प्रदेश को िविज़त िकया
6. श्रीलंका का उत्तरी भाग को जीता
7. मालदीव प्रदेश को जीता
45. चेर (क
े रल) िवजय
• चेर राजा रिववमर्न ईसवी ९८७-
१०३६
• राजराज ने रिववमर्न को युद्ध में
हराया
• चेर नौदल को नष्ट िकया
• चेर शहर िविलनम एवं कोल्लम
को नष्ट िकया
• युद्ध ितिथ: ९८९-९९२ क
े मध्य
46. पांड्य िवजय
• मदुरा पर आक्रमण
• पांड्य राजा अमरभुजंग को बंदी बनाया
• महत्वपूणर् क्षेत्र क
ू गर् पर अिधकार
• सैिनकी िवशेष प्रदेश उदागै पर क़ब्ज़ा
• इससे पांड्य एवं चेर राज्यों पर िनयंत्रण
एवं िनगरानी
• युद्ध ितिथ: ९९२ से पूवर्
47. श्रीलंका (ईलम) िवजय
• श्रीलंका का राजा महेंद्र पंचम
• चेर का िमत्र
• राजराज ने महेंद्र पंचम को परािजत िकया
• राजराज ने श्रीलंका क
े शहरों को िनशाना बनाया
• अनुराधापुर शहर को नष्ट िकया
• श्रीलंका का उत्तरी भाग चोलों क
े अधीन
• िविज़त क्षेत्र: मामूँडीशोलमंडलम
• पोलोन्नरवा को राजधानी बनाया एवं उसका नाम
जननाथमंगलम रखा
• राजराज ने उत्तरी श्रीलंका में मंिदरो का िनमार्ण िकया
• पोल्लोनारवा में अिभलेख खुदवाया
• मंिदरो क
े रख-रखाव क
े िलए अनेक ग्राम-दान
• युद्ध ितिथ: ९८१ क
े आसपास
50. पिश्चमी गंग पर िवजय
• राजराज ने गंग वंश की तीन शाखाओं
1. गंगवाड़ी,
2. ताड़ीिगवदी,
3. नोलाम्बवाडी (मैसूर) पर कब्जा कर
िलया।
• गंग साम्राज्य का यह प्रदेश अगले 126
वषोर्ं तक चोल साम्राज्य का िहस्सा बने
रहे।
• युद्ध ितिथ:९९०
51. पिश्चमी चालुक्यों
पर िवजय
• राजराज प्रथम ने सत्याश्रय क
े शासनकाल में
चालुक्य नगरी इराटपड्डी पर आक्रमण िकया
• ितरुवलग़ाडु अिभलेख: रट्टपािड़ को अिधक
ृ त
िकया
• ितरुवलग़ाडु अिभलेख: सत्याश्रय-कष्टाश्रय
• करंडे ताम्रपत्र: ईसवी 1007 क
े चालुक्य
िशलालेख क
े अनुसार, चोल सेना (राजेंद्र
९,००,०००) ने इराटपड्डी क
े लोगों को बेरहमी से
तबाह कर िदया।
• उन्होंने ब्राम्हण एवं बच्चों को भी मार डाला।
• मिहलाओं का अपमान िकया ।
• यह एक क्र
ू र जीत थी।
• बाद में तुंगभद्रा नदी दोनों राज्यों की सीमा बन
गई।
53. पूवीर् चालुक्यों (वेंगी) क
े साथ
वैवािहक गठबंधन
• पूवीर् चालुक्य क
े अंतगर्त वेंगी की भौगोिलक िस्थित बहुत
महत्वपूणर् थी।
• राष्ट्रक
ू ट, पिश्चमी चालुक्य एवं चोल
• अंतगर्त गृहयुद्ध
• शिक्तवमर्न प्रथम : राजराजा प्रथम
• भीम प्रथम: सत्याश्रय
• राजराजा प्रथम ने खुद को वेंगी की आंतिरक राजनीित में
शािमल कर िलया।
• उसने शिक्तवमर्न प्रथम को िसं हासन प्राप्त करने में मदत
की।
• राजराजा प्रथम ने अपनी बेटी का िववाह शिक्तवमर्न
प्रथम क
े भाई क
े साथ िकया ।
• इस वैवािहक गठबंधन ने भिवष्य में राजराजा को बहुत
मदत हुयी।
54. किलं ग पर जीत
•राजराज प्रथम ने वेंगी शासक
शिक्तवमर्न प्रथम की सहायता
से किलं ग राजा को परािजत
िकया।
55. साम्राज्यवादी अिभयान: मालदीव
• राजराज ने नौसैिनक अिभयान में मालदीव
द्वीप में सेना का नेतृत्व िकया।
• इस युद्ध में चोलों को िवजय प्राप्त हुयी
• िहंद महासागर में चोल नौसैिनक युद्ध का
िववरण उपलब्ध नहीं है।
• जॉन कीय: माना जाता है िक राजाराजा ने
12000, पुराने द्वीपों पर िवजय प्राप्त की
है।
• रोिमला थापर: दिक्षण पूवर् एिशया क
े
साथ और अरब और पूवीर् अफ्रीका क
े
साथ व्यापार पर चोल िनयंत्रण क
े िलए
आवश्यक है।
59. राजराज प्रथम की उपलिब्धयां
• राजराज प्रथम ने चोलों की नौसैिनक शिक्त का िवकास िकया।
• चोलों को भारत की प्रमुख सत्ता बनाया।
• राजराज प्रथम ने युवराज को प्रशासन क
े साथ जोड़ने की प्रथा भी शुरू की।
• इस प्रथा से उत्तरािधकार पर िववाद को हटाने में मदत िमली।
• उसने चोल प्रशासिनक प्रणाली को िफर से संगिठत िकया।
• चोल भूिम सवेर्क्षण शुरू करने का श्रेय िदया राजराज प्रथम को जाता है।
• राजराज प्रथम ने िशलालेखों को मंिदरो पर खुदवाया ।
• कला और वास्तुकला का संरक्षक : नागपट्टनम
• धािमर् क रूप से सिहष्णु
• राजराज प्रथम, शैववाद का संरक्षक होने क
े नाते, तंजौर में िवशाल
राजराजेश्वर मंिदर का िनमार्ण िकया (िजसे बृहदीश्वर मंिदर क
े रूप में भी
जाना जाता है)।
60.
