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​ संयु त रा य अमे रका का रा प त
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वारा - डॉ. ममता उपा याय
एसो सएट ोफे सर ,राजनी त व ान
कु . मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय ,बादलपुर ,
गौतमबु धनगर ,उ. .
उ दे य- तुत ई - कं टट से न नां कत उ दे य क ाि त संभा वत है-
● अ य ा मक लोकतं म कायपा लका क ि थ त का ान
● अमे रका के रा प त क संवैधा नक और यावहा रक शि तय का ान
● संसद य यव था एवं अ य ा मक यव था म कायपा लका क शि तय एवं पद
- हण क यव था के तुलना मक व लेषण क मता का वकास
● प रव तत होती रा य- अंतररा य प रि थ तय म अमे रक सं वधान के
वकास क जानकार के साथ ऐसे ि टकोण का वकास जो छा म वैि वक
नाग रकता के भाव का वकास कर सके और बदलती हुई प रि थ तय के साथ
सामंज य था पत करने क मता का वकास कर सके ।
अमे रका का रा प त दु नया का सवा धक शि तशाल जनतं ीय शासक है। य य प
अमे रका क अ य ा मक एवं संघा मक शासन णाल के अंतगत संवैधा नक यव था
के अनुसार वह संघीय सरकार क मु य कायपा लका है, कं तु वा त वकता यह है क
अमे रक शासन यव था का वकास एक शि तशाल क य सरकार के प म हुआ है
और शि त पृथ करण क यव था के बावजूद सव च यायालय ने सं वधान क
या या इस प म क है क रा प त दन दन शि तशाल बनता गया है। रा प त पद
को शि तशाल बनाने म रा य- अंतररा य संकट क प रि थ तय का सफलतापूवक
सामना करने म रा प त पदधार यि तय क नेतृ व कार भू मका भी मह वपूण रह
है। अमे रका को एक महाशि त का दजा दलाने म रा प त पदधा रय का मुख
योगदान रहा है । यह कारण है क अमे रक रा प त का नवाचन संपूण दु नया के लए
आकषण और उ सुकता का वषय रहता है। व तुतः अमे रक सं वधान नमाताओं ने
भी यह नह ं सोचा था क कसी दन अमे रक रा प त “ लोकतं म कसी भी यि त के
वारा
उपभोग ह जाने वाल अ धकतम शि त का योगकता”हो जाएगा। फथ ने अपनी
पु तक “ द अमे रकन स टम आफ गवनमट” म रा प त पद को “ अमे रक शासन क
सम त सं थाओं म सबसे अ धक नाटक य” कहा है। ोफ़े सर ला क ने भी उसके
वषय म लखा है क “संयु त रा य अमे रका का रा प त एक राजा से कम भी है और
अ धक भी, वह एक धानमं ी से कम भी है और अ धक भी। िजतनी सावधानी से उसके
पद का अ ययन कया जाएगा, उतना ह उसके पद क व श टता कट होती जाएगी।
अ धनायक और नरंकु श राजाओं को छोड़कर वह दु नया के मनु य म सवा धक
शि तसंप न है। वह एक साथ ह सं वधान वारा ा त सावज नक नी त का सू धार,
एक बड़े राजनी तक दल का नेता, अमे रक वदेश नी त का मुख श पी और संसार के
बीच अपने रा का व ता होता है”।
अमे रक सं वधान के अनु छेद 2 म रा प त पद का उ लेख
कया गया है और यह कहा गया है क ‘कायपा लका शि त संयु त रा य अमे रका के
रा प त म न हत होगी और वह अपने पद पर 4 वष तक कायरत रहेगा’।
रा प त पद के लए आव यक यो यताएँ -
​सं वधान के अनुसार अमे रका का रा प त और उपरा प त बनने के लए न नां कत
यो यताएं वां छत है-
1. अमे रका का ज मजात नाग रक होना
2. कम से कम 35 वष क आयु का होना
3. सब मलाकर 14 वष तक अमे रका का नवासी होना
परंपरा अनुसार क या रा य सरकार ने कसी लाभ के पद पर आसीन यि त
रा प त का चुनाव नह ं लड़ सकता और 50 वष से कम उ के यि तय को रा प त
पद के लए नामजद नह ं कया जाता। हालां क इसके अपवाद भी रहे ह। 40 वष से
कु छ ह बड़े के नेडी अमे रका के सबसे कम आयु के रा प त रहे ह। बल ि लंटन और
ओबामा भी 50 वष से कम आयु के थे।
नवाचन-
अमे रक रा प त कस व ध से अपना पद हण करेगा इस वषय म फलाडेि फया
स मेलन म कई वचार रखे गए। थम वचार यह था क अमे रक कां ेस रा प त का
चुनाव करेगी , कं तु इस वचार को शि त पृथ करण स धांत के व ध होने के कारण
खा रज कर दया गया। दूसरा वचार यह रखा गया क रा प त का चुनाव य प से
जनता के वारा हो, कं तु इस वचार का जन त न धय के बहुमत ने कड़ा वरोध कया।
अंत म यह नणय हुआ क रा प त का चुनाव अ य ढंग से जनता के वारा कया
जाए। थम तीन चुनाव सं वधान क इस योजना के अनु प हुए, क तु सन 1800 म
अमे रका म दो संग ठत राजनी तक दल का उदय हो जाने के बाद रा प त पद का चुनाव
यवहार मे य चुनाव हो गया है। सं वधान क यव था के अनुसार रा प त का
चुनाव एक नवाचक मंडल के वारा कया जाता है, िजसके सद य का चुनाव जनता
वारा कया जाता है। नवाचक मंडल म िजस राजनी तक दल के सद य को बहुमत
ा त होता है, वे अपने दल के रा प त पद के उ मीदवार को ह वोट देने के लए बा य
होते ह।रा प त का चुनाव येक ल प ईयर म होता है। यवहार म रा प त का
नवाचन एक लंबी या के अनुसार होता है, जो इस कार है-
● दल के रा य स मेलन म उ मीदवार का चयन-
चुनाव वष से पहले दसंबर और जनवर के मह ने म अमे रका के दोन मुख राजनी तक
दल- डेमो े टक पाट और रपि लकन पाट अपने पृथक -पृथक रा य स मेलन बुलाते
ह िजसम वे अपने रा प त पद के उ मीदवार का चयन करते ह। यह स मेलन
आमतौर पर जून और जुलाई के मह ने म होता है। रा य स मेलन म सव थम दल य
चुनाव घोषणा प तैयार कया जाता है, िजसे ‘ लेटफॉम’ कहा जाता
है । यह स मेलन मु य प से रा प त पद के उ मीदवार का चयन करने के लए होता
है, कं तु इसी स मेलन म दोन दल कां ेस के उ मीदवार ,गवनर , सीनेटर तथा अ य
अनेक रा य अ धका रय के चयन का काय करते ह । रा य स मेलन म रा य से आए
हुए दल के त न ध रा प त पद के उ मीदवार के नाम का ताव करते ह और कु छ
त न ध उनका समथन करते ह। आमतौर पर उपरा प त पद के लए नामांकन
रा प त पद के उ मीदवार के इ छा पर छोड़ दया जाता है य क 4 वष तक दोन को
साथ मलकर काय करना होता है। दल का रा य स मेलन अपने ढंग का अ वतीय
सं थान है, जहां भीड़- भाड़, साज - स जा और उ साह क गम देखी जा सकती है।
● चुनाव चार-
रा प त और उपरा प त पद के उ मीदवार का चयन हो जाने के बाद दोन ह दल
अपने या शय के प म जोरदार चार- सार करते ह । सामा यता चार का ारंभ म
जुलाई मह ने के अंत से होता है ,दल के चार बंधक होते ह । चुनाव म चार काय का
एक भावशाल तं होता है, येक दल नवाचक मंडल के लए अपने या शय क
सू चयां रखता है। रा प त और उपरा प त पद के उ मीदवार देशभर म टेल वजन
वारा सा रत अनेक भाषण भी देते ह। या शय के म य व भ न सावज नक मु द
पर वाद- ववाद भी होता है िजसका सावज नक सारण कया जाता है।
● नवाचक मंडल का चुनाव-
रा प त का चुनाव िजस नवाचक मंडल के वारा कया जाता है, उसके सद य क
सं या येक रा य से उतनी ह होती है िजतनी त न ध सभा और सीनेट के सद य
क होती है। नवंबर मह ने के थम मंगलवार को नवाचक मंडल के सद य का चुनाव
होता है िजसम येक रा य क जनता दल के या शय के प म मतदान करती है
मतदाता राजनी तक दल वारा का शत नवाचक सूची को मत देते ह न क कसी एक
उ मीदवार को। िजस राजनी तक दल क सूची को मतदाताओं के सवा धक मत ा त
होते ह, उससे यह अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है क भावी रा प त कस दल
का होगा। नवाचक मंडल म कु छ रा य के मतदाताओं का मत नणायक हो जाता है।
इन रा य म डेमो े टक पाट और रपि लकन पाट के मतदाताओं क सं या लगभग
बराबर है, चुनाव के अं तम समय म इन रा य के मतदाताओं का मन कस पाट क ओर
जाता है, इसका अनुमान लगाना मुि कल होता है, इस लए इ ह ि वंग टे स कहते ह।
2020 के रा प त चुनाव म रा प त पद के उ मीदवार - डोना ड ंप और जो वाइडेन
क नगाह इ ह ं ि वंग टे स पर टक है। ये रा य ह - लो रडा, प सलवे नया, ओहायो
, नॉथ कै रो लना, ए रजोना , व कं सन और लोवा ।
● नवाचक मंडल वारा रा प त का चुनाव-
नवाचन वष के दसंबर माह के दूसरे बुधवार के बाद पड़ने वाले थम सोमवार को
नवाचक मंडल के सभी सद य अपने-अपने रा य क राजधा नय म एक त होते ह और
रा प त तथा उपरा प त पद के लए मतदान करते ह। राजधानी वा शंगटन क जनता
को 1961 तक रा प त के चुनाव म कोई भागीदार ा त नह ं थी कं तु 23 वे संशोधन के
वारा वहां के मतदाताओं को भी तीन नवाचक के चुनाव का अ धकार मल गया है।
व भ न क पर डाले गए मतप सील बंद करके सीनेट के पास भेज दए जाते ह।
सीनेट 6 जनवर को कां ेस के दोन सदन के सम मत क गणना करती है और
प रणाम क घोषणा करती है। नवा चत होने के लए कसी याशी को नवाचक मंडल
के सद य का बहुमत ा त होना आव यक होता है। 1964 के चुनाव म लंडन जॉनसन
ने जो के नेडी क ह या के बाद रा प त बने थे, िजतने मत ा त कए , उतने बहुत कम
उ मीदवार ने ा त कए । य द चुनाव म कसी भी उ मीदवार को नवाचक मंडल के
सद य का बहुमत ा त नह ं होता तो सवा धक मत ा त करने वाले थम तीन
या शय के नाम त न ध सभा के सम तुत कए जाते ह और त न ध सभा म
से कसी एक को रा प त पद के लए चुनती है। इस या म येक रा य का एक मत
माना जाता है। इसी कार उपरा प त पद के लए अगर कसी उ मीदवार को नवाचक
मंडल का बहुमत ा त नह ं होता तो सवा धक मत ा त करने वाले थम 2 उ मीदवार
के नाम का ताव सीनेट के स मुख कया जाता है और सीनेट उनम से कसी एक को
उपरा प त पद के लए चुनती है। इस व ध से उपरा प त के चुनाव म येक सीनेटर
अपने मत का योग करता है, न क एक रा य का एक सीनेटर।
रा प त वारा पद हण- ​सं वधान के 21 वे संशोधन के अनुसार नव नवा चत
रा प त 20 जनवर को अपना पद हण करता है। नवंबर माह म चुनाव क या
ारंभ होने से लेकर 20 जनवर तक के समय म पछला रा प त ह अपने पद पर बना
रहता है। रा प त नव नवा चत रा प त के काय म क ठनाइयां उ प न कर सकता है,
