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विशेष प्रशशऺण केद्र
               ं

    विषय – हहॊ दी

         प्रस्तसतीकेरण


      श्रीमती शारदा
              एिॊ
    ससरेश केमार शमश्रा
            स
विशेष प्रशशऺण केद्र
                 ं

    विषय – हहॊ दी

सहगामी हियाएॉ और
  भाषा केी शशऺा
प्रस्तािना
         सहगामी मं सह केा अथथ है ”साथ मं” और गामी केा अथथ
“चऱनेिाऱी।” यानी ऩाठ्यिम के साथ-साथ चऱने िाऱी हियाएॉ सहगामी
                                 े
हियाएॉ केहऱाती हं । सहगामी हियाएॉ उसी समय से प्रचशऱत हं , जबहके
भारतिषथ मं छात्र गसरुकेऱं मं रहकेर शशऺा ग्रहण केरते थे। इनकेा अऱग से
                       स
नामकेरण हमारे यहाॉ नहीॊ हसआ है , क्ययंहके हम आरॊ भ से इन्हहं शशऺा केा अॊग
समझते थे। ऩाश्चात्य दे शं मं ऩहऱे ये शशऺा से शभन्हन समझी जाती थी,
इसीशऱए इन्हहं ऩाठाॊतर हियाएॉ केहा गया है । ऩरॊ तस मं दे खा गया हके इनसे
बच्चचं मं “स्ि” केा शनमाथण होता है । जीिन मं बहसत से ऐसे ऺेत्र ऐसे हं षजन्हहं
ऩाठ्यिम द्वारा स्ऩशथ नहीॊ केर सकेते। इसीशऱए इन छटे हसए ऺेत्रं केो ऩूरा केरने
                                                  ू
िाऱी हियाएॉ सहगामी हियाएॉ केहऱाती हं ।
सहगामी हियाओॊ केा प्रयोजन

सहगामी हियाओॊ द्वारा विद्याशथथयं केी शनम्नशऱषखत आिश्यकेताओॊ केी ऩूशतथ होती है -

1.   सामाषजके आिश्यकेता
2.   मनोिैऻाशनके आिश्यकेता
3.   नैशतके आिश्यकेता
4.   रुशचयं केा विकेास
5.   अिकेाश के समय केा सदऩयोग
               े           स
सामाषजके आिश्यकेताओॊ केी ऩूशतथ

इन हियाओॊ के द्वारा विद्याथी सीखते हं हके
           े

1. एके व्यवि    और द सरे व्यवि के बीच मं हकेस प्रकेार केा
                      ू         े
   सॊबॊध होना   चाहहए।
2. एके व्यवि    और समसदाय के मध्य मं हकेस प्रकेार केा
                              े
   सॊबॊध होना   चाहहए।
मनोिै ऻाशनके आिश्यकेताओॊ केी ऩूशतथ

हकेशोरािस्था के बाऱकें मं समूह वप्रयता
                 े                           केी प्रिृवि ऩायी
जाती है । विद्याऱय के अशधकेारी चाहं या न
                     े                     चाहं , िहाॉ शभन्हन-
शभन्हन समूह बनते रहं गे। सहगामी हियाओॊ      द्वारा हम बाऱकें
केी इस प्रिृवि केा विकेास हकेया जा सकेता   है ।
नैशतके आिश्यकेताओॊ केी ऩूशतथ

इन हियाओॊ द्वारा बाऱके-बाशऱकेाओॊ मं सच्चचाई,
न्हयायवप्रयता तथा ईमानदारी जैसे गसणं केा
विकेास केर सकेते हं ।
रुशचयं केा विकेास
ऩाठशाऱा मं आयोषजत केी जाने िाऱी हियाओॊ
ऩर ही बाऱके केी रुशच शनभथर केरती है ।
ऩाठशाऱा केी ओर बच्चचं केो आकेवषथत केरना
एके केऱा है । ऐसा केाम सभी ऩाठशाऱाएॉ नहीॊ
