SlideShare a Scribd company logo
1 of 69
Download to read offline
तत्त्वार्थ सूत्र
द्वितीय अध्याय
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
ववषय वस्तु
प्रकिण सूत्र क्रमाांक कु ल सूत्र
जीव के असाधािण भाव १ - ७ ७
जीव का लक्षण ८ - ९ २
जीव के भेद १० - १४ ५
इन्द्रियााँ १५ – २४ १०
ववग्रह गतत २५ - ३० ६
जरम अाि याेनी ३१ - ३५ ५
शिीि ३६ - ४९ १४
वेद ५० – ५२ ३
अायु अपवतथन से मिण ५३ १
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
अापशममकक्षाययका भावा ममश्रश्च जीवस्य
स्वतत्त्वमादययक-पारिणाममका च।।१।।
☸अापशममक, क्षाययक, ममश्र अर्ाथत्
क्षायाेपशममक, अादययक अाि पारिणाममक ये
जीव के ५ असाधािण भाव हां
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
जीव के
असाधारण
भाव
औपशमिक
क्षायिक
क्षािोपश
मिक
औदयिक
पाररणामिक
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
जीव के असाधािणभाव
जीव के अततरिक्त अरय िवयाेां मेां न पाये जाने
वाले अर्ाथत् मात्र जीव मेां ही पाये जाने वाले
भावाेां काे जीव के असाधािणभाव कहते हां ।
अापशममक भाव
माेहनीय कमथ के
अांतिकिणरूप उपशम के तनममत्त से
हाेनेवाले जीव के भावाेां काे अापशममक
भाव कहते हां ।
क्षाययक भाव
कमथक्षय के समय मेां हाेनेवाले
एवां भववष्य मेां अनांत काल पयंत िहने
वाले
जीव के शुद्धभावाेां काे क्षाययक भाव
कहते हां ।
क्षायाेपशममक भाव
कमथ के क्षयाेपशम के तनममत्त से हाेनेवाले
जीव के भावाेां काे
क्षायाेपशममक भाव कहते हां
अादययक भाव
कमाेथदय के तनममत्त
से हाेनेवाले जीव के
भावाेां काे अादययक
भाव कहते हां ।
पारिणाममक भाव
पूणथत: कमथतनिपेक्ष अर्ाथत्
कमथ के उपशम, क्षय, क्षयाेपशम अाि उदय से तनिपेक्ष
जीव के परिणामाेां काे पारिणाममक भाव कहते हां ।
ववशेष
☸शुरू के 4 भाव तनममत्त की प्रधानता से कहे हां अाि
अांततम भाव याेग्यता की प्रधानता से कहा ह
☸इन 5 भावाेां के जीवाेां की सांख्या के क्रम के कािण
से सूत्र मेां इनका क्रम इस प्रकाि िखा गया ह
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
द्वि-नवाष्टादशकववांशतततत्रभेदा यर्ाक्रमम्।।२।।
☸दाे, ना, अठािह, इक्कीस अाि तीन भेद इनके
क्रम से हां
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
भाव
अापशममक
२
क्षाययक
९
क्षायाेपशममक
१८
अादययक
२१
पारिणाममक
३
सम्यक्त्व-चारित्रे।।३।।
☸अापशममक भाव के २ भेद हां उपशम सम्यक्त्व अाि
उपशम चारित्र |
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
अापशममक भाव
☸कािण के ममलने पि प्रततपक्षी कमथ की
शमक्त के दब जाने से अात्मा मेां तनमथलता
का हाेना अापशममक भाव हां |
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
अापशममक भाव
सम्यक्त्व
प्रर्ामाेपशम
ममथ्यात्व अाि अनरतानुबरधी का
उपशम
द्विततयाेपशम
श्रेणी चढने के पूवथ चारित्र माेहनीय
की २१ प्रकृ ततयाेां का उपशम
चारित्र
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
अनादद ममथ्यादृष्टष्ट के सम्यक्त्व की प्रवक्रया
४ लब्धध प्राप्त कि
५ वी लब्धध के ३
किण परिणाम कि
उपशम सम्यक्‍त्व
प्राप्त किे
५ लब्धध
सांज्ञी पांचेन्द्रिय पयाथप्त हाेनाक्षयाेपशम लब्धध
कषायाेां की मांदता हाेना, धमाथनुिाग रूप शुभ परिणामाेां की
प्रातप्त
ववशुद्ध लब्धध
6 िवय, 7 तत्त्व अादद का उपदेश देने वाले अाचायाथदद का लाभ, उनके
उपदेश की प्रातप्त, उपदेशशत पदार्थ काे धािण किने की प्रातप्त
देशना लब्धध
बांध अाि सत्ता दाेनाेां के कमाें की ब्स्र्तत अांत:काेड़ाकाेड़ी सागि किनाप्रायाेग्यता लब्धध
3 किण परिणाम हाेते हां, अध:प्रवृत्तकिण, अपूवथकिण, अतनवृत्तत्तकिणकिण लब्धध
अापशममक सम्यक्‍त्व
दशथन माेहनीय की 1 या 2 या 3 प्रकृ ततयाेां का प्रशस्त उपशम किने
पि तर्ा
अनरतानुबरधी की 4 प्रकृ ततयाेां का अप्रशस्त उपशम हाेने पि
हाेने वाले जीव के सम्यक्‍त्व परिणाम काे अापशममक सम्यक्‍त्व कहते
हां ।
उपशम वकसे कहते हां?
कमाें का अपने परिणामाेां के तनममत्त से अागे-पीछे किना वह
उपशम (प्रशस्त उपशम) कहलाता ह |
उससे जाे gap/empty space बनेगा तब उस gap /
empty space मेां उस-उस कमथ प्रकृ तत का उदय नहीां िहेगा |
कमाें काे पहले उदय मेां लाना
कमाें के उदय काे अागे किना
अापशममक सम्यक्‍त्व
(कमथ के उदय का अभाव)
अांतमुथहूतथ काल
ममथ्यात्व कमथ
प्रर्माेपशम सम्यक्‍त्व का
प्रर्म समय
15
14
13
12
11
10
9
8
7
6
5
4
3
2
1
अापशममक सम्यक्‍त्व से जाने के 4 मागथ
अापशममक
सम्यक्‍त्व
