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आ वश्यक निवेदि
प्रस्तुत आध्ययि स मग्री, त लिक एँ एवं लित्र आ दद
श्रीमती स रिक ववक स छ बड़ द्व ि तैय ि वकये
गए हैं |
इिक आन्यत्र एवं आन्य भ ष में उपय ेग कििे के
पूवव उिसे आनिव यवत: संपकव कि िें |
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ग ेम्मटस ि जीवक ण्ड़
आ ि यव िेमीिन्र ससद् ंत-िक्रवतीव द्व ि िलित
Presentation Developed By:
Smt Sarika Vikas Chhabra
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ग थ 1 : मंगि ििण
 ज े ससद्, शुद् एवं आकिंक हैं एवं
 जजिके सद गुणरूपी ित ें के भूषण ें क उदय िहत है,
 एेसे श्री जजिेन्रवि िेलमिंर स्व मी क े िमस्क ि किके
 जीव की प्ररूपण क े कहंग ।
ससद्ं सुद्ं पणलमय जजणणंदविणेलमिंदमकिंकं ।
गुणियणभूसणुदयं जीवस्स परूवणं व ेच्छं॥
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आि ैवकक गणणत क ें पढ़ें?
 जजि गम क े समझिे के लिये
 तीि ि ेक की ववश ित क े समझिे के लिये
 आ त्म आिंत गुण ें की ख ि है, त े वह आिंत वकति
ववश ि है
 संस ि परिभ्रमण आथ वत 5 पि वतवि क े समझिे के लिये
...इत्य दद
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म ि (गणणत)
ि ैवकक आि ैवकक
रव्य
संख्य
21 भेद
उपम
8 भेद
क्षेत्र क ि भ व
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संख्य म ि
संख्य त
ज
.
म. उ.
आसंख्य त
परित
ज. म. उ.
युक्त
ज. म. उ.
आसंख्य त
संख्य त
ज. म. उ.
आिंत
परित
ज. म. उ.
युक्त
ज. म. उ.
आिंत िंत
ज. म. उ.
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संख्य त -
• ज े मनत-श्रुतज्ञ ि क ववषय ह े
आसंख्य त -
• ज े मनत,श्रुत ज्ञ ि क ववषय त े िहीं है िेवकि
आवधिज्ञ ि आ ैि मि:पयवय ज्ञ ि क ववषय ह े
आिंत -
• ज े मनत, श्रुत, आवधि, मि:पयवय ज्ञ ि क ववषय
िहीं है िेवकि के विज्ञ ि क ववषय ह े
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•2जघन्य संख्य त
•कु ण्ड़ ववि िजघन्य परित संख्य त
•ववििि देयजघन्य युक्त संख्य त
•वगवजघन्य आसंख्य त संख्य त
•शि क त्रय निष्ठ पिजघन्य परित िंत
•ववििि देयजघन्य युक्त िंत
•वगवजघन्य आिंत िंत
•शि क त्रय निष्ठ पिउत्कृ ष्ट आिंत िंत
21 में से 8 ि शशय ं हमें निक ििी है-
ववधि
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शेष ि शशय ँ ?
 शेष उत्कृ ष्ट ि शशय ं आ गे के जघन्य में से 1 घट िे पि प्र प्त
ह ेती हैं |
 जघन्य आ ैि उत्कृ ष्ट के बीि की सब ि शशय ं मध्यम भेद हैं |
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संख्य त
=2जघन्य संख्य त
= 3 से (उत्कृ ष्ट संख्य त - 1)मध्यम संख्य त
= जघन्य परित आसंख्य त – 1उत्कृ ष्ट संख्य त
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आसंख्यत
परित आसंख्य त
जघन्य
मध्यम
उत्कृ ष्ट
युक्त आसंख्य त
जघन्य
मध्यम
उत्कृ ष्ट
आसंख्य त संख्य त
जघन्य
मध्यम
उत्कृ ष्टvisit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 11
जघन्य परित आसंख्य त
निक ििे की वविी
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जघन्य परित आसंख्य त
 कु ण्ड़ ववि ि द्व ि -
 4 कु ण्ड़ बि येंगें – आिवस्थ , शि क , प्रनतशि क , मह शि क
आिवस्थ शि क प्रनतशि क मह शि क
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कु ण्ड़ क ें?
आिवस्थ कु ण्ड़ = ज े आवस्स्थत ि िहे, जजसकी ि ैड़
(व्य स) बदित ज ये
शि क कु ण्ड़ = आिवस्थ कु ण्ड़ की गगिती के लिये
प्रनतशि क कु ण्ड़ = शि क कु ण्ड़ की गगिती के लिये
मह शि क कु ण्ड़ = प्रनतशि क कु ण्ड़ की गगिती के लिये
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प्रत्येक कु ण्ड़ क प्रम ण
1000 य ेजि गहि
1,00,000 य ेजि ि ैड़ - जम्बूद्वीप प्रम ण
2 मीि = 1 क ेस
2000 क ेस = 1 य ेजि
1 य ेजि = 2000 x 2 मीि = 4000 मीि
1 ि ख य ेजि = 1 ि ख x 4000 = 40 कि ेड़ मीि
व्य स
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जघन्य परित आसंख्य त
• आिवस्थ कु ण्ड़ में
सिस ें के द िे
भिेंगें (45 आंक
प्रम ण)
• विि ऊपि तक
भी भिि है जब
तक वपि लमड़
(शशख ऊ) जैस
ि बि ज ये (46
आंक प्रम ण )
आिवस्थ
िगभग 10
गुि ज्य द
सिस ें आ येगी
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कु ि सिस ें क प्रम ण
 1997,1129384,5131636,3636363,6363636,3636363,6363636
4
11
 एक हज ि ि ै स ै सत्त िवे क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट, ग्य िह ि ख
उितीस हज ि तीि स ै ि ैि सी क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट, इक वि
ि ख इकतीस हज ि छह स ै छत्तीस क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट, छत्तीस ि ख
छत्तीस हज ि तीि स ै त्रेसठ क ेटट क ेटट क ेटट, तिेसठ ि ख तिेसठ हज ि
छह स ै छत्तीस क ेटट क ेटट छत्तीस ि ख छत्तीस हज ि तीि स ै त्रेसठ क ेटट
तिेसठ ि ख तिेसठ हज ि छह स ै छत्तीस तथ ि ि बटे ग्य िह
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• यह आिवस्थ कु ण्ड़
एक ब ि भि गय ,
आतः शि क कु ण्ड़
में एक सिस ें
ड़ लिये
• आब 1-1 सिस ें क
द ि निक िकि एक
द्वीप, एक समुर में
ड़ िेंगे जब तक वक
स िी सिस ें सम प्त
ि ह े ज ये
भि हुआ
आिवस्थ
शि क
कु ण्ड़
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पुि ि आिवस्थ कु ण्ड़
िय आिवस्थ कु ण्ड़
1000येजिगहि
जजतिेवे द्वीप/समुर पि सिस ें
खत्म हु उति प्रम ण व्य स
 जजस द्वीप पि सिस ें खत्म हु , आब उसक ज े व्य स
(diameter) ह ेग उतिे व्य स व ि आ ैि 1000
य ेजि गहि आिवस्थ कु ण्ड़ बि येंगे
1,00,000 य ेजि ि ैड़
1000येजि
गहि
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िये आिवस्थ कु ण्ड़ क े विि सिस ें से शशख ऊ भिेंगें
शि क कु ण्ड़ में आिग से एक सिस ें क द ि ड़ िेंगे
आ ैि एक-एक सिस ें द्वीप-समुर में ड़ िते ज येंगें जब तक वक आिवस्थ कु ण्ड़
ख िी ि ह े ज ये।
ये process किते-किते जब शि क कु ण्ड़ शशख ऊ तक भि ज येग , तब 1
सिस ें प्रनतशि क कु ण्ड़ में ड़ िेंगे
भि हुआ आिवस्थ भि हुआ शि क प्रनतशि क में 1 सिस ेंvisit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 21
