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3. प्रस्तावना
• कन्नोज हर्मवर्मन क
े काल र्ें उत्तर भारत का राजनीवतक
क
ें द्र था।
• हर्मवर्मन क
े र्ृत्यु क
े बाद से यशोवर्मन क
े उद्भव का काल
अवनवित है।
• इस काल की कोई जानकारी नही
• कन्नोज क
े राजा क
े रूप र्ें यशोवर्मन का उदय
• ईसवी सातवी-आठवीं शती र्ें भारत र्ें शक्तिशाली
शासक
• कालक्रर् र्ें र्तभेद:
• H. C. Raichaudhary: c.700 to 740 CE.
• V. Pathak: c.724-752 CE
5. स्त्रोत
प्रवासी वणमन / चीनी ग्रंथ
1. हुइ-चाओं : कोररयायी बौद्ध वभक्षु (ईसवी ७२७)
2. हैं-ल्यू-शी : क
े नेतृत्व र्ें संकवलत “शांगवंश का प्राचीन इवतहास”
(ईसवी ९४५)
3. वैंग-पू : द्वारा संकवलत “शांगवंश क
े ववर्ान” (९६१ ईसवी)
4. वैंग-चीन-जो और यांग-यी: द्वारा संकवलत “शाही राजपत्रालय क
े
सवामवर्क र्हत्वपूणम आलेि” (ईसवी १००५-१०१३)
5. यू-यांग-श्यू एवं सुंग़-वच: द्वारा संकवलत “शांगवंश का नवीन
इवतहास” (ईसवी १०६०)
6. यशोवर्मन (इ-श-फो-र्ो) ने बौद्ध वभक्षु फ
ु अथवा पो-त-वसन=
बुद्धसेंन को ७३९ र्ें चीनी सम्राट (हेन-शुंग) क
े दरबार र्ें भेजा
6. यशोवर्मन क
े राजवंश उत्पवत्त
वनवित सार्ग्री का अभाव
1. गउडवहो: चंद्रवंशी
2. जैन ग्रंथ: चंद्रगुप्त र्ौयम क
े वंश का
3. बुद्धप्रकाश: र्ौिरीक
ु ल से संबंवर्त
• उपलब्ध प्रर्ाणों क
े आर्ार पर कोई अंवतर् र्त
नही।
7. गउडवहो
• वाक्पवतराज द्वारा वलिी गई क
ृ वत, प्राक
ृ त भार्ा
र्ें उपलब्ध है।
• वाक्पवतराज कन्नौज क
े राजा यशोवर्मन राजकवी
• यशोवर्मन ने गौड़ (बंगाल) क
े राजा को परावजत
वकया उसकी घटना पर यह ग्रंथ आर्ाररत है।
• प्रवसद्ध जर्मन ववद्वान हेर्ामन याकोबी इन्ोंने इस
ग्रंथ का काल ईसवी ७३३ र्ाना है।
• ग्रंथ र्ें पूवमवती भवभूती, भास, कावलदास का
उल्लेि है।
• वाक्पवत ने यशोवर्ाम की स्तुवत करते हुए उसे
ववष्णु का अवतार र्ाना है।
• काव्य र्ें यशोवर्ाम क
े युद्ध क
े वणमन, युद्ध कथाए,
प्रदेश, क्षेत्र, वनसगम आवद वणमन है।
8. यशोवर्मन की
वदक्तिजय
• गउडवहो (गौडवहो): क
े
अनुसार
1. ववंध्याचल
2. र्गर्
3. वंग
4. दवक्षणापथ
5. पारवसक क्षेत्र
6. र्रुदेश
7. वहर्ालय की तलहटी का
क्षेत्र
9.
