Prarthana me daya ka mahatva - Brahmachari GirishRanjit K Sharma
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
Prarthana me daya ka mahatva - Brahmachari GirishRanjit K Sharma
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश.
चमचों की विभिन्न किस्में
बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के जीवनकाल में उनको केवल कांग्रेस और अनुसूचित जातियों के चमचों से ही निपटना पड़ा था। बाबासाहब के परिनिर्वाण के बाद अनेक नई-नई किस्मों के चमचों के उभर आने से स्थिति और खराब हो गई। उनके जाने के बाद, कांग्रेस के अलावा अन्य दलों को भी, केवल अनुसूचित जातियों से नहीं बल्कि अन्य समुदायों के बीच से भी, अपने चमचे बनाने की जरूरत महसूस हुई। इस तरह, भारी पैमाने पर चमचों की विभिन्न किस्में उभर कर सामने आईं।
(क) विभिन्न जातियों और समुदायों के चमचे
भारत की कुल जनसंख्या में लगभग 85% पीड़ित और शोषितलोग हैं, और उनका कोई नेता नहीं है। वास्तव में ऊंची जातियों के हिंदू उनमें नेतृत्वहीनता की स्थिति पैदा करने में सफल हुए हैं। यह स्थिति इन जातियों और समुदायों में चमचे बनाने की दृष्टि से अत्यंत सहायक है। विभिन्न जातियों और समुदायों के अनुसार चमचों की निम्नलिखित श्रेणियाँ गिनाई जा सकती हैं।
1.अनुसूचित जातियां-अनिच्छुक चमचे
बीसवीं शताब्दी के दौरान अनुसूचित जातियों का समूचा संघर्ष यह इंगित करता है कि वे उज्जवल युग में प्रवेश का प्रयास कर रहे थे किंतु गांधी जी और कांग्रेस ने उन्हें चमचा युग में धकेल दिया । वे उस दबाव में अभी भी कराह रहे हैं, वे वर्तमान स्थिति को स्वीकार नहीं कर पाए हैं और उस से निकल ही नहीं पा रहे हैं इसलिए उन्हें अनिच्छुक चमचे कहा जा सकता है।
2.अनुसूचित जनजातियां - नव दीक्षित चमचे
अनुसूचित जनजातियां भारत के संवैधानिक और आधुनिक विकास के दौरान संघर्ष के लिए नहीं जानी जातीं। 1940 के दशक में उन्हे भी अनुसूचित जातियों के साथ मान्यता और अधिकार मिलने लगे। भारत के संविधान के अनुसार 26 जनवरी 1950 के बाद उन्हें अनुसूचित जातियों के समान ही मान्यता और अधिकार मिले। यह सब उन्हें अनुसूचित जातियों के संघर्ष के परिणाम स्वरूप मिला, जिसके चलते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मत उत्पीड़ित और शोषित भारतीयों के पक्ष में हो गया था।
आज तक उन्हें भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल में कभी प्रतिनिधित्व नहीं मिलता। फिर भी उन्हें जो कुछ मिल पाता है, वे उसी से संतुष्ट दिखाई पड़ते हैं, इससे भी खराब बात यह है कि वह अभी भी किसी मुगालते में हैं कि उनका उत्पीड़क और शोषक ही उनका हितैषी है। इस तरह उन्हें नवदीक्षित चमचे कहा जा सकता है क्योंकि उन्हें सीधे - सीधे चमचा युग में दीक्षित किया गया है।
3.अन्य पिछड़ी जातियां - महत्वाकांक्षी चमचे
लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद अनुसूचित जातियों के साथ अनुसूचित जनजातियों को मान्यता और अधिकार मिले। इसके परिणाम स्वरूप उन लोगों ने अपनी सामर्थ्य और क्षमताओं से भी बहुत आगे निकल कर अपनी संभावनाओं को बेहतर कर लिया है। यह बेहतरी शिक्षा, सरकारी नौकरियों और राजनीति के क्षेत्रों में सबसे अधिक दिखाई देती है।
अनुसूचित जातियों और जनजातियों में इस तरह की बेहतरी ने अन्य पिछड़ी जातियों की महत्वाकांक्षाओं को जगा दिया है। अभी तक तो वे इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने में सफल नहीं हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने हर दरवाजे पर दस्तक दी उनके लिए कोई दरवाजा नहीं खुला। अभी जून 1982 में हरियाणा में हुए चुनाव में हमें उन्हें निकट से देखने का मौका मिला।
अन्य पिछड़ी जातियों के तथाकथित छोटे नेता टिकट के लिए हर एक दरवाजा रहे थे अंत में हमने देखा कि वे हरियाणा की 90 सीटों में से एक टिकट कांग्रेस(आई) से और एक टिकट लोक दल से ले पाये। आज हरियाणा विधानसभा में अन्य पिछड़ी जाति का केवल एक विधायक है।
Today, In India has moving Strengthen growth Period. So can be find here as a mobilized through entrepreneurship in india.. new word originated, Called "Dalit Capitalism"
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RESEARCH METHODOLOGY, BIBLIOGRAPHY STYLES,ONLINE BIBLIOGRAPHY MANAGER,PURPOSE OF MAKING A BIBLIOGRAPHY, ACADEMIC INTEGRITY,PLAGIARISM,CHICAGO STYLE,APA STYLE , MLA STYLE,AUTHENTICITY OF RESEARCH WORK,HONOUR TO RESEARCHERS AND WRITERS
SOCIAL JUSTICE, AFFIRMATIVE ACTION, RESERVATION,OBC,SC,ST, MANDAL COMMISSION, POONA PACT,73 CONSTITUTIONAL AMENDMENT, KAKA KALELKAR COMMISSION,GOVT. JOB,EDUCATIONAL INSTITUTION,PARLIAMENT, STATE LEGISLATURE,LOGIC RELATED TO RESERVATION POLICY, MINISTRY OF SOCIAL JUSTICE, SUPREME COURT ,CASTE SYSTEM, INDIAN CONSTITUTION
1. आर. एच . टॉनी क
े राजनी तक वचार
[1880-1962]
वारा- डॉ टर ममता उपा याय
एसो सएट ोफ
े सर, राजनी त व ान
क
ु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय, बादलपुर, गौतम बुध नगर
उ दे य-
● आर. एच . टॉनी क
े वचार क
े संदभ म पूंजीवाद औ यो गक समाज का व लेषण
● नै तक या इसाई समाजवाद क धारणा का ान
● मा सवाद समाजवाद एवं नै तक समाजवाद का तुलना मक व लेषण
● टोनी क
े वचार क
े संदभ म समाजवाद समाज क
े व प का व लेषण
● समसाम यक नव उदारवाद समाज क वृ य क
े संदभ म एक याय पूण
समाज व रा य यव था क
े वकास क
े न म चंतन को ो सा हत करना
आर. एच . टॉनी बीसवीं शता द क
े अं ेज आ थक इ तहासकार, समाज यव था क
े
आलोचक,मह वपूण श ा वद , नै तक समाजवाद दाश नक है ,िजनक
े वचार ने
समसाम यक राजनी तक सामािजक और शै क जीवन क