केर सकेतीॊ।
अिकेाश के समय केा सदऩयोग
           े           स
जब एके बच्चचा अऩना जीिन अध्याऩके के हाथ
                                     े
मं दे ता है तो िह विश्वास केरता है हके िह
उसके हर ऺण के साथ न्हयाय केरे गा। इसीशऱए
     े          े
हमं चाहहए हके बच्चचं के अिकेाश के समय केा
                      े         े
ऩूरा-ऩूरा उऩयोग केरिायं।
भाषा केी दृवि से उऩयोगी हियाएॉ
1.    िाद-वििाद प्रशतयोशगता
2.    व्याख्यान या भाषण
3.    विद्याऱय ऩवत्रकेा या दीिार ऩवत्रकेा
4.    भाषा ऩररषद या साहहत्य ऩररषद
5.    नाटकेीय हियाएॉ
6.    सॊ ग्रहाऱय
7.    भ्रमण या सरस्िशत यात्राएॉ
8.    ऩाठशाऱा समसदाय
9.    भाषा हदिस
10.   केवि सम्मेऱन
11.   भाषा प्रशतयोशगताएॉ
12.   भाषा केऺा ऩसस्तकेाऱय
13.   डाके हडब्बा
14.   भाषा खेऱ
िाद-वििाद प्रशतयोशगताएॉ
इनके ऱाभ हं -
   े
1. छात्र आत्मविश्वासऩूिके अऩने विचारं केो व्यि केर सकेते हं ।
                        थ
2. शनधाथररत विषय के सॊबध मं िे ऩसस्तके तथा ऩत्र-ऩवत्रकेाओॊ आहद ऩढ़ते हं । इससे
                     े    ॊ               ं
     उनकेा मषस्तष्के सहिय होता है और उनके ऻान मं िृवि मं होती है ।
                                            े
3. नए-नए विषयं केो प्रस्तसत केरने के शऱए िे नए-नए शब्दं केा प्रयोग केरते हं ।
                                      े
     इससे उनकेा शब्द भॊडार बढ़ता है ।
4. प्रशतयोशगताओॊ मं शनरॊ तर भाग ऱेने से उनकेा भाषा ऩर अशधकेार हो जाता है ।
5. िे अऩने उच्चचारण केो शसि बनाने केा प्रयास केरते हं । इससे उन्हहं शसि बोऱने
     केी आदत ऩड़ती है ।
6. शनरॊ तर मॊच ऩर बोऱते रहने से उनके बोऱने केी अऩनी शैऱी बन जाती है ।
                                        े
व्याख्यान या भाषण
            विद्याऱयं मं समय-समय ऩर व्याख्यान अिश्य केराये जाने चाहहए। ये
विद्याऱय केी सजीिता केा प्रतीके है । साप्ताहहके व्याख्यान रखने से अच्चछा होता है ।
केभी-केभी प्रशतवित व्यवियं केो बसऱाकेर ऐसे केायथिम आयोषजत केरने से केई ऱाभ
होते हं । व्याख्यान आयोषजत केरते समय केछ बातं केा ध्यान रखना चाहहए-
                                           स
1. रोचके तथा ऻानििथ के विषय केा चयन केरना चाहहए।
2. छात्र षजसे समझ सके ऐसे विषयं केा ही चयन केरना चाहहए।
                          ं
3. उनके ऻान मं िृवि होनी चाहहए।
            े
4. निीन विषयं केो प्रोत्साहहत केरना चाहहए।
5. छात्रं केा दृविकेोण व्याऩके बनाना चाहहए।
6. िे भाषण केऱा केी शभन्हन-शभन्हन शैशऱयं से ऩररशचत होते हं ।
विद्याऱय ऩवत्रकेा या दीिार ऩवत्रकेा
यह मसहद्रत तथा हस्तशऱषखत दोनं रूऩं मं हो सकेती है । इसके माध्यम
