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​भारत म रा य- राजनी त का वकास एवं मुख वृ यां
वारा- डॉ टर ममता उपा याय
एसो सएट ोफे सर, राजनी त व ान
कु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय
बादलपुर, गौतमबु ध नगर, उ र देश
यह साम ी वशेष प से श ण और सीखने को बढ़ाने के शै णक उ दे य के लए है। आ थक /
वा णि यक अथवा कसी अ य उ दे य के लए इसका उपयोग पूणत: तबंध है। साम ी के
उपयोगकता इसे कसी और के साथ वत रत, सा रत या साझा नह ं करगे और इसका उपयोग
यि तगत ान क उ न त के लए ह करगे। इस ई - कं टट म जो जानकार क गई है वह ामा णक
है और मेरे ान के अनुसार सव म है
उ दे य - तुत साम ी से न नां कत उ दे य क ाि त संभा वत है-
● भारत क संघीय लोकतं के व प का ान
● भारत मे रा य क राजनी त के अ ययन एवं वकास के व वध आयाम का ान
● भारतीय संघ के घटक रा य क राजनी त क मुख वृ य का ान
● भारत क संघीय यव था के सम रा य वारा तुत चुनौ तय का ान
● सां कृ तक व वधताओं के साथ रा य सुर ा एवं एकता के समु चत सामंज य से संबं धत
सम याओं के व लेषण क मता का वकास
भारतीय सं वधान भारत म एक संघा मक रा य क थापना करता है। सं वधान वारा भारत को
‘रा य का एक संघ’ घो षत कया गया है। इस संघ का नमाण दो समानांतर सरकार क थापना के
साथ हुआ है। थम, रा य या क य सरकार जो पूरे देश का त न ध व करती है
और दूसरे हर ांत क अपनी-अपनी सरकारे जो े ीय व वधताओं का त न ध व करती है। व तुतः
शास नक सु वधा एवं े ीय आकां ाओं को संतु ट करने के उ दे य से संघा मक शासन यव था का
उदय सव थम संयु त रा य अमे रका म हुआ, जब वहां 13 उप नवेशो ने मलकर 1787 म
‘ फलाडेि फया स मेलन’ के मा यम से अमे रक संघ का नमाण कया। भारत भी े फल और
जनसं या क ि ट से एक वशालकाय रा य है, जहां भाषा धम, जा त , जा त एवं अ य सां कृ तक
व वधताएं यापक प म देखने को मलती है। इन व वधताओं को समि वत करते हुए रा य
एक करण के मा यम से रा नमाण के ल य को ा त करना सं वधान नमाताओं के सम सबसे बड़ी
चुनौती थी। इस चुनौती का सामना एक ऐसी संघीय यव था न मत करके कया गया, िजसम रा य
सरकार को अ य धक शि तयां दान क गई और रा य प र ध म रखे गए। े ीय व वधताओं को
रा य सरकार म त न ध व दान कया गया, कं तु ये सरकार एक बड़ी सीमा तक अपनी शि तय
एवं व ीय संसाधन के लए क सरकार पर नभर है। सं वधान म शि तय का जो वभाजन कया
गया है, वह तो क सरकार के प म है , कं तु यवहार म रा य क राजनी त कई आयाम मे कट हुई
है । वा तव म अमे रका के समान भारत म भी रा य- राजनी त अभी वकास क या म है।
वै वीकरण के दौर म नसंदेह रा य क वाय ता का माग श त हुआ है, क तु क सरकार का
नयं ण कमजोर नह ं हुआ है। तुत इकाई म भारत म रा य राजनी त के वकास और उसक मुख
वशेषताओं पर काश डाला जाएगा।
वकास-
भारत म रा य क राजनी त के वकास के संबंध म दलच प बात यह है क इसके अ ययन क
शु आत पि चमी व वान वारा क गई। वशेष प से 1956 म रा य के पुनगठन के बाद वदेशी
व वान भारत म रा य क राजनी त का अ ययन करने क ि ट से स य हुए। इनम मायरन वीनर
मुख है। इस संदभ म 1961 म शकागो व व व यालय एवं 1964 म मैसाचुसे स इं ट यूट ऑफ
टे नोलॉजी मे दो संगोि ठय का आयोजन कया गया, िजनक रपोट मायरन वनर वारा संपा दत
पु तक’ टेट पॉ ल ट स इन इं डया’[19६८ ] के प म का शत हुई जो भारत म रा य
राजनी त पर थम पु तक थी । 1976 म ोफे सर इकबाल नारायण ने ‘ टेट पॉ ल ट स इन इं डया’
मे भारतीय संघ म शा मल सभी रा य - ज मू क मीर से लेकर उ र पूव रा य तक क राजनी त पर
यापक काश डाला। भारत म रा य राजनी त के वकास एवं उसक मुख वृ य को न नां कत
शीषक के अंतगत रखा जा सकता है-
● एक दल वच व से बहुदल य यव था क ओर-
उ नीस सौ पचास-साठ के दशक म क और रा य म कां ेस पाट क सरकार होने से रा य क
राजनी त पर क का नयं ण बना रहा और रा य को दूसरे दज क ि थ त ा त रह । क के नदशन
म रा य सरकार ने रा नमाण हेतु कई कदम उठाए । जैसे- भू म सुधार और सामुदा यक वकास
काय म। कं तु 1970 के दशक म व भ न रा य म कई े ीय दल का उदय हुआ जैसे - बहार, उ र
देश, के रल, पि चम बंगाल मे समाजवाद पा टय का उदय, उ र भारत म जन संघ और रा य
वयंसेवक संघ, पंजाब म अकाल दल, महारा म द लत पै थर , गुजरात और राज थान म वतं
पाट आ द।चुनाव आयोग के हा लया काशन के अनुसार इस समय देश म 7 रा य दल, 52 रा य
दल एवं 2538 अमा य राजनी तक दल है । इन े ीय दल ने क क कां ेस सरकार के सम चुनौती
पेश क । वयं कां ेस के भीतर भी वाथ नेता गण कां ेस म रहते हुए भी रा य म अपने आधार को
मजबूत करने म लगे रहे । े ीय दल को अ भ यि त मल 1967 के चौथे आम चुनाव म, जब कई
