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Pawari Boli bhasha - Speech in Hindi.pdf
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पवारी बोऱी-भाषा : इतिहास, वितमान िथा भववष्य
फोरी भाने भौखिक बाऴा तो बाऴा भाने लरपऩफद्ध फोरी! फोरी
बाऴा की भाता तो बाऴा फोरी-भाता की वंतान!
वाहशत्म का बंडाय फोरी तथा बाऴा दोनो क
े ऩाव शोता शै -
फोरी-वाहशत्म भुि भे वभामा, भुिाग्र तथा बाऴा वाहशत्म खिताफों
भें वभामा, *लरपऩफद्ध वंग्रहशत यशता शैं। भौखिक वाहशत्म भाने रोक
वाहशत्म वुनने -वुनाने उऩमोग भें आता शैं तथा लरपऩफद्ध वाहशत्म
भाने लाचित वाहशत्म, ऩढ़ने - लरिने लारा वाहशत्म! रोकवाहशत्म
ऩीढी ी़
-दय-ऩीढी ी़ फशता यशता शै जैवे नदी की अनलयत फशती धाया
तथा ककताफी वाहशत्म यशता शै वंग्रहशत ग्रंथारम की ककताफों भें मा,
ई-भाध्मभ-उऩकयणों भें, जैवे फांध, ताराफ, वयोलय भें वंचित बया
शुआ ऩानी! दोनो प्रकाय क
े वाहशत्म भें आदभी क
े वुि-दुि बयी
बालनाओं की अलबव्मक्तत तथा सान पलसान का िजाना बया शुआ
यशता शैं। इततशाव, वंस्कृ तत, ऩयम्ऩया, जीलन ळैरी, धभम, कभम, भभम वफ
बया शुआ यशता शै। वभाज की धयोशय, ऩैतृक वम्ऩक्त्त, गुरु फन
भानल को वाभाक्जक, वांस्कृ ततक, औद्मोचगक अध्माक्त्भक सान का
ऩाठ लळिाता शै। भानल पलकाव की लवढ़ी फन जाता शै। अऩनी
वाभाक्जक, वांस्कृ ततक, औद्मोचगक, आध्माक्त्भक जीलन, वभ्मता का
वाषात आइना फन जाता शैं! फौपद्धक पलकाव, वभृपद्ध का हदऩक
फनकय जीलन भें व्माप्त अंधकाय लभटाने लारी दीऩ-फाती! सान की
ज्मोतत.
एतिहाससक िथ्य
ऩलाय जातत उत्ऩक्त्त की उऩरब्ध जानकायी का तनष्कऴम मशी
तनकरता शैं कक - प्रािीन कार भें बगलान ऩयळुयाभ द्लाया
बायतबूलभ वे षत्रिमों का आभूर वंशाय मा फुद्ध धभम का षत्रिम
धभमस्थरों ऩय प्रशाय/ वंशाय तथा फिेक
ु िे षत्रिमों द्लाया फौद्ध धभम वे
प्रबापलत शोकय शाथ भें ळस्ि न उठाने की भानलवकता की लजश
बायत बूलभ षत्रिम पलशीन शो गई। तफ हशंदू धभम क
े यषक
भशाऋपऴमों ने एक ळक्ततळारी षत्रिम ऩुरुऴ जो बायतबू को वळतत
नेतृत्ल प्रदान कय उवका गौयल आफाद यिें, को अफुमदचगयी ऩलमत ऩय
अक्ननक
ुं ड की स्थाऩना कय लैहदक पलचधपलधान वे वंस्कारयत कय
षत्रिमत्ल की हदषा दी। इव लीयऩुरुऴ भें इतनी अपाट ळक्तत थी कक
धयती हशरने रगी तमोंकक उवक
े ळयीय भें लळल-ळक्तत का वंिाय
शुआ था। बगलान त्रफष्णू ने उवे अवुयों को भायने अऩनी गदा
दी। उवक
े भुिभंडर ऩय तऩते वूमम बांतत रार-रार तेज प्रकाळ
भाने मस-अक्नन देल का शी प्रताऩ था। मश लीयऩुरुऴ जफ बी
अवुय/याषव को भायता तफं उवका यतत ज़भीन ऩय चगय कय औय
