2. • डॉ. जीन पियाजे ( 1896 – 1980 ) एक स्विस मनोिैज्ञक्षिक थे और मूल रूि से
एक प्राणी पिज्ञान क
े पिद्िान थे ।
• उनक
े कायो ने उन्हें एक मनो िैज्ञाननक क
े रूि मे प्रससद्धि दिलिाई थी । पियाजे
ने फ्ाांस क
े बिनेट (Binet) क
े साथ समलकर भी कई िर्षों तक कायय ककए ।
• पियाजे ने िुद्धि क
े पिर्षय में अिना तयक दिया कक िुद्धि जन्मजात नही होती है ।
इन्होंने इस िूिय में प्रचसलत कारक का कक िुद्धि जन्मजात हाोती है, का खण्डन
ककया । जैसे जैसे िालक की आयु िढ़ती है िैसे िैसे उसका कायय – िेत्र भी िढ़ता है
और िुद्धि का पिकास भी सांभि होता है।
• प्रारांभ में िच्चा क
े िल सरल सम्ित्ययों को ही सीखता है और जैसे – जैसे उसका
अनुभि िढ़ता है िुद्धि का पिकास होता है, आयु िढ़ती है , िैसे – िैसे िह जदटल
सम्मत्ययों को भी सीखता है ।
3. • िातािरण एिां कियाओां का योगिान सीखने या अधिगम में महत्ििूणय होता है ।
पियाजे यह भी कहते हैँ कक सीखना कोई याांबत्रक किया नही है, िास्कक यह एक
िौद्धिक प्रकिया होती है । सीखना एक सांित्यय ननमायण करना होता है और ननमायण
करने की यह प्रकिया सरल से कदिन की ओर चलती है । िहले जि िालक का
अनुभि होता है , उसकी आयु भी कम होती है , तो िह सरल अििारणाओां या
सम्ित्ययों को ही सीख सकते हैं और जैसे – जैसे िालक की आयु िढ़ती है , तो
उसका अनुभि भी िढ़ता है और िह अिनी िुद्धि से जदटल सम्ित्यों का ननमायण
करता है ।
• िालक की सत्य क
े िारे में धचन्तन करने की शककत, िररिक्िता – वतर और
अनुभिों की अन्तः ककया िर ननभयर करती है तथा ननिायररत होता है। इसीसलए
मनोिैज्ञाननक ने इसे अन्तः कियाििी पिचारिारा का नाम दिया है , और क
ु छ
मनोिैज्ञाननकों ने इसे सम्प्रत्यय ननमायण का ससद्िाांत भी कहा है।
4. • जीन पियाजे स्विजरलैंड क
े एक मनोिैज्ञाननक थे ।
• सियप्रथम सांज्ञानात्मक िि का िमिि िैज्ञाननक अध्ययन स्विजरलैंड क
े प्रससद्ि
मनोिैज्ञाननक जीन पियाजे द्िारा ककया गया।
• सांज्ञान– प्राणी का िह व्यािक और वथाई ज्ञान है स्जसे िह िातािरण उद्िीिक
जगत िाह जगत क
े माध्यम से ग्रहण करता है।
• सांज्ञान क
े अांतगयत अििान (ध्यान क
ें दित करना) वमरण, धचांतन, ककिना, अधिगम,
िगीकरण, समवया समािान, ननरीिण सांप्रत्ययकरण (पिचारों का ननमायण), प्रत्यि
करण आदि मानससक कियाएां सस्म्मसलत होती हैं यह कियाएां िरविर अांतर सांिांधित
