प्रस्तावना
लगभग 15,200 किलोमीटरिी भूमम सीमा और लगभग 7517 किलोमीटर ि
े द्वीपों ि
े समूहों ि
े साथ भारत
आिार में दुननया िा सातवााँ सबसे बड़ा देश है। भारत दुननया िा सबसे बड़ा लोितंत्र है।
भारत ि
े पड़ोसी देश राजधानी
पाकिस्तान इस्लामाबाद
अफगाननस्तान िाबुल
चीन बीजजंग
नेपाल िाठमांडु
भूटान थथम्फ
ू
बांग्लादेश ढािा
म्यांमार नैप्यीदा
हहमालय और पववत श्रंखलाएं उत्तर में चीन से और पूवव में म्यांमार से भारत िो अलग िरती हैं। भारत और चीन ि
े
बीच हहमालय िी श्रंखला ि
े साथ नेपाल जस्थत है। बांग्लादेश उत्तर-पूवी राज्यों और पजचचम बंगाल ि
े बीच में जस्थत
है। पाकिस्तान पूरे उत्तर में जस्थत है। पजचचम सीमा अफगाननस्तान ि
े छोटा सा हहस्सा में है।
भारत िा ननिटतम पड़ोसी पाकिस्तान है। वह अजस्तत्व में आई जब 1947 में स्वतंत्रता ि
े समय भारत िा
ववभाजन हुआ था। दोनों देशों ि
े बीच संबंध िभी भी दोस्ताना नह ं रहे हैं। मसतंबर 1965 और हदसंबर 1971 में
पाकिस्तान ने भारत पर हमले शुरू किए।
हहमालयन वप्रंसेडोम, नेपाल और भारत में समान समानताएाँ हैं। अच्छे ममत्रवत संबंध आथथवि, सामाजजि और
राजनीनति आधारों पर नह ं बजकि आम धाममवि, सांस्िर नति, नस्ल य और ऐनतहामसि संबंधों पर अथधि आधाररत
होते हैं जो एि साथ बंधते हैं। नेपाल िो औद्योथगि वविास ि
े मलए भारत से भार ववत्तीय और तिनीिी सहायता
प्राप्त होती है।
अफगाननस्तान और म्यांमार ि
े साथ भी भारत ि
े अच्छे संबंध हैं। भारत और म्यांमार ि
े बीच अंतरावष्ट्र य सीमा
तय िरने ि
े समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। लाभिार संबंध जार रहने िी उम्मीद है।
बांग्लादेश िा भारत पर बहुत अजस्तत्व है। यह भारत था जजसने पड़ोसी िी स्वतंत्रता ि
े मलए लड़ाई लड़ी। इनतहास
से भारत द्वारा किए गए रक्तपात और बमलदानों िा पता चलता है। भारत िी जरूरत और संिट िी घड़ी में
उनिा प्रबल समथवि रहा है।
2.
चीन एि औरबड़ा देश है। वपछले वर्षों में चीन ि
े साथ संबंध मैत्रीपूर्व नह ं रहे हैं। भारत ने एि मैत्रीपूर्व हाथ
बढ़ाने िी पहल िी और अब ि
ु छ हद ति सांस्िर नति, आथथवि, वैज्ञाननि और तिनीिी क्षेत्रों ि
े माध्यम से
पारस्पररि सहयोग मांगा जा रहा है। भारत द्वारा उठाए गए साहमसि िदम से उम्मीदें बढ़ गई हैं कि सीमा
समस्या िा समाधान शांनतपूर्व तर िों से ममलेगा।
भारत
भारत (आथधिाररि नामः भारत गर्राज्य, अंग्रेज़ीः त्मचनइसपब वव प्दिपं) दक्षक्षर् एमशया में जस्थत भारतीय
उपमहाद्वीप िा सबसे बड़ा देश है। भारत भौगोमलि दृजष्ट्ट से ववचव िा सातवााँ सबसे बड़ा देश है, जबकि जनसंख्या
ि
े दृजष्ट्टिोर् से चीन ि
े बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत ि
े पजचचम में पाकिस्तान, उत्तर-पूवव में चीन, नेपाल
और भूटान, पूवव में बांग्लादेश और म्यान्मार जस्थत हैं। हहन्द महासागर में इसि
े दक्षक्षर् पजचचम में मालद व, दक्षक्षर्
में श्ीलंिा और दक्षक्षर्-पूवव में इंडोनेमशया से भारत िी सामुहिि सीमा लगती है। इसि
े उत्तर में हहमालय पववत तथा
दक्षक्षर् में हहन्द महासागर जस्थत है। दक्षक्षर्-पूवव में बंगाल िी खाड़ी तथा पजचचम में अरब सागर है।
आधुननि मानव या होमो सेवपयन्स अफ्रीिा से भारतीय उपमहाद्वीप में 55,000 साल पहले आये थे। 1,000 वर्षव
पहले ये मसंधु नद ि
े पजचचमी हहस्से िी तरफ बसे हुए थे जहााँ से इन्होने धीरे धीरे पलायन किया और मसंधु घाट
सभ्यता ि
े रूप में वविमसत हुए। 1,200 ईसा पूवव संस्िर त भार्षा सम्पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में फ
ै ल हुए थी और
तब ति यहााँ पर हहन्दू धमव िा उद्धव हो चुिा था और ऋग्वेद िी रचना भी हो चुिी थी। 400 ईसा पूवव ति
आते आते हहन्दू धमव में जानतवाद देखने िो ममल जाता है। इसी समय बौद्ध एवं जैन धमव उत्पन्न हो रहे होते हैं।
प्रारंमभि राजनीनति एित्रीिरर् ने गंगा बेमसन में जस्थत मौयव और गुप्त साम्राज्यों िो जन्म हदया। उनिा समाज
ववस्तरत सरजनशीलता से भरा हुआ था।
प्रारंमभि मध्ययुगीन िाल में,ईसाई धमव, इस्लाम, यहूद धमव और पारसी धमव ने भारत ि
े दक्षक्षर्ी और पजचचमी तटों
पर जड़ें जमा ल ं। मध्य एमशया से मुजस्लम सेना ं ने भारत ि
े उत्तर मैदानों पर लगातार अत्याचार किया, अंततः
हदकल सकतनत िी स्थापना हुई और उत्तर भारत िो मध्यिाल न इस्लाम साम्राज्य में ममला मलया गया। 15 वीं
शताब्द में, ववजयनगर साम्राज्य ने दक्षक्षर् भारत में एि लंबे समय ति चलने वाल समग्र हहंदू संस्िर नत बनाई।
पंजाब में मसख धमव िी स्थापना हुई। धीरे-धीरे ब्रिहटश ईस्ट इंडडया ि
ं पनी ि
े शासन िा ववस्तार हुआ, जजसने भारत
िो औपननवेमशि अथवव्यवस्था में बदल हदया तथा अपनी संप्रभुता िो भी मजबूत किया। ब्रिहटश राज शासन 1858
में शुरू हुआ। धीरे धीरे एि प्रभावशाल राष्ट्रवाद आंदोलन शुरू हुआ जजसे अहहंसि ववरोध ि
े मलए जाना गया और
ब्रिहटश शासन िो समाप्त िरने िा प्रमुख िारि बन गया। 1947 में ब्रिहटश भारतीय साम्राज्य िो दो स्वतंत्र
प्रभुत्वों में ववभाजजत किया गया, भारतीय अथधराज्य तथा पाकिस्तान अथधराज्य, जजन्हे धमव ि
े आधार पर ववभाजजत
किया गया।
1950 से भारत एि संघीय गर्राज्य है। भारत िी जनसंख्या 1951 में 36.1 िरोड़ से बढ़िर 2011 में 1.211
िरोड़ हो गई। प्रनत व्यजक्त आय $64 से बढ़िर $1,498 हो गई और इसिी साक्षरता दर 16.6ःः से 74ःः हो गई।
भारत एि तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अथवव्यवस्था और सूचना प्रौद्योथगिी सेवा ं िा ि
ें ि बन गया है। अंतररक्ष क्षेत्र
3.
में भारत नेउकलेखनीय तथा अद्ववतीय प्रगनत िी। भारतीय कफकमें, संगीत और आध्याजत्मि मशक्षाएं वैजचवि
संस्िर नत में ववशेर्ष भूममिा ननभाती हैं। भारत ने गर बी दर िो िाफी हद ति िम िर हदया है। भारत देश
परमार्ु बम रखने वाला देश है। िचमीर तथा भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन सीमा पर भारत िा पाकिस्तान
तथा चीन से वववाद चल रहा है। लैंथगि असमानता, बाल शोर्षर्, बाल ि
ु पोर्षर्, गर बी, भ्रष्ट्टाचार, प्रदूर्षर् इत्याहद
भारत ि
े सामने प्रमुख चुनौनतयााँ है। 21.4ःः क्षेत्र पर वन है। भारत ि
े वन्यजीव, जजन्हें परंपरागत रूप से भारत िी
संस्िर नत में सहहष्ट्र्ुता ि
े साथ देखा गया है, इन जंगलों और अन्य जगहों पर संरक्षक्षत आवासों में ननवास िरते हैं।
नामोत्पवत्त
भारत ि
े दो आथधिाररि नाम हैं- हहन्द में भारत और अंग्रेज़ी में इंडडया (प्दिपं)। इंडडया नाम िी उत्पवत्त मसन्धु
नद ि
े अंग्रेजी नाम :इंडसः से हुई है। श्ीमद्भागवत महापुरार् में वर्र्वत एि िथा ि
े अनुसार भारत नाम मनु ि
े
वंशज तथा ऋर्षभदेव ि
े सबसे बड़े बेटे एि प्राचीन सम्राट भरत ि
े नाम से मलया गया है। एि व्युत्पवत्त ि
े अनुसार
भारत (भा $ रत) शब्द िा मतलब है आन्तररि प्रिाश या ववदेि-रूपी प्रिाश में ल न। एि तीसरा नाम हहन्दुस्तान
भी है जजसिा अथव हहन्द िी भूमम,यह नाम ववशेर्षिर अरब तथा ईरान में प्रचमलत हुआ। बहुत पहले भारत िा एि
मुंहबोला नाम सोने िी थचडड़या भी प्रचमलत था। संस्िर त महािाव्य महाभारत में वर्र्वत है िी वतवमान उत्तर भारत
िा क्षेत्र भारत ि
े अंतगवत आता था। भारत िो िई अन्य नामों भारतवर्षव, आयाववतव, इंडडया, हहन्द, हहंदुस्तान,
जम्बूद्वीप आहद से भी जाना जाता है।
अध्ययन से संबजन्धत र्षोध साहहत्य िी समीक्षा-
शोध हेतु ननजचचत किये गये ववर्षय से संबथधत साहहत्य िा पुनरावलोिन किए ब्रबना शोध प्रारम्भ नह किया जा
सिता अन्यथा इससे सम्पूर्व शोध प्रकिया ि
े दोश पूण्र रहने िी सम्भावना रहती है। अतः आवचयि है कि आरम्भ
से ह शोध साहहत्य िा अध्ययन िर मलया जाय। संबथधत साहहत्य में प्रलेख, लेख पत्र, पुस्ति
े , प्रनतवेदन ववर्षय से
संबथधत शोध ग्रंथ आहद आते है इस प्रिार सि
े साहहत्य ि
े अध्ययन से शोध िताव िा िाम आसान हो जाता है
इससे शोध िताव िो अध्ययन िी ववमभन्न प्रववथधयों िा ज्ञान हो जाता है और शोध िायव में आने वाल िहठनाइयो
िा पता भी चल जाता है महत्वपूर्व अवधारर्ा ं िी जानिा ममल जाती है किन्तु किये हुये शोध िायव िो दोहराने
िी भूल से छ
ु टिारा ममल जाता है। तथा शोध िायव िो आगे बढाने में पदद ममलती है संबथधत साहहत्य िा
अध्ययन िर लेने से श्ीमनत यंग ि
े अनुसार ननम्न लाभ ममलते है।
1. शोधिताव िो अध्ययन ववष्ट्य ि
े संदभव में ऐसी अंत दृजष्ट्ट प्राप्त होती है जजससे वह उथचत प्रचन िर सह
सूचनाऐं प्राप्त िर सिता है।
2. शोध िायव में उपयोगी पद्धनतयों एवं प्रववथधयों िा ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
3. अवधारर्ा ं िो समझने व प्राक्िकपना ं िा ननमावर् िरने में सहायता ममलती है। तथा
4.
4. किसी शोधिायव िो कफर देहराने िकि गलती से बचा जा सिता है और ववशय से संबथधत उन पहलु ं
पर ध्यान हदया जातजा है जजन पर अन्य शोध िाताव ं ने पूवव में ध्यान नह हदया इससे शेधिायव अथधि
व्यवजस्थत हो जाता है।
वास्तवविता यह है कि किसी ववर्षय पर आरमतभ से वतवमान समय ति ज्ञान जानिाररयों र सूचना ं िी एि
ननरन्तरता चलती रहती है उसी िम में नवीन पररवेश में नवीन ववचलेर्षर् नवीन उपयोथगता तथा प्रासंथगिता पर
ववचार किया जाता है इसी दृजष्ट्ट से यह आवचि है कि ववर्षय पर उपलब्ध साहहत्य िी समीक्षा िी जाए। प्रस्तुत
शोध प्रबन्ध ि
े मलये वतवमान प्रसंग में ननम्न साहहत्य िा उकलेख किया जा सिता है।
1. महेन्ि ि
ु मान- ‘‘अंतवराष्ट्र य राजनीनत ि
े सैद्धाजन्ति पक्ष ’’मशवलाल अग्रवाल एण्ड िम्पनी, आगरा से
प्रिामशत पुसति हहन्द व अंग्रजी दोनो भार्षा ं में मलखी गइर है हहन्द भार्षा में ग्रंथ िा अध्याय न. 12 अत्यंत
महत्वपूण्ज्ञव है जजसमें गुटननरपेक्षता िा अथव उसि
े प्रयोजन एवं आधार तथा शीतयुद्ध ि
े बदलते स्वरूप ि
े साथ
इसि
े सशक्त आंदोलन ि
े रूप में उभार आहद िो स्पष्ट्ट किया गया है।
2. लेखि िी आंग्ल भार्षा िी पुस्ति ‘‘जीमवतमजपबंस ।ःेचमबजे वव पदजमतदंजपवदंस चवसपजपबेर्ष ् ि
े
अध्याय 15 में थ्योर आफ नॉन एलाइनमेन्ट शीर्षवि से ववर्षय िा ववस्तरत वववरर् प्रस्तुत किया गया है।
3. अंन्तवराष्ट्र य संबन्ध िोड संख्या 1806 बी एल िडडया साहहत्य भवन पजब्लि
े शन आगरा 2008 नामि
ग्रंन्थ में अध्याय 9 व 320 में शीर्षवि गुटननरपेक्ष आंदोलन में भारत िी भूममिा िा ववस्तरत वववरर् प्रस्तुत किया
गया है और अथधितर इसमें नवीन प्रवरवत्तयों और प्रासंथगिता पर भी ववचार प्रस्तुत किया गया है। परन्तु चुंकि यह
ववर्षयवस्तु 2008 ि
े बाद िी जस्थनत िो समाहहत ननह िरती है । र गुटननरपेक्ष आंदोलन ि
े अद्यतन मशक्षर
सम्मेलनों िा ह वाला इसमें नह हदया गया है। इतः‘‘ इसे एि दृजष्ट्ट से सामनयि नह िहा जा सिता है हालांकि
इसे सहायता अवचयि ल जा सिती है बी.एल. फडडया ि
े अन्य दो ग्रन्थ आंतवराष्ट्र य राजनीनत व आंतवराष्ट्ट य
संबंन्ध जो ब्रबना किसी िोड ि
े मलख ्ःे गये है उनमें भी इससे संबथधत जानिार ममलती है।
4. आर. एस. यादव िी पुस्ति ‘‘भारत िी ववदेशी नीनत : एि ववचलेर्षर् किताब महल 2005 तथा संशोथधत
संस्िरर् पीयसवन हदकलह 2012 भी इस दृजष्ट्ट से अत्यंन्त महत्पपूर्व है 2005 ि
े संस्िरर् में गुटननरपेक्ष आंदोलन
ि
े माध्यम से शांनत स्थापना ि
े प्रयासों िो स्पष्ट्ट किया गया है। तथा यह बताया गया है कि इस आंदोलन िो
भववष्ट्य में किस प्रिार साथवि बनाया जा सिता है। जजससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ववचव शांनत प्रकिया िो
मजबूत ह नह किया जा सि
े अवपतु उसे आगे भी बढाया जा सि
ें । शोध ि
े मलये दोनो पुस्तों िी सहायता ल जा
सिती है परन्तु जजस दृजष्ट्ट से शोध प्रस्ताव उदेचय आहद तय किय ःे गये है उस दृजष्ट्ट से एि नवीन अध्ययन
किया जाना अनत आवचयि है जो व्यापि यप से गुटननरपेक्ष आंदोलन ि
े सभी पहुल ि
ं िो स्पष्ट्ट िरता हो।
5. यादव आर एस चूंकि एि अनय पुस्ति इजण्डयन फोरन पॉमलसी िन्टम्प्रेर रेड्स मशप्रा पजब्लि
े शन नई
हदकल 2009 मे मलखी पुस्ति भी उपयोगी है। ववदेश नीनत पर आथधिाररि रूप से मलखने वाले ए आप्पादोराय, एम
एस राजन आहद ने जो भी पुस्ति
ें मलखी है उनमें गुटननरपेक्षता आंदोलन िी नीनत िो अवचि थचजन्हत किया है
5.
अतः ववदेश नीनतव अन्तरावष्ट्र य सम्बन्धों िी दृजष्ट्ट से इनि
े द्वारा संथचत साहहत्य िी उपेक्षा नह िी जा सिती
है।
इस दृजष्ट्ट से एि र अत्यंत महत्वपूण्र पुस्ति ि
े पी वपश्ा द्वारा रथचत ववदेश नीनत व गुटननरपेक्ष आंदोलन में
जो ि
ु छ मलखा गया है वे भी प्रस्तुत शोध ि
े शोधाथी ि
े मलए महत्वपूर्व है।
1. डॉ जी रॉय िी पुस्ति जीम दवद ।सपहदउमदज िपचसवउंबल जः उतेर्् प्दिपतं ळंदिीपश् जो उसी िाल
िम में पटना से प्रिामशत हुई भी अत्यंत महत्वपूर्व है।
2. ट बी सुब्बाराय िी पुस्ति जो अत्न्तरावष्ट्ट य िानून ि
े साथ जोडिर मलखी गइर है दवद ।सपहदउमदज पद
पदजमतदंजपवदंस सूं ःंदि चवसपजपबे भी उकलेखनीय ळै।
3. डॉ एम एस राजन ने ववदेश नीनत ि
े आनतररक्त गुटननरपेक्ष आंदोलन एवं सम्भावनाएं शीष्ट्ज्ञवि से भी एि
पुस्ति मलखी है जो हहन्द माध्यम िायावन्वयन ननदेशालय हदकल 1991 िा प्रिाशन है। यह भी अत्यंत महत्वपूर्व
है।
4. ‘ववचव राजनीनत ि
े बदलते आयाम’ जे. सी. जौहर , ववशाल पजब्लि
े शन जालंधर 2008 ि
े ववमभन्न
अध्यायों ःूमें भ ्ःी इसिा ववचलेर्षर् किया गया है जजससे साथवि सहायता जी जा सिती है।
5. पंत पुष्ट्पेर्ष व जयंत श्ीपाल िी तीन पुस्ति
ें अन्तरावष्ट्ट य राजनीनत प्रमुख देशों िी ववदेश नीनतयां
अन्तरावष्ट्ट य सम्बन्ध मीनक्षी प्रिाशन मेरठ भी इस दृजष्ट्ट से महत्वपूर्व है और हहन्द माध्यम ि
े शोधाथी ि
े मलए
पयावप्त सहयोगी साब्रबत हो सिती है।
6. ‘‘भारत िी ववदेशी नीनत पर यु आर धई जे एस द क्षक्षत शीला झा आहद िी पुस्ति
ें भी अत्यंत
महत्वपूण्ज्ञव है और इनिा अध्ययन िाि
े एि ववशेर्ष हदशा प्राप्त िी जा सिती है।
7. अिादमी फाउन्डेशन िा एि महत्वपूर्व प्रिाशन पदिपंद ववतमपहद चवसपबल ए बींससमदहमे ःंदि
वचचवतजनदपजपमे आनतश मसन्हा एवं मधु मेहता द्वारा सम्पाहदत भी अत्यन्त महत्वपूर्व अध्ययन हे जो 2007
िा प्रिाशन है।
प्रस्तुत अध्ययन िा उद्ःेष्ट्य ननम्नमलर्खत है-
राजनीनत ववज्ञान ि
े क्षेत्र में अध्ययन िा मुख्य उद्देचय यह होता है कि राजनीनति व्यवहार िो समझने िा प्रयास
किया जाए तथा व्यवहार िो समाज िी आवचयिता ि
े अनुिलू बनाने ि
े मलए थचन्तन किया जाना चाहहए।
सामान्यतः अनुसध्ःाःंन प्ररचना ि
े दो उद्देचय होते है-
1. अनुसध्ःाःंन समस्या ि
े उŸःार प्रदान िरना।
2. ववववधता ं िो नननयंत्रत िरना।
6.
अनुसध्ःाःंन प्ररचना इनउद्देचयों िी पूनत व नह ं िरती वरन ् वे उद्देचय अनुसध्ःाःंनिŸःार् द्वारा ह प्राप्त किए
जाते है।ःं ताकि वह अनुसध्ःाःंन प्रष्ट्नों ि
े उŸःार प्राप्त िरि
े ववववध त्रुहटयों िा पता लगा सि
े ।
1. भारत-पड़ोसी राष्ट्रों ि
े सम्बन्धों में जएतहामसि परष्ट्ठमभम एवं भौगोलि पयाववरर् ि
े योगदान िा पर क्षर्
िरना।
2. आथथवि एवं सास्ंिर नति प्रारूपों ि
े सन्दभव में भारत- पड़ोसी राष्ट्रों सम्बन्धों िो ववचलेवर्षत िरना।
3. राजनैनति पररदृष्ट्य एवं ववदेश नीनतयों िा आिलन भारत- पड़ोसी राष्ट्रों ि
े सम्बन्धों ि
े सन्दभव में
ववचलेवर्षत िरना।
4. भारत- पड़ोसी राष्ट्रों ि
े सम्बन्धों िो सन ् 1947 से एन.डी.ए. सरिार ि
े शासनिाल से पूवव पररलक्षक्षत
िरना।
5. भारत- पड़ोसी राष्ट्रों ि
े सम्बन्धों िा एन.डी.ए. शासनिाल ि
े सन्दभव में एि अध्ययन िरना।
पररिकपना
1. भारत ि
े पड़ोसी राष्ट्रों ि
े साथ व्यापाररि सम्बन्ध पहले से िह ं ज्यादा अच्छे हुऐ है।
2. भारत ने अपने पड़ोसी राष्ट्रों ि
े साथ व्यापार िो महत्व प्रदान िी है।
3. भारत मे पडोसी राष्ट्रों से िई व्यापाररि िम्पननयों ने अपना व्यापार भारत ि
े साथ िरने िी इच्छा िी
है।
4. भारत मे िई राष्ट्रो ि
े साथ देश िी सांस्िर नति, राजनैनति एवं व्यापाररि गनतववथधयों िो महत्ता प्रदान िी
है।
शोध पद्धनत (त्मेमंतबी डमजीविवसहल)
प्रस्तुत शोध वर्वनात्मि पद्धवत्त पर आधाररत है। इसमें प्रत्येि तथ्यों िा वववरर् वर्वनात्मि रूप से किया है।
प्रस्तुत शोध ि
े तथ्य संिलन ि
े मलए आवचयि तथ्य संिलन प्राथममि तथा द्ववतीयि स्त्रोतों से प्राप्त किए हैं।
इस शोध ि
े तथ्य संिलन ि
े प्राथममि स्त्रोतों हेतु भारत सरिार ि
े सरिार दस्तावेजों िा प्रयोग किया गया है।
सरिार दस्तावेजों में प्रधानमंत्री वाजपेयी तथा प्रधानमंत्री मोद ि
े शासनिाल से सम्बजन्धत ववदेश मंत्रालय िी
वावर्षवि ररपोटों िा उकलेख किया है। द्ववतीयि स्त्रोतों में भारत िी ववदेश नीनत से सम्बजन्धत पुस्तिों में ववशेर्ष
रूप से, प्रधानमंत्री अटल ब्रबहार वाजपेयी िी ववदेश नीनत तथा मोद मसद्धान्त (डविप क्वबजतपदम) पर आधाररत
पुस्तिों, पब्रत्रिाएं, समाचार पत्र, जनवकस व ई-जनवकस िा प्रयोग है। प्रस्तुत शोध ि
े मलए इंटरनेट तथा संचार ि
े
माध्यम से भाजपा ि
े पुस्तिालय िा उपयोग किया गया है।
7.
अध्ययन िा महत्व(ःैपहदपवपबंदबम वव ःैजनिल)
भारत िी ववदेश नीनत राष्ट्र य हहतों व लक्ष्यों िी प्राजप्त िा महत्वपूर्व स्रोत है। इसि
े माध्यम से ह राष्ट्र
परस्पर संवाद व सहयोग स्थावपत िरते हैं। भारत ि
े पड़ोसी राष्ट्रों ि
े मध्य संबन्धों ि
े पर आथथवि वरद्थध, राष्ट्र य
सुरक्षा प्रवासी वगव एक्ट ईस्ट पॉमलसी, पड़ोसीवाद प्रथम, पाकिस्तान से सीधा संवाद, चीन ि
े साथ सीमा वववाद पर
वाताव, आतंिवाद िा ववरोध, अमेररिा ि
े साथ सहयोगपूर्व सम्बन्ध िी दृजष्ट्ट से महत्वपूर्व है। प्रधानमंत्री वाजपेयी ि
े
शासनिाल में भारत िो सशक्त राष्ट्र ि
े रूप में अन्तरावष्ट्र य स्तर पर मशखरासीन किया गया था। जैसे 11 तथा
13 मई 1998 ि
े परमार्ु पर क्षर् ि
े आधार पर सशक्त बनाया, दक्षेस देशों ि
े साथ सम्बन्धों िो सुधारने िा
महत्वपूर्व प्रयास किया गया। प्रधानमंत्री मोद ि
े शासनिाल में ववदेश नीनत िो नवीन स्वरूप में पररवनत वत िरने
िा महत्वपूर्व प्रयास किया जा रहा है। लम्बे समय से चले आ रहे सीमा वववाद िा समाधान, शजक्तशाल राष्ट्रों ि
े
साथ समझौते जैसे जापान ि
े साथ बुलेट रेनए चीन ि
े साथ 20 अरब डॉलर िा समझौता, आस्रेमलया ि
े साथ
यूरेननयम समझौता, फ्रांस ि
े साथ राफ
े ल ववमान समझौता इत्याहद मोद िी ववदेश नीनत में भारत िो सशक्त सुदृढ
व वैजचवि शजक्त बनाने पर बल हदया जा रहा है। भारत ि
े वैजचवि शजक्त बनने ि
े मागव में बाधा उत्पन्न िर रहे
िारर्ों ि
े अध्ययन िी दृजष्ट्ट से अथधि महत्वपूर्व है। उपयुवक्त सभी तथ्यों िा अध्ययन िरना शोध िी महत्ता िो
स्पष्ट्ट िरता है। यह शोध महत्वपूर्व व गहनता िा ववर्षय है। प्रस्तुत अध्ययनए भारत िी ववदेश नीनत ि
े क्षेत्र में
अध्ययन िरने वाले संशोधि ववचलेर्षि तथा छात्रों िी दृजष्ट्ट से यह अथधि महत्वपूर्व है। भारत िी ववदेश नीनत ि
े
ननधावरर् में यह संशोधन िायव महत्वपूर्व योगदान प्रदान िरने िा महत्व रखता है।
शोध ववथध
प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में मुख्यतः ऐतहामसि ववचलेर्षर्ात्मि शोध पद्थधनत िा अनुसरर् किया गया है
ऐनतहामसि तथ्यों िा ववचलेष्ट्ज्ञर् िरि
े ह ननष्ट्िर्षो िा ननरूपर् किया गया है इस िम में तथ्यो और उसिी
वैधाननिता िो यथावत ् रखा गया है ववमभन्न सुचना ं और आाँिडों िो भी एित्र किया गया है जजससे ि
ु छ
सववमान्य ननष्ट्िर्षो िी वैधता िो प्रमार्र्त किया जा सि
े । तथ्यों द्वारा उत्पन्न सिारात्मि एंव निारात्मि
पररर्ामों िा ववचलेर्षर् िर तथ्यों ि
े द्वन्दात्मिता ि
े अजस्तत्व िो बनाये रखने िो प्रयास किया गया है।
शोध-प्रबन्ध ि
े मलए अध्यन सामग्री िई स्त्रोतों से जी गई है भारतीय संववधान से सम्बजन्धत तथ्या
संववधान सभर ि
े वाद-वववाद, संसद ि
े वाद-वववाद, राजनेता ं ि
े संस्पतर्, भसार्षर्, पत्र सरिार दस्तावेजों, शेध
ननबन्धों व पूस्तिों में ब्रबखरे है जजनिा उपयोग िरते समय तथ्यों िी मौजजिता बनयो रखने िा प्रयास किया
गया हैं प्रिामशत स्त्रोतों िा भी प्रयोग वस्तुपरि अध्ययन, वैज्ञाननिता, ववचलेर्षर् िी हदशा आहद ि
े मलए किया गया
है। पुस्तिों व पत्र-पब्रत्रिा ं िा प्रयोग िरि
े अध्ययन िो मजबूत आधार देने िी िोमशश िी गई है प्रस्तुत शोध-
प्रबनध में मौमलि तथा प्रिामशत दोनों प्रिार िी सामथग्रयों िा उपयोग िरते हुए अध्ययन ि
े स्वतंत्र चररत्र िो
बनये रखने िा प्रयास किया गया है।
अध्याय-2
8.
अध्याय-2
दक्षक्षर् एमशया िासंजक्ष्प ्त पररचय
दक्षक्षर् एमशया, एमशया महाद्वीप ि
े दक्षक्षर्ी भाग िो िहा जाता है। इसे भारतीय उपमहाद्वीप ि
े रूप में भी जाना
जाता है। इस क्षेत्र में 8 देश आते हैं। यह पजचचम एमशया, मध्य एमशया, पूवी एमशया, दक्षक्षर्-पूवी एमशया और हहंद
महासागर से नघरा हुआ है।
इन क्षेत्रों में िई लोग मवेशी और भेड़ पालते हैं। मवेमशयों िो दूध ि
े मलए या सामान ले जाने ि
े मलए इस्तेमाल
किया जाता है। भारत में, मवेशी पयाववरर् ि
े मलए बहुत महत्वपूर्व हैं क्योंकि खाद िर र्षिों ि
े मलए एि उववरि है।
दक्षक्षर् एमशया में खेती अथधि िी जाती है। यहााँ िाजू, चावल, मूंगफल , नतल और चाय िा उत्पादन अथधि होता हैं।
और प्रािर नति संसाधन से यह क्षेत्र समरद्ध है। लेकिन संसाधन िा उथचत दोहन ि
े मलए पयावप्त टेक्नोलॉजी िी
िमी है। ये सभी देश वविाशसील देशो ि
े अंतगवत आते है। दुननया ि
े इस हहस्से में प्रमुख देश इस प्रिार हैं -
दक्षक्षर् एमशयाई देशों ि
े नाम
1. अफ़ग़ाननस्तान
2. बांग्लादेश
3. भूटान
4. भारत
5. मालद व
6. नेपाल
7. पाकिस्तान
8. श्ीलंिा
9.
दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीयसहयोग संगठन
दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (ःै।।त्ब ्) दक्षक्षर् एमशया ि
े देशो िा क्षेत्रीय सरिार संगठन है। इसि
े सदस्य
देश अफगाननस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालद व, नेपाल, पाकिस्तान और श्ीलंिा हैं। सािव में 2019 ति ववचव
ि
े क्षेत्रफल िा 3ःः, ववचव िी जनसंख्या िा 21ःः और वैजचवि अथवव्यवस्था िा 4.21ःः (न ्ःै$3.67 हरमलयन)
शाममल है।
सािव िी स्थापना ढािा में 8 हदसंबर 1985 िो हुई थी। इसिा सथचवालय नेपाल ि
े िाठमांडू में जस्थत है। संगठन
आथथवि और क्षेत्रीय एिीिरर् ि
े वविास िो बढ़ावा देता है। इसने 2006 में दक्षक्षर् एमशयाई मुक्त व्यापार क्षेत्र िा
शुभारंभ किया। सािव संयुक्त राष्ट्र में एि पयववेक्षि ि
े रूप में स्थायी राजननयि संबंध रखता है।
सािव िा उद्देचय
व दक्षक्षर् एमशया ि
े लोगों ि
े िकयार् िो बढ़ावा देना और उनि
े जीवन स्तर में सुधार लाना।
व क्षेत्र में आथथवि वविास, सामाजजि प्रगनत और सांस्िर नति वविास में तेजी लाना।
व दक्षक्षर् एमशया ि
े देशों ि
े बीच सामूहहि आत्मननभवरता िो बढ़ावा देना और मजबूत िरना।
व आपसी ववचवास, समझ और एि दूसरे िी समस्या ं िी सराहना में योगदान।
व आथथवि, सामाजजि, सांस्िर नति, तिनीिी और वैज्ञाननि क्षेत्रों में सकिय सहयोग और पारस्पररि सहायता
िो बढ़ावा देना।
व अन्य वविासशील देशों ि
े साथ सहयोग िो मजबूत िरना।
व सामान्य हहत ि
े मामलों पर अंतरावष्ट्र य रूपों में आपस में सहयोग िो मजबूत िरना।
व समान उद्देचयों ि
े साथ अंतरराष्ट्र य और क्षेत्रीय संगठन ि
े साथ सहयोग िरना।
दक्षक्षर् एमशया िी जलवायु
दक्षक्षर् एमशया िी जलवायु िो तीन मूल भंगो में ववभाजजत किया जा सिता हैः उष्ट्र्िहटबंधीय, शुष्ट्ि और
समशीतोष्ट्र्।
पूवोत्तर में उष्ट्र्िहटबंधीय जलवायु है। और पजचचम िी और समशीतोष्ट्र् और शुष्ट्ि जलवायु पाया जाता है। नमी
और ऊ
ाँ चाई में पररवतवन रेथगस्तान बनने िा िारर् होता है। थार रेथगतान भारत ि
े पजचचम क्षेत्र में बड़े भाग पर
फ
ै ला है।
10.
