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बाल वकास और
अ यापन कला
AS PER CTET & STATE TET SYLLABUS
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1
बाल वकास क अवधारणा और इसका
अ धगम सेस ब ध
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बाल वकास एक ापक अवधारणा हैजसकेअंतगत मनुय म ज म सेलेकर मृयुपयत तक होनेवालेसभी
प रमाणा मक तथा गुणा मक प रवतन को स म लत कया जाता है. 
बढ़ती उ केसाथ मनुय क शारी रक संरचना या आकार, ल बाई, भार और आतं रक अंग म होनेवाले
प रवतन केसाथ-साथ मान सक, भावना मक, सामा जक, बौ क आ द प म प रप वता वकास कहलाती है.
वकास एक मक तथा नरंतर चलनेवाली सतत या है, जो शारी रक वृ केअव हो जानेकेबाद भी
चलता रहता हैतथा ज म सेलेकर मृयुपयत चलता रहता है. 
येप रवतान एक न त दशा म होतेह जो सदैव आगेक ओर उ मुरहती है.
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वृ तथा वकास म अंतर
जन पयाजेनेकेअनुसार वकास क या म चार मो लक त व भाग लेतेहैऔर वकास इन चार त व केवीच
सं लेषण का प रणाम है| येत ब है–
1.प रप वता, 2.सामा जकता, 3.अनुभव 4. संतुलनीकरण
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वकास केस दांत
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नरंतरता का स ांत :  वकास एक नरंतर चलनेवाली या हैजो गभधारण से युपयत चलता है
वकास सामा य सेव श क ओर होता है:  वकास म का वहार सामा य सेव श क ओर होता हैअथात्
मनुय केवकास केसभी ेम सामा य त या होती हैउसकेबाद व श प धारण करती है. जैसेएक
नवजात शशुार भ म एक समय म अपनेपूरेशरीर को चलाता हैफर धीरे-धीरेव श अंग का उपयोग करने
लगता है.
पर पर स ब ध का स ांत : कशोराव था केदौरान शरीर केसाथ साथ संवेगा मक , सामा जक , सं ाना मक एवं
या मकता भी तेजी सेहोता है. 
वकास अव था केअनुसार होता है: सामा य प म देखनेपर एसा लगता हैक बालक का वकास क- क कर
हो रहा हैपर तुवा तव म ऐसा नह होता. उदहारण केलए जब बालक केध केदांत नकलतेह तप ऐसा लगता है
क एकाएक नकल गया पर तुइसक नीव गभाव था केपांचवेमाह म पद जाती हैऔर 5-6 महीनेम आती है
वकास एक सतत या है:  वकास एक सतत या है, मनुय केजीवन म यह चलता रहता है. वकास क ग त
कभी ती या अमंद हो सकती है. मनुय म गुण का वकास यकायक नह होता.
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वकास केस दांत
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बालक केव भ गुण पर पर स बं धत होतेह: बालक केवकास का व भ व प पर पर स बं धत होतेह. एक
गुण का वकास जस कार हो रा हैअ य गुण भी उसी अनुपात म वक सत ह गे.
वकास क या का एक करण होता है:  वकास क या एक करण केस ांत का पालन करती है. इसके
अनुसार बालक पहलेअपनेस पूण अंग को और फर अंग केभाग को चलाना सीखता हैबाद म वह इन भाग का
एक करण करना सीखता है.
वकास का एक न त त प होता है: मनुय केवकास का एक म म होता हैऔर वकास क ग त का तमान
भी समान रहता है. स पूण व म सभी सामा य बालक का गभाव था या ज म केबाद वकास का म सर सेपैर
क ओर होता है. गेसेल और हरलॉक नेइस स ांत क पुक है.
वकास ब आयामी होता है : इसका  मतलब हैक वकास कुछ छेम अ धक व कुछ म कम होता है 
वृ एवं वकास क ग त क दर एक समान नह होती .
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वकास क अव थाएं
 बाल वकास क या भुनाव था सेजीवन भर चलती हैफर भी मनोवैा नक नेबालक क अव था को
वभा जत करनेका य न कया हैजो इस कार है .
(अ) रोस केअनुसार :-
(1) शैशवकाल                    1 से3 वष तक
(2) पूव-बा याव था              3 से6 वष तक
(3) उ र- बा याव था          6 से12 वष तक
(4) कशोराव था                  12 से18 वष तक
(स) हरलोक केअनुसार :- 
(1) गभाव था                     गभधारण  सेज म तक
(2) नवजात अव था       ज म से14 दन तक
(3) शैशवाव था         14 दन से2 वष क आयुतक
(4) बा याव था           2 वष से11 वष क आयुतक
(5) कशोराव था       11 वष से21 वष क आयुतक
(ब) जो स केअनुसार :-
(1) शैशवाव था                  ज म से5 वष क आयुतक
(2) बा याव था                    5 वष से12 वष क आयुतक
(3) कशोराव था                 12 वष से18 वष क आयुतक
(द) सामा य वग करण : - अब अ धकाँश व ान्सामा य
वग करण को हो मानतेहैजो इस कार है:- 
(1) शैशवाव था                   ज म से6 वष क आयुतक 
(2) बा याव था                    6 वष से12 वष क आयुतक 
(3) कशोराव था                 12 वष से18 वष क आयुतक
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मानव वकास व भ अव था सेहोकर गुजरता है; इ ह न न अव था म वभा जत कया जा सकता है:
गभाव था :  यह अव था गभाधान सेज म केसमय तक, 9 म हना या 280 दन तक मानी जाती है.
वशेषताएं:
इस अव था म वकास क ग त ती होती है.
शरीर केसम त अंग क रचना और आकृतय का नमाण होता है.
इस अव था म होनेवालेप रवतन मुयतः शारी रक होतेह.
शैशवाव था:  ज म सेपांचवेवष तक क अव था को शैशवाव था कहा जाता है. इस अव था को समायोजन क अव था भी कहते
ह.
वशेषताएं:
इस अव था म बालक अप रप व होता हैतथा वह पूणतया सर पर नभर रहता है.
यह अव था संवेग धान होती हैतथा बालक केभीतर लगभग सभी मुख संवेग जैसे- स ता, ोध, हष, ेम, घृणा, आ द
वक सत हो जातेह.
ायड नेइस अव था को बालक का नमाण काल कहा है. उनका मानना था क “मनुय को जो भी बनाना होता है, वह ारं भक पांच
वष म ही बन जाता है”.
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बा याव था: पांच सेबारह वष क अव ध को बा याव था कहा जाता है. यह अव था शारी रक और मान सक वकास क ी
सेमह वपूण होती है.
वशेषताएं:
ब चेब त ही ज ाशुवृत का हो जाता उनम जाननेक बल इ छा होती है.
ब च म पूछनेक वृत वक सत होती है.
सामा जकता का अ धकतम वकास होता है
इस अव था म ब च म म बनानेक बल इ छा होती है
बालक म ‘समूह वृत’ (Gregariousness) का वकास होता है
कशोराव था: 12-20 वष क अव ध को कशोराव था माना जाता है. इस अव था को जीवन का सं धकाल कहा गया है.
वशेषताएं:
इस अव था म बालक म सम या क अ धकता, क पना क अ धकता और सामा जक अ थरता होती हैजसम वरोधी
वृतय का वकास होता है.
इस अव था म बालक म वपरीत लग के त आकषण बढ़ता हैऔर वेभावी जीवन साथी क तलाश भी करतेहै.
कशोर म अनुशासन तथा सामा जक नयं ण का भाव वक सत होनेलगता है
इस अव था म समायोजन क मता कम पायी जाती है.
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ोढ़ाव था: 21-60 वष क अव था ोढ़ाव था कहलाती है. यह गृह थ जीवन क अव था हैजसम को जीवन
क वा त वकता का बोध होता हैऔर वा त वक जीवन क अ तः याएं होती है.
वशेषताएं:
इस अव था म अपनेजीवन केल य को पानेक को शश करता है.
आ म नभर होता है
क तभा उभर कर सामनेआती है
वृाव था:  60 वष सेजीवन केअंत समय तक क अव ध को वृाव था कहा जाता है;
वशेषताएं:
यह ास क अव था होती है, इस आयुम शारी रक और मान सक मता का ास होनेलगता है.
मरण क कमजोरी, नणय क मता म कमी, समायोजन का आभाव आ द इस अव था क वशेषताएं है.
इस अव था म म अ या मक चतन क ओर बढ़ता है.
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बालक का श द भंडार
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बालक क आयु बालक का श द भंडार
ज म से8 माह तक 0
9 -12 माह तक 3-4 श द
1.5 वष तक 10-12 श द
2 वष तक 272 श द
2.5 वष तक 450 श द
3 वष तक 1000 श द
3.5 वष तक 1250 श द
4 वष तक 1600 श द
5 वष तक 2100 श द
11 वष तक 50000 श द
14 वष तक 80000 श द
16 वष तक 1 लाख सेअ धक श द
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आनुवां शकता और पयावरण का भाव

