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भारत में महिलाओं की स्थिहत ने हिछली
क
ु छ सहिय ंमें कई बडे बिलाव ंका सामना
हकया िै। प्राचीन काल में िुरुष ंक
े साि
बराबरी की स्थिहत से लेकर मध्ययुगीन
काल क
े हनम्न स्तरीय जीवन और साि िी
कई सुधारक ंद्वारा समान अहधकार ंक
बढावा हिए जाने तक, भारत में महिलाओं
का इहतिास काफी गहतशील रिा िै।
आधुहनक भारत में महिलाएं
राष्ट्रिहत, प्रधानमंत्री,
ल क सभा अध्यक्ष,
प्रहतिक्ष की नेता आहि
जैसे शीषष िि ंिर
आसीन हुई िैं।
इहतिास
हवशेष रूि से महिलाओं की भूहमका की चचाष करने वाले साहित्य क
े स्र त बहुत िी कम
िैं ; 1730 ई. क
े आसिास तंजावुर क
े एक अहधकारी त्र्यम्बकयज्वन
का स्त्रीधमषिद्धहत इसका एक मित्विूर्ष अिवाि िै। इस िुस्तक में प्राचीन काल क
े
अिस्तंभ सूत्र (चौिी शताब्दी ई.िू.) क
े काल क
े नारी सुलभ आचरर् संबंधी हनयम ंक
संकहलत हकया गया िै। इसका मुखडा छं ि इस प्रकार िै:
मुख्य धमषः स्मृहतषु हवहित भातृषशुश्रुषानम हि :
स्त्री का मुख्य कतषव्य उसक
े िहत की सेवा से जुडा हुआ िै।
जह ाँ सुश्रूषा शब्द (अर् ात, “सुनने की च ह”) में ईश्वर क
े प्रतत भक्त की प्र र्ान
से लेकर एक द स की तनष्ठ पूर्ा सेव तक कई तरह क
े अर्ा सम तहत हैं।
प्राचीन भारत
हवद्वान ंका मानना िै हक प्राचीन भारत में महिलाओं क जीवन क
े सभी क्षेत्र ंमें िुरुष ं
क
े साि बराबरी का िजाष िाहसल िा।िालांहक क
ु छ अन्य हवद्वान ंका नज़ररया इसक
े
हविरीत िै। ितंजहल और कात्यायन जैसे प्राचीन भारतीय व्याकरर्हवि ंका किना िै
हक प्रारस्िक वैहिक कालमें महिलाओं क हशक्षा िी जाती िी। ऋग्वेहिक ऋचाएं यि
बताती िैं हक महिलाओं की शािी एक िररिक्व उम्र में ि ती िी और संभवतः उन्हें
अिना िहत चुनने की भी आजािी िी।ऋग्वेि और उिहनषि जैसे ग्रंि कई महिला
सास्िय ंऔर संत ंक
े बारे में बताते िैं हजनमें गागी और मैत्रेयी क
े नाम उल्लेखनीय िैं।
प्राचीन भारत क
े क
ु छ साम्राज् ंमें नगरवधु (“नगर की िुल्हन”) जैसी िरंिराएं मौजूि
िीं। महिलाओं में नगरवधु क
े प्रहतहित सम्मान क
े हलये प्रहतय हगता ि ती िी।
आम्रिाली नगरवधु का सबसे प्रहसद्ध उिािरर् रिी िै।
अध्ययन ंक
े अनुसार प्रारंहभक वैहिक काल में महिलाओं क बराबरी का िजाष और
अहधकार हमलता िा।[ िालांहक बाि में (लगभग 500 ईसा िूवष में) स्मृहतय ं (हवशेषकर
मनुस्मृहत) क
े साि महिलाओं की स्थिहत में हगरावट आनी शुरु ि गयी
और बाबर एवं मुगल साम्राज् क
े इस्लामी आक्रमर् क
े साि और इसक
े बाि ईसाइयत
ने महिलाओं की आजािी और अहधकार ंक सीहमत कर हिया।
मध्ययुगीन काल
समाज में भारतीय महिलाओं की स्थिहत में मध्ययुगीन काल क
े िौरान और अहधक हगरावट
आयी जब भारत क
े क
ु छ समुिाय ंमें सती प्रिा, बाल हववाि और हवधवा िुनहवषवाि िर र क,
सामाहजक हजंिगी का एक हिस्सा बन गयी िी। भारतीय उिमिाद्वीि में मुसलमान ंकी
जीत ने िरिा प्रिा क भारतीय समाज में ला हिया। राजथिान क
े राजिूत ं में जौिर की प्रिा िी।
भारत क
े क
ु छ हिस्स ंमें िेविाहसयां या मंहिर की महिलाओं क यौन श षर् का हशकार ि ना
िडा िा। बहुहववाि की प्रिा हिन्िू क्षहत्रय शासक ंमें व्यािक रूि से प्रचहलत िी।कई मुस्स्लम
िररवार ं में महिलाओं क जनाना क्षेत्र ंतक िी सीहमत रखा गया िा।
इन िररस्थिहतय ंक
े बावजूि भी क
ु छ महिलाओं ने राजनीहत, साहित्य, हशक्षा और धमष क
े
क्षेत्र ंमें सफलता िाहसल की।