अनचगनत अवुय जन्भ न रें इवलरए उनका यतत ऩीने झट
भशाभामा कालरका प्रकट शो जाती थी (कनमर टाड, १८२९)।
इव लीयऩुरुऴ की गगनबेदी गजमना भाय-भाय क
े कायण
उवका नाभ ऩयभाय चगया, गोि जन्भदाता ऋपऴगण - कश्मऩ/ललळष्ठ,
क
ु र - अक्ननक
ुं ड वे वंस्कारयत शोकय प्रकट शोने क
े कायण -
अक्ननक
ु रीन षत्रिम, *क
ु रदेल* वळतत फनानेलारे देलगण - दुल्शा
देल (लळलजी), नायामण देल (त्रफष्णु), वांकर देल (मस-अक्ननदेल) तथा
अवूयों क
े वंशाय भें अशभ बूलभका तनबानेलारी देली -क
ु रदेली - कायी
भाम (भशाभामा कालरका/कारी भाता/कारयात्रि, क
ं कारी) फनी। भंि -
- 2. 3 4
गामिी भंि, लेद - मजुलेद, आहद फशार शुए। फादभें इवी लीयऩुरुऴ
ऩयभाय क
े लंळजों ने भारलदेळ ऩय ईस्ली १३०६ तक अिंडडत याज्म
ककमा। ऩयभाय भारलाधीळ फने। उन्शोंने इततशाव यिा! भशपऴम
बतृमशरय, वम्राट पलक्रभाहदत्म, िक्रलती याजा बोज, भशालीय जगदेल
जैवे मुगऩुरुऴ शुए!
इततशावकायों क
े अनुवाय ऩयभाय कार क
े क्जतने बी ग्रंथ
(नलवाशवांक, ततरक भंक्जयी, पऩंगरा वूि, बपलष्म ऩुयाण, बागलत
ऩुयाण, स्क
ं ध ऩुयाण, ऩयवुयाभ वंहशता, बोज का ८४ ग्रंथ आहद) औय
लळरारेि (उदमऩुय, कारलन, भांधाता आहद -ए. ऩी. लभत्तर, १९७९)
उऩरब्ध शै उन वबी भें लवप
म प्रभय, प्रभाय ऩयभाय, ऩलाय नाभ लभरते
शैं।
याजस्थानी ख्मात काव्मग्रंथ, कनमर टाड औय दळयथ ळभाम
अनुवाय क
ु छ कारिंड फाद ऩयभाय लंळ जो याजऩूत जातत का एक
लंळ था, लश ३५ ळािाओं भें फट गमा औय उन की एक ळािा
"ऩलाय" नाभ की जन्भी। कशते शैं कक लीय षत्रिम अक्ननक
ुं ड वे प्रकट
शोते शी "भाय-भाय" की दशाड़ रगाई तथा इव कायण उवका नाभ
"ऩयभाय" प्रलवद्ध शुआ। अत् ऩयभाय-ऩलायों की भातृबाऴा - भामफोरी
"ऩलायी" क
े भाय-भाय मश ऩहशरे ळब्द वभझने भें कोई गैय नशीं!
१३-१४ली वदी भें रोकजीलन भें प्राकृ त बाऴा वे अनेक
फोरीम ं जन्भी तथा प्रािीन भारला देळ क
े भारला, तनभाड,
याजस्थान, भायलाड़, फुंदेरिंड, फघेरिंड, ऐवे फशोत वे िंड ऩड चगये।
उनकी अऩनी-अऩनी जनजातत फोरी - भारली, तनभाडी, याजस्थानी,
भायलाडी, भेलाती, फुंदेरी, फघेरी, याजस्थानी आहद उबयी। फादभें
भुवरभानों क
े वाथ ऊदूम अना पायवी बी भारला भें घुवी। इन
फोरीमों क
े प्रबाल क
े कायण ऩयभाय/ऩलाय का ऩॅंलाय/ऩंलाय अऩभ्रंळ शो
गमा! उवी तयश ऩलायी का ऩॅंलायी/ऩंलायी अऩभ्रंळ शुआ जो क
ु छ
याजस्थानी ख्मात बाटी काव्म तथा इंग्रज रेिकों क
े ककताफों भें
देिने लभरता शैं।
३० क
ु ऱी (गोिी) ऩलाय भारला वे औयंगजेफ क
े अंततभ कार
(ईस्ली १६८०-१७००) भें फैनगंगा - लधाम घाटी षेि भें आए मश येव्श.
