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मशरूम में कीट एवं रोग
नियंत्रण
Dr. Rohit Rana
Ph.D Entomology
CATAT, ICAR-IARI, New Delhi
प्रस्ताविा
 मशरूम का इतिहास आतिकाल से ही मानव सभ्यिा से जुड़ा हुआ है। मशरूम की बहुि
सी प्रजातियााँ खाने योग्य हैं, परंिु व्यावसातयक रूप से 4-5 प्रजानियााँ ही हमारे िेश में
उगाई जािी है।
 पवविीय क्षेत्रों की जलवायु में तिन्निा होने के फलस्वरूप यहााँ नवनिन्न प्रकार की
मशरूम को उगाये जािे की संिाविा है।
 मशरूम से प्राप्त प्रोटीि की पाचि शक्ति 60-70 प्रनिशि िक होिी है, जो पौधों से
प्राप्त प्रोटीन से कहीं अतधक होिी है।
 मशरूम से प्राप्त पिार्थ कई प्रकार की बीमाररयों को रोकने में सहायक होिे है। यह बेरी
बेरी, हृनि रोग, िांि के रोग, सूखा चरम, चमव रोग िथा मधुमेह रोग में उपयोगी तसद्ध हुई
है। सार् ही
 मशरूम से हनियों मजबूि होिी है।
 मशरूम में कई प्रकार के कीट, रोग एवं सूत्र कृ नम लगिे है।
 यति हम कीटों की बाि करें िो नसयाररड मक्खी, फोरीड मक्खी, सेनसड मक्खी, क्तरंग
टेल्स एवं माईट् इत्याति हातन पहुचािे है ।
 इसके सार् ही मशरूम को नुकसान पहुचाने वाले बहुि सी बीमाररयााँ जैसे पीली हरी
फफूं ि, हरी फफूं ि, डर ाई बबल, इंकी कै प, जीवाणु धब्बा एवं नवषाणु रोग इत्याति हैं।
 एक सूत्रकृ नम िी मशरूम को हातन पहुंचािा है।
मशरूम में लगिे वाले मुख्य कीट
नसयाररड मक्खी
 यह मशरूम की सवावनधक क्षनिकारक मक्खी है यह तिखने में मच्छर जैसी होिी है।
 इसके लावाथ मशरूम की कनलयों िथा बटिों िोनों को क्षनिग्रस्त करिे है तजसके कारण मशरूम िूरे रंग की
एवं चमड़े जैसे बन जािी है।
 लावाथ डंडे के अंिर सुरंग बनाकर खािे है।
 प्रोढ़ अवस्र्ा में ये कीट मक्खक्खयां कई प्रकार के रोग एवं माईट को बढ़ावा िेिी है।
लावाथ वयस्क मक्खी
जीवन चक्र
 मशरूम कम्पोस्ट को जब अत्यनधक उष्मानयि (incubated) करने के बाि ठं डा तकया जािा है िब
वयस्क मािा मक्खी कम्पोस्ट की गंध से आकतषथि होकर अपने अंडे कम्पोस्ट में िे िेिी है।
 एक मािा औसिन 150 से 170 अंडे िेिी है। 3-4 तिन में अंडों से लावाथ तनकाल आिे है।
 लावाथ स्पान के नवकास के समय फै लिे वाले जाल को नष्ट कर िेिे हैं।
 उत्पािन कक्ष के िापमान के अनुसार 2-3 सप्ताह के िीिर मक्खक्खयों की िई पीढ़ी िैयार हो जािी
है।
 मशरूम उत्पािन गृह में ये वयस्क मक्खी वषथ िर हो सकिी है लेतकन जूि से अक्टू बर िक ज्यािा
पाई जािी है।
फोररड मक्खी
 इस मक्खी का रंग िूरा काला होिा है और लावाव का रंग सफ़े ि होिा है और ये पि
रनहि होिे हैं।
 ये मक्तक्खयााँ िेजी से इधर उधर िागिी है।
 वयस्क मािा बढ़िी हुई मशरूम के के नसंग की सिह पर अंडे िेिी है।
