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वैयक्तिक अध्ययन पद्धति
[ case study]
https://essaymojo.com/wp-content/uploads/2018/05/case-study-method.jpg
द्वारा- डॉक्टर ममता उपाध्याय
एसोसिएट प्रोफ
े सर, राजनीति विज्ञान
क
ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय
बादलपुर, गौतम बुध नगर, उत्तर प्रदेश
उद्देश्य-
● सामाजिक राजनीतिक शोध में वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की उपयोगिता का ज्ञान
● वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की विशेषताओं की जानकारी
● क
े स स्टडी मेथड में तथ्य संकलन हेतु प्रयोग में लाए जाने वाले स्रोतों की जानकारी
● क
े स स्टडी की सीमाओं का ज्ञान
● क
े स स्टडी क
े माध्यम से सामाजिक राजनीतिक घटनाओं क
े अध्ययन क
े प्रति रुचि का विकास
वैयक्तिक अध्ययन पद्धति गुणात्मक शोध का एक रूप है। सामाजिक- राजनीतिक शोध कार्य
में शोध- प्रारूप क
े निर्माण की यह अत्यंत लोकप्रिय पद्धति है। ज्यादातर इस पद्धति का प्रयोग
प्राकृ तिक विज्ञानों , समाजशास्त्रीय अध्ययन एवं सरकारी योजनाओं क
े मूल्यांकन क
े लिए किया
जाता है। समसामयिक दौर में शिक्षण की एक महत्वपूर्ण तकनीक क
े रूप में भी यह पद्धति
सामने आई है । पीएचडी. उपाधि हेतु शोध प्रबंध या लघु शोध प्रबंध क
े लेखन में भी इसी
पद्धति को अपनाया जाता है, जिसमें शोधकर्ता किसी भौगोलिक क्षेत्र या संस्था को अध्ययन की
इकाई क
े रूप में चुनकर उसका बहुआयामी गहन विश्लेषण करता है। इस पद्धति क
े अंतर्गत
किसी घटना, क्षेत्र, व्यवहार या व्यक्ति समूह का अध्ययन उसक
े समग्र रूप में किया जाता है,
ताकि उससे जुड़े कारण ,परिणाम और विशेषताएं पूरी तरह स्पष्ट हो सक
े । इस पद्धति क
े
अंतर्गत किसी व्यक्ति ,परिवार, आदत, घटना ,जाति या संस्था आदि का गहन गुणात्मक
अध्ययन किया जाता है। श्रमिक वर्ग की समस्याओं का अध्ययन, आतंकवाद जैसी घटना,
कोविड-19 महामारी क
े सामाजिक आयामों का विश्लेषण आदि वैयक्तिक अध्ययन क
े उदाहरण
है।व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति का यह तात्पर्य नहीं है कि इसक
े अंतर्गत क
ु छ चुने हुए व्यक्तियों
से ही तथ्य इकट्ठे किए जाएंगे, बल्कि संबंधित क
े स से जुड़े हुए बहुत सारे व्यक्तियों तथा
संस्थाओं से नाना प्रकार क
े तथ्य संकलित कर उनका विश्लेषण किया जाता है। वैयक्तिक
अध्ययन विधि क
े जन्मदाता फ्र
े डरिक प्ले [1806-1881] थे। हरबर्ट स्पेंसर एवं हेली आदि
विचारकों ने इस पद्धति को उपयोगी बनाने का प्रयास किया।
परिभाषाएं-
कॉमवे [1986] वैयक्तिक अध्ययन पद्धति को एक लंबे समय क
े अंदर सामाजिक पर्यावरण
क
े अभिन्न अंग क
े रूप में क
ु छ खास घटनाओं एवं व्यक्ति समूह अध्ययन क
े रूप में परिभाषित
किया है।
यिन क
े अनुसार, ‘’ व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति किसी समसामयिक घटना का उसक
े
वास्तविक संदर्भ में आनुभविक विश्लेषण है। ‘’
यंग क
े अनुसार,’’ वैयक्तिक अध्ययन वह विधि है जिसक
े द्वारा सामाजिक इकाई क
े जीवन की
खोज और विवेचना की जाती है। यह इकाई एक व्यक्ति, एक परिवार ,एक संस्था, एक
सामाजिक वर्ग या समुदाय क
ु छ भी हो सकता है।
सिंन पाओ यंग क
े अनुसार , ‘’ वैयक्तिक अध्ययन विधि को एक छोटे संपूर्ण और गहन
अध्ययन क
े रूप में परिभाषित किया जा सकता है इसमें अनुसंधानकर्ता किसी व्यक्ति क
े संबंध
में पर्याप्त सूचनाओं का व्यवस्थित संकलन करने क
े लिए अपनी समस्त क्षमताओं और विधियों
का ऐसे उपयोग करता है कि यह स्पष्ट हो सक
े कि एक स्त्री या पुरुष समाज की इकाई क
े रूप में
क
ै से कार्य करते हैं। ‘’
गुडे एवं हट्ट क
े अनुसार, ‘’ यह सामाजिक तथ्यों को संगठित करने की एक ऐसी विधि है
जिससे अध्ययन किए जाने वाले सामाजिक विषय की एकात्मक प्रकृ ति की पूर्णता रक्षा हो सक
े ।
दूसरे शब्दों में यह ऐसा दृष्टिकोण है जिससे किसी सामाजिक इकाई का उसक
े संपूर्ण स्वरूप में
दिग्दर्शन हो जाता है। ‘’
विशेषताएं-
हार्ट्सफील्ड ने वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की निम्नांकित विशेषताओं का उल्लेख किया है-
● किसी इकाई का संपूर्ण अध्ययन करने की दृष्टि से यह अध्ययन पद्धति अत्यंत उपयोगी है।
उदाहरण- उत्तर प्रदेश में कोविड-19 महामारी का सामना करने क
े लिए किए गए प्रयत्न
1. उत्तर प्रदेश महामारी की चपेट में कब आया।
2. सरकार द्वारा किए गए नीतिगत प्रयास क्या हैं।
3. हॉस्पिटल, दवाओं, डॉक्टर्स की उपलब्धता क
ै सी है।
4. कोविड-19 लॉक डाउन की स्थिति का समाज क
े विभिन्न वर्गों पर क
ै सा प्रभाव पड़ा।
5. लॉक डाउन की स्थिति में अर्थव्यवस्था को संचालित करने हेतु क्या प्रयास किए गए।
6. प्रदेश में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति है।
7. सरकार द्वारा क
ें द्र सरकार क
े निर्देशों क
े अनुपालन में क्या कदम उठाए गए
8. राज्य की स्वायत्तता को सुनिश्चित करते हुए सरकार द्वारा अपनी पहल पर क्या कदम
उठाए गए।
9. विद्यार्थियों की शिक्षा का क्या प्रबंध किया गया।
10 आम जनता का सहयोग क
ै सा रहा।
11. कोविड-19 टी का सामना करने क
े मार्ग में प्रशासन और आम जनता को किन
समस्याओं का सामना करना पड़ा।
12. कोविड-19 समस्याओं क
े समाधान क
े मौजूद विकल्प कौन-कौन से हैं।
● सामाजिक घटनाओं क
े गुणात्मक अध्ययन की दृष्टि से यह पद्धति अत्यंत उपयोगी है। जटिल
एवं परिवर्तनशील विषयों क
े बारे में अध्ययन परिमाणात्मक विधि से नहीं किया जा सकता, ऐसे
में यह प्रविधि किसी सामाजिक इकाई क
े जीवन का एक प्रक्रिया क
े रूप में अध्ययन करती है और
उसक