मानसून इन क्षेत्रोंिो बहुत प्रभाववत िरता है। ये हवाएं अपने साथ पानी ि
े बादल लाते है। और वर्षाव िा िरते है।
साल ि
े 2 से 3 मह ने ति मानसून रहता है। मानसून ववशेर्ष रूप से िर वर्ष िो प्रभाववत िरता है। और इन क्षेत्रों में
िर वर्ष अथधि िी जाती है।
अफगाननस्तान
अफगाननस्तान दक्षक्षर् एमशया में जस्थत एि देश है। अफगाननस्तान िी सीमा पूवव और दक्षक्षर् में पाकिस्तान,
पजचचम में ईरान, उत्तर में तुिव मेननस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजजकिस्तान और उत्तर पूवव में चीन से लगती है। यह
देश सािव संगठन िा हहस्सा हैं।
अफगाननस्तान िा क्षेत्रफल 652,000 वगव किलोमीटर में फ
ै ला है। िाबुल इस देश िी राजधानी और सबसे बड़ा शहर
है। इसिी आबाद लगभग 32 मममलयन है।
अफगाननस्तान एि इस्लामी गर्राज्य है जजसमें तीन शाखाएाँ हैं, िायविार , ववधायी और न्यानयि।
राष्ट्रपनत अशरफ गनी ि
े साथ राष्ट्र िा नेतरत्व अध्यक्ष अमलुकलाह सालेह और उपाध्यक्ष सरवर दाननश िरते हैं।
नेशनल असेंबल ववधानयिा है, एि द्ववसदनीय ननिाय हैं जजसमें दो पक्ष होते हैं। सुप्रीम िोटव िा नेतरत्व मुख्य
न्यायाधीश सईद युसूफ हल म िरते है।
रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ि
े अनुसार, अफगाननस्तान सबसे भ्रष्ट्ट देशों िी सूची में शीर्षव पर बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र
िायावलय द्वारा ड्रग्स एंड िाइम पर प्रिामशत जनवर 2010 िी एि ररपोटव से पता चला है कि ररचवतखोर राष्ट्र
िी जीडीपी ि
े 23ःः ि
े बराबर रामश िा उपभोग िरती है।
17 मई 2020 िो, राष्ट्रपनत अशरफ गनी और अब्दुकला ि
े बीच एि समझौता हुआ जजसमे यह तय हुआ गनी
राष्ट्रपनत ि
े रूप में अफगाननस्तान िा नेतरत्व िरेंगे, अब्दुकला तामलबान ि
े साथ शांनत प्रकिया िी देखरेख िरेंगे।
बांग्लादेश
बांग्लादेश दक्षक्षर् एमशया िा एि देश है। यह दुननया िा आठवां सबसे अथधि आबाद वाला देश है, जहां िी आबाद
163 मममलयन लोगों से अथधि है, 147,570 वगव किलोमीटर ि
े क्षेत्र में फ
ै ला हुआ है।
बांग्लादेश पजचचम, उत्तर और पूवव में भारत ि
े साथ, दक्षक्षर्-पूवव में म्यांमार और दक्षक्षर् में बंगाल िी खाड़ी ि
े साथ
भूमम सीमा साझा िरता है। ढािा यहााँ िी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैं। चटगांव, सबसे बड़ा बंदरगाह और
दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
बांग्लादेश बंगाल क्षेत्र िा बड़ा और पूवी भाग है। यह अशोि ि
े शासनिाल में एि मौयव प्रांत था। 1576 में, अमीर
बंगाल सकतनत िो मुगल साम्राज्य में समाहहत िर मलया गया था। 1700 ि
े दशि िी शुरुआत में सम्राट
औरंगजेब आलमगीर और गवनवर शाइस्ता खान िी मरत्यु ि
े बाद, यह क्षेत्र बंगाल ि
े नवाबों ि
े अधीन हो गया।
11.
1757 में प्लासीिी लड़ाई में ब्रिहटश ईस्ट इंडडया ि
ं पनी द्वारा बंगाल ि
े अंनतम नवाब सरज उद-दौला िो हराया
गया और 1793 ति पूरा क्षेत्र ि
ं पनी ि
े शासन में आ गया।
भूटान
भूटान पूवी हहमालय में जस्थत एि भूमम से नघरा देश है। इसिी सीमा उत्तर में चीन और दक्षक्षर् में भारत से लगती
है। नेपाल और बांग्लादेश भूटान िी ननिट जस्थत हैं, लेकिन सीमा साझा नह ं िरते हैं। देश िी आबाद 754,000 से
अथधि है और इसिा क्षेत्रफल 38,394 वगव किलोमीटर है जो भूमम क्षेत्र ि
े मामले में 133 वें स्थान पर है। भूटान
राज्य बौद्ध धमव ि
े साथ एि संवैधाननि राजतंत्र है।
भूटानी हहमालय में, समुि तल से 7,000 मीटर से ऊ
ं ची चोहटयााँ हैं। गंगखर पुएनसम भूटान िी सबसे ऊ
ं ची चोट है।
भूटान िा वन्य जीवन अपनी ववववधता ि
े मलए उकलेखनीय है, जजसमें हहमालयन ताकिन भी शाममल है। भूटान िा
सबसे बड़ा शहर राजधानी थथम्फ
ू है।
भारत
भारत दुननया िा दूसरा सबसे अथधि आबाद वाला देश है, भूमम क्षेत्र द्वारा सातवां सबसे बड़ा देश है, और दुननया में
सबसे अथधि आबाद वाला लोितंत्र है। दक्षक्षर् में हहंद महासागर, दक्षक्षर्-पजचचम में अरब सागर, और दक्षक्षर्-पूवव में
बंगाल िी खाड़ी से नघरा हैं।
यह पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार ि
े साथ भूमम मसमा साझा िरता है। हहंद महासागर में,
श्ीलंिा और मालद व भारत ि
े समीपवती देश है।
भारत दुननया िा सबसे अथधि जनसंख्या वाला लोितंत्र है। एि बहुदल य प्रर्ाल ि
े साथ एि संसद य गर्तंत्र देश
है। भारत में आठ मान्यता प्राप्त राष्ट्र य दल हैं, जजनमें भारतीय राष्ट्र य िांग्रेस और भारतीय जनता पाटी (भाजपा)
प्रमुख हैं। 1950 से 1980 ि
े दशि ि
े अंत में, िांग्रेस ि
े पास संसद में बहुमत था।
भारत गर्राज्य ि
े पहले तीन आम चुनावों में, 1951, 1957 और 1962 में, जवाहरलाल नेहरू ि
े नेतरत्व वाल िांग्रेस
ने आसान जीत हामसल िी। 1964 में नेहरू िी मरत्यु पर, लाल बहादुर शास्त्री संक्षक्षप्त प्रधानमंत्री बने; 1966 में
उनिी अप्रत्यामशत मौत ि
े बाद, नेहरू िी बेट इंहदरा गांधी 1967 और 1971 में िांग्रेस िो चुनावी जीत हदलाने में
सफल रह ं।
मालद व
मालद व हहंद महासागर में जस्थत दक्षक्षर् एमशया िा एि छोटा सा द्वीपसमूह है। यह एमशयाई महाद्वीप िी मुख्य
भूमम से लगभग 700 किलोमीटर दूर श्ीलंिा और भारत ि
े दक्षक्षर्-पजचचम में जस्थत है। लगभग 298 वगव
किलोमीटर क्षेत्र में फ
ै ला मालद व सबसे छोटा एमशयाई देश है और लगभग 557,426 ननवामसयों ि
े साथ, एमशया िा
दूसरा सबसे िम आबाद वाला देश है।
12.
माले यहााँ िीराजधानी और सबसे अथधि आबाद वाला शहर है, जजसे पारंपररि रूप से :किं ग्स आइलैंडः िहा जाता
है, जहां प्राचीन शाह राजवंशों ने शासन किया था।
नेपाल
नेपाल दक्षक्षर् एमशया में एि स्थलरुद्ध (संदिसवबामि) देश है। यह मुख्य रूप से हहमालय में जस्थत है, लेकिन
इसमें भारत-गंगा ि
े मैदान ि
े ि
ु छ हहस्सों िो भी शाममल है, जो उत्तर में चीन ि
े नतब्बत िी सीमा और दक्षक्षर्, पूवव
और पजचचम में भारत से लगा हुआ है।
नेपाल में एि ववववध भूगोल है, जजसमें उपजाऊ मैदान, पहाडड़यााँ, और माउंट एवरेस्ट, परथ्वी िा सबसे ऊ
ाँ चा स्थान
शाममल है। नेपाल एि बहुराष्ट्र य राज्य है, जजसिी आथधिाररि भार्षा नेपाल है। िाठमांडू देश िी राजधानी और
सबसे बड़ा शहर है।
संसद य लोितंत्र 1951 में पेश किया गया था, लेकिन 1960 और 2005 में नेपाल सम्राटों द्वारा दो बार ननलंब्रबत
िर हदया गया था। 1990 ि
े दशि में और 2000 ि
े दशि िी शुरुआत में नेपाल गरह युद्ध ि
े िारर् 2008 में
एि धमव ननरपेक्ष गर्राज्य िी स्थापना आर्खर हहंदू राजशाह िो समाप्त िर किया गया।
पाकिस्तान
पाकिस्तान दक्षक्षर् एमशया में जस्थत एि इस्लाममि गर्राज्य है। यह दुननया िा पांचवां सबसे अथधि आबाद वाला
देश है, जजसिी जनसंख्या 212.2 मममलयन से अथधि है, और दुननया िी दूसर सबसे बड़ी मुजस्लम आबाद है।
881,913 वगव किलोमीटर में फ
ै ले क्षेत्रफल ि
े हहसाब से पाकिस्तान 33 वां सबसे बड़ा देश है।
इसि
े दक्षक्षर् में अरब सागर और मान िी खाड़ी और पूवव में भारत, पजचचम में अफगाननस्तान, दक्षक्षर्-पजचचम में
ईरान और उत्तर-पूवव में चीन से इसिी मसमा लगती है। यह उत्तर-पजचचम में अफगाननस्तान ि
े वखान िॉररडोर
द्वारा ताजजकिस्तान से संिीर्व रूप से अलग है, और मान ि
े साथ एि समुि सीमा भी साझा िरता है।
पाकिस्तान िई प्राचीन संस्िर नतयों िा घर रहा है जजसमे मेहरगढ़ िी 8,500 वर्षीय नवपार्षार् स्थल हैं। जो मसंधु
घाट िी सभ्यता ं में सबसे व्यापि है। पाकिस्तान िा क्षेत्र साम्राज्यों और राजवंशों िा क्षेत्र था।
श्ीलंिा
श्ीलंिा जजसे पहले सीलोन ि
े नाम से जाना जाता था। श्ीलंिा एि लोितांब्रत्रि समाजवाद गर्राज्य हैं। यह देश
दक्षक्षर् एमशया िा द्वीप देश है। यह हहंद महासागर, बंगाल िी खाड़ी ि
े दक्षक्षर्-पजचचम और अरब सागर ि
े दक्षक्षर्-
पूवव में जस्थत है। मन्नार िी खाड़ी और पाि जलडमरूमध्य द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप से अलग हैं। श्ी
जयवधवनेपुरा िोट्टे इसिी ववधायी राजधानी है, और िोलंबो इसिा सबसे बड़ा शहर और ववत्तीय ि
ें ि है।
13.
श्ीलंिा िा प्रलेर्खतइनतहास 3000 साल पुराना है, जजसमें िम से िम 125,000 साल पहले िी प्रागैनतहामसि
मानव बजस्तयों ि
े प्रमार् हैं। इसिी एि समरद्ध सांस्िर नति ववरासत है, और श्ीलंिा िा पहला ज्ञात बौद्ध लेखन,
पाल ि
ै नन, 29 ईसा पूवव में चौथी बौद्ध पररर्षद िी तार ख है।
अध्याय-3
अध्याय-3
भारत ि
े पड़ोसी राचरों ि
े मध्य सम्बन्ध
भारत एवं पाकिस्तान
भारत ि
े साथ पाकिस्तान ि
े सम्बन्धों िो इन दोनों राष्ट्रों िी उत्पवत्त ि
े समय से ह संतोर्षजनि भी िह पाना
सम्भव नह ं रहा है। िभी िभी आशा िी एि क्षीर् किरर् प्रिामशत होती है। परन्तु शीघ्र ह वह घने िाले बादलों
से आच्छाहदत हो जाती है ये तनावपूर्व सम्बन्ध आत्मपरि तथा वस्तुपरि दोनों ह िारर्ों ि
े पररर्ाम रहे हैं।
वस्तुपरि िारर्ों ि
े अन्तगवत दोनों देशों ि
े अपने-अपने हहत सजम्ममलत है, जो एि दूसरे ि
े ववपर त है और जजनि
े
लक्ष्य एि दूसरे से असंगत है। दोनों ह देशों ि
े वस्तुपरि रूप िारर्ों में पररभावर्षत लक्ष्यों ि
े अन्तगवत सुरक्षा एवं
प्रादेमशि अखण्डता जनता ि
े आथथवि हहत तथा अमभजात्य वगव िी अनुभूनत द्वारा सरजजत राष्ट्र य सम्मान आहद
सजम्ममलत है। आत्मपरि िारर् मनोवैज्ञाननि एवं सामाजजि है अथवा जैसा कि गालतुंग महोदय ने इंथगत किया
है। “आत्मपरि िारर् पररभावर्षत मूकय है। दोनों ह देशों ने सुरक्षा िी तलाश में सम्मान िकयार् तथा स्वयं िी
पहचान बनाये रखने ि
े मलये ऐसी नीनतयों िा अनुसरर् किया जजन्होंने उनि
े मध्य संघर्षव िो जन्म हदया।
पाकिस्तान तथा भारत ि
े मध्य सम्बन्ध संघर्षव से समझौतों िी र एवं समझौतों से संघर्षव िी र उन्मुख होते
रहे परन्तु उन सम्बन्धों ने मुजचिल से ह िभी एि दूसरे ि
े बीच सहयोग िा रूप प्राप्त किया। लगभग संघर्षव िी
जस्थनत सदैव उनि
े सम्बन्धों पर हावी रह । ऐसी संघर्षावत्मि जस्थनत पक्षिारों ि
े मध्य भौनति या गम्भीर टिराव
ि
े रूप में एि-दूसरे पर भौनति आथधपत्य प्राप्त िरने ि
े मलये ववद्यमान हो सिती है अथवा अन्तरावष्ट्र य स्तर पर
एि राष्ट्र ि
े द्वारा अपनाई गयी नीनत िो दूसरे ि
े मनवाने ि
े रूप में। परन्तु संघर्षव िा सदा गम्भीर होना
आवचयि नह ं है। ि
ु छ ववद्वानों ने संघर्षव िी जस्थनत िो लाभप्रद ननरूवपत किया है क्योंकि यह सीखने िी प्रकिया
में सहायि मसद्ध होता है। परन्तु यह सब िष्ट्टिर अथवा ववनाशि बन जाता है। जब यह ननयंत्रर् िी सीमा ं िो
लााँघ जाता है और ‘‘सीखने िी प्रकिया िो दूवर्षत िरने लगता है।
भारत ववभाजन से जब दो राष्ट्र भारत और पाकिस्तान बने तो उनि
े मध्य जो सीमायें बनी ये िोई प्रािर नति
सीमाएाँ नह थी मानव ननममवत इन सीमा रेखा ं ि
े िारर् उनि
े रेखांिन एवं कियान्वयन िी समस्या सदा बनी
रह जजसने भारत-पाि ि
े मध्य सीमा वववाद िी समस्या िो जन्म हदया।
14.
प्रधानमंत्री श्ी राजीवगााँधी ि
े प्रधानमंब्रत्रत्व िाल में भारत-पाि ि
े मध्य िटुता बनाये रखने वाले वववादों में एि
र जहााँ प्रमुख वववाद िचमीर, मसयाथचन ग्लेमशयर, दुलरझील पररयोजना ि
े अन्तगवत वुलर बााँध िो लेिर था तो
दूसर र पंजाब समस्या, आर्ववि वविास िायविम तथा दोनों ि
े सैन्य प्रदशवन उनिो पास आने से रोि
े रहे और
उनि
े सम्बन्धों में िटुता िा ववर्ष घोलते रहे थे। यद्यवप 1971में भारत-पाि युद्ध से उपजे अनेि िडुवाहट ि
े
िारर्ों, जैसे- वास्तववि ननयंत्रर् रेखा ननधावरर्, एि-दूसरे ि
े क्षेत्रों से वापसी, युद्ध बजन्दयों िा प्रत्यावतवन, बांग्लादेश
िो मान्यता तथा ब्रबहाररयों िा पुनस्थावपन, हवाई उड़ानों, यातायात एवं संचार माध्यमों तथा व्यवसानयि सम्बन्धों िो
पुनस्थावपन आहद से भारत-पाि सम्बन्धों में दरार पड़ी परन्तु समय बीतने ि
े साथ ह इन सब मसलों िो उनि
े
द्वारा शाजन्तपूर्व साधनों से ननपटा मलया गया। परन्तु ि
ु छ आज भी उनि
े मध्य िडुवाहट िा िारर् बने हुए हैं
और उनि
े सम्बन्धों िो प्रभाववत िर रहे हैं। उन पर यहााँ ववचार िरना उथचत होगा।
1. िचमीर वववाद
ःंर्् मसयाथचन हहमनद (ग्लेमशयर) वववाद
इर्् बुलर बााँध
2. सांस्िर नति सम्बन्धों िी समीक्षा
3. व्यापार और वार्र्ज्य ि
े क्षेत्र में भारत-पाि सम्बन्ध
ःंर्् संयुक्त आयोग :
4. िचमीर तथा मसयाथचन ि
े सम्बन्ध में वातावएंः
5. आन्तररि मामलों में हस्तक्षेप
6. असुरक्षा िी भावना
7. पंजाब तथा जम्मू िचमीर मे आतंिवाद गनतववथधयों मे पाकिस्तान िी भूममिा
ःंर्् पंजाब िी आतंिवाद गनतववथध ं मे पाकिस्तान िी भूममिा
इर्् िचमीर िी आतंिवाद गनतववथधयों मे पाकिस्तान िी भूममिा
भारत एवं श्ीलंिा
श्ीलंिा, भारत ि
े दक्षक्षर् में चारो र सागर से नघरा हुआ एि गर्राज्य है। यह हहन्द महासागर में जस्थत है और
इसिा ि
ु ल क्षेत्र 25.332 वगवमील है। 1 िरोड़ 50 लाख से ऊपर िी जनसंख्या में लगभग 64 प्रनतशत जनता
बौद्ध धमव में ववचवास िरती है, 14 प्रनतशत हहन्दू धमाववलम्बी है 9 प्रनतशत ईसाई, 6 प्रनतशत इस्लाम में ववचवास
िरने वाले और शेर्ष िा अन्य धमों से सम्बन्ध है। श्ीलंिा ि
े लगभग 15 प्रनतशत ननवासी तममल भार्षी है और
15.
शेर्ष भार्षा बोलतेहैं। ऐसा ववचवास किया जाता है कि 543 ईसा पूवव भारत ि
े गांगेय प्रदेश से आिर लोग श्ीलंिा
में बस गये थे। सोलहवीं शताब्द में पुतवगाल यहााँ आये और उन्होंने अपने उपननवेश िो स्थावपत किया। सन ् 1958
में पुतवगामलयों िो हालैण्ड वामसयों ने पराजजत िरि
े अपना शासन स्थावपत िर मलया। अंग्रेजों ने डचों से 1976 में
सत्ता छीन ल और 1802 में श्ीलंिा िो साम्राज्य िा उपननवेश घोवर्षत िर हदया। लगभग डेढ़ सौ वर्षव अंग्रेजों ि
े
आधीन रहने ि
े पचचात ् श्ीलंिा िो 4 फरवर , 1948 िो स्वतंत्रता प्राप्त हुई। भारत उससे लगभग 6 माह पूवव ह
स्वाधीन हुआ था। भारत िी भााँनत श्ीलंिा भी राष्ट्रमण्डल (ब्वउउवद ःूमंसजी) िो सदस्य है। उसने भी ब्रिहटश राजा
से सम्बन्ध ववच्छेद िरि
े स्वयं िो गर्तंत्र घोवर्षत किया। भारत िी ह भााँनत श्ीलंिा भी गुट ननरपेक्ष तथा
शाजन्तपूर्व सह-अजस्तत्व िी नीनतयों में ववचवास िरता है। श्ीलंिा गुट-ननरपेक्ष आन्दोलन ि
े प्रारम्भ (1961) से ह
इसिा सकिय सदस्य देश है। छः अन्य देशों ि
े साथ-साथ श्ीलंिा दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सािव )
िा भी संस्थापि सदस्य है। भारत िी ह भााँनत श्ीलंिा िी भी संयुक्त राष्ट्र और ववचव शाजन्त में पूर आस्था है।
इस प्रिार भारत और इस दक्षक्षर्ी पड़ोसी में इतनी समानतायें हैं कि यह सोचना भी िहठन है कि दोनों में िभी
िोई तनाव या संघर्षव भी हो सिता है। परन्तु संघर्षव तो किन्ह ं भी दो देशों ि
े सम्बन्धों में उत्पन्न हो ह सिते हैं।
प्रयास यह िरना चाहहए कि गम्भीर वववादों से बचा जा सि
े ।
भारत और श्ीलंिा ि
े पारस्पररि सम्बन्ध प्रायः ममत्रतापूर्व और सौहािवमय रहे हैं। कफर भी िभी-िभी जातीय तनाव
(मसजीपब जमदेपवद) उत्पन्न होते रहे हैं। तनाव प्रायः मसंहल तथा भारतीय मूल ि
े तममल लोगों ि
े मध्य उत्पन्न
हुए हैं। प्रायः छोटे देशों िो अपने बड़े पड़ोसी देशों िी र से शंिा बनी रहती है। परन्तु भारत ने िभी भी एि
प्रभुत्वशाल बड़े पड़ोसी िी भूममिा ननभाने िा प्रयास नह ं किया है। भारत िी पड़ोसी देशों ि
े प्रनत नीनत सदा ह
ममत्रता िी रह है। जातीय संघर्षव ि
े रहते भी भारत ने िभी भी अपनी इच्छा श्ीलंिा पर थोपने िा प्रयास नह ं
किया।
श्ीलंिा अन्य वविासशील देशों िी तरह ह गुट ननरपेक्षता िी नीनत िा पालन िरता है। स्वतंत्रता ि
े उपरान्त
श्ीलंिा ि
े प्रथम प्रधानमंत्री डी० एस० सेनानायि
े ने स्पष्ट्ट िहा था कि उनिा देश किसी भी शजक्त गुट में शाममल
नह ं होगा। वह शाजन्त में ववचवास रखता है और जहााँ भी शजक्त िी राजनीनत िा प्रचन होगा वह मध्यम मागव िा
अनुसरर् िरेगा। श्ीलंिा िो हहन्द महासागर जस्थत एि बड़े द्वीप ि
े रूप में अपनी रर्नीनति जस्थनत िा पूर्व
आभास है। श्ी सेनानायि
े िा यह ववचवास था कि नये उभरते वविासशील देशों ि
े मलये साम्यवाद एि गम्भीर
खतरा हो सिता था। श्ीलंिा स्वयं अपनी अखण्डता और सुरक्षा सुननजचचत नह ं िर सिता था। अतः उसने 1948
में ह ब्रबरेन ि
े साथ सुरक्षा सजन्ध में हस्ताक्षर किये। उसि
े आधीन श्ीलंिा ने िाकमो तथा ब्रत्रंिोनेल में ब्रिहटश
सैननि अड्डे स्थावपत िरने िी अनुमनत द थी। सेनानायि
े ि
े उत्तराथधिार सरजॉन फोते लागला भी अथधि
साम्यवाद ववरोधी थे और उन्होंने पजचचमी ि
े साथ मैत्री पर बल हदया। सरजॉन सभी साम्यवाद ववरोधी शजक्तयों ि
े
साथ सहयोग िरने िो तैयार थे। उन्होंने साम्राज्यवाद िा ववरोध किया और िहा कि पूवी यूरोप में साम्यवाद िा
प्रस्ताव भी उतना ह हाननिारि था। जजतना साम्राज्यवाद किसी और रूप में हो सिता था। सोलोमन भण्डारनायि
े
जो 1956 में प्रधानमंत्री बने। गुट ननरपेक्षता िी नेहरू-नीनत ि
े अथधि ननिट थे। वह न तो पजचचम समथवि थे न
पूवव ि
े समथवि उन्होंने श्ीलंिा जस्थत ब्रिहटश सैननि अड्डो िो समाप्त िरवाया। प्रधानमंत्री भण्डार नायि
े िी
16.
1959 में हत्यािर द गयी। अकपिाल न मध्यान्तर ि
े पचचात ् उसिी पत्नी श्ीमती मसररमावो भण्डारनायि
े 1980
में प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुई। अगले 35 वर्षव से अथधि ति भण्डारनायि
े पररवार ने श्ीलंिा िी राजनीनत में
महत्वपूर्व योगदान हदया - चाहे वे सत्ता में रहें या ववपक्ष में भारत-चीन युद्ध (1962) ि
े पचचात ् श्ीमती
भण्डारनायि
े ने मध्यस्थस्ता िरने ि
े प्रयास किये। उन्होंने िई अन्य गुट ननरपेक्ष देशों िो आमंब्रत्रत िरि
े , िोलम्बो
प्रस्ताव तैयार किये। परन्तु चीन िो वे स्वीिायव नह ं थे। भारत-चीन वववाद तथा इण्डोनेमशया मलेमशया वववाद में
श्ीलंिा सामान्य रूप से तटस्थ रहा। गुट ननरपेक्ष आन्दोलन िा 1976 मशखर सम्मेलन प्रधानमंत्री मसररमायो िी
अध्यक्षता में िोलम्बों में हुआ। उन्होंने सभी राष्ट्रों िी सम्प्रभु समानता पर आधाररत एि नई ववचव व्यवस्था िा
आह्वान किया।
1977 में जे० आर० जयवधवने िी ववजय ि
े साथ ह श्ीलंिा िी राजनीनत में एि नये युग िा आरम्भ
हुआ जयवद्वधने अनेि वर्षों ति प्रधानमंत्री और कफर राष्ट्रपनत रहे। इनि
े शासनिाल में श्ीलंिा िा झुिाव प्रायः
संयुक्त राज्य अमेररिा िी र रहा।
1. तममल मूल ि
े लोगों िी समस्या
ःंर्् नेहरू िोटेलावाला समझौता(1953)
इर्् शास्त्री-सीररमावो समझौता
2. िच्चातीवु वववाद
3. वामपंथी वविोह तथा बांग्लादेश िा संिट
4. भारत श्ीलंिा आथथवि सहयोग
5. जातीय संघर्षव
6. भारत व श्ी लंिा ि
े मध्य ऐनतहामसि समझौता
भारत एवं बांग्लादेशः
जनसंख्या िी दृजष्ट्ट से बांग्लादेश संसार िा आठवी सबसे बड़ा देश है। इसिा ि
ु ल क्षेत्रफल 1.39, 523 वगव
किलोमीटर है। बांग्लादेश िा जन्म हदसम्बर 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान िी पराजय िा प्रत्यक्ष
पररर्ाम था। तत्िाल न पूवी पाकिस्तान (जो अब बांग्लादेश है) में पाकिस्तानी सेना ि
े सेनापनत से० जनरल
ननयाजी ने भारतीय सेना िो पूवी िमान ि
े सेनापनत ले० जनरल जगजीत मसंह अरोड़ा ि
े सम्मुख ब्रबना शतव
आत्मसमपवर् िरि
े पाकिस्तान िी पराजय स्वीिार िी थी। हदसम्बर 1971 िा युद्ध, पाकिस्तान ि
े आतंिवाद
शासन ि
े ववरुद्ध बांग्लादेशी वविोह िी चरम सीमा िा ननदेशन था। यह वविोह माचव 1971 में तत्िाल न पूवी
17.
पाकिस्तान में आरम्भहुआ था, क्योंकि प्रान्त ि
े सबसे लोिवप्रय नेता शेख मुजीबुरवहमान िो बंद बनािर पजचचमी
पाकिस्तान िी एि जेल में डाल हदया गया था। पूवी पाकिस्तान िी जनता ि
े स्वतंत्रता ि
े मलये संघर्षव में भारत िी
पूर सहानुभूनत उनि
े साथ थी। 1 माचव, 1971 में वविोह आरम्भ होने ि
े साथ ह , बांग्लादेश में एि अन्तररम
सरिार िी स्थापना िी गई थी। परन्तु भारत ने उसे उस समय मान्यता प्रदान नह ं िी क्योंकि यह हो सिता था
कि इस मान्यता िो बहाना बनािर पाकिस्तान भारत ि
े ववरुद्ध युद्ध आरम्भ िर देता परन्तु जब हदसम्बर 1971
िो बांग्लादेश ि
े प्रचन पर, भारत-पाि युद्ध आरम्भ हो ह गया. तब भारत ने 6 हदसम्बर 1971 िो बांग्लादेश िो
एि स्वतंत्र देश ि
े रूप में मान्यता प्रदान िर द । पाकिस्तान ने 16 हदसम्बर िो अपनी पराजय स्वीिार िरते हुए
आत्म-समपवर् िर हदया। तेरह हदन ि
े 1971 ि
े भारत-पाि युद्ध में लगभग 20,000 भारतीय जवान वीरगनत िो
प्राप्त हुए। बांग्लादेश ि
े उदभव िो इस उपमहाद्वीप िी एि महत्वपूर्व घटना बताया गया। बांग्लादेश िी जनता ि
े
मलये यह आतंिवाद और नतना िा अन्त और देश ि
े स्वतंत्र अजस्तत्व िी ननचचयात्मि घोर्षर्ा थी। भारत ि
े मलये
यह लोितांब्रत्रि समाजवाद और धमवननरपेक्षता िी ववजय मानी जा सिती थी।
माचव व हदसम्बर 1971 ि
े बीच िी अवथध में भारत िो एि ववथचत्र जस्थनत िा सामना पड़ा। जन लगभग एि
िरोड़ यातना-पीडडत बांग्लादेशी शरर्ाथी भारत आ गये इन शरर्ाथथवयों ने वापस पाकिस्तान जाने से इंिार िर
हदया और प्रधानमंत्री श्ीमती इजन्दरा गााँधी द्वारा किये गये समस्त प्रयास असफल गये थे। भारत ि
े इन प्रयासों
िा उद्देचय पूवी पाकिस्तान िी समस्या शाजन्तपूर्व समाधान िरना था। पाकिस्तान ि
े सैननि राष्ट्रपनत याह्या खााँ
ने युद्ध िा मागव चुना और सोचा कि ववजय उनिी होगी। वास्तव में हुआ इसि
े ववपर त ववजय भारत िी हुई,
पाकिस्तान िी पराजय हुई और याहया खााँ द्वारा पद त्याग िर जुजकफिार अल भुट्टो िो सत्ता सौंपनी पड़ी।
स्वतंत्रता बांग्लादेश जन्म ि
े साथ ह शेर्ष पाकिस्तान में भुट्टो ि
े हाथ में सत्ता आ गई। 10 हदसम्बर 1971 श्ीमती
इजन्दरा गााँधी और बांग्लादेश ि
े िायववाहि राष्ट्रपनत नजरुल इस्लाम ि
े द्वारा भारत बांग्लादेश संथध पर हस्ताक्षर
किये गये, इस संथध में यह व्यवस्था िी गई कि बांग्लादेश िो पाकिस्तान से स्वतंत्र िरवाने ि
े मलये एि भारतीय
सेनापनत ि
े आधीन संयुक्त भारत-मुजक्तवाहहनी िमान स्थावपत िी जायेगी। भारत ने यह वचन हदया कि जैसे ह
बांग्लादेश में सामान्य जस्थनत बहाल होगी। भारतीय सैननि स्वदेश लौट आयेंगें। भारत ने बांग्लादेश िी प्रादेमशि
अखण्डता सुरक्षा िा वचन हदया और यह आचवासन हदया कि नये बांग्लादेश राज्य ि
े आथथवि पुनः ननमावर् ि
े मलये
आथथवि सहायता उपलब्ध िराई जायेगी। भारत से बांग्लादेशी शरर्ाथथवयों िी वापसी िा िायविम भी ननधावररत
किया गया।
भारत ने प्रमुख देशों, जैसे अमेररिा से आग्रह किया कि वे पाकिस्तान पर दबाव डालिर शेख मुजीबुरवहमान िो
पाकिस्तानी जेल से स्वतंत्र िरवाएाँ अन्ततः शेख मुजीबुरवहमान िो 9 जनवर 1972 िो जेल से मुक्त किया गया
और 10 जनवर िो स्वदेश जाते हुए वह हदकल पहुंचे। यहााँ उनिा भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने भारत िा
हाहदवि धन्यवाद हदया। ववशेर्षिर उन बमलदानों ि
े मलये जो बांग्लादेश िी स्वतंत्रता ि
े मलये भारतीय वीरों ने हदये
थे। ढािा जािर उन्होंने औपचाररि रूप से बांग्लादेश ि
े प्रधानमंत्री िा पद भार संभाल मलया। उसि
े पचचात ् भारत
ने उन्हें एि राजिीय यात्रा ि
े मलये आमंब्रत्रत किया शेख मुजीब ने 16-18 फरवर , 1972 िो िलित्ता िी यात्रा िी,
जहााँ प्रधानमंत्री इजन्दरा गााँधी साथ उनिी औपचाररि वाताव हुई। दोनों प्रधानमंब्रत्रयों ने यह घोर्षर्ा िी कि ‘‘भारत
18.