                                                          े
से छात्र शऱषखत रूऩ मं अऩने आऩ केो अशभव्यि केर सकेते हं । इसमं
छात्रं केी रचनाएॉ जै स- ऱेख, केहानी, केविता, बाऱगीत, िाताथऱाऩ,
                         े
एकेाॊकेी, नाटके, चस टकेऱे आहद रख सकेते हं । मौशऱकेता केो प्रोत्साहहत
                       स
केरना चाहहए। इसके ऱाभ हं -
                     े
1. छात्रं केी ऱेखन ऺमता केा विकेास होता है ।
2. प्रशतभा उभरकेर आगे आती है । आगे बड़े साहहत्यकेार बन सकेते हं ।
3. भविष्य मं ऱेखके या समीऺके बन सकेते हं ।
4. निीन ऻान ऩर ऩकेड़ बनायी जा सकेती है ।
भाषा ऩररषद या साहहत्य ऩररषद
इसके अॊतगथत आने िाऱे केायथिम हं -
    े
1. केवि गोिी या केवि सम्मेऱन
2. अॊत्याऺरी प्रशतयोशगता
3. ऱेख प्रशतयोशगता
4. केहानी प्रशतयोशगता
5. केाव्य ऩाठ – ऱयानससार
6. गद्य केा शसि ऩाठ
नाटकेीय हियाएॉ
इससे होने िाऱे ऱाभ हं -
1. नाटके साहहत्य मं बाऱकें केी रुशच उत्ऩन्हन केरना
2. नाटकें मं केथोऩकेथन तथा हाि-भाि केी प्रधानता रहती
   है । भविष्य मं अच्चछे केऱाकेार बन सकेते हं ।
3. दृश्य – श्रव्य दोनं के तरह नाटके होने से प्रशतभा और
                          े
   शनखरकेर बाहर आती है ।
सॊग्रहाऱय
विद्याऱय मं भाषा के सॊग्रहाऱयं केी व्यिस्था
                     े
केी जा सकेती है । इस प्रकेार सॊग्रहाऱय मं
विशभन्हन प्रकेार केी ऩसस्तके, ऩत्र-ऩवत्रकेाएॉ तथा
                           ं
भाषा शशऺण सॊबॊधी अन्हय उऩकेरण सॊग्रहीत
हकेये जा सकेते हं ।
भ्रमण या सरस्िशत यात्राएॉ
प्रत्येके बाऱके-बाशऱकेा मं घूमने केी प्रिृवि केी
स्िाभाविके इच्चछा होती है । उसकेी यह इच्चछा सरस्िशत
यात्राओॊ द्वारा तृप्त हो सकेती हं ।
मनोिैऻाशनकें केा केथन है हके यहद बाऱकें केो प्रकेशत
                                                 ृ
सॊबॊधी ऩाठ ऩढ़ाना है तो िह ऩाठ प्राकेशतके िातािरण
                                     ृ
मं ही ऩढ़ाया जाय।
ऩाठशाऱा समस दाय
1.   अध्याऩकें के ऻान बाॉटने केा ससॊदर स्थान है ।
                  े
2.   यहाॉ िे अऩने विचार एके-दसरे से बाॉटते हं ।
                                  ू
3.   माह मं एके बार आयोषजत केरना चाहहए।
4.   ऩाठ या प्रश्न ऩत्र सॊबॊधी तैयारी केी जा सकेती है ।
भाषा हदिस
हहॊ दी हदिस (14 शसतॊबर या हहॊ दी माह) जैसे
केायथिम आयोषजत केरने से भाषा के प्रशत
                                    े
सद्भािना मं विकेास होता है ।
केवि सम्मेऱन
भाषा के विकेास के शऱए भाषा केा िातािरण
         े           े
तैयार केरना ऩड़ता है । इसशऱए चाहहए हके हम
बच्चचं केो केवि सम्मेऱन केा िातािरण दे सके।