ममथ्यात्व
सासादन सम्यन्द्ग्मथ्यात्व
क्षायाेपशममक
सम्यक्‍त्व
अनांतानुबांधी का
उदय अाने पि
सम्यक्‍त्व प्रकृ तत का
उदय अाने पि
ममथ्यात्व प्रकृ तत का
उदय अाने पि
सम्यन्द्ग्मथ्यात्व प्रकृ तत का
उदय अाने पि
अापशममक भाव के बािे मेां कु छ तथ्य:
☸ये भाव temporary शुद्धभाव हाेता ह ।
☸4 से 11 गुणस्र्ान तक ये भाव हाे सकते हां ।
☸दशथन अाि चारित्र माेहनीय की ही उपशमना हाे
सकती ह
ज्ञानदशथन-दान-लाभ-भाेगाेपभाेग-वीयाथणण च।।४।।
☸क्षाययक भाव के ना भेद हां क्षाययक सम्यक्त्व,
चारित्र, ज्ञान, दशथन, दान, लाभ, भाेग उपभाेग
अाि वीयथ |
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
कमाें का बांध, उदय अाि
सत्ता से नाश हाेना क्षय
कहलाता ह
क्षाययक भाव
क्षाययक
सम्यक्त्व
क्षाययक चारित्र क्षाययक ज्ञान क्षाययक दशथन
क्षाययक दान क्षाययक लाभ क्षाययक भाेग
क्षाययक
उपभाेग
क्षाययक वीयथ
• माेहनीय की 7 प्रकृ ततयाेां के क्षय से प्रगट क्षाययक
सम्यक्त्व
क्षाययक सम्यक्त्व
• समस्त माेहनीय कमथ के अभाव से प्रगटक्षाययक चारित्र
• ज्ञानाविण के अत्यांत क्षय से प्रगट के वलज्ञानक्षाययक ज्ञान
• दशथनाविण के अत्यांत क्षय से प्रगट के वलदशथनक्षाययक दशथन
• दानारतािाय कमथ का अत्यांत क्षय हाेने से ददवयध्वनी अादद
िािा अनांत प्राणणयाेां का उपकाि किने वाला क्षाययक दान
क्षाययक दान
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
• लाभारतािाय के क्षय से के वली भगवान के शिीि का वबना
भाेजनादद ग्रहण वकये बने िहना
क्षाययक लाभ
• भाेगारतिाय का अत्यांत क्षय से सुगब्रधत पवन का बहना,
पुष्प वृष्टष्ट अादद क्षाययक भाेग
क्षाययक भाेग
• उपभाेगारतिाय के अत्यांत क्षय से ससांहासन, 3 छत्र,
भामांड़ल अादद का हाेना क्षाययक भाेग
क्षाययक उपभाेग
• वीयाथरतिाय कमथ के अत्यांत क्षय से क्षाययक वीयथ प्रगट हाेनाक्षाययक वीयथ
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
ज्ञानाज्ञानदशथन-लधधयश्चतुस्त्रितत्र-पञ्च-भेदााः
सम्यक्त्वचारित्रसांयमासांयमाश्च।।५।।
☸क्षायाेपन्द्ममक भाव के १८ भेद हां- ४ ज्ञान, ३
अज्ञान, ३ दशथन, ५ लब्धध, क्षायाेपशाममक
सम्यक्त्व, क्षायाेपशाममक चारित्र, सांयमासांयम |
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
क्षय
उपशम
क्षयाेपशम
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
क्षयाेपशम वकसे कहते हां?
• वतथमानकालीन सवथघातत स्पधथकाेां का उदयाभावी
क्षय
क्षय
• भववष्य मेां उदय मेां अाने याेग्य सवथघातत स्पधथकाेां
का सदवस्र्ारूप उपशम
उपशम
•वतथमानकालीन देशघाती स्पधथकाेां का उदयउदय
इन 3 रूप कमथ की अवस्र्ा काे क्षयाेपशम कहते हां |
उदयाभावी क्षय
सवथघाती प्रकृ ततयाेां का अनांत गुणा हीन हाेकि देशघाती मेां
परिवततथत हाेकि उदय मेां अाने काे उदयाभावी क्षय कहते हां |
इसमेां सवथघातत स्पधथक उदय मेां अाने के एक समय पूवथ
देशघाती मेां परिवततथत हाेते हां |
अनुभाग का अनांत गुणा हीन हाेना
सवथघातत का देशघातत रूप उदय हाेना
उदयाभावी क्षय
लता
सदवस्र्ारूप उपशम
वतथमान समय काे छाेड़कि
भववष्य मेां उदय मेां अाने वाले कमाें के
सत्ता मेां िहने काे
सदवस्र्ारूप उपशम कहते हां ।
उदीिणा
न हाेना
कमथ
ब्स्र्तत
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
3 इन्द्रिय जीव के मततज्ञान का क्षयाेपशम
3 इन्द्रिय (स्पशथन, िसना, घ्राण) सम्बांष्टधत मततज्ञान
का क्षयाेपशम
बाकी की 2 इन्द्रिय (चक्षु अाि कणथ) इन्द्रिय सम्बांष्टधत
सवथघाती का उदय
मततज्ञान मेां क्षयाेपशम
मततज्ञान के सवथघातत
स्पधथकाेां का
वतथमान मेां
उदयाभावी क्षय
अागामी का
सदवस्र्ारूप
उपशम
मततज्ञान के देशघातत
स्पधथकाेां का
वतथमान मेां
उदय
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
क्षायाेपशममक सम्यक्‍त्व कसे ?
ममथ्यात्व, सम्यन्द्ग्मथ्यात्व, अनांतानुबांधी ४ का
उदयाभावी क्षय सदवस्र्ारूप उपशम
तत्त्वार्थ श्रद्धान
सम्यक्‍त्व प्रकृ तत का
उदय
चल मलादद दाेष
अनांतानुबांधी
तत्त्वार्थश्रद्धानरूप
सम्यक्‍त्व का
घात हाे
अनांत सांसाि
(ममथ्यात्व) के
सार् सांबांध किाये
अप्रत्याख्यानाविण
देशचारित्र का
घात हाे
वकां मचत् त्याग न
हाेने दे
प्रत्याख्यानाविण
सकलचारित्र
का घात हाे
पूणथ त्याग न
हाेने दे
सांज्वलन
यर्ाख्यातचारित्र
का घात हाे
जाे सांयम के
सार् प्रज्वमलत
िहे
क्षायाेपशममक चारित्र कसे ?
अनांतानुबांधी, अप्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान का
उदयाभावी क्षय सदवस्र्ारूप उपशम
