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तत अययन सामी, तालकाए एव च
अाद ीमती सारका वकास छाबड़ा ारा
तैयार कये गए है
इनका अय एव अय भाषा मे उपयाेग करने
के पूव उनसे अिनवायत: सपक कर ले
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अाचाय नेमचद सातचवती रचत
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गाथा 1 : मगलाचरण
• जाे स, श एव अकलक है एव
• जनके सदा गुणपी राे के भूषणाे का उदय रहता है,
• एेसे ी जनेवर नेमच वामी काे नमकार करके
• जीव क पणा काे कगा
स स पणमय जणदवरणेमचदमकलक
गुणरयणभूसणुदय जीवस पवण वाेछ
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जेह अणेया जीवा, णते बवहा व ताद
ते पुण सगहदथा, जीवसमासा वणेया 70
अथ - जनके ारा अनेक जीव तथा उनक अनेक कार क
जाित जानी जाय, उन धमाे काे अनेक पदाथाे का सह करने
वाले हाेने से जीवसमास कहते है, एेसा समझना चाहये 70
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जीवसमास कसे कहते है ?
जीव + समास = जीवाे काे + इका करने वाले सश धम
जन समान पयायप धमाे के ारा
अनेक जीव तथा उनक अनेक कार क जाित जानी जाय
उन धमाे काे अनेक पदाथाे का सह करने वाले हाेने से
जीवसमास कहते है
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तसचदुजुगाण मझे, अवेह जुदजादकुदये
जीवसमासा हाेित , तवसारछसामणा 71
• अथ - स-थावर, बादर-सू, पयात-अपयात अाैर येक-
साधारण — इन चार युगलाे मे से अव साद कमाे से यु
• जाित नामकम का उदय हाेने पर
• जीवाे मे हाेने वाले ऊवतासामायप या ितयसामायप धमाे
काे
• जीवसमास कहते है 71
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ऊवता-सामाय
• अनेक समयाे क पयाय जस एक य मे है,
वह एक यप अवय ऊवता-सामाय या
तव-सामाय है जैसे
पचेय
पचेय
पचेय
पचेय
य
य
य
एके य
एके य
एके य
एके य
एक जीव य क अवथाये
इनमे एके य, य अाद अवथाअाे मे
अवय भाव पाया जा रहा है
इन एके य अाद जीव क अवथाअाे काे
ऊवता-सामाय धम कहते है
ऊवता-सामाय
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ितयसामाय
• एक समय मे अनेक ययाे मे पाया जाने वाला जाितप
अवय साय-सामाय या ितयसामाय है
• जैसे बादाम, के शर, हापूस, ताेतापर, नीलम अाद अनेक अामाे
मे अामपना समान धम है
• वैसे पृवकायक, वायुकायक अाद अनेक जीवाे मे एके य
युपना समान है
• इसलए इहे साय-सामाय कहते है
• ये साय-सामाय ही जीवसमास कहलाते है
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थावर - स
जसके उदय से एके य मे उप हाे,
उसे थावर नाम कम कहते है
जसके उदय से य अाद मे उप
हाे, उसे स नाम कम कहते है
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सू - बादर
• जसके उदय से कसी से के नही, कसी काे राेके नही एेसे
शरर क ाि हाे, उसे सू नाम कम कहते है
• जसके उदय से अय से के , अय काे राेके एेसे शरर क
ाि हाे, उसे बादर नाम कम कहते है
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साधारण - येक
• जसके उदय से एक शरर के अनत वामी हाे, एेसे
शरर क ाि हाे, उसे साधारण नाम कम कहते है
• जसके उदय से एक शरर का एक ही वामी हाे, उसे
येक नाम कम कहते है
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पयात - अपयात
• जसके उदय से अाहार अाद पयाि पूण हाे, उसे पयात नाम
कम कहते है
• जसके उदय से अाहार अाद एक भी पयाि पूण नही हाे, उसे
अपयात नाम कम कहते है एेसा जीव अतमुत मे ही मरण
काे ात हाे जाता है
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एके य अाद जाित कम
• जसके उदय से ‘जीव एके य है’ एेसा कहा जाता है, उसे एके य जाित
नाम कम कहते है
• जसके उदय से ‘जीव य है’ एेसा कहा जाता है, उसे य जाित
नाम कम कहते है
• जसके उदय से ‘जीव ीय है’ एेसा कहा जाता है, उसे ीय जाित
नाम कम कहते है
• जसके उदय से ‘जीव चतरय है’ एेसा कहा जाता है, उसे चतरय
जाित नाम कम कहते है
• जसके उदय से ‘जीव पचेय है’ एेसा कहा जाता है, उसे पचेय
जाित नाम कम कहते है
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14. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 14
कन धमाे के साथ कन धमाे का वराेध अाैर अवराेध है?
कसका कसके साथ वराेध अवराेध
1 एके य स, याद जाित शेष कृ ितया
2 याद थावर, सू, साधारण, एके य ,,
3 स थावर, सू, साधारण, एके य ,,
4 थावर स, याद जाित ,,
5 बादर सू ,,
6 सू स, बादर, याद जाित ,,
7 पयात अपयात ,,
8 अपयात पयात ,,
9 येक साधारण ,,
10 साधारण स, येक, याद जाित ,,
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बादरसमेइदय, बितचउरदय असणसणी य
पापा, एव ते चाेसा हाेित 72
• अथ - एके य के बादर, सू दाे भेद
• पुन वकलय के य, ीय, चतरय, तीन भेद
• पुन पचेय के सी, असी दाे भेद,
• इस तरह सात जीव भेद ये
• ये एक एक भेद पयात-अपयातप है
• इस तरह सेप से चाैदह जीवसमास हाेते है 72
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पूवाे 13 कमाे मे से कतने कम याेग कये?
