WASH( Water Sanitation and Hygiene) by Dr Sushma Singh
Chapter 7 Federalism XI
1. अध्याय -7
संघवाद
संघवाद का अर्थ
साधारण शब्दों में कहे तो संघवाद संगठित रहने का ववचार हैं । संघवाद एक संस्र्ा गत प्रणाली
हैं जिसमें दो स्तर की रािनीततक व्यवस्र्ाओं को सजममललत ककया िाता हैं । इसमें एक संघीय
(कें द्रीय) स्तर की सरकार और दूसरी प्रांतीय (राज्यीय) स्तर की सरकारें । संघीय (कें द्रीय) सरकार
पूरे देश के ललए होती हैं, जिसके जिममे राष्ट्रीय महत्व के ववषय होते हैं । और राज्य की सरकारें
अपने प्रांत (राज्य ) ववशेष के ललए होती हैं उदाहरण – भारत में संघ सूची के ववषय पर कें द्रीय
(संघीय) सरकार कानून बनाती हैं ।
भारतीय संववधान में संघवाद
संववधान के अनुच्छेद -1 में भारत को राज्यों का संघ कहा गया हैं । भारत में िो संघवाद
अपनाया गया हैं उसका आधार राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान आंदोलन कताथओं के द्वारा ललए गए
उस फै सले का पररणाम हैं कक िब देश आिाद होगा तब ववशाल भारत देश पर शासन करने के
ललए शजततयों को प्रांतीय और कें द्रीय सरकारों के बीच बाटेंगे। आि संववधान में ऐसा ही हैं ।
भारतीय संववधान में संघीय व्यवस्र्ा (संघवाद) के अनुसार – एक संघीय (कें द्रीय) सरकार + उन्तीस
(29) राज्यों तर्ा सात (7) कें द्र शालसत सरकारें अपने -अपने प्रान्तों में अपने -अपने ववषयों पर
काम कर रहीं हैं । सात कें द्र शालसत प्रान्तों में ठदल्ली को राष्ट्रीय रािधानी क्षेत्र का दिाथ ठदया
गया हैं । वेस्टइंडीि, नाईिीररया, अमेररका एवं िमथनी िैसे देशों में भी संघवाद हैं । परंतु भारतीय
संघवाद से लभन्न हैं ।
भारतीय संघवाद की ववशेषताएँ
1. भारत में तीन स्तर (कें द्रीय स्तर, राज्य स्तर तर्ा प्रांतीय स्तर) की सरकारें हैं ।
2. भारत का संववधान ललखित हैं ।
3. सरकारों में शजततयों का ववभािन संघ सूची -97 , राज्य सूची -66, समवती सूची-
47 तर्ा अववलशष्ट्ट शजततयों के रूप में ककया गया हैं ।
4. भारत में स्वतंत्र न्यायपाललका हैं ।
5. भारत का संववधान सवोच्च हैं ।
2. शजतत ववभािन
भारतीय संववधान में दो तरह की सरकारों की बात मानी गई हैं – एक संघीय (कें द्रीय) सरकार
तर्ा दूसरी प्रांतीय (राज्य) सरकार । संववधान के अनुच्छेद 245 -255 में संघ तर्ा राज्यों के बीच
ववधायी शजततयों के ववतरण का घोषणा पत्र हैं । संघीय (के न्द्रीय) सरकार के पास राष्ट्रीय महत्व
के तो प्रांतीय (राज्य) सरकार के पास प्रांतीय महत्व के ववषय हैं ।
भारतीय संववधान के संघात्मक लक्षण
1. संववधान की सवोच्चता – कोई भी शजतत संववधान से ऊपर नहीं हैं । सभी संववधान
के दायरे में रहकर काम करेंगे ।
2. शजततयों का ववभािन – देश में कें द्र तर्ा राज्य सरकारों के मध्य शजततयों को तीन
सूचचयों ( संघ सूची, राज्य सूची, एवं समवती सूची) के अंतगथत बांटा गया हैं ।
3. स्वतंत्र न्यायपाललका हैं िो सरकार को तानाशाह होने से रोकती हैं तर्ा सभी नागररकों
को तनष्ट्पक्ष न्याय ठदलाती हैं ।
4. संशोधन प्रणाली – यह संघीय प्रकिया के अनुरूप हैं ।
5. तीन स्तर की सरकारें – कें द्र, राज्य, एवं स्र्ानीय ।
भारतीय संववधान में एकात्मता के लक्षण
भारतीय संववधान में संघात्मक लक्षणों के सार् – सार् एकात्मता लक्षण भी हैं िैसे:
1. इकहरी नागररकता ।
2. शजतत ववभािन में संघीय( कें द्रीय) पक्ष अन्य पक्षों से अचधक ताकतवर ।
3. संघ और राज्यों के ललए एक ही संववधान ।
4. एकीकृ त न्यायपाललका ।
5. आपात काल में एकात्म शासन (कें द्र शजततशाली) ।
6. राज्यों में राष्ट्रपतत वारा राज्यपालों की तनयुजतत ।
7. इकहरी प्रशासकीय व्यवस्र्ा (अखिल भारतीय सेवाएँ – IAS) ।
8. संववधान संशोधन में संघीय सरकार का महत्व ।
भारतीय संघ में सशतत कें द्रीय सरकार तयों ?