े इ तहास को न मत करने म
भावी भू मका नभाई है। टॉनी क इ तहास संबंधी रचनाएं मानव स यता क
े आ थक
इ तहास म उनक नै तक तब धता को दशाती ह। उनक च मै स वेबर वारा
तपा दत इस स धांत म भी थी क ‘’ ोटे टट धम ने पूंजीवाद क
े वकास म योगदान
दया है। ‘’ उनका यह व वास क 17 वीं शता द म इं लड म गृह यु ध को ज म देने म
आम जनता क अहम भू मका थी, 1940 -50 क
े दशक म इस वषय पर होने वाले वाद
ववाद को ो सा हत कया, िजसे ‘ टॉम ओवर द ज ’ क
े नाम से जाना जाता है। टोनी
एक स धांत कार होने क
े साथ-साथ एक भावी राजनी त भी थे। ए यन हेि टंगस ने
लखा है, ‘’ मह वपूण काशन क सूची क
े पीछे ऐसे यि त का मि त क संल न है
िजसने सरकार को, मजदूर आंदोलन को, चच को और श क समुदाय को एक ऐसे नए
2. समाज क थापना क दशा म अथक प से नद शत कया जो एक साथ ह पूणतः
जनतां क, समाजवाद और ईसाई धम क
े व वास क
े अनु प हो । बु धजी वय क
े
श द म कहा जाए तो यह संदेहा पद ह है क उनक
े समय क पीढ़ म उनक
े समान ऐसा
कोई यि त होगा िजसने टश समाज क
े वकास को इतनी मुखता क
े साथ भा वत
कया। ‘’ बत रश वेब ने उ हे ‘समाजवाद का संत’ कहा है ।
जीवन एवं यि त व-
30 नवंबर 1880 को टश भारत क
े कोलकाता शहर म ज मे टॉनी सं कृ त क
े व वान
चा स हेनर टॉनी क
े पु थे। र बी क
ू ल म श ा ा त करने क
े बाद टॉनी ने ऑ सफोड
क
े बै लयोल कॉलेज म आधु नक इ तहास का अ ययन कया। समाज सेवा क
े नै तक
मू य क
े त कॉलेज क तब धता ने उनक
े अंदर सामािजक उ रदा य व क भावना
का वकास कया । अपने म व लयम बेव रज क
े साथ टॉयनबी हॉल जो उस समय
‘वकस एजुक
े शनल एसो सएशन’ का कायालय था, मे नवास करते हुए उ ह ने अनुभव
कया क गर ब क
े लए सामािजक याय ा त करने हेतु दान से अिजत संप अपया त
है और इस दशा म मह वपूण संरचना मक प रवतन क आव यकता है। वकस
एजुक
े शनल एसो सएशन म यूटर क
े प म क
ु छ समय तक काय करने क
े बाद टॉनी ने
ला गो यू नव सट म अथशा क
े व ता क
े प म अंशका लक नयुि त ा त क ।
एसो सएशन क
े मा यम से टोनी को बुनकर , म ट क
े बतन का नमाण करने वाले
क
ु हार , खदान मजदूर और इंजी नयस क
े म य काय करने का अनुभव ा त हुआ और
राजनी त व ान एवं अथशा क सम याओं को समझने का अवसर मला, जो मा
कताब से नह ं समझी जा सकती थी।
टॉनी ईसाई धमावलंबी थे, कं तु इसाई धम क
े त अपनी आ था को उ ह ने
अपने नजी जीवन तक सी मत रखा। थम व व यु ध क
े समय उ ह ने सेना म अपनी
सेवा द कं तु अपने राजनी तक व वास क
े कारण पुनः वकस एजुक
े शनल एसो सएशन
म लौट आए । सामािजक याय क ाि त क
े लए उ ह ने अथ पूण सामािजक, आ थक व
राजनी तक प रवतन क त काल आव यकता अनुभव क । 1918 म उ ह ने
‘ ि चय नट एंड इंडि यल ॉ ल स’, फ थ रपोट क रचना क जो समाजवाद म
3. उनक च को दशाती है। यह रपोट यु ध र काल क
े समाजवाद चंतन का आधार
बनी। 1917 से 1931 तक ‘लंदन क
ू ल ऑफ़ इकोनॉ म स’ मे उ ह ने या याता क
े प
म काय कया और 1926 म ‘इकोना मक ह सोसाइट ’ क