• 5 जाित कम
• पयात – अपयात
• बादर - सू
• स - थावर
• अथात् 11
शेष का याेग अागे वतार मे कया जाएगा
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18. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 18
भूअाउतेउवाऊ, णदुगदणगाेदथूलदरा
पेयपददरा, तस पण पुणा अपुणदुगा 73
• अथ - पृवी, जल, तेज, वायु, िनय-िनगाेद, इतर (चतगित)
िनगाेद —
• इन छह के बादर अाैर सू के भेद से बारह भेद हाेते है तथा
• येक वनपित के दाे भेद - एक ितत, दूसरा अितत
अाैर
• स के पाच भेद — य, ीय, चतरय, असी
पचेय अाैर सी पचेय
• इस तरह सब मलाकर उीस भेद हाेते है 73
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एके य
1.पृवी 2.जल 3.अ 4.वायु वनपित
साधारण
5.िनय
िनगाेद
6.इतर
िनगाेद
येक
ितत अितत
इन 6 के सू व बादर
दाे भेद हाेते है, अत
6 x 2 = 12
ितत अाैर अितत
मलाकर सब एके य
14 ए
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19 जीवसमास
जीवसमासजीवसमास
एके य (14)एके य (14)
वकलेय (3)वकलेय (3)
यय
ीयीय
चतरयचतरय
सकलेय(2)सकलेय(2)
सीसी
असीअसी
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पूवाे 13 कमाे मे से कतने कम याेग कये?
• 5 जाित कम
• सू – बादर
• साधारण – येक
• स - थावर
• अथात् 11
• शेष का याेग अागे वतार मे कया जाएगा
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ठाणेह व जाेणीह व, देहाेगाहणकु लाण भेदेह
जीवसमासा से, पवदा जहाकमसाे 74
अथ - थान, याेिन, शरर क अवगाहना अाैर कु लाे के
भेद इन चार अधकाराे के ारा सपूण जीवसमासाे का
म से िनपण करना चाहये 74
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जीवसमासाे का िनपण
•1, 2, 3 अाद वकपथानथान
•जीव का उप थानयाेिनयाेिन
•शरर के छाेटे-बड़े भेद (े अपेा)शरर क अवगाहनाशरर क अवगाहना
•शरर काे कारणभूत पुद्गलकु लकु ल
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सामणजीव तसथावरेस इगवगलसयलचरमदुगे
इदयकाये चरमस य दुितचदुरपणगभेदजुदे 75
• अथ - सामाय से जीव का 1 ही भेद है
• स अाैर थावर अपेा से 2 भेद,
• एके य वकलेय एव सकलेय क अपेा 3 भेद;
• पचेय के 2 भेद करने पर एके य, वकलेय, सी, असी इस तरह 4
भेद हाेते है
• पाच इयाे क अपेा 5 भेद है
• षाय क अपेा 6 भेद है
• पाच थावराे मे स के वकल अाैर सकल मलाने पर 7 भेद तथा
• वकल, असी, सी मलाने से 8 भेद तथा
• य, ीय, चतरय तथा पचेय मलाने पर 9 भेद तथा
• य, ीय, चतरय, असी, सी मलाने से 10 भेद हाेते है 75
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थान भेद
1 सामाय जीव
2 स, थावर
3 एके य, वकलेय, सकलेय
4
एके य, वकलेय, पचेय सी,
पचेय असी
5 1, 2, 3, 4, 5 इय
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पणजुगले तससहये, तसस दुितचदुरपणगभेदजुदे
छुगपेयह य, तसस ितयचदुरपणगभेदजुदे 76
अथ - पाच थावराे के बादर अाैर सू क अपेा दश भेद मे –
• स सामाय का एक भेद मलाने से यारह तथा
• स के वकलेय, सकलेय मलाने से 12 तथा
• स के वकलेय, असी, सी मलाने से 13 अाैर
• य, ीय, चतरय, पचेय भेद मलाने से 15 भेद जीवसमास के
हाेते है
• पृवी, अप्, तेज, वायु, िनयिनगाेद, इतरिनगाेद इनके बादर सू क अपेा
6 युगल अाैर येक वनपित, इनमे स के उ वकलेय, असी, सी
ये 3 भेद मलाने से 16 अाैर
• याद 4 भेद मलाने से 17, तथा
• 5 भेद मलाने से 18 भेद हाेते है 76
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थान भेद
11 5 थावराे के सू अाैर बादर के भेद से 10, स
12 10, वकलेय, सकलेय
13 10, वकलेय, पचेय सी, पचेय असी
14 10, 2, 3, 4 इय, सकलेय
15 10, 2, 3, 4 इय, पचेय सी, पचेय असी
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सगजुगलह तसस य, पणभगजुदेस हाेित उणवीसा
एयादुणवीसाे य, इगवितगुणदे हवे ठाणा 77
• अथ - पृवी, अप्, तेज, वायु, िनयिनगाेद, इतरिनगाेद के बादर
सू क अपेा छह युगल अाैर येक का ितत-अितत
क अपेा एक युगल मलाकर सात युगलाे मे स के उ पाच
भेद मलाने से जीवसमास के उीस भेद हाेते है
• इसकार एक से लेकर उीस तक जाे जीवसमास के भेद
गनाये है, इनका एक, दाे, तीन के साथ गुणा करने पर म से
उीस, अड़तीस, सावन अवातर भेद जीवसमास के हाेते है
77
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पयाि अपेा 3 कार के जीव
पयात िनवृयपयात लयपयात
वप
जनक शरर
पयाि पूण हाे
चुक है
शरर पयाि
पूण हाेने से पूव
क अवथा
जनक एक भी
पयाि पूण हाेने
से पहले ही
मरण हाे जाये
कस नाम कम
का उदय
पयात अपयात
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इगवण इगवगले, असणसणगयजलथलखगाण
गभवे सुछे, दुितग भाेगथलखेचरे दाे दाे 79
• अथ - ितयगित मे एके य एव वकलेय सबधी 51 भेद है
• कमभूमया गभज ितयचाे मे जलचर, थलचर तथा नभचर सैनी एव असैनी
के पयात, िनवृयपयात अपेा 12 भेद तथा
• सूछन ितयचाे मे लयपयातक भी हाेने से 18 भेद,
• - इसकार पचेय कमभूमज ितयचाे के 30 भेद हाेते है
• भाेगभूमया थलचर एव नभचर ितयचाे के पयात एव िनवृयपयात क
अपेा 4 भेद हाेते है
• इसकार ितयगित सबधी कु ल 85 भेद हाेते है
• भाेगभूम मे जलचर, सूछन तथा असी जीव नही हाेते है 79
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अवमलेछमणुए, ितदु भाेगकु भाेगभूमजे दाे दाे
सरणरये दाे दाे इद, जीवसमासा अडणउद 80
• अथ - अायखड मे पयात, िनवृयपयात, लयपयात, तीनाे
ही कार के मनुय हाेते है
• ेछखड मे लयपयात काे छाेड़कर दाे कार के ही मनुय
हाेते है
• इसीकार भाेगभूम, कु भाेगभूम, देव, नारकयाे मे भी दाे-दाे ही
भेद हाेते है
• इसलये सब मलाकर जीवसमास के 98 भेद ए 80
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जीव समास (98)जीव समास (98)
एके य (42)एके य (42)
वकलेय (9)वकलेय (9)
सकलेय (47)सकलेय (47)
ितयच (34)ितयच (34)
मनुय (9)मनुय (9)
देव (2)देव (2)
नारक (2)नारक (2)
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एके य के 42 भेद
बादर + सू
6 x 2 =12
1.पृवीकायक
2.जलकायक
3.अकायक
4.वायुकायक
5.िनय िनगाेद
6.इतर िनगाेद
2
7.ितत
8.अितत
14 x 3 = 42
-पयात
-िन.अ.