आब शि क कु ण्ड़ क े ख िी कि, बढ़ते हुए व्य स व िे आिवस्थ
कु ण्ड़ बि कि, शि क कु ण्ड़ क े भििे की same process द ेहि ते हैं
जब दूसिी ब ि शि क कु ण्ड़ भित है तब एक आ ैि सिस ें
प्रनतशि क में ड़ िेंगें
भि हुआ शि क प्रनतशि क में 1 आ ैि सिस ेंभि हुआ आिवस्थ
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ये पूिी process प्रनतशि क कु ण्ड़ भििे तक किेंगें
जब प्रनतशि क कु ण्ड़ भि ज य, तब एक सिस ें मह शि क कु ण्ड़ में ड़ िेंगें
भि हुआ आिवस्थ
भि हुआ शि क भि हुआ प्रनतशि क मह श ि क में एक सिस ें
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आब शि क , प्रनतशि क ख िी कि same process किते हैं
जब शि क कु ण्ड़ भि ज य तब एक सिस ें प्रनतशि क में ड़ िेंगें
एेस किते-किते जब प्रनतशि क भि ज य तब एक दूसिी सिस ें मह शि क में ड़ िेंगें
एेस किते-किते जब मह शि क कु ण्ड़ भि ज येग उस समय प्रनतशि क , शि क आ ैि
आिवस्थ कु ण्ड़ भी भि हुआ प्र प्त ह ेग
इस आंनतम आिवस्थ कु ण्ड़ में जजतिी सिस ें क प्रम ण ह ेत है वह जघन्य परित संख्य त
संख्य है
आंनतम आिवस्थ कु ण्ड़ की सिस ें क प्रम ण = जघन्य परित संख्य त
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जघन्य युक्त आसंख्य त
(ववििि देय ि शश ववि ि)
 ववििि = जजतिी ब ि वबखेि ज ये
 देय = जजसे वबखेि ज ये
 जैसे - ववििि = 5, देय = 2
 त े ववििि-देय प्र प्त ि शश = 2 x 2 x 2 x 2 x 2 = 32
 आन्य प्रक ि से = (देय)ववििि
य िे 25 = 32
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जघन्य युक्त आसंख्य त
ज परित संख्य त
ज परित संख्य त
 देय = जघन्य परित संख्य त
 ववििि = जघन्य परित संख्य त
 ववशेष : जघन्य युक्त संख्य त = 1 आ विी के समय
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जघन्य युक्त आसंख्य त
 ज परित संख्य त x ज परित संख्य त x ज परित संख्य त ………….
x ज परित संख्य त x ज परित संख्य त
ज परित संख्य त ब ि
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जघन्य आसंख्य त संख्य त
ववशेष : ज. आसंख्य त संख्य त = प्रति विी (य िे आ विी x आ विी)
जघन्य युक्त असंख्यात
𝟐
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जघन्य परित आिंत
निक ििे की वविी
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शि क त्रय निष्ठ पि
 तीि ि शशय ं स्थ वपत कििी-
1. ववििि 2. देय 3. शि क
 एक ब ि ववििि-देय किके शि क में से एक घट ि ।
 हि ब ि ववििि देय ववि ि कििे पि एक-एक शि क कम-कम किते ज ि
 जब शि क शून्य ह े ज य त े वह एक ब ि निष्ठ पि है।
 ज े आंत में ि शश आ येगी वह मह ि शश ह ेगी ।
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शि क त्रय निष्ठ पि
इस मह ि शश क े पुिः शि क , ववििि, देय रूप
िखि ।
पुिः जब तक शि क ि शश सम प्त िहीं ह े ज ती, तब
तक ववििि-देय ववि ि से ि शशय ं निक िि ।
जब शि क शून्य ह े ज य त े वह दूसिी ब ि निष्ठ पि
है।
ज े आंत में ि शश आ येगी वह मह -मह ि शश ह ेगी ।
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शि क त्रय निष्ठ पि
 इस मह -मह ि शश क े पुिः शि क , ववििि, देय रूप िखि
 पुिः जब तक शि क ि शश सम प्त िहीं ह े ज ती, तब तक
ववििि-देय ववि ि से ि शशय ं निक िि ।
 जब शि क शून्य ह े ज य त े वह तीसिी ब ि निष्ठ पि है।
 ज े आंत में मह -मह -मह ि शश ह ेगी, वह मूि ि शश क
शि क -त्रय निष्ठ पि से प्र प्त ि शश कहि ती है ।
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उदह िण - 2 क शि क त्रय निष्ठ पि
ववििि देय शि क प्र प्त ि शश
2 2 2 2 x 2 = 4 2-1 = 1
4 4 1 4x4x4x4= 256 1-1 = 0
ववििि देय शि क प्र प्त ि शश
256 256 256 256256 256-1 =255
256256 256256 255
एक ब ि शि क निष्ठ पि
दूसिी ब ि शि क निष्ठ पि
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ववििि देय शि क प्र प्त ि शश
मह मह ि शश मह मह ि शश मह मह ि शश मह मह मह ि शश शि क
-1
मह मह मह ि शश मह मह मह ि शश मह मह ि शश-1 मह मह मह ि शश (शि क
-1) -1
……..
…. …. …. ….
मह मह मह मह ि शश
शि क = 0
तीसिी ब ि शि क निष्ठ पि
उदह िण - 2 क शि क त्रय निष्ठ पि
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आिंत
सक्षय आिंत
खिव किते-किते जजस ि शश
क आंत आ ज य
आक्षय आिंत
िवीि वृणद् िहीं ह ेिे पि भी खिव
किते-किते जजस ि शश क आंत िहीं
आ वेvisit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 35
जघन्य परित आिंत
1. जघन्य आसंख्य त संख्य त क शि क त्रय निष्ठ पि (=A)
2. 6 ि शश इसमें ज ेड़ें (=B) :
(1) 1 जीव के प्रदेश ें की संख्य := ि ेक प्रम ण आसंख्य त
(2) िमव रव्य के प्रदेश ें की संख्य =ि ेक प्रम ण आसंख्य त
(3) आिमव रव्य के प्रदेश ें की संख्य =ि ेक प्रम ण आसंख्य त
(4) ि ेक क श के प्रदेश ें की संख्य =ि ेक प्रम ण आसंख्य त
(5) आप्रनतधष्ठत प्रत्येक विस्पनत जीव ें की संख्य =आसंख्य त ि ेक प्रम ण
(6) सप्रनतधष्ठत प्रत्येक विस्पनत की संख्य =आसंख्य त ि ेक प्रम ण
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ि ेक प्रम ण आसंख्य त = आसंख्य त ि ेक प्रम ण =
 ि ेक क श में जजतिे प्रदेश हैं वे,
i.e. आसंख्य त
 ि ेक क श के आसंख्य त प्रदेश ें से
आसंख्य त गुण
आसंख्य त ि ेक प्रम ण आ ैि ि ेक प्रम ण आसंख्य त में आंति
ि ेक प्रम ण आसंख्य त आसंख्य त ि ेक प्रम ण
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जघन्य परित आिंत
3. B क शि क त्रय निष्ठ पि किें = C
4. इसमें 4 ि शश ज ेड़ें, D = :
(1) 1 कल्पक ि के समय = 20 क ेड़ -क ेड़ी स गि
(2) स्स्थनत-बंि आध्यवस य स्थ ि ें की संख्य = आसंख्य त ि ेक प्रम ण
(3) आिुभ ग-बंि आध्यवस य स्थ ि ें की संख्य =आसंख्य त ि ेक प्रम ण
(4) मि, विि, क य के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य =आसंख्य त ि ेक प्रम ण
5. D क शि क त्रय निष्ठ पि = जघन्य परित आिंत
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•स्स्थनत बंि के क िणभूत जीव ें
के परिण म ें के स्थ ि (संख्य )
स्स्थनतबंि
आध्यवस य स्थ ि
•आिुभ ग बंि के क िणभूत जीव ें
के परिण म ें के स्थ ि (संख्य )