भारतीय संववधान द्वारा एक शजततशाली (सशतत) कें द्रीय (संघीय) सरकार की स्र्ापना करने के
कारण हैं :
भारत एक महाद्वीप की तरह ववशाल तर्ा अनेकानेक ववववधताओं और सामाजिक – आचर्थक
समस्याओं से भरा हैं । संववधान तनमाथता शजततशाली कें द्रीय सरकार के माध्यम से उन ववववधताओं
3. तर्ा समस्याओं का तनपटारा चाहते र्े । देश की आिादी (1947) के समय 500 से अचधक देशी
ररयासतें र्ी । उन सभी को शजततशाली कें द्रीय सरकार के द्वारा ही भारतीय संघ में शालमल ककया
िा सका ।
भारतीय संघीय व्यवस्र्ा में तनाव
कें द्र – राज्य संबंध – संववधान में कें द्र को अचधक शजतत प्रदान करने पर अतसर राज्यों द्वारा
ववरोध ककया िाता हैं । और राज्य कु छ मांगें भी करते हैं िैसे :
1. स्वायत्तता की मांग – समय -समय पर अनेक राज्यों और रािनीततक दलों में राज्यों को
कें द्र के मुक़ाबले ज्यादा स्वायत्तता देने की मांग उिाई हैं िो इस प्रकार हैं :
A. ववत्तीय स्वायत्तता – राज्यों के आय के अचधक साधन होने चाठहए तर्ा संसाधनों
पर राज्य का तनयंत्रण होना चाठहए ।
B. प्रशासतनक स्वायत्तता – शजतत ववभािन को राज्यों के पक्ष में बदला िाए ।
राज्यों को अचधक महत्व के अचधकार शजततयाँ दी िाए ।
C. सांस्कृ ततक और भाषाई मुद्दे – तलमलनाडु में ठहन्दी ववरोध में पंिाब में पंिाबी
व संस्कृ त के प्रोत्साहन की मांग ।
2. राज्यपाल की भूलमका तर्ा राष्ट्रपतत शासन
A. कें द्र सरकार द्वार राज्यों की सरकारों की सहमतत के बबना राज्यपालों की तनयुजतत
राष्ट्रपतत द्वारा करा दी िाती हैं ।
B. कें द्र सरकार द्वारा राज्यपाल के माध्यम से अनुच्छेद -356 का अनुचचत प्रयोग
कर राष्ट्रपतत शासन लगवा देना ।
3. नए राज्यों की मांग भारतीय संघीय व्यवस्र्ा में नवीन राज्यों के गिन की मांग को लेकर
भी तनाव रहा हैं ।
कें द्र – राज्य संबंध
स्वायत्तता की मांग
राज्यपाल की भूलमका
तर्ा राष्ट्रपतत शासन
नए राज्यों की मांग अंतर राज्यीय वववाद ववलशष्ट्ट प्रावधान
4. 4. अंतर राज्यीय वववाद
A. संघीय व्यवस्र्ा में दो या दो से अचधक राज्यों में आपसी वववादों के अनेक
उदाहरण हैं ।
B. राज्यों के मध्य सीमा वववाद – िैसे बेल गांव को लेकर महाराष्ट्र और कनाथटक
में टकराव ।
C. नठदयों के िल बँटवारे को लेकर वववाद िैसे – कनाथटक एवं तलमलनाडु कावेरी
िल – वववाद में फं से हैं ।
5. ववलशष्ट्ट प्रावधान (पूवोत्तर के राज्य तर्ा िममू कश्मीर)
A. संववधान के अनुच्छेद 370 द्वारा िममू कश्मीर को ववलशष्ट्ट जस्र्तत प्रदान की गई
हैं । िैसे अलग संववधान, अलग ध्वि तर्ा भारतीय संसद राज्य सरकार की
सहमतत के बबना आपात काल नहीं लगा सकती आठद ।
B. संववधान के अनुच्छेद 371 से 371 (झ) तक में नागालैंड , असम , मखणपुर,
आंध्र प्रदेश, लसजतकम, लमिोरम, अरुणाचल प्रदेश और गोवा को ववलशष्ट्ट जस्र्तत
प्रदान की गई हैं ।
-----------------------------