े विभिन्न पक्षों क
े साथ संबंधों की जानकारी प्रदान करती है। एम. एच. गोपाल ने लिखा है,
‘’ सामाजिक समस्याओं को ठीक- ठीक समझने क
े लिए तथा उनका सही मूल्यांकन करने क
े
लिए विकास मान तथा विस्तृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। उसक
े लिए एक प्रकार क
े
गुणात्मक विश्लेषण की आवश्यकता होती है। उसका अर्थ क
े वल उस सामाजिक पृष्ठभूमि,
घटनाओं तथा समूह तत्वों क
े संदर्भ में ही समझा जा सकता है, जिन्होंने उसे उत्पन्न किया है।
सामाजिक वास्तविकता को क
े वल एक सांख्यिकी सारणी क
े रूप में समझना कठिन है।
● यह अध्ययन पद्धति अनुसंधानकर्ता को किसी विषय क
े बारे में उपकल्पना निर्मित करने में
सहायक होती है जिसक
े विषय में अन्वेषणात्मक अनुसंधान किया जाना हो।
● इस पद्धति क
े अंतर्गत तथ्य संकलन क
े लिए अनेक प्रविधियों का प्रयोग किया जाता है, ताकि
किसी प्रकार की गलती या तथ्यों को तोड़ -मरोड़ कर पेश करने की प्रवृत्ति से बचा जा सक
े ।
● इस पद्धति क
े अंतर्गत एक समय विशेष में एक क
े स पर ही अध्ययन क
ें द्रित होने क
े कारण
विषय का गहन और सूक्ष्म अध्ययन संभव हो पाता है। क
ू ले ने उचित ही लिखा है कि ‘’
वैयक्तिक अध्ययन हमारे बोध को गहन बनाता है तथा जीवन में हमें अधिक स्पष्ट अंतर्दृष्टि
प्रदान करता है। ‘’ बरगेस ने इसे ‘सामाजिक सूक्ष्मदर्शी यंत्र’ [ social microscope]कहा है।
● इस पद्धति क
े अंतर्गत तथ्य संकलन हेतु चुने गए उत्तरदाताओं को क
े वल तत्व क
े स्रोत न समझ
कर उन्हें वास्तव में ज्ञानी समझा जाता है। दूसरे शब्दों में, यह पद्धति उत्तरदाताओं को समुचित
सम्मान देती है।
● जटिल सामाजिक -राजनीतिक समस्याओं क
े अध्ययन में यह पद्धति विशेष उपयोगी है।
● दो भिन्न क
े स अध्ययनों क
े माध्यम से उनक
े परिणामों की तुलना की जा सकती है एवं निष्कर्षों
को सत्यापित करना संभव हो पाता है। किसी विषय क
े वैज्ञानिक अध्ययन क
े लिए तुलनात्मक
विश्लेषण एवं तथ्यों का सत्यापन अत्यंत आवश्यक एवं उपयोगी होता है।
● फ्लाई बर्ग [ 2006] का अभिमत है कि सामाजिक और मानवीय व्यवहार संबंधी विज्ञान में संदर्भ
युक्त ज्ञान और अनुभव का विशेष महत्व है और वैयक्तिक अध्ययन पद्धति किसी क
े स का
अध्ययन सामाजिक परिस्थिति और समय क
े संदर्भ में करती है।
● समय और संसाधनों की सीमा को देखते हुए भी यह पद्धति उपयोगी है, क्योंकि इसमें अध्ययन
कर्ता अपने संसाधनों क
े अनुरूप किसी अध्ययन विषय का चयन करता है। व्यवहारिक दृष्टि से
किसी भी शोधकर्ता क
े लिए यह संभव नहीं होता है कि वह एक ही समय में बहुत सारे विषयों पर
ध्यान क
ें द्रित करते हुए तथ्यों का विश्लेषण कर किसी निष्कर्ष पर पहुंच सक
ें ।
● वैयक्तिक अध्ययन शोधकर्ता क
े स्वयं क
े शिक्षण की दृष्टि से भी उपयोगी है जो उसक
े अंदर
शोध से संबंधित कौशल का विकास करती है क्योंकि यह शोधकर्ता में एक ठोस संदर्भ आधारित
अनुभव का विकास करती है।
● वैयक्तिक अध्ययन पद्धति उत्तर आधुनिक प्रवृत्ति क
े अनुरूप भी है, जो यह मानती है कि किसी
भी विषय क
े बारे में कोई भी धारणा अंतिम नहीं है और एक घटना या क
े स क
े कई पक्ष हो सकते
हैं। व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति क
े अंतर्गत भी शोधकर्ता विषय से संबंधित सभी पक्षों को समग्र
रूप में प्रस्तुत करता है एवं इसक
े औचित्य की तार्कि क व्याख्या करता है।
● यह पद्धति ‘थ्योरी ऑफ फलसिफिक
े शन’ क
े अनुरूप है,जिसका प्रतिपादन काल प्रॉपर क
े द्वारा
किया गया था और जो यह मानती है कि किसी सिद्धांत क
े वैज्ञानिकता इस बात पर निर्भर
करती है कि उसकी तार्कि क आलोचना क
े कितने मजबूत आधार उसमें मौजूद है। किसी एक
व्यक्तिगत अध्ययन क
े आधार पर भी यदि किसी सिद्धांत को गलत सिद्ध कर दिया जाता है,
तो यह वैज्ञानिक सिद्धांत निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होता है।
वैयक्तिक अध्ययन पद्धति क
े प्रकार-
वैयक्तिक अध्ययन पद्धति क
े प्रमुख प्रकार निम्न वत है-
● सामुदायिक अध्ययन- [ collective case studies ]
वैयक्तिक अध्ययन क
े इस रूप में व्यक्तियों क
े किसी समूह का अध्ययन किया जाता है और
उस समूह की सभी विशेषताओं को स्पष्ट करने का प्रयास किया जाता है। किसी गांव, नगर,
प्रजाति, धर्म, लिंग और व्यवसाय से संबंधित समुदाय को अध्ययन विषय क
े रूप में चुना जा
सकता है।
● वर्णनात्मक वैयक्तिक अध्ययन- [ descriptive case studies ]
वैयक्तिक अध्ययन का यह वह प्रकार है जिसका प्रारंभ एक वर्णनात्मक सिद्धांत क
े साथ किया
जाता है। किसी व्यक्ति या घटना क
े विषय में विद्यमान सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उस घटना का
वास्तविक धरातल पर अवलोकन किया जाता है और संकलित तथ्यों की तुलनात्मक विवेचना प्रस्तुत की
जाती है। तथ्यों क
े आधार पर पूर्व में विद्यमान सिद्धांत की पुष्टि की जाती है या उसे गलत साबित
किया जाता है और इस प्रकार वर्तमान परिस्थितियों क
े संदर्भ में उसकी प्रासंगिकता स्पष्ट की जाती है।
जैसे- यदि किसी क्षेत्र क
े विकास का मूल्यांकन करने हेतु किसी वैयक्तिक अध्ययन का आयोजन किया
जाता है, तो विकास क
े विषय में मौजूद सिद्धांतों एवं धारणाओं जैसे- सतत विकास की धारणा, निर्भरता
सिद्धांत या विकास प्रशासन क
े अंतर्गत प्रस्तुत सैद्धांतिक रूप रेखा को ध्यान में रखते हुए उसी क्षेत्र क
े
विकास का वर्णन आत्मक विश्लेषण किया जाएगा।
● अन्वेषणात्मक वैयक्तिक अध्ययन-[exploratory case Studies ]
प्रकार का अध्ययन किसी विषय क
े बारे में गहन अध्ययन करने से पूर्व विषय क
े बारे में वास्तविक
