2. Agenda
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जीन वियाज़े का संज्ञानात्मक
विकास का वसद्धांत
संज्ञानात्मक विकास की अिस्थाएँ
वियाज़े क
़े संज्ञानात्मक विकास क
़े
वसद्धान्त की विश़ेषताएँ
जीन वियाज़े क
़े वसद्धान्त क
़े
शैविक वनविताथथ
वियाज़े क
़े संज्ञानात्मक विकास क
़े
वसद्धान्त क
़े दोष
जीन वियाज़े वित्र
3. जीन पियाजे का संज्ञानात्मक पिकास का पसद्ांत
• जीन प्याजे द्वारा प्रपतिापित संज्ञानात्मक पिकास पसद्ान्त (theory of cognitive
development) मानि बुद्धद् की प्रक
ृ पत एिं उसक
े पिकास से सम्बद्धित एक
पिशि पसद्ान्त है। प्याजे का मानना था पक व्यद्धि क
े पिकास में उसका बचिन
एक महत्विूर्ण भूपमका अिा करता है। प्याजे का पसद्ान्त, पिकास अिस्था
पसद्ान्त (developmental stage theory) कहलाता है। यह पसद्ान्त ज्ञान की
प्रक
ृ पत क
े बारे में है और बतलाता है पक मानि क
ै से ज्ञान क्रमशः इसका अजणन
करता है, क
ै से इसे एक-एक कर जोड़ता है और क
ै से इसका उियोग करता है।
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4. जीन पियाजे का संज्ञानात्मक पिकास का पसद्ांत
• जीन प्याजे ने व्यािक स्तर िर संज्ञानात्मक पिकास का अध्ययन पकया। पियाजे
क
े अनुसार, बालक द्वारा अपजणत ज्ञान क
े भण्डार का स्वरूि पिकास की प्रत्येक
अिस्था में बिलता हैं और िररमापजणत होता रहता है। पियाजे क
े संज्ञानात्मक
पसद्ान्त को विकासात्मक वसद्धान्त भी कहा जाता है। चूंपक उसक
े अनुसार,
बालक क
े भीतर संज्ञान का पिकास अनेक अिस्थाओ से होकर गुजरता है,
इसपलये इसे अिस्था वसद्धान्त (STAGE THEORY ) भी कहा जाता है।
• 2002 क
े एक सिेक्षर् में पियाजे को बीसिींशताब्दी क
े िू सरे सबसे
प्रभािशाली मनोिैज्ञापनक क
े रूि में स्थान पिया गया था।
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5. संज्ञानात्मक पिकास की अिस्थाओं
• जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक पिकास को चार अिस्थाओं में पिभापजत पकया है-
• (१) संिेपिक िेशीय अिस्था (Sensory Motor) : जन्म क
े 2 िर्ण
• (२) िूिण-संपक्रयात्मक अिस्था (Pre-operational) : 2-7 िर्ण
• (३) मूतण संपक्रयात्मक अिस्था (Concrete Operational) : 7 से12 िर्ण
• (४) अमूतण संपक्रयात्मक अिस्था (Formal Operational) : 12से 15 िर्ण
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6. संिेपिक िेशीय अिस्था
• जन्म क
े समय पशशु िाह जगत क
े प्रपत अनपभज्ञ होता है धीरे-धीरे ि आयु क
े
साथ साथ अिनी संिेिनाएं िह शारीररक पक्रयाओं क
े माध्यम से बाय जगत का
ज्ञान ग्रहर् करता है
• िह िस्तुओं को िेखकर सुनकर स्पशण करक
े गंध क
े द्वारा तथा स्वाि क
े माध्यम
से ज्ञान ग्रहर् करता है
• छोटे छोटे शब्दों को बोलने लगता है
• िररपचतों का मुस्कान क
े साथ स्वागत करता है तथा आि िररपचतों को िेख कर
भय का प्रिशणन करता है
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7. िूिण-संपक्रयात्मक अिस्था
• अिस्था में िू सरे क
े संिक
ण में द्धखलौनों से अनुकरर् क
े माध्यम से सीखता है
• द्धखलौनों की आयु इसी अिस्था को कहा जाता है
• पशशु, पगनती पगनना रंगों को िहचानना िस्तुओं को क्रम से रखना हल्क
