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जोसेफ आ आसेनाथ
आसेनाथ क
े वििाह में राजा क
े बेटा आ बहुत रास लोक खोजैत छवथ |
1. प्रचुरताक पहिल वर्ष मे, दोसर मास मे, मासक पााँचम हदन, हिरौन यूसुि
क
ेाँ पूरा हमस्र देश मे घुमबाक लेल पठौलहन। पहिल वर्षक चाररम मास मे
अठारिम मास मे यूसुि िेहलयोपोहलसक सीमा पर पहाँचलाि आ ओहि
देशक धान क
ेाँ समुद्रक बालु जकााँ जमा कऽ रिल छलाि। ओहि नगर मे
पेन्टेफ्र
े स नामक एकटा आदमी छल, जे िेहलयोपोहलसक पुरोहित आ
हिरौनक सत्रप आ हिरौनक सभ सत्रप आ राजक
ु मार सभक प्रमुख छल।
ई आदमी अत्यंत धनी आरो बहत ऋहर् आरो सौम्य छे लै, आरो वू हिरौन क
े
सलािकार भी छे लै, क
ै न्हेंहक वू हिरौन क
े सब राजक
ु मारऽ सें भी अहधक
हववेकी छे लै। हनका एकटा क
ु मारर कन्या छलहन, जकर नाम छलहन असेनथ,
जे अठारि वर्षक छलीि, लंबा आ सुन्दर आ पृथ् वी पर सभ क
ु मारर कन्या साँ
बेसी सुन्दर। आसेनाथ स्वयं हमस्रक बेटी सभ क
ु मारर कन्या सभक समान
नहि छल, बल् हक सभ बात मे इब्रानी सभक बेटी सभक समान छल, ओ
सारा जकााँ लंबा आ ररबेका जकााँ सुन्दर आ रािेल जकााँ सुन्दर छल। ओकर
सौन्दयषक प्रहसद्धि ओहि समस्त देश आ संसारक छोर धरर पसरर गेल, जे एहि
कारणेाँ सभ राजपुत्र आ सत्रप हनका लुभाबय चािैत छलाि, नहि, आ राजा
सभक पुत्र सभ सेिो। सभ युवक आ पराक्रमी, आ हनका सभक कारणेाँ
हनका सभक बीच बहत झगडा भेल आ दुनू गोटे एक दोसराक हवरुि
लडबाक लेल हनर्ेध कयलहन। हिरौन क
े रऽ जेठका बेटा भी ओकरऽ बारे में
सुनी क
॑ अपनऽ हपता स॑ हवनती करतें हअ॑ किलक
ै हक िम्में िेहलयोपोहलस
क
े रऽ पहिलऽ आदमी पेन्टेफ्र
े स क
े रऽ बेटी असनाथ क
॑ पत्नी क
े रूप म॑ द॑
हदयौ । हनकर हपता हिरौन हनका किलहथन, ''जखन अिााँ एहि समस्त
देशक राजा छी तखन अिााँ अपना हदस साँ नीचााँक पत्नी हकएक तक
ै त छी?
नै, मुदा लो! मोआबक राजा योआसीमक बेटी अिााँक सगाई कयल गेल अहछ
आ ओ स्वयं एकटा रानी आ देखबा मे बहत सुन्दर छहथ। तखन एहि एकटा
क
ेाँ पत्नी मे अपना लेल लऽ हलअ।"
असेनाथ जावह टािर मे रहैत छवथ ओकर िर्णन अवछ ।
2. मुदा असेनाथ घमंडी आ घमंडी भऽ कऽ सभ क
ेाँ घमंडी आ हतरस्क
ृ त
कयलक आ ओकरा कहियो एक आदमी नहि देखलक
ै , हकएक तऽ
पेन्टेफ्र
े सक घर मे सटल एकटा बुजष छल, जे बहत पैघ आ ऊ
ाँ च छल, आ
बुजषक ऊपर एकटा मचान छल जाहि मे दस गोटे छल कक्ष। पहिल कोठली
पैघ आ बहत रमणीय छल आ बैंगनी रंगक पाथर साँ पक्का छल, आ ओकर
देबाल पर कीमती आ अनेक रंगक पाथर छल आ ओहि कोठलीक छत सेिो
सोनाक छल। ओहि कोठलीक भीतर हमस्रक देवता सभ हनधाषररत छल, जकर
संख्या नहि छल, सोना-चानी, आ सभ आसेनाथ आराधना करैत छलाि, आ
ओ हनका सभ साँ डेराइत छलीि आ ओ सभ हदन हनका सभक लेल बहल
चढ़बैत छलीि। दोसर कोठली मे असेनाथक सभटा श्ृंगार आ संदू क सेिो
छल, आ ओहि मे सोना, चानी आ सोना साँ बुनल बहत रास वस्त्र छल, जे
असीहमत छल, आ नीक-नीक आ बेसी दाम मे पाथर, आ हलनेनक मिीन
वस्त्र आ ओकर क
ु माररत्वक सभटा अलंकरण छल ओतय छल। तेसर
कोठली असेनथक भंडार छल, जाहि मे पृथ्वीक सभ नीक वस्तु छल। शेर्
सात कोठली मे असेनाथक सेवा करहनिार सातटा क
ु मारर सभ बैसल छलीि,
प्रत्येक कोठली मे एक-एकटा कोठली छलहन, कारण ओ सभ एक
े उम्रक
छलाि, आसेनाथक संग एकहि राहत मे जन्मल छलाि आ ओ हनका सभ साँ
बहत प्रेम करैत छलीि। आ ओ सभ सेिो स् वगषक तारा जकााँ अत्यंत सुन्दर
छल, आ ने ओकरा सभसाँ आ ने कोनो पुरुर् बच्चासाँ कहियो गप्प-सप्प नहि
क
े लक। आब असेनाथक जे पैघ कोठली मे हनकर क
ु माररत्वक पालन-पोर्ण
िोइत छलैक, ओहि मे तीन टा द्धखडकी छलैक; पहिल द्धखडकी बहत पैघ
छल, जे आाँगन हदस पूब हदस तक
ै त छल। दोसर दहक्षण हदस तक
ै त छल आ
तेसर गली हदस तक
ै त छल। कोठली मे सोनाक एकटा ओछाओन ठाढ़ छल
जे पूब हदस तक
ै त छल। ओछाइन पर सोना साँ गुंथल बैंगनी रंगक सामान
हबछाओल गेल छल, ओछाओन लाल आ हकरहमजी रंगक सामान आ मिीन
हलनेन साँ बुनल गेल छल। एहि पलंग पर असगरे असेनाथ सुतैत छलाि, आ
कहियो ओहि पर पुरुर् वा आन स्त्री नहि बैसल छलाि | घरक चारू कात
एकटा पैघ आाँगन छल आ आाँगनक चारू कात एकटा बहत ऊ
ाँ च देबाल छल
जे पैघ-पैघ आयताकार पाथर साँ बनल छल। आाँगन मे लोिा साँ झााँपल चारर
टा िाटक सेिो छलैक आ एहि सभ क
ेाँ एक-एकटा अठारि टा बलवान युवक
सभ िहथयारबंद करैत छलैक। आ देबालक कात मे सभ तरिक सुन्दर गाछ
सेिो लगाओल गेल छल आ सभ िलदार गाछ सेिो लगाओल गेल छल,
ओकर िल पाहक गेल छल, कारण िसल कटबाक मौसम छल ; आ ओिी
आाँगनक दहिना कात साँ पाहनक एकटा समृि झरना सेिो बिैत छल ; आ
झरना क
े नीचा एकटा पैघ क
ुं ड छल जे ओहि िव्वारा क
े पाहन ग्रिण करैत
छल, जतय स आाँगन क
े बीच स जेना एकटा नदी हनकलल छल आ ओ ओहि
आाँगन क
े सब गाछ क
े पाहन दैत छल।
यूसुफ पेन्टेफ्र
े स मे आबै क
े घोषर्ा करै छै।
3. सात वर्षक पहिल वर्ष मे चाररम मास, अडइसवााँ मास मे यूसुि ओहि
हजलाक मकई जमा करैत िेहलयोपोहलसक सीमा मे आहब गेलाि। जखन
यूसुि ओहि नगर लग पहाँचलाि तखन ओ बारि गोटे क
ेाँ अपना साँ पहिने
िेहलयोपोहलसक पुरोहित पेन्टेफ्र
े स लग पठौलहन जे, “िम आइ अिााँक लग
आहब जायब, हकएक ताँ दुपिर आ दुपिरक भोजनक समय अहछ।” रौदक
बहत गमी, आ जे िम तोिर घरक छत नीचााँ अपना क
ेाँ ठं ढा क' सकब।"
पेन्टेफ्र
े स ई बात सुहन कऽ बहत िहर्षत भऽ बजलाि: “यूसुिक परमेश् वर
परमेश् वर क
ेाँ धन्य िोहन, हकएक ताँ िमर प्रभु यूसुि िमरा योग्य बुझलहन।”
पेन्टेफ्र
े स अपन घरक पराक्रमी क
ेाँ बजा कऽ किलहथन, “जल्दी-जल्दी िमर
घर तैयार करू आ एकटा पैघ भोज तैयार करू, हकएक ताँ परमेश् वरक
पराक्रमी यूसुि आइ िमरा सभक लग आहब रिल छहथ।” आसेनाथ जखन
सुनलक जे ओकर हपता आ माय अपन उत्तराहधकार साँ आहब गेल छहथ त'
ओ बहत िहर्षत भ' गेलीि आ बजलीि: "िम जा क' अपन हपता-मााँ क
ेाँ देखब,
कारण ओ सभ िमरा सभक उत्तराहधकार साँ आयल छहथ" (एहि लेल िसल
क
े मौसम छल)। आसेनाथ जल्दी-जल्दी अपन वस्त्र पडल कोठली मे गेलाि
आ हकरहमजी रंगक सामान साँ बनल आ सोना साँ गुंथल मिीन हलनेन वस्त्र
पहिरर लेलहन आ सोनाक पट्टी आ िाथ मे क
ं गन बाद्धन्ह लेलहन। आ अपन
पैरक चारू कात सोनाक बद्धस्कन लगा देलहन आ गरदहन मे बहत दाम आ
कीमती पाथरक आभूर्ण ि
े कलहन, जे चारू कात अलंक
ृ त छल, जाहि पर
सभ ठाम हमस्रक देवताक नाम सेिो उक
े रल छल, दुनू क
ं गन पर आ पाथर
सभ। आ माथ पर मुक
ु ट सेिो लगा कऽ मंहदरक चारू कात मुक
ु ट बाद्धन्ह कऽ
माथ पर आवरण साँ झााँहप लेलहन |
पेन्टेफ्र
े स असेनथ क
ेेँ यूसुफ क
ेेँ वििाह मे देबाक प्रस्ताि रखैत अवछ।
4. तखन ओ जल्दी-जल्दी अपन मचान साँ सीढ़ी साँ नीचा उतरलीि आ अपन
हपता-मााँ लग आहब हनका लोकहन क
ेाँ चुम्मा लेलहन। पेन्टेफ्र
े स आ ओकर पत्नी
अपन बेटी असेनथ पर बहत िहर्षत भेलाि, हकएक ताँ ओ सभ ओकरा परमेश्
वरक कहनयााँ जकााँ सजल आ सुशोहभत देखलहन। ओ सभ अपन
उत्तराहधकार साँ जे नीक-नीक चीज अनने छलाि, तकरा सभ क
ेाँ आहन कऽ
अपन बेटी क
ेाँ दऽ देलहन। आ असेनाथ सभ नीक-नीक चीज पर, गमीक
अंहतम िल आ अंगूर आ खजूर आ कबूतर पर, आ शितूत आ अंजीर पर
आनद्धन्दत भेलाि, कारण ई सभ गोरा आ स्वाद मे नीक छल। पेन्टेफ्र
े स अपन
बेटी असेनथ क
ेाँ किलहथन, “बच्चा।” ओ बजलीि: "िम एतय छी, िमर
माहलक।" ओ ओकरा किलहथन, “िमरा सभक बीच बैहस जाउ, िम अिााँ
क
ेाँ अपन बात किब।” "देखू! परमेश् वरक पराक्रमी यूसुि आइ िमरा
सभक लग आहब रिल छहथ, आ ई आदमी हमस्रक समस्त देशक शासक
छहथ, आ राजा हिरौन हनका िमरा सभक समस्त देशक शासक आ राजा
हनयुक्त कयलहन, आ ओ स्वयं एहि समस्त देश क
ेाँ अन्न दैत छहथ।" , आ
ओकरा आगामी अकाल साँ बचाउ, आ ई यूसुि एकटा एिन आदमी अहछ
जे परमेश्वरक आराधना करैत अहछ, आ हववेकपूणष आ क
ु मारी आइ, आ बुद्धि
आ ज्ञान मे पराक्रमी मनुष्य, आ परमेश्वरक आत्मा ओकरा पर अहछ आ क
े र
क
ृ पा अहछ। प्रभु हनका मे छहथ।, हप्रय बच्चा, आऊ, िम अिााँ क
ेाँ हनका पत्नी
मे सौंप देबहन, आ अिााँ हनका लेल कहनयााँ बनबहन, आ ओ स्वयं अिााँक वर
सहदखन रिताि।" आ, जखन असेनाथ अपन हपताक ई बात सुहन हनका मुाँि
पर एकटा पैघ पसीना बिलहन, आ ओ बहत क्रोध साँ क्रोहधत भ' गेलीि, आ
ओ अपन हपता हदस हतरछा नजरर साँ तकलीि आ बजलीि: "एहि लेल, िमर
माहलक हपता।" , की अिााँ ई सभ बात किैत छी ? ओकरा।की ई ओ नहि
अहछ जे अपन मालहकनक संग पडल छल, आ ओकर माहलक ओकरा
अन्हारक जेल मे ि
े हक देलक, आ हिरौन ओकरा जेल साँ बािर हनकाहल
देलक, जाबत धरर ओ अपन सपना क
ेाँ व्याख्या करैत छल, जेना हमस्रक पैघ
महिला सभ सेिो व्याख्या करैत अहछ? मुदा िम राजाक जेठ बेटा साँ हववाि
करब, कारण ओ स्वयं समस्त देशक राजा छहथ।” ई बात सुहन पेन्टेफ्र
े स अपन
बेटी असेनथ साँ यूसुिक हवर्य मे आओर गप्प करबा मे लाज भेल, कारण
ओ ओकरा घमंड आ क्रोध साँ उत्तर देलक।
यूसुफ पेन्टेफ्र
े स क
े घर पहुेँचै छै।
5. आ देखू! पेन्टेफ्र
े सक नौकर मे साँ एकटा युवक उछहल कऽ भीतर आहब
गेल आ ओ ओकरा किलक: “देखू, यूसुि िमरा सभक आाँगनक दरबज्जा
सभक सोझााँ ठाढ़ छहथ।” आसेनाथ ई बात सुहन अपन बाप-मााँक मुाँि साँ भाहग
कऽ मचान मे चहल गेलीि आ अपन कोठली मे आहब पूब हदस तक
ै त पैघ
द्धखडकी पर ठाढ़ भ’ गेलीि जे यूसुि क
ेाँ अपन हपताक घर मे अबैत छहथ।
पेन्टेफ्र
े स ओकर पत्नी आ ओकर सभ पररजन आ ओकर नोकर सभ यूसुि
साँ भेंट करबाक लेल हनकहल गेलाि। जखन पूब हदस तक
ै त आाँगनक िाटक
खुजल तखन यूसुि हिरौनक दोसर रथ मे बैसल भीतर आहब गेलाि। चाररटा
घोडा सोनाक टुकडीक संग बि
ष जकााँ उज्जर घोडाक जुआ मे बान्हल छल
आ रथ सभटा शुि सोना साँ बनल छल। यूसुि उज्जर आ दुलषभ अंगरखा
पहिरने छलाि आ हनका चारू कात ि
े कल गेल वस्त्र बैंगनी रंगक छलहन,
जे सोना साँ गुंथल मिीन हलनेन साँ बनल छलहन, आ हनकर माथ पर सोनाक
माला छलहन आ हनकर माला क
े चारू कात बारि टा नीक-नीक पाथर
छलहन पाथर पर बारि सोनाक हकरण आ दहिना िाथ मे राजकीय लाठी,
जकर एकटा जैतूनक डारर पसरल छलैक आ ओहि पर प्रचुर मात्रा मे िल
छलैक। तखन जखन यूसुि आाँगन मे आहब गेलाि आ ओकर दरबज्जा बंद
भ’ गेल छल, आ िर पराया स्त्री-पुरुर् आाँगनक बािर रहि गेल छल, कारण
िाटकक पिरेदार सभ आहब क’ दरबज्जा बंद क’ देलक, तखन पेन्टेफ्र
े स
आ ओकर पत्नी आ सभ गोटे आहब गेलाि बेटी असेनाथ छोहड हनका
लोकहनक पररजन आ पृथ्वी पर अपन मुाँि पर यूसुि क
ेाँ प्रणाम कयलहन।
यूसुि अपन रथ साँ उतरर हनका सभ क
ेाँ िाथ साँ अहभवादन कयलहन।
असेनथ खखड़कीसेँ यूसुफक
ेेँ देखैत अवछ।
6. जखन असेनथ यूसुि क
ेाँ देखलहन तखन हनकर आत्मा मे बहत चुभन भ’
गेलहन आ हनकर मोन क
ु चललहन, आ हनकर ठे हन ढीला भ’ गेलहन आ
हनकर पूरा शरीर कााँहप गेलहन आ ओ बहत भय साँ डरर गेलीि, आ तखन
ओ क
ु िरैत हृदय मे बजलीि: “िाय िमरा।” दयनीय!आब िम, दयनीय,
कतय जायब, वा ओकर मुाँि साँ कतय नुकायल रिब, वा परमेश् वरक पुत्र
यूसुि िमरा कोना देखत, हकएक ताँ िम हनका हवर्य मे अधलाि बात किने
छी? दयनीय!िम कतय जा कऽ नुकायल रिब, हकएक ताँ ओ स्वयं सभ
नुकाएल स्थान देखैत अहछ आ सभ हकछु जनैत अहछ, आ ओकरा मे जे पैघ
इजोत अहछ ताहि साँ कोनो नुकायल वस्तु ओकरा साँ नहि बहच सक
ै त अहछ?’
आ आब यूसुिक परमेश् वर क
ृ पा करहथ िमरा एहि लेल हकएक ताँ िम
अज्ञानता मे हनका हवरुि दुर्् ट बात किहलयहन।िम आब की पाछााँ चलब?
