1. अंतररा य राजनी त क
े उपागम या ि टकोण
[ आदशवाद ,यथाथवाद एवं नव यथाथवाद उपागम]
वारा- डॉ टर ममता उपा याय
एसो सएट ोफ
े सर, राजनी त व ान
क
ु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय
बादलपुर, गौतम बु ध नगर, उ र देश
यह साम ी वशेष प से श ण और सीखने को बढ़ाने क
े शै णक उ दे य क
े लए है। आ थक / वा णि यक अथवा
कसी अ य उ दे य क
े लए इसका उपयोग पूणत: तबंध है। साम ी क
े उपयोगकता इसे कसी और क
े साथ वत रत,
सा रत या साझा नह ं करगे और इसका उपयोग यि तगत ान क उ न त क
े लए ह करगे। इस ई - क
ं टट म जो
जानकार क गई है वह ामा णक है और मेरे ान क
े अनुसार सव म है।
उ दे य-
● अंतररा य संबंध क
े अ ययन संबंधी व भ न ि टकोण क जानकार
● आदशवाद एवं यथाथवाद ि टकोण क
े संदभ म अंतररा य राजनी त क
े
व लेषण क मता का वकास
● अंतररा य संबंध क
े अ ययन का एक व तु न ठ और न प ि टकोण
वक सत करना
● अंतररा य राजनी त क यापक समाज क
े वकास क
े मा यम से अंतररा य
शां त और सहयोग आधा रत यव था क
े नमाण को ो सा हत करना
अंतररा य राजनी त एक वकास उ मुख वषय है िजसे वतं वषय क
े प म
था पत करने क
े यास जार ह। कसी वषय को वतं वषय क
े प म वक सत करने
म उन उपागम एवं स धांत क अहम भू मका होती है, जो उस वषय क या या करने
म स म होते ह। अंतररा य राजनी त क
े उपागम का ता पय उन ि टकोणो से है, जो
रा क
े आपसी यवहार को समझने और शां तपूण मानवता यु त अंतरा य
राजनी तक यव था क नमाण को े रत करने क ि ट से आधारभूत समझे जाते ह।
2. उपागम का अगला चरण स धांत होते ह जो कसी वषय क सु प ट या या क
े लए
आधार वा य तुत करते ह और िजन क
े वषय म व वान म यूना धक सहम त
पाई जाती है। स धांत तकसंगत अनुमान है जो कसी भी घटना क
े मूल कारण क
ववेचना करते ह। इन स धांत का व प ि टकोण से नधा रत होता है, अतः
ि टकोण और स धांत एक दूसरे से अ भ न है।
ि वंसी राइट क
े अनुसार-’’ अंतररा य संबंध क
े सामा य स धांत का अथ एक यापक
और वयं संशो धत ान संरचना से है जो रा य क
े पार प रक संबंध तथा व व क
प रि थ तय को समझने, भ व यवाणी करने, उनक ववेचना करने और उ ह नयं त
करने म योगदान दे सक। ‘’
मा टन वाइट ने’’ अंतररा य संबंध क
े स धांत को रा य क
े आपसी संबंध क
े बारे म
चंतन करने क परंपरा मा माना है जो रा य संबंधी चंतन क
े साथ जुड़ी हुई समझी
जाती है और रा य संबंधी चंतन को राजनी तक स धांत का नाम दया जाता है। ‘’
अथात अंतररा य राजनी त क
े स धांत भी राजनी त क
े सामा य स धांत से संबं धत
ह।
अंतररा य संबंध क
े वषय म वक सत मुख उपागम न न वत है-
1. आदशवाद उपागम[IDEALIST APPROACH]या उदारवाद ि टकोण
इस ि टकोण का वकास 18 वीं शता द म हुआ और ऐसा माना जाता है क अमे रक
और ांसीसी ां त का ेरणा ोत आदशवाद ह था। इमानुएल कांट को आदशवाद का