रहज़या सुल्तान हिल्ली िर शासन
करने वाली एकमात्र महिला सम्राज्ञी बनीं।
ग ंड की मिारानी िुगाषवती ने 1564 में मुगल
सम्राट अकबर क
े सेनािहत आसफ़ खान से लडकर
अिनी जान गंवाने से ििले िंद्रि वषों तक
शासन हकया िा। चांि बीबी ने 1590 क
े
िशक में अकबर की शस्िशाली मुगल सेना रहज़या सुल्तान
क
े स्खलाफ़ अिमिनगर की रक्षा की ।
जिांगीर की ित्नी नूरजिााँ ने राजशािी शस्ि का
प्रभावशाली ढंग से इस्तेमाल हकया और मुगल राजगद्दी क
े
नूरजिााँ
िीछे वास्तहवक शस्ि क
े रूि में ििचान िाहसल की। मुगल
राजक
ु मारी जिााँआरा और जेबुहिसा सुप्रहसद्ध कहवहयहत्रयााँ िीं
और उन्ह ंने सत्तारूढ प्रशासन क भी प्रभाहवत
हकया। हशवाजी की मााँ जीजाबाई क एक य द्धा और एक
प्रशासक क
े रूि में उनकी क्षमता क
े कारर् क्वीन रीजेंट क
े रूि
में ििथिाहित हकया गया िा। िहक्षर् भारत में कई महिलाओं ने
गााँव ं, शिर ंऔर हजल ंिर शासन हकया और सामाहजक एवं
धाहमषक संथिान ंकी शुरुआत की।
अंग्रेजी शासन
यूरोपीय तवद्व नोों ने 19वीोंसदी में यह महसूस तकय र्
तक तहोंदू मतहल एों “स्व भ तवक रूप से म सूम” और अन्य
मतहल ओों से “अतिक सच्चररत्र” होती हैं।
अोंग्रेजी श सन क
े दौर न र म मोहन र य,
ईश्वर चोंद्र तवद्य स गर, ज्योततब फ
ु ले, आतद जैसे
कई सुि रकोों ने मतहल ओों क
े उत्थ न क
े तलये लड इय ाँ लडीों
ह ल ोंतक इस सूची से यह पत चलत है तक र ज युग में
अोंग्रेजोों क कोई भी सक र त्मक योगद न नहीोंर् , यह पूरी
तरह से सही नहीोंहै क्ोोंतक तमशनररयोों की पतिय ाँ जैसे
तक म र् ा मौल्ट नी मीड और उनकी बेटी एतलज क ल्डवेल नी मौल्ट को दतिर् भ रत में
लडतकयोों की तशि और प्रतशिर् क
े तलये आज भी य द तकय ज त है – यह एक ऐस प्रय स र्
तजसकी शुरुआत में स्र् नीय स्तर पर
रुक वटोों क स मन करन पड क्ोोंतक इसे परोंपर क
े रूप में
अपन य गय र् । 1829 में गवनार-जनरल
तवतलयम क
े वेंतडश-बेंतटक क
े तहत र ज र म मोहन र य क
े
प्रय स सती प्रर् क
े उन्मूलन क क रर् बने। तविव ओों की
स्स्र्तत को सुि रने में ईश्वर चोंद्र तवद्य स गर क
े सोंघर्ा क प
ररर् म तविव पुनतवाव ह अतितनयम 1956 क
े रूप में स मने आय ।
कई मतहल सुि रकोों जैसे तक पोंतडत रम ब ई ने भी मतहल
सशक्तीकरर् क
े उद्देश्य को ह तसल करने में मदद की।
कनाषटक में हकत्तूर ररयासत की रानी, हकत्तूर चेिम्मा ने समास्ि क
े हसद्धांत (डास्रर न
ऑफ़ लैप्स) की प्रहतहक्रया में अंग्रेज ंक
े स्खलाफ़ सशस्त्र हवद्र ि का नेतृत्व हकया। तटीय
कनाषटक की मिारानी अब्बक्का रानी ने 16वींसिी में िमलावर यूर िीय सेनाओं,
उल्लेखनीय रूि से िुतषगाली सेना क
े स्खलाफ़ सुरक्षा का नेतृत्व हकया। झााँसी की
मिारानी रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज ंक
े स्खलाफ़ 1857 क
े भारतीय हवद्र ि का झंडा बुलंि
हकया। आज उन्हें सवषत्र एक राष्ट्रीय नाहयका क
े रूि में माना जाता िै। अवध की सि-
शाहसका बेगम िज़रत मिल एक अन्य शाहसका िी हजसने 1857 क
े हवद्र ि का नेतृत्व
हकया िा। उन्ह ंने अंग्रेज ंक
े साि सौिेबाजी से इनकार कर हिया और बाि में नेिाल चली
गयीं। भ िाल की बेगमें भी इस अवहध की क
ु छ उल्लेखनीय महिला शाहसकाओं में
शाहमल िीं। उन्ह ंने िरिा प्रिा क निींअिनाया और माशषल आटष का प्रहशक्षर् भी
हलया।
चंद्रमुखी बसु, कािंहबनी गांगुली और आनंिी ग िाल ज शी क
ु छ शुरुआती भारतीय
महिलाओं में शाहमल िींहजन्ह ंने शैक्षहर्क हडहग्रयााँ िाहसल कीं.
