अपने विचारों और भावों को प्रकट करने के हमारे पास अनेक साधन हैं। रेलवे में हरी झंडी या हरी बती दिखाकर यह संकेत दिया जाता है कि गाड़ी चले। कंडक्टर बस को रोकने या चलाने के लिए अलग-अलग तरह की सीटी बजाता है। स्काउट / गाइड अपनी बात कहने के लिये कई तरह के संकेतों का प्रयोग करते हैं। बच्चा भी हँसकर या रोकर अपने भाव प्रकट करता है। यह सब संकेत की भाषा है, लेकिन इन संकेतों, इशारों और चिह्नों को सही मायने में भाषा नहीं कह सकते। भाषा तो भाव और विचार प्रकट करने वाले उन ध्वनि-संकेतों को कहते हैं, जो मानव मुख से निकले हो।
अपने विचारों और भावों को प्रकट करने के हमारे पास अनेक साधन हैं। रेलवे में हरी झंडी या हरी बती दिखाकर यह संकेत दिया जाता है कि गाड़ी चले। कंडक्टर बस को रोकने या चलाने के लिए अलग-अलग तरह की सीटी बजाता है। स्काउट / गाइड अपनी बात कहने के लिये कई तरह के संकेतों का प्रयोग करते हैं। बच्चा भी हँसकर या रोकर अपने भाव प्रकट करता है। यह सब संकेत की भाषा है, लेकिन इन संकेतों, इशारों और चिह्नों को सही मायने में भाषा नहीं कह सकते। भाषा तो भाव और विचार प्रकट करने वाले उन ध्वनि-संकेतों को कहते हैं, जो मानव मुख से निकले हो।
अनुवाद के क्षेत्र कहाँ कहाँ है ......... अनुवाद की कहाँ कहाँ आवश्यकता है ।
आशुतोष कुमार विश्वकर्मा
एम.फिल( अनुवाद अध्ययन)
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय
वर्धा , महाराष्ट्र
अनुवाद के क्षेत्र कहाँ कहाँ है ......... अनुवाद की कहाँ कहाँ आवश्यकता है ।
आशुतोष कुमार विश्वकर्मा
एम.फिल( अनुवाद अध्ययन)
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय
वर्धा , महाराष्ट्र
भारत को विश्वगुरु बनाने वाली हमारी महान गौरवशाली संस्कृति की सफलता प्रदायक विचारधारा सर्वश्रेष्ठ है। मानवमात्र की भलाई के लिए इस विचारधारा को जन साधारण तक पहुचना अनिवार्य है। इसी दृष्टिकोण से दर्शन योग महाविद्यालय के द्वारा इस कल्याणकारी विचारधारा को सरल-सुबोध भाषा और नवीनतम-आधुनिक मनोरंजक शैली में प्रस्तुत करने के लिए अभिनव परियोजना 'सफलता विज्ञान' का संचालन किया जा रहा है। इस आशा के साथ कि, ज्ञान को सहज-सुलभ बना कर, उसे घर-घर पहुँचाने वाली यह हमारी पारम्परिक पद्धति, आमजन के अन्दर जीवन का उद्धार करने वाले गुणों का विकास करने में सहायक सिद्ध होगी।
अत: महाविद्यालय के निदेशक और आचार्य की प्रेरणा, मार्गदर्शन व निर्देशन में महाविद्यालय के सेवा एवं साहित्य प्रचार विभाग द्वारा पढ़ाई-नौकरी, व्यापार-साधना आदि जीवन के सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सफल बनाने वाले वास्तविक-व्यावहारिक विधि-विधानों का पथ-प्रदर्शन करने वाली इस वैचारिक परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस वृहत् परियोजना में अनेक विभाग हैं, यथा :-
1. सफलता विज्ञान पुस्तक श्रृंखला (Series) - जनसामान्य के बौद्धिक स्तर के दृष्टिगत रची गईं 'सफलता विज्ञान पुस्तक श्रृंखला की 20 से अधिक बहुरंगी आकर्षक पुस्तकों के प्रकाशन की योजना है। जिसके तहत प्रथम पुस्तक 'सफलता का संसार" प्रक
स्तन कैंसर
