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स्वतंत्र भारत में राजनीतत
अध्याय – 1 राष्ट्र तनमााण की चुनौततयााँ
by
Dr Sushma Singh
(Core Academic Unit DOE GNCT of Delhi)
पाठ के अंत में हम जान पाएंगे:
लगभग 200 वर्ष की अंग्रेजों की गुलामी के बाद 14 -15 अगस्त सन 1947 की मध्यरात्रि को
हहंदुस्तान आजाद हुआ । लेककन इस आजादी के साथ देश की जनता को देश के ववभाजन का
सामना करना पड़ा । संववधान सभा के ववशेर् सि में प्रथम प्रधानमंिी जवाहर लाल नेहरू ने
‘भाग्यवधु ‘ से चिर – प्रतीक्षित भेंट या ‘हिस्ट ववद डेस्स्टनी’ के नाम से भार्ण हदया । आजादी
की लड़ाई के समय दो बातों पर सबकी सहमतत थी ।
I. आजादी के बाद देश का शासन लोकतास्रिक पद्धतत से िलाया जाएगा ।
II. सरकार समाज के सभी वगों के ललए कायष करेगी ।
1. नये राष्ट्र की चुनौततयां
मुख्य रूप से भारत के सामने तीन तरह की िुनौततयााँ थी ।
राष्ट्र तनमााण की
चुनौततयााँ
1
नये राष्ट्र की चुनौततयां
2
ववभाजन
3
राज्यों का गठन
4
राज्यों का पुनगाठन
5
राज्य पुनगाठन आयोग
(SRC)
1
एकता एवं अखंडता
की चुनौती
2
लोकतन्त्त्र की
स्थापना
3
समानता पर
आधाररत ववकास
4
ववभाजन की
समस्या
2
I. एकता एवं अखंडता की चुनौती
भारत अपने आकार और ववववधता में महा देश के बराबर था । यहााँ ववलभरन
भार्ा, संस्कृ तत और धमों के अनुयायी रहते थे । इन सभी को एकजुट करने की
िुनौती थी । और भारतीय संववधान में प्रत्येक नागररक को मोललक अचधकार तथा
मतदान का अचधकार हदया गया हैं ।
II. लोकतन्त्त्र की स्थापना
भारत ने संसदीय शासन पर आधाररत प्रतततनचधत्व मूलक लोकतरि को अपनाया
हैं ।
III. समानता पर आधाररत ववकास
ऐसा ववकास स्जससे सम्पूणष समाज का कल्याण हो, न कक ककसी एक वगष का
अथाषत सभी के साथ समानता का व्यवहार ककया जाए और सामास्जक रूप से वंचित
वगों तथा धालमषक अल्पसंख्यक समुदायों को ववशेर् सुरिा दी जाए ।
IV. ववभाजन
मुस्स्लम लीग ने ‘द्वव-राष्ट्ि लसद्धांत को अपनाने के ललए तकष हदस कक भारत ककसी
एक कौम का नहीं , अवपतु ‘हहरदू और मुसलमान ‘ नाम की दो क़ौमों का देश हैं।
और इसी कारण मुस्स्लम लीग ने मुसलमानों के ललए एक अलग देश यानी
पाककस्तान की मांग की । भारत के ववभाजन का आधार धालमषक बहुसंख्या को
बनाया गया । स्जसके कारण कई प्रकार की समस्याएं उत्परन हुई स्जनका वववरण
तनम्नललखित हैं ।
I. मुसलमानों की जनसंख्या के आधार पर पाककस्तान में दो इलाके शालमल होगे
पस्चिमी पाककस्तान और पूवी पाककस्तान और इनके मध्य में भारतीय भू – भाग
का बड़ा ववस्तार रहेगा ।
II. मुस्स्लम -बहुल प्रत्येक इलाका पाककस्तान में जाने को राजी नहीं था । पस्चिमोत्तर
सीमा प्रारत के नेता िान – अब्दुल गफ्फार िााँ स्जरहें सीमांत गांधी के नाम से
जाना जाता हैं , वह द्वव-राष्ट्ि लसधारत के एक दम खिलाफ थे ।