बांग्लादेश सम्बन्ध लोितंत्र,समाजवाद, धमवननरपेक्षता, गुटननरपेक्षता, जानतवाद और उपननवेशवाद ि
े सभी रूपों िा
ववरोध ि
े मसद्धान्तों पर आधाररत होंगे।‘‘
भारत ने बांग्लादेश िो ववचवास हदलाया कि वह उसि
े आन्तररि मामलों में िभी हस्तक्षेप नह ं िरेगा। भारत ने
यह भी घोर्षर्ा िी 25 माचव 1972 ति भारत िी सेनायें बांग्लादेश से वापस आ जायेंगी श्ीमती इजन्दरा गााँधी और
शेख मुजीबुरवहमान ने यह भी ननचचय किया कि जहााँ ति सम्भव होगा। दोनों देशों ि
े बीच व्यापार ि
े वल सरिार
माध्यमों से ननयंब्रत्रत किया जायेगा ताकि आसामाजजि तत्व तस्िर जैसे अपराधों िा सहारा न ले सि
ें ।
1. मैत्री और शांनत िी भारत-बांग्लादेश संथध
2. व्यापार समझौता
3. शेख मुजीबुरवहमान िी हत्या और भारत-बांग्लादेश संबंध
4. गंगा ि
े जल िा ववभाजन
5. 1977 िा समझौता
6. न्यू मूर संबंधी वववाद
भारत और चीनः
भारत िी ववदेश नीनत में चीन िा महत्वपूर्व स्थान है। जजस समय भारत स्वतंत्रता प्राप्त हुई उस समय चीन में
भयंिर गरह युद्ध चल रहा था, जजसमें साम्यवाद ववजय िी र अग्रसर थे। स्वतंत्रता प्राजप्त ि
े पचचात ् भारत ने
उत्तराथधिार स्वरूप अनेि ज्वलंत समस्या ं िो पाया था। इस प्रिार प्रारम्भ में भारत-धीन सम्बन्ध ि
े वल
औपचाररि थे और यह ि
े वल अन्तरावष्ट्र य मैचों में दृजष्ट्टगोचर होते थे। चीन िी िाजन्त ि
े पचचात ् दोनों देशों में
शीघ्रता से घननष्ट्ठ और मैत्रीपूर्व सम्बन्ध वविमसत होने लगे थे किन्तु एमशया में साम्राज्यवाद ि
े आगमन ि
े साथ
इस पारम्पररि मैत्री िो धक्िा लगा था। जनसंख्या, मानव, प्रािर नति संसाधनों एवं क्षमता िी दृजष्ट्ट से भारत और
चीन िो एमशया में जो स्थान प्राप्त है यह अन्य किसी देश िो नह ं है। वी०पी० दत्त ि
े अनुसार इन दोनों देशों ि
े
सम्बन्धों िी परष्ट्ठभूमम िा एि गौरवशाल इनतहास है। दो हजार वर्षव से भी अथधि पूवव भारत-चीन सांस्िर नति
सम्बन्ध वविमसत हुए थे। आधुननि समय में 1927 में जब िुसेकस सम्मेलन में शोवर्षत और पीडड़त देशों ि
े
प्रनतननथध एित्र हुए उस समय भारत और चीन ि
े प्रनतननथधयों ने संयुक्त वक्तव्य जार किया था। इस वक्तव्य में
पजचचमी साम्राज्यवाद िो पराजजत िरने ि
े मलये भारत चीन सहयोग आवचयिता पर बल हदया गया था। जापान
द्वारा चीन ि
े मंचूररया प्रान्त पर 1931 में जब आिमर् किया गया तब भारत में न ि
े वल चीन हदवस मनाया
गया बजकि जापानी वस्तु ं ि
े बहहष्ट्िार िा आह्वान भी किया
माचव 1947 में जब एमशयाई देशों िा सम्मेलन नई हदकल में बुलाया गया तब चीन में च्यांग िाई शेि िी
राष्ट्रवाद सरिार सत्ता में थी। सम्मेलन में च्यांग सरिार ने चीन ि
े उस मानथचत्र पर आपवत्त जताई थी जजस पर
19.
नतब्बत िो उसि
ेदेश ि
े भाग ि
े रूप में प्रस्तुत नह ं किया गया था परन्तु जब पाकिस्तान ि
े िबायमलयो ने
िचमीर पर आिमर् किया तब चीन ने िोई आपवत्त नह ं िी। धीरे-धीरे चीन साम्यवाद िी र बढ़ा और मसतम्बर
1948 ति चीन िी साम्यवाद लाल सेना ि
े आधीन हो गया। इस प्रिार चीन में साम्यवाद सरिार सत्ता में आयी
और 1 अक्टूबर 1949 िो चीन में जनवाद लोितंत्र िी स्थापना िी गई। भारत ने 30 हदसम्बर 1949 िो
साम्यवाद चीन िो मान्यता प्रदान िर द । प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लोिसभा में चीन िी मान्यता ि
े बारे
में िहा था। कि यह िरोड़ों व्यजक्तयों ि
े जीवन में आमूल िाजन्त थी। इसि
े पररर्ामस्वरूप एि स्थायी और
लोिवप्रय सरिार िी स्थापना हुई। इसिा हमार रुथच या अरुथच से िोई सम्बन्ध ह नह ं है। इसमलये स्वाभाववि
था कि हमने उस नई सरिार िो मान्यता प्रदान िी।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने चीन ि
े प्रनतननथधत्व िा भरपूर समथवन किया और भारत व चीन ि
े मध्य सौहािवपूर्व
सम्बन्ध स्थावपत िरने ि
े प्रयास भी किये गये जजसि
े फलस्वरूप संयुक्त राज्य अमेररिा तथा अन्य गैर साम्यवाद
देश अप्रसन्न हुए। किन्तु भारत िी नीनत मसद्धान्तों पर आधाररत थी। भारत ने यह स्पष्ट्ट किया कि जजस सरिार
िो चीन िी जनसंख्या ने हृदय से स्वीिार किया, उसिो मान्यता देना और संयुक्त राष्ट्र संघ में उसिी सदस्यता
िा समथवन िरना नैनति व स्वाभाववि था। 1950 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ ि
े उस प्रस्ताव िा समथवन किया,
जजसमें उत्तर िोररया ि
े दक्षक्षर् पर आिमर् िरने िा दोर्षी िहा गया था। इस पर अमेररिा ने भारत िी प्रशंसा
िी किन्तु साम्यवाद जगत िो ननराशा हुई। ि
ु छ ह समय पचचात ् जब अमेररिी नेतरत्व में संयुक्त राष्ट्र संघ िी
सेनायें उत्तर िोररया में प्रवेश िर गयी और चीन िी र बढ़ने लगी तब भारत ने स्पष्ट्ट शब्दों में अमेररिा िी भी
आलोचना िी। इस प्रिार भारत में जजस समय जो उथचत समझा वैसा िरि
े अपनी स्वतंत्र नीनत िा पररचय हदया।
1. नतब्बत िी समस्या
ःंर्् पंचशील समझौता
इर्् नतब्बत मे वविोह
2. मैिमोहन रेखा
3. लददाख
4. सीमा वववाद िा आरंभ
5. भारत-चीन सीमा युद्ध 1962
6. िोलंबो प्रस्ताव
7. राजनीनति सम्बन्धों िा सामान्यीिरर्
भारत और मालद्वीप :
20.
हहन्द महासागर ि
ेदक्षक्षर् में जस्थत मालद्वीप एि सम्प्रभुता सम्पन्न स्वतंत्र गर्राज्य है। 26 जुलाई 1965 ई०
िो यह देश स्वतंत्र हुआ। इसमें 29 द्वीपों िी एि माला है जो 90,000 वगव किलोमीटर में फ
ै ल है। इन द्वीपों ि
े
अनतररक्त िर म 2,000 और छोटे द्वीप है। िोई भी द प 15 वगव किलोमीटर से अथधि बढ़ा नह ं है। इसमें
मसंहल , तममल और ममलयाल मूल ि
े लोग रहते हैं। यह हहन्द महासागर िो तत्िामलि राजनीनति महत्व प्रदान
िरता है।
ब्रिहटश अथधराज्य ि
े पहले मालद्वीप पुतवगामलयों ि
े आधीन था। उसि
े बाद मालद्वीप में उधों ने शासन
किया। 1776 ई० में सीलोन िा शासन अंग्रेजों ि
े हाथ में आ गया, फलस्वरूप मालद्वीप भी ब्रिहटश साम्राज्य िा
हहस्सा बन गया। 1798 ई०. में मालद्वीप ि
े सुकतान ने सीलोन ि
े गवनवर िो पत्र मलखिर यथाजस्थनत बनाये
रखने िा आग्रह किया। 1887 ई० में सीलोन ि
े गवनवर और मालद्वीप ि
े सुकतान ि
े बीच एि समझौते ि
े तहत
मालद्वीप पर ब्रिहटश सम्प्रभुता िो अथधिाररि रूप से मान मलया गया। मालद्वीप पर सन ् 1887 ई. से 1965 ई०
ति ब्रिहटश शासनिाल िा आथधपत्य था। 1965 ई० में यह स्वतंत्र हुआ, नवम्बर 1968 ई० में यह गर्राज्य ि
े
रूप में प्रनतजष्ट्ठत हुआ। सन ् 1976 ई. में ब्रिटेन ने यहााँ से अपना सैननि अड्डा इटा मलया। अतः मालद्द प िी
स्वतंत्रता िा वास्तववि इनतहास यह ं से आरम्भ होता है। 1980 ि
े पहले लगभग 8 शताजब्दयों से मालद्वीप एि
सकतनत रहा है।
मालद्वीप में अध्यक्षीय शासन प्रर्ाल है। राष्ट्रपनत राज्य और शासन दोनों िा प्रधान है। राष्ट्रपनत िी
अपनी एि मंब्रत्रपररर्षद है जो उसे ि
े वल प्रशासननि िायों में ह मान्यता नह ं देती है बजकि नीनत ननमावर् तथा
योजना बनाने मे भी सहायता देती है। मालद्वीप में दलववह न शासन प्रर्ाल िो अपनाया गया है। मालद्वीप में
1968 ई० में संववधान िी धारा 23 में राष्ट्रपनत ि
े चुनाव िी संहहता द गयी है। इसि
े अनुसार राष्ट्रपनत िा महज
आम चुनाव ि
े मतदान में ननवावथचत होना ह पयावप्त नह ं है। राष्ट्रपनत पद िा उम्मीदवार पहले मजमलस द्वारा
मनोनीत किया जाता है और कफर आम जनमत संग्रह ि
े माध्यम से पााँच सालों ि
े मलये ननवावथचत। मजमलस द्वारा
मनोनीत किये जाने ि
े बाद मतों िा अि
ै ले बहुमत प्राप्त िरने वाला ह राष्ट्रपनत चुनाव में ववजयी हो सिता है।
यहद किसी भी उम्मीदवार िो आवचयि मत नह ं प्राप्त हो तो मजमलस किसी दूसरे उम्मीदवार िा नाम प्रस्ताववत
िरती है। मजमलस उम्मीदवार िी मलर्खत सहमनत से गुप्त मतदान द्वारा उम्मीदवार िा चयन िरती है। 1932
ई. ि
े संववधान ि
े वल माले ि
े लोगों िो ह भागीदार िा प्रावधान था। इिाहहम नामसर गर्तंत्र ि
े पहले राष्ट्रपनत थे
और 1968 से 1978 ई. ति उन्होंने शासन किया। 1978 में श्ी मुहम्मद अब्दुल िय्यूम मालद्वीप ि
े राष्ट्रपनत
बने। ननवावथचत राष्ट्रपनत ‘‘अकलाह‘‘ ि
े नाम पर इस्लाम संववधान और मालद्वीप वामसयों ि
े अथधिारों ि
े प्रनत
सम्मान शपथ लेता है। राष्ट्रपनत िा पद सववशजक्तमान है। मंब्रत्रमण्डल ि
े सदस्य राष्ट्रपनत द्वारा ननयुक्त किये
जाते हैं और इनिो ववधानयिा िा सदस्य होना आवचयि नह ं है। संसद द्वारा पाररत िोई भी ववधेयि राष्ट्रपनत ि
े
सहमनत ि
े ब्रबना िानून नह ं बन सिता। उसि
े पास ववधानयिा और न्यायपामलिा में ि
ु छ सदस्यों िो मनोनीत
िरने िा अथधिार भी है।
यद्यवप राष्ट्रपनत श्ी अब्दुल िय्यूम ने मालद्वीप िो एि धमव-ननरपेक्ष राज्य बनाने िी हदशा में िई िदम उठाये
हैं परन्तु “नये मालद्वीप‘‘ नामि संगठन इससे संतुष्ट्ट नह ं है और मालद्वीप ि
े राजनैनति ढााँचे में िाजन्तिार
21.
पररवतवन िी मााँगिरता है। यहााँ शररयत िी व्याख्या उदारवाद ढंग से िी जाती है और फााँसी िी सजा िा
प्रावधान लगभग नह ं ि
े बराबर है।
भारत ि
े मालद्वीप ि
े साथ सम्बन्ध गालद्वीप िी स्वतंत्रता ि
े शैशव िॉल से ह रहे हैं क्योंकि दोनों ह राज्यों िा
उद्गम एवं वविास लगभग एि समान पररजस्थनतयों में हुआ है। दोनों में ह दो शताजब्दयों से अथधि समय
उपननवेशी आथधपत्य में ब्रबताया है और प्रजातीय अहंिार ि
े ननिर ष्ट्ट तथ्यों िो सहा है। दोनों ह राज्यों िी संस्िर नत
एवं सभ्यतायें लगभग एि समान हैं। दोनों ह राज्य दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन ‘सािव ‘ ि
े संस्थापि
सदस्य हैं। भारत ि
े प्रथम प्रधानमंत्री पजण्डत जवाहर लाल नेहरू ने मालद्वीप िो ब्रिटे न ि
े उपननवेशी चंगुल से
छ
ु टिारा हदलाने में महत्वपूर्व भूममिा अदा िी और स्वतंत्रता उपरान्त इसिो आथथवि सहायता भी प्रदान िी।
प्रधानमंत्री श्ी पजण्डत जवाहर लाल नेहरू ि
े उपरान्त िमशः श्ी लाल बहादुर शास्त्री, श्ीमती इजन्दरा गााँधी, श्ी मोरार
जी देसाई व चौधर चरर् मसंह व पुनः प्रधानमंत्री श्ीमती इजन्दरा गााँधी ने मालद्वीप ि
े साथ मधुर सम्बन्ध बनाये
रखा।
प्रधानमंत्री श्ीमती इजन्दरा गााँधी िी आसामनयि मरत्यु ि
े उपरान्त भी भारत िी पढ़ोसी देशों ि
े प्रनत नीनत में िोई
आधारभूत पररवतवन नह ं आया। प्रधानमंत्री पद संभालने ि
े तत्िाल बाद प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने जवाहर लाल
नेहरू और श्ीमती इजन्दरा गााँधी िी ववरासत में हामसल मूलभूत दृजष्ट्टिोर् और ववदेश नीनत ि
े मसद्धान्तों ि
े प्रनत
भारत िी वचनबद्धता िो दोहराया।
1985 ि
े वर्षव ि
े दौरान भारत व मालद्वीप ि
े साथ सम्बन्ध और सुदृढ़ हुए जो कि फरवर 1985 में मालद्वीप ि
े
राष्ट्रपनत श्ी अब्दुल िय्यूम िी यात्रा और प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िी तत्िाल न यात्रा से रेखांकित होता है।
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने अपने पड़ोसी देशों ि
े साथ अपने ममत्रतापूर्व सम्बन्धों िा एि उत्िर ष्ट्ट उदाहरर् उस
समय हदया जब उन्होंने 3 नवम्बर 1988 िो मालद्वीप िी राजधानी माले पर हुए हमले िो भारतीय सेना भेजिर
िर हदया। यह हमला सत्ताच्युत किये गये पूवव राष्ट्रपनत ि
े नाम पर किया गया था। बाद में दूसर शजक्तयााँ इस पर
आथधपत्य न जमा ले इस भय से गाय ने सन ् 1987 ई० में ब्रिटेन ि
े साथ एि समझौता किया, जजसि
े तहत
ब्रिटेन ने इस द्वीप िो संरक्षर् प्रदान किया। ब्रिटेन िा यह संरक्षर् एि ववशेर्ष प्रिारा संरक्षर् िहा जा सिता है।
इस प्रिार प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने पड़ोसी देश मालद्वीप ि
े साथ मधुर व सौहादवपूर्व सम्बन्धों िो बनाये रखा
और इसि
े ननत्य वविास ि
े मलये िायव किये
भारत और नेपाल :
नेपाल संसार में एिमात्र हहन्दू राज्य है। यह चारों र भूमम से नघरा देश है। यह हहमालय ि
े दक्षक्षर्
ढलान पर जस्थत है। इसि
े उत्तर नतब्बत और दक्षक्षर् में भारत है। चीन और भारत दोनों बड़े एमशयाई देशों ि
े साथ
इसिी सीमायें जुड़ी हैं। पूवव पजचचम और दक्षक्षर् में भारत से उत्तर में (चीन) नतब्बत प्रान्त से नघरा नेपाल, भारत
और चीन ि
े बीच एि प्रनतरोधि राज्य माना जाता रहा है। इसिा क्षेत्रफल 54,362 वगवमील और जनसंख्या
लगभग एि िरोड़ है। आधुननि नेपाल ि
े जनि, परथ्वी नारायर् शाह ने अपने देश िी ववदेश नीनत ि
े सन्दभव में
22.
िहा था कियह देश दो चट्टानों ि
े बीच र्खले हुए फ
ू ल ि
े समान है। जब से नतब्बत पर चीन िी पूर्व प्रभुसत्ता
स्थावपत हुई, भारत ि
े मलये नेपाल िी जस्थनत पहले से भी अथधि महत्वपूर्व हो गई है।
नेपाल 1768 ई. से पूवव एि प्रभुसत्ता सम्पन्न राज्य में संगहठत नह ं था। उस वर्षव महाराजा परथ्वी नारायर्
शाह ने नेपाल िा एिीिरर् िरि
े एि राजतंत्र िी स्थापना िी। एि अन्य महत्वपूर्व राजनीनति घटना 1846 में
घट , जब रार्ा जंगबहादुर ने वास्तववि सत्ता छीनिर अपने आधीन िर ल और राजा मात्र एि नाममात्र ि
े
राज्याध्यक्ष रह गये। रार्ा नेपाल ि
े वास्तववि शासि बन गये और 1951 ि
े आरम्भ ति यह जस्थनत बनी रह ।
नेपाल और ईस्ट इजण्डया िम्पनी में उन्नीसवीं शताब्द ि
े आरम्भ में एि संघथव उत्पन्न हो गया था। ब्रिटेन िी
साम्राज्यवाद ववस्तार िी नीनत ि
े आधीन नेपाल िो पराजय िा मुंह देखना पड़ा और 1816 में उसे एि संथध पर
हस्ताक्षर िरने ि
े मलये बाध्य होना पड़ा। सजन्ध ि
े अनुसार नेपाल िी ि
ु छ भूमम पर िम्पनी िा स्वाममत्व हो
गया। एि ब्रिहटश अथधिार िो नेपाल िी राजधानी िाठमाण्डू में ननयुक्त किया गया और नेपाल ब्रिटेन ि
े प्रभाव
में आ गया। भारत ि
े अंग्रेज शासिों ने नतब्बत िा रूस और भारत ि
े मध्य एि प्रनतरोधि राज्य ि
े रूप में प्रयोग
किया था, परन्तु भारत िी स्वतंत्रता ि
े पचचात जस्थनत में पररवतवन आया। प्रधानमंत्री श्ी जवाहर लाल नेहरू ने 6
हदसम्बर 1958 िो लोिसभा में िहा था कि नेपाल ि
े प्रनत हमार सहानुभूनतपूर्व रुथच ि
े साथ-साथ हम अपने देश
िी सुरक्षा भी रुथच रखते हैं। हम नेपाल िी स्वतंत्रता िा पूरा सम्मान िरते हैं, परन्तु नेपाल में घटने वाल किसी
अवप्रय घटना ि
े िारर् हम अपनी सुरक्षा िो संिट में नह ं डाल सिते हैं।
नेपाल में भारत िी रुथच धाममवि, ऐनतहामसि एवं राजनीनति िारर्ों से स्वाभाववि थी। ब्रिहटश सेना ि
े मलये नेपाल
में गोरखा जवानों िी भती 1947 ति जार रह । चीन में 1949 में साम्यवाद िाजन्त िी सफलता से यह स्पष्ट्ट
गया था कि यह नतब्बत पर अपना वचवस्व स्थावपत िरेगा, जजससे चीन नेपाल िी सीमा िा स्पशव िरने लगेगा चीन
में साम्यवाद शजक्त ि
े उभरने िा एि प्रत्यक्ष पररर्ाम था। अमेररिा िा नेपाल में रुथच लेना उत्तर में भारत िी
सुरक्षा नेपाल ि
े साथ जुड़ी हुई थी। इस बीच नेपाल में एि संववधान ननमावर् िी मांग उठने लगी थी।
नेपाल िी प्राथवना पर भारत में वररष्ट्ठ नेता श्ीयुत श्ीप्रिाशान ननमावर् में सहायता देने ि
े मलये वह ं भेजा।
जजरा संववधान िा प्रारूप तैयार किया गया वह रार्ा पररवार ि
े ननहहत स्वाथों ि
े ववरुद्ध था, इसमलये उन्होंने इसे
लागू नह ं होने हदया नेपाल िांग्रेस देश में लोितांब्रत्रि व्यवस्था स्थावपत िरने ि
े मलये आन्दोलन चला रह थी।
भारत िी िांग्रेस पाटी िी स्वाभाववि हनत नेपाल ि
े लोितांब्रत्रि आन्दोलन ि
े साथ थी। भारत और नेपाल ि
े बीच
एि प्रस्ताववत मैत्री सजन्ध पर 1949 में हस्ताक्षर न हो पाने िा िारर् रार्ा ं द्वारा भारत ि
े द्वारा सुझाये गये
नेपाल सरिार िी लोितांब्रत्रि संरचना िा ववरोध था 31 जुलाई 1950 िी भारत और नेपाल ने शाजन्त और ममत्रता
िी एि सजन्ध पर हस्ताक्षर किये। इस सजन्ध में यह स्पष्ट्ट प्रावधान किया गया था कि दोनों में से िोई भी देश
दूसरे देश पर किसी ववदेशी आिमर् या उसिी सुरक्षा ि
े मलये उत्पन्न संिट िो सहन नह ं िरेगा। भारत और
नेपाल ने वचन हदया कि किसी तीसरे देश िी र से उत्पन्न या सम्भाववत संिट या उसिी धमिी िा प्रभावी
सामना िरने और सुरक्षा सुननजचचत िरने ि
े मलये वे पारस्पररि परामशव िरेंगे। सामान्य रूप से नेपाल अपने मलये
युद्ध सामग्री भारत से खर देगा। सजन्ध में यह भी प्रावधान किया गया कि किसी अन्य देश से शस्त्र खर दने से
23.
पूवव नेपाल भारतसे परामशव िरेगा। इस प्रिार किये गये परामशव ि
े पचचात ् नेपाल अपनी सुरक्षा ि
े मलये अस्त्र-
शस्त्र तथा अन्य युद्ध सामग्री िा आयात िरेगा, जो भारत िी भूमम से होिर नेपाल पहुाँचेंगें। भारत नेपाल सम्बन्ध
इसी सजन्ध पर आधाररत रहे हैं। इस संथध ि
े पचचात ् भारत ने नतब्बत, नेपाल और भूटान ि
े मध्य दरों पर चौिसी
रखने ि
े मलये सत्रह चौकियााँ स्थावपत िी। इन चौकियों में भारतीय और नेपाल सैननि संयुक्त रूप से ननयुक्त
किये गये। नेपाल सेना ि
े संगठन और प्रमशक्षर् ि
े मलये एि भारतीय सैननि ममशन िो िाठमाण्डू में स्थावपत
किया गया। उसी हदन (31 जुलाई 1950) िो ह भारत व नेपाल ि
े मध्य एि अन्य संथध पर भी हस्ताक्षर किये
गये। इस व्यापार और वार्र्ज्य सजन्ध से भारत-नेपाल िो और माधुयव प्राप्त हुआ। नेपाल िी अथवव्यवस्था ि
े मलये
जजन वस्तु ं िी आवचयिता थी उसे नेपाल िो उपलब्ध िराने िा भरसि प्रयास िरने िा वचन भी भारत ने
नेपाल िो हदया। यह भी तय हुआ कि भारत इन वस्तु ं िो नेपाल ति पहुाँचाने ि
े मलये यातायात ि
े उपायों और
मागों िो भी उथचत दर पर मुहैया िरेगा।
संथध ि
े अनुसार दोनों देशों िो उपयुवक्त सुववधाएाँ एि-दूसरे िो देनी थी परन्तु नेपाल िी अथवव्यवस्था िो सुधारने
ि
े मलये भी भारत इच्छ
ु ि था। इसमलये भारत नेपाल ि
े मलये सभी सुववधाएाँ सुननजचचत िरना चाहता था। चारो र
भूमम से नघरा देश होने ि
े िारर्, व्यापार और वार्र्ज्य सजन्ध ने नेपाल िो यह अथधिार हदया कि वह सभी
वस्तु ं और उत्पादनों िो भारत ि
े सभी प्रदेशों से अबाध रूप से अपने देश िो ले जा सि
े गा। इसि
े अनतररक्त दो
अन्य प्रावधान भी किये गये थे। यह व्यवस्था िी गयी थी कि किसी भी तीसरे देश से आयात िी जाने वाल सभी
वस्तु ं पर भारत और नेपाल दोनों में िर िी दरें एि समान होंगी। दूसरा प्रावधान यह किया गया कि जजन
वस्तु ं िा उत्पादन नेपाल में होगा, और जजनिो भारत ि
े मलये ननयावत किया जायेगा उन पर नेपाल उतना ह
ननयनत शुकि वसूल िरेगा कि जजसमें भारत में ब्रबिी ि
े समय इन वस्तु ं िा मूकय, भारत ि
े उत्पाहदत वस्तु ं
ि
े मूकय से िम न हो। इस प्रिार भारत द्वारा नेपाल िी आथथवि सहायता िरने और भारत-नेपाल आथथवि
सहयोग सहयोग िा सुखद युग आरम्भ हुआ।
नेपाल िी राजनीनति संरचना में पररवतवन लाने िी प्रकिया में भारत ने महत्त्वपूर्व भूममिा ननभाई नेपाल िी जनता
ने भारत से प्रोत्साहन पािर, राजा ं ि
े अलोिताजन्त्रि शासन िो समाप्त िरने ि
े मलये आन्दोलन आरम्भ किया
था। जनता नेपाल नरेश िो रार्ा ं ि
े ननयंत्रर् से मुक्त िरवा िर देश में संवैधाननि सरिार िी स्थापना िरना
चाहती थी नेपाल नरेश महाराज ब्रत्रभुवन नारायर् शाह जनता िी इच्छा ं ि
े प्रनत पूर्व सहानुभूनत रखते थे। रार्ा
शमशेर जंगबहादुर ने राजा िी गनतववथधयों पर प्रनतबंध लगा हदये और महल ि
े र्षडयंत्र सामान्य बात हो गयी।
रार्ा ं िो यह आशा थी कि उन्हें नेपाल नरेश ि
े ववरुद्ध पजचचमी शजक्तयों से सहायता प्राप्त हो जायेगी। ऐसी
पररजस्थनत में भारत िा थचंनतत होना स्वाभाववि था।
‘‘6 नवम्बर 1950 िो महाराज ब्रत्रभुवन ने अपने पररवार ि
े 14 सदस्यों ि
े साथ िाठमाण्डू जस्थत भारतीय दूतावास
में शरर् ले ल । अगले हदन रार्ा शमशेर बहादुर ने महाराजा िो दूतावास से वापस ले जाने िा असफल प्रयास
िया। प्रधानमंत्री रार्ा शमशेर बहादुर ने बदले िी भावना से महाराजा ब्रत्रभुवन िो गदद से हटािर बालि जैनेन्ि
िो नया नेपाल नरेश घोवर्षत िर हदया। इस परष्ट्ठभूमम में अपने पररवार ि
े सदस्यों ि
े साथ महाराजा ब्रत्रभुवन
ववमान से भारत आ गये। इस प्रिार न चाहते हुए भी भारत नेपाल ि
े राजनीनति पररवतवनों िी प्रकिया भागीदार
24.
बन गया। किन्तुप्रधानमंत्री पजण्डत जवाहर लाल नेहरू कफर भी नेपाल पूर्व स्वतंत्रता िी नीनत ि
े प्रनत वचनवद्ध
रहे। फरवर 1951 में नई हदकल लम्बी बातचीत ि
े बाद महाराजा ब्रत्रभुवन नेपाल नरेश ि
े सम्मान ि
े साथ स्वदेश
वापस लौट गये। राजा, रार्ा ं और नेपाल िांग्रेस ि
े मध्य हुई नई हदकल िी ब्रत्रपक्षीय वाताव ि
े अन्त में यह
ननर्वय किया गया कि नेपाल में लोितांब्रत्रि व्यवस्था स्थावपत िी जायेगी।
राजा ं और नेपाल िांग्रेस ि
े मध्य सहयोग अथधि हदन नह ं चल सिा। डॉ० ि
े ० आई० मसंह ि
े नेतरत्व में एि
वविोह हुआ, जजसिो दबाने और ि
े ०एन० मसंह ि
े ववरुद्ध पुमलस िायववाह िरने में भारत ने नेपाल ि
े साथ सहयोग
किया वविोह नेता ि
े ०एन० मसंह िो थगरफ्तार तो िर मलया गया परन्तु 1952 में अनेि राजनीनति दलों ने भारत
ववरोधी दृजष्ट्टिोर् अपना रखा था। माचव 1955 में महाराजा ब्रत्रभुवन िा ननधन हो गया। उनि
े पुत्र महेन्ि नये
नेपाल नरेश बने। उन्होंने असीममत शजक्तयों अपने हाथों में ले ल । 1954 में नेपाल िो संयुक्त राष्ट्र िी सदस्यता
प्राप्त हो गयी। भारत ने नेपाल िी संयुक्त राष्ट्र िी सदस्यता प्राजप्त में पूरा समथवन प्रदान किया था।
महाराजा महेन्ि ि
े हृदय में भारत ि
े प्रनत वह भावना नह ं थी जो कि. महाराजा ब्रत्रभुवन ि
े हृदय में थी। राजमहल
िी राजनीनत अब उन शजक्तयों और तत्वों से प्रभाववत होने लगी थी। जो भारत ि
े प्रनत अथधि ममत्रतापूर्व सम्बन्धी
३ ववचवास नह ं िरते थे। नेपाल नरेश भारत ि
े प्रनत उदासीन हो रहे थे तथा नतब्बत में चीन िी शजक्त सुदृढ़ हो
रह थी। इन िारर्ों से भारत नेपाल सम्बन्धों में अपेक्षा ि
े ववरुद्ध तनाव उत्पन्न होने लगा था। नेपाल में लोितंत्र
िो जो धक्िा लगा उससे भारत थचंनतत हो उठा। नेपाल िांग्रेस ि
े अनेि नेता और समथवि जो नेपाल में संसद य
सरिार िा समथवन िर रहे थे, भागिर भारत आ गये। इन घटना ं ने नेपाल ि
े महारार्ा िो ववचमलत िर हदया।
इस प्रिार भारत नेपाल सम्बन्धों िा एि दुखद िाल आरम्भ हुआ। महाराजा महेन्ि तेजी से चीन ि
े साथ ममत्रता
बढ़ाने लगे। इसि
े पररर्ामस्वरूप नेपाल िो चीन समुथचत आथथवि सहायता प्राप्त हुई। चीन नेपाल आथथवि सहयोग
में वरद्थध हुई तथा भारत ि
े साथ शजक्त संतुलन ि
े प्रयास में भारत पर नेपाल िी ननभवरता िम हुई। चीन इन
पररवतवनों से लाभ उठा रहा था। उसने भारत ववरोधी भावना ं िो बढ़ावा हदया तथा िाठमाण्डू- िोदार सड़ि ि
े
ननमावर् िा अथधिार प्राप्त िरि
े चीन नेपाल सीमा सजन्ध में नेपाल ि
े पक्ष में चीन ने ि
ु छ ररयायतें द । नवयुवि
नेपाल नरेश यह प्रदमशवत िरना चाहते थे कि वह नेपाल राष्ट्रवाद ि
े समथवि थे। उन्होंने भारत-ववरोधी प्रचारिों िो
समथवन प्रदान किया। भारत में ऐसा प्रतीत हुआ महाराजा महेन्ि चीन िो भारत ि
े ववरुद्ध प्रोत्साहहत िर रहे थे।
महेन्ि यह ववचवास हो गया था कि भारत नेपाल वविोहहयों िी सहायता िर रहा था। यह पूर्वतः असत्य था।
तत्िाल न प्रधानमंत्री ट ०पी० आचायव‘ ननजचचत रूप से चीन
समथवि थे। भारत िी यात्रा ि
े दौरान प्रधानमंत्री आचायव ने यह प्रस्ताव किया था कि उनिा देश भारत और चीन
ि
े बीच एि सेतु िा िायव िरने ि
े मलये तैयार है। प्रधानमंत्री आचायव 1956 में चीन गये थे। वह ं जनवर 1957 में
चीन ि
े प्रधानमंत्री बाऊ एन० लाई नेपाल िी यात्रा पर गये। उन्होंने नेपालवामसयों िो यह ववचवास हदलाने प्रयत्न
किया कि चीनी और नेपामलयों ि
े मध्य रक्त िा सम्बन्ध है वह चीन, नेपाल, भूटान और मसजक्िम िा एि
गठबंधन िराना चाहते थे। जैसे-जैसे नेपाल प्रधानमंत्री आचायव चीन िी प्रशंसा िरने लगे। भारत नेपाल सम्बन्ध
और अथधि तनावपूर्व हो गये। नतब्बत ि
े सम्बन्ध में 1956 में हुई एि चीन नेपाल सजन्ध भारत में थचन्ता
उत्पन्न िर द । चीन ने 6 िरोड़ रुपये िी सहायता रामश देने िा वचन नेपाल िो हदया। राष्ट्रपनत राजेन्ि प्रसाद ने
25.
