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शोध प्रविधि
संदर्भ सूची का निर्माण- क्यों और क
ै से?
द्वारा- डॉ. ममता उपाध्याय
प्रोफ
े सर, राजनीति विज्ञान
क
ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय
बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश
उद्देश्य-
● उच्च शिक्षा में शोध की व्यवस्थित पद्धति क
े रूप में संदर्भ सूची क
े महत्व की जानकारी
● अकादमिक सत्य निष्ठा क
े प्रति गंभीरता एवं संवेदनशीलता का विकास
● संदर्भ सूची निर्माण की विभिन्न शैलियों का ज्ञान
● ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधकों की जानकारी
मुख्य शब्द-
अकादमिक सत्य निष्ठा, संदर्भ सूची, अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ, शिकागो शैली, आधुनिक भाषा संघ,
ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधक
उच्च शिक्षा क
े क्षेत्र में अध्ययन एवं शोध कार्य करने हेतु जिन प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों से प्राप्त
सामग्री का प्रयोग किया जाता है, उनक
े एक विशेष शैली में लेखन को संदर्भ सूची कहते हैं। वर्तमान में
शोध लेखन में बढ़ती साहित्यिक चोरी की घटनाओं को देखते हुए संदर्भ ग्रंथ सूची अत्यंत प्रासंगिक एवं
महत्वपूर्ण प्रतीत होती है। विभिन्न राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र पत्रिकाओं में शोध पत्रों का प्रकाशन
करते समय संदर्भ ग्रंथ सूची की विशिष्ट शैलियों की मांग की जाती है। प्रस्तुत आलेख में संदर्भ सूची का
निर्माण क्यों आवश्यक है, संदर्भ सूची निर्मित करने की शैलियों कौन सी है और ऑनलाइन संदर्भ
प्रबंधक क्या है, इनका परिचयात्मक विश्लेषण किया गया है।
संदर्भ सूची निर्माण की आवश्यकता क्यों? / उद्देश्य एवं महत्व
एक शोधार्थी को शोध कार्य क
े अंत में संदर्भ सूची क
े निर्माण की आवश्यकता क्यों होती है? इस प्रश्न
का विश्लेषण करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं की निम्नांकित कारणों से संदर्भ सूची आवश्यक हो
जाती है-
● अध्ययन को प्रामाणिक बनाने हेतु-
अध्ययन एवं शोध को प्रामाणिक बनाने क
े लिए संदर्भ सूची अनिवार्य समझी जाती है। शोधकर्ता ने
जो क
ु छ लिखा है या प्रस्तुत किया है, वह काल्पनिक नहीं है, बल्कि विषय से संबंधित साहित्य का
अध्ययन करक
े शोध को पूर्ण किया गया है। शोधकर्ता ने किन साहित्य का अध्ययन किया है, इसका
प्रमाण वह संदर्भ सूची क
े माध्यम से ही दे सकता है और अपने अध्ययन को प्रामाणिक बना सकता है।
● अध्ययन में वैज्ञानिकता लाने क
े लिए-
सामाजिक विषयों में शोध को वैज्ञानिक बनाने हेतु उसका तथ्यपरक होना आवश्यक होता है । जब
एक शोधकर्ता संदर्भ सूची क
े माध्यम से पाठकों क
े समक्ष व्यवस्थित ढंग से उन प्राथमिक एवं
द्वितीयक स्रोतों का वर्णन करता है, जिनसे उसने अध्ययन हेतु तथ्य एकत्रित किए हैं, तो स्रोत का
यह व्यवस्थित विवरण स्वयं ही उसक
े अध्ययन को तथ्यपरक बना देता है।
● शैक्षणिक सत्य निष्ठा क
े विकास हेतु-
वर्तमान समय में साहित्यिक चोरी की बढ़ती हुई घटनाओं को नियंत्रित करने हेतु एवं शैक्षणिक