तथ्यों की जांच करना होता है, ताकि शोध संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया जा सक
े या उपयोगी
उपकल्पनाओं का निर्माण किया जा सक
े । इस प्रकार क
े अध्ययन में शोध कार्य से पूर्व का अन्वेषण
आत्मक कार्य संपन्न किया जाता है।
● इंस्ट्रुमेंटल क
े स स्टडी-[ Instrumental Case Studies]
इस प्रकार की क
े स स्टडी में कोई व्यक्ति या व्यक्ति समूह शोधकर्ता को इस बात की अनुमति प्रदान
करता है कि वह समुदाय या व्यक्ति क
े विषय में पहले से मौजूद तथ्यों से आगे बढ़कर क
ु छ अन्य
महत्वपूर्ण तथ्यों का भी अवलोकन करें और उन्हें अपने अध्ययन का आधार बनाएं ताकि व्यक्ति या
समूह क
े अनछ
ु ए पहलू स्पष्ट हो सक
े ।
● रुचि आधारित वैयक्तिक अध्ययन-[ Intrinsic case studies]- इस प्रकार की क
े स स्टडी में
शोधकर्ता अपनी व्यक्तिगत रूचि क
े आधार पर क
े स का चयन करता है। जीन पियाजे द्वारा
स्वयं अपने बच्चों का अवलोकन किया जाना इसका एक अच्छा उदाहरण है जिसमें
मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों क
े निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। एक मनोवैज्ञानिक क
े रूप में
पियाजट ने ‘कॉग्निटिव डेवलपमेंट थ्योरी’ का प्रतिपादन किया जिसक
े अनुसार बच्चे वयस्कों की
तुलना में भिन्न तरह से सोचते हैं। इस सिद्धांत ने बच्चों क
े मानसिक विकास की दिशा में नए
तरह क
े शोध को प्रोत्साहित किया।
वैयक्तिक अध्ययन हेतु प्राप्त किए जाने वाले तथ्यों क
े स्रोत-
वैयक्तिक अध्ययन पद्धति को अपनाने वाला शोधकर्ता निम्नांकित स्रोतों से तथ्यों को संकलित
करता है-
● पुरातात्विक दस्तावेज-
इसमें जनगणना संबंधी रिकॉर्ड, सर्वेक्षण रिकॉर्ड एवं व्यक्तियों क
े नामों की सूची आती है।
शोधकर्ता आवश्यकतानुसार इन रिकॉर्ड से तथ्य संकलित करता है।
● प्रत्यक्ष अवलोकन-
अवलोकन क
े माध्यम से शोधकर्ता किसी विषय, व्यक्ति या घटना को उसक
े स्वाभाविक रूप में
देखता है। इस तरह क
े अवलोकन हेतु अवलोकन कर्ताओं का एक समूह गठित किया जाता है।
ऐसे अवलोकन का उद्देश्य होता है कि विषय से संबंधित सभी पक्षों से संबंधित तथ्यों को
संकलित किया जा सक
े ।
● अन्य दस्तावेज-
शोधकर्ता अन्य दस्तावेजों जैसे -व्यक्तिगत पत्र, डायरी ,समाचार पत्रों क
े लेख एवं प्रशासनिक
रिकॉर्ड क
े माध्यम से भी शोधकर्ता तथ्य संकलित करता है। व्यक्तिगत जीवन क
े विषय में
तथ्य एकत्रित करने का सर्वाधिक विश्वसनीय स्रोत डायरी है जिसमें गोपनीय समझी जाने वाले
तथ्य भी मिल जाते हैं। डायरी में व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं ,गोपनीय क्रियाओं,
प्रतिक्रियाओं ,संकल्प इच्छाओं ,सफलताओं और असफलताओं क
े साथ-साथ गुणात्मक व्यवहार
और मानसिक झुकाव से संबंधित जानकारी भी मिल जाती है, अतः वैयक्तिक अध्ययन प्रणाली
में डायरी अत्यंत उपयोगी स्रोत है। पी. वी. यंग क
े अनुसार,’’ व्यक्तिगत प्रलेख अनुभव की
निरंतरता प्रकट करते हैं जो निष्पक्ष वास्तविकता तथा आत्म विवेचन में अभिव्यक्त लेखक क
े
व्यक्तित्व ,सामाजिक संबंधों तथा जीवन दर्शन पर प्रकाश डालने में सहायक होते हैं। ‘’
● साक्षात्कार-
यदि अध्ययन की इकाई व्यक्ति है तो उससे तथा उससे संबंधित व्यक्तियों से साक्षात्कार क
े माध्यम से
सूचनाएं एकत्र करने का प्रयास किया जाता है और यदि अध्ययन की इकाई कोई घटना या परिस्थिति है
तो उससे जुड़े हुए एवं उससे प्रभावित होने वाले व्यक्तियों से साक्षात्कार करक
े सूचनाएं एकत्रित की जा
सकती है। साक्षात्कार पूर्व नियोजित एवं पूर्व संरचित हो सकता है अथवा असंरचित या खुले प्रश्न वाला
हो सकता है।
● जीवनी-
किसी व्यक्ति की जीवनी में लेखक क
े द्वारा उसक
े जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाओं और अनुभवों
का क्रमिक ढंग से वर्णन किया जाता है। परिवार की पृष्ठभूमि, प्रभाव, पारिवारिक घटनाओं का
महत्वपूर्ण प्रभाव , जीवन क
े अनुभव, व्यक्ति क
े अपने विचार और दृष्टिकोण जीवनी का अंग होते
हैं,अतः जीवनी किसी व्यक्ति क
े विषय में तथ्य संकलित करने का महत्वपूर्ण स्रोत बन जाती है।
● भौतिक वस्तुएं-
वैयक्तिक अध्ययन क
े अंतर्गत एक शोधकर्ता व्यक्ति क
े जीवन से संबंधित विभिन्न वस्तुओं, औजारों
एवं हस्तशिल्प की वस्तुओं का अवलोकन करक
े भी आवश्यक तथ्य संकलित करता है। जैसे- महात्मा
गांधी क
े विषय में तथ्य संकलित करने हेतु संग्रहालय में रखी उनक
े जीवन से संबंधित एवं उपयोग में
लाई जाने वाली वस्तुओं का अवलोकन करक
े शोधकर्ता आवश्यक तथ्य संकलित कर सकता है।
आलोचना या सीमाएं-
● वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की सबसे बड़ी सीमा यह है कि इसमें एक ही क
े स क
े अध्ययन क
े
आधार पर सामान्य सिद्धांत प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है, जो वैज्ञानिक सिद्धांत
निर्माण की दृष्टि से उचित नहीं है। अक्सर यह विश्वास व्यक्त किया जाता है कि प्रत्येक क
े स
इतना विशिष्ट होता है कि उसक
े विषय में कोई सार्थक सामान्यीकरण करना संभव नहीं होता है,
इसलिए शोधकर्ताओं की प्रवृत्ति वैयक्तिक अध्ययन क
े बजाय परिकल्पना क
े परीक्षण क
े लिए
और सिद्धांत निर्माण क
े लिए अन्य पद्धतियों को अपनाने की तरफ दिखाई दे रही है। हालांकि
यह आलोचना बहुत सही नहीं है, क्योंकि व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति शोधकर्ता को विषय क
े
बारे में नई परिकल्पना क
े निर्माण या विद्यमान सिद्धांतों क
े परीक्षण का महत्वपूर्ण अवसर
उपलब्ध कराती है। डार्विन का ‘विकासवादी सिद्धांत ‘व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति का ही