1956 में नेपालिी यात्रा िी और नेपाल िी जनता िो आचवस्त किया कि नेपाल ि
े आन्तररि मामलों में
हस्ताक्षेप िरने िा भारत िा िोई इरादा नह ं था और न भारत ने िभी नेपाल िो किसी भूमम पर अपना दावा पेश
किया था। डॉ० ि
े ०आई० मसंह 1957 में नेपाल ि
े प्रधानमंत्री बने और उन्होंने भारत समथवि नीनत अपनाई। 1959
में जब श्ी वी०पी० िोईराला नेपाल ि
े प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने चीन-नेपाल सम्बन्धों िो सुदृढ़ िरने िा प्रयास
किया। िोईराला सरिार िो 1960 में महाराज द्वारा पदच्युत किये जाने ि
े पचचात ् तथा नेपाल िांग्रेस ि
े अनेि
नेता ं िो बन्द बनाये जाने ि
े फलस्वरूप अनेि िांग्रेसी नेता भारत आ गये। पररर्ामतः भारत नेपाल सम्बन्ध
और भी खराब हो गये। नेपाल में िाठमाण्डू-कहांसा सड़ि ि
े ननमावर् ि
े मलये चीन ि
े साथ समझौता किया। नेपाल
नरेश ने चीन यात्रा ि
े दौरान उस देश िी साम्यवाद सरिार िी प्रशंसा और सराहना िी और चीन द्वारा नेपाल िो
द जाने वाल आथथवि सहायता िा नेपाल ि
े समाचार पत्रों में स्वागत किया और इसे उदार और ननस्वाथव बताया।
1062 ि
े भारत चीन सीमा युद्ध ि
े पचचात ् नेपाल िा और अथधि महत्व हो। गया था। भारत द्वारा नेपाल ि
े
साथ सम्बन्ध सुधारने ि
े उपायों िा नेपाल में स्वागत किया। तत्िाल न गरहमंत्री श्ी लाल बहादुर शास्त्री और
राष्ट्रपनत श्ी राधािर ष्ट्र्न िी नेपाल िी यात्रा ं ने उन शंिा ं िो सफलतापूववि दूर िर हदया िो भारत िी नीनत
ि
े ववर्षय में पनप रह थी। भारत नेपाल सम्बन्धों उभरे हुए तनाव शैथथकय िी समीक्षा िरते हुए राष्ट्र य पंचायत
प्रधान, सूयव बहादुर थापा ने भारत िो ववचवास हदलाया कि जब ति एि भी नेपाल जीववत है, किसी िो नेपाल िी
भूमम से भारत पर आिमर् नह ं िरने हदया जायेगा।
ववदेश मंत्री सरदार स्वर्व मसंह िी 1964 में नेपाल यात्रा ने सम्बन्धों िो मधुर बनाने में सहायता द । उन्होंने नेपाल
िो आथथवि सहायता देने सम्बन्धी एि समझौते पर हस्ताक्षर किये। नेपाल नरेश 1965 में पुनः भारत िी राजिीय
यात्रा पर आये। उन्होंने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से बातचीत िी, जजसमें नेपाल िचमीर ि
े प्रचन पर भारत िो
पूर्व समथवन प्रदान किया। दोनों नेता ं िहा िचमीर ि
े सम्बन्ध में पाकिस्तान जजस आत्मननर्वय िी बात िर रहा
था वह ि
े वल किसी पराधीन देश पर ह लागू हो सिती है। नेपाल नरेश ने भारत द्वारा नेपाल िो द जा रह
आथथवि सहायता िी सराहना िी। परन्तु दुभावग्यवश एि बार कफर भारत-नेपाल सम्बन्धों िो हकिा धक्िा लगा।
जब 1966 में नेपाल ने सुस्ता नामि क्षेत्र पर अपना दावा पेश िरि
े एि सीमा वववाद उत्पन्न िर हदया। ब्रबहार
नेपाल सीमा पर जस्थत यह छोटा सा एि वगव कि०मी० िा क्षेत्रफल सीमा वववाद िा िारर् बन गया। अन्ततः दोनों
देशों ने इस वववाद िो सुलझाने ि
े मलये एि सीमा आयोग गहठत िरने पर सहमनत िर ल ।
भारत और नेपाल ि
े आथथवि सम्बन्धों िा ननयंत्रर् 1950 िी व्यापार और। वार्र्ज्य सजन्ध ि
े अनुसार होता था।
सन ् 1960 ति नेपाल िा लगभग 95 प्रनतशत व्यापार अि
े ले भारत ि
े साथ होता था। नेपाल ि
े आथथवि वविास
िा ववस्तरत िायविम भारत ने आरम्भ किया था। आरम्भ में भारत ने सड़िों और यातायात व्यवस्था ि
े ननमावर् िा
िायव शुरू किया ताकि दोनों देशों ि
े मध्य वस्तु ं िा सरलतापूववि आवागमन हो सि
े । राजननयि वाताव ं ि
े
फलस्वरूप 1961 में एि नये व्यापार एवं पररवहन सम्बन्धी समझौते पर भारत और नेपाल में हस्ताक्षर किये।
इसमें दोनों देशों ि
े मलये एि साझे बाजार िी पररिकपना िी गई थी। भारत और नेपाल दोनों में से किसी एि
देश से दूसरे में ब्रबिी ि
े मलये जाने वाल वस्तुएाँ प्राय िर मुक्त रखी गई। दोनों सरिारों ने तस्िर रोिने ि
े मलये
26.
प्रभावी उपाय िरनेिा वचन हदया। भारत चीन युद्ध 1962 में नेपाल नरेश ने बराबर िी दूर रखने िी नीनत
अपनाई।
इस बीच चीन और नेपाल ि
े बीच व्यापार िा वविास हुआ था कफर भी नेपाल िा अथधितर व्यापार भारत ि
े साथ
ह होता रहा। 1967 ति भारत में नेपाल ि
े वविास िायों ि
े मलये 50 िरोड़ रुपये से अथधि िी रामश नेपाल िो
प्रदान िी तथा 40 िरोड़ िी अनतररक्त सहायता रामश िा भी वचन हदया। इस अवथध में चीन ने ि
े वल 10 िरोड़
रुपये िी सहायता नेपाल िो प्रदान िी थी। इस प्रिार सन ् 1967 ति नेपाल िो सवावथधि सहायता प्रदान िरने
वाला देश भारत था। भारत ने नेपाल में 700 मील से लम्बी सड़ि
ें बनाने िा वचन हदया था. जजसमें ब्रत्रभुवन
राजपथ तो व्यापार में नेपाल िी जीवन रेखा मसद्ध हुआ। 1965 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री िोसी पररयोजना
िी पजचचमी नहर पर ननमावर् िायव िा उद्घाटन किया जजसिा उद्देचय नेपाल क्षेत्रों िो बाढ़ से बचाना तथा ऊजाव
व मसंचाई ि
े मलये पानी िी आपूनत व सुननजचचत िरना था।
1958 में सुरता सीमा वववाद होने ि
े बावजूद भारत ि
े उप प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई ने 1967 में अपनी नेपाल
यात्रा ि
े समय वविास सहायता देते रहने िा वचन हदया। सन ् 1968 से नेपाल िो भारत द्वारा उत्पाहदत 40,000
किलोवाट ऊजाव प्राप्त हो रह है।
भारत ने िाठमाण्ड में नेपाल ि
े प्रथम हवाई अड्डे ि
े ननमावर् में सहायता देने ि
े साथ-साथ भैरवा, जनिपुर और
ववराटपुर नामि हवाई अड्डों ि
े ननमावर् में भी सहायता प्रदान िी। परन्तु उस समय ति नेपाल िी अथवव्यवस्था
और राजनीनत में चीन महत्वपूर्व भूममिा ननभाने लगा था। महाराजा महेन्ि ने भारत-चीन वववाद में तटस्थ रहने
िा ननर्वय किया था। 1960 ि
े दशि ि
े अन्त में नेपाल भारत ि
े साथ अपने ववशेर्ष सम्बन्धों िो समाप्त िरना
चाहता था। वह यह चाहता था कि उसे अबाध रूप से पाकिस्तान सहहत अन्य देशों में यातायात िी सुववधा तथा
मुक्त व्यापार िा अथधिार प्राप्त हो। भारत िो यह स्वीिार नह ं था।
चीन ि
े द्वारा ननमावर् िी गयी िाठमाण्डू- िोदार सड़ि तथा चीन द्वारा नेपाल में चलाई जा रह अनेि भारत-
ववरोधी गनतववथधयों भारत ि
े मलये थचन्ता िा ववर्षय बन गयी थी। चीन द्वारा ननममवत सड़ि से भारत िी सुरक्षा
संिट पड़ गयी थी। चाहे िाठमाण्डू- िोदार सड़ि िा उपयोग चीन ने भारत ि
े ववरुद्ध आिामि िायों ि
े मलये
नह ं किया कफर भी यह सड़ि सुववधा भारत मलये सुरक्षा संिट बनी हुई थी।
नेपाल नरेश महेन्ि ने राजि
ु मार वीरेन्ि ि
े वववाह ि
े समारोह ि
े अवसर पर भारत ि
े राष्ट्रपनत वी० वी० थगरर िी
उपजस्थनत में िहा कि ‘‘नेपाल एि अच्छे पड़ोसी ि
े रूप में सौहादवपूर्व भावना से ववमान्य अन्तरावष्ट्र य िानून ि
े
अनुसार व्यापार और पररवहन िी सुववधा ं यात्रा ि
े अनतररक्त और ि
ु छ उपेक्षा नह ं िरता। हम अपने पड़ोमसयों
ि
े साथ ममत्रता और स्पष्ट्टभावर्षता में ववचवास िरते हैं और उनसे भी हमार यह अपेक्षा है कि वे मैत्रीपूर्व और
स्पाटभार्षी व्यवहार िरेंगे भारत में इस वक्तव्य में अन्तननवहहत आरोप पर आपवत्त िी। भारत ने राथधिापुर ि
े मागव
से नेपाल िो पाकिस्तान ि
े साथ व्यापार ि
े मलये पररवहन िी सुववधा िी अनुमनत नह ं द परन्तु 1961 ि
े भारत
नेपाल व्यापार समझौते िी अवथध जो अक्टूबर 1970 में समाप्त होने वाल थी भारत ने दो मास ि
े मलये बढ़ा द ।
कफर भी भारत ववरोधी वातावरर् िो बनाये रखा गया। भारत ववरोधी वातावरर् ि
े पररर्ामस्वरूप ह लगभग 2300
27.
भारतीय नेपाल छोड़िरब्रबहार आ गये। भारत ने इस समस्या िी र अन्य देशों िा ध्यान आिवर्षवत किया। परन्तु
भारत ने धैयव नह ं छोड़ा और ममत्रता ि
े आचरर् में िोई पररवतवन नह ं होने हदया।
नेपाल ने 1971 ि
े आरम्भ से भारत ववरोधी आन्दोलन िी ननरथविता िा अनुभव किया और राजननयि द्वारा
खोले गये तथा भारत-नेपाल वाताव ि
े फलस्वरूप अगस्त 1971 में िाठमाण्डू में एि नई पररवहन संथध पर हस्ताक्षर
किये गये। भारत ि
े तत्िाल न ववदेश मंत्री सरदार स्वर्व मसंह ने नेपाल िो यह अनुभव िरा हदया कि पूवी
पाकिस्तान िी तत्िाल न घटनायें सम्पूर्व क्षेत्र ि
े मलये संिट उत्पन्न िर सिती है। नेपाल ने शरर्ाथी समस्या पर
थचंता व्यक्त िरते हुए बांग्लादेश संिट ि
े शाजन्तपूर्व समाधान िी आवचयिता पर बल हदया और संयुक्त राष्ट्र में
भारत िा समथवन किया व शीघ्र ह बांग्लादेश िो मान्यता भी प्रदान िी। इस प्रिार 1971 ि
े अन्त में भारत
नेपाल सम्बन्धों में स्पष्ट्ट रूप से सुधार ि
े लक्षर् हदखाई देने लगे थे।
1972 में महाराजा महेन्ि िी मरत्यु ि
े उपरान्त राजि
ु मार वीरेन्ि नये नेपाल नरेशु बने और उन्होंने सत्ता ि
े आते
ह नेपाल ि
े साथ सामान्य सम्बन्धों िी स्थापना ि
े मलये उपाय िरने आरम्भ किये। 1972 में नई हदकल में
नेपाल ि
े तत्िाल न प्रधानमंत्री िीनत वननथध ववष्ट्ट ने िहा था कि ‘‘भारत और नेपाल ि
े मध्य उस प्रिार िी किसी
भी सजन्ध िी आवचयिता नह ं थी जैसी भारत और सोववयत संघ ि
े मध्य हुई थी। किन्तु भारत और नेपाल ि
े
घननष्ट्ठ सम्बन्धों िो ध्यान में रखते हुए यह आवचयि है कि दोनों देश सुरक्षा सम्बन्धी ववर्षयों पर परामशव िरते
रहे। 1973 में श्ीमती इजन्दरा गााँधी ने िाठमाण्डू िी यात्रा िी तथा महाराज वीरेन्ि 1974 में भारत आये। इन दोनों
सफल यात्रा ं ने दोनों देशों ि
े सम्बन्धों िो सुधारने में महत्वपूर्व योगदान हदया।
भारत ि
े योजना मंत्री डी०पी० घर द्वारा हदये आचवासनों िो िायावजन्वत िरने ि
े मलये 1974 में िई समझौते पर
हस्ताक्षर हुए, जजसमें नेपाल में सीमेण्ट बनाने िा एि िारखाना, एि चीनी ममल और एि इंजीननयररंग ि
े समान ि
े
उत्पादन िा िारखाना लगाने िा प्रस्ताव सजम्ममलत था। किन्तु राजनीनति तथा आथथवि सम्बन्धों में सुधार होने ि
े
बावजूद भारत-नेपाल द्ववपक्षीय सम्बन्धों में ि
ु छ तनाव बने रहे। नेपाल िांग्रेस ि
े नेता बी०पी० िोईराला तथा
अन्य िायविताव भारत ि
े रहते हुए नेपाल में लोितांब्रत्रि प्रर्ाल स्थावपत िराने ि
े मलये संघर्षव िर रहे थे। इससे
यह संदेह उत्पन्न हुआ कि नेपाल िांग्रेस ि
े संघर्षव िो भारत िा समथवन और सहायता ममल रह है। परन्तु वास्तव
में भारत सरिार द्वारा उन्हें किसी भी प्रिार िा प्रोत्साहन नह ं हदया जा रहा था। 1975-76 में तनाव िा एि
मुद्दा तब उपजस्थत हो गया जब मसजक्िम िी जनता ने अपने शासि चोग्याल ि
े ववरुद्ध वविोह िर हदया।
मसजक्िम जनता िी इच्छा थी कि उनि
े देश िा भारत में ववलय किया जाये। एि जनमत संग्रह ि
े पररर्ामस्वरूप
मसजक्िम पहले भारत िा एि सह-राज्य बना और ि
ु छ समय पचचात ् 1976 में वह ववथधवत भारतीय संघ िा एि
राज्य बन गया। प्रारम्भ में नेपाल ने भारत पर मसजक्िम ि
े आन्तररि मामलों में हस्तक्षेप िरने िा आरोप लगाया
था। भारत ने नेपाल िो यह स्पष्ट्ट िर हदया कि मसजक्िम िा प्रचन भारत-मसजक्िम द्ववपक्षीय समस्या थी और
किसी तीसरे देश िो इसमें हस्ताक्षेप नह ं िरना चाहहए। नेपाल ि
े तत्िाल न प्रधानमंत्री एन० पी० ररजाल िी भारत
यात्रा और हमारे नेता ं से उनिी बातचीत ि
े फलस्वरूप तनाव में िमी आई। भारत में नेपाल ि
े साथ सम्बन्ध
सुधारने ि
े मलये िई उपाय किये उदाहरर् ि
े मलये 49 वस्तु ं ि
े ननयावत पर लगे प्रनतबंध िो भारत ने उठा मलया।
इस प्रिार महाराजा वीरेन्ि ि
े नरेश बनने ि
े पचचात ् भारत नेपाल सम्बन्ध प्रायः मथुर रहे हैं। चाहे िभी िभी ि
ु छ
28.
क्षर्र्ि मतभेद भीउभरते रहते हैं। भारत ने नेपाल ि
े ऊजाव वविास तथा मसंचाई िायविमों में सहयोग हदया। जजन
प्रमुख पररयोजना ं में भारत योगदान रहा, वे हैं िोसी, गण्डि, िनावल , ब्रत्रशूल , देवीघाट और पोखरा पनब्रबजल
पररयोजनायें। भारत और नेपाल ने हहमालय से ननिलने वाल नहदयों ि
े वविास िी योजना भी बनाई। नेपाल में
सड़ि ननमावर्, हवाई अड्डों ि
े ननमावर् और ववस्तार, दूरसंचार, बागवानी, िर वर्ष, वन, मशक्षा और स्वास्थ्य ि
े क्षेत्रों भारत
में सहायता द और सहयोग प्रदान किया। 1977 में श्ी मोरार जी देसाई ि
े नेतरत्व जनता पाटी िी सरिार सत्तारूढ़
हुई। जनता सरिार ने भारत ि
े पड़ोसी देशों ि
े साथ सौहािवपूर्व एवं मधुर सम्बन्ध वविमसत िरने पर बल हदया
था। ववदेशमंत्री बाजपेई ने पुराने मतभेदों िो भुलािर ममत्रता पर आधाररत सम्बन्धों िा आह्वान किया। देश ि
े
राष्ट्र य हहतों िा बमलदान किये ब्रबना भारत पड़ोसी देशों में ववचवास उत्पन्न हो सि
े , इसि
े उपाय िरना चाहता था।
प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई ि
े नेपाल यात्रा से तत्िाल न समस्यों ि
े समाधान िा मागव प्रशस्त हुआ। प्रधानमंत्री श्ी
देसाई द्वारा यात्रा ि
े अन्त में दो व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। अप्रैल 1978 में नेपाल ि
े प्रधानमंत्री
िीनत वननथध ववष्ट्ट ने स्वीिार किया कि भारत नेपाल सम्बन्ध िभी इतने मधुर नह ं रहे, जजतने उस समय थे।
नेपाल ि
े साथ मधुर सम्बन्धों िो 1980 में श्ीमती इजन्दरा गााँधी ि
े पुनः हुई इन से दोनों नेता ं िो द्ववपक्षीय
सम्बन्धों ि
े सभी पहलु ं पर ननसंिोच और मैत्रीपूर्व बातचीत िरने िा मौिा ममला।
भारत व नेपाल ि
े मध्य परम्परागत मैत्री सम्बन्धों िी पुजष्ट्ट होती रह । प्रधनमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने सािव मशखर
सम्मेलन ि
े मलये नवम्बर 1987 में िाठमाण्डू िी यात्रा िी और नरेश ि
े साथ वववाद मुद्दों पर सफल बातचीत
िी। भारत नेपाल ि
े बीच गहन आथथवि सहयोग िी जून 1987 में भारत नेपाल संयुक्त आयोग िी स्थापना ि
े
मलये हस्ताक्षररत समझौते से और भी बल ममला जब 1989 में पारगमन संथध िी अवथध समाप्त हुई तब एि बार
कफर द्ववपक्षीय सम्बन्धों में तनाव बढ़ता हुआ हदखाई हदया था किन्तु ि
ु छ समय उपरान्त पुनः भारत नेपाल
सम्बन्ध मधुर हो गये।
इस प्रिार प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने अपने प्रधानमंब्रत्रत्व िाल में नेपाल ि
े साथ भी प्रगाढ़ मैत्री पर बल हदया
और आथथवि रूप से आत्मननभवर होने ि
े मलये भारत ने नेपाल िो सहायता पेश िी साथ ह प्रधानमंत्री श्ी राजीव
गााँधी ने समान नहदयों िो िाम में लाने ि
े मलये और गर बी दूर िरने ि
े मलये योजना बनाने सहयोग िी
सम्भावना सुझाई।
नेपाल िी स्वास्थ्य और उद्योग सम्बन्धी समस्या ं ि
े समाधान में भारत ने उसे महत्पूर्व सहायता द , जजससे
दोनों देशों ि
े मध्य प्रगाढ़ मैत्री िो बढ़ावा ममला। नेपाल िी भू-राजनैनति जस्थनत ि
े िारर् दक्षक्षर् एमशया में
शाजन्त और वविास ि
े मलये भारत व नेपाल ि
े मध्य सहयोगपूर्व सम्बन्धों िो महत्वपूर्व मानते थे।
भारत और भूटान :
भारत िी उत्तर सीमा पर जस्थत 18,000 वगवमील क्षेत्र और 1,33,30,000 िी जनसंख्या वाले देश भूटान ि
े साथ
भारत ि
े सम्बन्ध इतने घननष्ट्ठ है कि िई बार लोग भूटान िो ववदेश मानने िो तैयार ह नह ं होते। िई गायनों
में भारत-भूटान सम्बच्यों िी तुलना भारत नेपाल से िी जाती है। भूटान भूममबि व राजशाह वाला देश है। आथथवि
29.
दृजष्ट्ट से िमजोरभूटान िी ननभवरता पर नेपाल से िह ं ज्यादा है। वैदेमशि और प्रनतरक्षा ि
े मामलों में भारत िी
सलाह मानने ि
े मलये भूटान द्वारा भारत ि
े साथ सजन्ध िी गयी है। सन ् 1950 ई. में भूटान ि
े शासिों ने
स्वाधीन भारत ि
े साथ एि ववशेर्ष संजन्ध पर हस्ताक्षर किये, जजसमें भूटान ने नेपाल िी तरह उभयपक्षीय सम्बन्धों
िी गैर बराबर स्वीिार िी थी। नेपाल िी ह तरह साम्यवाद चीन ि
े उदय और भारत-चीन युद्ध ि
े बाद
अन्तरावष्ट्र य राजनीनत में भूटान िा िाफी महत्व बढ़ गया। उसने भी भारत सरिार िा भयादोहन शुरू िर हदया,
लेकिन यह भयादोहन िाफी संयममत-संिोची तर ि
े से िरता नेपाल िी तरह भूटान ि
े भारत ि
े साथ नद जल
ववतरर् या तस्िर आहद िो लेिर िोई मनमुटाव नह ं है। किन्तु नेपाल िी तरह अपनी स्वाधीनता ववचव ि
े
सामने प्रमार्र्त िरने ि
े मलये भूटान ि
े मलये भारत ि
े ववरोध िी आवाज िो मुखर िरना अननवायव हो गया है।
दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सािव ) िी भूममिा में भारत भूटान ि
े आपसी सम्बन्ध और भी
महत्वपूर्व हो गये। सािव िी प्रस्तावना में पयाववरर् मशक्षा, स्वास्थ्य आहद जजन क्षेत्रों िो रखा गया है उनि
े सन्दभव
में भारत और भूटान ि
े बीच आपसी सहयोग स्वाभाववि भी है। वस्तुतः भारत व भूटान ि
े मध्य सौहािवपूर्व
सम्बन्धों िी नींव अंग्रेजों ि
े उपननवेशी िाल से ह चल आ रह किन्तु भारतीय स्वतंत्रता ि
े उपरान्त प्रथम
प्रधानमंत्री श्ी पजण्डत जवाहर लाल नेहरू ने इसे एि नयी हदशा प्रदान िी, जजससे सौहादवपूर्व सम्बन्धों िा यह पौधा
हदन दुना रात चौगुना बढ़ा प्रधानमंत्री श्ी पजण्डत जवाहर लाल नेहरू िी मरत्यु ि
े उपरान्त इस पौधे िो िमशः श्ी
लाल बहादुर शास्त्री श्ीमती इजन्दरा गााँधी, श्ी मोरार जी देसाई श्ी चौधर चरर् मसंह व पुनः श्ीमती इजन्दरा गााँधी ने
सींचा। श्ीमती इजन्दरा गााँधी िी मरत्यु ि
े पचचात प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने मटान ि
े साथ ममत्रवत व्यवहार
किया।
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ि
े प्रधानमंत्री बनने ि
े दो मह ने बाद नरेश वांगचुि नई हदकल आये और प्रधानमंत्री श्ी
राजीव गााँधी सात मह ने बाद यहााँ गये। अपनी स्वतंत्रता पाने ि
े बाद से आथथवि वपछड़ेपन िो सुधारने ि
े मलये
भूटान ि
े मलये भूटान ि
े प्रनतभाशाल प्रयत्नों िी प्रधानमंत्री श्ी राजीव गांधी ने प्रशंसा िी और िहा कि हम दोनों
राष्ट्रों ि
े सम्बन्ध इस बात ि
े द्योति हैं कि जब हमसे एि दूसरे ि
े प्रनत सच्चा आदरभाव और सद्भाव है तो
समानता िी राह में आिार िी असमानता िोई महत्व नह ं रखती। भूटान ि
े आथथवि वविास में यहद भारत
सहयोग दे रहा है तो इसिो अनुदान न मानिर वह स्वयं गौरद मानता है। यहद स्पष्ट्ट रूप से िहा जाय तो यह
िहा जा सिता है कि समान लाभों ि
े मलये हम एि दूसरे ि
े साधनों िा उपयोग िर रहे हैं। किन्तु प्रधानमंत्री श्ी
राजीव गााँधी से पूवव 1960-70 ि
े दशि में भूटानी जनसंख्या िा स्वरूप तेजी से बदला था। रोजी-रोट ि
े तलाश में
आये नेपाल मजदूर िार गर और व्यापार बड़ी संख्या में भूटान में बस गये। भार्षा, रहन-सहन, धमव किसी भी अथव
में इनिा भूटान ि
े मूल ननवामसयों से िोई साम्य नह ं था। यह भी सत्य है कि जो लोग यूटान में पीढ़ दर पीढ़
ननवास िर रहे हैं. वे अपने िो दूसरे दजे िा नागररि मानने िो तैयार नह ं थे, वह ं इसिो लेिर भूटाननयों िी
थचन्ता भी समझ में आती है। भूटान िी थचंता यह थी कि हम अपने ह देश में िह ं अकपसंख्यि न बन जायें और
अपनी सांस्िर नति पहचान खो दें? भूटान इस बात िो लेिर थचंनतत था। भूटान ि
े सामने मसजक्िम िा उदाहरर् था
जहााँ आज नेपामलयों िी बढ़ती जनसंख्या ने ‘‘लेपचा मूहटयों‘‘ िो अकपसंख्यि बना हदया है। और वे दाजजवमलंग ि
े
गोरखालैण्ड आन्दोलन में भी नेपाल ववस्तारवाद िी आिामि झलि देखते थे। भूटान इस बात ि
े मलये वववश हुआ
30.
कि अपने नागररिोंिो भूटानी राष्ट्र य सम्मान बरिरार रखने और अपनी सांस्िर नति ववरासत बचाये रखने ि
े मलये
सख्त ननदेश दे भूटानी नागररिों ि
े मलये राष्ट्र य पोशाि पहनना अननवायव बना हदया गया और ये टेल ववजन में
ववदेशी िायविम नह ं देख सिते थे। ववदेमशयों ि
े आवागमन में और अथधि प्रनतबंध लगा हदये गये। इन प्रनतबंधों
िा प्रभाव नेपामलयों पर और भी अथधि पड़ा, जजसि
े िारर् भूटाननयों व नेपामलयों पर ह अथधि हहंसि झड़पें भी
हुई है। दुभावग्यवश ये अवप्रय घटनायें भारत-भूटान सीमांत पर हुई थी जहााँ मसजक्िम ि
े भारतीय प्रदेश और भूटान
सीमा ममलती है। इस सीमा पर आवागमन पारम्पररि रूप से अबाध रहा और िड़ाई से इसिी ननगरानी भारत ि
े
मलये िष्ट्टप्रद हो गयी। भूटान में रहने वाले नेपामलयों ि
े साथ भेदनाव िा मामला तूल पिड़ा और इसे
मानवाथधिार ि
े हनन ि
े रूप में देखा जाने लगा। किन्तु धीरे-धीरे ि
ु छ समयोपरान्त भारत व भूटान ि
े मध्य
परम्परागत मैत्री सामान्य हुए और प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ि
े युग ि
े सम्बन्ध आते-आते यह घननष्ट्ठता में
पररवनत वत हो गये। समीक्षाधीन वर्षव ि
े दौरान भारत और भूटान ि
े मध्य परम्परागत ननिट और मैत्रीपूर्व सम्बन्ध
और भी मजबूत हुए मसतम्बर 1986 में हरारे में आयोजजत ‘‘नाम‘‘ मशखर सम्मेलन और 1986 में 15-17 नवम्बर
ति बंगलूर में सम्पन्न सािव मशखर सम्मेलन से भूटान नरेश तथा प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िो आपसी हहतों से
सम्बजन्धत मामलों पर उच्चतम स्तर पर ववचार िरने िा मौिा ममला। इन दोनों बैठिों से स्पष्ट्ट हुआ कि आपसी
हहतों ि
े मामलों पर दोनों ि
े ववचारों में ननिट समानता है जो दोनों देशों ि
े बीच ववद्यमान सहयोग और ववचवास
ि
े सम्बन्धों िो पररलक्षक्षत िरती है। नवम्बर 1987 में िाठमाण्डू में हुए सािव मशखर सम्मेलन में भूटान नरेश और
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ि
े बीच आपसी हहतों ि
े मामलों पर उच्च स्तर पर बातचीत िरने िा अवसर प्राप्त
हुआ। वाताव ं में आपसी हहतों ि
े मामलों पर ववशेर्ष रूप से ववचारों िी सामंजस्यता पररलक्षक्षत हुई, जजससे दो देशों
ि
े मध्य मौजूदा आपसी ववचवास और सहयोग सम्बन्धों िा पता चलता है। आथथवि क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है और
भारत ने ववमभन्न क्षेत्रों में भूटान िो ववशेर्षज्ञ उपलब्ध िराये हैं।
भारत और नामीब्रबयाः
नामीब्रबया िो सन ् 1880 से 1915 ति दक्षक्षर्ी पजचचमी अफ्रीिा िहा जाता था। नामीब्रबया िा भाग्य बड़ा
िहठन व उलझा हुआ रहा है। एि लम्बे समय ति यह राष्ट्र िैं सर जमवन सम्राट िा उपननवेश बना रहा। नामीब्रबया
दक्षक्षर्ी अफ्रीिा िा पड़ोसी राष्ट्र है। प्रथम ववचव युद्ध ि
े प्रारम्भ होने ि
े समय यह राष्ट्र ब्रिटेन ि
े आधीन एि
उपननवेश था और ब्रिटेन ने इस पर अपना अथधिार दक्षक्षर्ी अफ्रीिा सेना ि
े साथ ह नयिा था। यह संयुक्त राष्ट्र
संघ िी एि रस्ट ि
े रूप में रह है, जजसे अन्तरावष्ट्र य संगठन ने प्रशासननि िायों हेतु दक्षक्षर् अफ्रीिा िो सौंप
हदया था। इस प्रिार वपछले लगभग 70 वर्षों से रंगभेद गोर दक्षक्षर् अफ्रीिी सरिार द्वारा ननयंब्रत्रत िी जा रह
है।
1946 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने रंगभेद दक्षक्षर् अफ्रीिी सरिार िी उस मााँग िो ठु िरा हदया जजसमें उसने यह िहा
कि नामीब्रबया िो दक्षक्षर्ी अफ्रीिी सरिार िो सजम्ममलत मान मलया जाये। यह प्रचन पुनः 1966 में संयुक्त राष्ट्र
31.