एभ. ए. ळेरयंग (१८७९) ने अऩनी जगपलख्मात ककताफ "हशंदू ट्राईब्व
एंड कास््व, बाग २ तथा एंथ्रोऩोर जी कभेटी रयऩोटम ऑप वी.ऩी. -
वय अल्र
े ड (१८६८) भें स्ऩष्ट लरिा शुआ लभरता शै. उनकी रयऩोटम
भें १) डारा, २) यंहदला, ३) परयद,४) यंजशाय, ५) यशभत औय ६) यालत
क
ु रों का नाभ नशी शै औय नशी बायतीम जनगणना रयऩोटमयों भें शै।
अत् इव षेि भें ३० क
ु र (उऩगोि) क
े ऩलाय -ऩयभाय शी
स्थानांतरयत शुए शैं मश लवद्ध शोता शैं। ऩलायों क
े गोंडी -भयाठा षेि
भें आनेऩय मशां की गोंडी, झाड़ी, भयाठी आहद फोरीओं का प्रबाल
ऐवा चगया की शभ "ऩलाय क
े ऩोलाय" शो गए औय शभायी फोरी
"ऩलायी वे ऩोलायी" फन गई! शभायी जातत तथा फोरी नाभों
का अऩभ्रंळ शो गमा!
त्रिटीळ कारीन अंग्रेज पलद्लानों ने अऩने अंग्रेजी उच्िायण
अनुवाय ककताफों शभायी जातत औय फोरी क
े नाभों भें गड़फड़ी कय
दी। ऩलाय (Pawar/Pavar) का ऩंलाय (Panwar, Panvar) औय ऩलायी
(Pawari/Pavari) को ऩंलायी (Panwari Panvari) औय लैवे शी ऩोलाय
(Powar/Povar) को ऩोंलाय(Ponwar/Ponvar) औय ऩोलायी
(Powari/Povari) को ऩोंलायी (Ponwari/Ponvari) फना डारा!
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२०ली वदी भें शभाये क
ु छ रोक लरिे-ऩढे
ी़
औय वयकायी
नौकयी भें रगे वो उन्शोंने बी अधुयी-कच्िी जानकायी वे अऩने आऩ
को ऊ
ं िा हदिानें की ररक भें अऩनी जातत "ऩंलाय" औय क
ु छ जनों
ने तो अऩनी क
ु य (क
ु ऱ/वयनेभ) फदरकन ऩॅंलाय/ ऩंलाय कय
डारी! उन्शों ने वयकायी कागज-दफ्तय भें बी इन नाभों को त्रफना
दूय दृक्ष्ट वे वोिे वभझे िढा लरमा!
बायत वयकाय गृशभंिारम की जनगणना वंरनन बायतीम
बाऴा अशलार लऴम १९७१, १९८१, १९९१, २००१ औय २०११ भें शभायी
फोरी का "ऩलायी/ ऩोलायी" नाभ वे उल्रेि ककमा गमा शै। फाराघाट
क्जरा गजेहटमय भें बी ऩृष्ठ ७२ ऩय "ऩलायी" कशी गमी शैं. बायत
वयकाय, वंस्कृ तत भंिारम द्लाया प्रकालळत बायतीम बाऴा पलश्लकोळ
भें "बायत की रघु एलं जनजातीम बाऴांएं २ (फी) आहटमकर ३९१"
अंतगमत "ऩलायी (ऩोलायी) - फुंदेरी की उऩबाऴा" का स्ऩष्ट उल्रेि शैं.