णेता माना जाता है,िज ह ने यह तपा दत कया क उदारवाद जातं क
े मू य का
सार दु नया म यु ध को रोक
े गा तथा दु नया म िजतने यादा लोकतां क देश ह गे,
उतनी ह अ धक वैि वक शां त ा त क जा सक
े गी। उनका तक था क लोकतां क देश है
जनता वारा शा सत होते ह और जनता म यु ध क आकां ा दुलभ ह होती है। यह
यव था राजतं उस यव था से भ न है िजसम शासक इ छा और वाथ ह सव प र
होता है और उसी क ाि त हेतु वह यु ध क नी त का सहारा लेता है। थम व व यु ध क
े
बाद अमे रक रा प त वु ो व सन क
े वारा आदशवाद ि टकोण से े रत होकर ह ’
14 सू ’ तपा दत कए गए और रा संघ जैसी वैि वक सं था क नींव रखी गई।
3. आदशवाद ि टकोण का संबंध दु नया म आदश अंतररा य राजनी तक यव था
था पत करने से है। यह भ व य क
े ऐसे अंतररा य समाज क क पना करता है जो
शि त- संघष अनै तकता और हंसा से सवथा मु त हो। 1795 म क डारसेट ने यह
तपा दत करने का य न कया था क भ व य म एक ऐसी व व यव था था पत
होगी िजसम यु ध , रा क
े म य वषमता और अ याचार क
े लए कोई थान नह ं
होगा। मनु य अपनी बु ध, श ा और वै ा नक आ व कार क
े आधार पर कतनी
उ न त कर लेगा क भाभी मानवीय समाज सवथा दोष मु त होगा। आदशवाद
ि टकोण क
े तपादक व व म याय और शां त था पत करने अंतरा य सहयोग
वक सत करने और शि तशाल रा य वारा शि तह न रा क
े शोषण को समा त
करने जैसे मु द पर वचार करते ह।
आदशवाद ि टकोण क मुख मा यताएं-
आदशवाद ि टकोण अंतररा य सम याओं क
े समाधान हेतुअंतररा य सं थाओं
और कानून पर बल देता है। इसक मुख मा यताएं इस कार ह-
1. दु नया क
े व भ न रा म उदारवाद लोकतं क
े मू य का चार- सार कर
यु ध को रोका जा सकता है
2. एक रा को दूसरे रा क
े साथ यवहार करते समय नै तक स धांत का पालन
करना चा हए और परंपरागत शि त राजनी त से दूर रहने का य न करना
चा हए।
जैसे -भारत ने वतं ता क
े बाद अपने पड़ोसी देश चीन क
े साथ संबंध का नधारण
‘पंचशील समझौते’ क
े आधार पर कया, जो अना मण , अह त ेप एवं पार प रक
सं भुता क
े स मान जैसे स धांत पर आधा रत था।
3. शि त राजनी त क
े बल समथक दु नया म सवा धकार वाद दल रहे ह। रा
को मलकर ऐसे दल को समा त करने का य न करना चा हए। जैसे- जमनी म
नाजीवाद दल, इटल म फासीवाद दल, समाजवाद देश म सा यवाद दल आ द।
4. व व सरकार क थापना करक
े अंतररा य राजनी त म शि त राजनी त क
े
दू षत भाव को सदा क
े लए समा त कर देना चा हए।
4. 5. वदेश नी त का नधारण दु नया क
े लोग क वतं ता समानता और क याण म
वृ ध करने क
े उ दे य से कया जाना चा हए।
6. अंतररा य राजनी त वयं म सा य न होकर अंतररा य याय क
े वकास का
साधन मा है।
थम व वयु ध क
े बाद अंतररा य संबंध का अ ययन इसी आदशवाद ि टकोण क
े
आधार पर कया गया। सर अ े ड िजमान ने रा संघ पर, फ लप नोएल बेकर ने
नर ीकरण पर और जे स शॉटवेल ने यु ध संबंधी अ ययन इसी ि टकोण को