 लावाव का नसर िुकीला होिा है। लावाथ मशरूम के डंडों में सुरंग बनािा है और अंिर से
खािा है।
 मािा लगिग 50 अंडे िेिी है।
लार्ाा र्यस्क
 वयस्क मािा कम्पोस्ट में उगिी हुई मशरूम की िरफ आकनषवि होिी है।
 कीट का जीवि चक्र िापमाि और वािावरण पर तनिथर करिा है।
सेनसड मक्खी
 सेतसड मक्खीयााँ इिनी सूक्ष्म होिी है की शायि ही तिखाई िेिी है।
 इन्हे इनके छोटे लावाथ की सहायिा से पहचाना जा सकिा है।
 लावाथ पि रनहि एवं सफ़े ि या पीले रंग के होिे हैं।
सेनसड मक्खी
र्यस्क
सेतसड की प्रजिि क्षमिा बहुि िीव्र है तजसके फलस्वरूप यह उत्पािन को िरी हातन पहुंचािे हैं।
मशरूम में लावाव की उपक्खस्र्िी िर्ा बाि में जीवाणु संक्रमण के कारण मशरूम िूरे एवं बिरंग हो जािी है।
प्रबंधन
मशरूम में लगने वाली मक्खीयों के प्रबंधन के ललए कु छ ववधधयााँ अपना
सकते हैं :
साफ सफाई
दरवाजे एवं खखड़ककयों में जाली
लगाना
पीला व बैंगनी बल्ब/धचपधचपी पट्टियााँ
जहर आकर्षण (Baygon)
उपचार के िरीके
 स्पीतनंग के 7 तिन बाि क्याररयों को 3 नम ली मेलानथयाि/10 लीटर घोल का तछड़काव करें।
 मशरूम में इन मक्खक्खयों का प्रकोप होने पर डेनसस (डेल्टामेतिन 100 ई सी) 4 नमली/10
लीटर पानी के घोल का तछड़काव र्ेलों, पतियों, िीवारों और फशथ पर करें।
 मशरूम में अगर मक्खक्खयों का प्रकोप हो िो 4 ग्राम नडनमनलि /10 लीटर पानी का तछड़काव
करें।
 कीटिाशकों का प्रयोग बिल बिल कर करें।
 पूरा उत्पािन लेने के बाि कम्पोस्ट को कक्ष से िू र गढ़ढ़े में डालकर तमिी से िबा िें।
क्तरंग टेल्स
 यह एक सूक्ष्म कीट है तजनके
िोिों नकिारो पर गहरे रंग
की पिीयां होिी है। इनके
शरीर का रंग मटमैला होिा
है। इन कीटों के पंख िही
होिे व छे ड़िे पर उछलिे
है।
क्तरंग टेल्स
 ये मशरूम के कवक जाल को खािे है तजससे मशरूम
कनलकाओं की बढ़ोिरी रुक जािी है िर्ा मशरूम के
ऊपर छोटे-छोटे गढ़ढ़े बन जािे हैं।
 ये कीट बटन मशरूम से ज्यािा ढींगरी को क्षति पहुंचािे
हैं और ििे के आधार पर इकट्ठे हो कर कवक जाल
को खािा शुरू करिे है।
प्रबंधि
 उत्पािन कक्ष के आस पास सफाई रखें।
 मशरूम, फशव से थोड़ा ऊपर लगाएाँ ।
 कम्पोस्ट का पास्तूरीकरण/निरोगीकरण ठीक से करें।
 प्रिातवि स्र्ान को मेलनथयाि की 0.05 प्रनिशि से उपचररि करें।
माईट
 माईट एक सूक्ष्म जीव है िर्ा इसकी
कई प्रजानियााँ मशरूम को क्षति
पहुंचािे है।
 माईट उत्पन्न होने का प्रमुख स्त्रोि
खाि व के नसंग नमश्रण िैयार करने
में प्रयुक्त कच्चा माल होिा है।
 इस कीट से फफूं ि जनिि रोग िी
फै लिा है।
माईट
 माईट कवक जाल को खािे है और
मशरूम के ििों एवं टोनपयों पर धब्बे
या नछद्र बना िेिे हैं ।