-ल.अ.
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कमभूम ितयच के 30 भेद
कमभूम (30)कमभूम (30)
गभज (12)गभज (12)
जलचरजलचर
थलचरथलचर
नभचरनभचर
सूछन (18)सूछन (18)
जलचरजलचर
थलचरथलचर
नभचरनभचर
सैनी
पयात
असैनी
िन.अ.
3 x 2
=6
6 x 2 =
12
सैनी पयात
असैनी
िन.अ.
3 x 2
=6
6 x 3 =
18
ल.अ.
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भाेगभूम (4)भाेगभूम (4) गभजगभज
थलचरथलचर सैनीसैनी
पयातपयात
िन. अ.िन. अ.
नभचरनभचर सैनीसैनी
पयातपयात
िन. अ.िन. अ.
भाेगभूम ितयच के 4 भेद
भाेगभूम मे जलचर, सूछन, असी अाैर अपयात जीव नही हाेते है
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मनुय के 9 भेद
कमभूम(5)
अाय
गभज
पयात
िन. अ.
सूछन
ल. अ
ेछ
पयात
िन. अ.
भाेगभूम(2)
पयात िन. अ.
कु भाेगभूम(2)
पयात िन. अ.
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देव अाैर नारक के 2-2 भेद
देव (2)
पयात िन. अपयात
नारक (2)
पयात िन. अपयात
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सखावयजाेणी, कु ुणयवसपजाेणी य
तथ य सखावे, णयमा दु ववदे गाे 81
• अथ - शखावतयाेिन, कू माेतयाेिन, वशपयाेिन इसतरह ी-
शरर मे सभवत अाकारप याेिन तीन कार क है
• वहा तीन कार क याेिनयाे मे शखावतयाेिन मे ताे गभ िनयम
से ववजत है, गभ रहता ही नही है अथवा कदाचत् रहे ताे न
हाे जाता है 81
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याेिन
जीव का उपजने का थान वह याेिन हैजीव का उपजने का थान वह याेिन है
मप हाेकर अाैदारकाद नाेकमवगणाप पुद्गलाे
से सहत बधता है जीव जसमे, वह याेिन है
मप हाेकर अाैदारकाद नाेकमवगणाप पुद्गलाे
से सहत बधता है जीव जसमे, वह याेिन है
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याेिनयाेिन
अाकृ ितअाकृ ित
उप थान क अाकृ ित
के अाधार पर भेद
उप थान क अाकृ ित
के अाधार पर भेद
गुणगुण
उप थान के पशाद
गुण के अाधार पर भेद
उप थान के पशाद
गुण के अाधार पर भेद
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कु ुणयजाेणीये, ितथयरा दुवहचव य
रामा व य जायते, सेसाए सेसगजणाे दु 82
• अथ - कू माेतयाेिन मे तीथकर वा सकलचवती वा
अधचवती, नारायण, ितनारायण वा बलभ उपजता है अप
शद से अय काेई नही उपजता
• पुन अवशेष वशपयाेिन मे अवशेष जन उपजते है, तीथकराद
नही उपजते 82
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अाकारयाेिन
शखावत याेिन
गभ िनयम से ववजत है, गभ
रहता ही नही है
कू माेत याेिन
तीथकर वा सकलचवती वा
अधचवती, नारायण, ितनारायण
वा बलभ उपजता है
वशप याेिन
अवशेष जन उपजते है, तीथकराद
नही उपजते
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ज खल सुछण, गुववादा दु हाेद ताेणी
स-सीद-सउड, सेदर मसा य पेय 83
• अथ - ज तीन कार का हाेता है, सूछन, गभ अाैर उपपाद
• तथा सच, शीत, सवृत, अाैर इनसे उट अच, उण, ववृत
तथा तीनाे क म, इस तरह तीनाे ही जाे क अाधारभूत नाै
गुणयाेिन है
• इनमे से यथासव येक याेिन काे सूछनाद ज के साथ
लगा लेना चाहये 83
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जज
सूछनसूछन गभगभ उपपादउपपाद
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•माता पता के रज-वीय से उप हाेनागभ
• सपुट शया या उाद मुखाकार याेिन मे
अतमुत काल मे ही जीव का उप हाेनाउपपाद
•सब अाेर से परमाणु हण कर शरर क
रचना हाेना
सूछन
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पाेतजरायुजअडज, जीवाण ग देवणरयाण
उववाद सेसाण, सुछणय त ण 84
• अथ - जसके शरर के ऊपर काेई अावरण नही है, जसके अवयव सपूण
है अाैर याेिन से िनकलते ही चलना अाद क सामय से सयु है वह जीव,
पाेत कहलाता है
• ाणी के शरर के ऊपर जाल समान अावरण - मास, ल जसमे वतारप
पाया जाता है एेसा जाे जरायु, उसमे उप जीव जरायुज कहलाता है
• श, लमय तथा नख के समान कठन अावरण सहत, गाेल अाकार का
धारक वह अड, उसमे उपजने वाला जीव अडज कहलाता है
• इन पाेत, जरायुज, अडज जीवाे का गभप ही ज का भेद जानना देव
अाैर नारकयाे का उपपाद ही ज का भेद है पूवाे जीवाे के बना शेष
समत जीवाे का सूछन ही ज का भेद सात मे कहा है 84
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गभ ज के 3 कार
पाेत
• याेिन से िनकलते ही
चलना अाद क
सामय से सयु है
वह जीव पाेत
कहलाता है
• सह, नेवला अाद
जरायुज
• ाणी के शरर के ऊपर
जाल समान अावरण -
मास, ल जसमे
वतारप पाया जाता है
एेसा जाे जरायु, उसमे
उप जीव जरायुज
कहलाता है
• गाय, हाथी अाद
अडज
• श, लमय तथा नख के
समान कठन अावरण
सहत, गाेल अाकार का
धारक वह अड, उसमे
उपजने वाला जीव अडज
कहलाता है
• चील, कबूतर अाद
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उववादे अ, गे मस त हाेद सुछे