स्तन कैंसर स्त्रियों का सबसे भयावह कैंसर है और स्त्रियों में कैंसर से मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। प्रारंभिक अवस्था में यह लक्षणहीन रोग है, कोई दर्द या तकलीफ नहीं होती है। क्योंकि यह बहुत ही कुटिल रोग है, चुपचाप दबे पांव आता है, धीरे-धीरे पैर फैलाता है, शुरू में स्तन और आसपास के लसिका-पर्वों (Lymph Nodes) पर अपना नियंत्रण स्थापित करता है, शरीर की रक्षाप्रणाली को कमजोर करता है और संवेदनशील स्थानों पर अपनी सेना और युद्ध-पोत तैनात करता है। इस तरह पूरी तैयारी होने के बाद ही यह युद्ध का बिगुल बजाता है। परन्तु स्वपरीक्षण, सोनोग्राफी, चिकित्सकीय परीक्षण, मेमोग्राफी, सुई द्वारा जीवोति-जाँच (Fine Needle Aspiration Biopsy) द्वारा हम इस रोग को प्रारंभिक अवस्था में चिन्हित कर सकते हैं। बिलकुल प्रारंभिक अवस्था में इस रोग का शल्य द्वारा पूर्ण उपचार (Complete Cure) संभव है।
स्तन कैंसर के उपचार द्वारा हम सूक्ष्म स्थलान्तर रोग (micro metastatic disease) अर्थात स्तन और स्थानीय लसिका-पर्व को लांघ कर बाहर निकल चुकी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं और इस रोग की मृत्यु दर में 35-70% कमी ला सकते हैं। पिछले दो दशकों में इस रोग पर बहुत अनुसंधान हुए हैं और रोग को समझने, बेहतर उपचार खोजने की दिशा में काफी प्रगति हुई है। (ध्यान रहे अर्बुद, कार्सिनोमा और कैंसर पर्यायवाची हैं)
स्तन की संरचना
स्तन स्त्री की छाती के अग्रभाग में वक्षपेशी (pectorals major muscle) के ऊपर अवस्थित दो गोलाकार दुग्ध उत्पादन इकाइयां होती हैं, जो प्रसव के बाद शिशु के पोषण हेतु अमृततुल्य दुग्ध का स्राव करती हैं। यह स्त्री का सबसे सुन्दर अंग है और सभी स्त्री-पुरुष इसकी और आकर्षित रहते हैं, जिसका एक विशेष मनोवैज्ञानिक कारण है। उनका अवचेतन मन जानता है कि जीवन के प्रारम्भिक दौर में उनकी क्षुधा इन्हीं के द्वारा शान्त होती थी और इन
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1. डॉ. राकेश शर्ाा
ह िंदी अधिकारी
सीएसआईआर-राष्ट्रीय सर्ुद्र विज्ञान सिंस्थान
दोना पािला, गोिा - 403004
2. सूचना प्रौद्योधगकी आंकड़ों की प्राप्ति, सूचना संग्रह, सुरक्षा, पररवितन, आदान-
प्रदान, अध्ययन, डिजाइन आदद कायों िथा इन कायों के ननष्पादन के लिये
आवश्यक कंतयूटर हाितवेयर एवंसॉफ्टवेयर अनुप्रयोग़ों से सम्बप्धिि है।
सूचना प्रौद्योगगकी कंतयूटर पर आिाररि सूचना-प्रणािी का आिार है। सूचना
प्रौद्योगगकी, वितमान समय मेंवाणणज्य और व्यापार का अलिधन अंग बन गयी है।
संचार क्राप्धि के फिस्वरूप अब इिेक्ट्राननक संचार को िी सूचना प्रौद्योगगकी का
एक प्रमुख घटक माना जाने िगा है, और इसे सूचना एििंसिंचार प्रौद्योधगकी
(Information and Communication Technology, ICT) िी कहा जािा है।
एक उद्योग के िौर पर यह एक उिरिा हुआ क्षेत्र है िथा ननि ववकलसि होिी
िथा पररवनिितदनुनया है। ववज्ञान एवंिकनीक केअधय क्षेत्ऱों की िरह इसमेंिी
नए नए पररवितन देखने को लमि रहे हैं।
व्यापार और वाणणज्य मेंसूचना का महत्व अत्यगिक बढ गया है। इसीलिए इस
अथतव्यवस्था को सूचना अथाव्यिस्था (Information Economy) या ज्ञान
अथाव्यिस्था (Knowledge Economy) िी कहा जाने िगा है।
3. भाषा और कं प्यूटर विज्ञान एक दूसरे के पररपूरक हैं
वहंदी के क्षेत्र में कं प्यूटर एिं संचार प्रौद्योविकी का हस्तक्षेप
वनंरतर बढ़ रहा है
युवनकोड़ के आने से कं प्यूटर पर अंग्रेज़ी का एकाविपत्य समाप्त
यूवनकोड के द्वारा कं प्य़ूटर पर वहंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय
भाषाओ ंका विकास संभि हुआ है
यूवनकोड़ मानक न ेविविि भाषाओ ंके मध्य मशीनी अनिुाद
को सुिम बनाया है।
यवुनकोड़ के द्वारा भाषातंरण ही विविि भाषाओ ंम ेंकंप्यूटर पर