आिुभ गबंि
आध्यवस य स्थ ि
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A= • (ज. आसंख्य त संख्य त) क शि क त्रय निष्ठ पि
B = • A + 6 ि शश
C = • (B) क शि क त्रय निष्ठ पि
D = • C + 4 ि शश
जघन्य
परित िंत
• (D) क शि क त्रय निष्ठ पि
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जघन्य परित आिंत
जघन्य परित आिंत
जघन्य युक्त आिंत
आभव्य जीव ि शश जघन्य युक्त आिंत प्रम ण है
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जघन्य आिंत िंत =
(जघन्य युक्त आिंत) 2
जघन्य आिंत िंत
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1) जघन्य आिंत िंत क शि क त्रय निष्ठ पि (=A)
2) आब इस मह ि शश में 6 ि शश ज ेड़ें B= :
1) ससद् ें की ि शश
2) निग ेद ि शश {संस ि ि शश –(पृथ्वीक य दी ि ि + प्रत्येक विस्पनत + त्रस ि शश )}
3) प्रत्येक विस्पनत सटहत निग ेद ि शश {संस ि ि शश –(पृथ्वीक य दी ि ि+ त्रस ि शश )}
4) पुद्गि ें की संख्य
5) तीि क ि के समय
6) आ क श के प्रदेश ें की संख्य
उत्कृ ष्ट आिंत िंत
आिंत
गुणी
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उत्कृ ष्ट आिंत िंत
3) B क शि क त्रय निष्ठ पि = C मह ि शश
4) इसमें िमव, आिमव रव्य के आगुरुिघु गुण के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें
की संख्य ज ेड़ें = D मह मह ि शश
5) D मह मह ि शश क शि क त्रय निष्ठ पि किें = E
6) F = के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य - E
जह ं F + E = के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य =
उत्कृ ष्ट आिंत िंत
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A= • जघन्य आिंत िंत क शि क त्रय निष्ठ पि
B = • A + 6 ि शश
C = • B क शि क त्रय निष्ठ पि
D = • C + 2 ि शश
E= • D क शि क त्रय निष्ठ पि
F = • के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य - E
उत्कृ ष्ट आिंत िंत = • F + E
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म ि भेद प्रम ण
संख्य त जघन्य संख्य त 2
उत्कृ ष्ट संख्य त जघन्य परित आसंख्य त – 1
आसंख्य त जघन्य परित संख्य त आंनतम आिवस्थ कु ण्ड़ प्रम ण सिस ें
उत्कृ ष्ट परित संख्य त जघन्य युक्त आसंख्य त – 1
जघन्य युक्त आसंख्य त (ज परित संख्य त) ज परित संख्य त
उत्कृ ष्ट युक्त आसंख्य त जघन्य आसंख्य त संख्य त -1
जघन्य आसंख्य त संख्य त (जघन्य युक्त आसंख्य त)2
उत्कृ ष्ट आसंख्य त संख्य त (जघन्य परित िंत) -1
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म ि भेद प्रम ण
आिंत जघन्य परित आिंत -
उत्कृ ष्ट परित आिंत जघन्य युक्त आिंत -1
जघन्य युक्त आिंत (जघन्य परित आिंत) जघन्य परित आिंत
उत्कृ ष्ट युक्त आिंत जघन्य आिंत िंत -1
जघन्य आिंत िंत (जघन्य युक्त आिंत) 2
उत्कृ ष्ट आिंत िंत
के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें
की संख्य
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उपम म ि
गणि के द्व ि कहिे में आसमथव एेसी ज े ि शश, उसक वकसी उपम के द्व ि
प्रनतप दि किि
पल्य स गि सूच्यंगुि प्रति ंगुि घि ंगुि
जगतश्रे
णी
जगत्प्रतर जगतघन
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वकसक म ि वकय
ज त है?
भेद
पल्य
व्यवह ि पल्य
ि ेमखण्ड़ ें
क प्रम ण
उद् ि पल्य
द्वीप-समुर ें
की संख्य
आद् पल्य
कम ेों की
स्स्थनत आ दद
आथ वत गड्ढ
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व्यवह ि पल्य
 1 य ेजि प्रम ण गहि आ ैि ि ैड़
गड्ढ किि
 उत्तम भ ेगभूलम में जन्में 7 ददि
तक के मेंढ़े के ब ि ें के आग्रभ ग
से (जजिकी िंब , ि ैड़ सम ि
ह े) उस गड्ढे क े ठ ेस (flat)
भिि
 जजतिे ि ेमखण्ड़ आ येंगें उति
व्यवह ि पल्य ह ेत है
1 योजन गहरा
1 योजन चौड़ा
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 पुि: उि एक एक ि ेमखण्ड़
क े 100 - 100 वषव ज िे पि
निक िेंगें, त े जजतिे क ि में
वे सब सम प्त ह ेंगें व े व्यवह ि
पल्य क क ि है
 आथ वत ि ेम ें की संख्य में
100 वषव क गुण कििे पि
व्यवह ि पल्य क क ि आ येग
|
100 वर्ष
में एक
रोम
ननकालेंगे
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18= X 65= X 18 X 19 X 1018
आथव
(65536)5 X 18 X 19 X 1018
ि ेम ें की संख्य
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व्यवह ि पल्य के वषव
45 आंक प्रम ण x 100 वषव =
47 आंक प्रम ण वषव =
संख्य त वषव
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व्यवह ि पल्य
संख्य त
वषव =
मध्यम
युक्त संख्य त
समय
=
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व्यवह ि पल्य के समय समूह क प्रम ण
45 आंक प्रम ण ब ि ग्र x 100 वषव x 2 आयि
x 3 ऋतु x 2 म स x 30 आह ेि नत्र x 30
मुहतव x संख्य त हज ि कि ेड़ आ वलि x
ज.युक्त संख्य त समय
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उद् ि पल्य
 व्यवह ि पल्य की ि ेम ि शश में से प्रत्येक ि ेम खण्ड़ के ,
 आसंख्य त वष ेों के जजतिे समय ह े उतिे खण्ड़ किके ,
 उिसे दूसिे पल्य क े भिकि पुि: एक-एक समय में एक-एक
ि ेम खण्ड़ निक िें ।
 इस प्रक ि जजतिे समय में वह दूसि पल्य ख िी ह ेत है,
उति क ि उद् ि पल्य क है ।
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उद् ि पल्य
आसंख्य त
कि ेड़ वषव में
एक ि ेम
निक िेंगे
आसंख्य त कि ेड़ वषव में
जजतिे समय ह ेते हैं उतिे
एक ि ेम के टुकड़े किेंगे
प्रनतसमय एक
ि ेम निक िेंगे
आथव
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व्यवह ि पल्य की ि ेम संख्य x आसंख्य त वष ेों
के समय = उद् ि पल्य के समय
आथ वत आसंख्य त वषव
उद् ि पल्य
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द्वीप-समुर ें की संख्य
 25 क ेड़ क ेड़ी उद् ि पल्य ें के समय प्रम ण मध्य-ि ेक में द्वीप-समुर ें की
संख्य है य िे
 25 क ेड़ क ेड़ी x 1 उद् ि पल्य ें के समय = कु ि द्वीप-समुर य िे
 25 x 1014
x 1 उद् ि पल्य = कु ि द्वीप-समुर
 (उद् ि पल्य से गुण वकय य िे उसमें आ िे व िे समय ें की संख्य से गुण वकय )
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आद् पल्य
 उद् ि पल्य की ि ेम ि शश में से प्रत्येक ि ेम खण्ड़ के ,