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वंशानुम: जीव केमान सक एवं शारी रक गुण का एक पीढ़ सेसरेपीढ़ म थानांतरण को वंशानुम या
आनुवं शकता कहतेह.
व भ व ान नेअनुवां शकता को इस कार प रभा षत कया है:
बीएन झा “वंशानुम, क ज मजात वशेषता का पूण योग है”
पी. ज वट “ कृत म येक पीढ़ का काय माता- पता ारा संतानूं म कुछ जैवक य या
मनोवैा नक वशेषता का ह तांतरण करना है. इस कार ह तांत रत
वशेषता क मली जुली गठरी को वंशानुम कहा जाता है.”
एच ए पीटरसन “ को अपनेमाता- पता सेअपनेपूवज क जो वशेषताएं ा त होती हैउसे
उसेवंशानुम कहा जाता है.”
जेस ेवस “माता- पता क शारी रक एवं मान सक वशेषता का संतान म ह तांतरण होना
वंशानुम कहलाता है”
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बालक पर वंशानुम का भाव:
थोनडाईक बालक क मूल श य का मुख कारण उसका वंशानुम है.
काल
पीयसन
माता- पता क ल बाई का भाव उनक संतान पर पड़ता हैअथात य द माता- पता क ल बाई
कम या अ धक हैतो उनकेब चेक भी ल बाई कम या अ धक होती है.
लीनबग बु क ेता का कारण जा त है. जैसेअमेरका क ेत जा त, नी ो सेेहै.
कैटल  वसा यक यो यता का मुय कारण वंशानुम है
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बालक पर वातावरण का भाव


वातावरण :वातावरण, पयावरण का पयायवाची श द हैजो दो श द प र तथा आवरण सेमलकर बना है. प र
का अथ होता हैचर ओर एवं आवरण का अथ होता हैइस आवृत करनेवाला अथात ढकनेवाला .
वातावरण का ता पय केउन सभी तरह क उ ेजना सेहैजो गभधारण सेमृयुतक उसेभा वत करती
है.
ज बो स वातावरण म बदलाव केकारण मनुय का शारी रक वकास भा वत होता है. उनके
अनुसार व भ जा तय केशारी रक अंतर का कारण वंशानुम न होकर वातावरण
है.
लाक कुछ जा तय क ेता का कारण वंशानुम न होकर वातावरण है. अमेरका म रह
रहेनी ो जा त का मान सक तर ेत जा त क तुलना म भुत न न है, य क उ ह
ेत जा त केसमान शैक, सां कृतक एवं सामा जक वातावरण उपल ध नह है.
कूले  व पर वंशानुम क अपेा वातावरण का अ धक भाव पड़ता है. ब त सेऐसे
व ान केउदहारण ह जनका ज म नधन प रवार म आ था फर भी वेअपने
त व का वकास करकेमहान बन सकेकय क उनकेमाता- पता नेउ ह उ चत
वातावरण म रखा
13
सं ाना मक वकास पर पयागेट का स ांत
पयाजेका स ा त,  वकासी अव था स ा त(developmental stage theory) कहलाता है।
यह स ा त  ान क कृत केबारेम हैऔर बतलाता हैक मानव कैसेान मशः इसका अजन करता है, कैसेइसेएक-एक
कर जोड़ता हैऔर कैसेइसका उपयोग करता है।
यां पयाजेनेसं ाना मक वकास को चार अव था म वभा जत कया है-
संवेदक पेशीय अव था (Sensory Motor) : ज म के2 वष
बालक केवल अपनी संवेदना और शा ररीक या क सहायता सेान अ जत करता है।
ब चा जब ज म लेता हैतो उसकेभीतर सहज याएँ (Reflexes) होती ह
इन सहज या और ान य क सहायता सेब चा व तु व न , पश, रसो एवं गंध का अनुभव ा त करता हैऔर
इन अनुभव क पुनरावृ केकारण वातावरण म उप थत उ पक क कुछ वशेषता सेप र चत होता है।
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पूव-सं या मक अव था (Pre-operational) : 2-7 वष
बालक वके त व वाथ न होकर सर केस पक सेान अ जत करता है
अब वह खेल, अनुकरण, च नमाण तथा भाषा केमा यम सेव तु केसंबंध म अपनी जानकारी अ धका धक
बढ़ाता है.
 धीरे-धीरेवह तीक को हण करता हैक तुकसी भी काय का या संबंध होता हैतथा ता कक च तन के त
अन भ रहतेह
मूत सं या मक अव था (Concrete Operational) : 7 से12 वष
बालक व ालय जाना ांरभ कर लेता हैएवं व तु एव घटना केबीच समानता, भ ता समझनेक मता
उ पन हो जाती हैइस अव था म बालक म सं या बोध, वग करण, मानुसार व था कसी भी व तु, के
म य पार प रक संबंध का ान हो जाता है।
वह तक कर सकता है।
वह अपनेचार ओर केपयावरण केसाथ अनुकूल करनेकेलयेअनेक नयम को सीख लेता है।
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अमूत सं या मक अव था (Formal Operational) : 12 से15 वष
ता कक चतन क मता का वकास
सम या समाधान क मता का वकास
वा त वक-आवा त वक म अ तर समझनेक मता का वकास
वा त वक अनुभव को का प नक प र थ तय म ढालनेक मता का वकास
प रक पना वक सत करनेक मता का वकास
वसंगं तयाँ केसंबंध म वचार करनेक मता का वकास
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कोलबग का नैतक वकास का स ा त



नैतक गुण का अथ होता है,अ छाई और बुराई का ान होना .
कोलबग नेनैतकता तथा च र केवकास क कुछ न त और सावभौ मक तीन तर अथवा ६ अव थाएं
बताई ह.
पूव नैतक तर (4-10 वष) : यह नैतक च तन का सबसेनचला चरण है। इस चरण म या सही और गलत
है, पर बाहर सेमलनेवाली सजा और उपहार का भाव पड़ता है।
चरण 1 : बाहरी स ा पर आधा रत: यहां नैतक सोच, सजा सेबंधी होती है। जैसेब चेयह मानतेह क उ ह बड़ क बात माननी चा हए
नह तो बड़ेउ ह द डत करगे।
चरण 2 : के त, एक सरेका हत साधनेपर आधा रत नैतक चतन : यहां ब चा सोचता हैक अपनेहत केअनुसार काय
करनेम कुछ गलत नह है, पर हम साथ म सर को भी उनकेहत केअनुप काम करनेका मौका देना चा हए। अतः इस
तर क नैतक सोच यह कहती हैक वही बात सही हैजसम बराबरी का लेन-देन हो रहा हो। अगर हम सरेक कोई इ छा
पूरी कर द तो वेभी हमारी इ छा पूरी कर दगे।
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 पर परागत नैतक तर (10-१३ वष) : यह कोलबग केनैतक वकास केस ांत क
सरी अव था है। इस अव था म लोग एक पूव आधा रत सोच सेचीज को देखतेह।
जैसेदेखा गया हैक अ सर ब च का वहार उनकेमां-बाप या कसी बड़े
ारा बनाए गए नयम पर आधा रत होता है।
चरण 3 : अ छेआपसी वहार व स ब ध पर आधा रत नैतक च तन :  इस थ त म लोग व ास, सर का
याल रखना, सर केन प वहार को अपनेनैतक वहार का आधार मानतेह। ब चेऔर युवा
अपनेमाता- पता ारा नधा रत कयेगए नैतक वहार केमापद ड को अपनातेहैजो उ ह उनके
माता- पता क नजर म एक "अ छा लड़का या अ छ लड़क "‘ बनातेह।
चरण 4 : सामा जक व था बनाए रखनेपर आधा रत नैतक च तन:  इस थ त म लोग केनैतक वकास क
अव था सामा जक आदेश, कानून, याय और क पर आधा रत होती हैजैसेकशोर सोचतेह क
समाज अ छेसेचलेइसकेलए कानून केारा बनाए गए दायरेकेअ दर ही रहना चा हए
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 आ मा अंगीकृत नैतक तर (१३-१८ वष) : यह कोलबग केनैतक वकास केस ांत क
पांचव अव था है। इस थ त म वैक पक रा तेखोजेजातेह और फर अपना एक गत
नैतक वहार का रा ता ढूंढा जाता है।
चरण 5 : सामा जक अनुब ध, उपयो गता और गत अ धकार पर आधा रत नैतक च तन :  इस अव था म
यह सोचनेलगता हैक कुछ मूय, स ांत और अ धकार कानून सेभी ऊपर हो सकतेह।
वा त वक सामा जक व था का मूयांकन इस सेकरनेलगता हैक वेकस हद तक मूल अ धकार व
मूय का संर ण करतेहै।
चरण 6 : सावभौ मक नी त स मत स ांत पर आधा रत नैतक च तन : इस अव था म सावभौ मक
मानवा धकार पर आधा रत नैतक मापद ड बनाता है। जब भी कोई अ तआ मा क आवाज केंद केबीच
फं सा होता हैतो वह यह तक करता हैक अ तआ मा क आवाज केसाथ चलना चा हए, चाहेवो नणय
जो खम सेभरा ही य न हो। इसी लए उसेकुछ भी करनेसेपहलेअपनी भावना केअलावा और क ज दगी
केबारेम भी सोचना चा हए था।
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वाइगो सक केसामा जक वकास का
स ा त