61. राजेंद्र चोल (ईसवी 1014-1044)
•राजेंद्र, राजराज प्रथम का इकलौता पुत्र
•ईसवी सन १०१२ में वािरस नािमत ।
•ईसवी १०१४ में राजा
•१०१८ में जेष्ठ पुत्र राजािधराज को युवराज िनयुक्त िकया
•युवराज क
े रूप में युद्ध और प्रशासन में एक सिक्रय सहभाग
•युवराज क
े रूप में, राजेंद्र ने राजराज क
े क
ु छ अिभयानों का नेतृत्व िकया,
जैसे िक वेंगी और किलं ग क
े िवरुद्ध।
62. राजेंद्र द्वारा जारी
अिभलेख/ताम्रपत्र
• ितरुवलंग़ाडु ताम्रपत्र राजेंद् द्वारा 6 वें वषर्
(१०१७ ईसवी) में प्रकािशत की गई थीं।
• इस ताम्रपत्र में ३१ प्लेटें थीं
• इस ताम्रपत्र में राजेंद्र प्रथम क
े शासन क
े
बारे में िवस्तृत जानकारी प्रदान की गई
है।
• ितरुमलाई िशलालेख उसक
े १३ वें शासन
वषर् में जारी िकया गया था।
• इसमें भी राजराज प्रथम क
े बारे में
जानकारी दी गई है।
63. युवराज क
े रूप में राजेंद्र का अिभयान
•राजेंद्र क
े िपता की ओर से शुरुआती अिभयान ईसवी 1012 में शािमल।
•राजेंद्र ने पिश्चमी चालुक्य राजा सत्याश्रय क
े िवरुद्ध हुए अिभयानों का भी
नेतृत्व िकया और तुंगभद्रा नदी को पार िकया
•चालुक्य राजधानी पर हमला िकया।
•िशलालेख क
े अनुसार, राजेंद्र ने शहर को लूटा और लूटा, िनदर्यता से
मिहलाओं, बच्चों और ब्राम्हनों को मार डाला।
• राजेंद्र को इन युद्धों में िवपुल लाभ िमला ।
64. राजेंद्र का साम्राज्यवादी अिभयान
युद्धरत राजेंद्र चोल, कोलारम्मा मंिदर, कोलार
1. श्रीलंका
2. पांड्य
3. चेर
4. कल्याणी क
े चालुक्य
5. वेंगी क
े चालुक्य
6. उत्तर भारत
7. दिक्षण-पूवर् आिशया
65. राजेंद्र का साम्राज्यवादी अिभयान: पांड्य िवजय
•ितरुवलंग़ाडु ताम्रपत्र क
े अनुसार, राजेंद्र ने पांड्यों क
े िखलाफ युद्ध शुरू
िकया।
•राजेंद्र की सेना ने पांड्य राजा को हराया और उनक
े मुक
ु ट को जब्त कर
िलया।
•ईसवी १०१८-१९ में राजेंद्र प्रथम ने अपने पुत्र को पांड्य क्षेत्र क
े गवनर्र क
े रूप
में िनयुक्त िकया।
•राजेंद्र ने मदुराई में चोल साम्राज्य का अन्य मुख्यालय बनाया।
•मदुरा में एक महल का िनमार्ण िकया।
66. राजेंद्र का साम्राज्यवादी अिभयान: चेर िवजय
•पांड्यों को हराने क
े बाद, राजेंद्र चेर साम्राज्य की ओर गया।
•युद्ध ितिथ: संभवतः १०१८ ईसवी
• ितरुवलंगाडु ताम्रपत्र में उल्लेख है िक राजेन्द्र ने चेर शासक को अपने
मुक
ु ट से वंिचत कर िदया।
•राजेंद्र का बेटा चेर राज्य का गवनर्र बन गया जहाँ उसने एक महल का
िनमार्ण िकया।
•बाद में चेर राज्य को चोल साम्राज्य क
े साथ िमला िलया गया।
67. राजेंद्र का साम्राज्यवादी अिभयान: श्रीलंका िवजय
• राजेंद्र ने ईसवी 1018 में श्रीलंका पर आक्रमण िकया और कब्जा कर िलया।
• श्रीलंका राजा: महेंद्र पंचम
• बौद्ध ग्रंथ महावंश क
े अनुसार चोल सेना ने श्रीलंका क
े राजा को परािजत िकया।
• िवजय उपरांत, शहरों को लूटा, बौद्ध मठों को नष्ट कर िदया और शाही खजाने पर कब्जा कर
िलया।
• राजेंद्र ने श्रीलंका क
े राजा मिहंद्र पंचम क
े शाही गहने और मुक
ु ट जैसे कीमती आभूषणों पर भी
कब्जा कर िलया।
• सम्पूणर् ईलमंडलम चोल साम्राज्य क
े अधीन हो गया।
• राजेंद्र ने श्रीलंका में एक मंिदर का िनमार्ण भी कराया।
• श्रीलंका का उत्तरी क्षेत्र अब चोल राज्य क
े अधीन आ गया
• राजेंद्र ने श्रीलंका की रानी और राजा की बेिटयों को क