 आसंख्य त वष ेों के जजतिे समय ह े उतिे खण्ड़ किके ,
 उिसे दूसिे पल्य क े भिकि पुि: एक-एक समय में एक-एक
ि ेम खण्ड़ निक िें ।
 इस प्रक ि जजतिे समय में वह दूसि पल्य ख िी ह ेत है,
उति क ि आद् पल्य क है ।
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आद् पल्य
आसंख्य त
वषव में एक
ि ेम निक िेंगे
आसंख्य त वषव में जजतिे
समय ह ेते हैं उतिे एक ि ेम
के टुकड़े किेंगे
प्रनत समय
एक ि ेम
निक िेंगे
आथव
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उद् ि पल्य के समय x आसंख्य त वष ेों के समय
आद् पल्य
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• आसंख्य त
गुि
व्यवह ि
पल्य
• आसंख्य त
गुि
उद् ि पल्य
आद् पल्य
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सगि
व्यवह ि स गि =
व्यवह ि पल्य x 10 क ेड़
क ेड़ी
उद् ि स गि =
उद् ि पल्य x 10 क ेड़
क ेड़ी
आद् स गि =
आद् पल्य x 10 क ेड़
क ेड़ी
1 स गि = 10 क ेड़ -क ेड़ी पल्य
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पिम णु
ज े सुतीक्ष्ण शस्त्र से भी छेदिे-भेदिे आ ैि म ेड़िे के लिए आशक है
जि, आगि आ दद से ि श क े प्र प्त िहीं ह ेत
1 िस, 1 गंि, 1 रूप आ ैि 2 स्पशव - एेसे 5 गुण संयुक्त है
शब्दरूप स्कं ि क क िण है वकन्तु स्वयं शब्द िहीं है
आ दद, मध्य आ ैि आंत से िटहत है
बहुप्रदेशी ि ह ेिे से आप्रदेशी है
इन्द्न्रय ें के द्व ि ज ििे के आय ेग्य है
जजसक ववभ ग िहीं ह े सकत है उस रव्य क े पिम णु कहते हैं ।
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आिंत िंत पिम णु = स्कं ि = आवसन्न सन्न
8 आवसन्न सन्न = सन्न सन्न
8 सन्न सन्न = तृटिेणु
8 तृटिेणु = त्रसिेणु
8 त्रसिेणु = िथिेणु
8 िथिेणु = उत्तम भ ेगभूलम ब ि ग्र
8 उत्तम भ ेगभूलम ब ि ग्र = मध्यम भ ेगभूलम ब ि ग्र
8 मध्यम भ ेगभूलम ब ि ग्र = जघन्य भ ेगभूलम ब ि ग्र
8 जघन्य भ ेगभूलम ब ि ग्र = कमवभूलम क ब ि ग्र
8 कमवभूलम क ब ि ग्र = 1 िीख
8 िीख = सिस ें
8 सिस ें = ज ै
8 ज ै = 1 आंगुि (सूच्यंगुि/ उत्सेि ंगुि)
उत्सेि ंगुि क ववि ि
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आंगुि उत्सेि ंगुि/व्यवह ि आंगुि 8 ज ै प्रम ण (
𝟑
𝟒
इंि)
प्रम ण ंगुि उत्सेि ंगुि से 500 गुि
आ त्म ंगुि
आपिे-आपिे क ि में वतवम ि
जीव ें क आपि आंगुि
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वकस आंगुि से क ि प ज त है?
उत्सेि ंगुि/व्यवह ि
आंगुि
शिीि की आवग हि ,
िगि ें, ववम ि ें की ऊँ ि
आ दद
प्रम ण ंगुि
द्वीप, समुर, पववत, िदी
आ दद आकृ नत्रम ििि यें
आ त्म ंगुि
आपिे-आपिे क ि के
बतवि, झ िी, किश
इत्य दद
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सूच्यंगुि (प्रम ण ंगुि)
 सूच्यंगुि = (आद् पल्य) आद् पल्य के आिवच्छेद
 = सूच्यंगुि में प्रदेश ें की संख्य
 प्रति ंगुि = सूच्यंगुि x सूच्यंगुि
 घि ंगुि = सूच्यंगुि x सूच्यंगुि x सूच्यंगुि
 Ex म ि सू. =16, त े प्र =256, घ = 4096
 500 उत्सेि आंगुि प्रम ण, आवसवपवणी क ि के प्रथम िक्रवतीव भित के
एक आंगुि क ि म ही प्रम ण ंगुि है
 आिवच्छेद = वकसी ि शश क े जजतिी ब ि आ ि -आ ि कििे पि 1 शेष िहे
 Ex = 64 के आिवच्छेद = 64,32,16,8,4,2,1 = 6 आिवच्छेद
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सूच्यंगुि = (आद् पल्य)आद् पल्य के आिवच्छेद
प्रति ंगुि = (सूच्यंगुि) 2
घि ंगुि =(सूच्यंगुि)3
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3 आंगुि
सूच्यंगुि
प्रति ंगुि घि ंगुि
सूच्यंगुि
सू
च्यं
गु
ि
सू
च्यं
गु
ि
सूच्यंगुि
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य ेजि क ववि ि
6 आंगुि 1 प द
2 प द 1 वविस्त
2 वविस्त 1 ह थ
4 ह थ 1 ििुष
2000 ििुष 1 क ेस
4 क ेस 1 य ेजि (व्यवह ि य ेजि)
4 क ेस x 500 = 2000 क ेस 1 य ेजि (प्रम ण य ेजि)
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= (घि ंगुि) पल्य के आिवच्छेद क आसंख्य तव भ ग
= (घि ंगुि) पल्य के आिवच्छेद/आसंख्य त
= 7 ि जू
= 7 ि जू प्रम ण आ क श की 1 प्रदेश की 1 पंलक्त में
प्रदेश ें की संख्य
जगत्श्रेणी
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= (जगत्श्रेणी) 2
=जगत्श्रेणी x जगत्श्रेणी
जगत्प्रति
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= जगत्श्रेणी x जगत्श्रेणी x जगत्श्रेणी
= ( जगत्श्रेणी )3
= ि ेक के प्रदेश ें की संख्य
= 1 जीव के प्रदेश ें की संख्य
= मध्यम आसंख्य त संख्य त
जगतघि
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जगत्श्रेणी = 7 ि जू
जगत्प्रति = (जगत्श्रेणी) 2
जगतघि =(जगत्श्रेणी)3
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जगत्श्रेणी जगत्प्रति जगतघि
7 ि जू
7 ि जू
7
ि
जू
7 ि जू
7
ि
जू
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आि ैवकक म ि
म ि
रव्य म ि
क्षेत्र म ि
क ि म ि
भ व म ि
जघन्य
1 पिम णु
1 प्रदेश
1 समय
सूक्ष्म निग ेददय िस्ब्ि
आपय वप्तक के ज्ञ ि के
आववभ ग-प्रनतच्छेद
उत्कृ ष्ट
सभी रव्य ें क प्रम ण
संपूणव आ क श के
प्रदेश
तीि क ि के समय
प्रम ण
के विज्ञ ि के
आववभ ग-प्रनतच्छेदvisit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 78
 Reference : श्री नत्रि ेकस िजी, सम्यग्ज्ञ ि िंदरक जीवक ण्ड़
जी
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  • 1. आ वश्यक निवेदि प्रस्तुत आध्ययि स मग्री, त लिक एँ एवं लित्र आ दद श्रीमती स रिक ववक स छ बड़ द्व ि तैय ि वकये गए हैं | इिक आन्यत्र एवं आन्य भ ष में उपय ेग कििे के पूवव उिसे आनिव यवत: संपकव कि िें | visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 1
  • 2. ग ेम्मटस ि जीवक ण्ड़ आ ि यव िेमीिन्र ससद् ंत-िक्रवतीव द्व ि िलित Presentation Developed By: Smt Sarika Vikas Chhabra visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 2
  • 3. ग थ 1 : मंगि ििण  ज े ससद्, शुद् एवं आकिंक हैं एवं  जजिके सद गुणरूपी ित ें के भूषण ें क उदय िहत है,  एेसे श्री जजिेन्रवि िेलमिंर स्व मी क े िमस्क ि किके  जीव की प्ररूपण क े कहंग । ससद्ं सुद्ं पणलमय जजणणंदविणेलमिंदमकिंकं । गुणियणभूसणुदयं जीवस्स परूवणं व ेच्छं॥ visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 3
