1. म गुणथान
गाथा 1 : मगलाचरण
1. जाे स, श एव अकलक है एव
2. जनके सदा गुणपी राे के भूषणाे का उदय रहता है,
3. एेसे ी जनेवर नेमच वामी काे नमकार करके
4. जीव क पणा काे कगा
स स पणमय जणदवरणेमचदमकलक
गुणरयणभूसणुदय जीवस पवण वाेछ
सामदयेण य, जतरसघादकेण
ण य स मछ प य, ससाे हाेद परणामाे 21
अथ - जसका ितपी अाा के गुण काे सवथा घातने का
काय दूसर सवघाित कृ ितयाे से वलण जाित का है उस
जायतर सवघाित सयमयाव कृ ित के उदय से के वल
सयवप या मयावप परणाम न हाेकर जाे मप
परणाम हाेता है, उसकाे म गुणथान कहते है 21
दहगुडमव वा मस, पुहभाव णेव कारदु स
एव मसयभावाे, सामछाे णादाे 22
अथ - जस कार दही अाैर गुड़ काे परपर इस तरह से
मलाने पर क फर उन दाेनाे काे पृथक् -पृथक् नही कर सके ,
उस मत य का रस मप (खा अाैर मीठा मला अा)
हाेता है उसी कार मपरणामाे मे भी एक ही काल मे
सयव अाैर मयावप परणाम रहते है, एेसा समझना
चाहये 22
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2. म गुणथान
िनम
सयमयाव
कम का उदय
जायतर
सवघाित कृ ित
परणाम
म
सयक् भी,
मया भी
उदाहरण
गुड़-मत दही
का वाद
न सफ खा,
न सफ मीठा,
इसीलए खा मीठा कम थित
उपशम सयव का काल
म गुणथान का काल
म कृ ित का उदय
मयाव का अनुदय
मयाव
साे सजम ण गहद, देसजम वा ण बधदे अाउ
स वा मछ वा, पडवय मरद णयमेण 23
अथ - तृतीय गुणथानवती जीव सकल सयम या देशसयम
काे हण नही करता अाैर न इस गुणथान मे अायुकम का
बध ही हाेता है तथा इस गुणथान वाला जीव यद मरण
करता है ताे िनयम से सयव या मयावप परणामाे
काे ा करके ही मरण करता है 23
म गुणथान - िनयम
सकल-सयम अथवा देश-सयम काे हण नही करता
अायु नही बाधता है
इस गुणथान मे मरण नही हाेता है
यहा मारणातक समुात नही हाेता है
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3. स-मछपरणामेस जह अाउग पुरा ब
तह मरण मरणतसमुघादाे व य ण मस 24
अथ - तृतीय गुणथानवती जीव ने तृतीय गुणथान काे ा करने से
पहले सयव या मयावप परणामाे मे से जस जाित के
परणाम काल मे अायुकम का बध कया हाे उस ही तरह के
परणामाे के हाेने पर उसका मरण हाेता है, कत म गुणथान मे
मरण नही हाेता अाैर न इस गुणथान मे मारणातक समुात ही
हाेता है 24
सयव के कार
ायाेपशमक
याेपशम
अाैपशमक
उपशम
ायक
यदशन मोहनीय
कम का
सदेसघादसदयादाे वेदग हवे स
चलमलनमगाढ त, ण कखवणहेदु 25
अथ - देशघाित सयव कृ ित के उदय हाेने पर जाे अाा
के परणाम हाेते है उनकाे वेदक या ायाेपशमक सयदशन
कहते है
वे परणाम चल, मलन या अगाढ़ हाेते ए भी िनय ही
अथात् जघय अतमुत से लेकर उकृ 66 सागर पयत
कमाे क िनजरा के कारण है 25
याेपशम कसे कहते है?
