मलेरिया
मलेरिया एक संक्रामक रोग है जो एक प्लाज्मोडियम नामक परजीवी रोगाणु द्वारा फैलता है। ऐनोफिलीज प्रजाति के मादा मच्छर के काटने से यह रोगाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है और लाल रक्त कणों को संक्रमित करता है। तेज सर्दी और कंपकंपी लग कर बुखार आना, बदन में दर्द होना और चार छः घन्टे बाद पसीना आकर बुखार उतर जाना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। शायद जब से यह सृष्टि बनी है तभी से यह सूक्ष्म लेकिन खतरनाक रोगाणु मानव जाति के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हमने बहुत उन्नति कर ली है, चांद सितारों पर पहुँच चुके हैं लेकिन इस छोटे से परजीवी के सामने हिजड़े साबित हो रहे हैं।
1. मले�रया
मले�रया एक सं�ामक रोग है जो एक प्लाज्मोिडयम नामक परजीवी रोगाणु �ारा फैलता है
ऐनो�फलीज �जाित के मादा मच्छर के काटने से यह रोगाणु मनुष्य के शरीरम� �वेश करता ह
और लाल र� कण� को सं�िमत करता है। तेज सद� और कं पकं पी लग कर बुखार आना, बदन
म� ददर् होना और चार छः घन्टे बाद पसीना आकर बुखार उतर जाना इस रोग के �मुख लक
ह�। शायद जब से यह सृि� बनी है तभी से यह सू�म ले�कन खतरनाक रोगाणु मानव जाित के
िलए एक बड़ी चुनौती बना �आ है। हमने ब�त उ�ित कर ली है, चांद िसतार� पर प�ँच चुके ह�
ले�कन इस छोटे से परजीवी के सामने िहजड़े सािबत हो रहे ह�।
"Mal aria" (meaning Mal =
bad and area = air means "bad air" in Italian) नाम �दया था, िजसे बीसव�
सन् 1740 म� एच. वालहोप ने इस रोग को माल ए�रया
शताब्दी म� छोटा करके मले�रया कर �दया गया। सन्1868 म� सी. लेवेरान ने पहली बार
सू�मदश� यं� �ारा इस परजीवी को मनुष्य के खून म� देखा और पहचाना। सन्1889 म�
रोनाल्ड रोस ने पता लगाया �क यह परजीवी अपना आधा जीव-च� एनो�फलीज �जाित के
मादा मच्छर के आमाशय म� सम्प� करता है और जब यह मच्छर मनुष्य को काटता है तब
मनुष्य के शरीर म� �वेश कर जाता है और आगे क� िजन्दगी मनुष्य के शरीर म� िबताता है।
परजीवी क� पांच �जाितयां होती ह�, िजनम� प्लाज्मोिडयम फैल्सीपैरम सबसे खतरनाक
जानलेवा है। प्लाज्मोिडयम नौलेसी नई �जाित , जो पहले बन्दर� पर ही आ�मण करती थी
ले�कन अब यह मनुष्य को भी सं�िमत करने लगी है और काफ� खतरनाक है। बाक� तीन
�जाितयां �मशः पी. वाइवेक्, पी. ओवेल और पी. मले�रये अपेक्षाकृत कम खतरनाक है औ
आमतौर पर रोगी क� जान नह� लेती ह�। कभी कभी दो या अिधक �जाित के परजीवी एक साथ
आ�मण कर सकते ह�।
पूरे िव� म� मले�रया से हर वषर् दो िमिलयन लोग मरते ह�। मरने वाल� म� अ��का के उप
सहारा क्षे�म� रहने वाले पांच वषर् से छोटे ब�े होते ह�। यह रोग हर वषर् चार अरब नये ल
को अपना िशकार बनाता है।
2. लक्षण और संके
मले�रया उष्णक�टबन्ध देश� म� बुखार का सबसे बड़ा कारण है। मले�रया म� वायरल ज्वर क�
तरह ही बुखार आने के पहले पहले िसरददर, थकावट, बेचैनी, पेट म� ददर् या बदन म� ददर् होत
है। मले�रया म� िसरददर् ब�त तेज होता है ले�कन मेिननजाइ�टस क� तरह गदर्नम� जकड़न य