स्वगष साँ सूयष जकााँ अपन रथ मे बैसल, आ आइ िमरा सभक घर मे प्रवेश
कयलहन, आ ओ पृथ्वी पर इजोत जकााँ ओहि मे चमक
ै त छहथ। मुदा िम मूखष
आ सािसी छी, हकएक ताँ िम ओकरा हतरस्क
ृ त क
े लहाँ आ ओकरा बारे मे
अधलाि बात किलहाँ आ ई नहि बुझलहाँ जे यूसुि परमेश् वरक पुत्र छहथ।
मनुख मे एिन सौन्दयष क
े जनम देत, आ ने स्त्री क
े कोन गभष एिन प्रकाश क
े
जन्म देत? िम दयनीय आ मूखष छी, कारण िम अपन हपता क
ेाँ अधलाि बात
किने छी। आब िमर हपता िमरा यूसुि क
ेाँ दासी आ दासीक रूप मे दऽ
हदयौक, आ िम हनका सदाक लेल गुलाम रिब।”
यूसुफ खखड़की पर असेनथ क
ेेँ देखैत अवछ।
7. यूसुि पेन्टेफ्र
े सक घर मे आहब एकटा क
ु सी पर बैसलाि। ओ सभ हनकर
पएर धो कऽ हनका सामने अलग-अलग टेबुल राद्धख देलहथन, कारण यूसुि
हमस्रक लोक सभक संग भोजन नहि करैत छलाि, हकएक ताँ ई हनका लेल
घृहणत बात छलहन। यूसुि आाँद्धख उठा कऽ देखलक जे असेनथ बािर झााँहक
रिल अहछ आ ओ पेन्टेफ्र
े स क
ेाँ किलक: "ओ महिला क
े अहछ जे द्धखडकीक
कात मे मचान मे ठाढ़ अहछ? ओकरा एहि घर साँ दू र चहल जाउ।" कारण,
यूसुि डरैत छलाि जे, “किींओिो िमरा हचढ़ा नहि देताि।” हकएक ताँ हमस्र
देशक सभ राजपुत्र सभक स् त्री-पुत्री आ सहचव सभ हनका संग सुतबाक
लेल हचढ़बैत छलहन। मुदा हमस्रक बहतो पत्नी आ बेटी सभ सेिो यूसुि क
ेाँ
देखहनिार सभ हनकर सुन्दरताक कारणेाँ व्यहथत भऽ गेलाि। आ जे दू त सभ
स् त्रीगण सभ सोना-चानी आ अनमोल उपिार ल' क' हनका लग पठौलहन,
यूसुि धमकी आ अपमाहनत करैत वापस पठौलहन जे, "िम प्रभु परमेश् वर
आ अपन हपता इस्राएलक मुाँि मे पाप नहि करब।" कारण, यूसुिक आाँद्धखक
सोझााँ परमेश् वर सहदखन रिैत छलाि आ अपन हपताक आज्ञा सभ क
ेाँ
सहदखन मोन पाडैत छलाि। कारण, याक
ू ब प्रायः अपन पुत्र यूसुि आ
ओकर सभ बेटा सभ क
ेाँ बजैत छलाि आ सलाि दैत छलाि: "िे बच्चा सभ,
अपना क
ेाँ कोनो परदेशी स् त्री साँ सुरहक्षत राखू, जाहि साँ ओकरा संग संगहत
नहि िो, हकएक ताँ ओकर संगहत हवनाश आ हवनाश हथक।" तेाँ यूसुि
किलहथन, “ओ स् त्री एहि घर साँ चहल जाय।” आ पेन्टेफ्र
े स हनका किलहथन:
"िे माहलक, जे स्त्री क
ेाँ अिााँ मचान मे ठाढ़ देखलहाँ, ओ कोनो परदेशी नहि
अहछ, बल् हक िमर सभक बेटी अहछ, जे सभ पुरुर् साँ घृणा करैत अहछ, आ
अिााँ क
ेाँ छोहड आइ धरर कोनो आन पुरुर् ओकरा नहि देखने अहछ; आ।" ,
जाँ अिााँक इच्छा िोयत, प्रभु, ओ आहब क' अिााँ साँ गप्प करत, कारण जे िमर
बेटी अिााँक बहिन जकााँ अहछ।" यूसुि बहत खुशी साँ आनद्धन्दत भेलाि,
हकएक तऽ पेन्टेफ्र
े स किलहथन: “ओ क
ु मारर छहथ जे सभ पुरुर् साँ घृणा करैत
छहथ।” यूसुि पेन्टेफ्र
े स आ हनकर पत्नी क
ेाँ किलहथन, “जाँ ओ अिााँक बेटी
छहथ आ क
ु मारर छहथ ताँ हनका आहब जाउ, कारण ओ िमर बहिन छहथ, आ
िम आइ साँ हनका अपन बहिन जकााँ प्रेम करैत छी।”
यूसुफ असेनाथ क
े आशीिाणद दैत छवथन।
8. तखन ओकर माय लॉफ्ट मे ऊपर उहठ क' यूसुि लग आसेनाथ अनलक,
आ पेन्टेफ्र
े स ओकरा किलक: "तोिर भाइ क
ेाँ चुप्पी करू, कारण ओ आइयो
अिााँ जकााँ क
ु मारी छहथ, आ िर हवहचत्र महिला साँ सेिो घृणा करैत छहथ, एतय
धरर ." आसेनाथ यूसुि क
ेाँ किलहथन, “िे प्रभु, परमेश् वरक आशीवाषहदत
जय-जयकार।” यूसुि ओकरा किलक
ै , ''परमेश् वर जे सभ हकछु जीवंत करै
छै , तोरा आशीवाषद देतै, कन्या।" पेन्टेफ्र
े स तखन अपन बेटी असेनथ साँ
किलक
ै , "आउ, तोिर भाय क
ेाँ चुम्मा हलअ।" तखन जखन असेनथ यूसुि क
ेाँ
चुम्मा लेबय लेल ऊपर अयलाि, तखन यूसुि अपन दहिना िाथ बढ़ौलहन
िाथ, आ ओकरा अपन दुनू पपडीक बीच ओकर छाती पर राद्धख देलक
(कारण ओकर पपडी पहिने साँ हप्रय नेबो जकााँ ठाढ़ छल), आ यूसुि
किलक: "ई मनुष्य लेल उहचत नहि जे परमेश् वरक आराधना करैत अहछ,
जे अपन मुाँि साँ जीहवत परमेश् वर क
ेाँ आशीवाषद दैत अहछ। आ जीवनक धन्य
रोटी खाइत अहछ, अमरताक धन्य प्याला पीबैत अहछ, आ अहवनाशीक धन्य
अहभर्ेक साँ अहभहर्क्त िोइत अहछ, जे एकटा परदेशी स्त्री क
ेाँ चुम्मा लैत
अहछ, जे अपन मुाँि साँ मृत आ बिीर मूहतष क
ेाँ आशीवाषद दैत अहछ आ ओकर
टेबुल साँ गला घोंटबाक रोटी खाइत अहछ आ ओकरा सभक प्याला साँ छलक
प्याला पीबैत अहछ आ हवनाशक अहभर्ेक कयल जाइत अहछ। मुदा जे
आदमी परमेश् वरक आराधना करैत अहछ, ओ अपन माय आ बहिन क
ेाँ
चुम्मा लेत जे अपन माय साँ जन्मल अहछ आ ओहि बहिन क
ेाँ जे अपन गोत्र साँ
जन्मल अहछ आ ओहि पत्नी क
ेाँ जे अपन सोिा मे बााँटैत अहछ, जे अपन मुाँि
साँ जीहवत भगवान क
ेाँ आशीवाषद दैत अहछ। तहिना परमेश् वरक आराधना
करय बला स् त्री क
ेाँ कोनो परदेशी पुरुर् क
ेाँ चुम्मा लेब उहचत नहि, हकएक ताँ
प्रभु परमेश् वरक नजरर मे ई घृहणत बात अहछ।" आ असेनथ जखन यूसुि
साँ ई बात सुनलक तऽ ओ बहत व्यहथत भऽ क
ु िरलीि ;आ जखन ओ आाँद्धख
खोहल कऽ यूसुि हदस अहडग नजरर साँ तक
ै त छलीि तखन ओ सभ नोर साँ
भरर गेलाि।तखन यूसुि हनका कानैत देद्धख हनका पर बहत दया उठलहन,
कारण ओ कोमल आ दयालु छलाि आ प्रभु साँ डेराइत छलाि।तखन ओ
अपन दहिना िाथ ओकर माथक ऊपर उठा कऽ बजलाि: "िमर हपता
इस्राएलक प्रभु परमेश् वर, परमेश् वर आ पराक्रमी परमेश् वर, जे सभ हकछु
क
ेाँ जीवंत करैत छहथ आ अन् िार साँ इजोत मे आ भ्रम साँ सत्य हदस आ मृत्यु
साँ जीवन मे बजबैत छहथ। अिााँ एहि क
ु मारर क
ेाँ सेिो आशीवाषद हदअ, आ
ओकरा जीहवत करू आ अपन पहवत्र आत् मा साँ नव बनाउ, आ ओकरा
अपन जीवनक रोटी खाउ आ अिााँक आशीवाषदक प्याला पीब, आ ओकरा
अपन लोकक संग हगनती करू, हजनका अिााँ सभ हकछु बनबा साँ पहिने
चुनने रिी। आ ओकरा तोिर हवश्ाम मे प्रवेश करौक जे तोाँ अपन चुनल गेल
हवश्ाम मे तैयार कऽ रिल छी, आ ओकरा तोिर अनन्त जीवन मे अनन्त काल
धरर जीबय हदयौक।”
असेनाथ ररटायर भ' जाइत अवछ आ जोसेफ प्रस्थान करबाक तैयारी
करैत अवछ।
9. आसेनाथ यूसुिक आशीवाषद पर अत्यंत आनद्धन्दत भ’ गेलाि। तखन ओ
िडबडा कऽ असगरे अपन मचान पर चहढ़ गेलीि आ कमजोरी मे अपन
पलंग पर खहस पडलीि, कारण हनका मे आनन्द आ दुः ख आ बहत भय
छलहन। यूसुि साँ ई बात सुहन आ परमेश् वर परमेश् वरक नाम साँ हनका साँ
बजला पर हनका पर लगातार पसीना बिैत छलहन। तखन ओ बहत आ कटु
कानैत कानय लगलीि आ पश्चाताप मे अपन देवता सभ साँ घुरर गेलीि,
हजनकर पूजा करबाक आदहत छलहन, आ मूहतष सभ साँ, जकरा ओ हतरस्कार
करैत छलीि आ सााँझक प्रतीक्षा करैत छलीि। मुदा यूसुि खाइत-पीबैत
छलाि। ओ अपन सेवक लोक सभ क
ेाँ किलहथन जे घोडा सभ क
ेाँ अपन रथ
मे जोहड हदयौक आ पूरा देश मे घुमबाक लेल। पेन्टेफ्र
े स यूसुि क
ेाँ किलहथन,
“िमर माहलक क
ेाँ आइ एत’ ठिरय हदयौक, आ भोरे-भोर चहल जायब।” आ
यूसुि किलहथन: "नहि, मुदा आइ िम चहल जायब, हकएक ताँ एहि हदन
परमेश् वर अपन सभ सृहि बनबऽ लगलाि, आ आठम हदन िमहाँ अिााँ सभ
लग घुरर कऽ एतऽ ठिरब।"
असेनाथ वमस्र क
े देिता सब क
े नकारैत अवछ आ अपना क
े नीचा देखा
दैत अवछ |
10. जखन यूसुि घर साँ बािर हनकललाि तखन पेन्टेफ्र
े स आ ओकर सभ
पररजन अपन उत्तराहधकार हदस चहल गेलाि, आ असेनथ सात क
ु मारर
कन्याक संग असगरे रहि गेलाि, सूयाषस्त धरर बेचैन आ काहन रिल छलाि।
आ ने रोटी खाइत छलीि आ ने पाहन पीबैत छलीि, मुदा सभ सुतैत काल
स्वयं असगरे जागल छलीि आ काहन रिल छलीि आ बेर-बेर िाथ साँ छाती
पीहट रिल छलीि | एहि बातक बाद असेनथ अपन ओछाओन पर साँ उहठ
कऽ चुपचाप मचान पर साँ सीढ़ी साँ नीचा उतरर गेलाि आ िाटक पर पहाँचला
पर दरबज्जा क
ेाँ अपन बच्चा सभक संग सुतल देखलहन। आ जल्दी-जल्दी
दरबज्जा पर साँ पदाषक चमडाक आवरण उतारर ओकरा हसंडर साँ भरर क'
मचान पर ल' क' िशष पर राद्धख देलक। आ तखन ओ दरबज्जा क
ेाँ सुरहक्षत
रूप साँ बंद क' क' कात साँ लोिाक बोल्ट साँ बाद्धन्ह लेलक आ बहत आ बहत
पैघ कानब साँ एक संग बहत क
ु िरैत क
ु िरलीि। मुदा ओ क
ु मारर जकरा
असेनाथ सभ क
ु मारर सभसाँ बेसी प्रेम करैत छलाि, ओकर क
ु िरब सुहन
िडबडा कऽ आन क
ु मारर सभक
ेाँ सेिो जगबैत दरबज्जा पर आहब गेल आ
दरबज्जा बंद पाहब गेल। आ, जखन ओ असेनाथक क
ु िरब आ कानब
सुनलीि त' बािर ठाढ़ भ' क' हनका बजलीि: "की अहछ, िमर मालहकन,
आ अिााँ हकएक दुखी छी? आ ई की अहछ जे अिााँ क
ेाँ परेशान क' रिल अहछ?
िमरा सभ क
ेाँ खोहल हदयौक आ छोहड हदयौक।" िम अिााँक
ेाँ देखैत छी।" आ
असेनाथ भीतर बंद भ' क' ओकरा किलद्धखन: "िमर माथ पर बहत पैघ आ
किदायक पीडा आहब गेल अहछ, आ िम अपन हबछौन पर आराम क' रिल
छी, आ िम उहठ क' अिााँक सोझााँ नहि खुहज सक
ै त छी, कारण िम अपन
समस्त अंग पर कमजोर छी।" तेाँ अिााँ सभ मे साँ प्रत्येक अपन कोठली मे जा
कऽ सुहत जाउ, आ िमरा शान्त रिय हदअ।” आ, जखन क
ु मारर सभ अपन-
अपन कोठली हदस चहल गेलीि, तखन असेनाथ उहठ क' चुपचाप अपन
बेडरूमक क
े बाड खोललहन, आ अपन दोसर कोठली मे चहल गेलीि जतय
हनकर श्ृंगारक छाती छल, आ ओ अपन कोठरी खोहल एकटा कारी आ...
सोम्ब्रे ट्यूहनक जे ओ पहिरने छलीि आ जेठ भाइक मृत्यु भेला पर शोक करैत
छलीि | तखन ई अंगरखा ल' क' ओ ओकरा अपन कोठली मे ल' गेलीि, आ
ि
े र दरबज्जा क
ेाँ सुरहक्षत रूप साँ बंद क' लेलहन, आ बोल्ट क
ेाँ कात साँ राद्धख
देलहन। तखन, तेाँ, असेनाथ अपन राजवस्त्र उतारर, शोकक अंगरखा पहिरर
लेलक, आ अपन सोनाक करधनी ढीला क' रस्सी साँ बान्हल आ माथ साँ
मुक
ु ट, अथाषत हमत्र, उतारलक, तहिना मुक
ु ट सेिो, आ... िाथ आ पैरक
जंजीर सेिो सभटा िशष पर हबछाओल गेल छलहन। तखन ओ अपन चुनल
वस्त्र आ सोनाक करधनी आ माइटर आ मुक
ु ट लऽ कऽ ओहि द्धखडकीसाँ जे
उत्तर हदस तक
ै त छल, गरीब सभ हदस ि
े हक देलक। तखन ओ अपन कोठली
मे अपन सभ देवता, सोना आ चानीक देवता क
ेाँ लऽ कऽ ओकरा सभ क
ेाँ
टुहट-टुकडा कऽ कऽ द्धखडकी साँ गरीब आ हभखारी सभक समक्ष ि
े हक
देलक। आ ि
े र असेनाथ अपन राजकीय भोजन आ मोटगर बच्चा आ माछ
आ बछडाक मांस आ अपन देवताक सभ बहलदान आ मद्यपानक बतषन सभ
लऽ कऽ सभटा ओहि द्धखडकीसाँ ि
े हक देलक जे उत्तर हदस क
ु क
ु र सभक
भोजनक रूपमे देखाइत छल . 2 एहि बात सभक बाद ओ चमडाक आवरण
लऽ कऽ िशष पर ढारर देलहन। तखन ओ बोरा वस्त्र लऽ कऽ कमर मे पट्टी
बाद्धन्ह लेलक। माथक क
े शक जाल सेिो खोहल कऽ माथ पर राख हछडहक
देलहन। ओ िशष पर हसंडर सेिो हबछाबैत रिलीि आ हसंडर पर खहस
पडलीि आ िाथ साँ छाती पर लगातार पीटैत रिलीि आ भोर धरर क
ु िरैत
राहत भरर कानैत रिलीि। आ, जखन असेनाथ भोरे उहठ कऽ देखलक, आ
देखू! हसंडर ओकर नीचााँ ओकर नोर साँ माहट जकााँ छलैक, ओ ि
े र सूयाषस्त
धरर हसंडर पर मुाँि पर खहस पडलीि | एहि तरिें आसेनाथ सात हदन धरर
क
े लहन, जे हकछु स्वाद नहि लेलहन।
असेनाथ इब्रानी क
े परमेश्वर स प्राथणना करै क
े संकल्प लै छै।
11. आठम हदन जखन भोर भेल आ हचडै सभ पहिने साँ चिक
ै त छल आ
क
ु क
ु र सभ रािगीर सभ पर भौंक
ै त छल तखन असेनथ िशष आ जाहि हसंडर
पर बैसल छलीि ताहि साँ माथ कनेक ऊपर उठौलहन, कारण ओ अत्यहधक
थाहक गेल छलीि आ अपन पैघ अपमान साँ अंग-अंगक शद्धक्त गमा लेने
छलीि; कारण, असेनाथ थाहक गेल आ बेिोश भ' गेल छल आ ओकर ताकत
कमजोर भ' रिल छलैक, आ तखन ओ पूब हदस तक
ै त द्धखडकीक नीचा
बैसल देबाल हदस घुहम गेलीि। िाथक आाँगुर दहिना ठे हन पर जोडैत माथ
कोरा पर राद्धख लेलहन। ओकर मुाँि बन्न भऽ गेलै, आ अपमाहनत भेल सात
हदन आ सात राहत मे ओ मुाँि नहि खोललक
ै । आ ओ मुाँि नहि खोलैत मोने-
मोन बजलीि: "िम की करब, िम नीच, वा कतय जायब? आ िम ि
े र क
े करा
संग शरण लेब? वा िम ककरा साँ गप्प करब, जे क
ु मारी अहछ।" एकटा अनाथ
आ उजाड आ सबिक पररत्यक्त आ घृहणत?सब आब िमरा साँ घृणा करय
लेल आहब गेल अहछ, आ एहि मे िमर हपता आ माय तक, ताहि लेल िम
देवता लोकहन क
ेाँ घृणा साँ हतरस्कार क
े लहाँ आ ओकरा सभ क
ेाँ दू र क'
देहलयैक आ गरीब क
ेाँ द' देलहाँ मनुष्य द्वारा नि भ' जाय। कारण िमर हपता
आ माय किने छलीि: "आसेनाथ िमर बेटी नहि छहथ।"मुदा िमर सभ
पररजन सेिो िमरा आ सभ लोक साँ घृणा करय लेल आयल अहछ, कारण
िम हनकर देवता क
ेाँ हवनाश मे द' देलहाँ।आ िम घृणा क
े लहाँ िर आदमी आ
जे सभ िमरा लुभाबैत छल, आब िमर एहि अपमान मे िमरा सभक घृणा भ
’ गेल अहछ आ ओ सभ िमर संकट पर आनद्धन्दत भ’ रिल अहछ आ परदेशी
देवताक आराधना करयवला सभक हवरुि भयावि, जेना िम सुनने छी,
जाहि साँ ओ िमरा साँ सेिो घृणा कयलहन, कारण िम मृत-बहिर मूहतष सभक
पूजा करैत छलहाँ आ ओकरा सभ क
ेाँ आशीवाषद दैत छलहाँ। मुदा आब िम
हनका सभक बहलदान साँ परिेज कऽ देलहाँ, आ िमर मुाँि हनका सभक
टेबुल साँ दू र भऽ गेल अहछ, आ िमरा परमेश् वर परमेश् वर परमेश् वर,
पराक्रमी यूसुिक परमात्मा आ परमेश् वर क
ेाँ पुकारबाक सािस नहि अहछ,
कारण एहि साँ िमर मुाँि दू हर्त अहछ मूहतष क
े बहलदान। मुदा िम बहतो लोक
क
ेाँ ई किैत सुनने छी जे इब्रानी सभक परमेश् वर एकटा सत् य परमेश् वर
छहथ, आ जीहवत परमेश् वर छहथ, आ दयालु परमेश् वर छहथ आ दयालु आ
धैयषवान आ दया साँ भरल आ कोमल छहथ, आ जे मनुर्् यक पाप नहि मानैत
छहथ जे हवनम्र अहछ, आ हवशेर् रूप साँ ओहि लोकक लेल जे अज्ञानता मे
पाप करैत अहछ, आ पीहडत लोकक दुः खक समय मे अधमषक दोर्ी नहि
ठिरबैत अहछ। तदनुसार िमहाँ, हवनम्र, सािसी रिब आ हनका हदस घुरब
आ हनका शरण लेब आ हनका समक्ष अपन सभ पाप स्वीकार करब आ
हनका समक्ष अपन याचना उझहल देब, आ ओ िमर दुदषशा पर दया करताि।
हकएक ताँ क
े जनैत अहछ जे ओ िमर ई अपमान आ िमर प्राणक उजाड देद्धख
िमरा पर दया करत आ िमर दयनीयता आ क
ु माररत्वक अनाथपन सेिो
देद्धख िमरा रक्षा करत? कारण, जेना िम सुनैत छी, ओ स्वयं अनाथ बच्चा
सभक हपता आ पीहडत सभक सान्त्त्वना आ प्रताहडत सभक सिायक छहथ।
मुदा कोनो िालत मे िमहाँ हवनम्र सािसी रिब आ ओकरा लग कानब। तखन
असेनाथ जाहि देबाल पर बैसल छलीि, ओहि देबाल साँ उहठ कऽ ठे हन पर
पूब हदस उहठ कऽ स्वगष हदस नजरर दौडा कऽ मुाँि खोहल परमेश् वर साँ
किलहथन।
आसेनाथ क
े प्राथणना
12. असेनाथक प्राथषना आ स्वीकारोद्धक्त: "धमी लोकहनक प्रभु परमेश् वर, जे
युग सभक सृजन करैत छहथ आ सभ वस्तु क
ेाँ जीवन दैत छहथ, जे अिााँक
समस्त सृहि क
ेाँ जीवनक सााँस देलहन, जे अदृश्य वस्तु क
ेाँ इजोत मे बािर
अनलहन, जे बनौलहन।" सब हकछु आ प्रकट कयलहन जे नहि भेल छल, जे
स्वगष क
ेाँ ऊपर उठबैत अहछ आ पाहन पर पृथ्वी क
ेाँ नींव करैत अहछ, जे पैघ-
पैघ पाथर क
ेाँ पाहनक अथाि पर द्धस्थर करैत अहछ, जे डू बल नहि जायत, मुदा
अंत धरर अिााँक इच्छा पूरा करैत अहछ। कारण जे अिााँ प्रभु, वचन
किहलयहन आ सभ हकछु अद्धस्तत्व मे आयल, आ अिााँक वचन, प्रभु, अिााँक
सभ प्राणीक जीवन हथक, अिााँ लग िम शरण लेल भागैत छी, प्रभु िमर
परमेश् वर, आब साँ िम अिााँ लग पुकारब, प्रभु , आ तोरा लेल िम अपन पाप
स्वीकार करब, तोरा लेल िम अपन याहचका उझहल देब, माहलक, आ तोरा
लेल िम अपन अराजकता क
े उजागर करब।िमरा, प्रभु, स्पेयर, जे िम तोरा
हवरुि बहत रास पाप क
े लहाँ, िम अराजकता क
े लहाँ आ अभद्धक्त, िम एिन
बात किलहाँ जे बाजल नहि जाय, आ अिााँक नजरर मे दुि, िमर मुाँि प्रभु,
हमस्रक मूहतष सभक बहलदान आ हनकर देवता सभक मेज साँ दू हर्त भऽ गेल
अहछ तोिर दृहि, ज्ञान आ अज्ञान दुनू मे िम अभद्धक्त क
े लहाँ जे िम मृत-बहिर
मूहतषक पूजा करैत छलहाँ, आ िम अिााँ क
ेाँ मुाँि खोलबाक योग्य नहि छी, प्रभु,
िम पेन्टेफ्र
े स पुरोहितक दयनीय असेनथ पुत्री, क
ु मारर आ रानी। जे कहियो
घमंडी आ घमंडी छल आ िमर हपताक धन मे सब मनुक्ख साँ बेसी समृि
छल, मुदा आब अनाथ आ उजाड आ सब मनुक्ख साँ पररत्यक्त। िे प्रभु, िम
तोरा लग भागैत छी आ तोरा लग अपन हवनती अहपषत करैत छी, आ तोरा लग
पुकारब। जे िमरा पाछााँ-पाछााँ चलैत अहछ, ओकरा सभ साँ िमरा मुक्त
करू। गुरु, िमरा हनका सभक द्वारा लऽ जाय साँ पहिने; हकएक ताँ जेना
कोनो हशशु ककरो डरसाँ अपन बाप-माए लग भाहग जाइत अहछ आ ओकर
हपता िाथ पसारर कऽ ओकरा छातीसाँ पकहड लैत अहछ जेना अिााँ सेिो
करू। प्रभु, बाल-प्रेमी हपता जकााँ िमरा पर अपन हनमषल आ भयावि िाथ
पसारर हदअ आ िमरा अलौहकक शत्रु क
े र िाथ साँ पकहड हलअ। लो क
े लेल!