III. त्रिहटश इंडडया के मुस्स्लम -बहुल प्रांत पंजाब और बंगाल में अनेक हहस्से बहुसंख्यक
गैर -मुस्स्लम आबादी वाले थे । ऐसे में इन प्रारतों का बाँटवारा धालमषक बहुसंख्या
के आधार पर स्जले या उससे तनिले स्तर के प्रशासतनक हलके को आधार बना
कर ककया गया ।
IV. भारत ववभाजन के वल धमष के आधार पर हुआ था । इसललए दोनों ओर के
अल्पसंख्यक वगष बड़े असमंजस में थे, कक उनका क्या होगा । वह कल से पाककस्तान
के नागररक होंगे या भारत के ।
3
2. ववभाजन की समस्या
I. भारत ववभाजन की योजना में यह नहीं कहा गया कक दोनों भागों से अल्पसंख्यकों
का ववस्थापन भी होगा । ववभाजन से पहले ही दोनों देशों के बटने वाले इलाकों
में हहरदू मुस्स्लम दंगे भड़क उठे । पस्चिमी पंजाब में रहने वाले अल्पसंख्यक गैर
मुस्स्लम लोगों को अपना घर -बार जमीन जायदाद छोड़ कर अपनी जान बिाने
के ललए वहााँ से पूवी पंजाब या भारत जाना पड़ा । और इसी प्रकार मुसलमानों
को पाककस्तान जाना पड़ा ।
II. ववभाजन की प्रकिया में भारत की भूलम का ही बाँटवारा नहीं हुआ बस्ल्क भारत
की संपदा का भी बाँटवारा हुआ ।
III. आजादी एवं ववभाजन के कारण भारत को ववरासत के रूप में शरणाचथषयों के
पुनवाषस मंिालय बनाया गया ।
3. राज्यों का गठन
रजवाड़ों का ववलय-स्वतरिता प्रास्तत से पहले भारत दो भागों में बाँटा हुआ था , त्रिहटश भारत एवं
देशी ररयासत । इन देशी ररयासतों की संख्या लगभग 565 थी । ररयासतों के शासकों को मनाने
-समझाने में सरदार पटेल (गृहमंिी) ने ऐततहालसक भूलमका तनभाई और अचधकतम रजवाड़ों को
उरहोंने भारतीय संघ में शालमल होने के ललए राजी ककया था । देशी ररयासतों के बारे में तीन
अहम बातें थी:
a. अचधकतर रजवाड़ों के लोग भारतीय संघ में शालमल होना िाहते थे ।
b. भारत सरकार कु छ इलाकों को स्वायत्तता देने के ललए तैयार थी जैसे जम्मू
कचमीर ।
c. ववभाजन की पृष्ट्ठभूलम में ववलभरन इलाकों के सीमारकन के सवाल पर िींितान
ज़ोर पकड़ रही थी और ऐसे में देश की िेिीय एकता और अिंडता का प्रचन
सबसे महत्वपूणष हो गया था । अचधकतर रजवाड़ों के शासकों ने भारतीय संघ में
अपने ववलय के एक सहमतत पि पर हस्तािर कर हदये थे इस सहमतत पि
को ‘ इरस्ुमेंट आफ एक्सेशन’ कहा जाता हैं ।
d. जूनागढ़, हैदराबाद, कचमीर और मखणपुर की ररयासतों का ववलय बाकी ररयासतों
की तुलना में थोड़ा कहठन सात्रबत हुआ ।
4
I. हैदराबाद का ववलय
हैदराबाद के शासक को ‘तनजाम’ कहा जाता था । उरहोंने भारत सरकार के साथ
नवंबर 1947 में एक साल के ललए यथास्स्थतत बहाल रहने का समझौता ककया ।
कम्युतनस्ट पाटी और हैदराबाद कांग्रेस के नेतृत्व में ककसानों और महहलाओं ने
तनजाम के खिलाफ आंदोलन शुरू ककया । इस आंदोलन को कु िलने के ललए
तनजाम ने अद्षध- सैतनक बल (रजाकार ) को लगाया । इसके जवाब में भारत
सरकार ने लसतंबर 1948 को सैतनक कायषवाही के द्वारा तनजाम को आत्मसमपषण