  • 4. आि ैवकक गणणत क ें पढ़ें?  जजि गम क े समझिे के लिये  तीि ि ेक की ववश ित क े समझिे के लिये  आ त्म आिंत गुण ें की ख ि है, त े वह आिंत वकति ववश ि है  संस ि परिभ्रमण आथ वत 5 पि वतवि क े समझिे के लिये ...इत्य दद visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 4
  • 5. म ि (गणणत) ि ैवकक आि ैवकक रव्य संख्य 21 भेद उपम 8 भेद क्षेत्र क ि भ व visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 5
  • 6. संख्य म ि संख्य त ज . म. उ. आसंख्य त परित ज. म. उ. युक्त ज. म. उ. आसंख्य त संख्य त ज. म. उ. आिंत परित ज. म. उ. युक्त ज. म. उ. आिंत िंत ज. म. उ. visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 6
  • 7. संख्य त - • ज े मनत-श्रुतज्ञ ि क ववषय ह े आसंख्य त - • ज े मनत,श्रुत ज्ञ ि क ववषय त े िहीं है िेवकि आवधिज्ञ ि आ ैि मि:पयवय ज्ञ ि क ववषय ह े आिंत - • ज े मनत, श्रुत, आवधि, मि:पयवय ज्ञ ि क ववषय िहीं है िेवकि के विज्ञ ि क ववषय ह े visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 7
  • 8. •2जघन्य संख्य त •कु ण्ड़ ववि िजघन्य परित संख्य त •ववििि देयजघन्य युक्त संख्य त •वगवजघन्य आसंख्य त संख्य त •शि क त्रय निष्ठ पिजघन्य परित िंत •ववििि देयजघन्य युक्त िंत •वगवजघन्य आिंत िंत •शि क त्रय निष्ठ पिउत्कृ ष्ट आिंत िंत 21 में से 8 ि शशय ं हमें निक ििी है- ववधि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 8
  • 9. शेष ि शशय ँ ?  शेष उत्कृ ष्ट ि शशय ं आ गे के जघन्य में से 1 घट िे पि प्र प्त ह ेती हैं |  जघन्य आ ैि उत्कृ ष्ट के बीि की सब ि शशय ं मध्यम भेद हैं | visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 9
  • 10. संख्य त =2जघन्य संख्य त = 3 से (उत्कृ ष्ट संख्य त - 1)मध्यम संख्य त = जघन्य परित आसंख्य त – 1उत्कृ ष्ट संख्य त visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 10
  • 11. आसंख्यत परित आसंख्य त जघन्य मध्यम उत्कृ ष्ट युक्त आसंख्य त जघन्य मध्यम उत्कृ ष्ट आसंख्य त संख्य त जघन्य मध्यम उत्कृ ष्टvisit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 11
  • 12. जघन्य परित आसंख्य त निक ििे की वविी visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 12
  • 13. जघन्य परित आसंख्य त  कु ण्ड़ ववि ि द्व ि -  4 कु ण्ड़ बि येंगें – आिवस्थ , शि क , प्रनतशि क , मह शि क आिवस्थ शि क प्रनतशि क मह शि क visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 13
  • 14. कु ण्ड़ क ें? आिवस्थ कु ण्ड़ = ज े आवस्स्थत ि िहे, जजसकी ि ैड़ (व्य स) बदित ज ये शि क कु ण्ड़ = आिवस्थ कु ण्ड़ की गगिती के लिये प्रनतशि क कु ण्ड़ = शि क कु ण्ड़ की गगिती के लिये मह शि क कु ण्ड़ = प्रनतशि क कु ण्ड़ की गगिती के लिये visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 14
  • 15. प्रत्येक कु ण्ड़ क प्रम ण 1000 य ेजि गहि 1,00,000 य ेजि ि ैड़ - जम्बूद्वीप प्रम ण 2 मीि = 1 क ेस 2000 क ेस = 1 य ेजि 1 य ेजि = 2000 x 2 मीि = 4000 मीि 1 ि ख य ेजि = 1 ि ख x 4000 = 40 कि ेड़ मीि व्य स visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 15
  • 16. जघन्य परित आसंख्य त • आिवस्थ कु ण्ड़ में सिस ें के द िे भिेंगें (45 आंक प्रम ण) • विि ऊपि तक भी भिि है जब तक वपि लमड़ (शशख ऊ) जैस ि बि ज ये (46 आंक प्रम ण ) आिवस्थ िगभग 10 गुि ज्य द सिस ें आ येगी visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 16
  • 17. कु ि सिस ें क प्रम ण  1997,1129384,5131636,3636363,6363636,3636363,6363636 4 11  एक हज ि ि ै स ै सत्त िवे क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट, ग्य िह ि ख उितीस हज ि तीि स ै ि ैि सी क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट, इक वि ि ख इकतीस हज ि छह स ै छत्तीस क ेटट क ेटट क ेटट क ेटट, छत्तीस ि ख छत्तीस हज ि तीि स ै त्रेसठ क ेटट क ेटट क ेटट, तिेसठ ि ख तिेसठ हज ि छह स ै छत्तीस क ेटट क ेटट छत्तीस ि ख छत्तीस हज ि तीि स ै त्रेसठ क ेटट तिेसठ ि ख तिेसठ हज ि छह स ै छत्तीस तथ ि ि बटे ग्य िह visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 17
  • 18. visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 18
  • 19. • यह आिवस्थ कु ण्ड़ एक ब ि भि गय , आतः शि क कु ण्ड़ में एक सिस ें ड़ लिये • आब 1-1 सिस ें क द ि निक िकि एक द्वीप, एक समुर में ड़ िेंगे जब तक वक स िी सिस ें सम प्त ि ह े ज ये भि हुआ आिवस्थ शि क कु ण्ड़ visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 19
  • 20. पुि ि आिवस्थ कु ण्ड़ िय आिवस्थ कु ण्ड़ 1000येजिगहि जजतिेवे द्वीप/समुर पि सिस ें खत्म हु उति प्रम ण व्य स  जजस द्वीप पि सिस ें खत्म हु , आब उसक ज े व्य स (diameter) ह ेग उतिे व्य स व ि आ ैि 1000 य ेजि गहि आिवस्थ कु ण्ड़ बि येंगे 1,00,000 य ेजि ि ैड़ 1000येजि गहि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 20
  • 21. िये आिवस्थ कु ण्ड़ क े विि सिस ें से शशख ऊ भिेंगें शि क कु ण्ड़ में आिग से एक सिस ें क द ि ड़ िेंगे आ ैि एक-एक सिस ें द्वीप-समुर में ड़ िते ज येंगें जब तक वक आिवस्थ कु ण्ड़ ख िी ि ह े ज ये। ये process किते-किते जब शि क कु ण्ड़ शशख ऊ तक भि ज येग , तब 1 सिस ें प्रनतशि क कु ण्ड़ में ड़ िेंगे भि हुआ आिवस्थ भि हुआ शि क प्रनतशि क में 1 सिस ेंvisit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 21
  • 22. आब शि क कु ण्ड़ क े ख िी कि, बढ़ते हुए व्य स व िे आिवस्थ कु ण्ड़ बि कि, शि क कु ण्ड़ क े भििे की same process द ेहि ते हैं जब दूसिी ब ि शि क कु ण्ड़ भित है तब एक आ ैि सिस ें प्रनतशि क में ड़ िेंगें भि हुआ शि क प्रनतशि क में 1 आ ैि सिस ेंभि हुआ आिवस्थ visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 22