प्राचीन आ जंगली आ क्र
ू र हसंि िमरा पाछााँ पडैत अहछ, कारण ओ हमस्रक
देवताक हपता अहछ, आ मूहतष-उन्मादीक देवता ओकर संतान अहछ, आ िम
ओकरा सभसाँ घृणा करय लेल आयल छी, आ िम ओकरा सभक
ेाँ दू र कऽ
देहलयैक, कारण ओ सभ हसंिक संतान अहछ, आ िम हमस्रक सभ देवता क
ेाँ
िमरा साँ ि
े हक देहलयैक आ ओकरा सभ क
ेाँ दू र क' देहलयैक, आ हसंि वा
ओकर हपता शैतान िमरा पर क्रोध मे िमरा हनगलबाक प्रयास क' रिल
अहछ। मुदा अिााँ, प्रभु, िमरा हनकर िाथ साँ बचाउ, आ िम हनकर मुाँि साँ
उिार पाहब जायब, जाहि साँ ओ िमरा िाहड कऽ आहग क
े र लौ मे नहि ि
े हक
देत, आ आहग िमरा तूिान मे ि
े हक देत, आ अन्हार मे तूिान िमरा पर
िावी नहि भ' जाय आ िमरा समुद्रक गिींर मे ि
े हक हदअ, आ अनन्त काल
साँ आयल मिान जानवर िमरा हनगलैत अहछ आ िम अनन्त काल धरर नि
भऽ जाइत छी।” िे प्रभु, ई सभ बात िमरा पर आबय साँ पहिने िमरा बचाउ।
िे गुरु, िमरा उजाड आ हनबाषध लोक क
ेाँ बचाउ, कारण िमर हपता आ िमर
माय िमरा नकारैत किने छहथ, ‘आसेनाथ िमर बेटी नहि छहथ,’ कारण िम
हनका लोकहनक देवता क
ेाँ टुकडा-टुकडा क’ क’ ओकरा सभ क
ेाँ तोहड
देहलयैक, जेना िम हनका सभ साँ पूणषतः घृणा क
े ने छी। आब िम अनाथ आ
उजडल छी, आ अिााँक छोहड िमरा कोनो आन आशा नहि अहछ। प्रभु, िे
मनुष्यक हमत्र, तोिर दया छोहड कोनो आन शरण नहि, हकएक ताँ अिााँ मात्र
अनाथ सभक हपता आ सताओल लोकक समथषक छी आ पीहडतक सिायक
छी। िमरा पर दया करू प्रभु, आ िमरा शुि आ क
ु मारर, पररत्यक्त आ
अनाथ राखू, कारण जे अिााँ एकमात्र प्रभु मधुर आ नीक आ सौम्य हपता छी।
िे प्रभु, तोरा सन मधुर आ नीक कोन हपता? लो क
े लेल! िमर हपता
पेन्टेफ्र
े सक सभ घर जे ओ िमरा उत्तराहधकारक रूप मे देने छहथ, से हकछु
समयक लेल हवलुप्त भ’ रिल अहछ। मुदा, प्रभु, अिााँक उत्तराहधकारक घर
अहवनाशी आ अनन्त अहछ।”
आसेनाथक प्राथणना (आगाेँ) २.
13. "िे प्रभु, िमर अपमानक दशषन करू आ िमर अनाथपन पर दया करू
आ िमरा, पीहडत पर दया करू। हकएक ताँ देखू! िम गुरु, सभसाँ भाहग गेलहाँ
आ अिााँक एकमात्र हमत्रक शरण लेलहाँ। देखू! िम सभटा नीक छोहड
देलहाँ।" पृथ्वीक वस्तु सभ आ अिााँक शरण लेलहाँ।प्रभु, बोरा आ राख मे,
नंगटे आ एकांत।देखू, आब िम अपन राजकीय वस्त्र मिीन हलनेन आ सोना
साँ गुंथल हकरहमजी सामानक वस्त्र उतारर शोकक कारी अंगरखा पहिरने छी।
देखू!िम अपन सोनाक करधनी ढीला कए िमरासाँ ि
े हक देने छी आ रस्सी
आ बोरासाँ कमरबंद कएने छी।देखू!िमर मुक
ु ट आ िमर माइटर िम अपन
माथसाँ ि
े हक देने छी आ िम अपनाक
ेाँ हसंडर हछडहक देने छी।देखू!िमर
कोठलीक िशष जे अनेक रंगक आ बैंगनी रंगक पाथरसाँ पक्का छल , जे
पहिने मरिमसाँ भीजल छल आ चमक
ै त हलनेन कपडासाँ सुखायल जाइत छल
, आब िमर नोरसाँ भीज गेल अहछ आ एहि लेल बेइज्जत कएल गेल अहछ जे
राद्धख हबछल अहछ ।देखू िमर प्रभु , हसंडरसाँ आ िमर नोर िमर कोठली मे
चौडा सडक जकााँ बहत माहट बहन गेल अहछ।देखू, िमर प्रभु, िमर राजकीय
भोजन आ क
ु क
ु र सभ क
ेाँ देल मांस। लो! िमहाँ िे गुरु, सात हदन आ सात राहत
उपवास क
े ने छी आ ने रोटी खयलहाँ आ ने पाहन पीलहाँ, आ िमर मुाँि चक्का
जकााँ सुखा गेल अहछ आ िमर जीि सींग जकााँ आ िमर ठोर घैल जकााँ सुखा
गेल अहछ, आ िमर मुाँि हसक
ु हड गेल अहछ आ िमर आाँद्धख नोर बिाबय मे
असिल भ गेल छहथ। मुदा अिााँ, िमर परमेश् वर, िमरा िमर अनेक
अज्ञानता साँ मुक्त करू आ िमरा एहि लेल क्षमा करू, िम क
ु मारर आ
अनजान भ' क' भटकल छी। लो! आब जे सभ देवता हजनकर िम पहिने
अज्ञानता मे पूजैत छलहाँ, आब िमरा बुझल अहछ जे ओ बिीर आ मृत मूहतष
छलाि, आ ओकरा सभ क
ेाँ तोहड-टुहट कऽ सभ लोक रौदबाक लेल दऽ
देहलयहन आ चोर सभ ओकरा सभ क
ेाँ लूहट लेलक, जे सोना-चानी छल , आ
अिााँक संग िम शरण लेलहाँ, प्रभु परमेश् वर, एकमात्र दयालु आ मनुष्यक
हमत्र। िे प्रभु, िमरा क्षमा करू जे िम अज्ञानता मे अिााँक हवरुि बहत पाप
क
े लहाँ आ अपन प्रभु यूसुिक हवरुि हनन्दा कहि देलहाँ, आ ई नहि बुझलहाँ,
l दयनीय, जे ओ अिााँक बेटा अहछ। प्रभु, जहिया साँ ईष्याष साँ आग्रि कयल
गेल दुि लोकहन िमरा किलहन जे, ‘यूसुि कनान देशक चरबािक बेटा
छहथ,’ आ िम दयनीय हनका सभ पर हवश्वास कए भटहक गेलहाँ, आ िम
ओकरा शून्य क’ देहलयैक आ दुि बात बजलहाँ हनका बारे मे ई नहि जाहन जे
ओ अिााँक बेटा अहछ। कारण, मनुष्य मे क
े करा एिन सौन्दयषक जन्म भेल वा
कहियो िोयत? आहक हनका सन बुद्धिमान आ पराक्रमी आरो क
े अहछ, जेना
सवषसुन्दर यूसुि? मुदा, प्रभु, िम ओकरा सौंपैत छी, हकएक ताँ िम ओकरा
अपन प्राणसाँ बेसी प्रेम करैत छी। ओकरा अपन क
ृ पाक बुद्धि मे सुरहक्षत राखू,
आ िमरा ओकरा दासी आ दासीक रूप मे सौंप हदअ, जाहि साँ िम ओकर
पएर धो सकब आ ओकर पलंग बना सकब आ ओकर सेवा करब आ ओकर
सेवा करब, आ िम ओकर दासी बनब िमर जीवनक समय।"
महादू त माइकल असेनाथ क
े दौरा करै छै।
14. जखन असेनाथ प्रभुक समक्ष स्वीकार करब छोहड देलहन, तखन देखू!
भोरका तारा सेिो पूब हदस आकाश साँ उठल। आ असेनाथ एकरा देद्धख िहर्षत
भ' गेलाि आ बजलाि: "की तखन प्रभु परमेश् वर िमर प्राथषना सुनने छहथ?
कारण ई तारा मिान हदनक ऊ
ाँ चाईक दू त आ प्रचारक अहछ।" आ देखू!
भोरका तारा द्वारा कठोर स्वगष िाहट गेल आ एकटा पैघ आ अकथनीय इजोत
आहब गेल। जखन ओ ई देद्धख आसेनाथ मुाँि पर खहस पडलीि आ तुरन्त स्वगष
साँ एक आदमी हनका लग आहब गेलाि, जे प्रकाशक हकरण छोडैत छलाि
आ हनकर माथक ऊपर ठाढ़ भ’ गेलाि। आ, जखन ओ मुाँि पर पडल छलीि
तखन हदव्य स्वगषदू त हनका किलहथन, "असेनाथ, ठाढ़ भ' जाउ।" ओ
बजलीि: "ओ क
े अहछ जे िमरा बजौलक जे िमर कोठलीक दरबज्जा बंद
अहछ आ बुजष ऊ
ाँ च अहछ, आ तखन ओ िमर कोठली मे कोना आहब गेल
अहछ?" ओ दोसर बेर ओकरा बजा कऽ किलक
ै , “आसेनाथ, असेनाथ।” ओ
बजलीि, "िम एतय छी, प्रभु, िमरा कह जे अिााँ क
े छी।" ओ किलहन: "िम
परमेश् वर परमेश् वरक प्रमुख सेनापहत आ परमेश् वरक समस्त सेनाक
सेनापहत छी। ओ मुाँि उठा कऽ देखलीि, आ देखू! यूसुि जकााँ सभ बात मे,
वस्त्र आ माला आ राजदंड मे, हसवाय एकर मुाँि हबजली जकााँ, आाँद्धख सूयषक
इजोत जकााँ आ माथक क
े श जरैत मशालक आहग क
े लौ जकााँ , आ ओकर
िाथ आ पएर आहगसाँ चमक
ै त लोिा जकााँ, हकएक ताँ िाथ आ पएर दुनूसाँ जेना
हचंगारी हनकलैत छलैक। ई सब देद्धख असेनाथ डरर गेलाि आ मुाँि पर खहस
पडलाि, पैर पर ठाढ़ नहि भ' सकलाि, कारण ओ बहत भयभीत भ' गेलीि
आ ओकर सभ अंग कााँहप उठलहन। ओ आदमी ओकरा किलक
ै , "असेनाथ,
िौसला राखू, आऊ डरू नहि, मुदा ठाढ़ भ' क' अिााँक पएर पर ठाढ़ भ'
जाउ, जाहि साँ िम अिााँ क
ेाँ अपन बात कहि सकब।" तखन असेनाथ ठाढ़ भ'
क' ओकर पएर पर ठाढ़ भ' गेलाि आ स्वगषदू त हनका किलद्धखन: "अपन
दोसर कोठली मे हबना कोनो बाधा क
े जाउ आ जाहि कारी अंगरखा मे अिााँ
पहिरने छी, ओकरा एक कात राद्धख हदयौक आ अपन कमर साँ बोरा उतारर
हदयौक आ हसंडर क
ेाँ हिला हदयौक।" माथ साँ मुाँि आ िाथ शुि पाहन साँ धोउ
आ उज्जर अछ
ू त वस्त्र पहिरर कऽ कमर क
ेाँ क
ु माररत्वक चमक
ै त कमरबंद,
दुगुना पट्टी साँ बाद्धन्ह हदयौक, आ ि
े र िमरा लग आहब जाउ, आ िम अिााँ क
ेाँ
ई बात किब जे प्रभुक हदस साँ अिााँ लग पठाओल गेल अहछ।” तखन असेनथ
जल्दी-जल्दी अपन दोसर कोठली मे गेलाि, जाहि मे हनकर श्ृंगारक छाती
छल, आ अपन खजाना खोललहन आ एकटा उज्जर, मिीन, अछ
ू त वस्त्र लऽ
कऽ पहिरर लेलहन, पहिने कारी वस्त्र उतारर, आ रस्सी क
ेाँ सेिो खोहल लेलहन
आ कमर सं बोरा आ क
ु माररत्वक एकटा चमक
ै त, दोिरी कमरबंद, कमर मे
एकटा करधनी आ छाती पर दोसर करधनी मे बाद्धन्ह लेलहन | माथ पर साँ
हसंडर सेिो हिला कऽ शुि पाहन साँ िाथ-मुाँि धो लेलहन आ एकटा सुन्दर आ
मिीन आवरण लऽ कऽ माथ पर पदाष लगा लेलहन।
माइकल असेनथ क
ेेँ कहैत अवछ जे ओ यूसुफक पत्नी हेतीह।
15. तखन ओ हदव्य प्रधान सेनापहत लग आहब हनका सोझााँ ठाढ़ भ’ गेलीि
आ प्रभुक दू त हनका किलहथन, “आब अिााँक माथ साँ आवरण छीहन हलअ,
कारण आइ अिााँ शुि क
ु मारर छी, आ अिााँक माथ ओहिना अहछ।” एकटा
युवक।" आ असेनाथ ओकरा माथसाँ लऽ लेलक। आ ि
े र हदव्य स्वगषदू त
ओकरा किैत छहथन: "िैश्वयष राखू, असेनथ, क
ु मारर आ शुि, हकएक त' देखू!
प्रभु परमेश् वर अिााँक स्वीकारोद्धक्त आ अिााँक प्राथषनाक सभटा वचन
सुनलहन, आ हनकर अपमान आ कि सेिो देखलहन।" सात हदन तोिर
परिेज, हकएक ताँ तोिर नोर साँ एहि हसंडर पर तोिर मुाँिक सोझााँ बहत माहट
बहन गेल अहछ।तहिना, असेनाथ, क
ु मारर आ शुि, िर्ष करू, कारण देखू!