 कु छ के तसंग तमश्रण के नीचे फ़े ल रहे
कवक जाले को खािे है कई बार यह
मशरूम जड़ को खाना शुरू कर िेिे
हैं।
प्रबंधि
 खाि व के तसंग तमश्रण का पास्तूरीकरण/निरोगीकरण सही से करें।
 उत्पािन कक्ष की छि, फशव पर िीवारों को डाइकोफोल 0.1 प्रनिशि घोल से
उपचररि करें।
 खाली उत्पािन कक्ष में 250-300 ग्राम सल्फर जलायेाँ व िरवाजे और
क्खखड़तकयााँ 2-3 घंटे के तलए बंि रखें।
 फसल का प्रकोप तिखाई िेने पर खाि पर डाईजीिाि 20 ई सी कीटनाशक का
1.5-2.0 नम ली /10 लीटर पानी में घोल कर तछड़काव करें।
 पूरा उत्पािन लेने के बाि कम्पोस्ट को कक्ष से िू र गढ़ढ़े में डालकर तमिी से िबा
िें।
मशरूम में रोग उत्पन्न करिे वाले कारक
जैनवक कारक
 फफूं ि
 बेक्टीररया
 वाइरस
अजैनवक कारक
 हवा
 िापमान
 पौषक ित्व
 पयाथवरण संबंधी कारक
पीली हरी फफूं ि Chaetomium olivaceum
रोग के लक्षण
 ये फफूं ि कम्पोस्ट और स्पाि में के नसंग से पहले निखाई िेिी है।
 शुरुआि में इसका रंग सफ़े ि होिा है जो बाि में पीले हरे रंग की हो जािी है।
 अक्सर प्रारंनिक स्पॉि की वृक्ति में रुकावट और कमजोर तिखाई िेिी है ।
 इस रोग के कारण कम्पोस्ट स्पाि की वृक्ति में सहायिा िही करिी है।
 संक्रमण आमिौर पर हवा, खाि और आवरण नमट्टी के माध्यम से फै लिा है।
 पश्चुररकरण/ निरोगीकरण रूम में कं पोस्ट टरे का अनुतचि ढंग से रखना तजसके कारण हवा उतचि
िरीके से पररसंचरण नही हो पािी तजसके कारण इस फफूं ि के स्पोर पूरी िरह नष्ट नही होिे है।
पीली हरी फफूं ि
नियंत्रण
पश्चुरीकरण/निरोगीकरण करिे समय िापमान 60 C से नीचे बनाए रखें।
नथरम 0.2 % या के पटाि 0.05 % घोल का तछड़काव टरे पर करें तजससे इस रोग की तनयंत्रण तमलेगी।
हरी फफूं ि (Trichoderma spp. )
रोग के लक्षण
 स्पान और टरे पर हरे धब्बे तिखाई िेिे है।
 ििे एवं टोनपयों को बनने से रोकिा है और उत्पािन िी घट जािा है।
 ये फफूं ि कम्पोस्ट और मृि मशरूम टीशु पर जल्दी फै लिा है ।
 जो कम्पोस्ट सही ढंग से नही बनी है उसमें हरी फफूं ि फै लने का खिरा
होिा है अि: कम्पोस्ट की गुणवत्ता टराईकोडमाथ के संके िक के रूप में
पहचानी जा सकिी है।
 टराईकोडमाथ फफूं फ पूरी मशरूम पर फ़े ल जािी है और िए नहस्से को
संक्रनमि करिी है।
नियंत्रण
 इसके तलए अनुतचि पश्चुररकरण/निरोगीकरण और अत्यतधक
नमी तजम्मेिार है।
 फोमीलीि के सही कं सनटरेसन (अतधकिम 2%) का उपयोग करने
से रोग से बचा जा सकिा है।
 इस रोग की रोकर्ाम के तलए 0.05 % बेिलेट का तछड़काव करें।
 मैिकोजेब (0.2%) या बानवक्तस्टि (0.1%), जीिेब धूल या
कै क्तशशयम हाइडर ोक्लोराइट (15%) के तछड़काव से बीमारी का
प्रिावी तनयंत्रण तकया जा सकिा है।