अपनाकर कया। यह ि टकोण यथाथवाद ि टकोण से भ न है य क यथाथवाद
अंतररा य संबंध का व लेषण अनुभव और वा त वकता क
े आधार पर करता है, न
क का प नक स धांत क
े आधार पर।
आलोचना- आदशवाद ि टकोण क आलोचना न नां कत आधार पर क जाती है-
● आदशवाद ि टकोण यावहा रक नह ं है। सवथा दोषमु त अंतररा य यव था
तभी संभव हो सकती है जब रा य पार प रक संबंध म सै नक शि त का योग
करना छोड़ द, कं तु जैसा क मारगे थो ने लखा है, ‘’ इस व व म पर पर
वरोधी वाथ और संघष इतने अ धक बल ह क इनक
े होते हुए नै तक स धांत
को पूण प से याि वत नह ं कया जा सकता। ‘’
● यावहा रक ि ट से आदश वाद वफल स ध हुआ है य क रा संघ क
थापना क
े क
ु छ ह वष बाद रा म मतभेद दखाई देने ल गे । रा क
े
नाग रक म वैि वक मानवतावाद क
े थान पर देशभि त का भाव ह बल रहा।
छोटे और कमजोर रा को यह समझने म देर नह ं लगी क महा शि तयां याय
और स चाई का साथ देने क
े बजाय अपने न हत वाथ को ह अ धक ाथ मकता
देती ह। रा संघ क असफलता ने यह स ध कर दया क याय और नै तकता
क
े स धांत क
े आधार पर अंतररा य संबंध का संचालन नह ं कया जा सकता।
● वतीय व व यु ध क
े बाद दु नया क दो महा शि तयां- संयु त रा य अमे रका
और सो वयत संघ वैचा रक संघष म उलझ गई िजसे शीतयु ध का नाम दया
5. गया। दु नया दो गुट म वभािजत हो गई िजनक
े म य शि त - त पधा तेजी से
वक सत हुई।
प ट है क अंतररा य संबंध क मूल यथाथवाद ेरणा पर यान न देने क
े
कारण आदशवाद ि टकोण अंतररा य संबंध क
े व लेषण म वशेष उपयोगी
नह ं हो सका।
यथाथवाद उपागम [ REALIST APPROACH]
आदशवाद ि टकोण क अपूणता क
े कारण उ प न त या व प
अंतररा य राजनी त क
े यथाथवाद ि टकोण का वकास हुआ। ाचीन भारतीय
वचारक कौ ट य क
े ‘अथशा ’ और चीनी रणनी तकार सुन झू क रचना ‘ आट
ऑफ वार’ मे राजनी तक यथाथवाद का बीजारोपण हुआ। पि चमी जगत म
मै कयावेल क
े चंतन मराजनी तक यथाथवाद क ववेचना मलती है।
अंतररा य संबंध म इस उपागम का वकास वतीय व वयु ध क
े बाद हुआ।
दु नया म हटलर और मुसो लनी क
े उदय, उनक
े आ ामक और व तार वाद
नी तयां आ द त व ने अंतररा य संबंध क
े व वान को व व राजनी त क
वा त वकताओं को समझने क
े लए े रत कया। यथाथवाद ि टकोण क मूल
मा यता यह है क रा क
े बीच वरोध और संघष कसी न कसी प म सदा बने
रहते ह, अतः इनक
े संदभ म ह अंतररा य राजनी त का अ ययन कया जाना
चा हए।
अंतररा य राजनी त म यथाथवाद ि टकोण क
े वकास म कई व वान का
योगदान रहा है। इनमे जॉज क
े नन , रेना ड नएबूर , जॉज वजनबगर, हेनर
क संगर तथा मारगेनथो मुख है। यथाथवाद क
े वकास म और जंतु क
े योगदान
को वीकार करते हुए डॉ टर मह क
ु मार ने लखा है क ‘’मोरगेनथो क
े वल
यथाथवाद लेखक ह नह ं है ,बि क पहले स धांत कार ह िज ह ने यथाथवाद
6. ढांचे को वै ा नक ढंग से वक सत कया।’’गाजी अलगोसाईबी ने मोरगेनथो को