े गठन म व लयम फ
ै सले क
े
साथ मलकर योगदान दया तथा इसक
े वारा का शत शोध प का ‘ द इकोनॉ मक
ह र यू’ क
े संयु त संपादक बने। अवकाश ाि त तक ‘लंदन क
ू ल ऑफ़
इकोनॉ म स’ म कायरत रहने क
े बाद 1949 म वे इसक
े एमे रटस ोफ
े सर बने।
ऑ सफोड, मैनचे टर, ब मघम, शेफ ड, लंदन, शकागो ,मेलबॉन और पे रस
व व व यालय ने उ ह डॉ टरेट क मानद उपा ध दान क ।
1906 मे टोनी ने ‘ फ
े बयन सोसाइट ’ क सद यता ा त क और 1921 से लेकर
1933 तक इसक
े कायकार सद य क
े प म चुने गए। 1918 म लेबर पाट मूवीका
सद य बनने क
े बाद तीन बार कॉम स सभा क
े चुनाव म उ मीदवार क
े प म खड़े हुए
,हालां क वे चुनाव जीत नह ं सक
े । उ योग और श ा से संबं धत कई सरकार सं थान
म उ ह ने भागीदार नभाई एवं मह वपूण सुझाव दए । 16 जनवर , 1962 को लंदन म
उनक मृ यु हुई।
रचनाएं -
1. ए े रयन ॉ लम इन द 16 सचुर [ 1912 ]
2. रल जन एंड द राइज ऑफ़ क
ै पट ल म [ 1926 ]
3. एि विज टव सोसायट [ 1920 ]
4. इ वा लट
5. सेकडर एजुक
े शन फॉर ऑल[ 1922]
6. लेबर एंड द नेशन [ 1928 ]
7. एजुक
े शन; द सोश ल ट पॉ लसी [ 1924 ]
8. लड एंड लेबर इन चाइना [ 1932 ]
9. रे डकल ेडीशन;12 एसेज ऑन पॉ ल ट स,
राजनी तक वचार
4. 1. सामािजक आलोचना-
अपनी दो मह वपूण पु तक ‘ एि विज टव सोसाइट ’ और ‘ इ वा लट ’ म टॉनी ने
त काल न पूंजीवाद समाज क भावी आलोचना तुत क है और उसक वाथ परक
यि तवाद वृ को घातक बताया है । सो क
े समान उ ह ने भी पूंजीवाद क
उपभो तावाद वृ त क
े कारण उसक आलोचना क और यह तपा दत कया क यह
वृ समाज म यि त को ट बनाती है ।टॉनी ने न नां कत आधार पर आधु नक
पूंजीवाद समाज क आलोचना क है -
● पूंजीवाद बना सामािजक दा य व क
े आ थक शि त को ो सा हत करता है । यह
यि त को अ धका धक संप अिजत करने क दौड़ मे इतना अ धक त पध
एवं आ म क त बना देता है क यि त यह भूल जाता है क वह एक सामािजक
ाणी है , उसक
े यि त व क
े नमाण मे समाज का भी योगदान है , प रणामतः
वह समाज क
े त अपने दा य व को नजरंदाज करने लगता है। पूंजीवाद
अथ यव था क इस कमी को दूर करते हुए आज क
े नाव उदारवाद समाज मे
उ योगप तय क
े सामािजक दा य व कानून बनाकर नि चत कये जा रहे ह ।
● टॉनी ने पूंजीवाद क
े इस ि टकोण क भी आलोचना क क यि तय क
े म य
यो यता संबंधी असमानता ाकृ तक और यायो चत है। इसक
े थान पर उ ह ने
तक दया क एक समतावाद समाज म यो यताओं क व भ नता को सामा य
हत क ाि त क ि ट से ो सा हत कया जाना चा हए। यो यताओं क
भ नता का लाभ पूरे समाज को मलना चा हए।
● पूंजीवाद यव था म नै तक ि ट से भी कमी दखाई देती है, य क यह
आ थक समृ ध क ाि त क
े लए यि त को यि त क
े शोषण का मा यम
बनाकर मानवीय संबंध को ट बनाती है। टोनी क
े श द म,’’ पूंजीवाद यव था
म धन एवं सफलता क ाि त एक दै य क
े प म है िजसक
े उपि थ त हमारे
दल और दमाग स हत सभी थान पर है, समाजवा दय को इन े म अपनी