जगत में ईमानदारी तथा सत्य निष्ठा का विकास करने की दृष्टि से भी संदर्भ ग्रंथ सूची अत्यंत महत्वपूर्ण
हो जाती है। संदर्भ सूची क
े माध्यम से शोधकर्ता यह बताता है कि उसने किन लेखकों , चित्रकारों या
विश्लेषकों क
े विचारों को अपने अध्ययन में कहां -कहां सम्मिलित किया है तथा किन क्षेत्रों से कब और
क
ै से प्राथमिक तथ्यों को एकत्रित किया है। साक्षात्कार प्रश्नावली अनुसूची एवं अवलोकन क
े माध्यम से
एकत्रित तथ्यों क
े विषय में जब वह उल्लेख करता है कि उसने कब कहां और किससे साक्षात्कार लिया,
कहां का अवलोकन किया और किन लोगों से प्रश्नावली भरवाई, तो इससे स्वयं ही उसक
े इमानदारी
युक्त कार्य का प्रमाण मिल जाता है।
● शोधकर्ताओं एवं लेखकों क
े कार्य को सम्मान देने हेतु-
जब एक शोधार्थी संदर्भ सूची का निर्माण करता है तो उन पुस्तकों और लेखकों का उल्लेख
करता है जिन्होंने संबंधित विषय पर पूर्व में कार्य किया है और जिन से प्राप्त सामग्री को
शोधकर्ता ने अपना आधार बनाया है, तो इससे पूर्व क
े शोधार्थियों क
े कार्यों को मान्यता मिलती है
और उन्हें सम्मान प्राप्त होता है। वर्तमान में शोध कार्य की गुणवत्ता का आकलन इस तथ्य से
भी किया जाता है कि लेखक की कृ ति को कितना ज्यादा उद्धृत किया गया है।
● शोध कार्य की पुनः परीक्षा या सत्यापन हेतु-
संदर्भ सूची क
े निर्माण का एक उद्देश्य यह भी होता है कि उल्लिखित संदर्भों क
े माध्यम से
कोई अध्ययन करता संबंधित शोध की जांच कर सकता है। अर्थात वह देख सकता है कि जिन
संदर्भों का उल्लेख किया गया है, उनमें वह तथ्य है या नहीं जिसका उल्लेख संबंधित शोधकर्ता क
े
द्वारा किया गया है और वास्तव में सामग्री वहीं से ली गई है, जहां का उल्लेख किया गया है।
● विद्यार्थियों में सुव्यवस्थित शोध की प्रवृत्ति क
े विकास हेतु-
उच्च शिक्षा में गंभीर शोध कार्यों की दिनों दिन बढ़ती कमी को देखते हुए भी यह आवश्यक हो
जाता है कि विद्यार्थियों में शोध कार्य संपन्न करने की एक व्यवस्थित प्रणाली का विकास किया
जाए। संदर्भ ग्रंथ सूची का निर्माण इसी व्यवस्थित प्रणाली का एक अंग है, जिसक
े माध्यम से
शोधार्थी व्यवस्थित अध्ययन करना और उसे प्रस्तुत करना सीखते हैं। इसका
सुप्रभाव शोध की गुणवत्ता पर भी पड़ता है।
● शोधार्थियों की सुविधा हेतु-
कई बार किसी विषय से संबंधित पुस्तकों एवं शोध पत्रों को किसी लेखक क
े द्वारा संदर्भ सूची
क्रम में संकलित किया जाता है या किसी प्रकाशक क
े द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जिससे शोधकर्ता
को शोध कार्य प्रारंभ करने से पूर्व विषय से संबंधित अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में सुविधा होती है.
संदर्भ सूची निर्माण की विभिन्न शैलियाँ
दुनिया भर क
े शोधार्थियों क
े मध्य संदर्भ सूची बनाने की अनेक शायरियां प्रचलित है, यद्यपि
वर्तमान में जो संदर्भ सूचियां बनाई जाती है, उनमें से अधिकांशतः मिश्रित प्रकृ ति की होती है,
जिनमें विभिन्न शैलियों का मिलाजुला रूप देखने को मिलता है। क
ु छ प्रमुख शैलियां इस प्रकार
है-
1. अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संघ की शैली [ APA STYLE ]-
अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ द्वारा इस शैली का शुभारंभ 1909 में किया गया था इस शैली का
प्रयोग मुख्यतः शिक्षा शास्त्र मनोविज्ञान एवं प्राकृ तिक विज्ञान में किया जाता है। इस शैली क
े
अंतर्गत विभिन्न स्रोतों का संदर्भ दिया जाता है जैसे- प्रकाशित पुस्तक
ें , ऑनलाइन प्रकाशित
पुस्तक
ें , समाचार पत्र पत्रिकाएं, शोध पत्र, रेडियो एवं टीवी क
े धारावाहिक[ लाइब्रेरी डेटाबेस से
प्राप्त], फिल्म क
े अंश [ वेबसाइट से प्राप्त] फोटोग्राफ[ उसको पत्र एवं वेबसाइट से प्राप्त]
कलाकृ तियों[ लाइब्रेरी डेटाबेस से प्राप्त ] आदि। इस शैली में संदर्भ का क्रम इस प्रकार होता है-
1. लेखक का उपनाम [ सरनेम ] एवं नाम
2. रचना या कृ ति का नाम
3. प्रकाशन की तिथि या वर्ष
4. प्रत्यक्ष उद्धरण देने पर पृष्ठ संख्या
5. पुस्तक/ जर्नल/ पत्रिका/ वेबसाइट/ लाइब्रेरी डाटाबेस का नाम
उदाहरण-
शर्मा, एम..पी, ‘राजनीति तथा लोक प्रशासन’,1991, लोक प्रशासन; सिद्धांत एवं व्यवहार
2. आधुनिक भाषा संघ की शैली-[ M LA STYLE ]
आधुनिक भाषा संघ द्वारा विकसित इस शैली का प्रयोग मानविकी विषयों में किया जाता है।
इस शैली क
े अंतर्गत संदर्भ का लेखन निमृत क्रम में किया जाता है।
1. लेखक का नाम
2. स्रोत का शीर्षक
3. जिस पुस्तक, पत्रिका, जर्नल में स्रोत का उल्लेख है, उसका शीर्षक
4. प्रकाशन का अंक
5. प्रकाशन का नाम
6. प्रकाशन वर्ष
7. प्रकाशन स्थान
8. पृष्ठ संख्या
MLA शैली क
े अनुसार बनाई जाने वाली संदर्भ सूची क
े क
ु छ उदाहरण निम्न वत है-
● पुस्तक संदर्भ-
एफ. स्टीवेंस रेडबर्न एंड टेरी एफ . बुस ‘ एक्सपेंडिंग एंड डिपेनिग सिटीजन
पार्टिसिपेशन; ए पॉलिसी एजेंडा’, मॉडर्नाइजिंग डेमोक्र
े सी; इनोवेशंस इन सिटीजन
पार्टिसिपेशन ‘[ संपादित ], प्रेंटिस हॉल ऑफ़ इंडिया, 2007, नई दिल्ली,
पृष्ठ-29-4848
● जर्नल का संदर्भ-
डी. पी ..मिश्रा, ‘इमर्जिंग चैलेंजिस ऑफ़ ई - सिटीजनशिप; एन एजेंडा फॉर एक्शन’
इंडियन जर्नल ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, वॉल्यूम LV, अंक-1, इंडियन इंस्टिट्यूट
ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, नई दिल्ली, जनवरी - मार्च 2009, पृष्ठ 52-61
● समाचार पत्र का संदर्भ-
दिलीप क
ु मार लाल, ‘पूर्वजों का इतिहास समेटने की अनूठी परंपरा’, नवभारत
टाइम्स, 18 सितंबर 2017 एन. सी.आर.पृष्ठ- 8
● वेबसाइट का संदर्भ-
जे. एन . पोर्टर ,’एरिक वोगेलीन ;अ फिलॉस्फर्स जर्नी’, द यूनिवर्सिटी बुक मैन,
वॉल्यूम 18, नंबर 4, 1978, डब्लू डब्लू डब्लू क्रिक सेंटर डॉट ओआरजी, 18 सितंबर
2017, 6:330 पीएम पर खोज की।
● अधिनियम का संदर्भ-
नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, नगर नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश
सरकार, 1973, लखनऊ, पृष्ठ 1
● विश्वकोश का संदर्भ-
एडविन रॉबर्ट एंडरसन ,इनसाइक्लोपीडिया ऑफ सोशल साइंसेज,1967, मैकमिलन
● साक्षात्कार का संदर्भ-
साक्षात्कार करता का नाम, साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति का नाम तथा पद, दिनांक, वर्ष,
समय, स्थान .
