4. कारक अथ परसग
कता या का करनेवाला ने और शू य
कम िजस पर या का भाव
पड़ता है
को
करण या का साधन से, के वारा
सं दान िजसके लए या क जाए को, के लए
अपादान या िजससे अलग होना /
तुलना / भय
से
संबंध िजसम सं ा / सवनाम का
संबंध दखाया जाए
का, के , क , रा, रे, र
अ धकरण या के होने का थान म, पर
संबोधन संबो धत सं ा हे, ओ, अरे
5. कता कारक
प रभाषा -
वा य म या करनेवाला सं ा या सवनाम पद कता कहलाता
है।
परसग - ने
जैसे -
रमा ने क वता सुनाई।
राके श गया।
वशेष -
राके श गया। ( अकमक या , भूत काल )
रमा ने क वता सुनाई। (सकमक या , भूत काल )
6. कम कारक
प रभाषा -
वा य क या का फल िजस सं ा या सवनाम पर पड़े
उसे कम कहते है।
परसग - को
जैसे -
गीता प लखती है।
पेड़ को मत काटो।
राधा ने नौकर को बुलाया।
राके श ने ब ल को यार कया।
अ ाणीवाचक कम के साथ 'को' नह ं लगता। दूसरे वा य
म ब ल ाणीवाचक सं ा है , अत: यहाँ ‘को’ लगाना
आव यक है।
7. करण कारक
प रभाषा –
सं ा या सवनाम के उस प को करण कारक कहते ह, िजससे
या के साधन का बोध हो।
या
करण का अथ साधन होता है अथात िजसके वारा काय कया
जाए। इसका सीधा संबंध या के साथ होता है।
परसग - से
जैसे –
म गद से खेलता हूँ।
उसने चाकू के वारा सेब काटा।
8. करण कारक के योग संबंधी नयम -
साधन के अलावे करण कारक के अथ म ‘से’ का योग न न प
म भी होता है :
कारण - अ ययन करने से अ छे गुण मलते है।
दशा - कण वभाव से ह दानवीर था।
शर र का दोष दखलाने के लए करण कारक 'से' का योग
कया जाता है।
रणजीत संह एक आँख से अँधा था।
कमवा य और भाववा य म कता के साथ करण कारक 'से' का
योग कया जाता है।
रोगी से चला नह ं जाता।
पूछना, करना, बोलना, कहना, ाथना करना आ द इन याओं
का योग करते समय 'से ' का योग कया जाता है।
माँ से पूछकर बाहर जाओ।
9. सं दान कारक
प रभाषा -
सं ा या सवनाम के उस प को िजससे कु छ दए जाने या कसी
के लए कु छ कए जाने क या का बोध हो वे सं दान कारक
कहलाते ह।
परसग - के लए, को
जैसे –
मने राधा को पु तक द ।
गर ब के लए खाना लाओ।
10. अपादान कारक
प रभाषा -
वा य के िजस सं ा या सवनाम से कसी से अलग होने या
तुलना का भाव य त हो, उसे अपादान कारक कहते ह।
परसग - से
जैसे -
फल पेड़ से गर पड़ा।
अपादान कारक के योग संबंधी नयम - तुलना, डर, अलग ,
दूर
द या अंजना से अ छा गाती है। (तुलना)
मेरा घर कू ल से बहुत दूर है। (दूर )
ब चे साँप से डरते ह। (डर)
11. संबंध कारक
प रभाषा -
सं ा या सवनाम के िजस प से एक व तु का दूसर
व तु से संबंध ात हो, उसे संबंध कारक कहते है।
परसग - का, के , क , रा, रे, र
जैसे -
यह सीता का पु है।
उसने तु हार पु तक ले ल ।
यह रमा क सहेल है।
12. अ धकरण कारक
प रभाषा -
सं ा या सवनाम के िजस प से या के आधार का बोध हो,
उसे अ धकरण कारक कहते ह।
परसग - म, पर
जैसे -
पु तकालय म बहुत सी कताब ह।
गलास मेज़ पर रख दो।
13. संबोधन कारक
प रभाषा -
सं ा के िजस प से कसी को पुकारने, बुलाने, सुनाने
या सावधान करने के भाव का बोध होता है, उसे संबोधन
कारक कहते है।
परसग - हे, ओ, अरे
जैसे –
अरे ! ब चो शोर मत मचाओ।
हे भगवान ! कै सी लड़ाई चल रह है।
15. नीचे दए वा य म कारक को पहचानकर उनके भेद ल खए -
याम ने खत लखा ।
वह हाथ से खाता है।
मेज़ को सह जगह पर रख दो।
अनीता के लए कपड़े लाओ।
यह मतुल का घर है।
छा गु जी से डरते है।
रोहन छत पर खेल रहा है।
16. उ र
ने - कता कारक
से - करण कारक
को - कम कारक
के लए - सं दान कारक
का - संबंध कारक
से - अपादान कारक
पर - अ धकरण कारक