1960 के बाद से यह परंपरा था पत हो गई है क सेवा से मु त होने वाला रा प त
नव नवा चत रा प त क सलाह से काय करता है ,चाहे नया रा प त वरोधी वचार का
ह य न हो।
रा प त के पद हण के साथ नवाचन क या समा त होती है। अमे रक रा प त
के नवाचन क ल ला जैसा क य ग ने लखा है, “ व व क लोक य सरकारो के गठन
म सवा धक मह वपूण है। आडंबर, उ सुकता, भाषण- कला, मतदाताओं क भागीदार ,
उ लास पूण वातावरण, ल खत चार तथा आ थक यय क ि ट से संसार का कोई
अ य नवाचन इसक समानता नह ं कर सकता।’’
● ​कायकाल एवं पद यु त -
रा प त का कायकाल या हो, इस वषय पर सं वधान सभा म लंबी बहस चल थी।
है म टन का मत था क रा प त को आजीवन अपने पद पर बने रहना चा हए जब क
अ य लोग उसे सदाचार पयत अपने पद पर बनाए रखने के समथक थे। फलाडेि फया
स मेलन के त न धय क बहुसं या उसे 2 से 12 वष तक पद पर बनाए रखना
चाहती थी। अंत म रा प त का कायकाल 4 वष नधा रत कया गया और पुन नमाण
पर कोई तबंध नह ं लगाया गया। रा प त जेफरसन ने तीसर बार चुनाव न लड़ने क
घोषणा करके इस परंपरा को था पत कर दया क रा प त दो कायकाल ह पूरा करेगा।
रा प त क लन डी जवे ट ने इस था को तोड़ने का यास कया, कं तु 1951 म
सं वधान के 22 वे संशोधन के वारा यह नि चत कर दया गया कोई रा प त के वल
एक बार पुनः नवा चत हो सकता है। सं वधान के
अनुसार रा प त को 4 वष क अव ध से पूव भी महा भयोग क या के वारा हटाया
जा सकता है उपरा प त को भी उसके पद से इसी या के मा यम से हटाया जा सकता
है। यह अ भयोग राज ोह, दुराचरण और गंभीर अपराध के आधार पर चला जा सकता
है।
● वेतन और उ मुि तयाँ -
रा प त के वेतन और भ े नधा रत करने का अ धकार कां ेस का है और रा प त
वेतन भ म कोई कटौती नह ं क जा सकती। रा प त के व ध महा भयोग के
अ त र त यायालय या वधान मंडल के वारा कोई अ भयोग नह ं चलाया जा सकता।
उसे तवाद या गवाह के प म कसी यायालय म उपि थत होने का आदेश नह ं दया
जा सकता। उसके व ध न तो यायालय क मानहा न का दावा कया जा सकता है और
न ह अपराध का मुकदमा चलाया जा सकता है। वह व ध से ऊपर है और मा करने क
शि त उसे ा त है । 1973 म जब रा प त न सन के व ध वॉटरगेट कांड के संदभ
म यायाधीश सीर का ने उनके नाम गवाह के लए उपि थत होने का आदेश[ सब पोना ]
जार कया था, तो रा प त न सन ने इसी उ मुि त का हवाला देते हुए इसे अ वीकार
कर दया था। कं तु रा प त को ा त इस उ मुि त क भी एक सीमा है। वॉटरगेट कांड
क जांच के लए जब हाइट हाउस के टेप और संबं धत द तावेज ा त करना आव यक
हो गया तो सव च यायालय ने आदेश दया क यह साम यां महा धव ता को स प द
जाए तो रा प त न सन इस आदेश क अवहेलना नह ं कर सके ।
● उ रा धकार-
रा प त पद धारक क मृ यु यागप या महा भयोग क या के कारण य द रा प त
का पद र त होता है तो अमे रका का सं वधान या यव था करता है क उपरा प त शेष
अव ध के लए रा प त के दा य व का नवहन करेगा। उ लेखनीय है क भारत म
उपरा प त यह काय कायवाहक रा प त के प म करता है, जब क
अमे रका म उपरा प त एक पूणका लक रा प त के प म काय करता है। सं वधान
यह भी कहता है क य द रा प त अ थाई प म भी अपने दा य व का नवहन करने म
असमथ है तो ऐसी ि थ त म उपरा प त उसके दा य व का नवाहन करेगा कं तु आज
तक कसी भी रा प त ने उपरा प त को अपने थान पर अ थाई प से काय करने क
अनुम त नह ं द है। 1919 से 1921 तक व सन लगभग मृ यु शै या पर पड़े रहकर भी
रा प त बने रहे थे। य द कसी कारण से उपरा प त का पद भी र त हो जाता है तो
ऐसी ि थ त म कोई उपचार सं वधान म नह ं सुझाया गया था, कं तु सं वधान के 25 व
संशोधन[1967] के अनुसार उपरा प त का पद र त होने पर रा प त अ य कसी को
उपरा प त पद पर नयु त कर देते ह और कां ेस के दोन सदन के बहुमत वारा उसे
वीकार कर लए जाने पर वह अपना कायभार संभाल लेता है। 1973 म एग यू के
यागप देने पर रा प त न सन ने फोड को उपरा प त नयु त कया था।
रा प त क शि तयां और उसके काय
अमे रक सं वधान के अनु छेद 2 के अनुसार सम त शास नक शि तयां रा प त म
न हत क गई है, कं तु सं वधान क यव था रा प त पद धार क वतमान ग रमा के
सम नग य है।वा तव म अमे रक सं वधान नमाता तो वतं ता एवं सुर ा म
सम वय था पत करना चाहते थेऔर इसी लए उनक इ छा थी क रा प त नयं ण
और संतुलन क यव था के अंतगत काय कर। कं तु कई बार सं वधान का वकास
सं वधान नमाताओं क इ छा के अनु प नह ं होता। अमे रक रा प त क उ रो र
बड़ी हुई शि तयां इस बात का माण है। ला क ने रा प त क शि तय का आकलन
करते हुए लखा है क “रा प त के काय क सं या अप र मत है। वह रा य का
सामा य मुख है। वह वधानमंडल य परामश का यापक ोत है। वह
शास नक नणय म अं तम साधन है। वह रा क वदेश नी त क अ धकृ त या या
करने वाला होता है ।”
शि तय के ोत-
1. सं वधान एवं कानून -
रा प त क शि तय का ारं भक ोत सं वधान म व णत यव थाएं ह िजनम न तो
कां ेस कमी कर सकती है और न ह उ ह छ न सकती है, अ पतु समय-समय पर
अ ध नयम बना कर कां ेस ने रा प त क शि तय मे वृ ध ह क है। जैसे - जब
अमे रक वदेश नी त तट थता के स धांत पर आधा रत थी, तब भी कां ेस ने कानून
बनाकर वतीय व व यु ध के समय जमन वरोधी म रा य को अ श क
सहायता देने के संबंध म रा प त को वशेषा धकार दान कया था। 1921 के बजट
और लेखा अ ध नयम के अंतगत रा प त को बजट तैयार करने और कां ेस के
सम तुत करने के लए उ रदाई माना गया है।
2. या यक नणय-
अमे रक सं वधान एक सं त सं वधान है िजसके कारण कई बार अ प टता क
ि थ त उ प न होती है। ऐसे म सव च यायालय अपने नणय के मा यम से सं वधान
को प टता दान करता है । यायपा लका ने सं वधान क या या इस प म क है,
िजसके कारण रा प त पद क शि तय म वृ ध हुई है। सव च यायालय ने इस
संबंध म न हत शि तय का स धांत तपा दत कया है, िजसके अनुसार सं वधान
वारा द रा प त क शि तय मे अनेकानेक शि तयां न हत है जो उसक मूल
शि तय के योग के लए आव यक है। जैसे सं वधान के अनुसार रा प त को मादान
का अ धकार ा त है, कं तु रा प त अपराधी के व ध मुकदमा चलाए जाने से
पहले मादान कर सकता है या मुकदमा चलाए जाने के बाद ह कर सकता है, इस वषय
मे संवैधा नक ि थ त प ट नह ं है । ऐसे म सव च यायालय ने यह नणय दया क
रा प तअ भयोग चलाए जाने से पूव भी मादान दे सकता है।रा प त मह वपूण पद
पर नयुि तयां सेनेट य श टाचार के अनुसार करता है, कं तु उन अ धका रय को
पद युत करने के वषय म सं वधान मौन है । इस ि थ त
म सीनेट ने इ छा जा हर क क रा प त पद यु त करते समय भी सीनेट से सलाह
ले, कं तु सव च यायालय ने अपने नणय म प ट कर दया के कसी अ धकार को
पद से हटाने के लए रा प त को सीनेट क अनुम त लेने क आव यकता नह ं है।
3. थाएं- रा प त क शि तय क वृ ध म थाओं का भी योगदान रहा है
था के अनुसार रा प त अपने दल का सव च नेता होता है अतः सभी मह वपूण वषय
पर अ नवाय प से उसक राय ल जानी चा हए। सीनेट के श टाचार का वकास भी
थागत प म हुआ है।
रा प त क शि तय क ववेचना न नां कत शीषक के अंतगत क जा
सकती है-
● कानून को याि वत करना और यव था क र ा करना -
रा प त कायपा लका का धान है, इस लए उसका ाथ मक कत य संवैधा नक और
कां ेस वारा न मत कानून को याि वत करना है। वह सं वधान क सुर ा क शपथ
लेता है, िजसम सं वधान पर आधा रत शासन क र ा क भावना भी न हत होती है।
कानून का पालन कराने म रा प त क सहायता महा धव ता के वारा क जाती है
कानून का समु चत प से पालन हो रहा है या नह ं यह सु नि चत करने के लए उसे
वशेषा धकार ा त है। इसके लए वह सेना के योग का अ धकार भी है । जैसे -1957
म रा प त आइजनहावर को संघीय यायालय के एक आदेश का पालन कराने के लए
रा प त को सै य टुक ड़य का योग करना पड़ा था। रा य म अशां त, आंत रक व ोह
और वदेशी आ मण से सुर ा एवं गणतं सरकार क र ा हेतु भी उसके वारा सै नक
ह त ेप कया जा सकता है। य द उसे ऐसा लगता है क कसी रा य म संघीय कानून का
पालन नह ं कया जा रहा है, रा य संप क सुर ा खतरे म है अथवा अंतरा य यापार
म बाधा पहुंच रह है, तो भी वह रा य क ओर से कसी आवेदन क ती ा कए बना
वहां सेना
भेज सकता है। सन 1894 म जब शकागो म पुलमैन हड़ताल ने डाक सेवा तथा अंतर
रा य यापार म कावट उ प न क थी तो रा प त ल वलड ने इ लनोइस रा य के
गवनर के वरोध के बावजूद सेना भेजी थी।
● मह वपूण पद पर नयुि तयां और पद से हटाने का अ धकार-
कानून को लागू करने और यव था को बनाए रखने के लए रा प त को व भ न
मह वपूण सावज नक पद पर नयुि तयां करने का अ धकार ा त है । वह मं मंडल के
सद य , व भ न प रषद , सावज नक कायालय , आयोग के सद य , सश सेनाओं के
अ धका रय , डाकपाल, सव च यायालय तथा अ य संघ यायालय के यायाधीश
,राजदूत , अटॉन जनरल और अ य अ धका रय क नयुि तयां करता है। यह
नयुि तयां दो कार क होती ह। थम उ च पद पर क जाने वाल नयुि तयां िज ह
करते समय रा प त संबं धत रा य के सीनेटर से सलाह करता है, िजसे ‘सीनेट य
श टाचार ‘कहते ह और दूसरे छोटे पद पर क जाने वाल नयुि तयां, िजन पर नयुि त
क व धयां कां ेस के वारा नि चत क जाती है।
सं वधान म मह वपूण पदा धका रय को हटाने क या द गई है, िजसे
महा भयोग क या के नाम से जाना जाता है। इस या के अनुसार कोई भी
सावज नक अ धकार देश ोह, घूसखोर या अ य अपराध के कारण कां ेस म
महा भयोग का आरोप बहुमत से वीकृ त होने पर अपना पद छोड़ देता है। कं तु कई
अ धकार ऐसे भी हो सकते ह िज ह ने उपयु त म से कोई अपराध न कया हो, क तु