10. यशोवर्मन का युद्ध अवभयान
अनु
क़्र
युद्ध क्षेत्र राजा वर्णन
१ ववंध्याचल युद्ध अवभयान की शुरूवात
वतमर्ान वर्र्ामपुर वर्ला
२ र्गर् र्गहनाह (र्गर्) का राजा र्गर् का राजा भाग गया
वक
ं तु र्ारा गया
३ वंग वंग राजा ने यशोवर्मन की अर्ीनता स्वीकार की
४ दवक्षणापथ र्लय पवमत को पर कर दवक्षण की ओर गया।
दवक्षणापथ क
े राजाओं ने यशोवर्मन की अवर्सत्ता
स्वीकार की
५ पारवसक क्षेत्र घोर युद्ध र्ें पारवसक देश को परास्त वकया तथा
पविर्ी घाट क
े क्षेत्रों से कर वसूला
वसंर् क्षेत्र प्रदेश रहा होगा
६ र्रुदेश नर्मदा एवं सर्ुद्र वकनारे से र्रुदेश (र्ारवाड़)
पहुुँचा, जहाुँ से श्रीकण्ठ (थानेश्वर) और क
ु रुक्षेत्र
होता हुआ अयोध्या पहुुँचा।
७ वहर्ालय की
तलहटी
अयोध्या से पुनः वहर्ालय की तलहटी क
े प्रदेशों
को जीतते हुए कन्नोज लौट आया।
11. गौड़ राजा का वर्
• यशोवर्मन ने र्गर् क
े
राजा को परास्त वकया
• इसकी पहचान परवती
गुप्त राजा जीववतगुप्त
वद्वतीय से की जाती है
• इस युद्ध क
े पश्च्यात
यशोवर्मन का
कानपुर, फतेहपुर एवं
प्रयाग क्षेत्र पर पूणम
अवर्कार हो गया।
कन्नौज क्षेत्र
12. यशोवर्मन क
े युद्ध वणमन पर ववद्वानो का र्त
1. क्तिथ: यशोवर्मन की युद्ध ववजय को ऐवतहावसक कहा है।
2. वत्रपाठी: गउडवहो क
े उल्लेि को क
े वल काव्यात्मक अनुभव र्ानते
है।
3. चीनी यात्री हुई-चाओं: “उस र्ध्य भारतीय राजा क
े शावसत क्षेत्र
अत्यंत ववशाल थे, प्रायः राजा युद्धों र्ें सेनाओं का नेतृत्व करता था,
एवं प्रायः युद्दो र्ें ववजयी रहता था।
4. नालंदा से यशोवर्मन क
े एक र्ंत्री क
े पुत्र र्ालद का बौद्ध वभक्षुओं क
े
दान का अवभलेि (वबहार क्षेत्र कन्नोज क
े अर्ीन होने क
े प्रर्ाण)
5. वबहार का यशोवर्मपुर (वतमर्ान घोसरवा) यशोवर्मन ने युद्ध क
े
पश्च्यात बसाया।
6. दवक्षणापथ क
े अवभयान क
े साक्ष्य र्ें चालुक्य नरेश पुलक
े वश क
े
पपोत्र ववजयावदत्य क
े बदार्ी अवभलेि र्ें वकसी
“सकलोत्तरापथनाथ” को युद्ध र्ें हराने का प्रर्ाण है।
7. नालंदा से यशोवर्मन क
े एक र्ंत्री क
े अवभलेि र्ें र्ंत्री को
उदीचीपवत (उत्तर वदशा का रक्षक), र्ागमपवत (सीर्ाओं का रक्षक)
कहा गया है।
13. यशोवर्मन एवं लवलतावदत्य
1. सर्कालीन शासक
2. यशोवर्मन: कन्नोज का राजा
3. लवलतावदत्य: कश्मीर का राजा
4. दोनो शक्तिशाली एवं र्हत्वकांक्षी
5. चीनी सम्राट से अच्छे सम्बन्ध
6. दू तों का आदान-प्रदान
7. वतब्बतीयों को रोकने क
े वलए वर्त्रता
8. वतब्बतीयों का दबाव कर् होने पर राज्य की सीर्ाओं
का टकराव
14. लवलतावदत्य से युद्ध
• युद्ध क
े संभववत कारण:
1. चीनी वृत्त: जालंर्र (पंजाब) क
े प्रदेश को राज्य र्ें वर्लाने की होड़
2. यशोवर्मन वयोवृद्ध होने क
े कारण लवलतावदत्य की साम्राज्य ववस्तार की
योजना
3. लवलतावदत्य एवं यशोवर्मन र्ें युद्ध का लम्बा दौर चला
4. कोई भी हल ना-वनकलने से संवर्-वातामओं प्रारम्भ हुई
5. राजतरंवगणी: वकसका नार् पहले आए पर वववाद
6. संवर्-वाताम भी असफल रही।
7. पुनः युद्ध आरम्भ
8. यशोवर्मन की युद्ध र्ें हार हुई तथा उसने लवलतावदत्य की अर्ीनता
स्वीकार की।
9. कान्यक
ु ब्ज़ राज्य क्षेत्र लवलतावदत्य क
े र्हल का आुँगन हुआ एवं यशोवर्मन
लवलतावदत्य की प्रसंशा करने र्ें बाध्य हुआ।
10. पंजाब, जालंर्र, काुँगड़ा और पूुँच कश्मीर का क्षेत्र लवलतावदत्य ने अपने
अवर्नस्त राजाओं को वदया।
11. कन्नौज एवं र्ध्य भारत क
े अनेक ववद्वान कश्मीर र्ें जा बसे
15. यशोवर्ाम का साम्राज्य ववस्तार
• Smith: वहर्ालय से नर्मदा एवं बंगाल
• R.S. Tripathi: स्तुवतपूणम वववेचन लेवकन र्गर् एवं बंगाल
• Hui-Chao: पंजाब, श्रावस्ती, कवपलवस्तु, वैशाली
16. क
ू टनीवतक संबंर्
1. चीन साथ अच्छे संबंर्
2. चीनी स्त्रोत: यशोवर्मन ने बौद्ध वभक्षु बुद्धसेंन को ईसवी
७३१ र्ें चीन भेजा
3. कश्मीर नरेश लवलतावदत्य क
े साथ शूरुवात र्ें अच्छे
संबंर्
4. चीनी स्त्रोत: ईसवी ७३६ र्ें लवलतावदत्य द्वारा चीन र्ें
भेजा गया दू त दोनो क
े र्ैवत्रपूणम संबंर् बताता है।
5. अरबों एवं वतब्बवतयों क
े ववरुद्ध संगवठत
17. यशोवर्मन का वतवथक्रर्
• कल्हन: ईसवी ७२४-७६०
• चालुक्य नरेश ववजयवदत्य ने सकलोत्तरापथनाथ को ईसवी
६९६ र्ें परावजत करने का वणमन है।
• ईसवी ७३६ र्ें लवलतावदत्य ने चीन र्ें राजदू त भेजा था।
• क्तिथ: यशोवर्मन x लवलतावदत्य युद्ध वतवथ संभवतः ७४०
ईसवी
• पाठक: संभवतः यशोवर्मन की र्ृत्यु ईसवी ७५२ र्ें हुई
होगी।
18. यशोवर्मन की उपलक्तब्धयाुँ
1. वजस तेर्ी से उत्थान, उतनी ही तीव्रता से पतन
2. कन्नोज का गररर्ार्यी काल
3. यशोवर्मन ने र्गर् र्ें अपने नार् से नगर बसाया, ववहार
बनवाए।
4. राजकवव वाक्पवत: गउडवहो,
5. भवभूवत: र्हावीरचररतर्, उत्तररार्चररतर्, र्ालतीर्ार्व
(नाटक)
6. सावहत्य प्रेर्ी एवं कवव
7. यशोवर्मन को सुभावर्त ग्रथों क
े क
ु छ पद्यों और रार्ाभ्युदय
नाटक का रचवयता कहा जाता है
8. चीन से सम्पक
म
9. कन्नोज का अंवतर् क्तथथर शासक