                                         ं
ऩहऱे बच्चचे इन केवि सम्मऱेनं केो दे खंगे ि
ससनंगे। तत्ऩश्चात प्रभावित होकेर आगे आने केी
प्रेरणा ऩायंगे।
भाषा प्रशतयोशगताएॉ
भाषा हदिस के अऱािा विशभन्हन अिसरं जैसे
                े
स्ितॊत्रता हदिस, गणतॊत्र हदिस, बाऱ हदिस,
अध्याऩके हदिस आहद के माध्यम से भी
                           े
बाऱकें केी प्रशतभा केो बाहर शनकेाऱा जा सकेता
है ।
भाषा केऺा ऩस स्तकेाऱय
केऺा केऺ मं केहाशनयं केी हकेताबं, बाऱगीत
केी हकेताबं, समाचार साहहत्य, बाऱ व्याकेरण ,
हहॊ दी शब्द केोश आहद के होने से बहसत ऱाभ
                        े
होते हं ।
डाके हडब्बा
डाके हडब्बा एके ऐसा महत्िऩूणथ साधन है
षजससे छात्रं से केऺा केऺ केी समस्याएॉ, ऩाठ्य
ऩसस्तके सॊबॊधी शॊकेाएॉ, अऩनी मनऩसॊद केहानी
शऱखकेर हडब्बे मं डाऱ दे ते हं । इससे अॊतमसखी
                                           थ
व्यवित्ि िाऱे बच्चचं केा बहसत विकेास होता है ।
भाषा खेऱ
1.   अॊत्याऺरी खेऱ
2.   शब्दं केी रे ऱगाड़ी
3.   जोड़ी बनाना
4.   समान ध्िशनिाऱे शब्दं से सॊबॊशधत खेऱ
     खेऱना
सहगामी हियाओॊ केा सॊगठन
1. हकेसी अनसभिी अध्याऩके केी दे खरे ख मं सहगी
   हियाएॉ केो सॊगहठत हकेया जाय।
2. प्रत्येके हिया केा ऩूरा-ऩूरा हहसाब रखा जाय।
3. ऩाठशाऱा मं ऐसा िातािरण बना जाय हके छात्र इन
   हियाओॊ मं भाग ऱे सके।     ं
4. अऩनी ऺमता के अनससार छात्र रुशच िाऱी हियाओॊ
                     े
   मं भाग ऱे सके।  ं
5. ऩाठ्यिम और सहगामी हियाओॊ मं समन्हिय रखा
   जाय।
6. सहगामी हियाओॊ के शऱए समय – साररणी बनायी
                         े
   जाय।
राज्य शैषऺके अनससॊधान एिॊ
प्रशशऺण ऩररषद, आॊध्र प्रदे श,
           है दराबाद
 State Council of Educational
   Research & Training, A. P.,
          Hyderabad
                केी
            प्रस्तसशत
अन्हय जानकेारी ि अशधके सहायता के े
             शऱए सॊऩके केरं -
                       थ
             www.apscert.org
     sharadasharan.p@gmail.com
                  (or)
      signmeanytime@gmail.com
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धन्हयिाद

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  • 1. विशेष प्रशशऺण केद्र ं विषय – हहॊ दी प्रस्तसतीकेरण श्रीमती शारदा एिॊ ससरेश केमार शमश्रा स
  • 2. विशेष प्रशशऺण केद्र ं विषय – हहॊ दी सहगामी हियाएॉ और भाषा केी शशऺा