जीवन आ सदा-सदा लेल मेटाओल नहि जायत, मुदा आइ साँ अिााँ नव-नव
आ नव-हनहमषत आ पुनजीहवत िोयब, आ जीवनक धन्य रोटी खाएब आ
अमरता साँ भरल प्याला पीब आ अहवनाशक धन्य अहभर्ेक साँ अहभहर्क्त
िोयब िाँसी-खुशी, असेनाथ, क
ु मारर आ शुि, देखू, प्रभु परमेश् वर अिााँ क
ेाँ
आइ यूसुि क
ेाँ कहनयााँक रूप मे देने छहथ, आ ओ स्वयं अिााँक वर सहदखन
रित।आ आब अिााँ क
ेाँ असेनथ नहि किल जायत, बल् हक अिााँक नाम रित
शरणाथी नगर बनू, कारण जे तोरा मे बहत रास जाहत शरण लेत आ तोिर
पााँद्धख क
े नीचा ठिरत, आ बहत रास जाहत तोिर साधन साँ आश्य पाहब लेत,
आ तोिर देबाल पर जे पश्चाताप क
े माध्यम साँ परमात्मा परमेश् वर साँ
हचपकल रित, ओकरा सुरहक्षत राखल जायत। कारण, ओ पश्चाताप
परमात्माक बेटी अहछ, आ ओ स्वयं परमात्मा परमात्मा साँ िर घंटा अिााँक
लेल आ पश्चाताप करयवला सभक लेल हवनती करैत छहथ, हकएक ताँ ओ
पश्चातापक हपता छहथ, आ ओ स्वयं सभ क
ु मारर सभक पूणषता आ पयषवेक्षक
छहथ, अिााँ सभ साँ अत्यहधक प्रेम करैत छहथ आ िर घडी अिााँ सभक लेल
परमात्मा साँ हवनती करैत छहथ, आ पश्चाताप करयवला सभ क
ेाँ ओ स् वगष मे
हवश्ामक स्थान प्रदान करतीि, आ पश्चाताप करयवला सभ क
ेाँ नव करहथन।
आ पश्चाताप अत्यंत सुन्दर अहछ, एकटा क
ु मारर शुि आ कोमल आ कोमल;
आ तेाँ, परमेश् वर हनका साँ प्रेम करैत छहथ, आ सभ स् वगषदू त हनका आदर
करैत छहथ, आ िम हनका साँ बहत प्रेम करैत छी, कारण ओ स्वयं िमर बहिन
छहथ, आ जेना ओ अिााँ सभ क
ु मारर सभ साँ प्रेम करैत छहथ, िमहाँ अिााँ सभ
साँ प्रेम करैत छी। आ देखू! िम यूसुि लग जाइत छी आ अिााँक हवर्य मे
हनका साँ ई सभ बात किब, आ ओ आइ अिााँ लग आहब अिााँ क
ेाँ देखताि
आ अिााँ पर आनद्धन्दत िेताि आ अिााँ साँ प्रेम करताि आ अिााँक वर बनताि,
आ अिााँ हनकर हप्रय कहनयााँ सहदखन रिब। तदनुसार िमर बात सुनू,
असेनाथ, आ एकटा हववािक वस्त्र पहिरर हलअ, जे प्राचीन आ पहिल वस्त्र
अहछ जे एखन धरर अिााँक कोठली मे पहिने साँ हबछल अहछ, आ अपन चारू
कात सेिो अपन पसंदक सभटा श्ृंगार लगाउ, आ अपना क
ेाँ नीक कहनयााँ
जकााँ सजाउ आ अपना क
ेाँ बनाउ ओकरासाँ भेंट करबाक लेल तैयार; कारण
देखू! ओ आइ तोरा लग आहब कऽ तोरा देद्धख आनद्धन्दत िेताि।" आ जखन
एक आदमीक आकारक प्रभुक स् वगषदू त असेनाथ क
ेाँ ई बात सभ बाजब
समाप्त क' लेलहन तखन ओ हनका द्वारा किल गेल सभ बात पर बहत िहर्षत
भ' गेलीि , आ पृथ् वी पर ओकर मुाँि पर खसल, आ ओकर पैरक सोझााँ
नम्रता दैत ओकरा किलक: "धन्य परमेश् वर तोरा परमेश् वर जे तोरा अन्हार
साँ मुद्धक्त देहथन आ िमरा अपना क
ेाँ अपना क
ेाँ 100 मे अनबाक लेल पठौलहन।
इजोत, आ तोिर नाम सदाक लेल धन्य अहछ। जाँ िमरा परमेश् वर, िमर
प्रभु, अिााँक नजरर मे क
ृ पा भेटल अहछ आ िम ई जाहन लेब जे अिााँ िमरा जे
किलहाँ से सभ बात पूरा करबाक लेल पूरा करब, ताँ अिााँक दासी अिााँ साँ
बात करू।" आ स् वगषदू त हनका किलहथन, " आगू कह।" आ ओ बजलीि:
"िम प्रभु, एहि पलंग पर कहन काल बैहस जाउ, हकएक त' ई पलंग शुि आ
हनमषल अहछ, कारण जे एहि पर कोनो दोसर पुरुर् वा आन स्त्री कहियो नहि
बैसल छल, आ िम अिााँक सोझााँ बैहस जायब एकटा टेबुल आ रोटी, आ अिााँ
खा लेब, आ िम अिााँ क
ेाँ पुरान आ नीक शराब सेिो अनब, जकर गंध स्वगष
धरर पहाँचत, आ अिााँ ओहि मे साँ पीब आ तकर बाद अपन बाट पर चहल
जायब।" आ ओ ओकरा किलहथन: " जल्दबाजी करू आ जल्दी साँ आहन
हदयौक।"
आसेनाथक
ेेँ अपन भंडारमे मधुक छत्ता भेटैत छैक ।
16. असेनथ जल्दी-जल्दी अपन सोझााँ खाली टेबुल राद्धख देलक। आ, जखन
ओ रोटी आनय लागल छलीि, तखन हदव्य स्वगषदू त हनका किलहथन:
"िमरा लेल एकटा मधुकोश सेिो आहन हदअ।" आ ओ ठाढ़ भ' गेलीि आ
भ्रहमत आ दुखी भ' गेलीि जे हनका भंडार मे मधुमाछीक क
ं घी नहि छहन. आ
हदव्य स्वगषदू त ओकरा किलहथन: "अिााँ हकएक ठाढ़ छी?" आ ओ बजलीि:
"िे माहलक, िम एकटा लडका क
ेाँ उपनगर मे पठा देब, हकएक त' िमरा
सभक उत्तराहधकारक सम्पहत्त नजदीक आहब गेल अहछ, आ ओ आहब क'
जल्दी-जल्दी एकटा क
ेाँ ओतय साँ आहन देत, आ िम ओकरा अिााँक सोझााँ
राद्धख देब।" हदव्य स्वगषदू त ओकरा किैत छहथन: "अपन भंडार मे प्रवेश करू
आ अिााँ क
ेाँ टेबुल पर मधुमाछीक क
ं घी पडल भेटत; ओकरा उठा क' एतय
आनू।" ओ बजलीि, "प्रभु, िमर भंडार मे मधुमाछीक क
ं घी नहि अहछ।" ओ
किलहन, “जाउ, अिााँ क
ेाँ भेहट जायत।” असेनाथ अपन भंडार मे घुहस कऽ
टेबुल पर मधुक छत्ता पडल देखलहन। क
ं घी बि
ष जकााँ पैघ आ उज्जर आ मधु
साँ भरल छल, आ ओ मधु स्वगषक ओस जकााँ छल आ ओकर गंध जीवनक
गंध जकााँ छल। तखन असेनथ आश्चयषचहकत भ' क' मने-मन बजलाि: "की
ई क
ं घी स्वयं एहि आदमीक मुाँि साँ हनकलल अहछ?" आसेनाथ ओहि क
ं घी क
ेाँ
लऽ कऽ टेबुल पर राद्धख देलहन आ स् वगषदू त हनका किलहथन: "अिााँ हकएक
किलहाँ जे िमर घर मे मधुक छत्ता नहि अहछ, आ देखू! अिााँ िमरा लेल
अनलहाँ? " . आ ओ बजलीि: "प्रभु, िम अपन घर मे कहियो मधुक छत्ता नहि
लगेने छी, मुदा जेना अिााँ किलहाँ तेना बनल अहछ। ई अिााँक मुाँि साँ
हनकलल? कारण एकर गंध मरिमक गंध जकााँ अहछ।" आ ओ आदमी ओहि
महिलाक समझ पर मुस्क
ु राइत बाजल। तखन ओ ओकरा अपना हदस
बजबैत छहथ, आ जखन ओ आहब गेलीि तखन ओ अपन दहिना िाथ पसारर
क' ओकर माथ पकहड लेलक, आ जखन ओ ओकर दहिना िाथ साँ ओकर
माथ हिला देलक
ै क त' आसेनाथ क
ेाँ स्वगषदू तक िाथ साँ बहत डर भेलैक,
कारण ओहि साँ हचंगारी हनकलैत छलैक ओकर िाथ लाल-गमष लोिाक ढंगसाँ,
आ तदनुसार ओ िरदम बहत भय आ कााँपैत स्वगषदू तक िाथ हदस तक
ै त
रिैत छलीि | आ ओ मुस्क
ु राइत बजलाि: "आसेनाथ, अिााँ धन्य छी, हकएक
त' परमेश् वरक अकथनीय रिस्य सभ अिााँ क
ेाँ प्रगट कयल गेल अहछ; आ
धन्य अहछ सभ जे पश्चाताप मे प्रभु परमेश् वर साँ हचपकल रिैत अहछ, हकएक
ताँ ओ सभ एहि क
ं घी साँ खाएत, एहि लेल ई क
ं घी।" जीवन क
े आत्मा छै , आरो
ई आनन्द क
े स्वगष क
े मधुमक्खी जीवन क
े गुलाब क
े ओस से बनैने छै जे
भगवान क
े स्वगष में छै आरो िर ि
ू ल में छै , आरो ओकरा में से स्वगषदूत आरो
भगवान क
े सब चुनलऽ लोग आरो सब क
े खा जाय छै परमेश् वरक पुत्र सभ,
आ जे हकयो एकर िल खाओत से अनन्त काल धरर नहि मरत।” तखन हदव्य
स्वगषदू त अपन दहिना िाथ पसारर क
ं घी मे साँ एकटा छोट सन टुकडी ल' क'
खा लेलक आ अपन िाथ साँ जे हकछु बचल छलैक से असेनथक मुाँि मे राद्धख
ओकरा किलक, "खाउ" आ ओ खा लेलक। आ स् वगषदू त हनका किलहथन:
"देखू! आब अिााँ जीवनक रोटी खा लेलहाँ आ अमरताक प्याला पीहब लेलहाँ
आ अहवनाशक अहभर्ेक साँ अहभहर्क्त भेलहाँ। देखू! आब अिााँक मांस
परमात्माक िव्वारा साँ जीवनक ि
ू ल उत्पन्न करैत अहछ।" ऊ
ाँ च, आ तोिर
िड्डी परमेश् वरक आनन्दक स्वगषक देवदारक गाछ जकााँ मोट भऽ जायत
आ अथक शद्धक्त अिााँक
ेाँ सम्हारत, तदनुसार तोिर जवानी बुढ़ापा नहि देखत,
आ ने तोिर सौन्दयष सदाक लेल क्षीण िोयत, बल् हक देबाल जकााँ रिब
सबिक मातृ-नगर।" स्वगषदू त क
ं घी क
े भडका देलद्धखन, आ ओहि क
ं घी क
े
कोठली मे साँ बहतो मधुमाछी उठल, आ कोठली सभ असंख्य छल, दस
िजार दस िजार आ िजार िजार। मधुमाछी सभ सेिो बि
ष जकााँ उज्जर आ
पााँद्धख बैंगनी आ हकरहमजी आ लाल रंगक समान छल। आ ओकरा सभ क
ेाँ
तेज डंक सेिो छलैक आ ककरो घायल नहि छलैक। तखन ओ सभ मधुमाछी
असेनाथ क
ेाँ पैर साँ माथ धरर घेरर लेलक आ ओकर रानी सन अन्य पैघ
मधुमाछी कोठली साँ उहठ गेल आ ओकर चेिरा आ ठोर पर गोल घुहम गेलै
आ ओकर मुाँि पर आ ओकर ठोर पर क
ं घी जकााँ क
ं घी बनौलक जे क
ं घी
बनबैत छलैक | स्वगषदू तक समक्ष पडल रह। आ ओ सभ मधुमाछी असेनथक
मुाँि पर जे क
ं घी छलैक से खाइत छलैक। तखन स् वगषदू त मधुमाछी सभ क
ेाँ
किलहथन, "आब अपन जगि पर जाउ।" तखन सभ मधुमाछी उहठ कऽ
उहड कऽ स्वगष हदस हवदा भऽ गेल। मुदा जे लोकहन असेनाथ क
ेाँ घायल
करबाक इच्छा रखैत छलाि से सभ पृथ्वी पर खहस पडलाि आ मरर गेलाि |
तखन स् वगषदू त मृत मधुमाछी सभक ऊपर अपन लाठी पसारर कऽ
किलहथन, “उठ
ू आ अिााँ सभ सेिो अपन जगि पर चहल जाउ।” तखने सभ
मृत मधुमाछी उहठ कऽ असेनाथक घर साँ सटल दरबार मे हवदा भ' गेल आ
िलदार गाछ पर अपन ठिरल बना लेलक।
माइकल विदा भ' जाइत छवथ।
17. स् वगषदू त असेनथ क
ेाँ किलहथन, “की अिााँ ई बात देखलहाँ?” ओ
बजलीि, "िाँ, िमर माहलक, िम ई सभ बात देखलहाँ।" ईश्वरीय स्वगषदू त
ओकरा किैत छहथन: "िमर सभटा वचन आ मिीन हलनन सोना साँ गुंथल
िोयत, आ एक-एकटा माथ पर सोनाक मुक
ु ट लागल रित, जेना आइ िम
अिााँ साँ किलहाँ अहछ।" तखन परमेश् वरक स् वगषदू त तेसर बेर अपन दहिना
िाथ बढ़ा कऽ क
ं घीक कात छ
ू हब लेलक आ सोझे टेबुल पर साँ आहग आहब
क
ं घी क
ेाँ खा गेल, मुदा टेबुल पर एकोटा चोट नहि लागल। आ, जखन क
ं घी
जरला साँ बहत सुगन्ध हनकहल गेल छल आ कोठली मे भरर गेल छल, तखन
असेनथ हदव्य स्वगषदू त क
ेाँ किलद्धखन: "प्रभु, िमरा लग सात टा क
ु मारर छहथ
जे िमर युवावस्था साँ िमरा संग पलल-बढ़ल छहथ आ िमरा संग एक राहत मे
जन्म लेलहन।" , जे िमर प्रतीक्षा करैत छहथ, आ िम हनका सभ क
ेाँ अपन
बहिन जकााँ प्रेम करैत छी। िम हनका सभ क
ेाँ बजा लेब आ अिााँ हनका सभ
क
ेाँ सेिो आशीवाषद देबहन, जेना अिााँ िमरा आशीवाषद दैत छी।" स् वगषदू त
हनका किलहथन, “ओ सभ क
ेाँ बजाउ।” तखन असेनाथ सात क
ु मारर क
ेाँ बजा
कऽ स् वगषदू तक समक्ष राद्धख देलहथन आ स् वगषदू त हनका सभ क
ेाँ
किलहथन: “परमेशवर परमेश् वर अिााँ सभ क
ेाँ आशीवाषद देहथन, आ अिााँ
सभ सात नगरक आ ओहि नगरक सभ चुनल लोक सभक शरणक खंभा
बनब।” एक संग अिााँ सभ पर अनन्त काल धरर आराम करब।” आ एहि
सभक बाद ईश्वरीय स् वगषदू त असेनथ क
ेाँ किलहथन: "ई टेबुल क
ेाँ छीहन
हलअ।" जखन असेनथ टेबुल िटाबय लेल घुमल तऽ तुरन्त ओकर आाँद्धख साँ
िहट गेल, आ असेनथ देखलक जे चारर टा घोडाक संग रथ जकााँ जे पूब हदस
स्वगष हदस जा रिल अहछ, आ रथ आहग क
े र लौ जकााँ आ घोडा सभ हबजली
जकााँ , आ ओहि रथक ऊपर स् वगषदू त ठाढ़ छलाि। तखन असेनथ बजलाि:
"िम नीच लोक मूखष आ मूखष छी, कारण जे िम ओहिना बजलहाँ जेना कोनो
आदमी स्वगष साँ िमर कोठली मे आयल अहछ! िम नहि जनैत छलहाँ जे
परमेश् वर ओहि मे आहब गेल छहथ, आ देखू! आब ओ स् वगष मे वापस जा
रिल छहथ।" ओकर स्थान।" आ ओ मने-मन बजलीि: "िे प्रभु, अपन दासी
पर क
ृ पा करू, आ अपन दासी क
ेाँ बख्शी करू, हकएक ताँ िम अज्ञानता मे
अिााँक सोझााँ बेधडक बात कहि देने छी।"
आसेनाथक चेहरा बदवल गेल अवछ।
18. जखन असेनाथ एखन धरर ई बात अपना आप मे बाहज रिल छल, देखू!