संघ िी सामान्यसभा में पुनः उठाया गया। इस बार भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने दक्षक्षर् अफ्रीिा िो नागीब्रबया ि
े
प्रचन हेतु आदेश नह ं हदया। इसि
े ववपर त संयुक्त राष्ट्र संघ ने एि िाउजन्सल बनाई और उसे यह अथधिार दे
हदये कि वह न्यास (रस्ट मशप) ि
े आधार पर नामीब्रबया पर प्रशासन िरेगी। इसि
े साथ ह साथ इस प्रिार ि
े
प्रयास और प्रयत्न िरेगी कि नामीब्रबया िो इस स्तर पर लाया जा सि
े जहााँ कि उसे स्वतंत्रता प्रदान िर द जाये।
इस प्रिार नामीब्रबया िी समस्या अब 43 वर्षों िी पुरानी समस्या बन गई थी।
दक्षक्षर्ी अफ्रीिा ने दुष्ट्टतापूर्व रुख अपनािर संयुक्त राष्ट्र संघ िी सममनत िो िायव िरने में बाधा पहुाँचाई। अब यह
समस्या धीरे-धीरे गम्भीर रूप लेती रह थी और वहााँ स्वतंत्रता िी मांग तेजी से उठती जा रह थी। वर्षव 1960 में
इसने बािायदा संगहठत रूप धारर् किया। दक्षक्षर् पजचचम अफ्रीिा जन संगठन में 1960 में नामीब्रबया िी स्वतंत्रता
ि
े मलये मुक्त आन्दोलन प्रारम्भ िर हदया। स्वापो ने इसे अपना मुख्य मुद्दा बनाया और संयुक्त राष्ट्र ने इसे
अथधिाररि प्रनतननथध ि
े रूप में मान्यता प्रदान िर द । इसि
े अनतररक्त स्वापो, ननगुवट राष्ट्रों भी सदस्य है और
इसे बहुलता में अफ्रीिा में संगठन से भी मदद प्राप्त होती है। आज से लगभग 22 वर्षव पूवव इस स्वापो ने दक्षक्षर्
अफ्रीिी सेना ं ि
े साथ सैन्य संघर्षव भी शुरू िर हदया था। ववचव शाजन्त सममनत ने ववचव जन समुदाय िो 26
अगस्त िो नामीब्रबया िा हदन मनाने िो िहा था।
स्वापो संगठन ने नामीब्रबया में तमाम िहठन और संघर्षवपूर्व जस्थनत होते हुए भी दावा किया कि यहद स्वतंत्र चुनाव
िराये जायें तो इस संगठन िो बहुमत अवचय ह प्राप्त होगा। वतवमान राजनीनति पररजस्थनतयों िो ध्यान में रखते
हुए दक्षक्षर् अफ्रीिा िी रंगभेद सरिार यहााँ अभी चुनाव न िराने ि
े मलये िर तसंिकप सी लगती थी। इससे यह भी
लगता था कि सम्भवतः गोर सरिार मीननया िी। समस्या िा शाजन्तपूर्व समाधान ननिालना नह ं चाहती है। यह
िारर् है कि नामीहदया ि
े देशभक्त िाफी थचजन्तत व परेशान थे और इसी िारर् उन्हें दक्षक्षर्ी अफ्रीिो सरिार से
सैन्य स्तर पर संघर्षव िरना पड़ रहा था। दक्षक्षर् अफ्रीिा ने नामीब्रबया पर अपना अथधिार बनाये रखने िो एि बढ़
सेना यहााँ रख छोड़ी थी। यहााँ पर एि अनुमान ि
े आधार पर लगभग एि लाख दक्षक्षर् अफ्रीिी कि ववद्यमान थे।
नामीब्रबया में सैननिों ि
े जाल िा प्रसार इस प्रिार किया गया कि लगभग 12 व्यजक्तयों पर एि सैननि छोड़ा गया
था और लगभग 90 सैन्य हठिाने बनाये गये थे। दक्षक्षर् अफ्रीिी सरिार ि
े ये तमाम प्रयास अब बेमानी हो गये
थे। क्योंकि पीपुकस मलबरेशन आमी ऑफ नामीब्रबया ने अब नामीब्रबया ि
े लगभग दो नतहाई भूभाग पर अपना
िब्जा िर मलया था। इसि
े अनतजक्त नामीब्रबया ि
े सैननिा संगठन में घुस आये। दक्षक्षर् अफ्रीिी गुप्तचरों िो भी
इस सेना ने खोजिर उन्हें बाहर िर हदया था।‘‘ ववचव संगठन से हमेशा नामीब्रबया िी स्वतंत्रता ि
े प्रचन पर
सिारात्मि उत्तर ममला है। दक्षक्षर् अफ्रीिा िी गोर सरिार िो समय-समय पर उसि
े द्वारा अपनायी जाने वाल
साम्राज्यवाद नीनतयों ि
े प्रनत संघ िी आलोचना िा मशिार भी होना पड़ा। वर्षव 1978 में संयुक्त राष्ट्र संघ िी एि
सुरक्षा पररर्षद ने भी इस समस्या िो महत्व हदया और उसने सामान्य सभा ि
े प्रस्ताव संख्या 545 महत्व हदया है।
इसमें नामीब्रबया िी समस्या ि
े समाधान ि
े मलये िहा गया था।
यद्यवप दक्षक्षर् अफ्रीिा िी सरिार लगभग 18 मममलयन डालर ननत्य खचव िरिो नामीब्रबया में अपना प्रभुत्व
जमाये हुए थी तो भी इस बड़ी रिम िी भरपाई यह नामीब्रबया ि
े अथधिर त क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों िा शोर्षर्
िरि
े िर रह है। ‘‘‘‘स्वतंत्रता िी सुबह‘‘ आने िी सम्भावना बढ़ गयी थी। नामीब्रबया में स्वतंत्रता हेतु आन्दोलन
32.
तेजी से बढ़ताजा रहा था और यह तीव्रता ि
े पूर्व स्तर पर भी पहुंचा। और अन्ततः 21 माचव 1990 िो नामीब्रबया
ने स्वतंत्रता प्राप्त िी और उन्होंने अपने प्रमुख नेता सैम ननजोमा िो राष्ट्रपनत ननवावथचत किया। ि
ु छ समय
उपरान्त वह संयुक्त राष्ट्र संघ में भी शाममल हुआ और सिा 160 वााँ सदस्य राज्य बना।
अध्याय-4
अध्याय-4
क्षेत्रीय संगठन ‘‘सािव ‘‘
द्ववतीय ववचवयुद्ध िी समाजप्त युद्ध ि
े बाद शजक्तशाल यूरोपीय देशों िी शजक्त में पतन, ववचव पटल पर संयुक्त
राज्य अमेररिा और सोववयत संघ िा शजक्तशाल राष्ट्र ि
े रूप में उदय, शीत युद्ध िी राजनीनत िा आरम्भ आहद
ि
ु छ ऐसे िारर् थे, जजसि
े ववचव ि
े राजनीनति और आथथवि पररदृचय िो नजद ि से प्रभाववत किया।
साम्यवाद से भयभीत संयुक्त राज्य अमेररिा तथा पजचचमी यूरोप ि
े देशों ने अमेररिा ि
े नेतरत्व में िई
संगठन स्थावपत किये गये जजसमें उन्हें स्थानयत्व, एवं सुरक्षा प्राप्त हो सि
े । इन संगठनों ि
े प्रनतकियास्वरूप
सोववयत संघ ने भी ववचव ि
े ि
ु छ देशों ि
े साथ जजनिा झुिाव साम्यवाद िी र था उनि
े साथ सहयोगात्मि
सजन्ध िी परन्तु ये संगठन ि
े वल सैननि संगठन ह बन सि
े , जजसि
े िारर् ववचव में सैननि प्रनतस्पधाव बढ़ गयी
और ववचव िा द्ववध्रुवीिरर् हो गया।
ऐनतहामसि पररप्रेक्ष्य में क्षेत्रीय सहयोग आिर्षवर् िा ि
े न्ि ब्रबन्दु रहा है। द्ववतीय ववचव युद्ध से पहले जापान द्वारा
अपने साम्राजज्यि मलप्सा िी पूनत व हेतु छद्म रूप से क्षेत्रीय सहयोग िी बात िह गयी थी। जापान िा मुख्य
उद्देचय सुदूरपूवव तथा दक्षक्षर् पूवव एमशयाई देशों पर आथधपत्य जमाना था। परन्तु यह सपना सािार न हो सिा।
द्ववतीय ववचव युद्ध िी भीर्षर् त्रासद ने पुनः एि बार ववचव समुदाय ि
े बहुत बड़े हहस्से िो ‘‘आपसी सहयोग‘‘ िी
प्रेरर्ा द , फलस्वरूप अमेररिा ि
े नेतरत्व में 1949 ई० में सववप्रथम यूरोपीय देशों द्वारा प्रथम सैननि संगठन
‘‘नाटो‘‘ िी स्थापना हुई जो मुख्य रूप से सुरक्षात्मि संगठन था। इसि
े प्रनतकिया स्वरूप सन ् 1955 में सोववयत
संघ ि
े नेतरत्व में वारसा पैक्ट िी स्थापना हुई जो नाटो िी ह तरह िा सैन्य संगठन था। इसि
े बाद सन ् 1949
में स्थावपत साम्यवाद देशों िा आथथवि संगठन िामिान, वर्षव 1958 में ई०ई०सी०. 1959 में स्थावपत लैहटन
अमेररिी देशों िा मुक्त व्यापार संघ ि
ै ररब्रबयन देशों िा मुक्त व्यपार संघ, अरब ल ग, ०ए०यू० सीटो, पेि
33.
इत्याहद। दक्षक्षर् पूववएमशयाई देशों ने भी िमोवेश इससे सीख लेते हुए आमसयान ि
े गठन द्वारा अभूतपूवव आथथवि
प्रगनत िायम िी।
‘‘सािी‘‘ ि
े गठन िा उद्देचय भी िमोवेश इन संगठनों ि
े जैसा ह था। बांग्लादेश ि
े तत्िाल न राष्ट्रपनत जनरल
जजयाउर रहमान ने सािव िी स्थापना िा प्रस्ताव 1980 ई० में किया था। यद्यवप इसि
े पूवव (1945) में पजण्डत
जवाहर लाल नेहरू ने भारत, ईरान, ईराि, अफगाननस्तान तथा वमाव आहद राष्ट्रों िो ममलािर क्षेत्रीय संगठन स्थावपत
िरने िा ववचार किया था। ि
ु छ राजनीनति उथल-पुथल ि
े उपरान्त अन्ततः 7 हदसम्बर 1985 ई. िो भारत,
पाकिस्तान बांग्लादेश, श्ीलंिा, नेपाल, भूटान, मालद्वीप इन सात राष्ट्रों िो ममलािर दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग
संघ (सािव ) िी स्थापना िी गयी तथा इसि
े उद्देचय िो ननधावररत िरते हुए बांग्लादेश ि
े राष्ट्रपनत जजया-उर-
रहमान ने िहा कि दक्षक्षर् एमशयाई देशों ि
े लोगों िी भलाई तथा उनि
े जीवन स्तर िा वविास िरना, आथथवि,
सामाजजि, सांस्िर नति तिनीिी और वैज्ञाननि क्षेत्र में वविास एवं प्रगनत हेतु आपसी सहयोग एवं अवसर जुटाना,
पारस्पररि सहयोग, ववचवास एवं सूझबूझ द्वारा समस्या ं ि
े समाधान पर ववचार िरना, अन्य वविासशील देशों में
सहयोग बढ़ाना, अन्तरावष्ट्र य क्षेत्रों में समान हहत ि
े ववर्षयों पर पारस्पररि सहयोग िो दृढ़ िरना तथा समान
उद्देचय रखने वाले अन्तरावष्ट्र य एवं प्रादेमशि संगठनों से सहयोग िरना सािव िा मुख्य ध्येय है।
भारत ने दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग िो बढ़ावा देने में इसि
े जन्म से ह सकिय भूममिा अदा िी है।
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने अपने उद्घाटन भार्षर् में मशखर सम्मेलन िो एि नये सवेरे िी शुरुआत बताया और
िहा कि एसोमसएशन िो जन-आन्दोलन बनाना होगा।‘‘
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ि
े नेतरत्व एवं पथ प्रदशवन में यह संगठन प्रारजम्भि बाधा ं और अववचवास िो खत्म
िर एि उज्ज्वल जस्थनत बनाने ि
े मलये प्रयत्नशील हुआ। आपसी व्यापार ि
े ववर्षय में दक्षक्षर् एमशया ि
े देश एि
सामूहहि िर प्रर्ाल और एि सामान्य बाजार व्यवस्था बना सिते हैं। ये किसी बाहर मुिा प्रर्ाल िा सहारा
मलये ब्रबना आपसी व्यापार बढ़ा सिते हैं। प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने इस बात िो समझा कि इस क्षेत्र में
द घविाल न आथथवि सहयोग िी अनन्त संभावनाएाँ हैं। इसमलये उन्होंने संगठन ि
े देशों ि
े आपसी संदेहों िो दूर
िरने िी िोमशशें िी, जजससे सबि
े बीच सहयोग अथधि बढ़े और उनिा आथथवि स्वावलंबन भी बढ़ा।
सांस्िर नति एवं भौगोमलि ननिटता ि
े बावजूद इन देशों में सहयोग िी िमी रह है। यह देश अपनी ढपल
अपना राग अलग-अलग अलापते रहे हैं. किन्तु दक्षेस सम्मेलनों ि
े िारर् ये पास-पास आने शुरू हुए। आन्तररि
टिराव ि
े िारर् ये बाहर शजक्तयों ि
े र्षडयंत्रों िा ि
े न्ि बन गया और यह समूचा क्षेत्र आथथवि दृजष्ट्ट से भी वपछड़
गया। यहााँ िी आथथवि प्रगनत अवरुद्ध हो गई। पजण्डत जवाहर लाल नेहरू और श्ीमती इजन्दरा गााँधी ि
े प्रयासों से
सािव िी औपचाररि शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने इसी परम्परा िो आगे बढ़ाने िा िायव किया।
सभी देशों ि
े साथ परस्पर सहयोग िी भावना ह प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िी ववदेश नीनत िा मूल उद्देचय था।
भारत िी सािव या दक्षेस ि
े िायविमों िो आगे बढ़ाने में अहम ् भूममिा रह । इसिा िारर् प्रधानमंत्री श्ी राजीव
गााँधी िी सूझ-बूझ ह थी और यह िारर् था कि ववदेशों में भारत िा हदनों-हदन महत्व बढ़ता जा रहा था। इस
महत्व ि
े बढ़ने में प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िा बहुत बड़ा योगदान रहा।
34.
प्रधानमंत्री श्ी राजीवगााँधी ि
े नेतरत्व एवं पथ प्रदशवन में यह संगठन प्रारजम्भि बाधा ं और अववचवास िो खत्म
िर एि उज्ज्वल जस्थनत बनाने ि
े मलये प्रयत्नशील हुआ। आपसी व्यापार ि
े ववर्षय में दक्षक्षर् एमशया ि
े देश एि
सामूहहि िर प्रर्ाल और एि सामान्य बाजार व्यवस्था बना सिते हैं ये किसी बाहर मुिा प्रर्ाल िा सहारा मलये
ब्रबना आपसी व्यापार बढ़ा सिते हैं। प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने इस बात िो समझा कि इस क्षेत्र में द घविाल न
आथथवि सहयोग िी अनन्त संभावनाएाँ हैं। इसमलये उन्होंने संगठन ि
े देशों ि
े आपसी संदेहों िो दूर िरने िी
िोमशशें िी, जजससे सबि
े बीच सहयोग अथधि बढ़े और उनिा आथथवि स्वावलंबन भी बढ़ा।
सांस्िर नति एवं भौगोमलि ननिटता ि
े बावजूद इन देशों में सहयोग िी िभी रह है। यह देश अपनी ढपल अपना
राग अलग-अलग अलापते रहे हैं, किन्तु दक्षेस सम्मेलनों ि
े िारर् ये पास-पास आने शुरू हुए। आन्तररि टिराव ि
े
िारर् ये बाहर शजक्तयों ि
े पडयंत्रों िा ि
े न्ि बन गया और यह समूचा क्षेत्र आथथवि दृजष्ट्ट से भी वपछड़ गया। यहााँ
िी आथथवि प्रगनत अवरुद्ध हो गई। पजण्डत जवाहर लाल नेहरू और श्ीमती इजन्दरा गााँधी ि
े प्रयासों से सािव िी
औपचाररि शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने इसी परम्परा िो आगे बढ़ाने िा िायव किया।
सभी देशों ि
े साथ परस्पर सहयोग िी भावना ह प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िी ववदेश नीनत िा मूल उद्देचय था।
भारत िी सािव या दक्षेस ि
े िायविमों िो आगे बढ़ाने में अहंम ् भूममिा रह । इसिा िारर् प्रधानमंत्री श्ी राजीव
गााँधी िी सूझ-बूझ थी और यह िारर् था कि ववदेशों में भारत िा हदनों-हदन महत्व बढ़ता जा रहा था। इस महत्व
ि
े बढ़ने में प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िा बहुत बड़ा रहा।
ननमावता ि
े रूप में :
दक्षक्षर् एमशया एि भल भााँनत पररभावर्षत भौगोमलि इिाई है इनतहास ि
े अनुभव िी दृजष्ट्ट से इसमें एिरूपता भी
है। कफर भी आचचयवजनि बात यह है कि सािव इस क्षेत्र में अपनी तरह िा पहला अनुभव है।
आमतौर पर एमशया, खासतौर से दक्षक्षर् एमशया में क्षेत्रीयता िा आरजम्भि प्रयास अत्याथधि उत्साहजनि रहे,
क्योंकि सदस्यता एवं महत्व िी हटिाऊ सम्भावना ं दोनों ह दृजष्ट्टयों से इस क्षेत्र में अत्याथधि ब्रबखराव मौजूद थे।
जैसे 1947 ि
े बीच आयोजजत किये गये 7 सम्मेलनों में ववचव ि
े अनेि क्षेत्रों से अनेि देशों िो शाममल किया गया
था। ये सम्मेलन इस प्रिार थे
1. माचव 1947 में नई हदकल में हुआ एमशयाई सम्बन्ध सम्मेलन।
2. जनवर 1949 में नई हदकल िा इण्डोनेमशया पर सम्मेलन ।
3. मई 1950 में वागु ं कफल पीन्स में हुआ वागु ं सम्मेलन।
4. िोलम्बो योजना जजसे औपचाररि तौर पर 1 जुलाई 1950 िो, 1950 में मसडनी तथा लंदन में स्वतंत्र
ब्रिहटश राष्ट्रि
ु ल देशों िी याब्रत्रयों िी बैठि में मलये फ
ै सले ि
े बाद शुरू किया गया था।
5. अप्रैल 1954 में िोलम्बो में हुआ िोलम्बों पावसव िान्फ्र
ें स
35.
6. अप्रैल 1955में वाडुंग इण्डोनेमशया में हुआ आिो एमशयाई सम्मेलन।
7. मई 1955 में हुआ मशमला सम्मेलन ।
एमशयाई क्षेत्रवाद शुरुआती पर क्षर् िी एि उकलेखनीय ववशेर्षता दक्षक्षर् एमशया ि
े एि साथ पजचचमी गुट िी तरफ
झुि जाने िी थी, जो कि उसि
े उपननवेशवाद ववरोधी एवं साम्राज्य ववरोधी तेवरों ि
े बावजूद हुआ। पचास ि
े दशि
ि
े मध्य ि
े बाद से हालााँकि जब पाकिस्तान तेजी से अमेररिी सामररि ताने-बाने में घुस गया, जजससे भारत-
पाकिस्तान ि
े बीच ववभाजन और बढ़ गया। इसी अवथध में बढ़ते भारत-चीन टिराव ने एि और जहटल आयाम
जोड़ हदया। इसि
े पररर्ाम ने अपना तीसरा युद्ध लड़ मलया था। इससे पहले 1947 ई० एवं 1965 ई० में युद्ध हुए
थे तब एि स्पष्ट्ट तौर पर ितार बंहदया हो चुिी थी और क्षेत्रीय सहयोग िा िोई भी आवान बेमानी हो गया था।
इस ववचार िा पुनरोत्थान 70 ि
े दशि ि
े अन्त में हुआ। 1977-80 ि
े दौरान बांग्लादेश ि
े तत्िाल न राष्ट्रपनत
स्वगीय जजयाउर रहमान ने हदया कि क्षेत्र िी भयावह आथथवि समस्या ं िो दूर िरने ि
े मलये दक्षक्षर् एमशया ि
े
सात देशों िो परस्पर सहयोग िी िोई व्यवस्था िरनी चाहहए। नवोहदत बांग्लादेश ि
े ि
ु छ मात्रा में स्थानयत्व और
शाजन्त िी स्थापना िी इच्छा तथा वहााँ जनता िो सनातन ननधवनता और दुख से उदारने ि
े ववचार से राष्ट्रपनत
जजया-उर-रहमान ने क्षेत्रीय सहयोग ि
े ववचार िा प्रयास किया। यह िहा जाता है कि बांग्लादेश िी आन्तररि
आथथवि दुदवशा िो ध्यान में रखते हुए आथथवि सहयोग ि
े क्षेत्रीय संगठन िा सुझाव हदया गया था। यद्यवप इस
सुझाव से िोई खास उत्साह पैदा नह ं हुआ किन्तु राजनैनति माहौल इसि
े अनुि
ू ल था। यह ऐसा समय था जबकि
दक्षक्षर् एमशया में राजनीनति नेतरत्व नये-नये शासिों ि
े हाथों में पहुाँच रहा था। भारत में िांग्रेस िी श्ीमती इजन्दरा
गााँधी ि
े स्थान पर श्ी मोरार जी देसाई ि
े नेतरत्व वाल जनता पाटी सत्ता में आ गयी थी। पाकिस्तान में जुजकफिार
अल भुट्टो िी जगह जजया-उर-रहमान ने ल थी और श्ीलंिा में श्ीमावो भण्डारनायि
े ि
े स्थान पर ज्यननस
जयवद्वधने सत्ता में आ गये थे। बांग्लादेश में जजया-उर-रहमान ने अपनी जस्थनत मजबूत िर ल थी और मुजीब
समथवि शजक्तयों से तत्िाल िोई खतरा नह ं था। इन सभी नेता ं िी एि अमेररिापरस्त छवव थी और अपने पूवव
वरवत्तयों ि
े ववपर त ये नये मसरे से क्षेत्रीय सम्बन्धों िो बनाये रखने ि
े इच्छ
ु ि थे। हालांकि ववडम्बना यह है कि
सािव िी ननमावर् िी हदशा में पहला प्रभावी िदम ऐसे समय पर उठाया गया जबकि दक्षक्षर् एमशया िा राजनैनति
पररदृचय लगभग अपने पहले वाल जस्थनत में लौट आया था। श्ीमती इजन्दरा गााँधी नाटिीय ढंग से भारत में पुनः
सत्ता में आ गयी थी, जो कि ठीि उसी समय पर हुआ जबकि अफगाननस्तान ि
े ववशेर्ष सम्बन्ध पुनः बहाल हो
गये। श्ीमती इजन्दरा गााँधी द्वारा लगभग पूर तौर से सोववयत िदमों िो उथचत िरार देने ि
े चलते भारत तथा
पाकिस्तान ि
े बीच सामररि दरार और अथधि बढ़ गयी जब यह सब हो रहा था, मई 1980 में तभी जजया-उर-
रहमान ने सािव िी स्थापना पर गम्भीरतापूववि ववचार िरने िा आग्रह िरते हुए छः दक्षक्षर् एमशयाई देशों ि
े
नेता ं िो औपचाररि पत्र भेजे। मजे िी बात यह है कि उनिी इस अपील पर सिारात्मि हालांकि मामूल ह
प्रनतकिया ममल ।
राजनैनति नेतरत्व प्रथम रूप से शाममल किये बगैर तथा संवेदनशील क्षेत्रीय मुद्दों िो छेड़े बगैर नेता ं ने परस्पर
आथथवि सहयोग ि
े क्षेत्रों िा पता लगाने िो उथचत माना। यह वह समय था जबकि उत्तर दक्षक्षर् वाताव वस्तुतः
36.
ववफल हो गयीथी और ववचवव्यापी मंद िा दौर ववचव अथवव्यवस्था िो पंगु बनाया जा रहा था। इसिा सबसे बुरा
असर तेल िा आयात िरने वाले वविासशील दुननया ि
े देश थे, जजनि
े दक्षक्षर् एमशया से सम्बन्ध थे। 60 ि
े दशि
ि
े मध्य ति वास्तववि वविास दर घटिर 2 प्रनतशत ि
े िर ब हो गयी थी। 1979-80 िी दूसर तेल आयात नीनत
ने जस्थनत िो और ह अथधि ब्रबगाड़ हदया। 1980 में सभी दक्षक्षर् एमशयाई देशों ि
े व्यापार ररिाडव िा संतुलन
दयनीय रहा। इस परष्ट्ठभूमम ि
े चलते खासतौर पर क्षेत्रीय सहयोग िी सलाह तथा आमतौर पर दक्षक्षर्-दक्षक्षर्
सहयोग िी बात वविास ि
े एजेण्डा िी उच्च प्राथममिता बन गई। सािव िी स्थापना किसी भी समय हो सिती
थी। सहयोग ि
े क्षेत्रों िा पता लगाने ि
े मलये सथचव स्तर िी अनेि बैठि आयोजजत िी गई। इन बैठिों में मुख्य
बात यह रह कि इस मुद्दे पर आम सहमनत बनी कि किसी भी द्ववपक्षीय अथवा वववादास्पद मुद्दे पर चचाव नह ं
िी जायेगी हदलचस्प बात यह है कि पहला मुद्दा भारत द्वारा जोर हदये जाने पर तय हुआ था और दूसरे मुद्दे पर
भारत-पाकिस्तान दोनों ने जोर हदया था। अतः अन्य देशों िो उनि
े बारे में थचंता िरने िी िोई वजह नह ं रह
गई। इसि
े ववपर त उन्होंने द्ववपक्षी मामलों िो शाममल किये जाने िो पसन्द किया होता, जजससे भारत ि
े
मनमानीपूर्व तथा जजसे बाद में बड़े भाई‘ जैसा बतावव िहा गया साथ पेश आने में उनिो आत्मववचवास प्राप्त हुआ
होता। इसमलये यह एि तरह से भारत िो ि
ू टनीनति फायदा भी हुआ।
द्ववतीय ववचवयुद्ध ि
े बाद ववचव ि
े ववमभन्न भागों में क्षेत्रीय संगठनों िी स्थापना हो चुिी थी और वे
सफलतापूववि िायव िर रहे थे जजनमें प्रमुख थे - 1948 में स्थावपत अमेररिी राज्यों िा संगठन, अरब ल ग जजसिी
स्थापना 1945 में हुई थी। 1957 में स्थावपत दक्षक्षर् पूवी एमशयन राष्ट्रों िा संगठन तथा यूरोवपयन यूननयन 1952
में छः देशों द्वारा स्थावपत यूरोवपयन िोयला और इस्पात समुदाय िा वविमसत रूप था।
संयुक्त राष्ट्र ि
े अनुच्छेद 52 में क्षेत्रीय संगठन िा प्रावधान है। इसमें व्यवस्था है कि ऐसी क्षेत्रीय व्यवस्थाएाँ या
एजेजन्सयााँ स्थावपत िी जा सिती है जो कि अन्तरावष्ट्र य शाजन्त और सुरक्षा बनाये रखने ि
े उन ववर्षयों से सम्बद्ध
होगी जहााँ क्षेत्रीय िायवववथध उपयुवक्त हो। सािव इन्ह ं में से एि सहयोग संगठन है।
सािव ि
े वविास िा सूत्रपात प्रायः 1977 ई० में बांग्लादेश से माना जाता है। परन्तु ि
ु छ ववद्वान इसिा प्रारम्भ
नेपाल से मानते हैं। उनि
े मतानुसार क्षेत्रीय सहयोग ि
े सम्बन्ध में सववप्रथम पहल नेपाल नरेश वीरेन्ि वीर वविम
शाह देव ने सन ् 1977 ई० में मंत्री स्तर पर 26 वीं बैठि ि
े दौरान िी थी जो िोलम्बो योजना हेतु परामशव
सम्मेलन ि
े रूप में थी और िाठमाण्डू में आयोजजत िी गयी थी। इस सम्मेलन में एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग ि
े
अन्तगवत भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्ीलंिा, नेपाल, भूटान, चीन ि
े साथ ह अन्य नजद ि ि
े क्षेत्रों िो भी रखने
िा सुझाव हदया गया था।
नेपाल ि
े इस सुझाव से स्पष्ट्ट था कि सम्भवतः उसिा झुिाव चीन िी र था किन्तु सहयोग िा यह प्रस्ताव
ब्रबना ननर्वय ि
े ह रह गया। इससे सम्बजन्धत एि दूसरा सम्मेलन ‘‘इजण्डयन िौंमसल आफ वकडव अफोसव नई
हदकल ि
े नेतरत्व में मई 1978 ई० में आयोजजत हुआ, जजसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्ीलंिा तथा नेपाल ि
े ववमशष्ट्ट
अथवशास्त्री, प्रबंधशास्त्री एवं वविास ि
े ववद्वान सजम्ममलत हुए। ज्ञातव्य है कि इस दौरान दक्षक्षर् एमशया से तात्पयव
भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्ीलंिा, नेपाल, भूटान, वमाव, ईरान, मालद्वीप और अफगाननस्तान से समझा जाता तथा
37.
ववशेर्षज्ञों ि
े अनुसारसहयोग िी प्रवरवत्त ि
े आधार पर इसमें चीन िो भी शाममल किया जा सिता है। इस प्रिार
मान्यता ि
े आधार पर सािव ि
े वविास िा आरम्भ सन ् 1977 ई० में बांग्लादेश से माना जाता है।
दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग िा ववचार 1977 ई० में भारत, पाकिस्तान, नेपाल और श्ीलंिा िी यात्रा िरते हुए
राष्ट्रपनत जजया-उर-रहमान ने प्रसाररत किया था। इस आधार पर बांग्लादेश िी सरिार ने एि िायवपत्र तैयार िरि
े
क्षेत्र ि
े सभी देशों िो भेजा जजसिा शीर्षवि था ‘‘दक्षक्षर् एमशया में क्षेत्रीय सहयोग (ःै।त्ब ्) और इसमें यह सुझाव
हदया गया कि ववदेश सथचव स्तर पर ववचार किया जाय और क्षेत्रीय सम्भावना िा पता लगाया जाय ववचार ववमशव
और तैयार िा िायविम 1981 ति चला। औपचाररि रूप से यह प्रस्ताव राष्ट्रपनत जजया-उर रहमान ि
े द्वारा मई
1980 ई० में सम्बद्ध सरिारों ि
े पास ववचार ि
े मलये प्रेवर्षत किया गया।
इन प्रयासों ि
े फलस्वरूप सािव िी योजना ि
े िायवक्षेत्र िो एि ढााँचा देने ि
े मलये सािव देशों ि
े ववदेश
सथचवों िी बैठि श्ीलंिा िी राजधानी िोलम्बो में 21-23 अप्रैल 1981 िो हुई थी। जजसमें ववचार-ववमशव ि
े दौरान
भारत और पाकिस्तान ि
े मध्य संस्थागत ढााँचे पर ि
ु छ मतभेद सामने आये किन्तु संयम और वववेि िा पररचय
देते हुए सभी सथचवों ने एि मौमलि ढााँचे िो अजन्तम आिार हदया। ववदेश सथचयों िी इस बैठि में क्षेत्रीय सहयोग
ि
े मलये ननजचचत मुख्य मसद्धान्तों में से किसी भी ववर्षय पर एि मत होिर सववसम्मनत से ननर्वय िरना तथा
द्ववपक्षीय िटुता एवं संघर्षव उत्पन्न िरने वाले वववादास्पद मामलों िो सािव ि
े क्षेत्र से बाहर रखना प्रमुख था। यह
भी ननचचय किया गया कि द्ववपक्षीय बहुपक्षीय ममाले में ननपटारे ि
े मलये इस क्षेत्रीय सहयोग िो माध्यम नह ं
बनाया जा सि
े गा। अवपतु इसि
े समाधान में सम्मानपूववि सहायि हो सि
े गा। इस बैठि में इस बात पर आम
सहमनत बनी िी, एि उच्च अथधिार वगव िी बैठि आहुत िी जाय, जजसमें श्ीलंिा ि
े समन्वय िरने िा
उत्तराथधिार सौंपा जाय जजससे श्ीलंिा यह ननजचचत िरें कि सहयोग ि
े ववमभन्न क्षेत्र क्या-क्या हो सिते हैं। इसि
े
साथ इस बैठि ि
े दौरान ववशेर्षज्ञों ि
े पााँच अध्ययन समूह बनाने िा भी ननर्वय मलया गया तथा प्रत्येि ववभाग
हेतु एि-एि समन्वय स्थावपत िरने वाला देश भी ननयुक्त किया गया।
2 से 4 नवम्बर, 1981 िो िाठमाण्डू (नेपाल) में सािव देशों ि
े ववदेश सथचवों िी दूसर बैठि सम्पन्न हुई, जजसमें
दक्षक्षर् एमशयाई सातो देशों ने एिमत होिर सिारात्मि रुख अपनाया और िायव िो गनत देने ि
े मलये सहमत हुए।
चूाँकि भारत और पाकिस्तान परस्पर एि-दूसरे िो शंिा दृजष्ट्ट से देखते थे इसमलये दोनों देशों ने अपने-अपने
प्रनतननथधयों िो सतिव तापूववि िायव िरने िा सुझाव हदया। सभी सदस्य इस ववचार पर एिमत रहे कि सािव अभी
मशशु अवस्था में है और वविास ि
े मागव पर अग्रसर है। इसमलये इसे द घविाल न पररप्रेक्ष्य में लचीलेपन िी दृजष्ट्ट ि
े
साथ देखा जाना चाहहए, जजससे कि सहमनत प्राप्त अथधि से अथधि िायवक्षेत्र में प्रबन्ध िो ववस्ताररत किया जा
सि
े । दक्षेस (साि) ि
े सातो सदस्य देशों ि
े ववदेश सथचवों िी तरतीय बैठि 7-8 अगस्त, 1982 िो पाकिस्तान ि
े
शहर इस्लामाबाद में हुई।
इस बैठि में आवचयि ववत्त व्यवस्था ि
े मलये संस्तुनत िी गयी तथा क्षेत्र में सहयोग ि
े िायविम िो िायावजन्वत
किया गया। इसि
े अनतररक्त इस बैठि में आगामी 1983 ई० में होने वाल ववदेश मंब्रत्रयों िी बैठि ि
े िायवस्थल
तथा िायविम ि
े सम्बन्ध में भी ववचार प्रस्तुत किया गया तथा सभी सािव देशों िी सममनतयों ने यह भी
38.