• वतमानकालन सवघाित पधकाे का उदयाभावी
य
• वतमानकालन सवघाित पधकाे का उदयाभावी
य
य
• भवय मे उदय मे अाने याेय सवघाित पधकाे
का सदवथाप उपशम
• भवय मे उदय मे अाने याेय सवघाित पधकाे
का सदवथाप उपशम
उपशम
•वतमानकालन देशघाती पधकाे का उदय•वतमानकालन देशघाती पधकाे का उदयउदय
इन 3 प कम क अवथा काे याेपशम कहते है |
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4. उदयाभावी य
सवघाती कृ ितयाे का अनत गुणा हीन हाेकर देशघाती मे
परवितत हाेकर उदय मे अाने काे उदयाभावी य कहते है |
इसमे सवघाित पधक उदय मे अाने के एक समय पूव
देशघाती मे परवितत हाेते है |
अनुभाग का अनत गुणा हीन हाेना
सवघाित का देशघाित प उदय हाेना
उदयाभावी य
लता
सदवथाप उपशम
वतमान समय काे छाेड़कर भवय मे
उदय मे अाने वाले कमाे के सा मे
रहने काे सदवथाप उपशम कहते है
उदरणा
न हाेना
कम
थित
ायाेपशमक सयव कै से ?
मयाव, सयमयाव, अनतानुबधी ४ का
उदयाभावी य सदवथाप उपशम
तवाथ ान
सयव कृ ित का
उदय
चल मलाद दाेष
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5. याेपशम सयव मे दाेष
चल
जल क तरगाे क
तरह चचल
अा, अागम, पदाथाे
के वषय मे चचलपना
मल
बा मल से सहत
श साेना
शकाद मल सहत
सयव
अगाढ़
वृ के हाथ क
लाठ
अााद क तीित मे
शथलता
सह उवसमदाे, उवसमसाे खयादु खइयाे य
वदयकसायुदयादाे, असजदाे हाेद साे य 26
अथ - दशनमाेहनीय क तीन अथात् मयाव, म अाैर सयव
कृ ित तथा चार अनतानुबधी कषाय - इन सात कृ ितयाे के उपशम
से अाैपशमक अाैर सवथा य से ायक सयदशन हाेता है
इस चतथगुणथानवती सयदशन के साथ सयम बलकु ल नही हाेता
ाेक यहा पर दूसर अयायानावरण कषाय का उदय रहा करता
है इसी से इस गुणथानवती जीव काे असयत सय कहते है
26
अाैपशमक सयव
दशन माेहनीय क 1 या 2 या 3 कृ ितयाे का शत उपशम करने
पर तथा
अनतानुबधी क 4 कृ ितयाे का अशत उपशम हाेने पर
हाेने वाले जीव के सयव परणाम काे अाैपशमक सयव कहते
है ।
उपशम कसे कहते है?
1. कमाे का अपने परणामाे के िनम से अागे-पीछे करना
वह उपशम (शत उपशम) कहलाता है |
2. उससे जाे gap/empty space बनेगा तब उस gap /
empty space मे उस-उस कम कृ ित का उदय नही
रहेगा |
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6. अनाद मया के चतथ गुणथान मे
जाने क या
४ लध ा कर
वी लध के ३
करण परणाम कर
उपशम सयव
ा करे
कमाे काे पहले उदय मे लाना
कमाे के उदय काे अागे करना
अाैपशमक सयव
(कम के उदय का अभाव)
अतमुत काल
मयाव कम
थमाेपशम सयव
का थम समय
15
14
13
12
11
10
9
8
7
6
5
4
3
2
1
अाैपशमक सयव से जाने के 4 माग
अाैपशमक
सयव
मयाव
सासादन सयमयाव
ायाेपशमक
सयव
अनतानुबधी का
उदय अाने पर
सयव कृ ित का
उदय अाने पर
मयाव कृ ित का
उदय अाने पर
सयमयाव कृ ित का
उदय अाने पर
ायक सयव
अनतानुबधी क 4 कृ ितयाे क वसयाेजना करके
दशन माेहनीय क 3 कृ ितयाे का य करने पर
हाेने वाले जीव के सयव परणाम काे ायक सयव कहते है
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7. अवरत सयव
परणाम
अवरत
प
सयव
प
िनम
अयायानावरण कषाय
का उदय
दशन माेहनीय का उपशम,
य या याेपशम
साइ जीवाे, उवइ पवयण त सहद
सहद असाव, अजाणमाणाे गुणयाेगा 27
अथ - जाे जीव अहतादकाे ारा उपदेशत एेसा जाे वचन अथात्
अा, अागम, पदाथ ये तीन, उहे ता है, उनमे च करता है, उन
