SlideShare a Scribd company logo
मले�रया परजीवी का जीवन चक
मले�रया प्लास्मोिडयमवंश के प्रोटोज़ोआ परजीिवयोंसे फैलता है।इस वंश क� पाच प्रजाितयां म
संक्रिमत करती - प्लास्मोिडयमफैल्सीप , प्लास्मोिडयम वाईवै , प्लास्मोिडयम ओव ,
प्लास्मोिडयम मले�रये तथा प्लास्मोिडयम नौलेसी।इनमें से सबसे पराक्रमी और . फैल्सीपैरम
माना जाता है, मले�रया के 80 प्रितशत रोगी इसी प्रजाित के संक्रमण क�देन है। मले�रया से मरने90
प्रितशत रोयो का कारण पी. फैल्सीपैर संक्रमण ही माना गयाहै

मच्छ
मादा एनोिफलीज़ मच्छर मले�रया परजीवी क� प्राथि
पोषक होती है , िजसे मले�रया का संक्रमणफैला में
महारत हािसल है। एनोिफलीज़ वंश के मच्छर सव र्
व्या� हैं। लेिकन िसफर् मादा एनोिफलीज़ मच्छर
र�पान करती है, अतः यही परजीवी क� वाहक बनती है
न िक नर। मादा एनोिफलीज़ मच्छरों क� सेना रात होत
ही िशकार क� तलाश में उड़ान भरती है और हमारे घर
तथा शयन-क� में पहँच कर मंडराते ह�ए हमारे शरीर के
�
कई िहस्सों पर अवतरण करतीहै और अपनेमुँह पर लग
सेंससर् से पता करतीहै िक कहाँ से र� लेना आसान रहेगा। उिचत स्थान का चुनाव होते ही एक कुशल
िचिकत्सा कम� क� तरह अपना लम्बा चूषण यंत्र त्वचा में घुसा देती है और पलक झपकते ही खून चू
चम्प हो जाती है।
यह ठहरे ह�ए पानी मे अंडे देती है क्योंिकअंडों और उनसे िनकलने वाले लावार् दोनों को पानी क� अ
आवश्यकता होती है। इसके अित�र� ल वार को �सन के िलए पानी क� सतह पर बार-बार आना पड़ता है।
अंडे, लावार , प्यूपा और िफर वयस्क होनेमें मच्छर ल10-14 िदन का समय लेते हैं। वयस्क मच्
पराग और शकर्रा वाले भोज-पदाथ� पर पलते हैं लेिकन मादा मच्छर कोअंडे देने के िलए र� क� ज�र
होती है।

प्लास्मोिडयम का जीवन 
मले�रया परजीवी का पहला िशकार तथा वाहक मादा एनोिफ़लीज़ मच्छर बनती है। वयस्क मच्छर संक्
मनुष् को काटने पर उसके र� से मले�रया परजीवी को ग्रहण कर लेतेहैं। र� में मौजूद परजीवी के जनन
(gametocytes) मच्छर क मध्य आहार निलक (Mid Gut) में नर और मादा के �प में िवकिसत होतेह
और िफर िमलकर अंडाणु ( Zygote) बनाते हैं जो मच्छर क आहार निलका क� िभि�यों में पलने लगतेहै
प�रपक्व होने पर ये फूटते ह , और इसमें से िनकलने वाले बीजाणु( Sporozoites) उस मच्छर क� लाग्रंिथयों में पह�ँच जाते हैं। जब मच् एक स्वस्थ मनुष्य को काटता है तो त्वचा में लार क-साथ
बीजाणु भी भेज देता है।
मले�रया परजीवी का मानव में िवकास दो चरणोंमें होता: यकृत में प्रथम , और लाल र� कोिशकाओं
में दूसरा चरण। जब एक संक्रिमत मच्छर मानव को काटता है तो बीज(Sporozoites) मानव र� में प्रव
कर यकृत में पहँचते हैं और शरीरमें प्रवेश पान30 िमनट के भीतर
ही ये यकृत क� कोिशकाओं को
�
संक्रिमत कर देतेहैं। िफर ये यकृत में अलैंिगक जनन करने लगते हैं। य6 से 15 िदन चलता है। इस
जनन से हजारों अंशाणु( Merozoites) बनते हैं जो अपनी मेहमान कोिशकाओं को तोड़ कर र -प्रवा में
प्रवेश कर जातेहैं तथा लाल र� कोिशकाओं को संक्रिमत करना शु� कर देत
मच्छर में स्पोरोगो
वयस्क मच्छरसंक्रि नुष् को काटने पर उसके र� से मले�रया परजीवी को भी ग्रहण कर लेताह
अितसू�म, एक कािशक�य और संसाधनहीन मले�रया परजीवी का जीवन चक्र बह�त जिटल होताहै और द
वाहकों मादा एनोिफलीज़ मच्छर और मनुष्य पर आिश्रत रहता है। परजीवी अपनी सुर�ा और िवका
िलए वाहकों के5000 से ज्यादा जीन्स तथा िविश� प्रोटीन्स समेत अनेक संसाधनों का भर पूर
करता है।
मले�रया परजीवी का पहला िशकार तथा वाहक मादा एनोिफ़लीज़ मच्छर बनती ह, जहाँ इसके जीवन चक्
क� लैंिगक अवस्, िजसे स्पोरोगोनी कहते ह, सम्पन्न होतीहै। इस अवस्था में मच्छर के शरीर में
बीजाणु िवकिसत होते हैं जो मनुष्य के शरीरमें पह�ँच कर मले�रया का कारक बनते ह
जब मादा एनोिफ़लीज़ मच्छर मले�रया से संक्रिमतमनुष्य का र�पान करत, तब र� के साथ मले�रया के
नर और मादा जननाणु (gametocytes) भी उसक� आहार-निलका में प्रवेश कर जाते हैं। यहाँ नर और म
जननाणु जुड़ कर जाइगोट बनाते है, जो िवकिसत होकर सिक्रय ऊकाइने (Ookinete) बनता है। यह
ऊकाइनेट मध्य आहा-निलका क� िभि� में प्रवेश करता, जहाँ यह िवकिसत और िवभािजत होता है और
ऊिसस्ट(oocysts) बनता है। इसमें हजारों बीजाण( sporozoites) रहते हैं।8-15 िदन क� स्पोरोगोिनक
अवस्था के अन्तमें ऊिसस्ट टूट जाता है और असंख्य बीजाणु-निलका में आ जाते हैं। ये बीजाण
चल कर मच्छर क� लार ग्रंिथ( salivary glands) में एकित्रत हो जाते हैं। अब यह मच्छर मनुष
मले�रया फैलाने के िलए पूरी तरह तैयार है। जैसे ही यह मच्छर र�पान के िलए मनुष्य को काटता, लार
ग्रंिथयों में एकित्रतबीजाणुभी मनुष्य केशरीर में छोड़ िदये जाते हैं। यह देखा गया है िक परजीवी
दोनों एक दूसरे क� मदद करते हैं और मले�रयाफैलानेमें सिक्रय भागीदारी िनभाते

