2. ऱेखक ऩररचय
जन्म 1917 ई. खुजाक जजऱा बुऱॊदशहर, उत्िर प्रदेश में हुआ।
प्रमुख कृ तिय ाँ
भोर का िारा' (1946)
कोणाकक ' (1950)
ओ मेरे सऩने' (1950)
शारदीया' ( 1959)
दस िस्वीरें' ( 1962)
ऩरॊऩराशीऱ नाट्य' (1968)
3. ववषय वस्िु में प्रवेश
•कोणाकक इतिहास के सॊबन्ध में
oसूयय मंदिर क बन वट
गॊगवॊश राजा नरससॊहदेव द्वारा बनाया
oसूययमंदिर की ववशेषि एाँ
हहन्दु मान्यिा के अनुसार सूयकदेविा के रथ में बारह जोडी ऩहहए है
खीॊचने के सऱए साि घोडे
उत्िम नक्काशी/वास्िुकऱा
oमंदिर तनम यण के ऩीछे की ज नक री
अनेक ककवदॊतियाॉ प्रचसऱि
कृ ष्ण के ऩुत्र साॊब से सॊबजन्धि
8. कोण कय न टक क ऩररचय
oऩ त्र
नरससॊहदेव (राजा)
चाऱूक्य ( मॊत्री)
ववशु ( महासशल्ऩी)
धमकऩद (युवसशल्ऩी)
चन्द्रऱेखा (ववशु की प्रेसमका)
सौम्य (श्रीऩि नाट्याचायक)
महेन्द्र ( रहस्य अधधकारी)
राजीव (ऩाषाण कीिकक)
oकथ नक
समथकीय ककवदॊतियों को ऩूणकि्छोडकर ऐतिहाससक िथ्यो को
स्वीकारा
उडीसा के राजा नरससॊहदेव; कऱा सॊरऺक
सूयकमॊहदर का तनमाकण करवाना चाहिा
मॊहदर तनमाकण के सऱए कु शाऱ सशल्ऩी ववशु का चयन
9. तनमाकण के सऱए देशभर काररगरों और ऩत्थर
काटनेवाऱों को बुऱाया
बारह साऱ का वक्ि
काररगरो के सामने एक समस्या-मॊहदर के सशखर को
बार-बार रखिे िो धगर जािा
उडीसा ऩर मुगऱ सेनाओ ने युद्ध शुरु कर दी
राजा राजकाज की जजम्मेदारी नहामात्य को सौंऩ हदया
चाऱुक्य-अवसरवादी एवॊ धूिक,,काररगरों को सदा कष्ट
हदया
युव ऩत्थर काटनेवाऱा धमकऩद का आगमन
मॊहदर ऩूरा करने की सूझाव
राजा का वाऩस आना
राजा से युद्ध
मॊहदर का नाश
10. रंगमंच के दृष्टट में कोण कय
सूत्रधार का प्रयोग
सॊगीि एवॊ नेऩथ्य से आवाज़
असभनय/असभनेिा
रस
दृश्याववष्कार
कथोऩकथन
वेशभूषा
िीन अॊक
11. ऩहऱ अंक
• मॊहदर की भीिरी कऺ
• ववशु, राजीव, सौम्यश्री, धमकऩद
• धमकऩद के आने िक की कथा
द्वविीय अंक
• मॊहदर के भीिरी कऺ
• राजा, ववशु, धमकऩद, महेन्द्र, राजीव, सौमेयश्री
• राजा से चाऱूक्य का आक्रमण राजा धमकऩद
की आश्रय सऱया
िीसर अंक
• मॊहदर के गभकगृह
• ववशु, सौम्यश्री, धमकऩद, चाऱूक्य, शैवासऱक,
• कऱाकृ ति का कु बाकन और राजा की रऺा
12. उऩसंह र
नाट्यकऱा का सवाांगऩूणक दृजष्ष
प्राचीन एवॊ नवीन नाट्यकऱा का समश्रण
छोटे छोटे िीन अॊकों के भीिर एक ववराट
युग की समावेश
इतिहास, यथाथक और कल्ऩना का समन्वय