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3. प्रस्तावना
• बदलौन एवं मुद्रा प्राचीन अर्थव्यवस्र्ा का मूल अंग है
• बदलौन प्रर्ा का प्रारंभ संभवतः मध्य पाषाण काल से प्राप्त (U॰C॰ चटोपाधाय्य)
• नव पाषाण काल की कृ वष प्रधान स्र्ायी जीवन शैली से परस्पर आदान प्रदान की
भावना का उदय
• कालांतर में मुद्रा का उद्भव
• मुद्रा का उद्भव = मानव इततहास की एक प्रमुख घटना
• मुद्रा क
े आगमन ने पूणथ अर्थ जगत को पररवततथत कर ददया
4. पाषाण एवं ताम्रपाषाण कालीन बदलौन प्रर्ा
• मध्य पाषाण काल : गंगा घाटी क
े लोग संभवतः जानवर क
े मांस क
े बदले
ववंध्य की संस्कृ ततयों से पाषाण उपकरण प्राप्त करते र्े
• नवपाषाण काल : कश्मीर में बुजथहोम गुफ़्रकाल पुरास्र्ल से सैन्धव सभ्यता
क
े पुरावशेषों की प्राप्प्त
• ताम्राश्मक काल : दायमाबाद पुरस्र्ल का सैन्धव सभ्यता से बदलौन क
े
माध्यम से संपक
थ
5. सैन्धव कालीन ववनमय
• धातु क
े अत्याधधक प्रयोग का काल
• मुद्रा का प्रमाण अभी तक अप्राप्त
• व्यापाररयों का बाहुल्य
• व्यावसातयक क
ें द्रों का उदय
• बड़ी संख्या में बटखरे प्राप्त
• पाषाण, ताम्र, सेलखड़ी क
े बटखरे
• ववनमय का माध्यम ?
• परमेश्वरी लाल गुप्त : सैन्धव भंडारों में अन्न का प्रयोग ववनमय क
े माध्यम
क
े रूप में
6. वैददक काल
• वस्तुओं क
े आदान प्रदान हेतु एक गाय को ववनमय का माध्यम माना गया
• इन्द्र की एक प्रततमा का मूल्य गाय की संख्या क
े रूप में पररभावषत
• गाय को धन क
े रूप में धचप्न्हत ककया गया
• ऋवष अपनी इन्द्र की प्रततमा 100 क्या, 1000 क्या, 10,000 गायों क
े मूल्य
पर पर भी देने को तैयार नहीं
• गो प्राप्प्त की आकांक्षा से युद्ध
• इन्द्र का चोरी हुआ धन क
ु छ और नहीं गायें र्ी
• गाय क
े माध्यम से सोमलता का क्रय
• शुन:क्षेप क
े वपता ने बलल क
े तनप्ममत 100 गायों क
े मूल्य पर उसे राजा
हररश्चंद्र को बेचा
• दक्षक्षणा क
े रूप में ऋप्त्वकों को गाय देने का उल्लेख
7. छठी शताब्दी ईसा पूवथ तर्ा बाद
• पाणणनी : ववनमय हेतु बदलौन का उल्लेख
• वस्तुओं का आदान प्रदान आपसी ललणखत सहमतत द्वारा
• अष्टाध्यायी : बदलौन का उदाहरण – द्ववमयम उदासववद यवनम :
छाछ का मूल्य ज्वार क
े मूल्य का दुगना
• बदलौन प्रर्ा लसक्कों क
े प्रयोग क
े बीच में भी समानांतर चलती रही
8. बदलौन प्रर्ा की समस्याएँ
मूल्य निर्धारण
बदलौि में दोिों तरफ सही मूल्य प्रधप्तत दुष्कर
कम मूल्य की वस्तुओं कध क्रय की समस्यध
बदलौि क
े मधध्यम क
े रूप में पशुओं को बधटिध संभव िहीं
9. मुद्रा का उदय
• ववनमय क
े माध्यम की समस्याओं से मुप्क्त हेतु ववकल्प की खोज