स अ, मस च य हाेद जाेण 85
• अथ - उपपाद ज क अच ही याेिन हाेती है
• गभ ज क म याेिन ही हाेती है
• तथा सूछन ज क सच, अच, म तीनाे तरह क
याेिन हाेती है 85
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55. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 55
सच अच
सचा
च
शीत उण
शीताे
ण
सवृत ववृत
सवृत
ववृत
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• चेतन के साथ जाे रहे, वे सच है अथात् जीव सहत याेिन
• जैसे अालू, गाजर अाद
सच
• चेतन से रहत याेिन
• जैसे गे के बीज
अच
• चेतन अाैर पुद्गल सहत उप थान
• जैसे माता का गभ
सचाच
• जन पुद्गलाे मे शीत पश कट हैशीत
• जन पुद्गलाे मे उण पश कट हैउण
• शीत अाैर उण एेसे उभयप पुद्गल कधशीताेण
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• जाे पुद्गल कध देखने मे नही अाते, जनका अाकार
गुत है
सवृत
• जाे पुद्गल कध कट अाकार काे लए है, देखने मे
अाता है
ववृत
• कु छ कट अाैर कु छ अकट पुद्गल कधसवृतववृत
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58. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 58
ज कार मे सच अाद याेिनया
सिच अिच सिच ािच
उपपाद
गभ
स मूछन
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उववादे सीदुसण, सेसे सीदुसणमसय हाेद
उववादेयखेस य, सउड वयलेस वउल त 86
• अथ - उपपाद ज मे शीत अाैर उण दाे कार क याेिन हाेती है
• शेष गभ अाैर सूछन जाे मे शीत, उण, म तीनाे ही याेिन
हाेती है
• उपपाद जवालाे क तथा एके य जीवाे क याेिन सवृत ही हाेती
है
• अाैर वकलेयाे क ववृत ही हाेती है 86
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60. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 60
ज कार मे शीत अाद याेिनया
शीत उ ण शीतो ण
उपपाद
गभ
स मूछन
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गजजीवाण पुण, मस णयमेण हाेद जाेणी
सुछणपचखे, वयल वा वउलजाेणी 87
• अथ - गभज जीवाे क याेिन िनयम से म - सवृत-
ववृत क अपेा मत ही हाेती है
• पचेय सूछन जीवाे क वकलेयाे क तरह
ववृतयाेिन ही हाेती है 87
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ज कार मे सवृत अाद याेिनया
संवृत िववृत संवृत-िववृत
उपपाद
गभ
स मूछन
-एके ि य
-िवकलेि य
-पंचेि य
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63. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 63
कस याेिन मे काैन जीव ज लेता है ?
जीव याेिन
देव व नारक अच शीत व उण सवृ
गभज—मनुय व ितयच सचाच
तीनाे कार
सवृतववृत
सूछन मनुय व
पचेय ितयच
तीन कार
(सच, अच व
म)
ववृत
वकलेय
एके य (पृवी, वायु,
येक वनपित)
सवृत
अन उण
जल शीत
साधारण वनपित सच तीनाे कार
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सामणेण य एव, णव जाेणीअाे हवित वथारे
लखाण चदुरसीद, जाेणीअाे हाेित णयमेण 88
अथ - पूवाे मानुसार सामाय से याेिनयाे के िनयम से
नव ही भेद हाेते है वतार क अपेा इनके चाैरासी
लाख भेद हाेते है 88
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णदरधादुस य, तदस वयलदयेस छेव
सरणरयितरयचउराे, चाेस मणुए सदसहसा 89
• अथ - िनयिनगाेद, इतरिनगाेद, पृवी, जल, अ, वायु इनमे से
येक क सात-सात लाख,
• त अथात् येक वनपित क दश लाख;
• य, ीय, चतरय इनमे से येक क दाे-दाे लाख
अथात् वकलेय क सब मलाकर छह लाख;
• देव, नारक, ितयच पचेय येक क चार-चार लाख,
• मनुय क चाैदह लाख,
• सब मलाकर 84 लाख याेिन हाेती है 89
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66. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 66
ितयच
एके य
िनय िनगाेद, इतर िनगाेद, पृथवी, जल, अन,
वायु (येक क 7-7 लाख)
6 7 42 लाख
येक वनपित 10 लाख
वकलेय
य, ीय, चतरय (येक क 2-2 लाख) 3 2 6 लाख
पचेय ितयच 4 लाख
नारक 4 लाख
देव 4 लाख
मनुय 14 लाख
कु ल 84 लाख
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67. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 67
उववादा सरणरया, गजसुछमा णरितरया
सुछमा मणुसाऽपा एयवयलखा 90
• अथ - देवगित अाैर नरकगित मे उपपाद ज ही हाेता है
• मनुय तथा ितयचाे मे यथासव गभ अाैर सूछन दाेनाे ही
कार का ज हाेता है,
• कत लयपयात मनुय अाैर एके य, वकलेयाे का
सूछन ज ही हाेता है 90
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68. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 68
गितयाे मे ज भेदगितयाे मे ज भेद
देवदेव उपपादउपपाद
नारकनारक उपपादउपपाद
ितयचितयच
एके यएके य सूछनसूछन
वकलेयवकलेय सूछनसूछन
पचेयपचेय
सूछनसूछन
गभगभ
मनुयमनुय
पयातपयात गभगभ
अपयातअपयात सूछनसूछन
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69. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 69