सववसम्मनत से ननर्वयमलया कि िायवरत सभी िायव समूहों ि
े प्रनतवदेनों िा अध्ययन िरि
े एिीिर त सहयोग ि
े
िायविम िो तैयार किया जाये जो सववसम्मत हो ।
इस सममनत ि
े पूवव संस्तुनतयों ि
े आधार पर ववस्तरत िायविम तैयार किया गया, जजसमें जो स्वीिर नत
िायविम तैयार किये गये थे उसमें जो एि िो छोड़िर आठ पर िायविम तैयार किया गये, वे ननम्न थे :
(प) िर वर्ष, (पप) पररवहन, (पपप) वैज्ञाननि एवं तिनीिी सहयोग (पअ) दूर संचार (अ) मौसम ववज्ञान, (अप) ग्रामीर्
वविास (अपप) डाि सेवायें, (अपपप) स्वास्थ्य और जनसंख्या िायविम
सािव सममनत िी बैठि में दो प्रिार ि
े िायविम तैयार किये गये। अकपिाल न तथा द घविाल न िायविम जजनिो
संस्तुनत द गयी। अकपिाल न िायविम ि
े तहत आाँिड़ों िा फ
े रबदल ववशेर्षज्ञों िी िायवसेवा, व्यवस्था प्रमशक्षर् तथा
अनुसंधान पररसंवादों िा आयोजन और िायवशाला ं िी व्यवस्था शाममल थी। जो ब्रबना ववलम्ब किये व्यय
भागीदार ि
े मसद्धान्त पर आधाररत थे और जो द घविाल न िायविम तैयार किया गया था, उसि
े अन्तगवत पूवव
संचामलत प्रमशक्षर् और अनुसंधान में समन्वय,क्षेत्रीय संस्था ं िी स्थापना, सदस्य देशों िी सहमनत प्राप्त राष्ट्र य
सुववधा ं ि
े सहयोग िायविम में वरद्थध िरना तथा स्वीिर नत योजना ं िो पूर्व िरने ि
े मलये सम्बजन्धत देशों
द्वारा पयावप्त मात्रा में धन िी व्यवस्था िरना सजम्ममलत किया गया, जजसि
े द्वारा िायविम िो आगे बढ़ाया जा
सि
े ।
सािव ि
े ववदेश सथचवों िी चतुथव बैठि 20-30 माचव 1983 ई० िो ढािा में सम्पन्न हुई। इस बैठि में िायव ि
े
क्षेत्रों में समन्वय स्थावपत िरने तथा एिीिर त िायविम ि
े िायावन्वयन पर ववचार िरने हेतु जजसमें सदस्य देशों
द्वारा धन िी व्यवस्था किये जाने िी बात तय हुई थी। ववदेश सथचवों ि
े स्तर िी एि स्थायी सममनत बनायी
गयी, जजसिा एि महत्वपूर्व ननर्वय एि मत होने ि
े मसद्धान्त िो स्वीिर त िरना था न कि सामंजस्य स्थावपत
िरने िी प्रकिया िो इसी बैठि में स्वीिर त नौ में से आठ िायविमों हेतु तिनीिी सममनतयााँ भी सजम्ममलत िी
गयी। नवें िायव क्षेत्र िला आहद ि
े मलये तिनीिी सममनत गहठत िरने िा िायव अभी शेर्ष था। इसि
े अलावा पूवव
सममनत द्वारा प्रस्ताववत िायविम पर पुनवववचार किया गया तथा एिीिर त िायविम िो स्वीिर नत द गयी। सािव िी
इस सममनत में उच्च अथधिाररयों ि
े मध्य ववचार ववमशव ि
े तहत (ई०ई०सी०) तथा अन्तरावष्ट्र य दूरसंचार संघ द्वारा
प्रस्ताववत आथथवि सहायता ि
े सुझाव िो भी स्वीिारा गया। इसी बैठि में अगस्त 1983 ई० में सािव ि
े ववदेश
मंब्रत्रयों िी आगामी बैठि नई हदकल में िरने िा ननर्वय क्षेत्रीय सहयोग तथा एिीिर त िायविम िा प्रथम चरर्
माना जा सिता है। सािव िी इस बैठि में जो ननर्वय मलये गये थे उसिो भारतीय ववदेश मंत्री पी० बी० नरमसंह
राव ने एि अच्छा िदम बताया। ववदेश मंत्री पी०वी० नरमसंह राव ने दक्षक्षर् एमशया ि
े पत्रिारों ि
े एि दल िो
सम्बोथधत िरते हुए यह िहा कि सािव ि
े देशों ि
े किसी सदस्य िो िोई भी नुिसान नह ं होगा। श्ी राव िा
िहना था कि जो ननर्वय मलये जायेंगे यह सभी िो मान्य होगा।
सािव ि
े ववदेश सथचव स्तर िी तीन वर्षव ति चल बैठि में भववष्ट्य िी बैठि ि
े मलये एि सुदृढ़ भूममिा तैयार िर
ल गयी, जजसमें आगामी होने वाल ववदेशमंब्रत्रयों िी बैठि में िायव िो गनतशीलता प्रदान हो तथा सािव िो एि
मजबूत आधार हदया जा सि
े ।
39.
दक्षक्षर् एमशया मेंसािव ि
े समस्त देशों ि
े ववदेश मंब्रत्रयों िी प्रथम बैठि 1-2 अगस्त, 1983 ई० िो नई हदकल में
खुशनुमा माहौल में सम्पन्न हुई। सािव ि
े ववदेश मंब्रत्रयों िी बैठि िी एि मुख्य ववशेर्षता यह रह कि जो अभी
ति ववदेश सथचवों िी बैठि में एमशयाई सहयोग ि
े िायविम पर ववचार-ववमशव और जो ननर्वय मलये जाते रहे तथा
सािव ि
े िायवक्षेत्रों िा ननधावरर् होता रहा था, परन्तु एि संगठन ि
े रूप में सािव िी अभी ति स्थापना नह ं हो
सिी थी। इस ववदेश मंब्रत्रयों िी बैठि में औपचाररि रूप से सम्भव हो सिी। जजसमें इस संस्था नाम दक्षक्षर्
एमशया क्षेत्रीय सहयोग िी स्थायी सममनत िहा जायेगा। इसिा यह ननर्वय सववमान्य था।
सािव ि
े देशों ि
े ववदेश मंब्रत्रयों िी पहल बैठूंि िा उद्घाटन िरते हुए भारत िी प्रधानमंत्री श्ीमती इजन्दरा गााँधी ने
मंच ि
े माध्यम से िई महत्वपूर्व ववचार प्रस्तुत किये तथा प्रधानमंत्री इजन्दरा गााँधी ने इस बात पर बल हदया कि
इस क्षेत्र ि
े देश जो भी अपने व्यजक्तगत समस्या ं से अलग-अलग जूझ रहे हैं इनिो सामूहहि रूप से सामना
िरना चाहहए जजससे क्षेत्र िा तीव्र गनत से वविास सम्भव हो सि
े गा। इसि
े अनतररक्त उन्होंने जोरदार शब्दों में
ववचवास हदलाया कि सािव ि
े इस क्षेत्रीय सहयोग िा किसी भी प्रिार िा िोई सैननि उद्देचय नह ं होगा तथा ये
देश किसी देश ि
े ववरुद्ध िोई िायव िरने िा इरादा नह ं है।‘‘ प्रधानमंत्री इजन्दरा गााँधी ि
े इस वक्तव्य से क्षेत्रीय
सहयोग ि
े प्रनत शुद्ध नीनत िा स्पष्ट्ट िरर् हो जाता है। प्रधानमंत्री इजन्दरा गााँधी िा िथन था कि सािव यहद
संयुक्त रूप से क्षेत्रीय िायविमों में रुथच लेते हुए तथा गुट ननरपेक्ष ढााँचे ि
े अन्तगवत िायव िरे तो औद्योथगि और
वविमसत देशों ि
े साथ समन्वय स्थावपत िरते हुए हमिो अन्तरावष्ट्र य आथथवि व्यवस्था ि
े वविास में पयावप्त
सहायता ममलेगी। अपने भार्षर् में प्रधानमंत्री श्ीमती इजन्दरा गााँधी ने गर बी उन्मूलन, जीवन शैल में गुर्ात्मि
पररवतवन तथा क्षेत्रीय आथथवि आत्म ननभवरता पर बल हदया। सािव ि
े ववदेश मंब्रत्रयों िी इस बैठि में जो महत्वपूर्व
ननर्वय मलये गये वे इस प्रिार से है
1. 2 अगस्त 1983 िो दक्षक्षर् एमशया क्षेत्रीय सहयोग (सािव ) ि
े घोर्षर्ा पत्र पर सववसम्मनत से हस्ताक्षर
किया गया तथा उसिो एि वैधाननि रूप हदया गया।
2. एि स्थायी सममनत िी स्थापना िी गयी और संगठन ि
े ननमावर् िी आवचयिता, उद्देचय मसद्धान्त, प्रबंध
तथा िायव सूची िा वववरर् तैयार किया गया।
3. आवचयि िायों ि
े मलये धन िी व्यवस्था स्वेच्छा ि
े मसद्धान्त पर समस्त सदस्य देशों द्वारा परस्पर
सहयोग से िी जायेगी।
4. पूवव ननधावररत दो मसद्धान्तों िो स्वीिर त किया गया, जजसि
े अन्तगवत सािव देशों द्वारा किसी ववर्षय पर
एिमत होिर ननर्वय मलया जायेगा तथा द्ववपक्षीय संघर्षो तथा वववादों िो इस मंच पर नह ं उठाया जायेगा।
5. वावर्षवि बैठिों में सािव ि
े वविास पर पुनवववचार किया जायेगा।
6. सािव िी इस बैठि में ननर्वय किया गया कि उन राष्ट्र य योजना ं, संगठनों एवं मशक्षर् संस्थानों ि
े
द्वारा क्षेत्रीय सहयोग ि
े वविास में आवचयि सहायता ल जाय, जो सम्बजन्धत क्षेत्रों में िायव िर रह है। सािव ि
े
ववदेश सथथयों ि
े ननदेशन में पररश्मपूववि तैयार किये गये अध्ययन समूहों एवं िायव िरने वाले समूहों द्वारा
40.
सहमनत प्राप्त एिीिरत सहयोग िो नौ िायवक्षेत्रों िो स्वीिर नत प्रदान िी गयी और उन्हें िायव रूप में पररर्र्त िरने
िा ननर्वय किया गया।
7. साथ ह इस बैठि में आगामी ववदेश मंब्रत्रयों िी बैठि तथा उसिो मशखर बैठि में पररर्र्त िरने िा
ननर्वय मलया गया।
8. साथ ह इस बैठि में आगामी ववदेश मंब्रत्रयों िी बैठि तथा उसमें मशखर िी नतथथ एवं स्थान ननर्वय पर
भी ववचार किया गया।
सािव ि
े देशों ि
े ववदेश मंब्रत्रयों ने यह संिकप किया कि सातो देशों ि
े सदस्य ममलिर आत्मववचवास ि
े मलये
पड़ोसी देशों से सम्बन्धों िो प्रोत्साहहत िरेंगे तथा गर बी एवं रोग पर ननयंत्रर् पाने ि
े मलये प्रयासरत रहेंगे।
सभापनत ि
े पद से भारतीय ववदेशमंत्री श्ी पी०वी० नरमसंह राव ने दक्षक्षर् एमशया क्षेत्र से गर बी मुखमर , ि
ु पोर्षर्
तथा ननरक्षरता एवं बीमार िी जड़ें समाप्त िरने हेतु संयुक्त रूप से िायव िरने िा आह्वान किया। श्ी नरमसंह
राव िा िथन था कि दक्षक्षर् एमशया ि
े देशों िो अपने ह प्रयत्नों ि
े बल पर जनजीवन में गुर्ात्मि सुधार ि
े
मलये प्रयत्न िरना होगा। सािव देशों ि
े ववदेश मंब्रत्रयों िी सम्पन्न यह प्रथम बैठि िई दृजष्ट्टयों से महत्वपूर्व है -
1. प्रथम दक्षक्षर् एमशया क्षेत्रीय सहयोग (सािव ) िो एि राजनीनति जामा पहनाते हुए सािव ि
े सभी सातों देशों
ने इसे सववसम्मनत से स्वीिार किया।
2. द्ववतीय सािव िी यह बैठि ह असामंजस्यपूर्व एवं संघर्षवमय मानमसि वातावरर् ि
े बीच सम्पन्न हुई थी
क्योंकि ठीि उसी प्रिार श्ीलंिा (िोलम्बो) में जुलाई 1983 ई० में िी तममल ववरोधी दंगा शुरू हो गया था। अतः
अन्तक्षेत्रीय सहयोग ि
े ववरोधी वातावरर् में सभी नेता ं में एिमत सहमनत पर आशंिा व्यक्त िी जा रह थी,
परन्तु सािव देशों िी दृढ़ इच्छा शजक्त ि
े िारर् यह शंिा ननमूवल साब्रबत हुई, लेकिन सािव ि
े स्थायी सथचवालय ि
े
मलये िोई ननर्वय इस बैठि में नह ं हो पाया था जबकि मोग्लादेश इसिा समथवन िर रहा था। यह आशंिा बनी ह
रह ।
सािव देशों ि
े ववदेश मंब्रत्रयों ि
े बैठि होने से पूवव ह सािव में सातो सदस्य देशों में अंशदान िी घोर्षर्ा पहले ह िर
द थी, जजससे िोई तरतीय परेशानी न हो. सन ् 1983-84 ई० ि
े खचव ि
े मलये भारत िी र से 50 लाख रुपये
पाकिस्तान से 3-6 मममलयन पाकिस्तानी मसक्ि
े , बांग्लादेश ने 5 मममलयन टिा, नेपाल में 1-5 मममलयन नेपाल
मसक्ि
े देने िी घोर्षर्ा िी। ई०ई०सी० से एि लाख पचास हजार यूरोवपयन यूननट्स तथा यू०एन०डी०पी० ि
े
अन्तगवत अन्तरावष्ट्र य दूर संचार संघ द्वारा दो लाख बीस हजार डालर िी सहायता द गयी।
अभी ति सािव सदस्य देशों ि
े िायव क्षेत्रों ि
े मलये नो क्षेत्र चयननत किये गये थे, जजसमें व्यापार और वार्र्ज्य
शाममल नह ं किया गया था. क्योंकि इस क्षेत्र पर सािव देशों ि
े बीच अभी ति आम सहमनत नह ं बन पायी थी।
इस क्षेत्र िो भववष्ट्य ि
े मलये छोड़ हदया गया था।
41.
दक्षक्षर् एमशयाई सािवि
े सातों सदस्य देशों द्वारा सािव ि
े मद में जो धन खचव होगा। उस धन िो देने िी बात
स्वीिार िर ल गयी थी तथा यह भी सहमनत व्यक्त िी गयी थी कि अगर संगठन ि
े संचालन ि
े मलये धन िी
िमी होती है तो वविमसत देशों से आथथवि सहायता ल जा सिती है। परन्तु इस बात पर आम सहमनत यह बनानी
होगी कि जो देश आथथवि सहायता देगा वह सािव (दक्षेस) िी िायववाह पर अपना िोई ववचार नह ं थोपेगा और न
ह सािव ि
े किसी भी प्रिार ि
े ननर्वय पर दबाव डालेगा। साथ ह जो ववदेशी आथथवि सहायता ममलेगी, उसि
े मलये
व्यय िा क्षेत्र सववसम्मनत से तय किया गया जायेगा, जजससे किसी भी प्रिार गनतरोध न पैदा हो ।
सािव ि
े ववदेश मंब्रत्रयों िी इस पहल बैठि में जो सबसे महत्वपूर्व था, वह था स्वावलम्बन पर बल देना। भारत िी
प्रधानमंत्री इजन्दरा गााँधी ने सामूहहि सामंजस्य तथा योग्यता िा प्रयोग िरि
े जनता िी सुख समरद्थध ि
े मलये
प्रयासरत रहने पर बल हदया। प्रधानमंत्री इजन्दरा गााँधी िा िथन था कि हमिो उन बातों पर ध्यान ि
े जन्ित िरना
होगा जो हमें एिता ि
े सूत्र में बााँधे रख सिती है। ताकि जो भी हमें ववभाजजत िरती है उस पर लगाम लगाना
होगा तथा वविास गनत िो आगे बढ़ाना होगा, जजससे दक्षक्षर् एमशया में सािव देशों ि
े ववदेशमंब्रत्रयों िी यह बैठि
िई दृजष्ट्टयों से महत्वपूर्व थी क्योंकि यह एि ऐसी घटना थी जो आथथवि एवं राजनीनति रूप से ववचव िो प्रभाववत
िर सिती थी।
सािव ि
े ववदेश सथचवों िी पूवव ननधावररत स्थायी सममनत िी एि बैठि 27-28 फरवर 1984 ई० िो नई हदकल में
हुई, जजसमें एिीिर त िायविम ि
े िायावन्वयन तथा वविास िी प्रकिया िो आगे बढ़ाने पर जोर हदया गया। सािव िी
इस सममनत में पाकिस्तान और भारत इस बात पर एि मत थे कि दोनों देश अपने अपने क्षेत्र में पररवहन
योजना ं ि
े ननमावता ं हेतु एि-एि प्रमशक्षर् संस्थान गहठत िरेंगे। इसी प्रिार नेपाल पररसंवाद मलेररया तथा
ि
ु ष्ट्ठ ननवारर् ि
े मलये िायविम आयोजजत िरेगा। श्ीलंिा ग्रामीर् गर बी हेतु एि िारखाने िी स्थापना िरेगा।
भूटान िी समुि िौशल एवं टेबुल टेननस ि
े मलये प्रमशक्षर् संस्थाएाँ खोलने तथा मालद्वीप िो पानी ि
े प्रबन्ध
व्यवस्था िा िायव सौंपा गया। भारत ि
े प्रस्ताव ि
े अनुसार स्थायी सममनत ने ववचव िी आथथवि जस्थनत िो ध्यान
में रखते हुए क्षेत्रीय देशों िो ममलजुलिर अपने यहााँ उसे सुदृढ़ बनाने िा आह्वान कियां इसि
े पूवव जो तिनीिी
सममनतयों बनायी गई थी उनि
े सुझावों पर भी ववचार िरते हुए एि क्षेत्रीय मौसम ववज्ञान अनुसंधान ि
े न्ि खोलने
तथा उसि
े संचालन ि
े मलये धन एवं साधनों िी व्यवस्था पर भी इस बैठि में ववचार किया गया तथा इसि
े साथ-
साथ यह भी ननजचचत हुआ कि सहयोग बढ़ाने ि
े उद्देचय से दक्षक्षर् एमशया ि
े ऐनतहामसि और पुरातत्व सम्बन्धी
सम्मेलनों िो भी आयोजजत किया जाये तथा पूवव में स्वीिर त एिीिर त िायविम िो सहयोग ि
े उद्देचयों तथा
मसद्धान्तों ति सीममत रखने िा ननर्वय मलया गया।
स्पष्ट्ट है कि क्षेत्रीय सहयोग अब घरन सीमा पर वविमसत होने मलये अजन्तम अवस्था में था। अतः इस बैठि हेतु
जो पहल आवचयिता महसूस िी गयी थी वह थी आथथवि प्रगनत में वरद्थध िरना। यह िायव ि
े वल सािव देशों ि
े
मध्य आपसी व्यापार से ह सम्भव था न कि ववदेशी आथथवि सहायता पर सािव (दक्षेस) ि
े क्षेत्रीय वविास ि
े मलये
यह भी माना गया कि सािव िा उद्देचय तथा मसद्धान्त िी वववेचना िी जाय तथा उनिो स्पष्ट्ट पररभावर्षत किया
जाय। इसि
े साथ साथ दक्षक्षर् एमशया क्षेत्रीय सहयोग िी प्रबन्ध व्यवस्था पर ध्यान हदया जाय तथा इसि
े साथ
सववसम्मनत से ववत्तीय व्यवस्था ि
े सन्दभव में ननयम बनाने आवचयिता भी अनुभव िी गयी। इससे सम्बजन्धत और
42.
दो बातें आवचयिसमझी गयी। प्रथम क्षेत्रीय संगठन एवं सहयोग ि
े वविास से सम्बजन्धत िायव योजना तैयार
िरना तथा द्ववतीय राजनीनति एवं सुरक्षा िी समस्या राजनीनति और सुरक्षात्मि समस्या ि
े समाधान िा संि
े त
दक्षक्षर् एमशया क्षेत्रीय सहयोग ि
े घोर्षर्ा िी प्रस्तावना में ह ननहहत था कि सामूहहि प्रयासों द्वारा क्षेत्र िी शजक्त
िा स्थानयत्व िठोरता से वैदेमशि नीनतयों िा वविास, परस्पर शजक्त िा प्रयोग न होना तथा शाजन्तमय उपायों से
समस्त मतभेदों िा ननपटारा िरना तथा इसि
े साथ-साथ आपसी समझदार िो बढ़ावा तथा अच्छे पड़ोमसयों ि
े
सम्बन्ध एवं सहयोग िी स्थापना िरना आहद सभी िायव सामूहहि उत्तरदानयत्व िी भावना से ह सम्पन्न होंगे जहााँ
ति वविास ि
े िायव योजना ं िा प्रचन है नौ िायवक्षेत्रों िो पूवव ह स्वीिर त िर मलया गया था।‘‘
साथव ि
े पूर्व रूप से स्थायी रूप में आने ि
े पूवव अथधिाररि स्तर पर संस्था ि
े उद्देचयों पर जो ववचार-ववमशव हुआ
था उसमें क्षेत्रीय राष्ट्रों िी सामूहहि आत्मननभवरता तथा जन-जीवन ि
े स्तर में गुर्ात्मि सुधारों िो प्रोत्साहन देने
िा उद्देचय स्पष्ट्ट हो चुिा था। इन उद्देचयों िो दृजष्ट्ट में रखते हुए अध्ययन सममनतयााँ, िायववाह सममनतयों,
तिनीिी सममनतयााँ तथा एि स्थायी सममनत गहठत िी गयी, जजसिा उत्तरदानयत्व योजना ं तथा िायविमों िो
स्पष्ट्ट िरना स्वीिार िरना तथा आवचयि धन एिब्रत्रत िरने ि
े तर ि
े पर ववचार िरना आहद था। इसि
े अलावा
यह भी ननर्वय मलया गया कि दक्षेस ि
े सभी िायव पारस्पररि ववचवास समझदार , सहानुभूनत ि
े साथ ह राष्ट्र य
आिांक्षा ं और अमभलार्षा ं िो पूर्व िरने हेतु क्षेत्रीय सहयोग पर आधाररत होना चाहहए।
क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सािव ) िा उद्देचय ि
े वल धन एिब्रत्रत िरने ति ह सीममत नह ं था, अवपतु इसि
े साथ ह
सामूहहि स्वावलम्बन िी वरद्थध िरना और उसे सुदृढ़ बनाना भी था। संक्षेप में िहा जाये तो सािव िा उद्देचय
सभी देशों में एि दृजष्ट्टिोर् उत्पन्न िरना था। जजससे अन्तरावष्ट्र य समस्या ं िा सामना िरने िी प्रथम शतव
सामूहहि सहयोग होना चाहहए और यह सािव िी। अन्तरात्मा में पूर्व रूप से दृजष्ट्टगत है। ज्ञातव्य है कि दक्षक्षर्
एमशया क्षेत्रीय सहयोग िी मंब्रत्रस्तर य बैठि अगस्त सन ् 1983 ई. िी घोर्षर्ा और नई हदकल िी घोर्षर्ा िी
ववदेश सथचयों िी प्रथम बैठि से ठीि 2 वर्षव 4 मह ने िा समय लगा। हदकल में आयोजजत ववदेश मंब्रत्रयों ि
े
सम्मेलन में किये गये ननर्वयों िो व्यवहाररि रूप देने ि
े मलये बांग्लादेश िी राजधानी ढािा में प्रथम मशखर
सम्मेलन हदसम्बर 1985 ई० में आयोजजत किया गया, जजसमें सातों देशों ि
े राष्ट्राध्यक्ष एवं शासनाध्यक्षों ने भाग
मलया। जजसमें सािव िी स्थापना ववथधवत रूप से िी गयी तथा इस सम्मेलन में सािव ि
े चाटवर िो स्वीिर नत द
गयी, जजसमें सािव ि
े आठ उद्देचय एवं तीन मसद्धान्तों िा उकलेख किया गया। चाटवर ि
े अनुसार सािव ि
े अन्तगवत
समस्त ननर्वय सववसम्मनत से मलये जायेंगे तथा वर्षव में एि बार मशखर सम्मेलन आयोजजत किया जायेगा।
पहला दक्षक्षर् एमशयाई मशखर सम्मेलन 7-8 हदसम्बर, 1985 िो ढािा में सम्पन्न हुआ, जजसिा पररर्ाम था दक्षक्षर्
एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग एसोमसएशन (एस०ए०ए०आर०सी०) िा उदय प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने अपने उद्घाटन
भार्षर् में मशखर सम्मेलन िो एि नये प्रभात िी शुरुआत बताया और िहा कि एसोमसएशन िो जन आन्दोलन
बनाना होगा। उन्होंने आगे िहा कि क्षेत्रीय सहयोग सामूहहि आत्मननभवरता िा वह रास्ता हदखाता है, जजस पर
चलिर क्षेत्र गर बी, अमशक्षा, ि
ु पोर्षर् और बीमार िी समस्या ं से पार पाया जा सिता है। सािव ि
े घोर्षर्ा पत्र में
राष्ट्राध्यक्षों िी वावर्षवि तथा मंब्रत्रपररर्षद िी छमाह बैठि िा प्रावधान है जो कि संगठन िा सवोच्च नीनत ननधावरि
43.
संिाय है। इसमेंएि स्थायी सथचवालय िायम िरने िा भी ननर्वय किया गया था और ववदेशमंत्री इसि
े स्थान
ढााँचे और िायों ि
े बारे में ववस्तरत खािा तैयार िरेंगें।
इस प्रिार भारत ने दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन सािव ननमावर् व वविास में जन्म से ह महत्वपूर्व
भूममिा अदा िी है। इसि
े ननमावर् ि
े मलये सवावथधि मंब्रत्रस्तर य वातावयें भारत में ह हुई। इसि
े िोर्ष में सवावथधि
धन भारत ह देता रहा है। अतः इसि
े ननमावर् ि
े समय ि
े तत्िाल न भारत ि
े प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िो
सािव िा ननमावता िहने में मेरे ववचार से िोई अनतशयोजक्त नह ं होगी।
सािव ि
े अध्यक्ष ि
े रूप में :
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन िी िी स्थापना में महत्वपूर्व भूममिा ननभाई।
पहल दक्षक्षर् एमशयाई मशखर बैठि 7-8 हदसम्बर 1985 में बािा में हुई थी, जजसमें दक्षक्षर् एमशयाई क्षेत्रीय सहयोग
संगठन (साि) िी ववथधयत स्थापना िी गई। प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी से अपने उद्घाटन भार्षर् में इसे नये
प्रभात िी संज्ञा द और इसे जन-आन्दोलन बनाने िी मााँग िी इस मशखर बैठि में एि संयुक्त घोर्षर्ा पत्र जार
किया गया जजसमें संगठन ि
े उद्देचयों तथा इसिो प्राप्त िरने ि
े मसद्धान्तों िा वर्वन किया गया। सदस्य राष्ट्रों
ि
े बीच सामाजजि, आथथवि, सांस्िर नति तिनीिी सहयोग ि
े वविास िो उद्देचय माना गया। सभी िो प्रभुसत्ता िी
समानता, अखण्डता तथा अहस्तक्षेप ि
े मसद्धान्तों िो ननदेशि मसद्धान्त माना गया। यह िहा गया कि सभी स्तरों
पर ननर्वय सववसम्मनत से मलया जायेगा तथा द्ववपक्षीय एवं वववादास्पद मामलों पर बातचीत नह ं िी जायेगी।
इसि
े अनतररक्त यह भी तय हुआ कि ‘‘सािव (ःै।।त्ब ्) सदस्य राज्यों ि
े द्ववपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग िा पूरि
तथा सम्पूरि होगा, वविकप नह ं।
इसि
े संगठनात्मि स्वरूप ि
े सम्बन्ध में घोर्षर्ा पत्र में यह िहा गया कि राज्यों तथा सरिारों ि
े अध्यक्ष वर्षव में
एि बार बैठि िरेंगे तथा सदस्य राज्यों ि
े ववदेश मंब्रत्रयों िी एि मंब्रत्रस्तर य पररर्षद नीनत ननमावर् सहयोग में
उन्ननत िा अवलोिन िरने, अनतररक्त तंत्र िी स्थापना िरने तथा सामान्य हहतों ि
े मामलों पर ननर्वय िरने ि
े
मलये बनाई जायेगी। इस पररर्षद िी स्थापना ि
े मलये सदस्य देशों ि
े ववदेश सथचवों िी एि सममनत बनाई जायेगी।
इसमें यह भी िहा गया कि एि तिनीिी सममनत भी बनायी जायेगी, जजसमें सदस्य राष्ट्रों ि
े प्रनतननथध शाममल
होंगे तथा इसिा िायव प्रोग्रामों िो लागू िरना, समजन्वत िरना तथा प्रबोधन ि
े मलये एि िायववाहि सममनत इन
पररयोजना ं िो लागू िरने ि
े मलये बनाई जाये जजसमें दो या दो से अथधि राज्य शाममल हो इसमें इस बात िी
पुजष्ट्ट भी िी गई कि संगठन ि
े मलये एि सथचवालय भी उथचत समय पर स्थावपत किया जायेगा।
सािव िा दूसरा मशखर सम्मेलन 15-17 नवम्बर 1986 िो बंगलूर में आयोजजत किया गया, जजसिी अध्यक्षता
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने िी थी। इस मशखर सम्मेलन में बंगलूर घोर्षर्ा, संयुक्त प्रेस ववज्ञजप्त तथा मंब्रत्रपररर्षद
ि
े दूसरे अथधवेशन िी ररपोटव िो स्वीिार किया गया। इस मशखर सम्मेलन में वविासात्मि गनतववथधयों में जस्त्रयों
िी भागीदार िा ननर्वय मलया गया था तथा नशील वस्तु ं िी ि
ु र नत तथा इनि
े अवैध व्यापाररयों िी समाजप्त
44.
ि
े मलये िदमउठाने मलये तिनीिी सममनतयों िी स्थापना िी गई तथा इस प्रिार इन दोनों क्षेत्रों िो सािव ि
े क्षेत्र
ि
े अन्तगवत लाया गया। इसमें यह भी सहमनत हुई कि पााँच नये क्षेत्रों मे सहयोग ि
े मलये सािव (ःै।।त्ब ्) ि
े प्रयत्नों
िो ववस्तरत किया जायेगा। क्षेत्र थे। दक्षक्षर् एमशयाई सूचना प्रसारर् िायविम, पयवटन िो प्रोत्साहन ववद्याथथवयों व
बुद्थधजीववयों िो सुववधाएाँ प्रदान िरना तथा युविों ि
े आदशववाद िा सिारात्मि प्रयोग िरना। इस मशखर
सम्मेलन में राजनीनति तथा आथथवि मामलों में सम्बजन्धत एि घोर्षर्ा पत्र अपनाया गया जजसमें िहा गया कि
सदस्य राज्य किसी दूसरे राज्य ि
े ववरुद्ध आतंिवाद िी गनतववथधयों िो अपनी जमीन पर न पनपने देंगें। सािव
ि
े सदस्यों ने तय किया कि वे क्षेत्र से आतंिवाद िो समाप्त िरने मलये सहयोग देंगे। इन्होंने महाशजक्तयों िो
आह्वान किया कि वे दुननया में शाजन्त िा वातावरर् तथा अन्तरावष्ट्र य िानून बनाने ि
े मलये सम्मानपूववि
वातावरर् बनाने ि
े प्रभावशाल पग उठाएाँ। इस मशखर सम्मेलन में परमार्ु शास्त्रों िी दौड़ में आ रह तेजी तथा
अमेररिा व रूस ि
े रेयजाववि मशखर सम्मेलन िी असफलता पर गहर थचंता व्यक्त िी गयी।
ववचवीय आथथवि संिट ववशेर्षतया वविासशील राष्ट्रों पर बढ़ते ऋर् ि
े बोझ िा हवाला देते हुए सािव (ःै।।त्ब ्) ि
े
नेता ं ने यह तय किया कि वे अथधि छ
ू ट वाल आथथवि सहायता ि
े उद्देचय िो पूरा िरने ि
े मलये अन्तरावष्ट्र य
सम्मेलनो तथा संस्थानों में सहयोग तथा ननरन्तर ववचार िरते रहेंगे। उन्होंने वस्तु ं ि
े मूकयों में जस्थर िरर् तथा
तिनीिी ि
े हस्तान्तरर् ि
े मलये तथा यह बात सुननजचचत बनाने ि
े मलये कि सािव (ःै।।त्ब ्) ि
े अकप वविमसत
देशों िो ववमशष्ट्ट सहायता ममले. इिट्ठे ममलिर िाम िरना स्वीिार किया।
इस मशखर सम्मेलन में सािव (ःै।।त्ब ्) ि
े िायविमों लागू तथा समजन्वत िरने ि
े मलये एि स्थायी सथचवालय िी
स्थापना िरि
े सािव ि
े संस्थानीिरर् िी हदशा में महत्वपूर्व िदम उठाया। सािव ि
े ववदेश मंब्रत्रयों द्वारा आपसी
समझ ि
े स्मरर् पत्र पर हस्ताक्षर किये गये, जजसमें िाठमाण्डू स्थावपत किये जाने वाले सथचवालय िी भूममिा,
िायों तथा ववत्त प्रबन्ध ि
े बारे मलखा था। इस सथचवालय ने 16 जनवर 1987 से िायव िरना शुरू िर हदया तथा
अब यह सािव ि
े िायों िी देखरेख में महत्वपूर्व भूममिा ननभा रहा है। बांग्लादेश ि
े श्ी अब्दुल अहसान िो सािव
िा प्रथम महासथचव ननयुक्त किया गया। महासथचव सथचवालय िा मुर्खया था जजसमें िौंमसल ि
े पद स्तर ि
े सात
ननदेशि थे जो प्रत्येि सदस्य राष्ट्र में से एि ि
े हहसाब से मलये गये थे। महासथचव अवथध दो वर्षव रखी गयी तथा
इसिा नवीनीिरर् नह ं किया जा सिता। तथावप पहले महासथचव िी ननयुजक्त ढाई वर्षव ि
े मलये िी गयी ताकि
सथचवालय िी स्थापना ि
े सम्बन्ध में शुरु शुरु िा िायव ठीि ढंग से हो सि
े । भववष्ट्य में महासथचव सािव
मंब्रत्रपररर्षद द्वारा िमवार अथावत ् बांग्लादेश, भूटान, भारत, पाकिस्तान, मालद्वीप, नेपाल तथा श्ीलंिा ि
े अनुसार
िमावतवन ि
े मसद्धान्त ि
े आधार पर मनोनीत किया जायेगा। सािव िा संस्थानीिरर् एि महत्वपूर्व िदम था
क्योंकि सह तथा प्रभावशाल संगठन वह लाभ नह ं पहुंचा सिता, जजसि
े मलये इसिा ननमावर् किया जाता है।
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने 1987-88 ि
े मलये एि िरोड पचास लाख रुपये ि
े अंशदान िी घोर्षर्ा िरि
े तथा
सािव िी अनेि महत्वपूर्व बैठिों िी मेजबानी िरि
े सकिय भूममिा ननभाई। इसि
े अनतररक्त 1987 ि
े अन्त में
अगला मशखर सम्मेलन होने ति सािव िी अध्यक्षता भारतीय प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी पास ह रह ।
45.