अाादकाे मे असाव अथात् अतव अयथाप, उसकाे भी अपने
वशेष ान के अभाव से के वल गु ही के िनयाेग से जाे इस गु ने
कहा, साे ही अहत क अाा है, इसकार तीित से ान करता है,
वह भी सय ही है, ाेक अहत क अाा का उघन नही करता
है 27
सादाे त स, दरसत जदा ण सहद
साे चेव हवइ मछाइ जीवाे तदाे पद 28
अथ - उस कार असय अथ का ान करनेवाला अाा सय जीव,
जस काल वीण अय अाचायाे ारा, पूव मे हण कया अा असयाथप
ान से वपरत भाव सयाथ, साे गणधरादकाे के सू दखाकर सयक्
कार से िनपण कया जाए, उसका खाेटे हठ से ान न करे ताे, उस
काल से लेकर, वह जीव मया हाेता है ाेक सू के अान से जन
अाा के उघन का ससपना है, उस कारण से मया हाेता है 28
णाे इदयेस वरदाे, णाे जीवे थावरे तसे वाप
जाे सहद जणु, साइ अवरदाे साे 29
अथ - जाे इयाे के वषयाे से तथा स थावर जीवाे क हसा
से वरत नही है, कत जनेदेव ारा कथत वचन का ान
करता है वह अवरतसय है 29
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8. अवरत सयव
अवरत
वरत नही है
• 6 काय के जीवाे क हसा से
• 5 इय अाैर मन के वषयाे मे वृ से
सयव
जने देव के
वचनाे मे ान है
पखाणुदयादाे, सजमभावाे ण हाेद णवर त
थाेववदाे हाेद तदाे, देसवदाे हाेद पचमअाे 30
अथ - यहा पर यायानावरण कषाय का उदय रहने से पूण सयम
ताे नही हाेता, कत यहा इतनी वशेषता हाेती है क
अयायानावरण कषाय का उदय न रहने से एकदेश त हाेते है
अतएव इस गुणथान का नाम देशत या देशसयम है यही पचम
गुणथान कहलाता है 30
देशवरत गुणथान
परणाम
देशवरत (अणुत पालन-
प)
पूण सयम का अभाव
िनम
दाे कषाय चाैकड़ का
अनुदय
यायानावरण कषाय का
उदय
अ या यानावरण या यानावरण
वतमान आगामी
उदयाभावी
य
सदव था प
उपशम
उदय
ायाेपशमक भाव कै से ?
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9. 11 ितमा - नाम
1. दशन ितमा
2. त ितमा
3. सामायक
4. ाेषधाेपवास
5. सच याग
6. दवामैथुन याग या
राी भु याग
7. चय
8. अारभ याग
9. परह याग
10. अनुमित याग
11. उ याग
जाे तसवहाउ वरदाे, अवरदअाे तह य थावरवहादाे
एसमयह जीवाे, वरदावरदाे जणेमई 31
अथ - जाे जीव जनेदेव मे अतीय
ा काे रखता अा स क हसा से
वरत अाैर उस ही समय मे थावर क
हसा से अवरत हाेता है, उस जीव काे
वरतावरत कहते है 31
एक काल मे वरतावरत
वरत
स हसा का
यागी
अवरत
थावर हसा का
अयागी
वरतावरत सयमासयम
देशसयम देशचार
अय नाम
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10. सजलणणाेकसायाणुदयादाे सजमाे हवे जहा
मलजणणपमादाे व य, तहा पमवरदाे साे 32
अथ - सकल सयम काे राेकनेवाल यायानावरण कषाय
का याेपशम हाेने से पूण सयम ताे हाे चुका है, कत उस
सयम के साथ-साथ सवलन अाैर नाेकषाय का उदय रहने
से सयम मे मल काे उप करने वाला माद भी हाेता है
अतएव इस गुणथान काे मवरत कहते है 32
म वरत
परणाम
पूण सयम भाव
माद क उप
िनम
तीन कषाय चाैकड़ का
अनुदय
सवलन अाैर नाेकषाय
का ती उदय
वावपमादे, जाे वसइ पमसजदाे हाेद
सयलगुणसीलकलअाे, महई चलायरणाे 33
अथ - जाे महाती सपूण (28) मूलगुण अाैर शील के भेदाे से यु
हाेता अा भी य एव अय दाेनाे कार के मादाे काे करता है
वह मसयत गुणथानवाला है अतएव वह चल अाचरणवाला
माना गया है 33 अछे कायाे के करने मे अादर भाव
का न हाेना यह माद है
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11. वकहा तहा कसाया, इदय णा तहेव पणयाे य