एकटा युवक, यूसुिक सेवक मे साँ एक, किैत छल: "परमेश् वरक पराक्रमी
यूसुि आइ अिााँ सभक लग आहब रिल छहथ।" आ तुरन्त असेनाथ अपन
घरक हनरीक्षक क
ेाँ बजा कऽ किलहथन: "जल्दी-जल्दी िमर घर तैयार करू
आ नीक भोजन तैयार करू, कारण ओ यूसुि, परमेश् वरक पराक्रमी, आइ
िमरा सभ लग आहब रिल छहथ।" घरक चौकीदार हनका देद्धख कऽ (हकएक
ताँ सात हदनक कि आ कानब आ परिेज साँ हनकर मुाँि हसक
ु हड गेल छलहन)
दुखी भऽ काहन गेलाि। आ ओकर दहिना िाथ पकहड ओकरा
कोमलतापूवषक चुम्मा लेलक आ किलक: "अिााँ क
ेाँ की बीमार भ' रिल
अहछ, िमर महिला, जे अिााँक चेिरा एहि तरिेाँ हसक
ु हड गेल अहछ?" ओ
बजलीि: "िमरा माथ मे बहत ददष भेल अहछ, आ आाँद्धख साँ नींद चहल गेल
अहछ।" तखन घरक हनरीक्षक जा कए घर आ भोजनक तैयारी क
े लहन।
आसेनाथ स्वगषदू तक बात आ ओकर आज्ञा मोन पाडलहन आ जल्दी-जल्दी
अपन दोसर कोठली मे प्रवेश कयलहन, जतय हनकर श्ृंगारक संदू क छल,
आ अपन पैघ कोठरी खोहल क' अपन पहिल वस्त्र हबजली जकााँ बािर
हनकाहल क' देखबाक लेल आ पहिरर लेलहन। सोना आ कीमती पाथरक
उज्ज्वल आ राजसी करधनी साँ सेिो बान्हलहन आ िाथ मे सोनाक क
ं गन आ
पैर पर सोनाक बकरी, गरदहन मे बहमूल्य आभूर्ण आ सोनाक माला लगा
देलहन ओकर माथ; माला पर जेना ओकर आगूक भाग मे एकटा पैघ
नीलमहण पाथर छलैक, आ ओहि पैघ पाथरक चारू कात छि टा पैघ पाथर
छलैक, आ एकटा बहत अद् भुत आवरण साँ ओ अपन माथ पर पदाष लगा देने
छलैक। आ, जखन असेनाथ क
ेाँ अपन घरक हनरीक्षकक बात मोन पडलहन,
एहि लेल जे ओ हनका किलहन जे हनकर चेिरा हसक
ु हड गेलहन, तखन ओ
अत्यहधक दुखी भ' गेलीि, आ क
ु िरैत बजलीि: "हधक्कार िम, नीच, हकएक
त' िमर चेिरा हसक
ु हड गेल अहछ।" यूसुि िमरा एहि तरिेाँ देखताि आ िम
हनका द्वारा शून्य भ’ जायब।” ओ अपन दासी क
ेाँ किलहथन, “िमरा लेल
िव्वारा साँ शुि पाहन आहन हदअ।” जखन ओ ओकरा अनलहन तखन ओ
ओकरा बेहसन मे उझहल देलहन आ मुाँि धोबय लेल झुहक क' देखैत छहथ जे
हनकर मुाँि रौद जकााँ चमक
ै त छहन, आ आाँद्धख उगला पर भोरका तारा जकााँ
चमक
ै त छहन आ गाल स्वगषक तारा जकााँ, आ ओकर ठोर लाल गुलाब जकााँ,
ओकर माथक क
े श ओहि बेल जकााँ छलैक जे परमेश् वरक स्वगष मे ओकर
िल सभक बीच द्धखलैत छै क, ओकर गरदहन सभ रंगक सरू जकााँ छलैक।
आसेनाथ ई सभ देद्धख अपना मे आश्चयषचहकत भ' गेलीि आ अत्यंत आनद्धन्दत
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  • 1. जोसेफ आ आसेनाथ आसेनाथ क े वििाह में राजा क े बेटा आ बहुत रास लोक खोजैत छवथ | 1. प्रचुरताक पहिल वर्ष मे, दोसर मास मे, मासक पााँचम हदन, हिरौन यूसुि क ेाँ पूरा हमस्र देश मे घुमबाक लेल पठौलहन। पहिल वर्षक चाररम मास मे अठारिम मास मे यूसुि िेहलयोपोहलसक सीमा पर पहाँचलाि आ ओहि देशक धान क ेाँ समुद्रक बालु जकााँ जमा कऽ रिल छलाि। ओहि नगर मे पेन्टेफ्र े स नामक एकटा आदमी छल, जे िेहलयोपोहलसक पुरोहित आ हिरौनक सत्रप आ हिरौनक सभ सत्रप आ राजक ु मार सभक प्रमुख छल। ई आदमी अत्यंत धनी आरो बहत ऋहर् आरो सौम्य छे लै, आरो वू हिरौन क े सलािकार भी छे लै, क ै न्हेंहक वू हिरौन क े सब राजक ु मारऽ सें भी अहधक हववेकी छे लै। हनका एकटा क ु मारर कन्या छलहन, जकर नाम छलहन असेनथ, जे अठारि वर्षक छलीि, लंबा आ सुन्दर आ पृथ् वी पर सभ क ु मारर कन्या साँ बेसी सुन्दर। आसेनाथ स्वयं हमस्रक बेटी सभ क ु मारर कन्या सभक समान नहि छल, बल् हक सभ बात मे इब्रानी सभक बेटी सभक समान छल, ओ सारा जकााँ लंबा आ ररबेका जकााँ सुन्दर आ रािेल जकााँ सुन्दर छल। ओकर सौन्दयषक प्रहसद्धि ओहि समस्त देश आ संसारक छोर धरर पसरर गेल, जे एहि कारणेाँ सभ राजपुत्र आ सत्रप हनका लुभाबय चािैत छलाि, नहि, आ राजा सभक पुत्र सभ सेिो। सभ युवक आ पराक्रमी, आ हनका सभक कारणेाँ हनका सभक बीच बहत झगडा भेल आ दुनू गोटे एक दोसराक हवरुि लडबाक लेल हनर्ेध कयलहन। हिरौन क े रऽ जेठका बेटा भी ओकरऽ बारे में सुनी क ॑ अपनऽ हपता स॑ हवनती करतें हअ॑ किलक ै हक िम्में िेहलयोपोहलस क े रऽ पहिलऽ आदमी पेन्टेफ्र े स क े रऽ बेटी असनाथ क ॑ पत्नी क े रूप म॑ द॑ हदयौ । हनकर हपता हिरौन हनका किलहथन, ''जखन अिााँ एहि समस्त देशक राजा छी तखन अिााँ अपना हदस साँ नीचााँक पत्नी हकएक तक ै त छी? नै, मुदा लो! मोआबक राजा योआसीमक बेटी अिााँक सगाई कयल गेल अहछ आ ओ स्वयं एकटा रानी आ देखबा मे बहत सुन्दर छहथ। तखन एहि एकटा क ेाँ पत्नी मे अपना लेल लऽ हलअ।" असेनाथ जावह टािर मे रहैत छवथ ओकर िर्णन अवछ । 2. मुदा असेनाथ घमंडी आ घमंडी भऽ कऽ सभ क ेाँ घमंडी आ हतरस्क ृ त कयलक आ ओकरा कहियो एक आदमी नहि देखलक ै , हकएक तऽ पेन्टेफ्र े सक घर मे सटल एकटा बुजष छल, जे बहत पैघ आ ऊ ाँ च छल, आ बुजषक ऊपर एकटा मचान छल जाहि मे दस गोटे छल कक्ष। पहिल कोठली पैघ आ बहत रमणीय छल आ बैंगनी रंगक पाथर साँ पक्का छल, आ ओकर देबाल पर कीमती आ अनेक रंगक पाथर छल आ ओहि कोठलीक छत सेिो सोनाक छल। ओहि कोठलीक भीतर हमस्रक देवता सभ हनधाषररत छल, जकर संख्या नहि छल, सोना-चानी, आ सभ आसेनाथ आराधना करैत छलाि, आ ओ हनका सभ साँ डेराइत छलीि आ ओ सभ हदन हनका सभक लेल बहल चढ़बैत छलीि। दोसर कोठली मे असेनाथक सभटा श्ृंगार आ संदू क सेिो छल, आ ओहि मे सोना, चानी आ सोना साँ बुनल बहत रास वस्त्र छल, जे असीहमत छल, आ नीक-नीक आ बेसी दाम मे पाथर, आ हलनेनक मिीन वस्त्र आ ओकर क ु माररत्वक सभटा अलंकरण छल ओतय छल। तेसर कोठली असेनथक भंडार छल, जाहि मे पृथ्वीक सभ नीक वस्तु छल। शेर् सात कोठली मे असेनाथक सेवा करहनिार सातटा क ु मारर सभ बैसल छलीि, प्रत्येक कोठली मे एक-एकटा कोठली छलहन, कारण ओ सभ एक े उम्रक छलाि, आसेनाथक संग एकहि राहत मे जन्मल छलाि आ ओ हनका सभ साँ बहत प्रेम करैत छलीि। आ ओ सभ सेिो स् वगषक तारा जकााँ अत्यंत सुन्दर छल, आ ने ओकरा सभसाँ आ ने कोनो पुरुर् बच्चासाँ कहियो गप्प-सप्प नहि क े लक। आब असेनाथक जे पैघ कोठली मे हनकर क ु माररत्वक पालन-पोर्ण िोइत छलैक, ओहि मे तीन टा द्धखडकी छलैक; पहिल द्धखडकी बहत पैघ छल, जे आाँगन हदस पूब हदस तक ै त छल। दोसर दहक्षण हदस तक ै त छल आ तेसर गली हदस तक ै त छल। कोठली मे सोनाक एकटा ओछाओन ठाढ़ छल जे पूब हदस तक ै त छल। ओछाइन पर सोना साँ गुंथल बैंगनी रंगक सामान हबछाओल गेल छल, ओछाओन लाल आ हकरहमजी रंगक सामान आ मिीन हलनेन साँ बुनल गेल छल। एहि पलंग पर असगरे असेनाथ सुतैत छलाि, आ कहियो ओहि पर पुरुर् वा आन स्त्री नहि बैसल छलाि | घरक चारू कात एकटा पैघ आाँगन छल आ आाँगनक चारू कात एकटा बहत ऊ ाँ च देबाल छल जे पैघ-पैघ आयताकार पाथर साँ बनल छल। आाँगन मे लोिा साँ झााँपल चारर टा िाटक सेिो छलैक आ एहि सभ क ेाँ एक-एकटा अठारि टा बलवान युवक सभ िहथयारबंद करैत छलैक। आ देबालक कात मे सभ तरिक सुन्दर गाछ सेिो लगाओल गेल छल आ सभ िलदार गाछ सेिो लगाओल गेल छल, ओकर िल पाहक गेल छल, कारण िसल कटबाक मौसम छल ; आ ओिी आाँगनक दहिना कात साँ पाहनक एकटा समृि झरना सेिो बिैत छल ; आ झरना क े नीचा एकटा पैघ क ुं ड छल जे ओहि िव्वारा क े पाहन ग्रिण करैत छल, जतय स आाँगन क े बीच स जेना एकटा नदी हनकलल छल आ ओ ओहि आाँगन क े सब गाछ क े पाहन दैत छल। यूसुफ पेन्टेफ्र े स मे आबै क े घोषर्ा करै छै। 3. सात वर्षक पहिल वर्ष मे चाररम मास, अडइसवााँ मास मे यूसुि ओहि हजलाक मकई जमा करैत िेहलयोपोहलसक सीमा मे आहब गेलाि। जखन यूसुि ओहि नगर लग पहाँचलाि तखन ओ बारि गोटे क ेाँ अपना साँ पहिने िेहलयोपोहलसक पुरोहित पेन्टेफ्र े स लग पठौलहन जे, “िम आइ अिााँक लग आहब जायब, हकएक ताँ दुपिर आ दुपिरक भोजनक समय अहछ।” रौदक बहत गमी, आ जे िम तोिर घरक छत नीचााँ अपना क ेाँ ठं ढा क' सकब।" पेन्टेफ्र े स ई बात सुहन कऽ बहत िहर्षत भऽ बजलाि: “यूसुिक परमेश् वर परमेश् वर क ेाँ धन्य िोहन, हकएक ताँ िमर प्रभु यूसुि िमरा योग्य बुझलहन।” पेन्टेफ्र े स अपन घरक पराक्रमी क ेाँ बजा कऽ किलहथन, “जल्दी-जल्दी िमर घर तैयार करू आ एकटा पैघ भोज तैयार करू, हकएक ताँ परमेश् वरक पराक्रमी यूसुि आइ िमरा सभक लग आहब रिल छहथ।” आसेनाथ जखन सुनलक जे ओकर हपता आ माय अपन उत्तराहधकार साँ आहब गेल छहथ त' ओ बहत िहर्षत भ' गेलीि आ बजलीि: "िम जा क' अपन हपता-मााँ क ेाँ देखब, कारण ओ सभ िमरा सभक उत्तराहधकार साँ आयल छहथ" (एहि लेल िसल क े मौसम छल)। आसेनाथ जल्दी-जल्दी अपन वस्त्र पडल कोठली मे गेलाि आ हकरहमजी रंगक सामान साँ बनल आ सोना साँ गुंथल मिीन हलनेन वस्त्र पहिरर लेलहन आ सोनाक पट्टी आ िाथ मे क ं गन बाद्धन्ह लेलहन। आ अपन पैरक चारू कात सोनाक बद्धस्कन लगा देलहन आ गरदहन मे बहत दाम आ कीमती पाथरक आभूर्ण ि े कलहन, जे चारू कात अलंक ृ त छल, जाहि पर सभ ठाम हमस्रक देवताक नाम सेिो उक े रल छल, दुनू क ं गन पर आ पाथर सभ। आ माथ पर मुक ु ट सेिो लगा कऽ मंहदरक चारू कात मुक ु ट बाद्धन्ह कऽ माथ पर आवरण साँ झााँहप लेलहन | पेन्टेफ्र े स असेनथ क ेेँ यूसुफ क ेेँ वििाह मे देबाक प्रस्ताि रखैत अवछ। 4. तखन ओ जल्दी-जल्दी अपन मचान साँ सीढ़ी साँ नीचा उतरलीि आ अपन हपता-मााँ लग आहब हनका लोकहन क ेाँ चुम्मा लेलहन। पेन्टेफ्र े स आ ओकर पत्नी अपन बेटी असेनथ पर बहत िहर्षत भेलाि, हकएक ताँ ओ सभ ओकरा परमेश् वरक कहनयााँ जकााँ सजल आ सुशोहभत देखलहन। ओ सभ अपन उत्तराहधकार साँ जे नीक-नीक चीज अनने छलाि, तकरा सभ क ेाँ आहन कऽ अपन बेटी क ेाँ दऽ देलहन। आ असेनाथ सभ नीक-नीक चीज पर, गमीक अंहतम िल आ अंगूर आ खजूर आ कबूतर पर, आ शितूत आ अंजीर पर आनद्धन्दत भेलाि, कारण ई सभ गोरा आ स्वाद मे नीक छल। पेन्टेफ्र े स अपन बेटी असेनथ क ेाँ किलहथन, “बच्चा।” ओ बजलीि: "िम एतय छी, िमर माहलक।" ओ ओकरा किलहथन, “िमरा सभक बीच बैहस जाउ, िम अिााँ क ेाँ अपन बात किब।” "देखू! परमेश् वरक पराक्रमी यूसुि आइ िमरा सभक लग आहब रिल छहथ, आ ई आदमी हमस्रक समस्त देशक शासक छहथ, आ राजा हिरौन हनका िमरा सभक समस्त देशक शासक आ राजा हनयुक्त कयलहन, आ ओ स्वयं एहि समस्त देश क ेाँ अन्न दैत छहथ।" , आ ओकरा आगामी अकाल साँ बचाउ, आ ई यूसुि एकटा एिन आदमी अहछ जे परमेश्वरक आराधना करैत अहछ, आ हववेकपूणष आ क ु मारी आइ, आ बुद्धि आ ज्ञान मे पराक्रमी मनुष्य, आ परमेश्वरक आत्मा ओकरा पर अहछ आ क े र
  • 2. क ृ पा अहछ। प्रभु हनका मे छहथ।, हप्रय बच्चा, आऊ, िम अिााँ क ेाँ हनका पत्नी मे सौंप देबहन, आ अिााँ हनका लेल कहनयााँ बनबहन, आ ओ स्वयं अिााँक वर सहदखन रिताि।" आ, जखन असेनाथ अपन हपताक ई बात सुहन हनका मुाँि पर एकटा पैघ पसीना बिलहन, आ ओ बहत क्रोध साँ क्रोहधत भ' गेलीि, आ ओ अपन हपता हदस हतरछा नजरर साँ तकलीि आ बजलीि: "एहि लेल, िमर माहलक हपता।" , की अिााँ ई सभ बात किैत छी ? ओकरा।की ई ओ नहि अहछ जे अपन मालहकनक संग पडल छल, आ ओकर माहलक ओकरा अन्हारक जेल मे ि े हक देलक, आ हिरौन ओकरा जेल साँ बािर हनकाहल देलक, जाबत धरर ओ अपन सपना क ेाँ व्याख्या करैत छल, जेना हमस्रक पैघ महिला सभ सेिो व्याख्या करैत अहछ? मुदा िम राजाक जेठ बेटा साँ हववाि करब, कारण ओ स्वयं समस्त देशक राजा छहथ।” ई बात सुहन पेन्टेफ्र े स अपन बेटी असेनथ साँ यूसुिक हवर्य मे आओर गप्प करबा मे लाज भेल, कारण ओ ओकरा घमंड आ क्रोध साँ उत्तर देलक। यूसुफ पेन्टेफ्र े स क े घर पहुेँचै छै। 5. आ देखू! पेन्टेफ्र े सक नौकर मे साँ एकटा युवक उछहल कऽ भीतर आहब गेल आ ओ ओकरा किलक: “देखू, यूसुि िमरा सभक आाँगनक दरबज्जा सभक सोझााँ ठाढ़ छहथ।” आसेनाथ ई बात सुहन अपन बाप-मााँक मुाँि साँ भाहग कऽ मचान मे चहल गेलीि आ अपन कोठली मे आहब पूब हदस तक ै त पैघ द्धखडकी पर ठाढ़ भ’ गेलीि जे यूसुि क ेाँ अपन हपताक घर मे अबैत छहथ। पेन्टेफ्र े स ओकर पत्नी आ ओकर सभ पररजन आ ओकर नोकर सभ यूसुि साँ भेंट करबाक लेल हनकहल गेलाि। जखन पूब हदस तक ै त आाँगनक िाटक खुजल तखन यूसुि हिरौनक दोसर रथ मे बैसल भीतर आहब गेलाि। चाररटा घोडा सोनाक टुकडीक संग बि ष जकााँ उज्जर घोडाक जुआ मे बान्हल छल आ रथ सभटा शुि सोना साँ बनल छल। यूसुि उज्जर आ दुलषभ अंगरखा पहिरने छलाि आ हनका चारू कात ि े कल गेल वस्त्र बैंगनी रंगक छलहन, जे सोना साँ गुंथल मिीन हलनेन साँ बनल छलहन, आ हनकर माथ पर सोनाक माला छलहन आ हनकर माला क े चारू कात बारि टा नीक-नीक पाथर छलहन पाथर पर बारि सोनाक हकरण आ दहिना िाथ मे राजकीय लाठी, जकर एकटा जैतूनक डारर पसरल छलैक आ ओहि पर प्रचुर मात्रा मे िल छलैक। तखन जखन यूसुि आाँगन मे आहब गेलाि आ ओकर दरबज्जा बंद भ’ गेल छल, आ िर पराया स्त्री-पुरुर् आाँगनक बािर रहि गेल छल, कारण िाटकक पिरेदार सभ आहब क’ दरबज्जा बंद क’ देलक, तखन पेन्टेफ्र े स आ ओकर पत्नी आ सभ गोटे आहब गेलाि बेटी असेनाथ छोहड हनका लोकहनक पररजन आ पृथ्वी पर अपन मुाँि पर यूसुि क ेाँ प्रणाम कयलहन। यूसुि अपन रथ साँ उतरर हनका सभ क ेाँ िाथ साँ अहभवादन कयलहन। असेनथ खखड़कीसेँ यूसुफक ेेँ देखैत अवछ। 