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

इस स ा त केअनुसार सामा जक अ तः या (इ तरैशन) ही बालक क सोच व वहार म नर तर
बदलाव लाता हैजो एक सं कृत सेसरेम भ हो सकता है। उनकेअनुसार कसी बालक का सं ाना मक
वकास उसकेअ य य सेअ तस ब ध पर नभर करता है।
वायगा क नेअपनेस ा त म सं ान और सामा जक वातावरण का स म ण कया .
सामा जक-सां कृतक स ा त केकई मुख त व है।
थम मह वपूण त व है- गत भाषा : इसम बालक अपनेवहार को नयं त और नद शत करनेके
लए वयं सेबातचीत करतेहै।
सरा मह वपूण त व है- नकटतम वकास का े: बालक अपनेवा त वक वकास तर सेआगेजाकर
सम या का समाधान कर सकतेहैय द उ ह थोड़ा नदश मल जाए। इस तर को वायगा क ने स भा वत
वकास कहा। बालक केवा त वक वकास तर और स भा वत वकास तर केबीच केअ तर/ ेको वायगा क
ने  नकटतम वकास का े कहा
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बाल-के त तथा ग तशील श ा

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
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


जॉन डीवी नेबा क त श ा का समथन कया है. 
जॉन डीवी ने"लैब व ालय को ग तशील व ालय " का उदाहरण माना है. 
ग तशील श ा केवल ता वत पा पुतक पर आधा रत अनुदेश म व ास नह करती, न ही मा  अ छेअंको
को ा त करनेबल दया जाता है. 
ग तशील श ा म अ ययन क समय -सरणी और बैठक - व था आ द म पया त लचीलापन होता है.
बाल-के त श ा प त अपनाकर " श ण सेअ धगम" पर बल दया जा सकता है.
छा म मु ढंग सेसखनेक यो यता का वकास  करना ही बाल के त श ा का उ ेय होता है. 
बाल के त श ा म बालक क अ धगम- या म पूण सहभा गता ली जाती है. 
बाल के त श ा कृतवाद क दन है. ाकृतक ान का स ांत बताता हैक वाभा वक प सेसखने और
वक सत होनेका अ धकार बालक का ही है. 
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बु




बु (Intelligence) वह मान सक श हैजो व तु एवं त य को समझने, उनम आपसी स ब ध खोजनेतथा
तकपूण ान ा त करनेम सहायक होती है।
बु केप :
1. काया मक प 2. संरचा मक प 3. या मक प
बु केकार :
1.सामा जक बु 2.मूत बु 3.अमूत बु
बु को नधा रत करनेवालेत व
1. वंशानुम
2. वातावरण
3. वंशानुम तथा वातावरण क अ तः या
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बु केस ा त
एक कारक स ा त  बने, टमन, टन
त व स ा त पीयर मेन
कारक बु स ा त पीयर मेन
ब कारक बु स ा त थानडाइक
समूह कारक बु स ा त थ टन
तदश स ा त  थॉमसन
तरल ठोस बु स ा त कैटल
पदानुमत बु स ा त बट तथा वनन
-आयाम बु स ा त गलफोड
ब बु स ा त होवड गाडनर
तं स ा त रोबट टैनबग
23
बुल ध एवं उसका मापन



बुल ध, बालक या क सामा य यो यता केवकास क ग त बताती है।
कोल केश द म ‘‘बुल ध यह बताती हैक मान सक यो यता म कस ग त सेवकास हो रहा है।’’
बुल ध नकालनेका सू:
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बु ल ध का वग करण
बु ल ध बु ल ध केकार
20-25 महामूख (IDIOT)
25-50 मूख (IMBECILE)
50-70 अ प (MORONS)
70-80 ीण (FEEBLE MIND)
80-90 मंद (DULL MIND)
90-110 सामा य (AVERAGE)
110-120 े(SUPERIOR)
120-140 अ त े(VERY SUPERIOR)
140 - अ धक तभाशाली (GENIUS)
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बु ल ध (I.Q.) ात करनेकेसूका
तपादक – व लयम टन (1912)
बु ल ध (I.Q.) ात करनेकेसूका
सव थम योग – (1916)
बु ल ध (Intelligent Quotient) श द का
सव थम योग – टरमन
मान सक आयु(Mental Age) श द का
सव थम योग – बने(1908)
बु ल ध का वग करण- टरमन
25
बु परी ण
 ांस केबनेको बु मापन केयुग का वतक माना जाता है. उ ह नेसाइमन केसाथ मल कर 1905 म थम
सफल बु परी ण कया .
बु परी ण केकार
तुतीकरण भाषा केारा च या मूत साम ी केारा
एक पर  शा दक गत बु परी ण अशा दक गत बु
परी ण
अनेक य पर शा दक सामूहक बु परी ण अशा दक सामूहक बु
परी ण
1.
2.
सामूहक बु परी ण केउदाहरण :
आम अ फा (Army Alpha) सामूहक बु परी ण
आम बीटा (Army Beta) सामूहक बु परी ण
1.
2.
गत बु परी ण केउदाहरण :
पोर टयस भूल – भुलैया
वैर-वैयूब बु परी ण
भारत का बु परी ण - 'भा टया बैऑफ परफोरमस टेट ऑफ इ टेलीजेस' 26
संवेग
 मनुय अपनी रोजाना क ज दगी मेसुख, ख,भय, ोध, ेम,घृणा आ द का अनुभव करता है। वह ऐसा वहार
कसी उ ेजनावश करता है।यही अव था संवेग कहलाती है।
संवेग क दशाएं :
1 - ती ता : बालक > वय क
अ श त > श त
म हला > पुष
2 - ापकता: पशुसेलेकर मनुय तक , सभी ाणी अपनेब च
सेेम करतेह .य द उनका ब चा पास सेहटाया जायेतो
सभी ो धत हो जातेह.
3 - ैकता: जब थ त समान हो लेकन अलग अलग य
केारा अलग अलग संवेग कट कया जाता है.
4 - वचार श य का लोप: ोध म सोचने, समझनेक मता या
श य का लोप हो जाता है.
संवेग केकार-:
संवेगो का स ब ध मूल वृय सेहोता है। जो इस कार
ह- (मैडूगल केअनुसार - १४ )
१. भय, २. घृणा, ३. क णा व :ख,
४.आ य, ५.आ मा भमान, ६, भूख,
७. कृतभाव, ८. ोध, ९. वा स य,
१०.कामुकता, ११.आ महीनता, १२.एकाक पन,
१३.अ धकार भाव, १४.आमोद।
27
अ धगम
 येक त दन नए-नए अनुभव एक त करता है, इन नए अनुभव सेउसके वहार म प रवतन आता है।
इस कार नए अनुभव एक त करना तथा इनसेवहार म प रवतन आनेक या ही अ धगम है। अ धगम
या नरंतर चलनेवाली ओर सावभौ मक या है।
अ धगम क  प रभाषाय :-
कनर “अ धगम  वहार म उतरो र सामंज य क या है।”
 वुडवथ “नवीन  ान ओर नवीन  त या  को  ा त करने
क   या ही अ धगम है।”
ो एवं  ो  “आदत ,  ान ओर अ भवृत  का अजन ही अ धगम है।”
गलफोड  “ वहार के कारण  वहार म प रवतन ही अ धगम है।”
गेट्स व अ य “अनुभव और  श ण  ारा  वहार म प रवतन ही अ धगम है।”
मागन एवं  गलीलैड  “सीखना, अनुभव के प रणाम व प  ाणी के  वहार म प रमाजन है जो
ाणी  ारा कुछ समय के  लए धारण कया जाता है।” 28
अ धगम को  भा वत करनेवालेकारक
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पुव अ धगम वषय व तुका
व प
वषय के त
मनोवृत
सीखनेक इ छा सीखनेक   व ध 
अ भ ेरणा वातावरण थकान शारी रक व
मान सक वा य
वंशानुम
 अ धगम केस ांत (संबंधवाद का स ांत)
उपनाम 
1.उ पन-अनुया का स ांत  2. यास एवं ुट का स ांत   3.संयोजनवाद का स ांत
4. अ धगम का ब ध स ांत   5. य न एवं भूल का स ांत  6.  S-R योरी
29