परिणाम था जिसका उल्लेख उन्होंने ईस्टर्न आईलैंड क
े यात्रा वृतांत में किया है।
● व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति में भी यह दोष पाया जाता है कि शोधकर्ता अध्ययन कार्य से
अपने पूर्वाग्रह को अलग नहीं रख पाता है और घटनाओं का अवलोकन करते समय किसी न
किसी पक्षपात का शिकार हो जाता है, जिसका दुष्प्रभाव अध्ययन क
े निष्कर्षों पर पड़ता है।
● वैयक्तिक अध्ययन पद्धति में झूठे सामान्यीकरण का खतरा बना रहता है क्योंकि तथ्यों का
संकलन किं न्ही निश्चित नियमों क
े आधार पर नहीं किया जाता, उसमें लचीलापन बरता जाता
है एवं अध्ययन से संबंधित क
ु छ ही इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
● यह अध्ययन पद्धति सिद्धांत निर्माण हेतु सामान्यीकरण तो कर सकती है, किं तु संख्यात्मक
तथ्यों को विश्लेषित करने में यह सक्षम नहीं है।
● यह अध्ययन पद्धति खर्चीली एवं समय साध्य भी हो जाती है, क्योंकि विषय से संबंधित सभी
पक्षों का समग्र अध्ययन करने हेतु तथ्यों क
े संकलन एवं विश्लेषण में समय लगता है।
● व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति का प्रयोग क
े वल सीमित क्षेत्र में किया जा सकता है, व्यापक रूप
से समाज क
े अध्ययन क
े लिए यह पद्धति उपयुक्त नहीं है। इस अध्ययन पद्धति क
े अंतर्गत
निदर्शन विधि का प्रयोग भी व्यापक रूप मे नहीं किया जा सकता।
● क
े स स्टडी में प्रतिनिधित्व का गुण भी नहीं पाया जाता है, क्योंकि हर क
े स स्टडी अलग तरह की
होती है। एक तरह का अध्ययन दूसरे का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। इसलिए इस पद्धति क
े
आधार पर निकाले गए निष्कर्ष सार्वभौमिक रूप में लागू नहीं किए जा सकते।
● इस अध्ययन पद्धति में तथ्य संकलन हेतु जिन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है, वे बहुत
अधिक विश्वसनीय नहीं होते। जैसे- जीवनी, जिसमें तथ्यों को बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता है।
क
े स से संबंधित गोपनीय तथ्यों को प्राप्त करना और भी मुश्किल होता है। संकोच ,डर एवं
लज्जा क
े कारण कई बार उत्तर दाता सही जानकारी नहीं देते हैं।
मुख्य शब्द-
क
े स स्टडी,गुणात्मक अध्ययन, सहभागी अवलोकन,सामाजिक सूक्ष्मदर्शी यंत्र,
सामाजिक घटनाओं का अमूर्त एवं जटिल रूप
References And Suggested Readings
● Prabhat Kumar ,Research Methodology ;Priciples and
Practices, S.K. Book Agency,New Delhi
● Marc Widdowson ,Case Study Research
Methodology,www.researchgate.net
● Case Studies-Research Methodology,research
-methodology.net
● www.pressacademia.org
प्रश्न-
निबंधात्मक-
1. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति को परिभाषित कीजिए एवं इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख
कीजिए.
2. सामाजिक राजनीतिक घटनाओं क
े गुणात्मक अध्ययन की दृष्टि से वैयक्तिक अध्ययन
पद्धति सर्वाधिक उपयोगी है, विवेचना कीजिए।
3. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति क
े प्रमुख प्रकारों का उल्लेख करते हुए इसकी सीमाओं की विवेचना
कीजिए।
वस्तुनिष्ठ-
1. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का प्रयोग किस तरह क
े शोध में किया जाता है।
[ अ ] मात्रात्मक शोध [ ब ] गुणात्मक शोध [ स ] अन्वेषणात्मक शोध [ द ] ब और स सही है।
2. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का जन्मदाता किसे माना जाता है?
[ अ ] हरबर्ट स्पेंसर [ ब ] डार्विन [ स ] हेली [ द ] फ्र
े डरिक प्ले
3. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति क
े अंतर्गत किए जाने वाले शोध कार्य की क्या विशेषता होती है?
[ अ ] विषय का सतही अध्ययन किया जाता है।
[ ब ] गहन और सूक्ष्म अध्ययन किया जाता है।
[ स ] किसी एक क
े स पर ही ध्यान क
ें द्रित किया जाता है।
[ द ]’ ब ‘ और ‘स’ सही है।
4. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित में से किस सिद्धांत का प्रतिपादन
किया गया।
[ अ ] कॉग्निटिव डेवलपमेंट थ्योरी [ ब ] विकासवादी सिद्धांत [ स ] उपर्युक्त दोनों [ द ] उपर्युक्त में
से कोई नहीं।
5. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति किस तरह क
े शोध क
े लिए उपयुक्त नहीं होती है?
[ अ ] अन्वेषणात्मक शोध [ ब ] मात्रात्मक शोध [ स ] क्रियात्मक शोध [ द ] सभी तरह क
े शोध क
े
लिए उपयुक्त होती है।
6. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति में शोध कार्य क
े लिए क
े स क
े रूप में किसका चयन किया जाता है?
[ अ ] सामाजिक घटना [ ब ] सामाजिक- राजनीतिक व्यवहार [ स ] किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व
[द ] उक्त सभी
7. निम्नलिखित में से क्या वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का एक प्रकार नहीं है?
[ अ ] सामुदायिक अध्ययन [ ब ] वर्णनात्मक अध्ययन [ स ] रुचि आधारित अध्ययन [ द ]
सांस्कृ तिक अध्ययन
8. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की सबसे बड़ी सीमा क्या है?
[ अ ] एक क
े स क
े अध्ययन क
े आधार पर सार्वभौमिक सिद्धांत -निर्माण संभव नहीं है।
[ ब ] विषय का गहन अध्ययन संभव नहीं है।
[ स ] शोधकर्ता का पक्षपात एवं पूर्वाग्रह से बचना संभव नहीं है।
[ द ] ‘अ ‘ और’ स’ सही है।
9. वैयक्तिक अध्ययन में तथ्य संकलन हेतु किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है?
[ अ ] डायरी [ ब ] पुरातात्विक दस्तावेज [ स ] अवलोकन [ द ] उक्त सभी
10. इंस्ट्रुमेंटल क
े स स्टडी की विशेषता क्या होती है?
