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3. अर्ा
• उत्पवि संबंधी मूल : वृि = वृवि
• समुदाय क
े भौवर्क/आवर्ाक विर्ों का व्यवस्थर्र् अध्ययन।
• उत्पाद, ववर्रण, वावणज्य का अध्ययन
वर्ण
व्यवसाय क
े
रूप मे
ज्ञान क
े
रूप मे
जीवनयापन
क
े साधन क
े
रूप मे
5. वार्ाा : जीवनयापन क
े साधन क
े रूप मे
• प्रारंभ में , वार्ाा = क
ृ वि, पशुपालन, वावणज्य संबंवधर् जीवन यापन का साधन
• वशल्प /िस्त कौशल से ववलग
• कालांर्र में, वार्ाा में वशल्प शावमल वकया गया
• मिाभारर् : कारुकवशल्प = वार्ाा का अंग
• अर्ाशास्त्र : राज्य वार्ाा क
े माध्यम से अन्न, पशु, धन र्र्ा अन्य संसाधन की प्रास्ि करर्ी िै
• वार्ाा = राजकोि भरने का एक साधन वार्ाा = खजाना भरने क
े वलए
6. वार्ाा ज्ञान की शाखा क
े रूप में
• ज्ञान की शाखा क
े रूप में वार्ाा क
े मुख्य र्रीक
े , उनकी र्कनीक र्र्ा वार्ाा क
े मागों का अध्ययन
• ए.एन.बेनजी: वार्ाा सीखने की वि शाखा र्ी वजसमें धन अवजार् का वविय र्ा।
• कौवटल्य: ज्ञान की 4 शाखाएं = आंवववशकी (दशान), त्रयी (र्ीन वेद), वर्ाा, दंडनीवर् (राजनीवर्)।
• शुक्रनीवर् : वार्ाा लाभ और िावन का ववज्ञान िै।
• ब्रिस्पवर् : ज्ञान की 2 शाखाएँ = वार्ाा और दंडनीवर्।
• देवी भागवर् पुराण: देवी को 4 ववद्याओं द्वारा जाना जार्ा िै वजसमें वार्ाा भी शावमल िै
• भागवर् पुराण: वार्ाा = चर्ुववाद्या = क
ृ वि, वावणज्य, गौ सुरक्षा, ब्याज लेना।
• गौर्म धमासूत्र + मत्स्य पुराण + मनुस्मृवर्: ब्राह्मणों ने वार्ाा को ज्ञान की शाखा क
े रूप में वसखाया।
• भागवर् पुराण: क
ृ ष्ण ने वार्ाा का अध्ययन वकया।
• कामन्दक की नीवर्सार + शुक्रनीवर् + याज्ञवल्क्य स्मृवर्: राजा को वार्ाा का अध्ययन करना
चाविए।
7. वार्ाा वणा व्यवसाय क
े रूप में
• वार्ाा : प्रारंभ में वैश्य वणा क
े व्यवसाय का सूचक।
• मिाभारर् : त्रयी, दंड़नीवर्, वार्ाा – ब्राह्मण, क्षवत्रय और वैश्य िेर्ु
• कौवटल्य : वैश्य क
े र्ीन प्रमुख व्यवसाय – क
ृ वि, पशुपालन एवं वार्ाा.
• कामन्दक की नीवर्सार + ववष्णुपुराण : वार्ाा = वैश्यों का व्यवसाय।
• कालांर्र में वार्ाा को शूद्ों क
े व्यवसाय क
े रूप में भी देखा गया
8. वार्ाा की उत्पवि
• मत्स्य पुराण : वार्ाा की उत्पवि हृदय, मस्स्तष्क र्र्ा कमा द्वारा प्रवर्पावदर्
व्यवधानों क
े वनवाकरण िेर्ु
• जैन कल्पसूत्र : र्ीर्ंकर रीक्षाभदेव ने 3 व्यवसायों की थर्ापना की जो
वार्ाा क
े रूप में जाने गए
• प्रारंभ में वार्ाा को वशल्प से ववलग रखा गया
• संभवर्ः वार्ाा का उद्गम कला एवं िस्तकला क
े ववकास क
े पूवा हुआ
िोगा।
9. वार्ाा की प्राचीनर्ा
• वायु और ब्रह्मंड पुराण: वार्ाा का उद्गम त्रेर्ा युग में हुआ
• मिाभारर्: नारद युवधष्ठीर से: क्या आप वार्ाा में ध्यान दे रिे िै?
• रामायण: राम भरर् से : क्या लोग वार्ाा में सस्िवलर् िै?