डर ाई बबल Verticillium fungicola
यह मशरूम फसल का गंिीर कवक रोग है। अगर इसे अनियंनत्रि छोड़
तिया जािा है, िो रोग 2-3 सप्ताह में पूरी िरह से मशरूम को िष्ट कर
सकिा है।
यह रोग सवथप्रर्म हररयाणा में मशरूम खेिों से एकनत्रि खाि और
के नसंग में पाया गया र्ा।
मशरूम के तवकास की शुरुआि में ये रोग के नसंग नमट्टी में सफ़े ि रंग का
तिखाई िेिा िेिा है। जो बाि में धूसर पीले रंग का हो जािा है।
यति इस रोग का संक्रामण शुरुआि में हो जािी है िो मशरूम प्याज की
कली के आकार की हो जािी है।
प्रबंधि
 संक्रनमि के नसंग को एक घंटे के तलए 63 नडग्री
सेक्तल्सयस िापमाि पर उपचाररि करने से रोग नही
फै लिा है।
 िींबू, िीलनगरी या धिूरे के पत्ते के अकथ का तछड़काव िी
रोग अवरोध का कारण बनिा है।
 बीमारी को फफूं ि नाशक के 3 नछड़काव द्वारा तनयंतत्रि
तकया जा सकिा है। तजसमें डाईथेि जेड -78 0.25 %
का के नसंग के समय, के प बििे समय एवं पररपक्व होने
पर तछड़काव तकया जािा है।
इंकी के प
रोग के लक्षण
 इस फफूं ि से ग्रतसि मशरूम छोटी रह जािी है।
 सिह पर सफे ि शल्क पूरी िरह से पररपक्व होिे पर एक काले रंग में
पररवतिथि हो जािे हैं।
 यह रोग किी बैग खोलिे से पहले और किी बाि में तिखाई िेिा है।
प्रबंधि
 इस िरह की मशरूम को उखाड़कर नष्ट कर िें
 अत्यनधक पािी िेने से बचें
कीट एवं बीमारी के प्रबंधि के नलए सामान्य निशा नििेश
 मशरूम उत्पािन कक्ष का फशव साफ रखें उस पर जैनवक कचरा या कम्पोस्ट न
डला हो।
 मशरूम कक्ष के अंिर एवं पररवेश की सफाई समय समय होनी चातहए।
 कं पोक्तस्टंग का कचरा गढ़ढ़े में िबा िेना चातहए।
 इससे मशरूम उत्पािन कक्ष के चारों और मक्खी के प्रजिि एवं रोगों को
फै लिे से रोकने में मिि तमलिी है। क्यूंकी मक्खी स्पाि और मशरूम की गंध
पर आकतषथि होिी है।
 फसल के समय मक्खी मशरूम कक्ष में घुस जािी है और प्रजनन करिी है इससे
बचने के तलए िाइलोि की जाली से क्खखडतकयों एवं िरवाजों को कवर करें।
 जो औज़ार मशरूम उत्पािन में प्रयोग करें उन्हे अच्छे से धूले एवं नकटाणु रतहि
करें।
 धान का जो िूसा हम प्रयोग करें वो िाजा हो और बाररश से संरनक्षि हो व
संक्रतमि न हो।
 स्पॉन िाजा और सिी प्रिू षक से मुक्त होना चातहए।
 मशरूम उत्पािन कक्ष से संक्रनमि बैग तनकालकर उन्हे हटा िें।
 नपकसव/मशरूम िोड़ने वाला व्यक्खक्त साफ होना चातहए एवं उसे िस्तािे का
उपयोग करना चातहए।
 बीमाररयों की रोकर्ाम के तलए मशरूम बैग/बैड का निरंिर निरीक्षण करें
तवशेष रूप से पािी िेिे और मशरूम िोड़िे से पहले।
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Insect and disease Management in Mushroom