पचखितरखाअाे, गजसुछमा ितरखाण
भाेगभुमा गभवा, नरपुणा गजा चेव 91
अथ - कमभूमया पचेय ितयच गभज तथा सूछन ही हाेते है
भाेगभूमया ितयच गभज ही हाेते है अाैर
जाे पयात मनुय है वे भी गभज ही हाेते है 91
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70. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 70
उववादगजेस य, लअपगा ण णयमेण
णरसुछमजीवा, लअपगा चेव 92
• अथ - उपपाद अाैर गभ जवालाे मे िनयम से लयपयातक
नही हाेते अाैर सूछन मनुय िनयम से लयपयातक ही हाेते
है 92
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71. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 71
णेरइया खल सढा, णरितरये ितण हाेित सुछा
सढा सरभाेगभुमा, पुरसछवेदगा चेव 93
• अथ - नारक नपुसक ही हाेते है
• मनुय अाैर ितयचाे के तीनाे ही (ी, पुष, नपुसक) वेद हाेते है,
• सूछन मनुय अाैर ितयच नपुसक ही हाेते है
• देव अाैर भाेगभूमया जीवाे के पुषवेद अाैर ीवेद ही हाेता है
93
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सहमणगाेदअपयस जादस तदयसमयह
अगुलअसखभाग, जहणमुसय मछे 94
• अथ - जतना अाकाश े शरर राेकता है उसका नाम
यहा अवगाहना है
• सव जघय अवगाहना ऋजुगित से उप हाेने के तीसरे
समय मे सू िनगाेद लधअपयातक जीव क घनागुल
के असयातवे भाग माण हाेती है तथा
• वयभूरमण समु के मयवती महामय क उकृ
अवगाहना हाेती है 94
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यहा शरर क अवगाहना से तापय है।यहा शरर क अवगाहना से तापय है।
शरर जतना अाकाश े राेकता हैशरर जतना अाकाश े राेकता है
वह अवगाहना कहलाती है ।वह अवगाहना कहलाती है ।
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साहयसहसमेक, बार काेसूणमेकमे च
जाेयणसहसदह, पे वयले महामछे 95
अथ - प (कमल), य, ीय, चतरय, महामय इनके
शरर क अवगाहना म से कु छ अधक एक हजार याेजन, बारह
याेजन, तीन काेश, एक याेजन, हजार याेजन लबी समझनी
चाहये 95
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बितचपपुणजहण, अणुधरकु थुकाणमछस
सछयमछे वदगुलसख सखगुणदकमा 96
• अथ - य, ीय, चतरय, पचेय पयात जीवाे मे
अनुधर, कु थु, काणमका सथक मय के म से जघय
अवगाहना हाेती है
• इसमे थम क घनागुल के सयातवे भागमाण है अाैर
• पूव-पूव क अपेा उर-उर क अवगाहना म से
सयातगुणी-सयातगुणी अधक अधक है 96
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सहमणवातेअाभू, वातेअापुणपदद इदर
बितचपमादाण, एयाराण ितसेढय 97
• अथ: एक काेठे मे सू िनगाेदया, वायुकायक, तेजकायक,
जलकायक, पृवीकायक इनका म से थापन करना
• इसके अागे दूसरे काेठे मे बादर वायुकायक, तेजकायक,
जलकायक, पृवीकायक, िनगाेदया अाैर ितत येक – इनका
म से थापन करना
• इसके अागे तीसरे काेठे मे अितत येक, य, ीय,
चतरय, पचेय का म से थापन करना
• इसके अागे उ 16 थानाे मे से अाद के 11 थानाे क 3 ेणी
माडनी चाहए
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अपददपेय, बितचपितचबअपदद सयल
ितचवअपदद च य, सयल बादालगुणदकमा 98
अथ - अगले काेठे मे अितत येक, य, ीय,
चतरय, पचेय का थापन करना इसके अागे के काेठे मे म
से ीय, चतरय, य, अितत येक अाैर पचेय का
थापन करना इससे अागे के काेठे मे ीय, चतरय, य,
अितत येक तथा पचेय का म से थापन करना इन
सपूण चाैसठ थानाे मे यालस थान उराेर गुणतम है 9
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अवरमपुण पढम, साेल पुण पढमवदयतदयाेल
पुणदरपुणयाण, जहणमुसमुस 99
अथ - अाद के साेलह थान जघय अपयातक के है अाैर थम,
तीय, तृतीय ेणी म से पयातक, अपयातक तथा पयातक
जीवाे क है अाैर उनक यह अवगाहना म से जघय, उकृ
अाैर उकृ समझनी चाहये 99
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पुणजहण ताे, वर अपुणस पुणउस
बीपुणजहणाे असख सख गुण ताे 100
अथ - ेणी के अागे के थम काेठे मे (ऊपर क प के छे काेठे
मे) पयातकाे क जघय अाैर दूसरे काेठे मे अपयातकाे क उकृ
तथा तीसरे काेठे मे पयातकाे क उकृ अवगाहना समझनी चाहये
य पयात क जघय अवगाहना पयत असयात का गुणाकार
है अाैर इसके अागे सयात का गुणाकार है 100
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64 अवगाहना य क वध
थम काेठा
1 िनगाेदया
2 वायुकायक
3 तेजकायक
4 जलकायक
5 पृवीकायक
तीय काेठा
6 वायुकायक
7 तेजकायक
8 जलकायक
9 पृवीकायक
10 िनगाेदया
11 ितत येक
12 अितत येक
13 य
14 ीय
15 चतरय
16 पचेय
तीसरा काेठा
थम तीन काेठाे के 16 जीवसमासाे मे अपयातकाे क जघय अवगाहना
जानना
(इन सभी मे सू-बादर का भेद नही हाेता,
सभी िनयम से बादर ही हाेते है)
(सभी बादर)(सभी सू)
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17 िनगाेदया