1917 में महिलाओं क
े ििले प्रहतहनहधमंडल ने महिलाओं क
े राजनीहतक अहधकार ंकी
मााँग क
े हलये हविेश सहचव से मुलाकात की हजसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का समिषन
िाहसल िा। 1927 में अस्खल भारतीय महिला हशक्षा सम्मेलन का आय जन िुर्े में हकया
गया िा।1929 में म िम्मि अली हजिा क
े प्रयास ंसे बाल हववाि हनषेध अहधहनयम क
िाररत हकया गया हजसक
े अनुसार एक लडकी क
े हलये शािी की न्यूनतम उम्र चौिि वषष
हनधाषररत की गयी िी। िालांहक मिात्मा गााँधी ने स्वयं तेरि वषष की उम्र में शािी की, बाि
में उन्ह ंने ल ग ंसे बाल हववाि ंका बहिष्कार करने का आह्वान हकया और युवाओं से बाल
हवधवाओं क
े साि शािी करने की अिील की।
भारत की आजािी क
े संघषष में महिलाओं ने एक मित्विूर्ष भूहमका हनभायी. हभकाजी
कामा, डॉ॰ एनी बेसेंट, प्रीहतलता वाडेकर, हवजयलक्ष्मी िंहडत, राजक
ु मारी अमृत
कौर, अरुना आसफ़ अली, सुचेता क
ृ िलानी और कस्तूरबा गााँधी क
ु छ प्रहसद्ध स्वतंत्रता
सेनाहनय ंमें शाहमल िैं। अन्य उल्लेखनीय नाम िैं मुिुलक्ष्मी रेड्डी, िुगाषबाई िेशमुख आहि।
सुभाष चंद्र ब स की इंहडयन नेशनल आमी की झााँसी की रानी रेजीमेंट क
ै प्टेन लक्ष्मी
सिगल सहित िूरी तरि से महिलाओं की सेना िी। एक कहवहयत्री और स्वतंत्रता
सेनानी सर हजनी नायड
ू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली ििली भारतीय
महिला और भारत क
े हकसी राज् की ििली महिला राज्िाल िीं।
डॉ॰ एनी बेसेंट कस्तूरबा गााँधी लक्ष्मी सिगल
भारत में महिलाएं अब सभी तरि की गहतहवहधय ंजैसे हक हशक्षा,
राजनीहत, मीहडया, कला और संस्क
ृ हत, सेवा क्षेत्र, हवज्ञान एवं प्रौद्य हगकी
आहि में हिस्सा ले रिी िैं। इंहिरा गांधी हजन्ह ंने क
ु ल हमलाकर िंद्रि वषों
तक भारत क
े प्रधानमंत्री क
े रूि में सेवा की, िुहनया की सबसे लंबे समय
तक सेवारत महिला प्रधानमंत्री िैं।
भारत का संहवधान सभी भारतीय महिलाओं क सामान अहधकार
(अनुच्छेि 14), राज् द्वारा क ई भेिभाव निींकरने (अनुच्छे ि 15 (1)),
अवसर की समानता (अनुच्छेि 16), समान कायष क
े हलए समान वेतन
(अनुच्छेि 39 (घ)) की गारंटी िेता िै। इसक
े अलावा यि महिलाओं और
बच् ंक
े िक्ष में राज् द्वारा हवशेष प्रावधान बनाए जाने की अनुमहत िेता िै
(अनुच्छेि 15(3)), महिलाओं की गररमा क
े हलए अिमानजनक प्रिाओं का
िररत्याग करने (अनुच्छेि 51(ए)(ई)) और साि िी काम की उहचत एवं
मानवीय िररस्थिहतयााँ सुरहक्षत करने और प्रसूहत सिायता क
े हलए राज्
द्वारा प्रावधान ंक तैयार करने की अनुमहत िेता िै। (अनुच्छेि 42)]
समय रेखा
उनकी स्स्र्तत में लग त र पररवतान को देश में मतहल ओों द्व र ह तसल उपलस्ियोों क
े म ध्यम से उज गर
तकय ज सकत है:
1879: जॉन इतलयट तड
रोंकव टर तबर्यून ने 1849 में तबर्यून स्क
ू ल स्र् तपत तकय , जो 1879 में तबर्यून
कॉलेज बनने क
े स र् भ रत क पहल मतहल कॉलेज बन गय ।
1883: चोंद्रमुखी बसु और क दस्िनी ग ोंगुली तितटश स म्र ज्य और भ रत में स्न तक की तडग्री प्र प्त करने
व ली पहली मतहल यें बनीों।
1886: क दस्िनी ग ोंगुली और आनोंदी गोप ल जोशी पतिमी दव ओों में प्रतशतित होने व ली भ रत की
पहली मतहल यें बनीों।
1905: क र चल ने व ली पहली भ रतीय मतहल सुज न आरडी ट ट र्ीों।
1916: पहल मतहल तवश्वतवद्य लय, एसएनडीटी मतहल तवश्वतवद्य लय की स्र् पन सम ज सुि रक िोोंडो
क
े शव कवे द्व र क
े वल प ोंच छ त्रोों क
े स र् 2 जून 1916 को की गई।
1917: एनी बेसेंट भ रतीय र ष्ट्र ीय क ोंग्रेस की पहली अध्यि मतहल बनीों।
1919: पोंतडत र म ब ई, अपनी प्रतततष्ठत सम ज सेव क
े क रर् तितटश र ज द्व र क
ै सर-ए-तहोंद सम्म न
प्र प्त करने व ली प्रर्म भ रतीय मतहल बनीों।
1925: सरोतजनी न यड
ू भ रतीय मूल की पहली मतहल र्ीोंजो भ रतीय र ष्ट्र ीय क ोंग्रेस की अध्यि बनीों।
1927: अस्खल भ रतीय मतहल सम्मेलन की स्र् पन की गई।
1944: आतसम चटजी ऐसी पहली भ रतीय मतहल र्ीोंतजन्हें तकसी भ रतीय तवश्वतवद्य लय द्व र तवज्ञ न में