होती है।
• जीन प्याजी ने सांज्ञानात्मक िि िर िल िेते हुए सांज्ञानात्मक पिकास ससद्िाांत का
प्रनतिािन ककया इससलए जीन पियाजे को पिकासात्मक मनोपिज्ञान का जनक माना
जाता है।
• पिकासात्मक मनोपिज्ञान क
े अांतगयत शुरू से अांत तक अथायत गभायिवथा से
िृद्िािवथा तक का अध्ययन ककया जाता है।
5. • पिकास का प्रारांभ होता है- गभायिवथा से।
• सांज्ञान पिकास- शैशि अिवथा से प्रारांभ होकर जीिन ियंत चलता रहता है।
• िालक को में िुद्धि का पिकास ककस प्रकार से होता है यह जानने क
े सलए उन्होंने
अिने वियां क
े िच्चों को अिनी खोज का पिर्षय िनाया प्याजे क
े इस अध्ययन क
े
िररणाम विरूि उन्होंने स्जस ससद्िाांत का प्रनतिािन ककया उसे पिया जी
क
े मानससक या सांज्ञानात्मक पिकास क
े ससद्िाांत क
े नाम से जाना जाता है।
• पियाजे क
े अनुसार “िालक में िुद्धि का पिकास उनक
े जन्म क
े साथ जुडा हुआ है”।
• प्रत्येक िालक अिने जन्म क
े समय क
ु छ जन्मजात प्रिृपियों एिां सहज कियाओां को
रोकने सांिांिी योग्यताओां जैसे- चूसना, िेखना, िवतुओां को िकडना, िवतुओां तक
िहुांचना आदि को लेकर िैिा होता है।
• िरांतु जैसे-जैसे िालक िडा होता है उसकी िॉडी कियाओां का िायरा िढ़ जाता है और
िह िुद्धिमान िनता जाता है।
6. • Ques: Jean Piaget collect data to develop his theory of cognitive
development by:
प्रश्न. जीन पियाजे ने सांज्ञानात्मक पिकास क
े अिने ससद्िाांत को पिकससत करने क
े
सलए आांकडे एकत्र ककए:
(a) doing literature review on cognitive development. / सांज्ञानात्मक
पिकास िर सादहत्य समीिा करक
े
(b) discussing with many of the parents. / कई असभभािकों क
े साथ चचाय
करक
े
(c) observing his own children. / अिने िच्चों को िेखकर
(d) experimenting with children in the laboratory/ प्रयोगशाला में िच्चों क
े
साथ प्रयोग करक
े
7. प्रश्न. िच्चे अिनी समझ से पिश्ि की िररककिना करते हैं।” ये कथन ककसने दिया
था?
• िैिलून
• पियाजे
• स्वकनर
• कोहलिगय
8. प्रश्न. पियाजे क
े अनुसार, िच्चों का धचन्तन ियवकों से…. में सभन्न होता है िजाय
…… क
े ।
• मात्रा; प्रकार
• आकार; मूतयिरकता
• प्रकार; मात्रा
• आकार; ककवम
9.
10.
11. • वकीमा ( Schema ) : एक ऐसी मानससक सांरचना स्जसका सामान्यीकरण ककया
जा सक
े , वकीमा होता है ।
• (mental model, to represent the world.)