वीतिागता
सांज्वलन प्रकृ तत का
उदय
यर्ाख्यात चारित्र
का घात
सांयमासांयम कसे ?
अनांतानुबांधी, अप्रत्याख्यान का
उदयाभावी क्षय सदवस्र्ारूप उपशम
वीतिागता
प्रत्याख्यान सवथघाती ,
सांज्वलन देशघाती
प्रकृ तत का
उदय
सकल चारित्र का
घात
गतत-कषाय-मलांग-
ममथ्यादशथनाज्ञानासांयताससद्धलेमयाश्चतुश्चतुस्त्र्ययकककक-षड्भेदााः।।६।।
☸अादययक भाव के २१ भेद हां- ४ गतत, ४
कषाय, ३ मलांग, ममथ्यादशथन,अज्ञान, असांयत,
अससद्ध, ६ लेमया|
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
अादययक भाव
कमाें के फलदान का सामथ्यथ प्रगट
हाेना उदय ह,
उदय मेां जाे हाे वह अादययक भाव ह
|
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
गतत
नाम
कमथ के
उदय से
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
कषाय
कमथ के
उदय से
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
वेद
कषाय
कमथ के
उदय से
लेमया
कषायाेां से अनुिांजजत
मन, वचन अाि काय की प्रवृत्तत्त काे
लेमया कहते हां |
कषाय
अाि
शिीि
नाम
कमथ के
उदय से
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
दशथन माेह का उदय
ज्ञानाविण का उदय
चारित्र माेह का उदय
कमथ मात्र का उदय
अादययक भाव ताे अाि भी हां वफि उन सबका यहााँ ग्रहण
काेां नहीां वकया ?
वेद हास्यादद
गतत
वेदनीय,
अायु, गाेत्र
ममथ्यादशथन
दशथनाविण
अादद
शेष का अांतभाथव इन 21 प्रकृ ततयाेां मेां ही हाे जाता ह |
कान-से अादययक भाव मेां कान-सा कमथ गमभथत ह?
• अज्ञानज्ञानाविण
• ममथ्यादशथनदशथनाविण
• ममथ्यादशथनदशथन माेहनीय
• वेद, असांयमचारित्र माेहनीय
• गततअायु, नाम, गाेत्र, वेदनीय
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
जीवभवयाभवयत्वातन च।।७।।
☸जीवत्व, भवयत्व अाि अभवयत्व ३ प्रकाि के
पारिणाममक भाव हां
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
पारिणाममक भाव
कमाें की उपाष्टध से िद्वहत एेसा
जाे परिणाम मेां हुअा भाव ह
वह पारिणाममक भाव कहलाता ह |
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
पारिणाममक भाव
•चतरय परिणामजीवत्व
•सम्यग्दशथन प्रगट हाेने की याेग्यताभवयत्व
•सम्यग्दशथन न प्रगट हाेने की याेग्यताअभवयत्व
भवय
तनकट भवय
शीघ्र ही
माेक्ष प्राप्त
किेगा
दूि भवय
कु छ समय
बाद माेक्ष
प्राप्त किेगा
दूिारदूि भवय
याेग्यता हाेने
पि भी जाे
माेक्ष नहीां प्राप्त
किेगा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
५ भावाेां के स्वामी कान कान हां?
पारिणाममक
समस्त
जीवाेां मेां
अादाययक
समस्त
सांसािी
जीवाेां मेां
क्षायाेपशममक
१२
गुणस्र्ानवतीथ
जीवाेां तक
क्षाययक
ससद्ध,
अिहांत,
क्षाययक
सम्यग्दृष्टष्ट
अापशममक
अापशममक
सम्यक्त्व,
चारित्र वाले
जीवाेां के
5 भावाेां के काल
•स+अादद=जजसकी शुरुअात हुई हसादी
•स+अांत=जजसका अांत हुअा हसाांत
•अन+अादद जजसकी शुरुअात नहीां हुई हअनादी
•अन+अांत=जजसका अांत नहीां हअनांत
5 भावाेां के काल
औपशमिक
सादी साांत
अांतिमुहूतु
क्षामिक
सादी
साांत/सादी
अनांत
33 सागर+2
पूर्ु कोमि
कम छ कि
क्षािोपशमिक
सादी साांत/
अनामद साांत
औदमिक
सादी साांत/
अनादी अनांत
पाररणामिक
अनामद
अनांत/
अनादी साांत
(भव्यत्व)
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
5 भाव समझने से लाभ
• स्वभार् कभी नष्ट नहीां हुआ है और न होगा, इसिें अपनत्व से ही
समख की प्रामि होगी |
• आत्म मनभुरता आती है |
पाररणामिक
• िद्यमप िे रागादी भार् िेरे हैं पर किु सापेक्ष हैं िेरा स्वभार् नहीां
हैं |
• स्वभार् से शमद्ध होने पर भी किु सम्बन्ध से मर्कार पिाुि िें है|
औदमिक
5 भाव समझने से लाभ
• पमरुषार्ु से मर्कार नष्ट होता है |
• एक बार मर्कार नष्ट होने पर पमन: मर्कार नहीां आता, स्वभार् बना रहता है|क्षामिक
• मकसी भी दशा िें स्वभार् की व्यक्तता का पूणुत: अभार् नहीां होता है |
• अनामद से मर्कार करता हुआ भी जीर् जड़ नहीां होता है |क्षािोपशमिक
• सबसे पहले श्रद्धा सम्बन्धी शमद्धा प्राि होती है |
• पाररणामिक भार् के आश्रि से मर्कार दूर होना शमरू होता है |औपशमिक
Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
➢ Reference : श्री गाेम्मटसाि जीवकाण्ड़जी, श्री जनेरिससद्धारत काेष, तत्त्वार्थसूत्रजी
➢ Presentation created by : Smt. Sarika Vikas Chhabra
➢ For updates / comments / feedback / suggestions, please
contact
➢sarikam.j@gmail.com
➢: 95406682889
Presentation developed by: श्रीिती साररका छाबड़ा