डॉक्टरेट की उप ति से सम्म तनत तकय गय ।
1947: 15 अगस्त 1947 को स्वतोंत्रत क
े ब द, सरोतजनी न यड
ू सोंयुक्त प्रदेशोों की र ज्यप ल बनीोंऔर इस
तरह वे भ रत की पहली मतहल र ज्यप ल बनीों।
1951: डेक्कन एयरवेज की प्रेम म र्ुर प्रर्म भ रतीय मतहल व्य वस तयक प यलट बनीों।
1953: तवजय लक्ष्मी पोंतडत यून इटेड नेशोंस जनरल एसेिली की पहली मतहल (और पहली भ रतीय)
अध्यि बनीों।
1959: अन्न च न्डी, तकसी उच्च न्य य लय (क
े रल उच्च न्य य लय) की पहली भ रतीय मतहल जज बनीों।
1963: सुचेत क
ृ पल नी उत्तर प्रदेश की मुख्यमोंत्री बनीों, तकसी भी भ रतीय र ज्य में यह पद साँभ लने व ली
वे पहली मतहल र्ीों।
1966: क
ै प्टेन दुग ा बनजी सरक री एयरल इन्स, भ रतीय एयरल इोंस, की पहली भ रतीय मतहल प यलट
बनीों।
1966: कमल देवी चट्टोप ध्य य ने समुद य नेतृत्व क
े तलए रेमन मैगसेसे पुरस्क र प्र प्त तकय ।
1966: इोंतदर ग ाँिी भ रत की पहली मतहल प्रि नमोंत्री बनीों।
1970: कमलजीत सोंिू एतशयन गेम्स में गोल्ड जीतने व ली पहली भ रतीय मतहल र्ीों।
1972: तकरर् बेदी भ रतीय पुतलस सेव (इोंतडयन पुतलस सतवास) में भती होने व ली पहली मतहल र्ीों।
1979: मदर टेरेस ने नोबेल श स्ि पुरस्क र प्र प्त तकय और यह सम्म न प्र प्त करने व ली प्रर्म भ रतीय
मतहल न गररक बनीों।
1984: 23 मई को, बचेन्द्री प ल म उोंट एवरेस्ट पर चढ़ने व ली पहली भ रतीय मतहल बनीों।
1989: न्य यमूतता एम. फ ततम बीवी भ रत क
े उच्चतम न्य य लय की पहली मतहल जज बनीों।
1997: कल्पन च वल , भ रत में जन्मी ऐसी प्रर्म मतहल र्ीोंजो अोंतररि में गयीों।
1992: तप्रय त ोंगन भ रतीय र्लसेन में भती होने व ली पहली मतहल क
ै डेट र्ीों(6 म चा 1993 को उन्हें
कमीशन तकय गय )
1994: हररत कौर देओल भ रतीय व यु सेन में अक
े ले जह ज उड ने व ली पहली भ रतीय मतहल प यलट
बनी।
2000: कर्ाम मल्लेश्वरी ओतलोंतपक में पदक जीतने व ली पहली भ रतीय मतहल बनीों(तसडनी में 2000 क
े
समर ओतलोंतपक में क ोंस्य पदक)
2002: लक्ष्मी सहगल भ रतीय र ष्ट्र पतत पद क
े तलए खडी होने व ली प्रर्म भ रतीय मतहल बनीों।
2004: पुनीत अरोड , भ रतीय र्लसेन में लेस्िनेंट जनरल क
े सवोच्च पद तक पहाँचने व ली प्रर्म
भ रतीय मतहल बनीों।
2007: प्रततभ प तटल भ रत की प्रर्म भ रतीय मतहल र ष्ट्र पतत बनीों।
2009: मीर क
ु म र भ रतीय सोंसद क
े तनचले सदन, लोक सभ की पहली मतहल अध्यि बनीों।
2016: [पी वी तसोंिु ने ररयो ओलोंतपक में रजत पदक जीतकर इततह स रच ।
िुनीता अर डा िी वी हसंधु
हशक्षा और आहिषक हवकास
1992-93 क
े आोंकडोों क
े मुत तबक भ रत में क
े वल 9.2% घरोों में ही मतहल एों मुस्खय की भूतमक में हैं।
ह ल ोंतक गरीबी की रेख से नीचे क
े पररव रोों में लगभग 35% को मतहल -मुस्खय द्व र सोंच तलत प य गय
है।
❖ हशक्षा
❖श्रमशस्ि की भागीिारी
❖भूहम और संिहत्त संबंधी अहधकार
महिलाओं क
े हवरुद्ध अिराध
पुतलस ररकॉडा में मतहल ओों क
े स्खल फ भ रत में
अपर िोों क उच्च स्तर तदख ई पडत है।
र ष्ट्र ीय अपर ि ररक डा ब्यूरो ने 1998 में
यह ज नक री दी र्ी तक 2010 तक मतहल ओों क
े
तवरुद्ध अपर िोों की तवक स दर जनसोंख्य वृस्द्ध दर से
कहीोंज्य द हो ज येगी. पहले बल त्क र और छे डछ ड क
े
म मलोों को इनसे जुडे स म तजक कलोंक की वजह से कई
म मलोों को पुतलस में दजा ही नहीोंकर य ज त र् ।
सरक री आोंकडे बत ते हैं तक मतहल ओों क
े स्खल फ दजा तकये गए
अपर िोों की सोंख्य में न टकीय वृस्द्ध हई है।
❖ यौन उत्पीडन
❖ ििेज
❖ बाल हववाि
❖ कन्या भ्रूर् ित्या और हलंग क
े अनुसार गभषिात
इस अतितनयम ने तल क प्र प्त करने और क
ु छ
म मलोों में रखरख व क
े तलए मतहल ओों को
सम न अतिक र प्रद न तकए।
1. 1955 का हिंिू हववाि अहधहनयम:
Condition of Women before and after independence
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Condition of Women before and after independence

  • 1.