चदु चदु पणमेगेग, हाेित पमादा पणरस 34
अथ - चार वकथा - ीकथा, भकथा, राकथा, अविनपालकथा,
चार कषाय - ाेध, मान, माया, लाेभ, पच इय - पशन, रसना,
ाण, च, ाे, एक िना अाैर एक णय-नेह इस तरह कु ल
मलाकर मादाे के पह भेद है 34
15 माद
4 वकथा
ी
भाेजन
चाेर
रा
4 कषाय
ाेध
मान
माया
लाेभ
5 इय
पशन
रसना
ाण
च
कण
िना नेह
• सयम व कथा काे वकथा कहते हैवकथा
• सयम गुण काे घाते, उसे कषाय कहते हैकषाय
• सयम वराेधी इयाे क वषय वृ काे इय कहते
हैइय
• यानगृ अादक 3 अथवा िना, चला के ती उदय से पदाथाे का
सामायमा हण काे राेकने वाल जड़प अवथा िना हैिना
• बा पदाथाे मे ममवप भाव नेह हैणय
सखा तह पथाराे, परयण ण तह समु
एदे पच पयारा, पमदसमुणे णेया 35
अथ - माद के वशेष वणन के वषय मे इन पाच काराे काे
समझना चाहये सया, तार, परवतन, न अाैर समु
अालापाे के भेदाे क गणना काे सया, सया के रखने या िनकालने
के म काे तार, एक भेद से दूसरे भेद पर पहचने के म काे
परवतन, सया के ारा भेद के िनकालने काे न अाैर भेद काे
रखकर सया िनकालने काे समु कहते है 35
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12. माद काे समझने के उपाय
• अालाप के भेदाे क गणना• अालाप के भेदाे क गणनासया
•सया के रखने या िनकालने के म काे तार कहते है•सया के रखने या िनकालने के म काे तार कहते हैतार
•एक भेद से दूसरे भेद पर पचने काे परवतन कहते है•एक भेद से दूसरे भेद पर पचने काे परवतन कहते हैपरवतन
• सया के ारा भेद िनकालने काे न कहते है• सया के ारा भेद िनकालने काे न कहते हैन
•भेद के ारा सया िनकालने काे समु कहते है•भेद के ारा सया िनकालने काे समु कहते हैसमु
से प पुभगा, उवरमभगेस एमेे स
मेलित य कमसाे, गुणदे उपदे सखा 36
अथ - पूव के सब ही भग अागे के येक भग मे मलते है,
इसलये म से गुणा करने पर सया उप हाेती है 36
सया (भग का जाेड़ कै से लाये )
1. सव माद-पड काे रखकर अापस मे गुणा करने पर सया ा हाेती है |
2. सव मादाे क सया = 80
वकथा
कषाय
इय
िना
नेह
4 4 5 1 1
पढम पमदपमाण, कमेण णखवय उवरमाण च
पड पड एे क, णखे हाेद पथाराे 37
अथ - थम माद के माण का वरलन कर म से
िनेपण करके उसके एक-एक प के ित अागे के
पडप माद के माण का िनेपण करने पर तार हाेता
है 37
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13. सया काे िनकालने/समझने
क वध दाे कार है
इसे थम तार व
तीय तार कहते है
Step 1: थम माद पड का वरलन कराे
Step 2: इस वरलन पर तीय माद पड रखाे
ये जाे 16 अाए, अब इसे थम माद पड समझना अागे का माद पड दूसरा कहलायेगा
थम तार
वकथा
(4)
1 1 1 1
ी भत राज अविन
कषाय (4) 4 4 4 4
वकथा (4)
1 1 1 1
ी भत राज अविन
1. Step 3: इस ा थम पड का वरलन कराे
Step 4: इसके ऊपर अगले पड (5 इय) का वरलन कराे
इसका जाेड़ = 80 अागे िना व णय 1-1 ही है| उहे उपयु वध से रखने पर भी भग 80
ही हाेते है
1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1
ो मा मा लो ो मा मा लो ो मा मा लो ो मा मा लो
ी ी ी ी भ भ भ भ रा रा रा रा अ अ अ अ
कषाय- वकथा (16)
5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5
1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1
ो मा मा लो ो मा मा लो ो मा मा लो ो मा मा लो