पलभरेळ कांतत लभाम (१९९५) ने अऩनी ककताफ "हशंदी की उऩबाऴाएं"
भें शभायी फोरी "ऩलायी/ऩोलायी" नाभ वे हशंदी की एक उऩबाऴा नाते
उल्रेि ककमा शै। फादभें गणेळ देली (२०२३, बायतीम रोकबाऴा
वलेषण), अतनक गंगोऩाध्माम, २०२० - क्नरम्ऩवेव ऑफ़ इंडडमन
रैंनलेजेव) आहद बाऴापलदों ने बी शभायी फोरी को "ऩलायी/ऩोलायी"
नाभ वे बाऴाई जानकायी दी शैं।
ऩलायी/ऩोलायी फोरी का "अंतययामष्ट्रीम बाऴा कोड" - pwr -
ISO-639-3 तथा लतमभान (ethnologic status) क्स्थतत - EGIDS 6-
B- (endangered/अवुयक्षषत) दळामई गमी शैं।
पवारी बोऱी : भाषा चररत्र
शभायी फोरी का बाऴा-िरयि वाधा बोरा शैं। शभायी फोरी
गुड़-वािय जैवी लभठी शै। भा, पऩता, बाई, फशन की भभता बयी शै।
उवभें भा वयस्लती तनलाव शै। वयर ळब्दों भें ऩलायी फोरी का
बाऴा-िरयि तनम्न प्रकाय वे ऩरयचित कयामा जा वकता शै -
ऩलायी उच्िायण भें "ए" का "मे" "ऐ" "अई", "ओ" का "लो", "औ" का
"अल", "अं" का "अभ" तथा "अ्" का "अशा" अतवय शोता शैं।
उवीतयश "ण" का "न", "ऱ" का "य, ल, मा ड़", "ळ" का स्म, "ऴ" का
"व", "ष" का "अकवऽ", "स" का "अध्न" (भयाठी बाऴी) औय "नम"
(हशंदी बाऴी), "ऋ" का "रु" औय "श्र" का वय जैवा शैं। ऩलायी फोरी
भें ऩुरुऴ तथा स्िी लरंग शी शै तथा नऩुवक लरंग नशी शैं। ऩलायी
कक्रमा भें आलो (आइए), जालो (जाइए), उठो (उहठए), फवो (फैहठए),
िालो (िाइए), पऩलो (पऩक्जए), फोरो (फोलरए), गालो (गाइए), लरिो
(लरखिए) तो फस्मा (फैठे), उठ्मा (उठे), िल्मा (िरें) जैवे फुंदेरी
कक्रमाऩद शैं। ऩलायी भें क
ु र ३३ वलमनाभ शैं औय
भी, आम्शी, तु, तुम्शी जैवे वलमनाभ भयाठी वलमनाभों वे वाम्म दळामते
शैं। तृतीम ऩुरुऴ लािक "उ/लु" औय स्िी लािक "ला" तथा दोनो
लरंगों क
े लरए "लम" शैं। पलळेऴणों भें ऩुक्ल्रंग ओकायांत (कायो, गोयो,
थोड़ो, वाजयो) तथा स्िीलरंगी इकायांत (कायी, गोयी, थोड़ी, वाजयी) शो
जाते शैं। "शै" क
े लरए "वे", "आम" औय इवी का फशुलिन "वेत",
"वेती" , "आती" याजस्थानी रगते शै। उऩवगम तथा प्रत्मेम फुंदेरी,
याजस्थानी वे रगते शैं। ऩलायी भें भशाप्राण की जगश अल्ऩप्राण का
उऩमोग शोता शैं, जैवे- "दु्ि" को "दुि", "स्लत्" को "वताशा",
- 4. 7 8
"बूि" को "बुक", "शाथ" को" शात" औय दूध को"दुद" आहद
(सानेश्लय टेंबये, ऩलायी सानदीऩ)।
ऩलायी फोरी भा वाख्िय घुरी वे
भाम की भाम अजी की छामा वे
बाई- फहशन को पऩयेभ लभवयी वे
लागदेली वयवती ळायदा फोरं वे।
ऩलायी त वाधी-लवधी फोरी वे
ऩलायी भा एकि नथनी 'न' वे
गोळारा 'ळ' को 'स्म' फन जावे
ऩोटपोड्मा 'ऴ', 'व' शोम जावे।