• ककन्ही वस्तुओं को अन्य की अपेक्षा वरीयता
• मूल्य तनधाथरण हेतु मानक की स्र्ापना
• मूल्य की इकाई की पररकल्पना
• लसक्कों क
े ववकास का प्रर्म चरण
11. वैददक काल
• तनष्क का उल्लेख
• तनष्क का तात्पयथ: आभूषण अर्वा मुद्रा
• उषा का सौन्दयथ वणथन करते हुए उसक
े तनष्क धारण करने का उल्लेख
• ऋग्वेद: रुद्र को ववश्वरूप तनष्क पहने बताया गया है
• ऋग्वेद: राजा भव्य द्वारा कक्षक्षवत्को १० अश्व व १० तनष्क देने का उल्लेख
• गोपर् ब्राह्मण: उद्दालक आरुणी की शास्रार्थ हेतु घोषणा की पराप्जत होने पर वे
अपनी पताका में तनष्क उसे दे देगे
• छंदयोग्य उपतनषद: राजा द्वारा ऋवष को कन्या भेंट क
े सार् १ अश्व, १ रर्, १ गाँव, १
तनष्क देने का प्रलोभन ददया र्ा
• गायों क
े तनष्क नामक आभूषण भी संपवि का प्रतीक
12. वैददक काल
• कृ ष्णल : बीज
• ऐसा बीज जो आकार और वज़न में एकरूप हो
• इन बीजों क
े आधार पर वजन की एकाई तनधाथररत
• यव (जौ), तंदुल, माष (उड़द) आदद बीजों का भी प्रयोग
वज़न की इकाई क
े रूप में
• तैतररय ब्राह्मण: राजसूय यज्ञ क
े अवसर पर
आयोप्जत दौड़ में भाग लेने वालों को 1-1 कृ ष्णल देने
का उल्लेख
• परवती सादहत्य में कृ ष्णल को रविका या गुंजा कहा
गया
13. वैददक काल : मुद्रा क
े अन्य नाम ?
• शतपर् ब्राह्मण + श्रौत सूर : दहरण्य का उल्लेख
• शतमान का उल्लेख गोलाकार धातु वपंड क
े रूप में
• तैतररय ब्राह्मण : राजसूय यज्ञ क
े अवसर पर राजा रर् क
े दोनों पदहयों में शतमान बांधे
जाने का उल्लेख
• बृहदारण्यक उपतनषद : राजा जनक ने ववद्वानों को ऐसी गाय भेंट की प्जनक
े सींग में 10-
10 ‘पाद’ बंधे र्े
• अल्तेकर : तनष्क, सुवणथ, कृ ष्णल, दहरण्य, पाद लसक्क
े नहीं वणथ धातु खंड जो व्यापाररयों
या मुणखया द्वारा तनगथत ककए जाते र्े
• सरकार : शतमान लसक्का नहीं अवपतु एक तनप्श्चत भार का धातु खंड
14. समीक्षा : वैददक काल में मुद्रा
• 1500-800 ईसवी क
े मध्य मुद्रा क
े ववकास क
े 2 चरण दृप्ष्टगत
1. ववनमय क
े माध्यम क
े रूप में गाय
2. ववनमय हेतु तनप्श्चत धातु वपंड
• उल्लेख यर-तर बबखरे और परस्पर उलझे हुए
• कहना मुप्श्कल कक कब एक चरण से दूसरे में प्रवेश
15. भारत में लसक्कों का प्रारंभ
• लसक्कों क
े आरंलभक स्वरूप एवं कालांतर में स्र्ावपत स्वरूप में काफी अंतराल
• संभाववत समय: सातवीं शती ईसवी
16. 6th -2nd cent BCE में लसक्क
े : सादहप्त्यक साक्ष्य
• पाणणनी : धातु खंड
• पाणणनी क
े सूर में रूप (लसक्का) क
े आहत होने की बात
• अष्टाध्यायी : तनष्क का उल्लेख तनप्श्चत मूल्य क
े बोधक क
े रूप में यर्ा-