  • 1. मशरूम में कीट एवं रोग नियंत्रण Dr. Rohit Rana Ph.D Entomology CATAT, ICAR-IARI, New Delhi
  • 2. प्रस्ताविा  मशरूम का इतिहास आतिकाल से ही मानव सभ्यिा से जुड़ा हुआ है। मशरूम की बहुि सी प्रजातियााँ खाने योग्य हैं, परंिु व्यावसातयक रूप से 4-5 प्रजानियााँ ही हमारे िेश में उगाई जािी है।  पवविीय क्षेत्रों की जलवायु में तिन्निा होने के फलस्वरूप यहााँ नवनिन्न प्रकार की मशरूम को उगाये जािे की संिाविा है।  मशरूम से प्राप्त प्रोटीि की पाचि शक्ति 60-70 प्रनिशि िक होिी है, जो पौधों से प्राप्त प्रोटीन से कहीं अतधक होिी है।
  • 3.  मशरूम से प्राप्त पिार्थ कई प्रकार की बीमाररयों को रोकने में सहायक होिे है। यह बेरी बेरी, हृनि रोग, िांि के रोग, सूखा चरम, चमव रोग िथा मधुमेह रोग में उपयोगी तसद्ध हुई है। सार् ही  मशरूम से हनियों मजबूि होिी है।  मशरूम में कई प्रकार के कीट, रोग एवं सूत्र कृ नम लगिे है।  यति हम कीटों की बाि करें िो नसयाररड मक्खी, फोरीड मक्खी, सेनसड मक्खी, क्तरंग टेल्स एवं माईट् इत्याति हातन पहुचािे है ।  इसके सार् ही मशरूम को नुकसान पहुचाने वाले बहुि सी बीमाररयााँ जैसे पीली हरी फफूं ि, हरी फफूं ि, डर ाई बबल, इंकी कै प, जीवाणु धब्बा एवं नवषाणु रोग इत्याति हैं।  एक सूत्रकृ नम िी मशरूम को हातन पहुंचािा है।
  • 4. मशरूम में लगिे वाले मुख्य कीट नसयाररड मक्खी  यह मशरूम की सवावनधक क्षनिकारक मक्खी है यह तिखने में मच्छर जैसी होिी है।  इसके लावाथ मशरूम की कनलयों िथा बटिों िोनों को क्षनिग्रस्त करिे है तजसके कारण मशरूम िूरे रंग की एवं चमड़े जैसे बन जािी है।  लावाथ डंडे के अंिर सुरंग बनाकर खािे है।  प्रोढ़ अवस्र्ा में ये कीट मक्खक्खयां कई प्रकार के रोग एवं माईट को बढ़ावा िेिी है। लावाथ वयस्क मक्खी
  • 5. जीवन चक्र  मशरूम कम्पोस्ट को जब अत्यनधक उष्मानयि (incubated) करने के बाि ठं डा तकया जािा है िब वयस्क मािा मक्खी कम्पोस्ट की गंध से आकतषथि होकर अपने अंडे कम्पोस्ट में िे िेिी है।  एक मािा औसिन 150 से 170 अंडे िेिी है। 3-4 तिन में अंडों से लावाथ तनकाल आिे है।  लावाथ स्पान के नवकास के समय फै लिे वाले जाल को नष्ट कर िेिे हैं।  उत्पािन कक्ष के िापमान के अनुसार 2-3 सप्ताह के िीिर मक्खक्खयों की िई पीढ़ी िैयार हो जािी है।  मशरूम उत्पािन गृह में ये वयस्क मक्खी वषथ िर हो सकिी है लेतकन जूि से अक्टू बर िक ज्यािा पाई जािी है।
  • 6. फोररड मक्खी  इस मक्खी का रंग िूरा काला होिा है और लावाव का रंग सफ़े ि होिा है और ये पि रनहि होिे हैं।  ये मक्तक्खयााँ िेजी से इधर उधर िागिी है।  वयस्क मािा बढ़िी हुई मशरूम के के नसंग की सिह पर अंडे िेिी है।  लावाव का नसर िुकीला होिा है। लावाथ मशरूम के डंडों में सुरंग बनािा है और अंिर से खािा है।  मािा लगिग 50 अंडे िेिी है। लार्ाा र्यस्क