• अर्ाशास्त्र: वार्ाा समाज क
े ववकास क
े वलए मित्वपूणा िै
• मनुस्मृवर्, वमवलंदपन्हा: वार्ाा क
े उल्लेख
• अमरकोश: जीवन-यापन क
े संदभा में वार्ाा का वणान
• पुराण: वार्ाा आवर्ाक जीवन का मिर्वपूणा स्त्रोर्
10. वार्ाा का स्वरूप
• कौवटल्य + मनुस्मृवर् + वमवलंदपन्ह + कामंदक: वार्ाा क
े अंर्गार् क
ृ वि, पालर्ू जानवरों और
वावणज्य का वविय समाववष्ट िै ।
• अर्ाशास्त्र: वार्ाा क
े साधन दशान और पुरुिार्ा क
े बराबर िैं
• कावलदास: वार्ाा में क
ृ वि और पशुपालन शावमल र्ा।
• शुक्रानीवर्: ब्याज रखने (क
ू वसववद) और वावणज्य वार्ाा क
े विस्से िैं।
• देवीपुराण: वर्ाा में उद्योग भी शावमल िैं।
• प्रारंभ में, शूद्ों द्वारा वकए गए कायों को वार्ाा में शावमल निींवकया गया र्ा।
• ववष्णुपुराण क
े आधार पर ववल्सन: वार्ाा में वशल्प, इंजीवनयररंग, मूवर्ाकला कला, आयुवेद भी
शावमल र्े।
• िेमचंद्: वार्ाा आजीववका क
े वलए मित्वपूणा िै।
• अर्ाशास्त्र: वार्ाा = खजाना भरने क
े वलए
• रामायण: खुशी प्राि करने क
े वलए अर्ा क
े रूप में वार्ाा ।
12. वार्ाा संबंधी वनयम
• ज्ञान की शाखा क
े रूप में वार्ाा का अध्ययन .
• वार्ाा क
े मुख्य वनयमों की चचाा
• व्यवसाय गर् वनयम, वार्ाा व्यविार क
े वनयम इत्यावद
• मिाभारर्: जब र्क वार्ाा क
े वनयमों का पालन िोगा, समाज समृद्ध रिेगा .
• अर्ाशास्त्र: राजा आओने राज्य में स्वयं को वार्ाा क
े वनयमों से पररवचर् रखे र्र्ा वार्ाा
में िोने वाले पररवर्ानों पर भी दृवष्ट रखे.
• अन्य ग्रंर्ों: वार्ाा का पालन ना िोने पर समाज का पर्न सुवनविर् .
13. वार्ाा का मित्व
• मानुिीय जीवन यापन क
े साधनों की पिचान एवं गणना वार्ाा क
े रूप में
• जीवन यापन क
े साधनों का मित्व = वार्ाा का मित्व
• वार्ाा पर बल क
े फलस्वरूप व्यापारों क
े ववकास पर बल : बेिर्र सुववधाएँ
एवं अवसर प्रदान करने की व्यवथर्ा राज्य द्वारा
• प्राचीन भारर्ीय अध्ययन क
े ववियों मे वार्ाा का समावेश = वैकस्ल्पक
वशक्षा
• वार्ाा क
े माध्यम से जीवन यापन एवं व्यापाररक गवर्वववधयाँ सुस्पष्ट एवं
सुपररभाविर्
• वगा ववशेि का वार्ाा से संबंध : आवर्ाक गवर्वववधयों क
े वक्रयान्वयन में
पारदवशार्ा
• वार्ाा और श्रेणी का उदय
14. वार्ाा की मििा
• मानवी सहायता हेतु
• आय क
े स्रोर् क
े रूप में काया करना
• भौवर्क कल्याण क
े वलए
• समाज, राज्य और अर्ाव्यवथर्ा क
े ववकास क
े वलए
• आवर्ाक समृस्द्ध और सुरक्षा क
े वलए
15. चचाा
• उपयुाक्त अवलोकन से िम समझर्े िैं वक अवधकांश प्रमुख ग्रंर्ों में वार्ाा की
अवधारणा को शावमल वकया गया िै।
• प्राचीन भारर्ीय बुस्द्धजीववयों ने वार्ाा की भूवमका का पूरी र्रि से अवलोकन
वकया र्ा.
• क
ृ वि, पशुपालन और व्यापार अर्ाव्यवथर्ा क
े र्ीन मौवलक र्त्व िैं वजन्हें वार्ाा
क
े रूप में पिचाना गया र्ा।
• राजा को प्रभार सौंपा गया र्ा वक उसकी प्रजा क
े पास आजीववका का उवचर्
स्रोर् रिे ।
• वार्ाा ने मानव क
े भौवर्क कल्याण को सुवनविर् वकया
• और यि भी सुवनविर् वकया वक अर्ाव्यवथर्ा का ववकास िो