The Presentation is an outcome of the Research done on Akhand Jyoti's. It covers may truths and current facts related to Yug Parivartan, the declarations made by Gurudev, its timeline and the parallel work being done by other organizations and scientists. With proper references.
Honor Killing: Unmasking a Brutal RealityNayi goonj
This concise document exposes the harsh reality of honor killings, a deeply disturbing practice prevalent in certain cultural contexts. It defines honor killing as the brutal act of murdering individuals, often women, who are perceived to have brought shame or dishonor to their families. This submission provides a glimpse into the cultural, social, and historical factors that fuel this phenomenon, highlighting the urgent need for awareness, dialogue, and action to eliminate this grave violation of human rights. Together, let us confront and challenge the roots of honor killing to create a more just and inclusive society for all.
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Honor Killing: Unmasking a Brutal RealityNayi goonj
This concise document exposes the harsh reality of honor killings, a deeply disturbing practice prevalent in certain cultural contexts. It defines honor killing as the brutal act of murdering individuals, often women, who are perceived to have brought shame or dishonor to their families. This submission provides a glimpse into the cultural, social, and historical factors that fuel this phenomenon, highlighting the urgent need for awareness, dialogue, and action to eliminate this grave violation of human rights. Together, let us confront and challenge the roots of honor killing to create a more just and inclusive society for all.
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चमचों की विभिन्न किस्में
बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के जीवनकाल में उनको केवल कांग्रेस और अनुसूचित जातियों के चमचों से ही निपटना पड़ा था। बाबासाहब के परिनिर्वाण के बाद अनेक नई-नई किस्मों के चमचों के उभर आने से स्थिति और खराब हो गई। उनके जाने के बाद, कांग्रेस के अलावा अन्य दलों को भी, केवल अनुसूचित जातियों से नहीं बल्कि अन्य समुदायों के बीच से भी, अपने चमचे बनाने की जरूरत महसूस हुई। इस तरह, भारी पैमाने पर चमचों की विभिन्न किस्में उभर कर सामने आईं।
(क) विभिन्न जातियों और समुदायों के चमचे
भारत की कुल जनसंख्या में लगभग 85% पीड़ित और शोषितलोग हैं, और उनका कोई नेता नहीं है। वास्तव में ऊंची जातियों के हिंदू उनमें नेतृत्वहीनता की स्थिति पैदा करने में सफल हुए हैं। यह स्थिति इन जातियों और समुदायों में चमचे बनाने की दृष्टि से अत्यंत सहायक है। विभिन्न जातियों और समुदायों के अनुसार चमचों की निम्नलिखित श्रेणियाँ गिनाई जा सकती हैं।
