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याजबाळा रैवन्दी ऩय भवान
व्यरौिमों की ऴूरौिमाां
संकलनकर्ता
विजय कुमतर रतत्रे
मे सूक्तिमाां मा कथन विभबन्न भहाऩुरूषों एिां फुद्धिजीविमों द्वाया उिरयत विचायों का सांकलन हैं।
स्वप्रकालन
भांफई-49
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आऱयण एऱां कां प्यूटय कां ऩॉर्िगः सांकलकनकताा द्वाया।
भद्रणः गूगल ऩय उऩलब्ध भुफ्त ऩब्लिभ िंग टू ल्स के सहमॊग से सांकलकनकताा द्वाया।
प्रकालकः विजम कु भाय यात्रे, ग्राभॊदम, गुलभॊहय क्रॉस भागा सां. 6, जेिीऩीडी जुरॄ, भुांफई-49,
भॊ. +91-730555447
ऴांस्कयणः प्रथभ, 2020
©ऴऱाारोधकायः सकलनकताा की अनुभवत के फगैय इस सांकलन की वकसी बी अथिा सांऩूर्ा
साभग्री का उऩमॊग आिश्यकता के अनुसाय की जा सकती हैं, फ ते वक ऐसा कॊई बी उऩमॊग
याजबाषा हहन्दी प्रगाभी प्रमॊग एिां हहन्दी बाषा के विकास एिां उत्थान के भलए वकमा जा यहा
हॊ। इस सांकलन की साभग्री अथाात सूक्तिमों भें वकसी बी प्रकाय का पे य-फदल अथिा जॊड़-
तॊड़ नहीं वकमा जाना चाहहए, क्योंवक मे सूक्तिमाां मा कथन विभबन्न भहाऩुरूषों एिां
फुद्धिजीविमों द्वाया उिरयत विचायों का सांकलन हैं। इनका उऩमॊग मथानुसाय, जैसा औय द्धजस
रूऩ भें उल्लल्रखखत है, िैसा ही वकमा जाना चाहहए। सांकलनकताा के ऩास इन सूक्तिमों का कॊई
बी सिााक्तधकाय सुयभित नहीं हैं, तथा मे के िल याजबाषा हहन्दी के कामाालमीन ि दैभनक
उऩमॊग कॊ सुगभ फनाने के प्रमॊजन से सांकभलत की गई हैं।
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ऴभरॊऩित
भुझे याजबाषा हहिंदी की सेिा कयने के भलए प्रेरयत कयने िाले भेये भभत्रों,
सांफांक्तधमों औय सहकभभिमों कॊ मह सांकलन सभवऩित कयता रॄूँ, द्धजन्हें भैं भज़ाक
भज़ाक भें ‘वफना लाठी के बैंस चयाने िाले ’’ की सांज्ञा देता रॄूँ, जॊ विगत कई
द कों से याजबाषा हहिंदी की अनियत सेिा कय यहें हैं, िह बी वफना वकसी
वि ेष ऩारयतॊवषक, प्राक्तधकाय अथिा वफना वकसी ऩहचान के ।
   
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रैविंदी: मव क्या वै, इऴका इरोतवाऴ क्या वै ऒय मव कवाां ऴे आई वै?
हहिंदी बायत की ऩहली बाषा है। मह दुभनमा की चोथी सफसे व्याऩक फॊली जाने
िाली बाषा है, 250 भभभलमन से अक्तधक लॊग इसे अऩनी ऩहली बाषा के रूऩ
भें फॊलते हैं।
उत्तयी बायत की मह एक बायतीम बाषा हैं द्धजसे सांस्कृ त से भलमा गमा औय
देिनागयी भलवऩ भें भलखी गई।
महद आऩ बायत के वकसी बी याज्य भें मात्रा कय यहे हैं औय महद आऩ हहिंदी
जानते हैं तॊ कॊई इ ू नहीं है। क्योंवक हहिंदी दूसयी बाषा जैसे गुजयाती, भयाठी,
तेलुगू जैसी बाषा है।
हहिंदी भनभित रूऩ से एक बाषा है औय क्योंवक मह कई अन्य बाषाओां जैसे उदूा,
ऩभ िमन से प्रबावित है इसका भतलफ मह नहीं है वक मह एक बाषा नहीं हॊ
सकती है।
आधुभनक सटैंडडा हहिंदी, हहिंदुस्तान बाषा का भानकीकृ त औय सांस्कृ तकृ त
यद्धजस्टय है। हहिंदी एक इांडॊ-जभाभनक मा इांडॊ-मूयॊऩीम बाषा है। मह सांस्कृ त से
भनकली है औय इसे न्यू इांडॊ-आमान उऩसभूह का हहस्सा भाना जाता है।
हालाांवक, इसकी ब्दािली पायसी, अयफी, तुकी, ऩुतागाली औय अांग्रेजी सभेत
कई अन्य बाषाओां से प्रबावित हैं।
अांग्रेजी बाषा के साथ, देिनागयी भलवऩ भें भलखी गई हहिंदी बायत सयकाय की
आक्तधकारयक बाषा है। मह बायत गर्याज्य की 22 अनुसूक्तचत बाषाओां भें से
एक है। हालाांवक, मह बायत की याष्ट्रीम बाषा नहीं है क्योंवक इसे बायतीम
सांविधान भें भनधाारयत नहीं वकमा गमा था।
बायत के फाहय, मह एक आक्तधकारयक बाषा है द्धजसे वपजी भें वपजी हहिंदी के
नाभ से जाना जाता है, औय भॉयी स, वत्रभनदाद औय टॊफैगॊ, गुमाना औय
सूयीनाभ भें एक भान्यता प्राप्त िेत्रीम बाषा है।
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व्यक्तिगत रूऩ से, बाषा के विविधता के रूऩ भें, हहिंदी, भांदारयन, स्पेभन औय
अांग्रेजी के फाद दुभनमा की चोथी सफसे ज्यादा फॊली जाने िाली बाषा है।
हहिंदुस्तान के रूऩ भें उदूा के साथ, मह भांदारयन औय अांग्रेजी के फाद दुभनमा की
तीसयी सफसे फॊली जाने िाली बाषा है।
अन्य बायतीम-आमा बाषाओां की तयह, हहिंदी कॊ सोयसानी प्राकृ त औय
सोयसानी अऩभ्रां के भाध्यभ से सांस्कृ त के प्रायांभबक रूऩ का प्रत्यि िां ज
भाना जाती है। मह 7 िीं ताब्दी ईस्वी भें द्रविड़ बाषा, तुवकि क बाषाओां, पायसी,
अयफी, ऩुतागाली औय अांग्रेजी हहिंदी से प्रबावित रृई है, अऩहयर् (सांस्कृ त:
अऩभ्रां , भ्रष्टाचाय मा भ्रष्ट बाषर्), प्रकृ वत की स्थानीम बाषा, सटैंडडा हहिंदी ऩय
आधारयत है।
उदूा ने – हहिंदुस्तानी का एक औय रूऩ – फाद भें भुगल काल (1800 के द क)
भें बाषा की प्रवतष्ठा हाभसल की, औय इसऩय भहत्वऩूर्ा पायसी प्रबाि ऩड़ा। 19
िीं ताब्दी के उत्तयाधा भें, उदूा से अलग हहिंदुस्तान की एक सटैन्डडा बाषा के रूऩ
भें हहिंदी कॊ विकभसत कयने के भलए एक आांदॊलन फना। 1881 भें, वफहाय ने उदूा
की जगह, हहिंदी कॊ अऩनी एकभात्र आक्तधकारयक बाषा के रूऩ भें स्वीकाय
वकमा, औय इस प्रकाय हहिंदी कॊ अऩनाने के भलए बायत का ऩहला याज्य फन
गमा।
रैविंदी ऒय अन्य बाळाएँ :
मूनानी, ऩॊभल , इतालिी मा डच की तयह, हहिंदी बायत-मूयॊऩीम (द्धजसे इांडॊ-
जभाभनक बी कहा जाता है) बाषा ऩरयिाय का हहस्सा है। इसका भतलफ मह है
वक हहिंदी बायत के दभिर् भें फॊली जाने िाली बाषाओां की तुलना भें डच से
अक्तधक भनकटता से सांफांक्तधत है, जैसे तभभल औय तेलुगु।
फाद भें मह एक अलग ाखा, अथाातौ द्रविड़ बाषा ऩरयिाय से सांफांक्तधत है। अक्तधक
वि ेष रूऩ से, हहिंदी एक बायतीम-आमा बाषा है (औय ईयानी बाषाओां के साथ-
साथ बायत-आमा बाषाएां बायत-ईयानी ाखा फनाती हैं)। जैसे आधुभनक
इतालिी लैरटन से भलमा गमा है, हहिंदी व्याकयद्धर्क रूऩ से सांस्कृ त से उऩजी है।
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सीधे सांस्कृ त ब्दािली से व्युत्पन्न ब्दों के अलािा, हहिंदी लेक्सिकन भें
पायसी, अयफी औय अांग्रेजी से कापी ब्द इसभें है। हकीकत भें, “हहिंदी”
िास्ति भें क्या हैं इसकी अलग-अलग व्याख्याएां हैं। व्याऩक व्याख्या के
अनुसाय- “हहिंदी” सुयीनाभ, गुमाना, वत्रभनदाद, भॉयी स औय वपजी भें फॊली
जाने िाली हहिंदी के रूऩों सहहत उत्तय बायत की फॊली भनयांतयता कॊ द ााती
है।”
“रैविंदी” ऱास्तऱ भें क्या वैं?
एक सांभिप्त व्याख्या के अनुसाय, “हहिंदी” अऩेिाकृ त कभ पायसी औय अयफी
ब्दों के साथ, आधुभनक हहिंदी, आधुभनक हदल्री के आसऩास औय आसऩास
के िेत्र के हहिंदी (खायी फॊली, “प्रमुि बाषा” बी कहा जाता है) का प्रतीक है।
उदूा, भुस्लिभ सवकि लों भें इस्तेभाल की जाने िाली बाषा हैं जॊ हहिंदी से रॅढ़ता
से जुड़ी रृई है, द्धजसे हहिंदुओां द्वाया फॊला जाता है। मे दॊ बाषाएां एक आभ
व्याकयर् औय बाषर् भें फरृत सायी ब्दािली कॊ मय कयते हैं। लेवकन मे
दॊनों लेखन, अक्तधक विभ ष्ट ब्दािली औय सांस्कृ वत के भाभले भें अलग-
अलग हैं।
हहिंदी भाषा की जानकारी
हहिंदी कॉ देवनागरी वर्णमाला में ललखा जाता है और इसमें संस्कृ त से शब्द
आते है।
देिनागयी एक अफाक्तगडा नाभक िर्ाभाला का एक रूऩ है, क्योंवक प्रत्येक
व्यांजन भें एक भनहहत स्वय (ए) हॊता है, द्धजसे विभबन्न स्वय सांके तों के साथ
फदला जा सकता है।
अक्तधकाां स्वयों कॊ एक मा दॊ अन्य स्वयों भें ाभभल वकमा जा सकता है
तावक अांतभनिहहत स्वय दफामा जा सके । ऩरयर्ाभी रूऩ कॊ एक अनुफन्ध कहा
जाता है। देिनागयी कॊ फाएां से दाएां भलखा जाता है। देिनागयी भें अांग्रेजी जैसे
कॊई के स बेद नहीं है, मानी कॊई लॊअय के स औय अप्ऩय लैटय नहीं है।
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क्या आऩ जानते वैं?
रैविंदी, याष्ट्रीम बाळा नवीं:
बायत कॊ विविधता के भलए जाना जाता है, औय िास्तविक बायतीम पै न भें,
दे भें फॊली जाने िाली बाषाओां की बीड़ पै ली रृई है। इस ऩरयरॅश्य भें, बायत
के ऩास एक याष्ट्रीम बाषा है मा नहीं, इस फाये भें अिय भ्रभ हॊता है।
गुजयात उच्च न्यामालम ने देखा है वक हालाांवक बायत के अक्तधकाां लॊगों ने
हहिंदी कॊ याष्ट्रीम बाषा के रूऩ भें स्वीकाय कय भलमा है, लेवकन हहिंदी कॊ दे
की याष्ट्रीम बाषा घॊवषत कयने के भलए कॊई प्रािधान मा आदे जायी नहीं
वकमा गमा है।
अदालत ने कहा, “आभ तोय ऩय, बायत भें, अक्तधकाां लॊगों ने हहिंदी कॊ याष्ट्रीम
बाषा के रूऩ भें स्वीकाय कय भलमा है औय कई लॊग हहिंदी फॊलते हैं औय
देिनागयी भलवऩ भें भलखते हैं लेवकन रयकॉडा कयने के भलए कु छ बी नहीं है वक
हहिंदी कॊ याष्ट्रीम बाषा घॊवषत कयने के भलए कॊई प्रािधान जायी वकमा गमा है
मा आदे जायी वकमा गमा है ताकी मह दे की एक याष्ट्रीम बाषा हॊ सके । ”
हालाांवक, सांविधान भें, हहिंदी कॊ आक्तधकारयक बाषा घॊवषत वकमा गमा था, न
वक याष्ट्रीम बाषा।
देिनागयी भलवऩ भें भलखी जाने िाले साहहत्यत्यक हहिंदी, सांस्कृ त द्वाया रॅढ़ता से
प्रबावित रृई है। इसका स्टैन्डडा रूऩ खायी फॊली ऩय आधारयत है, जॊ हदल्री के
उत्तय औय ऩूिा भें ऩामा जाता है। ब्राज बाषा, जॊ 15 िीं से 19 िीं ताब्दी तक एक
भहत्वऩूर्ा साहहत्यत्यक भाध्यभ था, कॊ अिय हहिंदी की फॊली के रूऩ भें भाना
जाता है, जैसे अिधी, फागेली, बॊजऩुयी, फुांदेली, छत्तीसगढ़ी, गढ़िाली,
हरयमार्ािी, कनोजी, कु भामुनी, भगही औय भायिाड़ी।
हालाांवक, हहिंदी की इन तथाकभथत फॊली बाषाओां कॊ “हहिंदी िेत्र” मा “फेल्ट” की
िेत्रीम बाषाओां के रूऩ भें अक्तधक सटीक रूऩ से िद्धर्ित वकमा गमा है, द्धजसका
िेत्र भध्य प्रदे याज्य से लेकय उत्तय बायत तक था।
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इस िेत्र के बीतय, स्टैन्डडा हहिंदी के सभान िेत्रीम बाषाओां की भात्रा कापी
भबन्न हॊती है। हहिंदी फेल्ट की ऩूिोत्तय िेत्रीम बाषा भैभथली- स्टैन्डडा हहिंदी की
तुलना भें फांगाली के भलए ऐवतहाभसक सभानता है। इसी प्रकाय, फेल्ट की
ऩभिभीतभ याजस्थानी, कु छ भाभलों भें स्टैन्डडा हहिंदी से अक्तधक गुजयाती जैसी
हदखती है। वपय बी, इन िेत्रीम बाषाओां के अक्तधकाां ििा खुद कॊ हहिंदी फॊली
फॊलने के भलए भानते हैं। अन्य कायर्ों से, िे ध्यान देते हैं वक वब्ररट ासन
के ुरुआती हदनों भें बाषाओां कॊ िगीकृ त कयने के प्रमास भें इन बाषाओां कॊ
अांग्रेजों द्वाया हहिंदी के साथ सभूहीकृ त वकमा गमा था। इसके अलािा, हहिंदी
(िेत्रीम बाषाओां भें से एक के फजाम) कॊ प्राथभभक-विद्यालम स्तय ऩय भनदे
के भाध्यभ के रूऩ भें चुना गमा था। इस औऩभनिेभ क नीवत के ऩरयर्ाभस्वरूऩ
फड़े हहस्से भें, हयी भध्यभ िगा के सदस्य औय ऩूये िेत्र भें भ भित ग्राभीर्ों का
दािा हहिंदी फॊलने का दािा कयता है क्योंवक सािाजभनक िेत्र भें इन िेत्रीम
बाषाओां मा फॊभलमों का उऩमॊग-जॊ ऩरयिाय के फाहय है औय कयीफी दॊस्तों-
अऩमााप्त भ िा के सांके त के रूऩ भें भाना जाता है।
दूसये ब्दों भें, इस िेत्र के लॊग हहिंदी कॊ ज्यादा भहत्व देते हैं िही दूसयी औय
अांग्रेजी फॊलने िाले बायत के दभिर् भें भभलते है; दॊनों कॊ ऊऩय की
साभाद्धजक गवत ीलता की बाषा भाना जाता है। इस प्रकाय, नई नोकरयमों,
वििाहों औय इसी तयह की लॊगों के यॊजभयाा के सांचाय भें हहिंदी का उऩमॊग
हॊता हैं।
कई भाभलों भें, मुिा लॊगों भें अफ िेत्रीम बाषाओां का फरृत कभ ज्ञान फचा है।
वि ेष रूऩ से 1950 के द क के फाद से, भास भीरडमा (येरडमॊ, टेलीविजन,
औय वपल्मों) औय फढ़ती साियता के प्रसाय ने हहिंदी के दे ी ििाओां की
सांख्या भें िृद्धि की है। भभसाल के तोय ऩय, जफ 1960 औय 1970 के द क भें
वफहाय भें भैभथली ििाओां की एक अलग याज्य के गठन की भाांग की गई थी,
तॊ ऩूिी वफहाय भें अांक्तगका की ऩहचान औय उत्तय-ऩभिभ वफहाय भें फजाद्धजका की
ऩहचान के भलए एक प्रवतद्वांरद्वता थी। छत्तीसगढ़ के नए याज्यों(भध्य प्रदे भें
एक फाय िेत्र से)औय उत्तयाांचल(उत्तय प्रदे के िेत्र से)फनाने के भलए सपल
भाांग बाषाई से अक्तधक सभाज ााीम थी।
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रैविंदी बाळी क्षेत्र:
हहभाचल, हदल्री, हरयमार्ा, चांडीगढ़, उत्तय प्रदे , याजस्थान, भध्य प्रदे , वफहाय,
ऩावकस्तान, फॉम्बे, हैदयाफाद। फैंगलॊय, भॉयी स, वपजी, गुमाना, सूयीनाभ,
वत्रभनदाद, सांमुि अयफ अभीयात भें बी प्रमॊग वकमा जाता है।
लब्दाऱरी
अपगाभनस्तान, ईयान, तुकी, भध्य एभ मा औय अन्य जगहों ऩय भुस्लिभ
आक्रभर्कारयमों के साथ खायी फॊली के ुरुआती ििाओां की फातचीत से
आधुभनक हहिंदी विकभसत रृई। जैसे-जैसे नए आप्रिासी फस गए औय बायतीम
साभाद्धजक भाहोल भें सभामॊद्धजत कयना ुरू कय हदमा, उनकी बाषाएां- जॊ
अांततः खॊयी सभृि खाड़ी फॊली थीं।
पायसी ब्दों भें से अक्तधकाां कॊ हहिंदी बाषा के रूऩ भें प्र ासन के भाभलों भें
उऩमॊग वकमा जाता हैं, जैसे ‘पोजदायी,’ िजीय से ‘भांत्री, औय भुसाहहफ से कॊटा
के सभान थे। ‘तका , पै सला औय गिाही जैसे ब्द कॊ ऩूयी तयह से अऩनामा
गमा।
ड्रेस औय वफस्तय (उदाहयर् के भलए, ऩजाभा, चाडॊय), व्यांजन (उदाहयर् के
भलए, कॊभाा, कफाफ), सौंदमा प्रसाधन (उदाहयर् के भलए, सफुन ‘साफुन,’ हहना
‘हेन्ना’), पनीचय (उदाहयर् के भलए, कु सी ‘कु सी,’ भेज़ ‘टेफल’), भनभाार्
(उदाहयर् के भलए, ‘दीिाय,’कु सी’), फड़ी सांख्या भें वि ेषर् औय उनके नाभभात्र
डेरयिेरटि (उदाहयर् के भलए, अफाद ‘भनिास’ औय अफादी ‘आफादी’)। पायसी
औय अयफी ब्दों कॊ उधाय लेने के दोयान, हहिंदी ने पॊनेभ कॊ बी उधाय भलमा।
रैवन्दी का भानकीकयण:
1931 भें बाषाविद सुभभत कु भाय चटजी ने कलकत्ता )अफ कॊलकाता( भें एक
अध्यमन वकमा द्धजसभें एक भलिंगुआ फ़्रैंका के उऩमॊग की जानकायी दी गई
द्धजसे उन्होंने फाजाय हहिंदुस्तानी कहा। इसभें न्यूनतभ व्याकयद्धर्क रूऩ थे औय
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एक सयल भूल ब्दािली थी जॊ मूयॊऩीम औय बायतीम दॊनों ने असभभमा,
फांगाली, उरड़मा, तभभल औय हहिंदी जैसी बाषाओां की फात की थी।
21 िीं ताब्दी की ुरुआत भें, हहिंदुस्तानी एक फॊलने िाली फॊली जाने िाली
बाषा के रूऩ भें जाने जाने िाली थी। बोगॊभलक स्थान के आधाय ऩय, हहिंदी औय
सांस्कृ त से मा उदूा औय पायसी से फड़े ऩैभाने ऩय आकवषित हॊती है-कॊलकाता
औय अन्य भहानगयीम बाषा के भलए भलिंगुआ फ़्रैंका फनी यही औय औद्यॊक्तगक
हयों ने बायत के सबी हहस्सों से लॊगों कॊ आकवषित वकमा था।
जैसे-जैसे हहिंदी सहदमों ऩहले ऐसी फरृबाषी स्लस्थवत भें ऩैदा रृई थी, इसभलए
हयीिाद एक सभृि ब्दािली औय महाां तक वक अक्तधक लचीले िाक्य
यचनात्मक के विकास कॊ फढ़ािा दे सकता है।
सटैन्डडा हहिंदी ऩय दफाि न के िल गैय-हहिंदी फॊलने िालों से भहसूस वकमा जाता
है, फब्लि उन हहिंदी बावषमों से बी भहसूस वकमा जाता है, द्धजन्होंने हाल ही भें
अऩनी फॊली बाषाओां से सटैन्डडा हहिंदी कॊ फदल हदमा है। उन िेत्रीम बाषाओां के
प्रबाि कॊ ऩूयी तयह सभाप्त कय हदमा है। ऐसे भाभलों भें, ध्वभन प्रर्ाली अिय
एक िेत्रीम स्प ा फनाए यखती है; भभसाल के तोय ऩय, उत्तय प्रदे के ऩहाड़ी
लॊग ‘ ’ की जगह ऩय ‘स’ का उऩमॊग कयते है।
- विजम कु भाय यात्रे
___
13
याजबाळा रैवन्दी ऩय भवान व्यरौिमों की ऴूरौिमाां
याष्ट्रबाळा के रॊफना आजादी फेकाय वै।
- अिनींद्रकु भाय विद्यालांकाय
रैविंदी का काभ देल का काभ वै, ऴभूचे याष्ट्रर्नभााण का प्रश्न वै।
- फाफूयाभ सिेना
ऴभस्त बायतीम बाळाऑ ांके र्रए मरॉद कॉई एक र्ररॊऩ आऱश्यक वॉ तॉ ऱव
देऱनागयी वी वॉ ऴकती वै।
- (जस्टस्टस) कृ ष्णस्वाभी अय्यय
रैविंदी का ऩॊधा दर्क्षणऱारों ने त्याग ऴे ऴींचा वै।
- ांकययाि कप्पीके यी
अकफय ऴे रेकय ऒयांगजेफ तक भगरों ने र्जऴ देलबाळा का स्वागत रॊकमा
ऱव ब्रजबाळा थी, न रॊक उदूा।
-याभचांद्र ुक्ल
याष्ट्रबाळा रैविंदी का रॊकऴी क्षेत्रीम बाळा ऴे कॉई ऴांघळा नवीं वै।
- अनांत गॊऩाल ेिड़े
दर्क्षण की रैविंदी रॊऱयॉधी नीरोत ऱास्तऱ भें दर्क्षण की नवीं, फरॕि कछ अांग्रेजी
बिों की नीरोत वै।
- के .सी. सायांगभठ
रैविंदी वी बायत की याष्ट्रबाळा वॉ ऴकती वै।
- िी. कृ ष्णस्वाभी अय्यय
14
याष्ट्रीम एकता की कडी रैविंदी वी जॉड ऴकती वै।
- फालकृ ष्ण भाा निीन
रॊऱदेली बाळा का रॊकऴी स्वतांत्र याष्ट्र के याजकाज ऒय र्लक्षा की बाळा वॉना
ऴाांस्कृ रोतक दाऴता वै।
- िाल्टय चेभनिंग
रैविंदी कॉ तयांत र्लक्षा का भाध्यभ फनाइमे।
- फेरयस कल्यएि
अांग्रेजी र्ऴय ऩय ढॉना डूफ भयने के फयाफय वै।
- सम्पूर्ाानांद
एखन जतॉगर्र बाळा बायते प्रचर्रत आछे तावाय भध्ये बाळा ऴऱात्रइ प्रचर्रत।
- के िचांद्र सेन
देल कॉ एक ऴूत्र भें फाँधे यखने के र्रए एक बाळा की आऱश्यकता वै।
- सेठ गॊवििंददास
इऴ रॊऱलार प्रदेल के वय बाग भें र्लर्क्षत-अर्लर्क्षत, नागरैयक ऒय ग्राभीण ऴबी
रैविंदी कॉ ऴभझते वैं।
- यारृल साांकृ त्यामन
ऴभस्त आमााऱता मा ठे ठ रैविंदस्तान की याष्ट्र तथा र्लष्ट बाळा रैविंदी मा रैविंदस्तानी
वै।
-सय जाजा क्तग्रमसान
भरॖिभ लाऴन भें रैविंदी पायऴी के ऴाथ-ऴाथ चरती यवी ऩय कां ऩनी ऴयकाय ने
एक ऑय पायऴी ऩय वाथ ऴाप रॊकमा तॉ दूऴयी ऑय रैविंदी ऩय।
- चांद्रफली ऩाांडेम
15
बायत की ऩयांऩयागत याष्ट्रबाळा रैविंदी वै।
- नभलनविलॊचन भाा
जफ ऴे वभने अऩनी बाळा का ऴभादय कयना छॉडा तबी ऴे वभाया अऩभान ऒय
अऱनरोत वॉने रगी।
- (याजा) याक्तधकायभर् प्रसाद भसिंह
मरॉद ऩक्षऩात की रॅरॏष्ट ऴे न देखा जामे तॉ उदूा बी रैविंदी का वी एक रूऩ वै।
- भ िनांदन सहाम
प्रत्येक नगय प्रत्येक भॉवल्ले भें ऒय प्रत्येक गाँऱ भें एक ऩस्तकारम वॉने की
आऱश्यकता वै।
- (याजा) कीत्याानांद भसिंह
अऩनी ऴयरता के कायण रैविंदी प्रऱाऴी बाइमों की स्वत: याष्ट्रबाळा वॉ गई।
- बिानीदमाल सांन्यासी
मव कै ऴे ऴांबऱ वॉ ऴकता वै रॊक अांग्रेजी बाळा ऴभस्त बायत की भातृबाळा के
ऴभान वॉ जामे?
- चांद्र ेखय भभश्र
ऴारैवत्य की उन्नरोत वेत ऴबाऑ ांऒय ऩस्तकारमों की अत्यांत आऱश्यकता वै।
- भहाभहॊ. ऩां. सकलनायामर् भाा
जॉ ऴारैवत्य के ऱर स्वप्नरॉक की ऑय रे जामे, ऱास्तरॊऱक जीऱन कॉ उऩकृ त
कयने भें अऴभथा वॉ, ऱव र्नताांत भवत्ववीन वै।
- (डॉ.) का ीप्रसाद जामसिाल
बायतीम एकता के रक्ष्य का ऴाधन रैविंदी बाळा का प्रचाय वै।
- टी. भाधियाि
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रैविंदी रैविंद की, रैविंरॉदमों की बाळा वै।
- य. या. हदिाकय
मव ऴांदेव र्नभूार वै रॊक रैविंदीऱारे उदूा का नाल चावते वैं।
- याजेन्द्र प्रसाद
उदूा जफान ब्रजबाळा ऴे र्नकरी वै।
- भुहम्मद रृसैन आजाद
ऴभाज ऒय याष्ट्र की बाऱनाऑ ांकॉ ऩरैयभार्जित कयने ऱारा ऴारैवत्य वी ऴच्चा
ऴारैवत्य वै।
- जनादानप्रसाद झा रद्वज
भजवफ कॉ मव भॊका न र्भरना चारैवए रॊक ऱव वभाये ऴारैवर॒त्यक, ऴाभार्जक,
ऴबी क्षेत्रों भें टाँग अडाए।
- यारृल साांकृ त्यामन
र्लक्षा के प्रऴाय के र्रए नागयी र्ररॊऩ का ऴऱात्र प्रचाय आऱश्यक वै।
- भ िप्रसाद भसतायेहहिंद
वभायी रैविंदी बाळा का ऴारैवत्य रॊकऴी बी दूऴयी बायतीम बाळा ऴे रॊकऴी अांल ऴे
कभ नवीं वै।
- (यामफहादुय) याभयर्विजम भसिंह
ऱवी बाळा जीरॊऱत ऒय जाग्रत यव ऴकती वै जॉ जनता का ठीक-ठीक प्ररोतर्नरोधत्व
कय ऴके ।
- ऩीय भुहम्मद भूभनस
बायतेंद ऒय रॉिऱेदी ने रैविंदी की जड ऩातार तक ऩरृांचा दी वै; उऴे उखाडने का जॉ
दस्सावऴ कयेगा ऱव र्नश्चम वी बूकां ऩध्वस्त वॉगा।
- भ िऩूजन सहाम
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रैविंदी बाळा अऩनी अनेक धायाऑ ांके ऴाथ प्रलस्त क्षेत्र भें प्रखय गरोत ऴे
प्रकार्लत वॉ यवी वै।
- छविनाथ ऩाांडेम
देऱनागयी ध्वर्नलास्त्र की रॅरॏष्ट ऴे अत्यांत ऱैज्ञार्नक र्ररॊऩ वै।
- यवि ांकय ुक्ल
वभायी नागयी दर्नमा की ऴफऴे अरोधक ऱैज्ञार्नक र्ररॊऩ वै।
- यारृल साांकृ त्यामन
नागयी प्रचाय देल उन्नरोत का िाय वै।
- गॊऩाललाल खत्री
ऴारैवत्य का स्रॉत जनता का जीऱन वै।
- गर्े ांकय विद्याथी
अांग्रेजी ऴे बायत की यक्षा नवीं वॉ ऴकती।
- ऩां. कृ . वऩल्रमाय
उऴी रॉदन भेया जीऱन ऴपर वॉगा र्जऴ रॉदन भैं ऴाये बायतऱार्ऴमों के ऴाथ
लद्ध रैविंदी भें ऱातााराऩ करूँ गा।
- ायदाचयर् भभत्र
रैविंदी के ऊऩय आघात ऩरृँचाना वभाये प्राणधभा ऩय आघात ऩरृँचाना वै।
- जगन्नाथप्रसाद भभश्र
रैविंदी जाननेऱारा व्यरौि देल के रॊकऴी कॉने भें जाकय अऩना काभ चरा रेता
वै।
- देिव्रत ााी
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रैविंदी ऒय नागयी का प्रचाय तथा रॊऱकाऴ कॉई बी यॉक नवीं ऴकता।
- गॊविन्दिल्रब ऩांत
बायत की ऴायी प्राांतीम बाळाऑ ांका दजाा ऴभान वै।
- यवि ांकय ुक्ल
रॊकऴी ऴारैवत्य की नकर ऩय कॉई ऴारैवत्य तैमाय नवीं वॉता।
- सूमाकाांत वत्रऩाठी र्नयारा
वाय ऴयॉज रैवए वै रऴै भभ ऐऴी गनागयी नागयी वॉम।
- ठाकु य वत्रबुिननाथ भसिंह
बाळा वी ऴे रेदमबाऱ जाना जाता वै। लून्य रॊकिं त प्रत्यक्ष रृआ ऴा रॉदखराता वै।
- भाधि ुक्ल
ऴांस्कृ त भाां, रैविंदी गृरैवणी ऒय अांग्रेजी नॊकयानी वै।
- डॉ. पादय काभभल फुिे
बाळा रॊऱचाय की ऩॉलाक वै।
- डॉ. जानसन
याभचरैयत भानऴ रैविंदी ऴारैवत्य का कॉवनूय वै।
- म ॊदानांदन अखोयी
ऴारैवत्य के वय ऩथ ऩय वभाया कायऱाँ तेजी ऴे फढ़ता जा यवा वै।
- याभिृि फेनीऩुयी
करॊऱ ऴांभेरन रैविंदी प्रचाय के फरृत उऩमॉगी ऴाधन वैं।
- श्रीनायामर् चतुिेदी
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रैविंदी रोचयकार ऴे ऐऴी बाळा यवी वै र्जऴने भात्र रॊऱदेली वॉने के कायण रॊकऴी
लब्द का फरैवष्काय नवीं रॊकमा।
- याजेंद्रप्रसाद
देऱनागयी अक्षयों का करात्मक ऴौंदमा नष्ट कयना कवाँ की फरॎद्धभानी वै?
- भ िऩूजन सहाम
र्जऴ देल कॉ अऩनी बाळा ऒय अऩने ऴारैवत्य के गॊयऱ का अनबऱ नवीं वै, ऱव
उन्नत नवीं वॉ ऴकता।
- दे यत्न डॉ. याजेन्द्रप्रसाद
करॊऱता कार्भर्न बार भें रैविंदी रॊफिंदी रूऩ, प्रकट अग्रऱन भें बई ब्रज के र्नकट
अनूऩ।
- याधाचयर् गॊस्वाभी
रैविंदी ऴभस्त आमााऱता की बाळा वै।
- ायदाचयर् भभत्र
रैविंदी बायतीम ऴांस्कृ रोत की आत्मा वै।
- कभलाऩवत वत्रऩाठी
भैं उदूा कॉ रैविंदी की एक लैरी भात्र भानता।
- भनॊयांजन प्रसाद
रैविंदी बाळा कॉ बायतीम जनता तथा ऴांऩूणा भानऱता के र्रमे फरृत फडा
उत्तयदारोमत्व ऴँबारना वै।
- सुनीवतकु भाय चाटुज्याा
नागयीप्रचारैयणी ऴबा, काली की वीयकजमांती के ऩाऱन अऱऴय ऩय उऩरॕित न
वॉ ऴकने का भझे फडा खेद वै।
- (प्रॊ.) तान मुनौ ान
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याष्ट्रबाळा रैविंदी वॉ जाने ऩय बी वभाये व्यरौिगत ऒय ऴाऱाजर्नक जीऱन ऩय
रॊऱदेली बाळा का प्रबत्व अत्यांत गरैवित फात वै।
- कभलाऩवत वत्रऩाठी
ऴभ्य ऴांऴाय के ऴाये रॊऱळम वभाये ऴारैवत्य भें आ जाने की ऑय वभायी ऴतत्
चेष्टा यवनी चारैवए।
- श्रीधय ऩाठक
बायतऱळा के र्रए रैविंदी बाळा वी ऴऱाऴाधयण की बाळा वॉने के उऩमि वै।
- ायदाचयर् भभत्र
रैविंदी बाळा ऒय ऴारैवत्य ने तॉ जन्म ऴे वी अऩने ऩैयों ऩय खडा वॉना ऴीखा वै।
- धीयेन्द्र िभाा
जफ वभ अऩना जीऱन, जननी रैविंदी, भातृबाळा रैविंदी के र्रमे ऴभऩाण कय दे तफ
वभ रॊकऴी के प्रेभी कवे जा ऴकते वैं।
- सेठ गॊवििंददास
करॊऱता ऴखी ऒय उत्तभ भनष्यों के उत्तभ ऒय ऴखभम क्षणों का उद्गाय वै।
- ेली
बाळा की ऴभस्या का ऴभाधान ऴाांप्रदारोमक रॅरॏष्ट ऴे कयना गरत वै।
- लक्ष्मीनायामर् ऴधाांल
बायतीम ऴारैवत्य ऒय ऴांस्कृ रोत कॉ रैविंदी की देन फडी भवत्त्वऩूणा वै।
- सम्पूर्ाानन्द
रैविंदी के ऩयाने ऴारैवत्य का ऩनरुद्धाय प्रत्येक ऴारैवर॒त्यक का ऩनीत कताव्य वै।
- ऩीताम्बयदत्त फड़थ्वाल
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ऩयभात्मा ऴे प्राथाना वै रॊक रैविंदी का भागा र्नष्कां टक कयें।
- हयगॊवििंद भसिंह
अरैविंदी बाळा-बाळी प्राांतों के रॉग बी ऴयरता ऴे टूटी-पू टी रैविंदी फॉरकय
अऩना काभ चरा रेते वैं।
- अनांत मनभौ आमांगाय
ऱव रेदम नवीं वै ऩत्थय वै, र्जऴभें स्वदेल का प्याय नवीं।
- भैभथली यर् गुप्त
दारैवनी वॉ ऩूणा कयती वै अर्बराळा ऩूज्य रैविंदी बाळा वांऴऱारैवनी का अऱताय वै।
- अज्ञात
ऱास्तरॊऱक भवान् व्यरौि तीन फातों िाया जाना जाता वै- मॉजना भें उदायता, उऴे
ऩूया कयने भें भनष्यता ऒय ऴपरता भें ऴांमभ।
- वफस्माका