  • 7.  वयस्क मािा कम्पोस्ट में उगिी हुई मशरूम की िरफ आकनषवि होिी है।  कीट का जीवि चक्र िापमाि और वािावरण पर तनिथर करिा है।
  • 8. सेनसड मक्खी  सेतसड मक्खीयााँ इिनी सूक्ष्म होिी है की शायि ही तिखाई िेिी है।  इन्हे इनके छोटे लावाथ की सहायिा से पहचाना जा सकिा है।  लावाथ पि रनहि एवं सफ़े ि या पीले रंग के होिे हैं।
  • 9. सेनसड मक्खी र्यस्क सेतसड की प्रजिि क्षमिा बहुि िीव्र है तजसके फलस्वरूप यह उत्पािन को िरी हातन पहुंचािे हैं। मशरूम में लावाव की उपक्खस्र्िी िर्ा बाि में जीवाणु संक्रमण के कारण मशरूम िूरे एवं बिरंग हो जािी है।
  • 10. प्रबंधन मशरूम में लगने वाली मक्खीयों के प्रबंधन के ललए कु छ ववधधयााँ अपना सकते हैं : साफ सफाई दरवाजे एवं खखड़ककयों में जाली लगाना पीला व बैंगनी बल्ब/धचपधचपी पट्टियााँ जहर आकर्षण (Baygon)
  • 11. उपचार के िरीके  स्पीतनंग के 7 तिन बाि क्याररयों को 3 नम ली मेलानथयाि/10 लीटर घोल का तछड़काव करें।  मशरूम में इन मक्खक्खयों का प्रकोप होने पर डेनसस (डेल्टामेतिन 100 ई सी) 4 नमली/10 लीटर पानी के घोल का तछड़काव र्ेलों, पतियों, िीवारों और फशथ पर करें।  मशरूम में अगर मक्खक्खयों का प्रकोप हो िो 4 ग्राम नडनमनलि /10 लीटर पानी का तछड़काव करें।  कीटिाशकों का प्रयोग बिल बिल कर करें।  पूरा उत्पािन लेने के बाि कम्पोस्ट को कक्ष से िू र गढ़ढ़े में डालकर तमिी से िबा िें।
  • 12. क्तरंग टेल्स  यह एक सूक्ष्म कीट है तजनके िोिों नकिारो पर गहरे रंग की पिीयां होिी है। इनके शरीर का रंग मटमैला होिा है। इन कीटों के पंख िही होिे व छे ड़िे पर उछलिे है।
  • 13. क्तरंग टेल्स  ये मशरूम के कवक जाल को खािे है तजससे मशरूम कनलकाओं की बढ़ोिरी रुक जािी है िर्ा मशरूम के ऊपर छोटे-छोटे गढ़ढ़े बन जािे हैं।  ये कीट बटन मशरूम से ज्यािा ढींगरी को क्षति पहुंचािे हैं और ििे के आधार पर इकट्ठे हो कर कवक जाल को खािा शुरू करिे है।
  • 14. प्रबंधि  उत्पािन कक्ष के आस पास सफाई रखें।  मशरूम, फशव से थोड़ा ऊपर लगाएाँ ।  कम्पोस्ट का पास्तूरीकरण/निरोगीकरण ठीक से करें।  प्रिातवि स्र्ान को मेलनथयाि की 0.05 प्रनिशि से उपचररि करें।
  • 15. माईट  माईट एक सूक्ष्म जीव है िर्ा इसकी कई प्रजानियााँ मशरूम को क्षति पहुंचािे है।  माईट उत्पन्न होने का प्रमुख स्त्रोि खाि व के नसंग नमश्रण िैयार करने में प्रयुक्त कच्चा माल होिा है।  इस कीट से फफूं ि जनिि रोग िी फै लिा है।