[ अ ] यह विषय क
े नवीन पहलुओं को स्पष्ट करती है।
[ ब ] विषय से संबंधित व्यक्ति समूह शोधकर्ता को अध्ययन क
े लिए आमंत्रित करते हैं।
[ स ] अध्ययन विषय की समग्र विशेषताओं को स्पष्ट करती है।
[ द ] उपर्युक्त सभी
11. शोधकर्ता द्वारा अपनी पहल और रुचि क
े आधार पर की जाने वाली क
े स स्टडी वैयक्तिक अध्ययन
का कौन सा प्रकार है।
[ अ ]अन्वेषणात्मक क
े स स्टडी [ ब ] रुचि आधारित क
े स स्टडी [ स ] इंस्ट्रुमेंटल क
े स स्टडी [ द ]
निदानात्मक क
े स स्टडी
उत्तर- 1. ब 2. द 3. द 4. स 5. ब 6. द 7.द 8. द 9. द 10.द 11. ब
Case study method

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  • 1. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति [ case study] https://essaymojo.com/wp-content/uploads/2018/05/case-study-method.jpg द्वारा- डॉक्टर ममता उपाध्याय एसोसिएट प्रोफ े सर, राजनीति विज्ञान क ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर, गौतम बुध नगर, उत्तर प्रदेश उद्देश्य- ● सामाजिक राजनीतिक शोध में वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की उपयोगिता का ज्ञान ● वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की विशेषताओं की जानकारी ● क े स स्टडी मेथड में तथ्य संकलन हेतु प्रयोग में लाए जाने वाले स्रोतों की जानकारी ● क े स स्टडी की सीमाओं का ज्ञान ● क े स स्टडी क े माध्यम से सामाजिक राजनीतिक घटनाओं क े अध्ययन क े प्रति रुचि का विकास वैयक्तिक अध्ययन पद्धति गुणात्मक शोध का एक रूप है। सामाजिक- राजनीतिक शोध कार्य में शोध- प्रारूप क े निर्माण की यह अत्यंत लोकप्रिय पद्धति है। ज्यादातर इस पद्धति का प्रयोग प्राकृ तिक विज्ञानों , समाजशास्त्रीय अध्ययन एवं सरकारी योजनाओं क े मूल्यांकन क े लिए किया जाता है। समसामयिक दौर में शिक्षण की एक महत्वपूर्ण तकनीक क े रूप में भी यह पद्धति सामने आई है । पीएचडी. उपाधि हेतु शोध प्रबंध या लघु शोध प्रबंध क े लेखन में भी इसी पद्धति को अपनाया जाता है, जिसमें शोधकर्ता किसी भौगोलिक क्षेत्र या संस्था को अध्ययन की
  • 2. इकाई क े रूप में चुनकर उसका बहुआयामी गहन विश्लेषण करता है। इस पद्धति क े अंतर्गत किसी घटना, क्षेत्र, व्यवहार या व्यक्ति समूह का अध्ययन उसक े समग्र रूप में किया जाता है, ताकि उससे जुड़े कारण ,परिणाम और विशेषताएं पूरी तरह स्पष्ट हो सक े । इस पद्धति क े अंतर्गत किसी व्यक्ति ,परिवार, आदत, घटना ,जाति या संस्था आदि का गहन गुणात्मक अध्ययन किया जाता है। श्रमिक वर्ग की समस्याओं का अध्ययन, आतंकवाद जैसी घटना, कोविड-19 महामारी क े सामाजिक आयामों का विश्लेषण आदि वैयक्तिक अध्ययन क े उदाहरण है।व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति का यह तात्पर्य नहीं है कि इसक े अंतर्गत क ु छ चुने हुए व्यक्तियों से ही तथ्य इकट्ठे किए जाएंगे, बल्कि संबंधित क े स से जुड़े हुए बहुत सारे व्यक्तियों तथा संस्थाओं से नाना प्रकार क े तथ्य संकलित कर उनका विश्लेषण किया जाता है। वैयक्तिक अध्ययन विधि क े जन्मदाता फ्र े डरिक प्ले [1806-1881] थे। हरबर्ट स्पेंसर एवं हेली आदि विचारकों ने इस पद्धति को उपयोगी बनाने का प्रयास किया। परिभाषाएं- कॉमवे [1986] वैयक्तिक अध्ययन पद्धति को एक लंबे समय क े अंदर सामाजिक पर्यावरण क े अभिन्न अंग क े रूप में क ु छ खास घटनाओं एवं व्यक्ति समूह अध्ययन क े रूप में परिभाषित किया है। यिन क े अनुसार, ‘’ व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति किसी समसामयिक घटना का उसक े वास्तविक संदर्भ में आनुभविक विश्लेषण है। ‘’ यंग क े अनुसार,’’ वैयक्तिक अध्ययन वह विधि है जिसक े द्वारा सामाजिक इकाई क े जीवन की खोज और विवेचना की जाती है। यह इकाई एक व्यक्ति, एक परिवार ,एक संस्था, एक सामाजिक वर्ग या समुदाय क ु छ भी हो सकता है। सिंन पाओ यंग क े अनुसार , ‘’ वैयक्तिक अध्ययन विधि को एक छोटे संपूर्ण और गहन अध्ययन क े रूप में परिभाषित किया जा सकता है इसमें अनुसंधानकर्ता किसी व्यक्ति क े संबंध में पर्याप्त सूचनाओं का व्यवस्थित संकलन करने क े लिए अपनी समस्त क्षमताओं और विधियों का ऐसे उपयोग करता है कि यह स्पष्ट हो सक े कि एक स्त्री या पुरुष समाज की इकाई क े रूप में क ै से कार्य करते हैं। ‘’
  • 3. गुडे एवं हट्ट क े अनुसार, ‘’ यह सामाजिक तथ्यों को संगठित करने की एक ऐसी विधि है जिससे अध्ययन किए जाने वाले सामाजिक विषय की एकात्मक प्रकृ ति की पूर्णता रक्षा हो सक े । दूसरे शब्दों में यह ऐसा दृष्टिकोण है जिससे किसी सामाजिक इकाई का उसक े संपूर्ण स्वरूप में दिग्दर्शन हो जाता है। ‘’ विशेषताएं- हार्ट्सफील्ड ने वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की निम्नांकित विशेषताओं का उल्लेख किया है- ● किसी इकाई का संपूर्ण अध्ययन करने की दृष्टि से यह अध्ययन पद्धति अत्यंत उपयोगी है। उदाहरण- उत्तर प्रदेश में कोविड-19 महामारी का सामना करने क े लिए किए गए प्रयत्न 1. उत्तर प्रदेश महामारी की चपेट में कब आया। 2. सरकार द्वारा किए गए नीतिगत प्रयास क्या हैं। 3. हॉस्पिटल, दवाओं, डॉक्टर्स की उपलब्धता क ै सी है। 4. कोविड-19 लॉक डाउन की स्थिति का समाज क े विभिन्न वर्गों पर क ै सा प्रभाव पड़ा। 5. लॉक डाउन की स्थिति में अर्थव्यवस्था को संचालित करने हेतु क्या प्रयास किए गए। 6. प्रदेश में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति है। 7. सरकार द्वारा क ें द्र सरकार क े निर्देशों क े अनुपालन में क्या कदम उठाए गए 8. राज्य की स्वायत्तता को सुनिश्चित करते हुए सरकार द्वारा अपनी पहल पर क्या कदम उठाए गए। 9. विद्यार्थियों की शिक्षा का क्या प्रबंध किया गया। 10 आम जनता का सहयोग क ै सा रहा। 11. कोविड-19 टी का सामना करने क े मार्ग में प्रशासन और आम जनता को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा। 12. कोविड-19 समस्याओं क े समाधान क े मौजूद विकल्प कौन-कौन से हैं। ● सामाजिक घटनाओं क े गुणात्मक अध्ययन की दृष्टि से यह पद्धति अत्यंत उपयोगी है। जटिल एवं परिवर्तनशील विषयों क े बारे में अध्ययन परिमाणात्मक विधि से नहीं किया जा सकता, ऐसे में यह प्रविधि किसी सामाजिक इकाई क े जीवन का एक प्रक्रिया क े रूप में अध्ययन करती है और उसक े विभिन्न पक्षों क े साथ संबंधों की जानकारी प्रदान करती है। एम. एच. गोपाल ने लिखा है, ‘’ सामाजिक समस्याओं को ठीक- ठीक समझने क े लिए तथा उनका सही मूल्यांकन करने क े लिए विकास मान तथा विस्तृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। उसक े लिए एक प्रकार क े