ी ी ी ी भ भ भ भ रा रा रा रा अ अ अ अ
इन 80 भगाे काे कै से बाेला जायेगा ?
1. नेहवान—िनाल—पशन इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
2. नेहवान—िनाल— रसना इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
3. नेहवान—िनाल— ाण इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
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14. णखु वदयमे, पढम तसवर वदयमेे
पड पड णखेअाे, एव सथ कायाे 38
अथ - दूसरे माद का जतना माण है उतनी जगह पर
थम माद के पड काे रखकर, उसके ऊपर एक-एक
पड के ित अागे के माद मे से एक-एक का िनेपण
करना अाैर अागे भी सव इसी कार करना 38
तीय तार
Step 1: तीय मादपड के माण बार थम माद पड काे रखाे
Step 2: एक-एक पड के ऊपर तीय माद पड के एक-एक भेद काे रखाे
इनका जाेड़ = 16
* यह जाे 16 अाया, इसे थम माद पड समझना अाैर इय काे तीय माद
पड समझना
वकथा (4) 4 4 4 4
कषाय 1 (ाे) 1 (मा) 1 (मा) 1 (लाे)
वकथा 4 4 4 4
Step 3: पुन: तीय मादपड माण बार थम मादपड रखाे
Step 4: इसके ऊपर तीय मादपड के एक-एक भेद काे रखाे
इनका जाेड़ = 80
वकथा-
कषाय
16 16 16 16 16
इय 1 (प) 1 (र) 1 (ा) 1 (च) 1 (क)
वकथा-
कषाय
16 16 16 16 16
इन 80 भगाे काे कै से बाेला जायेगा ?
1. ीकथालापी—ाेधी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
2. भकथालापी—ाेधी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
3. राजकथालापी—ाेधी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
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15. तदयखाे अतगदाे, अादगदे सकमेद वदयखाे
दाेण व गतूणत, अादगदे सकमेद पढमखाे 39
अथ - माद का तृतीय थान अत काे ा हाेकर जब फर से
अादथान काे ा हाे जाय तब माद का दूसरा थान भी बदल जाता
है इसी कार जब दूसरा थान भी अत काे ा हाेकर फर अाद
काे ा हाे जाय तब थम माद का थान बदलता है िना अाैर
नेह इनका दूसरा भेद नही है, इसलये इनमे असचार नही हाेता
39
अ परवतन—थम तार क अपेा
Step 1: अत के अ काे थम भेद से लेकर अितम भेद तक ले जाना जैसे
1. नेहवान—िनाल—पशन इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
2. नेहवान—िनाल— रसना इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
3. नेहवान—िनाल—ाण इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
4. नेहवान—िनाल— च इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
5. नेहवान—िनाल— कण इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
Step 2: जब अ अितम थान काे ात हाे जाए तब—
a) इस अ काे पुन थम थान से ारभ कराे तथा
b) पूव अ काे अगले थान पर ले जाअाे जैसे —
5. नेहवान—िनाल— कण इय के वशीभूत—ाेधी-ी कथालापी
6. नेहवान—िनाल—पशन इय के वशीभूत—मानी-ी कथालापी
7. नेहवान—िनाल— रसना इय के वशीभूत—मानी-ी कथालापी
8. नेहवान—िनाल—ाण इय के वशीभूत—मानी-ी कथालापी
9. नेहवान—िनाल— च इय के वशीभूत—मानी-ी कथालापी
Step 3: एेसा करते ए जब तृतीय व तीय अ अत थान पर पच जाए तब
a) तीय व तृतीय अ के थम थान काे थापत कराे
b) थम अ काे अगले थान पर ले जाअाे जैसे —
20. नेहवान—िनाल— कण इय के वशीभूत—लाेभी-ी कथालापी
21. नेहवान—िनाल—पशन इय के वशीभूत—ाेधी-भ कथालापी
22. नेहवान—िनाल— रसना इय के वशीभूत—ाेधी-भ कथालापी