1.अनुसूचित जातियां-अनिच्छुक चमचे
बीसवीं शताब्दी के दौरान अनुसूचित जातियों का समूचा संघर्ष यह इंगित करता है कि वे उज्जवल युग में प्रवेश का प्रयास कर रहे थे किंतु गांधी जी और कांग्रेस ने उन्हें चमचा युग में धकेल दिया । वे उस दबाव में अभी भी कराह रहे हैं, वे वर्तमान स्थिति को स्वीकार नहीं कर पाए हैं और उस से निकल ही नहीं पा रहे हैं इसलिए उन्हें अनिच्छुक चमचे कहा जा सकता है।
2.अनुसूचित जनजातियां - नव दीक्षित चमचे
अनुसूचित जनजातियां भारत के संवैधानिक और आधुनिक विकास के दौरान संघर्ष के लिए नहीं जानी जातीं। 1940 के दशक में उन्हे भी अनुसूचित जातियों के साथ मान्यता और अधिकार मिलने लगे। भारत के संविधान के अनुसार 26 जनवरी 1950 के बाद उन्हें अनुसूचित जातियों के समान ही मान्यता और अधिकार मिले। यह सब उन्हें अनुसूचित जातियों के संघर्ष के परिणाम स्वरूप मिला, जिसके चलते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मत उत्पीड़ित और शोषित भारतीयों के पक्ष में हो गया था।
आज तक उन्हें भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल में कभी प्रतिनिधित्व नहीं मिलता। फिर भी उन्हें जो कुछ मिल पाता है, वे उसी से संतुष्ट दिखाई पड़ते हैं, इससे भी खराब बात यह है कि वह अभी भी किसी मुगालते में हैं कि उनका उत्पीड़क और शोषक ही उनका हितैषी है। इस तरह उन्हें नवदीक्षित चमचे कहा जा सकता है क्योंकि उन्हें सीधे - सीधे चमचा युग में दीक्षित किया गया है।
3.अन्य पिछड़ी जातियां - महत्वाकांक्षी चमचे
लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद अनुसूचित जातियों के साथ अनुसूचित जनजातियों को मान्यता और अधिकार मिले। इसके परिणाम स्वरूप उन लोगों ने अपनी सामर्थ्य और क्षमताओं से भी बहुत आगे निकल कर अपनी संभावनाओं को बेहतर कर लिया है। यह बेहतरी शिक्षा, सरकारी नौकरियों और राजनीति के क्षेत्रों में सबसे अधिक दिखाई देती है।
अनुसूचित जातियों और जनजातियों में इस तरह की बेहतरी ने अन्य पिछड़ी जातियों की महत्वाकांक्षाओं को जगा दिया है। अभी तक तो वे इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने में सफल नहीं हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने हर दरवाजे पर दस्तक दी उनके लिए कोई दरवाजा नहीं खुला। अभी जून 1982 में हरियाणा में हुए चुनाव में हमें उन्हें निकट से देखने का मौका मिला।
अन्य पिछड़ी जातियों के तथाकथित छोटे नेता टिकट के लिए हर एक दरवाजा रहे थे अंत में हमने देखा कि वे हरियाणा की 90 सीटों में से एक टिकट कांग्रेस(आई) से और एक टिकट लोक दल से ले पाये। आज हरियाणा विधानसभा में अन्य पिछड़ी जाति का केवल एक विधायक है।
Bharatiya Jain Sanghatana -Samachar-February -2018
In Bharatiya Jain Sanghatana, we publish a monthly Hindi news bulletin as "Bharatiya Jain Sanghatana Samachar”.