  • 3. प्रस्तािना सहगामी मं सह केा अथथ है ”साथ मं” और गामी केा अथथ “चऱनेिाऱी।” यानी ऩाठ्यिम के साथ-साथ चऱने िाऱी हियाएॉ सहगामी े हियाएॉ केहऱाती हं । सहगामी हियाएॉ उसी समय से प्रचशऱत हं , जबहके भारतिषथ मं छात्र गसरुकेऱं मं रहकेर शशऺा ग्रहण केरते थे। इनकेा अऱग से स नामकेरण हमारे यहाॉ नहीॊ हसआ है , क्ययंहके हम आरॊ भ से इन्हहं शशऺा केा अॊग समझते थे। ऩाश्चात्य दे शं मं ऩहऱे ये शशऺा से शभन्हन समझी जाती थी, इसीशऱए इन्हहं ऩाठाॊतर हियाएॉ केहा गया है । ऩरॊ तस मं दे खा गया हके इनसे बच्चचं मं “स्ि” केा शनमाथण होता है । जीिन मं बहसत से ऐसे ऺेत्र ऐसे हं षजन्हहं ऩाठ्यिम द्वारा स्ऩशथ नहीॊ केर सकेते। इसीशऱए इन छटे हसए ऺेत्रं केो ऩूरा केरने ू िाऱी हियाएॉ सहगामी हियाएॉ केहऱाती हं ।
  • 4. सहगामी हियाओॊ केा प्रयोजन सहगामी हियाओॊ द्वारा विद्याशथथयं केी शनम्नशऱषखत आिश्यकेताओॊ केी ऩूशतथ होती है - 1. सामाषजके आिश्यकेता 2. मनोिैऻाशनके आिश्यकेता 3. नैशतके आिश्यकेता 4. रुशचयं केा विकेास 5. अिकेाश के समय केा सदऩयोग े स
  • 5. सामाषजके आिश्यकेताओॊ केी ऩूशतथ इन हियाओॊ के द्वारा विद्याथी सीखते हं हके े 1. एके व्यवि और द सरे व्यवि के बीच मं हकेस प्रकेार केा ू े सॊबॊध होना चाहहए। 2. एके व्यवि और समसदाय के मध्य मं हकेस प्रकेार केा े सॊबॊध होना चाहहए।
  • 6. मनोिै ऻाशनके आिश्यकेताओॊ केी ऩूशतथ हकेशोरािस्था के बाऱकें मं समूह वप्रयता े केी प्रिृवि ऩायी जाती है । विद्याऱय के अशधकेारी चाहं या न े चाहं , िहाॉ शभन्हन- शभन्हन समूह बनते रहं गे। सहगामी हियाओॊ द्वारा हम बाऱकें केी इस प्रिृवि केा विकेास हकेया जा सकेता है ।
  • 7. नैशतके आिश्यकेताओॊ केी ऩूशतथ इन हियाओॊ द्वारा बाऱके-बाशऱकेाओॊ मं सच्चचाई, न्हयायवप्रयता तथा ईमानदारी जैसे गसणं केा विकेास केर सकेते हं ।
  • 8. रुशचयं केा विकेास ऩाठशाऱा मं आयोषजत केी जाने िाऱी हियाओॊ ऩर ही बाऱके केी रुशच शनभथर केरती है । ऩाठशाऱा केी ओर बच्चचं केो आकेवषथत केरना एके केऱा है । ऐसा केाम सभी ऩाठशाऱाएॉ नहीॊ केर सकेतीॊ।
  • 9. अिकेाश के समय केा सदऩयोग े स जब एके बच्चचा अऩना जीिन अध्याऩके के हाथ े मं दे ता है तो िह विश्वास केरता है हके िह उसके हर ऺण के साथ न्हयाय केरे गा। इसीशऱए े े हमं चाहहए हके बच्चचं के अिकेाश के समय केा े े ऩूरा-ऩूरा उऩयोग केरिायं।
  • 10. भाषा केी दृवि से उऩयोगी हियाएॉ 1. िाद-वििाद प्रशतयोशगता 2. व्याख्यान या भाषण 3. विद्याऱय ऩवत्रकेा या दीिार ऩवत्रकेा 4. भाषा ऩररषद या साहहत्य ऩररषद 5. नाटकेीय हियाएॉ 6. सॊ ग्रहाऱय 7. भ्रमण या सरस्िशत यात्राएॉ 8. ऩाठशाऱा समसदाय 9. भाषा हदिस 10. केवि सम्मेऱन 11. भाषा प्रशतयोशगताएॉ 12. भाषा केऺा ऩसस्तकेाऱय 13. डाके हडब्बा 14. भाषा खेऱ
