गुरुत्व ज्योतिष ई पत्रीका अप्रैल-2020 | अंक 2 में प्रकशित लेख अक्षय तृतीया विशेष
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GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE
APRIL-2020 VOL: 2
गुरुत्व ज्योतिष ई पत्रीका अप्रैल-2020 | अंक 2
में प्रकशित लेख अक्षय तृतीया विशेषइस अंक में पढे़
अक्षय तृतिया (अखातीज 26-अप्रैल-2020) 7
अक्षय तृतिया स्वयं सिद्धि अबूझ मुहूर्त 9
अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व 11
अक्षय तृतीया से जुडी पौराणिक मान्यताएं 12
मंत्र सिद्ध काली हल्दी के विभिन्न लाभ 15
धन प्राप्ति का अचूक उपाय स्फटिक श्रीयंत्र का पूजन 20
लक्ष्मी प्राप्ति में लाभप्रद दुर्लभ मंत्र सिद्ध कवच 22
चमत्कारी लक्ष्मी यंत्र से दूर होगी आर्थिक समस्याएं 24
स्वयं सिद्ध करें लक्ष्मी मंत्र 26
धन वर्षाने वाली सात दुर्लभ लक्ष्मी साधनाएं 27
लक्ष्मी प्राप्ति का अमोघ साधन दक्षिणावर्त शंख 33
भगवान श्रीकृष्ण ने समझाया अक्षय तृतीया व्रत का माहात्म्य 36
अक्षय तृतीया को स्थापित करें लक्ष्मी प्राप्ति हेतु दुर्लभ सामग्रीयां 37
पारद लक्ष्मी साधना 43
श्रीयंत्र की महिमा 44
सुवर्ण के आभूषण धारण करने के विभिन्न लाभ 55
धन प्राप्ति और सुख समृद्धि के लिये वास्तु सिद्धांत 58
चेहरे पर तिल का प्रभाव 59
आईना एवं वास्तु सिद्धांत 60
स्थायी और अन्य लेख
संपादकीय 4
अप्रैल 2020 मासिक पंचांग 77
अप्रैल 2020 मासिक व्रत-पर्व-त्यौहार 79
अप्रैल 2020 -विशेष योग 86
दैनिक शुभ एवं अशुभ समय ज्ञान तालिका 86
दिन- रात के चौघडिये 87
दिन- रात कि होरा - सूर्योदय से सूर्यास्त तक 88
3. अनुक्रभ
अषम तृसतमा (अखातीज 26-अप्रैर-2020) 7 रक्ष्भी प्रासद्ऱ का अभोघ वाधन दत्षणालता ळॊख 33
अषम तृसतमा स्लमॊ सवत्रि अफूझ भुशूता 9
बगलान श्रीकृ ष्ण ने वभझामा अषम तृतीमा व्रत
का भाशात््म
36
अषम तृतीमा का धासभाक भशत्ल 11
अषम तृतीमा को स्थात्रऩत कयें रक्ष्भी प्रासद्ऱ शेतु
दुराब वाभग्रीमाॊ
37
अषम तृतीमा वे जुडी ऩौयात्णक भान्मताएॊ 12
ऩायद रक्ष्भी वाधना
43
भॊि सवि कारी शल्दी के त्रलसबन्न राब 15
श्रीमॊि की भफशभा
44
धन प्रासद्ऱ का अ ूक उऩाम स्पफटक श्रीमॊि का
ऩूजन
20
वुलणा के आबूऴण धायण कयने के त्रलसबन्न
राब
55
रक्ष्भी प्रासद्ऱ भें राबप्रद दुराब भॊि सवि कल
22
धन प्रासद्ऱ औय वुख वभृत्रि के सरमे लास्तु
सविाॊत
58
भत्कायी रक्ष्भी मॊि वे दूय शोगी आसथाक
वभस्माएॊ
24
ेशये ऩय सतर का प्रबाल
59
स्लमॊ सवि कयें रक्ष्भी भॊि 26 आईना एलॊ लास्तु सविाॊत 60
धन लऴााने लारी वात दुराब रक्ष्भी वाधनाएॊ 27
स्थामी औय अन्म रेख
वॊऩादकीम
4 दैसनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका
86
अप्रैर 2020 भासवक ऩॊ ाॊग 77 फदन- यात के ौघफडमे
87
अप्रैर 2020 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय 79 फदन- यात फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक
88
अप्रैर 2020 -त्रलळेऴ मोग
86
4. त्रप्रम आत्त्भम,
फॊधु/ फफशन
जम गुरुदेल
लैळाख ळुक्र ऩष की तृतीमा को अषम तृतीमा का ऩला भनामा जाता शैं। अषम तृतीमा स्लमॊसवि ल