  • 2. भारत में महिलाओं की स्थिहत ने हिछली क ु छ सहिय ंमें कई बडे बिलाव ंका सामना हकया िै। प्राचीन काल में िुरुष ंक े साि बराबरी की स्थिहत से लेकर मध्ययुगीन काल क े हनम्न स्तरीय जीवन और साि िी कई सुधारक ंद्वारा समान अहधकार ंक बढावा हिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इहतिास काफी गहतशील रिा िै। आधुहनक भारत में महिलाएं राष्ट्रिहत, प्रधानमंत्री, ल क सभा अध्यक्ष, प्रहतिक्ष की नेता आहि जैसे शीषष िि ंिर आसीन हुई िैं।
  • 3. इहतिास हवशेष रूि से महिलाओं की भूहमका की चचाष करने वाले साहित्य क े स्र त बहुत िी कम िैं ; 1730 ई. क े आसिास तंजावुर क े एक अहधकारी त्र्यम्बकयज्वन का स्त्रीधमषिद्धहत इसका एक मित्विूर्ष अिवाि िै। इस िुस्तक में प्राचीन काल क े अिस्तंभ सूत्र (चौिी शताब्दी ई.िू.) क े काल क े नारी सुलभ आचरर् संबंधी हनयम ंक संकहलत हकया गया िै। इसका मुखडा छं ि इस प्रकार िै: मुख्य धमषः स्मृहतषु हवहित भातृषशुश्रुषानम हि : स्त्री का मुख्य कतषव्य उसक े िहत की सेवा से जुडा हुआ िै। जह ाँ सुश्रूषा शब्द (अर् ात, “सुनने की च ह”) में ईश्वर क े प्रतत भक्त की प्र र्ान से लेकर एक द स की तनष्ठ पूर्ा सेव तक कई तरह क े अर्ा सम तहत हैं।
  • 4. प्राचीन भारत हवद्वान ंका मानना िै हक प्राचीन भारत में महिलाओं क जीवन क े सभी क्षेत्र ंमें िुरुष ं क े साि बराबरी का िजाष िाहसल िा।िालांहक क ु छ अन्य हवद्वान ंका नज़ररया इसक े हविरीत िै। ितंजहल और कात्यायन जैसे प्राचीन भारतीय व्याकरर्हवि ंका किना िै हक प्रारस्िक वैहिक कालमें महिलाओं क हशक्षा िी जाती िी। ऋग्वेहिक ऋचाएं यि बताती िैं हक महिलाओं की शािी एक िररिक्व उम्र में ि ती िी और संभवतः उन्हें अिना िहत चुनने की भी आजािी िी।ऋग्वेि और उिहनषि जैसे ग्रंि कई महिला सास्िय ंऔर संत ंक े बारे में बताते िैं हजनमें गागी और मैत्रेयी क े नाम उल्लेखनीय िैं। प्राचीन भारत क े क ु छ साम्राज् ंमें नगरवधु (“नगर की िुल्हन”) जैसी िरंिराएं मौजूि िीं। महिलाओं में नगरवधु क े प्रहतहित सम्मान क े हलये प्रहतय हगता ि ती िी। आम्रिाली नगरवधु का सबसे प्रहसद्ध उिािरर् रिी िै। अध्ययन ंक े अनुसार प्रारंहभक वैहिक काल में महिलाओं क बराबरी का िजाष और अहधकार हमलता िा।[ िालांहक बाि में (लगभग 500 ईसा िूवष में) स्मृहतय ं (हवशेषकर मनुस्मृहत) क े साि महिलाओं की स्थिहत में हगरावट आनी शुरु ि गयी और बाबर एवं मुगल साम्राज् क े इस्लामी आक्रमर् क े साि और इसक े बाि ईसाइयत ने महिलाओं की आजािी और अहधकार ंक सीहमत कर हिया।
  • 5. मध्ययुगीन काल समाज में भारतीय महिलाओं की स्थिहत में मध्ययुगीन काल क े िौरान और अहधक हगरावट आयी जब भारत क े क ु छ समुिाय ंमें सती प्रिा, बाल हववाि और हवधवा िुनहवषवाि िर र क, सामाहजक हजंिगी का एक हिस्सा बन गयी िी। भारतीय उिमिाद्वीि में मुसलमान ंकी जीत ने िरिा प्रिा क भारतीय समाज में ला हिया। राजथिान क े राजिूत ं में जौिर की प्रिा िी। भारत क े क ु छ हिस्स ंमें िेविाहसयां या मंहिर की महिलाओं क यौन श षर् का हशकार ि ना िडा िा। बहुहववाि की प्रिा हिन्िू क्षहत्रय शासक ंमें व्यािक रूि से प्रचहलत िी।कई मुस्स्लम िररवार ं में महिलाओं क जनाना क्षेत्र ंतक िी सीहमत रखा गया िा।