यथाथवाद का पयायवाची कहा है। मोरगेनथो ने अपनी पु तक ‘पॉ ल ट स
अमंग नेश स’ म यथाथवाद ि टकोण क ववेचना करते समय शि त पर बहुत
यादा बल दया है, इसी लए ि टकोण को ‘शि त वाद ि टकोण’ भी कहते ह।
थम व वयु ध से पूव तसक
े , नीटजे ,ए रक कोपसन जैसे वचार को ने भी
शि त वाद ि टकोण पर जोर दया था। े ड रक वाट कं स, हेरा ड लासवेल और
डे वड ई टन जैसे व वान ने भी शि त को राजनी त व ान क मूल अवधारणा
माना। ि वंसी राइट जॉज वरजांबगर ,ई . एच . कार आ द व वान ने
अंतररा य राजनी त म शि त क संक पना को लागू करने का य न कया।
राजनी तक यथाथवाद क
े स धांत-
मोरगेनथो राजनी तक यथाथवाद क
े मुख स धांत कार है। उनक
े श द म,’’
उनका स धांत यथाथवाद इस लए है य क वह मानव वभाव को उसक
े यथाथ
प म देखता है, जो इ तहास म अना द काल से बार-बार दखाई देता रहा है। ‘’
यथाथवाद ि टकोण का व लेषण करते हुए मारगेनथो ने इसक
े 6 स धांत या
छः नयम का उ लेख कया। यह है-
1. शि त अंतररा य राजनी त का मुख त व है और यह मानव वभाव से
संब ध है अथात येक यि त वभाव से ह शि त को ा त करने और शि त
का दशन करने क
े लए उ सुक रहता है। अंतररा य राजनी त मानव वभाव म
न हत इसी व तु न ठ नयम क
े अनुसार संचा लत होती है, अतः अंतररा य
राजनी त क
े व लेषक को मानव वभाव म न हतअमूत व तु न ठ नयम को
ढूंढ कर उनक
े आधार पर काय करने का य न करना चा हए।
2. रा क
े हत को शि त क
े प म प रभा षत कया जा सकता है। इसी आधार
पर मारगेनथो ने कहा क अंतररा य राजनी त रा य हत क पू त क
े लए
कया जाने वाला संघष है।
3. रा हत का कोई नि चत अथ नह ं होता। येक रा का हत अलग- अलग
प रि थ तय म भ न - भ न हो सकता है । मोरगेनथो का व वास है क
राजनी तक और सां कृ तक वातावरण रा य हत को नधा रत करने म
7. मह वपूण भू मका नभाता है, अतः शि त का वचार भी बदलती प रि थ तय क
े
अनुसार बदलता रहता है।
4. रा क ग त व धयां ववेक पर आधा रत होती है। अथात ववेक राजनी त
का उ चतम मू य है। इसक
े अनुसार अमूत व व यापी नै तक मा यताओं क
े
आधार पर रा क
े याकलाप का संचालन संभव नह ं है। कोई भी रा य
नै तकता क दुहाई देकर अपनी सुर ा को खतरे म नह ं डाल सकता। रा को
नै तक स धांत का पालन ववेक और संभा वत प रणाम क
े आधार पर ह करना
चा हए।
5. एक रा क
े नै तक मू य सावभौ मक अंतररा य मू य से भ न होते ह।
शां त एवं सं भुता का स मान जहां अंतररा य मू य है, वह स चाई और
ईमानदार रा क
े नै तक मू य हो सकते ह। इन दोन को पृथक रखा जाना
चा हए। येक रा यह जानकर क उसक भां त ह दूसरे रा भी अपने रा य
हत क वृ ध म संल न है, अ धक संतु लत और यथाथवाद नी तय का वकास
कर सक
े गा।
6. राजनी त का े सामािजक, सां कृ तक और नै तक े से पृथक और
वतं है। इन सभी े को दशा नद शत करने का काय राजनी तक यव था
क