Step 4: एेसा सभी अ थानाे के अितम भेद ात हाेने तक कराे
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16. पढमखाे अतगदाे, अादगदे सकमेद वदयखाे
दाेण व गतूणत, अादगदे सकमेद तदयखाे 40
थमा जाे वकथाप माद थान वह घूमता अा जब म से अत
तक पचकर फर ीकथाप अाद थान पर अाता है तब दूसरा
कषाय का थान ाेध काे छाेड़कर, मान पर अाता है |
इसी कार जब दूसरा कषाय थान भी अत काे ा हाेकर फर
अाद(ाेध) थान पर अाता है तब तीसरा इय थान बदलता है
अथात पशन काे छाेड़कर रसना पर अाता है |
3. अ परवतन—तीय तार
Step 1: थम अ के थम भेद से लेकर अत के भेद तक जाअाे
यथा—
1. ीकथालापी—ाेधी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
2. भकथालापी—ाेधी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
3. राजकथालापी—ाेधी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
4. अविनपाल-कथालापी—ाेधी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
Step 2: जब थम अ अत थान काे ात हाे गया, तब
a) थम अ काे पुन: थम भेद पर ले जाअाे, तथा
b) तीय अ काे अगले भेद पर ले जाअाे यथा—
4. अविनपाल-कथालापी—ाेधी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
5. ीकथालापी—मानी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
6. भकथालापी—मानी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
7. राजकथालापी—मानी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
8. अविनपाल-कथालापी—मानी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
9. ीकथालापी—मायावी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
Step 3: एेसा करते ए जब थम एव तीय अ अत थान काे ात हाे
जाए, तब—
a) थम व तीय अ काे थम भेद पर ले जाअाे, तथा
b) तृतीय अ काे अगले भेद पर ले जाअाे
16.अविनपाल-कथालापी—लाेभी—पशन इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
17.ीकथालापी—ाेधी—रसना इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
18.भकथालापी—ाेधी—रसना इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
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17. Step 4: एेसा तब तक करते रहना, जब तक क सारे अाे के अत थान ात
न हाे जावे यथा –
77. ीकथालापी—लाेभी—कण इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
78. भकथालापी—लाेभी—कण इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
79. राजकथालापी—लाेभी—कण इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
80. अविनपाल-कथालापी—लाेभी—कण इय वशीभूत-िनाल-नेहवान
सगमाणेह वभे सेस लखु जाण अखपद
ले व पखव से अते ण वपखेवाे 41
अथ - कसी ने जतनेवा माद का भग पूछा हाे उतनी सया काे रखकर
उसमे म से माद-माण का भाग देना चाहये
भाग देने पर जाे शेष रहे, उसकाे अथान समझ जाे लध अावे उसमे एक
मलाकर, दूसरे माद के माण का भाग देना चाहये अाैर भाग देने से जाे
शेष रहे, उसकाे अथान समझना चाहये
कत शेष थान मे यद शूय हाे ताे अत का अथान समझना चाहये
अाैर उसमे एक नही मलाना चाहये 41
नट
अालाप सया बताकर
अालाप का नाम बताना
नट कहलाता है
जैसे—5वे तीथकर, ताे उर अाया—समितनाथ
एेसे ही 10वा माद का भग, ताे उर ?