रैविंदस्तान की बाळा रैविंदी वै ऒय उऴका रॅश्यरूऩ मा उऴकी र्ररॊऩ ऴऱागणकायी
नागयी वी वै।
- गॊऩाललाल खत्री
करॊऱता भानऱता की उच्चतभ अनबूरोत की अर्बव्यरौि वै।
- हजायी प्रसाद रद्विेदी
रैविंदी वी के िाया अरॏखर बायत का याष्ट्रनैरोतक ऐक्य ऴरॅढ़ वॉ ऴकता वै।
- बूदेि भुखजी
रैविंदी का र्लक्षण बायत भें अर्नऱामा वी वॉगा।
- सुनीवतकु भाय चाटुज्याा
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रैविंदी, नागयी ऒय याष्ट्रीमता अन्यॉन्यार्ित वै।
- नन्ददुलाये िाजऩेमी
अकफय की ऴबा भें ऴूय के जऴदा फाय-फाय मव बाखै ऩद ऩय फडा स्मयणीम
रॊऱचाय रृआ था।
- याधाचयर् गॊस्वाभी
देलबाळा की उन्नरोत ऴे वी देलॉन्नरोत वॉती वै।
- सुधाकय रद्विेदी
रैविंदी ऴारैवत्य धभा-अथा-काभ-भॉक्ष इऴ चत:ऩरुळाथा का ऴाधक अतएऱ
जनॉऩमॉगी।
- (डॉ.) बगिानदास
रैविंदी उन ऴबी गणों ऴे अरांकृ त वै र्जनके फर ऩय ऱव रॊऱश्व की ऴारैवर॒त्यक
बाळाऑ ांकी अगरी िेणी भें ऴबाऴीन वॉ ऴकती वै।
- भैभथली यर् गुप्त
ऱाणी, ऴभ्यता ऒय देल की यक्षा कयना ऴच्चा धभा मज्ञ वै।
- ठाकु यदत्त भाा
र्नष्काभ कभा वी ऴऱोत्तभ कामा वै, जॉ तृर॑ि प्रदाता वै ऒय व्यरौि ऒय ऴभाज की
लरौि फढ़ाता वै।
- ऩांरडत सुधाकय ऩाांडेम
अफ रैविंदी वी भाँ बायती वॉ गई वै- ऱव ऴफकी आयाध्य वै, ऴफकी ऴांऩरौत्त वै।
- यवि ांकय ुक्ल
फच्चों कॉ रॊऱदेली र्ररॊऩ की र्लक्षा देना उनकॉ याष्ट्र के ऴच्चे प्रेभ ऴे ऱांरोचत कयना
वै।
- बिानीदमाल सांन्यासी
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मवाँ (रॉदल्ली) के खलफमानों ने भतारैवद (रौगनी चनी) जफानों ऴे अच्छे अच्छे
रफ्ज र्नकारे ऒय फाजे इफायतों ऒय अल्फाज भें तऴरूा प (ऩरैयऱतान) कयके
एक नई जऱान ऩैदा की र्जऴका नाभ उदूा यखा वै।
- दरयमामे लतापत
बाळा ऒय याष्ट्र भें फडा घर्नष्ट ऴांफांध वै।
- (याजा) याक्तधकायभर् प्रसाद भसिंह
अगय उदूाऱारों की नीरोत रैविंदी के फरैवष्काय की न वॉती तॉ आज र्ररॊऩ के र्ऴऱा
दॉनों भें कॉई बेद न ऩामा जाता।
- दे यत्न डॉ. याजेंद्रप्रसाद
रैविंदी बाळा की उन्नरोत का अथा वै याष्ट्र ऒय जारोत की उन्नरोत।
- याभिृि फेनीऩुयी
फाजायऱारी फॉरी रॊऱश्वरॊऱद्यारमों भें काभ नवीं दे ऴकती।
- सांऩूर्ाानांद
बायतेंद का ऴारैवत्य भातृभांरॉदय की अचाना का ऴारैवत्य वै।
- फदयीनाथ भाा
तरऱाय के फर ऴे न कॉई बाळा चराई जा ऴकती वै न र्भटाई।
- भ िऩूजन सहाम
अरॏखर बायत के ऩयस्पय व्यऱवाय के र्रमे ऐऴी बाळा की आऱश्यकता वै र्जऴे
जनता का अरोधकतभ बाग ऩवरे ऴे वी जानता ऴभझता वै।
- भहात्मा गाूँधी
रैविंदी कॉ याजबाळा कयने के फाद ऩूये ऩांद्रव ऱळा तक अांग्रेजी का प्रमॉग कयना
ऩीछे कदभ वटाना वै।
- याजवषि ऩुरुषॊत्तभदास टांडन
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बाळा याष्ट्रीम लयीय की आत्मा वै।
- स्वाभी बिानीदमाल सांन्यासी
रैविंदी के याष्ट्रबाळा वॉने ऴे जवाँ वभें वळोल्लाऴ वै, ऱवीं वभाया उत्तयदारोमत्व बी
फरृत फढ़ गमा वै।
- भथुया प्रसाद दीभित
बायतऱळा भें ऴबी रॊऱद्याएँ ऴरॗिर्रत ऩरैयऱाय के ऴभान ऩायस्परैयक ऴद्भाऱ
रेकय यवती आई वैं।
- यिींद्रनाथ ठाकु य
इरोतवाऴ कॉ देखते रृए रॊकऴी कॉ मव कवने का अरोधकायी नवीं रॊक रैविंदी का
ऴारैवत्य जामऴी के ऩवरे का नवीं र्भरता।
- (डॉ.) का ीप्रसाद जामसिाल
ऴांप्ररोत र्जतनी बाळाएां बायत भें प्रचर्रत वैं उनभें ऴे रैविंदी बाळा प्राम: ऴऱात्र
व्यऱरेत वॉती वै।
- के िचांद्र सेन
रैविंदी ने याष्ट्रबाळा के ऩद ऩय र्ऴिंवानऴारूढ़ वॉने ऩय अऩने ऊऩय एक गॊयऱभम
एऱां गरुतय उत्तयदारोमत्व र्रमा वै।
- गॊवििंदफल्रब ऩांत
रैविंदी र्जऴ रॉदन याजबाळा स्वीकृ त की गई उऴी रॉदन ऴे ऴाया याजकाज रैविंदी भें
चर ऴकता था।
- सेठ गॊवििंददास
रैविंदी बाळी प्रदेल की जनता ऴे ऱॉट रेना ऒय उनकी बाळा तथा ऴारैवत्य कॉ
गार्रमाँ देना कछ नेताऑ ांका दैर्नक व्यऱऴाम वै।
- (डॉ.) याभविलास भाा
25
जफ एक फाय मव र्नश्चम कय र्रमा गमा रॊक ऴन् १९६५ ऴे ऴफ काभ रैविंदी भें
वॉगा, तफ उऴे अऱश्य कामाार॓ित कयना चारैवए।
- सेठ गॊवििंददास
ऴारैवत्यऴेऱा ऒय धभाऴाधना ऩमाामऱामी वै।
- (भ. भ.) सत्यनायामर् भाा
र्जऴका भन चावे ऱव रैविंदी बाळा ऴे वभाया दूय का ऴांफांध फतामे, भगय वभ
रॊफवायी तॉ रैविंदी कॉ वी अऩनी बाळा, भातृबाळा भानते आए वैं।
- भ िनांदन सहाम
उदूा का ढाँचा रैविंदी वै, रेरॊकन ऴत्तय ऩचवत्तय पीऴदी उधाय के लब्दों ऴे उदूा दाँ तक
तांग आ गए वैं।
- यारृल साांकृ त्यामन
भानऴ बऱन भें आमाजन र्जऴकी उतायें आयती। बगऱान बायतऱळा भें गूँजे
वभायी बायती।
- भैभथली यर् गुप्त
गद्य जीऱनऴांग्राभ की बाळा वै। इऴभें फरृत कामा कयना वै, ऴभम थॉडा वै।
- सूमाकाांत वत्रऩाठी र्नयारा
अांग्रेजी वभें गूँगा ऒय कू ऩभांडूक फना यवी वै।
- ब्रजबूषर् ऩाांडेम
राखों की ऴांख्या भें छात्रों की उऴ ऩरटन ऴे क्या राब र्जनभें अांग्रेजी भें एक
प्राथानाऩत्र र्रखने की बी क्षभता नवीं वै।
- कां क
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भैं याष्ट्र का प्रेभ, याष्ट्र के र्बन्न-र्बन्न रॉगों का प्रेभ ऒय याष्ट्रबाळा का प्रेभ,
इऴभें कछ बी पका नवीं देखता।
- य. या. हदिाकय
देऱनागयी र्ररॊऩ की ऱैज्ञार्नकता स्वमां र्ऴद्ध वै।
- भहािीय प्रसाद रद्विेदी
रैवभारम ऴे ऴतऩडा ऒय अांफारा ऴे ऩूरॎणिमा तक पै रा रृआ प्रदेल रैविंदी का
प्रकृ त प्राांत वै।
- यारृल साांकृ त्यामन
रॊकऴी याष्ट्र की याजबाळा ऱवी बाळा वॉ ऴकती वै र्जऴे उऴके अरोधकारोधक
र्नऱाऴी ऴभझ ऴके ।
- (आचामा) चतुयसेन ााी
ऴारैवत्य के इरोतवाऴ भें कार रॊऱबाजन के र्रए तत्कारीन प्रऱृरौत्तमों कॉ वी
भानना न्यामऴांगत वै।
- अांफाप्रसाद सुभन
रैविंदी बाळा वभाये र्रमे रॊकऴने फनामा? प्रकृ रोत ने। वभाये र्रमे रैविंदी प्रकृ रोतर्ऴद्ध
वै।
- ऩां. क्तगरयधय भाा
रैविंदी बाळा उऴ ऴभद्र जरयार्ल की तयव वै र्जऴभें अनेक नरॉदमाँ र्भरी वों।
- िासुदेि यर् अग्रिाल
बाळा देल की एकता का प्रधान ऴाधन वै।
- (आचामा) चतुयसेन ााी
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क्ाांतदली वॉने के कायण ऋरॊळ दमानांद ने देलॉन्नरोत के र्रमे रैविंदी बाळा कॉ
अऩनामा था।
- विष्णुदेि ऩोद्दाय
ऴच्चा याष्ट्रीम ऴारैवत्य याष्ट्रबाळा ऴे उत्पन्न वॉता वै।
- िाल्टय चेभनिंग
रैविंदी के ऩॊधे कॉ रैविंदू भऴरभान दॉनों ने ऴींचकय फडा रॊकमा वै।
- जरॄयफख्श
रॊकऴी रफ्ज के उदूा न वॉने ऴे भयाद वै रॊक उदूा भें रृरूप की कभी फेली ऴे ऱव
खयाद ऩय नवीं चढ़ा।
- सैमद इां ा अल्रा खाूँ
अांग्रेजी का ऩद रोचयिामी कयना देल के र्रमे रज्जा की फात वै
- सांऩूर्ाानांद
रैविंदी याष्ट्रबाळा वै, इऴर्रमे प्रत्येक व्यरौि कॉ, प्रत्येक बायतऱाऴी कॉ इऴे
ऴीखना चारैवए।
- यवि ांकय ुक्ल
रैविंदी प्राांतीम बाळा नवीं फरॕि ऱव अांत:प्राांतीम याष्ट्रीम बाळा वै।
- छविनाथ ऩाांडेम
ऴारैवत्य कॉ उच्च अऱिा ऩय रे जाना वी वभाया ऩयभ कताव्य वै।
- ऩािाती देिी
रॊऱश्व की कॉई बी र्ररॊऩ अऩने ऱताभान रूऩ भें नागयी र्ररॊऩ के ऴभान नवीं।
- चांद्रफली ऩाांडेम
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बाळा की एकता जारोत की एकता कॉ कामभ यखती वै।
- यारृल साांकृ त्यामन
र्जऴ याष्ट्र की जॉ बाळा वै उऴे वटाकय दूऴये देल की बाळा कॉ ऴायी जनता ऩय
नवीं थॉऩा जा ऴकता।
- िासुदेि यर् अग्रिाल
ऩयाधीनता की रॊऱजम ऴे स्वाधीनता की ऩयाजम ऴवस्रगना अच्छी वै।
- अज्ञात
ऴभाज के अबाऱ भें आदभी की आदर्भमत की कल्पना नवीं की जा ऴकती।
- ऩां. सुधाकय ऩाांडेम
तरऴी, कफीय, नानक ने जॉ र्रखा वै, उऴे भैं ऩढ़ता रॄँ तॉ कॉई भर॓िर नवीं
आती।
- भोलाना भुहम्मद अली
बाळा का र्नभााण ऴेक्े टरैयमट भें नवीं वॉता, बाळा गढ़ी जाती वै जनता की र्जह्वा
ऩय।
- याभिृि फेनीऩुयी
रैविंदी बाळी वी एक ऐऴी बाळा वै जॉ ऴबी प्राांतों की बाळा वॉ ऴकती वै।
- ऩां. कृ . यांगनाथ वऩल्रमाय
जफ वभ रैविंदी की चचाा कयते वैं तॉ ऱव रैविंदी ऴांस्कृ रोत का एक प्रतीक वॉती वै।
- ाांतानांद नाथ
बायतीम धभा की वै घॉळणा घभांड बयी, रैविंदी नवीं जाने उऴे रैविंदू नवीं जार्नए।
- नाथूयाभ ांकय भाा
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याजनीरोत के रोचिंताऩूणा आऱेग भें ऴारैवत्य की प्रेयणा र्लरौथर नवीं वॉनी चारैवए।
- याजकु भाय िभाा
रैविंदी भें जॉ गण वै उनभें ऴे एक मव वै रॊक रैविंदी भदाानी जफान वै।
- सुनीवत कु भाय चाटुज्याा
स्पधाा वी जीऱन वै, उऴभें ऩीछे यवना जीऱन की प्रगरोत खॉना वै।
- भनयाला
करॊऱता वभाये ऩरैयऩूणा क्षणों की ऱाणी वै।
- सुभभत्रानांदन ऩांत
रॊफना भातृबाळा की उन्नरोत के देल का गॊयऱ कदारॊऩ ऱृरॎद्ध कॉ प्राि नवीं वॉ
ऴकता।
- गॊवििंद ााी दुगिेकय
उदूा र्ररॊऩ की अनऩमॉरौगता, भ्राभकता ऒय कठॉयता प्रभारॎणत वॉ चकी वै।
- याभयर्विजम भसिंह
याष्ट्रबाळा याष्ट्रीमता का भख्य अांल वै।
- श्रीभती सो. क्तच. यभर्म्मा देि
फानी रैविंदी बाळन की भवयानी, चांद्र, ऴूय, तरऴी ऴे जाभें बए ऴकरॊऱ राऴानी।
- ऩां. जगन्नाथ चतुिेदी
जम जम याष्ट्रबाळा जनर्न। जमरोत जम जम गण उजागय याष्ट्रभांगरकयर्न।
- देिी प्रसाद गुप्त
रैविंदी वभायी रैविंदू ऴांस्कृ रोत की ऱाणी वी तॉ वै।
- ाांतानांद नाथ
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आज का रेखक रॊऱचायों ऒय बाऱों के इरोतवाऴ की ऱव कडी वै र्जऴके ऩीछे
लतारॐब्दमों की करैडमाँ जडी वै।
- भाखनलाल चतुिेदी
रॊऱज्ञान के फरृत ऴे अांगों का भूर वभाये ऩयातन ऴारैवत्य भें र्नरैवत वै।
- सूमानायामर् व्यास
कॉई कॊभ अऩनी जफान के फगैय अच्छी तारीभ नवीं वार्ऴर कय ऴकती।
- सैमद अभीय अली भीय
रैविंदी ऒय उदूा भें झगडने की फात वी नवीं वै।
- ब्रजनांदन सहाम
करॊऱता रेदम की भि दला का लारॐब्दक रॊऱधान वै।
- याभचांद्र ुक्ल
वभायी याष्ट्रबाळा का भख्य उद्देश्य याष्ट्रीमता का रॅढ़ र्नभााण वै।
- चांद्रफली ऩाांडेम
र्जऴ र्लक्षा ऴे स्वार्बभान की ऱृरौत्त जाग्रत नवीं वॉती ऱव र्लक्षा रॊकऴी काभ की
नवीं।
- भाधियाि सप्रे
कारॉऩमॉगी कामा न कय ऴकने ऩय भवाऩरुळ फन ऴकना ऴांबऱ नवीं वै।
- सू. च. धय
भैं दर्नमा की ऴफ बाळाऑ ांकी इज्जत कयता रॄँ, ऩयन्त भेये देल भें रैविंदी की
इज्जत न वॉ, मव भैं नवीं ऴव ऴकता।
- विनॊफा बािे
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आज का आरॊऱष्काय कर का ऴारैवत्य वै।
- भाखनलाल चतुिेदी
बाळा के ऴऱार भें भजवफ कॉ दखर देने का कॉई वक नवीं।
- यारृल साांकृ त्यामन
रैविंदी रॊऱश्व की भवान बाळा वै।
- यारृल साांकृ त्यामन
याष्ट्रीम एकता के र्रमे एक बाळा ऴे कवीं फढ़कय आऱश्यक एक र्ररॊऩ का
प्रचाय वॉना वै।
- ब्रजनांदन सहाम
जॉ ज्ञान तभने ऴांऩारॉदत रॊकमा वै उऴे रॊऱतरैयत कयते यवॉ ऑय ऴफकॉ ज्ञानऱान
फनाकय छॉडॉ।
- सांत याभदास
ऩाँच भत उधय ऒय ऩाँच भत इधय यवने ऴे िेष्ठता नवीं आती।
- भाखनलाल चतुिेदी
भैं भानती रॄँ रॊक रैविंदी प्रचाय ऴे याष्ट्र का ऐक्य र्जतना फढ़ ऴकता वै ऱैऴा फरृत
कभ चीजों ऴे फढ़ ऴके गा।
- लीलािती भुां ी
रैविंदी उदूा के नाभ कॉ दूय कीर्जए एक बाळा फनाइए। ऴफकॉ इऴके र्रए तैमाय
कीर्जए।
- देिी प्रसाद गुप्त
ऴारैवत्यकाय रॊऱश्वकभाा की अऩेक्षा कवीं अरोधक ऴाभर्थ्ालारी वै।
- ऩां. िागीश्वय जी
32
रैविंदी बाळा ऒय रैविंदी ऴारैवत्य कॉ ऴऱाांगऴांदय फनाना वभाया कत्ताव्य वै।
- डॉ. याजेंद्रप्रसाद
रैविंदी ऴारैवत्य की नकर ऩय कॉई ऴारैवत्य तैमाय नवीं वॉता।
- सूमा काांत वत्रऩाठी र्नयारा
बाळा के उत्थान भें एक बाळा का वॉना आऱश्यक वै। इऴर्रमे रैविंदी ऴफकी
ऴाझा बाळा वै।
- ऩां. कृ . यांगनाथ वऩल्रमाय
मरॉद स्वदेलार्बभान ऴीखना वै तॉ भछरी ऴे जॉ स्वदेल (ऩानी) के र्रमे तडऩ
तडऩ कय जान दे देती वै।
- सुबाषचांद्र फसु
रॊऩछरी लतारॐब्दमों भें ऴांऴाय भें जॉ याजनीरोतक क्ाांरोतमाँ रृई, प्राम: उनका
ऴूत्रऴांचारन उऴ देल के ऴारैवत्यकायों ने रॊकमा वै।
- ऩां. िागीश्वय जी
रॊऱजमी याष्ट्रऱाद अऩने आऩकॉ दूऴये देलों का लॉळण कय जीरॊऱत यखना चावता
वै।
- फी. सी. जॊ ी
रैविंदी वभाये देल ऒय बाळा की प्रबाऱलारी रॊऱयाऴत वै।