12. • सांज्ञानात्मक पिकास ससद्िाांत क
े िि ( पियाजे ) ( Steps of Cognitive
Development Theory )
• अिने सांज्ञानात्मक पिकास क
े ससद्िाांत में पियाजे िो ििों का उियोग करते है ।
सांगिन और अनुक
ू लन हालाांकक इन ििों क
े अलािा भी पियाजे ने क
ु ि अन्य ििों का
प्रयोग अिने सांज्ञानात्मक पिकास मे ककया है।
• (1) अनुक
ू लन ( Adaptation ) : पियाजे क
े अनुसार िच्चों में अिने िातािरण क
े
साथ समायोजन की प्रिृनत जन्मजात होती है I िच्चे की इस प्रिृनत को अनुक
ू लन
कहा जाता है । पियाजे क
े अनुसार िालक आने प्रारसभांक जीिन से ही अनुक
ू लन करने
लगता है । जि को िच्चा िातािरण में ककसी उद्िीिक िररस्वथनतयो क
े समाने होता
है । उस समय उसकी पिसभन्न मानससक कियाए अलग – अलग कायय न करक
े एक
साथ सांगांदित होकर कयाय करती है , और ज्ञान अस्जयत करती है । यही किया हमेशा
मानससक – वतर िर चलती है। िातािरण क
े साथ मनुष्य का जो सांिांि होता है उस
सांिांि को सांगिन आन्तररक रूि से प्रभापित करता है जिकक अनुक
ू लन िाहरी रूि से
।पियाजे ने अनुक
ू लन की प्रकिया को अधिक महत्ििूणय मना है
13. • पियाजे ने अनुक
ू लन की सम्िूणय प्रकिया को िो उि -िककयोओां में िॉटा है।
(i) आत्मसात्करण ( Assimilations )
(ii) समायोजन ( Accommodation )
14. (1) आत्मसात्करण
आत्मसातीकरण- िह प्रकिया है स्जसमें िालक नए ज्ञान को िूणय ज्ञान योजनाओां में शासमल कर लेता है, अथायत बालक नए ज्ञान
का आत्मसात अपने पुराने 'स्कीमा में कर लेता है।
• पियाजे क
े शब्िों में ” नए अनुभि का आत्मसात्करण करने क
े सलए अनुभि क
े
विरूि में िररितयन लना िडता है । स्जससे िह िुराने अनुभि क
े साथ समलजुलकर
सांज्ञान क
े एक नए ढाांचे को िैिा करना िडता है । इससे िालक क
े नए अनुभिों में
िररियतन होते है ।
15. (2) समायोजन
• एक ऐसी प्रक्रिया है जो पूर्व में सीखी योजना या मानाक्रसक प्रक्रियाओंसे काम न चलने पर समंजन क
े
क्रलए ही की जाती है । क्रपयाजे कहते हैं क्रक बालक आत्मसात्करण और सामंजस्य की प्रक्रियाओ क
े बीच
संतुलन कायम करता है । जब बच्चे क
े सामने कोई नई समस्या होती है , तो उसमें सांज्ञानात्मक
असंतुलन उत्पन्न होता है और उस असंतुलन को दूर करने क
े क्रलए र्ह आत्मसात्करण या समंजन या
दोनों प्रक्रियाओंको प्रारंभ करता है ।
• समायोजन को आत्मसात्करण की एक पूरक प्रक्रकया माना जाता है । बालक अपने र्ातार्रण या पररर्ेश
क
े साथ समायोक्रजत होने क
े क्रलए आत्मसात् करण और समंजन का सहरा आर्श्यकतानुसार लेते हैं ।
16. क्रपयाजे क
े अनुसार, मौजूदा योजनाओंमें नई जानकारी को शाक्रमल करने को कहा जाता है?
(a) संक्रियात्मक क्रचंतन
(b) संतुलन
(c) समायोजन
(d) अनुक
ू लन
17. क्रपयाजे क
े अक्रिगम क
े संज्ञानात्मक क्रसद्धान्त क
े अनुसार, र्ह प्रक्रिया क्रजसक
े द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को
संशोक्रित क्रकया जाता है……… कहलाती है।
• प्रत्यक्षण
• समार्ेशन
• समायोजन
• स्कीमा
18. सोहन स्पशव क
े माध्यम से अपने दादा-दादी क
े घर का पता लगाना पसंद करता है. एक क्रदन र्ह एक गमव प्रेस
को छू लेता है और उसका हाथ जल जाता है. सोहन को पता चलता है क्रक हालांक्रक क
ु छ र्स्तुएं स्पशव करने क
े
क्रलए सुरक्रक्षत हैं लेक्रकन गमव प्रेस नहीं. क्रपयाजे क
े अनुसार, यह एक उदाहरण है?
• 1. अनुक
ू लन
• 2. समायोजन
• 3. नकारात्मक प्रबलन
• 4. सकारात्मक प्रबलन
19. क्रपयाजे क
े क्रसद्धान्त क
े अनुसार बच्चे क्रनम्न में से क्रकसक
े द्वारा सीखते हैं?