सािव ि
े अध्यक्षि
े रूप ि
े अनतररक्त भी प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने अद्ववतीय भूममिा ननभाई। भारतीय
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने नवम्बर 1987 में िाठमाण्डू में आयोजजत तीसरे मशखर सम्मेलन में सािव िी
अध्यक्षता नेपाल िो सौंप द । सािव द्वारा आयोजजत लगभग 100 गनतववथधयों में से 45 िी मेजबानी भारत ने
िी। इस मशखर सम्मेलन में यह ननर्वय हुआ कि सािव अपना सहयोग आतंिवाद िो दबाने, दक्षक्षर् एमशया खाद्य
नण्डार बनाने तथा िाठमाण्डू घोर्षर्ा पत्र िो अपनाने ति बढ़ा देंगें, जजसमें व्यापार उद्योग वविास प्रबन्ध तथा
पयाववरर् संरक्षर् से सम्बद्ध क्षेत्रों में सामूहहि प्रयत्नों िो और अथधि तेज िरने ि
े मलये प्रयत्न िरने िा
आह्वान किया था।
दक्षक्षर् एमशया ि
े लोगों िी व्यजक्तगत स्तर पर एि-दूसरे ि
े साथ सहयोग िरने तथा बातचीत िरने िी साझी
आिांक्षा ं िो पहचानते हुए इस मशखर सम्मेलन ि
े घोर्षर्ा पत्र में िहा गया कि सािव (ःै।।त्ब ्) ि
े लोगों िी
आिांक्षा ं तथा आवचयिता ं िो देखना चाहहए ताकि क्षेत्र ि
े सामान्य वातावरर् में गुर्ात्मि सुधार लाया जा
सि
े तथा क्षेत्र में शाजन्त मैत्री तथा सहयोग िो सुदृढ़ किया जा सि
े ।
आतंिवाद पर क्षेत्रीय समझौते पर सािव देशों ि
े ववदेश मंब्रत्रयों ने अपने नेता ं िी उपजस्थनत में हस्ताक्षर किये।
सदस्य देशों ने अपने अपने क्षेत्रों में आतंिवाद गनतववथधयों िा संगठन न िरने, नागररिों में फ
ू ट न डालने या
आतंिवाद गनतववथधयों िो न होने देने िा प्रर् किया। यह ननचचय ह सािव में भारतीय प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी
िी ि
ू टनीनत िी ह मुख्य सफलता थी।
इस मशखर सम्मेलन में व्यापार तथा औद्योथगि क्षेत्र में सहयोग, प्रािर नति ववपवत्तयों ि
े सम्बन्ध में वातावरर् िी
सुरक्षा तथा पािव ि
े सुरक्षा भण्डार िी थापना ि
े मलये प्रारजम्भि पगों िा आिमर् किया गया। यह तय हुआ कि
खाद्य भण्डार में प्रारम्भ में 2,00,000 टन गेहूाँ तथा चावल रखे जायेंगे तथा ि
े वल भारत ह इसमें 11,53,200 टन
खाद्य सामग्री देगा। जजसमें आवचयिता समय किसी भी सािव देश िी खाद्य सामग्री द जायेगी जजसमें िीमतें
वापसी िी शतें, चाहे वस्तुएाँ हों या ि
ु छ और सदस्य राष्ट्रों तथा सम्बजन्धत देश ि
े बीच आपसी सीधी बातचीत से
तय होगी परन्तु इसि
े साथ ह वे सौदे ि
े बारे में बोडव िो सूथचत िरेंगें।
इस प्रिार ि
े खाद्य भण्डार िा प्रस्ताव भारतीय प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने रखा था इसमलये खाद्य भण्डार िी
स्थापना िा श्ेय प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िो ह जाता है।
मशखर सम्मेलन में क्षेत्र ि
े पयाववरर् ि
े सम्बन्ध में ववस्तरत अध्ययन तथा इसिी सुरक्षा एवं समझ ि
े मलये
आवचयि िदम उठाये जाने िा ननर्वय मलया गया। अध्ययन िरवाने ि
े ननर्वय से सािव ि
े नेता ं ि
े बीच
औपचाररि बातचीत हुई। यह तय हुआ कि अध्ययन िा प्रबंध सािव िा महासथचव िरेगा तथा इसमें प्रािर नति
ववपदा ं ि
े िारर्ों तथा पररर्ामों िा भी सुननयोजजत तथा ववस्तरत अध्ययन होगा।
सािव ि
े सदस्यों िी घोर ववपवत्तयों ि
े समय जूझने िी क्षमता ं िो और अथधि बढ़ाने िा ननर्वय किया तथा
वातावरर् में शुद्ध स्तर में िमी होने पर गहर थचन्ता प्रिट िी जो कि ‘‘सदस्य राज्यों िी वविासीय प्रकिया तथा
सम्भावना ं िो बुर तरह दुबवल बना रहा है।
46.
बैठि में ननरन्तरब्रबगड़ते अन्तरावष्ट्र य राजनीनति वातावरर् पर भी थचन्ता प्रिट िी गयी तथा यह अनुभव किया
गया कि इसिा मुख्य िारर् महाशजक्तयों िी नीनतयों, प्रधानता तथा हस्तक्षेप था। इस बैठि में ननरन्तर बढ़ते
सैननि व्यय िो िम िरने िी आवचयिता ि
े पक्ष में भी आवाज उठाई गयी सािव नेता ं ने अवलोकित किया कि
अथधि रूप में रक्षा व्यय ववचव ि
े वविास ि
े रास्ते में बड़ी बाघा थी। इसमें दोनों महाशजक्तयों द्वारा यूरोप में
अन्तववती दूर ि
े परमार्ु प्रक्षेपास्त्रों िो समाप्त िरने िा स्वागत किया गया। यह आशा िी गयी कि यह भववष्ट्य
में होने वाले ननशस्त्रीिरर् तथा शाजन्त ननयंत्रर् ि
े सम्बन्ध में होने वाले समझौते िा अग्रगामी समझौता होगा।
सािव नेता ं ने एि होिर यह प्रर् किया कि वे पूर्व ननशस्त्रीिरर् ि
े सम्बन्ध में अन्तरावष्ट्र य वातावरर् तथा
जनमत तैयार िरने ि
े मलये िायव िरते रहेंगें। उन्होंने परमार्ु शस्त्रों ि
े सभी प्रिार ि
े प्रसार िो रोिने ि
े सभी ि
े
प्रस्तावों ि
े प्रनत अपना पूर्व समथवन व्यक्त किया।
सािव मशखर सम्मेलन ने वविास ि
े मलये इस क्षेत्रीय संगठन ि
े सफलतापूर्व संचालन में अच्छा आधार बनाया, जब
सातो दक्षक्षर् एमशयाई देशों ि
े नेता ं ने यह ननर्वय मलया कि सहयोग ि
े उपाय लम्बी अवथध ि
े पररप्रेक्ष्य में
ववस्तरत संरचना िो ध्यान में रखिर उत्तरोत्तर किये जायें। इस सन्दभव में उन्होंने इस आवचयिता पर बल हदया कि
जो गनतववथधयों जार थी तथा सािव ि
े अन्तगवत िायावजन्वत िी जा रह थी उनिा और अथधि दृढ िरर् तथा
यौजक्तिीिरर् किया जाये।
सािव िा चौथा मशखर सम्मेलन 29 हदसम्बर 1988 िो इस्लामाबाद हुआ। सभी सातो राष्ट्रों तथा सरिारों ि
े
अध्यक्षों ने इस बैठि में भाग मलया। इस बैठि में सािव िी अध्यक्षता नेपाल से पाकिस्तान ि
े पास चल गई तथा
पाकिस्तान िी प्रधानमंत्री श्ीमती बेनजीर भुट्टो इसिी अध्यक्षा बनीं। श्ीमती बेनजीर भुट्टो अपने उद्घाटनीय
भार्षर् में िहा ‘‘हमें अपने हथथयारों पर किये जा रहे व्यय में िटौती िरनी चाहहए तथा शस्त्र दौड़ िो रोिने तथा
परमार्ु प्रसार एवं युद्ध ि
े खतरे िो टालने ि
े मलये क्षेत्रीय समाधान ढूाँढ़ने चाहहए। उन्होंने ननधवनता, बीमार , गंद
बजस्तयों तथा अज्ञानता रूपी शत्रु ं िो पराजजत िरने िा न कि सुरक्षा मुद्दों पर भार धनरामश व्यय िरने िा
आह्वान किया। प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने इस अवसर पर िहा कि सािव देशों में सूचना ि
े अबाध बहाव द्वारा
व्यापाररि तथा आथथवि सहयोग द्वारा पयाववरर् ि
े संरक्षर् में सिारात्मि िायववाह द्वारा तथा ऐसी गनतववथधयों
द्वारा जजनमें लोगों िी अथधि भागीदार हो, एि दूसरे ि
े ननिट आने िा प्रयत्न अवचय िरना चाहहए।
उन्होंने शोि व्यक्त िरते हुए िहा कि सािव देशों ने क्षेत्रीय सहयोग ि
े मागव पर एि भी ऐसा पग उस मागव िी
र नह ं बढ़ाया जो कि हमारे देशों ि
े लोगों ि
े ननम्न स्तर पर वविासात्मि मामलों से टिराता हो। यहद हम
परछाइयों से ह मन बहलाते रहे तथा अपने आपिो आशंिा ं िा दास बना मलया तो वविास ि
े क्षेत्र में सहयोग
ि
े वल मरग-तरष्ट्र्ा ह बन जायेगा।‘‘
इस मशखर सम्मेलन में आतंिवाद िा सफाया िरने िा संिकप किया गया तथा पाकिस्तान द्वारा प्रायोजजत ‘‘सािव
2000‘‘ (ःै।।त्ब ् 2000) योजना जो कि क्षेत्रीय आधारभूत आवचयिता ं ि
े पररप्रेक्ष्य पर आधाररत थी ि
े आिमर्
िो अपना मलया। इसमें सािव राष्ट्रों ि
े संसाधनों िो इिट्ठा िरने पर ववचार किया गया था तथा इसिा प्रयोग क्षेत्र
ि
े लोगों िी आधारभूत आवचयिता ं िी पूनत व जैसा कि प्राथममि स्वास्थ्य देखरेख िी आवचयिताएाँ, ननरक्षरता िो
47.
दूर िरना, लोगोंिो आवास तथा वस्त्र उपलब्ध िरवाने ि
े मलये किया जाना था। इसमें इस बात पर भी बल हदया
गया कि उपयुवक्त उद्देचयों िी पूनत व ि
े मलये जनसंख्या ननयोजन िी परम आवचयिता थी।
सािव नेता ं ने नशील दवा ं ि
े खतरे ि
े ववरुद्ध पूर्व युद्ध िी भी घोर्षर्ा िी क्योंकि इससे क्षेत्र िी राजनीनति
तथा सामाजजि जस्थरता िो खतरा उत्पन्न हो रहा था। दक्षक्षर् एमशया ि
े देशों ि
े सांसदों तथा उच्चतम न्यायालयों
न्यायाधीशों ि
े मलये सािव पासपोटव (ःै।।त्ब ् च्।ःैच्व्त्ज्) जार िरने िा ननर्वय मलया गया। ताकि वे स्वतंत्रतापूववि
सात देशों में यात्रा िर सि
े । यह भी ननर्वय मलया गया कि इस प्रिार िी सुववधा धीरे-धीरे नये वगों िो भी द
जाये।
इस मशखर सम्मेलन में भारत ि
े प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी द्वारा प्रनतपाहदत क्षेत्रीय आथथवि सहयोग तथा स्वतंत्र
सूचना प्रसार वविमसत िरने सभी सुझावों िो सभी देशों ने वहााँ ति स्वीिार किया जहााँ ति कि सािव द्वारा
सहयोग ि
े ननर्वय िा प्रचन था।
इस प्रिार इस संगठन िी िोई बड़ी उपलजब्ध भले ह न रह हो परन्तु यह सत्य है कि दक्षक्षर् एमशयाई देश आपस
में बैठिर उच्चस्तर य ववचार-ववमशव िरते हैं। क्षेत्रीय समस्या ं िी चचाव और उनि
े ननरािरर् िा रास्ता तलाशते
हैं. एि बड़ी उपलजब्ध िह जा सिती है।
अध्याय-5
अध्याय-5
भारत एवं अन्य देर्ष
1द्ध भारत एवं रूस
जजस समय भारत एि त्या प्रमुसला सम्पन्न राष्ट्र ि
े रूप में नवोहदत हुआ संसार यो शजक्त गुटों में ववभाजजत हो
चुिा था। शीत युद्धमा ववचव िा दो यीिरर् वास्तवविता बन चुि
े थे। संयुक्त राज्य अमेररिा और सोववयत संघ
दो महाशजक्तयों ि
े रूप में उभरे थे तथा अन्य ववजयी देश ब्रिटेन मांसद चीन अपनी शजक्त से हाथ धो बैठने ि
े
बावजूद बढ़ शजक्तयों िहलाते थे परन्तु प्रमुख दो महाशजक्तयों िा ह था। भारत ने गुट ननरपेक्ष रहने िा ननर्वय
किया एवं एि स्वतन्त्र ववदेश नीनत अपनायी आरम्भ में दोनों गुटों ने भारत िो शंिा िी दृजष्ट्ट से देखा सोववयत
संघ िो अमेररिा िी अपेक्षा भारत से अथधि ननराशा हुयी। सोववयत नेता स्टामल भारत िी गुट ननरपेक्षता िो
पजचचम समथवि नीनत ि
े रूप में देखा परन्तु स्वतन्त्रता से पूवव भारतीय नेतागर् ववशेर्षिर जवाहरलाल नेहरू एम०
एन० राय. सोववयत प्रगनत से िाफी प्रभाववत हुए थे। एि वपछड़ी अथव व्यवस्था िो शोर्षर् ववह न, आधुननि,
औद्योथगि एवं वैज्ञाननि पद्धनत अथवव्यवस्था में पररर्र्त किये जाने ि
े सोववयत नेता ं ि
े प्रयासों िो भारतीयों
48.
ने ववस्मय सेदेखा था जवाहर लाल नेहल िांग्रेस ि
े ववदेश ववभाग ि
े प्रधान थे और 1927 में सोववयत संघ िी
यात्रा पर गये थे। वह न ि
े वल 1917 िी रूसी िाजन्त से प्रभाववत हुये थे परन ् समाजवाद ववचारधारा ि
े अनुसार
जो योजनाबद्ध वविास ’सोववयत संघ में हुआ था. उससे भी बहुत प्रभाववत हुए थे। भारत िी स्वाधीनता ि
े संघर्षव
में सोववयत जनता ि
े समथवन ि
े मलये भारत उनिा आभार था।
1929 में पं० जवाहर लाल नेहरू ने िहा था, ‘‘हम, इंग्लैण्ड द्वारा सावधानी से मसखायी, रूस ि
े प्रनत शत्रुता िी
परम्परा में बड़े हुए है। वपछड़े अनेि वर्षों में हमिो रूसी आिमर् िा भय हदखाया गया और हमारे शस्त्रों पर किये
जा रहे भारतीय खचव िा बहाना किया गया। दोनों देशों में आज इतनी समानता है कि िोई किसी िा शोर्षर् िर
ह नह ं सिता है और भारत ि
े मलये लोलुप होने िा रूस िा िोई आथथवि अमभप्राय भी तो नह ं है। भारत और
रूस िो वववाद ि
े न्यूनतम मुद्दों ि
े साथ श्ेष्ट्ठ पड़ोमसयों िी भााँनत रहना चाहहये।‘‘
इस प्रिार पं० नेहरू सोववयत संघ ि
े लोितंत्र ि
े प्रसंशि व समथवना द्य जो कि उक्त वक्तव्य में स्पष्ट्ट झलिता
है। द्ववतीय ववचव युद्ध ि
े पचचात ् पररजस्थनतयों में पररवतवन आया ब्रिटेन और सोववयत संघ ि
े मध्य िी प्रनतस्पधाव
ि
े स्थान पर सोववयत युद्ध िी अमेररिी सोववयत स्पधाव आरम्भ हो गयी। स्वतन्त्रता ि
े प्राजप्त ि
े पचचात
प्रधानमंत्री पं० जवाहर लाल नेहरू ने सोववयत संघ और अमेररिा दोनों ि
े साथ मैत्रीपूर्व सम्बन्ध स्थावपत िरने िा
प्रयास किया था। भारत सोववयत मैत्री िी जड़े एि र तो उपननवेशवाद एवं पजचचमी साम्राज्यवाद ि
े ववरुद्ध संघर्षव
में पायी जाती थी, और दूसर र भारत ि
े राष्ट्र य हहत में अथावत ् यह भारत ि
े हहत में था, कि वह सोववयत संघ
ि
े साथ ममत्रता ि
े सम्बन्ध वविमसत िरता। भारत और सोववयत मैत्री ि
े प्रयासों िो अमेररिा ने शंिा िी दृजष्ट्ट से
देखा और िहा कि यह उभरती ममत्रता, सोववयत संघ द्वारा दक्षक्षर् एमशया में साम्यवाद ववचार िा प्रसार िरने िा
साधन मात्र है। परन्तु भारत ने इस प्रिार िी शंिा ं िो ननराधार बताया। दूसर र सोववयत संघ भी संदेह एवं
पूवावग्रहों से मुक्त नह ं था। भारत ि
े प्रयासों ि
े बावजूद भारत और सोववयत संघ ि
े सम्बन्ध स्टामलन ि
े
जीवनिाल में उतने मधुर नह ं हो सि
े जजतने पजण्डत जवाहर लाल नेहरू चाहते थे। भारत सोववयत सम्बन्धों में जो
तनाव उत्पन्न हुए उनिा प्रमुख िारर् स्टामलन िा िठोर दृजष्ट्टिोर् था स्टामलन िा ववचवास था कि वे सब जो
साम्यवाद नह ं थे। ननचचय ह सोववयत संघ ि
े ववरोधी थे। यह धारर्ा ममथ्या थी, परन्तु स्टामलन ि
े ववचारों िो
िौन पररवनत वत िर सिता था। भारत िा ननर्वय कि वह गर्तन्त्र बन जाने पर भी राष्ट्रमण्डल िा सदस्य बना
रहेगा। सोववयत संघ िो अप्रसन्न िरने ि
े मलये पयावप्त था। दूसरा मलाया में सोववयत संघ ि
े पक्ष में जो घटनाएाँ
घट उनिा भारत ने ववरोध किया। इससे भी स्टामलन आप्रसन्न हुए तीसरे ग्रीस िो भारत िा समथवन भी भारत
सोववयत सम्बन्धों में िटुता भरने िा साधन बन गया। अजन्तम, भारत िी गुट ननरपेक्षता िी मौमलि नीनत िो
सोववयत संघ ने िभी पसन्द नह ं किया। उसने इस नीनत िो भारत िी पजचचम-समथवि या पूाँजीवाद नीनत िो
संज्ञा दे द . जजस प्रिार भारत-अमेररिा सम्बन्धों में उतार-चढ़ाव आए. ठीि वैसा तो भारत सोववयत सम्बन्धों ि
े
ववर्षय में नह ं हुआ। कफर भी जहााँ स्टामलन युग में यह सम्बन्ध अपेक्षा ि
े अनुसार अच्छे नह ं हो सि
े , वहााँ उसि
े
पचचात ् इन दोनों देशों ि
े सम्बन्ध प्रायः मधुर रहे हैं।
प्रधानमंत्री पंडडत जवाहर लाल नेहरू ने सोववयत नीनत ि
े बारे में िहा था ‘‘कि भारत महाशजक्तयों ि
े संघर्षव से
अलग रहिर गुट ननरपेक्षता िी नीनत िा पालन िरते हुए सोववयत संघ ि
े साथ दृढ़ मैत्री िा इच्छ
ु ि है।
49.
यद्यवप उपननवेशवाद तथाननशस्त्रीिरर् जैसे ववर्षयों पर भारत और सोववयत संघ में भतैक्य था, कफर भी गुट
ननरपेक्षता ि
े प्रचन पर दोनों में सहमनत नह ं हो सिती थी। कफर भी ऐसे िई अवसर आये जब दोनों देशों ने एि
दूसरे िा समथवन किया। उदाहरर्ाथव जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दक्षक्षर् अफ्रीिा ि
े रंग भेद ि
े प्रचन िो उठाया,
तब सोववयत प्रनतननथध ववमशंस्िी ने भारत िा पक्ष लेते हुए िहा था कि रंगभेद िा प्रचन आन्तररि न होिर
ननचचय ह अन्तरावष्ट्र य प्रचन है। परन्तु स्टामलन िो भारत िी गुट ननरपेक्षता िी नीनत में पूाँजीवाद समथवन िी गंध
आती थी। और यह िारर् था कि सोववयत संघ में प्रथम राजदूत श्ीमती ववजयलक्ष्मी पजण्डत अपने एि वर्षव ि
े
मास्िो आवास में स्टामलन से एि बार भी भेंट नह ं िर सिीं। उस समय भारत ि
े अथधितर नेता ं ि
े मन में
भी सोववयत संघ ि
े प्रनत शंिा व्याप्त थी।
भारत ने ननरन्तर सोववयत संघ िी माजन्तपूर्व धारर्ा ं िो दूर िरने िा प्रयास किया। भारत ने चीन एवं
साम्यवाद िाजन्त (1949) सम्पन्न होने ि
े तीन मास ि
े भीतर ह चीन ि
े जनवाद गर्राज्य िो मान्यता देिर
यह मसद्ध िर हदया कि वह सत्य पर आधाररत नीनत िा पालन िर रहा था। 1953 से पूवव भारत िी और
सोववयत दृजष्ट्टिोर् में पररवतवन हुआ था। भारत द्वारा साम्यवाद चीन िो मान्यता, उसिो संयुक्त राष्ट्र में
प्रनतननथधत्व हदलवाने ि
े मलये अथि प्रयास िरने, 1951 िी अमेररिी-जापान सजन्ध िा ववरोध िरने तथा िोररया
युद्ध में प्रथम चरर् ि
े उपरान्त, स्वतंत्र और ननष्ट्पक्ष नीनत अपनाने ि
े िारर् सोववयत संघ ने भारत िी प्रशंसा िी
और स्टामलन ने सहर्षव भारतीय राजदूत डॉ० राधािर ष्ट्र्न से भेंट िी। इस प्रिार 1953 ति भारत-सोववयत संबंधों में
सुधार हदखाई देने लगा था।
माचव 1953 में स्टामलन िी मरत्यु ि
े पचचात ् भारत सोववयत सम्बन्धों में एि नया मोड़ आया। खुचचेव सोववयत
समूह वाले दल ि
े महासथचव बने और उन्होंने स्टामलन िी नीनतयों िी िठोरता में सीममत उदार िरर् प्रारम्भ
किया। जून 1955 में जवाहर लाल नेहरू ने सोववयत संघ िी यात्रा िी और उस देश िी जनता िो शाजन्तपूर्व सह
जस्थनत िी ववचारधारा से प्रभाववत किया। नेहरू िी यात्रा ि
े अन्त में जार एि संयुक्त ववज्ञजप्त में िहा गया कि
भारत और सोववयत संघ पारस्पररि लाभ और िकयार् ि
े मलये एि-दूसरे ि
े साथ सहयोग िरते रहेंगें। नवम्बर
1955 सोववयत िम्युननष्ट्ट पाटी महासथचव खुचचेव तथा प्रधानमंत्री बुकगाननन तीन सप्ताह िी भारत यात्रा पर
आये। यह अपने आप में एि अभूतपूवव घटना थी क्योंकि इसि
े पहले िोई भी सोववयत प्रधानमंत्री राजिीय यात्रा
पर ववदेश नह ं गया था। दोनों प्रधानमंब्रत्रयों ने एि वक्तव्य में िहा कि भारत तथा सोववयत संघ ि
े मध्य सच्ची
समानता तथा पारस्पररि लाभ ि
े आधार पर व्यापाररि एवं आथथवि सहयोग ि
े वविास ि
े मलये सभी आवचयि
जस्थनतयों उत्पन्न िर द गयी हैं।
सोववयत प्रधानमंत्री गुकगाननन में भारतीय संसद िो सम्बोथधत िरते हुए िहा कि हम अपने आथथवि तथा वैज्ञाननि
अनुभव आपि
े साथ चौटने ि
े मलये तैयार है।‘‘ सुचचेव ने भारत िो ववचवास हदलाते हुए िहा था कि ‘‘आपिो जब
भी आवचयिता पड़े पहाड़ िी चोट पर खड़े होिर पुिार ल जजये, हम आपिी सहायता ि
े मलये दौड़ िर आ जायेंगे।
िचमीर ि
े मुद्दे में सोववयत संघ ने स्पष्ट्ट ● रूप से भारत िा समथवन किया था। 1950 में स्वेज संिट ि
े समय
भारत तथा सोववयत संघ दोनों देशों ने ब्रिटेन, फ्रांस तथा इजराइल द्वारा ममस्र पर किये गये आिमर् िी तीव्र
आलोचना िी थी। परन्तु उसी वर्षव जब सोववयत संघ हंगर हस्तक्षेप किया तो भारत ने यह मत व्यक्त किया कि
50.
बाहर (सोववयत) सेनां हंगर से वापस बुला मलया जाना चाहहए तथा यहााँ िी जनता िो आत्म-ननर्वय िा
अथधिार हदया जाना चाहहए। इस बात पर सोववयत संघ भारत से अप्रसन्न हुआ। यद्यवप जब हंगर में हस्तक्षेप
िा प्रचन संयुक्त राष्ट्र महासभा में ववचार मलये लाया गया तो भारत ने संयुक्त राज्य अमेररिा ि
े उस प्रस्ताव पर
मतदान में भाग नह ं मलया, जजसमें सोववयत सशस्त्र हस्तक्षेप िी ननंदा िी गई थी। इस प्रिार भारत ने स्पष्ट्ट रूप
से सोववयत िायववाह िी ननंदा नह ं िी। जजससे भारत और सोववयत संघ सम्बन्ध और भी घननष्ट्ठ हुए। 1961 में
जब भारत ने अपनी सशस्त्र सेना ं ि
े द्वारा पुतवगाल से गोवा िो मुक्त िरवाया तब सोववयत संघ ने भारत िा
पूरा समथवन किया। व्यापार ि
े क्षेत्र में भारत और सोववयत संघ में बराबर वरद्थध होती रह । जब अक्टूबर 1962 में
चीन ने भारत पर आिमर् किया तो प्रारम्भ में सोववयत संघ ने चीन िा समथवन किया किन्तु अन्ततः सामान्य
रूप से भारत ि
े पक्ष िा समथवन किया।
भारत में चीनी आिमर् ि
े समय पर ह क्यूबा िा प्रक्षेपास्त्र संिट भी उत्पन्न हुआ था। सोववयत प्रक्षेपास्त्र लेिर
जो जहाज क्यूबा जा रहे थे. अमेररिा ने उनिा मागव अवरुद्ध िर हदया, जजससे सोववयत जहाजों िो वापस बुलाना
पड़ा, अन्यथा परमार्ु युद्ध नछड़ सिता था। इस मामले में चीन ने सोववयत संघ िी तीव्र आलोचना िी थी, जजससे
भारत व सोवनयत संघ ि
े सम्बन्धों में और अथधि मधुरता आयी थी।
2द्ध भारत एवं बांग्लादेश
द्ववतीय ववचव युद्ध िी समाप्ती ि
े बाद संसार मे दो महाशजक्तयों ने शीतयुद्ध िो जन्म हदया और ववचव
िो दो शजक्त गुटों मे ववभाजजत िर हदया। दो महाशजक्तयााँ थी संयुक्त राज्य अमेररिा और सोववयत संघ लगभग
उसी समय जब दोनों शजक्त गुटों में शीत युद्ध ने गनत पिड़ी, भारत ब्रिहटश उपननवेशवाद से स्वतंत्र होिर एि
नवाहदत राष्ट्र ि
े रूप में उभर िर राजनीनति क्षक्षनतज पर प्रिाशमान हुआ। भारत ने ननःसंिोच यह ननर्वय किया
कि वह किसी भी गुट में शाममल न होिर एि स्वतंत्र ववदेश नीनत अपनाएगा। भारत िी गुट ननरपेक्षता िी नीनत
इसी मूल ननर्वय िा पररर्ाम थी। इस नीनत ि
े अनुसार सभी देशों ि
े साथ ममत्रता, परन्तु गठबंधन किसी ि
े साथ
भी न िरने िा ननर्वय मलया गया।
स्वाभाववि था कि सभी ि
े साथ ममत्रता िरने ि
े प्रयास में भारत ने न ि
े वल ब्रिटेन ि
े साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये
रखे, वरन दोनों महाशजक्तयों ि
े साथ भी मधुर सम्बन्ध वविमसत िरने िा प्रयत्न किया। संसार ि
े दो ववशाल
लोितांब्रत्रि देश होने ि
े नाते भारत और संयुक्त राज्य अमेररिा में ममत्रता िी अपेक्षा िी गई। सामान्य रूप से इन
दोनों ि
े सम्बन्ध मधुर रहे भी हैं, परन्तु िभी-िभी उनमें िटुता भी उत्पन्न हुई। किन्ह ं दो स्वतंत्र और स्वामभमानी
देशों ि
े बीच ऐसा होना स्वाभाववि भी है।
भारत अमेररिा सम्बन्धों में अमेररिा सरिार ने भारत िो िभी भी उच्च प्राथममिता नह ं द । चीन द्वारा भारत
पर 1962 में किये गये आिमर् ने अमेररिा िी नीनतयों िो प्रत्यक्ष रूप से प्रभाववत किया। इसि
े पचचात ् भारत ि
े
प्रनत अमेररिा िी नीनतयों में ि
ु छ पररवतवन हुआ। परन्तु अमेररिा ने सदा ि
े वल अपने राष्ट्र य हहतों िो ध्यान में
रखा और भारत िो एि अधीनस्थ देश िा दजाव हदया, समानता िा नह ं। उसने भारत ि
े दृजष्ट्टिोर् िो समझने
और उसि
े राष्ट्र य हहतों पर ध्यान देने िा िष्ट्ट नह ं किया। अमेररिा ने भारत िी गुट ननरपेक्षता िो सोववयत
51.