करने के ललए मजबूर ककया , इस प्रकार हैदराबाद ररयासत का भारतीय संघ में
ववलय हुआ ।
II. मणणपुर ररयासत का ववलय
मखणपुर की आंतररक स्वायत्तत्ता बनी रहे , इसको लेकर महाराजा बोधिंद्र लसंह व
भारत सरकार के बीि ववलय के सहमतत पि पर हस्तािर हुए । संवैधातनक
राजतंि काम हुआ । मखणपुर भारत का पहला भाग हें जहााँ सावषभौलमक वयस्क
मताचधकार को अपना कर जून 1948 में िुनाव हुए ।
4. राज्यों का पुनगाठन
I. औपतनवेलशक शासन के समय प्रारतों का गठन प्रशासतनक सुववधा के अनुसार ककया
गया था , लेककन स्वतंि भारत में भार्ाई और सांस्कृ ततक बहुलता के आधार पर
राज्यों के गठन की मांग हुई ।
II. भार्ा के आधार पर प्रारतों के गठन का राजनीततक मुद्दा कांग्रेस के नागपुर
अचधवेशन (1920) में पहली बार शालमल ककया गया था ।
III. तेलगुभार्ी, लोगों ने मांग की कक मद्रास प्रांत के तेलगुभार्ी इलाकोण को अलग
करके एक नया राज्य आंध्र प्रदेश बनाया जाए ।
IV. आंदोलन के दौरान कांग्रेस के एक वररष्ट्ट नेता पोट्टी श्री रामूलू की लगभग 56
हदनों की भूि हड़ताल के बाद मृत्यु हो गई ।
V. इसके कारण सरकार को हदसंबर 1952 में आंध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाए
की घोर्णा करनी पड़ी । इस प्रकार आंध्र प्रदेश भार्ा के आधार पर गहठत पहला
राज्य बना ।
राज्यों का गठन
1 हैदराबाद का ववलय 2 मणणपुर ररयासत का ववलय
5
5. राज्य पुनगाठन आयोग (SRC)
1953 में कें द्र सरकार ने उच्ितम रयायालय के भूतपूवष रयायाधीश फजल आली की अध्यिता में
तीन सदस्यीय राज्य पुनगषठन आयोग का गठन ककया ।आयोग की प्रमुि लसफ़ाररशें:
I. त्रिस्िीय (भाग AeBeC) राज्य प्रणाली को समातत ककया जाए ।
II. के वल 3 कें द्रशालसत िेिों (अंडमान और तनकोबार, हदल्ली, मखणपुर) को छोड़ कर बाकी
के के र्शालसत िेिों को उनके नजदीकी राज्यों में लमला हदया जाए ।
III. राज्यों की सीमा का तनधाषरण वहााँ पर बोली जाने वाली भार्ा होने िाहहए । इस आयोग
ने अपने ररपोटष 1955 में प्रस्तुत की तथा इसके आधार पर संसद में राज्य पुनगषठन
अचधतनयम 1956 पाररत ककया गया और देश को 14 राज्यों एवं 6 संघ शालसत िेिों
में बांटा गया ।
िम
संख्या
मूल राज्य नये राज्य बने वर्ष
1 बंबई महाराष्ट्ि, गुजरात 1960
2 असम नागालैंड 1963
3 वृहत्तर पंजाब हररयाणा, पंजाब 1966
4 वृहत्तर पंजाब हहमािल प्रदेश 1966
5 असम मेघालय, मखणपुर त्रिपुरा 1972
6 असम लमजोरम, अरुणािल प्रदेश 1987
7 उत्तर प्रदेश उत्तरािंड 2000
8 त्रबहार झारिंड
9 मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़
10 आंध्र प्रदेश तेलंगाना 2015
गोवा – 1987
लसस्क्कम – 1975
IV. संघ शालसत िेि जो बाद में राज्य बने :
लमजोरम, मखणपुर, त्रिपुरा और गोवा आहद ।
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Chapter 1 , challenges of nation - building , xii pol science