रा य म कां ेस को हार मल और गठबंधन सरकार का नमाण हुआ ।
● 70 के दशक म रा य राजनी त म ामीण धना य का भाव
60 और 70 के दशक म भारत म रा य राजनी त के एक मुख ल ण के प म ामीण धना य का
उदय हुआ, वशेष प से ह रत ां त होने के बाद उ र देश, ह रयाणा और पंजाब म जाट कसान
, बहार और पूव उ र देश म यादव और कु म , आं देश म रे डी और कामा ,कनाटक म वोकक लगा
और लंगायत आ द भावी वग का उदय देखा जा सकता है। कृ षक पर वशेष यान आक षत करते
हुए उ र देश म चौधर चरण संह ने ‘भारतीय ां त दल’ का गठन कया और लगभग दो दशक तक
उ र भारत क रा य राजनी त को नेतृ व दान कया। इन भावी वग के नेताओं ने और उनसे जुड़े
दल ने े ीय मु द क तरफ यान आक षत कया और क रा य संबंध पर फर से वचार करने क
मांग क ।
● े ीय दल का रा य राजनी त से रा य राजनी त क ओर याण
रा य म े ीय दल के उदय ने रा य राजनी त को यापक एवं ज टल बनाया है। इन दल ने न के वल
रा य वशेष क राजनी त म वयं को था पत कया, बि क इनम से कु छ के नेताओं ने रा य तर के
नेताओं क यो यता ा त कर रा य राजनी त म अपनी उपि थ त दज क । 1975 म आंत रक
अशां त के नाम पर घो षत रा य आपातकाल क प रि थ तय ने े ीय दल के नेताओं को इस बात
का अवसर दान कया क वे वच व कार कां ेस दल के व ध एक साथ खड़े हो। राम मनोहर लो हया
ने इसे गैर कां ेस वाद का नाम दया। पहल बार क म जनता पाट के नेतृ व म गैर कां ेसी गठबंधन
सरकार का नमाण हुआ। भारतीय राजनी त म यह प रवतन इतना मह वपूण था कई व लेषक ने
इसे”राजनी तक भूचाल” क सं ा द । 1987के बाद े ीय दल को मलाकर राजनी तक गठबंधन के
नमाण क या ारंभ हुई और इस गठबंधन के आधार पर क म कई सरकार का नमाण हुआ।
जैसे-
● वीपी संह के नेतृ व म रा य मोचा सरकार[ 1989 -1990 ]
● एच. डी. देवगौड़ा और आई. के . गुजराल के नेतृ व म संयु त मोचा सरकार[ 1996-1998 ]
● भारतीय जनता पाट के नेतृ व वाल गठबंधन सरकार[13 वे लोकसभा नवाचन के बाद ]
● कां ेस के नेतृ व वाल संयु त जातां क गठबंधन सरकार [2004-2009 एवं 2009-2014]
वतमान म स ा ढ़ एनडीए के घटक दल म 31 े ीय दल शा मल है, िजनम असम गण प रषद, अ ना
वड़ मुने कड़गम, शरोम ण अकाल दल,समता पाट , बीजू जनता दल, जनता दल यूनाइटेड आ द
मुख है। एनडीए के घटक दल म के वल भारतीय जनता पाट को ह रा य दल का दजा ा त है।
प ट है क रा य म उ दत े ीय राजनी तक दल राजनी तक भाव क ाि त के लए एवं स ा म
भागीदार के लए रा य सरकार के ​गठन क ओर अ भमुख हुए ह। उ ह ने अपना काय े के वल
रा य वशेष क राजनी त तक ह सी मत नह ं रखा है।आपातकाल के बाद के युग म चौधर चरण संह,
बहार म कपूर ठाकु र, ह रयाणा म देवीलाल, उ र देश तथा अनेक द ण भारतीय रा य म राम नरेश
यादव और फर मुलायम संह यादव जैसे रा य तर के नेता क क राजनी त म ह त ेप करते दखाई
देते ह। भारत म रा य क राजनी त के संबंध म यह एक मह वपूण त य है, िजसने भारत क
राजनी तक यव था को भावी ढंग से प रव तत कया है।
● रा य वाय ता क मांग -
1970- 80 के दशक मअनेक भारतीय रा य वशेष प से जहां गैर कां ेसी सरकार का नमाण हुआ
,उनके वारा क पर नभरता कम करते हुए अपनी अ धका धक वाय ता क मांग क गई।
इन मांग के संदभ म क रा य संबंध को सुधारने के लए कई यास कए गए। जैसे वप ी नेताओं
क कई बैठक आयोिजत क गई। “राजम नार आयोग’ [1969]एवं सरका रया क मशन[1983] जैसे
मह वपूण आयोग क नयुि त क गई। इन आयोग क सफा रश म रा य से उठने वाल मांगो एवं
शकायत को संबो धत कया गया। पुरा एवं पि चम बंगाल जैसे रा य क सरकार वाय ता क
मांग उठाने म अ णी रह । उनके वारा क पर आरोप लगाया गया क व ीय अनुदान देने म क क
कां ेसी सरकार गैर कां ेसी रा य सरकार के साथ सौतेला यवहार करती है। प ट है क सं वधान
वारा न द ट शि त वभाजन के दायरे से परे जाकर भारतीय संघ क इकाइय ने अपने अ धकार क
एवं क से वाय ता क मांग रखनी शु क िजसके कारण क - रा य संबंध म संघष क ि थ त
दखाई देती है। रा य सरकार वारा सं वधान के अनु छेद 356 का क सरकार वारा दु पयोग कए
जाने का आरोप भी लगाया जाता रहा है । यह अनु छेद क सरकार को रा य म सं वधान के अनुसार
शासन न चल सकने क ि थ त म आपातकाल घो षत करने का अ धकार देता है।
● पृथक नृजातीय एवं सां कृ तक पहचान संबंधी मांग क ओर उ मुख रा य राजनी त-
यूं तो भारत म संघीय यव था को अपनाएं जाने के पीछे एक बड़ा कारण े ीय सां कृ तक व वधताओं
को रा य क सरकार म त न ध व दान करते हुए उनक आकां ाओं को पूरा करना था, क तु
भारत म रा य क राजनी त म व भ न जा तगत , भाषागत एवं जातीय समूह के उदय और उनके