More Related Content

Similar to Sutra 1-7 (20)

Gunsthan 1 - 2
Gunsthan 1 - 2Gunsthan 1 - 2
Gunsthan 1 - 2
 
Chhand 1 - 3
Chhand 1 - 3Chhand 1 - 3
Chhand 1 - 3
 
समास पीपीटी 2.pptx
समास पीपीटी 2.pptxसमास पीपीटी 2.pptx
समास पीपीटी 2.pptx
 
Darshan Margna
Darshan MargnaDarshan Margna
Darshan Margna
 
Samyktva Margna - 1
Samyktva Margna - 1Samyktva Margna - 1
Samyktva Margna - 1
 
Gunsthan 3 - 6
Gunsthan 3 - 6Gunsthan 3 - 6
Gunsthan 3 - 6
 
Chhand 8-9
Chhand 8-9Chhand 8-9
Chhand 8-9
 
Sutra 8-35
Sutra 8-35Sutra 8-35
Sutra 8-35
 
Arogyanidhi2
Arogyanidhi2Arogyanidhi2
Arogyanidhi2
 
Leshaya Margna
Leshaya MargnaLeshaya Margna
Leshaya Margna
 
Leshaya Margna - 2
Leshaya Margna - 2Leshaya Margna - 2
Leshaya Margna - 2
 
Chhand 1-7
Chhand 1-7Chhand 1-7
Chhand 1-7
 
Sutra 9-25
Sutra 9-25Sutra 9-25
Sutra 9-25
 
Mimansa philosophy
Mimansa philosophyMimansa philosophy
Mimansa philosophy
 
BalSanskarKendraEkMahatvaPoornaKadam
BalSanskarKendraEkMahatvaPoornaKadamBalSanskarKendraEkMahatvaPoornaKadam
BalSanskarKendraEkMahatvaPoornaKadam
 
IshtaSiddhi
IshtaSiddhiIshtaSiddhi
IshtaSiddhi
 
Ishta siddhi
Ishta siddhiIshta siddhi
Ishta siddhi
 
Gunsthan 1-2
Gunsthan 1-2Gunsthan 1-2
Gunsthan 1-2
 
Syadwad-Anekantwad
Syadwad-AnekantwadSyadwad-Anekantwad
Syadwad-Anekantwad
 
Sunyam Margna
Sunyam MargnaSunyam Margna
Sunyam Margna
 

More from Jainkosh

Chhand 14-17
Chhand 14-17Chhand 14-17
Chhand 14-17Jainkosh
 
Chhand 10-13
Chhand 10-13Chhand 10-13
Chhand 10-13Jainkosh
 
Chhand 4-9
Chhand 4-9Chhand 4-9
Chhand 4-9Jainkosh
 
Jain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jain Alaukik Ganit - 14 DharayJain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jain Alaukik Ganit - 14 DharayJainkosh
 
Jain Aalokik Ganit
Jain Aalokik  GanitJain Aalokik  Ganit
Jain Aalokik GanitJainkosh
 
Jeevsamas Prarupna
Jeevsamas  PrarupnaJeevsamas  Prarupna
Jeevsamas PrarupnaJainkosh
 
Gunsthan 7 - 14
Gunsthan 7 - 14Gunsthan 7 - 14
Gunsthan 7 - 14Jainkosh
 
Sutra 26-33
Sutra 26-33Sutra 26-33
Sutra 26-33Jainkosh
 
Upyog Prarupna
Upyog PrarupnaUpyog Prarupna
Upyog PrarupnaJainkosh
 
Aahar Margna
Aahar MargnaAahar Margna
Aahar MargnaJainkosh
 
Sanggyi Margna
Sanggyi MargnaSanggyi Margna
Sanggyi MargnaJainkosh
 
Samyktva Margna - 2
Samyktva Margna - 2Samyktva Margna - 2
Samyktva Margna - 2Jainkosh
 
Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Bhavya Margna ( Panch parivartan )Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Bhavya Margna ( Panch parivartan )Jainkosh
 
Gyanmargna - Man : Pryyaghyan
Gyanmargna - Man : PryyaghyanGyanmargna - Man : Pryyaghyan
Gyanmargna - Man : PryyaghyanJainkosh
 

More from Jainkosh (15)

Chhand 10
Chhand 10Chhand 10
Chhand 10
 
Chhand 14-17
Chhand 14-17Chhand 14-17
Chhand 14-17
 
Chhand 10-13
Chhand 10-13Chhand 10-13
Chhand 10-13
 
Chhand 4-9
Chhand 4-9Chhand 4-9
Chhand 4-9
 
Jain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jain Alaukik Ganit - 14 DharayJain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jain Alaukik Ganit - 14 Dharay
 
Jain Aalokik Ganit
Jain Aalokik  GanitJain Aalokik  Ganit
Jain Aalokik Ganit
 
Jeevsamas Prarupna
Jeevsamas  PrarupnaJeevsamas  Prarupna
Jeevsamas Prarupna
 
Gunsthan 7 - 14
Gunsthan 7 - 14Gunsthan 7 - 14
Gunsthan 7 - 14
 
Sutra 26-33
Sutra 26-33Sutra 26-33
Sutra 26-33
 
Upyog Prarupna
Upyog PrarupnaUpyog Prarupna
Upyog Prarupna
 
Aahar Margna
Aahar MargnaAahar Margna
Aahar Margna
 
Sanggyi Margna
Sanggyi MargnaSanggyi Margna
Sanggyi Margna
 
Samyktva Margna - 2
Samyktva Margna - 2Samyktva Margna - 2
Samyktva Margna - 2
 
Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Bhavya Margna ( Panch parivartan )Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Bhavya Margna ( Panch parivartan )
 
Gyanmargna - Man : Pryyaghyan
Gyanmargna - Man : PryyaghyanGyanmargna - Man : Pryyaghyan
Gyanmargna - Man : Pryyaghyan
 