20 वायु
23 तेज
26 जल
29 पृवी
(सभी सू)
32 वायु
35 तेज
38 जल
41 पृवी
44 िनगाेद
47 ितत येक
(सभी बादर)
चाैथा
18 िनगाेद
21 वायु
24 तेज
27 जल
30 पृवी
(सभी सू)
33 वायु
36 तेज
39 जल
42 पृवी
45 िनगाेद
48 ितत येक
(सभी बादर)
19 िनगाेदया
22 वायु
25 तेज
28 जल
31 पृवी
(सभी सू)
34 वायु
37 तेज
40 जल
43 पृवी
46 िनगाेद
49 ितत येक
(सभी बादर)
पाचवा
छठा
सातवा
अाठवा
नवा
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गुणकार
• य पयातक क जघय अवगाहना के थान पयत (51
नबर तक) असयात का गुणकार है
• इसके अागे (52 से 64 तक) सयात का गुणकार है
42 गुणत म थानाे मे
थम 29 उराेर असयात गुणे है
अितम 13 उराेर सयात गुणे है
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सहमेदरगुणगाराे, अावलपाअसखभागाे दु
साणे सेढगया, अहया तथेकपडभागाे 101
अथ - सू अाैर बादराे का गुणकार वथान मे म से अावल
अाैर पय का असयातवा भाग है अाैर
ेणीगत बाईस थान अपने-अपने एक-एक ितभागमाण अधक
अधक है 101
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29 थानाे मे
सू का गुणकार
अावल
असयात
बादर का गुणकार
पय
असयात
13 थानाे ( २ से ६४) का गुणकार
सयात
22 थानाे मे सू एव बादर का अधक अावल
असयात
गुणकार अाैर अधककार का माण
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सू िनगाेद अप.
उकृ ट अवगाहना 18 =
सू िनगाद पयात जघय अव. 17 +
सू िनगाद पयात जघय अव.
अावल
असयात
बादर वायु अप.
उकृ ट अवगाहना 33 =
बादर वायु पयात जघय अव. 32 +
बादर वायु पयात जघय अव.
अावल
असयात
जहा अधक म है वहा—
पूव क अवगाहना काे
अावल
असयात
का भाग देगे
जाे एक भाग अायेगा, उसे पूव क अवगाहना मे जाेड़ देगे
ववत जीव क अवगाहना = पूव जीव क अवगाहना +
पूव जीव क अव.
अावल
असयात
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अववर इगपदेसे, जुदे असखेभागवए
अाद णरतरमदाे, एगेगपदेसपरव 102
• अथ - जघय अवगाहना के माण मे एक देश अाैर मलाने से
जाे माण हाेता है वह असयातभागवृ का अादथान है
इसके अागे भी म से एक एक देश क वृ करनी
चाहये 102
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उदाहरण
• जघय अवगाहना = 4800
• उकृ ट सयात = 15
• जघय परत असयात = 16
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1) जघय अवगाहना — 4800
दूसर अवगाहना एक देश अधक है एक देश बढ़ाने के लए
जघय अवगाहना मे कसका भाग लगाया जाए ?
जघय अवगाहना
जघय अवगाहना
= 1
इस एक काे जघय अवगाहना मे जाेड़ने पर अवगाहना का दूसरा
वकप अाता है
2) जघय अवगाहना +
जघय अवगाहना
जघय अवगाहना
=
जघय अवगाहना + 1 = 4800 + 1 = 4801
— यह थम असयात भाग वृ ई यह असयात भागवृ है,
याेक मूल सया मे असयात का भाग देकर ात लध ही मूल
सया मे बढ़ाया है
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तीसर अवगाहना जघय अवगाहना से 2 देश अधक है 2 लाने हेत जघय
अवगाहना मे कसका भाग दया जाए ?
जघय अवगाहना
जघयअवगाहना = = 2
इसे जघय अवगाहना मे जाेड़ने पर अवगाहना का तीसरा वकप ात हाेता है
2) 4800 + 2 = 4802
यह दूसर असयात भाग वृ ई
एेसे ही 4, 5, 6 अाद देश अधक म से बढ़ाते जाना
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एेसी असयात भागवृ कब तक हाेगी ?
• जब तक जघय असयात से भाग देकर वृ नही हाे जाती, तब तक
अथात्
•
जघय अवगाहना
जघय परत असयात
= = 300
• 4800 + 300 = 5100
• यह असयात भाग वृ का अितम थान है इससे छाेटा असयात
नही है, जससे भाग देकर असयात भागवृ क जा सके
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असयात भागवृ के कार
5100 असयात भागवृ का अितम थान
5099
असयात भागवृ के मयम
थान
5098
.
.
5000
.
.
.
4802
4801 असयात भागवृ का अाद थान
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अवतय भागवृ
• अगल अवगाहना का कार = 4800 + 301 = 5101
• इस वृ के लए भागहार ा है?
• = 301
• यह काैन-सी वृ है ?
• इसमे भागहार है, जाे क उकृ सयात से बड़ा है अाैर
जघय असयात से छाेटा है एेसी वृ काे अवतय भागवृ कहा
जाता है यह अवतय भागवृ का अाद थान है
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अवतय भागवृ
• दूसर अवतय भागवृ = 4800 + 302 = 5102
• इसका भागहार
• अगल अवतय भागवृ = 4800 + 303 = 5103
• इसका भागहार =
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इस कार अवतय भागवृ कब तक हाेगी ?
• जब तक उकृ ट सयात से भाग देकर ात लध मे से एक
कम माण वृ नही हाे जाती अथात् —
जघय अवगाहना
उकृ ट सयात
1 = 1 = 320 – 1 = 319
• 4800 + 319 = 5119
• यह अवतय भागवृ का अितम थान है
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अवतय भागवृ के कार
5119 → अवतय भागवृ का अत थान.....