ै द में डाल िदया।
• राजेंद्र ने श्रीलंका क
े राजा मिहंद्र पंचम को भारत में क
ै दी क
े रूप में िलया, जहां 12 साल बाद क
ै द
में उसकी मृत्यु हो गई।
68. साम्राज्यवादी अिभयान: कल्याणी चालुक्य
प्रथम चरण (ईसवी 1019)
• कल्याणी चालुक्य राजा= सत्याश्रय।
• जब राजेंद्र दिक्षण अिभयान में व्यस्त था तो
सत्याश्रय ने चोल साम्राज्य क
े क
ु छ क्षेत्र को
जीत िलया।
• सत्याश्रय ने रायचूर, बनवासी, दिक्षणी
हैदराबाद, मान्याखेत, पट्टापटी आिद क्षेत्र
िजत िलया।
• राजेंद्र ने उन्हें युवराज क
े रूप में जीता था
69. साम्राज्यवादी अिभयान: कल्याणी चालुक्य:
िद्वतीय चरण (1021 ईसवी)
• कल्याणी चालुक्य राजा = जयिसं ह िद्वतीय
• राजेंद्र ने जयिसं ह िद्वतीय को हराया।
• 1019 ईसवी क
े बेलगाव िशलालेख में जयिसं ह िद्वतीय को चोलों एवं चेरों का िवजेता कहा गया
है।
• बेलारी और मैसूर से उनक
े िशलालेखों की खोजों द्वारा सत्यािपत।
• 1021 CE िशलालेख: राजेंद्र ने जयिसं ह िद्वतीय को हराया और उसक
े खजाने से 7 लाख रुपये
िलए।
• ितरुवलंगडु िशलालेख: राजेंद्र चोल ने तैलवंश को उखाड़ िदया (तैलवंश = तैलप का पिरवार,
कल्याणी चालुक्य)।
• बाद में जयिसं ह िद्वतीय ने चोलों को परािजत िकया ।
• तुंगभद्रा नदी = कल्याणी चालुक्य और चोल राज्य क
े बीच की सीमा।
70. साम्राज्यवादी अिभयान: कल्याणी चालुक्य:
तृतीय चरण
• कल्याणी चालुक्य राजा = सोमेश्वर प्रथम।
• सोमेश्वर प्रथम ने वेंगी पर हमला िकया।
• राजेंद्र ने अपने पुत्र युवराज राजािधराज क
े अधीन चोल सेना को वेंगी में भेजा।
• क
ृ ष्णा नदी क
े तट पर (पुिण्ड) चालुक्य एवं चोल सेना में भीषण युद्ध हुआ
• राजेंद्र ने सोमेश्वर प्रथम को परािजत िकया।
• िफर चोलों ने चालुक्यों की राजधानी कल्याणी को लूट िलया।
• राजािधराज कल्याणी से द्वारपाल की मूितर् तंजौर लेकर आया।
• यह मूितर् तंजोर क
े दारापुरम नामक स्थान पर िस्थत है।
71. साम्राज्यवादी अिभयान: कल्याणी चालुक्य
चतुथर् चरण (1042 ईसवी)
• कल्याणी चालुक्य राजा = िवक्रमािदत्य चतुथर्
• राजेंद्र क
े अंितम वषोर्ं में पुनः संघषर्
• धन्नाड (धान्यकटक) में चोल िवरुद्ध कल्याणी चालुक्यों बीच युद्ध
• सेना का नेतृत्व राजािधराज
• राजािधराज की चोल सेना िवजयी हुई
• युद्ध में चालुक्य सेना क
े कई सेनापित मारे गए
• िवक्रमािदत्य चतुथर् (िवक्की) और िवजयािदत्य सप्तम युद्ध मैदान से भाग गए।
• चोल सेना ने कई हािथयों, घोड़ों और संपित्त को जप्त िलया
• चोल सेना ने क
ु लपक नामक शहर को जला िदया।
72. वेंगी क
े चालुक्य क
े साथ संबंध: प्रथम चरण
• वेंगी पूवीर् चालुक्यों की राजधानी।
• चोल और कल्याणी चालुक्य: दोनों की वेंगी में रुिच
• पूवीर् चालुक्य राजा िवमलािदत्य क
े दो पुत्रों- िवजयािदत्य सप्तम और राजराजा नरेंद्र क
े बीच प्रितद्वंिद्वता
• पिश्चमी चालुक्य राजा जयिसं ह िद्वतीय ने िवजयािदत्य सप्तम का समथर्न िकया।
• राजेंद्र चोल ने राजराज नरेंद्र का साथ िदया।
• इस गृहयुद्ध में राजेंद्र ने वेंगी राजा क
े रूप में राजाराज नरेंद्र का समथर्न करने क
े िलए चोल सेना भेजी।
• कल्याणी राजा + िवष्णुवधर्न सप्तम को परािजत िकया
• राजेंद्र ने वीरभूषण, जयिसम्हाक
ु लकाल आिद की उपािधयां लीं।
• राजेंद्र चोल ने राजराजनरेंद्र का राज्यािभषेक िकया और उसकी बेटी की शादी उनक