- भाखनलाल चतुिेदी
मरॉद र्ररॊऩ का फखेडा वट जामे तॉ रैविंदी उदूा भें कॉई रॊऱऱाद वी न यवे।
- फृजनांदन सहाम
बायत ऴयस्वती का भख ऴांस्कृ त वै।
- भ. भ. याभािताय भाा
33
ऴाधायण कथा कवार्नमों तथा फारॉऩमॉगी करॊऱता भें ऴांस्कृ त के ऴाभार्ऴक
लब्द राने ऴे उनके भूर उद्देश्य की ऴपरता भें फाधा ऩडती वै।
- यघुियप्रसाद रद्विेदी
मरॉद आऩ भझे कछ देना चावती वों तॉ इऴ ऩाठलारा की र्लक्षा का भाध्यभ
वभायी भातृबाळा कय दें।
- एक फ्ाांसीसी फाभलका
र्नभार चरैयत्र वी भनष्य का रॆांगाय वै।
- ऩांरडत सुधाकय ऩाांडेम
रैविंदस्तान कॉ छॉडकय दूऴये भध्य देलों भें ऐऴा कॉई अन्य देल नवीं वै, जवाँ कॉई
याष्ट्रबाळा नवीं वॉ।
- सैमद अभीय अली भीय
इरोतवाऴ भें जॉ ऴत्य वै ऱवी अच्छा वै ऒय जॉ अऴत्य वै ऱवी फया वै।
- जमचांद्र विद्यालांकाय
ऴयरता, फॉधगम्यता ऒय लैरी की रॅरॏष्ट ऴे रॊऱश्व की बाळाऑ ांभें रैविंदी
भवानतभ िान यखती वै।
- अभयनाथ झा
रैविंदी ऴयर बाळा वै। इऴे अनामाऴ ऴीखकय रॉग अऩना काभ र्नकार रेते वैं।
- जगन्नाथ प्रसाद चतुिेदी
एक बाळा का प्रचाय यवने ऩय के ऱर इऴी के ऴवाये, मरॉद र्ररॊऩगत र्बन्नता न
वॉ तॉ, अन्यान्य याष्ट्र गठन के उऩकयण आ जाने ऴांबऱ वॉ ऴकते वैं।
- अमॊध्याप्रसाद िभाा
34
रॊकऴी बाळा की उन्नरोत का ऩता उऴभें प्रकार्लत रृई ऩस्तकों की ऴांख्या तथा
उनके रॊऱळम के भवत्व ऴे जाना जा ऴकता वै।
- गांगाप्रसाद अत्यिहॊत्री
जीऱन के छॉटे ऴे छॉटे क्षेत्र भें रैविंदी अऩना दारोमत्व र्नबाने भें ऴभथा वै।
- ऩुरुषॊत्तभदास टांडन
रॊफवाय भें ऐऴा एक बी गाँऱ नवीं वै जवाँ के ऱर याभामण ऩढ़ने के र्रमे दऴ-
फीऴ भनष्यों ने रैविंदी न ऴीखी वॉ।
- सकलनायामर् ऩाांडेम
ऴांस्कृ त की इलाअत (प्रचाय) का एक फडा पामदा मव वॉगा रॊक वभायी भिी
जफान (देलबाळा) ऱऴीअ (व्याऩक) वॉ जामगी।
- भोलिी भहभूद अली
ऴांऴाय भें देल के नाभ ऴे बाळा कॉ नाभ रॉदमा जाता वै ऒय ऱवी बाळा ऱवाँ की
याष्ट्रबाळा कवराती वै। - तायाचांद्र दूफे
ऴऱाऴाधायण ऩय र्जतना ऩद्य का प्रबाऱ ऩडता वै उतना गद्य का नवीं।
- याजा कृ त्यानांद भसिंह
जॉ गण ऴारैवत्य की जीऱनी लरौि के प्रधान ऴवामक वॉते वैं उनभें रेखकों की
रॊऱचायलीरता प्रधान वै।
- नयॊत्तभ व्यास
बाळा ऒय बाऱ का ऩरैयऱतान ऴभाज की अऱिा ऒय आचाय रॊऱचाय ऴे अरोधक
ऴांफांध यखता वै।
- फदयीनाथ बट्ट
35
ऴारैवत्य ऩढ़ने ऴे भख्य दॉ फातें तॉ अऱश्य प्राि वॉती वैं, अथाात् भन की लरौिमों
कॉ रॊऱकाऴ ऒय ज्ञान ऩाने की रारऴा।
- वफहायीलाल चोफे
देऱनागयी ऒय फांगरा र्ररॊऩमों कॉ ऴाथ र्भराकय देखना वै।
- भन्नन रद्विेदी
वै बव्य बायत वी वभायी भातृबूर्भ वयी बयी। रैविंदी वभायी याष्ट्रबाळा ऒय र्ररॊऩ वै
नागयी।
- भैभथली यर् गुप्त
ऴांस्कृ त की रॊऱयाऴत रैविंदी कॉ तॉ जन्म ऴे वी र्भरी वै।
- यारृल साांकृ त्यामन
कै ऴे र्नज ऴॉमे बाग कॉ कॉई ऴकता वै जगा, जॉ र्नज बाळा-अनयाग का
अांकय नरैविं उय भें उगा।
- हरयऔध
रैविंदी भें वभ र्रखें ऩढ़ें, रैविंदी वी फॉरें।
- ऩां. जगन्नाथप्रसाद चतुिेदी
र्जऴ ऱस्त की उऩज अरोधक वॉती वै उऴभें ऴे फरृत ऴा बाग पें क बी रॉदमा जाता
वै। ग्रांथों के र्रमे बी ऐऴा वी रैवऴाफ वै।
- क्तगयजाकु भाय घॊष
मव जॉ वै कयफान खदा का, रैविंदी कये फमान ऴदा का।
- अज्ञात
36
क्या ऴांऴाय भें कवीं का बी आऩ एक रॅष्टाांत उद्धृत कय ऴकते वैं जवाँ फारकों
की र्लक्षा रॊऱदेली बाळाऑ ांिाया वॉती वॉ।
- डॉ. श्याभसुांदय दास
फँगरा ऱणाभारा की जाँच ऴे भारूभ वॉता वै रॊक देऱनागयी र्ररॊऩ ऴे र्नकरी वै
ऒय इऴी का ऴीधा ऴादा रूऩ वै।
- यभे चांद्र दत्त
ऱास्तऱ भें ऱेल, बाळा आरॉद के फदरने का ऩरैयणाभ मव वॉता वै रॊक आत्मगॊयऱ
नष्ट वॉ जाता वै, र्जऴऴे देल का जारोतत्व गण र्भट जाता वै।
- सैमद अभीय अली भीय
दूऴयों की फॉरी की नकर कयना बाळा के फदरने का एक कायण वै।
- क्तगयींद्रभॊहन भभत्र
ऴभारॉचना वी ऴारैवत्य भागा की ऴांदय ऴडक वै।
- भ. भ. क्तगयधय भाा चतुिेदी
नागयी ऱणाभारा के ऴभान ऴऱाांगऩूणा ऒय ऱैज्ञार्नक कॉई दूऴयी ऱणाभारा
नवीं वै।
- फाफू याि विष्णु ऩयाड़कय
अन्य देल की बाळा ने वभाये देल के आचाय व्यऱवाय ऩय कै ऴा फया प्रबाऱ डारा
वै।
- अनाहदधन िांद्यॊऩाध्याम
व्याकयण चावे र्जतना रॊऱलार फने ऩयांत बाळा का ऩूया-ऩूया ऴभाधान उऴभें
नवीं वॉ ऴकता।
- अनांतयाभ वत्रऩाठी
37
स्वदेलप्रेभ, स्वधभाबरौि ऒय स्वाऱरांफन आरॉद ऐऴे गण वैं जॉ प्रत्येक भनष्य भें
वॉने चारैवए।
- याभजी लाल भाा
गणऱान खानखाना ऴरॅल प्रेभी वॉ गए यऴखान ऒय यऴरीन ऴे रैविंदी प्रेभी वॉ
गए।
- याम देिीप्रसाद
ऱैज्ञार्नक रॊऱचायों के ऩारैयबारॊळक लब्दों के र्रमे, रॊकऴी रॊऱळम के उच्च बाऱों के
र्रमे, ऴांस्कृ त ऴारैवत्य की ऴवामता रेना कॉई लभा की फात नवीं वै।
- गर्ऩवत जानकीयाभ दूफे
रैविंदस्तान के र्रमे देऱनागयी र्ररॊऩ का वी व्यऱवाय वॉना चारैवए, यॉभन र्ररॊऩ
का व्यऱवाय मवाँ वॉ वी नवीं ऴकता।
- भहात्मा गाूँधी
अर्बभान ऴौंदमा का कटाक्ष वै।
- अज्ञात
करॊऱ का रेदम कॉभर वॉता वै।
- क्तगरयजाकु भाय घॊष
िी याभामण ऒय भवाबायत बायत के वी नवीं ऱयन् ऩृथ्वी बय के जैऴे अभूल्य
भवाकाव्य वैं।
- ैलजाकु भाय घॊष
रैविंदी रॊकऴी के र्भटाने ऴे र्भट नवीं ऴकती।
- चांद्रफली ऩाण्डेम
38
बाळा की उन्नरोत का ऩता भद्रणारमों ऴे बी रग ऴकता वै।
- गांगाप्रसाद अत्यिहॊत्री
ऩस्तक की उऩमॉरौगता कॉ रोचयिामी यखने के र्रए उऴे बाऱी ऴांतानों के र्रमे
ऩथप्रदलाक फनाने के र्रमे मव आऱश्यक वै रॊक ऩस्तक के अऴरी रेखक का
नाभ उऴ ऩय यवे।
- सत्यदेि ऩरयव्राजक
खडी फॉरी का एक रूऩाांतय उदूा वै।
- फदयीनाथ बट्ट
बायतऱळा भनष्य जारोत का गरु वै।
- विनमकु भाय सयकाय
वभायी बायत बायती की लैलऱाऱिा का रूऩ ब्राह्मी मा देऱऱाणी वै, उऴकी
रॊकलॉयाऱिा ऱैरॉदक बाळा ऒय ऴांस्कृ रोत उऴकी मॊऱनाऱिा की ऴांुदय
भनॉवय छटा वै।
- फदयीनायामर् चोधयी प्रेभधन
रेतांत्री की तान ऩय नीयऱ गान गाने ऴे न रॊकऴी के प्ररोत रॊकऴी की अनकम्पा
जगती वै ऒय न कॉई रॊकऴी का उऩकाय कयने ऩय वी उतारू वॉता वै।
- याभचांद्र ुक्ल
र्नज बाळा उन्नरोत अवै, ऴफ उन्नरोत कॉ भूर।
- बायतेंदू हरयिांद्र
आमों की ऴफऴे प्राचीन बाळा रैविंदी वी वै ऒय इऴभें तद्भऱ लब्द ऴबी बाळाऑ ां
ऴे अरोधक वै।
- िीम्स साहफ
39
क्यों न ऱव रॊपय यास्ते ऩय ठीक चरने ऴे रैडगे , वैं फरृत ऴे यॉग र्जऴके एक वी
रॉदर भें रगे।
- हरयऔध
जफ तक ऴारैवत्य की उन्नरोत न वॉगी, तफ तक ऴांगीत की उन्नरोत नवीं वॉ
ऴकती।
- विष्णु हदगांफय
जॉ ऩढ़ा-र्रखा नवीं वै - जॉ र्लर्क्षत नवीं वै ऱव रॊकऴी बी काभ कॉ बरी-बाँरोत
नवीं कय ऴकता।
- गॊऩाललाल खत्री
याष्ट्रबाळा के रॊफना याष्ट्र गूँगा वै।
- भहात्मा गाूँधी
र्जऴ प्रकाय फांगार बाळा के िाया फांगार भें एकता का ऩॊधा प्रपरक़ल्लत रृआ वै
उऴी प्रकाय रैविंदी बाळा के ऴाधायण बाळा वॉने ऴे ऴभस्त बायतऱार्ऴमों भें
एकता तरु की कर्रमाँ अऱश्य वी रॏखरेंगी।
- ायदाचयर् भभत्र
इरोतवाऴ स्वदेलार्बभान र्ऴखाने का ऴाधन वै।
- भहात्मा गाांधी
जॉ रॉदखा ऴके ऱवी दलान लास्त्र वै नवीं तॉ ऱव अांधलास्त्र वै।
- डॉ. बगिानादास
रॊऱदेली रॉगों का अनकयण न रॊकमा जाम।
- बीभसेन भाा
40
बायतऱळा के र्रमे देऱनागयी ऴाधायण र्ररॊऩ वॉ ऴकती वै ऒय रैविंदी बाळा वी
ऴऱाऴाधायण की बाळा वॉने के उऩमि वै।
- ायदाचयर् भभत्र
अकफय का लाांत याज्य वभायी बाळा का भानॉ स्वणाभम मग था।
- छॊटू लाल भभश्र
नाटक का र्जतना ऊँ चा दयजा वै, उऩन्याऴ उऴऴे ऴूत बय बी नीचे नवीं वै।
- गॊऩालदास गहभयी
रॊकऴी बी फृवत् कॉल भें ऴारैवत्य की ऴफ लाखाऑ ांके लब्द वॉने चारैवए।
- भहािीय प्रसाद रद्विेदी
जॉ कछ बी नजय आता वै ऱव जभीन ऒय आऴभान की गॉद भें उतना ऴांदय नवीं
र्जतना नजय भें वै।
- भनयाला
देऱ, जगदेऱ, देल जारोत की ऴखद प्यायी, जग भें गणगयी ऴनागयी वभायी वै।
- चकॊय
र्लक्षा का भख्य तात्पमा भानर्ऴक उन्नरोत वै।
- ऩां. याभनायामर् भभश्र
बायत के एक र्ऴये ऴे दूऴये र्ऴये तक रैविंदी बाळा कछ न कछ ऴऱात्र ऴभझी जाती
वै।
- ऩां. कृ . यांगनाथ वऩल्रमाय
जाऩार्नमों ने र्जऴ ढांग ऴे रॊऱदेली बाळाएँ ऴीखकय अऩनी भातृबाळा कॉ उन्नरोत
के र्लखय ऩय ऩरृँचामा वै उऴी प्रकाय वभें बी भातृबाळा का बि वॉना चारैवए।
- श्याभसुांदय दास
41
रॊऱचायों का ऩरैयऩक्व वॉना बी उऴी ऴभम ऴांबऱ वॉता वै, जफ र्लक्षा का भाध्यभ
प्रकृ रोतर्ऴद्ध भातृबाळा वॉ।
- ऩां. क्तगयधय भाा
रॊऱज्ञान कॉ रॊऱज्ञान तबी कव ऴकते वैं जफ ऱव लयीय, भन ऒय आत्मा की बूख
र्भटाने की ऩूयी ताकत यखता वॉ।
- भहात्मा गाांधी
मव भवात्मा गाँधी का प्रताऩ वै, र्जनकी भातृबाळा गजयाती वै ऩय रैविंदी कॉ
याष्ट्रबाळा जानकय जॉ उऴे अऩने प्रेभ ऴे ऴींच यवे वैं।
- लक्ष्मर् नायामर् गदे
रैविंदी बाळा के र्रमे भेया प्रेभ ऴफ रैविंदी प्रेभी जानते वैं।
- भहात्मा गाांधी
ऴफ रॊऱळमों के गण-दॉळ ऴफकी रॅरॏष्ट भें झटऩट तॉ नवीं आ जाते।
- भ. भ. क्तगरयधय भाा चतुिेदी
रॊकऴी देल भें ग्रांथ फनने तक ऱैदेर्लक बाळा भें र्लक्षा नवीं वॉती थी। देल
बाळाऑ ांभें र्लक्षा वॉने के कायण स्वमां ग्रांथ फनते गए वैं।
- साहहत्याचामा याभािताय भाा
जॉ बाळा ऴाभरोमक दूऴयी बाळाऑ ांऴे ऴवामता नवीं रेती ऱव फरृत कार तक
जीरॊऱत नवीं यव ऴकती।
- ऩाांडेम याभिताय भाा
नागयीप्रचारैयणी ऴबा के गण बायी र्जन तेयों देऱनागयी प्रचाय करैयदीनॉ वै।
- नाथूयाभ ांकय भाा
रॊऱदेली बाळा भें र्लक्षा वॉने के कायण वभायी फरॎद्ध बी रॊऱदेली वॉ गई वै।
- भाधियाि सप्रे
42
र्जतना ऒय जैऴा ज्ञान रॊऱद्यारौथिमों कॉ उनकी जन्मबाळा भें र्लक्षा देने ऴे
अल्पकार भें वॉ ऴकता वै; उतना ऒय ऱैऴा ऩयाई बाळा भें ऴदीघा कार भें बी
वॉना ऴांबऱ नवीं वै।
- घनश्याभ भसिंह
भैं भवायाष्ट्री रॄँ, ऩयांत रैविंदी के रॊऱळम भें भझे उतना वी अर्बभान वै र्जतना
रॊकऴी रैविंदी बाळी कॉ वॉ ऴकता वै।
- भाधियाि सप्रे
भनष्य ऴदा अऩनी भातृबाळा भें वी रॊऱचाय कयता वै। इऴर्रमे अऩनी बाळा
ऴीखने भें जॉ ऴगभता वॉती वै दूऴयी बाळा भें वभकॉ ऱव ऴगभता नवीं वॉ
ऴकती।
- डॉ. भुकु न्दस्वरूऩ िभाा
रैविंदी बाळा का प्रश्न स्वयाज्य का प्रश्न वै।
- भहात्मा गाांधी
याष्ट्रीमता का बाळा ऒय ऴारैवत्य के ऴाथ फरृत वी घर्नष्ट ऒय गवया ऴांफांध
वै।
- डॉ. याजेन्द्र प्रसाद
मरॉद वभ अांग्रेजी दूऴयी बाळा के ऴभान ऩढ़ें तॉ वभाये ज्ञान की अरोधक ऱृरॎद्ध वॉ
ऴकती वै।
- जगन्नाथप्रसाद चतुिेदी
स्वतांत्रता की कॉख ऴे वी आरॉचना का जन्म वै।
- भॊहनलाल भहतॊ विमॊगी
रैविंदी ऩय ना भायॉ ताना, ऴबा फताऱे रैविंदी भाना।
- नूय भुहम्मद
43
आऩ र्जऴ तयव फॉरते वैं, फातचीत कयते वैं, उऴी तयव र्रखा बी कीर्जए। बाळा
फनाऱटी न वॉनी चारैवए।
- भहािीय प्रसाद रद्विेदी
रैविंदी बाळा की उन्नरोत के रॊफना वभायी उन्नरोत अऴम्भऱ वै।
- क्तगयधय भाा
बाळा वी याष्ट्र का जीऱन वै।
- ऩुरुषॊत्तभदास टांडन
देव प्राण का ज्यों घर्नष्ट ऴांफांध अरोधकतय। वै रोतऴऴे बी अरोधक देलबाळा का
गरुतय।
- भाधि ुक्ल
जफ वभ अऩना जीऱन जननी रैविंदी, भातृबाळा रैविंदी के र्रमे ऴभऩाण कय दें तफ
वभ रैविंदी के प्रेभी कवे जा ऴकते वैं।
- गॊविन्ददास
नागयी प्रचाय देल उन्नरोत का िाय वै।
- गॊऩाललाल खत्री
देल तथा जारोत का उऩकाय उऴके फारक तबी कय ऴकते वैं, जफ उन्हें उनकी
बाळा िाया र्लक्षा र्भरी वॉ।
- ऩां. क्तगयधय भाा
याष्ट्रबाळा की ऴाधना कॉयी बाऱकता नवीं वै।
- जगन्नाथप्रसाद भभश्र
44
ऴारैवत्य कॉ स्वैय ऴांचा कयने की इजाजत न रॊकऴी मग भें यवी वॉगी न ऱताभान
मग भें र्भर ऴकती वै।
- भाखनलाल चतुिेदी
अांग्रेजी ऴीखकय र्जन्होंने रॊऱर्लष्टता प्राि की वै, ऴऱाऴाधायण के ऴाथ उनके
भत का भेर नवीं वॉता। वभाये देल भें ऴफऴे फढ़कय जारोतबेद ऱवी वै, िेरॎणमों भें
ऩयस्पय अस्पृश्यता इऴी का नाभ वै।
- यिीन्द्रनाथ ठाकु य
ऴारैवत्य की ऴेऱा बगऱान का कामा वै, आऩ काभ भें रग जाइए आऩकॉ
बगऱान की ऴवामता प्राि वॉगी ऒय आऩके भनॉयथ ऩरैयऩूणा वोंगे।
- चांद्र ेखय भभश्र
ऴफ ऴे जीरॊऱत यचना ऱव वै र्जऴे ऩढ़ने ऴे प्रतीत वॉ रॊक रेखक ने अांतय ऴे ऴफ
कछ पू र ऴा प्रस्फरैटत रॊकमा वै।
- यच्चांद