5103
अवतय भागवृ के मयम थान
5102
5101 → अवतय भागवृ का अाद थान
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100. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 100
सयात भागवृ
पूवाे अितम भेद मे 1 मलाने पर सयात भागवृ ारभ हाेती है
5119 + 1 = 5120
अथवा जघय अवगाहना +
जघय अवगाहना
उकृ सयात
= सयात भागवृ का थम थान
4800 + = 4800 + 320 = 5120
यह सयात भागवृ है, याेक मूल सया मे सयात का भाग देकर ात लध
ही मूल सया मे बढ़ाया है
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101. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 101
अगल अवगाहनाये
• 4800 + = 4800 + 321 = 5121
• यह सयात भागवृ का तीय थान है
• इसके पचात् एक-एक देश बढ़कर सयात भागवृ ही चलती
है जब तक क जघय सयात भागहार नही हाे जाता
• 4800 + = 4800 + 2400 = 7200
• यह सयात भागवृ का अितम थान है
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102. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 102
सयात भागवृ के कार
7200 → सयात भागवृ का अितम थान.....
सयात भागवृ के मयम थान
5123
5121
5120 → सयात भागवृ का अाद थान
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103. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 103
अवतय वृ
• इसके पचात् एक अाेर देश क वृ हाेने पर अगल अवगाहना
हाेती है 7200 + 1 = 7201
• उसका भागहार — = 2401
• 4800 + 2401 = 7201
• चूक यह भागहार जघय सयात (2) से कम है, अत: यह सयात
भागवृ नही कहलाती इसे अवतय वृ कहते है यह अवतय
वृ का अाद थान है
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104. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 104
• एक अाैर देश क वृ हाेने पर अगल अवगाहना अाती है इसका भागहार —
• इसे जघय अवगाहना मे भाग देने पर वृ का माण अाता है
• = 2402
• 4800 + 2402 = 7202
• यह अवतय वृ का दूसरा थान है
• इस कार जब तक (जघय अवगाहना – 1) माण देश नही बढ़ जाते, तब
तक अवतय वृ 1-1 देश बढ़ते म से करते जाना
• अवतय वृ का अितम थान :
• 4800 + (4800 – 1) = 9599
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105. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 105
अवतय वृ के कार
9599 → अवतय वृ का अितम थान
9598
.....
7202
7201 → अवतय वृ का ारभ थान
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106. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 106
सयात गुणवृ
इसके अागे 1 देश क वृ हाेती है वहा से सयात गुणवृ
ारभ हाेती है याेक जघय अवगाहना मे जघय सयात का
गुणा करके यह थान अाया है
9599 + 1 = 9600 अथवा 4800 × 2 = 9600
इसके अागे 1-1 देश क वृ करते ए सयात गुणवृ के
थान हाेते है
9601, 9602 . . . . . इयाद
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107. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 107
कब तक सयात गुणवृ हाेती है ?
जब तक उकृ ट सयात से गुणाकर थान उपन नही हाे जाता
जघय अवगाहना × उकृ ट सयात
4800 × 15 = 72000
यह सयात गुणवृ का अितम थान है
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108. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 108
सयात गुणवृ के कार
72000 → सयात गुणवृ का अितम भेद
71999
71998
.....
सयात गुणवृ के मयम
थान
9602
9601
9600 → सयात गुणवृ का अाद थान
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109. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 109
अवतय गुणवृ
इसमे 1 देश मलाने पर अवतय गुणवृ का थम थान हाेता
है याेक यह थान उकृ ट सयात से अधक सया का गुणा
करने पर उपन अा है
4800 × = 72001
इसी कार एक-एक देश क वृ करते ए अवतय गुणवृ
हाेती है
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110. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 110
कब तक अवतय गुणवृ हाेती है ?
{ (जघय अवगाहना × जघय परत असयात ) – 1 } ात
हाेने तक अवतय गुणवृ ही चलती है
{ ( 4800 × 16 ) − 1 } = 76800 – 1 = 76799
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111. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 111
अवतय गुणवृ के कार
76799 → अवतय गुणवृ का अितम थान
76798
.....
72002
72001 → अवतय गुणवृ का ारभ थान
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112. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 112
असयात गुणवृ
अवतय गुणवृ के अितम थान मे एक देश क वृ करने
पर असयात गुणवृ ारभ हाेती है याेक यहा जघय
अवगाहना का गुणकार असयात हाे गया है
76799 + 1 = 76800
याने 4800 × 16 = 76800
यहा से एक-एक देश बढ़ते ए असयात गुणवृ ही चलती है
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113. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 113
कब तक असयात गुणवृ हाेगी?
जब तक
अावल
असयात
माण गुणा हाेकर सू वायुकायक
लयपयातक क जघय अवगाहना नही अा जाती तब तक 1-1
देश क वृ ारा असयात गुणवृ हाेती है
अावल
असयात
= 25 माना,
ताे अितम थान = जघय अवगाहना ×
अा
अस
4800 × 25 = 1,20,000
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114. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 114
असयात गुणवृ के कार
1,20,000 सू वायुकायक जघय अवगाहना
.....
76,801
76,800 → असयात गुणवृ का अाद थान
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115. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 115
न
• न — जघय अवगाहना से लेकर दुगुनी अवगाहना तक
अवगाहना के कतने भेद पाए जाएगे ? सयात या असयात ?
• न — अवतय वृ के कतने थान पाए जाएगे ? सयात
या असयात ?