े साथ की
• राजराज नरेंद्र ने भिवष्य क
े अिभयान में राजेंद्र की मदद की।
73. वेंगी क
े चालुक्य क
े साथ संबंध: िद्वतीय चरण
•वेंगी क
े राजा = राजराज नरेंद्र
• राजराज नरेंद्र ने चोलों क
े साथ संबंधों को समाप्त कर िदया।
•इसक
े बजाय कल्याणी चालुक्य राजा सोमेश्वर से दोस्ती की।
•नतीजतन, चोलों ने वेंगी में अपनी पकड़ खो दी।
74. राजेंद्र का उत्तर-पूवर् भारत अिभयान
• दिक्षण (श्रीलंका, पांड्य और चेर) को जीतने क
े बाद, और पिश्चमी चालुक्य को हराने क
े बाद, वेंगी में
अपने कठपुतली राजा क
े साथ, राजेंद्र ने ईसवी 1019 और 1024 क
े बीच उत्तर में अपना असाधारण
अिभयान शुरू िकया।
• तिमल प्रशिस्त: उत्तर-पूवर् भारतीय अिभयान का नेतृत्व िवक्रम चोल ने िकया ।
• इस अिभयान ने वेंगी, किलं ग, ओड्र और बंगाल राज्यों एवं गंगा नदी को पार िकया।
• चोल सेना किलं ग से होते हुए गंगा नदी की ओर बढ़ी।
• जहां चोल सेनाओं ने सोमवंशी वंश क
े शासक इंद्ररथ को परािजत िकया।
• चोल सेना अंततः बंगाल क
े पाल राज्य में पहुंच गई जहां उन्होंने मिहपाल को हराया।
• चोल सेना ने दंडभुिक्त में पाल वंश धमर्पाल क
े शासक को भी परािजत िकया।
• चोल सेना ने पूवीर् बंगाल क
े चंद्र वंश क
े गोिवं दचंद्र को परािजत कर बस्तर क्षेत्र पर आक्रमण िकया।
• इस क्रिमक अिभयान क
े बाद राजेंद्र ने “गंगईकोंड चोल” (िजसने गंगा पर कब्जा कर िलया) उपािध ली।
• अपनी राजधानी को तंजावुर से गंगाईकोंड चोलपुरम में स्थानांतिरत कर िदया, जहां उसने एक िवशाल िशव
मंिदर का िनमार्ण िकया।
75. • गंगईकोंड चोलपुरम को चोलों की एक
नई राजधानी क
े रूप में चुना गया।
• चोल राजवंश क
े समाप्त होने तक यह
स्थान राजधानी क
े रूप में रहा।
• राजेंद्र क
े बाद क
े सभी चोल वंश क
े
भावी राजक
ु मारों का गंगईकोंड
चोलपुरम में राज्यिभषेक हुआ।
• यह अब तिमलनाडु का एक छोटा सा
गांव है। गंगईकोंड चोलपुरम में एक
िवशाल िशव मंिदर है।
77. राजेंद्र चोल क
े चीन क
े साथ संबंध
•चोलों ने चीनी राज्यों क
े साथ अच्छे संबंध बनाए रखे।
• सबसे शुरुआती िमशन चीन में राजराजा प्रथम द्वारा 1016 में सांग
राजवंशक
े काल में भेजा गया था।
• बाद में 1033 और 1077 ईसवी में भी भारतीय राजदूत चीन गए थे।
•चोल और चीिनयों क
े बीच व्यापक व्यापार ने श्रीिवजय साम्राज्य क
े
िववाद को जन्म िदया।
78. शैलेन्द्र वंश का श्रीिवजय साम्राज्य
• श्रीिवजय एक शिक्तशाली मलय राज्य था, सुमात्रा,
इंडोनेिशया क
े अिधकांश द्वीप उसक
े अधीन थे ।
• श्रीिवजय राज्य 11-12 वीं शताब्दी में अपने चरम पर
था।
• श्रीिवजय क
े पास एक शिक्तशाली नौसेना थी।
• शिक्तशाली नौसेना क
े कारण समुद्री व्यापार पर
महत्वपूणर् िनयंत्रण था ।
• राजराज प्रथम और राजेन्द्र चोल क
े समय में
श्रीिवजय पर शैलेन्द्र वंश का शासन था।
• चोल और शैलेन्द्र राजाओं क
े बीच संबंध मैित्रपूणर्
िदखते है।
• उदाहरण: ईसवी 1006 में (राजाराज चोल क
े
शासनकाल क
े दौरान), श्रीिवजय क
े राजा
मरिवजयतुंगा वमर्न ने नागपिट्टनम में बौद्ध चूड़ामिण
िवहार का िनमार्ण िकया था।
80. चोल-श्रीिवजय संघषर्
संघषर् क
े संभािवत कारण ॰॰॰॰॰॰
•अपने साम्राज्य का िवस्तार करने क
े िलए
• अपनी नौसैिनक शिक्त का उपयोग करने की राजेंद्र की इच्छा?