�काश असहनीयता (photophobia) नह� होती है। इस रोग म� अक्सर मांसपेिशय� म� ददर
ब�त होता है ले�कन �फर भी ड�गू बुखार िजतना तेज ददर् नह� होता है और टाइफस या
लेप्टोस्पाइरोिसस क� तरह पेिशयांम�ट�डरनेस नह� होती ह�। िमच, वमन और िन� र�चाप
भी सामान्य लक्षण ह�। तेज सद� और कं पकंपी लग कर बुखार , बदन म� ददर् होना और चार
छः घन्टे बाद पसीना आकर बुखार उतर जाना इस रोग का िविश� लक्षण, जो दो से चार
�दन के अन्तर पर आता है। पी. वाइवेक् और पी. ओवेल मले�रया म� हर दो �दन म� ज्वर आता
है, तथा पी. मले�रये से हर तीन �दन म�। पी. फै ल्सीपैर के सं�मण म� यह पूरी ���या हर 36
से 48 घंटे म� दोहराई जा ती है ले�कन आजकल �ायः लगातार और अिनयिमत ज्वररहता है ।
आजकल फै ल्सीपैर मले�रया म� बुखार िनयिमत और िविश� लय पकड़ ही नह� पाता है।
ब�� म� तो तापमान 400 सैिल्सय से ऊपर तक जाता है, नाड़ी �ुत tachycardia रहती है
और ब�ा बेसुध और अचेत (delirium) पड़ा रहता है। वैसे तो तो �कसी भी �जाित के मले�रया
म� ब�� को बुखार के साथ दौरे febrile convulsions पड़ सकते ह� ले�कन फै ल्सीपैर
मले�रया म� ये दौरे खास तौर पर पड़ते ह� और अंततः ब�े को घातक सेरी�ल मले�रया
encephalopathy (cerebral malaria) हो जाता है।
मले�रया म� बुखार, बेचैनी, मामूली र�-अल्पत, ितल्ली का बढ़ना आ�द तकलीफ� के अलावा
�ायः कुछ असाधारण लक्षण भी होते है। बुखार के कछ �दन�म� ितल्ली बढ़ने लगती ह
उष्णक�टबंधीय देश� के उन इलाक� म� जहाँ मले�रया स्थािनक रोग , और मले�रया-रोधी
दवाएं �ितशोध के कारण �भावहीन हो चली ह�, ब�� म� र�-अल्पत और ितल्ल का बढ़ना
ब�त ही सामान् लक् है, जो मले�रया का बार-बार सं�मण को इं िगत है। साथ ही छोटे ब��
म� यकृ त भी थोड़ा बढ़ सकता है। बड़े रोिगय� म� हल्क सा पीिलया भी हो सकता है, जो �ायः
एक से तीन हफ्ते म� ठीक हो जाता है। मे�नगोकोकल मे�नजाइ�टस सेप्टीसीिमय, टायफस,
टायफाइड, वायरल झेन्थेम, �कसी दवा के �रयेक्शन आ�द क� तरह मले�रया के रोगी क�
त्वचा म� चक�े आ�द नह� होते ह�। वायरल हैमरे िजक बुखार और लेप्टोस्पाइरलम� होने वाले
त्वचा और म्यूकलम�म्�ेन म� र��ाव गंभीर फैल्सीपैरम मले�रया म�-कभार ही देखे जाते
ह�।
3. अज�टल मले�रया का उपचार
काडर् टेस्ट या कांच क� प��का क� जांच �ारा िनदान होते ही मले�रया बुखार का िविश
उपचार शु� कर देना चािहये।
पी.वाइवेक्स मले�रया का उपचार
िनदान प�ा होने पर पी.वाइवेक् क� क्लोरो�� संवेदनशील परजीवी के सं�मण म�
क्लोरो�� दी जाती है। पी. वाइवेक् और पी. ओवेल के कुछ मीरोजोइट् िजन्ह िह�ोजोइट्
कहते ह�, यकृ त म� लम्ब समय तक सुषु�ावस्थ म� पड़े रहते ह� और कभी भी पुनरसं�मण के
कारक बन सकते ह�। इससे बचने के िलए 14 �दन तक 0.25 िमिल �ाम/ �कलो �ाइमा��न दी
जाती है। G6PD का कमी, छोटे िशशु� और गभर्वत ि�य� को �ाइमा��न नह� दी जाती है।
G6PD का कमी म� �ाइमा��न देने से र�-क् hemolysis हो सकता है। इसिलए य�द
�ाइमा��न ले रहे रोगी को गहरे रं ग का मू� आने लगे, पीिलया हो जाये, पेट म� ददर, उबकाई,
वमन हो तो �ाइमा��न तुरन् बंद कर द� और िच�कत्स से संपकर करे ।