  • 4. गुणात्मक विश्लेषण की आवश्यकता होती है। उसका अर्थ क े वल उस सामाजिक पृष्ठभूमि, घटनाओं तथा समूह तत्वों क े संदर्भ में ही समझा जा सकता है, जिन्होंने उसे उत्पन्न किया है। सामाजिक वास्तविकता को क े वल एक सांख्यिकी सारणी क े रूप में समझना कठिन है। ● यह अध्ययन पद्धति अनुसंधानकर्ता को किसी विषय क े बारे में उपकल्पना निर्मित करने में सहायक होती है जिसक े विषय में अन्वेषणात्मक अनुसंधान किया जाना हो। ● इस पद्धति क े अंतर्गत तथ्य संकलन क े लिए अनेक प्रविधियों का प्रयोग किया जाता है, ताकि किसी प्रकार की गलती या तथ्यों को तोड़ -मरोड़ कर पेश करने की प्रवृत्ति से बचा जा सक े । ● इस पद्धति क े अंतर्गत एक समय विशेष में एक क े स पर ही अध्ययन क ें द्रित होने क े कारण विषय का गहन और सूक्ष्म अध्ययन संभव हो पाता है। क ू ले ने उचित ही लिखा है कि ‘’ वैयक्तिक अध्ययन हमारे बोध को गहन बनाता है तथा जीवन में हमें अधिक स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। ‘’ बरगेस ने इसे ‘सामाजिक सूक्ष्मदर्शी यंत्र’ [ social microscope]कहा है। ● इस पद्धति क े अंतर्गत तथ्य संकलन हेतु चुने गए उत्तरदाताओं को क े वल तत्व क े स्रोत न समझ कर उन्हें वास्तव में ज्ञानी समझा जाता है। दूसरे शब्दों में, यह पद्धति उत्तरदाताओं को समुचित सम्मान देती है। ● जटिल सामाजिक -राजनीतिक समस्याओं क े अध्ययन में यह पद्धति विशेष उपयोगी है। ● दो भिन्न क े स अध्ययनों क े माध्यम से उनक े परिणामों की तुलना की जा सकती है एवं निष्कर्षों को सत्यापित करना संभव हो पाता है। किसी विषय क े वैज्ञानिक अध्ययन क े लिए तुलनात्मक विश्लेषण एवं तथ्यों का सत्यापन अत्यंत आवश्यक एवं उपयोगी होता है। ● फ्लाई बर्ग [ 2006] का अभिमत है कि सामाजिक और मानवीय व्यवहार संबंधी विज्ञान में संदर्भ युक्त ज्ञान और अनुभव का विशेष महत्व है और वैयक्तिक अध्ययन पद्धति किसी क े स का अध्ययन सामाजिक परिस्थिति और समय क े संदर्भ में करती है। ● समय और संसाधनों की सीमा को देखते हुए भी यह पद्धति उपयोगी है, क्योंकि इसमें अध्ययन कर्ता अपने संसाधनों क े अनुरूप किसी अध्ययन विषय का चयन करता है। व्यवहारिक दृष्टि से किसी भी शोधकर्ता क े लिए यह संभव नहीं होता है कि वह एक ही समय में बहुत सारे विषयों पर ध्यान क ें द्रित करते हुए तथ्यों का विश्लेषण कर किसी निष्कर्ष पर पहुंच सक ें । ● वैयक्तिक अध्ययन शोधकर्ता क े स्वयं क े शिक्षण की दृष्टि से भी उपयोगी है जो उसक े अंदर शोध से संबंधित कौशल का विकास करती है क्योंकि यह शोधकर्ता में एक ठोस संदर्भ आधारित अनुभव का विकास करती है। ● वैयक्तिक अध्ययन पद्धति उत्तर आधुनिक प्रवृत्ति क े अनुरूप भी है, जो यह मानती है कि किसी भी विषय क े बारे में कोई भी धारणा अंतिम नहीं है और एक घटना या क े स क े कई पक्ष हो सकते
  • 5. हैं। व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति क े अंतर्गत भी शोधकर्ता विषय से संबंधित सभी पक्षों को समग्र रूप में प्रस्तुत करता है एवं इसक े औचित्य की तार्कि क व्याख्या करता है। ● यह पद्धति ‘थ्योरी ऑफ फलसिफिक े शन’ क े अनुरूप है,जिसका प्रतिपादन काल प्रॉपर क े द्वारा किया गया था और जो यह मानती है कि किसी सिद्धांत क े वैज्ञानिकता इस बात पर निर्भर करती है कि उसकी तार्कि क आलोचना क े कितने मजबूत आधार उसमें मौजूद है। किसी एक व्यक्तिगत अध्ययन क े आधार पर भी यदि किसी सिद्धांत को गलत सिद्ध कर दिया जाता है, तो यह वैज्ञानिक सिद्धांत निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होता है। वैयक्तिक अध्ययन पद्धति क े प्रकार- वैयक्तिक अध्ययन पद्धति क े प्रमुख प्रकार निम्न वत है- ● सामुदायिक अध्ययन- [ collective case studies ] वैयक्तिक अध्ययन क े इस रूप में व्यक्तियों क े किसी समूह का अध्ययन किया जाता है और उस समूह की सभी विशेषताओं को स्पष्ट करने का प्रयास किया जाता है। किसी गांव, नगर, प्रजाति, धर्म, लिंग और व्यवसाय से संबंधित समुदाय को अध्ययन विषय क े रूप में चुना जा सकता है। ● वर्णनात्मक वैयक्तिक अध्ययन- [ descriptive case studies ] वैयक्तिक अध्ययन का यह वह प्रकार है जिसका प्रारंभ एक वर्णनात्मक सिद्धांत क े साथ किया जाता है। किसी व्यक्ति या घटना क े विषय में विद्यमान सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उस घटना का वास्तविक धरातल पर अवलोकन किया जाता है और संकलित तथ्यों की तुलनात्मक विवेचना प्रस्तुत की जाती है। तथ्यों क े आधार पर पूर्व में विद्यमान सिद्धांत की पुष्टि की जाती है या उसे गलत साबित किया जाता है और इस प्रकार वर्तमान परिस्थितियों क े संदर्भ में उसकी प्रासंगिकता स्पष्ट की जाती है। जैसे- यदि किसी क्षेत्र क े विकास का मूल्यांकन करने हेतु किसी वैयक्तिक अध्ययन का आयोजन किया जाता है, तो विकास क े विषय में मौजूद सिद्धांतों एवं धारणाओं जैसे- सतत विकास की धारणा, निर्भरता सिद्धांत या विकास प्रशासन क े अंतर्गत प्रस्तुत सैद्धांतिक रूप रेखा को ध्यान में रखते हुए उसी क्षेत्र क े विकास का वर्णन आत्मक विश्लेषण किया जाएगा। ● अन्वेषणात्मक वैयक्तिक अध्ययन-[exploratory case Studies ] प्रकार का अध्ययन किसी विषय क े बारे में गहन अध्ययन करने से पूर्व विषय क े बारे में वास्तविक तथ्यों की जांच करना होता है, ताकि शोध संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया जा सक े या उपयोगी उपकल्पनाओं का निर्माण किया जा सक े । इस प्रकार क े अध्ययन में शोध कार्य से पूर्व का अन्वेषण आत्मक कार्य संपन्न किया जाता है। ● इंस्ट्रुमेंटल क े स स्टडी-[ Instrumental Case Studies]