This month's edition covers about, Smart Girl workshops during the month of January, other Bharatiya Jain Sanghatana activities, Minority Awareness Workshops , Upcoming matrimonial meets and our special article " Manthan" on “Beti bachao- Beti padhao”.
constructivism , types of constructivism, theories of constructivism,critical constructivism , social and cultural constructivism,creation of knowledge,student centric teaching technique
existentialism ,philosophy , jyan paul satra,Martin Hedeger, neetze,freedom of choice,absurdness of life , commitment to society, Despair,Buddhist philosophy,essence, logic, science
RESEARCH METHODOLOGY, BIBLIOGRAPHY STYLES,ONLINE BIBLIOGRAPHY MANAGER,PURPOSE OF MAKING A BIBLIOGRAPHY, ACADEMIC INTEGRITY,PLAGIARISM,CHICAGO STYLE,APA STYLE , MLA STYLE,AUTHENTICITY OF RESEARCH WORK,HONOUR TO RESEARCHERS AND WRITERS
SOCIAL JUSTICE, AFFIRMATIVE ACTION, RESERVATION,OBC,SC,ST, MANDAL COMMISSION, POONA PACT,73 CONSTITUTIONAL AMENDMENT, KAKA KALELKAR COMMISSION,GOVT. JOB,EDUCATIONAL INSTITUTION,PARLIAMENT, STATE LEGISLATURE,LOGIC RELATED TO RESERVATION POLICY, MINISTRY OF SOCIAL JUSTICE, SUPREME COURT ,CASTE SYSTEM, INDIAN CONSTITUTION
1. संत थॉमस एि वनास क
े राजनी तक वचार
[1225-1274]
[source-https://tse2.mm.bing.net/th?id=OIP.Kf-CZrhlCDNDLFDh1H5buwHaD6&pi
d=Api&P=0&w=295&h=157
वारा- डॉ टर ममता उपा याय
एसो सएट ोफ
े सर, राजनी त व ान
क
ु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय
बादलपुर, गौतम बु ध नगर, उ र देश
यह साम ी वशेष प से श ण और सीखने को बढ़ाने क
े शै णक उ दे य क
े लए है। आ थक / वा णि यक अथवा
कसी अ य उ दे य क
े लए इसका उपयोग पूणत: तबंध है। साम ी क
े उपयोगकता इसे कसी और क
े साथ वत रत,
सा रत या साझा नह ं करगे और इसका उपयोग यि तगत ान क उ न त क
े लए ह करगे। इस ई - क
ं टट म जो
जानकार क गई है वह ामा णक है और मेरे ान क
े अनुसार सव म है।
उ दे य-
● म ययुगीन प रि थ तय क
े संदभ म संत थॉमस एि वनास क
े वचार क जानकार
● थॉमस एि वनास क
े शासन एवं कानून संबंधी वचार क जानकार
● थॉमस क
े वचार क मौ लकता का व लेषण
● थॉमस क सम वयवाद वचारधारा का व लेषण
संत थॉमस एि वनास म य युग का सवा धक मौ लक वचारक है। फ़ो टर ने उसे महान
मब ध दाश नक म से एक कहा है। पा चा य राजनी तक चंतन क
े इ तहास म म ययुग को
अ सर धमाधता क
े युग क
े प म तुत कया जाता है। धा मक वृ क
े अनु प ह
राजनी तक चंतन भी इस युग म धम से आ छा दत था और यूनानी दशन क ववेक वाद वृ
2. को तलांज ल दे द गई थी। थॉमस एि वनास क
े चंतन क वशेषता यह है क उसने अर तु क
े
चंतन म न हत ववेक वाद क
े मह व को समझा और क प रि थ तय क
े अनु प ईसाई धम क
मा यताओं क
े साथ उसका सम वय कर राजनी तक दशन को एक नया व प दान कया।
अर तु वारा तपा दत स धांत को स य मानते हुए भी उसने उ ह पूण या अं तम स य नह ं