मह वपूण त य :-
यह स ांत  स  अमेरक  मनोवैा नक 'एडवड एल. थानडाइक'  ारा  तपा दत कया गया।
 यह स ांत थानडाइक ारा सन 1913 ई. म  दया गया।
 थानडाइक ने अपनी पुतक " श ा मनो व ान" म इस  स ांत का वणन कया ह।
 थानडाइक ने अपना योग ”भूखी  ब ली” पर कया।
 भूखी  ब ली को  जस बॉ स म ब ध कया उस बॉ स को "पज़ल बॉ स"(Pazzle Box) कहतेह।
भोजन या उ पक के प म थानडाइक ने"मछली" को रखा।
थानडाइक के  नयम :- दो नयम दए थे
मुय नयम
ग ण नयम
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

मुय नयम :-
1.  त परता का  नयम :- यह  नयम काय करने से पूव त पर या तैयार कए जाने पर बल देता है। 
2.  अ यास का नयम :-  यह  नयम  कसी काय या सीखी गई वषय व तुकेबार-बार अ यास करनेपर बल देता है। 
3.   भाव (प रणाम) का नयम :- इस नयम को स तोष तथा अस तोष का नयम भी कहतेहै। इस नयम
के अनुसार  जस काय को करनेसेाणी को सुख व स तोष मलता है, उस काय को वह बार-बार करना चाहता है
और इसकेवपरीत जस काय को करने सेःख या अस तोष  मलता है, उस काय को वह दोबारा नही करना
चाहता है।
ग ण नयम :-
1.  ब - त या का नयम :- इस नयम के अनुसार जब ाणी केसामनेकोई प र थ त या सम या उ प हो जाती है
तो उसका समाधान करनेकेलए वह अनेक कार क त याएं करता.  यास एवं ुट का स ांत इसी नयम
पर आधा रत ह।
2.  मनोवृ का नयम :-  इस नयम को मान सक व यास का नयम भी कहतेहै। इस नयम के अनुसार जस
काय के त हमारी जैसी अ भवृत या मनोवृत होती है, उसी अनुपात म हम उसको सीखतेह।
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3.  आं शक या का नयम :- इस नयम के अनुसार  कसी काय को छोटे-छोटेभाग म वभा जत करनेसेकाय
सरल और सुवधानक बन जाता है।  इस नयम पर 'अंश सेपूण क ओर' का श ण का स ांत आधा रत
कया जाता है।
4.  सा यता अनुया का नयम :- इस नयम को आ मीकरण का नयम भी कहतेहै। यह नयम पूव
अनुभव पर आधा रत है। जब ाणी केसामनेकोई नवीन प र थ त या सम या उ प होती हैतो वह उससे
मलती-जुलती प र थ त या सम या का मरण करता है, जसका वह पूव म अनुभव कर चुका है। 
5.  साहचय प रवतन का नयम :- इस नयम के अनुसार एक उ पक के त होनेवाली अनुया बाद म
कसी सरेउ पक सेभी होनेलगती है।  सरे श द  म, पहलेकभी क गई या को उसी के समान सरी
प र थ त  म उसी कार से करना । थानडाइक ने पावलव के“शा ीय अनुब धन” को ही साहचय प रवतन
केनयम के प म कया।
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या सूत अनुबंधन का स ांत





तपादक : B.N. कनर
अथ : “ अनुया क दर को मापना”
याशीलता बालक म अ भ ेरणा (Motivation) सेवक सत होती है.
योग : चूहेऔर कबूतर पर
Note : यह स ांत बालक तथा पशु पर लागूहोता है.पर तुववेकशील ा णयो पर लागूनह होता है.
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अ त का स ांत 




गेटा टवाद स दाय केजनक = कोहलर, वद मर, को का
सूझ या बुझ का स ांत     = कोहलर, वद मर, को का
कोहलर का योग :
योग : बुमान ब दर 'सुलतान‘
कोहलर का कहना हैक “जब ाणी सम या का समाधान करनेकेयास म श थल एवं न य हो जाता है, तो
फर कुछ समय केबाद अचानक उसम सूझ अपनेआप उ प हो जाता हैऔर वेअपनेसम या का समाधान कर
लेता है.”
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व
अथ : 'मुखोटा (Mask)‘
प रभाषा:
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गलफोड व गुण का सम वत प है।
वुडवथ के वहार क एक सम वशेषता ही व है।
माटन व केज मजात तथा अ जत वभाव, मूल वृय , भावना तथा
इ छा आ द का समुदाय है।
बग एवं हंट  व वहार वृय का एक सम प है, जो केसामा जक
समायोजन म अ भ होता है।
ऑलपोट व का स ब ध मनुय क उन शारी रक तथा आ त रक वृय सेहै, जनके
आधार पर अपनेवातावरण केसाथ समायोजन था पत करता है।
35
व केमुख स ा त




मनो व ेषणा मक स ा त : इस स ा त का तपादन ायड नेकया था। उनकेअनुसार व के
तीन अंग है- 
(i). इदम्(Id)
(ii). अहम्(Ego)
(iii). परम अहम्(Super Ego)
इदम्(Id) : यह ज मजात कृत है। इसम वासनाएँ और द मत इ छाएँ होती है। यह त काल सुख व संतु
पाना चाहता है। यह पूणतः अचेतन म काय करता है। यह 'पा कता का तीक' है।
अहम्(Ego) : यह सामा जक मा यता व पर परा केअनुप काय करनेक ेरणा देता है। यह
सं कार, आदश, याग और ब लदान केलए तैयार करता है। यह 'देव व का तीक' है।
परम अहम्(Super Ego) : यह इदम्और परम अहम्केबीच संघष म म य थता करतेए इ हेजीवन क
वा त वकता सेजोड़ता हैअहम्‘मानवता का तीक’ है,
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