  • 23. ये पूिी process प्रनतशि क कु ण्ड़ भििे तक किेंगें जब प्रनतशि क कु ण्ड़ भि ज य, तब एक सिस ें मह शि क कु ण्ड़ में ड़ िेंगें भि हुआ आिवस्थ भि हुआ शि क भि हुआ प्रनतशि क मह श ि क में एक सिस ें visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 23
  • 24. आब शि क , प्रनतशि क ख िी कि same process किते हैं जब शि क कु ण्ड़ भि ज य तब एक सिस ें प्रनतशि क में ड़ िेंगें एेस किते-किते जब प्रनतशि क भि ज य तब एक दूसिी सिस ें मह शि क में ड़ िेंगें एेस किते-किते जब मह शि क कु ण्ड़ भि ज येग उस समय प्रनतशि क , शि क आ ैि आिवस्थ कु ण्ड़ भी भि हुआ प्र प्त ह ेग इस आंनतम आिवस्थ कु ण्ड़ में जजतिी सिस ें क प्रम ण ह ेत है वह जघन्य परित संख्य त संख्य है आंनतम आिवस्थ कु ण्ड़ की सिस ें क प्रम ण = जघन्य परित संख्य त visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 24
  • 25. जघन्य युक्त आसंख्य त (ववििि देय ि शश ववि ि)  ववििि = जजतिी ब ि वबखेि ज ये  देय = जजसे वबखेि ज ये  जैसे - ववििि = 5, देय = 2  त े ववििि-देय प्र प्त ि शश = 2 x 2 x 2 x 2 x 2 = 32  आन्य प्रक ि से = (देय)ववििि य िे 25 = 32 visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 25
  • 26. जघन्य युक्त आसंख्य त ज परित संख्य त ज परित संख्य त  देय = जघन्य परित संख्य त  ववििि = जघन्य परित संख्य त  ववशेष : जघन्य युक्त संख्य त = 1 आ विी के समय visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 26
  • 27. जघन्य युक्त आसंख्य त  ज परित संख्य त x ज परित संख्य त x ज परित संख्य त …………. x ज परित संख्य त x ज परित संख्य त ज परित संख्य त ब ि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 27
  • 28. जघन्य आसंख्य त संख्य त ववशेष : ज. आसंख्य त संख्य त = प्रति विी (य िे आ विी x आ विी) जघन्य युक्त असंख्यात 𝟐 visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 28
  • 29. जघन्य परित आिंत निक ििे की वविी visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 29
  • 30. शि क त्रय निष्ठ पि  तीि ि शशय ं स्थ वपत कििी- 1. ववििि 2. देय 3. शि क  एक ब ि ववििि-देय किके शि क में से एक घट ि ।  हि ब ि ववििि देय ववि ि कििे पि एक-एक शि क कम-कम किते ज ि  जब शि क शून्य ह े ज य त े वह एक ब ि निष्ठ पि है।  ज े आंत में ि शश आ येगी वह मह ि शश ह ेगी । visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 30
  • 31. शि क त्रय निष्ठ पि इस मह ि शश क े पुिः शि क , ववििि, देय रूप िखि । पुिः जब तक शि क ि शश सम प्त िहीं ह े ज ती, तब तक ववििि-देय ववि ि से ि शशय ं निक िि । जब शि क शून्य ह े ज य त े वह दूसिी ब ि निष्ठ पि है। ज े आंत में ि शश आ येगी वह मह -मह ि शश ह ेगी । visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 31
  • 32. शि क त्रय निष्ठ पि  इस मह -मह ि शश क े पुिः शि क , ववििि, देय रूप िखि  पुिः जब तक शि क ि शश सम प्त िहीं ह े ज ती, तब तक ववििि-देय ववि ि से ि शशय ं निक िि ।  जब शि क शून्य ह े ज य त े वह तीसिी ब ि निष्ठ पि है।  ज े आंत में मह -मह -मह ि शश ह ेगी, वह मूि ि शश क शि क -त्रय निष्ठ पि से प्र प्त ि शश कहि ती है । visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 32
  • 33. उदह िण - 2 क शि क त्रय निष्ठ पि ववििि देय शि क प्र प्त ि शश 2 2 2 2 x 2 = 4 2-1 = 1 4 4 1 4x4x4x4= 256 1-1 = 0 ववििि देय शि क प्र प्त ि शश 256 256 256 256256 256-1 =255 256256 256256 255 एक ब ि शि क निष्ठ पि दूसिी ब ि शि क निष्ठ पि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 33
  • 34. ववििि देय शि क प्र प्त ि शश मह मह ि शश मह मह ि शश मह मह ि शश मह मह मह ि शश शि क -1 मह मह मह ि शश मह मह मह ि शश मह मह ि शश-1 मह मह मह ि शश (शि क -1) -1 …….. …. …. …. …. मह मह मह मह ि शश शि क = 0 तीसिी ब ि शि क निष्ठ पि उदह िण - 2 क शि क त्रय निष्ठ पि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 34
  • 35. आिंत सक्षय आिंत खिव किते-किते जजस ि शश क आंत आ ज य आक्षय आिंत िवीि वृणद् िहीं ह ेिे पि भी खिव किते-किते जजस ि शश क आंत िहीं आ वेvisit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 35
  • 36. जघन्य परित आिंत 1. जघन्य आसंख्य त संख्य त क शि क त्रय निष्ठ पि (=A) 2. 6 ि शश इसमें ज ेड़ें (=B) : (1) 1 जीव के प्रदेश ें की संख्य := ि ेक प्रम ण आसंख्य त (2) िमव रव्य के प्रदेश ें की संख्य =ि ेक प्रम ण आसंख्य त (3) आिमव रव्य के प्रदेश ें की संख्य =ि ेक प्रम ण आसंख्य त (4) ि ेक क श के प्रदेश ें की संख्य =ि ेक प्रम ण आसंख्य त (5) आप्रनतधष्ठत प्रत्येक विस्पनत जीव ें की संख्य =आसंख्य त ि ेक प्रम ण (6) सप्रनतधष्ठत प्रत्येक विस्पनत की संख्य =आसंख्य त ि ेक प्रम ण visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 36
  • 37. ि ेक प्रम ण आसंख्य त = आसंख्य त ि ेक प्रम ण =  ि ेक क श में जजतिे प्रदेश हैं वे, i.e. आसंख्य त  ि ेक क श के आसंख्य त प्रदेश ें से आसंख्य त गुण आसंख्य त ि ेक प्रम ण आ ैि ि ेक प्रम ण आसंख्य त में आंति ि ेक प्रम ण आसंख्य त आसंख्य त ि ेक प्रम ण visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 37
  • 38. जघन्य परित आिंत 3. B क शि क त्रय निष्ठ पि किें = C 4. इसमें 4 ि शश ज ेड़ें, D = : (1) 1 कल्पक ि के समय = 20 क ेड़ -क ेड़ी स गि (2) स्स्थनत-बंि आध्यवस य स्थ ि ें की संख्य = आसंख्य त ि ेक प्रम ण (3) आिुभ ग-बंि आध्यवस य स्थ ि ें की संख्य =आसंख्य त ि ेक प्रम ण (4) मि, विि, क य के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य =आसंख्य त ि ेक प्रम ण 5. D क शि क त्रय निष्ठ पि = जघन्य परित आिंत visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 38
  • 39. •स्स्थनत बंि के क िणभूत जीव ें के परिण म ें के स्थ ि (संख्य ) स्स्थनतबंि आध्यवस य स्थ ि •आिुभ ग बंि के क िणभूत जीव ें के परिण म ें के स्थ ि (संख्य ) आिुभ गबंि आध्यवस य स्थ ि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 39