माना और यह था पत करने का यास कया क ईसाई धम वारा तपा दत स य ान का
पूण प है। अतः उसने अपने दशन क
े येक प म ाचीन यूनान क बु ध वाद वचारधारा
का ई वर य ान पर जोर देने वाल ईसाई वचारधारा क
े साथ सम वय कया। उसक इस
सम वय वाद वृ क
े कारण उसे राजनी तक चंतन क
े इ तहास म म य युग का
‘ कॉलाि टक वचारक’ या सम वय वाद वचारक कहा जाता है। उसक
े चंतन को
‘ईसाईअर तु वाद’ क सं ा भी द जाती है ।
फ़ो टर ने उसक
े चंतन क वशेषताओं को प ट करते हुए लखा है क ‘’ ए वीनस ने अपने
दशन म आरंभ से अंत तक यह स धांत अंगीकार कया है क अर तुवाद स य है, परंतु पूण
स य नह ं है। यह स य है, यहां तक क उसे व वास क सहायता क
े बना मानव ववेक से
खोजा जा सकता है, परंतु व वास से परवत करण ने उसको र द नह ं कया, जो क
ु छ ववेक ने
खोज लया, उसने तो क
े वल उसे पूण कया है। इस कार यह दशन क
े येक वभाग म यूनानी
आधार पर एक ईसाई भवन खड़ा करता है। ‘’म य युग म वह पहला ऐसा वचारक है िजसने
कानून का प ट व लेषण कया,रा य रा य और लोक क याणकार रा य का वचार दया
तथाराजक य आदेश क
े प म मा य मानवीय कानून को नै तक ि ट से नयं त कर
मया दत शासन का वचार सामने रखा। इन सभी वचार ने आधु नक युग म पूण वकास को
ा त कया।
जीवन वृ -
म ययुग क
े त न ध वचारक एि वनास का ज म 1225 ई वी म नेप स रा य क
े ए वीन
नगर म हुआ था । ारंभ से ह वह अ यंत तभा संप न यि त व का धारक था। क
ु ल न
प रवार म ज म लेने वाले ए वीनस क
े माता पता उसे रा य का उ च अ धकार बनाना चाहते
थे, कं तु थॉमस म धा मक वृ बल थी िजसक
े कारण वह त काल न समाज सेवी वग ‘
डो म नकल सं दाय’ का सद य बना। माता- पता ने जब उसे इस माग से हटाना चाहा तो वह
घर छोड़कर नकल गया। संबं धय ने उसे घर न छोड़ने क
े लए नाना कार क
े सांसा रक
लोभन दए । यहां तक क उसे एक कले म बंद बनाकर भी रखा गया। 1 वष तक बंद
अव था म उसने ईसाई धम ंथ का यापक और गहन अ ययन कया। थॉमस क अटल
वृ को देखकर उसक
े संबं ध तो उसक
े रा ते से हट गए, कं तु माता पता अभी यह नह ं
3. चाहते थे क वह समाज सेवा क
े े म जाए। अवसर पाकर एक दन वह बंद गृह से भाग
नकला और सं दाय क
े मठ म छप गया।वह पे रस व व व यालय म अ ययन क
े लए गया
जहां उसक तभा क या त शी ह चार ओर फ
ै ल गई। पे रस क
े बाद जमनी म बोलसराद क
े
अ बट का श य बनने क
े दौरान उसने अर तु क
े तक शा एवं राजनी त संबंधी ंथ का सू म
अ ययन कया। अपनी मौ लकता, आ याि मक े ठता और स य क
े त न ठा क
े कारण वह
स ध हुआ । 1256 म पे रस व व व यालय ने उसे ‘धम क
े आचाय’ क उपा ध दान क ।
अ ययन क
े बाद उसने 12 वष तक अपनी पूण मता क
े साथ ईसाई धम क
े चार का काय
कया।
ए वीनस को राजनी त शा ,धम शा एवं अथशा का अपने युग का एक बड़ा व वान
समझा जाता था। उसक तभा से भा वत होकर बहुत से शासक उससे शासक का कत य
बताने क ाथना करते थे। उसक
े जीवन काल म व भ न सांसा रक और धा मक पद पर
नयुि त क
े ताव रखे गए कं तु उसने वन ता पूवक इन ताव को अ वीकार कर दया।
1274 49 वष क अ पायु म ह उसक मृ यु हो गई।
रचनाएं- एि वनास क