े वारा कया जाता है। जैसे अथशा का क य वषय व है ,नी तशा का
नै तक मू य वैसे ह राजनी तक यथाथवाद शि त क
े न पर क त है। येक
अंतररा य सम या का कानूनी नै तक और राजनी तक पहलू होता है और
राजनी तक गैर कानूनी और नै तक मा यताओं क
े मह व को वीकार करते हुए
उनका उतना ह योग करते ह िजतना उपयु त होता है।
मा यताएं-
● यथाथवाद उपागम क मुख मा यताएं इस कार ह-
● अंतररा य यव था क कृ त अराजकतावाद है, जहां येक रा अपने
हत क पू त क
े लए त पध और आ म क त बना रहता है। िजसक
े
कारण हंसा, संघष, आतंक और अ याय क ि थ त देखने को मलती है।
8. ● संयु त रा संघ और रा संघ जैसी अंतररा य सं थाओं का सं भु
रा य पर कोई भाव या नयं ण नह ं होता। रा अंतररा य सं थाओं
क
े ताव को अमा य करते दखाई देते ह।
● बहुरा य सां कृ तक समूह को मा यता देने क
े थान पर रा वाद का
वचार भावी होता है जो रा य क
े यवहार को संचा लत करता है।
● रा य अपने रा य हत क पू त क
े लए संघष करते ह।
● व भ न रा य म लंबे समय तक सहयोग या मह व संभव नह ं है य क’
रा य क
े ना तो थाई म होते ह और ना ह थाई श ु.... रा य हत का
संर ण ह एकमा थाई म होता है।
● येक रा य का सबसे बड़ा ल य अपनी सुर ा और अपने अि त व क
र ा करना है।
● रा य क
े शि त- संबंध का व लेषण सापे शि त बनाम नरंक
ु श शि त
क
े संदभ म कया जा सकता है। अथात कोई रा कसी दूसरे रा से कम
या यादा शि तशाल हो सकता है या कोई रा शि त क ि ट से इतना
भावी होता है, क वह अपनी स ा पर कसी भी कार क मयादा वीकार
नह ं करता।
आलोचना-
य य प यथाथवाद ि टकोण ने आदशवाद ि टकोण क का प नकता से
अंतररा य संबंध क
े अ ययन को मुि त दान कर एक यथाथवाद , वै ा नक
अंत ि ट दान क । यह ि टकोण रा क सरकार को वदेश नी त नमाण का
एक यावहा रक आधार दान करता है, फर भी यह आलोचना से बच नह ं सका।
आलोचक ने न नां कत आधार पर इसक आलोचना क है-
● यथाथवाद ि टकोण क
े अंतगत शि त या स ा को ह अंतररा य संबंध
क
े संचालन का क य त व माना गया है, जब क हमेशा ऐसा नह ं होता।
अंतरा य शां त और मानवीय क याण क इ छा अंतररा य संबंध क
े
संचालन क ेरक बनी रहेगी। टेनले हाफ़मेन मरगथ क
े स धांत को ‘
शि त का अ वैतवाद’ कहा है।
9. ● यथाथवाद ि टकोण क
े अंतगत िजस शि त को अंतररा य संबंध का
क य त व माना गया है, वह वयं म एक अ प ट श द है। एक रा
शि त को कस प म लेता है और उसक शि त कतनी और क
ै सी है,
इसका मापन करना क ठन है । हा लया वष म भारत ने योग क
े वैि वक
चार- सार एवं ‘योग दवस’ क
े प म संयु त रा संघ क मा यता क
े
साथ ‘ सॉ ट पावर’ को अिजत कया है। न यह है क या यथाथवाद
ि टकोण क
े अंतगत शि त क
े इस प को वीकार कया जा सकता है या
सै नक शि त ह शि त क
े नधारण का मापदंड बनी रहेगी।
● यथाथवाद रा क
े म य शि त संघष और त पधा क वृ क
े
था य व को वीकार करता है और अंतररा य संबंध क