 शरीर रचना स ा त : ( तपादन- शैडन)
शारी रक गठन केआधार पर य को तीन भाग - गोलाकृत, आयताकृत, और लंबाकृत
वशेषक स ा त: ( तपादन –कैटल)
कारक व ेषण नाम क सां यक य व ध का उपयोग करके व को अ भ
करनेवालेकुछ सामा य गुण खोजे, ज ह ' व वशेषक' नाम दया।
इसकेकुछ कारक है- धना मक च र , संवेगा मक थरता, सामा जकता, वृ आ द।
माँग स ा त  ( तपादक – हेनरी मुरे)
वातावरण केअंदर कुछ माँगो को उ प करता है। यह माँगेही केारा कए
जानेवाले वहार को नधा रत करती है।
मुरेने व माँग क 40 माँगेात क ।
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गोलाकृत भोजन य, आराम पसंद, शौक न मजाज, परंपरावाद , सहनशील, सामा जक तथा
हँसमुख कृत
आयताकृत रोमांच य, भुववाद , जोशीले, उ ेय क त तथा ोधी कृत
ल बाकृत गुमसुम, एकांत य अ प न ा वाले, एकाक , ज द थक जानेवालेतथा न ुर
कृत
37
व केकार
1. कैचमर का ‘शरीर रचना’ पर आधा रत वग करण :
(i). श हीन (ए थेनक)
(ii). खलाड़ी (एथलेटक)
(iii). नाटा ( पक नक)।
2. क पल मुन का ‘ वभाव’ पर आधा रत वग करण :
(i). स व धान
(ii). राजस धान
(iii). तमस धान ।
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3. थानडाइक का ‘ चतन’ पर आधा रत वग करण :
(i). सूम वचारक
(ii). य वचारक
(iii). थूल वचारक।
4. गर का ‘समाज’ स बं धत वग करण :
(i). वैचा रक				(ii). आ थक
(iii). स दया मक			(iv). राजनैतक
(v). धा मक				(vi). सामा जक।
38
जुंग ारा कया गया मनोवैा नक वग करण 
 जुंग का वग करण सव म माना जाता है. इ ह नेमनोवैा नक ल ण केआधार पर व केतीन भेद मानेजाते है
–
(i). अ तमुखी-अंतमुखी छपनेवाले, आदशवाद और संकोची वभाव वालेहोतेहै। इसी वभाव केकारण वेअपनेवचार को
प प से करनेम असफल रहतेहै। येबोलना और मलना कम पसंद करतेहै। पढ़नेम अ धक च लेतेहै।
इनक काय मता भी अ धक होती है।
(ii). ब हमुखी-ब हमुखी भौ तक और सामा जक काय म वशेष च लेतेहै। येमेलजोल बढ़ानेवालेऔर वाचाल
होतेह। येअपनेवचार और भावना को प प से कर सकतेह। इनमेआ म व ास चरम सीमा पर होता है.
(iii). उभयमुखी-इस कार के कुछ प र थ तय म ब हमुखी तथा कुछ म अंतमुखी होतेहै। जैसेएक
अ छा बोलनेवाला और लखनेवाला है, क तुएकांत म काय करना चाहता है।
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 व को भा वत करनेवालेकारक :
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वंशानुम का भाव सामा जक वातावरण
का भाव
प रवार का भाव सां कृतक वातावरण
का भाव 
व ालय का भाव  संवेगा मक वकास मान सक यो यता व
च का भाव
शारी रक भाव
 त व मापन क मुख
व धयाँ
ासं गक अंतब ध परी ण (T.A.T.) - मोगन व मुरे
बाल अंतब ध परी ण (C.A.T.) - लयोपो ड बैलक
याही ध बा परी ण (I.B.T.) -  हरमन रोशा
वा य पूत परी ण (S.C.T.) - पाईन व टडलर
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  • 2. बाल वकास क अवधारणा और इसका अ धगम सेस ब ध     बाल वकास एक ापक अवधारणा हैजसकेअंतगत मनुय म ज म सेलेकर मृयुपयत तक होनेवालेसभी प रमाणा मक तथा गुणा मक प रवतन को स म लत कया जाता है.  बढ़ती उ केसाथ मनुय क शारी रक संरचना या आकार, ल बाई, भार और आतं रक अंग म होनेवाले प रवतन केसाथ-साथ मान सक, भावना मक, सामा जक, बौ क आ द प म प रप वता वकास कहलाती है. वकास एक मक तथा नरंतर चलनेवाली सतत या है, जो शारी रक वृ केअव हो जानेकेबाद भी चलता रहता हैतथा ज म सेलेकर मृयुपयत चलता रहता है.  येप रवतान एक न त दशा म होतेह जो सदैव आगेक ओर उ मुरहती है. Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 2
  • 3. वृ तथा वकास म अंतर जन पयाजेनेकेअनुसार वकास क या म चार मो लक त व भाग लेतेहैऔर वकास इन चार त व केवीच सं लेषण का प रणाम है| येत ब है– 1.प रप वता, 2.सामा जकता, 3.अनुभव 4. संतुलनीकरण Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 3
  • 4. वकास केस दांत      नरंतरता का स ांत :  वकास एक नरंतर चलनेवाली या हैजो गभधारण से युपयत चलता है वकास सामा य सेव श क ओर होता है:  वकास म का वहार सामा य सेव श क ओर होता हैअथात् मनुय केवकास केसभी ेम सामा य त या होती हैउसकेबाद व श प धारण करती है. जैसेएक नवजात शशुार भ म एक समय म अपनेपूरेशरीर को चलाता हैफर धीरे-धीरेव श अंग का उपयोग करने लगता है. पर पर स ब ध का स ांत : कशोराव था केदौरान शरीर केसाथ साथ संवेगा मक , सामा जक , सं ाना मक एवं या मकता भी तेजी सेहोता है.  वकास अव था केअनुसार होता है: सामा य प म देखनेपर एसा लगता हैक बालक का वकास क- क कर हो रहा हैपर तुवा तव म ऐसा नह होता. उदहारण केलए जब बालक केध केदांत नकलतेह तप ऐसा लगता है क एकाएक नकल गया पर तुइसक नीव गभाव था केपांचवेमाह म पद जाती हैऔर 5-6 महीनेम आती है वकास एक सतत या है:  वकास एक सतत या है, मनुय केजीवन म यह चलता रहता है. वकास क ग त कभी ती या अमंद हो सकती है. मनुय म गुण का वकास यकायक नह होता. Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 4
  • 5. वकास केस दांत      बालक केव भ गुण पर पर स बं धत होतेह: बालक केवकास का व भ व प पर पर स बं धत होतेह. एक गुण का वकास जस कार हो रा हैअ य गुण भी उसी अनुपात म वक सत ह गे. वकास क या का एक करण होता है:  वकास क या एक करण केस ांत का पालन करती है. इसके अनुसार बालक पहलेअपनेस पूण अंग को और फर अंग केभाग को चलाना सीखता हैबाद म वह इन भाग का एक करण करना सीखता है. वकास का एक न त त प होता है: मनुय केवकास का एक म म होता हैऔर वकास क ग त का तमान भी समान रहता है. स पूण व म सभी सामा य बालक का गभाव था या ज म केबाद वकास का म सर सेपैर क ओर होता है. गेसेल और हरलॉक नेइस स ांत क पुक है. वकास ब आयामी होता है : इसका  मतलब हैक वकास कुछ छेम अ धक व कुछ म कम होता है  वृ एवं वकास क ग त क दर एक समान नह होती . Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 5
  • 6. वकास क अव थाएं  बाल वकास क या भुनाव था सेजीवन भर चलती हैफर भी मनोवैा नक नेबालक क अव था को वभा जत करनेका य न कया हैजो इस कार है . (अ) रोस केअनुसार :- (1) शैशवकाल                    1 से3 वष तक (2) पूव-बा याव था              3 से6 वष तक (3) उ र- बा याव था          6 से12 वष तक (4) कशोराव था                  12 से18 वष तक (स) हरलोक केअनुसार :-  (1) गभाव था                     गभधारण  सेज म तक (2) नवजात अव था       ज म से14 दन तक (3) शैशवाव था         14 दन से2 वष क आयुतक (4) बा याव था           2 वष से11 वष क आयुतक (5) कशोराव था       11 वष से21 वष क आयुतक (ब) जो स केअनुसार :- (1) शैशवाव था                  ज म से5 वष क आयुतक (2) बा याव था                    5 वष से12 वष क आयुतक (3) कशोराव था                 12 वष से18 वष क आयुतक (द) सामा य वग करण : - अब अ धकाँश व ान्सामा य वग करण को हो मानतेहैजो इस कार है:-  (1) शैशवाव था                   ज म से6 वष क आयुतक  (2) बा याव था                    6 वष से12 वष क आयुतक  (3) कशोराव था                 12 वष से18 वष क आयुतक Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 6
  • 7.         मानव वकास व भ अव था सेहोकर गुजरता है; इ ह न न अव था म वभा जत कया जा सकता है: गभाव था :  यह अव था गभाधान सेज म केसमय तक, 9 म हना या 280 दन तक मानी जाती है. वशेषताएं: इस अव था म वकास क ग त ती होती है. शरीर केसम त अंग क रचना और आकृतय का नमाण होता है. इस अव था म होनेवालेप रवतन मुयतः शारी रक होतेह. शैशवाव था:  ज म सेपांचवेवष तक क अव था को शैशवाव था कहा जाता है. इस अव था को समायोजन क अव था भी कहते ह. वशेषताएं: इस अव था म बालक अप रप व होता हैतथा वह पूणतया सर पर नभर रहता है. यह अव था संवेग धान होती हैतथा बालक केभीतर लगभग सभी मुख संवेग जैसे- स ता, ोध, हष, ेम, घृणा, आ द वक सत हो जातेह. ायड नेइस अव था को बालक का नमाण काल कहा है. उनका मानना था क “मनुय को जो भी बनाना होता है, वह ारं भक पांच वष म ही बन जाता है”. Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 7