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116. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 116
अवराेगाहणमाणे, जहणपरमदअसखरासहदे
अवरसवर उे, जेमसखेभागस 103
• अथ - जघय अवगाहना के माण मे जघयपरतासयात का
भाग देने से जाे लध अावे उतने देश जघय अवगाहना मे
मलाने पर असयातभागवृ का उकृ थान हाेता है 103
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117. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 117
तसवर इगपदेसे, जुदे अवभागपारभाे
वरसखमवहदवरे, ऊणे अवरउवर जुदे 104
• अथ - असयातभागवृ के उकृ थान के अागे एक देश
क वृ करने से अवय भागवृ का ार हाेता है इसमे
एक एक देश क वृ हाेते हाेते, जब जघय अवगाहना के
माण मे उकृ सया का भाग देने से जाे लध अावे उसमे
एक कम करके जघय के माण मे मला दया जाय तब -
104
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118. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 118
तए चरमाे, तसवर वसजुदे पढमा
सखेभागउ, उवरमदाे वपरव 105
अथ - अवयभागवृ का उकृ थान हाेता है इसके अागे
एक देश अाैर मलाने से सयात भागवृ का थम थान हाेता
है इसके भी अागे एक एक देश क वृ करते करते जब -
105
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119. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 119
अवरे अववर, उे त परसमी
वे तदुवर उे, हाेद अवपढमपद 106
ऊणवरे अवसवर सवदे तदुस
तह पदेसे उे, पढमा सखेगुणव 107
अथ - जघय का जतना माण है उसमे उसका (जघय का) अाधा
माण अाैर मला दया जाय तब सयातभागवृ का उकृ थान
हाेता है इसके अागे भी एक देश क वृ करने पर अवयवृ
का थम थान हाेता है 106
अथ - जघय के माण मे एक कम जघय का ही माण अाैर मलाने
से अवय वृ का उकृ थान हाेता है अाैर इसमे एक देश
अाैर मलाने से सयात गुणवृ का थम थान हाेता है 107
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120. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 120
अवरे वरसखगुणे, तरमाे तह वसजुे
उगाहणह पढमा, हाेद अवगुणव 108
अवरपरासखेणवर सगुणय वपरहीणे
तरमाे वजुदे, तह असखेगुणपढम 109
• अथ - जघय काे उकृ सयात से गुणा करने पर
सयातगुणवृ का उकृ थान हाेता है इस सयात गुणवृ
के उकृ थान मे ही एक देश क वृ करने पर अवय
गुणवृ का थम थान हाेता है 108
• अथ - जघय अवगाहना का जघय परतासयात के साथ गुणा
करके उसमे से एक घटाने पर अवय गुणवृ का उकृ
थान हाेता है अाैर इसमे एक देश क वृ हाेने पर
असयात गुणवृ का थम थान हाेता है 109
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121. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 121
वुरेण ताे, अावलयासखभागगुणगारे
तपाउगे जादे, वाउसाेगाहण कमसाे 110
अथ - इस असयात गुणवृ के थम थान के ऊपर म से
एक एक देश क वृ हाेते हाेते जब सू अपयात वायुकाय
क जघय अवगाहना क उप के याेय अावल के असयातवे
भाग का गुणाकार उप हाे जाय तब म से उस वायुकाय क
जघय अवगाहना हाेती है 110
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122. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 122
एव उवर व णेअाे, पदेसवमाे जहाजाेग
सथेे कह य, जीवसमासाण वाले 111
अथ - जस कार सू िनगाेदया अपयात से लेकर सू
अपयात वातकाय क जघय अवगाहना पयत देश वृ के म
से अवगाहना के थान बताये, उस ही कार अागे भी वात से तेज
अाैर तेजकायक से लेकर पयात पचेय क उकृ अवगाहना
पयत सपूण जीवसमासाे के येक अतराल मे देशवृम से
अवगाहनाथानाे काे समझना चाहये 111
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123. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 123
हेा जेस जहण, उवर उसय हवे जथ
तथतरगा से, तेस उगाहणवअपा 112
अथ - जन जीवाे क थम जघय अवगाहना का अाैर अनतर
उकृ अवगाहना का जहा जहा पर वणन कया गया है उनके
मय मे जतने भेद है उन सबका उसी के भेदाे मे अतभाव हाेता
है 112
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124. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 124
कु ल
जन पुद्गल कधाे से शरर बनता है, उनके भेद का नाम कु ल है
जैसै शरर के पुद्गल, अाकाराद के भेद से पचेय ितय मे हाथी,
घाेड़ा इयाद भेद है वे अलग-अलग कार के कु ल कहलाते है
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125. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 125
बावीस स ितण य, स य कु लकाेडसयसहसाइ
णेया पुढवदगागण, वाउायाण परसखा 113
काेडसयसहसाइ, स णव य अवीसाइ
बेइदय-तेइदय-चउरदय-हरदकायाण 114
अथ - पृथवीकायक जीवाे के कु ल बाईस लाख काेट,
• जलकायक जीवाे के कु ल सात लाख काेट,
• अकायक जीवाे के कु ल तीन लाख काेट अाैर
• वायुकायक जीवाे के कु ल सात लाख काेट है 113
अथ - य जीवाे के कु ल सात लाख काेट,
• ीय जीवाे के कु ल अाठ लाख काेट,
• चतरय जीवाे के कु ल नाै लाख काेट, अाैर
• वनपितकायक जीवाे के कु ल 28 लाख काेट है 114
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126. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 126
अतेरस बारस, दसय कु लकाेडसदसहसाइ
जलचर-पख-चउपय-उरपरसपेस णव हाेित 115
• अथ - पचेय ितयचाे मे जलचर जीवाे के साढ़े बारह लाख
काेट,
• पयाे के बारह लाख काेट,
• पशअाे के दश लाख काेट, अाैर
• छाती के सहारे से चलने वाले दुमुही अाद के नव लाख काेट
कु ल है 115
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127. Visit www.jainkosh.org for granth, notes, audio & video 127
छपचाधयवीस, बारसकु लकाेडसदसहसाइ
सर-णेरइय-णराण जहाकम हाेित णेयाण 116
एया य काेडकाेड, साणउद य सदसहसाइ
पण काेडसहसा, सगीण कु लाण य 117
अथ - देव, नारक तथा मनुय इनके कु ल म से छीस लाख
काेट, पीस लाख काेट तथा बारह लाख काेट है जाे क
भयजीवाे के लये ातय है 116
अथ - इस कार पृथवीकायक से लेकर मनुय पयत सपूण
जीवाे के समत कु लाे क सया एक काेड़ाकाेड़ तथा सानवे
लाख अाैर पचास हजार काेट है 117
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