  • 11. िाद-वििाद प्रशतयोशगताएॉ इनके ऱाभ हं - े 1. छात्र आत्मविश्वासऩूिके अऩने विचारं केो व्यि केर सकेते हं । थ 2. शनधाथररत विषय के सॊबध मं िे ऩसस्तके तथा ऩत्र-ऩवत्रकेाओॊ आहद ऩढ़ते हं । इससे े ॊ ं उनकेा मषस्तष्के सहिय होता है और उनके ऻान मं िृवि मं होती है । े 3. नए-नए विषयं केो प्रस्तसत केरने के शऱए िे नए-नए शब्दं केा प्रयोग केरते हं । े इससे उनकेा शब्द भॊडार बढ़ता है । 4. प्रशतयोशगताओॊ मं शनरॊ तर भाग ऱेने से उनकेा भाषा ऩर अशधकेार हो जाता है । 5. िे अऩने उच्चचारण केो शसि बनाने केा प्रयास केरते हं । इससे उन्हहं शसि बोऱने केी आदत ऩड़ती है । 6. शनरॊ तर मॊच ऩर बोऱते रहने से उनके बोऱने केी अऩनी शैऱी बन जाती है । े
  • 12. व्याख्यान या भाषण विद्याऱयं मं समय-समय ऩर व्याख्यान अिश्य केराये जाने चाहहए। ये विद्याऱय केी सजीिता केा प्रतीके है । साप्ताहहके व्याख्यान रखने से अच्चछा होता है । केभी-केभी प्रशतवित व्यवियं केो बसऱाकेर ऐसे केायथिम आयोषजत केरने से केई ऱाभ होते हं । व्याख्यान आयोषजत केरते समय केछ बातं केा ध्यान रखना चाहहए- स 1. रोचके तथा ऻानििथ के विषय केा चयन केरना चाहहए। 2. छात्र षजसे समझ सके ऐसे विषयं केा ही चयन केरना चाहहए। ं 3. उनके ऻान मं िृवि होनी चाहहए। े 4. निीन विषयं केो प्रोत्साहहत केरना चाहहए। 5. छात्रं केा दृविकेोण व्याऩके बनाना चाहहए। 6. िे भाषण केऱा केी शभन्हन-शभन्हन शैशऱयं से ऩररशचत होते हं ।
  • 13. विद्याऱय ऩवत्रकेा या दीिार ऩवत्रकेा यह मसहद्रत तथा हस्तशऱषखत दोनं रूऩं मं हो सकेती है । इसके माध्यम े से छात्र शऱषखत रूऩ मं अऩने आऩ केो अशभव्यि केर सकेते हं । इसमं छात्रं केी रचनाएॉ जै स- ऱेख, केहानी, केविता, बाऱगीत, िाताथऱाऩ, े एकेाॊकेी, नाटके, चस टकेऱे आहद रख सकेते हं । मौशऱकेता केो प्रोत्साहहत स केरना चाहहए। इसके ऱाभ हं - े 1. छात्रं केी ऱेखन ऺमता केा विकेास होता है । 2. प्रशतभा उभरकेर आगे आती है । आगे बड़े साहहत्यकेार बन सकेते हं । 3. भविष्य मं ऱेखके या समीऺके बन सकेते हं । 4. निीन ऻान ऩर ऩकेड़ बनायी जा सकेती है ।
  • 14. भाषा ऩररषद या साहहत्य ऩररषद इसके अॊतगथत आने िाऱे केायथिम हं - े 1. केवि गोिी या केवि सम्मेऱन 2. अॊत्याऺरी प्रशतयोशगता 3. ऱेख प्रशतयोशगता 4. केहानी प्रशतयोशगता 5. केाव्य ऩाठ – ऱयानससार 6. गद्य केा शसि ऩाठ
  • 15. नाटकेीय हियाएॉ इससे होने िाऱे ऱाभ हं - 1. नाटके साहहत्य मं बाऱकें केी रुशच उत्ऩन्हन केरना 2. नाटकें मं केथोऩकेथन तथा हाि-भाि केी प्रधानता रहती है । भविष्य मं अच्चछे केऱाकेार बन सकेते हं । 3. दृश्य – श्रव्य दोनं के तरह नाटके होने से प्रशतभा और े शनखरकेर बाहर आती है ।
  • 16. सॊग्रहाऱय विद्याऱय मं भाषा के सॊग्रहाऱयं केी व्यिस्था े केी जा सकेती है । इस प्रकेार सॊग्रहाऱय मं विशभन्हन प्रकेार केी ऩसस्तके, ऩत्र-ऩवत्रकेाएॉ तथा ं भाषा शशऺण सॊबॊधी अन्हय उऩकेरण सॊग्रहीत हकेये जा सकेते हं ।