  • 6. इस प्रकार की क े स स्टडी में कोई व्यक्ति या व्यक्ति समूह शोधकर्ता को इस बात की अनुमति प्रदान करता है कि वह समुदाय या व्यक्ति क े विषय में पहले से मौजूद तथ्यों से आगे बढ़कर क ु छ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों का भी अवलोकन करें और उन्हें अपने अध्ययन का आधार बनाएं ताकि व्यक्ति या समूह क े अनछ ु ए पहलू स्पष्ट हो सक े । ● रुचि आधारित वैयक्तिक अध्ययन-[ Intrinsic case studies]- इस प्रकार की क े स स्टडी में शोधकर्ता अपनी व्यक्तिगत रूचि क े आधार पर क े स का चयन करता है। जीन पियाजे द्वारा स्वयं अपने बच्चों का अवलोकन किया जाना इसका एक अच्छा उदाहरण है जिसमें मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों क े निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। एक मनोवैज्ञानिक क े रूप में पियाजट ने ‘कॉग्निटिव डेवलपमेंट थ्योरी’ का प्रतिपादन किया जिसक े अनुसार बच्चे वयस्कों की तुलना में भिन्न तरह से सोचते हैं। इस सिद्धांत ने बच्चों क े मानसिक विकास की दिशा में नए तरह क े शोध को प्रोत्साहित किया। वैयक्तिक अध्ययन हेतु प्राप्त किए जाने वाले तथ्यों क े स्रोत- वैयक्तिक अध्ययन पद्धति को अपनाने वाला शोधकर्ता निम्नांकित स्रोतों से तथ्यों को संकलित करता है- ● पुरातात्विक दस्तावेज- इसमें जनगणना संबंधी रिकॉर्ड, सर्वेक्षण रिकॉर्ड एवं व्यक्तियों क े नामों की सूची आती है। शोधकर्ता आवश्यकतानुसार इन रिकॉर्ड से तथ्य संकलित करता है। ● प्रत्यक्ष अवलोकन- अवलोकन क े माध्यम से शोधकर्ता किसी विषय, व्यक्ति या घटना को उसक े स्वाभाविक रूप में देखता है। इस तरह क े अवलोकन हेतु अवलोकन कर्ताओं का एक समूह गठित किया जाता है। ऐसे अवलोकन का उद्देश्य होता है कि विषय से संबंधित सभी पक्षों से संबंधित तथ्यों को संकलित किया जा सक े । ● अन्य दस्तावेज- शोधकर्ता अन्य दस्तावेजों जैसे -व्यक्तिगत पत्र, डायरी ,समाचार पत्रों क े लेख एवं प्रशासनिक रिकॉर्ड क े माध्यम से भी शोधकर्ता तथ्य संकलित करता है। व्यक्तिगत जीवन क े विषय में तथ्य एकत्रित करने का सर्वाधिक विश्वसनीय स्रोत डायरी है जिसमें गोपनीय समझी जाने वाले तथ्य भी मिल जाते हैं। डायरी में व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं ,गोपनीय क्रियाओं, प्रतिक्रियाओं ,संकल्प इच्छाओं ,सफलताओं और असफलताओं क े साथ-साथ गुणात्मक व्यवहार और मानसिक झुकाव से संबंधित जानकारी भी मिल जाती है, अतः वैयक्तिक अध्ययन प्रणाली में डायरी अत्यंत उपयोगी स्रोत है। पी. वी. यंग क े अनुसार,’’ व्यक्तिगत प्रलेख अनुभव की
  • 7. निरंतरता प्रकट करते हैं जो निष्पक्ष वास्तविकता तथा आत्म विवेचन में अभिव्यक्त लेखक क े व्यक्तित्व ,सामाजिक संबंधों तथा जीवन दर्शन पर प्रकाश डालने में सहायक होते हैं। ‘’ ● साक्षात्कार- यदि अध्ययन की इकाई व्यक्ति है तो उससे तथा उससे संबंधित व्यक्तियों से साक्षात्कार क े माध्यम से सूचनाएं एकत्र करने का प्रयास किया जाता है और यदि अध्ययन की इकाई कोई घटना या परिस्थिति है तो उससे जुड़े हुए एवं उससे प्रभावित होने वाले व्यक्तियों से साक्षात्कार करक े सूचनाएं एकत्रित की जा सकती है। साक्षात्कार पूर्व नियोजित एवं पूर्व संरचित हो सकता है अथवा असंरचित या खुले प्रश्न वाला हो सकता है। ● जीवनी- किसी व्यक्ति की जीवनी में लेखक क े द्वारा उसक े जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाओं और अनुभवों का क्रमिक ढंग से वर्णन किया जाता है। परिवार की पृष्ठभूमि, प्रभाव, पारिवारिक घटनाओं का महत्वपूर्ण प्रभाव , जीवन क े अनुभव, व्यक्ति क े अपने विचार और दृष्टिकोण जीवनी का अंग होते हैं,अतः जीवनी किसी व्यक्ति क े विषय में तथ्य संकलित करने का महत्वपूर्ण स्रोत बन जाती है। ● भौतिक वस्तुएं- वैयक्तिक अध्ययन क े अंतर्गत एक शोधकर्ता व्यक्ति क े जीवन से संबंधित विभिन्न वस्तुओं, औजारों एवं हस्तशिल्प की वस्तुओं का अवलोकन करक े भी आवश्यक तथ्य संकलित करता है। जैसे- महात्मा गांधी क े विषय में तथ्य संकलित करने हेतु संग्रहालय में रखी उनक े जीवन से संबंधित एवं उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का अवलोकन करक े शोधकर्ता आवश्यक तथ्य संकलित कर सकता है। आलोचना या सीमाएं- ● वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की सबसे बड़ी सीमा यह है कि इसमें एक ही क े स क े अध्ययन क े आधार पर सामान्य सिद्धांत प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है, जो वैज्ञानिक सिद्धांत निर्माण की दृष्टि से उचित नहीं है। अक्सर यह विश्वास व्यक्त किया जाता है कि प्रत्येक क े स इतना विशिष्ट होता है कि उसक े विषय में कोई सार्थक सामान्यीकरण करना संभव नहीं होता है, इसलिए शोधकर्ताओं की प्रवृत्ति वैयक्तिक अध्ययन क े बजाय परिकल्पना क े परीक्षण क े लिए और सिद्धांत निर्माण क े लिए अन्य पद्धतियों को अपनाने की तरफ दिखाई दे रही है। हालांकि