वारा क जाने वाल पहचान क मांग ने उसे एक नया व प दान कया है। इन व भ न सामािजक
समूह के आंदोलन को नवीन सामािजक आंदोलन के प म जाना जाता है।’भू मपु क अवधारणा’ के
आधार पर ‘असम् अस मय के लए’,’महारा मरा ठय के लए’ जैसी मांग उठने लगी । उ र भारत
म द लत एवं पछड़े वग के अ धकार क मांग, उ र पूव रा य म े गत पहचान क मांग ने इन
रा य म नए राजनी तक दल को ज म दया। जैसे -बहुजन समाजवाद पाट , महारा नव नमाण
सेना, मजो नेशनल ं ट आ द। जय काश नारायण ने जा तय को दल क सं ा द है। उ र देश और
पंजाब म भारतीय कसान यू नयन ने, महारा म “ शेतकार संगठन”, गुजरात म” खेदयुत समाज”
तथा कनाटक म” कनाटक रा य रैयत संघ” आ द ने न के वल पृथक पहचान, बि क अ धकार क मांग
भी शु क । यह मांगे आर ण, नए रा य के गठन तथा रा य क व ीय आ म नभरता तथा संसाधन
के उ चत एवं समानता पूण आवंटन से जुड़ी थी। मंडल कमीशन क पछड़े वग से संबं धत रपोट ने
इन मांग
को और अ धक उ वे लत करने का काय कया। जा तय के साथ धम से जुड़े व भ न गैर राजनी तक
मू य के राजनी तकरण ने रा य राजनी त को नए आयाम दान कए ह।
व ोह क राजनी त -​य य प सं वधान के वारा रा य अखंडता क र ा के उ दे य को यान म रखते
हुए क को यादा शि तशाल बनाया गया है, फर भी हम रा य क राजनी त म व ोह के बगुल
सुनाई पड़ते ह। वशेषकर उ र पूव रा य , ज मू क मीर और पंजाब म। इन रा य म संघ से
पृथ करण क मांग आ म- नणय के अ धकार से जुड़ी हुई है। साथ ह यह वरोध आंदोलन वकास क
असमानता, नृजातीय एवं भाषागत पहचान से भी जुड़े हुए ह।हाल ह म क य नाग रकता कानून के
वरोध म उ र-पूव रा य एवं द ल म हुए वरोध आंदोलन इस बात के माण ह क लोग अपनी
धा मक एवं े ीय पहचान के त कतने सजग ह। गोरखालड, बोडोलड, खा ल तान आ द क मांगे
इन आंदोलन वारा क गई जो रा क अखंडता के स मुख एक बड़ी चुनौती है। हालां क यह सम या
भारत के लए नई नह ं है। वतं ता के तुरंत बाद ह उ र पूव भारत म नागा और मजो,ज मू क मीर
म जनमत मोचा आंदोलन, द ण भारत म त मल भारतीय जनता के लए एक पृथक रा य क मांग
आ द के प म यह वरोध आंदोलन जार रहे ह। रा य म होने वाले इन आंदोलन का भाव रा य
राजनी त पर भी गंभीर प म पड़ा है ।
● भूमंडल करण के भाव व प रा य क आ थक वाय ता एवं पार प रक त पधा म वृ ध-
1990 के दशक म भारत म भूमंडल करण एवं आ थक उदार करण क नी त को अपनाया गया िजसके
प रणाम व प वदेशी आ थक नवेश को ो सा हत करने के उ दे य से लाइसस, कोटा ,पर मट राज
का अंत कया गया। इसका भाव रा य क राजनी त पर भी पड़ा है। डो फ एवं डो फ क मा यता
है क 1990 के दशक म भारत एक आदेशब ध अथ यव था से नकलकर एक संघ अथ यव था म
पहुंच गया है और रा य सरकार आ थक े म मह वपूण भू मका नभा रह है। वदेशी नवेशक ने
रा य सरकार से सीधे संपक साधना शु कर दया है और नवेश को आक षत करने क ि ट से रा य
सरकार के म य एक त पधा शु हो गई है । सवा धक वदेशी नवेश आक षत करने वाले रा य म
मुख है- द ल , महारा , त मल नाडु और कनाटक। हालां क इससे रा य के म य वषमता बढ़ है।
कु छ रा य आ थक ि ट से अ धक समृ ध हो गए ह ,जब क अ य पछड़ गए है । लॉरस सेज ने अपनी
पु तक ‘फे डरे ल म वदाउट ए सटर’ मे यह दशाया है क भूमंडल करण ने भारत म रा य को इस
यो य बना दया है क भी अपनी काय
योजना को लागू करने के लए वतं स ा के प म काम कर सक, वे अब अपने अंतररा य नवेश
कताओं से सीधे सौदेबाजी कर सकते ह और व भ न अ भकरण के साथ समझौते कर सकते ह।
हालां क यह काम क सरकार क सहम त और वीकृ त के साथ ह करना होता है।
● स धांत वाद राजनी त से अवसरवाद राजनी त क ओर बढ़ते कदम-
रा य क राजनी त म एक मह वपूण वृ िजसका तेजी के साथ उभार हो रहा है, वह है स धांत
न ठा के थान पर अवसरवाद का उदय। रा य म सरकार के गठन क या अवसर पर आधा रत
है। पर पर वरोधी वचारधारा वाले दल भी स ा ा त करने के लए आपस म गठबंधन कर रहे ह।
ज मू क मीर म पीडीपी और भारतीय जनता पाट तथा महारा म शवसेना और कां ेस का गठबंधन
इसका वलंत उदाहरण है। वयं को धम नरपे ता क वचारधारा पर आधा रत दल कहने वाल कां ेस
को धुर द णपंथी हंदु ववाद कह जाने वाल शवसेना के साथ सरकार बनाने के लए गठबंधन करने
म कोई गुरेज नह ं हुआ। सच है क राजनी तक दल का वचारधारा मक आधार कमजोर पड़ा है।
● यि त व और वंशवाद का भाव -
​रा य राजनी त के समान रा य क राजनी त म भी यि त व और वंशवाद का भाव तेजी से बढ़ रहा
है। महारा म उ धव ठाकरे के प म, उ र देश म मुलायम संह यादव के पु अ खलेश यादव के प
म ,म य देश म यो तरा द य सं धया एवं राज थान म स चन पायलट के प म िजन युवा नेताओं
का उदय हुआ है, वे इस वंशवाद राजनी त का ह प रणाम है। जनतं क राजनी त म वंशवाद क बढ़ती