6. जखन असेनथ यूसुि क ेाँ देखलहन तखन हनकर आत्मा मे बहत चुभन भ’ गेलहन आ हनकर मोन क ु चललहन, आ हनकर ठे हन ढीला भ’ गेलहन आ हनकर पूरा शरीर कााँहप गेलहन आ ओ बहत भय साँ डरर गेलीि, आ तखन ओ क ु िरैत हृदय मे बजलीि: “िाय िमरा।” दयनीय!आब िम, दयनीय, कतय जायब, वा ओकर मुाँि साँ कतय नुकायल रिब, वा परमेश् वरक पुत्र यूसुि िमरा कोना देखत, हकएक ताँ िम हनका हवर्य मे अधलाि बात किने छी? दयनीय!िम कतय जा कऽ नुकायल रिब, हकएक ताँ ओ स्वयं सभ नुकाएल स्थान देखैत अहछ आ सभ हकछु जनैत अहछ, आ ओकरा मे जे पैघ इजोत अहछ ताहि साँ कोनो नुकायल वस्तु ओकरा साँ नहि बहच सक ै त अहछ?’ आ आब यूसुिक परमेश् वर क ृ पा करहथ िमरा एहि लेल हकएक ताँ िम अज्ञानता मे हनका हवरुि दुर्् ट बात किहलयहन।िम आब की पाछााँ चलब? स्वगष साँ सूयष जकााँ अपन रथ मे बैसल, आ आइ िमरा सभक घर मे प्रवेश कयलहन, आ ओ पृथ्वी पर इजोत जकााँ ओहि मे चमक ै त छहथ। मुदा िम मूखष आ सािसी छी, हकएक ताँ िम ओकरा हतरस्क ृ त क े लहाँ आ ओकरा बारे मे अधलाि बात किलहाँ आ ई नहि बुझलहाँ जे यूसुि परमेश् वरक पुत्र छहथ। मनुख मे एिन सौन्दयष क े जनम देत, आ ने स्त्री क े कोन गभष एिन प्रकाश क े जन्म देत? िम दयनीय आ मूखष छी, कारण िम अपन हपता क ेाँ अधलाि बात किने छी। आब िमर हपता िमरा यूसुि क ेाँ दासी आ दासीक रूप मे दऽ हदयौक, आ िम हनका सदाक लेल गुलाम रिब।” यूसुफ खखड़की पर असेनथ क ेेँ देखैत अवछ। 7. यूसुि पेन्टेफ्र े सक घर मे आहब एकटा क ु सी पर बैसलाि। ओ सभ हनकर पएर धो कऽ हनका सामने अलग-अलग टेबुल राद्धख देलहथन, कारण यूसुि हमस्रक लोक सभक संग भोजन नहि करैत छलाि, हकएक ताँ ई हनका लेल घृहणत बात छलहन। यूसुि आाँद्धख उठा कऽ देखलक जे असेनथ बािर झााँहक रिल अहछ आ ओ पेन्टेफ्र े स क ेाँ किलक: "ओ महिला क े अहछ जे द्धखडकीक कात मे मचान मे ठाढ़ अहछ? ओकरा एहि घर साँ दू र चहल जाउ।" कारण, यूसुि डरैत छलाि जे, “किींओिो िमरा हचढ़ा नहि देताि।” हकएक ताँ हमस्र देशक सभ राजपुत्र सभक स् त्री-पुत्री आ सहचव सभ हनका संग सुतबाक लेल हचढ़बैत छलहन। मुदा हमस्रक बहतो पत्नी आ बेटी सभ सेिो यूसुि क ेाँ देखहनिार सभ हनकर सुन्दरताक कारणेाँ व्यहथत भऽ गेलाि। आ जे दू त सभ स् त्रीगण सभ सोना-चानी आ अनमोल उपिार ल' क' हनका लग पठौलहन, यूसुि धमकी आ अपमाहनत करैत वापस पठौलहन जे, "िम प्रभु परमेश् वर आ अपन हपता इस्राएलक मुाँि मे पाप नहि करब।" कारण, यूसुिक आाँद्धखक सोझााँ परमेश् वर सहदखन रिैत छलाि आ अपन हपताक आज्ञा सभ क ेाँ सहदखन मोन पाडैत छलाि। कारण, याक ू ब प्रायः अपन पुत्र यूसुि आ ओकर सभ बेटा सभ क ेाँ बजैत छलाि आ सलाि दैत छलाि: "िे बच्चा सभ, अपना क ेाँ कोनो परदेशी स् त्री साँ सुरहक्षत राखू, जाहि साँ ओकरा संग संगहत नहि िो, हकएक ताँ ओकर संगहत हवनाश आ हवनाश हथक।" तेाँ यूसुि किलहथन, “ओ स् त्री एहि घर साँ चहल जाय।” आ पेन्टेफ्र े स हनका किलहथन: "िे माहलक, जे स्त्री क ेाँ अिााँ मचान मे ठाढ़ देखलहाँ, ओ कोनो परदेशी नहि अहछ, बल् हक िमर सभक बेटी अहछ, जे सभ पुरुर् साँ घृणा करैत अहछ, आ अिााँ क ेाँ छोहड आइ धरर कोनो आन पुरुर् ओकरा नहि देखने अहछ; आ।" , जाँ अिााँक इच्छा िोयत, प्रभु, ओ आहब क' अिााँ साँ गप्प करत, कारण जे िमर बेटी अिााँक बहिन जकााँ अहछ।" यूसुि बहत खुशी साँ आनद्धन्दत भेलाि, हकएक तऽ पेन्टेफ्र े स किलहथन: “ओ क ु मारर छहथ जे सभ पुरुर् साँ घृणा करैत छहथ।” यूसुि पेन्टेफ्र े स आ हनकर पत्नी क ेाँ किलहथन, “जाँ ओ अिााँक बेटी छहथ आ क ु मारर छहथ ताँ हनका आहब जाउ, कारण ओ िमर बहिन छहथ, आ िम आइ साँ हनका अपन बहिन जकााँ प्रेम करैत छी।” यूसुफ असेनाथ क े आशीिाणद दैत छवथन। 8. तखन ओकर माय लॉफ्ट मे ऊपर उहठ क' यूसुि लग आसेनाथ अनलक, आ पेन्टेफ्र े स ओकरा किलक: "तोिर भाइ क ेाँ चुप्पी करू, कारण ओ आइयो अिााँ जकााँ क ु मारी छहथ, आ िर हवहचत्र महिला साँ सेिो घृणा करैत छहथ, एतय धरर ." आसेनाथ यूसुि क ेाँ किलहथन, “िे प्रभु, परमेश् वरक आशीवाषहदत जय-जयकार।” यूसुि ओकरा किलक ै , ''परमेश् वर जे सभ हकछु जीवंत करै छै , तोरा आशीवाषद देतै, कन्या।" पेन्टेफ्र े स तखन अपन बेटी असेनथ साँ किलक ै , "आउ, तोिर भाय क ेाँ चुम्मा हलअ।" तखन जखन असेनथ यूसुि क ेाँ चुम्मा लेबय लेल ऊपर अयलाि, तखन यूसुि अपन दहिना िाथ बढ़ौलहन िाथ, आ ओकरा अपन दुनू पपडीक बीच ओकर छाती पर राद्धख देलक (कारण ओकर पपडी पहिने साँ हप्रय नेबो जकााँ ठाढ़ छल), आ यूसुि किलक: "ई मनुष्य लेल उहचत नहि जे परमेश् वरक आराधना करैत अहछ, जे अपन मुाँि साँ जीहवत परमेश् वर क ेाँ आशीवाषद दैत अहछ। आ जीवनक धन्य रोटी खाइत अहछ, अमरताक धन्य प्याला पीबैत अहछ, आ अहवनाशीक धन्य अहभर्ेक साँ अहभहर्क्त िोइत अहछ, जे एकटा परदेशी स्त्री क ेाँ चुम्मा लैत अहछ, जे अपन मुाँि साँ मृत आ बिीर मूहतष क ेाँ आशीवाषद दैत अहछ आ ओकर टेबुल साँ गला घोंटबाक रोटी खाइत अहछ आ ओकरा सभक प्याला साँ छलक प्याला पीबैत अहछ आ हवनाशक अहभर्ेक कयल जाइत अहछ। मुदा जे आदमी परमेश् वरक आराधना करैत अहछ, ओ अपन माय आ बहिन क ेाँ चुम्मा लेत जे अपन माय साँ जन्मल अहछ आ ओहि बहिन क ेाँ जे अपन गोत्र साँ जन्मल अहछ आ ओहि पत्नी क ेाँ जे अपन सोिा मे बााँटैत अहछ, जे अपन मुाँि साँ जीहवत भगवान क ेाँ आशीवाषद दैत अहछ। तहिना परमेश् वरक आराधना
  • 3. करय बला स् त्री क ेाँ कोनो परदेशी पुरुर् क ेाँ चुम्मा लेब उहचत नहि, हकएक ताँ प्रभु परमेश् वरक नजरर मे ई घृहणत बात अहछ।" आ असेनथ जखन यूसुि साँ ई बात सुनलक तऽ ओ बहत व्यहथत भऽ क ु िरलीि ;आ जखन ओ आाँद्धख खोहल कऽ यूसुि हदस अहडग नजरर साँ तक ै त छलीि तखन ओ सभ नोर साँ भरर गेलाि।तखन यूसुि हनका कानैत देद्धख हनका पर बहत दया उठलहन, कारण ओ कोमल आ दयालु छलाि आ प्रभु साँ डेराइत छलाि।तखन ओ अपन दहिना िाथ ओकर माथक ऊपर उठा कऽ बजलाि: "िमर हपता इस्राएलक प्रभु परमेश् वर, परमेश् वर आ पराक्रमी परमेश् वर, जे सभ हकछु क ेाँ जीवंत करैत छहथ आ अन् िार साँ इजोत मे आ भ्रम साँ सत्य हदस आ मृत्यु साँ जीवन मे बजबैत छहथ। अिााँ एहि क ु मारर क ेाँ सेिो आशीवाषद हदअ, आ ओकरा जीहवत करू आ अपन पहवत्र आत् मा साँ नव बनाउ, आ ओकरा अपन जीवनक रोटी खाउ आ अिााँक आशीवाषदक प्याला पीब, आ ओकरा अपन लोकक संग हगनती करू, हजनका अिााँ सभ हकछु बनबा साँ पहिने चुनने रिी। आ ओकरा तोिर हवश्ाम मे प्रवेश करौक जे तोाँ अपन चुनल गेल हवश्ाम मे तैयार कऽ रिल छी, आ ओकरा तोिर अनन्त जीवन मे अनन्त काल धरर जीबय हदयौक।” असेनाथ ररटायर भ' जाइत अवछ आ जोसेफ प्रस्थान करबाक तैयारी करैत अवछ। 9. आसेनाथ यूसुिक आशीवाषद पर अत्यंत आनद्धन्दत भ’ गेलाि। तखन ओ िडबडा कऽ असगरे अपन मचान पर चहढ़ गेलीि आ कमजोरी मे अपन पलंग पर खहस पडलीि, कारण हनका मे आनन्द आ दुः ख आ बहत भय छलहन। यूसुि साँ ई बात सुहन आ परमेश् वर परमेश् वरक नाम साँ हनका साँ बजला पर हनका पर लगातार पसीना बिैत छलहन। तखन ओ बहत आ कटु कानैत कानय लगलीि आ पश्चाताप मे अपन देवता सभ साँ घुरर गेलीि, हजनकर पूजा करबाक आदहत छलहन, आ मूहतष सभ साँ, जकरा ओ हतरस्कार करैत छलीि आ सााँझक प्रतीक्षा करैत छलीि। मुदा यूसुि खाइत-पीबैत छलाि। ओ अपन सेवक लोक सभ क ेाँ किलहथन जे घोडा सभ क ेाँ अपन रथ मे जोहड हदयौक आ पूरा देश मे घुमबाक लेल। पेन्टेफ्र े स यूसुि क ेाँ किलहथन, “िमर माहलक क ेाँ आइ एत’ ठिरय हदयौक, आ भोरे-भोर चहल जायब।” आ यूसुि किलहथन: "नहि, मुदा आइ िम चहल जायब, हकएक ताँ एहि हदन परमेश् वर अपन सभ सृहि बनबऽ लगलाि, आ आठम हदन िमहाँ अिााँ सभ लग घुरर कऽ एतऽ ठिरब।" असेनाथ वमस्र क े देिता सब क े नकारैत अवछ आ अपना क े नीचा देखा दैत अवछ | 10. जखन यूसुि घर साँ बािर हनकललाि तखन पेन्टेफ्र े स आ ओकर सभ पररजन अपन उत्तराहधकार हदस चहल गेलाि, आ असेनथ सात क ु मारर कन्याक संग असगरे रहि गेलाि, सूयाषस्त धरर बेचैन आ काहन रिल छलाि। आ ने रोटी खाइत छलीि आ ने पाहन पीबैत छलीि, मुदा सभ सुतैत काल स्वयं असगरे जागल छलीि आ काहन रिल छलीि आ बेर-बेर िाथ साँ छाती पीहट रिल छलीि | एहि बातक बाद असेनथ अपन ओछाओन पर साँ उहठ कऽ चुपचाप मचान पर साँ सीढ़ी साँ नीचा उतरर गेलाि आ िाटक पर पहाँचला पर दरबज्जा क ेाँ अपन बच्चा सभक संग सुतल देखलहन। आ जल्दी-जल्दी दरबज्जा पर साँ पदाषक चमडाक आवरण उतारर ओकरा हसंडर साँ भरर क' मचान पर ल' क' िशष पर राद्धख देलक। आ तखन ओ दरबज्जा क ेाँ सुरहक्षत रूप साँ बंद क' क' कात साँ लोिाक बोल्ट साँ बाद्धन्ह लेलक आ बहत आ बहत पैघ कानब साँ एक संग बहत क ु िरैत क ु िरलीि। मुदा ओ क ु मारर जकरा असेनाथ सभ क ु मारर सभसाँ बेसी प्रेम करैत छलाि, ओकर क ु िरब सुहन िडबडा कऽ आन क ु मारर सभक ेाँ सेिो जगबैत दरबज्जा पर आहब गेल आ दरबज्जा बंद पाहब गेल। आ, जखन ओ असेनाथक क ु िरब आ कानब सुनलीि त' बािर ठाढ़ भ' क' हनका बजलीि: "की अहछ, िमर मालहकन, आ अिााँ हकएक दुखी छी? आ ई की अहछ जे अिााँ क ेाँ परेशान क' रिल अहछ? िमरा सभ क ेाँ खोहल हदयौक आ छोहड हदयौक।" िम अिााँक ेाँ देखैत छी।" आ असेनाथ भीतर बंद भ' क' ओकरा किलद्धखन: "िमर माथ पर बहत पैघ आ किदायक पीडा आहब गेल अहछ, आ िम अपन हबछौन पर आराम क' रिल छी, आ िम उहठ क' अिााँक सोझााँ नहि खुहज सक ै त छी, कारण िम अपन समस्त अंग पर कमजोर छी।" तेाँ अिााँ सभ मे साँ प्रत्येक अपन कोठली मे जा कऽ सुहत जाउ, आ िमरा शान्त रिय हदअ।” आ, जखन क ु मारर सभ अपन- अपन कोठली हदस चहल गेलीि, तखन असेनाथ उहठ क' चुपचाप अपन बेडरूमक क े बाड खोललहन, आ अपन दोसर कोठली मे चहल गेलीि जतय हनकर श्ृंगारक छाती छल, आ ओ अपन कोठरी खोहल एकटा कारी आ... सोम्ब्रे ट्यूहनक जे ओ पहिरने छलीि आ जेठ भाइक मृत्यु भेला पर शोक करैत छलीि | तखन ई अंगरखा ल' क' ओ ओकरा अपन कोठली मे ल' गेलीि, आ ि े र दरबज्जा क ेाँ सुरहक्षत रूप साँ बंद क' लेलहन, आ बोल्ट क ेाँ कात साँ राद्धख देलहन। तखन, तेाँ, असेनाथ अपन राजवस्त्र उतारर, शोकक अंगरखा पहिरर लेलक, आ अपन सोनाक करधनी ढीला क' रस्सी साँ बान्हल आ माथ साँ मुक ु ट, अथाषत हमत्र, उतारलक, तहिना मुक ु ट सेिो, आ... िाथ आ पैरक जंजीर सेिो सभटा िशष पर हबछाओल गेल छलहन। तखन ओ अपन चुनल वस्त्र आ सोनाक करधनी आ माइटर आ मुक ु ट लऽ कऽ ओहि द्धखडकीसाँ जे उत्तर हदस तक ै त छल, गरीब सभ हदस ि े हक देलक। तखन ओ अपन कोठली मे अपन सभ देवता, सोना आ चानीक देवता क ेाँ लऽ कऽ ओकरा सभ क ेाँ टुहट-टुकडा कऽ कऽ द्धखडकी साँ गरीब आ हभखारी सभक समक्ष ि े हक देलक। आ ि े र असेनाथ अपन राजकीय भोजन आ मोटगर बच्चा आ माछ आ बछडाक मांस आ अपन देवताक सभ बहलदान आ मद्यपानक बतषन सभ लऽ कऽ सभटा ओहि द्धखडकीसाँ ि े हक देलक जे उत्तर हदस क ु क ु र सभक भोजनक रूपमे देखाइत छल . 2 एहि बात सभक बाद ओ चमडाक आवरण लऽ कऽ िशष पर ढारर देलहन। तखन ओ बोरा वस्त्र लऽ कऽ कमर मे पट्टी बाद्धन्ह लेलक। माथक क े शक जाल सेिो खोहल कऽ माथ पर राख हछडहक देलहन। ओ िशष पर हसंडर सेिो हबछाबैत रिलीि आ हसंडर पर खहस पडलीि आ िाथ साँ छाती पर लगातार पीटैत रिलीि आ भोर धरर क ु िरैत राहत भरर कानैत रिलीि। आ, जखन असेनाथ भोरे उहठ कऽ देखलक, आ देखू! हसंडर ओकर नीचााँ ओकर नोर साँ माहट जकााँ छलैक, ओ ि े र सूयाषस्त धरर हसंडर पर मुाँि पर खहस पडलीि | एहि तरिें आसेनाथ सात हदन धरर क े लहन, जे हकछु स्वाद नहि लेलहन। असेनाथ इब्रानी क े परमेश्वर स प्राथणना करै क े संकल्प लै छै। 11. आठम हदन जखन भोर भेल आ हचडै सभ पहिने साँ चिक ै त छल आ क ु क ु र सभ रािगीर सभ पर भौंक ै त छल तखन असेनथ िशष आ जाहि हसंडर पर बैसल छलीि ताहि साँ माथ कनेक ऊपर उठौलहन, कारण ओ अत्यहधक थाहक गेल छलीि आ अपन पैघ अपमान साँ अंग-अंगक शद्धक्त गमा लेने छलीि; कारण, असेनाथ थाहक गेल आ बेिोश भ' गेल छल आ ओकर ताकत कमजोर भ' रिल छलैक, आ तखन ओ पूब हदस तक ै त द्धखडकीक नीचा बैसल देबाल हदस घुहम गेलीि। िाथक आाँगुर दहिना ठे हन पर जोडैत माथ कोरा पर राद्धख लेलहन। ओकर मुाँि बन्न भऽ गेलै, आ अपमाहनत भेल सात हदन आ सात राहत मे ओ मुाँि नहि खोललक ै । आ ओ मुाँि नहि खोलैत मोने- मोन बजलीि: "िम की करब, िम नीच, वा कतय जायब? आ िम ि े र क े करा संग शरण लेब? वा िम ककरा साँ गप्प करब, जे क ु मारी अहछ।" एकटा अनाथ आ उजाड आ सबिक पररत्यक्त आ घृहणत?सब आब िमरा साँ घृणा करय लेल आहब गेल अहछ, आ एहि मे िमर हपता आ माय तक, ताहि लेल िम देवता लोकहन क ेाँ घृणा साँ हतरस्कार क े लहाँ आ ओकरा सभ क ेाँ दू र क' देहलयैक आ गरीब क ेाँ द' देलहाँ मनुष्य द्वारा नि भ' जाय। कारण िमर हपता आ माय किने छलीि: "आसेनाथ िमर बेटी नहि छहथ।"मुदा िमर सभ पररजन सेिो िमरा आ सभ लोक साँ घृणा करय लेल आयल अहछ, कारण िम हनकर देवता क ेाँ हवनाश मे द' देलहाँ।आ िम घृणा क े लहाँ िर आदमी आ जे सभ िमरा लुभाबैत छल, आब िमर एहि अपमान मे िमरा सभक घृणा भ ’ गेल अहछ आ ओ सभ िमर संकट पर आनद्धन्दत भ’ रिल अहछ आ परदेशी देवताक आराधना करयवला सभक हवरुि भयावि, जेना िम सुनने छी, जाहि साँ ओ िमरा साँ सेिो घृणा कयलहन, कारण िम मृत-बहिर मूहतष सभक पूजा करैत छलहाँ आ ओकरा सभ क ेाँ आशीवाषद दैत छलहाँ। मुदा आब िम हनका सभक बहलदान साँ परिेज कऽ देलहाँ, आ िमर मुाँि हनका सभक टेबुल साँ दू र भऽ गेल अहछ, आ िमरा परमेश् वर परमेश् वर परमेश् वर,