  • 8.            बा याव था: पांच सेबारह वष क अव ध को बा याव था कहा जाता है. यह अव था शारी रक और मान सक वकास क ी सेमह वपूण होती है. वशेषताएं: ब चेब त ही ज ाशुवृत का हो जाता उनम जाननेक बल इ छा होती है. ब च म पूछनेक वृत वक सत होती है. सामा जकता का अ धकतम वकास होता है इस अव था म ब च म म बनानेक बल इ छा होती है बालक म ‘समूह वृत’ (Gregariousness) का वकास होता है कशोराव था: 12-20 वष क अव ध को कशोराव था माना जाता है. इस अव था को जीवन का सं धकाल कहा गया है. वशेषताएं: इस अव था म बालक म सम या क अ धकता, क पना क अ धकता और सामा जक अ थरता होती हैजसम वरोधी वृतय का वकास होता है. इस अव था म बालक म वपरीत लग के त आकषण बढ़ता हैऔर वेभावी जीवन साथी क तलाश भी करतेहै. कशोर म अनुशासन तथा सामा जक नयं ण का भाव वक सत होनेलगता है इस अव था म समायोजन क मता कम पायी जाती है. 8
  • 9.         ोढ़ाव था: 21-60 वष क अव था ोढ़ाव था कहलाती है. यह गृह थ जीवन क अव था हैजसम को जीवन क वा त वकता का बोध होता हैऔर वा त वक जीवन क अ तः याएं होती है. वशेषताएं: इस अव था म अपनेजीवन केल य को पानेक को शश करता है. आ म नभर होता है क तभा उभर कर सामनेआती है वृाव था:  60 वष सेजीवन केअंत समय तक क अव ध को वृाव था कहा जाता है; वशेषताएं: यह ास क अव था होती है, इस आयुम शारी रक और मान सक मता का ास होनेलगता है. मरण क कमजोरी, नणय क मता म कमी, समायोजन का आभाव आ द इस अव था क वशेषताएं है. इस अव था म म अ या मक चतन क ओर बढ़ता है. Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 9
  • 10. बालक का श द भंडार Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism बालक क आयु बालक का श द भंडार ज म से8 माह तक 0 9 -12 माह तक 3-4 श द 1.5 वष तक 10-12 श द 2 वष तक 272 श द 2.5 वष तक 450 श द 3 वष तक 1000 श द 3.5 वष तक 1250 श द 4 वष तक 1600 श द 5 वष तक 2100 श द 11 वष तक 50000 श द 14 वष तक 80000 श द 16 वष तक 1 लाख सेअ धक श द 10
  • 11. आनुवां शकता और पयावरण का भाव   वंशानुम: जीव केमान सक एवं शारी रक गुण का एक पीढ़ सेसरेपीढ़ म थानांतरण को वंशानुम या आनुवं शकता कहतेह. व भ व ान नेअनुवां शकता को इस कार प रभा षत कया है: बीएन झा “वंशानुम, क ज मजात वशेषता का पूण योग है” पी. ज वट “ कृत म येक पीढ़ का काय माता- पता ारा संतानूं म कुछ जैवक य या मनोवैा नक वशेषता का ह तांतरण करना है. इस कार ह तांत रत वशेषता क मली जुली गठरी को वंशानुम कहा जाता है.” एच ए पीटरसन “ को अपनेमाता- पता सेअपनेपूवज क जो वशेषताएं ा त होती हैउसे उसेवंशानुम कहा जाता है.” जेस ेवस “माता- पता क शारी रक एवं मान सक वशेषता का संतान म ह तांतरण होना वंशानुम कहलाता है” Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 11
  • 12. बालक पर वंशानुम का भाव: थोनडाईक बालक क मूल श य का मुख कारण उसका वंशानुम है. काल पीयसन माता- पता क ल बाई का भाव उनक संतान पर पड़ता हैअथात य द माता- पता क ल बाई कम या अ धक हैतो उनकेब चेक भी ल बाई कम या अ धक होती है. लीनबग बु क ेता का कारण जा त है. जैसेअमेरका क ेत जा त, नी ो सेेहै. कैटल  वसा यक यो यता का मुय कारण वंशानुम है Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 12
  • 13. बालक पर वातावरण का भाव   वातावरण :वातावरण, पयावरण का पयायवाची श द हैजो दो श द प र तथा आवरण सेमलकर बना है. प र का अथ होता हैचर ओर एवं आवरण का अथ होता हैइस आवृत करनेवाला अथात ढकनेवाला . वातावरण का ता पय केउन सभी तरह क उ ेजना सेहैजो गभधारण सेमृयुतक उसेभा वत करती है. ज बो स वातावरण म बदलाव केकारण मनुय का शारी रक वकास भा वत होता है. उनके अनुसार व भ जा तय केशारी रक अंतर का कारण वंशानुम न होकर वातावरण है. लाक कुछ जा तय क ेता का कारण वंशानुम न होकर वातावरण है. अमेरका म रह रहेनी ो जा त का मान सक तर ेत जा त क तुलना म भुत न न है, य क उ ह ेत जा त केसमान शैक, सां कृतक एवं सामा जक वातावरण उपल ध नह है. कूले  व पर वंशानुम क अपेा वातावरण का अ धक भाव पड़ता है. ब त सेऐसे व ान केउदहारण ह जनका ज म नधन प रवार म आ था फर भी वेअपने त व का वकास करकेमहान बन सकेकय क उनकेमाता- पता नेउ ह उ चत वातावरण म रखा 13
  • 14. सं ाना मक वकास पर पयागेट का स ांत पयाजेका स ा त,  वकासी अव था स ा त(developmental stage theory) कहलाता है। यह स ा त  ान क कृत केबारेम हैऔर बतलाता हैक मानव कैसेान मशः इसका अजन करता है, कैसेइसेएक-एक कर जोड़ता हैऔर कैसेइसका उपयोग करता है। यां पयाजेनेसं ाना मक वकास को चार अव था म वभा जत कया है- संवेदक पेशीय अव था (Sensory Motor) : ज म के2 वष बालक केवल अपनी संवेदना और शा ररीक या क सहायता सेान अ जत करता है। ब चा जब ज म लेता हैतो उसकेभीतर सहज याएँ (Reflexes) होती ह इन सहज या और ान य क सहायता सेब चा व तु व न , पश, रसो एवं गंध का अनुभव ा त करता हैऔर इन अनुभव क पुनरावृ केकारण वातावरण म उप थत उ पक क कुछ वशेषता सेप र चत होता है। Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 14
  • 15. पूव-सं या मक अव था (Pre-operational) : 2-7 वष बालक वके त व वाथ न होकर सर केस पक सेान अ जत करता है अब वह खेल, अनुकरण, च नमाण तथा भाषा केमा यम सेव तु केसंबंध म अपनी जानकारी अ धका धक बढ़ाता है.  धीरे-धीरेवह तीक को हण करता हैक तुकसी भी काय का या संबंध होता हैतथा ता कक च तन के त अन भ रहतेह मूत सं या मक अव था (Concrete Operational) : 7 से12 वष बालक व ालय जाना ांरभ कर लेता हैएवं व तु एव घटना केबीच समानता, भ ता समझनेक मता उ पन हो जाती हैइस अव था म बालक म सं या बोध, वग करण, मानुसार व था कसी भी व तु, के म य पार प रक संबंध का ान हो जाता है। वह तक कर सकता है। वह अपनेचार ओर केपयावरण केसाथ अनुकूल करनेकेलयेअनेक नयम को सीख लेता है। Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 15
  • 16. अमूत सं या मक अव था (Formal Operational) : 12 से15 वष ता कक चतन क मता का वकास सम या समाधान क मता का वकास वा त वक-आवा त वक म अ तर समझनेक मता का वकास वा त वक अनुभव को का प नक प र थ तय म ढालनेक मता का वकास प रक पना वक सत करनेक मता का वकास वसंगं तयाँ केसंबंध म वचार करनेक मता का वकास Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 16
  • 17. कोलबग का नैतक वकास का स ा त    नैतक गुण का अथ होता है,अ छाई और बुराई का ान होना . कोलबग नेनैतकता तथा च र केवकास क कुछ न त और सावभौ मक तीन तर अथवा ६ अव थाएं बताई ह. पूव नैतक तर (4-10 वष) : यह नैतक च तन का सबसेनचला चरण है। इस चरण म या सही और गलत है, पर बाहर सेमलनेवाली सजा और उपहार का भाव पड़ता है। चरण 1 : बाहरी स ा पर आधा रत: यहां नैतक सोच, सजा सेबंधी होती है। जैसेब चेयह मानतेह क उ ह बड़ क बात माननी चा हए नह तो बड़ेउ ह द डत करगे। चरण 2 : के त, एक सरेका हत साधनेपर आधा रत नैतक चतन : यहां ब चा सोचता हैक अपनेहत केअनुसार काय करनेम कुछ गलत नह है, पर हम साथ म सर को भी उनकेहत केअनुप काम करनेका मौका देना चा हए। अतः इस तर क नैतक सोच यह कहती हैक वही बात सही हैजसम बराबरी का लेन-देन हो रहा हो। अगर हम सरेक कोई इ छा पूरी कर द तो वेभी हमारी इ छा पूरी कर दगे। Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 17