वृ उ चत है या अनु चत, या पृथक बहस का वषय हो सकता है, कं तु रा य क राजनी त म इस
वृ का वकास इस बात का योतक अव य है क भारत म रा य राजनी त का वकास रा य
राजनी त के तमान के अनुसार हो रहा है।
न कष-
भारत म रा य राजनी त क वृ य के वषय म उपरो त ववेचन का सारांश न नां कत
बंदुओं म य त कया जा सकता है-
● भारत क संघा मक यव था म संघ क इकाइय के प म रा य सरकार को रा य
सरकार के समान ह संवैधा नक दजा ा त है।
● भारत क संघीय यव था म क यकरण क वृ बल होने के कारण क सरकार क
तुलना म रा य क ि थ त दूसरे दज क रह है।
● भौगो लक वशालता और सां कृ तक व वधता के कारण भारत म रा य सुर ा एवं
ादे शक अखंडता को बनाए रखने के लए संघीय यव था को सं वधान वारा अपनाया
गया।
● भारत म रा य राजनी त के अ ययन का ारंभ मायरन वनर वारा का शत पु तक ‘
टेट पॉ ल ट स इन इं डया’[1968] के साथ हुआ।
● रा य राजनी त का वकास एक दल य यव था से बहुदल य यव था क ओर हुआ है।
● 60 70 के दशक तक रा य क राजनी त म ामीण धना य वग का भाव रहा है।
● रा य म उ दत े ीय राजनी तक दल रा य राजनी त म भी अपनी भू मका
सु नि चत करने क ओर उ मुख हुए ह।
● क सरकार पर अपनी आ थक नभरता कम करने के उ दे य से कई रा य सरकार के
वारा वाय ता क मांग क गई।
● कई रा य म सां कृ तक अ पसं यक समूह के वारा अपनी पृथक पहचान ा त करने
के उ दे य से सामािजक आंदोलन चलाए गए, जो कई बार रा य एकता और अखंडता
के लए चुनौती बन गए। जैसे- ज मू क मीर, उ र पूव रा य एवं पंजाब म चलाए गए
आंदोलन।
● रा य राजनी त के समान रा य क राजनी त म भी यि त व और वंशवाद का
भाव देखा जा सकता है।
● रा य क राजनी त स धांत न ठता के थान पर अवसरवाद के प म वक सत हुई
है।
● भूमंडल करण के प रणाम व प रा य क आ थक वाय ता बड़ी है और व भ न
रा य म आ थक त पधा का वकास हुआ है ।
मु य श द-
● रा य- राजनी त
● संघ
● वाय ता
● नृजातीयता
● अ पसं यक
● पृथकतावाद
● भूमंडल करण
● अवसरवाद
● स धांत न ठा
● वंशवाद
REFERENCES AND SUGGESTED READING
1.AshutoshKumar,Rethinking State Politics In India:Regions Within
Regions,Economic And Political Weekly,May 9,2009
2.Eci.gov.in ,list of political parties symbol main notification dated 15.3.19
3. FDI Status In Different States Of India,business.mapsofindia.com
4...Monika,CoalitionGovernmentInIndia,;TowardsA
Multi-PartyDemocracy,ignited.in
5. Prabhat​ Patnayak​,The State In India’sEconomic Development
6. Rajni Kothari,Politics In India
7. Zoya Hasan,[ed.]Politics And State In India
​ न
नबंधा मक न
1. भारत म रा य राजनी त के उ भव और वकास पर एक नबंध लख।
2. रा य क राजनी त म उभरती हुई मु य वृ य का मू यांकन क िजए।
3. रा य राजनी त म बहुदल यता , अवसरवा दता एवं थकतावाद वृ य पर एक नबंध ल खए।
4. भूमंडल करण के दौर म रा य क आ थक वाय ता एवं आपसी त पधा ने या भारतीय संघ म
क करण क वृ य को कमजोर कया है।
व तु न ठ न
1. ‘फे डर ल म वदाउट अ सटर’ नामक पु तक के लेखक कौन ह ।
[अ ] लॉरस सेज [ब ] मायरन वीनर [स ] इकबाल नारायण [द ] घन याम शाह
2. भारतीय ां त दल का गठन कसके वारा कया गया था।
[अ ] चौधर चरण संह [ब ] अजीत संह [स ] मह संह टकै त [ द ] शरद पवार
3. ‘ भू म पु क अवधारणा’ का संबंध कससे है।
[अ ] ​जा तवाद [ब ] सं दायवाद [स ] े वाद [ द ] अलगाववाद
4. न नां कत म से कस घटना को ‘राजनी तक भूचाल’ कहा गया।
[अ ] 1977 म क म पहल बार गैर कां ेसी सरकार क थापना
[ब ] मंडल कमीशन क रपोट को लागू कया जाना
[स ] सव च यायालय वारा पदो न त म आर ण क यव था को ख म कया जाना
[द ] उ र पूव रा य क जनता वारा नाग रकता संशोधन कानून का वरोध कया जाना
5. ​रा य वाय ता क मांग न नां कत म से कस रा य के वारा मुखता के साथ उठाई गई।
[अ ] पुरा [ब ] पि चम बंगाल [स ] के रल [द ] इन सभी के वारा
6. हंद को रा भाषा बनाए जाने के यास का वरोध कस रा य के वारा कया गया।
[अ ] कनाटक [ ब ] बहार [स ] गुजरात [द ] ज मू क मीर
7. गोरखालड क मांग कस रा य म क गई।
[अ ] कनाटक [ ब ] उ राखंड [ स ] पि चम बंगाल [द ] पुरा
8. न न ल खत म से कसे 5 अग त 2019 को क शा सत देश का दजा दया गया।
[अ ] ल दाख [ब ] क मीर [ स ] सि कम [द ] मजोरम
9. न नां कत म या बेमेल है।
[अ ] शेतकर संगठन
[ब ] खेदयुत समाज
[ स ] कनाटक रा य रैयत संघ
[द ] मजो नेशनल ं ट
10. कसने जा तय को दल क सं ा द ।
[अ ] जय काश नारायण
[ब ] वनोबा भावे
[स ] भीमराव अंबेडकर
[ द ] राम मनोहर लो हया
उ र- 1. अ 2. अ 3. स 4.द 5. द 6. अ 7. स 8. अ 9. द 10.