  • 4. पराक्रमी यूसुिक परमात्मा आ परमेश् वर क ेाँ पुकारबाक सािस नहि अहछ, कारण एहि साँ िमर मुाँि दू हर्त अहछ मूहतष क े बहलदान। मुदा िम बहतो लोक क ेाँ ई किैत सुनने छी जे इब्रानी सभक परमेश् वर एकटा सत् य परमेश् वर छहथ, आ जीहवत परमेश् वर छहथ, आ दयालु परमेश् वर छहथ आ दयालु आ धैयषवान आ दया साँ भरल आ कोमल छहथ, आ जे मनुर्् यक पाप नहि मानैत छहथ जे हवनम्र अहछ, आ हवशेर् रूप साँ ओहि लोकक लेल जे अज्ञानता मे पाप करैत अहछ, आ पीहडत लोकक दुः खक समय मे अधमषक दोर्ी नहि ठिरबैत अहछ। तदनुसार िमहाँ, हवनम्र, सािसी रिब आ हनका हदस घुरब आ हनका शरण लेब आ हनका समक्ष अपन सभ पाप स्वीकार करब आ हनका समक्ष अपन याचना उझहल देब, आ ओ िमर दुदषशा पर दया करताि। हकएक ताँ क े जनैत अहछ जे ओ िमर ई अपमान आ िमर प्राणक उजाड देद्धख िमरा पर दया करत आ िमर दयनीयता आ क ु माररत्वक अनाथपन सेिो देद्धख िमरा रक्षा करत? कारण, जेना िम सुनैत छी, ओ स्वयं अनाथ बच्चा सभक हपता आ पीहडत सभक सान्त्त्वना आ प्रताहडत सभक सिायक छहथ। मुदा कोनो िालत मे िमहाँ हवनम्र सािसी रिब आ ओकरा लग कानब। तखन असेनाथ जाहि देबाल पर बैसल छलीि, ओहि देबाल साँ उहठ कऽ ठे हन पर पूब हदस उहठ कऽ स्वगष हदस नजरर दौडा कऽ मुाँि खोहल परमेश् वर साँ किलहथन। आसेनाथ क े प्राथणना 12. असेनाथक प्राथषना आ स्वीकारोद्धक्त: "धमी लोकहनक प्रभु परमेश् वर, जे युग सभक सृजन करैत छहथ आ सभ वस्तु क ेाँ जीवन दैत छहथ, जे अिााँक समस्त सृहि क ेाँ जीवनक सााँस देलहन, जे अदृश्य वस्तु क ेाँ इजोत मे बािर अनलहन, जे बनौलहन।" सब हकछु आ प्रकट कयलहन जे नहि भेल छल, जे स्वगष क ेाँ ऊपर उठबैत अहछ आ पाहन पर पृथ्वी क ेाँ नींव करैत अहछ, जे पैघ- पैघ पाथर क ेाँ पाहनक अथाि पर द्धस्थर करैत अहछ, जे डू बल नहि जायत, मुदा अंत धरर अिााँक इच्छा पूरा करैत अहछ। कारण जे अिााँ प्रभु, वचन किहलयहन आ सभ हकछु अद्धस्तत्व मे आयल, आ अिााँक वचन, प्रभु, अिााँक सभ प्राणीक जीवन हथक, अिााँ लग िम शरण लेल भागैत छी, प्रभु िमर परमेश् वर, आब साँ िम अिााँ लग पुकारब, प्रभु , आ तोरा लेल िम अपन पाप स्वीकार करब, तोरा लेल िम अपन याहचका उझहल देब, माहलक, आ तोरा लेल िम अपन अराजकता क े उजागर करब।िमरा, प्रभु, स्पेयर, जे िम तोरा हवरुि बहत रास पाप क े लहाँ, िम अराजकता क े लहाँ आ अभद्धक्त, िम एिन बात किलहाँ जे बाजल नहि जाय, आ अिााँक नजरर मे दुि, िमर मुाँि प्रभु, हमस्रक मूहतष सभक बहलदान आ हनकर देवता सभक मेज साँ दू हर्त भऽ गेल अहछ तोिर दृहि, ज्ञान आ अज्ञान दुनू मे िम अभद्धक्त क े लहाँ जे िम मृत-बहिर मूहतषक पूजा करैत छलहाँ, आ िम अिााँ क ेाँ मुाँि खोलबाक योग्य नहि छी, प्रभु, िम पेन्टेफ्र े स पुरोहितक दयनीय असेनथ पुत्री, क ु मारर आ रानी। जे कहियो घमंडी आ घमंडी छल आ िमर हपताक धन मे सब मनुक्ख साँ बेसी समृि छल, मुदा आब अनाथ आ उजाड आ सब मनुक्ख साँ पररत्यक्त। िे प्रभु, िम तोरा लग भागैत छी आ तोरा लग अपन हवनती अहपषत करैत छी, आ तोरा लग पुकारब। जे िमरा पाछााँ-पाछााँ चलैत अहछ, ओकरा सभ साँ िमरा मुक्त करू। गुरु, िमरा हनका सभक द्वारा लऽ जाय साँ पहिने; हकएक ताँ जेना कोनो हशशु ककरो डरसाँ अपन बाप-माए लग भाहग जाइत अहछ आ ओकर हपता िाथ पसारर कऽ ओकरा छातीसाँ पकहड लैत अहछ जेना अिााँ सेिो करू। प्रभु, बाल-प्रेमी हपता जकााँ िमरा पर अपन हनमषल आ भयावि िाथ पसारर हदअ आ िमरा अलौहकक शत्रु क े र िाथ साँ पकहड हलअ। लो क े लेल! प्राचीन आ जंगली आ क्र ू र हसंि िमरा पाछााँ पडैत अहछ, कारण ओ हमस्रक देवताक हपता अहछ, आ मूहतष-उन्मादीक देवता ओकर संतान अहछ, आ िम ओकरा सभसाँ घृणा करय लेल आयल छी, आ िम ओकरा सभक ेाँ दू र कऽ देहलयैक, कारण ओ सभ हसंिक संतान अहछ, आ िम हमस्रक सभ देवता क ेाँ िमरा साँ ि े हक देहलयैक आ ओकरा सभ क ेाँ दू र क' देहलयैक, आ हसंि वा ओकर हपता शैतान िमरा पर क्रोध मे िमरा हनगलबाक प्रयास क' रिल अहछ। मुदा अिााँ, प्रभु, िमरा हनकर िाथ साँ बचाउ, आ िम हनकर मुाँि साँ उिार पाहब जायब, जाहि साँ ओ िमरा िाहड कऽ आहग क े र लौ मे नहि ि े हक देत, आ आहग िमरा तूिान मे ि े हक देत, आ अन्हार मे तूिान िमरा पर िावी नहि भ' जाय आ िमरा समुद्रक गिींर मे ि े हक हदअ, आ अनन्त काल साँ आयल मिान जानवर िमरा हनगलैत अहछ आ िम अनन्त काल धरर नि भऽ जाइत छी।” िे प्रभु, ई सभ बात िमरा पर आबय साँ पहिने िमरा बचाउ। िे गुरु, िमरा उजाड आ हनबाषध लोक क ेाँ बचाउ, कारण िमर हपता आ िमर माय िमरा नकारैत किने छहथ, ‘आसेनाथ िमर बेटी नहि छहथ,’ कारण िम हनका लोकहनक देवता क ेाँ टुकडा-टुकडा क’ क’ ओकरा सभ क ेाँ तोहड देहलयैक, जेना िम हनका सभ साँ पूणषतः घृणा क े ने छी। आब िम अनाथ आ उजडल छी, आ अिााँक छोहड िमरा कोनो आन आशा नहि अहछ। प्रभु, िे मनुष्यक हमत्र, तोिर दया छोहड कोनो आन शरण नहि, हकएक ताँ अिााँ मात्र अनाथ सभक हपता आ सताओल लोकक समथषक छी आ पीहडतक सिायक छी। िमरा पर दया करू प्रभु, आ िमरा शुि आ क ु मारर, पररत्यक्त आ अनाथ राखू, कारण जे अिााँ एकमात्र प्रभु मधुर आ नीक आ सौम्य हपता छी। िे प्रभु, तोरा सन मधुर आ नीक कोन हपता? लो क े लेल! िमर हपता पेन्टेफ्र े सक सभ घर जे ओ िमरा उत्तराहधकारक रूप मे देने छहथ, से हकछु समयक लेल हवलुप्त भ’ रिल अहछ। मुदा, प्रभु, अिााँक उत्तराहधकारक घर अहवनाशी आ अनन्त अहछ।” आसेनाथक प्राथणना (आगाेँ) २. 13. "िे प्रभु, िमर अपमानक दशषन करू आ िमर अनाथपन पर दया करू आ िमरा, पीहडत पर दया करू। हकएक ताँ देखू! िम गुरु, सभसाँ भाहग गेलहाँ आ अिााँक एकमात्र हमत्रक शरण लेलहाँ। देखू! िम सभटा नीक छोहड देलहाँ।" पृथ्वीक वस्तु सभ आ अिााँक शरण लेलहाँ।प्रभु, बोरा आ राख मे, नंगटे आ एकांत।देखू, आब िम अपन राजकीय वस्त्र मिीन हलनेन आ सोना साँ गुंथल हकरहमजी सामानक वस्त्र उतारर शोकक कारी अंगरखा पहिरने छी। देखू!िम अपन सोनाक करधनी ढीला कए िमरासाँ ि े हक देने छी आ रस्सी आ बोरासाँ कमरबंद कएने छी।देखू!िमर मुक ु ट आ िमर माइटर िम अपन माथसाँ ि े हक देने छी आ िम अपनाक ेाँ हसंडर हछडहक देने छी।देखू!िमर कोठलीक िशष जे अनेक रंगक आ बैंगनी रंगक पाथरसाँ पक्का छल , जे पहिने मरिमसाँ भीजल छल आ चमक ै त हलनेन कपडासाँ सुखायल जाइत छल , आब िमर नोरसाँ भीज गेल अहछ आ एहि लेल बेइज्जत कएल गेल अहछ जे राद्धख हबछल अहछ ।देखू िमर प्रभु , हसंडरसाँ आ िमर नोर िमर कोठली मे चौडा सडक जकााँ बहत माहट बहन गेल अहछ।देखू, िमर प्रभु, िमर राजकीय भोजन आ क ु क ु र सभ क ेाँ देल मांस। लो! िमहाँ िे गुरु, सात हदन आ सात राहत उपवास क े ने छी आ ने रोटी खयलहाँ आ ने पाहन पीलहाँ, आ िमर मुाँि चक्का जकााँ सुखा गेल अहछ आ िमर जीि सींग जकााँ आ िमर ठोर घैल जकााँ सुखा गेल अहछ, आ िमर मुाँि हसक ु हड गेल अहछ आ िमर आाँद्धख नोर बिाबय मे असिल भ गेल छहथ। मुदा अिााँ, िमर परमेश् वर, िमरा िमर अनेक अज्ञानता साँ मुक्त करू आ िमरा एहि लेल क्षमा करू, िम क ु मारर आ अनजान भ' क' भटकल छी। लो! आब जे सभ देवता हजनकर िम पहिने अज्ञानता मे पूजैत छलहाँ, आब िमरा बुझल अहछ जे ओ बिीर आ मृत मूहतष छलाि, आ ओकरा सभ क ेाँ तोहड-टुहट कऽ सभ लोक रौदबाक लेल दऽ देहलयहन आ चोर सभ ओकरा सभ क ेाँ लूहट लेलक, जे सोना-चानी छल , आ अिााँक संग िम शरण लेलहाँ, प्रभु परमेश् वर, एकमात्र दयालु आ मनुष्यक हमत्र। िे प्रभु, िमरा क्षमा करू जे िम अज्ञानता मे अिााँक हवरुि बहत पाप क े लहाँ आ अपन प्रभु यूसुिक हवरुि हनन्दा कहि देलहाँ, आ ई नहि बुझलहाँ, l दयनीय, जे ओ अिााँक बेटा अहछ। प्रभु, जहिया साँ ईष्याष साँ आग्रि कयल गेल दुि लोकहन िमरा किलहन जे, ‘यूसुि कनान देशक चरबािक बेटा छहथ,’ आ िम दयनीय हनका सभ पर हवश्वास कए भटहक गेलहाँ, आ िम ओकरा शून्य क’ देहलयैक आ दुि बात बजलहाँ हनका बारे मे ई नहि जाहन जे ओ अिााँक बेटा अहछ। कारण, मनुष्य मे क े करा एिन सौन्दयषक जन्म भेल वा कहियो िोयत? आहक हनका सन बुद्धिमान आ पराक्रमी आरो क े अहछ, जेना सवषसुन्दर यूसुि? मुदा, प्रभु, िम ओकरा सौंपैत छी, हकएक ताँ िम ओकरा अपन प्राणसाँ बेसी प्रेम करैत छी। ओकरा अपन क ृ पाक बुद्धि मे सुरहक्षत राखू, आ िमरा ओकरा दासी आ दासीक रूप मे सौंप हदअ, जाहि साँ िम ओकर पएर धो सकब आ ओकर पलंग बना सकब आ ओकर सेवा करब आ ओकर सेवा करब, आ िम ओकर दासी बनब िमर जीवनक समय।"
  • 5. महादू त माइकल असेनाथ क े दौरा करै छै। 14. जखन असेनाथ प्रभुक समक्ष स्वीकार करब छोहड देलहन, तखन देखू! भोरका तारा सेिो पूब हदस आकाश साँ उठल। आ असेनाथ एकरा देद्धख िहर्षत भ' गेलाि आ बजलाि: "की तखन प्रभु परमेश् वर िमर प्राथषना सुनने छहथ? कारण ई तारा मिान हदनक ऊ ाँ चाईक दू त आ प्रचारक अहछ।" आ देखू! भोरका तारा द्वारा कठोर स्वगष िाहट गेल आ एकटा पैघ आ अकथनीय इजोत आहब गेल। जखन ओ ई देद्धख आसेनाथ मुाँि पर खहस पडलीि आ तुरन्त स्वगष साँ एक आदमी हनका लग आहब गेलाि, जे प्रकाशक हकरण छोडैत छलाि आ हनकर माथक ऊपर ठाढ़ भ’ गेलाि। आ, जखन ओ मुाँि पर पडल छलीि तखन हदव्य स्वगषदू त हनका किलहथन, "असेनाथ, ठाढ़ भ' जाउ।" ओ बजलीि: "ओ क े अहछ जे िमरा बजौलक जे िमर कोठलीक दरबज्जा बंद अहछ आ बुजष ऊ ाँ च अहछ, आ तखन ओ िमर कोठली मे कोना आहब गेल अहछ?" ओ दोसर बेर ओकरा बजा कऽ किलक ै , “आसेनाथ, असेनाथ।” ओ बजलीि, "िम एतय छी, प्रभु, िमरा कह जे अिााँ क े छी।" ओ किलहन: "िम परमेश् वर परमेश् वरक प्रमुख सेनापहत आ परमेश् वरक समस्त सेनाक सेनापहत छी। ओ मुाँि उठा कऽ देखलीि, आ देखू! यूसुि जकााँ सभ बात मे, वस्त्र आ माला आ राजदंड मे, हसवाय एकर मुाँि हबजली जकााँ, आाँद्धख सूयषक इजोत जकााँ आ माथक क े श जरैत मशालक आहग क े लौ जकााँ , आ ओकर िाथ आ पएर आहगसाँ चमक ै त लोिा जकााँ, हकएक ताँ िाथ आ पएर दुनूसाँ जेना हचंगारी हनकलैत छलैक। ई सब देद्धख असेनाथ डरर गेलाि आ मुाँि पर खहस पडलाि, पैर पर ठाढ़ नहि भ' सकलाि, कारण ओ बहत भयभीत भ' गेलीि आ ओकर सभ अंग कााँहप उठलहन। ओ आदमी ओकरा किलक ै , "असेनाथ, िौसला राखू, आऊ डरू नहि, मुदा ठाढ़ भ' क' अिााँक पएर पर ठाढ़ भ' जाउ, जाहि साँ िम अिााँ क ेाँ अपन बात कहि सकब।" तखन असेनाथ ठाढ़ भ' क' ओकर पएर पर ठाढ़ भ' गेलाि आ स्वगषदू त हनका किलद्धखन: "अपन दोसर कोठली मे हबना कोनो बाधा क े जाउ आ जाहि कारी अंगरखा मे अिााँ पहिरने छी, ओकरा एक कात राद्धख हदयौक आ अपन कमर साँ बोरा उतारर हदयौक आ हसंडर क ेाँ हिला हदयौक।" माथ साँ मुाँि आ िाथ शुि पाहन साँ धोउ आ उज्जर अछ ू त वस्त्र पहिरर कऽ कमर क ेाँ क ु माररत्वक चमक ै त कमरबंद, दुगुना पट्टी साँ बाद्धन्ह हदयौक, आ ि े र िमरा लग आहब जाउ, आ िम अिााँ क ेाँ ई बात किब जे प्रभुक हदस साँ अिााँ लग पठाओल गेल अहछ।” तखन असेनथ जल्दी-जल्दी अपन दोसर कोठली मे गेलाि, जाहि मे हनकर श्ृंगारक छाती छल, आ अपन खजाना खोललहन आ एकटा उज्जर, मिीन, अछ ू त वस्त्र लऽ कऽ पहिरर लेलहन, पहिने कारी वस्त्र उतारर, आ रस्सी क ेाँ सेिो खोहल लेलहन आ कमर सं बोरा आ क ु माररत्वक एकटा चमक ै त, दोिरी कमरबंद, कमर मे एकटा करधनी आ छाती पर दोसर करधनी मे बाद्धन्ह लेलहन | माथ पर साँ हसंडर सेिो हिला कऽ शुि पाहन साँ िाथ-मुाँि धो लेलहन आ एकटा सुन्दर आ मिीन आवरण लऽ कऽ माथ पर पदाष लगा लेलहन। माइकल असेनथ क ेेँ कहैत अवछ जे ओ यूसुफक पत्नी हेतीह। 15. तखन ओ हदव्य प्रधान सेनापहत लग आहब हनका सोझााँ ठाढ़ भ’ गेलीि आ प्रभुक दू त हनका किलहथन, “आब अिााँक माथ साँ आवरण छीहन हलअ, कारण आइ अिााँ शुि क ु मारर छी, आ अिााँक माथ ओहिना अहछ।” एकटा युवक।" आ असेनाथ ओकरा माथसाँ लऽ लेलक। आ ि े र हदव्य स्वगषदू त ओकरा किैत छहथन: "िैश्वयष राखू, असेनथ, क ु मारर आ शुि, हकएक त' देखू! प्रभु परमेश् वर अिााँक स्वीकारोद्धक्त आ अिााँक प्राथषनाक सभटा वचन सुनलहन, आ हनकर अपमान आ कि सेिो देखलहन।" सात हदन तोिर परिेज, हकएक ताँ तोिर नोर साँ एहि हसंडर पर तोिर मुाँिक सोझााँ बहत माहट बहन गेल अहछ।