े भारी का ज्ञान होना
• माता पिता की आज्ञा मानना, िूछने िर नाम बताना घर क
े छोटे छोटे कायों में मिि करना आपि
सीख जाता है लेपकन िह तक
ण पितक
ण करने योग्य नहींहोता इसीपलए इसे आतापक
ण क पचंतन की
अिस्था क
े नाम से भी जाना जाता है
• िस्तु स्थापयत्व का भाि जागृत हो जाता है
• पनजीि िस्तुओं में संजीि पचंतन करने लगता है इसे जीि िाि कहते हैं
• प्रतीकात्मक सोच िाई जाती है
• पशशु अहम िािी होता है तथा िू सरों को कम महत्व िेता है
7
8. मूतण संपक्रयात्मक अिस्था
• (7-12)िर्ण इस अिस्था में बालक पिद्यालय जाना प्रारम्भ कर लेता है एिं िस्तुओं
एि घटनाओं क
े बीच समानता, पभन्नता समझने की क्षमता उत्पन हो जाती है।
इस अिस्था में बालकों में संख्या बोध, िगीकरर्, क्रमानुसार व्यिस्था, पकसी
भी िस्तु ,व्यद्धि क
े मध्य िारस्पररक संबंध का ज्ञान हो जाता है। िह तक
ण कर
सकता है। संक्षेि में िह अिने चारों ओर क
े ियाणिरर् क
े साथ अनुक
ू ल करने क
े
पलये अनेक पनयम को सीख लेता है|
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9. औिचाररक या अमूतण संपक्रयात्मक अिस्था
• यह अिस्था 12 िर्ण क
े बाि की है इस अिस्था की पिशेर्ता पनम्न है :-
• तापक
ण क पचन्तन की क्षमता का पिकास
• समस्या समाधान की क्षमता का पिकास
• िास्तपिक-आिास्तपिक में अन्तर समझने की क्षमता का पिकास
• िास्तपिक अनुभिों को काल्पपनक िररद्धस्थपतयों में ढालने की क्षमता का पिकास
• िररकल्पना पिकपसत करने की क्षमता का पिकास
• पिसंगपतयों क
े संबंध में पिचार करने की क्षमता का पिकास
• जीन पियाजे ने इस अिस्था को अन्तज्ञाथन कहा है
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10. पियाजे क
े संज्ञानात्मक पिकास क
े पसद्ान्त की
पिशेर्ताएँ
• इस पसद्ान्त की मुख्य पिशेर्ताएँ पनम्नपलद्धखत हैं
(i) पियाजे क
े अनुसार संज्ञानात्मक पिकास चार पभन्न और सािणभौपमक अिस्थाओं
की शृखला या क्रम में होता है। पजनमें पिचारों का अमूतण स्तर बढता जाता है। ये
अिस्थाये सिैि एक ही क्रम में होती हैं तथा प्रत्येक अिस्था पिछली अिस्था में
सीखी िस्तुओं िर आधाररत होती है।
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11. Presentation title 11
ii) संज्ञानात्मक पिकास में आत्मसातीकरर् और संयोजन में समन्वय िर बल पिया जाता है।
(iii) पियाजे ने बालक क
े ज्ञान को "स्कीमा' से पनपमणत माना है। स्कीमा ज्ञान की िह मूल इकाई है पजसका
प्रयोग िूिण अनुभिों को संगपित करने क
े पलए पकया जाता है। जो नये ज्ञान क
े पलए आधार का काम
करती है।
(iv) संज्ञानात्मक पिकास में मानपसक कल्पना, भार्ा, पचन्तन, स्मृपत-पिकास, तक
ण , समस्या समाधान आपि
समापहत होते हैं।
(v) यह पसद्ान्त बताता है पक सीखने हेतु ियाणिरर् और पक्रया की आिश्यकता होती है।
(vi) इस पसद्ान्त क
े अनुसार बालकों में पचंतन एिं खोज करने की शद्धि उनकी जैपिक िररिक्वता एिं
अनुभि इन िोनों की अन्तःपक्रया िर पनभणर है।
(vii) पियाजे क
े अनुसार सीखना क्रपमक एिं आरोही प्रपक्रया होती है।
12. जीन पियाजे क
े पसद्ान्त क
े शैपक्षक पनपहताथण
• पियाजे क
े पसद्ान्त का पशक्षा क
े सैद्ाद्धन्तक और व्यािहाररक िक्ष िर बहुत प्रभाि है। यह एक ऐसे