  • 40. A= • (ज. आसंख्य त संख्य त) क शि क त्रय निष्ठ पि B = • A + 6 ि शश C = • (B) क शि क त्रय निष्ठ पि D = • C + 4 ि शश जघन्य परित िंत • (D) क शि क त्रय निष्ठ पि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 40
  • 41. जघन्य परित आिंत जघन्य परित आिंत जघन्य युक्त आिंत आभव्य जीव ि शश जघन्य युक्त आिंत प्रम ण है visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 41
  • 42. जघन्य आिंत िंत = (जघन्य युक्त आिंत) 2 जघन्य आिंत िंत visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 42
  • 43. 1) जघन्य आिंत िंत क शि क त्रय निष्ठ पि (=A) 2) आब इस मह ि शश में 6 ि शश ज ेड़ें B= : 1) ससद् ें की ि शश 2) निग ेद ि शश {संस ि ि शश –(पृथ्वीक य दी ि ि + प्रत्येक विस्पनत + त्रस ि शश )} 3) प्रत्येक विस्पनत सटहत निग ेद ि शश {संस ि ि शश –(पृथ्वीक य दी ि ि+ त्रस ि शश )} 4) पुद्गि ें की संख्य 5) तीि क ि के समय 6) आ क श के प्रदेश ें की संख्य उत्कृ ष्ट आिंत िंत आिंत गुणी visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 43
  • 44. उत्कृ ष्ट आिंत िंत 3) B क शि क त्रय निष्ठ पि = C मह ि शश 4) इसमें िमव, आिमव रव्य के आगुरुिघु गुण के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य ज ेड़ें = D मह मह ि शश 5) D मह मह ि शश क शि क त्रय निष्ठ पि किें = E 6) F = के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य - E जह ं F + E = के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य = उत्कृ ष्ट आिंत िंत visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 44
  • 45. A= • जघन्य आिंत िंत क शि क त्रय निष्ठ पि B = • A + 6 ि शश C = • B क शि क त्रय निष्ठ पि D = • C + 2 ि शश E= • D क शि क त्रय निष्ठ पि F = • के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य - E उत्कृ ष्ट आिंत िंत = • F + E visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 45
  • 46. म ि भेद प्रम ण संख्य त जघन्य संख्य त 2 उत्कृ ष्ट संख्य त जघन्य परित आसंख्य त – 1 आसंख्य त जघन्य परित संख्य त आंनतम आिवस्थ कु ण्ड़ प्रम ण सिस ें उत्कृ ष्ट परित संख्य त जघन्य युक्त आसंख्य त – 1 जघन्य युक्त आसंख्य त (ज परित संख्य त) ज परित संख्य त उत्कृ ष्ट युक्त आसंख्य त जघन्य आसंख्य त संख्य त -1 जघन्य आसंख्य त संख्य त (जघन्य युक्त आसंख्य त)2 उत्कृ ष्ट आसंख्य त संख्य त (जघन्य परित िंत) -1 visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 46
  • 47. म ि भेद प्रम ण आिंत जघन्य परित आिंत - उत्कृ ष्ट परित आिंत जघन्य युक्त आिंत -1 जघन्य युक्त आिंत (जघन्य परित आिंत) जघन्य परित आिंत उत्कृ ष्ट युक्त आिंत जघन्य आिंत िंत -1 जघन्य आिंत िंत (जघन्य युक्त आिंत) 2 उत्कृ ष्ट आिंत िंत के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद ें की संख्य visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 47
  • 48. उपम म ि गणि के द्व ि कहिे में आसमथव एेसी ज े ि शश, उसक वकसी उपम के द्व ि प्रनतप दि किि पल्य स गि सूच्यंगुि प्रति ंगुि घि ंगुि जगतश्रे णी जगत्प्रतर जगतघन visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 48
  • 49. वकसक म ि वकय ज त है? भेद पल्य व्यवह ि पल्य ि ेमखण्ड़ ें क प्रम ण उद् ि पल्य द्वीप-समुर ें की संख्य आद् पल्य कम ेों की स्स्थनत आ दद आथ वत गड्ढ visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 49
  • 50. व्यवह ि पल्य  1 य ेजि प्रम ण गहि आ ैि ि ैड़ गड्ढ किि  उत्तम भ ेगभूलम में जन्में 7 ददि तक के मेंढ़े के ब ि ें के आग्रभ ग से (जजिकी िंब , ि ैड़ सम ि ह े) उस गड्ढे क े ठ ेस (flat) भिि  जजतिे ि ेमखण्ड़ आ येंगें उति व्यवह ि पल्य ह ेत है 1 योजन गहरा 1 योजन चौड़ा visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 50
  • 51.  पुि: उि एक एक ि ेमखण्ड़ क े 100 - 100 वषव ज िे पि निक िेंगें, त े जजतिे क ि में वे सब सम प्त ह ेंगें व े व्यवह ि पल्य क क ि है  आथ वत ि ेम ें की संख्य में 100 वषव क गुण कििे पि व्यवह ि पल्य क क ि आ येग | 100 वर्ष में एक रोम ननकालेंगे visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 51
  • 52. 18= X 65= X 18 X 19 X 1018 आथव (65536)5 X 18 X 19 X 1018 ि ेम ें की संख्य visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 52
  • 53. व्यवह ि पल्य के वषव 45 आंक प्रम ण x 100 वषव = 47 आंक प्रम ण वषव = संख्य त वषव visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 53
  • 54. व्यवह ि पल्य संख्य त वषव = मध्यम युक्त संख्य त समय = visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 54
  • 55. व्यवह ि पल्य के समय समूह क प्रम ण 45 आंक प्रम ण ब ि ग्र x 100 वषव x 2 आयि x 3 ऋतु x 2 म स x 30 आह ेि नत्र x 30 मुहतव x संख्य त हज ि कि ेड़ आ वलि x ज.युक्त संख्य त समय visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 55
  • 56. उद् ि पल्य  व्यवह ि पल्य की ि ेम ि शश में से प्रत्येक ि ेम खण्ड़ के ,  आसंख्य त वष ेों के जजतिे समय ह े उतिे खण्ड़ किके ,  उिसे दूसिे पल्य क े भिकि पुि: एक-एक समय में एक-एक ि ेम खण्ड़ निक िें ।  इस प्रक ि जजतिे समय में वह दूसि पल्य ख िी ह ेत है, उति क ि उद् ि पल्य क है । visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 56
  • 57. उद् ि पल्य आसंख्य त कि ेड़ वषव में एक ि ेम निक िेंगे आसंख्य त कि ेड़ वषव में जजतिे समय ह ेते हैं उतिे एक ि ेम के टुकड़े किेंगे प्रनतसमय एक ि ेम निक िेंगे आथव visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 57
  • 58. व्यवह ि पल्य की ि ेम संख्य x आसंख्य त वष ेों के समय = उद् ि पल्य के समय आथ वत आसंख्य त वषव उद् ि पल्य visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 58
  • 59. द्वीप-समुर ें की संख्य  25 क ेड़ क ेड़ी उद् ि पल्य ें के समय प्रम ण मध्य-ि ेक में द्वीप-समुर ें की संख्य है य िे  25 क ेड़ क ेड़ी x 1 उद् ि पल्य ें के समय = कु ि द्वीप-समुर य िे  25 x 1014 x 1 उद् ि पल्य = कु ि द्वीप-समुर  (उद् ि पल्य से गुण वकय य िे उसमें आ िे व िे समय ें की संख्य से गुण वकय ) visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 59