नोट- एमएलए शैली क
े अंतर्गत चयनित संदर्भ सूची का निर्माण करते समय अंग्रेजी हिंदी
वर्णमाला क
े क्रमानुसार सूची तैयार की जाती है। उदाहरणार्थ-
1. एप्पलबी, पाल. एच. ; लैंडमार्क्स इन इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन, इंडियन इंस्टीट्यूट
ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, 2007, नई दिल्ली
2. बीजू, एम. आर., गुड गवर्नेंस एंड एडमिनिस्ट्रेटिव प्रैक्टिसेज, मित्तल पब्लिक
े शन, नई
दिल्ली ।
3. चौबे, प्रमोद क
ु मार [ सं . ], विकास क
े आयाम; प्रकार अंतर पक्ष एवं दृष्टियां, भारतीय
लोक प्रशासन संस्थान, 2006 ,नई दिल्ली
4. गुप्ता, आर. जी. , शेल्टर फॉर पुअर इन द फोर्थ वर्ल्ड, शिप्रा पब्लिक
े शन, 1995
शकरपुर, दिल्ली
3. शिकागो शैली-[ CHICAGO STYLE]
शिकागो यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा 1906 में प्रारंभ की गई इस शैली का प्रयोग मुख्यतः
इतिहास, वाणिज्य एवं फाइनेंस में किया जाता है। इस शैली मे संदर्भ का क्रम इस प्रकार
दिया जाता है ।
1. लेखक का नाम
2. दिनांक/ वर्ष
3. स्रोत का शीर्षक
4. प्रकाशन स्थान
5. प्रकाशन का नाम
संदर्भ सूची की विशेषताएं-
संदर्भ सूची निर्माण हेतु विकसित विभिन्न शैलियों क
े आधार पर इस की क
ु छ प्रमुख
विशेषताएं स्पष्ट होती हैं जो इस प्रकार है-
1. संदर्भ सूची की विभिन्न शैलियों की विषय सामग्री या सामान्यतः एक जैसी होती है
किं तु उनका लेखन क्रम भिन्न होता है।
2. संदर्भ सूची बनाते समय अर्ध विराम,पूर्ण विराम एवं इनवर्टेड कोमा का विशेष ध्यान
रखा जाता है।
3. संदर्भ स्रोत को मोटे अक्षरों में लिखा जाता है।
4. लेखक का नाम इनवर्टेड कोमा में लिखा जाता है।
ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधक-
स्वचालन एवं सूचना प्रौद्योगिकी क
े युग में शोधकर्ताओं की सहायता हेतु क
ु छ
ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधकों का भी अविष्कार किया गया है, जिनकी सहायता से एक
शोधकर्ता संदर्भ सूची में निहित त्रुटियों को दूर कर सकता है। क
ु छ प्रमुख ऑनलाइन
संदर्भ प्रबंधक इस प्रकार है-
● Easy Bin
● Zotero
● Noodle bib
● Bibme
● Citation Manager
REFERENCES & SUGGESTED READING
1. http//www.merriam-webster.com
2. http//dictionary.cambridge.org>b…
3. JenniferBetts,TypesofBibliographyStyle,
Http//www.bibliography.com
4. http//egyankosh.ac.in
5. http//www.template.net
प्रश्न-
निबंधात्मक-
1. संदर्भ सूची को परिभाषित करें एवं शोध कार्य में इसक
े महत्व तथा उद्देश्य पर
प्रकाश डालें.
2. सामाजिक विज्ञान एवं अन्य मानविकी विषयों में प्रयोग में लाई जाने वाली संदर्भ
सूची निर्माण की प्रमुख शैलियों का उल्लेख कीजिए.
3. अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ एवं आधुनिक भाषा संघ की संदर्भ सूची निर्माण की
शैलियों में अंतर बताइए.
वस्तुनिष्ठ-
1. Noodle bib क्या है?
[ a ] नूडल बनाने का तरीका [ b ] लेख लिखने का तरीका [ c ] ऑनलाइन संदर्भ
प्रबंधक टूल [ d ] उपर्युक्त में से कोई नहीं.
2. साहित्यिक चोरी क
े विषय में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
[a ] संदर्भ सूची में बिना लेखक का नाम लिखे उसकी विषय सामग्री का अपने
शोध कार्य में प्रयोग करना साहित्यिक चोरी है.
[ b ] आजकल शोधार्थियों में साहित्यिक चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं.
[ c ] शोधार्थियों में अकादमी सत्य निष्ठा को प्रोत्साहित करने हेतु व्यवस्थित
संदर्भ सूची का निर्माण आवश्यक है.
[ d ] उपर्युक्त सभी कथन सत्य है.
3. मानविकी विषयों में सामान्यतया संदर्भ लेखन हेतु किस शैली का प्रयोग किया
जाता है?
[a ] ए पी ए शैली [ b ] एमएलए शैली [ c ] शिकागो शैली [ d ] उपर्युक्त सभी
4. शिकागो शैली का प्रयोग मुख्यतः किन विषयों में संदर्भ लेखन हेतु किया
जाता है?