अपने पद के दा य व का नवहन करने मे अ म हो । ऐसे अ धका रय को पद से हटाने
के वषय म सं वधान मौन है। ऐसे म यह था वक सत हुई क जो अ धकार इन पद पर
नयुि त करता है ,उसे ह पद से हटाने का अ धकार होना चा हए। बाद म यायालय ने
भी इस था पर मुहर लगा द । और इस कार रा प त को उन पदा धका रय को पद से
हटाने का अ धकार भी मल गया , िजन पर वह नयुि त करता है।
● वैदे शक संबंध का संचालन-
रा प त बैदे शक संबंध के संचालन हेतु वदेश नी तय का नधारण करता है।
कां ेस के सम उसके वा षक और वशेष संदेश उसे वदेश नी त बनाने एवं
अ भ य त करने का अवसर दान करते ह। वदेश नी त के अनेक मह वपूण
स धांत जैसे- मुनरो स धांत, मैन स धांत और आइजनहावर स धांत
रा प त ने अपने संदेश के मा यम से ह तुत कए थे।
● अ य रा से सं धयाँ और समझौते करता है। कं तु उसक शि त पर सीनेट
का तबंध है और वह इस प म क रा प त वारा क गई कोई भी सं ध तभी
मा य होती है जब सीनेट उसे दो तहाई बहुमत से वीकृ त दान कर देती है।
● वदेशी सरकार एवं रा य को मा यता दान करने क शि त रा प त के हाथ म
होती है। हालां क इस शि त के पीछे सं वधान क कोई वीकृ त नह ं है कं तु ऐसा
माना गया है क यह एक शास नक काय है, अतः यह नणय करने का अ धकार
रा प त को ह होता है क वह कसी नई सरकार को मा यता दे या ना दे। म य
पूव म इजरायल रा य को 1948 म रा प त ने मा यता दान क । सो वयत संघ
को 1917 म था पत होने के बावजूद अमे रका ने 1933 म जाकर मा यता दान
क और 1949 म ग ठत चीन क सा यवाद सरकार को उसने 1971 म मा यता
दान क । एक महाशि त के प म अमे रका वारा कसी रा को द गई
मा यता का वशेष मह व होता है और उसका असर पूर दु नया के अंतररा य
संबंध के संचालन पर पड़ता है। इस ि ट से अमे रक रा प त क शि त अ यंत
मह वपूण हो जाती है।
● वदेश म रहने वाले वासी अमे रक नाग रक को सुर ा दान करना भी
रा प त क िज मेदार है कसी अ य देश म रहता हुआ यह समु म या ा करता
हुआ कोई भी अमे रक नाग रक य द कसी दु यवहार का शकार होता है तो
रा प त से सुर ा क मांग कर सकता है और रा प त उन वदेशी
सरकार से सुर ा क मांग कर सकता है, जहां अमे रक नाग रक नवास करते ह।
● सै य शि तयां-
सं वधान म द गई यव था के अनुसार रा प त जल, थल और नभ तीन सेनाओं का
मु य सेना य है वह रा क सुर ा के लए उ रदाई है। सीनेट क सहम त से वह
सै य अ धका रय क नयुि तयां करता है और यु ध के दौरान उनम से कसी को भी
बना कसी क परामश के पद से हटा सकता है । य य प अमे रका म यु ध क घोषणा
करने का अ धकार कां ेस को दान कया गया है, क तु मु य सेना अ य क
है सयत से वह ऐसी प रि थ तयां पैदा कर सकता है िजनम कां ेस के पास यु ध क
घोषणा करने के अ त र त कोई वक प शेष न रहे। जैसे- वतीय व व यु ध म
अमे रका 1941 म शा मल हुआ, कं तु उससे बहुत पहले ह अमे रक नौसेना ने टेन के
र क क है सयत से धमक के तौर पर जमन और पनडुि बय पर हमले करने आरंभ कर
दए थे, अतः ववश होकर कां ेस को यु ध क घोषणा करनी पड़ी। 1991 म रा प त
बुश ने संयु त रा संघ से आदेश लेकर 26 रा क सेना एक त क और इराक के
व ध यु ध क घोषणा करके कु वैत को वतं कराया। मैन ने रा प त क इन
शि तय के संबंध म कहा था क “ आज के संदभ म जब क महा शि तय के लए सुलभ
ह थयार इतने वनाशकार ह क वजय एक सं द ध अथ वाला पद बनकर रह जाता है,
यह सोचना सरल है क ाथ मक प से सै य शि त ह वह आधार है, िजस पर कू टनी त
टक रह सकती है।’’
● शास नक सं थान का नर ण-
अमे रक रा प त मु य कायपा लका है और उसके काय म सहायता और सलाह देने के
लए अनेक शास नक सं थान क थापना क गई है। इन शास नक वभाग क
संरचना और शि तय के नणय का अ धकार कां ेस को था, हालां क कां ेस ने कानून
बनाकर व भ न वभाग क पुनरचना और शि त नधारण का अ धकार रा प त को
ह स प दया है। पूरे देश म कानून का या वयन चूं क रा प त क
िज मेदार है, इस लए यह अ धकार भी उसका ह है क वह देखे क व भ न शास नक
वभाग अपने दा य व का समु चत ढंग से पालन कर रहे ह या नह ं कर रहे ह। इस संबंध
म वह व भ न वभाग के काय म समायोजन करता है, उनके योग म लाई जाने वाल
नी तय का नधारण करता है और व भ न शास नक आदेश वारा संगठन का
व तार करता है।
● वधाई शि तयाँ -
अमे रका क अ य ा मक शासन यव था म शि त पृथ करण स धांत को अपनाते
हुए य य प शासन के तीन अंग को एक दूसरे से वतं बनाया गया है और इस ि ट से
रा प त को कायपा लका मुख होने के नाते मह वपूण शास नक अ धकार दए गए ह।
कानून नमाण काँ ेस के अ धकार े के अंतगत आता है, क तु नयं ण और संतुलन
क यव था के तहत रा प त को कु छ मह वपूण वधाई अ धकार भी स पे गए
ह,िजनके मा यम से वह कां ेस पर नयं ण था पत करने म स म हुआ है। उसके
मह वपूण वधाई अ धकार इस कार ह।
1. ​कां ेस को संदेश भेजना-
टेन, ांस और भारत क संसद य यव था के समान अमे रका का रा प त न
तो वधा यका का अंग होता है और न ह अपने काय के लए वह उसके त
उ रदाई होता है। संसद य यव था म धानमं ी और मं मंडल संसद से घ न ठ संबंध
के कारण कानून नमाण म भावी प म संसद का मागदशन करते ह, जब क अमे रक
रा प त कां ेस का अंग न होते हुए भी उसका मागदशन करता है। इस ि ट से सं वधान
के अनु छेद 2 के भाग 3 म रा प त को नदश दया गया है क वह अपने संदेश के
मा यम से कां ेस को देश क ि थ त का ान कराएं। व तुतः यह रा प त का
अ धकार न हो कर कत य है। व सन जैसे रा प त ने इसे अ धकार ह माना था य क
रा प त कां ेस को कब, या और कस ढंग से संदेश भेजगा यह उसक इ छा पर नभर
करता है। हालां क इस संबंध म यह था वक सत हुई है क त वष जनवर म कां ेस
के स - आरंभ के समय रा प त कां ेस को एक व तृत संदेश भेजेगा िजसे ‘ संघ क
दशा का संदेश’ कहा जाता है। यह संदेश वैसे
ह होता है जैसे भारत म रा प त के वारा संसद म उ घाटन भाषण दया जाता है। इस
संदेश म वे सभी ताव तथा वषय शा मल होते ह िजनक ओर वह कां ेस का यान
रा प त आकृ ट करना चाहता है। रा प त वॉ शंगटन और एड स कां ेस के दोन
सदन के संयु त अ धवेशन म संदेश देने के लए वयं उपि थत हुआ करते थे। रा प त
वशेष वषय पर वशेष संदेश भेजता है और आ थक ग त व धय को नयं त करने के
लए उसके वारा बजट संदेश भी भेजे जाते ह। कां ेस को भेजे गए इ ह ं संदेश के
मा यम से रा प त आंत रक और वदेश नी त के मौ लक स धांत को जनता तक
पहुंचा सकता है, य क यह संदेश सभी मुख समाचार प म का शत होते ह ।
रा प त के साथ कां ेस के संबंध मधुर नह ं है तो कां ेस इन संदेश पर कोई यान नह ं
देती, फर भी एक शि तशाल रा प त कां ेस को इस संदभ म दबा सकता है। दल के
नेता के प म वह अपने दल के संगठन तं का योग अपने सुझाव के लए समथन
जुटाने म कर सकता है । यह नह ं, रा प त को लगता है क कां ेस उसक बात पर
यान नह ं दे रह है तो वह सीधे जनता से अपील करके समथन मांगता है ।
● नषेधा धकार -
रा प त के पास कां ेस को नयं त करने का दूसरा मह वपूण अ नषेध अ धकार
का है। कां ेस वारा पा रत कोई भी वधेयक क़ानून का प तभी लेता है, जब रा प त
उस पर ह ता र कर देता है। रा प त ह ता र के लए तुत कए गए वधेयक पर दो
तरह के नषेध अ धकार का योग करता है-
1. वलंब कार नषेध अ धकार- रा प त को कसी वधेयक पर वचार के लए 10
दन का समय दया जाता है, इस बीच य द वह वधेयक को ह ता र के साथ नह ं
वापस करता है या उसे अ वीकृ त कर देता है,तो इसक सूचना कां ेस को देता है और य द
कां ेस अपने दो - तहाई बहुमत से उसे फर से पास कर देती है, वह वधेयक रा प त क
वीकृ त के बना ह कानून का प ले लेता है। कं तु दो - तहाई बहुमत का मलना
आसान नह ं होता, इस लए रा प त के इस वलंब कार नषेध अ धकार का यावहा रक
मह व है।
2. पॉके ट वीटो- कां ेस वारा पा रत कसी वधेयक पर य द रा प त 10 दन के अंदर
कोई जवाब नह ं देता, न ह उसे अ वीकृ त कए जाने का कोई कारण बताता है और इस
बीच कां ेस के अ धवेशन का समापन हो जाता है, तो वह वधेयक कानून बनने से रह
जाता है। इसे ‘पॉके ट वीटो’ कहते ह। कां ेस के स के अं तम दन म काम समा त
करने क ि ट से बहुत सारे वधेयक पा रत कए जाते ह, अतः पॉके ट वीटो का मह व बढ़
जाता है।
उ लेखनीय है क के वल तीन वषय ऐसे ह जो रा प त के नषेध अ धकार के
े के अंतगत नह ं आते ह। थम , संवैधा नक संशोधन पर रा प त के ह ता र क
कोई ज रत नह ं होती है। दूसरे , कां ेस के स क समाि त के न को रा प त के
नषेधा धकार से बाहर रखा गया है। इसके दोन सदन ह अपने स क समाि त का
नणय करते ह। तीसरे, कां ेस वारा पा रत संगामी ताव पर भी रा प त क वीकृ त
क आव यकता नह ं होती है , य क ऐसे ताव म कभी- कभी कां ेस के वल राय ह
कट करती है, इसके पीछे कानून जैसा बल नह ं होता। अब तक सबसे यादा बार नषेध
अ धकार का योग रा प त जवे ट के वारा कया गया है िज ह ने 371 बार नय मत
और 260 बार पॉके ट वीटो का योग कया, इसी कारण कई बार उ ह “ वीटो े सडट’ तक
कह दया जाता है।
● कायपा लका आदेश जार करने का अ धकार -
रा प त को शासन वषयक आदेश जार करने का अ धकार ा त है। सभी लोकतां क
देश क तरह अमे रका म भी द यव थापन का वकास हुआ है िजसके अंतगत
कां ेस कानून बनाते समय के वल नी त संबंधी नदश जार कर देती है और उस संबंध म
यापक नयम एवं उप नयम बनाने का काय वभाग को दे दया जाता है। यव था के
अंतगत रा प त शासन संबंधी कई आदेश जार करता है,िजनका कानून के समान ह
मह व होता है।
प ट है क रा प त व ध नमाण के े म भी शि तशाल हो गया है। एल.