तहिना, असेनाथ, क ु मारर आ शुि, िर्ष करू, कारण देखू! जीवन आ सदा-सदा लेल मेटाओल नहि जायत, मुदा आइ साँ अिााँ नव-नव आ नव-हनहमषत आ पुनजीहवत िोयब, आ जीवनक धन्य रोटी खाएब आ अमरता साँ भरल प्याला पीब आ अहवनाशक धन्य अहभर्ेक साँ अहभहर्क्त िोयब िाँसी-खुशी, असेनाथ, क ु मारर आ शुि, देखू, प्रभु परमेश् वर अिााँ क ेाँ आइ यूसुि क ेाँ कहनयााँक रूप मे देने छहथ, आ ओ स्वयं अिााँक वर सहदखन रित।आ आब अिााँ क ेाँ असेनथ नहि किल जायत, बल् हक अिााँक नाम रित शरणाथी नगर बनू, कारण जे तोरा मे बहत रास जाहत शरण लेत आ तोिर पााँद्धख क े नीचा ठिरत, आ बहत रास जाहत तोिर साधन साँ आश्य पाहब लेत, आ तोिर देबाल पर जे पश्चाताप क े माध्यम साँ परमात्मा परमेश् वर साँ हचपकल रित, ओकरा सुरहक्षत राखल जायत। कारण, ओ पश्चाताप परमात्माक बेटी अहछ, आ ओ स्वयं परमात्मा परमात्मा साँ िर घंटा अिााँक लेल आ पश्चाताप करयवला सभक लेल हवनती करैत छहथ, हकएक ताँ ओ पश्चातापक हपता छहथ, आ ओ स्वयं सभ क ु मारर सभक पूणषता आ पयषवेक्षक छहथ, अिााँ सभ साँ अत्यहधक प्रेम करैत छहथ आ िर घडी अिााँ सभक लेल परमात्मा साँ हवनती करैत छहथ, आ पश्चाताप करयवला सभ क ेाँ ओ स् वगष मे हवश्ामक स्थान प्रदान करतीि, आ पश्चाताप करयवला सभ क ेाँ नव करहथन। आ पश्चाताप अत्यंत सुन्दर अहछ, एकटा क ु मारर शुि आ कोमल आ कोमल; आ तेाँ, परमेश् वर हनका साँ प्रेम करैत छहथ, आ सभ स् वगषदू त हनका आदर करैत छहथ, आ िम हनका साँ बहत प्रेम करैत छी, कारण ओ स्वयं िमर बहिन छहथ, आ जेना ओ अिााँ सभ क ु मारर सभ साँ प्रेम करैत छहथ, िमहाँ अिााँ सभ साँ प्रेम करैत छी। आ देखू! िम यूसुि लग जाइत छी आ अिााँक हवर्य मे हनका साँ ई सभ बात किब, आ ओ आइ अिााँ लग आहब अिााँ क ेाँ देखताि आ अिााँ पर आनद्धन्दत िेताि आ अिााँ साँ प्रेम करताि आ अिााँक वर बनताि, आ अिााँ हनकर हप्रय कहनयााँ सहदखन रिब। तदनुसार िमर बात सुनू, असेनाथ, आ एकटा हववािक वस्त्र पहिरर हलअ, जे प्राचीन आ पहिल वस्त्र अहछ जे एखन धरर अिााँक कोठली मे पहिने साँ हबछल अहछ, आ अपन चारू कात सेिो अपन पसंदक सभटा श्ृंगार लगाउ, आ अपना क ेाँ नीक कहनयााँ जकााँ सजाउ आ अपना क ेाँ बनाउ ओकरासाँ भेंट करबाक लेल तैयार; कारण देखू! ओ आइ तोरा लग आहब कऽ तोरा देद्धख आनद्धन्दत िेताि।" आ जखन एक आदमीक आकारक प्रभुक स् वगषदू त असेनाथ क ेाँ ई बात सभ बाजब समाप्त क' लेलहन तखन ओ हनका द्वारा किल गेल सभ बात पर बहत िहर्षत भ' गेलीि , आ पृथ् वी पर ओकर मुाँि पर खसल, आ ओकर पैरक सोझााँ नम्रता दैत ओकरा किलक: "धन्य परमेश् वर तोरा परमेश् वर जे तोरा अन्हार साँ मुद्धक्त देहथन आ िमरा अपना क ेाँ अपना क ेाँ 100 मे अनबाक लेल पठौलहन। इजोत, आ तोिर नाम सदाक लेल धन्य अहछ। जाँ िमरा परमेश् वर, िमर प्रभु, अिााँक नजरर मे क ृ पा भेटल अहछ आ िम ई जाहन लेब जे अिााँ िमरा जे किलहाँ से सभ बात पूरा करबाक लेल पूरा करब, ताँ अिााँक दासी अिााँ साँ बात करू।" आ स् वगषदू त हनका किलहथन, " आगू कह।" आ ओ बजलीि: "िम प्रभु, एहि पलंग पर कहन काल बैहस जाउ, हकएक त' ई पलंग शुि आ हनमषल अहछ, कारण जे एहि पर कोनो दोसर पुरुर् वा आन स्त्री कहियो नहि बैसल छल, आ िम अिााँक सोझााँ बैहस जायब एकटा टेबुल आ रोटी, आ अिााँ खा लेब, आ िम अिााँ क ेाँ पुरान आ नीक शराब सेिो अनब, जकर गंध स्वगष धरर पहाँचत, आ अिााँ ओहि मे साँ पीब आ तकर बाद अपन बाट पर चहल जायब।" आ ओ ओकरा किलहथन: " जल्दबाजी करू आ जल्दी साँ आहन हदयौक।" आसेनाथक ेेँ अपन भंडारमे मधुक छत्ता भेटैत छैक । 16. असेनथ जल्दी-जल्दी अपन सोझााँ खाली टेबुल राद्धख देलक। आ, जखन ओ रोटी आनय लागल छलीि, तखन हदव्य स्वगषदू त हनका किलहथन: "िमरा लेल एकटा मधुकोश सेिो आहन हदअ।" आ ओ ठाढ़ भ' गेलीि आ भ्रहमत आ दुखी भ' गेलीि जे हनका भंडार मे मधुमाछीक क ं घी नहि छहन. आ हदव्य स्वगषदू त ओकरा किलहथन: "अिााँ हकएक ठाढ़ छी?" आ ओ बजलीि: "िे माहलक, िम एकटा लडका क ेाँ उपनगर मे पठा देब, हकएक त' िमरा सभक उत्तराहधकारक सम्पहत्त नजदीक आहब गेल अहछ, आ ओ आहब क' जल्दी-जल्दी एकटा क ेाँ ओतय साँ आहन देत, आ िम ओकरा अिााँक सोझााँ राद्धख देब।" हदव्य स्वगषदू त ओकरा किैत छहथन: "अपन भंडार मे प्रवेश करू आ अिााँ क ेाँ टेबुल पर मधुमाछीक क ं घी पडल भेटत; ओकरा उठा क' एतय आनू।" ओ बजलीि, "प्रभु, िमर भंडार मे मधुमाछीक क ं घी नहि अहछ।" ओ किलहन, “जाउ, अिााँ क ेाँ भेहट जायत।” असेनाथ अपन भंडार मे घुहस कऽ टेबुल पर मधुक छत्ता पडल देखलहन। क ं घी बि ष जकााँ पैघ आ उज्जर आ मधु साँ भरल छल, आ ओ मधु स्वगषक ओस जकााँ छल आ ओकर गंध जीवनक गंध जकााँ छल। तखन असेनथ आश्चयषचहकत भ' क' मने-मन बजलाि: "की
  • 6. ई क ं घी स्वयं एहि आदमीक मुाँि साँ हनकलल अहछ?" आसेनाथ ओहि क ं घी क ेाँ लऽ कऽ टेबुल पर राद्धख देलहन आ स् वगषदू त हनका किलहथन: "अिााँ हकएक किलहाँ जे िमर घर मे मधुक छत्ता नहि अहछ, आ देखू! अिााँ िमरा लेल अनलहाँ? " . आ ओ बजलीि: "प्रभु, िम अपन घर मे कहियो मधुक छत्ता नहि लगेने छी, मुदा जेना अिााँ किलहाँ तेना बनल अहछ। ई अिााँक मुाँि साँ हनकलल? कारण एकर गंध मरिमक गंध जकााँ अहछ।" आ ओ आदमी ओहि महिलाक समझ पर मुस्क ु राइत बाजल। तखन ओ ओकरा अपना हदस बजबैत छहथ, आ जखन ओ आहब गेलीि तखन ओ अपन दहिना िाथ पसारर क' ओकर माथ पकहड लेलक, आ जखन ओ ओकर दहिना िाथ साँ ओकर माथ हिला देलक ै क त' आसेनाथ क ेाँ स्वगषदू तक िाथ साँ बहत डर भेलैक, कारण ओहि साँ हचंगारी हनकलैत छलैक ओकर िाथ लाल-गमष लोिाक ढंगसाँ, आ तदनुसार ओ िरदम बहत भय आ कााँपैत स्वगषदू तक िाथ हदस तक ै त रिैत छलीि | आ ओ मुस्क ु राइत बजलाि: "आसेनाथ, अिााँ धन्य छी, हकएक त' परमेश् वरक अकथनीय रिस्य सभ अिााँ क ेाँ प्रगट कयल गेल अहछ; आ धन्य अहछ सभ जे पश्चाताप मे प्रभु परमेश् वर साँ हचपकल रिैत अहछ, हकएक ताँ ओ सभ एहि क ं घी साँ खाएत, एहि लेल ई क ं घी।" जीवन क े आत्मा छै , आरो ई आनन्द क े स्वगष क े मधुमक्खी जीवन क े गुलाब क े ओस से बनैने छै जे भगवान क े स्वगष में छै आरो िर ि ू ल में छै , आरो ओकरा में से स्वगषदूत आरो भगवान क े सब चुनलऽ लोग आरो सब क े खा जाय छै परमेश् वरक पुत्र सभ, आ जे हकयो एकर िल खाओत से अनन्त काल धरर नहि मरत।” तखन हदव्य स्वगषदू त अपन दहिना िाथ पसारर क ं घी मे साँ एकटा छोट सन टुकडी ल' क' खा लेलक आ अपन िाथ साँ जे हकछु बचल छलैक से असेनथक मुाँि मे राद्धख ओकरा किलक, "खाउ" आ ओ खा लेलक। आ स् वगषदू त हनका किलहथन: "देखू! आब अिााँ जीवनक रोटी खा लेलहाँ आ अमरताक प्याला पीहब लेलहाँ आ अहवनाशक अहभर्ेक साँ अहभहर्क्त भेलहाँ। देखू! आब अिााँक मांस परमात्माक िव्वारा साँ जीवनक ि ू ल उत्पन्न करैत अहछ।" ऊ ाँ च, आ तोिर िड्डी परमेश् वरक आनन्दक स्वगषक देवदारक गाछ जकााँ मोट भऽ जायत आ अथक शद्धक्त अिााँक ेाँ सम्हारत, तदनुसार तोिर जवानी बुढ़ापा नहि देखत, आ ने तोिर सौन्दयष सदाक लेल क्षीण िोयत, बल् हक देबाल जकााँ रिब सबिक मातृ-नगर।" स्वगषदू त क ं घी क े भडका देलद्धखन, आ ओहि क ं घी क े कोठली मे साँ बहतो मधुमाछी उठल, आ कोठली सभ असंख्य छल, दस िजार दस िजार आ िजार िजार। मधुमाछी सभ सेिो बि ष जकााँ उज्जर आ पााँद्धख बैंगनी आ हकरहमजी आ लाल रंगक समान छल। आ ओकरा सभ क ेाँ तेज डंक सेिो छलैक आ ककरो घायल नहि छलैक। तखन ओ सभ मधुमाछी असेनाथ क ेाँ पैर साँ माथ धरर घेरर लेलक आ ओकर रानी सन अन्य पैघ मधुमाछी कोठली साँ उहठ गेल आ ओकर चेिरा आ ठोर पर गोल घुहम गेलै आ ओकर मुाँि पर आ ओकर ठोर पर क ं घी जकााँ क ं घी बनौलक जे क ं घी बनबैत छलैक | स्वगषदू तक समक्ष पडल रह। आ ओ सभ मधुमाछी असेनथक मुाँि पर जे क ं घी छलैक से खाइत छलैक। तखन स् वगषदू त मधुमाछी सभ क ेाँ किलहथन, "आब अपन जगि पर जाउ।" तखन सभ मधुमाछी उहठ कऽ उहड कऽ स्वगष हदस हवदा भऽ गेल। मुदा जे लोकहन असेनाथ क ेाँ घायल करबाक इच्छा रखैत छलाि से सभ पृथ्वी पर खहस पडलाि आ मरर गेलाि | तखन स् वगषदू त मृत मधुमाछी सभक ऊपर अपन लाठी पसारर कऽ किलहथन, “उठ ू आ अिााँ सभ सेिो अपन जगि पर चहल जाउ।” तखने सभ मृत मधुमाछी उहठ कऽ असेनाथक घर साँ सटल दरबार मे हवदा भ' गेल आ िलदार गाछ पर अपन ठिरल बना लेलक। माइकल विदा भ' जाइत छवथ। 17. स् वगषदू त असेनथ क ेाँ किलहथन, “की अिााँ ई बात देखलहाँ?” ओ बजलीि, "िाँ, िमर माहलक, िम ई सभ बात देखलहाँ।" ईश्वरीय स्वगषदू त ओकरा किैत छहथन: "िमर सभटा वचन आ मिीन हलनन सोना साँ गुंथल िोयत, आ एक-एकटा माथ पर सोनाक मुक ु ट लागल रित, जेना आइ िम अिााँ साँ किलहाँ अहछ।" तखन परमेश् वरक स् वगषदू त तेसर बेर अपन दहिना िाथ बढ़ा कऽ क ं घीक कात छ ू हब लेलक आ सोझे टेबुल पर साँ आहग आहब क ं घी क ेाँ खा गेल, मुदा टेबुल पर एकोटा चोट नहि लागल। आ, जखन क ं घी जरला साँ बहत सुगन्ध हनकहल गेल छल आ कोठली मे भरर गेल छल, तखन असेनथ हदव्य स्वगषदू त क ेाँ किलद्धखन: "प्रभु, िमरा लग सात टा क ु मारर छहथ जे िमर युवावस्था साँ िमरा संग पलल-बढ़ल छहथ आ िमरा संग एक राहत मे जन्म लेलहन।" , जे िमर प्रतीक्षा करैत छहथ, आ िम हनका सभ क ेाँ अपन बहिन जकााँ प्रेम करैत छी। िम हनका सभ क ेाँ बजा लेब आ अिााँ हनका सभ क ेाँ सेिो आशीवाषद देबहन, जेना अिााँ िमरा आशीवाषद दैत छी।" स् वगषदू त हनका किलहथन, “ओ सभ क ेाँ बजाउ।” तखन असेनाथ सात क ु मारर क ेाँ बजा कऽ स् वगषदू तक समक्ष राद्धख देलहथन आ स् वगषदू त हनका सभ क ेाँ किलहथन: “परमेशवर परमेश् वर अिााँ सभ क ेाँ आशीवाषद देहथन, आ अिााँ सभ सात नगरक आ ओहि नगरक सभ चुनल लोक सभक शरणक खंभा बनब।” एक संग अिााँ सभ पर अनन्त काल धरर आराम करब।” आ एहि सभक बाद ईश्वरीय स् वगषदू त असेनथ क ेाँ किलहथन: "ई टेबुल क ेाँ छीहन हलअ।" जखन असेनथ टेबुल िटाबय लेल घुमल तऽ तुरन्त ओकर आाँद्धख साँ िहट गेल, आ असेनथ देखलक जे चारर टा घोडाक संग रथ जकााँ जे पूब हदस स्वगष हदस जा रिल अहछ, आ रथ आहग क े र लौ जकााँ आ घोडा सभ हबजली जकााँ , आ ओहि रथक ऊपर स् वगषदू त ठाढ़ छलाि। तखन असेनथ बजलाि: "िम नीच लोक मूखष आ मूखष छी, कारण जे िम ओहिना बजलहाँ जेना कोनो आदमी स्वगष साँ िमर कोठली मे आयल अहछ! िम नहि जनैत छलहाँ जे परमेश् वर ओहि मे आहब गेल छहथ, आ देखू! आब ओ स् वगष मे वापस जा रिल छहथ।" ओकर स्थान।" आ ओ मने-मन बजलीि: "िे प्रभु, अपन दासी पर क ृ पा करू, आ अपन दासी क ेाँ बख्शी करू, हकएक ताँ िम अज्ञानता मे अिााँक सोझााँ बेधडक बात कहि देने छी।" आसेनाथक चेहरा बदवल गेल अवछ। 18. जखन असेनाथ एखन धरर ई बात अपना आप मे बाहज रिल छल, देखू! एकटा युवक, यूसुिक सेवक मे साँ एक, किैत छल: "परमेश् वरक पराक्रमी यूसुि आइ अिााँ सभक लग आहब रिल छहथ।" आ तुरन्त असेनाथ अपन घरक हनरीक्षक क ेाँ बजा कऽ किलहथन: "जल्दी-जल्दी िमर घर तैयार करू आ नीक भोजन तैयार करू, कारण ओ यूसुि, परमेश् वरक पराक्रमी, आइ िमरा सभ लग आहब रिल छहथ।" घरक चौकीदार हनका देद्धख कऽ (हकएक ताँ सात हदनक कि आ कानब आ परिेज साँ हनकर मुाँि हसक ु हड गेल छलहन) दुखी भऽ काहन गेलाि। आ ओकर दहिना िाथ पकहड ओकरा कोमलतापूवषक चुम्मा लेलक आ किलक: "अिााँ क ेाँ की बीमार भ' रिल अहछ, िमर महिला, जे अिााँक चेिरा एहि तरिेाँ हसक ु हड गेल अहछ?" ओ बजलीि: "िमरा माथ मे बहत ददष भेल अहछ, आ आाँद्धख साँ नींद चहल गेल अहछ।" तखन घरक हनरीक्षक जा कए घर आ भोजनक तैयारी क े लहन। आसेनाथ स्वगषदू तक बात आ ओकर आज्ञा मोन पाडलहन आ जल्दी-जल्दी अपन दोसर कोठली मे प्रवेश कयलहन, जतय हनकर श्ृंगारक संदू क छल, आ अपन पैघ कोठरी खोहल क' अपन पहिल वस्त्र हबजली जकााँ बािर हनकाहल क' देखबाक लेल आ पहिरर लेलहन। सोना आ कीमती पाथरक उज्ज्वल आ राजसी करधनी साँ सेिो बान्हलहन आ िाथ मे सोनाक क ं गन आ पैर पर सोनाक बकरी, गरदहन मे बहमूल्य आभूर्ण आ सोनाक माला लगा देलहन ओकर माथ; माला पर जेना ओकर आगूक भाग मे एकटा पैघ नीलमहण पाथर छलैक, आ ओहि पैघ पाथरक चारू कात छि टा पैघ पाथर छलैक, आ एकटा बहत अद् भुत आवरण साँ ओ अपन माथ पर पदाष लगा देने छलैक। आ, जखन असेनाथ क ेाँ अपन घरक हनरीक्षकक बात मोन पडलहन, एहि लेल जे ओ हनका किलहन जे हनकर चेिरा हसक ु हड गेलहन, तखन ओ अत्यहधक दुखी भ' गेलीि, आ क ु िरैत बजलीि: "हधक्कार िम, नीच, हकएक त' िमर चेिरा हसक ु हड गेल अहछ।" यूसुि िमरा एहि तरिेाँ देखताि आ िम हनका द्वारा शून्य भ’ जायब।” ओ अपन दासी क ेाँ किलहथन, “िमरा लेल िव्वारा साँ शुि पाहन आहन हदअ।” जखन ओ ओकरा अनलहन तखन ओ ओकरा बेहसन मे उझहल देलहन आ मुाँि धोबय लेल झुहक क' देखैत छहथ जे हनकर मुाँि रौद जकााँ चमक ै त छहन, आ आाँद्धख उगला पर भोरका तारा जकााँ चमक ै त छहन आ गाल स्वगषक तारा जकााँ, आ ओकर ठोर लाल गुलाब जकााँ, ओकर माथक क े श ओहि बेल जकााँ छलैक जे परमेश् वरक स्वगष मे ओकर िल सभक बीच द्धखलैत छै क, ओकर गरदहन सभ रंगक सरू जकााँ छलैक। आसेनाथ ई सभ देद्धख अपना मे आश्चयषचहकत भ' गेलीि आ अत्यंत आनद्धन्दत