मनष्य में शाइज़ोगोन(Schizogony in the Human)
ु
मले�रया परजीवी के जीवन चक्र का अगला भाग मनुष्य के शरीर में सम्पन्न होता है।  जैसे हीब
(Sporozoites) मनुष्य के शरीर में पह�ँचते, ये यकृत क� कोिशकाओं में िछप कर अपने िवकास को आगे
बढ़ाते हैं। यकृत में अपना चक्र पूरा करने के बाद परजीवी अपनी अगली जीवन लीला लालर� कोिशकाओं
पूरा करते हैं। जीवन चक्र के इसी भाग में मनुष्य को मले�रया के अनेक ल�ण और जिटलताओं का स
करना पड़ता है।
िप्रइरेथ्रोसाइिटक अव– यकृत में शाइज़ोगोनी(Pre-erythrocytic Phase -

Schizogony in the Liver)

जब मनुष्य को संक्रिमत मच्छर काटता है तो मनुष्य क� त्वचा में दजर्नों या सैंकड़ों बीजाणु प्रवेश
कुछ बीजाणुओं को तो शरीर क� भ�ी कोिशकाएं ( Macrophages) खा जाती हैं। कुछ बीजाणु लिसका
वािहकाओं में तो कुछ र-वािहकाओं में पहँचने में सफल हो जातेहैं। जो बीजाणु लिसका वािहकाओं
�
पह�ँचते है, पास के लिसकापवर् में जाकर एक्सोइरेथ्रोसाइिटक अ( Exoerythrocytic stages) में
चिक्रत होने लगतेहैं। जो बीजाणु-वािहकाओं में पहँचते ह, वे मनुष्य क� सुर�ा सेना से बचते ह�ए कुछ ही
�
घंटों में सीधे यकृतमें पह�ँच जाते हैं। बीजाणु थ्रोम्बो-�रलेटेड ऐनोिनमस प्रोटी( TRAP) प�रवार
और ऐिक्ट-सायोिसन मोटर क� मदद से प�रवहन करते हैं। यकृत में पह�ँच कर ये यकृत क� कोिशकाओं क
पेरसाइटोफोरस वेक्युओल में िवभािजत और िवकास करतेहैं। यहाँ हर बीजाणु बढ़ कर शाइज़ोन्ट बनत,
े
िजसमें10000-30000 अंशाणु ( Merozoites) होते हैं। यकृत में परजीवी के िवकासमें सकर्मस्पोरो
नामक प्रोटीन बह�त मदद करता, जो परजीवी स्वयं बनाता है। िप्रइरेथ्रोसाइिटक अ5-16 िदन चलती
है, फैिल्सपैरम में औसत5-6 िदन, वाइवेक्स मे8 िदन, ओवेल में8 िदन, मले�रये में13 िदन और नौलेसी
में8-9 चलती है। यह परजीवी क� शांत अवस्था ह, इसमें पोषक मनुष्य को मले�रया का कोई ल�ण य
िवकृित नहीं होती ह, क्योंिक बीजाणु यकृत क� थोड़ी कोिशकाओं पर ही आक्रमण करते हैं। यह अवस
ही चक्र पूरा करती, जबिक अगली इरेथ्रोसाइिटक अवस्था -बार पुनरचिक्रत होतीहै।
यकृत कोिशका में पनपने वाले अंशाणु पोषक कोिशका द्वारा ही बनाई मीरोज़ोम नामक एक कुिटया में
िवय� (Isolated) रहते है, और यकृत में िस्थत भ�ीकुफर कोिशकाओं के प्रकोप से सुरि�त रहते
ु
अंततः अंशाणु यकृत कोिशका से िनकल कर र�-प्रवाहमें िवलय हो जाते हैं और घातक तथा स
महत्वपूणर् इरेथ्रोसाइिटक अवस्थाक� शु�वात करते
वाइवेक्स और ओवेल मले�रया मेंकुछ बीजाणु यकृतमें महीनों और वष� तकसुषु� पड़े रहते हैं। इन्हों
(Hypnozoites) कहते है, और ये अव्य� अविध(जो कुछ स�ाह से कुछ महीने हो सकती है) के बाद
िवकिसत होकर शाइज़ोन्ट बनते हैं। येसु�ाणु हीसंक्रमण के कई महीने बाद ह�ए आवत� मले�रया का क
बनते हैं।