अ

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Bharat me rajya rajniti ka vikas

  • 1. ​भारत म रा य- राजनी त का वकास एवं मुख वृ यां वारा- डॉ टर ममता उपा याय एसो सएट ोफे सर, राजनी त व ान कु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय बादलपुर, गौतमबु ध नगर, उ र देश यह साम ी वशेष प से श ण और सीखने को बढ़ाने के शै णक उ दे य के लए है। आ थक / वा णि यक अथवा कसी अ य उ दे य के लए इसका उपयोग पूणत: तबंध है। साम ी के उपयोगकता इसे कसी और के साथ वत रत, सा रत या साझा नह ं करगे और इसका उपयोग यि तगत ान क उ न त के लए ह करगे। इस ई - कं टट म जो जानकार क गई है वह ामा णक है और मेरे ान के अनुसार सव म है उ दे य - तुत साम ी से न नां कत उ दे य क ाि त संभा वत है- ● भारत क संघीय लोकतं के व प का ान ● भारत मे रा य क राजनी त के अ ययन एवं वकास के व वध आयाम का ान ● भारतीय संघ के घटक रा य क राजनी त क मुख वृ य का ान ● भारत क संघीय यव था के सम रा य वारा तुत चुनौ तय का ान ● सां कृ तक व वधताओं के साथ रा य सुर ा एवं एकता के समु चत सामंज य से संबं धत सम याओं के व लेषण क मता का वकास
  • 2. भारतीय सं वधान भारत म एक संघा मक रा य क थापना करता है। सं वधान वारा भारत को ‘रा य का एक संघ’ घो षत कया गया है। इस संघ का नमाण दो समानांतर सरकार क थापना के साथ हुआ है। थम, रा य या क य सरकार जो पूरे देश का त न ध व करती है और दूसरे हर ांत क अपनी-अपनी सरकारे जो े ीय व वधताओं का त न ध व करती है। व तुतः शास नक सु वधा एवं े ीय आकां ाओं को संतु ट करने के उ दे य से संघा मक शासन यव था का उदय सव थम संयु त रा य अमे रका म हुआ, जब वहां 13 उप नवेशो ने मलकर 1787 म ‘ फलाडेि फया स मेलन’ के मा यम से अमे रक संघ का नमाण कया। भारत भी े फल और जनसं या क ि ट से एक वशालकाय रा य है, जहां भाषा धम, जा त , जा त एवं अ य सां कृ तक व वधताएं यापक प म देखने को मलती है। इन व वधताओं को समि वत करते हुए रा य एक करण के मा यम से रा नमाण के ल य को ा त करना सं वधान नमाताओं के सम सबसे बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती का सामना एक ऐसी संघीय यव था न मत करके कया गया, िजसम रा य सरकार को अ य धक शि तयां दान क गई और रा य प र ध म रखे गए। े ीय व वधताओं को रा य सरकार म त न ध व दान कया गया, कं तु ये सरकार एक बड़ी सीमा तक अपनी शि तय एवं व ीय संसाधन के लए क सरकार पर नभर है। सं वधान म शि तय का जो वभाजन कया गया है, वह तो क सरकार के प म है , कं तु यवहार म रा य क राजनी त कई आयाम मे कट हुई है । वा तव म अमे रका के समान भारत म भी रा य- राजनी त अभी वकास क या म है। वै वीकरण के दौर म नसंदेह रा य क वाय ता का माग श त हुआ है, क तु क सरकार का नयं ण कमजोर नह ं हुआ है। तुत इकाई म भारत म रा य राजनी त के वकास और उसक मुख वशेषताओं पर काश डाला जाएगा। वकास- भारत म रा य क राजनी त के वकास के संबंध म दलच प बात यह है क इसके अ ययन क शु आत पि चमी व वान वारा क गई। वशेष प से 1956 म रा य के पुनगठन के बाद वदेशी व वान भारत म रा य क राजनी त का अ ययन करने क ि ट से स य हुए। इनम मायरन वीनर मुख है। इस संदभ म 1961 म शकागो व व व यालय एवं 1964 म मैसाचुसे स इं ट यूट ऑफ टे नोलॉजी मे दो संगोि ठय का आयोजन कया गया, िजनक रपोट मायरन वनर वारा संपा दत पु तक’ टेट पॉ ल ट स इन इं डया’[19६८ ] के प म का शत हुई जो भारत म रा य
  • 3. राजनी त पर थम पु तक थी । 1976 म ोफे सर इकबाल नारायण ने ‘ टेट पॉ ल ट स इन इं डया’ मे भारतीय संघ म शा मल सभी रा य - ज मू क मीर से लेकर उ र पूव रा य तक क राजनी त पर यापक काश डाला। भारत म रा य राजनी त के वकास एवं उसक मुख वृ य को न नां कत शीषक के अंतगत रखा जा सकता है- ● एक दल वच व से बहुदल य यव था क ओर- उ नीस सौ पचास-साठ के दशक म क और रा य म कां ेस पाट क सरकार होने से रा य क राजनी त पर क का नयं ण बना रहा और रा य को दूसरे दज क ि थ त ा त रह । क के नदशन म रा य सरकार ने रा नमाण हेतु कई कदम उठाए । जैसे- भू म सुधार और सामुदा यक वकास काय म। कं तु 1970 के दशक म व भ न रा य म कई े ीय दल का उदय हुआ जैसे - बहार, उ र देश, के रल, पि चम बंगाल मे समाजवाद पा टय का उदय, उ र भारत म जन संघ और रा य वयंसेवक संघ, पंजाब म अकाल दल, महारा म द लत पै थर , गुजरात और राज थान म वतं पाट आ द।चुनाव आयोग के हा लया काशन के अनुसार इस समय देश म 7 रा य दल, 52 रा य दल एवं 2538 अमा य राजनी तक दल है । इन े ीय दल ने क क कां ेस सरकार के सम चुनौती पेश क । वयं कां ेस के भीतर भी वाथ नेता गण कां ेस म रहते हुए भी रा य म अपने आधार को मजबूत करने म लगे रहे । े ीय दल को अ भ यि त मल 1967 के चौथे आम चुनाव म, जब कई रा य म कां ेस को हार मल और गठबंधन सरकार का नमाण हुआ । ● 70 के दशक म रा य राजनी त म ामीण धना य का भाव 60 और 70 के दशक म भारत म रा य राजनी त के एक मुख ल ण के प म ामीण धना य का उदय हुआ, वशेष प से ह रत ां त होने के बाद उ र देश, ह रयाणा और पंजाब म जाट कसान , बहार और पूव उ र देश म यादव और कु म , आं देश म रे डी और कामा ,कनाटक म वोकक लगा और लंगायत आ द भावी वग का उदय देखा जा सकता है। कृ षक पर वशेष यान आक षत करते हुए उ र देश म चौधर चरण संह ने ‘भारतीय ां त दल’ का गठन कया और लगभग दो दशक तक उ र भारत क रा य राजनी त को नेतृ व दान कया। इन भावी वग के नेताओं ने और उनसे जुड़े दल ने े ीय मु द क तरफ यान आक षत कया और क रा य संबंध पर फर से वचार करने क मांग क । ● े ीय दल का रा य राजनी त से रा य राजनी त क ओर याण
  • 4. रा य म े ीय दल के उदय ने रा य राजनी त को यापक एवं ज टल बनाया है। इन दल ने न के वल रा य वशेष क राजनी त म वयं को था पत कया, बि क इनम से कु छ के नेताओं ने रा य तर के नेताओं क यो यता ा त कर रा य राजनी त म अपनी उपि थ त दज क । 1975 म आंत रक अशां त के नाम पर घो षत रा य आपातकाल क प रि थ तय ने े ीय दल के नेताओं को इस बात का अवसर दान कया क वे वच व कार कां ेस दल के व ध एक साथ खड़े हो। राम मनोहर लो हया ने इसे गैर कां ेस वाद का नाम दया। पहल बार क म जनता पाट के नेतृ व म गैर कां ेसी गठबंधन सरकार का नमाण हुआ। भारतीय राजनी त म यह प रवतन इतना मह वपूण था कई व लेषक ने इसे”राजनी तक भूचाल” क सं ा द । 1987के बाद े ीय दल को मलाकर राजनी तक गठबंधन के नमाण क या ारंभ हुई और इस गठबंधन के आधार पर क म कई सरकार का नमाण हुआ। जैसे- ● वीपी संह के नेतृ व म रा य मोचा सरकार[ 1989 -1990 ] ● एच. डी. देवगौड़ा और आई. के . गुजराल के नेतृ व म संयु त मोचा सरकार[ 1996-1998 ] ● भारतीय जनता पाट के नेतृ व वाल गठबंधन सरकार[13 वे लोकसभा नवाचन के बाद ] ● कां ेस के नेतृ व वाल संयु त जातां क गठबंधन सरकार [2004-2009 एवं 2009-2014] वतमान म स ा ढ़ एनडीए के घटक दल म 31 े ीय दल शा मल है, िजनम असम गण प रषद, अ ना वड़ मुने कड़गम, शरोम ण अकाल दल,समता पाट , बीजू जनता दल, जनता दल यूनाइटेड आ द मुख है। एनडीए के घटक दल म के वल भारतीय जनता पाट को ह रा य दल का दजा ा त है। प ट है क रा य म उ दत े ीय राजनी तक दल राजनी तक भाव क ाि त के लए एवं स ा म भागीदार के लए रा य सरकार के ​गठन क ओर अ भमुख हुए ह। उ ह ने अपना काय े के वल रा य वशेष क राजनी त तक ह सी मत नह ं रखा है।आपातकाल के बाद के युग म चौधर चरण संह, बहार म कपूर ठाकु र, ह रयाणा म देवीलाल, उ र देश तथा अनेक द ण भारतीय रा य म राम नरेश यादव और फर मुलायम संह यादव जैसे रा य तर के नेता क क राजनी त म ह त ेप करते दखाई देते ह। भारत म रा य क राजनी त के संबंध म यह एक मह वपूण त य है, िजसने भारत क राजनी तक यव था को भावी ढंग से प रव तत कया है। ● रा य वाय ता क मांग - 1970- 80 के दशक मअनेक भारतीय रा य वशेष प से जहां गैर कां ेसी सरकार का नमाण हुआ ,उनके वारा क पर नभरता कम करते हुए अपनी अ धका धक वाय ता क मांग क गई।
  • 5. इन मांग के संदभ म क रा य संबंध को सुधारने के लए कई यास कए गए। जैसे वप ी नेताओं क कई बैठक आयोिजत क गई। “राजम नार आयोग’ [1969]एवं सरका रया क मशन[1983] जैसे मह वपूण आयोग क नयुि त क गई। इन आयोग क सफा रश म रा य से उठने वाल मांगो एवं शकायत को संबो धत कया गया। पुरा एवं पि चम बंगाल जैसे रा य क सरकार वाय ता क मांग उठाने म अ णी रह । उनके वारा क पर आरोप लगाया गया क व ीय अनुदान देने म क क कां ेसी सरकार गैर कां ेसी रा य सरकार के साथ सौतेला यवहार करती है। प ट है क सं वधान वारा न द ट शि त वभाजन के दायरे से परे जाकर भारतीय संघ क इकाइय ने अपने अ धकार क एवं क से वाय ता क मांग रखनी शु क िजसके कारण क - रा य संबंध म संघष क ि थ त दखाई देती है। रा य सरकार वारा सं वधान के अनु छेद 356 का क सरकार वारा दु पयोग कए जाने का आरोप भी लगाया जाता रहा है । यह अनु छेद क सरकार को रा य म सं वधान के अनुसार शासन न चल सकने क ि थ त म आपातकाल घो षत करने का अ धकार देता है। ● पृथक नृजातीय एवं सां कृ तक पहचान संबंधी मांग क ओर उ मुख रा य राजनी त- यूं तो भारत म संघीय यव था को अपनाएं जाने के पीछे एक बड़ा कारण े ीय सां कृ तक व वधताओं को रा य क सरकार म त न ध व दान करते हुए उनक आकां ाओं को पूरा करना था, क तु भारत म रा य क राजनी त म व भ न जा तगत , भाषागत एवं जातीय समूह के उदय और उनके वारा क जाने वाल पहचान क मांग ने उसे एक नया व प दान कया है। इन व भ न सामािजक समूह के आंदोलन को नवीन सामािजक आंदोलन के प म जाना जाता है।’