[ a ] प्राकृ तिक विज्ञान [ b ] सामाजिक विज्ञान [ c] वाणिज्य एवं फाइन आर्ट [ d ]
उपर्युक्त सभी.
उत्तर- 1. c 2. d 3. b 4. c

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  • 1. शोध प्रविधि संदर्भ सूची का निर्माण- क्यों और क ै से? द्वारा- डॉ. ममता उपाध्याय प्रोफ े सर, राजनीति विज्ञान क ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश उद्देश्य- ● उच्च शिक्षा में शोध की व्यवस्थित पद्धति क े रूप में संदर्भ सूची क े महत्व की जानकारी ● अकादमिक सत्य निष्ठा क े प्रति गंभीरता एवं संवेदनशीलता का विकास ● संदर्भ सूची निर्माण की विभिन्न शैलियों का ज्ञान ● ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधकों की जानकारी मुख्य शब्द- अकादमिक सत्य निष्ठा, संदर्भ सूची, अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ, शिकागो शैली, आधुनिक भाषा संघ, ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधक उच्च शिक्षा क े क्षेत्र में अध्ययन एवं शोध कार्य करने हेतु जिन प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों से प्राप्त सामग्री का प्रयोग किया जाता है, उनक े एक विशेष शैली में लेखन को संदर्भ सूची कहते हैं। वर्तमान में शोध लेखन में बढ़ती साहित्यिक चोरी की घटनाओं को देखते हुए संदर्भ ग्रंथ सूची अत्यंत प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण प्रतीत होती है। विभिन्न राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र पत्रिकाओं में शोध पत्रों का प्रकाशन करते समय संदर्भ ग्रंथ सूची की विशिष्ट शैलियों की मांग की जाती है। प्रस्तुत आलेख में संदर्भ सूची का निर्माण क्यों आवश्यक है, संदर्भ सूची निर्मित करने की शैलियों कौन सी है और ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधक क्या है, इनका परिचयात्मक विश्लेषण किया गया है। संदर्भ सूची निर्माण की आवश्यकता क्यों? / उद्देश्य एवं महत्व
  • 2. एक शोधार्थी को शोध कार्य क े अंत में संदर्भ सूची क े निर्माण की आवश्यकता क्यों होती है? इस प्रश्न का विश्लेषण करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं की निम्नांकित कारणों से संदर्भ सूची आवश्यक हो जाती है- ● अध्ययन को प्रामाणिक बनाने हेतु- अध्ययन एवं शोध को प्रामाणिक बनाने क े लिए संदर्भ सूची अनिवार्य समझी जाती है। शोधकर्ता ने जो क ु छ लिखा है या प्रस्तुत किया है, वह काल्पनिक नहीं है, बल्कि विषय से संबंधित साहित्य का अध्ययन करक े शोध को पूर्ण किया गया है। शोधकर्ता ने किन साहित्य का अध्ययन किया है, इसका प्रमाण वह संदर्भ सूची क े माध्यम से ही दे सकता है और अपने अध्ययन को प्रामाणिक बना सकता है। ● अध्ययन में वैज्ञानिकता लाने क े लिए- सामाजिक विषयों में शोध को वैज्ञानिक बनाने हेतु उसका तथ्यपरक होना आवश्यक होता है । जब एक शोधकर्ता संदर्भ सूची क े माध्यम से पाठकों क े समक्ष व्यवस्थित ढंग से उन प्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोतों का वर्णन करता है, जिनसे उसने अध्ययन हेतु तथ्य एकत्रित किए हैं, तो स्रोत का यह व्यवस्थित विवरण स्वयं ही उसक े अध्ययन को तथ्यपरक बना देता है। ● शैक्षणिक सत्य निष्ठा क े विकास हेतु- वर्तमान समय में साहित्यिक चोरी की बढ़ती हुई घटनाओं को नियंत्रित करने हेतु एवं शैक्षणिक जगत में ईमानदारी तथा सत्य निष्ठा का विकास करने की दृष्टि से भी संदर्भ ग्रंथ सूची अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। संदर्भ सूची क े माध्यम से शोधकर्ता यह बताता है कि उसने किन लेखकों , चित्रकारों या विश्लेषकों क े विचारों को अपने अध्ययन में कहां -कहां सम्मिलित किया है तथा किन क्षेत्रों से कब और क ै से प्राथमिक तथ्यों को एकत्रित किया है। साक्षात्कार प्रश्नावली अनुसूची एवं अवलोकन क े माध्यम से एकत्रित तथ्यों क े विषय में जब वह उल्लेख करता है कि उसने कब कहां और किससे साक्षात्कार लिया, कहां का अवलोकन किया और किन लोगों से प्रश्नावली भरवाई, तो इससे स्वयं ही उसक े इमानदारी युक्त कार्य का प्रमाण मिल जाता है। ● शोधकर्ताओं एवं लेखकों क े कार्य को सम्मान देने हेतु-
  • 3. जब एक शोधार्थी संदर्भ सूची का निर्माण करता है तो उन पुस्तकों और लेखकों का उल्लेख करता है जिन्होंने संबंधित विषय पर पूर्व में कार्य किया है और जिन से प्राप्त सामग्री को शोधकर्ता ने अपना आधार बनाया है, तो इससे पूर्व क े शोधार्थियों क े कार्यों को मान्यता मिलती है और उन्हें सम्मान प्राप्त होता है। वर्तमान में शोध कार्य की गुणवत्ता का आकलन इस तथ्य से भी किया जाता है कि लेखक की कृ ति को कितना ज्यादा उद्धृत किया गया है। ● शोध कार्य की पुनः परीक्षा या सत्यापन हेतु- संदर्भ सूची क े निर्माण का एक उद्देश्य यह भी होता है कि उल्लिखित संदर्भों क े माध्यम से कोई अध्ययन करता संबंधित शोध की जांच कर सकता है। अर्थात वह देख सकता है कि जिन संदर्भों का उल्लेख किया गया है, उनमें वह तथ्य है या नहीं जिसका उल्लेख संबंधित शोधकर्ता क े द्वारा किया गया है और वास्तव में सामग्री वहीं से ली गई है, जहां का उल्लेख किया गया है। ● विद्यार्थियों में सुव्यवस्थित शोध की प्रवृत्ति क े विकास हेतु- उच्च शिक्षा में गंभीर शोध कार्यों की दिनों दिन बढ़ती कमी को देखते हुए भी यह आवश्यक हो जाता है कि विद्यार्थियों में शोध कार्य संपन्न करने की एक व्यवस्थित प्रणाली का विकास किया जाए। संदर्भ ग्रंथ सूची का निर्माण इसी व्यवस्थित प्रणाली का एक अंग है, जिसक े माध्यम से शोधार्थी व्यवस्थित अध्ययन करना और उसे प्रस्तुत करना सीखते हैं। इसका सुप्रभाव शोध की गुणवत्ता पर भी पड़ता है। ● शोधार्थियों की सुविधा हेतु- कई बार किसी विषय से संबंधित पुस्तकों एवं शोध पत्रों को किसी लेखक क े द्वारा संदर्भ सूची क्रम में संकलित किया जाता है या किसी प्रकाशक क े द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जिससे शोधकर्ता को शोध कार्य प्रारंभ करने से पूर्व विषय से संबंधित अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में सुविधा होती है. संदर्भ सूची निर्माण की विभिन्न शैलियाँ दुनिया भर क े शोधार्थियों क े मध्य संदर्भ सूची बनाने की अनेक शायरियां प्रचलित है, यद्यपि वर्तमान में जो संदर्भ सूचियां बनाई जाती है, उनमें से अधिकांशतः मिश्रित प्रकृ ति की होती है,