न वध – थम तार अपेा
Step 1: जतनेवा माद का भग है उसे अितम माद पड के माण से भाग
दाे
जैसे—15 वा माद भग काैन-सा है ?
यहा 15 काे माद पड इय का भाग दया
लध (quotient) शेष (remainder)
3 0
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18. Step 2: ात लध काे अगले माद पड का भाग दाे (याने कषाय का)
नाेट: यद शेष 0 नही है, ताे लध मे एक मलाना
Step 3: ात लध काे अगले माद पड का भाग दाे (याने वकथा का)
लध (quotient) शेष (remainder)
0 3
लध (quotient) शेष (remainder)
= 0 1
Step 4: जाे-जाे शेष मे सया है, वह-वह उस माद पड का भेद हण करना यद शेष
0 है, ताे अितम भेद हण करना
इसी काे तीय तार से भी िनकालना परत भाग लगाने का म वपरत करना
लध (quotient) शेष (remainder)
3 0 = कण इय
0 3 = तीसर कषाय =
माया
= 0 1 = थम वकथा = ी
कथा
पूरा भग अा नेहवान—िनाल—कणेय वशीभूत—मायावी—ीकथालापी
न वध – तीय तार अपेा
Step 1: जतनेवा माद का भग है उसे थम माद पड के माण से भाग दाे
जैसे—15 वा माद भग काैन-सा है ?
यहा 15 काे माद पड वकथा का भाग दया
नाेट: यद शेष 0 नही है, ताे लध मे एक मलाना
लध (quotient) शेष (remainder)
3 3
Step 2: ात लध काे अगले माद पड का भाग दाे (याने कषाय का)
Step 3: ात लध काे अगले माद पड का भाग दाे (याने इय का)
लध (quotient) शेष (remainder)
= 1 0
लध (quotient) शेष (remainder)
0 1
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19. Step 4: जाे-जाे शेष मे सया है, वह-वह उस माद पड का भेद हण करना
यद शेष 0 है, ताे अितम भेद हण करना
लध (quotient) शेष (remainder)
3
3 = तीसर वकथा =
राजकथा
= 1
0 = अितम कषाय =
लाेभ
0
1 = थम इय =
पशन
पूरा भग अा राजकथालापी-लाेभी-पशनेय वशीभूत - िनाल- नेहवान
Home-work
इन अालापाे काे बनाकर लाइये—
25, 40, 65, 78
सठावदूण व, उवरदाे सगुणु सगमाणे
अवण अणकदय, कु ा एमेव सथ 42
अथ - एक का थापन करके
अागे के माद का जतना माण है, उसके साथ गुणाकार करना
चाहये
अाैर उसमे जाे अनकत (शेष रहे माद) हाे, उसकाे घटाए
इसी कार अागे भी करने से उ का माण िनकलता है 42
उद᳭दट
अालाप रखकर सया िनकालने काे उद᳭दट
कहते है
जैसे—धमनाथ काैन-से तीथकर है ? ताे उर दया— 15वे
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20. अकत थान— अनकत थान
कषाय — ाेध मान माया लाेभ
इनमे से यद ाेध का अालाप कहा ताे ाेध अकत है, शेष 3 थान अनकत है
यद मान का अालाप कहा ताे मान अकत है, शेष 2 अनकत है
यद माया का अालाप कहा ताे माया अकत है, शेष 1 अनकत है
यद लाेभ का अालाप कहा ताे लाेभ अकत है, 0 अनकत है
कस माद पड का गुणा पहले करना?
1. जाे धीरे-धीरे बदलता है, उसका गुणा पहले करना |
2. अथात् थम तार मे वकथा सबसे धीमे बदलती है, अत उ
िनकालते समय सबसे पहले वकथा का गुणा करना, फर कषाय
का, फर इय का
3. तीय तार मे इय सबसे धीमे बदलती है, अत उ
िनकालते समय सबसे पहले इय का गुणा करना, फर कषाय
का, फर वकथा का
थम तार: नेहवान-िनाल-ाेइय वशीभूत-मायावी-
भतकथालापी का काैन-सा भग है ?