  • 17. भ्रमण या सरस्िशत यात्राएॉ प्रत्येके बाऱके-बाशऱकेा मं घूमने केी प्रिृवि केी स्िाभाविके इच्चछा होती है । उसकेी यह इच्चछा सरस्िशत यात्राओॊ द्वारा तृप्त हो सकेती हं । मनोिैऻाशनकें केा केथन है हके यहद बाऱकें केो प्रकेशत ृ सॊबॊधी ऩाठ ऩढ़ाना है तो िह ऩाठ प्राकेशतके िातािरण ृ मं ही ऩढ़ाया जाय।
  • 18. ऩाठशाऱा समस दाय 1. अध्याऩकें के ऻान बाॉटने केा ससॊदर स्थान है । े 2. यहाॉ िे अऩने विचार एके-दसरे से बाॉटते हं । ू 3. माह मं एके बार आयोषजत केरना चाहहए। 4. ऩाठ या प्रश्न ऩत्र सॊबॊधी तैयारी केी जा सकेती है ।
  • 19. भाषा हदिस हहॊ दी हदिस (14 शसतॊबर या हहॊ दी माह) जैसे केायथिम आयोषजत केरने से भाषा के प्रशत े सद्भािना मं विकेास होता है ।
  • 20. केवि सम्मेऱन भाषा के विकेास के शऱए भाषा केा िातािरण े े तैयार केरना ऩड़ता है । इसशऱए चाहहए हके हम बच्चचं केो केवि सम्मेऱन केा िातािरण दे सके। ं ऩहऱे बच्चचे इन केवि सम्मऱेनं केो दे खंगे ि ससनंगे। तत्ऩश्चात प्रभावित होकेर आगे आने केी प्रेरणा ऩायंगे।
  • 21. भाषा प्रशतयोशगताएॉ भाषा हदिस के अऱािा विशभन्हन अिसरं जैसे े स्ितॊत्रता हदिस, गणतॊत्र हदिस, बाऱ हदिस, अध्याऩके हदिस आहद के माध्यम से भी े बाऱकें केी प्रशतभा केो बाहर शनकेाऱा जा सकेता है ।
  • 22. भाषा केऺा ऩस स्तकेाऱय केऺा केऺ मं केहाशनयं केी हकेताबं, बाऱगीत केी हकेताबं, समाचार साहहत्य, बाऱ व्याकेरण , हहॊ दी शब्द केोश आहद के होने से बहसत ऱाभ े होते हं ।
  • 23. डाके हडब्बा डाके हडब्बा एके ऐसा महत्िऩूणथ साधन है षजससे छात्रं से केऺा केऺ केी समस्याएॉ, ऩाठ्य ऩसस्तके सॊबॊधी शॊकेाएॉ, अऩनी मनऩसॊद केहानी शऱखकेर हडब्बे मं डाऱ दे ते हं । इससे अॊतमसखी थ व्यवित्ि िाऱे बच्चचं केा बहसत विकेास होता है ।
  • 24. भाषा खेऱ 1. अॊत्याऺरी खेऱ 2. शब्दं केी रे ऱगाड़ी 3. जोड़ी बनाना 4. समान ध्िशनिाऱे शब्दं से सॊबॊशधत खेऱ खेऱना
  • 25. सहगामी हियाओॊ केा सॊगठन 1. हकेसी अनसभिी अध्याऩके केी दे खरे ख मं सहगी हियाएॉ केो सॊगहठत हकेया जाय। 2. प्रत्येके हिया केा ऩूरा-ऩूरा हहसाब रखा जाय। 3. ऩाठशाऱा मं ऐसा िातािरण बना जाय हके छात्र इन हियाओॊ मं भाग ऱे सके। ं 4. अऩनी ऺमता के अनससार छात्र रुशच िाऱी हियाओॊ े मं भाग ऱे सके। ं 5. ऩाठ्यिम और सहगामी हियाओॊ मं समन्हिय रखा जाय। 6. सहगामी हियाओॊ के शऱए समय – साररणी बनायी े जाय।
  • 26. राज्य शैषऺके अनससॊधान एिॊ प्रशशऺण ऩररषद, आॊध्र प्रदे श, है दराबाद State Council of Educational Research & Training, A. P., Hyderabad केी प्रस्तसशत
  • 27. अन्हय जानकेारी ि अशधके सहायता के े शऱए सॊऩके केरं - थ www.apscert.org sharadasharan.p@gmail.com (or) signmeanytime@gmail.com Dr. P. Sharada # 9441204064 S. K. Mishra # 9059037899