  • 16. माईट  माईट कवक जाल को खािे है और मशरूम के ििों एवं टोनपयों पर धब्बे या नछद्र बना िेिे हैं ।  कु छ के तसंग तमश्रण के नीचे फ़े ल रहे कवक जाले को खािे है कई बार यह मशरूम जड़ को खाना शुरू कर िेिे हैं।
  • 17. प्रबंधि  खाि व के तसंग तमश्रण का पास्तूरीकरण/निरोगीकरण सही से करें।  उत्पािन कक्ष की छि, फशव पर िीवारों को डाइकोफोल 0.1 प्रनिशि घोल से उपचररि करें।  खाली उत्पािन कक्ष में 250-300 ग्राम सल्फर जलायेाँ व िरवाजे और क्खखड़तकयााँ 2-3 घंटे के तलए बंि रखें।  फसल का प्रकोप तिखाई िेने पर खाि पर डाईजीिाि 20 ई सी कीटनाशक का 1.5-2.0 नम ली /10 लीटर पानी में घोल कर तछड़काव करें।  पूरा उत्पािन लेने के बाि कम्पोस्ट को कक्ष से िू र गढ़ढ़े में डालकर तमिी से िबा िें।
  • 18. मशरूम में रोग उत्पन्न करिे वाले कारक जैनवक कारक  फफूं ि  बेक्टीररया  वाइरस अजैनवक कारक  हवा  िापमान  पौषक ित्व  पयाथवरण संबंधी कारक
  • 19. पीली हरी फफूं ि Chaetomium olivaceum रोग के लक्षण  ये फफूं ि कम्पोस्ट और स्पाि में के नसंग से पहले निखाई िेिी है।  शुरुआि में इसका रंग सफ़े ि होिा है जो बाि में पीले हरे रंग की हो जािी है।  अक्सर प्रारंनिक स्पॉि की वृक्ति में रुकावट और कमजोर तिखाई िेिी है ।  इस रोग के कारण कम्पोस्ट स्पाि की वृक्ति में सहायिा िही करिी है।  संक्रमण आमिौर पर हवा, खाि और आवरण नमट्टी के माध्यम से फै लिा है।  पश्चुररकरण/ निरोगीकरण रूम में कं पोस्ट टरे का अनुतचि ढंग से रखना तजसके कारण हवा उतचि िरीके से पररसंचरण नही हो पािी तजसके कारण इस फफूं ि के स्पोर पूरी िरह नष्ट नही होिे है।
  • 20. पीली हरी फफूं ि नियंत्रण पश्चुरीकरण/निरोगीकरण करिे समय िापमान 60 C से नीचे बनाए रखें। नथरम 0.2 % या के पटाि 0.05 % घोल का तछड़काव टरे पर करें तजससे इस रोग की तनयंत्रण तमलेगी।
  • 21. हरी फफूं ि (Trichoderma spp. ) रोग के लक्षण  स्पान और टरे पर हरे धब्बे तिखाई िेिे है।  ििे एवं टोनपयों को बनने से रोकिा है और उत्पािन िी घट जािा है।  ये फफूं ि कम्पोस्ट और मृि मशरूम टीशु पर जल्दी फै लिा है ।  जो कम्पोस्ट सही ढंग से नही बनी है उसमें हरी फफूं ि फै लने का खिरा होिा है अि: कम्पोस्ट की गुणवत्ता टराईकोडमाथ के संके िक के रूप में पहचानी जा सकिी है।  टराईकोडमाथ फफूं फ पूरी मशरूम पर फ़े ल जािी है और िए नहस्से को संक्रनमि करिी है।
  • 22. नियंत्रण  इसके तलए अनुतचि पश्चुररकरण/निरोगीकरण और अत्यतधक नमी तजम्मेिार है।  फोमीलीि के सही कं सनटरेसन (अतधकिम 2%) का उपयोग करने से रोग से बचा जा सकिा है।  इस रोग की रोकर्ाम के तलए 0.05 % बेिलेट का तछड़काव करें।  मैिकोजेब (0.2%) या बानवक्तस्टि (0.1%), जीिेब धूल या कै क्तशशयम हाइडर ोक्लोराइट (15%) के तछड़काव से बीमारी का प्रिावी तनयंत्रण तकया जा सकिा है।