इरेथ्रोसाइिटक शाइगोन– लालर� कोिशकाओ ं में होने वाली मुख्य और केन्द
अवस्थ (Erythrocytic Schizogony - Centre Stage in Red Cells)
मले�रया परजीवी के अलैंिगक जीवन चक्र क� मुख्य और केन्द्रीय अवस्था लालर�कोिशकाओ
होती है। लालर� कोिशकाओं में परजीवी के िवकास का च एक िनि�त अविध में बा-बार पुनरचिक्र
होता है और चक्र केअंतमें सैंकड़ों नन्हेअंशाणु उत्पन्न होते हैं जो नई लालकोिशकाओं पर आ
हैं।
यकृत से िनकल कर अंशाणुओं को लालर� कोिशकाओं को पहचान कर उनसे िचपकने और िफर उनमें
प्रवेश करनेमें एक िमनट से भी कम समय लगता है। इससे परजीवी क� सतह पर लगा एंटीजन पो
(मनुष्) के सुर�ाकिमर्यों क� नजर से बच िनकलनेमें सफल हो जाता है। अंशाणुओं के लालर� कािशका
प्रवेश हेतु दोनों क� सतह पर लगे लाइगे न्ड्स के पारस्प�रक आणिवक संवाद भी मदद करता है। वाइ
डफ� बाइिन्डं-लाइक प्रोटीन और रेिटकुलोसाइट होमोलोजी प्रोटीन क� मदद से िसफर् डफ� ब्ल
पोज़ीिटव लाल कोिशकाओं पर ही आक्रमण करतेहै
ध्यान रहे ि आक्रामक और घातकफैलिसपैरममें चार तरह के डफ� बाइिन-लाइक प्रोटी( DBLEBP) जीन्स होते ह, जबिक वाइवेक्स में एक ही डफ� बाइिन्-लाइक प्रोटी( DBL-EBP) जीन होता है।
इसिलए फैलिसपैरम कई तरह के लाल र� कोिशकाओं पर आक्रमण कर सकताहै
अंशाणु के िसरे पर बने िविश� उपांग िजन्हें माइक्रो, रोपट्राइन्स और घने दा(
Micronemes,
Rhoptries, and Dense granules) कहते है, अंशाणु को लालर� कोिशकाओं से जुड़ने और घुसने क�
प्रिक्रया में बह�त सहायक होते हैं।अंशाणु और लाल कोिशका का प्रारंिभक सम्पकर् लाल कोिश
को एक लहर क� भांित तेजी से िवकृत करता है, इससे दोनों का िस्थरजुड़ाव स्थल बनता है। इसके ब
अंशाणु एिक्ट-मायोिसन मोटर, थ्रोम्बोस्पो-�रलेटेड ऐनोिनमस प्रोटी(
TRAP) प�रवार और
ऐल्डोलेज क� मदद से लाल कोिशका क� ि-िभि� ( Bilayer) में घुसता है और पेरासाइटोफोरस वेक्युओ
बनाता है, िजससे अंशाणु का लाल कोिशका के कोिशका द्रव( Cytoplasm) से कोई सम्पकर् नहीं रहता,
और वह िनि�ंत होकर अपना जीवन चक्र आगे बढ़ाताहै। इस अवस्था में परजीवी लालकोिशका मे
अंगूठी जैसा िदखाई देता है, इसे मुिद्रकाणु कहतेहै
िवकासशील परजीवी का प्रमुख भोजन हीमोग्लोिबन होता है। इसिलए इसे भोजन पुिट( Food vacuole)
में ले जाकर अपघिटत िकया जाता ह, िजससे अमाइनो एिसड्स िनकलते है जो प्रोटीन िनमार्ण में काम
हैं। हीम पोलीमरेज एंजाइम बचे ह�ए टॉिक्सक हीम से हीमोज़ोइ (Malaria pigment) बनाते हैं। परजीवी
पीएलडीएच और प्लाज़मोिडयम ऐल्डोल्ज़ एंजाइम्स क� मदद से  अवायवीय ग्लाइकोलाइिसस द्वार
उत्पादन करता है। जैसे जैसे परजीवी िवकिसत और िवभािजत होता ह, लालकोिशका क� पारगम्यता और
संरचना में बदलाव आता है। यह बदलाव चयापचय अपिश� को बाहर करन, बाहर से उपयोगी पदाथ� का
अवशोषण करने में और िवद्-रासायिनक संतुलन बनाये रखने मे सहायता करता है। साथ ही हीमोग्लोिबन
का अन्तग्रर(Ingestion), पाचन और िवषहरण ( Detoxification) अितपारगम्य लालकोिशका के रअपघटन (Hemolysis) के रोकता है। और परासरणीय िस्थरता(Osmotic Stability) बनाये रहता है।
परजीवी का इरेथ्रोसाइिटक चक्र नौलेसी मे24 घंटे मे, फैलिसपैरम, वाइवेक्स तथा ओवेल में ह48 घंटे
में और मले�रये में ह72 घंटे में दोहराया जाता है। हर चक्र में अंशाणुवेकुओल में िवकिसत तथा िवभ
होते हैं और मुिद्रक, ट्रोफोजोइट तथा शाइज़ोन्ट अवस्था से गुजरते 8-32 (औसत 10) नये अंशाणु
बनते हैं। चक्र के अंत में लालकोिशका टूट जाती है औरनन्हेंअंशाणु बाहर िनकल
िफर से
लालकोिशका को िशकार बनाती है। इस तरह अंशाणु बड़ी तेजी से बढ़ते हैं और इनक� संख्य 1013 तक
पह�ँच जाती है।
कुछ अलैंिगक परजीवी शाइज़ोगोनी चक्र में न जाकर लैंिगक अवस्थाज(Gametocytes) में िवभेिदत
हो जाते हैं। ये नर और मादा जननाणु लालकोिशका से बाहर र� में रहतेहैं और पोषक के शरीर में कोई
या िवकृित उत्पन्न नहीं करते हैं। ये मादा ऐनोिफलीज़ मच्छर के काटने पर उसके शरीर में चले जाते
परजीवी के लैंिगक िवकास को आगे बढ़ाते हैं। इस तरह ये मले�रया केफैलनेमें मदद करते हैं। वाइवेक्
जननाणु बह�त जल्दी बन जाते ह, जबिक फैलिसपैरम में अलैंिगक चक्र के  भी काफ� देर बाद बनते

More Related Content

What's hot

Botfly
BotflyBotfly
Botfly
Adnan Sahu
 
Louse and cyclops
Louse and cyclopsLouse and cyclops
Louse and cyclops
drnishantkumar2000
 
An introduction to Medical Parasitology
An introduction to Medical ParasitologyAn introduction to Medical Parasitology
An introduction to Medical Parasitology
rinki singh
 
Plasmodium Life Cycle
Plasmodium Life CyclePlasmodium Life Cycle
Plasmodium Life Cycle
Sasya Nagar
 
Mosquito notes
Mosquito notesMosquito notes
Mosquito notes
Dr Bushra Jabeen
 
Entomology Louse, Bedbugs & Sand fly
Entomology Louse, Bedbugs & Sand flyEntomology Louse, Bedbugs & Sand fly
Entomology Louse, Bedbugs & Sand fly
utpal sharma
 
Life cycle of Dracunculus medinensis
Life cycle of Dracunculus medinensisLife cycle of Dracunculus medinensis
Life cycle of Dracunculus medinensis
DaaminiArora1
 
Mosquitoes
MosquitoesMosquitoes
Mosquitoes
utpal sharma
 
Sandfly notes
Sandfly notesSandfly notes
Sandfly notes
Dr Bushra Jabeen
 
Plasmodium
PlasmodiumPlasmodium
Plasmodium
mappleorange
 
Malaria - 4 species
Malaria  - 4 speciesMalaria  - 4 species
Malaria - 4 species
Malarvizhi R
 
Taenia solium pork tapeworm
Taenia solium pork tapewormTaenia solium pork tapeworm
Taenia solium pork tapeworm
Aparna Venkat
 
Plasmodium falciparum
Plasmodium falciparumPlasmodium falciparum
Plasmodium falciparum
ayooy1992
 