  • 6. इन िररस्थिहतय ंक े बावजूि भी क ु छ महिलाओं ने राजनीहत, साहित्य, हशक्षा और धमष क े क्षेत्र ंमें सफलता िाहसल की। रहज़या सुल्तान हिल्ली िर शासन करने वाली एकमात्र महिला सम्राज्ञी बनीं। ग ंड की मिारानी िुगाषवती ने 1564 में मुगल सम्राट अकबर क े सेनािहत आसफ़ खान से लडकर अिनी जान गंवाने से ििले िंद्रि वषों तक शासन हकया िा। चांि बीबी ने 1590 क े िशक में अकबर की शस्िशाली मुगल सेना रहज़या सुल्तान क े स्खलाफ़ अिमिनगर की रक्षा की । जिांगीर की ित्नी नूरजिााँ ने राजशािी शस्ि का प्रभावशाली ढंग से इस्तेमाल हकया और मुगल राजगद्दी क े नूरजिााँ िीछे वास्तहवक शस्ि क े रूि में ििचान िाहसल की। मुगल राजक ु मारी जिााँआरा और जेबुहिसा सुप्रहसद्ध कहवहयहत्रयााँ िीं और उन्ह ंने सत्तारूढ प्रशासन क भी प्रभाहवत हकया। हशवाजी की मााँ जीजाबाई क एक य द्धा और एक प्रशासक क े रूि में उनकी क्षमता क े कारर् क्वीन रीजेंट क े रूि में ििथिाहित हकया गया िा। िहक्षर् भारत में कई महिलाओं ने गााँव ं, शिर ंऔर हजल ंिर शासन हकया और सामाहजक एवं धाहमषक संथिान ंकी शुरुआत की।
  • 7. अंग्रेजी शासन यूरोपीय तवद्व नोों ने 19वीोंसदी में यह महसूस तकय र् तक तहोंदू मतहल एों “स्व भ तवक रूप से म सूम” और अन्य मतहल ओों से “अतिक सच्चररत्र” होती हैं। अोंग्रेजी श सन क े दौर न र म मोहन र य, ईश्वर चोंद्र तवद्य स गर, ज्योततब फ ु ले, आतद जैसे कई सुि रकोों ने मतहल ओों क े उत्थ न क े तलये लड इय ाँ लडीों ह ल ोंतक इस सूची से यह पत चलत है तक र ज युग में अोंग्रेजोों क कोई भी सक र त्मक योगद न नहीोंर् , यह पूरी तरह से सही नहीोंहै क्ोोंतक तमशनररयोों की पतिय ाँ जैसे तक म र् ा मौल्ट नी मीड और उनकी बेटी एतलज क ल्डवेल नी मौल्ट को दतिर् भ रत में लडतकयोों की तशि और प्रतशिर् क े तलये आज भी य द तकय ज त है – यह एक ऐस प्रय स र् तजसकी शुरुआत में स्र् नीय स्तर पर रुक वटोों क स मन करन पड क्ोोंतक इसे परोंपर क े रूप में अपन य गय र् । 1829 में गवनार-जनरल तवतलयम क े वेंतडश-बेंतटक क े तहत र ज र म मोहन र य क े प्रय स सती प्रर् क े उन्मूलन क क रर् बने। तविव ओों की स्स्र्तत को सुि रने में ईश्वर चोंद्र तवद्य स गर क े सोंघर्ा क प ररर् म तविव पुनतवाव ह अतितनयम 1956 क े रूप में स मने आय । कई मतहल सुि रकोों जैसे तक पोंतडत रम ब ई ने भी मतहल सशक्तीकरर् क े उद्देश्य को ह तसल करने में मदद की।
  • 8. कनाषटक में हकत्तूर ररयासत की रानी, हकत्तूर चेिम्मा ने समास्ि क े हसद्धांत (डास्रर न ऑफ़ लैप्स) की प्रहतहक्रया में अंग्रेज ंक े स्खलाफ़ सशस्त्र हवद्र ि का नेतृत्व हकया। तटीय कनाषटक की मिारानी अब्बक्का रानी ने 16वींसिी में िमलावर यूर िीय सेनाओं, उल्लेखनीय रूि से िुतषगाली सेना क े स्खलाफ़ सुरक्षा का नेतृत्व हकया। झााँसी की मिारानी रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज ंक े स्खलाफ़ 1857 क े भारतीय हवद्र ि का झंडा बुलंि हकया। आज उन्हें सवषत्र एक राष्ट्रीय नाहयका क े रूि में माना जाता िै। अवध की सि- शाहसका बेगम िज़रत मिल एक अन्य शाहसका िी हजसने 1857 क े हवद्र ि का नेतृत्व हकया िा। उन्ह ंने अंग्रेज ंक े साि सौिेबाजी से इनकार कर हिया और बाि में नेिाल चली गयीं। भ िाल की बेगमें भी इस अवहध की क ु छ उल्लेखनीय महिला शाहसकाओं में शाहमल िीं। उन्ह ंने िरिा प्रिा क निींअिनाया और माशषल आटष का प्रहशक्षर् भी हलया। चंद्रमुखी बसु, कािंहबनी गांगुली और आनंिी ग िाल ज शी क ु छ शुरुआती भारतीय महिलाओं में शाहमल िींहजन्ह ंने शैक्षहर्क हडहग्रयााँ िाहसल कीं. 1917 में महिलाओं क े ििले प्रहतहनहधमंडल ने महिलाओं क े राजनीहतक अहधकार ंकी मााँग क े हलये हविेश सहचव से मुलाकात की हजसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का समिषन िाहसल िा। 1927 में अस्खल भारतीय महिला हशक्षा सम्मेलन का आय जन िुर्े में हकया गया िा।1929 में म िम्मि अली हजिा क े प्रयास ंसे बाल हववाि हनषेध अहधहनयम क िाररत हकया गया हजसक े अनुसार एक लडकी क े हलये शािी की न्यूनतम उम्र चौिि वषष हनधाषररत की गयी िी। िालांहक मिात्मा गााँधी ने स्वयं तेरि वषष की उम्र में शािी की, बाि में उन्ह ंने ल ग ंसे बाल हववाि ंका बहिष्कार करने का आह्वान हकया और युवाओं से बाल हवधवाओं क े साि शािी करने की अिील की।