  • 18.  पर परागत नैतक तर (10-१३ वष) : यह कोलबग केनैतक वकास केस ांत क सरी अव था है। इस अव था म लोग एक पूव आधा रत सोच सेचीज को देखतेह। जैसेदेखा गया हैक अ सर ब च का वहार उनकेमां-बाप या कसी बड़े ारा बनाए गए नयम पर आधा रत होता है। चरण 3 : अ छेआपसी वहार व स ब ध पर आधा रत नैतक च तन :  इस थ त म लोग व ास, सर का याल रखना, सर केन प वहार को अपनेनैतक वहार का आधार मानतेह। ब चेऔर युवा अपनेमाता- पता ारा नधा रत कयेगए नैतक वहार केमापद ड को अपनातेहैजो उ ह उनके माता- पता क नजर म एक "अ छा लड़का या अ छ लड़क "‘ बनातेह। चरण 4 : सामा जक व था बनाए रखनेपर आधा रत नैतक च तन:  इस थ त म लोग केनैतक वकास क अव था सामा जक आदेश, कानून, याय और क पर आधा रत होती हैजैसेकशोर सोचतेह क समाज अ छेसेचलेइसकेलए कानून केारा बनाए गए दायरेकेअ दर ही रहना चा हए Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 18
  • 19.  आ मा अंगीकृत नैतक तर (१३-१८ वष) : यह कोलबग केनैतक वकास केस ांत क पांचव अव था है। इस थ त म वैक पक रा तेखोजेजातेह और फर अपना एक गत नैतक वहार का रा ता ढूंढा जाता है। चरण 5 : सामा जक अनुब ध, उपयो गता और गत अ धकार पर आधा रत नैतक च तन :  इस अव था म यह सोचनेलगता हैक कुछ मूय, स ांत और अ धकार कानून सेभी ऊपर हो सकतेह। वा त वक सामा जक व था का मूयांकन इस सेकरनेलगता हैक वेकस हद तक मूल अ धकार व मूय का संर ण करतेहै। चरण 6 : सावभौ मक नी त स मत स ांत पर आधा रत नैतक च तन : इस अव था म सावभौ मक मानवा धकार पर आधा रत नैतक मापद ड बनाता है। जब भी कोई अ तआ मा क आवाज केंद केबीच फं सा होता हैतो वह यह तक करता हैक अ तआ मा क आवाज केसाथ चलना चा हए, चाहेवो नणय जो खम सेभरा ही य न हो। इसी लए उसेकुछ भी करनेसेपहलेअपनी भावना केअलावा और क ज दगी केबारेम भी सोचना चा हए था। Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 19
  • 20. वाइगो सक केसामा जक वकास का स ा त      इस स ा त केअनुसार सामा जक अ तः या (इ तरैशन) ही बालक क सोच व वहार म नर तर बदलाव लाता हैजो एक सं कृत सेसरेम भ हो सकता है। उनकेअनुसार कसी बालक का सं ाना मक वकास उसकेअ य य सेअ तस ब ध पर नभर करता है। वायगा क नेअपनेस ा त म सं ान और सामा जक वातावरण का स म ण कया . सामा जक-सां कृतक स ा त केकई मुख त व है। थम मह वपूण त व है- गत भाषा : इसम बालक अपनेवहार को नयं त और नद शत करनेके लए वयं सेबातचीत करतेहै। सरा मह वपूण त व है- नकटतम वकास का े: बालक अपनेवा त वक वकास तर सेआगेजाकर सम या का समाधान कर सकतेहैय द उ ह थोड़ा नदश मल जाए। इस तर को वायगा क ने स भा वत वकास कहा। बालक केवा त वक वकास तर और स भा वत वकास तर केबीच केअ तर/ ेको वायगा क ने  नकटतम वकास का े कहा Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 20
  • 21. बाल-के त तथा ग तशील श ा         जॉन डीवी नेबा क त श ा का समथन कया है.  जॉन डीवी ने"लैब व ालय को ग तशील व ालय " का उदाहरण माना है.  ग तशील श ा केवल ता वत पा पुतक पर आधा रत अनुदेश म व ास नह करती, न ही मा  अ छेअंको को ा त करनेबल दया जाता है.  ग तशील श ा म अ ययन क समय -सरणी और बैठक - व था आ द म पया त लचीलापन होता है. बाल-के त श ा प त अपनाकर " श ण सेअ धगम" पर बल दया जा सकता है. छा म मु ढंग सेसखनेक यो यता का वकास  करना ही बाल के त श ा का उ ेय होता है.  बाल के त श ा म बालक क अ धगम- या म पूण सहभा गता ली जाती है.  बाल के त श ा कृतवाद क दन है. ाकृतक ान का स ांत बताता हैक वाभा वक प सेसखने और वक सत होनेका अ धकार बालक का ही है.  Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 21
  • 22. बु     बु (Intelligence) वह मान सक श हैजो व तु एवं त य को समझने, उनम आपसी स ब ध खोजनेतथा तकपूण ान ा त करनेम सहायक होती है। बु केप : 1. काया मक प 2. संरचा मक प 3. या मक प बु केकार : 1.सामा जक बु 2.मूत बु 3.अमूत बु बु को नधा रत करनेवालेत व 1. वंशानुम 2. वातावरण 3. वंशानुम तथा वातावरण क अ तः या Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 22
  • 23. बु केस ा त एक कारक स ा त  बने, टमन, टन त व स ा त पीयर मेन कारक बु स ा त पीयर मेन ब कारक बु स ा त थानडाइक समूह कारक बु स ा त थ टन तदश स ा त  थॉमसन तरल ठोस बु स ा त कैटल पदानुमत बु स ा त बट तथा वनन -आयाम बु स ा त गलफोड ब बु स ा त होवड गाडनर तं स ा त रोबट टैनबग 23
  • 24. बुल ध एवं उसका मापन    बुल ध, बालक या क सामा य यो यता केवकास क ग त बताती है। कोल केश द म ‘‘बुल ध यह बताती हैक मान सक यो यता म कस ग त सेवकास हो रहा है।’’ बुल ध नकालनेका सू: Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 24
  • 25. बु ल ध का वग करण बु ल ध बु ल ध केकार 20-25 महामूख (IDIOT) 25-50 मूख (IMBECILE) 50-70 अ प (MORONS) 70-80 ीण (FEEBLE MIND) 80-90 मंद (DULL MIND) 90-110 सामा य (AVERAGE) 110-120 े(SUPERIOR) 120-140 अ त े(VERY SUPERIOR) 140 - अ धक तभाशाली (GENIUS) Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism • • • • • बु ल ध (I.Q.) ात करनेकेसूका तपादक – व लयम टन (1912) बु ल ध (I.Q.) ात करनेकेसूका सव थम योग – (1916) बु ल ध (Intelligent Quotient) श द का सव थम योग – टरमन मान सक आयु(Mental Age) श द का सव थम योग – बने(1908) बु ल ध का वग करण- टरमन 25
  • 26. बु परी ण  ांस केबनेको बु मापन केयुग का वतक माना जाता है. उ ह नेसाइमन केसाथ मल कर 1905 म थम सफल बु परी ण कया . बु परी ण केकार तुतीकरण भाषा केारा च या मूत साम ी केारा एक पर  शा दक गत बु परी ण अशा दक गत बु परी ण अनेक य पर शा दक सामूहक बु परी ण अशा दक सामूहक बु परी ण 1. 2. सामूहक बु परी ण केउदाहरण : आम अ फा (Army Alpha) सामूहक बु परी ण आम बीटा (Army Beta) सामूहक बु परी ण 1. 2. गत बु परी ण केउदाहरण : पोर टयस भूल – भुलैया वैर-वैयूब बु परी ण भारत का बु परी ण - 'भा टया बैऑफ परफोरमस टेट ऑफ इ टेलीजेस' 26
  • 27. संवेग  मनुय अपनी रोजाना क ज दगी मेसुख, ख,भय, ोध, ेम,घृणा आ द का अनुभव करता है। वह ऐसा वहार कसी उ ेजनावश करता है।यही अव था संवेग कहलाती है। संवेग क दशाएं : 1 - ती ता : बालक > वय क अ श त > श त म हला > पुष 2 - ापकता: पशुसेलेकर मनुय तक , सभी ाणी अपनेब च सेेम करतेह .य द उनका ब चा पास सेहटाया जायेतो सभी ो धत हो जातेह. 3 - ैकता: जब थ त समान हो लेकन अलग अलग य केारा अलग अलग संवेग कट कया जाता है. 4 - वचार श य का लोप: ोध म सोचने, समझनेक मता या श य का लोप हो जाता है. संवेग केकार-: संवेगो का स ब ध मूल वृय सेहोता है। जो इस कार ह- (मैडूगल केअनुसार - १४ ) १. भय, २. घृणा, ३. क णा व :ख, ४.आ य, ५.आ मा भमान, ६, भूख, ७. कृतभाव, ८. ोध, ९. वा स य, १०.कामुकता, ११.आ महीनता, १२.एकाक पन, १३.अ धकार भाव, १४.आमोद। 27
  • 28. अ धगम  येक त दन नए-नए अनुभव एक त करता है, इन नए अनुभव सेउसके वहार म प रवतन आता है। इस कार नए अनुभव एक त करना तथा इनसेवहार म प रवतन आनेक या ही अ धगम है। अ धगम या नरंतर चलनेवाली ओर सावभौ मक या है। अ धगम क  प रभाषाय :- कनर “अ धगम  वहार म उतरो र सामंज य क या है।”  वुडवथ “नवीन  ान ओर नवीन  त या  को  ा त करने क   या ही अ धगम है।” ो एवं  ो  “आदत ,  ान ओर अ भवृत  का अजन ही अ धगम है।” गलफोड  “ वहार के कारण  वहार म प रवतन ही अ धगम है।” गेट्स व अ य “अनुभव और  श ण  ारा  वहार म प रवतन ही अ धगम है।” मागन एवं  गलीलैड  “सीखना, अनुभव के प रणाम व प  ाणी के  वहार म प रमाजन है जो ाणी  ारा कुछ समय के  लए धारण कया जाता है।” 28