एच.चे बलन ने अपनी पु तक ‘’ रा प त कां ेस और वधायन’’ मे वगत 50 वष के
कानून नमाण था ववरण देते हुए बताया है क “20 तशत कानून कायपा लका के
भाव से, 40% कां ेस के भाव से, तीस तशत कां ेस और कायपा लका
दोन के समान भाव से 10% गैर सरकार नजी हत के भाव से बने थे’’। उनके
अनुसार बीसवीं सद के अमे रक संवैधा नक इ तहास क एक मुख घटना व ध नमाण
के े म कायपा लका का एक शि त के प म उदय है।
● दल य नेता के प म रा प त क भू मका-
दल के नेता के प म रा प त क भू मका उसक संवैधा नक भू मका से बाहर का वषय
है । अमे रक सं वधान नमाता अपने देश म राजनी तक दल का वकास नह ं होने देना
चाहते थे, क तु उनक इ छा के वपर त अमे रका म राजनी तक दल का उदय हुआ
और आज ि थ त यह है क रा प त का नवाचन भी दल य आधार पर ह होता है ।
उ मीदवार के प म उसका चयन दल के वारा ह कया जाता है इस लए वह पूरे देश के
दल का त न ध होता है। दल के वारा चुनाव से पूव कए गए वाद को क पू त क
अपे ा उसी से क जाती है, दल तं का नेतृ व वह करता है, दल के घोषणाप म
सि म लत करने के लए योजनाओं का सुझाव वह देता है और दल क रा य नी त के
सभी मह वपूण न पर उसके सुझाव सबसे मह वपूण होते ह। दल के नेता के प म
अनेक नवा चत पद के उ मीदवार के चयन म उसका नणय सव प र होता है । दल के
धन के बंधन म भी वह काफ भाव डाल सकता है। मुनरो के अनुसार “वाइट हाउस
देश का सबसे बड़ा ‘उपदेश गृह’ है। सावज नक मह व के अनेक वषय पर नदश ा त
करने के लए अनेक लोग उसक ओर देखते ह।’
कं तु कोई भी रा प त पूर तरह से अपने दल पर ह नभर नह ं रह सकता। उसके काय
म उसे दूसरे दल के त न धय के समथन क भी आव यकता पड़ती है य क बना
सीनेट के दो - तहाई बहुमत के कोई भी सं ध वैध नह ं मानी जाती । रेड फोट ने संबंध म
लखा है ,’ “रा प त का दल के नेता के प म काय अ नवाय है
और उससे वह पलायन नह ं कर सकता, कं तु वह काय उन सीमाओं म कया जाना चा हए
िज ह तोड़ा भी जा सके य य प उनका कह ं प ट उ लेख नह ं है।’’
● या यक अ धकार-
रा प त को या यक े म भी मह वपूण अ धकार ा त है। सीनेट क सहम त से
वह संघीय यायालय के यायाधीश क नयुि त करता है , क तु वह उ ह पद युत नह ं
कर सकता। वह अपरा धय को मादान कर सकता उनक सजा को कम कर सकता है।
रा प त को सव मा अथात कई अपरा धय को एक साथ मादान देने का अ धकार
भी है जैसा क रा प त जॉनसन ने 1868 म उन सभी यि तय को मा कर दया था
जो गृह यु ध म द ण क ओर से लड़े थे। रा प त के मादान के अ धकार क कु छ
सीमाएं ह। जैसे- संघीय कानून का उ लंघन करने वाले अपरा धय को ह उसके वारा
मादान दया जा सकता है, रा य के कानून का उ लंघन करने वाले अपरा धय को
नह ं। साथ ह , महा भयोग वारा दं डत अपरा धय को वह मादान नह ं कर सकता ।
● रा का नेतृ व-
उपयु त काय और भू मकाओं के अ त र त अमे रक रा प त रा का सव च नेता
होता है। य य प उसका चुनाव एक दल के यि त के प म कया जाता है, ले कन
रा य कायपा लका के धान के प म उसे जो ि थ त ा त होती है, उसके कारण वह
दल य नेता से ऊपर उठकर रा का तीक बन जाता है। हालां क अमे रक सं वधान
नमाता शासन क शि तय का पृथ करण करना चाहते थे और इसी लए कु छ सीमा तक
उनके वारा वभािजत नेतृ व क यव था क गई थी । क तु अमे रक जनता सदैव से
एक ह स ा का नेतृ व ा त करने क इ छु क रह है और उसने कॉ ं ेस क अपे ा
रा प त म अपना व वास य त कया है । संपूण रा का
त न ध व उसके वारा ह कया जा सकता है और संकट काल न ि थ तय म लोग
उसी क तरफ बु धम ा पूण और भावी नेतृ व के लए देखते ह और उसे यह ि थ त
के वल रा य राजनी त ह नह ं , बि क अंतररा य राजनी त म भी ा त है। रा प त
व सन ने कहा था क “ सम त रा ने उसे रा प त नवा चत कया है। उसे यह
यान रखना है क अमे रक रा का अ य कोई राजनी तक व ता नह ं है। उसका
उ घोष ह रा य होता है। उसे एक बार देश का व वास तथा शंसा जीत लेने दो और
कोई अके ल शि त उसका सामना नह ं कर सकती, कई शि तय का संगठन भी उसे
सरलता से हरा नह ं सकता ।उसक ि थ त रा य हो जाती है। वह कसी एक नवाचन
े का त न ध न होकर सम त रा का त न ध होता है”।
रा प त क शि तय म वृ ध के कारण-
अमे रक रा प त का पद व तारशील शि तय का पद रहा है िजसने सभी संवैधा नक
सीमाओं को पार कर लया है । उसक शि तय म वृ ध के लए न नां कत कारण
उ रदाई रहे ह।
1. रा प त पद धार महान यि तय ने अपनी भावी यि त व से रा प त क
शि तय म वृ ध क है। जै सन, लंकन, जवे ट और के नेडी आ द के वारा
सं वधान क उदार या या को हण करते हुए दूरद शता और साहस के साथ रा य हत
म काय कया । वु ो व सन इस संबंध म उ चत ह लखा है क “ कानून तथा नी त
दोन ह ि टय से रा प त उतना ह महान बनने के लए वतं है िजतनी क उसम
सामथ है । उसक अपनी मता उसक महानता क सीमा है।”
2. सव च यायालय वारा क गई सं वधान क उदार या या ने भी उसको शि तशाल
बनाया है। जैसे अ धका रय क पद यु त के संबंध म सं वधान मौन है,ऐसे मे सं वधान
क या या करते समय सव च यायालय ने यह था पत कया िजन पदा धका रय क
नयुि त रा प त के वारा क जाती है, रा प त वारा ह उ ह पद से हटाया भी जा
सकता है।
3. रा प त पद के जातं करण ने भी उसक शि तय को बढ़ाया है। य य प
सै धां तक प से आज भी रा प त का नवाचन अ य ढंग से होता है, यवहार म
इसने य नवाचन का प धारण कर लया है। आज जनता का जैसा व वास उसे
ा त है ऐसा कसी भी अ धकार या सं था को ा त नह ं है। फोड के श द म,
‘’संवैधा नक ढांचे को तोड़कर रा प त पद को महान बनाना जनता का ह काम है।”
4. रा य संकट क प रि थ तय मे रा प त वारा जो मह वपूण भू मका नभाई गई,
उसने सहज म ह उसक शि तय को बढ़ा दया। लंकन के शासनकाल म गृह
यु ध, थम महायु ध, 1930 का आ थक संकट, वतीय व वयु ध , जैसी ि थ तय
म रा प त के वारा अपने सु ढ़ नेतृ व से अमे रका को संकट से उबारा गया। संकट
काल म उसके वारा जो शि तयां ा त कर ल गई, संकट समा त होने के बाद भी वह
जार रह और इस कार उसक शि तय म इजाफा होता रहा ।
References And Suggested Readings
● A.M. Peter,American Government Politics
● C. B. Gena,Tulanatmak Rajniti
● Shalini Badhva,Tulanatmak Shasan Aur Rajneeti
● U.S. Presidential Election In Final Stage, Focus Is On Swing
States,The Hindu, 2 November, 2020
● U.S.Elections2020,TheGuardian,1 November,2020
● zink,The Government And Politics In United States
न-
नबंधा मक-
1. अमे रका के रा प त क नवाचन या का मू यांकन क िजए.
2. ‘अमे रक रा प त दु नया का सवा धक शि तशाल जनतां क कायपालक है’,
ववेचना क िजए।
3.अमे रक रा प त क वधाई और कायकार शि तय क ववेचना क िजए। सीनेट
उ ह कै से नयं त करती है।
4.अमे रक रा प त के नवाचन, कायकाल, उ रा धकार एवं पद यु त के वषय म
संवैधा नक ावधान एवं च लत थाओं का उ लेख क िजए।
व तु न ठ न-
1. अमे रक सं वधान के ावधान के अनुसार रा प त का नवाचन
कसके वारा कया जाता है-
[अ ] अमे रक जनता वारा य प से [ब ] नवाचक मंडल के वारा
[स ] रा य क वधानसभाओं के वारा [द ] अमे रक कां ेस के सद य
के वारा
2. अमर क सं वधान का कौन सा अनु छेद रा प त क शि तय क
ववेचना करता है।
[ अ ] अनु छेद एक [ब ] अनु छेद दो [ स ] अनु छेद 3 [द ] अनु छेद5
3. रा प त का चुनाव करने वाले नवाचक मंडल के सद य का चुनाव
कस मह ने म होता है।
[ अ ] चुनाव वष के दसंबर माह म [ब ] नवंबर माह म [ स ] सतंबर
माह म [ द ] उपयु त म से कोई नह ं।
4. कसी कारण से रा प त का पद र त होने पर रा प त पद के दा य व
का नवहन कसके वारा कया जाता है।
[ अ ] त न ध सभा का अ य [ ब ] उपरा प त [ स ] सीनेट का
उपा य [ द ] रा प त पद के लए पुनः चुनाव कराया जाता है।
5. रा प त के व ध महा भयोग का आरोप कन आधार पर लगाया जा
सकता है।
[ अ ] देश ोह [ ब ] पद का दु पयोग [स ] सं वधान का उ लंघन [ द ]
उपयु त सभी।
6. सं वधान के कस संशोधन के वारा अमे रक रा प त 20 जनवर को
अपना पदभार हण करता है।
[ अ ] 20 वां संशोधन- 1933 [ ब ] 22 वा संशोधन -1951 [ स ] 12 वा
संशोधन [ द ] 23 वा संशोधन
7. न न ल खत म से कौन सा अ धकार रा प त को ा त नह ं है।
[ अ ] कां ेस को संदेश भेजने का अ धकार [ ब ] यु ध क घोषणा करने का
अ धकार [ स ]
8. रा प त क शि तय म वृ ध के लए कौन से कारण उ रदाई है।
[ अ ] सव च यायालय वारा क गई सं वधान क उदार या या
[ब ] रा प त पद धार यि तय का यि त व
[ स ] रा य संकट के समय रा प त क भावी भू मका
[ द ] उपयु त सभी
8. कां ेस वारा पा रत वधेयक को वीकृ त दान करने के संबंध म
रा प त को कौन सा अ धकार ा त है।
[ अ ] पुन वचार के लए भेजने का अ धकार [ब ] नषेध अ धकार
[ वीटो पावर] [ स ] संदेश भेजने का अ धकार [ द ] उपयु त म से कोई
नह ं।
9. रा य म संघीय अ धका रय क नयुि त करते समय रा प त कस
परंपरा का पालन करता है।
[ अ ] संवैधा नक परंपरा का [ ब ] सीनेट य श टाचार का [ स ] रा य
क परंपरा का [ द ] कसी परंपरा का पालन नह ं करता।
10. रा प त वारा नयु त संघीय पदा धका रय को उनके पद से हटाने
का अ धकार कसे है।
[ अ ] रा प त को [ ब ] सव च यायालय के यायाधीश को [ स ]
कां ेस को [ द ] संघीय पदा धका रय को उनके पद से हटाया नह ं जा
सकता ।
11. रा प त क शि तय म वृ ध के लए कौन से कारण उ रदाई है।
[ अ ] सव च यायालय वारा क गई सं वधान क उदार या या
[ब ] रा प त पद धार यि तय का यि त व
[ स ] रा य संकट के समय रा प त क भावी भू मका
[ द ] उपयु त सभी
उ र - 1.ब 2. ब 3. ब 4. ब 5. द 6. अ 7. द 8. ब 9. ब
10. अ 11. द
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  • 1. ​ संयु त रा य अमे रका का रा प त
  • 2. https://in.images.search.yahoo.com/search/image This content is exclusively meant for academic purposes for enhancing teaching and learning. Any other use for economic / commercial purposes is strictly prohibited. The users of the content shall not distribute, disseminate or share it with anyone else and its use is restricted to advancement of individual knowledge. The information provided in this e-content is authentic and best as per knowledge.) वारा - डॉ. ममता उपा याय एसो सएट ोफे सर ,राजनी त व ान कु . मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय ,बादलपुर , गौतमबु धनगर ,उ. .