पकड़ मजबूत बनानी है। ‘’
5. एक इसाई समाजवाद क
े प म टोनी ने तपा दत कया क पूंजीवाद यव था समाज
म धनी और नधन दोन वग म लालच क
े भाव को बढ़ाती है, िजसे पूरा करने क
े लए
दोन ह वग क
े लोग ट एवं अनै तक साधन का सहारा लेते ह। यापार वग क
े वारा
क जाने वाल मलावट खोर , जमाखोर , र वतखोर एवं नधन वग क
े वारा इनका
वरोध न कर आ थक समृ ध क
े नधा रत तर को ा त करने क
े लए उस म भागीदार
बन जाना इसक
े उदाहरण है। उ लेखनीय है क ईसाई धम क मा यताओं क
े अनुसार
लालच करना एक पाप है और पूंजीवाद समाज इस लालच को ो सा हत कर पाप को
ो सा हत करता है।
प ट है काल मा स और एंजे स म जहां पूंजीवाद क आलोचना उसक
े शोषणकार
व प और आ थक वषमता को ो सा हत करने क
े कारण क है, वह टोनी ने नै तक
आधार पर इसक आलोचना क है।
2. समाजवाद समाज क प रक पना-
पूंजीवाद समाज क
े आलोचक होने क
े साथ-साथ टॉनी एक समतापूण समाज क
थापना का ल य रखते ह। इ तहास कार िजयो े फ
ू टे ने टोनी क
े समाजवाद वचार म
प रवतन को इं गत कया है। उनक ि ट म 1921 म टोनी का झुकाव ेणी समाजवाद
क तरफ था, िजसक
े अंतगत औ यो गक मक क छोट -छोट े णयां बनाकर उन क
े
मा यम से उ योग पर मजदूर क
े नयं ण क थापना क बात कह गई, तो वह 1928
तक वे वैि वक समाजवाद क
े आलोचक बन गए और 1950 तक आते-आते एक संशोधन
वाद समाजवाद क
े प म दखाई देते ह। फ
ू टे यह भी मानते ह क टॉनी ने कसी वशेष
कार क राजनी तक ि थ त से बचते हुए एक सहज समाजवाद दशन तुत कया ।
ऑ सफ़ोड ड शनर ऑफ बायो ाफ क
े पूव संपादक गो डमैन क भी
मा यता है क टॉनी क
े समाजवाद वचार म 1919 क
े बाद एक मोड़ आया। इससे पूव
टॉनी लोग को ता कक आधार पर और रजामंद क
े आधार पर समाजवाद क तरफ
आक षत करने पर जोर देते थे। 1919 क
े बाद उनका जोर रा य नयं त समाजवाद पर
हो गया, िजसक
े अंतगत बल पूवक समाजवाद लाने का समथन कया गया। मु य जोर
उ योग क
े वा म व और साझेदार पर हो गया। गो डमैन इसे ‘दो टॉनी’ क
े प म देखते
6. ह और ाथ मक वचार वाले टॉनी को वा त वक टॉनी मानते ह, िजसका समाजवाद
नै तक और आ याि मक मा यताओं पर आधा रत था और िजसने अपने वचार क
े
अनुसार मक को श त कयाऔर इस बात पर जोर दया क मक और
उ योगप तय क
े आपसी सहयोग और सेवा क भावना क
े आधार पर ग ठत समुदाय का
वकास कर समाज का पुनगठन और सुधार कया जाना चा हए। टोनी क
े अनुसार
समाजवाद का संबंध मानवीय यवहार से है और इसी लए उ ह ने मा सवाद क
े आ थक
न चयवाद को अ वीकार कया। उनका तक था क आ थक वशेषा धकार इस लए नह ं
समा त कए जाने चा हए य क इससे संप क
े वकास म बाधा पहुंचती है, बि क इसे
समा त कया जाना चा हए क इससे समाज म धूतता को बढ़ावा मलता है। नजी
संप को बढ़ाने क चाह म यि त अनै तक साधन का योग करने लगता है, िजसका
अनुकरण नधन वग क
े लोग भी करने लगते ह और पूरे समाज म टाचार या त हो
जाता है। जी. ई. अलमर क
े अनुसार ,’’ टोनी म से पहले एक ईसाई, फर जातं वाद