े े म उ दे य
और साधन जैसे न क
े त तट थ दखाई देता है। रा समुदाय का
नमाण मनु य से मलकर होता है और मनु य म शि त एवं संघष क
े
वाभा वक वृ क
े साथ सहयोग क भी वृ होती है, यथाथवाद इस
वृ को अ वीकार करता है और इस ि ट से एकांगी हो जाता है।
को वड-19 क
े संकट क
े दौरान भारत जैसे देश क
े वारा अपने पड़ोसी रा य
को वै सीन एवं आव यक दवाओं का नयात वैि वक सहयोग का एक
उदाहरण है ।
● यवहार म यथाथवा दयो का उ दे य रा य शि त का चार सार माना
जाता था। इस लए उनक नी तयां शां त वरोधी समझी जाने लगी ।
अंतररा य राजनी त का व लेषण कभी न समा त होने वाले शि त संघष
क
े प म नह ं कया जा सकता। य द ऐसा कया जाता है तो अंतररा य
शां त क
े वचार को हमेशा क
े लए यागना पड़ेगा। रा य क मत भी बहुत
से ऐसे अंतररा य याकलाप होते ह िजनका शि त से कोई संबंध नह ं
होता। जैसे- ओलं पक खेल या अंतररा य फ म समारोह का आयोजन
आ द।
● मोरगे थ ने अंतररा य राजनी त क
े नयम को मानव वभाव पर
आधा रत बताया है, कं तु अंतरा य यवहार अ नि चत है और इसे
10. मानवीय कृ त पर आधा रत नयम क सीमाओं म नह ं बांधा जा सकता।
क
े नेथ वा टज़ क
े श द म, ‘’ मोरगेनथो क
े स धांत म न चया मकता
और और न चचया मकता का खींचतान कर मलान कया गया है। ‘’
● मोरगे थ का दावा है क उनका स धांत मानव कृ त से नकले नयम
पर आधा रत है, कं तु मानव कृ त संबंधी उनका अ ययन नर ण और
पर ण क
े वै ा नक स धांत पर आधा रत ना होकर बहुत क
ु छ अनुमान
पर आधा रत है।
● ि वंसी राइट और रेमो आरो ने इस स धांत को अपूण बताया है य क
इसम रा य नी त और वचारधारा क
े पार प रक संबंध को भुला दया
गया है।
सं ेप म यह कहा जा सकता है क माग थाऊ का यथाथवाद स धांत शि त क
े
अ त र त अंतररा य राजनी त क
े कसी अ य प क या या नह ं करता, इस लए
उसे अंतररा य राजनी त का सामा य स धांत नह ं कहा जा सकता। फर भी यह
अंतररा य राजनी त क
े संचालन का एक तकसंगत आधार अव य तुत करता है।
क
े नेथ वा टज़ क
े श द म,’’ मोरगेनथो से हम अंतररा य राजनी त का कोई
सु नि चत स धांत चाहे भले न मलता हो पर उसक
े स धांत रचना क
े लए पया त
साम ी अव य मलती है। ‘’ मारगेनथो का सबसे बड़ा योगदान यह है क उसने वतीय
व व यु ध से पहले आदशवाद क
े आशा जाल म फ
ं सी अंतररा य राजनी त को
यथाथवाद का यवहारवाद आधार दान कया।
आदशवाद और यथाथवाद ि टकोण क अ तय से बचते हुए सम वय वाद
ि टकोण तुत कया गया । वीनसी राइट जैसे व वान वदेश नी त क
े नधारण म
दोन ह ि टकोण क उपयो गता को वीकार करते ह। यथाथवाद ि टकोण रा क
अ पकाल न नी तय का सूचक है, िजसका उ दे य ता का लक हत क पू त करना होता
है,जब क आदशवाद यापक द घकाल न व व शां त और सुर ा क
े ल य से े रत है।
जॉन हज इस कोण क
े बल समथक ह।
11. 3. नव यथाथवाद ि टकोण-