  • 3. उ दे य- तुत ई - कं टट से न नां कत उ दे य क ाि त संभा वत है- ● अ य ा मक लोकतं म कायपा लका क ि थ त का ान ● अमे रका के रा प त क संवैधा नक और यावहा रक शि तय का ान ● संसद य यव था एवं अ य ा मक यव था म कायपा लका क शि तय एवं पद - हण क यव था के तुलना मक व लेषण क मता का वकास ● प रव तत होती रा य- अंतररा य प रि थ तय म अमे रक सं वधान के वकास क जानकार के साथ ऐसे ि टकोण का वकास जो छा म वैि वक नाग रकता के भाव का वकास कर सके और बदलती हुई प रि थ तय के साथ सामंज य था पत करने क मता का वकास कर सके । अमे रका का रा प त दु नया का सवा धक शि तशाल जनतं ीय शासक है। य य प अमे रका क अ य ा मक एवं संघा मक शासन णाल के अंतगत संवैधा नक यव था के अनुसार वह संघीय सरकार क मु य कायपा लका है, कं तु वा त वकता यह है क अमे रक शासन यव था का वकास एक शि तशाल क य सरकार के प म हुआ है और शि त पृथ करण क यव था के बावजूद सव च यायालय ने सं वधान क या या इस प म क है क रा प त दन दन शि तशाल बनता गया है। रा प त पद को शि तशाल बनाने म रा य- अंतररा य संकट क प रि थ तय का सफलतापूवक सामना करने म रा प त पदधार यि तय क नेतृ व कार भू मका भी मह वपूण रह है। अमे रका को एक महाशि त का दजा दलाने म रा प त पदधा रय का मुख योगदान रहा है । यह कारण है क अमे रक रा प त का नवाचन संपूण दु नया के लए आकषण और उ सुकता का वषय रहता है। व तुतः अमे रक सं वधान नमाताओं ने भी यह नह ं सोचा था क कसी दन अमे रक रा प त “ लोकतं म कसी भी यि त के वारा
  • 4. उपभोग ह जाने वाल अ धकतम शि त का योगकता”हो जाएगा। फथ ने अपनी पु तक “ द अमे रकन स टम आफ गवनमट” म रा प त पद को “ अमे रक शासन क सम त सं थाओं म सबसे अ धक नाटक य” कहा है। ोफ़े सर ला क ने भी उसके वषय म लखा है क “संयु त रा य अमे रका का रा प त एक राजा से कम भी है और अ धक भी, वह एक धानमं ी से कम भी है और अ धक भी। िजतनी सावधानी से उसके पद का अ ययन कया जाएगा, उतना ह उसके पद क व श टता कट होती जाएगी। अ धनायक और नरंकु श राजाओं को छोड़कर वह दु नया के मनु य म सवा धक शि तसंप न है। वह एक साथ ह सं वधान वारा ा त सावज नक नी त का सू धार, एक बड़े राजनी तक दल का नेता, अमे रक वदेश नी त का मुख श पी और संसार के बीच अपने रा का व ता होता है”। अमे रक सं वधान के अनु छेद 2 म रा प त पद का उ लेख कया गया है और यह कहा गया है क ‘कायपा लका शि त संयु त रा य अमे रका के रा प त म न हत होगी और वह अपने पद पर 4 वष तक कायरत रहेगा’। रा प त पद के लए आव यक यो यताएँ - ​सं वधान के अनुसार अमे रका का रा प त और उपरा प त बनने के लए न नां कत यो यताएं वां छत है- 1. अमे रका का ज मजात नाग रक होना 2. कम से कम 35 वष क आयु का होना 3. सब मलाकर 14 वष तक अमे रका का नवासी होना परंपरा अनुसार क या रा य सरकार ने कसी लाभ के पद पर आसीन यि त रा प त का चुनाव नह ं लड़ सकता और 50 वष से कम उ के यि तय को रा प त पद के लए नामजद नह ं कया जाता। हालां क इसके अपवाद भी रहे ह। 40 वष से
  • 5. कु छ ह बड़े के नेडी अमे रका के सबसे कम आयु के रा प त रहे ह। बल ि लंटन और ओबामा भी 50 वष से कम आयु के थे। नवाचन- अमे रक रा प त कस व ध से अपना पद हण करेगा इस वषय म फलाडेि फया स मेलन म कई वचार रखे गए। थम वचार यह था क अमे रक कां ेस रा प त का चुनाव करेगी , कं तु इस वचार को शि त पृथ करण स धांत के व ध होने के कारण खा रज कर दया गया। दूसरा वचार यह रखा गया क रा प त का चुनाव य प से जनता के वारा हो, कं तु इस वचार का जन त न धय के बहुमत ने कड़ा वरोध कया। अंत म यह नणय हुआ क रा प त का चुनाव अ य ढंग से जनता के वारा कया जाए। थम तीन चुनाव सं वधान क इस योजना के अनु प हुए, क तु सन 1800 म अमे रका म दो संग ठत राजनी तक दल का उदय हो जाने के बाद रा प त पद का चुनाव यवहार मे य चुनाव हो गया है। सं वधान क यव था के अनुसार रा प त का चुनाव एक नवाचक मंडल के वारा कया जाता है, िजसके सद य का चुनाव जनता वारा कया जाता है। नवाचक मंडल म िजस राजनी तक दल के सद य को बहुमत ा त होता है, वे अपने दल के रा प त पद के उ मीदवार को ह वोट देने के लए बा य होते ह।रा प त का चुनाव येक ल प ईयर म होता है। यवहार म रा प त का नवाचन एक लंबी या के अनुसार होता है, जो इस कार है- ● दल के रा य स मेलन म उ मीदवार का चयन- चुनाव वष से पहले दसंबर और जनवर के मह ने म अमे रका के दोन मुख राजनी तक दल- डेमो े टक पाट और रपि लकन पाट अपने पृथक -पृथक रा य स मेलन बुलाते ह िजसम वे अपने रा प त पद के उ मीदवार का चयन करते ह। यह स मेलन आमतौर पर जून और जुलाई के मह ने म होता है। रा य स मेलन म सव थम दल य चुनाव घोषणा प तैयार कया जाता है, िजसे ‘ लेटफॉम’ कहा जाता
  • 6. है । यह स मेलन मु य प से रा प त पद के उ मीदवार का चयन करने के लए होता है, कं तु इसी स मेलन म दोन दल कां ेस के उ मीदवार ,गवनर , सीनेटर तथा अ य अनेक रा य अ धका रय के चयन का काय करते ह । रा य स मेलन म रा य से आए हुए दल के त न ध रा प त पद के उ मीदवार के नाम का ताव करते ह और कु छ त न ध उनका समथन करते ह। आमतौर पर उपरा प त पद के लए नामांकन रा प त पद के उ मीदवार के इ छा पर छोड़ दया जाता है य क 4 वष तक दोन को साथ मलकर काय करना होता है। दल का रा य स मेलन अपने ढंग का अ वतीय सं थान है, जहां भीड़- भाड़, साज - स जा और उ साह क गम देखी जा सकती है। ● चुनाव चार- रा प त और उपरा प त पद के उ मीदवार का चयन हो जाने के बाद दोन ह दल अपने या शय के प म जोरदार चार- सार करते ह । सामा यता चार का ारंभ म जुलाई मह ने के अंत से होता है ,दल के चार बंधक होते ह । चुनाव म चार काय का एक भावशाल तं होता है, येक दल नवाचक मंडल के लए अपने या शय क सू चयां रखता है। रा प त और उपरा प त पद के उ मीदवार देशभर म टेल वजन वारा सा रत अनेक भाषण भी देते ह। या शय के म य व भ न सावज नक मु द पर वाद- ववाद भी होता है िजसका सावज नक सारण कया जाता है। ● नवाचक मंडल का चुनाव- रा प त का चुनाव िजस नवाचक मंडल के वारा कया जाता है, उसके सद य क सं या येक रा य से उतनी ह होती है िजतनी त न ध सभा और सीनेट के सद य क होती है। नवंबर मह ने के थम मंगलवार को नवाचक मंडल के सद य का चुनाव होता है िजसम येक रा य क जनता दल के या शय के प म मतदान करती है मतदाता राजनी तक दल वारा का शत नवाचक सूची को मत देते ह न क कसी एक उ मीदवार को। िजस राजनी तक दल क सूची को मतदाताओं के सवा धक मत ा त होते ह, उससे यह अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है क भावी रा प त कस दल का होगा। नवाचक मंडल म कु छ रा य के मतदाताओं का मत नणायक हो जाता है। इन रा य म डेमो े टक पाट और रपि लकन पाट के मतदाताओं क सं या लगभग बराबर है, चुनाव के अं तम समय म इन रा य के मतदाताओं का मन कस पाट क ओर
  • 7. जाता है, इसका अनुमान लगाना मुि कल होता है, इस लए इ ह ि वंग टे स कहते ह। 2020 के रा प त चुनाव म रा प त पद के उ मीदवार - डोना ड ंप और जो वाइडेन क नगाह इ ह ं ि वंग टे स पर टक है। ये रा य ह - लो रडा, प सलवे नया, ओहायो , नॉथ कै रो लना, ए रजोना , व कं सन और लोवा । ● नवाचक मंडल वारा रा प त का चुनाव- नवाचन वष के दसंबर माह के दूसरे बुधवार के बाद पड़ने वाले थम सोमवार को नवाचक मंडल के सभी सद य अपने-अपने रा य क राजधा नय म एक त होते ह और रा प त तथा उपरा प त पद के लए मतदान करते ह। राजधानी वा शंगटन क जनता को 1961 तक रा प त के चुनाव म कोई भागीदार ा त नह ं थी कं तु 23 वे संशोधन के वारा वहां के मतदाताओं को भी तीन नवाचक के चुनाव का अ धकार मल गया है। व भ न क पर डाले गए मतप सील बंद करके सीनेट के पास भेज दए जाते ह। सीनेट 6 जनवर को कां ेस के दोन सदन के सम मत क गणना करती है और प रणाम क घोषणा करती है। नवा चत होने के लए कसी याशी को नवाचक मंडल के सद य का बहुमत ा त होना आव यक होता है। 1964 के चुनाव म लंडन जॉनसन ने जो के नेडी क ह या के बाद रा प त बने थे, िजतने मत ा त कए , उतने बहुत कम उ मीदवार ने ा त कए । य द चुनाव म कसी भी उ मीदवार को नवाचक मंडल के सद य का बहुमत ा त नह ं होता तो सवा धक मत ा त करने वाले थम तीन या शय के नाम त न ध सभा के सम तुत कए जाते ह और त न ध सभा म से कसी एक को रा प त पद के लए चुनती है। इस या म येक रा य का एक मत माना जाता है। इसी कार उपरा प त पद के लए अगर कसी उ मीदवार को नवाचक मंडल का बहुमत ा त नह ं होता तो सवा धक मत ा त करने वाले थम 2 उ मीदवार के नाम का ताव सीनेट के स मुख कया जाता है और सीनेट उनम से कसी एक को उपरा प त पद के लए चुनती है। इस व ध से उपरा प त के चुनाव म येक सीनेटर अपने मत का योग करता है, न क एक रा य का एक सीनेटर। रा प त वारा पद हण- ​सं वधान के 21 वे संशोधन के अनुसार नव नवा चत रा प त 20 जनवर को अपना पद हण करता है। नवंबर माह म चुनाव क या ारंभ होने से लेकर 20 जनवर तक के समय म पछला रा प त ह अपने पद पर बना