विप्यांतरण भी हुआ आसान
4. यूननकोि को व्यापक रूप से ववश्वव्यापी सूचना
आदान-प्रदान के मानक के रूप में स्वीकार ककया जा
रहा है
यूननकोि का अथत है 'एकसमान मानकीकृि कोि‘
इधहें ओपन टाइप फॉधट िी कहा जा सकिा है
यह कोई सॉफ्टवेयर या फॉधट नहीं बप्कक एक वैप्श्वक
मानक है
यूननकोि की सबसे बडी ववशेषिा यह है कक अब इसके
िहि एनकोडिगं ककए गए फॉधट से सिी तिेटफाम्स त
पर कायत करना अंग्रेजी प्जिना आसान
5. मशीनी अनुवाद की पररिाषा कुछ इस प्रकार है। “मशीनी अनुवाद एक ऐसी
प्रकक्रया है जो पाठ की इकाईय़ों को एक िाषा (िक्ष्य िाषा) से दूसरी
(स्रोि िाषा) मेंकंतयूटर की कुत्रत्रम बुद्गि (artificial intelligence) के
माध्यम से अनूददि करिी है। _ िॉ. दीपा गुतिा
Machine Translation (MT) is the process of translating text
units of one language (source language) into a second
language (target language) by using the artificial intelligence
of computers.” _Dr. Deepta Gupta
6. • 1) पूर्ातः र्शीनी अनुिाद (Fully Machine Translation)
• 2) र्ानि साधित र्शीनी अनुिाद (Human Aided Machine
Translation)
• 3) र्शीन साधित र्ानि अनुिाद (Machine Aided Human
Translation)
• मशीनी या यांत्रत्रक अनुवाद की सामाधय पररिाषा
अनुिाद की ऐसी प्रक्रिया जिसर्ेंकिंप्यूटर प्रर्ाली (system) के िररए एक
भाषा से दूसरी भाषा र्ेंअपने आप अनुिाद ो, इस प्रक्रिया र्ेंअनुिाद की
िाने िाली सार्ग्री (Text) को (Input) आगत शब्द के रुप र्ेंदेते ै।
किंप्यूटर की भीतरी प्रर्ाली जिसर्ेंदोनों भाषाओिंके शब्दों, र्ु ािरो और
व्याकरणर्क ननयर्ों की सूचना का भिंडार सिंधचत र ता ै, अपने आप उस
सार्ग्री का दूसरी भाषा र्ेंअनुिाद करती ै और कुछ ी क्षर्ों र्ेंननगात
पाठ (output) के रुप र्ेंअनुहदत सार्ग्री प्राप्त ो िाती ै।”
7. अत्यन्त अल्प सर्य र्ें अनुिाद - इससे तुरन्त पाठ का आशय सार्ने आ
िाता ै। अधिकािंश जस्थनतयों र्ें पाठ का सार सर्झने र्ें इतना ी पयााप्त
ोता ै।
बैंक्रकिंग, तकनीकी आहद विषयों र्ें विशेष रूप से स ायक
किंप्यूटर एििं इिंटरनेट के अनतररक्त शून्य खचा
गोपनीयता एििं ननित्ि (प्राइिेसी) की रक्षा
एक ी प्रोग्रार् अनेकों भाषाओिं से अनेकों भाषाओिं र्ें अनुिाद कर देता ै
िबक्रक अनुिादक अधिकािंशतः केिल दो ी भाषाओिं र्ें प्रिीर् ोता ै।
क्रकसी पाठ को र्शीन द्िारा अनुिाद करके उसको क्रकसी कुशल व्यजक्त द्िारा
सुिार लेना एक सस्ता एििं व्याि ाररक उपाय ै।
बबचौललये के ट िाने से विश्ि र्ें करोडों लोगों के बीच सीिे सिंिाद सिंभाव्य।
इसके रािनीनतक, सार्ाजिक और िाणर्जययक लाभ कल्पनातीत ोंगें।
8. मशीनी अनुवाद के लिए गुगि पर उपिब्ि ‘translate’ एक अच्छा
ववककप है। यह ववववि िाषाओं में अनुवाद हेिु ऑनिाईन सुवविा है और
इसके लिए हमें www.translate.google.co.in पर ववप्जट करना होिा
है।
9. र्िंत्र-रािभाषा एक र्शीन साधित अनुिाद लसस्टर् ै, िो रािभाषा के प्रशासननक,
वित्तीय, कृवष, लघु उद्योग, सूचना प्रौद्योधगकी, स्िास््य रक्षा, लशक्षा एििंबैंक्रकिंग क्षेत्रों के
दस्तािेिों का अिंग्रेिी से ह िंदी र्ेंअनुिाद करता ै। र्िंत्र टैक्नॉलािी पर आिाररत य
लसस्टर् सी-डैक,पुर्े के एप्लाइड आहटाक्रिलशयल इिंटैलीिेंस ग्रुप द्िारा विकलसत क्रकया
गया ै । य http://www.mantra-rajbhasha.cdac.in/ की िेबसाईट पर उपलब्ि
ै। इसके अनुिाद का लसद्िािंत ै_
NOT WORD-TO-WORD...