House Flies Musca
House Flies   MuscaHouse Flies   Musca
House Flies Muscaanjoga
 
Soft ticks
Soft ticksSoft ticks
Soft ticks
Osama Zahid
 
Visceral Larva Migrans
Visceral Larva MigransVisceral Larva Migrans
Visceral Larva Migrans
Hazel Barcela
 
Myiasis ....a parasitic disease.
Myiasis ....a parasitic disease.Myiasis ....a parasitic disease.
Myiasis ....a parasitic disease.
zuma amza
 
Glossina - tsetse fly
Glossina - tsetse flyGlossina - tsetse fly
Glossina - tsetse fly
MontasirGhaneim1
 
Malaria and Plasmodium
Malaria and PlasmodiumMalaria and Plasmodium
Malaria and PlasmodiumShahab Riaz
 

What's hot (20)

Botfly
BotflyBotfly
Botfly
 
Louse and cyclops
Louse and cyclopsLouse and cyclops
Louse and cyclops
 
An introduction to Medical Parasitology
An introduction to Medical ParasitologyAn introduction to Medical Parasitology
An introduction to Medical Parasitology
 
Plasmodium Life Cycle
Plasmodium Life CyclePlasmodium Life Cycle
Plasmodium Life Cycle
 
Mosquito notes
Mosquito notesMosquito notes
Mosquito notes
 
Entomology Louse, Bedbugs & Sand fly
Entomology Louse, Bedbugs & Sand flyEntomology Louse, Bedbugs & Sand fly
Entomology Louse, Bedbugs & Sand fly
 
Life cycle of Dracunculus medinensis
Life cycle of Dracunculus medinensisLife cycle of Dracunculus medinensis
Life cycle of Dracunculus medinensis
 
Mosquitoes
MosquitoesMosquitoes
Mosquitoes
 
Smallpox disease
Smallpox diseaseSmallpox disease
Smallpox disease
 
Sandfly notes
Sandfly notesSandfly notes
Sandfly notes
 
Plasmodium
PlasmodiumPlasmodium
Plasmodium
 
Malaria - 4 species
Malaria  - 4 speciesMalaria  - 4 species
Malaria - 4 species
 
Taenia solium pork tapeworm
Taenia solium pork tapewormTaenia solium pork tapeworm
Taenia solium pork tapeworm
 
Plasmodium falciparum
Plasmodium falciparumPlasmodium falciparum
Plasmodium falciparum
 
House Flies Musca
House Flies   MuscaHouse Flies   Musca
House Flies Musca
 
Soft ticks
Soft ticksSoft ticks
Soft ticks
 
Visceral Larva Migrans
Visceral Larva MigransVisceral Larva Migrans
Visceral Larva Migrans
 
Myiasis ....a parasitic disease.
Myiasis ....a parasitic disease.Myiasis ....a parasitic disease.
Myiasis ....a parasitic disease.
 
Glossina - tsetse fly
Glossina - tsetse flyGlossina - tsetse fly
Glossina - tsetse fly
 
Malaria and Plasmodium
Malaria and PlasmodiumMalaria and Plasmodium
Malaria and Plasmodium
 

Viewers also liked

Treatment of Malaria in Hindi
Treatment of Malaria in HindiTreatment of Malaria in Hindi
Treatment of Malaria in Hindi
Om Verma
 
Malaria symptoms in Hindi
Malaria symptoms in Hindi Malaria symptoms in Hindi
Malaria symptoms in Hindi
Om Verma
 
Life cycle of plasmodium
Life cycle of plasmodiumLife cycle of plasmodium
Life cycle of plasmodium
Nikhil Gupta
 
Dengue hindi
Dengue hindiDengue hindi
NVBDCP-GUJARAT
NVBDCP-GUJARATNVBDCP-GUJARAT
NVBDCP-GUJARAT
pushpamanjari
 
Life cycle of plasmodium
Life cycle of plasmodiumLife cycle of plasmodium
Life cycle of plasmodium
Abino David
 

Viewers also liked (7)

Treatment of Malaria in Hindi
Treatment of Malaria in HindiTreatment of Malaria in Hindi
Treatment of Malaria in Hindi
 
Malaria symptoms in Hindi
Malaria symptoms in Hindi Malaria symptoms in Hindi
Malaria symptoms in Hindi
 
Life cycle of plasmodium
Life cycle of plasmodiumLife cycle of plasmodium
Life cycle of plasmodium
 
Dengue hindi
Dengue hindiDengue hindi
Dengue hindi
 
NVBDCP-GUJARAT
NVBDCP-GUJARATNVBDCP-GUJARAT
NVBDCP-GUJARAT
 
Life cycle of plasmodium
Life cycle of plasmodiumLife cycle of plasmodium
Life cycle of plasmodium
 
Life cycle of malarial parasite
Life cycle of malarial parasiteLife cycle of malarial parasite
Life cycle of malarial parasite
 

Similar to Malaria life cycle

Reproduction in bacteria
Reproduction in bacteria Reproduction in bacteria
234234244245666466556665677766766PPT.pptx
234234244245666466556665677766766PPT.pptx234234244245666466556665677766766PPT.pptx
234234244245666466556665677766766PPT.pptx
9675749992l
 
Slide on Cell.pptx
Slide on Cell.pptxSlide on Cell.pptx
Slide on Cell.pptx
Anurag Gupta
 
Bacteriophages concept
Bacteriophages conceptBacteriophages concept
Prostate cancer
Prostate cancer Prostate cancer
Prostate cancer
Om Verma
 
Prostate cancer
Prostate cancerProstate cancer
Prostate cancer
Om Verma
 
Micro organism
Micro organismMicro organism
Micro organism
Vikash Singh
 
12th (Biology) जैव विकास
12th (Biology) जैव विकास 12th (Biology) जैव विकास
12th (Biology) जैव विकास
Yogesh Tiwari
 
आनुवंशिकता एवं जैव विकास भाग 2 HEREDITY AND BOILOGICAL EVOLUTION.pptx
आनुवंशिकता एवं जैव विकास भाग 2  HEREDITY AND BOILOGICAL EVOLUTION.pptxआनुवंशिकता एवं जैव विकास भाग 2  HEREDITY AND BOILOGICAL EVOLUTION.pptx
आनुवंशिकता एवं जैव विकास भाग 2 HEREDITY AND BOILOGICAL EVOLUTION.pptx
RenuTripathi16
 
FUNDAMENTAL UNIT OF LIFE PART 1 जीवन की मौलिक इकाई भाग 1 .pptx
FUNDAMENTAL UNIT OF LIFE PART 1 जीवन की मौलिक इकाई भाग 1 .pptxFUNDAMENTAL UNIT OF LIFE PART 1 जीवन की मौलिक इकाई भाग 1 .pptx
FUNDAMENTAL UNIT OF LIFE PART 1 जीवन की मौलिक इकाई भाग 1 .pptx
RenuTripathi16
 