  • 29. अ धगम को  भा वत करनेवालेकारक Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism पुव अ धगम वषय व तुका व प वषय के त मनोवृत सीखनेक इ छा सीखनेक   व ध  अ भ ेरणा वातावरण थकान शारी रक व मान सक वा य वंशानुम  अ धगम केस ांत (संबंधवाद का स ांत) उपनाम  1.उ पन-अनुया का स ांत  2. यास एवं ुट का स ांत   3.संयोजनवाद का स ांत 4. अ धगम का ब ध स ांत   5. य न एवं भूल का स ांत  6.  S-R योरी 29
  • 30.           मह वपूण त य :- यह स ांत  स  अमेरक  मनोवैा नक 'एडवड एल. थानडाइक'  ारा  तपा दत कया गया।  यह स ांत थानडाइक ारा सन 1913 ई. म  दया गया।  थानडाइक ने अपनी पुतक " श ा मनो व ान" म इस  स ांत का वणन कया ह।  थानडाइक ने अपना योग ”भूखी  ब ली” पर कया।  भूखी  ब ली को  जस बॉ स म ब ध कया उस बॉ स को "पज़ल बॉ स"(Pazzle Box) कहतेह। भोजन या उ पक के प म थानडाइक ने"मछली" को रखा। थानडाइक के  नयम :- दो नयम दए थे मुय नयम ग ण नयम Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 30
  • 31.   मुय नयम :- 1.  त परता का  नयम :- यह  नयम काय करने से पूव त पर या तैयार कए जाने पर बल देता है।  2.  अ यास का नयम :-  यह  नयम  कसी काय या सीखी गई वषय व तुकेबार-बार अ यास करनेपर बल देता है।  3.   भाव (प रणाम) का नयम :- इस नयम को स तोष तथा अस तोष का नयम भी कहतेहै। इस नयम के अनुसार  जस काय को करनेसेाणी को सुख व स तोष मलता है, उस काय को वह बार-बार करना चाहता है और इसकेवपरीत जस काय को करने सेःख या अस तोष  मलता है, उस काय को वह दोबारा नही करना चाहता है। ग ण नयम :- 1.  ब - त या का नयम :- इस नयम के अनुसार जब ाणी केसामनेकोई प र थ त या सम या उ प हो जाती है तो उसका समाधान करनेकेलए वह अनेक कार क त याएं करता.  यास एवं ुट का स ांत इसी नयम पर आधा रत ह। 2.  मनोवृ का नयम :-  इस नयम को मान सक व यास का नयम भी कहतेहै। इस नयम के अनुसार जस काय के त हमारी जैसी अ भवृत या मनोवृत होती है, उसी अनुपात म हम उसको सीखतेह। Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 31
  • 32. 3.  आं शक या का नयम :- इस नयम के अनुसार  कसी काय को छोटे-छोटेभाग म वभा जत करनेसेकाय सरल और सुवधानक बन जाता है।  इस नयम पर 'अंश सेपूण क ओर' का श ण का स ांत आधा रत कया जाता है। 4.  सा यता अनुया का नयम :- इस नयम को आ मीकरण का नयम भी कहतेहै। यह नयम पूव अनुभव पर आधा रत है। जब ाणी केसामनेकोई नवीन प र थ त या सम या उ प होती हैतो वह उससे मलती-जुलती प र थ त या सम या का मरण करता है, जसका वह पूव म अनुभव कर चुका है।  5.  साहचय प रवतन का नयम :- इस नयम के अनुसार एक उ पक के त होनेवाली अनुया बाद म कसी सरेउ पक सेभी होनेलगती है।  सरे श द  म, पहलेकभी क गई या को उसी के समान सरी प र थ त  म उसी कार से करना । थानडाइक ने पावलव के“शा ीय अनुब धन” को ही साहचय प रवतन केनयम के प म कया। Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 32
  • 33. या सूत अनुबंधन का स ांत      तपादक : B.N. कनर अथ : “ अनुया क दर को मापना” याशीलता बालक म अ भ ेरणा (Motivation) सेवक सत होती है. योग : चूहेऔर कबूतर पर Note : यह स ांत बालक तथा पशु पर लागूहोता है.पर तुववेकशील ा णयो पर लागूनह होता है. Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 33
  • 34. अ त का स ांत      गेटा टवाद स दाय केजनक = कोहलर, वद मर, को का सूझ या बुझ का स ांत     = कोहलर, वद मर, को का कोहलर का योग : योग : बुमान ब दर 'सुलतान‘ कोहलर का कहना हैक “जब ाणी सम या का समाधान करनेकेयास म श थल एवं न य हो जाता है, तो फर कुछ समय केबाद अचानक उसम सूझ अपनेआप उ प हो जाता हैऔर वेअपनेसम या का समाधान कर लेता है.” Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 34
  • 35. व अथ : 'मुखोटा (Mask)‘ प रभाषा: Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism गलफोड व गुण का सम वत प है। वुडवथ के वहार क एक सम वशेषता ही व है। माटन व केज मजात तथा अ जत वभाव, मूल वृय , भावना तथा इ छा आ द का समुदाय है। बग एवं हंट  व वहार वृय का एक सम प है, जो केसामा जक समायोजन म अ भ होता है। ऑलपोट व का स ब ध मनुय क उन शारी रक तथा आ त रक वृय सेहै, जनके आधार पर अपनेवातावरण केसाथ समायोजन था पत करता है। 35
  • 36. व केमुख स ा त     मनो व ेषणा मक स ा त : इस स ा त का तपादन ायड नेकया था। उनकेअनुसार व के तीन अंग है-  (i). इदम्(Id) (ii). अहम्(Ego) (iii). परम अहम्(Super Ego) इदम्(Id) : यह ज मजात कृत है। इसम वासनाएँ और द मत इ छाएँ होती है। यह त काल सुख व संतु पाना चाहता है। यह पूणतः अचेतन म काय करता है। यह 'पा कता का तीक' है। अहम्(Ego) : यह सामा जक मा यता व पर परा केअनुप काय करनेक ेरणा देता है। यह सं कार, आदश, याग और ब लदान केलए तैयार करता है। यह 'देव व का तीक' है। परम अहम्(Super Ego) : यह इदम्और परम अहम्केबीच संघष म म य थता करतेए इ हेजीवन क वा त वकता सेजोड़ता हैअहम्‘मानवता का तीक’ है, Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 36
  • 37.          शरीर रचना स ा त : ( तपादन- शैडन) शारी रक गठन केआधार पर य को तीन भाग - गोलाकृत, आयताकृत, और लंबाकृत वशेषक स ा त: ( तपादन –कैटल) कारक व ेषण नाम क सां यक य व ध का उपयोग करके व को अ भ करनेवालेकुछ सामा य गुण खोजे, ज ह ' व वशेषक' नाम दया। इसकेकुछ कारक है- धना मक च र , संवेगा मक थरता, सामा जकता, वृ आ द। माँग स ा त  ( तपादक – हेनरी मुरे) वातावरण केअंदर कुछ माँगो को उ प करता है। यह माँगेही केारा कए जानेवाले वहार को नधा रत करती है। मुरेने व माँग क 40 माँगेात क । Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism गोलाकृत भोजन य, आराम पसंद, शौक न मजाज, परंपरावाद , सहनशील, सामा जक तथा हँसमुख कृत आयताकृत रोमांच य, भुववाद , जोशीले, उ ेय क त तथा ोधी कृत ल बाकृत गुमसुम, एकांत य अ प न ा वाले, एकाक , ज द थक जानेवालेतथा न ुर कृत 37
  • 38. व केकार 1. कैचमर का ‘शरीर रचना’ पर आधा रत वग करण : (i). श हीन (ए थेनक) (ii). खलाड़ी (एथलेटक) (iii). नाटा ( पक नक)। 2. क पल मुन का ‘ वभाव’ पर आधा रत वग करण : (i). स व धान (ii). राजस धान (iii). तमस धान । Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 3. थानडाइक का ‘ चतन’ पर आधा रत वग करण : (i). सूम वचारक (ii). य वचारक (iii). थूल वचारक। 4. गर का ‘समाज’ स बं धत वग करण : (i). वैचा रक (ii). आ थक (iii). स दया मक (iv). राजनैतक (v). धा मक (vi). सामा जक। 38
  • 39. जुंग ारा कया गया मनोवैा नक वग करण   जुंग का वग करण सव म माना जाता है. इ ह नेमनोवैा नक ल ण केआधार पर व केतीन भेद मानेजाते है – (i). अ तमुखी-अंतमुखी छपनेवाले, आदशवाद और संकोची वभाव वालेहोतेहै। इसी वभाव केकारण वेअपनेवचार को प प से करनेम असफल रहतेहै। येबोलना और मलना कम पसंद करतेहै। पढ़नेम अ धक च लेतेहै। इनक काय मता भी अ धक होती है। (ii). ब हमुखी-ब हमुखी भौ तक और सामा जक काय म वशेष च लेतेहै। येमेलजोल बढ़ानेवालेऔर वाचाल होतेह। येअपनेवचार और भावना को प प से कर सकतेह। इनमेआ म व ास चरम सीमा पर होता है. (iii). उभयमुखी-इस कार के कुछ प र थ तय म ब हमुखी तथा कुछ म अंतमुखी होतेहै। जैसेएक अ छा बोलनेवाला और लखनेवाला है, क तुएकांत म काय करना चाहता है। Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 39
  • 40.  व को भा वत करनेवालेकारक : Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism वंशानुम का भाव सामा जक वातावरण का भाव प रवार का भाव सां कृतक वातावरण का भाव  व ालय का भाव  संवेगा मक वकास मान सक यो यता व च का भाव शारी रक भाव  त व मापन क मुख व धयाँ ासं गक अंतब ध परी ण (T.A.T.) - मोगन व मुरे बाल अंतब ध परी ण (C.A.T.) - लयोपो ड बैलक याही ध बा परी ण (I.B.T.) -  हरमन रोशा वा य पूत परी ण (S.C.T.) - पाईन व टडलर 40