NOT RULE TO RULE.... but
a LEXICAL TREE-TO-LEXICAL TREE"
अथाात शब्द सेशब्द न ीिं, ननयर् सेननयर् न ीिंबजल्क शाजब्दक िृक्ष सेशाजब्दक िृक्ष
10. ितार्ान इसर्ें विश्ि की प्रर्ुख 73 भाषाओिं र्ें आपस र्ें अनुिाद की सुवििा उपलब्ि ै।
इसर्ें Input (स्रोतभाषा) के ललए एक बॉक्स तथा Output (लक्ष्यभाषा) के ललए एक अन्य बॉक्स हदया गया
ै। आउटपुट बॉक्स के ऊपर भाषा चयन का विकल्प हदया गया ै अथिा `detect language’ के बटन
को जक्लक करने पर य स्ियिं इनपुट र्ें दी गई भाषा को प चान कर उसका अनुिाद प्रारिंभ करता ै।
आऊटपुट बॉक्स र्ें क्रकस भाषा र्ें अनुिाद चाह ए, उसका चयन करना ोता ै। अनुिाहदत शब्दों या
िाक्यािंशों पर जक्लक करने पर ड्रापडाऊन ललस्ट र्ें कुछ िैकजल्पक शब्द या िाक्यािंश प्राप्त ोते ैं जिन् ें
प्रयोक्ता अपने वििेक से चयननत कर अनुिाद को उन्नत कर सकता ै।
इनपुट एििं आऊटपुट बॉक्स के नीचे अनुहदत पाठ को सुनने का विकल्प भी र्ौिूद ै।
आऊटपुट बॉक्स के नीचे ‘improve this translation’ नार्क बटन भी दी गई ै। यहद प्रयोक्ता को
लगता ै गुगल द्िारा क्रकया गया अनुिाद सिंतोषिनक न ीिं ै तथा ि इससे बे तर अनुिाद कर सकता
ै।
इसर्ें “save to phrasebook” नार्क एक अन्य उपयोगी विकल्प की व्यिस्था भी की गई ै। यहद
प्रयोक्ता को लगता ै क्रक अनुहदत पद, िाक्यािंश अथिा िाक्य भविष्ट्य र्ें उसके उपयोग का विषय ै, तो
उसे ि इस बटन के र्ाध्यर् से स ेि (save) सकता ै।
11. आज कंतयूटर िथा इंटरनेट पर अनेक शब्दकोश व थेसारस उपिब्ि हैं जो
िाषा अध्ययन िथा अनुवाद के कायत को सरि बनािे हैं। इनमें से कई
उपकरण़ों के लिए मुकय चुकाना पडिा है िो कई ननिःशुकक उपिब्ि हैं।
www.shabdkosh.com एक उपयोगी वेबसाईट है जो दहंदी के अनिररक्ट्ि
बांग्िा, गुजरािी, कधनड, मियािम, िलमि, िेिुगू, पंजाबी, मराठी जैसी
नौ िारिीय िाषाओं में अंग्रेज़ी शब्द़ों के अथत उपिब्ि करािी है। साथ ही
आप इसमें इन िाषाओं शब्द़ों के अथत िी अंग्रेज़ी में खोजे जा सकिे हैं।
इसमें शब्द़ों के अथत संज्ञा, कक्रया, ववशेषण, कक्रया ववशेषण जैसे अनेक रूप़ों
में प्राति होिे हैं। इसमें शब्द़ों के सही उच्चारण को सुनने की सुवविा के
माध्यम से िी सीखा जा सकिा है।
12.