भू मपु क अवधारणा’ के आधार पर ‘असम् अस मय के लए’,’महारा मरा ठय के लए’ जैसी मांग उठने लगी । उ र भारत म द लत एवं पछड़े वग के अ धकार क मांग, उ र पूव रा य म े गत पहचान क मांग ने इन रा य म नए राजनी तक दल को ज म दया। जैसे -बहुजन समाजवाद पाट , महारा नव नमाण सेना, मजो नेशनल ं ट आ द। जय काश नारायण ने जा तय को दल क सं ा द है। उ र देश और पंजाब म भारतीय कसान यू नयन ने, महारा म “ शेतकार संगठन”, गुजरात म” खेदयुत समाज” तथा कनाटक म” कनाटक रा य रैयत संघ” आ द ने न के वल पृथक पहचान, बि क अ धकार क मांग भी शु क । यह मांगे आर ण, नए रा य के गठन तथा रा य क व ीय आ म नभरता तथा संसाधन के उ चत एवं समानता पूण आवंटन से जुड़ी थी। मंडल कमीशन क पछड़े वग से संबं धत रपोट ने इन मांग
  • 6. को और अ धक उ वे लत करने का काय कया। जा तय के साथ धम से जुड़े व भ न गैर राजनी तक मू य के राजनी तकरण ने रा य राजनी त को नए आयाम दान कए ह। व ोह क राजनी त -​य य प सं वधान के वारा रा य अखंडता क र ा के उ दे य को यान म रखते हुए क को यादा शि तशाल बनाया गया है, फर भी हम रा य क राजनी त म व ोह के बगुल सुनाई पड़ते ह। वशेषकर उ र पूव रा य , ज मू क मीर और पंजाब म। इन रा य म संघ से पृथ करण क मांग आ म- नणय के अ धकार से जुड़ी हुई है। साथ ह यह वरोध आंदोलन वकास क असमानता, नृजातीय एवं भाषागत पहचान से भी जुड़े हुए ह।हाल ह म क य नाग रकता कानून के वरोध म उ र-पूव रा य एवं द ल म हुए वरोध आंदोलन इस बात के माण ह क लोग अपनी धा मक एवं े ीय पहचान के त कतने सजग ह। गोरखालड, बोडोलड, खा ल तान आ द क मांगे इन आंदोलन वारा क गई जो रा क अखंडता के स मुख एक बड़ी चुनौती है। हालां क यह सम या भारत के लए नई नह ं है। वतं ता के तुरंत बाद ह उ र पूव भारत म नागा और मजो,ज मू क मीर म जनमत मोचा आंदोलन, द ण भारत म त मल भारतीय जनता के लए एक पृथक रा य क मांग आ द के प म यह वरोध आंदोलन जार रहे ह। रा य म होने वाले इन आंदोलन का भाव रा य राजनी त पर भी गंभीर प म पड़ा है । ● भूमंडल करण के भाव व प रा य क आ थक वाय ता एवं पार प रक त पधा म वृ ध- 1990 के दशक म भारत म भूमंडल करण एवं आ थक उदार करण क नी त को अपनाया गया िजसके प रणाम व प वदेशी आ थक नवेश को ो सा हत करने के उ दे य से लाइसस, कोटा ,पर मट राज का अंत कया गया। इसका भाव रा य क राजनी त पर भी पड़ा है। डो फ एवं डो फ क मा यता है क 1990 के दशक म भारत एक आदेशब ध अथ यव था से नकलकर एक संघ अथ यव था म पहुंच गया है और रा य सरकार आ थक े म मह वपूण भू मका नभा रह है। वदेशी नवेशक ने रा य सरकार से सीधे संपक साधना शु कर दया है और नवेश को आक षत करने क ि ट से रा य सरकार के म य एक त पधा शु हो गई है । सवा धक वदेशी नवेश आक षत करने वाले रा य म मुख है- द ल , महारा , त मल नाडु और कनाटक। हालां क इससे रा य के म य वषमता बढ़ है। कु छ रा य आ थक ि ट से अ धक समृ ध हो गए ह ,जब क अ य पछड़ गए है । लॉरस सेज ने अपनी पु तक ‘फे डरे ल म वदाउट ए सटर’ मे यह दशाया है क भूमंडल करण ने भारत म रा य को इस यो य बना दया है क भी अपनी काय
  • 7. योजना को लागू करने के लए वतं स ा के प म काम कर सक, वे अब अपने अंतररा य नवेश कताओं से सीधे सौदेबाजी कर सकते ह और व भ न अ भकरण के साथ समझौते कर सकते ह। हालां क यह काम क सरकार क सहम त और वीकृ त के साथ ह करना होता है। ● स धांत वाद राजनी त से अवसरवाद राजनी त क ओर बढ़ते कदम- रा य क राजनी त म एक मह वपूण वृ िजसका तेजी के साथ उभार हो रहा है, वह है स धांत न ठा के थान पर अवसरवाद का उदय। रा य म सरकार के गठन क या अवसर पर आधा रत है। पर पर वरोधी वचारधारा वाले दल भी स ा ा त करने के लए आपस म गठबंधन कर रहे ह। ज मू क मीर म पीडीपी और भारतीय जनता पाट तथा महारा म शवसेना और कां ेस का गठबंधन इसका वलंत उदाहरण है। वयं को धम नरपे ता क वचारधारा पर आधा रत दल कहने वाल कां ेस को धुर द णपंथी हंदु ववाद कह जाने वाल शवसेना के साथ सरकार बनाने के लए गठबंधन करने म कोई गुरेज नह ं हुआ। सच है क राजनी तक दल का वचारधारा मक आधार कमजोर पड़ा है। ● यि त व और वंशवाद का भाव - ​रा य राजनी त के समान रा य क राजनी त म भी यि त व और वंशवाद का भाव तेजी से बढ़ रहा है। महारा म उ धव ठाकरे के प म, उ र देश म मुलायम संह यादव के पु अ खलेश यादव के प म ,म य देश म यो तरा द य सं धया एवं राज थान म स चन पायलट के प म िजन युवा नेताओं का उदय हुआ है, वे इस वंशवाद राजनी त का ह प रणाम है। जनतं क राजनी त म वंशवाद क बढ़ती वृ उ चत है या अनु चत, या पृथक बहस का वषय हो सकता है, कं तु रा य क राजनी त म इस वृ का वकास इस बात का योतक अव य है क भारत म रा य राजनी त का वकास रा य राजनी त के तमान के अनुसार हो रहा है। न कष- भारत म रा य राजनी त क वृ य के वषय म उपरो त ववेचन का सारांश न नां कत बंदुओं म य त कया जा सकता है- ● भारत क संघा मक यव था म संघ क इकाइय के प म रा य सरकार को रा य सरकार के समान ह संवैधा नक दजा ा त है। ● भारत क संघीय यव था म क यकरण क वृ बल होने के कारण क सरकार क तुलना म रा य क ि थ त दूसरे दज क रह है।