े राजनी तक वचार का प रचय उसक न नां कत रचनाओं से मलता
है।
● स मा थयोलॉजीका
● कम ज ऑन द पॉ ल ट स ऑफ ए र टोटल
● द ल ऑफ ंसेस
● स मा क
ं ा जैनटाइ स
एि वनास क
े राजनी तक वचार या ईसाई अर तु वाद
एि वनास वारा तपा दत सभी राजनी तक वचार म उसका सम वयवाद ि टगोचर होता
है। उसक
े मुख राजनी तक वचार का ववेचन न न वत है-
1. रा य संबंधी वचार-
रा य क
े वषय म म य युग म च लत मा यता का वरोध करते हुए ए वीनस ने अर तु क
े
वचार का समथन करते हुए यह तपा दत कया क रा य एक ाकृ तक और वाभा वक
सं था है, िजसका उ दे य क
े वल मनु य क बुराइय पर नयं ण रखना ना होकर मनु य क
े
4. यि त व का पूण वकास करना है। वह कसी पाप का तफल नह ं है, जैसा क म य युग म
माना जाता था। एि वनास इस ि ट से ग तशील वचारक है क उसने म य युग म ह
रा य रा य का समथन कया था और यह माना था क र त रवाज क एकता तथा समानता
रा य का उ म आधार होती है। कं तु अर तु क
े वचार का समथन करने क
े बावजूद ईसाई धम
क मा यता क
े अनुसार वह यह वीकार करता है क राजनी तक स ा का अं तम ोत ई वर है।
उसक
े श द म,’’ ई वर क
े अ त र त व व म और कोई दूसर शि त नह ं है। ‘’
2. शासन यव था संबंधी वचार-
शासन यव था क
े वषय म भी एि वनास ने अर तु क
े वचार को ह वीकार कया है।
अर तु क
े समान वह भी रा य को उ दे य क
े आधार पर वग कृ त करता है और नरंक
ु श शासन
को सबसे खराब बताता है, जो राजतं का ट प है। त प चात क
ु ल न तं म यमवग य
जनतं , वग तं और लोकतं मानुसार शासन णा लय क
े सामा य और वकृ त प है। कं तु
अर तु क
े वग करण को वीकार करने क
े बावजूद वह अर तु क
े समान म यम वग य जनतं
को सव म शासन क
े प म वीकार नह ं करता बि क राजतं को सव े ठ शासन यव था
मानता है और इस संबंध म उसका तक यह है क राजतं समाज म एकता था पत करने क
ि ट से सव म यव था है। राजतं क े ठता को स ध करते हुए उसने सा य प ध त का
आ य लया है। उसक
े अनुसार ‘’जैसे शर र क
े व भ न अंग पर दय का शासन होता है,
मधुमि खय पर रानी म खी का शासन होता है और सम त मांड म एक ई वर का शासन है।
‘’ यावहा रक ि ट से भी उसने यह स ध करने का यास कया क राजतं सव े ठ है य क
जहां कह ं भी जातं क णाल था पत है वहां पर झगड़े , फ
ू ट और दल बं दयां दखाई देती है
जब क राजतं म सदैव शां त और समृ ध दखाई देती है। य य प राजतं म तानाशाह का
दोष पाया जाता है, कं तु इसे राजा को नवा चत करने क परंपरा था पत करक
े दूर कया जा
सकता है।
राजतं क
े समथन क
े संबंध म उसने म ययुग क इस मा यता का समथन
कया क अ याचार राजा क
े व ध भी जनता को ां त का अ धकार नह ं मलना चा हए
य क यह आव यक नह ं है क राजा क ह या से जा को अ याचार से मुि त मल जाए।
शासन क
े काय-
5. एि वनास क ि ट म शासन का सबसे मुख काय जा जन क
े लए उ चत जीवन क
प रि थ तयां उ प न करना है और समाज म शां त यव था था पत कर उनक
े सुख म वृ ध
करना है। उसक
े अनुसार सरकार को न नां कत काय संप न करने चा हए-
1. कानून क
े उ चत पालन क यव था तथा इस संबंध म पुर कार और दंड का ावधान।