Insect and disease Management in Mushroom
Insect and disease Management in MushroomInsect and disease Management in Mushroom
Insect and disease Management in Mushroom
Dr. ROHIT RANA
 
विकासवाद की
विकासवाद कीविकासवाद की
विकासवाद कीDomenic Marbaniang
 
Cell hindi
Cell hindiCell hindi
Cell hindi
Ashok Arya
 
Vacuoles .pptx
Vacuoles .pptxVacuoles .pptx
Vacuoles .pptx
Maheshbhiyaja
 
Nephropathy
NephropathyNephropathy
Nephropathy
Om Verma
 
Male reproductive organs or genitalia in Hindi
Male reproductive organs or genitalia in HindiMale reproductive organs or genitalia in Hindi
Male reproductive organs or genitalia in Hindi
Atul Yadav
 
Impacts of water pollution hindi
Impacts of water pollution hindiImpacts of water pollution hindi
Impacts of water pollution hindi
Water Community India
 
Malaria
MalariaMalaria
Malaria
DEV YADAV
 

Similar to Malaria life cycle (20)

Reproduction in bacteria
Reproduction in bacteria Reproduction in bacteria
Reproduction in bacteria
 
234234244245666466556665677766766PPT.pptx
234234244245666466556665677766766PPT.pptx234234244245666466556665677766766PPT.pptx
234234244245666466556665677766766PPT.pptx
 
Slide on Cell.pptx
Slide on Cell.pptxSlide on Cell.pptx
Slide on Cell.pptx
 
Anabaena,unit 2
Anabaena,unit 2Anabaena,unit 2
Anabaena,unit 2
 
Bacteriophages concept
Bacteriophages conceptBacteriophages concept
Bacteriophages concept
 
Prostate cancer
Prostate cancer Prostate cancer
Prostate cancer
 
Prostate cancer
Prostate cancerProstate cancer
Prostate cancer
 
Micro organism
Micro organismMicro organism
Micro organism
 
12th (Biology) जैव विकास
12th (Biology) जैव विकास 12th (Biology) जैव विकास
12th (Biology) जैव विकास
 
आनुवंशिकता एवं जैव विकास भाग 2 HEREDITY AND BOILOGICAL EVOLUTION.pptx
आनुवंशिकता एवं जैव विकास भाग 2  HEREDITY AND BOILOGICAL EVOLUTION.pptxआनुवंशिकता एवं जैव विकास भाग 2  HEREDITY AND BOILOGICAL EVOLUTION.pptx
आनुवंशिकता एवं जैव विकास भाग 2 HEREDITY AND BOILOGICAL EVOLUTION.pptx
 
FUNDAMENTAL UNIT OF LIFE PART 1 जीवन की मौलिक इकाई भाग 1 .pptx
FUNDAMENTAL UNIT OF LIFE PART 1 जीवन की मौलिक इकाई भाग 1 .pptxFUNDAMENTAL UNIT OF LIFE PART 1 जीवन की मौलिक इकाई भाग 1 .pptx
FUNDAMENTAL UNIT OF LIFE PART 1 जीवन की मौलिक इकाई भाग 1 .pptx
 
Insect and disease Management in Mushroom
Insect and disease Management in MushroomInsect and disease Management in Mushroom
Insect and disease Management in Mushroom
 
विकासवाद की
विकासवाद कीविकासवाद की
विकासवाद की
 
Cell hindi
Cell hindiCell hindi
Cell hindi
 
Vacuoles .pptx
Vacuoles .pptxVacuoles .pptx
Vacuoles .pptx
 
Nephropathy
NephropathyNephropathy
Nephropathy
 
2387481
23874812387481
2387481
 
Male reproductive organs or genitalia in Hindi
Male reproductive organs or genitalia in HindiMale reproductive organs or genitalia in Hindi
Male reproductive organs or genitalia in Hindi
 
Impacts of water pollution hindi
Impacts of water pollution hindiImpacts of water pollution hindi
Impacts of water pollution hindi
 
Malaria
MalariaMalaria
Malaria
 

More from Om Verma

Linomel Muesli (FOCC)
Linomel Muesli (FOCC)Linomel Muesli (FOCC)
Linomel Muesli (FOCC)
Om Verma
 
Coconut oil hindi
Coconut oil hindiCoconut oil hindi
Coconut oil hindi
Om Verma
 
Cell phone - a friend or foe
Cell phone - a friend or foeCell phone - a friend or foe
Cell phone - a friend or foe
Om Verma
 
Blackseed Miracles
Blackseed  MiraclesBlackseed  Miracles
Blackseed Miracles
Om Verma
 
Sauerkraut - Professor of Probiotics
Sauerkraut - Professor of Probiotics Sauerkraut - Professor of Probiotics
Sauerkraut - Professor of Probiotics
Om Verma
 
Cottage cheese making
Cottage cheese making Cottage cheese making
Cottage cheese making
Om Verma
 
FOCC or Omkhand
FOCC or OmkhandFOCC or Omkhand
FOCC or Omkhand
Om Verma
 
Black Seed – Cures every disease except death
Black Seed – Cures every disease except death Black Seed – Cures every disease except death
Black Seed – Cures every disease except death
Om Verma
 
Sour cabbage or Sauerkraut
Sour cabbage or SauerkrautSour cabbage or Sauerkraut
Sour cabbage or Sauerkraut
Om Verma
 
Oregano Oil
Oregano Oil Oregano Oil
Oregano Oil
Om Verma
 
Mayo dressing
Mayo dressing  Mayo dressing
Mayo dressing
Om Verma
 
Sauerkraut - Make your own
Sauerkraut - Make your own Sauerkraut - Make your own
Sauerkraut - Make your own
Om Verma
 
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
Om Verma
 
Mini's fracture
Mini's fractureMini's fracture
Mini's fracture
Om Verma
 
Fat - friend or foe
Fat -  friend or foe Fat -  friend or foe
Fat - friend or foe
Om Verma
 
G spot
G spot G spot
G spot
Om Verma
 
Thakur Satyapal Singh
Thakur Satyapal SinghThakur Satyapal Singh
Thakur Satyapal Singh
Om Verma
 
Gazal by Zeba
Gazal by ZebaGazal by Zeba
Gazal by ZebaOm Verma
 
Flax hull lignans
Flax hull lignansFlax hull lignans
Flax hull lignansOm Verma
 
Wheat grass
Wheat grassWheat grass
Wheat grassOm Verma
 

More from Om Verma (20)