  • 1. 1 स्वतंत्र भारत में राजनीतत अध्याय – 1 राष्ट्र तनमााण की चुनौततयााँ by Dr Sushma Singh (Core Academic Unit DOE GNCT of Delhi) पाठ के अंत में हम जान पाएंगे: लगभग 200 वर्ष की अंग्रेजों की गुलामी के बाद 14 -15 अगस्त सन 1947 की मध्यरात्रि को हहंदुस्तान आजाद हुआ । लेककन इस आजादी के साथ देश की जनता को देश के ववभाजन का सामना करना पड़ा । संववधान सभा के ववशेर् सि में प्रथम प्रधानमंिी जवाहर लाल नेहरू ने ‘भाग्यवधु ‘ से चिर – प्रतीक्षित भेंट या ‘हिस्ट ववद डेस्स्टनी’ के नाम से भार्ण हदया । आजादी की लड़ाई के समय दो बातों पर सबकी सहमतत थी । I. आजादी के बाद देश का शासन लोकतास्रिक पद्धतत से िलाया जाएगा । II. सरकार समाज के सभी वगों के ललए कायष करेगी । 1. नये राष्ट्र की चुनौततयां मुख्य रूप से भारत के सामने तीन तरह की िुनौततयााँ थी । राष्ट्र तनमााण की चुनौततयााँ 1 नये राष्ट्र की चुनौततयां 2 ववभाजन 3 राज्यों का गठन 4 राज्यों का पुनगाठन 5 राज्य पुनगाठन आयोग (SRC) 1 एकता एवं अखंडता की चुनौती 2 लोकतन्त्त्र की स्थापना 3 समानता पर आधाररत ववकास 4 ववभाजन की समस्या
  • 2. 2 I. एकता एवं अखंडता की चुनौती भारत अपने आकार और ववववधता में महा देश के बराबर था । यहााँ ववलभरन भार्ा, संस्कृ तत और धमों के अनुयायी रहते थे । इन सभी को एकजुट करने की िुनौती थी । और भारतीय संववधान में प्रत्येक नागररक को मोललक अचधकार तथा मतदान का अचधकार हदया गया हैं । II. लोकतन्त्त्र की स्थापना भारत ने संसदीय शासन पर आधाररत प्रतततनचधत्व मूलक लोकतरि को अपनाया हैं । III. समानता पर आधाररत ववकास ऐसा ववकास स्जससे सम्पूणष समाज का कल्याण हो, न कक ककसी एक वगष का अथाषत सभी के साथ समानता का व्यवहार ककया जाए और सामास्जक रूप से वंचित वगों तथा धालमषक अल्पसंख्यक समुदायों को ववशेर् सुरिा दी जाए । IV. ववभाजन मुस्स्लम लीग ने ‘द्वव-राष्ट्ि लसद्धांत को अपनाने के ललए तकष हदस कक भारत ककसी एक कौम का नहीं , अवपतु ‘हहरदू और मुसलमान ‘ नाम की दो क़ौमों का देश हैं। और इसी कारण मुस्स्लम लीग ने मुसलमानों के ललए एक अलग देश यानी पाककस्तान की मांग की । भारत के ववभाजन का आधार धालमषक बहुसंख्या को बनाया गया । स्जसके कारण कई प्रकार की समस्याएं उत्परन हुई स्जनका वववरण तनम्नललखित हैं । I. मुसलमानों की जनसंख्या के आधार पर पाककस्तान में दो इलाके शालमल होगे पस्चिमी पाककस्तान और पूवी पाककस्तान और इनके मध्य में भारतीय भू – भाग का बड़ा ववस्तार रहेगा । II. मुस्स्लम -बहुल प्रत्येक इलाका पाककस्तान में जाने को राजी नहीं था । पस्चिमोत्तर सीमा प्रारत के नेता िान – अब्दुल गफ्फार िााँ स्जरहें सीमांत गांधी के नाम से जाना जाता हैं , वह द्वव-राष्ट्ि लसधारत के एक दम खिलाफ थे । III. त्रिहटश