और त प चात एक समाजवाद थे। ‘’ टॉनी क पु तक
े ‘एि विज टव सोसाइट ’ और ‘द
इ वा लट ’ उनक
े समाजवाद वचार म प रवतन क योतक ह । इन पु तक म उनका
मु य जोर समाज क
े अ भजन वग पर क
ु ठाराघात करने पर है, न क समाज क
े कमजोर
वग क
े उ थान पर। यह तक दया जाता है क बाद वाले टॉनी यादा यथाथवाद ह, कं तु
गो डमैन यह मानते ह क ‘’ युवा टॉ नी मौ लक वचारक ह और वे दल से समाजवाद
ह, न क दमाग से। ‘’ सं ेप म समाजवाद समाज क थापना क
े वषय म टोनी क
े
वचार का सार न नां कत बंदुओं म तुत कया जा सकता है-
● याय एवं समानता पर आधा रत समाज पूंजीवाद समाज क बुराइय से मु त
होगा। ऐसे समाज को ह आदश मानते हुए काय कया जाना चा हए।
● समाजवाद समाज मा स क
े समान आ थक समानता पर आधा रत समाज ह
नह ं होगा, बि क उ योगप तय और मक क
े आपसी सहयोग और स भावना
पर आधा रत होगा।
● समाजवाद समाज क थापना हंसक ां त क
े मा यम से नह ं बि क मक
सुधारो एवं शोषणकार प रि थ तय पर धीरे-धीरे नयं ण था पत करक
े क जा
सकती है।
7. ● मा सवाद वचारधारा क
े वपर त टोनी समाजवाद समाज म रा य क
अनुपि थ त क अपे ा नह ं करते, बि क रा य क
े नेतृ व म संप क
े सामू हक
वा म व क थापना पर जोर देते ह। वशेषकर अपने जीवन क
े उ राध काल म
टॉनी समाजवाद क थापना क
े लए इसी रणनी त पर जोर देते ह।
● ेणी समाज वा दय क तरह टोनी यह तपा दत करते ह क समाज म
औ यो गक े णय का वकास कया जाना चा हए, िजसम उ योगप तय क
े
साथ मक क भी भागीदार हो, ता क उ योग पर नयं ण कार शि त मक
को भी ा त हो सक
े । ऐसे नयं ण क
े मा यम से वे अ याय और शोषण क
ि थ तय से बचने म सफल ह गे।
● ले नन क समाजवाद धारणा िजसम दल क
े नेतृ व म ां त क
े मा यम से रा य
यव था पर मजदूर का एका धकार था पत कर रा य वारा समानता आरो पत
कए जाने क बात कह गई है, टोनी एक पता क
े थान पर समाज म
व भ नताओं को ो सा हत करने पर जोर देते ह, य क भ न- भ न ने
यो यताओं और गुण से ह समाज का वकास होता है, कं तु ऐसी व भ न ताओं
को ो सा हत करने का ल य अ धका धक लोक क याण क साधना होनी
चा हए। प ट है क टॉनी ने वतं ता और समानता क
े म य सामंज य था पत
करने का सुझाव दया है। वे न तो उदार वा दय क तरह पूणतः वतं ता क
े
समथक ह और न ह मा सवाद क
े समान पूण समानता क
े ।
● टॉनी का समाजवाद आ थक समाजवाद न होकर, नै तक समाजवाद है जो समाज
का पुनगठन ईसाई धम क
े नै तक मू य क
े आधार पर करना चाहता है।
3. श ा मे सुधार का समथन-
उ च श ा क
े वषय म टॉनी क
े वचार और उनक
े सुधारा मक उपाय क
े वषय म लोग
को अपे ाकृ त कम जानकार है, कं तु यह एक त य है क अपने जीवन क
े उ राध म
टॉनी ने वयं को श ा क
े े म सुधार क
े लए सम पत कया। वशेषकर मा य मक
श ा क
े े म सुधार पर टॉ नी वारा जोर दया गया। अनेक शै णक संगठन क
े
सद य क
े प म इनक
े वारा मह वपूण सुझाव श ा क
े े म सुधार क
े लए दए गए
8. । वकस एसो सएशन म श ा दान करते समय टॉनी ने यह अनुभव कया क टेन मे