Sutra 1-7

  • 1. तत्त्वार्थ सूत्र द्वितीय अध्याय Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 2. ववषय वस्तु प्रकिण सूत्र क्रमाांक कु ल सूत्र जीव के असाधािण भाव १ - ७ ७ जीव का लक्षण ८ - ९ २ जीव के भेद १० - १४ ५ इन्द्रियााँ १५ – २४ १० ववग्रह गतत २५ - ३० ६ जरम अाि याेनी ३१ - ३५ ५ शिीि ३६ - ४९ १४ वेद ५० – ५२ ३ अायु अपवतथन से मिण ५३ १ Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 3. अापशममकक्षाययका भावा ममश्रश्च जीवस्य स्वतत्त्वमादययक-पारिणाममका च।।१।। ☸अापशममक, क्षाययक, ममश्र अर्ाथत् क्षायाेपशममक, अादययक अाि पारिणाममक ये जीव के ५ असाधािण भाव हां Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 5. जीव के असाधािणभाव जीव के अततरिक्त अरय िवयाेां मेां न पाये जाने वाले अर्ाथत् मात्र जीव मेां ही पाये जाने वाले भावाेां काे जीव के असाधािणभाव कहते हां ।
  • 6. अापशममक भाव माेहनीय कमथ के अांतिकिणरूप उपशम के तनममत्त से हाेनेवाले जीव के भावाेां काे अापशममक भाव कहते हां ।
  • 7. क्षाययक भाव कमथक्षय के समय मेां हाेनेवाले एवां भववष्य मेां अनांत काल पयंत िहने वाले जीव के शुद्धभावाेां काे क्षाययक भाव कहते हां ।
  • 8. क्षायाेपशममक भाव कमथ के क्षयाेपशम के तनममत्त से हाेनेवाले जीव के भावाेां काे क्षायाेपशममक भाव कहते हां
  • 9. अादययक भाव कमाेथदय के तनममत्त से हाेनेवाले जीव के भावाेां काे अादययक भाव कहते हां ।
  • 10. पारिणाममक भाव पूणथत: कमथतनिपेक्ष अर्ाथत् कमथ के उपशम, क्षय, क्षयाेपशम अाि उदय से तनिपेक्ष जीव के परिणामाेां काे पारिणाममक भाव कहते हां ।
  • 11. ववशेष ☸शुरू के 4 भाव तनममत्त की प्रधानता से कहे हां अाि अांततम भाव याेग्यता की प्रधानता से कहा ह ☸इन 5 भावाेां के जीवाेां की सांख्या के क्रम के कािण से सूत्र मेां इनका क्रम इस प्रकाि िखा गया ह Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 12. द्वि-नवाष्टादशकववांशतततत्रभेदा यर्ाक्रमम्।।२।। ☸दाे, ना, अठािह, इक्कीस अाि तीन भेद इनके क्रम से हां Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा भाव अापशममक २ क्षाययक ९ क्षायाेपशममक १८ अादययक २१ पारिणाममक ३
  • 13. सम्यक्त्व-चारित्रे।।३।। ☸अापशममक भाव के २ भेद हां उपशम सम्यक्त्व अाि उपशम चारित्र | Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 14. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 15. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 16. अापशममक भाव ☸कािण के ममलने पि प्रततपक्षी कमथ की शमक्त के दब जाने से अात्मा मेां तनमथलता का हाेना अापशममक भाव हां | Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 17. अापशममक भाव सम्यक्त्व प्रर्ामाेपशम ममथ्यात्व अाि अनरतानुबरधी का उपशम द्विततयाेपशम श्रेणी चढने के पूवथ चारित्र माेहनीय की २१ प्रकृ ततयाेां का उपशम चारित्र Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 18. अनादद ममथ्यादृष्टष्ट के सम्यक्त्व की प्रवक्रया ४ लब्धध प्राप्त कि ५ वी लब्धध के ३ किण परिणाम कि उपशम सम्यक्‍त्व प्राप्त किे
  • 19. ५ लब्धध सांज्ञी पांचेन्द्रिय पयाथप्त हाेनाक्षयाेपशम लब्धध कषायाेां की मांदता हाेना, धमाथनुिाग रूप शुभ परिणामाेां की प्रातप्त ववशुद्ध लब्धध 6 िवय, 7 तत्त्व अादद का उपदेश देने वाले अाचायाथदद का लाभ, उनके उपदेश की प्रातप्त, उपदेशशत पदार्थ काे धािण किने की प्रातप्त देशना लब्धध बांध अाि सत्ता दाेनाेां के कमाें की ब्स्र्तत अांत:काेड़ाकाेड़ी सागि किनाप्रायाेग्यता लब्धध 3 किण परिणाम हाेते हां, अध:प्रवृत्तकिण, अपूवथकिण, अतनवृत्तत्तकिणकिण लब्धध
  • 20. अापशममक सम्यक्‍त्व दशथन माेहनीय की 1 या 2 या 3 प्रकृ ततयाेां का प्रशस्त उपशम किने पि तर्ा अनरतानुबरधी की 4 प्रकृ ततयाेां का अप्रशस्त उपशम हाेने पि हाेने वाले जीव के सम्यक्‍त्व परिणाम काे अापशममक सम्यक्‍त्व कहते हां ।
  • 21. उपशम वकसे कहते हां? कमाें का अपने परिणामाेां के तनममत्त से अागे-पीछे किना वह उपशम (प्रशस्त उपशम) कहलाता ह | उससे जाे gap/empty space बनेगा तब उस gap / empty space मेां उस-उस कमथ प्रकृ तत का उदय नहीां िहेगा |
  • 22. कमाें काे पहले उदय मेां लाना कमाें के उदय काे अागे किना अापशममक सम्यक्‍त्व (कमथ के उदय का अभाव) अांतमुथहूतथ काल ममथ्यात्व कमथ प्रर्माेपशम सम्यक्‍त्व का प्रर्म समय 15 14 13 12 11 10 9 8 7 6 5 4 3 2 1
  • 23. अापशममक सम्यक्‍त्व से जाने के 4 मागथ अापशममक सम्यक्‍त्व ममथ्यात्व सासादन सम्यन्द्ग्मथ्यात्व क्षायाेपशममक सम्यक्‍त्व अनांतानुबांधी का उदय अाने पि सम्यक्‍त्व प्रकृ तत का उदय अाने पि ममथ्यात्व प्रकृ तत का उदय अाने पि सम्यन्द्ग्मथ्यात्व प्रकृ तत का उदय अाने पि