  • 8. यह आलोचना बहुत सही नहीं है, क्योंकि व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति शोधकर्ता को विषय क े बारे में नई परिकल्पना क े निर्माण या विद्यमान सिद्धांतों क े परीक्षण का महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराती है। डार्विन का ‘विकासवादी सिद्धांत ‘व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति का ही परिणाम था जिसका उल्लेख उन्होंने ईस्टर्न आईलैंड क े यात्रा वृतांत में किया है। ● व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति में भी यह दोष पाया जाता है कि शोधकर्ता अध्ययन कार्य से अपने पूर्वाग्रह को अलग नहीं रख पाता है और घटनाओं का अवलोकन करते समय किसी न किसी पक्षपात का शिकार हो जाता है, जिसका दुष्प्रभाव अध्ययन क े निष्कर्षों पर पड़ता है। ● वैयक्तिक अध्ययन पद्धति में झूठे सामान्यीकरण का खतरा बना रहता है क्योंकि तथ्यों का संकलन किं न्ही निश्चित नियमों क े आधार पर नहीं किया जाता, उसमें लचीलापन बरता जाता है एवं अध्ययन से संबंधित क ु छ ही इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। ● यह अध्ययन पद्धति सिद्धांत निर्माण हेतु सामान्यीकरण तो कर सकती है, किं तु संख्यात्मक तथ्यों को विश्लेषित करने में यह सक्षम नहीं है। ● यह अध्ययन पद्धति खर्चीली एवं समय साध्य भी हो जाती है, क्योंकि विषय से संबंधित सभी पक्षों का समग्र अध्ययन करने हेतु तथ्यों क े संकलन एवं विश्लेषण में समय लगता है। ● व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति का प्रयोग क े वल सीमित क्षेत्र में किया जा सकता है, व्यापक रूप से समाज क े अध्ययन क े लिए यह पद्धति उपयुक्त नहीं है। इस अध्ययन पद्धति क े अंतर्गत निदर्शन विधि का प्रयोग भी व्यापक रूप मे नहीं किया जा सकता। ● क े स स्टडी में प्रतिनिधित्व का गुण भी नहीं पाया जाता है, क्योंकि हर क े स स्टडी अलग तरह की होती है। एक तरह का अध्ययन दूसरे का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। इसलिए इस पद्धति क े आधार पर निकाले गए निष्कर्ष सार्वभौमिक रूप में लागू नहीं किए जा सकते। ● इस अध्ययन पद्धति में तथ्य संकलन हेतु जिन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है, वे बहुत अधिक विश्वसनीय नहीं होते। जैसे- जीवनी, जिसमें तथ्यों को बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता है। क े स से संबंधित गोपनीय तथ्यों को प्राप्त करना और भी मुश्किल होता है। संकोच ,डर एवं लज्जा क े कारण कई बार उत्तर दाता सही जानकारी नहीं देते हैं। मुख्य शब्द- क े स स्टडी,गुणात्मक अध्ययन, सहभागी अवलोकन,सामाजिक सूक्ष्मदर्शी यंत्र, सामाजिक घटनाओं का अमूर्त एवं जटिल रूप References And Suggested Readings
  • 9. ● Prabhat Kumar ,Research Methodology ;Priciples and Practices, S.K. Book Agency,New Delhi ● Marc Widdowson ,Case Study Research Methodology,www.researchgate.net ● Case Studies-Research Methodology,research -methodology.net ● www.pressacademia.org प्रश्न- निबंधात्मक- 1. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति को परिभाषित कीजिए एवं इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए. 2. सामाजिक राजनीतिक घटनाओं क े गुणात्मक अध्ययन की दृष्टि से वैयक्तिक अध्ययन पद्धति सर्वाधिक उपयोगी है, विवेचना कीजिए। 3. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति क े प्रमुख प्रकारों का उल्लेख करते हुए इसकी सीमाओं की विवेचना कीजिए। वस्तुनिष्ठ- 1. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का प्रयोग किस तरह क े शोध में किया जाता है। [ अ ] मात्रात्मक शोध [ ब ] गुणात्मक शोध [ स ] अन्वेषणात्मक शोध [ द ] ब और स सही है। 2. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का जन्मदाता किसे माना जाता है? [ अ ] हरबर्ट स्पेंसर [ ब ] डार्विन [ स ] हेली [ द ] फ्र े डरिक प्ले 3. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति क े अंतर्गत किए जाने वाले शोध कार्य की क्या विशेषता होती है? [ अ ] विषय का सतही अध्ययन किया जाता है। [ ब ] गहन और सूक्ष्म अध्ययन किया जाता है। [ स ] किसी एक क े स पर ही ध्यान क ें द्रित किया जाता है। [ द ]’ ब ‘ और ‘स’ सही है। 4. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित में से किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया। [ अ ] कॉग्निटिव डेवलपमेंट थ्योरी [ ब ] विकासवादी सिद्धांत [ स ] उपर्युक्त दोनों [ द ] उपर्युक्त में से कोई नहीं।
  • 10. 5. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति किस तरह क े शोध क े लिए उपयुक्त नहीं होती है? [ अ ] अन्वेषणात्मक शोध [ ब ] मात्रात्मक शोध [ स ] क्रियात्मक शोध [ द ] सभी तरह क े शोध क े लिए उपयुक्त होती है। 6. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति में शोध कार्य क े लिए क े स क े रूप में किसका चयन किया जाता है? [ अ ] सामाजिक घटना [ ब ] सामाजिक- राजनीतिक व्यवहार [ स ] किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व [द ] उक्त सभी 7. निम्नलिखित में से क्या वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का एक प्रकार नहीं है? [ अ ] सामुदायिक अध्ययन [ ब ] वर्णनात्मक अध्ययन [ स ] रुचि आधारित अध्ययन [ द ] सांस्कृ तिक अध्ययन 8. वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की सबसे बड़ी सीमा क्या है? [ अ ] एक क े स क े अध्ययन क े आधार पर सार्वभौमिक सिद्धांत -निर्माण संभव नहीं है। [ ब ] विषय का गहन अध्ययन संभव नहीं है। [ स ] शोधकर्ता का पक्षपात एवं पूर्वाग्रह से बचना संभव नहीं है। [ द ] ‘अ ‘ और’ स’ सही है। 9. वैयक्तिक अध्ययन में तथ्य संकलन हेतु किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? [ अ ] डायरी [ ब ] पुरातात्विक दस्तावेज [ स ] अवलोकन [ द ] उक्त सभी 10. इंस्ट्रुमेंटल क े स स्टडी की विशेषता क्या होती है? [ अ ] यह विषय क े नवीन पहलुओं को स्पष्ट करती है। [ ब ] विषय से संबंधित व्यक्ति समूह शोधकर्ता को अध्ययन क े लिए आमंत्रित करते हैं। [ स ] अध्ययन विषय की समग्र विशेषताओं को स्पष्ट करती है। [ द ] उपर्युक्त सभी 11. शोधकर्ता द्वारा अपनी पहल और रुचि क े आधार पर की जाने वाली क े स स्टडी वैयक्तिक अध्ययन का कौन सा प्रकार है। [ अ ]अन्वेषणात्मक क े स स्टडी [ ब ] रुचि आधारित क े स स्टडी [ स ] इंस्ट्रुमेंटल क े स स्टडी [ द ] निदानात्मक क े स स्टडी उत्तर- 1. ब 2. द 3. द 4. स 5. ब 6. द 7.द 8. द 9. द 10.द 11. ब