नव यथाथवाद ि टकोण िजसे ‘संरचना मक यथाथवाद’ भी कहा जाता है, वतीय
व व यु ध क
े बाद मोरगे थ क रचना ‘पॉ ल ट स अमंग नेश स’क
े काशन क
े साथ
उ दत हुआ। नव यथाथवा दय म मुख है-क
ै नेथ वो टज,जोसेफ गर च ,रेमो आर
, टेनल हाफ़मेन , ट फएन वा ट , रॉबट गी लयान आ द । नव यथाथवाद
अंतररा य घटनाओं क या या अंतरा य यव था क संरचना क
े संदभ म करते ह,
पृथक- पृथक रा य क
े आचरण क
े संबंध म नह ं। रा य राजनी तक यव था क
े समान
वे अंतररा य जगत म भी एक यव था क याशीलता देखते ह, िजस यव था से
सभी रा संब ध ह। अंतरा य यव था क संरचना म होने वाला कसी भी तरह का
प रवतन या अंतररा य यव था का व प रा क
े आचरण को भा वत करता है,
ऐसी इस ि टकोण क मा यता है।
मा यताएं-
1979 म क
ै नेथ वा टज क रचना ‘ योर ऑफ इंटरनेशनल पॉ ल ट स’
क
े मा यम से इस ि टकोण को सै धां तक सु ढ़ता ा त हुई। इसक मुख
मा यताएं इस कार ह-
● रा क
े म य होने वाले संघष अंतरा य यव था क संरचना क देन है।
● व भ न रा य क
े पार प रक संबंध कतने ह मै ीपूण य ना हो, उनम
कभी-कभी मतभेद या संघष उ प न हो ह जाते ह।
● अंतररा य संघष अंतरा य यव था क अराजकता का प रणाम है।
अराजकता से अ भ ाय यह है क सं भुता संप न रा य क
े ऊपर और कोई ऐसी
शि त नह ं है जो उनक
े म य शां त और यव था का नमाण कर सक।
उ लेखनीय है क संयु त रा संघ जैसी सं था क
े नणय और शां त थापना क
उसक
े यास सं भु रा य क
े ऊपर बा यकार नह ं है, अथात य द वे उसक
े नणय
को नह ं मानते ह, तो उ ह दं डत करने क कोई यव था नह ं है। अतः अराजकता
क
े कारण यु ध को समा त करने क
े लए और सहयोग को ो सा हत करने क
े लए
समझौते लगभग असंभव हो जाते ह।
12. ● नव यथाथवाद दो तमानो म दखाई देता है-1. आ ामक नव यथाथवाद और 2.
सुर ा मक नव यथाथवाद। आ ामक नव यथाथवाद क मा यता है क
अंतररा य राजनी त म संघष अ नवाय है इसी लए रा य नेतृ व को व तार
वाद नरंक
ु श शि तय से सदैव सतक रहना चा हए । सुर ा मक नव यथाथवाद
यु ध क
े भीषण प रणाम से प र चत ह और उनक मा यता है क यु ध सदा ह
समाज क
े तक ह न वग क ग त व धय और उनक मान सकता का प रणाम होते
ह। क
ु छ व वान इसे ‘उदारवाद यथाथवाद’ भी कहते ह िजसक
े अनुसार यु ध क
प रि थ तय क वाभा वक उपि थ त क
े साथ अंतररा य क
ू टनी त, कानून
और अंतररा य समुदाय वारा यव था नमाण क
े य न कए जाने चा हए।
इस ि ट से यह संयु त रा संघ जैसे अंतररा य संगठन क
े मह व को
तपा दत करता है।
● व व समुदाय क
े हत क र ा करने क
े लए तथा नयम को लागू करने क
े लए
एक क य वैि वक स ा का होना आव यक है।
प ट है क पुराने यथाथवाद यु ध क
े लए मानव वभाव को
उ रदाई मानते ह, वह नव यथाथवाद अंतररा य यव था क संरचना को
अंतरा य संघष क
े लए उ रदाई बताते ह।
मू यांकन-
आलोचक क
े अनुसार नव यथाथवाद ि टकोण पुरानी यथाथवाद से मलता जुलता