  • 24. अापशममक भाव के बािे मेां कु छ तथ्य: ☸ये भाव temporary शुद्धभाव हाेता ह । ☸4 से 11 गुणस्र्ान तक ये भाव हाे सकते हां । ☸दशथन अाि चारित्र माेहनीय की ही उपशमना हाे सकती ह
  • 25. ज्ञानदशथन-दान-लाभ-भाेगाेपभाेग-वीयाथणण च।।४।। ☸क्षाययक भाव के ना भेद हां क्षाययक सम्यक्त्व, चारित्र, ज्ञान, दशथन, दान, लाभ, भाेग उपभाेग अाि वीयथ | Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 26. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा कमाें का बांध, उदय अाि सत्ता से नाश हाेना क्षय कहलाता ह
  • 27. क्षाययक भाव क्षाययक सम्यक्त्व क्षाययक चारित्र क्षाययक ज्ञान क्षाययक दशथन क्षाययक दान क्षाययक लाभ क्षाययक भाेग क्षाययक उपभाेग क्षाययक वीयथ
  • 28. • माेहनीय की 7 प्रकृ ततयाेां के क्षय से प्रगट क्षाययक सम्यक्त्व क्षाययक सम्यक्त्व • समस्त माेहनीय कमथ के अभाव से प्रगटक्षाययक चारित्र • ज्ञानाविण के अत्यांत क्षय से प्रगट के वलज्ञानक्षाययक ज्ञान • दशथनाविण के अत्यांत क्षय से प्रगट के वलदशथनक्षाययक दशथन • दानारतािाय कमथ का अत्यांत क्षय हाेने से ददवयध्वनी अादद िािा अनांत प्राणणयाेां का उपकाि किने वाला क्षाययक दान क्षाययक दान Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 29. • लाभारतािाय के क्षय से के वली भगवान के शिीि का वबना भाेजनादद ग्रहण वकये बने िहना क्षाययक लाभ • भाेगारतिाय का अत्यांत क्षय से सुगब्रधत पवन का बहना, पुष्प वृष्टष्ट अादद क्षाययक भाेग क्षाययक भाेग • उपभाेगारतिाय के अत्यांत क्षय से ससांहासन, 3 छत्र, भामांड़ल अादद का हाेना क्षाययक भाेग क्षाययक उपभाेग • वीयाथरतिाय कमथ के अत्यांत क्षय से क्षाययक वीयथ प्रगट हाेनाक्षाययक वीयथ Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 30. ज्ञानाज्ञानदशथन-लधधयश्चतुस्त्रितत्र-पञ्च-भेदााः सम्यक्त्वचारित्रसांयमासांयमाश्च।।५।। ☸क्षायाेपन्द्ममक भाव के १८ भेद हां- ४ ज्ञान, ३ अज्ञान, ३ दशथन, ५ लब्धध, क्षायाेपशाममक सम्यक्त्व, क्षायाेपशाममक चारित्र, सांयमासांयम | Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 31. क्षय उपशम क्षयाेपशम Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 32. क्षयाेपशम वकसे कहते हां? • वतथमानकालीन सवथघातत स्पधथकाेां का उदयाभावी क्षय क्षय • भववष्य मेां उदय मेां अाने याेग्य सवथघातत स्पधथकाेां का सदवस्र्ारूप उपशम उपशम •वतथमानकालीन देशघाती स्पधथकाेां का उदयउदय इन 3 रूप कमथ की अवस्र्ा काे क्षयाेपशम कहते हां |
  • 33. उदयाभावी क्षय सवथघाती प्रकृ ततयाेां का अनांत गुणा हीन हाेकि देशघाती मेां परिवततथत हाेकि उदय मेां अाने काे उदयाभावी क्षय कहते हां | इसमेां सवथघातत स्पधथक उदय मेां अाने के एक समय पूवथ देशघाती मेां परिवततथत हाेते हां |
  • 34. अनुभाग का अनांत गुणा हीन हाेना सवथघातत का देशघातत रूप उदय हाेना उदयाभावी क्षय लता
  • 35. सदवस्र्ारूप उपशम वतथमान समय काे छाेड़कि भववष्य मेां उदय मेां अाने वाले कमाें के सत्ता मेां िहने काे सदवस्र्ारूप उपशम कहते हां । उदीिणा न हाेना कमथ ब्स्र्तत
  • 36. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 37. 3 इन्द्रिय जीव के मततज्ञान का क्षयाेपशम 3 इन्द्रिय (स्पशथन, िसना, घ्राण) सम्बांष्टधत मततज्ञान का क्षयाेपशम बाकी की 2 इन्द्रिय (चक्षु अाि कणथ) इन्द्रिय सम्बांष्टधत सवथघाती का उदय
  • 38. मततज्ञान मेां क्षयाेपशम मततज्ञान के सवथघातत स्पधथकाेां का वतथमान मेां उदयाभावी क्षय अागामी का सदवस्र्ारूप उपशम मततज्ञान के देशघातत स्पधथकाेां का वतथमान मेां उदय
  • 39. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 40. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 41. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 42. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 43. क्षायाेपशममक सम्यक्‍त्व कसे ? ममथ्यात्व, सम्यन्द्ग्मथ्यात्व, अनांतानुबांधी ४ का उदयाभावी क्षय सदवस्र्ारूप उपशम तत्त्वार्थ श्रद्धान सम्यक्‍त्व प्रकृ तत का उदय चल मलादद दाेष
  • 44. अनांतानुबांधी तत्त्वार्थश्रद्धानरूप सम्यक्‍त्व का घात हाे अनांत सांसाि (ममथ्यात्व) के सार् सांबांध किाये अप्रत्याख्यानाविण देशचारित्र का घात हाे वकां मचत् त्याग न हाेने दे प्रत्याख्यानाविण सकलचारित्र का घात हाे पूणथ त्याग न हाेने दे सांज्वलन यर्ाख्यातचारित्र का घात हाे जाे सांयम के सार् प्रज्वमलत िहे
  • 45. क्षायाेपशममक चारित्र कसे ? अनांतानुबांधी, अप्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान का उदयाभावी क्षय सदवस्र्ारूप उपशम वीतिागता सांज्वलन प्रकृ तत का उदय यर्ाख्यात चारित्र का घात