  • 60. आद् पल्य  उद् ि पल्य की ि ेम ि शश में से प्रत्येक ि ेम खण्ड़ के ,  आसंख्य त वष ेों के जजतिे समय ह े उतिे खण्ड़ किके ,  उिसे दूसिे पल्य क े भिकि पुि: एक-एक समय में एक-एक ि ेम खण्ड़ निक िें ।  इस प्रक ि जजतिे समय में वह दूसि पल्य ख िी ह ेत है, उति क ि आद् पल्य क है । visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 60
  • 61. आद् पल्य आसंख्य त वषव में एक ि ेम निक िेंगे आसंख्य त वषव में जजतिे समय ह ेते हैं उतिे एक ि ेम के टुकड़े किेंगे प्रनत समय एक ि ेम निक िेंगे आथव visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 61
  • 62. उद् ि पल्य के समय x आसंख्य त वष ेों के समय आद् पल्य visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 62
  • 63. • आसंख्य त गुि व्यवह ि पल्य • आसंख्य त गुि उद् ि पल्य आद् पल्य visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 63
  • 64. सगि व्यवह ि स गि = व्यवह ि पल्य x 10 क ेड़ क ेड़ी उद् ि स गि = उद् ि पल्य x 10 क ेड़ क ेड़ी आद् स गि = आद् पल्य x 10 क ेड़ क ेड़ी 1 स गि = 10 क ेड़ -क ेड़ी पल्य visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 64
  • 65. पिम णु ज े सुतीक्ष्ण शस्त्र से भी छेदिे-भेदिे आ ैि म ेड़िे के लिए आशक है जि, आगि आ दद से ि श क े प्र प्त िहीं ह ेत 1 िस, 1 गंि, 1 रूप आ ैि 2 स्पशव - एेसे 5 गुण संयुक्त है शब्दरूप स्कं ि क क िण है वकन्तु स्वयं शब्द िहीं है आ दद, मध्य आ ैि आंत से िटहत है बहुप्रदेशी ि ह ेिे से आप्रदेशी है इन्द्न्रय ें के द्व ि ज ििे के आय ेग्य है जजसक ववभ ग िहीं ह े सकत है उस रव्य क े पिम णु कहते हैं । visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 65
  • 66. आिंत िंत पिम णु = स्कं ि = आवसन्न सन्न 8 आवसन्न सन्न = सन्न सन्न 8 सन्न सन्न = तृटिेणु 8 तृटिेणु = त्रसिेणु 8 त्रसिेणु = िथिेणु 8 िथिेणु = उत्तम भ ेगभूलम ब ि ग्र 8 उत्तम भ ेगभूलम ब ि ग्र = मध्यम भ ेगभूलम ब ि ग्र 8 मध्यम भ ेगभूलम ब ि ग्र = जघन्य भ ेगभूलम ब ि ग्र 8 जघन्य भ ेगभूलम ब ि ग्र = कमवभूलम क ब ि ग्र 8 कमवभूलम क ब ि ग्र = 1 िीख 8 िीख = सिस ें 8 सिस ें = ज ै 8 ज ै = 1 आंगुि (सूच्यंगुि/ उत्सेि ंगुि) उत्सेि ंगुि क ववि ि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 66
  • 67. आंगुि उत्सेि ंगुि/व्यवह ि आंगुि 8 ज ै प्रम ण ( 𝟑 𝟒 इंि) प्रम ण ंगुि उत्सेि ंगुि से 500 गुि आ त्म ंगुि आपिे-आपिे क ि में वतवम ि जीव ें क आपि आंगुि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 67
  • 68. वकस आंगुि से क ि प ज त है? उत्सेि ंगुि/व्यवह ि आंगुि शिीि की आवग हि , िगि ें, ववम ि ें की ऊँ ि आ दद प्रम ण ंगुि द्वीप, समुर, पववत, िदी आ दद आकृ नत्रम ििि यें आ त्म ंगुि आपिे-आपिे क ि के बतवि, झ िी, किश इत्य दद visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 68
  • 69. सूच्यंगुि (प्रम ण ंगुि)  सूच्यंगुि = (आद् पल्य) आद् पल्य के आिवच्छेद  = सूच्यंगुि में प्रदेश ें की संख्य  प्रति ंगुि = सूच्यंगुि x सूच्यंगुि  घि ंगुि = सूच्यंगुि x सूच्यंगुि x सूच्यंगुि  Ex म ि सू. =16, त े प्र =256, घ = 4096  500 उत्सेि आंगुि प्रम ण, आवसवपवणी क ि के प्रथम िक्रवतीव भित के एक आंगुि क ि म ही प्रम ण ंगुि है  आिवच्छेद = वकसी ि शश क े जजतिी ब ि आ ि -आ ि कििे पि 1 शेष िहे  Ex = 64 के आिवच्छेद = 64,32,16,8,4,2,1 = 6 आिवच्छेद visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 69
  • 70. सूच्यंगुि = (आद् पल्य)आद् पल्य के आिवच्छेद प्रति ंगुि = (सूच्यंगुि) 2 घि ंगुि =(सूच्यंगुि)3 visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 70
  • 71. 3 आंगुि सूच्यंगुि प्रति ंगुि घि ंगुि सूच्यंगुि सू च्यं गु ि सू च्यं गु ि सूच्यंगुि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 71
  • 72. य ेजि क ववि ि 6 आंगुि 1 प द 2 प द 1 वविस्त 2 वविस्त 1 ह थ 4 ह थ 1 ििुष 2000 ििुष 1 क ेस 4 क ेस 1 य ेजि (व्यवह ि य ेजि) 4 क ेस x 500 = 2000 क ेस 1 य ेजि (प्रम ण य ेजि) visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 72
  • 73. = (घि ंगुि) पल्य के आिवच्छेद क आसंख्य तव भ ग = (घि ंगुि) पल्य के आिवच्छेद/आसंख्य त = 7 ि जू = 7 ि जू प्रम ण आ क श की 1 प्रदेश की 1 पंलक्त में प्रदेश ें की संख्य जगत्श्रेणी visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 73
  • 74. = (जगत्श्रेणी) 2 =जगत्श्रेणी x जगत्श्रेणी जगत्प्रति visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 74
  • 75. = जगत्श्रेणी x जगत्श्रेणी x जगत्श्रेणी = ( जगत्श्रेणी )3 = ि ेक के प्रदेश ें की संख्य = 1 जीव के प्रदेश ें की संख्य = मध्यम आसंख्य त संख्य त जगतघि visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 75
  • 76. जगत्श्रेणी = 7 ि जू जगत्प्रति = (जगत्श्रेणी) 2 जगतघि =(जगत्श्रेणी)3 visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 76
  • 77. जगत्श्रेणी जगत्प्रति जगतघि 7 ि जू 7 ि जू 7 ि जू 7 ि जू 7 ि जू visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 77
  • 78. आि ैवकक म ि म ि रव्य म ि क्षेत्र म ि क ि म ि भ व म ि जघन्य 1 पिम णु 1 प्रदेश 1 समय सूक्ष्म निग ेददय िस्ब्ि आपय वप्तक के ज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेद उत्कृ ष्ट सभी रव्य ें क प्रम ण संपूणव आ क श के प्रदेश तीि क ि के समय प्रम ण के विज्ञ ि के आववभ ग-प्रनतच्छेदvisit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 78
  • 79.  Reference : श्री नत्रि ेकस िजी, सम्यग्ज्ञ ि िंदरक जीवक ण्ड़ जी Presentation developed by Smt. Sarika Vikas Chhabra  For updates / corrections / feedback / suggestions, please contact:  sarikam.j@gmail.com  www.jainkosh.org  : 0731-2410880, 94066-82889 visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video Page: 79