'ऱ' नशी ऩलायी फोरीरा भारुभ वे
फाऱको फाय, िाऱको िाय फनं वे
तऱा को तया, गऱु को गरु फोरवे
हदलाऱी-शोऱी, हदलायी-शोयी फनवे।
'ल' को 'फ' फनकय फन-फन नािं वे
पलहशय को त्रफहशय, लेवन को फेवन
लिय को फिय, लावरु को फावरु
लाघ को फाघ फनकय ऊ डियं वे।
श्री को लवरय, कृ ष्ण ककवन शोवे
प्रकाय को ऩयकाय,ज्मोत को जोत
पलठ्ठर को इठ्ठर, रुतभा रुकभा वे
स्क
ु र को इवक
ु र जी शोम जावे।
अनमोऱ पवारी ऱोक-साहहत्य
१) ऩलायी रोक वाहशत्म भें "गाल - वंस्कृ तत" झरकती शै -
कोष्टी घय को वूत फाई, क
ुं बाय घय की कोयी भथनी
फायई घय का ऩान फाई, वोनाय घय की वयी।
काभथ भा का धान फाई, फाऩ की राडरी ओ फशनाई।।
िरलो िरलो प
ु पा फाई, काकन फेया बमी।।
२) ऩलायी रोक वाहशत्म भें "भनोयंजन" बी बयऩुय शै -
तेरवाई ओ तेरवाई, तेर भा ऩड़ी काई
- 5. 9 10
शुक
ु भिंद की डंगो फाई, तेर िढालन गई।
तेरी घय को तेर फाई, कोष्टी घय को वूत
काभत का धान फाई,दुकान ऩय को क्जयो लभठ।
३) लैवे शी पललाश भे लय-लधू क
े गरे भें गोत (वुभ की भारा) डारी
जाती थी, उवका "अरंकारयक" लणमन शैं -
दादाजी को आंगन भा िंदन की डेय
िंदन की डेय रा फंचधवे येळभ की डोय,
येळभ की दोय रा रचगवे वोनो की िुय,
िुय रा फंधी वे कपऩरा की दोय
याभू-वीता को गयो भा वोनो की भाय।
४) क
ु छ रोकगीतों भें "भामका" की माद भन को द्रपलत कय देती शै
दयन भी दयवु गा फाई दयवु, दरुवु ऩाि दाना, भोयो भाशेय को
कायिाना।
दयन भी दयवु गा फाई दयवु वय दाना
जानु ऩमरे भाता पऩता भंग जानु याभू वीता।।
५. ववरह गीि - राखी क
े हिन पानी बरसिा है और भाई बहहन को
समऱनो असंभव होिा हैं िब बहन की व्यथा तनम्नप्रकार से व्यक्ि
होिी हैं -
ऩानी फयवनो ओ ठशयं नशी, नदी नारा को लो ऩुय लवयं नशीं।
बाऊ भी गालं आऊ कवी-कवी , वडक वे ऩुयो ऩानी भा गा डुफी।।
फव इस्टांड ठेवन जाऊ कवी, फयवाद की रगी वे गा रंफी झडी।
शामये देला भी का करु, का करु, बाई रा यािी फांधु ये कवी-कवी।
६) "एक दो क
े ऩाढे
ी़
" लविाने लारा ऩलायी गीत बी अभय शो गमा -
प
ू फाई प
ू प
ू गडी प
ू
एक दुम तीन िाय ऩाि वम वात
िेरता िेरता दभ बमो वोड भोयो शात।
प
ू फाई प
ू , प
ु गडी प
ू ।
७) "परहा गीि भी मजेिार हैं -
झय झय ऩानी ऩडवे गा फाई ऩडवे
भोशन ऩटीर को ऩयशा गडवे-गडवे।
बयबय शला िरवे गा फाई िरवे*
भोशन ऩटीर को ऩयशा गडवे-गडवे।
जवोदा हदलव फुडवे गा फाई फुडवे
भोशन ऩटीर धाम धाम योलवे गा फाई योलवे।
- 6. 11 12
८) क
ु छ गीि बडे *मासमतक* है -
औंदा काशी ऩानी ऩड्मो नशी, लाय गमो उबो धान
बायी वुिा अकार ऩड गमो, भय गमो गयीफ ककवान!