1. एक का थापन कराे 1
2. थम माद पड का गुणा कराे 1 4 = 4
3. वकथा के अनकत थान घटाअाे 4 ̶ 2 = 2
4. अगले माद पड का गुणा कराे 2 4 = 8
5. कषाय के अनकत थान घटाअाे 8 ̶ 1 = 7
6. अगले माद पड का गुणा कराे 7 5 = 35
7. इय के अनकत थान घटाअाे 35 ̶ 0 = 35
अथात् यह 35 वा भग है
तीय तार:
भतकथालापी-मायावी-ाेइय वशीभूत-िनाल-नेहवान
का काैन-सा भग है ?
1. 1 का थापन कराे 1
2. अितम माद पड का गुणा कराे 1 5 = 5
3. इय के अनकत थान घटाअाे 5 ̶ 0 = 5
4. तीय माद पड का गुणा कराे 5 4 = 20
5. कषाय के अनकत थान घटाअाे 20 ̶ 1 = 19
6. थम माद पड का गुणा कराे 19 4 = 76
7. वकथा के अनकत थान घटाअाे 76 ̶ 2 = 74
8. अथात् यह 74 वा भग है
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21. Home Work
इन भगाे क सया बताइए —
1. भ कथालापी- लाेभी – रसना इय के वशीभूत – िनाल – नेहवान
2. अविनपाल कथालापी – मायावी – च इय के वशीभूत – िनाल –
नेहवान
3. रा कथालापी – मानी – कण इय के वशीभूत – िनाल – नेहवान
4. ी कथालापी – ाेधी – पशन इय के वशीभूत – िनाल – नेहवान
इगवितचपणखपणदशपणरस खवीसतालस य
सठवय पमदठाणे, णु च जाण िताणे 43
अथ - तीन मादथानाे मे म से थम पाच इयाे के थान पर एक, दाे, तीन,
चार, पाच काे म से थापन करना चार कषायाे के थान पर शूय पाच, दश,
पह थापन करना तथा वकथाअाे के थान पर म से शूय बीस, चालस,
साठ, थापन करना
एेसा करने से न उ अछ तरह समझ मे अा सकते है ाेक जाे भग
ववत हाे उसके थानाे पर रखी ई सया काे परपर जाेड़ने से, यह कतनेवा
भग है अथवा इस सया वाले भग मे काैन काैन-सा माद अाता है, यह समझ मे
अा सकता है 43
थम तार का गूढ़ य
पशन
1
रसना
2
ाण
3
च
4
कण
5
ाेध
0
मान
5
माया
10
लाेभ
15
ी
0
भ
20
राट
40
अविनपाल
60
इगवितचखचडवारम् खसाेलरागदालचउस
सठवय पमदठाणे, णु च जाण िताणे 44
अथ - दूसरे तार क अपेा तीनाे मादथानाे मे म से थम वकथाअाे के
थान पर 1 2 3 4 थापन करना अाैर कषायाे के थान पर 0 4 8 12
थापन करना अाैर इयाे क जगह पर 0 16 32 48 64 थापन करना
एेसा करने से दूसरे तार क अपेा भी पूव क तरह नाे समझ मे अा
सकते है 44
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22. दूसरे तार का गूढ़ य
ी
1
भ
2
राट
3
अविनपाल
4
ाेध
0
मान
4
माया
8
लाेभ
12
पशन
0
रसना
16
ाण
32
च
48
कण
64
इन याे का याेग करने क वध
नट िनकालने के लये
(सया से भग)
जन काेठाे का जाेड़ मलाने से
वह सया मले उन काेठाे के
मादाे का भग हाेगा
उट िनकालने के लये
(भग से सया)
जन काेठाे मे माद के उर
भेद हाे उन काेठाे के अकाे काे
जाेड़ने पर सया मलेगी
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