2. बा य श ुओं और आ मणका रय से रा य क सीमाओं और नाग रक क र ा।
3. सड़क को चोर डाक
ू क
े उप व से मु त रखना।
4. रा य क
े लए वशेष मु ा प ध त और नापतोल क समु चत णाल का वकास।
5. जनसं या को सी मत रखना।
3. दास था का समथन-
एि वनास वारा कया गया दास था का समथन भी उसक सम वय वाद वचारधारा का
तीक है। अर तु और सट अग टाइन क भां त उसने भी दास था का समथन कया है, कं तु
अर तु ने जहां दास था को ाकृ तक बताया था, वह अग टाइन ने ‘इसे पा पय को दंड देने क
ई वर य यव था माना था’। इस संबंध म एि वनास का तक भ न है। उसक
े वचार अनुसार
यु ध म परािजत होने पर सै नक दास बना लए जाते ह, यह बात सै नक को यु ध म
अ धका धक वीरता द शत करने क
े लए ो सा हत करती है ता क वह वजई हो और दास ना
बने। इस कार दास था से सै नक म वीरता शौय और उ साह क भावना का संचार होता है।
अपने मत क
े समथन म उसने रोमन इ तहास तथा बाई बल क
े ‘ओ ड टे टामट’ से माण दए
ह।
4. चच और रा य क
े संबंध का व लेषण-
म य युग क
े राजनी तक चंतन का क बंदु चच और रा य क
े संबंध का व लेषण रहा है।
इस संबंध म ‘दो तलवार का स धांत’ और संत ‘क
ं टस टाइन का दान प ’ जैसी अवधारणाएं
तपा दत क गई। वाभा वक प से एि वनास ने भी इस वषय पर वचार कया है। म य
युग क
े बहुत से वचार को क भां त उसने भी चच क स ा को रा य क स ा से उ च थान
दान कया है। इस संबंध म उसका तक है क चूं क चच का संबंध है पारलौ कक जीवन से है
और रा य का संबंध लौ कक जीवन से। पारलौ कक जीवन लौ कक जीवन क तुलना म े ठ है,
इस लए पारलौ कक स ा क तीक चच भी रा य से उ च थान रखती है । ‘’शासक का यह
कत य है क वह लौ कक काय को ई वर क इ छा क
े अनुसार संपा दत कर और इस ि ट से
रा य क
े अ धकार पुरो हत या पादर वग और चच क
े देवीय कानून क
े अधीन होने चा हए। ‘’
6. फ़ो टर ने एि वनास क
े वचार को प ट करते हुए लखा है, ‘’ एि वनास क
े लए चच
सामािजक संगठन का ताज है, वह लौ कक संगठन का त वंद नह ं, वरन उसक पूणता है। ‘’
5. कानून संबंधी वचार-
राजनी तक चंतन को एि वनास क सवा धक मौ लक देन उसका कानून संबंधी वचार है।
ोफ
े सर ड नग ने उ चत ह लखा है क ‘’ वषय क
े त उसका सबसे मौ लक अनुदान व ध क
प रभाषा और उसका व लेषण ह है। उसक कानून संबंधी धारणा ने आधु नक युग म हॉबस ,
लॉक और म टेस यू पर गहरा भाव डाला। कानून क प ट प रभाषा करते हुए एि वनास ने
लखा क ‘’कानून ववेक से े रत और लोक क याण हेतु उस यि त वारा जार कया गया
आदेश है, िजस यि त पर समुदाय क यव था का भार होता है। ‘’
कानून क
े व प का व लेषण करते हुए ए वीनास ने यह वचार कट कया क कानून
सावभौ मक होते ह और कानून क आ ा का पालन सबको करना होता है, कानून इस ि ट से
अप रवतनशील होते ह क राजा उनम मनमाने ढंग से प रवतन नह ं कर सकता। कानून का
मूल ोत कृ त है, अतः य द कानून याय और धम क
े स धांत का उ लंघन करते ह, तो वे
कानून नह ं, बि क कानून का वकृ त प है।
कानून का वग करण-
ए वीनस ने कानून क
े चार कार बताए ह, िज ह सेवा इन ने ववेक क
े 4 प कहा है। यह है-
1. शा वत कानून-