• सही प्रकार से ध्यान लगाकर जानकारी को याद करना
• समाज क
े आक्रथवक योग्य सदस्यों क
े द्वारा उपलब्ि कराए गए सहारे क
े आिार पर
• अनुक
ू लन की प्रक्रियाएँ
• उपयुक्त पुरस्कार क्रदए जाने पर अपने व्यर्हार में पररर्क्रतवत करना
20. • संज्ञानात्मक क्रर्कास की अर्स्थाएँ ( Stage of Cognitiive Development )
• क्रपयाजे क
े अनुसार जैसे जैसे संज्ञानात्मक क्रर्कास बढ़ता है, र्ैसे – र्ैसे अर्स्थाएं भी पररर्क्रतवत होती रहती है
। क्रकसी क्रर्शेष अर्स्था में बालक क
े समस्त ज्ञान – क्रर्चारों व्यर्हारों क
े संगठन से एक सेट ( Set ) याक्रन
समुच्चय तैयार होता है , क्रजसे क्रपयाजे स्कीमा काता है । इन स्कीमाओंका क्रर्कास बालक क
े अनुभर् र्
पररपक्र्ता पर क्रनभवर करता है । बालक क
े संज्ञानात्मक क्रर्कास की चार अर्स्थाए होती हैं ।
• संर्ेदी पेशीय अर्स्था या इक्रन्दय गक्रतक अर्स्था ( Sensori motor stage )
• पूर्व संक्रिया अर्स्था ( Pre – operational stage )
• मूतव संक्रिया अर्स्था ( Concrete operational stage )
• औपचाररक संक्रिया अर्स्था ( Stage of Formal operation )
23. संर्ेदी पेशीय अर्स्था या इक्रन्िय गक्रतक अर्स्था ( Sensori Motor Stage ) :
• यह संज्ञानात्मक क्रर्कास की प्रथम अर्स्था होती है। यह अर्स्था जन्म से लेकर 2 र्षव की अर्स्था तक
चलती है । जन्म क
े समय बालक क
े र्ल सरल क्रियाएं ही करता है । बच्चा इस अर्स्था में ज्ञानेक्रन्दयो की
सहायता से र्स्तुओ, ध्र्क्रनयों , रसों र् गंि आक्रद का अनुभर् करता है । इस सरल क्रियाओ को ही क्रपयाजे
सहज स्कीमा कहते है । इन्ही अनुभूक्रतयों की पुनरार्ृक्रत क
े कारण बच्चा संज्ञानात्मक आत्म सात् न र्
समंजन की प्रक्रियाएं शुरू करता है । जब उसे पररर्ेश में उपक्रस्थत उददीपकों को पाता चलता है , तो बच्चा
अपनी इक्रन्ियों द्वारा इनका प्राथक्रमक अनुभर् करता है ।
24. पूर्व – संक्रिय अर्स्था ( Pre Operation Stage ):
क्रपयाजे क
े संज्ञानात्मक क्रर्कास की क्रद्वतीय अर्स्था पूर्व – संक्रिय अर्स्था है, क्रजसे र्ह बच्चे की 2 र्षव से 7 र्षव
की अर्स्था तक मानता है । इस अर्स्था को र्ह 2 उप – अर्स्थाओंमें क्रर्भाक्रजत करता है । इस अर्स्था में बच्चे
में क्रनम्न प्रकार की क्रर्शेषताएं पाई जाती हैं :
बच्चा आने आस – पास की र्स्तुओंऔर प्राक्रणयों र् शब्दों में संबंि स्थाक्रपत करना सीख जाते हैं ।
बच्चे प्रायः खेल र् अनुकरण द्वारा सीखते है ।
क्रपयाजे कहते हैं क्रक इस अर्स्था में 4 र्षव तक क
े बच्चे क्रनजीर् क्स्तुओंको सजीर् र्स्तुओँक
े रूप में समझते
हैं।
बच्चे आने क्रर्चार को सही मानते है ।बच्चे समझते है ँक्रक सारी दुक्रनया उन्हीं क
े इदव क्रगवद है । इसे क्रपयाजे क
े
आत्मक
े क्रनिकता ( Ego centerism ) का नाम क्रदया है ।
बच्चे भाषा सीखने लगते हैं ।
बच्चे क्रचन्तान करना भी शुरू कर देते हैं ।
र्े रटना शुरू करते है । अथावत् र्े ग्टकर सीखते हैं न क्रक समझकार ।
बच्चा स्र्ाथी नहीं होता है ( इस अर्स्था में ).