  • 8. रहता है। रा प त नव नवा चत रा प त के काय म क ठनाइयां उ प न कर सकता है, 1960 के बाद से यह परंपरा था पत हो गई है क सेवा से मु त होने वाला रा प त नव नवा चत रा प त क सलाह से काय करता है ,चाहे नया रा प त वरोधी वचार का ह य न हो। रा प त के पद हण के साथ नवाचन क या समा त होती है। अमे रक रा प त के नवाचन क ल ला जैसा क य ग ने लखा है, “ व व क लोक य सरकारो के गठन म सवा धक मह वपूण है। आडंबर, उ सुकता, भाषण- कला, मतदाताओं क भागीदार , उ लास पूण वातावरण, ल खत चार तथा आ थक यय क ि ट से संसार का कोई अ य नवाचन इसक समानता नह ं कर सकता।’’ ● ​कायकाल एवं पद यु त - रा प त का कायकाल या हो, इस वषय पर सं वधान सभा म लंबी बहस चल थी। है म टन का मत था क रा प त को आजीवन अपने पद पर बने रहना चा हए जब क अ य लोग उसे सदाचार पयत अपने पद पर बनाए रखने के समथक थे। फलाडेि फया स मेलन के त न धय क बहुसं या उसे 2 से 12 वष तक पद पर बनाए रखना चाहती थी। अंत म रा प त का कायकाल 4 वष नधा रत कया गया और पुन नमाण पर कोई तबंध नह ं लगाया गया। रा प त जेफरसन ने तीसर बार चुनाव न लड़ने क घोषणा करके इस परंपरा को था पत कर दया क रा प त दो कायकाल ह पूरा करेगा। रा प त क लन डी जवे ट ने इस था को तोड़ने का यास कया, कं तु 1951 म सं वधान के 22 वे संशोधन के वारा यह नि चत कर दया गया कोई रा प त के वल एक बार पुनः नवा चत हो सकता है। सं वधान के अनुसार रा प त को 4 वष क अव ध से पूव भी महा भयोग क या के वारा हटाया जा सकता है उपरा प त को भी उसके पद से इसी या के मा यम से हटाया जा सकता है। यह अ भयोग राज ोह, दुराचरण और गंभीर अपराध के आधार पर चला जा सकता है।
  • 9. ● वेतन और उ मुि तयाँ - रा प त के वेतन और भ े नधा रत करने का अ धकार कां ेस का है और रा प त वेतन भ म कोई कटौती नह ं क जा सकती। रा प त के व ध महा भयोग के अ त र त यायालय या वधान मंडल के वारा कोई अ भयोग नह ं चलाया जा सकता। उसे तवाद या गवाह के प म कसी यायालय म उपि थत होने का आदेश नह ं दया जा सकता। उसके व ध न तो यायालय क मानहा न का दावा कया जा सकता है और न ह अपराध का मुकदमा चलाया जा सकता है। वह व ध से ऊपर है और मा करने क शि त उसे ा त है । 1973 म जब रा प त न सन के व ध वॉटरगेट कांड के संदभ म यायाधीश सीर का ने उनके नाम गवाह के लए उपि थत होने का आदेश[ सब पोना ] जार कया था, तो रा प त न सन ने इसी उ मुि त का हवाला देते हुए इसे अ वीकार कर दया था। कं तु रा प त को ा त इस उ मुि त क भी एक सीमा है। वॉटरगेट कांड क जांच के लए जब हाइट हाउस के टेप और संबं धत द तावेज ा त करना आव यक हो गया तो सव च यायालय ने आदेश दया क यह साम यां महा धव ता को स प द जाए तो रा प त न सन इस आदेश क अवहेलना नह ं कर सके । ● उ रा धकार- रा प त पद धारक क मृ यु यागप या महा भयोग क या के कारण य द रा प त का पद र त होता है तो अमे रका का सं वधान या यव था करता है क उपरा प त शेष अव ध के लए रा प त के दा य व का नवहन करेगा। उ लेखनीय है क भारत म उपरा प त यह काय कायवाहक रा प त के प म करता है, जब क अमे रका म उपरा प त एक पूणका लक रा प त के प म काय करता है। सं वधान यह भी कहता है क य द रा प त अ थाई प म भी अपने दा य व का नवहन करने म असमथ है तो ऐसी ि थ त म उपरा प त उसके दा य व का नवाहन करेगा कं तु आज तक कसी भी रा प त ने उपरा प त को अपने थान पर अ थाई प से काय करने क अनुम त नह ं द है। 1919 से 1921 तक व सन लगभग मृ यु शै या पर पड़े रहकर भी
  • 10. रा प त बने रहे थे। य द कसी कारण से उपरा प त का पद भी र त हो जाता है तो ऐसी ि थ त म कोई उपचार सं वधान म नह ं सुझाया गया था, कं तु सं वधान के 25 व संशोधन[1967] के अनुसार उपरा प त का पद र त होने पर रा प त अ य कसी को उपरा प त पद पर नयु त कर देते ह और कां ेस के दोन सदन के बहुमत वारा उसे वीकार कर लए जाने पर वह अपना कायभार संभाल लेता है। 1973 म एग यू के यागप देने पर रा प त न सन ने फोड को उपरा प त नयु त कया था। रा प त क शि तयां और उसके काय अमे रक सं वधान के अनु छेद 2 के अनुसार सम त शास नक शि तयां रा प त म न हत क गई है, कं तु सं वधान क यव था रा प त पद धार क वतमान ग रमा के सम नग य है।वा तव म अमे रक सं वधान नमाता तो वतं ता एवं सुर ा म सम वय था पत करना चाहते थेऔर इसी लए उनक इ छा थी क रा प त नयं ण और संतुलन क यव था के अंतगत काय कर। कं तु कई बार सं वधान का वकास सं वधान नमाताओं क इ छा के अनु प नह ं होता। अमे रक रा प त क उ रो र बड़ी हुई शि तयां इस बात का माण है। ला क ने रा प त क शि तय का आकलन करते हुए लखा है क “रा प त के काय क सं या अप र मत है। वह रा य का सामा य मुख है। वह वधानमंडल य परामश का यापक ोत है। वह शास नक नणय म अं तम साधन है। वह रा क वदेश नी त क अ धकृ त या या करने वाला होता है ।” शि तय के ोत- 1. सं वधान एवं कानून - रा प त क शि तय का ारं भक ोत सं वधान म व णत यव थाएं ह िजनम न तो कां ेस कमी कर सकती है और न ह उ ह छ न सकती है, अ पतु समय-समय पर
  • 11. अ ध नयम बना कर कां ेस ने रा प त क शि तय मे वृ ध ह क है। जैसे - जब अमे रक वदेश नी त तट थता के स धांत पर आधा रत थी, तब भी कां ेस ने कानून बनाकर वतीय व व यु ध के समय जमन वरोधी म रा य को अ श क सहायता देने के संबंध म रा प त को वशेषा धकार दान कया था। 1921 के बजट और लेखा अ ध नयम के अंतगत रा प त को बजट तैयार करने और कां ेस के सम तुत करने के लए उ रदाई माना गया है। 2. या यक नणय- अमे रक सं वधान एक सं त सं वधान है िजसके कारण कई बार अ प टता क ि थ त उ प न होती है। ऐसे म सव च यायालय अपने नणय के मा यम से सं वधान को प टता दान करता है । यायपा लका ने सं वधान क या या इस प म क है, िजसके कारण रा प त पद क शि तय म वृ ध हुई है। सव च यायालय ने इस संबंध म न हत शि तय का स धांत तपा दत कया है, िजसके अनुसार सं वधान वारा द रा प त क शि तय मे अनेकानेक शि तयां न हत है जो उसक मूल शि तय के योग के लए आव यक है। जैसे सं वधान के अनुसार रा प त को मादान का अ धकार ा त है, कं तु रा प त अपराधी के व ध मुकदमा चलाए जाने से पहले मादान कर सकता है या मुकदमा चलाए जाने के बाद ह कर सकता है, इस वषय मे संवैधा नक ि थ त प ट नह ं है । ऐसे म सव च यायालय ने यह नणय दया क रा प तअ भयोग चलाए जाने से पूव भी मादान दे सकता है।रा प त मह वपूण पद पर नयुि तयां सेनेट य श टाचार के अनुसार करता है, कं तु उन अ धका रय को पद युत करने के वषय म सं वधान मौन है । इस ि थ त म सीनेट ने इ छा जा हर क क रा प त पद यु त करते समय भी सीनेट से सलाह ले, कं तु सव च यायालय ने अपने नणय म प ट कर दया के कसी अ धकार को पद से हटाने के लए रा प त को सीनेट क अनुम त लेने क आव यकता नह ं है। 3. थाएं- रा प त क शि तय क वृ ध म थाओं का भी योगदान रहा है था के अनुसार रा प त अपने दल का सव च नेता होता है अतः सभी मह वपूण वषय
  • 12. पर अ नवाय प से उसक राय ल जानी चा हए। सीनेट के श टाचार का वकास भी थागत प म हुआ है। रा प त क शि तय क ववेचना न नां कत शीषक के अंतगत क जा सकती है- ● कानून को याि वत करना और यव था क र ा करना - रा प त कायपा लका का धान है, इस लए उसका ाथ मक कत य संवैधा नक और कां ेस वारा न मत कानून को याि वत करना है। वह सं वधान क सुर ा क शपथ लेता है, िजसम सं वधान पर आधा रत शासन क र ा क भावना भी न हत होती है। कानून का पालन कराने म रा प त क सहायता महा धव ता के वारा क जाती है कानून का समु चत प से पालन हो रहा है या नह ं यह सु नि चत करने के लए उसे वशेषा धकार ा त है। इसके लए वह सेना के योग का अ धकार भी है । जैसे -1957 म रा प त आइजनहावर को संघीय यायालय के एक आदेश का पालन कराने के लए रा प त को सै य टुक ड़य का योग करना पड़ा था। रा य म अशां त, आंत रक व ोह और वदेशी आ मण से सुर ा एवं गणतं सरकार क र ा हेतु भी उसके वारा सै नक ह त ेप कया जा सकता है। य द उसे ऐसा लगता है क कसी रा य म संघीय कानून का पालन नह ं कया जा रहा है, रा य संप क सुर ा खतरे म है अथवा अंतरा य यापार म बाधा पहुंच रह है, तो भी वह रा य क ओर से कसी आवेदन क ती ा कए बना वहां सेना भेज सकता है। सन 1894 म जब शकागो म पुलमैन हड़ताल ने डाक सेवा तथा अंतर रा य यापार म कावट उ प न क थी तो रा प त ल वलड ने इ लनोइस रा य के गवनर के वरोध के बावजूद सेना भेजी थी। ● मह वपूण पद पर नयुि तयां और पद से हटाने का अ धकार- कानून को लागू करने और यव था को बनाए रखने के लए रा प त को व भ न मह वपूण सावज नक पद पर नयुि तयां करने का अ धकार ा त है । वह मं मंडल के सद य , व भ न प रषद , सावज नक कायालय , आयोग के सद य , सश सेनाओं के
  • 13. अ धका रय , डाकपाल, सव च यायालय तथा अ य संघ यायालय के यायाधीश ,राजदूत , अटॉन जनरल और अ य अ धका रय क नयुि तयां करता है। यह नयुि तयां दो कार क होती ह। थम उ च पद पर क जाने वाल नयुि तयां िज ह करते समय रा प त संबं धत रा य के सीनेटर से सलाह करता है, िजसे ‘सीनेट य श टाचार ‘कहते ह और दूसरे छोटे पद पर क जाने वाल नयुि तयां, िजन पर नयुि त क व धयां कां ेस के वारा नि चत क जाती है। सं वधान म मह वपूण पदा धका रय को हटाने क या द गई है, िजसे महा भयोग क या के नाम से जाना जाता है। इस या के अनुसार कोई भी सावज नक अ धकार देश ोह, घूसखोर या अ य अपराध के कारण कां ेस म महा भयोग का आरोप बहुमत से वीकृ त होने पर अपना पद छोड़ देता है। कं तु कई अ धकार ऐसे भी हो सकते ह िज ह ने उपयु त म से कोई अपराध न कया हो, क तु अपने पद के दा य व का नवहन करने मे अ म हो । ऐसे अ धका रय को पद से हटाने के वषय म सं वधान मौन है। ऐसे म यह था वक सत हुई क जो अ धकार इन पद पर नयुि त करता है ,उसे ह पद से हटाने का अ धकार होना चा हए। बाद म यायालय ने भी इस था पर मुहर लगा द । और इस कार रा प त को उन पदा धका रय को पद से हटाने का अ धकार भी मल गया , िजन पर वह नयुि त करता है। ● वैदे शक संबंध का संचालन- रा प त बैदे शक संबंध के संचालन हेतु वदेश नी तय का नधारण करता है। कां ेस के सम उसके वा षक और वशेष संदेश उसे वदेश नी त बनाने एवं अ भ य त करने का अवसर दान करते ह। वदेश नी त के अनेक मह वपूण स धांत जैसे- मुनरो स धांत, मैन स धांत और आइजनहावर स धांत रा प त ने अपने संदेश के मा यम से ह तुत कए थे।