सृि ट का सृजन और संचालन करने वाले ाकृ तक नयम को एि वनास न शा वत कानून
कहा है। संपूण समाज, पशु जगत और वन प त जगत इसी कानून क
े अधीन है। ई वर य
ववेक का तीक होने क
े कारण कई बार मनु य इ ह समझ नह ं पाता है य क मनु य क
बु ध सी मत होती है। सेबाइन क
े श द म,’ शा वत कानून देवी ववेक क शा वत योजना है
िजससे भार सृि ट यवि थत होती है। ‘’
2. ाकृ तक कानून-
ाकृ तक कानून शा वत कानून से ह उपज ते ह और इन क
े मा यम से मनु य भले और बुरे का
ान ा त करता है। य य प ाकृ तक कानून भी शा वत कानून क
े समान पशु और वन प त
जगत म भी या त ह कं तु मनु य जगत म इनक सुंदर अ भ यि त हुई है। सेबाईन ने
ाकृ तक कानून क
े संबंध म उदाहरण दया है क मानव जीना चाहता है और जीने क
े लए सुर ा
7. क आव यकता होती है ,अतः जीवन क सुर ा ाकृ तक कानून है। मनु य म परोपकार क
भावना, द न दु खय क सहायता करना आ द वृ यां ाकृ तक कानून से ह संबं धत है।
3. मानवीय कानून-
मानवीय कानून मनु य वारा न मत कानून है इनका नमाण समाज म शां तपूण
प रि थ तयां बनाए रखने हेतु दंड यव था का सृजन करक
े कया जाता है। यह कानून भी
ाकृ तक कानून पर ह आधा रत होते ह और य द कोई मानवीय कानून ाकृ तक कानून क
े
तक
ू ल होता है तो उसे कानून का ट प समझा जाना चा हए। मानवीय कानून क ज रत
इस लए होती है य क ाकृ तक कानून अ नि चत और अप रभा षत होते ह और उनका
उ लंघन होने पर दंड क यव था नह ं होती है। मानवीय कानून अ य कानून से इस अथ म
भं न है क जहां अ य सभी कानून का संबंध ाकृ तक और मानवीय जगत दोन से होता है,
वह मानवीय कानून क
े वल मानव समाज पर ह लागू कए जाते ह। मानवीय कानून क क
ु छ
अ य वशेषताएं इस कार ह-
● मानवीय कानून मानवी ववेक पर आधा रत होते ह।
● यह कानून दो कार क
े होते ह- नाग रक क
े लए और रा क
े लए। आधु नक अथ म
इ ह रा य और अंतररा य कानून कहा जा सकता है।
● यह कानून सामा य हत क पू त क
े साधन है। एि वनास क
े श द म ,’’ िजस कार
सूय बना कसी प पात क
े सम त सृि ट को उ णता दान करता है, उसी कार
मानवीय कानून क
े वारा न प ता क
े साथ सम त जनता क
े हत क र ा और वृ ध
क जानी चा हए। ‘’
● मानवीय कानून सावज नक सहम त और मा यता पर आधा रत होते ह। य य प कानून
स ाधार का आदेश होता है कं तु उसे भल कार लागू कए जाने क
े लए आव यक है क
समुदाय क
े वारा उसे मा यता दान क जाए। इस वचार क
े मा यम से अ य प
से एि वनास ने लोक भुता क धारणा का संक
े त दया है।
● मानवीय कानून का उ लंघन करने पर दंड क यव था होती है।
● कानून िजन पर लागू कया जाना है, उ ह इससे अवगत कराया जाना चा हए ता क
उनका पालन भल -भां त हो सक
े । आधु नक युग म भी नाग रक क
े लए कानून संबंधी
जानकार आव यक मानी जाती है।
4. दैवीय कानून-
8. धम ंथ म व णत कानून को एि वनास ने देवी कानून क सं ा द है। जब भी मनु य म
ववेक शू यता आती है तो यह देवी व धयां ह उसक क मय और बुराइय को दूर करती ह। यह
मानव जीवन क
े आ याि मक प को नय मत और नयं त करती ह। देवी कानून सबक
े लए
नह ं होते जो धम को मानते ह वह इन कानून क उपयो गता जान पाते ह। हैकर क