  • 23. डर ाई बबल Verticillium fungicola यह मशरूम फसल का गंिीर कवक रोग है। अगर इसे अनियंनत्रि छोड़ तिया जािा है, िो रोग 2-3 सप्ताह में पूरी िरह से मशरूम को िष्ट कर सकिा है। यह रोग सवथप्रर्म हररयाणा में मशरूम खेिों से एकनत्रि खाि और के नसंग में पाया गया र्ा। मशरूम के तवकास की शुरुआि में ये रोग के नसंग नमट्टी में सफ़े ि रंग का तिखाई िेिा िेिा है। जो बाि में धूसर पीले रंग का हो जािा है। यति इस रोग का संक्रामण शुरुआि में हो जािी है िो मशरूम प्याज की कली के आकार की हो जािी है।
  • 24. प्रबंधि  संक्रनमि के नसंग को एक घंटे के तलए 63 नडग्री सेक्तल्सयस िापमाि पर उपचाररि करने से रोग नही फै लिा है।  िींबू, िीलनगरी या धिूरे के पत्ते के अकथ का तछड़काव िी रोग अवरोध का कारण बनिा है।  बीमारी को फफूं ि नाशक के 3 नछड़काव द्वारा तनयंतत्रि तकया जा सकिा है। तजसमें डाईथेि जेड -78 0.25 % का के नसंग के समय, के प बििे समय एवं पररपक्व होने पर तछड़काव तकया जािा है।
  • 25. इंकी के प रोग के लक्षण  इस फफूं ि से ग्रतसि मशरूम छोटी रह जािी है।  सिह पर सफे ि शल्क पूरी िरह से पररपक्व होिे पर एक काले रंग में पररवतिथि हो जािे हैं।  यह रोग किी बैग खोलिे से पहले और किी बाि में तिखाई िेिा है। प्रबंधि  इस िरह की मशरूम को उखाड़कर नष्ट कर िें  अत्यनधक पािी िेने से बचें
  • 26. कीट एवं बीमारी के प्रबंधि के नलए सामान्य निशा नििेश  मशरूम उत्पािन कक्ष का फशव साफ रखें उस पर जैनवक कचरा या कम्पोस्ट न डला हो।  मशरूम कक्ष के अंिर एवं पररवेश की सफाई समय समय होनी चातहए।  कं पोक्तस्टंग का कचरा गढ़ढ़े में िबा िेना चातहए।  इससे मशरूम उत्पािन कक्ष के चारों और मक्खी के प्रजिि एवं रोगों को फै लिे से रोकने में मिि तमलिी है। क्यूंकी मक्खी स्पाि और मशरूम की गंध पर आकतषथि होिी है।  फसल के समय मक्खी मशरूम कक्ष में घुस जािी है और प्रजनन करिी है इससे बचने के तलए िाइलोि की जाली से क्खखडतकयों एवं िरवाजों को कवर करें।
  • 27.  जो औज़ार मशरूम उत्पािन में प्रयोग करें उन्हे अच्छे से धूले एवं नकटाणु रतहि करें।  धान का जो िूसा हम प्रयोग करें वो िाजा हो और बाररश से संरनक्षि हो व संक्रतमि न हो।  स्पॉन िाजा और सिी प्रिू षक से मुक्त होना चातहए।  मशरूम उत्पािन कक्ष से संक्रनमि बैग तनकालकर उन्हे हटा िें।  नपकसव/मशरूम िोड़ने वाला व्यक्खक्त साफ होना चातहए एवं उसे िस्तािे का उपयोग करना चातहए।  बीमाररयों की रोकर्ाम के तलए मशरूम बैग/बैड का निरंिर निरीक्षण करें तवशेष रूप से पािी िेिे और मशरूम िोड़िे से पहले।