13. ई-र् शब्दकोश राजिाषा वविाग द्वारा प्रस्िुि एक ऑनिाईन शब्दकोश है
प्जसका ववकास प्रगि संगणन ववकास केंद्र (C-DAC) के द्वारा ककया गया है
जो कक एक द्वविाषी-द्ववआयामी उच् चारण शब्दकोश है । यह http://e-mahashabdkosh.
cdac.in/ के वेब पिे पर उपिब्ि है। इसकी ववशेषिाएं
इस प्रकार हैं _
यूननकोि समगथति फॉधट में आऊटपुट
दहंदी / अंग्रेजी शब् द़ों का उच् चारण
स् पष् ट प्रारूप, आसान व त् वररि शब् द खोज
अक्षर क्रम में शब् द सूची, सीिा शब् द खोज
अंग्रेजी / दहंदी अक्षऱों द्वारा शब् द खोज
स् पीच इंटरफेस के साथ दहंदी शब् द का उच् चारण
सामाध य शब्दकोश में सामाध यिया न पाए जाने वािे शब् द रूप़ों का पूरा
वववरण िथा िाषा ववशेष का शुद्ि उच् चारण
शब् द / मुहावऱों का प्रयोग
शब् द / मुहावऱों को गचत्ऱों के माध् यम से (जहां िागू हो) पूणत रूप से दशातना
14.
15. िैज्ञाननक एििंतकनीकी शब्दािली आयोग की स्थापना 1961 को की गई
थी। यह आयोग दहंदी एवं अधय िारिीय िाषाओंके लिए वैज्ञाननकी एवं
िकनीकी शब्दाविी का ननमातण एवंसमधवय का कायत के अिावा िकनीकी
शब्दाविी, पाररिावषक शब्दाविी िथा एनसाईक्ट्िोपीडडया का ननमातण करिा
है। आयोग की वेबसाईट का पिा है http://www.cstt.nic.in/ । इस
वेबसाईट पर एक ई-शब्दकोश उपिब्ि है जो दहंदी मेंवैज्ञाननक िेखन िथा
वैज्ञाननकी एवंिकनीकी अनुवाद मेंमेंबहुि सहायक है। हाि ही मेंआयोग
ने अपनी वेबसाईट पर ऑनिाईन पाररिावषक शब्दाविी की सुवविा िी
प्रारंि की है।
16.
17. यह दहंदी कोश महात्मा गांिी अंिरातष्रीय दहंदी ववश्वववद्यािय, विात द्वारा
ववकलसि ककया गया है।
इस सरि उपकरण का ववकास इस ववश्वववद्यािय के िाषा ववद्यापीठ के
एसोलसएट प्रोफेसर इंजी. जगदीप लसहंदांगी नेककया है।
ववश्वववद्यािय के http://hindivishwa.org/ के वेब पिे पर उपिब्ि
यह एक ऑफिाईन उपकरण है जो एक बार िाउनिोड करने पर त्रबना
इंटरनेट कनेक्ट्शन पर िी दहंदी शब्द़ों के अथत देवनागरी दहंदी मेंही उपिब्ि
करािा है।
दहंदी के छात्ऱों, प्राध्यापक़ों, राजिाषा अगिकाररय़ों िथा अनुवादक़ों के लिए
दहंदी शब्द़ों के अथत िेजी से दहंदी मेंखोजने मेंउपयोगी लसद्ि हो सकिा
है।
18.
19. इस प्रकार र् देखते ैंक्रक कैसे ह िंदी ननरिंतर सूचना प्रोद्योधगकी के क्षेत्र
से िुड र ी ै तथा इसके र्ाध्यर् से अपने सिाांगीर् विकास ेतु ननत नए
आयार् िोड र ी ै। आि किंप्यूटर तथा इिंटरनेट पर ह िंदी के अनेक
सॉफ्टिेयसा, उपकरर् तथा िेबसाईट्स उपलब्ि ैंजिनका अपेक्षक्षत प्रयोग
प्रचार-प्रसार के अभाि के कारर् न ीिं ो पा र ा ै। भविष्ट्य र्ेंर्नुष्ट्य की
किंप्यूटर पर ननभारता अत्यधिक बढ़ िाएगी अतः ऐसे र्ेंभाषा प्रौद्योधगकी
को सूचना प्रौद्योधगकी के साथ लर्लकर र्ानिता की ह त ेतु काया करना
ोगा। ह िंदी विश्ि की एक विशाल िनसिंख्या का प्रनतननधित्ि करती ै
अतः ऐसे र्ें र्ारा य उत्तरदानयत्ि अत्यधिक बढ़ िाता ै क्रक र् इसे
तकनीक के विकास का लाभ देते ुए विश्ि की अग्रर्ी भाषाओिंकी श्रेर्ी
र्ेंस्थावपत करने का प्रयास करें।