वितमान ियनीय अवस्था
जैवे-जैवे लळषा का शभाये वभाज भें प्रभाण फढ़ने रचग लैवी-
लैवी ऩलायी फोरी शभवे दूय-दूय बागने रगी औय लतमभान क्स्थतत
इतनी ियाफ शै की लवप
म २०-२०% ग्राभीण रोकों की भातृबाऴा फन
कय यश गमी शैं. ऐवा रगता शैं कक कशीं शभायी फोरी ऩुयीतयश रुप्त
तो नशी जामेंगी , दो -िाय दळकों भें!
इवलरए ऩलायी वाहशत्म करा वंस्कृ ती भंडर की भामफोरी
प्रेभीजनों ने ४-११-२०१८ को स्थाऩना की. वृजन वंलधमन का कामम
तनयंतय िर यशा शै. गद्म ऩद्म वाहशत्म की ३०-३२ ककताफें
प्रकालळत शो िुकी शैं। काव्म, तनफंध वाप्ताहशक स्ऩधामएं िर यशी शैं।
मश अखिर बायतीम ऩलायी वाहशत्म वंभेरन िौथा शै। उवीतयश
नूतन लापऴमक ऩलायी स्भारयका "ऩलायी वाहशत्म वरयता" अंक ऩांिलां
शैं। जनजागृती का कामम िर यशा शै। भामफोरी फिेगी तो शभायी
ऩैतृक लायवा फिेगा, वांस्कृ ततक, ऐततशालवक धयोशय फिेगी, शभायी
"ऩलाय" ऩशिान फनी यशे.
अऩनी फोरी का वृजन वंलधमन कयते वभम लवप
म ऩलायी तक
शी अऩने को फंहदस्त नशी फनाना िाहशए। लवप
म
बूतकारीन जुनीऩुयानी वंस्कृ तत वे जुड़ी ऩलायी फोरी, का जतन ककमा
तो भाि ऩैतृक वंऩक्त्त वंबारने जैवा शोगा। ताराफ का वंचित ऩानी
का वंयषण! क्जलाश्भों का जतन!
आधुतनक मुग ऩरयलतमन अनुवाय फोरी का आधुतनकयण
कयना जरुयी शै। प्रािीन ळब्द फोरी बाऴा त्मागती शैं औय नमे
आधुतनक नला ळब्द ग्रशण कयती शैं, जैवे शभ ऩुयाने कऩडे त्मागते
शैं औय नमे जभाने क
े , नई फ़
ै ळन क
े लरफाव अऩनाते शैं। ऩलायी
फोरी क
े वंग-वंग दुवयी फोरी तथा बाऴाएं िरी तो ळब्दों क
े
आऩवी रेनदेन वे अऩनी फोरी का वलाांगीण पलकाव अटर शै।
वभृपद्ध एक-दुवयी बाऴा क
े वातनध्म भें फढती शैं। फोरी का बाऴाओं
की ओय फशना प्रकृ तत का तनमभ शै।
अंत भें, वंदेळ मशी देना िाशुंगा की आऩ जागततक पलकाळ
मुग भें अऩनी प्रततबा प्रकाळ ऩुंज कयने तथा पलकाव की वीढ़ी
िढ़ने क
े लरए देळी-पलदेळी बाऴाएं लविो, फोरो, लरिो, ऩढ़ो ककन्तु
अऩनी भामफोरी ऩलायी को ना बुरो - त्रफवयो। भातृफोरीबाऴा बी
भुिभंडर भें िरती कपयती यिें। कागज ऩय उतायो। डडजीटाइजेळन
कयो। अऩनी भामफोरी को क्जती जागती, फोरती, िरती यिो। उवे
इतना पलकलवत कयो कक लश ळारेम तथा पलश्लपलद्मारमीन
ऩाठ्मक्रभों की प्रभाण बाऴा फनें।
धन्मलाद!
जम ऩलाय! जम ऩलायी!! भामफोरी अभय यशे!!!
*ड . सानेश्लय टेंबये,*
४४ पलजमनगय दक्षषण अंफाझयी भागम नागऩूय -४४००२२,
भो.९०९६०८८४३६. dbtembhare@gmail.com