अफूझ भुशूता शैं। एवी भान्मता शैं, फक अषम तृतीमा के फदन फकमा गमा दान, शलन, ऩूजन अषम (वॊऩूणा) अथाात
त्जवका षम (नाळ) नशीॊ शोता शैं।
फशॊदू धभाग्रॊथो भें अषम तृतीमा सतसथ वे जुडे कई यो क तथ्मक का लणान सभरता शै। इव त्रलळेऴाॊक भें
ऩाठको के भागादळान शेतु कु छ प्रभुख तथ्म प्रस्तुत कयने का प्रमाव फकमा गमा शैं।
बायतीम ऩॊ ाग के अनुवाय लऴा भें 19 अफूझ भुशूता ल 4 स्लमॊ सवत्रि भुशूता शोते शैं। अषम तृतीमा (आखा
तीज) बी अफूझ भुशूता ल सवत्रि भुशूता भें वे एक शैं।
अषम तृसतमा को ऩूये बायत लऴा भें कई नाभक वे जाना औय भनामा जाता शैं, त्जवभें भुख्म रुऩ वे
अषम तृतीमा, आखा तीज तथा लैळाख तीज प्रभुख शैं। इव लऴा 2020 भें अषम तृतीमा 26 अप्रैर यत्रललाय को शैं।
अषम तृसतमा के फदन कोई बी ळुब कामो का प्राय्ब कयना त्रलळेऴ ळुब भाना जाता शैं। ळास्त्रोक्त
भतानुळाय इव फदन कोई बी ळुब कामा ळुरु कयने वे उव कामा का पर सनत्द्ळत त्स्थय रुऩ भें प्राद्ऱ शोते शैं।
ळास्त्रो भें उल्रेख शैं फक लैळाख भाव के ळुक्र ऩष की तृसतमा अथाात अषम तृसतमा के फदन बगलान
के नय-नायामण, ऩयळुयाभ, शमग्रील रुऩ भें अलतरयत शुए थे। इव सरमे अषम तृसतमा को ऩयळुयाभ ल अन्म
जमत्न्तमाॊ भानकय उवे उत्वल रुऩ भें भनामा जाता शैं।
वाॊवारयक एलॊ वाभात्जक जीलन भें फकवी बी लस्तु के क्रम-त्रलक्रम का भुख्म आधाय वेतु धन शी भाना
गमा शै। एलॊ फशन्दू ळास्त्रोक्त लणा शैं धन की देली रक्ष्भी शैं, त्जनके प्रवन्न शोने वे भनुष्म को वबी प्रकाय वे
धन, वभृत्रि एलॊ ऐद्वमा की प्रासद्ऱ शोती शै। भाॊ रक्ष्भी को ॊ र भाना गमा शैं। अथाात रक्ष्भी जी फकवी एक
जगश फटकती नशीॊ शै। फकव प्रकाय रक्ष्भी का आगभन आऩके घय भें शोता यशे औय जीलन वे दु्ख, दरयद्र, कद्शो
वे छु टकाया प्राद्ऱ शो कय जीलान खुसळमक वे बय जाए उववे जुडे यशस्मो को बायतीम ऋत्रऴ भुसनमक ने खोज
सनकारा शैं।
त्रलद्रानो का कथन शै की अषम तृतीमा के फदन फकमा गमा दान, शलन, ऩूजन अषम (वॊऩूणा) अथाात
त्जवका षम (नाळ) नशीॊ शोता शैं। शय व्मत्रक्त की मश इच्छा शोती यशती शै फक उवे जीलन ऩमान्त अषम रक्ष्भी
की प्रासद्ऱ शोती यशे। इवसरए अषम तृतीमा के फदन देली रक्ष्भी एलॊ बगलान त्रलष्णु का ऩूजन अ ान त्रलळेऴ
राबप्रदान कयने लार भाना गमा शै। क्मोफक रक्ष्भी जी के वाथ त्रलष्णु जी का ऩूजन घयभें त्स्थय रक्ष्भी का
सनलाव भाना गमा शै।
आज के बौसतक मुग भें शय व्मत्रक्त की ाश शोती शैं की उवे असधक वे असधक धन-वॊऩत्रि एलॊ ऐद्वमा
प्राद्ऱ शो औय लश अषत रुऩ वे उवके ऩाव यशे। आज शय व्मत्रक्त अऩनी धन-वॊऩत्रि को फदन दोगुनी यात ौगुनी
यफ्ताय वे फढ़ाना ाशते शैं, इवसरए व्मत्रक्त रक्ष्भी प्रासद्ऱ शेतु त्रलसबन्न उऩाम जैवे भॊि, मॊि, तॊि एलॊ वाधना आफद
प्रमोगो को अऩना कय रक्ष्भीजी को प्रवन्न कय वकते शैं।
5. त्जन रोगक ने रक्ष्भी प्रासद्ऱ एलॊ अऩने घय भें वुख वभृत्रि के सरए रक्ष्भीजी की प्रवन्ना शेतु दुराब
वाभग्री को अऩने घय भें अलश्म स्थात्रऩत कय उवका सनमसभत ऩूजन-अ ान कयना फशए। त्जनके घय भें दुराब
वाभग्रीमाॊ ऩशरे वे स्थात्रऩत शो उन्शें असधक राब की प्रासद्ऱ शेतु रक्ष्भी प्रासद्ऱ के अन्म वयर उऩामक को बी