•करंदई ताम्रपत्र: क
ं बुज क
े राजा (क
ं बोिडया) ने अपने राज्य को बचाने क
े
िलए राजेंद्र से अनुरोध िकया।
•मजूमदार एवं क
े ए नीलकांत शास्त्री: भारत-चीन क
े मध्य व्यापार में
वृिद्ध क
े िलए
•क
े ॰ हाल: चीन क
े साथ व्यापार में वृिद्ध क
े िलए
81. कड़ारम (कटाह) का युद्ध
• जानकारी: राजेंद्र क
े १४ वे वषर् का िशलालेख, िलडेन ताम्रपत्र, ितरुवलगाडु ताम्रपत्र (श्लोक १२३),
• राजेंद्र ने दिक्षण से श्रीिवजय पर हमला िकया, जबिक श्रीिवजयन सैन्य ने उत्तर-पिश्चम से हमले की उम्मीद
की।
• चोल सेना ने श्रीिवजय साम्राज्य की राजधानी पालेमबांग पर पहले घेराबंदी की।
• चोलों ने शहर पर कब्जा कर िलया और शाही महल को लूट िलया।
• युद्ध में, राजेंद्र चोल ने राजा संग्राम िवजयतुंगवमर्न को पकड़ िलया और क
ै द कर िलया
• जीत क
े उपलक्ष्य क
े रूप में राजेंद्र मिण-रत्नों से सुस्सिजत तोरण द्वार भारत ले आया।
• पालेमबांग की िवजय क
े तुरंत बाद, चोल सेनाओं ने पन्नाई (आधुिनक पेन), मलययूय (आधुिनक मलाया),
मापप्पलम (बमार्), तलैट्टक्कोलम (आधुिनक थाईलैंड में ताक
ु आपा), नक्कावरम (िनकोबार द्वीप समूह) और
अंत में क
े दाह में श्रीिवजयन सेना को हराया।
• युद्ध क
े अंत में, राजेंद्र ने आधुिनक मलेिशया, अंडमान और िनकोबार द्वीप समूह और दिक्षणी थाईलैंड पर
अपना वचर्स्व बढ़ाया।
• समुद्र पर उनक
े प्रभुत्व ने उन्हें थाईलैंड क
े बाकी िहस्सों और खमेर राज्य (आधुिनक क
ं बोिडया) से िवपुल
सम्पित्त अिजर् त की।
82. साम्राज्यवादी अिभयान: दिक्षण-पूवर् एिशया
• तिमल प्रशिस्त: राजेंद्र ने दिक्षण पूवर् एिशया में
िनम्निलिखत राज्यों में जीत हािसल की।
• सुमात्रा: िवजय, पन्नी, मलयूर, इलामुिददेशम
• मलेिशया: मायूरुिडं गम , मदमिलं गल्म,
इलंगशोकम,
• िनकोबार द्वीप =माणक्कावरम
84. साम्राज्यवादी अिभयान: कड़ारम (कटाह) पर िवजय
• राजेंद्र का 14 वां राज्य वषर् िशलालेख: कदारम में राजेंद्र का नौसैिनक आक्रमण।
• ितरुवलंगडु ताम्रपत्र : शिक्तशाली चोल नौसेना कदारम जीता।
• तिमल प्रशिस्त: राजेंद्र क
े कई जहाजों ने कदारम क
े राजा को हराया और अपनी
सेना क
े हािथयों और खजाने को ले िलया।
• िलडेन संग्रहालय ताम्रपत्र:
85. क
े रल, मदुरा और श्रीलंका का िवद्रोह
• राजेंद्र क
े अंितम वषोर्ं में चोल साम्राज्य क
े िविभन्न भागों में िवद्रोह।
• राजेंद्र चोल द्वारा प्रितशोध।
• िवद्रोह करने वाले तीन िमत्र राजाओं में से एक का िसर युद्ध में काट िदया गया।
• सुंदर पांड्य को मल्लेयूर की ओर पीछे हटने क
े िलए मजबूर होना पड़ा।
• वेनाड़ क
े राजा को मार िदया गया।
• चेरराजा जंगल में िछप गया
• चोल सेना ने चेरों क
े जहाजों को नष्ट कर िदया।
• श्रीलंका में िवद्रोह को आंिशक सफलता।
86. राजेंद्र की सैन्य िवजय
•राजेंद्र ने चोल साम्राज्य को उत्तर में गंगा क
े तट तक और समुद्र क
े पार
िवस्तािरत िकया।
•राजेंद्र क
े क्षेत्र तटीय बमार्, अंडमान और िनकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप,
मालदीव तक फ
ै ले हुए थे।
• उसने श्रीिवजय (सुमात्रा, जावा और दिक्षण पूवर् एिशया में मलाया) क
े
राजाओं पर िवजय प्राप्त की।
•राजेंद्र ने बंगाल और िबहार क
े पाल राजा मिहपाल को हराया।
•गंगईकोंड चोलपुरम
91. राजेंद्र प्रथम की उपलिब्धयां
• राजेंद्र महान िपता क