इंडडया के मुस्स्लम -बहुल प्रांत पंजाब और बंगाल में अनेक हहस्से बहुसंख्यक गैर -मुस्स्लम आबादी वाले थे । ऐसे में इन प्रारतों का बाँटवारा धालमषक बहुसंख्या के आधार पर स्जले या उससे तनिले स्तर के प्रशासतनक हलके को आधार बना कर ककया गया । IV. भारत ववभाजन के वल धमष के आधार पर हुआ था । इसललए दोनों ओर के अल्पसंख्यक वगष बड़े असमंजस में थे, कक उनका क्या होगा । वह कल से पाककस्तान के नागररक होंगे या भारत के ।
  • 3. 3 2. ववभाजन की समस्या I. भारत ववभाजन की योजना में यह नहीं कहा गया कक दोनों भागों से अल्पसंख्यकों का ववस्थापन भी होगा । ववभाजन से पहले ही दोनों देशों के बटने वाले इलाकों में हहरदू मुस्स्लम दंगे भड़क उठे । पस्चिमी पंजाब में रहने वाले अल्पसंख्यक गैर मुस्स्लम लोगों को अपना घर -बार जमीन जायदाद छोड़ कर अपनी जान बिाने के ललए वहााँ से पूवी पंजाब या भारत जाना पड़ा । और इसी प्रकार मुसलमानों को पाककस्तान जाना पड़ा । II. ववभाजन की प्रकिया में भारत की भूलम का ही बाँटवारा नहीं हुआ बस्ल्क भारत की संपदा का भी बाँटवारा हुआ । III. आजादी एवं ववभाजन के कारण भारत को ववरासत के रूप में शरणाचथषयों के पुनवाषस मंिालय बनाया गया । 3. राज्यों का गठन रजवाड़ों का ववलय-स्वतरिता प्रास्तत से पहले भारत दो भागों में बाँटा हुआ था , त्रिहटश भारत एवं देशी ररयासत । इन देशी ररयासतों की संख्या लगभग 565 थी । ररयासतों के शासकों को मनाने -समझाने में सरदार पटेल (गृहमंिी) ने ऐततहालसक भूलमका तनभाई और अचधकतम रजवाड़ों को उरहोंने भारतीय संघ में शालमल होने के ललए राजी ककया था । देशी ररयासतों के बारे में तीन अहम बातें थी: a. अचधकतर रजवाड़ों के लोग भारतीय संघ में शालमल होना िाहते थे । b. भारत सरकार कु छ इलाकों को स्वायत्तता देने के ललए तैयार थी जैसे जम्मू कचमीर । c. ववभाजन की पृष्ट्ठभूलम में ववलभरन इलाकों के सीमारकन के सवाल पर िींितान ज़ोर पकड़ रही थी और ऐसे में देश की िेिीय एकता और अिंडता का प्रचन सबसे महत्वपूणष हो गया था । अचधकतर रजवाड़ों के शासकों ने भारतीय संघ में अपने ववलय के एक सहमतत पि पर हस्तािर कर हदये थे इस सहमतत पि को ‘ इरस्ुमेंट आफ एक्सेशन’ कहा जाता हैं । d. जूनागढ़, हैदराबाद, कचमीर और मखणपुर की ररयासतों का ववलय बाकी ररयासतों की तुलना में थोड़ा कहठन सात्रबत हुआ ।
  • 4. 4 I. हैदराबाद का ववलय हैदराबाद के शासक को ‘तनजाम’ कहा जाता था । उरहोंने भारत सरकार के साथ नवंबर 1947 में एक साल के ललए यथास्स्थतत बहाल रहने का समझौता ककया । कम्युतनस्ट पाटी और हैदराबाद कांग्रेस के नेतृत्व में ककसानों और महहलाओं ने तनजाम के खिलाफ आंदोलन शुरू ककया । इस आंदोलन को कु िलने के ललए तनजाम ने अद्षध- सैतनक बल (रजाकार ) को लगाया । इसके जवाब में भारत सरकार ने लसतंबर 1948 को सैतनक कायषवाही