2. पद अर्थात शब्द कथ व्यथकरणिक दृणिकोिोों से पररचय करथनथ।
व्यथकरि क
े अन्तर्ात शब्दोों क
े रूप, र्ुि, धर्ा, लक्षि आणद की
जथनकथरी रखनथ आवश्यक है।
1. रथणधकथ बहुत अच्छथ र्ीत र्थती है।
2. र्ोहन प्रणतणदन बथजथर से फल लथतथ है।
उपयुाक्त वथक्ोों को ध्यथनपूवाक पढ़कर रेखथोंणकत शब्दोों क
े बथरे र्ें
णवचथर करें -
पद-पररचय
3. ‘णकसी वथक् र्ें प्रयुक्त शब्दोों अर्थात पदोों पर व्यथकरणिक दृणि से
प्रकथश डथलनथ ही पद-पररचय है ’।
पद क
े आठ प्रकथर होते हैं -
1. सोंज्ञथ 2. सवानथर् 3. णवशे षि 4. णियथ
5. णियथ-णवशे षि 6. सोंबों ध बोधक 7. सर्ु च्चबोधक एवों 8.
णवस्मयथणदबोधक।
यथनी ये भेद णवकथरी एवों अणवकथरी होते हैं ।
वथक् र्ें इनकथ प्रयोर् होने पर स्र्थन तर्थ सम्बन्ध क
े आधथर पर
पररचय करथनथ अणनवथया होतथ है ।
4. सोंज्ञथ शब्दोों क
े पद पररचय र्ें पथाँ च बथ तें ब तथ ई जथ नी चथ णह ए : -
1 . भे द - व्य क्तक्त वथ च क , जथ णत वथ च क , भथ व वथ च क ।
2 . णलों र् - पु क्तलों र् , स्त्री णलों र् ।
3 . व च न - ए क व च न , ब हु व च न ।
4 . कथ र क - क तथा , क र्ा , क र ि , सों प्र दथ न , अ पथ दथ न , सों बों ध ,
अ णध क र ि , सों बो ध न ।
5 . सों बों ध - णि यथ यथ अ न्य श ब्दोों से सों बों ध ।
उ दथ ह र िः - प र र्े श्व र ने णच त्र ब नथ णल यथ ।
‘ प र र्े श्व र ’ श ब्द कथ प द - प रर च य - 1 . व्य क्तक्त वथ च क सों ज्ञथ 2 . पु क्तलों र् 3 . ए क व च न
4 . क तथा कथ र क 5 . ’ ब नथ णल यथ ’ णि यथ
कथ क तथा ।
पद-पररचय क
े तलए मुख्य बािें:-
6. उदथहरिः1- व ह र्ु रु क
ु ल र् यथ ।
वहः- स वा नथ र् , अ न्य पु रु ष वथ च क , पु क्तलों र् , ए क व च न , क तथा ,
’ र् यथ ’ णि यथ कथ क तथा
उ दथ ह र िः - 2 व ह कौ न है , जो अ प ने रथ िर को न हीों पू ज तथ ?
कौ न - प्र श्न वथ च क स वा नथ र् , पु क्तलों र् , ए क व च न ,
सों बों ध कथ र क , ’ है ’ णि यथ कथ क तथा
जो - सों बों ध वथ च क स वा नथ र् , अ न्य पु रु ष , पु क्तलों र् ,
क तथा कथ र क , ’ पू ज तथ ’ णि यथ कथ क तथा
अ प ने - णन ज वथ च क स वा नथ र् , पु क्तलों र् , ए क व च न ,
सों बों ध कथ र क , ’ रथ िर को ’ सों बों धी श ब्द ।
8. णि यथ कथ भे द - स क र्ा क , अ क र्ा क , सों यु क्त ,
प्रे र िथ र्ा क , पू वा कथ णल क , नथ र् धथ तु ।
वथ च्य - क तता वथ च्य , क र्ा वथ च्य , भथ व वथ च्य ।
कथ ल - भू त कथ ल , व ता र्थ न कथ ल , भ णव ष्य त् कथ ल ।
णलों र् - पु क्तलों र् , स्त्री णलों र् ।
व च न - ए क व च न , ब हु व च न ।
सों बों ध - वथ क् क
े अ न्य प दोों से सों बों ध ।
णियथ कथ पद पररचयः-
9. उदथहरिः- णपतथजी सो रहे हैं।
सो रहे हैः - णियथ, सोंयुक्त णियथ, कततावथच्य
,वतार्थन कथल, पुक्तलोंर्, एकवचन।
उदथहरि- र्ैंने सोचथ र्थ णक र्ैं उसक
े णलए क
ु छ
कर्थऊ
ाँ |
सोचथ र्थ - सकर्ाक णियथ, कततावथच्य, वतार्थनकथल
पुक्तलोंर्, एक वचन
10. णि यथ - णव शे ष ि कथ भे द - री णत वथ च क , कथ ल वथ च क , स्र्थ न वथ च क , प रर र्थ ि वथ च क
उ दथ ह र िः - ’ चु न्नु - र्ु न्नु बथ ह र र् ए ’ ।
बथ ह रः - णि यथ णव शे ष ि , स्र्थ न वथ च क , ’ र् ए ’ णि यथ क
े स्र्थ न की णव शे ष तथ ।
उ दथ ह र ि : - र्ैं व हथाँ जथ क र ज रू र णर् लूाँ र्थ , तु र् भी ज ल्दी आ जथ नथ ।
व हथाँ : - स्र्थ न वथ च क णि यथ णव शे ष ि , ’ णर् लूाँ र्थ ’ , णि यथ की णव शे ष तथ ब तथ र हथ है ।
ज रू रः - ’ री णत वथ च क णि यथ णव शे ष ि र्ें णन श्च य बो ध क ’ णर् लूाँ र्थ णि यथ की णव शे ष तथ ब तथ
र हथ है ।
ज ल्दीः - री णत वथ च क णि यथ णव शे ष ि , प्र कथ र बो ध क ’ आ जथ नथ ’ णि यथ की णव शे ष तथ ब तथ र हथ
है ।
तिया -तवशेषण का पद पररचयः-
11. भेद- कथ ल वथ च क , स्र्थ न वथ च क, णद शथ वथ च क , कथ र ि वथ च क , तु ल नथ वथ च क ,
सथ ध न वथ च क , उ द्दे श्य वथ च क , स र्थ न तथ वथ च क , णव रो ध वथच क , सों बों धी श ब्द ।
जै से - क . चो र से प ह ले पु णल स प हुाँ ची
से प ह ले - सों बों ध बो ध क , कथ ल वथ च क
ख . छ त क
े ऊ प र कौ न बै ठथ है ?