Linomel Muesli (FOCC)
Linomel Muesli (FOCC)Linomel Muesli (FOCC)
Linomel Muesli (FOCC)
 
Coconut oil hindi
Coconut oil hindiCoconut oil hindi
Coconut oil hindi
 
Cell phone - a friend or foe
Cell phone - a friend or foeCell phone - a friend or foe
Cell phone - a friend or foe
 
Blackseed Miracles
Blackseed  MiraclesBlackseed  Miracles
Blackseed Miracles
 
Sauerkraut - Professor of Probiotics
Sauerkraut - Professor of Probiotics Sauerkraut - Professor of Probiotics
Sauerkraut - Professor of Probiotics
 
Cottage cheese making
Cottage cheese making Cottage cheese making
Cottage cheese making
 
FOCC or Omkhand
FOCC or OmkhandFOCC or Omkhand
FOCC or Omkhand
 
Black Seed – Cures every disease except death
Black Seed – Cures every disease except death Black Seed – Cures every disease except death
Black Seed – Cures every disease except death
 
Sour cabbage or Sauerkraut
Sour cabbage or SauerkrautSour cabbage or Sauerkraut
Sour cabbage or Sauerkraut
 
Oregano Oil
Oregano Oil Oregano Oil
Oregano Oil
 
Mayo dressing
Mayo dressing  Mayo dressing
Mayo dressing
 
Sauerkraut - Make your own
Sauerkraut - Make your own Sauerkraut - Make your own
Sauerkraut - Make your own
 
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
 
Mini's fracture
Mini's fractureMini's fracture
Mini's fracture
 
Fat - friend or foe
Fat -  friend or foe Fat -  friend or foe
Fat - friend or foe
 
G spot
G spot G spot
G spot
 
Thakur Satyapal Singh
Thakur Satyapal SinghThakur Satyapal Singh
Thakur Satyapal Singh
 