  • 14. ● अ य रा से सं धयाँ और समझौते करता है। कं तु उसक शि त पर सीनेट का तबंध है और वह इस प म क रा प त वारा क गई कोई भी सं ध तभी मा य होती है जब सीनेट उसे दो तहाई बहुमत से वीकृ त दान कर देती है। ● वदेशी सरकार एवं रा य को मा यता दान करने क शि त रा प त के हाथ म होती है। हालां क इस शि त के पीछे सं वधान क कोई वीकृ त नह ं है कं तु ऐसा माना गया है क यह एक शास नक काय है, अतः यह नणय करने का अ धकार रा प त को ह होता है क वह कसी नई सरकार को मा यता दे या ना दे। म य पूव म इजरायल रा य को 1948 म रा प त ने मा यता दान क । सो वयत संघ को 1917 म था पत होने के बावजूद अमे रका ने 1933 म जाकर मा यता दान क और 1949 म ग ठत चीन क सा यवाद सरकार को उसने 1971 म मा यता दान क । एक महाशि त के प म अमे रका वारा कसी रा को द गई मा यता का वशेष मह व होता है और उसका असर पूर दु नया के अंतररा य संबंध के संचालन पर पड़ता है। इस ि ट से अमे रक रा प त क शि त अ यंत मह वपूण हो जाती है। ● वदेश म रहने वाले वासी अमे रक नाग रक को सुर ा दान करना भी रा प त क िज मेदार है कसी अ य देश म रहता हुआ यह समु म या ा करता हुआ कोई भी अमे रक नाग रक य द कसी दु यवहार का शकार होता है तो रा प त से सुर ा क मांग कर सकता है और रा प त उन वदेशी सरकार से सुर ा क मांग कर सकता है, जहां अमे रक नाग रक नवास करते ह। ● सै य शि तयां- सं वधान म द गई यव था के अनुसार रा प त जल, थल और नभ तीन सेनाओं का मु य सेना य है वह रा क सुर ा के लए उ रदाई है। सीनेट क सहम त से वह सै य अ धका रय क नयुि तयां करता है और यु ध के दौरान उनम से कसी को भी बना कसी क परामश के पद से हटा सकता है । य य प अमे रका म यु ध क घोषणा करने का अ धकार कां ेस को दान कया गया है, क तु मु य सेना अ य क है सयत से वह ऐसी प रि थ तयां पैदा कर सकता है िजनम कां ेस के पास यु ध क
  • 15. घोषणा करने के अ त र त कोई वक प शेष न रहे। जैसे- वतीय व व यु ध म अमे रका 1941 म शा मल हुआ, कं तु उससे बहुत पहले ह अमे रक नौसेना ने टेन के र क क है सयत से धमक के तौर पर जमन और पनडुि बय पर हमले करने आरंभ कर दए थे, अतः ववश होकर कां ेस को यु ध क घोषणा करनी पड़ी। 1991 म रा प त बुश ने संयु त रा संघ से आदेश लेकर 26 रा क सेना एक त क और इराक के व ध यु ध क घोषणा करके कु वैत को वतं कराया। मैन ने रा प त क इन शि तय के संबंध म कहा था क “ आज के संदभ म जब क महा शि तय के लए सुलभ ह थयार इतने वनाशकार ह क वजय एक सं द ध अथ वाला पद बनकर रह जाता है, यह सोचना सरल है क ाथ मक प से सै य शि त ह वह आधार है, िजस पर कू टनी त टक रह सकती है।’’ ● शास नक सं थान का नर ण- अमे रक रा प त मु य कायपा लका है और उसके काय म सहायता और सलाह देने के लए अनेक शास नक सं थान क थापना क गई है। इन शास नक वभाग क संरचना और शि तय के नणय का अ धकार कां ेस को था, हालां क कां ेस ने कानून बनाकर व भ न वभाग क पुनरचना और शि त नधारण का अ धकार रा प त को ह स प दया है। पूरे देश म कानून का या वयन चूं क रा प त क िज मेदार है, इस लए यह अ धकार भी उसका ह है क वह देखे क व भ न शास नक वभाग अपने दा य व का समु चत ढंग से पालन कर रहे ह या नह ं कर रहे ह। इस संबंध म वह व भ न वभाग के काय म समायोजन करता है, उनके योग म लाई जाने वाल नी तय का नधारण करता है और व भ न शास नक आदेश वारा संगठन का व तार करता है। ● वधाई शि तयाँ - अमे रका क अ य ा मक शासन यव था म शि त पृथ करण स धांत को अपनाते हुए य य प शासन के तीन अंग को एक दूसरे से वतं बनाया गया है और इस ि ट से रा प त को कायपा लका मुख होने के नाते मह वपूण शास नक अ धकार दए गए ह।
  • 16. कानून नमाण काँ ेस के अ धकार े के अंतगत आता है, क तु नयं ण और संतुलन क यव था के तहत रा प त को कु छ मह वपूण वधाई अ धकार भी स पे गए ह,िजनके मा यम से वह कां ेस पर नयं ण था पत करने म स म हुआ है। उसके मह वपूण वधाई अ धकार इस कार ह। 1. ​कां ेस को संदेश भेजना- टेन, ांस और भारत क संसद य यव था के समान अमे रका का रा प त न तो वधा यका का अंग होता है और न ह अपने काय के लए वह उसके त उ रदाई होता है। संसद य यव था म धानमं ी और मं मंडल संसद से घ न ठ संबंध के कारण कानून नमाण म भावी प म संसद का मागदशन करते ह, जब क अमे रक रा प त कां ेस का अंग न होते हुए भी उसका मागदशन करता है। इस ि ट से सं वधान के अनु छेद 2 के भाग 3 म रा प त को नदश दया गया है क वह अपने संदेश के मा यम से कां ेस को देश क ि थ त का ान कराएं। व तुतः यह रा प त का अ धकार न हो कर कत य है। व सन जैसे रा प त ने इसे अ धकार ह माना था य क रा प त कां ेस को कब, या और कस ढंग से संदेश भेजगा यह उसक इ छा पर नभर करता है। हालां क इस संबंध म यह था वक सत हुई है क त वष जनवर म कां ेस के स - आरंभ के समय रा प त कां ेस को एक व तृत संदेश भेजेगा िजसे ‘ संघ क दशा का संदेश’ कहा जाता है। यह संदेश वैसे ह होता है जैसे भारत म रा प त के वारा संसद म उ घाटन भाषण दया जाता है। इस संदेश म वे सभी ताव तथा वषय शा मल होते ह िजनक ओर वह कां ेस का यान रा प त आकृ ट करना चाहता है। रा प त वॉ शंगटन और एड स कां ेस के दोन सदन के संयु त अ धवेशन म संदेश देने के लए वयं उपि थत हुआ करते थे। रा प त वशेष वषय पर वशेष संदेश भेजता है और आ थक ग त व धय को नयं त करने के लए उसके वारा बजट संदेश भी भेजे जाते ह। कां ेस को भेजे गए इ ह ं संदेश के मा यम से रा प त आंत रक और वदेश नी त के मौ लक स धांत को जनता तक पहुंचा सकता है, य क यह संदेश सभी मुख समाचार प म का शत होते ह । रा प त के साथ कां ेस के संबंध मधुर नह ं है तो कां ेस इन संदेश पर कोई यान नह ं
  • 17. देती, फर भी एक शि तशाल रा प त कां ेस को इस संदभ म दबा सकता है। दल के नेता के प म वह अपने दल के संगठन तं का योग अपने सुझाव के लए समथन जुटाने म कर सकता है । यह नह ं, रा प त को लगता है क कां ेस उसक बात पर यान नह ं दे रह है तो वह सीधे जनता से अपील करके समथन मांगता है । ● नषेधा धकार - रा प त के पास कां ेस को नयं त करने का दूसरा मह वपूण अ नषेध अ धकार का है। कां ेस वारा पा रत कोई भी वधेयक क़ानून का प तभी लेता है, जब रा प त उस पर ह ता र कर देता है। रा प त ह ता र के लए तुत कए गए वधेयक पर दो तरह के नषेध अ धकार का योग करता है- 1. वलंब कार नषेध अ धकार- रा प त को कसी वधेयक पर वचार के लए 10 दन का समय दया जाता है, इस बीच य द वह वधेयक को ह ता र के साथ नह ं वापस करता है या उसे अ वीकृ त कर देता है,तो इसक सूचना कां ेस को देता है और य द कां ेस अपने दो - तहाई बहुमत से उसे फर से पास कर देती है, वह वधेयक रा प त क वीकृ त के बना ह कानून का प ले लेता है। कं तु दो - तहाई बहुमत का मलना आसान नह ं होता, इस लए रा प त के इस वलंब कार नषेध अ धकार का यावहा रक मह व है। 2. पॉके ट वीटो- कां ेस वारा पा रत कसी वधेयक पर य द रा प त 10 दन के अंदर कोई जवाब नह ं देता, न ह उसे अ वीकृ त कए जाने का कोई कारण बताता है और इस बीच कां ेस के अ धवेशन का समापन हो जाता है, तो वह वधेयक कानून बनने से रह जाता है। इसे ‘पॉके ट वीटो’ कहते ह। कां ेस के स के अं तम दन म काम समा त करने क ि ट से बहुत सारे वधेयक पा रत कए जाते ह, अतः पॉके ट वीटो का मह व बढ़ जाता है। उ लेखनीय है क के वल तीन वषय ऐसे ह जो रा प त के नषेध अ धकार के े के अंतगत नह ं आते ह। थम , संवैधा नक संशोधन पर रा प त के ह ता र क कोई ज रत नह ं होती है। दूसरे , कां ेस के स क समाि त के न को रा प त के नषेधा धकार से बाहर रखा गया है। इसके दोन सदन ह अपने स क समाि त का
  • 18. नणय करते ह। तीसरे, कां ेस वारा पा रत संगामी ताव पर भी रा प त क वीकृ त क आव यकता नह ं होती है , य क ऐसे ताव म कभी- कभी कां ेस के वल राय ह कट करती है, इसके पीछे कानून जैसा बल नह ं होता। अब तक सबसे यादा बार नषेध अ धकार का योग रा प त जवे ट के वारा कया गया है िज ह ने 371 बार नय मत और 260 बार पॉके ट वीटो का योग कया, इसी कारण कई बार उ ह “ वीटो े सडट’ तक कह दया जाता है। ● कायपा लका आदेश जार करने का अ धकार - रा प त को शासन वषयक आदेश जार करने का अ धकार ा त है। सभी लोकतां क देश क तरह अमे रका म भी द यव थापन का वकास हुआ है िजसके अंतगत कां ेस कानून बनाते समय के वल नी त संबंधी नदश जार कर देती है और उस संबंध म यापक नयम एवं उप नयम बनाने का काय वभाग को दे दया जाता है। यव था के अंतगत रा प त शासन संबंधी कई आदेश जार करता है,िजनका कानून के समान ह मह व होता है। प ट है क रा प त व ध नमाण के े म भी शि तशाल हो गया है। एल. एच.चे बलन ने अपनी पु तक ‘’ रा प त कां ेस और वधायन’’ मे वगत 50 वष के कानून नमाण था ववरण देते हुए बताया है क “20 तशत कानून कायपा लका के भाव से, 40% कां ेस के भाव से, तीस तशत कां ेस और कायपा लका दोन के समान भाव से 10% गैर सरकार नजी हत के भाव से बने थे’’। उनके अनुसार बीसवीं सद के अमे रक संवैधा नक इ तहास क एक मुख घटना व ध नमाण के े म कायपा लका का एक शि त के प म उदय है। ● दल य नेता के प म रा प त क भू मका- दल के नेता के प म रा प त क भू मका उसक संवैधा नक भू मका से बाहर का वषय है । अमे रक सं वधान नमाता अपने देश म राजनी तक दल का वकास नह ं होने देना