मा य मक श ा का तर अ यंत खराब है, अतः थम महायु ध क
े बाद उ ह ने अपना
पूरा समय श ा क
े ढांचे को पूण बनाने म लगा दया । इं लड म च लत श ा क
े
तर य ढांचे [ ामर क
ू ल,टेि नकल सेकडर क
ू ल, सेकडर मॉडन क
ू ल] को
अ भजनवाद मानते हुए टॉनी ने उसम न न ल खत सुधार क
े सुझाव दए।
1. मा य मक श ा सभी क
े लए अ नवाय बनाई जाए।
2. रा य वारा नशु क मा य मक श ा क यव था क जाए।
3. थानीय आव यकताओं और वशेषताओं को यान म रखते हुए क
ू ल क
े व प म
भ नता लाई जाए, कं तु यह भ नता समाज म वग वभाजन को ो सा हत करने
वाल नह ं होनी चा हए।
ारंभ म अ नवाय नशु क श ा क
े वचार को रा य क
े लए अ धक खच ला बताते हुए
अ वीकार कया गया, कं तु टेन म मजदूर दल क
े वारा अपने एजडा म थान दया
गया और आगे चलकर शै णक नी तय का नधारण इन सुझाव क
े आधार पर कया
गया।
References and suggested Reading
1. Alasdair Macintyre,The Socialism of R. H. Tawney, The New
York Review,July 30,1964
2. biography,www.britannica.com
3. Ross Terrill,R. H.Tawneyand His Times,Harvard University
Press,1973
4. The Life OF R. H. Tawney;Socialism and History/ Reviews In
History dx.doi.org
9. न-
नबंधा मक-
1. आर.एच. टॉनी एक नै तक समाजवाद ह, ववेचना क िजए।
2. पूंजीवाद समाज क
े वषय म टोनी वारा तुत क गई आलोचना का मू यांकन
क िजए।
3. श ा यव था क
े संबंध म टोनी क
े वारा दए गए सुझाव क ववेचना क िजए।
व तु न ठ न-
1. टोनी क
े वारा पूंजीवाद समाज क आलोचना कस आधार पर क गई है।
[ अ ] आ थक [ ब ] सामािजक [ स ] नै तक [ द ] राजनी तक
2. टॉनी क
े वारा पूंजीवाद क
े वकास क
े लए कसे उ रदाई बताया गया।
[ अ ] ईसाई धम [ ब ] ोटे टट धम [ स ] औ यो गक ां त [ द ] उपयु त सभी को।
3. न न ल खत म से कस संगठन क
े साथ टोनी का घ न ठ संबंध रहा है।
[ अ ] वकस एजुक
े शन एसो सएशन [ ब ] फ
े बयन सोसायट [ स ] लेबर पाट [ द ]
उपयु त सभी से।
4. टोनी क
े समाजवाद वचार का प रचय कन पु तक से मलता है।
[ अ ] एि विज टव सोसायट [ ब ] इ वा लट [ स ] उपयु त दोन [ द ] उपयु त म से
कोई नह ं
5. टोनी को ‘समाजवाद का संत’ कसने कहा है।
[ अ ] बत रश वेब [ ब ] गो डमैन [ स ] अलमर [ द ] सडनी वेब
6. श ा यव था म सुधार हेतु मह वपूण सुझाव टोनी वारा या दया गया।
[ अ ] श ा क यव था रा य क
े वारा नशु क और अ नवाय प से क जाए।
[ब ] श ा क
े व प म व भ नता को ो सा हत कया जाए
[ स ] श ा समाजवाद समाज क
े मू य क
े अनु प हो।
[ द ] उपयु त सभी
7. टोनी समाजवाद समाज क थापना क
े लए कौन सा साधन अपनाने का सुझाव देते
ह।
10. [ अ ] ां तकार [ ब ] औ यो गक े णय क
े मा यम से मजदूर और उ योगप तय म
सहयोगी संबंध क थापना एवं उ योग पर मजदूर क
े नयं ण क
े मा यम से
[ स ] रा य क
े मा यम से आ थक समानता था पत करना
[द ] उपयु त सभी
उ र- 1. स 2. ब 3. स 4. स 5. अ 6. द 7. ब