25. मूतव संक्रियात्मक अर्स्था (Concrete Operational Stage)
मूतव संक्रियात्मक अर्स्था (Concrete Operational Stage), जीन क्रपयाजे (A Swiss Psychologist) क
े अनुसार यह
अर्स्था लगभग 7 से 11 र्षव तक होती है। इससे पहले र्ाली अर्स्था को पूर्व संक्रियात्मक अर्स्था (pre operational
stage) कहते हैं। अब बच्चा पहले र्ाली अर्स्था से िीरे -िीरे आगे बढ़ने लगता है। अभी तक जहां र्ह अपने आप को
ही दुक्रनया का क
ें ि समझता था, अब र्ह थोडा सामाक्रजक या सोशल होने लगता है। इस अर्स्था को school age या
Gang age भी कहा जाता है। हालांक्रक र्तवमान समय में स्क
ू ल एज 2, 3 र्षव क
े बाद ही स्टाटव हो जाती है, परंतु जीन
क्रपयाजे क
े अनुसार 6 से 7 र्षव की उम्र ही स्क
ू ल जाने की सही उम्र मानी जाती है।
मूतव संक्रियात्मक अर्स्था का अथव होता है क्रक अब बच्चा उन चीजों और र्स्तुओंक
े बारे में समझता है जो उसक
े
सामने हैं, क्रजन्हें र्ह देख सकता है, महसूस कर सकता है, छू सकता है। अब र्ह इन र्स्तुओंक
े क्रलए तक
व (logic)
लगा पाता है। इससे पहले र्ह क
े र्ल एक बार में एक ही चीज पर फोकस कर पा रहा था परंतु अब र्ह एक बार में
एक से अक्रिक चीजों पर भी फोकस कर सकता है। पहले जहां र्ाह टेढ़े-मेढ़े लॉक्रजक लगा रहा था, अब र्ह ररयल
लॉक्रजक लगाने लगता है। पहले उसमें पररर्तवनशीलता का गुण नहीं था अथावत र्ह 5 + 4 = 9 समझता था परंतु
5+2+2=9 नहीं समझता था, परंतु अब इस अर्स्था में र्ह यह समझने लगता है।
26. इससे पहले र्ाली अर्स्था में यक्रद बच्चे को उसकी पसंद की कोई चीज जैसे -जूस, आइसिीम दो अलग-अलग
shape, size क
े बतवनों में दी जाए तो र्ह, र्ही लेगा जो उसे बडी या लंबी क्रदखाई देगी परंतु अब इसे स्टेज में उसे
समझ में आ जाएगा क्रक दोनों बतवनों में ही बराबर मात्रा में र्स्तु है और र्ह कोई सी भी ले लेगा।
इसका एक और उदाहरण क्रदल्ली क
े अक्षरिाम मंक्रदर में जब नोट क
े बदले क्रसक्क
े क्रदए जाते हैं तो यक्रद बच्चा पूर्व
संक्रियात्मक अर्स्था (2 से 6 र्षव) में है उसे नोट कम लगेगा और क्रसक्क
े ज्यादा लगेंगे। जबक्रक संक्रियात्मक
अर्स्था में आने पर (7 से 11 र्षव ) उसे समझ में आ जाएगा क्रक ₹10 क
े नोट क
े बदले ही 10 क्रसक्क
े क्रदए जाते हैं जो
क्रक बराबर है।
27. औपचाररक संक्रिया की आस्था ( Stage of Formal Operational ) :