दृपिकोर् क
े सृजन में सहयोग िेता है पजसका उन्नतशील उियुि पशक्षा क
े पिचार िर क
े द्धित रहता
है। इसका सम्बि शैपक्षक क
े साथ िातािरर्, िाठ्यक्रम, सामपग्रयों और अनुिेशन से होता है जोपक
पिद्याथी शारीररक और संज्ञानात्मक योग्यताओं क
े साथ-साथ उनकी सामापजक और भािात्मक
आिश्यकताओं से संगतता रखता है। पशक्षकों क
े पलए इस पसद्ान्त का पिशेर् महत्व है क्ोंपक यह
पशक्षकों क
े पशक्षर् को पिशेर् पिशा प्रिान करता है। इस पसद्ान्त का कक्षागत िररद्धस्थपत में पनम्न
शैपक्षक पनपहताथण स्वीकार पकया जाता है |
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13. Presentation title 13
(1). बच्ों की पचन्तन प्रपक्रया में अिधान क
े द्धित होना चापहए न|वक बस उनक
े उत्पािों या उिलद्धियों िर । बच्ों द्वारा
पकसी प्रश्न या समस्या िर िी गई प्रपतपक्रया या उत्तर की सत्यता जाँच करने क
े अपतररि पशक्षक को बच्ों द्वारा समस्या या
प्रश्न क
े उत्तर को प्राप्त करने में प्रयोग में लायी गई प्रपक्रया को समझना चापहए। बच्ों की मौजूिा स्तर की संज्ञानात्मक
प्रपक्रयाओं िर ही उियुि अपधगम अनुभि गपित होते हैं और क
े िल जब पशक्षक बच्ों क
े पकसी पिशेर् पनष्कर्ण में िहुँचने
क
े तरीक
े की सराहना करते हैं तो बच्े स्व-प्रोत्सापहत होकर उपचत संज्ञानात्मक प्रपक्रयाओं की संरचना करते हैं।
(2). अपधगम पक्रयाओं में बच्ों की स्व-िहल तथा सपक्रय सहभापगता को पनर्ाणयक भूपमका की मान्यता
िेनी चापहए। पियाजे क
े अनुसार कक्षा में रेडीमेड या तैयार ज्ञान क
े प्रस्तुतीकरर् िर कम महत्व पिया
जाए एिं बच्ों को िातािरर् क
े साथ सहज अंतःपक्रया क
े माध्यम से स्वयं क
े पलए खोज करने हेतु
प्रोत्सापहत पकया जाता है। इसीपलए, उििेशात्मक पशक्षर् क
े स्थान िर पशक्षक इसमें पक्रयाओं को
समृद् पिपिधता प्रिान करता है जोपक बच्ों को भौपतक संसार िर प्रत्यक्ष कायण करने की अनुमपत
िेता है।
(3) उन िररिापटयों को महत्व न िेना जो बच्ों क
े पचन्तन को ियस्क जैसा बनाने का उद्देश्य रखती
हों। इस सम्बि में पियाजे की प्रपसद् उद्धि पजसे अमेररकन प्रश्न क
े नाम से जाना जाता है। जोपक है
"हम क
ै से पिकास की तेज गपत िकड़ सकते हैं ?" उनका पिश्वास था पक बच्ों से अपधक गपत एिं
चरर्ों में अपधक शीघ्रता करिाने का हमारा प्रयास पशक्षर् को बेहतर कर सकता है।
14. पियाजे क
े संज्ञानात्मक पिकास क
े पसद्ान्त क
े िोर्
• (i) इस पसद्ान्त में क
े िल ज्ञानात्मक सम्प्रत्ययों की ही व्याख्या की गई है। यहाँ
क
ु छ कमी-सी प्रतीत होती है।
• (ii) यह पसद्ान्त बताता है पक मूतण संपक्रयात्मक अिस्था से िहले तापक
ण क और
क्रमबद् पचन्तन नहींकर सकता, जबपक शोधों से यह प्रिपशणत है पक िह िहले
भी पचन्तन कर सकता है।
• (iii) इस पसद्ान्त में संज्ञानात्मक पिकास का एक पिशेर् क्रम बताया गया है
जबपक यह तथ्य भी आलोचना से नही बच सकता है।
Presentation title 14
15. Presentation title 15
(iv) यह पसद्ान्त िस्तुपनष्ठ कम व्यद्धिपनष्ठ अपधक है।
(v) इस पसद्ान्त में पिकास क
े अन्य िक्षों िर ध्यान नहीं
पिया गया है।
(vi) पियाजे ने कहा पक संज्ञानात्मक पिकास व्यद्धि की
जैपिक िररिक्वता से सम्बद्धित है।