  • 8. ● भौगो लक वशालता और सां कृ तक व वधता के कारण भारत म रा य सुर ा एवं ादे शक अखंडता को बनाए रखने के लए संघीय यव था को सं वधान वारा अपनाया गया। ● भारत म रा य राजनी त के अ ययन का ारंभ मायरन वनर वारा का शत पु तक ‘ टेट पॉ ल ट स इन इं डया’[1968] के साथ हुआ। ● रा य राजनी त का वकास एक दल य यव था से बहुदल य यव था क ओर हुआ है। ● 60 70 के दशक तक रा य क राजनी त म ामीण धना य वग का भाव रहा है। ● रा य म उ दत े ीय राजनी तक दल रा य राजनी त म भी अपनी भू मका सु नि चत करने क ओर उ मुख हुए ह। ● क सरकार पर अपनी आ थक नभरता कम करने के उ दे य से कई रा य सरकार के वारा वाय ता क मांग क गई। ● कई रा य म सां कृ तक अ पसं यक समूह के वारा अपनी पृथक पहचान ा त करने के उ दे य से सामािजक आंदोलन चलाए गए, जो कई बार रा य एकता और अखंडता के लए चुनौती बन गए। जैसे- ज मू क मीर, उ र पूव रा य एवं पंजाब म चलाए गए आंदोलन। ● रा य राजनी त के समान रा य क राजनी त म भी यि त व और वंशवाद का भाव देखा जा सकता है। ● रा य क राजनी त स धांत न ठता के थान पर अवसरवाद के प म वक सत हुई है। ● भूमंडल करण के प रणाम व प रा य क आ थक वाय ता बड़ी है और व भ न रा य म आ थक त पधा का वकास हुआ है । मु य श द- ● रा य- राजनी त ● संघ ● वाय ता ● नृजातीयता ● अ पसं यक
  • 9. ● पृथकतावाद ● भूमंडल करण ● अवसरवाद ● स धांत न ठा ● वंशवाद REFERENCES AND SUGGESTED READING 1.AshutoshKumar,Rethinking State Politics In India:Regions Within Regions,Economic And Political Weekly,May 9,2009 2.Eci.gov.in ,list of political parties symbol main notification dated 15.3.19 3. FDI Status In Different States Of India,business.mapsofindia.com 4...Monika,CoalitionGovernmentInIndia,;TowardsA Multi-PartyDemocracy,ignited.in 5. Prabhat​ Patnayak​,The State In India’sEconomic Development 6. Rajni Kothari,Politics In India 7. Zoya Hasan,[ed.]Politics And State In India ​ न नबंधा मक न 1. भारत म रा य राजनी त के उ भव और वकास पर एक नबंध लख। 2. रा य क राजनी त म उभरती हुई मु य वृ य का मू यांकन क िजए।
  • 10. 3. रा य राजनी त म बहुदल यता , अवसरवा दता एवं थकतावाद वृ य पर एक नबंध ल खए। 4. भूमंडल करण के दौर म रा य क आ थक वाय ता एवं आपसी त पधा ने या भारतीय संघ म क करण क वृ य को कमजोर कया है। व तु न ठ न 1. ‘फे डर ल म वदाउट अ सटर’ नामक पु तक के लेखक कौन ह । [अ ] लॉरस सेज [ब ] मायरन वीनर [स ] इकबाल नारायण [द ] घन याम शाह 2. भारतीय ां त दल का गठन कसके वारा कया गया था। [अ ] चौधर चरण संह [ब ] अजीत संह [स ] मह संह टकै त [ द ] शरद पवार 3. ‘ भू म पु क अवधारणा’ का संबंध कससे है। [अ ] ​जा तवाद [ब ] सं दायवाद [स ] े वाद [ द ] अलगाववाद 4. न नां कत म से कस घटना को ‘राजनी तक भूचाल’ कहा गया। [अ ] 1977 म क म पहल बार गैर कां ेसी सरकार क थापना [ब ] मंडल कमीशन क रपोट को लागू कया जाना [स ] सव च यायालय वारा पदो न त म आर ण क यव था को ख म कया जाना [द ] उ र पूव रा य क जनता वारा नाग रकता संशोधन कानून का वरोध कया जाना 5. ​रा य वाय ता क मांग न नां कत म से कस रा य के वारा मुखता के साथ उठाई गई। [अ ] पुरा [ब ] पि चम बंगाल [स ] के रल [द ] इन सभी के वारा 6. हंद को रा भाषा बनाए जाने के यास का वरोध कस रा य के वारा कया गया। [अ ] कनाटक [ ब ] बहार [स ] गुजरात [द ] ज मू क मीर 7. गोरखालड क मांग कस रा य म क गई। [अ ] कनाटक [ ब ] उ राखंड [ स ] पि चम बंगाल [द ] पुरा 8. न न ल खत म से कसे 5 अग त 2019 को क शा सत देश का दजा दया गया।
  • 11. [अ ] ल दाख [ब ] क मीर [ स ] सि कम [द ] मजोरम 9. न नां कत म या बेमेल है। [अ ] शेतकर संगठन [ब ] खेदयुत समाज [ स ] कनाटक रा य रैयत संघ [द ] मजो नेशनल ं ट 10. कसने जा तय को दल क सं ा द । [अ ] जय काश नारायण [ब ] वनोबा भावे [स ] भीमराव अंबेडकर [ द ] राम मनोहर लो हया उ र- 1. अ 2. अ 3. स 4.द 5. द 6. अ 7. स 8. अ 9. द 10. अ