Gazal by Zeba
Gazal by ZebaGazal by Zeba
Gazal by Zeba
 
Flax hull lignans
Flax hull lignansFlax hull lignans
Flax hull lignans
 
Wheat grass
Wheat grassWheat grass
Wheat grass
 

Malaria life cycle

  • 1. मले�रया परजीवी का जीवन चक मले�रया प्लास्मोिडयमवंश के प्रोटोज़ोआ परजीिवयोंसे फैलता है।इस वंश क� पाच प्रजाितयां म संक्रिमत करती - प्लास्मोिडयमफैल्सीप , प्लास्मोिडयम वाईवै , प्लास्मोिडयम ओव , प्लास्मोिडयम मले�रये तथा प्लास्मोिडयम नौलेसी।इनमें से सबसे पराक्रमी और . फैल्सीपैरम माना जाता है, मले�रया के 80 प्रितशत रोगी इसी प्रजाित के संक्रमण क�देन है। मले�रया से मरने90 प्रितशत रोयो का कारण पी. फैल्सीपैर संक्रमण ही माना गयाहै मच्छ मादा एनोिफलीज़ मच्छर मले�रया परजीवी क� प्राथि पोषक होती है , िजसे मले�रया का संक्रमणफैला में महारत हािसल है। एनोिफलीज़ वंश के मच्छर सव र् व्या� हैं। लेिकन िसफर् मादा एनोिफलीज़ मच्छर र�पान करती है, अतः यही परजीवी क� वाहक बनती है न िक नर। मादा एनोिफलीज़ मच्छरों क� सेना रात होत ही िशकार क� तलाश में उड़ान भरती है और हमारे घर तथा शयन-क� में पहँच कर मंडराते ह�ए हमारे शरीर के � कई िहस्सों पर अवतरण करतीहै और अपनेमुँह पर लग सेंससर् से पता करतीहै िक कहाँ से र� लेना आसान रहेगा। उिचत स्थान का चुनाव होते ही एक कुशल िचिकत्सा कम� क� तरह अपना लम्बा चूषण यंत्र त्वचा में घुसा देती है और पलक झपकते ही खून चू चम्प हो जाती है। यह ठहरे ह�ए पानी मे अंडे देती है क्योंिकअंडों और उनसे िनकलने वाले लावार् दोनों को पानी क� अ आवश्यकता होती है। इसके अित�र� ल वार को �सन के िलए पानी क� सतह पर बार-बार आना पड़ता है। अंडे, लावार , प्यूपा और िफर वयस्क होनेमें मच्छर ल10-14 िदन का समय लेते हैं। वयस्क मच् पराग और शकर्रा वाले भोज-पदाथ� पर पलते हैं लेिकन मादा मच्छर कोअंडे देने के िलए र� क� ज�र होती है। प्लास्मोिडयम का जीवन मले�रया परजीवी का पहला िशकार तथा वाहक मादा एनोिफ़लीज़ मच्छर बनती है। वयस्क मच्छर संक् मनुष् को काटने पर उसके र� से मले�रया परजीवी को ग्रहण कर लेतेहैं। र� में मौजूद परजीवी के जनन
  • 2. (gametocytes) मच्छर क मध्य आहार निलक (Mid Gut) में नर और मादा के �प में िवकिसत होतेह और िफर िमलकर अंडाणु ( Zygote) बनाते हैं जो मच्छर क आहार निलका क� िभि�यों में पलने लगतेहै प�रपक्व होने पर ये फूटते ह , और इसमें से िनकलने वाले बीजाणु( Sporozoites) उस मच्छर क� लाग्रंिथयों में पह�ँच जाते हैं। जब मच् एक स्वस्थ मनुष्य को काटता है तो त्वचा में लार क-साथ बीजाणु भी भेज देता है। मले�रया परजीवी का मानव में िवकास दो चरणोंमें होता: यकृत में प्रथम , और लाल र� कोिशकाओं में दूसरा चरण। जब एक संक्रिमत मच्छर मानव को काटता है तो बीज(Sporozoites) मानव र� में प्रव कर यकृत में पहँचते हैं और शरीरमें प्रवेश पान30 िमनट के भीतर ही ये यकृत क� कोिशकाओं को � संक्रिमत कर देतेहैं। िफर ये यकृत में अलैंिगक जनन करने लगते हैं। य6 से 15 िदन चलता है। इस जनन से हजारों अंशाणु( Merozoites) बनते हैं जो अपनी मेहमान कोिशकाओं को तोड़ कर र -प्रवा में प्रवेश कर जातेहैं तथा लाल र� कोिशकाओं को संक्रिमत करना शु� कर देत
  • 3. मच्छर में स्पोरोगो वयस्क मच्छरसंक्रि नुष् को काटने पर उसके र� से मले�रया परजीवी को भी ग्रहण कर लेताह अितसू�म, एक कािशक�य और संसाधनहीन मले�रया परजीवी का जीवन चक्र बह�त जिटल होताहै और द वाहकों मादा एनोिफलीज़ मच्छर और मनुष्य पर आिश्रत रहता है। परजीवी अपनी सुर�ा और िवका िलए वाहकों के5000 से ज्यादा जीन्स तथा िविश� प्रोटीन्स समेत अनेक संसाधनों का भर पूर करता है। मले�रया परजीवी का पहला िशकार तथा वाहक मादा एनोिफ़लीज़ मच्छर बनती ह, जहाँ इसके जीवन चक् क� लैंिगक अवस्, िजसे स्पोरोगोनी कहते ह, सम्पन्न होतीहै। इस अवस्था में मच्छर के शरीर में बीजाणु िवकिसत होते हैं जो मनुष्य के शरीरमें पह�ँच कर मले�रया का कारक बनते ह जब मादा एनोिफ़लीज़ मच्छर मले�रया से संक्रिमतमनुष्य का र�पान करत, तब र� के साथ मले�रया के नर और मादा जननाणु (gametocytes) भी उसक� आहार-निलका में प्रवेश कर जाते हैं। यहाँ नर और म जननाणु जुड़ कर जाइगोट बनाते है, जो िवकिसत होकर सिक्रय ऊकाइने (Ookinete) बनता है। यह ऊकाइनेट मध्य आहा-निलका क� िभि� में प्रवेश करता, जहाँ यह िवकिसत और िवभािजत होता है और ऊिसस्ट(oocysts) बनता है। इसमें हजारों बीजाण( sporozoites) रहते हैं।8-15 िदन क� स्पोरोगोिनक अवस्था के अन्तमें ऊिसस्ट टूट जाता है और असंख्य बीजाणु-निलका में आ जाते हैं। ये बीजाण चल कर मच्छर क� लार ग्रंिथ( salivary glands) में एकित्रत हो जाते हैं। अब यह मच्छर मनुष मले�रया फैलाने के िलए पूरी तरह तैयार है। जैसे ही यह मच्छर र�पान के िलए मनुष्य को काटता, लार ग्रंिथयों में एकित्रतबीजाणुभी मनुष्य केशरीर में छोड़ िदये जाते हैं। यह देखा गया है िक परजीवी दोनों एक दूसरे क� मदद करते हैं और मले�रयाफैलानेमें सिक्रय भागीदारी िनभाते मनष्य में शाइज़ोगोन(Schizogony in the Human) ु मले�रया परजीवी के जीवन चक्र का अगला भाग मनुष्य के शरीर में सम्पन्न होता है। जैसे हीब (Sporozoites) मनुष्य के शरीर में पह�ँचते, ये यकृत क� कोिशकाओं में िछप कर अपने िवकास को आगे बढ़ाते हैं। यकृत में अपना चक्र पूरा करने के बाद परजीवी अपनी अगली जीवन लीला लालर� कोिशकाओं पूरा करते हैं। जीवन चक्र के इसी भाग में मनुष्य को मले�रया के अनेक ल�ण और जिटलताओं का स करना पड़ता है।