समथवि नीनत समझाहै। वैसे भारत और संयुक्त राज्य अमेररिा ववचव ि
े दो सबसे ववशाल लोितंत्र हैं। उनि
े
क्षेत्रफल व जनसंख्या में मभन्नता होने ि
े बावजूद दोनों देशों में बहुत ि
ु छ समानताएाँ हैं। इन समानता ं िो दोनों
ि
े औपननवेमशि अतीत में खोजा जा सिता है। दोनों पर ब्रिटेन िा औपननवेशि शासन था. चाहे िाल-मभन्नता
अवचय थी। जहााँ 4 जुलाई 1776 िो अमेररिा िो स्वतंत्रता ममल , वह ं भारत ने यह स्वतंत्रता रूपी पौधा 15
अगस्त 1947 िो रोवपत किया। दोनों देशों में जनता ि
े ननवावथचत प्रनतननथधयों द्वारा संचामलत लोितांब्रत्रि सरिारें
हैं। दोनों ह देश गर्राज्य हैं। दोनो देश अपनी जनता िो वयस्ि मताथधिार ि
े आधार पर अपने प्रनतननथधयों िो
सुनने िा अथधिार देते हैं। अमेररिा िी भााँनत भारत में भी जनता िी आिांक्षा ं ि
े प्रनत उत्तरदायी प्रशासन है।
ि
े वल शासन िी मूल संरचना और भावना में ह नह ं, बजकि दोनों देशों िी सामाजजि, व्यवस्था ं में भी िई
ववशेर्षतायें समान है। भारत तथा अमेररिा दोनों में बहुल समाज है, जहााँ मत मभन्नता िो दबाया नह ं जाता है।
जनता िो स्वतंत्र रूप से अपने ववचार व्यक्त िरने िा अथधिार है तथा उन्हें धमव िी पूर्व स्वतंत्रता है। इन
अथधिारों और स्वतंत्रता ं िो अमेररिा ि
े संववधान ि
े प्रथम संशोधन और भारत ि
े संववधान ि
े भाग तीन में
सुननजचचत किया गया है। अमभव्यजक्त व प्रेस िी स्वतंत्रता दोनों गर्राज्यों िा आधार स्तम्भ है। दोनों ह देशों में
सरिारों जनता लोितांब्रत्रि चुनावों ि
े द्वारा बदलती रहती है। संयुक्त राज्य अमेररिा प्रवामसयों िा देश है, भारत
नह ं है। कफर भी दोनों ह देशों में ववमभन्न जानतयों और सम्प्रदायों लोग ममल-जुलिर रहते हैं और राष्ट्र ननमावर् में
ममलिर िायव िरते हैं। धमव ननरपेक्षता में दोनों देशों िी आस्था है।
भारत और अमेररिा में 200 वर्षव से अथधि समय से व्यापार होता आया है। यह उस समय आरम्भ हुआ था जब
अठारहवीं शताब्द में बैंिी जहाज बीस्टन से बफव लेिर िलित्ता पहुःचे और वहााँ से मसाले और िपड़े लेिर
अमेररिा वापस गये थे। दोनों देशों ि
े मध्य उस समय राजननयि संबंधों आरम्भ हुआ। जब 1790 में राष्ट्रपनत
जाजव वामशंगटन ने िलित्ता में अपना एि वार्र्ज्य दूत ननयुक्त किया था। अमेररिा से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
ि
े नेता ं और सेनाननयों िो ममत्रता िी भेंट प्राप्त होती रह । दोनों देशों ि
े सम्बन्धों ि
े सरिार आदान-प्रदान
धाममवि अनुभवों तथा पयवटन ने ननरन्तर वविास किया है।
समय-समय पर दोनों देशों ि
े दृजष्ट्टिार्ों में पररवतवन होते रहे हैं। उदाहरर् ि
े मलये आरम्भ में अमेररिा ने भारत
िी गुट ननरपेक्षता िी नीनत सराहने योग्य नह ं पाया. सोववयत संघ िो भी वह नीनत उथचत नह ं लगी थी। दोनों
महाशजक्तयााँ भारत िो ववरोधी गुट से सम्बद्ध मानती रह ं। परन्तु जब भारत ने 27 जून 1950 ि
े सुरक्षा पररर्षद
ि
े उस प्रस्ताव िो स्वीिार किया जजसमें उत्तर िोररया िो दक्षक्षर् िोररया ि
े ववरुद्ध आिामि घोवर्षत किया गया
था, तब अमेररिा ने भारत ि
े ननर्वय िी सराहना िी और सोववयत संघ िो यह ननन्दनीय लगा था। ि
ु छ समय
पचचात ् ऽ जब संयुक्त राष्ट्र िी सेना ं ने दक्षक्षर् िोररया से उत्तर सेना ं िो बाहर ननिाल हदया और जनरल
मैिगाथवर ने चीन िी र सेना ं िो ि
ू च िरवा हदया, तब भारत ने उस अमेररिी सेनापनत िी ननन्दा िी
अचानि सोववयत संघ भारत िा प्रशंसि हो गया और अमेररिा िो यह अच्छा नह ं लगा।
जब 1962 में चीन ने भारत पर आिमर् किया उस समय अमेररिा िी न ि
े वल भारत ि
े प्रनत सहानुभूनत थी,
वरन ् उसने भारत िो युद्ध सामग्री देने िा भी प्रस्ताव किया। परन्तु 1965 ि
े भारत पाकिस्तान युद्ध में
पाकिस्तान िो स्पष्ट्ट आिामि िायववाह ि
े बावजूद अमेररिा ने पाकिस्तान समथवि नीनत अपनाई। 1971 ि
े
52.
बांग्लादेश संिट ि
ेसमय राष्ट्रपनत ननक्सन ने न ि
े वल भारत ववरोधी नीनत अपनाई वरन भारत िो उसि
े ववरुद्ध
हस्तक्षेप िरने िी धमिी भी दे डाल । भारत-पाि युद्ध 1971 ि
े समय अमेररिा ने अपना अनत शजक्तशाल
सातवों नौ सैननि बेड़ा भी बंगाल िी खाड़ी िी र रवाना िर हदया। अमेररिा ि
े इस सातवें बेड़े ि
े पास परामर्ु
अस्त्र उपलब्ध थे. और इसे भारत िो आतंकित िरने ि
े मलये भेजा गया था। भारत- सोववयत मैत्री संथध ि
े रहते
अमेररिा वास्तव में परमार्ु अस्त्रों ि
े प्रयोग िी बात सोच भी नह ं सिता था। अमेररिा िी पाकिस्तान समथवि
नीनत 1971 में अपनी चरम सीमा पर थी। ननक्सन ने तो चीन िो भारत ि
े ववरुद्ध हहमालय क्षेत्र में िायववाह
िरने ि
े मलये उिसाया भी था ।।
अन्य देशः
अफगाननस्तानः प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने अफगाननस्तान ि
े साथ ल ् द्ववपक्षीय सम्बन्धों में सुधार जार रखा।
अगस्त 1985 में आथथवि व्यापार और तिनीिी सहयोग पर भारत-अफगान संयुक्त सममनत िा सातवााँ अथधवेशन
मंत्री स्तर पर हदकल में सम्पन्न हुआ। भारत अफगाननस्तान में राजनीनति समाधान िा समथवन िरता है। जो
अफगान मामलों में गैर हस्तक्षेप और गैर दखलंदाजी पर आधाररत हो और सभी सम्बजन्धत देशों ि
े वैध हहतों िो
ध्यान में रखता हो। अतः भारत िी यह मान्यता थी कि अफगाननस्तान िी समस्या िा एि ऐसा राजनीनति
समाधान ननिालना चाहहए जजसमे सम्बद्ध पक्षों िो जायज हहतों िा ख्याल रखा जा सि
े ।
अफगाननस्तान ि
े साथ भारत ि
े द्ववपक्षीय सम्बन्ध संतोर्षजनि रूप से बढ़े है। हदसम्बर 1987 में हदकल में
अफगाननस्तान राष्ट्रपनत श्ी नजीबुकला ि
े संक्षक्षप्त ठहराव ि
े दौरान द्ववपक्षीय और क्षेत्रीय महत्व मामलों पर
ववचारों िा आदान-प्रदान हुआ। इससे पहले अफगाननस्तान ववदेशमंत्री श्ी चिील फरवर 1987 में हदकल आये थे।
तत्िाल न ववदेशमंत्री श्ी नारायर् दत्त नतवार ने मई 1987 में आथथवि, तिनीिी और व्यापार मामलों पर भारत
अफगान संयुक्त आयोग ि
े आठवें अथधवेशन में भाग लेने ि
े मलये िाबुल िी यात्रा िी थी।
एि ह क्षेत्र िा एि देश होने ि
े नाते भारत अफगाननस्तान ि
े घटनािम प्रभाववत था। तदानुसार भारत ने अफगान
जस्थनत से जुड़े हुए देशों ि
े साथ जस्थनत एि राजनैनति हल ननिालने में सहयोग देने ि
े मलये सम्पिव किया। भारत
ने अमेररिा और रूस द्वारा गारण्ट शुदा जजनेवा में 14 अप्रैल 1988 िो पाकिस्तान और अफगाननस्तान ि
े बीच
हस्ताक्षररत िरार िा स्वागत किया, जजसि
े अनुसार 15 मई 1988 से नौ मह ने ि
े भीतर अफगाननस्तान से रूस ि
े
सभी सैननिों िी वापसी िी व्यवस्था थी। प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने 20 अप्रैल 1988 िो िहा था कि ‘‘जजनेवा
में हुए समझौते से अफगाननस्तान में शाजन्त और स्थानयत्व िा द्वार खुला है। हमने अपनी भूममिा रचनात्मि रूप
से और खामोशी से ननभाई है।
4 मई 1988 िो भारत और अफगाननस्तान ि
े राष्ट्रपनत नजीपुकला और प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ि
े बीच जजनेवा
समझौते ि
े फलस्वरूप उभरने वाल समस्या ं पर बातचीत ि
े दौरान जजनेवा समझौते ि
े समुथचत िायावन्वयन िी
मााँग िी गयी। अफगान ववदेशमंत्री श्ी अब्दुल बिील ने माचव 1989 में पुनः भारत िी यात्रा िी और समझौते ि
े
उपरान्त अफगाननस्तान में मौजूदा जस्थनत ि
े बारे में प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी और ववदेश मंत्री श्ी पी०वी०
नरमसंह सब ि
े साथ बातचीत िी जजससे भारत व अफगाननस्तान ि
े बीच मैत्री स्थावपत हुई।
53.
इस प्रिार प्रधानमंत्रीश्ी राजीव गााँधी ने अफगाननस्तान पर सोववयत िो अनुथचत बतलाया और इसिा ववरोध किया
जजससे भारत व अफगाननस्तान ि
े सम्बन्ध मजबूत हुए।
दक्षक्षर्ी अफ्रीिा प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने दक्षक्षर्ी अफ्रीिा साथ सम्बन्ध सुदृढ़ िरने िी नीनत अपनाई थी।
रंगभेद ि
े पूर्व ववरोध िी भारत िी लम्बे समय से चल आ रह नीनत ि
े अनुसार भारत ने हर मौि
े पर दक्षक्षर्ी
अफ्रीिा िी नस्लवाद नीनतयों िी भत्सवना िी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररर्षद ि
े प्रस्ताव पर अमल िर आवाहन
किया।
अक्टूबर 1985 में नसाऊ में राष्ट्रमण्डल िी मशखर बैठि ि
े दौरान, दक्षक्षर्ी अफ्रीिा ि
े र्खलाफ िायववाह ि
े मलये
एि समयबद्ध िायविम तैयार िरने राष्ट्रमण्डल सदस्यों ि
े बीच सववसम्मनत हामसल िरने में भारत ने अग्रर्ी
भूममिा अदा िी। इसि
े अलावा भारत ने दक्षक्षर्ी अफ्रीिा में अिाल सूखे मलये अफ्रीिी एिता संगठन ि
े
आपातिाल न िाल में 12 िरोड़ रुपये िा योगदान हदया।
प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने मई 1986 में उच्चस्तर य प्रनतननथध मण्डलों ि
े साथ अथग्रम पंजक्त ि
े देशों जैसे
जाजम्बया, जजम्बाम्बे, अंगोला और तंजाननया िी यात्रा िी। उनिी इस यात्रा से यह पता चलता है कि दोनों देशों ि
े
साथ आपसी सम्बन्धों िो हम कितना महत्व देते हैं। इसि
े अलावा इससे दक्षक्षर् अफ्रीिा और नामीब्रबया में मुजक्त
संघर्षव ि
े साथ भारत िी एिजुटता िा भी पता चलता है। भारत ने अफ्रीिी राष्ट्र य िांग्रेस ि
े अध्यक्ष श्ी ल वर
ताम्बों तथा दक्षक्षर् पजचचम जन संगठन ि
े अध्यक्ष राष्ट्रपनत साम मुजोमा िो मई 1996 में भारत यात्रा पर
बुलाया। अपनी यात्रा ि
े दौरान श्ी गुजोमा ने हदकल में ‘‘स्वापों‘‘ िा औपचाररि रूप से उद्घाटन किया। मसतम्बर
1995 में अंगोला िी राजधानी लुआंडा में राज दूतावास ि
े स्तर िा भारतीय राजननयि ममशन खोला गया। ननिट
भववष्ट्य में ह दोत्सवाना िी राजधानी गवरोन में भी एि ममशन खोला गया था। इन ममशनों िी स्थापना हो जाने
से भारत िा दक्षक्षर्ी अफ्रीिा ि
े सभी छः अथग्रम पंजक्त ि
े देशों में ननवासी राजननयि प्रनतननथधत्व हो गया। अथग्रम
पंजक्त देशों ि
े साथ द्ववपक्षीय सहायता भी बढ़ाई गयी। भारत ने जाजम्बया िो 10 िरोड़ िा सरिार ऋर् तथा 15
िरोड़ िा संस्थागत ववत्तीय ऋर् हदया। अंगोला ि
े साथ व्यापार ि
े बारे में तथा आथथवि तिनीिी वैज्ञाननि तथा
सांस्िर नति सहयोग ि
े सम्बन्ध में समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। श्ी मोजाजम्बि िो लगभग 6 लाख रुपये िी
दवाइयााँ भेंट िी गयी। नई हदकल जस्थत ‘‘स्वापों‘‘ ि
े ममशन िो भी सहायता द गयी।
उत्तर अफ्रीिा में ब्रत्रपोल पर हुए बमों ि
े हमलों िी घटना ं ि
े समय भारत ने ल ब्रबया ि
े साथ अपनी एिजुटता
प्रदमशवत िरते हुए अन्य गुट ननरपेक्ष देशों िा साथ हदया। अकजीररया ि
े साथ द्ववपक्षीय स्तर पर और अन्तरावष्ट्र य
स्तर पर भी हमारे राजनैनति सहयोग ि
े सम्बन्ध हैं। इसि
े साथ-साथ आथथवि और व्यापाररि सहयोग भी बढ़ा है।
अक्टूबर 1987 में राष्ट्रमण्डल शासनाध्यक्षों ि
े सम्मेलन में बैंि
ू वर में भारत िो वप्रटोररया शासन ि
े ववरुद्ध
अननवायव ववस्तरत स्वीिर नतयों में द ल हदये जाने ि
े प्रयासों िो ववफल िरने में सहायता ममल स्वीिर नतयों िो जार
रखने ि
े मलये जनमत दृढ बना रहा।
54.
अफ्रीिी ननथध स्थापनागुट ननरपेक्ष देशों ि
े शासनाध्यक्षों ि
े ऑठवें सम्मेलन में िी गई थी। नई हदकल में 24 और
25 जनवर 1987 िो हुई अफ्रीिी ननथध सममनत िी मशखर बैठि ि
े बाद प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने सभी
शासनाध्यक्षों िो अपील तथा िायव योजना िी प्रनत भेजते हुए सभी देशों से अफ्रीिा ननथध ि
े मलये उदारता से
अंशदान देने ि
े मलये मलखा। ि
ु ल ममलािर अफ्रीिा ननथध ि
े मलये उत्साहवधवि उत्तर ममला है। जनवर 1987 में हुई
मशखर बैठि में प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने अफ्रीिी ननथध में 50 िरोड़ रुपये ि
े अंशदान िी घोर्षर्ा िी।
तदुपरान्त ऐसी योजना ं िा पता लगाने ि
े मलये िायववाह िी गयी, जजन्हें अपनी क्षमता, अनुभव और अथग्रम
पंजक्त ि
े देशों तथा मुजक्त आन्दोलन िी आवचयिता ं िो ध्यान में रखिर भारत द्वारा कियाजन्वत किया जा
सिता था।
अफ्रीिी देशों ि
े साथ द्ववपक्षीय सम्बन्ध बढ़ते रहे हैं। अनेि उच्चस्तर य यात्रा ं िा आदान-प्रदान किया गया।
अंगोला ि
े राष्ट्रपनत श्ी जोन्स डोस सान्तोस, अप्रैल 1987 में सरिार यात्रा पर भारत आए और उन्होंने प्रधानमंत्री
श्ी राजीव गााँधी ि
े साथ ववमभन्न मसलों पर बातचीत िी। इस यात्रा ि
े दौरान आथथवि और तिनीिी सहयोग ि
े
क्षेत्र में एि समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।
जापान 1985 में प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िी टोकियों यात्रा जापान ि
े साथ मैत्रीपूर्व सम्बन्धों में एि और िदम
िी पररचायि थी। ववज्ञान और प्रौद्योथगिी ि
े क्षेत्र में सहयोग ि
े एि समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। इस
समझौते में संयुक्त सममनत ि
े स्थापना िा प्रावधान था। जापान और भारत ि
े लोगों एि-दूसरे ि
े िर ब लाने में
1987-88 में जापान में प्रस्ताववत भारत महोत्सव और भारत में जापान सप्ताह ि
े आयोजन ने एि आवचयि गनत
प्रदान िी। दोनों देश उद्योग और व्यापार ननजी और साववजननि दोनों ि
े ह ववमभन्न हकिों में आदान-प्रदान से
भारत ि
े औद्योथगिीिरर् और टेक्नोलॉजी ि
े हस्तान्तरर् ि
े क्षेत्र में दोनों देशों ि
े बढ़रों सहयोग िो और अथधि
मदद ममल । भारत तथा उत्तर और दक्षक्षर् िोररर् और मंगोमलया ि
े बीच सम्बन्ध ववमभन्न स्तरों पर मैत्रीपूर्व
आदान-प्रदान से सुस्पष्ट्ट है। जापान ि
े साथ हमारे सम्बन्ध सौहादवपूर्व चले आ रहे थे। जापान िी सहायता और
पूाँजी ननवेश ि
े क्षेत्र िा ववस्तार िरने ि
े उद्देचय से अध्ययन और सवेक्षर् शुरू किये गये थे। अब ववचव और
क्षेत्रीय मामलों में दोनों देश एि-दूसरे िी भूममिा िो पहले से ज्यादा अच्छी तरह समझते थे। प्रधानमंत्री श्ी राजीव
गााँधी माचव 1986 में िोररया गर्राज्य िी यात्रा िी इस यात्रा ि
े दौरान एिमुचत आथथवि समझौता हुआ, जजसमें
लौह अयस्ि ि
े ननयावत में वरद्थध, पाराद्वीप बन्दरगाह िा वविास और जहाजी माल िी भागीदार से सम्बजन्धत
ननर्वय शाममल थे। भारत और िोररयाई लोितांब्रत्रि गर्राज्य ि
े बीच अनेि उच्चस्तर य यात्रा ं व्यापार ि
े
आदान-प्रदान ि
े सववधन िी सम्भावना ं िा पता लगाने ि
े अनतररक्त दोनो देशों ि
े बीच सांस्िर नति सम्पिव भी
बढ़ा था। आथथवि, वार्र्जज्यि और अन्य क्षेत्रों में भारत ि
े साथ सम्बन्धों ि
े सववधन ि
े मलये मंगोमलया में एि
राजिीय आयोग िी स्थापना िी गई थी। अक्टूबर 1987 में बैि
ू वर (िनाडा) में राष्ट्रमण्डल शासनाध्यक्ष सम्मेलन
में भाग लेने ि
े मलये जाते समय टोकियो में ठहराव ि
े दौरान प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी जापान ि
े प्रधानमंत्री श्ी
नािासोने से ममले। इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी व जापान ि
े प्रधानमंत्री श्ी नािासोने ने द्ववपक्षीय
मामलों ि
े अलावा आपसी हहत ि
े अन्तरावष्ट्र य मामलों पर बातचीत िी
55.
अगस्त 1987 मेंजापान ि
े ववदेश मामलों में मंत्री श्ी ट ० ि
ु रानार सरिार यात्रा पर भारत आये। ववमभन्न
द्ववपक्षीय मामलों पर बातचीत में आपसी हहतों ि
े क्षेत्रों पर ववस्तरत बातचीत हुई और उनमें एमशयाई तथा ववचव से
सम्बजन्धत मसलों में दोनों देशों िी महत्वपूर्व भूममिा िी परस्पर मान्यता पररलक्षक्षत हुई। द्ववपक्षीय आधार पर
जापान, 1987 में सरिार वविास सहायता ( डी०ए०) देने में भारत िा सबसे बड़ा दानिताव बन गया। व्यापार में
जापान भारत िा तीसरा सबसे बड़ा हहस्सेदार बना रहा हालााँकि जापान ि
े ववचव व्यापार िी तुलना में इस व्यापार
िी मात्रा िम ह रह ।
अक्टूबर-नवम्बर 1987 में भारत ि
े महानगरों में जापान-मास आयोजजत किया गया। 13 अप्रैल 1988 िो टोकियों
में प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी और जापानी प्रधानमंत्री श्ी नोबोरू ताि
े शीटा द्वारा जापान में भारत महोत्सव िा
उद्घाटन किया गया। भारत ि
े प्रधानमंत्री ने महोत्सव िो दोनों देशों ि
े लोगों ि
े बीच मेल-ममलाप और मैत्री ि
े
ननरन्तर वविास ि
े प्रनत समवपवत किया।
िनाडा : प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने िनाडा ि
े साथ चले आ रहे मैत्रीपूर्व सम्बन्धों िो एि नयी हदशा प्रदान
िी। वह नसाऊ में राष्ट्रमण्डल सरिारों ि
े प्रमुखों िी बैठि में िनाडा ि
े प्रधानमंत्री से ममले तथा आपसी हहतों ि
े
मामलों पर बातचीत िी। नवम्बर 1985 में जब िनाडा ि
े ववदेश मंत्री श्ी क्लािव नई हदकल िी यात्रा पर आये तो
आगे बातचीत आरम्भ हुई।
पजचचमी यूरोप और उत्तर अमेररिा ि
े ि
ु छ देशों ि
े साथ सम्बन्धों में इस िारर् जहटलता पैदा हुई कि ि
ु छ
सरिारों ने वहााँ रह रहे भारत ववरोधी ववघटनिार तत्वों ि
े प्रनत अनुि
ू लता िा रवैया अपनाया। यह मसला संबंथधत
सरिारों ि
े साथ ननरन्तर उठाया गया और भारत िो ववचवास है कि ये देश आतंिवाद गनतववथधयों ि
े खतरों ि
े
प्रनत अब बेहतर ढंग से अवगत हैं। इन देशों में भारतीय समुदाय ि
े भार बहुमत िी पंजाब और असम समझौतों
पर अनुि
ू ल प्रनतकिया रह ।
िनाडा और भारत ने द्ववपक्षीय और अन्तरावष्ट्र य मुद्दों पर गहन बातचीत ननरन्तर जार रखी। िनाडा में िानून
लागू िरने वाल एजेजन्सयों ने िनाडा जस्थनत उग्रवाद तत्वों द्वारा आतंिवाद ि
े खतरे से ननपटने ि
े मलये सख्त
िदम उठाये। फरवर 1987 में िनाडा ि
े ववदेशमंत्री ‘‘जो क्लािव िी यात्रा ि
े दौरान एि प्रत्यपवर् सजन्ध पर
हस्ताक्षर किये गये। इसि
े साथ-साथ औद्योथगि तथा प्रौद्योथगिी सहयोग संबंधी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
किये गये।
भारत और िनाडा भारत ि
े ववरुद्ध आतंिवाद और अनतवाद गनतववथधयों िी समस्या िा मुिाबला िरने में
सहयोग देते रहे थे। फरवर 1987 में हस्ताक्षररत प्रत्यापवर् सजन्ध समस्या ि
े समाधान में िाफी हद ति सहायि
हुई। दोनों देशों ि
े बीच व्यापार और औद्योथगि सहयोग िो बढ़ावा देने ि
े मलये िनाडा ि
े व्यापार, उद्योग और
प्रौद्योथगिी मंत्री श्ी माण्टे किं वटर िी अध्यक्षता एि ि
ै नेडडयन प्रनतननथध मण्डल 18 फरवर 1989 िो भारत आया
जजससे मैत्रीपूर्व सम्बन्धों िो और बढ़ावा ममला 2
56.
आस्रेमलया और न्यूजीलैण्डप्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ि
े प्रधानमंब्रत्रत्व िाल में आस्रेमलया और न्यूजीलैण्ड ि
े साथ
सम्बन्ध और भी सुदृढ हुए। न्यूजीलैण्ड ने नई हदकल में अपना ममशन कफर से स्थावपत किया। न्यूजीलैण्ड ि
े
प्रधानमंत्री ने अप्रैल 1985 में भारत िी यात्रा िी तथा प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ि
े साथ बातचीत िी
अक्टूबर 1986 में प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी ने आस्रेमलया और न्यूजीलैण्ड िी यात्रा िी जजससे इन देशों ि
े साथ
मैत्रीपूर्व सम्बन्धों िो और बढ़ावा ममला। लगभग दो दशिों ि
े बाद भारत ि
े प्रधानमंत्री ने इन देशों िी यात्रा िी।
इस यात्रा से इस क्षेत्र ि
े साथ भारत ि
े सम्बन्धों पर जोर देने िी शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री श्ी राजीव गााँधी िी इस
यात्रा ि
े दौरान आस्रेमलया ि
े साथ ववज्ञान तथा प्रौद्योथगिी ि
े एि समझौते पर और न्यूजीलैण्ड ि
े साथ व्यापार
तथा दोहरे िो समाप्त िरने से सम्बजन्धत समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये।
इस यात्रा िी अनुवती िायववाह ि
े रूप में आस्रेमलया में संयुक्त व्यापार पररर्षद िी माचव 1987 में बैठि हुई और
मसतम्बर 1987 में आस्रेमलया ि
े ववदेश और व्यापार मंत्रालय ि
े सथचव ने भारत िी यात्रा िी. जजसिा उद्देचय था
द्ववपक्षी सम्बन्धों िी समीक्षा िरना, उन पर नजर रखना और उनिो हदशा-ननदेश देना। भारत और आस्रेमलया ने
अंतररक्ष अनुसंधान पर एि समझौते पर हस्ताक्षर किये। मौसम ववज्ञान में सहयोग सम्बन्धी एि अन्य समझौते
िो अंनतम रूप हदये जाने सम्बन्ध में भी प्रगनत हुई।
अध्याय-6
अध्याय-6
ननष्ट्िर्षव
31 अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री पद िी शपथ ग्रहर् िरने ि
े पचचात ् श्ी राजीव गााँधी ने अपनी नीनत वक्तव्य में
यह स्पष्ट्ट किया था कि अपने देशों ि
े साथ मैत्रीपूर्व सम्बन्ध बनाने ि
े आिांक्षी है। उनि
े इस वक्तव्य से यह बैंधी
थी कि ननिट भववष्ट्य में भारत व पड़ोसी देशों ि
े सम्बन्ध सुधरेंगे।
राजीव गााँधी ि
े प्रधानमंत्री बनने ि
े पचचात ् पड़ोसी देशों ि
े नेता ं ने भी सिारात्मि रवैया अपनाते हुए िहा कि
यह एि ऐसा व्यजक्तत्व है जो पुरानो दुचमननयों िो दफना देना चाहता है 3 माचव 1986 िो तत्िाल न पाकिस्तान
राष्ट्रपनत जजया ने एि बहर न समाचार पत्र िो हदये गये साक्षात्िार में िहा था कि राजीव गााँधी ि
े साथ बातें
अथधि स्पष्ट्ट है और हम आशा िरते हैं कि यह जस्थनत बनी रहेगी।‘‘
57.
इस प्रिार पड़ोसीदेशों ि
े नेतरत्वों िी इस अमभव्यजक्त से भारत व पड़ोसी देशों ि
े सम्बन्धों में सुधार िी भावना
बलवती हुई तथा यह उम्मीद िी जाने लगी थी कि शीघ्र ह भारत व पड़ोसी देशों ि
े सम्बन्धों िा एि नवीन
अध्याय प्रारम्भ हो सि
े गा, जजसमें उनि
े बीच अववचवास, घरर्ा और असहयोग ि
े स्थान पर आपसी ववचवास, सौहादव
एवं सहयोग िी भावना वविमसत होगी।
राजीव गााँधी ने पड़ोसी देशों ि
े प्रनत स्पष्ट्ट हटप्पर्ी िरते हुए िहा था कि जब ति पड़ोसी देश आतंिवाहदयों िो
सहायता प्रदान िरना, नशीले पदाथव िी तस्िर व एटमी पर क्षर् िरना बंद नह ं िरते तब ति भारत उनसे िोई
बातचीत नह ं िरेगा।
राजीव गााँधी ि
े िाल में भारत व पड़ोसी देशों ि
े मध्य िटुता बनाये रखने वाले वववादों में जहााँ एि र मसयाथचन
ग्लेमशयर, वुलर पररयोजना, जल ववभाजन, जातीय समस्या, उपननवेशवाद से छ
ु टिारा वह ं दूसर र आन्तररि
मामलों में हस्ताक्षेप, आर्ुववि वविास िायविम आहद प्रमुख थे।
इन वववादों ि
े चलते भारत व पड़ोसी देशों ि
े मध्य सम्बन्ध सुधारने िी जो आशा िी गयी थी वह धूममल हुई
क्योंकि इन समस्या ं में किसी भी समस्या िा साथवि हल नह ं ढूाँढ़ा जा सिा। सद्भावनापूर्व माहौल होने ि
े
बावजूद भी भारत व पड़ोसी देशों ि
े नेता एि दूसरे ि
े प्रनत ववरोधी दावे िरने िी अपनी पुरानी मानमसिता िो
नह ं त्याग सि
े । तथावप प्रधानमंत्री राजीव गााँधी व पड़ोसी देशों ि
े सम्पिों िा सुखद पररर्ाम संयुक्त वाताव ं िा
पुनः आरम्भ होना था, जजसिी वजह से भारत व पड़ोसी देशों ि
े मध्य िर वर्ष अनुसंधान, सांस्िर नति आदान-प्रदान
तथा व्यापाररि वगव ि
े आने-जाने ि
े ननयमों से सम्बजन्धत समझौते सम्भव हो सि
े ।
पाकिस्तान ि
े साथ मसयाथचन सीमा वववाद िो लेिर अक्टूबर 1995 िो न्यूयािव में प्रधानमंत्री राजीव गााँधी और
जनरल जजया ि
े मध्य वाताव हुई थी। परन्तु यह वाताव इस समस्या िा िोई संतोर्षजनि हल नह ं खोज पायी
क्योंकि इस क्षेत्र िो पाकिस्तान अपने उत्तर क्षेत्र िा हहस्सा मानता है। जबकि भारत इस पर अपना अथधिार
जताता है। पाकिस्तानी ववदेश मंत्री अयूब खााँ ने नेशनल असेम्बल में वक्तव्य देते हुए मसयाथचन पर भारत ि
े
अथधिार िो निारते हुए िहा कि मसयाथचन पाकिस्तान िा हहस्सा है। यद्यवप भारत व पाकिस्तान दोनों ह
वाताव ं द्वारा मसयाथचन क्षेत्र सम्बन्धी वववाद ि
े आपसी तनाव िो िम िरना तथा इस ऽ मसले िो सुलझाना
चाहते थे, जजसि
े मलये रक्षा सथचवों ि
े मध्य चौथे चि िी वाताव में मसतम्बर 1988 िो हदकल में सम्पन्न हुई थी।
वाताव ं ि
े अन्त संयुक्त बयान जार िरते हुए दोनों पक्षों ने मसयाथचन मसले िो शाजन्तपूर्व एवं आपसी बातचीत
से मशमला समझौते ि
े अन्तगवत ननपटाने हेतु अपनी प्रनतबद्धता जताई थी ऽ परन्तु पाकिस्तान भारत ि
े इस
प्रस्ताव से सहमत नह ं हुआ कि इस वववाद ि
े ऽ ननपटारे हेतु ववन्दु एन०जे०-9842 ि
े आगे अननधावररत क्षेत्र िो
ननधावररत िरने हेतु ऽ संयुक्त सवेक्षर् िराया जाना चाहहए। अतः इस सन्दभव में अजन्तम चि िी वाताव ं िा िोई
सिारात्मि पररर्ाम नह ं ननिला। इसी तरह वुलर बााँध िा जो िायव भारत सरिार द्वारा हदसम्बर 1904 िो
प्रारम्भ किया गया था, उसे माचव 1989 में रोि देना पड़ा।
िचमीर एि ऐसा थचरस्थायी ववचार है जो ननरन्तर भारत-पाि सम्बन्धों िो प्रभाववत िरता रहा है। मशमला
समझौते ि
े अनुसार इस वववाद िो दोनों राज्यों ि
े मध्य द्ववपक्षीय वाताव ं ि
े द्वारा ननपटाये जाने िा प्रावधान
58.
था जब 1985में राष्ट्रपनत जजया भारत आये तो पुनः इस वववाद िो द्ववपक्षीय वाताव ं ि
े द्वारा ननपढ़ाने िी
प्रनतबद्धता िो दोहराया परन्तु कफर भी पाकिस्तान इस प्रचन िो अन्तरावष्ट्र य मंधों पर उठाने िा उपिम िरता ह
रहा भारत पाकिस्तान ि
े इस व्यवहार से असुववधा िा अनुभव िरता रहा। राजीव गााँधी ि
े प्रधानमंब्रत्रत्व िाल में
भारत-पाि ि
े राजनैनति सम्बन्धों िो प्रभाववत िरने वाले मुद्दों में पाकिस्तान द्वारा पंजाब एवं िचमीर में
आतंिवाद िो भड़िाना तथा उसमें अनेि प्रिार मदद से सम्बजन्धत रहा है। भारत न इस तथ्य िी पुजष्ट्ट में
थगरफ्तार आतंिवाहदयों ि
े बयानों तथा उनसे भार मात्रा में जब्त सामग्री िो जजसमें ए0ि
े 0 47 राइफल भी
सजम्ममलत हैं, साक्ष्य स्वरूप प्रस्तुत किया। लेकिन पाकिस्तान ने भारत इन आरोपों िो गलत बताया।
राजीव गााँधी ने चीन ि
े साथ सम्बन्ध सुधारने िा िाफी प्रयास किया और उन्होंने एि न्यायसंगत ववदेश नीनत िा
पालन िरते हुए िहा कि सीमा वववाद महत्वपूर्व है, पर चीन ि
े साथ इन सभी वववादों पर सुलह, सलाह और
समझौते द्वारा होनी चाहहए। इस दृजष्ट्टिोर् िी वजह से श्ी गांधी ने भारतीय प्रधानमंत्री ि
े रूप में 24 वर्षों ि
े
अन्तराल ि
े बाद चीन िी यात्रा िी और एि बार कफर हहन्द चीनी भाई-भाई िी भावना िा वविास हुआ।
राजीव गााँधी ने पड़ोसी देश श्ीलंिा िी जातीय समस्या ि
े ननदान मलये 29 जुलाई 1987 िो ऐनतहामसि श्ीलंिा
समझौता किया जजसि
े तहत श्ीलंिा में एि नये राजनैनति प्रशासननि ढााँचे िी व्यवस्था िी गई थी, जजसमें
स्वायत्तशासी प्रदेशों िो पुनगवहठत किया जाना था, साथ ह यहद श्ीलंिा सरिार मााँग िरे तो भारत सरिार द्वारा
समझौते िो लागू िरवाने ि
े मलये सैन्य सहायता हदये जाने िा प्रावधान था परन्तु राजीव गााँधी ि
े इन प्रयत्नों ि
े
बावजूद श्ीलंिा िी सेना िा िोई सववमान्य और शाजन्त स्थावपत िरने वाला समाधान नह ं ननिल सिा।