  • 19. चाहते थे, क तु उनक इ छा के वपर त अमे रका म राजनी तक दल का उदय हुआ और आज ि थ त यह है क रा प त का नवाचन भी दल य आधार पर ह होता है । उ मीदवार के प म उसका चयन दल के वारा ह कया जाता है इस लए वह पूरे देश के दल का त न ध होता है। दल के वारा चुनाव से पूव कए गए वाद को क पू त क अपे ा उसी से क जाती है, दल तं का नेतृ व वह करता है, दल के घोषणाप म सि म लत करने के लए योजनाओं का सुझाव वह देता है और दल क रा य नी त के सभी मह वपूण न पर उसके सुझाव सबसे मह वपूण होते ह। दल के नेता के प म अनेक नवा चत पद के उ मीदवार के चयन म उसका नणय सव प र होता है । दल के धन के बंधन म भी वह काफ भाव डाल सकता है। मुनरो के अनुसार “वाइट हाउस देश का सबसे बड़ा ‘उपदेश गृह’ है। सावज नक मह व के अनेक वषय पर नदश ा त करने के लए अनेक लोग उसक ओर देखते ह।’ कं तु कोई भी रा प त पूर तरह से अपने दल पर ह नभर नह ं रह सकता। उसके काय म उसे दूसरे दल के त न धय के समथन क भी आव यकता पड़ती है य क बना सीनेट के दो - तहाई बहुमत के कोई भी सं ध वैध नह ं मानी जाती । रेड फोट ने संबंध म लखा है ,’ “रा प त का दल के नेता के प म काय अ नवाय है और उससे वह पलायन नह ं कर सकता, कं तु वह काय उन सीमाओं म कया जाना चा हए िज ह तोड़ा भी जा सके य य प उनका कह ं प ट उ लेख नह ं है।’’ ● या यक अ धकार- रा प त को या यक े म भी मह वपूण अ धकार ा त है। सीनेट क सहम त से वह संघीय यायालय के यायाधीश क नयुि त करता है , क तु वह उ ह पद युत नह ं कर सकता। वह अपरा धय को मादान कर सकता उनक सजा को कम कर सकता है। रा प त को सव मा अथात कई अपरा धय को एक साथ मादान देने का अ धकार भी है जैसा क रा प त जॉनसन ने 1868 म उन सभी यि तय को मा कर दया था जो गृह यु ध म द ण क ओर से लड़े थे। रा प त के मादान के अ धकार क कु छ सीमाएं ह। जैसे- संघीय कानून का उ लंघन करने वाले अपरा धय को ह उसके वारा
  • 20. मादान दया जा सकता है, रा य के कानून का उ लंघन करने वाले अपरा धय को नह ं। साथ ह , महा भयोग वारा दं डत अपरा धय को वह मादान नह ं कर सकता । ● रा का नेतृ व- उपयु त काय और भू मकाओं के अ त र त अमे रक रा प त रा का सव च नेता होता है। य य प उसका चुनाव एक दल के यि त के प म कया जाता है, ले कन रा य कायपा लका के धान के प म उसे जो ि थ त ा त होती है, उसके कारण वह दल य नेता से ऊपर उठकर रा का तीक बन जाता है। हालां क अमे रक सं वधान नमाता शासन क शि तय का पृथ करण करना चाहते थे और इसी लए कु छ सीमा तक उनके वारा वभािजत नेतृ व क यव था क गई थी । क तु अमे रक जनता सदैव से एक ह स ा का नेतृ व ा त करने क इ छु क रह है और उसने कॉ ं ेस क अपे ा रा प त म अपना व वास य त कया है । संपूण रा का त न ध व उसके वारा ह कया जा सकता है और संकट काल न ि थ तय म लोग उसी क तरफ बु धम ा पूण और भावी नेतृ व के लए देखते ह और उसे यह ि थ त के वल रा य राजनी त ह नह ं , बि क अंतररा य राजनी त म भी ा त है। रा प त व सन ने कहा था क “ सम त रा ने उसे रा प त नवा चत कया है। उसे यह यान रखना है क अमे रक रा का अ य कोई राजनी तक व ता नह ं है। उसका उ घोष ह रा य होता है। उसे एक बार देश का व वास तथा शंसा जीत लेने दो और कोई अके ल शि त उसका सामना नह ं कर सकती, कई शि तय का संगठन भी उसे सरलता से हरा नह ं सकता ।उसक ि थ त रा य हो जाती है। वह कसी एक नवाचन े का त न ध न होकर सम त रा का त न ध होता है”। रा प त क शि तय म वृ ध के कारण-
  • 21. अमे रक रा प त का पद व तारशील शि तय का पद रहा है िजसने सभी संवैधा नक सीमाओं को पार कर लया है । उसक शि तय म वृ ध के लए न नां कत कारण उ रदाई रहे ह। 1. रा प त पद धार महान यि तय ने अपनी भावी यि त व से रा प त क शि तय म वृ ध क है। जै सन, लंकन, जवे ट और के नेडी आ द के वारा सं वधान क उदार या या को हण करते हुए दूरद शता और साहस के साथ रा य हत म काय कया । वु ो व सन इस संबंध म उ चत ह लखा है क “ कानून तथा नी त दोन ह ि टय से रा प त उतना ह महान बनने के लए वतं है िजतनी क उसम सामथ है । उसक अपनी मता उसक महानता क सीमा है।” 2. सव च यायालय वारा क गई सं वधान क उदार या या ने भी उसको शि तशाल बनाया है। जैसे अ धका रय क पद यु त के संबंध म सं वधान मौन है,ऐसे मे सं वधान क या या करते समय सव च यायालय ने यह था पत कया िजन पदा धका रय क नयुि त रा प त के वारा क जाती है, रा प त वारा ह उ ह पद से हटाया भी जा सकता है। 3. रा प त पद के जातं करण ने भी उसक शि तय को बढ़ाया है। य य प सै धां तक प से आज भी रा प त का नवाचन अ य ढंग से होता है, यवहार म इसने य नवाचन का प धारण कर लया है। आज जनता का जैसा व वास उसे ा त है ऐसा कसी भी अ धकार या सं था को ा त नह ं है। फोड के श द म, ‘’संवैधा नक ढांचे को तोड़कर रा प त पद को महान बनाना जनता का ह काम है।” 4. रा य संकट क प रि थ तय मे रा प त वारा जो मह वपूण भू मका नभाई गई, उसने सहज म ह उसक शि तय को बढ़ा दया। लंकन के शासनकाल म गृह यु ध, थम महायु ध, 1930 का आ थक संकट, वतीय व वयु ध , जैसी ि थ तय म रा प त के वारा अपने सु ढ़ नेतृ व से अमे रका को संकट से उबारा गया। संकट काल म उसके वारा जो शि तयां ा त कर ल गई, संकट समा त होने के बाद भी वह जार रह और इस कार उसक शि तय म इजाफा होता रहा ।
  • 22. References And Suggested Readings ● A.M. Peter,American Government Politics ● C. B. Gena,Tulanatmak Rajniti ● Shalini Badhva,Tulanatmak Shasan Aur Rajneeti ● U.S. Presidential Election In Final Stage, Focus Is On Swing States,The Hindu, 2 November, 2020 ● U.S.Elections2020,TheGuardian,1 November,2020 ● zink,The Government And Politics In United States न- नबंधा मक- 1. अमे रका के रा प त क नवाचन या का मू यांकन क िजए. 2. ‘अमे रक रा प त दु नया का सवा धक शि तशाल जनतां क कायपालक है’, ववेचना क िजए। 3.अमे रक रा प त क वधाई और कायकार शि तय क ववेचना क िजए। सीनेट उ ह कै से नयं त करती है। 4.अमे रक रा प त के नवाचन, कायकाल, उ रा धकार एवं पद यु त के वषय म संवैधा नक ावधान एवं च लत थाओं का उ लेख क िजए। व तु न ठ न- 1. अमे रक सं वधान के ावधान के अनुसार रा प त का नवाचन कसके वारा कया जाता है-
  • 23. [अ ] अमे रक जनता वारा य प से [ब ] नवाचक मंडल के वारा [स ] रा य क वधानसभाओं के वारा [द ] अमे रक कां ेस के सद य के वारा 2. अमर क सं वधान का कौन सा अनु छेद रा प त क शि तय क ववेचना करता है। [ अ ] अनु छेद एक [ब ] अनु छेद दो [ स ] अनु छेद 3 [द ] अनु छेद5 3. रा प त का चुनाव करने वाले नवाचक मंडल के सद य का चुनाव कस मह ने म होता है। [ अ ] चुनाव वष के दसंबर माह म [ब ] नवंबर माह म [ स ] सतंबर माह म [ द ] उपयु त म से कोई नह ं। 4. कसी कारण से रा प त का पद र त होने पर रा प त पद के दा य व का नवहन कसके वारा कया जाता है। [ अ ] त न ध सभा का अ य [ ब ] उपरा प त [ स ] सीनेट का उपा य [ द ] रा प त पद के लए पुनः चुनाव कराया जाता है। 5. रा प त के व ध महा भयोग का आरोप कन आधार पर लगाया जा सकता है। [ अ ] देश ोह [ ब ] पद का दु पयोग [स ] सं वधान का उ लंघन [ द ] उपयु त सभी। 6. सं वधान के कस संशोधन के वारा अमे रक रा प त 20 जनवर को अपना पदभार हण करता है। [ अ ] 20 वां संशोधन- 1933 [ ब ] 22 वा संशोधन -1951 [ स ] 12 वा संशोधन [ द ] 23 वा संशोधन 7. न न ल खत म से कौन सा अ धकार रा प त को ा त नह ं है। [ अ ] कां ेस को संदेश भेजने का अ धकार [ ब ] यु ध क घोषणा करने का अ धकार [ स ] 8. रा प त क शि तय म वृ ध के लए कौन से कारण उ रदाई है। [ अ ] सव च यायालय वारा क गई सं वधान क उदार या या
  • 24. [ब ] रा प त पद धार यि तय का यि त व [ स ] रा य संकट के समय रा प त क भावी भू मका [ द ] उपयु त सभी 8. कां ेस वारा पा रत वधेयक को वीकृ त दान करने के संबंध म रा प त को कौन सा अ धकार ा त है। [ अ ] पुन वचार के लए भेजने का अ धकार [ब ] नषेध अ धकार [ वीटो पावर] [ स ] संदेश भेजने का अ धकार [ द ] उपयु त म से कोई नह ं। 9. रा य म संघीय अ धका रय क नयुि त करते समय रा प त कस परंपरा का पालन करता है। [ अ ] संवैधा नक परंपरा का [ ब ] सीनेट य श टाचार का [ स ] रा य क परंपरा का [ द ] कसी परंपरा का पालन नह ं करता। 10. रा प त वारा नयु त संघीय पदा धका रय को उनके पद से हटाने का अ धकार कसे है। [ अ ] रा प त को [ ब ] सव च यायालय के यायाधीश को [ स ] कां ेस को [ द ] संघीय पदा धका रय को उनके पद से हटाया नह ं जा सकता । 11. रा प त क शि तय म वृ ध के लए कौन से कारण उ रदाई है। [ अ ] सव च यायालय वारा क गई सं वधान क उदार या या [ब ] रा प त पद धार यि तय का यि त व [ स ] रा य संकट के समय रा प त क भावी भू मका [ द ] उपयु त सभी उ र - 1.ब 2. ब 3. ब 4. ब 5. द 6. अ 7. द 8. ब 9. ब 10. अ 11. द