े महान पुत्र।
• उपािध: मुंिडकोंडा (पांड्य, चेर और श्रीलंका क
े राजाओं पर िवजय क
े
उपरांत), कादरानगोंडा (महान महाद्वीपीय और िवदेशी उपलिब्धयां)
• पंिडत चोल (एनाय्यरम 1025 िशलालेख क
े अनुसार, जहां उसने एक
वैिदक िशक्षण संस्था की स्थापना की जहां वेदों को पढ़ाया जाता था
और िशक्षक एवं छात्र रहते थे।
• राजेंद्र ने बंगाल और िबहार क
े पाल राजा मिहपाल को हराने क
े बाद
अपनी जीत क
े उपलक्ष्य में गंगईकोंड चोलपुरम नामक एक नई
राजधानी का िनमार्ण िकया।
• राजेंद्र ने गंगा क
े पानी को संग्रहीत करने क
े िलए इसी शहर में सोलह
मील लंबी और तीन मील चौड़ी क
ृ ित्रम झील का िनमार्ण कराया।
• यह भारत की सबसे बड़ी मानव िनिमर् त झीलों में से एक थी।
• उसने एक शिक्तशाली चोल नौसेना बनाई।
• िवशाल मंिदर िनमार्ता
• उसक
े तीन बेटे थे। 1} राजिधराज 2} राजेन्द्र िद्वतीय 3} पुत्री अमंगदेवी
वेंगी क
े राजराजा प्रथम की रानी और क
ु लोतुंग प्रथम की मां थीं।
92. राजािधराज प्रथम (1045-1052 ईसवी )
•राजािधराज प्रथम राजेंद्र का उत्तरािधकारी।
• राजािधराज को कोप्पाराक
े सरीवमर्न क
े नाम से भी जाना जाता था।
• राजिधराज प्रथम को 1018 ईसवी में अपने िपता क
े समय क
े दौरान
युवराज घोिषत िकया गया था।
•२५-२६ वषोर्ं का दीघर् अनुभव
•अपने लंबे शासनकाल क
े दौरान, उन्होंने अपने िपता को कई क्षेत्रों को
जीतने में मदद की।
•अिधकांश लंका, वेंगी, किल
ं ग आिद पर चोल अिधकार बनाए रखा।
93. युवराज क
े रूप में राजािधराज क
े युद्ध
• लगभग 1029 ईसवी में श्रीलंका में स्वतंत्रता क
े िलए संघषर् शुरू हुआ िजसका
राजािधराज ने दमन िकया
• चेर और पांड्य साम्राज्य में भी िवद्रोह शुरू हुआ, िजसे राजािधराज प्रथम ने दबा िदया
था।
• राजेन्द्र क
े शासन क
े अंितम वषर् में, राजािधराज ने क
ृ ष्णा नदी क
े तट पर पुंडी में युद्ध में
पिश्चमी चालुक्यों को हराया।
• राजािधराज प्रथम ने कल्याणी को नष्ट कर िदया और द्वारपाल की मूितर् को घर ले
आया जो तंजौर िजले क
े दारासुराम मंिदर में िस्थत है।
• उसने मैसूर में एक छोटा सा अिभयान भी चलाया, िजसक
े पिरणामस्वरूप उनकी जीत
हुई।
94. श्रीलंका क
े िवरुद्ध राजािधराज का युद्ध
• राजािधराज क
े शासनकाल में भी श्रीलंका की मुसीबतें जारी रहीं
• िसं हली राजा महेंद्र पंचम की चोल क
ै द में मृत्यु हो गई।
• उसक
े बेटे िवक्रमबाहु ने अपने िमत्र पांड्य राजा, िवक्रम पांड्य की सहायता से िवद्रोह शुरू
िकया।
• िवक्रमबाहु ने लंका क
े दिक्षणी भाग पर कब्जा करना शुरू कर िदया।
• िवक्रमबाहु द्वारा श्रीलंका क
े िखलाफ कठोर कदम उठाए गए,
• िवक्रमबाहु ने िवक्रमबाहु का राजमुक
ु ट उतार िलया, श्रीलंका की रानी की नाक की बबर्र
िवक
ृ ित भी शािमल थी
• बाद में, श्रीलंका द्वीप का अिधकांश िहस्सा चोलों क
े अधीन रहा।
• राजािधराज लेख: १) िवक्रमबाहु २) िवक्रम पांड्य ३) वीरशलामेघन ४) िश्रवल्लभ को
परािजत िकया
• राजेंद्र की बहुसंख्य मुद्रायें श्रीलंका से प्राप्त हुयी है।
95. कल्याणी क
े चालुक्य क
े साथ युद्ध
• कल्याणी (पिश्चमी चालुक्य) क
े चालुक्य राजा सोमेश्वर प्रथम ईसवी 1042 में राजा बना और
उसने 1068 ईसवी तक शासन िकया।
• कल्याणी क
े चालुक्यों क
े िलए यह उपलिब्धयों का काल था।
• सोमेश्वर प्रथम शासन चोलों क
े साथ िनरंतर संघषर् क
े िलए जाना जाता है।
• प्रमुख संघषर् वेंगी पर िनयंत्रण क
े िलए था।
• वेंगी साम्राज्य पिश्चमी चालुक्य, चोल, पांड्य क
े षड्यन्त्र में फ
ँ सा रहा।
• 1044 में सोमेश्वर प्रथम ने वेंगी को अधीन करने क
े िलए एक अिभयान शुरू िकया, एवं
अल्पकािलक िनयंत्रण प्राप्त िकया।
• चोल राजा राजािधराज चोल भी वेंगी में चोल शिक्त को बहाल करने क
े िलए उत्सुक थे।
• इसने चोल और कल्याणी चालुक्यों क
े बीच अपिरहायर् संघषर् का नेतृत्व िकया
96. कल्याणी क
े चालुक्य क
े साथ युद्ध
• राजािधराज क
े राजा बनते ही चालुक्यों क
े साथ संघषर् १०४४ ईसवी
• १०४६ क
े मिण-मंगलम अिभलेख: राजािधराज ने अनेक चालुक्य राजाओं को परािजत
िकया, किम्पली नगर का राजप्रासाद ध्वस्त िकया एवं िवजय स्तंभ स्थािपत िकया।
• मिण-मंगलम अिभलेख: सोमेश्वर प्रथम क
े अिधनस्त अनेक तेलगू शासकों को बंदी
बनाया, पुंडुर नगर को भूिमसात कर गधों से जुतवाया।
• सोमेश्वर प्रथम क
े दूतों का अपमान िकया
• उनको “आहवमल्ल” एवं “आहवमिल्ल” नामकरण िकया
• युद्ध ितिथ: १०४८ से पूवर्
• चोलों को अिधक समय तक इस युद्ध का लाभ नही िमला।
• सोमेश्वर प्रथम ने पुनः चोलों द्वारा िविज़त क्षेत्र अिधग्रहीत िकया
• सोमेश्वर प्रथम क
े १०४७, १०५३ एवं १०५५ क
े अिभलेख इसकी पुिष्ट करते है।
97. पिश्चमी चालुक्य क
े िवरुद्ध युद्ध: कोप्पम की लड़ाई
• मिण-मंगलम अिभलेख: राजािधराज प्रथम ने रट्टमंडलम पर अिधकार कर उसे नष्ट
िकया।
• चोलों एवं चालुक्य की सेनायें कोप्पम में एकित्रत हुयी।
• युद्ध ितिथ: १०५२
• कोप्पम= फ़्लीट: िख़द्रापुर (महाराष्ट्र), शास्त्री: कोपवाल (कनार्टक)
• कोप्पम का युद्ध िनणार्यक रहा।
• युद्ध का नेतृत्व राजािधराज कर रहा था।
• इस लड़ाई में राजािधराज हाथी की पीठ बैठा था।
• चालुक्यों ने राजािधराज को लक्ष्य िकया एवं राजािधराज की युद्ध में मृत्यु हो गयी।
• राजािधराज को मरणोपरांत अनई-मेरू-थूजीना (हाथी पर मरने वाले राजा) की
उपािध िमलती है।
98. पिश्चमी चालुक्य क
े िवरुद्ध युद्ध: कोप्पम की लड़ाई
• राजािधराज क
े छोटे भाई, राजेंद्रदेव (राजेंद्र िद्वतीय) ने खुद को अगले चोल सम्राट
क
े रूप में ताज पहनाया।
• वह चोल सेना को िफर से सिक्रय करने में सक्षम रहा जो हतोत्सािहत हुयी थी।
• युद्ध पिरणाम यह हुआ िक चालुक्य सेना हार गई।
• सोमेश्वर प्रथम युद्ध से भाग गया
• युद्ध में अनेक हाथी, अश्व, ऊ
ँ ट, तथा राजकीय िचन्ह राजेंद्रदेव (राजेंद्र िद्वतीय) को
प्राप्त हुए।
• इस युद्ध में भी चोल सेना ने चालुक्य नगरों और इमारतों का िवनाश िकया।
• लेिकन िकसी तरह, सोमेश्वर ने अपनी राजधानी से चोल सेनाओं को खदेड़ने में
सफल रहा।
99. राजािधराज की उपलिब्धयां
•राजािधराज ने 1044 ईसवी में अश्वमेध यज्ञ िकया ।
• ित्रभुवनी िशलालेख: वैिदक िशक्षा संथा क
े आिथर् क समथर्न का उल्लेख
जहां 260 छात्र और 12 िशक्षक अध्ययन कर रहे थे।
•राजािधराज की मृत्यु क
े बाद उसका भाई राजेंद्रदेव (राजेंद्र िद्वतीय) ने
ईसवी 1052-1064 तक शासन िकया।
•राजेंद्रदेव क
े जेष्ठ पुत्र राजमहेंद्र युवराज बन गया लेिकन जल्द ही उसकी
मौत हो गई।
•िफर राजेंद्रदेव (राजेंद्र िद्वतीय) का छोटा भाई वीर-राजेंद्र प्रथम 1064 में
राजा बन गया। उसने सात वषोर्ं तक शासन िकया।
101. चोल राजवंश