ऊ प र - सों बों ध बो ध क ’ छ त क
े ’ , त र्थ ’ कौ न ’ इ स क
े सों बों धी
श ब्द हैं ।
सोंबोंध बोधक कथ पद -पररचयः-
12. (क) सर्ु च्चयबोधक कथ भेद - सोंयोजन, णवभथजक, णवरोध,
पररिथर्स्वरूप आणद।
(ख) सोंबों ध- वथक् क
े णजन पदोों को जोड़तथ है । योणजत शब्द यथ वथक्।
(1) रथक
े श ने खथनथ खथयथ और पढ़ने बै ठ र्यथ।
(2) र्थाँ ने कहथ णक आज वह खथनथ नहीों बनथएर्ी।
1. औरः- सर्थनथणधकरि सर्ु च्च्च्यबोधक, ’रथक
े श ने खथनथ खथयथ, तर्थ
पढ़ने बै ठ र्यथ - इन दोनोों वथक्ोों को णर्लथतथ है ।
2. णक - व्यणधकरि सर्ु च्चयबोधक, ‘र्थाँ ने कहथ णक’ तर्थ ‘वह खथनथ
नहीों बनथएर्ी’ - इन दो वथक्ोों को णर्लथतथ है ।
मुच्चयबोधक का पद-पररचयः-
13. णवस्मयथणदबोधक कथ भेद - हषा , शोक, णवस्मय, सोंबोधन
आणद।
उदथहरि 1:- अच्छथ! अब आरथर् से बै ठो।
अच्छथ - (।) णवस्मयथणदबोधक, स्वीक
त णतसूचक
(।।) स्वीक
त णत क
े भथव को दशथाने वथलथ।
उदथहरि 2:- ओह! तुर्ने तो सथरथ खथनथ सर्थप्त कर णदयथ।
ओह - णवस्मयथणदबोधक, आश्चया और खेद को प्रकट
करतथ है ।
14. णन दे शः - णन म्न णल क्तख त वथ क्ोों र्ें रे खथों णक त प दोों कथ प द प रर च य दी णज ए ।
1 . प प्पू ने र्े ह न त की औ र व ह द स वीों क क्षथ र्ें पथ स हो र् यथ ।
2 . अ रे ! आ प र्थाँ व से श ह र र्ें आ र् ए ।
3 . र्ैं अ र् ले र्थ ह तु म्हें ज य पु र र्ें णर् लूाँ र्थ ।
4 . क्थ ! उ स ने प री क्षथ न हीों दी ।
5 . य ह घो ड़थ र्े रे भथ ई कथ है , इ स णल ए र्ैं तु म्हें न हीों दे स क तथ ।
6 . श्री रथ र् चों द्र चौ द ह व षा क
े णल ए व न वथ स च ले र् ए ।
7 . ह र् सथ री रथ त भ ट क ते र हे प रों तु , क हीों णठ कथ नथ न हीों णर् लथ ।
8 . दी प क इ सी घ र र्ें र ह तथ है ।
9 . र्ैं घ र प हुाँ चथ ही र्थ णक णब ज ली च ली र् ई ।
1 0 . कथ या पथ ल क र् णज स्ट्रे ट ने आ दे श णद यथ औ र सथ री भी ड़ णब ख र र् ई ।
पुनरथवतणत्त प्रश्नः-
15. प्र. २. रेखथोंणकत पदोों र्ें से सही पररचय पर णनशथन लर्थइए।
रथर् र्ोहन कथ अच्छथ दोस्त है।
(क).व्यक्तक्त वथचक सोंज्ञथ, एकवचन, पुक्तलोंर्, कर्ाकथरक।
(ख). र्ुिवथचक णवशेषि, एकवचन, पुक्तलोंर्, ’दोस्त’ णवशेष्य।
(र्). सोंख्यथवथचक णवशेषि, बहुवचन, स्त्रीणलोंर्, ’र्ोहन’
णवशेष्य।
(घ). पररर्थिवथचक णवशेषि, एकवचन, पुक्तलोंर्, ’रथर्’
णवशेष्य।