  • 4. िप्रइरेथ्रोसाइिटक अव– यकृत में शाइज़ोगोनी(Pre-erythrocytic Phase - Schizogony in the Liver) जब मनुष्य को संक्रिमत मच्छर काटता है तो मनुष्य क� त्वचा में दजर्नों या सैंकड़ों बीजाणु प्रवेश कुछ बीजाणुओं को तो शरीर क� भ�ी कोिशकाएं ( Macrophages) खा जाती हैं। कुछ बीजाणु लिसका वािहकाओं में तो कुछ र-वािहकाओं में पहँचने में सफल हो जातेहैं। जो बीजाणु लिसका वािहकाओं � पह�ँचते है, पास के लिसकापवर् में जाकर एक्सोइरेथ्रोसाइिटक अ( Exoerythrocytic stages) में चिक्रत होने लगतेहैं। जो बीजाणु-वािहकाओं में पहँचते ह, वे मनुष्य क� सुर�ा सेना से बचते ह�ए कुछ ही � घंटों में सीधे यकृतमें पह�ँच जाते हैं। बीजाणु थ्रोम्बो-�रलेटेड ऐनोिनमस प्रोटी( TRAP) प�रवार और ऐिक्ट-सायोिसन मोटर क� मदद से प�रवहन करते हैं। यकृत में पह�ँच कर ये यकृत क� कोिशकाओं क पेरसाइटोफोरस वेक्युओल में िवभािजत और िवकास करतेहैं। यहाँ हर बीजाणु बढ़ कर शाइज़ोन्ट बनत, े िजसमें10000-30000 अंशाणु ( Merozoites) होते हैं। यकृत में परजीवी के िवकासमें सकर्मस्पोरो नामक प्रोटीन बह�त मदद करता, जो परजीवी स्वयं बनाता है। िप्रइरेथ्रोसाइिटक अ5-16 िदन चलती है, फैिल्सपैरम में औसत5-6 िदन, वाइवेक्स मे8 िदन, ओवेल में8 िदन, मले�रये में13 िदन और नौलेसी में8-9 चलती है। यह परजीवी क� शांत अवस्था ह, इसमें पोषक मनुष्य को मले�रया का कोई ल�ण य िवकृित नहीं होती ह, क्योंिक बीजाणु यकृत क� थोड़ी कोिशकाओं पर ही आक्रमण करते हैं। यह अवस ही चक्र पूरा करती, जबिक अगली इरेथ्रोसाइिटक अवस्था -बार पुनरचिक्रत होतीहै। यकृत कोिशका में पनपने वाले अंशाणु पोषक कोिशका द्वारा ही बनाई मीरोज़ोम नामक एक कुिटया में िवय� (Isolated) रहते है, और यकृत में िस्थत भ�ीकुफर कोिशकाओं के प्रकोप से सुरि�त रहते ु अंततः अंशाणु यकृत कोिशका से िनकल कर र�-प्रवाहमें िवलय हो जाते हैं और घातक तथा स महत्वपूणर् इरेथ्रोसाइिटक अवस्थाक� शु�वात करते वाइवेक्स और ओवेल मले�रया मेंकुछ बीजाणु यकृतमें महीनों और वष� तकसुषु� पड़े रहते हैं। इन्हों (Hypnozoites) कहते है, और ये अव्य� अविध(जो कुछ स�ाह से कुछ महीने हो सकती है) के बाद िवकिसत होकर शाइज़ोन्ट बनते हैं। येसु�ाणु हीसंक्रमण के कई महीने बाद ह�ए आवत� मले�रया का क बनते हैं। इरेथ्रोसाइिटक शाइगोन– लालर� कोिशकाओ ं में होने वाली मुख्य और केन्द अवस्थ (Erythrocytic Schizogony - Centre Stage in Red Cells) मले�रया परजीवी के अलैंिगक जीवन चक्र क� मुख्य और केन्द्रीय अवस्था लालर�कोिशकाओ होती है। लालर� कोिशकाओं में परजीवी के िवकास का च एक िनि�त अविध में बा-बार पुनरचिक्र
  • 5. होता है और चक्र केअंतमें सैंकड़ों नन्हेअंशाणु उत्पन्न होते हैं जो नई लालकोिशकाओं पर आ हैं।
  • 6. यकृत से िनकल कर अंशाणुओं को लालर� कोिशकाओं को पहचान कर उनसे िचपकने और िफर उनमें प्रवेश करनेमें एक िमनट से भी कम समय लगता है। इससे परजीवी क� सतह पर लगा एंटीजन पो (मनुष्) के सुर�ाकिमर्यों क� नजर से बच िनकलनेमें सफल हो जाता है। अंशाणुओं के लालर� कािशका प्रवेश हेतु दोनों क� सतह पर लगे लाइगे न्ड्स के पारस्प�रक आणिवक संवाद भी मदद करता है। वाइ डफ� बाइिन्डं-लाइक प्रोटीन और रेिटकुलोसाइट होमोलोजी प्रोटीन क� मदद से िसफर् डफ� ब्ल पोज़ीिटव लाल कोिशकाओं पर ही आक्रमण करतेहै ध्यान रहे ि आक्रामक और घातकफैलिसपैरममें चार तरह के डफ� बाइिन-लाइक प्रोटी( DBLEBP) जीन्स होते ह, जबिक वाइवेक्स में एक ही डफ� बाइिन्-लाइक प्रोटी( DBL-EBP) जीन होता है। इसिलए फैलिसपैरम कई तरह के लाल र� कोिशकाओं पर आक्रमण कर सकताहै अंशाणु के िसरे पर बने िविश� उपांग िजन्हें माइक्रो, रोपट्राइन्स और घने दा( Micronemes, Rhoptries, and Dense granules) कहते है, अंशाणु को लालर� कोिशकाओं से जुड़ने और घुसने क� प्रिक्रया में बह�त सहायक होते हैं।अंशाणु और लाल कोिशका का प्रारंिभक सम्पकर् लाल कोिश को एक लहर क� भांित तेजी से िवकृत करता है, इससे दोनों का िस्थरजुड़ाव स्थल बनता है। इसके ब अंशाणु एिक्ट-मायोिसन मोटर, थ्रोम्बोस्पो-�रलेटेड ऐनोिनमस प्रोटी( TRAP) प�रवार और ऐल्डोलेज क� मदद से लाल कोिशका क� ि-िभि� ( Bilayer) में घुसता है और पेरासाइटोफोरस वेक्युओ बनाता है, िजससे अंशाणु का लाल कोिशका के कोिशका द्रव( Cytoplasm) से कोई सम्पकर् नहीं रहता, और वह िनि�ंत होकर अपना जीवन चक्र आगे बढ़ाताहै। इस अवस्था में परजीवी लालकोिशका मे अंगूठी जैसा िदखाई देता है, इसे मुिद्रकाणु कहतेहै िवकासशील परजीवी का प्रमुख भोजन हीमोग्लोिबन होता है। इसिलए इसे भोजन पुिट( Food vacuole) में ले जाकर अपघिटत िकया जाता ह, िजससे अमाइनो एिसड्स िनकलते है जो प्रोटीन िनमार्ण में काम हैं। हीम पोलीमरेज एंजाइम बचे ह�ए टॉिक्सक हीम से हीमोज़ोइ (Malaria pigment) बनाते हैं। परजीवी पीएलडीएच और प्लाज़मोिडयम ऐल्डोल्ज़ एंजाइम्स क� मदद से अवायवीय ग्लाइकोलाइिसस द्वार उत्पादन करता है। जैसे जैसे परजीवी िवकिसत और िवभािजत होता ह, लालकोिशका क� पारगम्यता और संरचना में बदलाव आता है। यह बदलाव चयापचय अपिश� को बाहर करन, बाहर से उपयोगी पदाथ� का अवशोषण करने में और िवद्-रासायिनक संतुलन बनाये रखने मे सहायता करता है। साथ ही हीमोग्लोिबन का अन्तग्रर(Ingestion), पाचन और िवषहरण ( Detoxification) अितपारगम्य लालकोिशका के रअपघटन (Hemolysis) के रोकता है। और परासरणीय िस्थरता(Osmotic Stability) बनाये रहता है। परजीवी का इरेथ्रोसाइिटक चक्र नौलेसी मे24 घंटे मे, फैलिसपैरम, वाइवेक्स तथा ओवेल में ह48 घंटे में और मले�रये में ह72 घंटे में दोहराया जाता है। हर चक्र में अंशाणुवेकुओल में िवकिसत तथा िवभ
  • 7. होते हैं और मुिद्रक, ट्रोफोजोइट तथा शाइज़ोन्ट अवस्था से गुजरते 8-32 (औसत 10) नये अंशाणु बनते हैं। चक्र के अंत में लालकोिशका टूट जाती है औरनन्हेंअंशाणु बाहर िनकल िफर से लालकोिशका को िशकार बनाती है। इस तरह अंशाणु बड़ी तेजी से बढ़ते हैं और इनक� संख्य 1013 तक पह�ँच जाती है। कुछ अलैंिगक परजीवी शाइज़ोगोनी चक्र में न जाकर लैंिगक अवस्थाज(Gametocytes) में िवभेिदत हो जाते हैं। ये नर और मादा जननाणु लालकोिशका से बाहर र� में रहतेहैं और पोषक के शरीर में कोई या िवकृित उत्पन्न नहीं करते हैं। ये मादा ऐनोिफलीज़ मच्छर के काटने पर उसके शरीर में चले जाते परजीवी के लैंिगक िवकास को आगे बढ़ाते हैं। इस तरह ये मले�रया केफैलनेमें मदद करते हैं। वाइवेक् जननाणु बह�त जल्दी बन जाते ह, जबिक फैलिसपैरम में अलैंिगक चक्र के भी काफ� देर बाद बनते