• नैप्ष्ककम ्, द्ववनैप्ष्ककम ्, बरनैप्ष्ककम ्, नैष्क शततक, नैष्क साहप्स्रक
• शतमान, पाद, ववंशततक, बरशततक, शाण, काषथपण का उल्लेख मूल्य
बोधक रूप में
• बौद्ध ग्रंर् : तनष्क, शतमान, पाद, काषथपण की चचाथ
• अर्थशास्र : क
ू ट-रूप-कारकों (जाली लसक्क
े बनाने वाले), रूप-दशथक / रूप-
तक
थ (पारखी)
• अल्तेकर : 600 ईसा पूवथ में चांदी का शतमान अप्स्तत्व में र्ा
17. 6th -2nd cent BCE में लसक्क
े : पुराताप्त्वक साक्ष्य
• द्ववतीय नगरीकरण का काल
• आधर्थक प्रयोजनों हेतु लसक्कों का प्रयोग
• चांदी क
े लसक्कों का अधधक प्रयोग
• सवेक्षणों तर्ा उत्खननों से महाजनपदों से बहुतायत में प्राप्त
• लसक्का बनाने क
े ठप्पे प्राप्त : मर्ुरा, झूसी, एरण
• नगर द्वारा भी लसक्क
े तनगथत : पुष्कलवाती, कवपशा
18. आहत मुद्राएँ
•तनप्श्चत भारमान
•तनप्श्चत धातु
•अतनप्श्चत आकार
•लेख ववहीन
•अग्र एव पृष्ठ भाग पर अंककत धचन्ह
•धचन्हों की संख्या एवं प्रकार में ववववधता
•तकनीक : आहत तकनीक
•प्रकार : जनपदीय आहत लसक्क
े , राजवंशों क
े आहत लसक्क
े
19. मौयथ काल में ववतनमय और मुद्रा
• राज्य क
े पास लसक्क
े तनगथत करने का अधधकार
• लसक्का तनमाथण तकनीक पररष्कृ त
• जाली लसक्कों पर रोक हेतु प्रावधान
• ववशेष अधधकाररयों की तनयुप्क्त – लक्षणाध्यक्ष
• मुद्राओं पर राजकीय धचन्ह
• कर लसक्क
े क
े रूप में स्वीकायथ
• वेतन लसक्कों में देय
20. मौयोिर काल
1. ग्रीक, बैप्क्ियन ने पप्श्चमी भारत में अपने लसक्क
े जारी ककए
2. उन्होंने राजा क
े चेहरे और लसक्कों पर ललखावट शुरू की
3. जल्द ही इसका अनुकरण बाद में 8 वीं शताब्दी तक भारतीय राजाओं द्वारा ककया
गया
4. प्रत्येक लसक्क
े में शासन क
े क
ु छ तनशान होते हैं
5. Demetrios बैप्क्ियन राजा : भारतीय प्रकार क
े तांबे क
े लसक्क
े (ग्रीक और खरोष्ती)
6. पहला सोने का लसक्का क
ु षाण राजाओं द्वारा जारी ककया गया र्ा
7. क
ु षाण सोने क
े लसक्क
े को दीनार कहा जाता है
8. सातवाहनों ने पोदटन, तांबे क
े लसक्क
े जारी ककए
9. इस काल में रोमन सोने क
े लसक्क
े भी बड़े स्र्लों में पाए जाते है
22. ढलुआ लसक्क
े
• तनप्श्चत धातु = ताम्र
• तनप्श्चत आकार = चौकोर / गोल
• तनप्श्चत भारमान
• तनप्श्चत तकनीक
• धचन्ह युक्त
• लेख ववहीन / लेख युक्त
23.
24. ठप्पा तनलमथत लसक्क
े / Die struck coins
•तनप्श्चत धातु
•तनप्श्चत आकार : गोल
•तनप्श्चत अग्र एवं पृष्ठ भाग
•अग्र भाग : राजा का सर
•पृष्ठ भाग : देवी / देवता
•लेख युक्त
•द्वव/बर भाषीय / ललवप
30. सातवाहन: 100 BCE-250 CE
• धातु: तांबा, चांदी, सीसा और Potin
• आकृ तत: गोल, वगथ और आयताकार.
• चांदी क
े लसक्क
े आमतौर पर गौतमीपुर सातकणी क
े बाद देखे जाते हैं
• प्जनमें से अधधकांश राजा क
े धचरों को दशाथते हैं
• ब्राह्मी ललवप और संस्कृ त भाषा
Image Description: A1 – Chakra Symbol, A2 – Six Arched Hill/Chaitya,
A3 – Moon, A4 – Triratna Symbol
31. क
ु षाण: 100-200 CE
• ववववध प्रकार
• अग्र : ववववध मुद्राओं में राजा
• पृष्ठ : देवी / देवता
• लेख युक्त
• धातु: सोना, चांदी, ताम्र
• तकनीक : ठप्पा ववधध
32.
33. गुप्त काल में ववतनमय और मुद्रा
• गुप्त राजाओं ने सोने, चांदी और तांबे क
े लसक्क
े जारी ककए
• फादहयन: कौड़ी का उपयोग स्र्ानीय लोगों द्वारा दैतनक
आधार पर ककया जाता र्ा
• प्रारमभ क
े गुप्त सोने क
े लसक्क
े क
ु षाण प्रभाव से धचप्ह्नत ककए
गए र्े
• वजन: 118-123 ग्रेन्स
• स्क
ं दगुप्त सोने क
े लसक्क
े : 144-146 ग्रेन्स (कम शुद्ध)
• सोने क
े लसक्क
े उच्च मूल्य क
े र्े
• 3-4 सोने की दीनार बड़ी जमीन खरीद सकती है
• श्रेणणया 25-4o दीनार पर लभक्षुओं को दैतनक णखला सकते हैं
• सोने क
े लसक्कों का उपयोग संभवतः भूलम की बबक्री और खरीद
क
े ललए ककया जाता र्ा
37. गुप्त काल क
े चांदी क
े लसक्क
े
• सवथप्रर्म चन्द्रगुप्त द्ववतीय द्वारा तनगथत : शक ववजय उपरांत
• शक लसक्कों क
े अनुकरण पर तनलमथत
• भारमान : 58 ग्रेन
• 16 चांदी क
े लसक्क
े = सोने का एक लसक्का
38. गुप्त काल की मुद्रा का मूल्य
• नारद क
े अनुसार
• 48 काकनी = 1 माष या 1 पण
a) 20 माष or पण = 1 चाँदी क
े Kasharpan/ अंददका
b) 04 चाँदी क
े Kasharpan/ अंददका – 1 घनक
c) 12 घनक or चाँदी क
े Kasharpan= 1 सुवणथ /सोने का लसक्का दीनार
• ब्रुहस्पतत क
े अनुसार
a) 1 ताम्र Kasharpan = 1 पण
b) 4 Kasharpan = 1 घनक
c) 12 घनक or 48 Kasharpan = 1 सुवणथ /सोने का लसक्का(दीनार )
d) 4 दीनार= 1 तनष्क
39. प्रारंलभक मध्ययुगीन काल में ववतनमय और मुद्रा
• छोटे राज्यों क
े अपने लसक्क
े र्े
• इन लसक्कों को गुप्तों क
े लसक्कों क
े प्रकार का बनाया जाता र्ा,
• लेककन यह लसक्क
े गुप्तों की तरह शुद्ध धातु क
े नहीं र्े
• सोने और चांदी क
े लसक्कों का उपयोग व्यापाररयों द्वारा व्यापार में ककया जाता र्ा
• कवड़ी/ कौड़ी का उपयोग दैतनक आधार पर ककया जाता र्ा
• जमीन अभी भी ददनार द्वारा खरीदा जाता होगा
• हषथ, कश्मीर, चालुक्य ने अपने स्वयं क
े लसक्क
े प्रसाररत ककए
• लमधश्रत लमश्र धातु वाले लसक्क
े 10 वीं शताब्दी क
े बाद पाए गए र्े
• कलचूररयों ने गुप्तों की तरह जारी ककए लसक्क
े
• चंदेल क
े लसक्क
े कलचुरी लसक्कों की नकल हैं
• चहमान वंश ने शाही लसक्कों की शैली का पालन ककया
• कश्मीर ने भी तांबे क
े लसक्क
े चलाएँ
• चालुक्य ने सोने क
े लसक्क
े जारी ककए