  • 9. भारत की आजािी क े संघषष में महिलाओं ने एक मित्विूर्ष भूहमका हनभायी. हभकाजी कामा, डॉ॰ एनी बेसेंट, प्रीहतलता वाडेकर, हवजयलक्ष्मी िंहडत, राजक ु मारी अमृत कौर, अरुना आसफ़ अली, सुचेता क ृ िलानी और कस्तूरबा गााँधी क ु छ प्रहसद्ध स्वतंत्रता सेनाहनय ंमें शाहमल िैं। अन्य उल्लेखनीय नाम िैं मुिुलक्ष्मी रेड्डी, िुगाषबाई िेशमुख आहि। सुभाष चंद्र ब स की इंहडयन नेशनल आमी की झााँसी की रानी रेजीमेंट क ै प्टेन लक्ष्मी सिगल सहित िूरी तरि से महिलाओं की सेना िी। एक कहवहयत्री और स्वतंत्रता सेनानी सर हजनी नायड ू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली ििली भारतीय महिला और भारत क े हकसी राज् की ििली महिला राज्िाल िीं। डॉ॰ एनी बेसेंट कस्तूरबा गााँधी लक्ष्मी सिगल
  • 10. भारत में महिलाएं अब सभी तरि की गहतहवहधय ंजैसे हक हशक्षा, राजनीहत, मीहडया, कला और संस्क ृ हत, सेवा क्षेत्र, हवज्ञान एवं प्रौद्य हगकी आहि में हिस्सा ले रिी िैं। इंहिरा गांधी हजन्ह ंने क ु ल हमलाकर िंद्रि वषों तक भारत क े प्रधानमंत्री क े रूि में सेवा की, िुहनया की सबसे लंबे समय तक सेवारत महिला प्रधानमंत्री िैं। भारत का संहवधान सभी भारतीय महिलाओं क सामान अहधकार (अनुच्छेि 14), राज् द्वारा क ई भेिभाव निींकरने (अनुच्छे ि 15 (1)), अवसर की समानता (अनुच्छेि 16), समान कायष क े हलए समान वेतन (अनुच्छेि 39 (घ)) की गारंटी िेता िै। इसक े अलावा यि महिलाओं और बच् ंक े िक्ष में राज् द्वारा हवशेष प्रावधान बनाए जाने की अनुमहत िेता िै (अनुच्छेि 15(3)), महिलाओं की गररमा क े हलए अिमानजनक प्रिाओं का िररत्याग करने (अनुच्छेि 51(ए)(ई)) और साि िी काम की उहचत एवं मानवीय िररस्थिहतयााँ सुरहक्षत करने और प्रसूहत सिायता क े हलए राज् द्वारा प्रावधान ंक तैयार करने की अनुमहत िेता िै। (अनुच्छेि 42)]
  • 11. समय रेखा उनकी स्स्र्तत में लग त र पररवतान को देश में मतहल ओों द्व र ह तसल उपलस्ियोों क े म ध्यम से उज गर तकय ज सकत है: 1879: जॉन इतलयट तड रोंकव टर तबर्यून ने 1849 में तबर्यून स्क ू ल स्र् तपत तकय , जो 1879 में तबर्यून कॉलेज बनने क े स र् भ रत क पहल मतहल कॉलेज बन गय । 1883: चोंद्रमुखी बसु और क दस्िनी ग ोंगुली तितटश स म्र ज्य और भ रत में स्न तक की तडग्री प्र प्त करने व ली पहली मतहल यें बनीों। 1886: क दस्िनी ग ोंगुली और आनोंदी गोप ल जोशी पतिमी दव ओों में प्रतशतित होने व ली भ रत की पहली मतहल यें बनीों। 1905: क र चल ने व ली पहली भ रतीय मतहल सुज न आरडी ट ट र्ीों। 1916: पहल मतहल तवश्वतवद्य लय, एसएनडीटी मतहल तवश्वतवद्य लय की स्र् पन सम ज सुि रक िोोंडो क े शव कवे द्व र क े वल प ोंच छ त्रोों क े स र् 2 जून 1916 को की गई। 1917: एनी बेसेंट भ रतीय र ष्ट्र ीय क ोंग्रेस की पहली अध्यि मतहल बनीों। 1919: पोंतडत र म ब ई, अपनी प्रतततष्ठत सम ज सेव क े क रर् तितटश र ज द्व र क ै सर-ए-तहोंद सम्म न प्र प्त करने व ली प्रर्म भ रतीय मतहल बनीों। 1925: सरोतजनी न यड ू भ रतीय मूल की पहली मतहल र्ीोंजो भ रतीय र ष्ट्र ीय क ोंग्रेस की अध्यि बनीों। 1927: अस्खल भ रतीय मतहल सम्मेलन की स्र् पन की गई। 1944: आतसम चटजी ऐसी पहली भ रतीय मतहल र्ीोंतजन्हें तकसी भ रतीय तवश्वतवद्य लय द्व र तवज्ञ न में डॉक्टरेट की उप ति से सम्म तनत तकय गय । 1947: 15 अगस्त 1947 को स्वतोंत्रत क े ब द, सरोतजनी न यड ू सोंयुक्त प्रदेशोों की र ज्यप ल बनीोंऔर इस तरह वे भ रत की पहली मतहल र ज्यप ल बनीों। 1951: डेक्कन एयरवेज की प्रेम म र्ुर प्रर्म भ रतीय मतहल व्य वस तयक प यलट बनीों।