है, फर भी यह कहा जा सकता है क नव यथाथवाद का बल ‘अंतररा य यव था’ पर
है, न क मानव कृ त पर। अंतररा य राजनी त म रा य मुख कता बने रहते ह, फर
भी इसम रा य से भं न अंतरा य संगठन और शि तय क
े अ ययन पर बल दया
जाता है। अनुसंधान क ि ट से नव यथाथवाद ि टकोण आज भी ासं गक है।
मु य श द-
आदशवाद , यथाथवाद, नव यथाथवाद, अंतरा य यव था, संयु त रा संघ,
संरचना मक यथाथवाद
13. REFERENCES AND SUGGESTED READING
1. DR. Mahendra Kumar ,Antarrashtriy Rajniti Ke Saiddhantik
Paksh,1977, Agra
2. Hans J. Morgenthau,Politics Nations,1963
3. Herald D. Lasswell,Power And Society: A Framework of Political
Enquiry
4. www.e-ir.info
न-
नबंधा मक
1. अंतररा य राजनी त क
े आदशवाद उपागम क ववेचना क िजए। या यह एक
का प नक ि टकोण है।
2. अंतररा य राजनी त क
े यथाथवाद उपागम क मुख मा यताओं का मू यांकन
क िजए।
3. नव यथाथवाद या संरचना वाद उपागम क ववेचना करते हुए बताइए क यह
यथाथवाद से कस अथ म भ न है।
व तु न ठ
1. आदशवाद ि टकोण अंतररा य राजनी त क
े क
ै से अ ययन म व वास रखता है।
[ अ ] नै तक और सं था वाद [ ब ] शि त वाद [ स ] यवहारवाद [ द ] उपयु त सभी
2. न नां कत म से या आदशवाद क मा यता नह ं है।
[ अ ] वैि वक सरकार क थापना म व वास
[ ब ] अंतररा य कानून क
े पालन पर जोर
[ स ] सवा धकार वाद दल का वरोध
[ द ] रा क सुर ा हेतु श - नमाण पर जोर
3. न न ल खत म से कौन सा संगठन आदशवाद ि टकोण का तीक नह ं है।
14. [ अ ] रा संघ [ ब ] उ र अटलां टक सं ध संगठन[NATO] [ स ] संयु त रा संघ [
द ] यूने को
4. ‘ शि त क
े प म प रभा षत हत क धारणा अंतररा य राजनी त का मूल आधार है’
यह वा य अंतररा य राजनी त क
े कस ि टकोण को य त करता है।
[ अ ] आदशवाद [ ब ] यथाथवाद [ स ] सं था वाद [ द ] सम वय वाद
5. यथाथवाद क
े मुख व ता कौन है।
[ अ ] हेनर क संगर [ ब ] मारगेनथो [ स ] टेनल हाफ़मेन [ द ] मे कयावेल
6. ‘पॉ ल ट स अमंग नेशंस’ नामक पु तक क
े लेखक कौन ह।
[ अ ] मै कयावेल [ ब ] हेनर क संगर [स ] मारगेनथो [ द ] वाट क स
7. मारगेनथो वारा तपा दत यथाथवाद का मु य आधार या है।
[ अ ] रा य क धारणा [ ब ] मानव वभाव [ स ] अंतररा य संगठन [ द ]
अंतररा य कानून
8. मोरगेनथो क
े यथाथवाद ि टकोण को आधार दान करने वाले वचारक कौन से ह।
[ अ ] कौ ट य [ ब ] सुन झू [ स ] मै कयावेल [ द ] उपयु त सभी
9. नव यथाथवाद ि टकोण अंतररा य राजनी त म रा य क
े यवहार को नधा रत
करने वाले त व क
े प म कसे तुत करता है।
[ अ] मानव वभाव [ ब ] अंतररा य यव था क संरचना[ स ] अ -श क
उपि थ त [ द ] अंतररा य क
ू टनी त
10. नव यथाथवाद उपागम क
े वकास म कसका योगदान मुख है।
[ अ ] क
े नेथ वल ज़ [ ब ] न जे [ स ] वरजंबगर [ द ] मारगेनथो
उ र- 1.अ 2. द 3. ब 4.ब 5.ब 6.स 7.ब 8. द 9.ब 10. अ