े श द म,’’
दैवीय कानून नाग रक और शासक को उन े म े रत करने का ई वर य तर का है जहां
मानवीय कानून पहुंच नह ं सकते। ‘’
प ट है क ए वीनस वारा व णत चार कार क
े कानून म शा वत देवी कानून
का संबंध धम और आ याि मकता से है ,जब क ाकृ तक और मानवीय कानून राजनी तक और
भौ तक जगत से संबं धत है।
एि वनास क
े राजनी तक वचार संबंधी उपयु त ववेचन क
े आधार पर सेवाइन क
े श द म
कहा जा सकता है क ‘’ ए वीनस ने एक ऐसी यावहा रक प ध त खोजने क चे टा क
िजसक
े अनुसार ई वर कृ त तथा मानव क
े म य घ न ठ संबंध हो और िजसम समाज एवं
शासन स ा एक दूसरे का साथ देने क
े लए तैयार हो। ‘’
मु य श द- ईसाई अर तु वाद, सम वय वाद, धम स ा एवं राज स ा, ाकृ तक कानून, शा वत
कानून, मानवीय कानून, देवी कानून, राजतं , दास था
References and suggested Reading
● A R M Murray,Introduction To Political Philosophy
● Dunning,A History Of Political Theories
● Hacker,Political Theory
● Stanford Encyclopaedia of Philosophy,plato.stanford.edu
● www.researchgate.net
बाबा
न-
नबंधा मक-
1. थॉमस एि वनास म य युग का त न ध वचारक है, ववेचना क िजए।
9. 2. व भ न राजनी तक वषय पर थॉमस एि वनास क
े वचार का उ लेख करते हुए बताइए
क क
ै से थॉमस एि वनास एक सम वयवाद वचारक था।
3. थॉमस एि वनास क
े व ध संबंधी वचार क ववेचना क िजए।
व तु न ठ न-
1. थॉमस एि वनास का राजनी तक चंतन कं न दो वचार का सम वय है।
[अ ] संत अग टाइन और अर तू [ ब ] ईसाई धम और अर तू वाद [ स ] धा मकता और
आधु नकता [ द ] उपयु त सभी
2. एि वनास क ि ट म रा य क
ै सी सं था है।
[ अ ] लौ कक जीवन क आव यकताओं क पू त क
े साथ नै तकता को ो सा हत करने वाल [
ब ] क
े वल लौ कक जीवन क ज रत को पूरा करने वाल [ स ] आव यक बुराई [ द ] पाप का
तफल
3. ए वीनस ने शासक वारा बनाए गए कानून पर या मयादा आरो पत क है।
[ अ ] ाकृ तक नयम क
े पालन क [ ब ] सं वधान क [ स ] दैवीय कानून क [ द ]
सामािजक परंपरा क
4. एि वनास ने कस शासन यव था को सव े ठ बताया है।
[ अ ] जातं [ ब ] क
ु ल न तं [ स ] राजतं [ द ] वग तं
5. राजतं क बुराइय को दूर करने क
े लए ए वीनस ने या सुझाव दया है।
[ अ ] नवा चत राजतं [ ब ] शासक क
े व ध ां त [ स ] जनता क सहभा गता [ द ]
उपयु त सभी
6. एि वनास ने दास था को य उपयोगी बताया है ।
[ अ ] सै नक म शौय और वीरता क
े संचार हेतु
[ ब ] ाकृ तक नयम क
े अनुक
ू ल होने क
े कारण
[ स ] दास क
े लए उपयोगी होने क
े कारण
[ द ] उपयु त सभी
7. चच रा य संघष म ए वीनस ने रा य क स ा को चच क
े अधीन य बताया है।
[ अ ] लौ कक जीवन का मह व पारलौ कक जीवन क तुलना म कम होने क
े कारण
[ ब ] राजा क ई वर द होने क
े कारण
[ स ] रा य मनु य क
े पाप का तफल होने क
े कारण
[ द ] उपयु त सभी
10. 8. राजनी तक चंतन को ए वीनस क सबसे बड़ी देन या है।
[ अ ] कानून संबंधी वचार
[ ब ] लोक क याणकार रा य का वचार
[ स ] रा य रा य का वचार
[ द ] उपयु त सभी
उ र-1.ब 2. अ 3.अ 4. स 5. अ 6. अ 7. अ 8. द