  • 46. सांयमासांयम कसे ? अनांतानुबांधी, अप्रत्याख्यान का उदयाभावी क्षय सदवस्र्ारूप उपशम वीतिागता प्रत्याख्यान सवथघाती , सांज्वलन देशघाती प्रकृ तत का उदय सकल चारित्र का घात
  • 47. गतत-कषाय-मलांग- ममथ्यादशथनाज्ञानासांयताससद्धलेमयाश्चतुश्चतुस्त्र्ययकककक-षड्भेदााः।।६।। ☸अादययक भाव के २१ भेद हां- ४ गतत, ४ कषाय, ३ मलांग, ममथ्यादशथन,अज्ञान, असांयत, अससद्ध, ६ लेमया| Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 48. अादययक भाव कमाें के फलदान का सामथ्यथ प्रगट हाेना उदय ह, उदय मेां जाे हाे वह अादययक भाव ह | Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 49. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा गतत नाम कमथ के उदय से
  • 50. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा कषाय कमथ के उदय से
  • 51. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा वेद कषाय कमथ के उदय से
  • 52. लेमया कषायाेां से अनुिांजजत मन, वचन अाि काय की प्रवृत्तत्त काे लेमया कहते हां |
  • 54. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा दशथन माेह का उदय ज्ञानाविण का उदय चारित्र माेह का उदय कमथ मात्र का उदय
  • 55. अादययक भाव ताे अाि भी हां वफि उन सबका यहााँ ग्रहण काेां नहीां वकया ? वेद हास्यादद गतत वेदनीय, अायु, गाेत्र ममथ्यादशथन दशथनाविण अादद शेष का अांतभाथव इन 21 प्रकृ ततयाेां मेां ही हाे जाता ह |
  • 56. कान-से अादययक भाव मेां कान-सा कमथ गमभथत ह? • अज्ञानज्ञानाविण • ममथ्यादशथनदशथनाविण • ममथ्यादशथनदशथन माेहनीय • वेद, असांयमचारित्र माेहनीय • गततअायु, नाम, गाेत्र, वेदनीय Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 57. जीवभवयाभवयत्वातन च।।७।। ☸जीवत्व, भवयत्व अाि अभवयत्व ३ प्रकाि के पारिणाममक भाव हां Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 58. पारिणाममक भाव कमाें की उपाष्टध से िद्वहत एेसा जाे परिणाम मेां हुअा भाव ह वह पारिणाममक भाव कहलाता ह | Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 59. पारिणाममक भाव •चतरय परिणामजीवत्व •सम्यग्दशथन प्रगट हाेने की याेग्यताभवयत्व •सम्यग्दशथन न प्रगट हाेने की याेग्यताअभवयत्व
  • 60. भवय तनकट भवय शीघ्र ही माेक्ष प्राप्त किेगा दूि भवय कु छ समय बाद माेक्ष प्राप्त किेगा दूिारदूि भवय याेग्यता हाेने पि भी जाे माेक्ष नहीां प्राप्त किेगा
  • 61. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 62. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 63. ५ भावाेां के स्वामी कान कान हां? पारिणाममक समस्त जीवाेां मेां अादाययक समस्त सांसािी जीवाेां मेां क्षायाेपशममक १२ गुणस्र्ानवतीथ जीवाेां तक क्षाययक ससद्ध, अिहांत, क्षाययक सम्यग्दृष्टष्ट अापशममक अापशममक सम्यक्त्व, चारित्र वाले जीवाेां के
  • 64. 5 भावाेां के काल •स+अादद=जजसकी शुरुअात हुई हसादी •स+अांत=जजसका अांत हुअा हसाांत •अन+अादद जजसकी शुरुअात नहीां हुई हअनादी •अन+अांत=जजसका अांत नहीां हअनांत
  • 65. 5 भावाेां के काल औपशमिक सादी साांत अांतिमुहूतु क्षामिक सादी साांत/सादी अनांत 33 सागर+2 पूर्ु कोमि कम छ कि क्षािोपशमिक सादी साांत/ अनामद साांत औदमिक सादी साांत/ अनादी अनांत पाररणामिक अनामद अनांत/ अनादी साांत (भव्यत्व)
  • 66. Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 67. 5 भाव समझने से लाभ • स्वभार् कभी नष्ट नहीां हुआ है और न होगा, इसिें अपनत्व से ही समख की प्रामि होगी | • आत्म मनभुरता आती है | पाररणामिक • िद्यमप िे रागादी भार् िेरे हैं पर किु सापेक्ष हैं िेरा स्वभार् नहीां हैं | • स्वभार् से शमद्ध होने पर भी किु सम्बन्ध से मर्कार पिाुि िें है| औदमिक
  • 68. 5 भाव समझने से लाभ • पमरुषार्ु से मर्कार नष्ट होता है | • एक बार मर्कार नष्ट होने पर पमन: मर्कार नहीां आता, स्वभार् बना रहता है|क्षामिक • मकसी भी दशा िें स्वभार् की व्यक्तता का पूणुत: अभार् नहीां होता है | • अनामद से मर्कार करता हुआ भी जीर् जड़ नहीां होता है |क्षािोपशमिक • सबसे पहले श्रद्धा सम्बन्धी शमद्धा प्राि होती है | • पाररणामिक भार् के आश्रि से मर्कार दूर होना शमरू होता है |औपशमिक Presentation Developed By: श्रीमतत सारिका छाबड़ा
  • 69. ➢ Reference : श्री गाेम्मटसाि जीवकाण्ड़जी, श्री जनेरिससद्धारत काेष, तत्त्वार्थसूत्रजी ➢ Presentation created by : Smt. Sarika Vikas Chhabra ➢ For updates / comments / feedback / suggestions, please contact ➢sarikam.j@gmail.com ➢: 95406682889 Presentation developed by: श्रीिती साररका छाबड़ा