  • 4. जिनमें विभिन्न शैलियों का मिलाजुला रूप देखने को मिलता है। क ु छ प्रमुख शैलियां इस प्रकार है- 1. अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संघ की शैली [ APA STYLE ]- अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ द्वारा इस शैली का शुभारंभ 1909 में किया गया था इस शैली का प्रयोग मुख्यतः शिक्षा शास्त्र मनोविज्ञान एवं प्राकृ तिक विज्ञान में किया जाता है। इस शैली क े अंतर्गत विभिन्न स्रोतों का संदर्भ दिया जाता है जैसे- प्रकाशित पुस्तक ें , ऑनलाइन प्रकाशित पुस्तक ें , समाचार पत्र पत्रिकाएं, शोध पत्र, रेडियो एवं टीवी क े धारावाहिक[ लाइब्रेरी डेटाबेस से प्राप्त], फिल्म क े अंश [ वेबसाइट से प्राप्त] फोटोग्राफ[ उसको पत्र एवं वेबसाइट से प्राप्त] कलाकृ तियों[ लाइब्रेरी डेटाबेस से प्राप्त ] आदि। इस शैली में संदर्भ का क्रम इस प्रकार होता है- 1. लेखक का उपनाम [ सरनेम ] एवं नाम 2. रचना या कृ ति का नाम 3. प्रकाशन की तिथि या वर्ष 4. प्रत्यक्ष उद्धरण देने पर पृष्ठ संख्या 5. पुस्तक/ जर्नल/ पत्रिका/ वेबसाइट/ लाइब्रेरी डाटाबेस का नाम उदाहरण- शर्मा, एम..पी, ‘राजनीति तथा लोक प्रशासन’,1991, लोक प्रशासन; सिद्धांत एवं व्यवहार 2. आधुनिक भाषा संघ की शैली-[ M LA STYLE ] आधुनिक भाषा संघ द्वारा विकसित इस शैली का प्रयोग मानविकी विषयों में किया जाता है। इस शैली क े अंतर्गत संदर्भ का लेखन निमृत क्रम में किया जाता है। 1. लेखक का नाम 2. स्रोत का शीर्षक 3. जिस पुस्तक, पत्रिका, जर्नल में स्रोत का उल्लेख है, उसका शीर्षक 4. प्रकाशन का अंक 5. प्रकाशन का नाम 6. प्रकाशन वर्ष
  • 5. 7. प्रकाशन स्थान 8. पृष्ठ संख्या MLA शैली क े अनुसार बनाई जाने वाली संदर्भ सूची क े क ु छ उदाहरण निम्न वत है- ● पुस्तक संदर्भ- एफ. स्टीवेंस रेडबर्न एंड टेरी एफ . बुस ‘ एक्सपेंडिंग एंड डिपेनिग सिटीजन पार्टिसिपेशन; ए पॉलिसी एजेंडा’, मॉडर्नाइजिंग डेमोक्र े सी; इनोवेशंस इन सिटीजन पार्टिसिपेशन ‘[ संपादित ], प्रेंटिस हॉल ऑफ़ इंडिया, 2007, नई दिल्ली, पृष्ठ-29-4848 ● जर्नल का संदर्भ- डी. पी ..मिश्रा, ‘इमर्जिंग चैलेंजिस ऑफ़ ई - सिटीजनशिप; एन एजेंडा फॉर एक्शन’ इंडियन जर्नल ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, वॉल्यूम LV, अंक-1, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, नई दिल्ली, जनवरी - मार्च 2009, पृष्ठ 52-61 ● समाचार पत्र का संदर्भ- दिलीप क ु मार लाल, ‘पूर्वजों का इतिहास समेटने की अनूठी परंपरा’, नवभारत टाइम्स, 18 सितंबर 2017 एन. सी.आर.पृष्ठ- 8 ● वेबसाइट का संदर्भ- जे. एन . पोर्टर ,’एरिक वोगेलीन ;अ फिलॉस्फर्स जर्नी’, द यूनिवर्सिटी बुक मैन, वॉल्यूम 18, नंबर 4, 1978, डब्लू डब्लू डब्लू क्रिक सेंटर डॉट ओआरजी, 18 सितंबर 2017, 6:330 पीएम पर खोज की। ● अधिनियम का संदर्भ-
  • 6. नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, नगर नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, 1973, लखनऊ, पृष्ठ 1 ● विश्वकोश का संदर्भ- एडविन रॉबर्ट एंडरसन ,इनसाइक्लोपीडिया ऑफ सोशल साइंसेज,1967, मैकमिलन ● साक्षात्कार का संदर्भ- साक्षात्कार करता का नाम, साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति का नाम तथा पद, दिनांक, वर्ष, समय, स्थान . नोट- एमएलए शैली क े अंतर्गत चयनित संदर्भ सूची का निर्माण करते समय अंग्रेजी हिंदी वर्णमाला क े क्रमानुसार सूची तैयार की जाती है। उदाहरणार्थ- 1. एप्पलबी, पाल. एच. ; लैंडमार्क्स इन इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, 2007, नई दिल्ली 2. बीजू, एम. आर., गुड गवर्नेंस एंड एडमिनिस्ट्रेटिव प्रैक्टिसेज, मित्तल पब्लिक े शन, नई दिल्ली । 3. चौबे, प्रमोद क ु मार [ सं . ], विकास क े आयाम; प्रकार अंतर पक्ष एवं दृष्टियां, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, 2006 ,नई दिल्ली 4. गुप्ता, आर. जी. , शेल्टर फॉर पुअर इन द फोर्थ वर्ल्ड, शिप्रा पब्लिक े शन, 1995 शकरपुर, दिल्ली 3. शिकागो शैली-[ CHICAGO STYLE] शिकागो यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा 1906 में प्रारंभ की गई इस शैली का प्रयोग मुख्यतः इतिहास, वाणिज्य एवं फाइनेंस में किया जाता है। इस शैली मे संदर्भ का क्रम इस प्रकार दिया जाता है । 1. लेखक का नाम 2. दिनांक/ वर्ष 3. स्रोत का शीर्षक 4. प्रकाशन स्थान 5. प्रकाशन का नाम