के द्वारा तनजाम को आत्मसमपषण करने के ललए मजबूर ककया , इस प्रकार हैदराबाद ररयासत का भारतीय संघ में ववलय हुआ । II. मणणपुर ररयासत का ववलय मखणपुर की आंतररक स्वायत्तत्ता बनी रहे , इसको लेकर महाराजा बोधिंद्र लसंह व भारत सरकार के बीि ववलय के सहमतत पि पर हस्तािर हुए । संवैधातनक राजतंि काम हुआ । मखणपुर भारत का पहला भाग हें जहााँ सावषभौलमक वयस्क मताचधकार को अपना कर जून 1948 में िुनाव हुए । 4. राज्यों का पुनगाठन I. औपतनवेलशक शासन के समय प्रारतों का गठन प्रशासतनक सुववधा के अनुसार ककया गया था , लेककन स्वतंि भारत में भार्ाई और सांस्कृ ततक बहुलता के आधार पर राज्यों के गठन की मांग हुई । II. भार्ा के आधार पर प्रारतों के गठन का राजनीततक मुद्दा कांग्रेस के नागपुर अचधवेशन (1920) में पहली बार शालमल ककया गया था । III. तेलगुभार्ी, लोगों ने मांग की कक मद्रास प्रांत के तेलगुभार्ी इलाकोण को अलग करके एक नया राज्य आंध्र प्रदेश बनाया जाए । IV. आंदोलन के दौरान कांग्रेस के एक वररष्ट्ट नेता पोट्टी श्री रामूलू की लगभग 56 हदनों की भूि हड़ताल के बाद मृत्यु हो गई । V. इसके कारण सरकार को हदसंबर 1952 में आंध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाए की घोर्णा करनी पड़ी । इस प्रकार आंध्र प्रदेश भार्ा के आधार पर गहठत पहला राज्य बना । राज्यों का गठन 1 हैदराबाद का ववलय 2 मणणपुर ररयासत का ववलय
  • 5. 5 5. राज्य पुनगाठन आयोग (SRC) 1953 में कें द्र सरकार ने उच्ितम रयायालय के भूतपूवष रयायाधीश फजल आली की अध्यिता में तीन सदस्यीय राज्य पुनगषठन आयोग का गठन ककया ।आयोग की प्रमुि लसफ़ाररशें: I. त्रिस्िीय (भाग AeBeC) राज्य प्रणाली को समातत ककया जाए । II. के वल 3 कें द्रशालसत िेिों (अंडमान और तनकोबार, हदल्ली, मखणपुर) को छोड़ कर बाकी के के र्शालसत िेिों को उनके नजदीकी राज्यों में लमला हदया जाए । III. राज्यों की सीमा का तनधाषरण वहााँ पर बोली जाने वाली भार्ा होने िाहहए । इस आयोग ने अपने ररपोटष 1955 में प्रस्तुत की तथा इसके आधार पर संसद में राज्य पुनगषठन अचधतनयम 1956 पाररत ककया गया और देश को 14 राज्यों एवं 6 संघ शालसत िेिों में बांटा गया । िम संख्या मूल राज्य नये राज्य बने वर्ष 1 बंबई महाराष्ट्ि, गुजरात 1960 2 असम नागालैंड 1963 3 वृहत्तर पंजाब हररयाणा, पंजाब 1966 4 वृहत्तर पंजाब हहमािल प्रदेश 1966 5 असम मेघालय, मखणपुर त्रिपुरा 1972 6 असम लमजोरम, अरुणािल प्रदेश 1987 7 उत्तर प्रदेश उत्तरािंड 2000 8 त्रबहार झारिंड 9 मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ 10 आंध्र प्रदेश तेलंगाना 2015 गोवा – 1987 लसस्क्कम – 1975 IV. संघ शालसत िेि जो बाद में राज्य बने : लमजोरम, मखणपुर, त्रिपुरा और गोवा आहद । ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------