• राजेंद्र िद्वतीय: १०५१-१०६३= १२ वषर्
• वीरराजेंद्र: १०६३-१०७०= ७ वषर्
• क
ू ल्लोतुंग प्रथम : १०७०-११२० = ५० वषर्
• िवक्रम : १११८-११३५ = १६ वषर्
• क
ू ल्लोतुंग िद्वतीय: ११३५-११५० = १५ वषर्
• राजराज िद्वतीय: ११५०-११७३= २३ वषर्
• राजािधराज िद्वतीय: ११७३-११७८ = ५ वषर्
• क
ू ल्लोतुंग तृतीय : ११७८-१२१८ = ४० वषर्
• राजराज तृतीय: १२१८-१२५६ = ३८ वषर्
• राजेंद्र तृतीय : १२४६-१२७९= ३३ वषर्
102. चोलों का पतन
प्रशासिनक कारण राजनीितक कारण आिथर् क कारण
सामंतों का उदय। कमजोर और अक्षम शासक। व्यापार में कमी
सामंतो की प्रसासिनक पदों पर
िनयुिक्त
िनरंतर युद्ध िनरंतर युद्ध में आिथर् क क्षित
कमजोर क
ें द्रीक
ृ त शिक्त कमजोर उत्तरािधकािर। समुद्री व्यापार में चीनी और
अरब प्रभाव का उदय।
भष्ट्राचार शिक्तशाली समकालीनों का
उदय (पांड्य)
समुद्री व्यापार में अरब प्रभाव
आंतिरक कलह/ िवद्रोह सैिनक अकमर्ण्यता संसाधनो की कमी
103. आंतिरक िवद्रोह
• राजराज तृतीय का ५ वां राज्यवषर् (1220 ईसवी )।
• आंतिरक अराजकता की िस्थित
• संपित्त और धन की हािन।
• एक मंिदर को भी नष्ट कर िदया गया।
• इसकी मूितर् यों को सुरिक्षत रूप से अन्य स्थान पर स्थानांतिरत कर िदया गया है।
• दान िदए ताम्रपत्र को नष्ट कर िदया।
• इस काल तक इस प्रकार क
े िवद्रोह एक आम प्रथा बन गए।
104. राजपद क
े िलए गृहयुद्ध
• V. Venkaiya: राजराज िद्वतीय और राजेंद्र तृतीय ने िसं हासन क
े पिरग्रहण
क
े िलए गृहयुद्ध हुआ
• गृहयुद्ध क
े कारण अंततः चोल का पतन हो गया
• लेिकन यह िसद्धांत तथ्यों द्वारा अच्छी तरह से समिथर् त नहीं है।
105. शासकों में दूरदिशर् ता की कमी
•राजराजा तृतीय द्वारा पांड्यों क
े साथ संिध की शतोर्ं का उल्लंघन।
•चोल और पांड्य क
े बीच लड़ाई।
•पांड्य ने चोलों ने परािजत िकया।
•उरईयूर-तंजौर शहर जलाया गया, रािनयो को क़
ै द िकया गया।
•पांड्य राजा जटावमर्न सुंदर पांड्य ने चोल राजधानी में खुद का
राज्यिभषेक कर िलया।
106. शिक्तशाली समकालीन शासकों का उदय
•पांड्य, होयसल, काकतीय, यादव, तेलुगुचोड की सत्ता में वृिद्ध।
• होयसल जो शुरू में चोल सामंत थे, अब पांड्यों क
े प्रित अपनी िनष्ठावान हुए।
• होयसलों ने राजेंद्र तृतीय से श्रीरंगम ले िलया।
• काकितयों ने राजेन्द्र तृतीय क
े शासनकाल क
े दौरान चोल राज्य क
े उत्तरी भागों पर कब्जा कर
िलया।
• पांड्य इस समय एक महाशिक्त बन गए।
• जटावमर्न सुंदर पांड्य ने होयसल राजा को परािजत िकया, काकितयों को कांची से बेदखल कर
िदया और राजेंद्र तृतीय को अपनी संप्रभुता स्वीकार करने क
े िलए मजबूर िकया।
• राजेंद्र तृतीय ने 1258-1271 ईसवी तक पांड्य सामंत क
े रूप में शासन िकया।
•राजेंद्र तृतीय की मृत्यु क
े साथ ही, चोल साम्राज्य समाप्त हो गया।
107. चोलों का योगदान
• चोल और उनक
े शासनकाल ने भारतीय इितहास की एक उल्लेखनीय अविध को
िचिह्नत िकया है।
• चोल भारत क
े दिक्षणी क्षेत्रों में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला राजवंश हैं।
• शिक्तशाली नौसेना
• दिक्षण-पूवर् आिशया पर प्रभाव
• सुशासन और मज़बूत प्रशासिनक प्रणाली
• स्वतंत्र ग्रामीण प्रशासिनक व्यवस्था
• कला एवं वास्तुकला क
े संरक्षक
• मूितर् कला और कांस्य कला का िवकास
• वैिदक िशक्षा प्रणाली को आिथर् क सहायता