  • 7. संदर्भ सूची की विशेषताएं- संदर्भ सूची निर्माण हेतु विकसित विभिन्न शैलियों क े आधार पर इस की क ु छ प्रमुख विशेषताएं स्पष्ट होती हैं जो इस प्रकार है- 1. संदर्भ सूची की विभिन्न शैलियों की विषय सामग्री या सामान्यतः एक जैसी होती है किं तु उनका लेखन क्रम भिन्न होता है। 2. संदर्भ सूची बनाते समय अर्ध विराम,पूर्ण विराम एवं इनवर्टेड कोमा का विशेष ध्यान रखा जाता है। 3. संदर्भ स्रोत को मोटे अक्षरों में लिखा जाता है। 4. लेखक का नाम इनवर्टेड कोमा में लिखा जाता है। ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधक- स्वचालन एवं सूचना प्रौद्योगिकी क े युग में शोधकर्ताओं की सहायता हेतु क ु छ ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधकों का भी अविष्कार किया गया है, जिनकी सहायता से एक शोधकर्ता संदर्भ सूची में निहित त्रुटियों को दूर कर सकता है। क ु छ प्रमुख ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधक इस प्रकार है- ● Easy Bin ● Zotero ● Noodle bib ● Bibme ● Citation Manager REFERENCES & SUGGESTED READING 1. http//www.merriam-webster.com 2. http//dictionary.cambridge.org>b… 3. JenniferBetts,TypesofBibliographyStyle, Http//www.bibliography.com 4. http//egyankosh.ac.in 5. http//www.template.net
  • 8. प्रश्न- निबंधात्मक- 1. संदर्भ सूची को परिभाषित करें एवं शोध कार्य में इसक े महत्व तथा उद्देश्य पर प्रकाश डालें. 2. सामाजिक विज्ञान एवं अन्य मानविकी विषयों में प्रयोग में लाई जाने वाली संदर्भ सूची निर्माण की प्रमुख शैलियों का उल्लेख कीजिए. 3. अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ एवं आधुनिक भाषा संघ की संदर्भ सूची निर्माण की शैलियों में अंतर बताइए. वस्तुनिष्ठ- 1. Noodle bib क्या है? [ a ] नूडल बनाने का तरीका [ b ] लेख लिखने का तरीका [ c ] ऑनलाइन संदर्भ प्रबंधक टूल [ d ] उपर्युक्त में से कोई नहीं. 2. साहित्यिक चोरी क े विषय में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है? [a ] संदर्भ सूची में बिना लेखक का नाम लिखे उसकी विषय सामग्री का अपने शोध कार्य में प्रयोग करना साहित्यिक चोरी है. [ b ] आजकल शोधार्थियों में साहित्यिक चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं. [ c ] शोधार्थियों में अकादमी सत्य निष्ठा को प्रोत्साहित करने हेतु व्यवस्थित संदर्भ सूची का निर्माण आवश्यक है. [ d ] उपर्युक्त सभी कथन सत्य है.
  • 9. 3. मानविकी विषयों में सामान्यतया संदर्भ लेखन हेतु किस शैली का प्रयोग किया जाता है? [a ] ए पी ए शैली [ b ] एमएलए शैली [ c ] शिकागो शैली [ d ] उपर्युक्त सभी 4. शिकागो शैली का प्रयोग मुख्यतः किन विषयों में संदर्भ लेखन हेतु किया जाता है? [ a ] प्राकृ तिक विज्ञान [ b ] सामाजिक विज्ञान [ c] वाणिज्य एवं फाइन आर्ट [ d ] उपर्युक्त सभी. उत्तर- 1. c 2. d 3. b 4. c