अऩने जीलन भें अलश्म आजभाना ाफशए। लश रोग जो इन दुराब वाभग्रीमक को स्थात्रऩत कयने भें अवभथा शैं,
उन रोगक को रक्ष्भी प्रासद्ऱ के अनुबूत उऩामो को अऩनाकय अऩने जीलन भें सनत्द्ळत रुऩ वे वुख-वभृत्रि एलॊ
ऐद्वमा प्राद्ऱ कयने का प्रमाव कयना ाफशए एलॊ इन उऩामक वे राब की प्रासद्ऱ शोने ऩय त्रलसबन्न दुराब लस्तुओॊ
को प्राद्ऱ कय अऩने घय भें अलश्म स्थात्रऩत कय उवना सनमसभत ऩूजन-अ ान कयना ाफशए।
अषम तृतीमा जैवे अफुझ भुशूता भें धन प्रासद्ऱ के त्रलळेऴ उऩामक को प्रायॊब कय सनत्द्ळत रुऩ वे अऩने
जीलन भें धन-लैबल, वुख-वभृत्रि का आगभन फकमा जा वकता शैं।
मफद व्मत्रक्त स्लमॊ कोई उऩाम प्रमोग मा वाधन इत्माफद द्राया स्लमॊ फकवी वाभग्री को सवि कयने भें
अवभथा शो को फकवी मोग्म गुरु मा ब्राह्मण वे बी कयला वकते शै अथला गुरुत्ल कामाारम द्राया ऩूणा प्राण
प्रसतत्रद्षत वाभग्रीमा वुरब भूल्म भें प्राद्ऱ कय त्रफना फकवी त्रलळेऴ ऩूजा अ ाना के राब प्राद्ऱ वकते शै।
त्रलद्रानक का कथन शैं की अषम तृतीमा के भशत्ल को जानते शुए ले बी मफद कोई इव अफुझ ळुब भुशूता
के राब वे लॊस त यश जाए तो वॊबल् उव अबागे भनुष्म का दुबााग्म शी शोगा की जो उवे इव ळुब भुशूता के
राब वे लॊस त यख यशा शोगा! इव अषम तृतीमा के ळुब भुशूता को त्रफना फकवी ऩूजन-अ ान अथला उऩाम
इत्माफद को फकमे फगैय छोड देना दुबााग्मऩूणा शै, धन-वॊऩत्रि एलॊ वॊऩन्नताकी काभना शेतु व्मत्रक्त को इव अलवय
का राब अलश्म उठाना ाफशए।
बायतीम त्रलद्रानक का भत शैं की वुलणा के आबूऴण को ळयीय के त्रलसबन्न अॊगक ऩय धायण कयने वे
अरग-अरग राबक की प्रासद्ऱ शोती शै। आमुलेद त्रलळेस के भतानुवाय वुलणा बष्भ के प्रमोग वे ळयीय को अनेक
प्रकाय के राब शोते शैं। वुलणा एक दुराब धातु शै। एलॊ वुलणा की बस्भ औऴसधम गुणक वे मुक्त असत दुराब शै।
वुलणा के आबूऴण का ळुब प्रबाल तबी शोता शैं जल मश शभाये ळयीय को स्ऩळा कय यशे शो।
इव अॊक भें शभने वुलणा वे जुडी कु छ यो क जानकायीमा आऩके भागादळान शेतु प्रकासळत फक गई शै।
इव भासवक ई-ऩत्रिका भें वॊफॊसधत जानकायीमक के त्रलऴम भें वाधक एलॊ त्रलद्रान ऩाठको वे अनुयोध शैं, मफद दळाामे
गए भॊि, द्ऴोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामक मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भें,
फडजाईन भें, टाईऩीॊग भें, त्रप्रॊफटॊग भें, प्रकाळन भें कोई िुफट यश गई शो, तो उवे स्लमॊ वुधाय रें मा फकवी मोग्म ज्मोसतऴी,
गुरु मा त्रलद्रान वे वराश त्रलभळा कय रे । क्मोफक त्रलद्रान ज्मोसतऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के सनजी अनुबल त्रलसबन्न भॊि,
द्ऴोक, मॊि, वाधना, उऩाम के प्रबालक का लणान कयने भें बेद शोने ऩय काभना सवत्रि शेतु फक जाने लारी लारी ऩूजन त्रलसध
एलॊ उवके प्रबालक भें सबन्नता वॊबल शैं।
आऩको एलॊ आऩके ऩरयलाय के वबी वदस्मक को गुरुत्ल कामाारम
ऩरयलाय की औय अषम तृतीमा की ळुबकाभनाएॊ ..
आऩका जीलन वुखभम, भॊगरभम शो भाॊ रक्ष्भी की कृ ऩा आऩके
ऩरयलाय ऩय फनी यशे। भाॊ रक्ष्भी वे मशी प्राथना शैं… स ॊतन जोळी