र्ऴक्ख गरुऑ ांने आऩातकार भें रैविंदी की यक्षा के र्रमे वी गरुभखी यची थी।
- सांतयाभ भाा
रैविंदी जैऴी ऴयर बाळा दूऴयी नवीं वै।
- भोलाना हसयत भॊहानी
ऐऴे आदभी आज बी वभाये देल भें भॊजूद वैं जॉ ऴभझते वैं रॊक र्लक्षा कॉ
भातृबाळा के आऴन ऩय रॊफठा देने ऴे उऴकी कीभत वी घट जामेगी।
- यिीन्द्रनाथ ठाकु य
रॉकॉऩकायी रॊऱळमों कॉ आदय देने ऱारी नऱीन प्रथा का रॕिय वॉ जाना वी एक
फरृत फडा उत्सावप्रद कामा वै।
- भभश्रफांधु
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राजभाषा हिन्दी पर महान व्यक्तियों की सूक्तियां

  • 1. 1
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  • 3. 3 याजबाळा रैवन्दी ऩय भवान व्यरौिमों की ऴूरौिमाां संकलनकर्ता विजय कुमतर रतत्रे मे सूक्तिमाां मा कथन विभबन्न भहाऩुरूषों एिां फुद्धिजीविमों द्वाया उिरयत विचायों का सांकलन हैं। स्वप्रकालन भांफई-49
  • 4. 4 आऱयण एऱां कां प्यूटय कां ऩॉर्िगः सांकलकनकताा द्वाया। भद्रणः गूगल ऩय उऩलब्ध भुफ्त ऩब्लिभ िंग टू ल्स के सहमॊग से सांकलकनकताा द्वाया। प्रकालकः विजम कु भाय यात्रे, ग्राभॊदम, गुलभॊहय क्रॉस भागा सां. 6, जेिीऩीडी जुरॄ, भुांफई-49, भॊ. +91-730555447 ऴांस्कयणः प्रथभ, 2020 ©ऴऱाारोधकायः सकलनकताा की अनुभवत के फगैय इस सांकलन की वकसी बी अथिा सांऩूर्ा साभग्री का उऩमॊग आिश्यकता के अनुसाय की जा सकती हैं, फ ते वक ऐसा कॊई बी उऩमॊग याजबाषा हहन्दी प्रगाभी प्रमॊग एिां हहन्दी बाषा के विकास एिां उत्थान के भलए वकमा जा यहा हॊ। इस सांकलन की साभग्री अथाात सूक्तिमों भें वकसी बी प्रकाय का पे य-फदल अथिा जॊड़- तॊड़ नहीं वकमा जाना चाहहए, क्योंवक मे सूक्तिमाां मा कथन विभबन्न भहाऩुरूषों एिां फुद्धिजीविमों द्वाया उिरयत विचायों का सांकलन हैं। इनका उऩमॊग मथानुसाय, जैसा औय द्धजस रूऩ भें उल्लल्रखखत है, िैसा ही वकमा जाना चाहहए। सांकलनकताा के ऩास इन सूक्तिमों का कॊई बी सिााक्तधकाय सुयभित नहीं हैं, तथा मे के िल याजबाषा हहन्दी के कामाालमीन ि दैभनक उऩमॊग कॊ सुगभ फनाने के प्रमॊजन से सांकभलत की गई हैं।
  • 5. 5 ऴभरॊऩित भुझे याजबाषा हहिंदी की सेिा कयने के भलए प्रेरयत कयने िाले भेये भभत्रों, सांफांक्तधमों औय सहकभभिमों कॊ मह सांकलन सभवऩित कयता रॄूँ, द्धजन्हें भैं भज़ाक भज़ाक भें ‘वफना लाठी के बैंस चयाने िाले ’’ की सांज्ञा देता रॄूँ, जॊ विगत कई द कों से याजबाषा हहिंदी की अनियत सेिा कय यहें हैं, िह बी वफना वकसी वि ेष ऩारयतॊवषक, प्राक्तधकाय अथिा वफना वकसी ऩहचान के ।    
  • 6. 6 रैविंदी: मव क्या वै, इऴका इरोतवाऴ क्या वै ऒय मव कवाां ऴे आई वै? हहिंदी बायत की ऩहली बाषा है। मह दुभनमा की चोथी सफसे व्याऩक फॊली जाने िाली बाषा है, 250 भभभलमन से अक्तधक लॊग इसे अऩनी ऩहली बाषा के रूऩ भें फॊलते हैं। उत्तयी बायत की मह एक बायतीम बाषा हैं द्धजसे सांस्कृ त से भलमा गमा औय देिनागयी भलवऩ भें भलखी गई। महद आऩ बायत के वकसी बी याज्य भें मात्रा कय यहे हैं औय महद आऩ हहिंदी जानते हैं तॊ कॊई इ ू नहीं है। क्योंवक हहिंदी दूसयी बाषा जैसे गुजयाती, भयाठी, तेलुगू जैसी बाषा है। हहिंदी भनभित रूऩ से एक बाषा है औय क्योंवक मह कई अन्य बाषाओां जैसे उदूा, ऩभ िमन से प्रबावित है इसका भतलफ मह नहीं है वक मह एक बाषा नहीं हॊ सकती है। आधुभनक सटैंडडा हहिंदी, हहिंदुस्तान बाषा का भानकीकृ त औय सांस्कृ तकृ त यद्धजस्टय है। हहिंदी एक इांडॊ-जभाभनक मा इांडॊ-मूयॊऩीम बाषा है। मह सांस्कृ त से भनकली है औय इसे न्यू इांडॊ-आमान उऩसभूह का हहस्सा भाना जाता है। हालाांवक, इसकी ब्दािली पायसी, अयफी, तुकी, ऩुतागाली औय अांग्रेजी सभेत कई अन्य बाषाओां से प्रबावित हैं। अांग्रेजी बाषा के साथ, देिनागयी भलवऩ भें भलखी गई हहिंदी बायत सयकाय की आक्तधकारयक बाषा है। मह बायत गर्याज्य की 22 अनुसूक्तचत बाषाओां भें से एक है। हालाांवक, मह बायत की याष्ट्रीम बाषा नहीं है क्योंवक इसे बायतीम सांविधान भें भनधाारयत नहीं वकमा गमा था। बायत के फाहय, मह एक आक्तधकारयक बाषा है द्धजसे वपजी भें वपजी हहिंदी के नाभ से जाना जाता है, औय भॉयी स, वत्रभनदाद औय टॊफैगॊ, गुमाना औय सूयीनाभ भें एक भान्यता प्राप्त िेत्रीम बाषा है।
  • 7. 7 व्यक्तिगत रूऩ से, बाषा के विविधता के रूऩ भें, हहिंदी, भांदारयन, स्पेभन औय अांग्रेजी के फाद दुभनमा की चोथी सफसे ज्यादा फॊली जाने िाली बाषा है। हहिंदुस्तान के रूऩ भें उदूा के साथ, मह भांदारयन औय अांग्रेजी के फाद दुभनमा की तीसयी सफसे फॊली जाने िाली बाषा है। अन्य बायतीम-आमा बाषाओां की तयह, हहिंदी कॊ सोयसानी प्राकृ त औय सोयसानी अऩभ्रां के भाध्यभ से सांस्कृ त के प्रायांभबक रूऩ का प्रत्यि िां ज भाना जाती है। मह 7 िीं ताब्दी ईस्वी भें द्रविड़ बाषा, तुवकि क बाषाओां, पायसी, अयफी, ऩुतागाली औय अांग्रेजी हहिंदी से प्रबावित रृई है, अऩहयर् (सांस्कृ त: अऩभ्रां , भ्रष्टाचाय मा भ्रष्ट बाषर्), प्रकृ वत की स्थानीम बाषा, सटैंडडा हहिंदी ऩय आधारयत है। उदूा ने – हहिंदुस्तानी का एक औय रूऩ – फाद भें भुगल काल (1800 के द क) भें बाषा की प्रवतष्ठा हाभसल की, औय इसऩय भहत्वऩूर्ा पायसी प्रबाि ऩड़ा। 19 िीं ताब्दी के उत्तयाधा भें, उदूा से अलग हहिंदुस्तान की एक सटैन्डडा बाषा के रूऩ भें हहिंदी कॊ विकभसत कयने के भलए एक आांदॊलन फना। 1881 भें, वफहाय ने उदूा की जगह, हहिंदी कॊ अऩनी एकभात्र आक्तधकारयक बाषा के रूऩ भें स्वीकाय वकमा, औय इस प्रकाय हहिंदी कॊ अऩनाने के भलए बायत का ऩहला याज्य फन गमा। रैविंदी ऒय अन्य बाळाएँ : मूनानी, ऩॊभल , इतालिी मा डच की तयह, हहिंदी बायत-मूयॊऩीम (द्धजसे इांडॊ- जभाभनक बी कहा जाता है) बाषा ऩरयिाय का हहस्सा है। इसका भतलफ मह है वक हहिंदी बायत के दभिर् भें फॊली जाने िाली बाषाओां की तुलना भें डच से अक्तधक भनकटता से सांफांक्तधत है, जैसे तभभल औय तेलुगु। फाद भें मह एक अलग ाखा, अथाातौ द्रविड़ बाषा ऩरयिाय से सांफांक्तधत है। अक्तधक वि ेष रूऩ से, हहिंदी एक बायतीम-आमा बाषा है (औय ईयानी बाषाओां के साथ- साथ बायत-आमा बाषाएां बायत-ईयानी ाखा फनाती हैं)। जैसे आधुभनक इतालिी लैरटन से भलमा गमा है, हहिंदी व्याकयद्धर्क रूऩ से सांस्कृ त से उऩजी है।
  • 8. 8 सीधे सांस्कृ त ब्दािली से व्युत्पन्न ब्दों के अलािा, हहिंदी लेक्सिकन भें पायसी, अयफी औय अांग्रेजी से कापी ब्द इसभें है। हकीकत भें, “हहिंदी” िास्ति भें क्या हैं इसकी अलग-अलग व्याख्याएां हैं। व्याऩक व्याख्या के अनुसाय- “हहिंदी” सुयीनाभ, गुमाना, वत्रभनदाद, भॉयी स औय वपजी भें फॊली जाने िाली हहिंदी के रूऩों सहहत उत्तय बायत की फॊली भनयांतयता कॊ द ााती है।” “रैविंदी” ऱास्तऱ भें क्या वैं? एक सांभिप्त व्याख्या के अनुसाय, “हहिंदी” अऩेिाकृ त कभ पायसी औय अयफी ब्दों के साथ, आधुभनक हहिंदी, आधुभनक हदल्री के आसऩास औय आसऩास के िेत्र के हहिंदी (खायी फॊली, “प्रमुि बाषा” बी कहा जाता है) का प्रतीक है। उदूा, भुस्लिभ सवकि लों भें इस्तेभाल की जाने िाली बाषा हैं जॊ हहिंदी से रॅढ़ता से जुड़ी रृई है, द्धजसे हहिंदुओां द्वाया फॊला जाता है। मे दॊ बाषाएां एक आभ व्याकयर् औय बाषर् भें फरृत सायी ब्दािली कॊ मय कयते हैं। लेवकन मे दॊनों लेखन, अक्तधक विभ ष्ट ब्दािली औय सांस्कृ वत के भाभले भें अलग- अलग हैं। हहिंदी भाषा की जानकारी हहिंदी कॉ देवनागरी वर्णमाला में ललखा जाता है और इसमें संस्कृ त से शब्द आते है। देिनागयी एक अफाक्तगडा नाभक िर्ाभाला का एक रूऩ है, क्योंवक प्रत्येक व्यांजन भें एक भनहहत स्वय (ए) हॊता है, द्धजसे विभबन्न स्वय सांके तों के साथ फदला जा सकता है। अक्तधकाां स्वयों कॊ एक मा दॊ अन्य स्वयों भें ाभभल वकमा जा सकता है तावक अांतभनिहहत स्वय दफामा जा सके । ऩरयर्ाभी रूऩ कॊ एक अनुफन्ध कहा जाता है। देिनागयी कॊ फाएां से दाएां भलखा जाता है। देिनागयी भें अांग्रेजी जैसे कॊई के स बेद नहीं है, मानी कॊई लॊअय के स औय अप्ऩय लैटय नहीं है।
  • 9. 9 क्या आऩ जानते वैं? रैविंदी, याष्ट्रीम बाळा नवीं: बायत कॊ विविधता के भलए जाना जाता है, औय िास्तविक बायतीम पै न भें, दे भें फॊली जाने िाली बाषाओां की बीड़ पै ली रृई है। इस ऩरयरॅश्य भें, बायत के ऩास एक याष्ट्रीम बाषा है मा नहीं, इस फाये भें अिय भ्रभ हॊता है। गुजयात उच्च न्यामालम ने देखा है वक हालाांवक बायत के अक्तधकाां लॊगों ने हहिंदी कॊ याष्ट्रीम बाषा के रूऩ भें स्वीकाय कय भलमा है, लेवकन हहिंदी कॊ दे की याष्ट्रीम बाषा घॊवषत कयने के भलए कॊई प्रािधान मा आदे जायी नहीं वकमा गमा है। अदालत ने कहा, “आभ तोय ऩय, बायत भें, अक्तधकाां लॊगों ने हहिंदी कॊ याष्ट्रीम बाषा के रूऩ भें स्वीकाय कय भलमा है औय कई लॊग हहिंदी फॊलते हैं औय देिनागयी भलवऩ भें भलखते हैं लेवकन रयकॉडा कयने के भलए कु छ बी नहीं है वक हहिंदी कॊ याष्ट्रीम बाषा घॊवषत कयने के भलए कॊई प्रािधान जायी वकमा गमा है मा आदे जायी वकमा गमा है ताकी मह दे की एक याष्ट्रीम बाषा हॊ सके । ” हालाांवक, सांविधान भें, हहिंदी कॊ आक्तधकारयक बाषा घॊवषत वकमा गमा था, न वक याष्ट्रीम बाषा। देिनागयी भलवऩ भें भलखी जाने िाले साहहत्यत्यक हहिंदी, सांस्कृ त द्वाया रॅढ़ता से प्रबावित रृई है। इसका स्टैन्डडा रूऩ खायी फॊली ऩय आधारयत है, जॊ हदल्री के उत्तय औय ऩूिा भें ऩामा जाता है। ब्राज बाषा, जॊ 15 िीं से 19 िीं ताब्दी तक एक भहत्वऩूर्ा साहहत्यत्यक भाध्यभ था, कॊ अिय हहिंदी की फॊली के रूऩ भें भाना जाता है, जैसे अिधी, फागेली, बॊजऩुयी, फुांदेली, छत्तीसगढ़ी, गढ़िाली, हरयमार्ािी, कनोजी, कु भामुनी, भगही औय भायिाड़ी। हालाांवक, हहिंदी की इन तथाकभथत फॊली बाषाओां कॊ “हहिंदी िेत्र” मा “फेल्ट” की िेत्रीम बाषाओां के रूऩ भें अक्तधक सटीक रूऩ से िद्धर्ित वकमा गमा है, द्धजसका िेत्र भध्य प्रदे याज्य से लेकय उत्तय बायत तक था।
  • 10. 10 इस िेत्र के बीतय, स्टैन्डडा हहिंदी के सभान िेत्रीम बाषाओां की भात्रा कापी भबन्न हॊती है। हहिंदी फेल्ट की ऩूिोत्तय िेत्रीम बाषा भैभथली- स्टैन्डडा हहिंदी की तुलना भें फांगाली के भलए ऐवतहाभसक सभानता है। इसी प्रकाय, फेल्ट की ऩभिभीतभ याजस्थानी, कु छ भाभलों भें स्टैन्डडा हहिंदी से अक्तधक गुजयाती जैसी हदखती है। वपय बी, इन िेत्रीम बाषाओां के अक्तधकाां ििा खुद कॊ हहिंदी फॊली फॊलने के भलए भानते हैं। अन्य कायर्ों से, िे ध्यान देते हैं वक वब्ररट ासन के ुरुआती हदनों भें बाषाओां कॊ िगीकृ त कयने के प्रमास भें इन बाषाओां कॊ अांग्रेजों द्वाया हहिंदी के साथ सभूहीकृ त वकमा गमा था। इसके अलािा, हहिंदी (िेत्रीम बाषाओां भें से एक के फजाम) कॊ प्राथभभक-विद्यालम स्तय ऩय भनदे के भाध्यभ के रूऩ भें चुना गमा था। इस औऩभनिेभ क नीवत के ऩरयर्ाभस्वरूऩ फड़े हहस्से भें, हयी भध्यभ िगा के सदस्य औय ऩूये िेत्र भें भ भित ग्राभीर्ों का दािा हहिंदी फॊलने का दािा कयता है क्योंवक सािाजभनक िेत्र भें इन िेत्रीम बाषाओां मा फॊभलमों का उऩमॊग-जॊ ऩरयिाय के फाहय है औय कयीफी दॊस्तों- अऩमााप्त भ िा के सांके त के रूऩ भें भाना जाता है। दूसये ब्दों भें, इस िेत्र के लॊग हहिंदी कॊ ज्यादा भहत्व देते हैं िही दूसयी औय अांग्रेजी फॊलने िाले बायत के दभिर् भें भभलते है; दॊनों कॊ ऊऩय की साभाद्धजक गवत ीलता की बाषा भाना जाता है। इस प्रकाय, नई नोकरयमों, वििाहों औय इसी तयह की लॊगों के यॊजभयाा के सांचाय भें हहिंदी का उऩमॊग हॊता हैं। कई भाभलों भें, मुिा लॊगों भें अफ िेत्रीम बाषाओां का फरृत कभ ज्ञान फचा है। वि ेष रूऩ से 1950 के द क के फाद से, भास भीरडमा (येरडमॊ, टेलीविजन, औय वपल्मों) औय फढ़ती साियता के प्रसाय ने हहिंदी के दे ी ििाओां की सांख्या भें िृद्धि की है। भभसाल के तोय ऩय, जफ 1960 औय 1970 के द क भें वफहाय भें भैभथली ििाओां की एक अलग याज्य के गठन की भाांग की गई थी, तॊ ऩूिी वफहाय भें अांक्तगका की ऩहचान औय उत्तय-ऩभिभ वफहाय भें फजाद्धजका की ऩहचान के भलए एक प्रवतद्वांरद्वता थी। छत्तीसगढ़ के नए याज्यों(भध्य प्रदे भें एक फाय िेत्र से)औय उत्तयाांचल(उत्तय प्रदे के िेत्र से)फनाने के भलए सपल भाांग बाषाई से अक्तधक सभाज ााीम थी।
  • 11. 11 रैविंदी बाळी क्षेत्र: हहभाचल, हदल्री, हरयमार्ा, चांडीगढ़, उत्तय प्रदे , याजस्थान, भध्य प्रदे , वफहाय, ऩावकस्तान, फॉम्बे, हैदयाफाद। फैंगलॊय, भॉयी स, वपजी, गुमाना, सूयीनाभ, वत्रभनदाद, सांमुि अयफ अभीयात भें बी प्रमॊग वकमा जाता है। लब्दाऱरी अपगाभनस्तान, ईयान, तुकी, भध्य एभ मा औय अन्य जगहों ऩय भुस्लिभ आक्रभर्कारयमों के साथ खायी फॊली के ुरुआती ििाओां की फातचीत से आधुभनक हहिंदी विकभसत रृई। जैसे-जैसे नए आप्रिासी फस गए औय बायतीम साभाद्धजक भाहोल भें सभामॊद्धजत कयना ुरू कय हदमा, उनकी बाषाएां- जॊ अांततः खॊयी सभृि खाड़ी फॊली थीं। पायसी ब्दों भें से अक्तधकाां कॊ हहिंदी बाषा के रूऩ भें प्र ासन के भाभलों भें उऩमॊग वकमा जाता हैं, जैसे ‘पोजदायी,’ िजीय से ‘भांत्री, औय भुसाहहफ से कॊटा के सभान थे। ‘तका , पै सला औय गिाही जैसे ब्द कॊ ऩूयी तयह से अऩनामा गमा। ड्रेस औय वफस्तय (उदाहयर् के भलए, ऩजाभा, चाडॊय), व्यांजन (उदाहयर् के भलए, कॊभाा, कफाफ), सौंदमा प्रसाधन (उदाहयर् के भलए, सफुन ‘साफुन,’ हहना ‘हेन्ना’), पनीचय (उदाहयर् के भलए, कु सी ‘कु सी,’ भेज़ ‘टेफल’), भनभाार् (उदाहयर् के भलए, ‘दीिाय,’कु सी’), फड़ी सांख्या भें वि ेषर् औय उनके नाभभात्र डेरयिेरटि (उदाहयर् के भलए, अफाद ‘भनिास’ औय अफादी ‘आफादी’)। पायसी औय अयफी ब्दों कॊ उधाय लेने के दोयान, हहिंदी ने पॊनेभ कॊ बी उधाय भलमा। रैवन्दी का भानकीकयण: 1931 भें बाषाविद सुभभत कु भाय चटजी ने कलकत्ता )अफ कॊलकाता( भें एक अध्यमन वकमा द्धजसभें एक भलिंगुआ फ़्रैंका के उऩमॊग की जानकायी दी गई द्धजसे उन्होंने फाजाय हहिंदुस्तानी कहा। इसभें न्यूनतभ व्याकयद्धर्क रूऩ थे औय
  • 12. 12 एक सयल भूल ब्दािली थी जॊ मूयॊऩीम औय बायतीम दॊनों ने असभभमा, फांगाली, उरड़मा, तभभल औय हहिंदी जैसी बाषाओां की फात की थी। 21 िीं ताब्दी की ुरुआत भें, हहिंदुस्तानी एक फॊलने िाली फॊली जाने िाली बाषा के रूऩ भें जाने जाने िाली थी। बोगॊभलक स्थान के आधाय ऩय, हहिंदी औय सांस्कृ त से मा उदूा औय पायसी से फड़े ऩैभाने ऩय आकवषित हॊती है-कॊलकाता औय अन्य भहानगयीम बाषा के भलए भलिंगुआ फ़्रैंका फनी यही औय औद्यॊक्तगक हयों ने बायत के सबी हहस्सों से लॊगों कॊ आकवषित वकमा था। जैसे-जैसे हहिंदी सहदमों ऩहले ऐसी फरृबाषी स्लस्थवत भें ऩैदा रृई थी, इसभलए हयीिाद एक सभृि ब्दािली औय महाां तक वक अक्तधक लचीले िाक्य यचनात्मक के विकास कॊ फढ़ािा दे सकता है। सटैन्डडा हहिंदी ऩय दफाि न के िल गैय-हहिंदी फॊलने िालों से भहसूस वकमा जाता है, फब्लि उन हहिंदी बावषमों से बी भहसूस वकमा जाता है, द्धजन्होंने हाल ही भें अऩनी फॊली बाषाओां से सटैन्डडा हहिंदी कॊ फदल हदमा है। उन िेत्रीम बाषाओां के प्रबाि कॊ ऩूयी तयह सभाप्त कय हदमा है। ऐसे भाभलों भें, ध्वभन प्रर्ाली अिय एक िेत्रीम स्प ा फनाए यखती है; भभसाल के तोय ऩय, उत्तय प्रदे के ऩहाड़ी लॊग ‘ ’ की जगह ऩय ‘स’ का उऩमॊग कयते है। - विजम कु भाय यात्रे ___
  • 13. 13 याजबाळा रैवन्दी ऩय भवान व्यरौिमों की ऴूरौिमाां याष्ट्रबाळा के रॊफना आजादी फेकाय वै। - अिनींद्रकु भाय विद्यालांकाय रैविंदी का काभ देल का काभ वै, ऴभूचे याष्ट्रर्नभााण का प्रश्न वै। - फाफूयाभ सिेना ऴभस्त बायतीम बाळाऑ ांके र्रए मरॉद कॉई एक र्ररॊऩ आऱश्यक वॉ तॉ ऱव देऱनागयी वी वॉ ऴकती वै। - (जस्टस्टस) कृ ष्णस्वाभी अय्यय रैविंदी का ऩॊधा दर्क्षणऱारों ने त्याग ऴे ऴींचा वै। - ांकययाि कप्पीके यी अकफय ऴे रेकय ऒयांगजेफ तक भगरों ने र्जऴ देलबाळा का स्वागत रॊकमा ऱव ब्रजबाळा थी, न रॊक उदूा। -याभचांद्र ुक्ल याष्ट्रबाळा रैविंदी का रॊकऴी क्षेत्रीम बाळा ऴे कॉई ऴांघळा नवीं वै। - अनांत गॊऩाल ेिड़े दर्क्षण की रैविंदी रॊऱयॉधी नीरोत ऱास्तऱ भें दर्क्षण की नवीं, फरॕि कछ अांग्रेजी बिों की नीरोत वै। - के .सी. सायांगभठ रैविंदी वी बायत की याष्ट्रबाळा वॉ ऴकती वै। - िी. कृ ष्णस्वाभी अय्यय
  • 14. 14 याष्ट्रीम एकता की कडी रैविंदी वी जॉड ऴकती वै। - फालकृ ष्ण भाा निीन रॊऱदेली बाळा का रॊकऴी स्वतांत्र याष्ट्र के याजकाज ऒय र्लक्षा की बाळा वॉना ऴाांस्कृ रोतक दाऴता वै। - िाल्टय चेभनिंग रैविंदी कॉ तयांत र्लक्षा का भाध्यभ फनाइमे। - फेरयस कल्यएि अांग्रेजी र्ऴय ऩय ढॉना डूफ भयने के फयाफय वै। - सम्पूर्ाानांद एखन जतॉगर्र बाळा बायते प्रचर्रत आछे तावाय भध्ये बाळा ऴऱात्रइ प्रचर्रत। - के िचांद्र सेन देल कॉ एक ऴूत्र भें फाँधे यखने के र्रए एक बाळा की आऱश्यकता वै। - सेठ गॊवििंददास इऴ रॊऱलार प्रदेल के वय बाग भें र्लर्क्षत-अर्लर्क्षत, नागरैयक ऒय ग्राभीण ऴबी रैविंदी कॉ ऴभझते वैं। - यारृल साांकृ त्यामन ऴभस्त आमााऱता मा ठे ठ रैविंदस्तान की याष्ट्र तथा र्लष्ट बाळा रैविंदी मा रैविंदस्तानी वै। -सय जाजा क्तग्रमसान भरॖिभ लाऴन भें रैविंदी पायऴी के ऴाथ-ऴाथ चरती यवी ऩय कां ऩनी ऴयकाय ने एक ऑय पायऴी ऩय वाथ ऴाप रॊकमा तॉ दूऴयी ऑय रैविंदी ऩय। - चांद्रफली ऩाांडेम
  • 15. 15 बायत की ऩयांऩयागत याष्ट्रबाळा रैविंदी वै। - नभलनविलॊचन भाा जफ ऴे वभने अऩनी बाळा का ऴभादय कयना छॉडा तबी ऴे वभाया अऩभान ऒय अऱनरोत वॉने रगी। - (याजा) याक्तधकायभर् प्रसाद भसिंह मरॉद ऩक्षऩात की रॅरॏष्ट ऴे न देखा जामे तॉ उदूा बी रैविंदी का वी एक रूऩ वै। - भ िनांदन सहाम प्रत्येक नगय प्रत्येक भॉवल्ले भें ऒय प्रत्येक गाँऱ भें एक ऩस्तकारम वॉने की आऱश्यकता वै। - (याजा) कीत्याानांद भसिंह अऩनी ऴयरता के कायण रैविंदी प्रऱाऴी बाइमों की स्वत: याष्ट्रबाळा वॉ गई। - बिानीदमाल सांन्यासी मव कै ऴे ऴांबऱ वॉ ऴकता वै रॊक अांग्रेजी बाळा ऴभस्त बायत की भातृबाळा के ऴभान वॉ जामे? - चांद्र ेखय भभश्र ऴारैवत्य की उन्नरोत वेत ऴबाऑ ांऒय ऩस्तकारमों की अत्यांत आऱश्यकता वै। - भहाभहॊ. ऩां. सकलनायामर् भाा जॉ ऴारैवत्य के ऱर स्वप्नरॉक की ऑय रे जामे, ऱास्तरॊऱक जीऱन कॉ उऩकृ त कयने भें अऴभथा वॉ, ऱव र्नताांत भवत्ववीन वै। - (डॉ.) का ीप्रसाद जामसिाल बायतीम एकता के रक्ष्य का ऴाधन रैविंदी बाळा का प्रचाय वै। - टी. भाधियाि
  • 16. 16 रैविंदी रैविंद की, रैविंरॉदमों की बाळा वै। - य. या. हदिाकय मव ऴांदेव र्नभूार वै रॊक रैविंदीऱारे उदूा का नाल चावते वैं। - याजेन्द्र प्रसाद उदूा जफान ब्रजबाळा ऴे र्नकरी वै। - भुहम्मद रृसैन आजाद ऴभाज ऒय याष्ट्र की बाऱनाऑ ांकॉ ऩरैयभार्जित कयने ऱारा ऴारैवत्य वी ऴच्चा ऴारैवत्य वै। - जनादानप्रसाद झा रद्वज भजवफ कॉ मव भॊका न र्भरना चारैवए रॊक ऱव वभाये ऴारैवर॒त्यक, ऴाभार्जक, ऴबी क्षेत्रों भें टाँग अडाए। - यारृल साांकृ त्यामन र्लक्षा के प्रऴाय के र्रए नागयी र्ररॊऩ का ऴऱात्र प्रचाय आऱश्यक वै। - भ िप्रसाद भसतायेहहिंद वभायी रैविंदी बाळा का ऴारैवत्य रॊकऴी बी दूऴयी बायतीम बाळा ऴे रॊकऴी अांल ऴे कभ नवीं वै। - (यामफहादुय) याभयर्विजम भसिंह ऱवी बाळा जीरॊऱत ऒय जाग्रत यव ऴकती वै जॉ जनता का ठीक-ठीक प्ररोतर्नरोधत्व कय ऴके । - ऩीय भुहम्मद भूभनस बायतेंद ऒय रॉिऱेदी ने रैविंदी की जड ऩातार तक ऩरृांचा दी वै; उऴे उखाडने का जॉ दस्सावऴ कयेगा ऱव र्नश्चम वी बूकां ऩध्वस्त वॉगा। - भ िऩूजन सहाम
  • 17. 17 रैविंदी बाळा अऩनी अनेक धायाऑ ांके ऴाथ प्रलस्त क्षेत्र भें प्रखय गरोत ऴे प्रकार्लत वॉ यवी वै। - छविनाथ ऩाांडेम देऱनागयी ध्वर्नलास्त्र की रॅरॏष्ट ऴे अत्यांत ऱैज्ञार्नक र्ररॊऩ वै। - यवि ांकय ुक्ल वभायी नागयी दर्नमा की ऴफऴे अरोधक ऱैज्ञार्नक र्ररॊऩ वै। - यारृल साांकृ त्यामन नागयी प्रचाय देल उन्नरोत का िाय वै। - गॊऩाललाल खत्री ऴारैवत्य का स्रॉत जनता का जीऱन वै। - गर्े ांकय विद्याथी अांग्रेजी ऴे बायत की यक्षा नवीं वॉ ऴकती। - ऩां. कृ . वऩल्रमाय उऴी रॉदन भेया जीऱन ऴपर वॉगा र्जऴ रॉदन भैं ऴाये बायतऱार्ऴमों के ऴाथ लद्ध रैविंदी भें ऱातााराऩ करूँ गा। - ायदाचयर् भभत्र रैविंदी के ऊऩय आघात ऩरृँचाना वभाये प्राणधभा ऩय आघात ऩरृँचाना वै। - जगन्नाथप्रसाद भभश्र रैविंदी जाननेऱारा व्यरौि देल के रॊकऴी कॉने भें जाकय अऩना काभ चरा रेता वै। - देिव्रत ााी
  • 18. 18 रैविंदी ऒय नागयी का प्रचाय तथा रॊऱकाऴ कॉई बी यॉक नवीं ऴकता। - गॊविन्दिल्रब ऩांत बायत की ऴायी प्राांतीम बाळाऑ ांका दजाा ऴभान वै। - यवि ांकय ुक्ल रॊकऴी ऴारैवत्य की नकर ऩय कॉई ऴारैवत्य तैमाय नवीं वॉता। - सूमाकाांत वत्रऩाठी र्नयारा वाय ऴयॉज रैवए वै रऴै भभ ऐऴी गनागयी नागयी वॉम। - ठाकु य वत्रबुिननाथ भसिंह बाळा वी ऴे रेदमबाऱ जाना जाता वै। लून्य रॊकिं त प्रत्यक्ष रृआ ऴा रॉदखराता वै। - भाधि ुक्ल ऴांस्कृ त भाां, रैविंदी गृरैवणी ऒय अांग्रेजी नॊकयानी वै। - डॉ. पादय काभभल फुिे बाळा रॊऱचाय की ऩॉलाक वै। - डॉ. जानसन याभचरैयत भानऴ रैविंदी ऴारैवत्य का कॉवनूय वै। - म ॊदानांदन अखोयी ऴारैवत्य के वय ऩथ ऩय वभाया कायऱाँ तेजी ऴे फढ़ता जा यवा वै। - याभिृि फेनीऩुयी करॊऱ ऴांभेरन रैविंदी प्रचाय के फरृत उऩमॉगी ऴाधन वैं। - श्रीनायामर् चतुिेदी
  • 19. 19 रैविंदी रोचयकार ऴे ऐऴी बाळा यवी वै र्जऴने भात्र रॊऱदेली वॉने के कायण रॊकऴी लब्द का फरैवष्काय नवीं रॊकमा। - याजेंद्रप्रसाद देऱनागयी अक्षयों का करात्मक ऴौंदमा नष्ट कयना कवाँ की फरॎद्धभानी वै? - भ िऩूजन सहाम र्जऴ देल कॉ अऩनी बाळा ऒय अऩने ऴारैवत्य के गॊयऱ का अनबऱ नवीं वै, ऱव उन्नत नवीं वॉ ऴकता। - दे यत्न डॉ. याजेन्द्रप्रसाद करॊऱता कार्भर्न बार भें रैविंदी रॊफिंदी रूऩ, प्रकट अग्रऱन भें बई ब्रज के र्नकट अनूऩ। - याधाचयर् गॊस्वाभी रैविंदी ऴभस्त आमााऱता की बाळा वै। - ायदाचयर् भभत्र रैविंदी बायतीम ऴांस्कृ रोत की आत्मा वै। - कभलाऩवत वत्रऩाठी भैं उदूा कॉ रैविंदी की एक लैरी भात्र भानता। - भनॊयांजन प्रसाद रैविंदी बाळा कॉ बायतीम जनता तथा ऴांऩूणा भानऱता के र्रमे फरृत फडा उत्तयदारोमत्व ऴँबारना वै। - सुनीवतकु भाय चाटुज्याा नागयीप्रचारैयणी ऴबा, काली की वीयकजमांती के ऩाऱन अऱऴय ऩय उऩरॕित न वॉ ऴकने का भझे फडा खेद वै। - (प्रॊ.) तान मुनौ ान
  • 20. 20 याष्ट्रबाळा रैविंदी वॉ जाने ऩय बी वभाये व्यरौिगत ऒय ऴाऱाजर्नक जीऱन ऩय रॊऱदेली बाळा का प्रबत्व अत्यांत गरैवित फात वै। - कभलाऩवत वत्रऩाठी ऴभ्य ऴांऴाय के ऴाये रॊऱळम वभाये ऴारैवत्य भें आ जाने की ऑय वभायी ऴतत् चेष्टा यवनी चारैवए। - श्रीधय ऩाठक बायतऱळा के र्रए रैविंदी बाळा वी ऴऱाऴाधयण की बाळा वॉने के उऩमि वै। - ायदाचयर् भभत्र रैविंदी बाळा ऒय ऴारैवत्य ने तॉ जन्म ऴे वी अऩने ऩैयों ऩय खडा वॉना ऴीखा वै। - धीयेन्द्र िभाा जफ वभ अऩना जीऱन, जननी रैविंदी, भातृबाळा रैविंदी के र्रमे ऴभऩाण कय दे तफ वभ रॊकऴी के प्रेभी कवे जा ऴकते वैं। - सेठ गॊवििंददास करॊऱता ऴखी ऒय उत्तभ भनष्यों के उत्तभ ऒय ऴखभम क्षणों का उद्गाय वै। - ेली बाळा की ऴभस्या का ऴभाधान ऴाांप्रदारोमक रॅरॏष्ट ऴे कयना गरत वै। - लक्ष्मीनायामर् ऴधाांल बायतीम ऴारैवत्य ऒय ऴांस्कृ रोत कॉ रैविंदी की देन फडी भवत्त्वऩूणा वै। - सम्पूर्ाानन्द रैविंदी के ऩयाने ऴारैवत्य का ऩनरुद्धाय प्रत्येक ऴारैवर॒त्यक का ऩनीत कताव्य वै। - ऩीताम्बयदत्त फड़थ्वाल
  • 21. 21 ऩयभात्मा ऴे प्राथाना वै रॊक रैविंदी का भागा र्नष्कां टक कयें। - हयगॊवििंद भसिंह अरैविंदी बाळा-बाळी प्राांतों के रॉग बी ऴयरता ऴे टूटी-पू टी रैविंदी फॉरकय अऩना काभ चरा रेते वैं। - अनांत मनभौ आमांगाय ऱव रेदम नवीं वै ऩत्थय वै, र्जऴभें स्वदेल का प्याय नवीं। - भैभथली यर् गुप्त दारैवनी वॉ ऩूणा कयती वै अर्बराळा ऩूज्य रैविंदी बाळा वांऴऱारैवनी का अऱताय वै। - अज्ञात ऱास्तरॊऱक भवान् व्यरौि तीन फातों िाया जाना जाता वै- मॉजना भें उदायता, उऴे ऩूया कयने भें भनष्यता ऒय ऴपरता भें ऴांमभ। - वफस्माका रैविंदस्तान की बाळा रैविंदी वै ऒय उऴका रॅश्यरूऩ मा उऴकी र्ररॊऩ ऴऱागणकायी नागयी वी वै। - गॊऩाललाल खत्री करॊऱता भानऱता की उच्चतभ अनबूरोत की अर्बव्यरौि वै। - हजायी प्रसाद रद्विेदी रैविंदी वी के िाया अरॏखर बायत का याष्ट्रनैरोतक ऐक्य ऴरॅढ़ वॉ ऴकता वै। - बूदेि भुखजी रैविंदी का र्लक्षण बायत भें अर्नऱामा वी वॉगा। - सुनीवतकु भाय चाटुज्याा
  • 22. 22 रैविंदी, नागयी ऒय याष्ट्रीमता अन्यॉन्यार्ित वै। - नन्ददुलाये िाजऩेमी अकफय की ऴबा भें ऴूय के जऴदा फाय-फाय मव बाखै ऩद ऩय फडा स्मयणीम रॊऱचाय रृआ था। - याधाचयर् गॊस्वाभी देलबाळा की उन्नरोत ऴे वी देलॉन्नरोत वॉती वै। - सुधाकय रद्विेदी रैविंदी ऴारैवत्य धभा-अथा-काभ-भॉक्ष इऴ चत:ऩरुळाथा का ऴाधक अतएऱ जनॉऩमॉगी। - (डॉ.) बगिानदास रैविंदी उन ऴबी गणों ऴे अरांकृ त वै र्जनके फर ऩय ऱव रॊऱश्व की ऴारैवर॒त्यक बाळाऑ ांकी अगरी िेणी भें ऴबाऴीन वॉ ऴकती वै। - भैभथली यर् गुप्त ऱाणी, ऴभ्यता ऒय देल की यक्षा कयना ऴच्चा धभा मज्ञ वै। - ठाकु यदत्त भाा र्नष्काभ कभा वी ऴऱोत्तभ कामा वै, जॉ तृर॑ि प्रदाता वै ऒय व्यरौि ऒय ऴभाज की लरौि फढ़ाता वै। - ऩांरडत सुधाकय ऩाांडेम अफ रैविंदी वी भाँ बायती वॉ गई वै- ऱव ऴफकी आयाध्य वै, ऴफकी ऴांऩरौत्त वै। - यवि ांकय ुक्ल फच्चों कॉ रॊऱदेली र्ररॊऩ की र्लक्षा देना उनकॉ याष्ट्र के ऴच्चे प्रेभ ऴे ऱांरोचत कयना वै। - बिानीदमाल सांन्यासी
  • 23. 23 मवाँ (रॉदल्ली) के खलफमानों ने भतारैवद (रौगनी चनी) जफानों ऴे अच्छे अच्छे रफ्ज र्नकारे ऒय फाजे इफायतों ऒय अल्फाज भें तऴरूा प (ऩरैयऱतान) कयके एक नई जऱान ऩैदा की र्जऴका नाभ उदूा यखा वै। - दरयमामे लतापत बाळा ऒय याष्ट्र भें फडा घर्नष्ट ऴांफांध वै। - (याजा) याक्तधकायभर् प्रसाद भसिंह अगय उदूाऱारों की नीरोत रैविंदी के फरैवष्काय की न वॉती तॉ आज र्ररॊऩ के र्ऴऱा दॉनों भें कॉई बेद न ऩामा जाता। - दे यत्न डॉ. याजेंद्रप्रसाद रैविंदी बाळा की उन्नरोत का अथा वै याष्ट्र ऒय जारोत की उन्नरोत। - याभिृि फेनीऩुयी फाजायऱारी फॉरी रॊऱश्वरॊऱद्यारमों भें काभ नवीं दे ऴकती। - सांऩूर्ाानांद बायतेंद का ऴारैवत्य भातृभांरॉदय की अचाना का ऴारैवत्य वै। - फदयीनाथ भाा तरऱाय के फर ऴे न कॉई बाळा चराई जा ऴकती वै न र्भटाई। - भ िऩूजन सहाम अरॏखर बायत के ऩयस्पय व्यऱवाय के र्रमे ऐऴी बाळा की आऱश्यकता वै र्जऴे जनता का अरोधकतभ बाग ऩवरे ऴे वी जानता ऴभझता वै। - भहात्मा गाूँधी रैविंदी कॉ याजबाळा कयने के फाद ऩूये ऩांद्रव ऱळा तक अांग्रेजी का प्रमॉग कयना ऩीछे कदभ वटाना वै। - याजवषि ऩुरुषॊत्तभदास टांडन
  • 24. 24 बाळा याष्ट्रीम लयीय की आत्मा वै। - स्वाभी बिानीदमाल सांन्यासी रैविंदी के याष्ट्रबाळा वॉने ऴे जवाँ वभें वळोल्लाऴ वै, ऱवीं वभाया उत्तयदारोमत्व बी फरृत फढ़ गमा वै। - भथुया प्रसाद दीभित बायतऱळा भें ऴबी रॊऱद्याएँ ऴरॗिर्रत ऩरैयऱाय के ऴभान ऩायस्परैयक ऴद्भाऱ रेकय यवती आई वैं। - यिींद्रनाथ ठाकु य इरोतवाऴ कॉ देखते रृए रॊकऴी कॉ मव कवने का अरोधकायी नवीं रॊक रैविंदी का ऴारैवत्य जामऴी के ऩवरे का नवीं र्भरता। - (डॉ.) का ीप्रसाद जामसिाल ऴांप्ररोत र्जतनी बाळाएां बायत भें प्रचर्रत वैं उनभें ऴे रैविंदी बाळा प्राम: ऴऱात्र व्यऱरेत वॉती वै। - के िचांद्र सेन रैविंदी ने याष्ट्रबाळा के ऩद ऩय र्ऴिंवानऴारूढ़ वॉने ऩय अऩने ऊऩय एक गॊयऱभम एऱां गरुतय उत्तयदारोमत्व र्रमा वै। - गॊवििंदफल्रब ऩांत रैविंदी र्जऴ रॉदन याजबाळा स्वीकृ त की गई उऴी रॉदन ऴे ऴाया याजकाज रैविंदी भें चर ऴकता था। - सेठ गॊवििंददास रैविंदी बाळी प्रदेल की जनता ऴे ऱॉट रेना ऒय उनकी बाळा तथा ऴारैवत्य कॉ गार्रमाँ देना कछ नेताऑ ांका दैर्नक व्यऱऴाम वै। - (डॉ.) याभविलास भाा
  • 25. 25 जफ एक फाय मव र्नश्चम कय र्रमा गमा रॊक ऴन् १९६५ ऴे ऴफ काभ रैविंदी भें वॉगा, तफ उऴे अऱश्य कामाार॓ित कयना चारैवए। - सेठ गॊवििंददास ऴारैवत्यऴेऱा ऒय धभाऴाधना ऩमाामऱामी वै। - (भ. भ.) सत्यनायामर् भाा र्जऴका भन चावे ऱव रैविंदी बाळा ऴे वभाया दूय का ऴांफांध फतामे, भगय वभ रॊफवायी तॉ रैविंदी कॉ वी अऩनी बाळा, भातृबाळा भानते आए वैं। - भ िनांदन सहाम उदूा का ढाँचा रैविंदी वै, रेरॊकन ऴत्तय ऩचवत्तय पीऴदी उधाय के लब्दों ऴे उदूा दाँ तक तांग आ गए वैं। - यारृल साांकृ त्यामन भानऴ बऱन भें आमाजन र्जऴकी उतायें आयती। बगऱान बायतऱळा भें गूँजे वभायी बायती। - भैभथली यर् गुप्त गद्य जीऱनऴांग्राभ की बाळा वै। इऴभें फरृत कामा कयना वै, ऴभम थॉडा वै। - सूमाकाांत वत्रऩाठी र्नयारा अांग्रेजी वभें गूँगा ऒय कू ऩभांडूक फना यवी वै। - ब्रजबूषर् ऩाांडेम राखों की ऴांख्या भें छात्रों की उऴ ऩरटन ऴे क्या राब र्जनभें अांग्रेजी भें एक प्राथानाऩत्र र्रखने की बी क्षभता नवीं वै। - कां क
  • 26. 26 भैं याष्ट्र का प्रेभ, याष्ट्र के र्बन्न-र्बन्न रॉगों का प्रेभ ऒय याष्ट्रबाळा का प्रेभ, इऴभें कछ बी पका नवीं देखता। - य. या. हदिाकय देऱनागयी र्ररॊऩ की ऱैज्ञार्नकता स्वमां र्ऴद्ध वै। - भहािीय प्रसाद रद्विेदी रैवभारम ऴे ऴतऩडा ऒय अांफारा ऴे ऩूरॎणिमा तक पै रा रृआ प्रदेल रैविंदी का प्रकृ त प्राांत वै। - यारृल साांकृ त्यामन रॊकऴी याष्ट्र की याजबाळा ऱवी बाळा वॉ ऴकती वै र्जऴे उऴके अरोधकारोधक र्नऱाऴी ऴभझ ऴके । - (आचामा) चतुयसेन ााी ऴारैवत्य के इरोतवाऴ भें कार रॊऱबाजन के र्रए तत्कारीन प्रऱृरौत्तमों कॉ वी भानना न्यामऴांगत वै। - अांफाप्रसाद सुभन रैविंदी बाळा वभाये र्रमे रॊकऴने फनामा? प्रकृ रोत ने। वभाये र्रमे रैविंदी प्रकृ रोतर्ऴद्ध वै। - ऩां. क्तगरयधय भाा रैविंदी बाळा उऴ ऴभद्र जरयार्ल की तयव वै र्जऴभें अनेक नरॉदमाँ र्भरी वों। - िासुदेि यर् अग्रिाल बाळा देल की एकता का प्रधान ऴाधन वै। - (आचामा) चतुयसेन ााी
  • 27. 27 क्ाांतदली वॉने के कायण ऋरॊळ दमानांद ने देलॉन्नरोत के र्रमे रैविंदी बाळा कॉ अऩनामा था। - विष्णुदेि ऩोद्दाय ऴच्चा याष्ट्रीम ऴारैवत्य याष्ट्रबाळा ऴे उत्पन्न वॉता वै। - िाल्टय चेभनिंग रैविंदी के ऩॊधे कॉ रैविंदू भऴरभान दॉनों ने ऴींचकय फडा रॊकमा वै। - जरॄयफख्श रॊकऴी रफ्ज के उदूा न वॉने ऴे भयाद वै रॊक उदूा भें रृरूप की कभी फेली ऴे ऱव खयाद ऩय नवीं चढ़ा। - सैमद इां ा अल्रा खाूँ अांग्रेजी का ऩद रोचयिामी कयना देल के र्रमे रज्जा की फात वै - सांऩूर्ाानांद रैविंदी याष्ट्रबाळा वै, इऴर्रमे प्रत्येक व्यरौि कॉ, प्रत्येक बायतऱाऴी कॉ इऴे ऴीखना चारैवए। - यवि ांकय ुक्ल रैविंदी प्राांतीम बाळा नवीं फरॕि ऱव अांत:प्राांतीम याष्ट्रीम बाळा वै। - छविनाथ ऩाांडेम ऴारैवत्य कॉ उच्च अऱिा ऩय रे जाना वी वभाया ऩयभ कताव्य वै। - ऩािाती देिी रॊऱश्व की कॉई बी र्ररॊऩ अऩने ऱताभान रूऩ भें नागयी र्ररॊऩ के ऴभान नवीं। - चांद्रफली ऩाांडेम
  • 28. 28 बाळा की एकता जारोत की एकता कॉ कामभ यखती वै। - यारृल साांकृ त्यामन र्जऴ याष्ट्र की जॉ बाळा वै उऴे वटाकय दूऴये देल की बाळा कॉ ऴायी जनता ऩय नवीं थॉऩा जा ऴकता। - िासुदेि यर् अग्रिाल ऩयाधीनता की रॊऱजम ऴे स्वाधीनता की ऩयाजम ऴवस्रगना अच्छी वै। - अज्ञात ऴभाज के अबाऱ भें आदभी की आदर्भमत की कल्पना नवीं की जा ऴकती। - ऩां. सुधाकय ऩाांडेम तरऴी, कफीय, नानक ने जॉ र्रखा वै, उऴे भैं ऩढ़ता रॄँ तॉ कॉई भर॓िर नवीं आती। - भोलाना भुहम्मद अली बाळा का र्नभााण ऴेक्े टरैयमट भें नवीं वॉता, बाळा गढ़ी जाती वै जनता की र्जह्वा ऩय। - याभिृि फेनीऩुयी रैविंदी बाळी वी एक ऐऴी बाळा वै जॉ ऴबी प्राांतों की बाळा वॉ ऴकती वै। - ऩां. कृ . यांगनाथ वऩल्रमाय जफ वभ रैविंदी की चचाा कयते वैं तॉ ऱव रैविंदी ऴांस्कृ रोत का एक प्रतीक वॉती वै। - ाांतानांद नाथ बायतीम धभा की वै घॉळणा घभांड बयी, रैविंदी नवीं जाने उऴे रैविंदू नवीं जार्नए। - नाथूयाभ ांकय भाा
  • 29. 29 याजनीरोत के रोचिंताऩूणा आऱेग भें ऴारैवत्य की प्रेयणा र्लरौथर नवीं वॉनी चारैवए। - याजकु भाय िभाा रैविंदी भें जॉ गण वै उनभें ऴे एक मव वै रॊक रैविंदी भदाानी जफान वै। - सुनीवत कु भाय चाटुज्याा स्पधाा वी जीऱन वै, उऴभें ऩीछे यवना जीऱन की प्रगरोत खॉना वै। - भनयाला करॊऱता वभाये ऩरैयऩूणा क्षणों की ऱाणी वै। - सुभभत्रानांदन ऩांत रॊफना भातृबाळा की उन्नरोत के देल का गॊयऱ कदारॊऩ ऱृरॎद्ध कॉ प्राि नवीं वॉ ऴकता। - गॊवििंद ााी दुगिेकय उदूा र्ररॊऩ की अनऩमॉरौगता, भ्राभकता ऒय कठॉयता प्रभारॎणत वॉ चकी वै। - याभयर्विजम भसिंह याष्ट्रबाळा याष्ट्रीमता का भख्य अांल वै। - श्रीभती सो. क्तच. यभर्म्मा देि फानी रैविंदी बाळन की भवयानी, चांद्र, ऴूय, तरऴी ऴे जाभें बए ऴकरॊऱ राऴानी। - ऩां. जगन्नाथ चतुिेदी जम जम याष्ट्रबाळा जनर्न। जमरोत जम जम गण उजागय याष्ट्रभांगरकयर्न। - देिी प्रसाद गुप्त रैविंदी वभायी रैविंदू ऴांस्कृ रोत की ऱाणी वी तॉ वै। - ाांतानांद नाथ
  • 30. 30 आज का रेखक रॊऱचायों ऒय बाऱों के इरोतवाऴ की ऱव कडी वै र्जऴके ऩीछे लतारॐब्दमों की करैडमाँ जडी वै। - भाखनलाल चतुिेदी रॊऱज्ञान के फरृत ऴे अांगों का भूर वभाये ऩयातन ऴारैवत्य भें र्नरैवत वै। - सूमानायामर् व्यास कॉई कॊभ अऩनी जफान के फगैय अच्छी तारीभ नवीं वार्ऴर कय ऴकती। - सैमद अभीय अली भीय रैविंदी ऒय उदूा भें झगडने की फात वी नवीं वै। - ब्रजनांदन सहाम करॊऱता रेदम की भि दला का लारॐब्दक रॊऱधान वै। - याभचांद्र ुक्ल वभायी याष्ट्रबाळा का भख्य उद्देश्य याष्ट्रीमता का रॅढ़ र्नभााण वै। - चांद्रफली ऩाांडेम र्जऴ र्लक्षा ऴे स्वार्बभान की ऱृरौत्त जाग्रत नवीं वॉती ऱव र्लक्षा रॊकऴी काभ की नवीं। - भाधियाि सप्रे कारॉऩमॉगी कामा न कय ऴकने ऩय भवाऩरुळ फन ऴकना ऴांबऱ नवीं वै। - सू. च. धय भैं दर्नमा की ऴफ बाळाऑ ांकी इज्जत कयता रॄँ, ऩयन्त भेये देल भें रैविंदी की इज्जत न वॉ, मव भैं नवीं ऴव ऴकता। - विनॊफा बािे
  • 31. 31 आज का आरॊऱष्काय कर का ऴारैवत्य वै। - भाखनलाल चतुिेदी बाळा के ऴऱार भें भजवफ कॉ दखर देने का कॉई वक नवीं। - यारृल साांकृ त्यामन रैविंदी रॊऱश्व की भवान बाळा वै। - यारृल साांकृ त्यामन याष्ट्रीम एकता के र्रमे एक बाळा ऴे कवीं फढ़कय आऱश्यक एक र्ररॊऩ का प्रचाय वॉना वै। - ब्रजनांदन सहाम जॉ ज्ञान तभने ऴांऩारॉदत रॊकमा वै उऴे रॊऱतरैयत कयते यवॉ ऑय ऴफकॉ ज्ञानऱान फनाकय छॉडॉ। - सांत याभदास ऩाँच भत उधय ऒय ऩाँच भत इधय यवने ऴे िेष्ठता नवीं आती। - भाखनलाल चतुिेदी भैं भानती रॄँ रॊक रैविंदी प्रचाय ऴे याष्ट्र का ऐक्य र्जतना फढ़ ऴकता वै ऱैऴा फरृत कभ चीजों ऴे फढ़ ऴके गा। - लीलािती भुां ी रैविंदी उदूा के नाभ कॉ दूय कीर्जए एक बाळा फनाइए। ऴफकॉ इऴके र्रए तैमाय कीर्जए। - देिी प्रसाद गुप्त ऴारैवत्यकाय रॊऱश्वकभाा की अऩेक्षा कवीं अरोधक ऴाभर्थ्ालारी वै। - ऩां. िागीश्वय जी
  • 32. 32 रैविंदी बाळा ऒय रैविंदी ऴारैवत्य कॉ ऴऱाांगऴांदय फनाना वभाया कत्ताव्य वै। - डॉ. याजेंद्रप्रसाद रैविंदी ऴारैवत्य की नकर ऩय कॉई ऴारैवत्य तैमाय नवीं वॉता। - सूमा काांत वत्रऩाठी र्नयारा बाळा के उत्थान भें एक बाळा का वॉना आऱश्यक वै। इऴर्रमे रैविंदी ऴफकी ऴाझा बाळा वै। - ऩां. कृ . यांगनाथ वऩल्रमाय मरॉद स्वदेलार्बभान ऴीखना वै तॉ भछरी ऴे जॉ स्वदेल (ऩानी) के र्रमे तडऩ तडऩ कय जान दे देती वै। - सुबाषचांद्र फसु रॊऩछरी लतारॐब्दमों भें ऴांऴाय भें जॉ याजनीरोतक क्ाांरोतमाँ रृई, प्राम: उनका ऴूत्रऴांचारन उऴ देल के ऴारैवत्यकायों ने रॊकमा वै। - ऩां. िागीश्वय जी रॊऱजमी याष्ट्रऱाद अऩने आऩकॉ दूऴये देलों का लॉळण कय जीरॊऱत यखना चावता वै। - फी. सी. जॊ ी रैविंदी वभाये देल ऒय बाळा की प्रबाऱलारी रॊऱयाऴत वै। - भाखनलाल चतुिेदी मरॉद र्ररॊऩ का फखेडा वट जामे तॉ रैविंदी उदूा भें कॉई रॊऱऱाद वी न यवे। - फृजनांदन सहाम बायत ऴयस्वती का भख ऴांस्कृ त वै। - भ. भ. याभािताय भाा
  • 33. 33 ऴाधायण कथा कवार्नमों तथा फारॉऩमॉगी करॊऱता भें ऴांस्कृ त के ऴाभार्ऴक लब्द राने ऴे उनके भूर उद्देश्य की ऴपरता भें फाधा ऩडती वै। - यघुियप्रसाद रद्विेदी मरॉद आऩ भझे कछ देना चावती वों तॉ इऴ ऩाठलारा की र्लक्षा का भाध्यभ वभायी भातृबाळा कय दें। - एक फ्ाांसीसी फाभलका र्नभार चरैयत्र वी भनष्य का रॆांगाय वै। - ऩांरडत सुधाकय ऩाांडेम रैविंदस्तान कॉ छॉडकय दूऴये भध्य देलों भें ऐऴा कॉई अन्य देल नवीं वै, जवाँ कॉई याष्ट्रबाळा नवीं वॉ। - सैमद अभीय अली भीय इरोतवाऴ भें जॉ ऴत्य वै ऱवी अच्छा वै ऒय जॉ अऴत्य वै ऱवी फया वै। - जमचांद्र विद्यालांकाय ऴयरता, फॉधगम्यता ऒय लैरी की रॅरॏष्ट ऴे रॊऱश्व की बाळाऑ ांभें रैविंदी भवानतभ िान यखती वै। - अभयनाथ झा रैविंदी ऴयर बाळा वै। इऴे अनामाऴ ऴीखकय रॉग अऩना काभ र्नकार रेते वैं। - जगन्नाथ प्रसाद चतुिेदी एक बाळा का प्रचाय यवने ऩय के ऱर इऴी के ऴवाये, मरॉद र्ररॊऩगत र्बन्नता न वॉ तॉ, अन्यान्य याष्ट्र गठन के उऩकयण आ जाने ऴांबऱ वॉ ऴकते वैं। - अमॊध्याप्रसाद िभाा
  • 34. 34 रॊकऴी बाळा की उन्नरोत का ऩता उऴभें प्रकार्लत रृई ऩस्तकों की ऴांख्या तथा उनके रॊऱळम के भवत्व ऴे जाना जा ऴकता वै। - गांगाप्रसाद अत्यिहॊत्री जीऱन के छॉटे ऴे छॉटे क्षेत्र भें रैविंदी अऩना दारोमत्व र्नबाने भें ऴभथा वै। - ऩुरुषॊत्तभदास टांडन रॊफवाय भें ऐऴा एक बी गाँऱ नवीं वै जवाँ के ऱर याभामण ऩढ़ने के र्रमे दऴ- फीऴ भनष्यों ने रैविंदी न ऴीखी वॉ। - सकलनायामर् ऩाांडेम ऴांस्कृ त की इलाअत (प्रचाय) का एक फडा पामदा मव वॉगा रॊक वभायी भिी जफान (देलबाळा) ऱऴीअ (व्याऩक) वॉ जामगी। - भोलिी भहभूद अली ऴांऴाय भें देल के नाभ ऴे बाळा कॉ नाभ रॉदमा जाता वै ऒय ऱवी बाळा ऱवाँ की याष्ट्रबाळा कवराती वै। - तायाचांद्र दूफे ऴऱाऴाधायण ऩय र्जतना ऩद्य का प्रबाऱ ऩडता वै उतना गद्य का नवीं। - याजा कृ त्यानांद भसिंह जॉ गण ऴारैवत्य की जीऱनी लरौि के प्रधान ऴवामक वॉते वैं उनभें रेखकों की रॊऱचायलीरता प्रधान वै। - नयॊत्तभ व्यास बाळा ऒय बाऱ का ऩरैयऱतान ऴभाज की अऱिा ऒय आचाय रॊऱचाय ऴे अरोधक ऴांफांध यखता वै। - फदयीनाथ बट्ट
  • 35. 35 ऴारैवत्य ऩढ़ने ऴे भख्य दॉ फातें तॉ अऱश्य प्राि वॉती वैं, अथाात् भन की लरौिमों कॉ रॊऱकाऴ ऒय ज्ञान ऩाने की रारऴा। - वफहायीलाल चोफे देऱनागयी ऒय फांगरा र्ररॊऩमों कॉ ऴाथ र्भराकय देखना वै। - भन्नन रद्विेदी वै बव्य बायत वी वभायी भातृबूर्भ वयी बयी। रैविंदी वभायी याष्ट्रबाळा ऒय र्ररॊऩ वै नागयी। - भैभथली यर् गुप्त ऴांस्कृ त की रॊऱयाऴत रैविंदी कॉ तॉ जन्म ऴे वी र्भरी वै। - यारृल साांकृ त्यामन कै ऴे र्नज ऴॉमे बाग कॉ कॉई ऴकता वै जगा, जॉ र्नज बाळा-अनयाग का अांकय नरैविं उय भें उगा। - हरयऔध रैविंदी भें वभ र्रखें ऩढ़ें, रैविंदी वी फॉरें। - ऩां. जगन्नाथप्रसाद चतुिेदी र्जऴ ऱस्त की उऩज अरोधक वॉती वै उऴभें ऴे फरृत ऴा बाग पें क बी रॉदमा जाता वै। ग्रांथों के र्रमे बी ऐऴा वी रैवऴाफ वै। - क्तगयजाकु भाय घॊष मव जॉ वै कयफान खदा का, रैविंदी कये फमान ऴदा का। - अज्ञात
  • 36. 36 क्या ऴांऴाय भें कवीं का बी आऩ एक रॅष्टाांत उद्धृत कय ऴकते वैं जवाँ फारकों की र्लक्षा रॊऱदेली बाळाऑ ांिाया वॉती वॉ। - डॉ. श्याभसुांदय दास फँगरा ऱणाभारा की जाँच ऴे भारूभ वॉता वै रॊक देऱनागयी र्ररॊऩ ऴे र्नकरी वै ऒय इऴी का ऴीधा ऴादा रूऩ वै। - यभे चांद्र दत्त ऱास्तऱ भें ऱेल, बाळा आरॉद के फदरने का ऩरैयणाभ मव वॉता वै रॊक आत्मगॊयऱ नष्ट वॉ जाता वै, र्जऴऴे देल का जारोतत्व गण र्भट जाता वै। - सैमद अभीय अली भीय दूऴयों की फॉरी की नकर कयना बाळा के फदरने का एक कायण वै। - क्तगयींद्रभॊहन भभत्र ऴभारॉचना वी ऴारैवत्य भागा की ऴांदय ऴडक वै। - भ. भ. क्तगयधय भाा चतुिेदी नागयी ऱणाभारा के ऴभान ऴऱाांगऩूणा ऒय ऱैज्ञार्नक कॉई दूऴयी ऱणाभारा नवीं वै। - फाफू याि विष्णु ऩयाड़कय अन्य देल की बाळा ने वभाये देल के आचाय व्यऱवाय ऩय कै ऴा फया प्रबाऱ डारा वै। - अनाहदधन िांद्यॊऩाध्याम व्याकयण चावे र्जतना रॊऱलार फने ऩयांत बाळा का ऩूया-ऩूया ऴभाधान उऴभें नवीं वॉ ऴकता। - अनांतयाभ वत्रऩाठी
  • 37. 37 स्वदेलप्रेभ, स्वधभाबरौि ऒय स्वाऱरांफन आरॉद ऐऴे गण वैं जॉ प्रत्येक भनष्य भें वॉने चारैवए। - याभजी लाल भाा गणऱान खानखाना ऴरॅल प्रेभी वॉ गए यऴखान ऒय यऴरीन ऴे रैविंदी प्रेभी वॉ गए। - याम देिीप्रसाद ऱैज्ञार्नक रॊऱचायों के ऩारैयबारॊळक लब्दों के र्रमे, रॊकऴी रॊऱळम के उच्च बाऱों के र्रमे, ऴांस्कृ त ऴारैवत्य की ऴवामता रेना कॉई लभा की फात नवीं वै। - गर्ऩवत जानकीयाभ दूफे रैविंदस्तान के र्रमे देऱनागयी र्ररॊऩ का वी व्यऱवाय वॉना चारैवए, यॉभन र्ररॊऩ का व्यऱवाय मवाँ वॉ वी नवीं ऴकता। - भहात्मा गाूँधी अर्बभान ऴौंदमा का कटाक्ष वै। - अज्ञात करॊऱ का रेदम कॉभर वॉता वै। - क्तगरयजाकु भाय घॊष िी याभामण ऒय भवाबायत बायत के वी नवीं ऱयन् ऩृथ्वी बय के जैऴे अभूल्य भवाकाव्य वैं। - ैलजाकु भाय घॊष रैविंदी रॊकऴी के र्भटाने ऴे र्भट नवीं ऴकती। - चांद्रफली ऩाण्डेम
  • 38. 38 बाळा की उन्नरोत का ऩता भद्रणारमों ऴे बी रग ऴकता वै। - गांगाप्रसाद अत्यिहॊत्री ऩस्तक की उऩमॉरौगता कॉ रोचयिामी यखने के र्रए उऴे बाऱी ऴांतानों के र्रमे ऩथप्रदलाक फनाने के र्रमे मव आऱश्यक वै रॊक ऩस्तक के अऴरी रेखक का नाभ उऴ ऩय यवे। - सत्यदेि ऩरयव्राजक खडी फॉरी का एक रूऩाांतय उदूा वै। - फदयीनाथ बट्ट बायतऱळा भनष्य जारोत का गरु वै। - विनमकु भाय सयकाय वभायी बायत बायती की लैलऱाऱिा का रूऩ ब्राह्मी मा देऱऱाणी वै, उऴकी रॊकलॉयाऱिा ऱैरॉदक बाळा ऒय ऴांस्कृ रोत उऴकी मॊऱनाऱिा की ऴांुदय भनॉवय छटा वै। - फदयीनायामर् चोधयी प्रेभधन रेतांत्री की तान ऩय नीयऱ गान गाने ऴे न रॊकऴी के प्ररोत रॊकऴी की अनकम्पा जगती वै ऒय न कॉई रॊकऴी का उऩकाय कयने ऩय वी उतारू वॉता वै। - याभचांद्र ुक्ल र्नज बाळा उन्नरोत अवै, ऴफ उन्नरोत कॉ भूर। - बायतेंदू हरयिांद्र आमों की ऴफऴे प्राचीन बाळा रैविंदी वी वै ऒय इऴभें तद्भऱ लब्द ऴबी बाळाऑ ां ऴे अरोधक वै। - िीम्स साहफ
  • 39. 39 क्यों न ऱव रॊपय यास्ते ऩय ठीक चरने ऴे रैडगे , वैं फरृत ऴे यॉग र्जऴके एक वी रॉदर भें रगे। - हरयऔध जफ तक ऴारैवत्य की उन्नरोत न वॉगी, तफ तक ऴांगीत की उन्नरोत नवीं वॉ ऴकती। - विष्णु हदगांफय जॉ ऩढ़ा-र्रखा नवीं वै - जॉ र्लर्क्षत नवीं वै ऱव रॊकऴी बी काभ कॉ बरी-बाँरोत नवीं कय ऴकता। - गॊऩाललाल खत्री याष्ट्रबाळा के रॊफना याष्ट्र गूँगा वै। - भहात्मा गाूँधी र्जऴ प्रकाय फांगार बाळा के िाया फांगार भें एकता का ऩॊधा प्रपरक़ल्लत रृआ वै उऴी प्रकाय रैविंदी बाळा के ऴाधायण बाळा वॉने ऴे ऴभस्त बायतऱार्ऴमों भें एकता तरु की कर्रमाँ अऱश्य वी रॏखरेंगी। - ायदाचयर् भभत्र इरोतवाऴ स्वदेलार्बभान र्ऴखाने का ऴाधन वै। - भहात्मा गाांधी जॉ रॉदखा ऴके ऱवी दलान लास्त्र वै नवीं तॉ ऱव अांधलास्त्र वै। - डॉ. बगिानादास रॊऱदेली रॉगों का अनकयण न रॊकमा जाम। - बीभसेन भाा
  • 40. 40 बायतऱळा के र्रमे देऱनागयी ऴाधायण र्ररॊऩ वॉ ऴकती वै ऒय रैविंदी बाळा वी ऴऱाऴाधायण की बाळा वॉने के उऩमि वै। - ायदाचयर् भभत्र अकफय का लाांत याज्य वभायी बाळा का भानॉ स्वणाभम मग था। - छॊटू लाल भभश्र नाटक का र्जतना ऊँ चा दयजा वै, उऩन्याऴ उऴऴे ऴूत बय बी नीचे नवीं वै। - गॊऩालदास गहभयी रॊकऴी बी फृवत् कॉल भें ऴारैवत्य की ऴफ लाखाऑ ांके लब्द वॉने चारैवए। - भहािीय प्रसाद रद्विेदी जॉ कछ बी नजय आता वै ऱव जभीन ऒय आऴभान की गॉद भें उतना ऴांदय नवीं र्जतना नजय भें वै। - भनयाला देऱ, जगदेऱ, देल जारोत की ऴखद प्यायी, जग भें गणगयी ऴनागयी वभायी वै। - चकॊय र्लक्षा का भख्य तात्पमा भानर्ऴक उन्नरोत वै। - ऩां. याभनायामर् भभश्र बायत के एक र्ऴये ऴे दूऴये र्ऴये तक रैविंदी बाळा कछ न कछ ऴऱात्र ऴभझी जाती वै। - ऩां. कृ . यांगनाथ वऩल्रमाय जाऩार्नमों ने र्जऴ ढांग ऴे रॊऱदेली बाळाएँ ऴीखकय अऩनी भातृबाळा कॉ उन्नरोत के र्लखय ऩय ऩरृँचामा वै उऴी प्रकाय वभें बी भातृबाळा का बि वॉना चारैवए। - श्याभसुांदय दास
  • 41. 41 रॊऱचायों का ऩरैयऩक्व वॉना बी उऴी ऴभम ऴांबऱ वॉता वै, जफ र्लक्षा का भाध्यभ प्रकृ रोतर्ऴद्ध भातृबाळा वॉ। - ऩां. क्तगयधय भाा रॊऱज्ञान कॉ रॊऱज्ञान तबी कव ऴकते वैं जफ ऱव लयीय, भन ऒय आत्मा की बूख र्भटाने की ऩूयी ताकत यखता वॉ। - भहात्मा गाांधी मव भवात्मा गाँधी का प्रताऩ वै, र्जनकी भातृबाळा गजयाती वै ऩय रैविंदी कॉ याष्ट्रबाळा जानकय जॉ उऴे अऩने प्रेभ ऴे ऴींच यवे वैं। - लक्ष्मर् नायामर् गदे रैविंदी बाळा के र्रमे भेया प्रेभ ऴफ रैविंदी प्रेभी जानते वैं। - भहात्मा गाांधी ऴफ रॊऱळमों के गण-दॉळ ऴफकी रॅरॏष्ट भें झटऩट तॉ नवीं आ जाते। - भ. भ. क्तगरयधय भाा चतुिेदी रॊकऴी देल भें ग्रांथ फनने तक ऱैदेर्लक बाळा भें र्लक्षा नवीं वॉती थी। देल बाळाऑ ांभें र्लक्षा वॉने के कायण स्वमां ग्रांथ फनते गए वैं। - साहहत्याचामा याभािताय भाा जॉ बाळा ऴाभरोमक दूऴयी बाळाऑ ांऴे ऴवामता नवीं रेती ऱव फरृत कार तक जीरॊऱत नवीं यव ऴकती। - ऩाांडेम याभिताय भाा नागयीप्रचारैयणी ऴबा के गण बायी र्जन तेयों देऱनागयी प्रचाय करैयदीनॉ वै। - नाथूयाभ ांकय भाा रॊऱदेली बाळा भें र्लक्षा वॉने के कायण वभायी फरॎद्ध बी रॊऱदेली वॉ गई वै। - भाधियाि सप्रे
  • 42. 42 र्जतना ऒय जैऴा ज्ञान रॊऱद्यारौथिमों कॉ उनकी जन्मबाळा भें र्लक्षा देने ऴे अल्पकार भें वॉ ऴकता वै; उतना ऒय ऱैऴा ऩयाई बाळा भें ऴदीघा कार भें बी वॉना ऴांबऱ नवीं वै। - घनश्याभ भसिंह भैं भवायाष्ट्री रॄँ, ऩयांत रैविंदी के रॊऱळम भें भझे उतना वी अर्बभान वै र्जतना रॊकऴी रैविंदी बाळी कॉ वॉ ऴकता वै। - भाधियाि सप्रे भनष्य ऴदा अऩनी भातृबाळा भें वी रॊऱचाय कयता वै। इऴर्रमे अऩनी बाळा ऴीखने भें जॉ ऴगभता वॉती वै दूऴयी बाळा भें वभकॉ ऱव ऴगभता नवीं वॉ ऴकती। - डॉ. भुकु न्दस्वरूऩ िभाा रैविंदी बाळा का प्रश्न स्वयाज्य का प्रश्न वै। - भहात्मा गाांधी याष्ट्रीमता का बाळा ऒय ऴारैवत्य के ऴाथ फरृत वी घर्नष्ट ऒय गवया ऴांफांध वै। - डॉ. याजेन्द्र प्रसाद मरॉद वभ अांग्रेजी दूऴयी बाळा के ऴभान ऩढ़ें तॉ वभाये ज्ञान की अरोधक ऱृरॎद्ध वॉ ऴकती वै। - जगन्नाथप्रसाद चतुिेदी स्वतांत्रता की कॉख ऴे वी आरॉचना का जन्म वै। - भॊहनलाल भहतॊ विमॊगी रैविंदी ऩय ना भायॉ ताना, ऴबा फताऱे रैविंदी भाना। - नूय भुहम्मद
  • 43. 43 आऩ र्जऴ तयव फॉरते वैं, फातचीत कयते वैं, उऴी तयव र्रखा बी कीर्जए। बाळा फनाऱटी न वॉनी चारैवए। - भहािीय प्रसाद रद्विेदी रैविंदी बाळा की उन्नरोत के रॊफना वभायी उन्नरोत अऴम्भऱ वै। - क्तगयधय भाा बाळा वी याष्ट्र का जीऱन वै। - ऩुरुषॊत्तभदास टांडन देव प्राण का ज्यों घर्नष्ट ऴांफांध अरोधकतय। वै रोतऴऴे बी अरोधक देलबाळा का गरुतय। - भाधि ुक्ल जफ वभ अऩना जीऱन जननी रैविंदी, भातृबाळा रैविंदी के र्रमे ऴभऩाण कय दें तफ वभ रैविंदी के प्रेभी कवे जा ऴकते वैं। - गॊविन्ददास नागयी प्रचाय देल उन्नरोत का िाय वै। - गॊऩाललाल खत्री देल तथा जारोत का उऩकाय उऴके फारक तबी कय ऴकते वैं, जफ उन्हें उनकी बाळा िाया र्लक्षा र्भरी वॉ। - ऩां. क्तगयधय भाा याष्ट्रबाळा की ऴाधना कॉयी बाऱकता नवीं वै। - जगन्नाथप्रसाद भभश्र
  • 44. 44 ऴारैवत्य कॉ स्वैय ऴांचा कयने की इजाजत न रॊकऴी मग भें यवी वॉगी न ऱताभान मग भें र्भर ऴकती वै। - भाखनलाल चतुिेदी अांग्रेजी ऴीखकय र्जन्होंने रॊऱर्लष्टता प्राि की वै, ऴऱाऴाधायण के ऴाथ उनके भत का भेर नवीं वॉता। वभाये देल भें ऴफऴे फढ़कय जारोतबेद ऱवी वै, िेरॎणमों भें ऩयस्पय अस्पृश्यता इऴी का नाभ वै। - यिीन्द्रनाथ ठाकु य ऴारैवत्य की ऴेऱा बगऱान का कामा वै, आऩ काभ भें रग जाइए आऩकॉ बगऱान की ऴवामता प्राि वॉगी ऒय आऩके भनॉयथ ऩरैयऩूणा वोंगे। - चांद्र ेखय भभश्र ऴफ ऴे जीरॊऱत यचना ऱव वै र्जऴे ऩढ़ने ऴे प्रतीत वॉ रॊक रेखक ने अांतय ऴे ऴफ कछ पू र ऴा प्रस्फरैटत रॊकमा वै। - यच्चांद र्ऴक्ख गरुऑ ांने आऩातकार भें रैविंदी की यक्षा के र्रमे वी गरुभखी यची थी। - सांतयाभ भाा रैविंदी जैऴी ऴयर बाळा दूऴयी नवीं वै। - भोलाना हसयत भॊहानी ऐऴे आदभी आज बी वभाये देल भें भॊजूद वैं जॉ ऴभझते वैं रॊक र्लक्षा कॉ भातृबाळा के आऴन ऩय रॊफठा देने ऴे उऴकी कीभत वी घट जामेगी। - यिीन्द्रनाथ ठाकु य रॉकॉऩकायी रॊऱळमों कॉ आदय देने ऱारी नऱीन प्रथा का रॕिय वॉ जाना वी एक फरृत फडा उत्सावप्रद कामा वै। - भभश्रफांधु