क्रपयाजे क
े अनुसार, संज्ञानात्मक क्रर्कास की चतुथव र् आक्रन्तम अक्स्था की क्रर्शेषताएं क्रनम्न प्रकार है :
संज्ञानात्मक क्रर्कास की यह अक्रन्तम अर्स्था है जो 12 र्षव से प्रारम्भ होकर 15 र्षव तक चलती है। मूलरूप से
यह अर्स्था ताक्रक
व क क्रचन्तन की अर्स्था है। अथावत् इस अर्स्था का बालक अन्य र्स्तुओंक
े अक्रतररक्त स्र्यं
क
े क्रर्चार क
े सम्बन्ि में क्रर्चार करने में समथव हो जाता है। इस अर्स्था में बालक में अमूतव तथा र्ैज्ञाक्रनक ढंग
से सोचने की क्षमता क्रर्कक्रसत हो जाती है अथावत् उनका क्रचन्तन अक्रिक लचीला तथा प्रभार्ी हो जाता है,
साथ ही क्रचन्तन में िमबद्धता स्पष्ट रूप से क्रदखाई देने लगती है। इस अर्स्था में बालक पररकक्रल्पत
समस्याओंका भी सामना करने लगता है। िीरे -िीरे बालक में क्रर्र्ेक, रचनात्मक क्रचन्तन तथा पृथक्करण
की योग्यताा क्रनकल आती है। अभौक्रतक समस्याओंक
े समािान की योग्यता भी आ जाती है। ताक्रक
व क
क्रचन्तन की क्रर्कक्रसत क्षमता, संज्ञानात्मक क्रर्कास की इस अर्स्था क
े बालक एर्ं बाक्रलकाओंमें क्रर्क्रभन्न
प्रकार की समस्याओंका समािान खोजने में काफी सहायक होती हैं।
28. • संज्ञानात्मक क्रर्कास क
े चार चरणों इक्रन्िय गक्रतक अर्स्था , पूर्व संक्रियात्मक, मूतव संक्रियात्मक अर्स्था
और औपचाररक संक्रियात्मक की पहचान की गई है।
1. क्रहलगार्व द्वारा
2. स्टॉट द्वारा
3. हारलॉक द्वारा
4. क्रपयाजे द्वारा
29. क्रपयाजे क
े अनुसार क्रर्कास की पहली अर्स्था (जन्म से लगभग 2 र्षव आयु) क
े दौरान बच्चा – सबसे बेहतर
सीखता है।
1. अमूतव तरीक
े से क्रचन्तन द्वारा
2. भाषा क
े नए अक्रजवत ज्ञान क
े अनुप्रयोग द्वारा
3. इक्रन्ियों क
े प्रयोग द्वारा
4. क्रनक्ररिय (neutral) शब्दों को समझने क
े द्वारा
30. • ”बच्चे दुक्रनया क
े बारे में अपनी समझ का सृजन करते हैं।” इसका श्रेय …… को जाता है।
1. पैर्लॉर्
2. कोहलबगव
3. क्रस्कनर
4. क्रपयाजे
31. क्रपयाजे क
े अनुसार, क्रनम्नक्रलक्रखत में से कौन-सी अर्स्था में बच्चा अमूतव संकल्पनाओंक
े क्रर्षय में
ताक्रक
व क क्रचन्तन करना आरम्भ करता है?
1. औपचाररक संक्रियात्मक अर्स्था (12 र्षव एर्ं ऊपर)
2. संर्ेदी प्रेरक अर्स्था (जन्म 02 र्षव)
3. पूर्व-संक्रियात्मक अर्स्था (02-07 र्षव)
4. मूतव-संक्रियात्मक अर्स्था (07-11 र्षव)