  • 12. 1953: तवजय लक्ष्मी पोंतडत यून इटेड नेशोंस जनरल एसेिली की पहली मतहल (और पहली भ रतीय) अध्यि बनीों। 1959: अन्न च न्डी, तकसी उच्च न्य य लय (क े रल उच्च न्य य लय) की पहली भ रतीय मतहल जज बनीों। 1963: सुचेत क ृ पल नी उत्तर प्रदेश की मुख्यमोंत्री बनीों, तकसी भी भ रतीय र ज्य में यह पद साँभ लने व ली वे पहली मतहल र्ीों। 1966: क ै प्टेन दुग ा बनजी सरक री एयरल इन्स, भ रतीय एयरल इोंस, की पहली भ रतीय मतहल प यलट बनीों। 1966: कमल देवी चट्टोप ध्य य ने समुद य नेतृत्व क े तलए रेमन मैगसेसे पुरस्क र प्र प्त तकय । 1966: इोंतदर ग ाँिी भ रत की पहली मतहल प्रि नमोंत्री बनीों। 1970: कमलजीत सोंिू एतशयन गेम्स में गोल्ड जीतने व ली पहली भ रतीय मतहल र्ीों। 1972: तकरर् बेदी भ रतीय पुतलस सेव (इोंतडयन पुतलस सतवास) में भती होने व ली पहली मतहल र्ीों। 1979: मदर टेरेस ने नोबेल श स्ि पुरस्क र प्र प्त तकय और यह सम्म न प्र प्त करने व ली प्रर्म भ रतीय मतहल न गररक बनीों। 1984: 23 मई को, बचेन्द्री प ल म उोंट एवरेस्ट पर चढ़ने व ली पहली भ रतीय मतहल बनीों। 1989: न्य यमूतता एम. फ ततम बीवी भ रत क े उच्चतम न्य य लय की पहली मतहल जज बनीों। 1997: कल्पन च वल , भ रत में जन्मी ऐसी प्रर्म मतहल र्ीोंजो अोंतररि में गयीों। 1992: तप्रय त ोंगन भ रतीय र्लसेन में भती होने व ली पहली मतहल क ै डेट र्ीों(6 म चा 1993 को उन्हें कमीशन तकय गय ) 1994: हररत कौर देओल भ रतीय व यु सेन में अक े ले जह ज उड ने व ली पहली भ रतीय मतहल प यलट बनी।
  • 13. 2000: कर्ाम मल्लेश्वरी ओतलोंतपक में पदक जीतने व ली पहली भ रतीय मतहल बनीों(तसडनी में 2000 क े समर ओतलोंतपक में क ोंस्य पदक) 2002: लक्ष्मी सहगल भ रतीय र ष्ट्र पतत पद क े तलए खडी होने व ली प्रर्म भ रतीय मतहल बनीों। 2004: पुनीत अरोड , भ रतीय र्लसेन में लेस्िनेंट जनरल क े सवोच्च पद तक पहाँचने व ली प्रर्म भ रतीय मतहल बनीों। 2007: प्रततभ प तटल भ रत की प्रर्म भ रतीय मतहल र ष्ट्र पतत बनीों। 2009: मीर क ु म र भ रतीय सोंसद क े तनचले सदन, लोक सभ की पहली मतहल अध्यि बनीों। 2016: [पी वी तसोंिु ने ररयो ओलोंतपक में रजत पदक जीतकर इततह स रच । िुनीता अर डा िी वी हसंधु
  • 14. हशक्षा और आहिषक हवकास 1992-93 क े आोंकडोों क े मुत तबक भ रत में क े वल 9.2% घरोों में ही मतहल एों मुस्खय की भूतमक में हैं। ह ल ोंतक गरीबी की रेख से नीचे क े पररव रोों में लगभग 35% को मतहल -मुस्खय द्व र सोंच तलत प य गय है। ❖ हशक्षा ❖श्रमशस्ि की भागीिारी ❖भूहम और संिहत्त संबंधी अहधकार महिलाओं क े हवरुद्ध अिराध पुतलस ररकॉडा में मतहल ओों क े स्खल फ भ रत में अपर िोों क उच्च स्तर तदख ई पडत है। र ष्ट्र ीय अपर ि ररक डा ब्यूरो ने 1998 में यह ज नक री दी र्ी तक 2010 तक मतहल ओों क े तवरुद्ध अपर िोों की तवक स दर जनसोंख्य वृस्द्ध दर से कहीोंज्य द हो ज येगी. पहले बल त्क र और छे डछ ड क े म मलोों को इनसे जुडे स म तजक कलोंक की वजह से कई म मलोों को पुतलस में दजा ही नहीोंकर य ज त र् । सरक री आोंकडे बत ते हैं तक मतहल ओों क े स्खल फ दजा तकये गए अपर िोों की सोंख्य में न टकीय वृस्द्ध हई है। ❖ यौन उत्पीडन ❖ ििेज ❖ बाल हववाि ❖ कन्या भ्रूर् ित्या और हलंग क े अनुसार गभषिात
  • 15. इस अतितनयम ने तल क प्र प्त करने और क ु छ म मलोों में रखरख व क े तलए मतहल ओों को सम न अतिक र प्रद न तकए। 1. 1955 का हिंिू हववाि अहधहनयम: