अवधान मुख्यतः चार प्रकार का होता है: -
(i) सतत (Sustained) अवधान
(ii) चयनात्मक (Selective) अवधान
(iii) विभाजित
(Divided) अवधान
(iv) वैकल्पिक
(Alternating) अवधान
1. अवधान के प्रकार
डॉ राजेश वर्ाा
असिस्टेंट प्रोफे िर (र्नोसवज्ञान)
राजकीय र्हासवद्यालय आदर्पुर, सहिार, हररयाणा
2. अर्ा
संवेदी या मनोवैज्ञाननक इनपुट के प्रनि की जाने वाली प्रनिनिया
के नलए संज्ञानात्मक संसाधनों को इकट्ठा करने में लगने वाले श्रम को
अवधान कहा जािा है।
साधारण शब्दों में, बाहरी या आंिररक उद्दीपकों के नलए स्वैनछिक
या अनैनछिक रूप से ध्यान देने की प्रनिया।
3. पररभाषा
उद्दीपकों के एक िर्ूह र्ें िे कु छ उद्दीपकों को चुनने की प्रसिया को आर्तौर पर
अवधान कहा जाता है (NCERT, XI)।
ऐिी सस्र्सत सजिर्ें व्यसि के िंज्ञानात्र्क िंिाधन पयाावरण के कु छ सवसशष्ट
पहलुओं पर ही कें सित होते हैं और कें िीय तंसिका तंि उद्दीपकों के प्रसत प्रसतसिया करने की
तत्परता की सस्र्सत र्ें होता है (एपीए)।
िंक्षेप र्ें, सकिी सवसशष्ट
उद्दीपक के प्रसत कें सित
जागरूकता की सस्र्सत को
अवधान कहा जाता है।
4. अवधान के प्रकार
अवधान मुख्यतः चार प्रकार का होता है: -
(i) सिि (Sustained) अवधान
(ii) चयनात्मक (Selective) अवधान
(iii) नवभानजि
(Divided) अवधान
(iv) वैकनपपक
(Alternating) अवधान
5. (i) सिि (Sustained) अवधान – एक ही उद्दीपक पर लंबे समय िक ध्यान
कें निि करने की माननसक क्षमिा को सिि अवधान कहा जािा है। उदाहरण के नलए,
मूवी देखना, डी जे फ्लोर पर डांस करना, नकिाब पढ़ना, व्याख्यान सुनना, कोई
व्यंजन या पेंनटंग बनाना आनद। इसे अवधान-नवस्िार (एक समय में एक उद्दीपक पर
कें निि रहने की क्षमिा) (Span of Attention) के रूप में भी जाना जािा है।
अभ्यास से इस प्रकार के अवधान
की अवनध और
गुणवत्ता में सुधार
नकया जा
सकिा है।
6. (ii) चयनात्मक (Selective) अवधान – इसे जानबूझकर (Intentional)
ध्यान देने की प्रनिया के रूप में भी जाना जािा है। इसका मिलब है उद्दीपकों के
समूह में से नकसी एक उद्दीपक का चयन करना या उस पर ध्यान कें निि करना। नजन
उद्दीपकों को अप्रासंनगक (irrelevant) माना जािा है, उन्हें चुनकर अलग या
खाररज कर नदया जािा है क्योंनक ऐसे उद्दीपक अवधान की प्रनिया में दखल दे
सकिे हैं। उदाहरण के
नलए, शोर-शराबे के
बीच अपना नाम
सुनना।
7. (iii) नवभानजि (Divided) अवधान – एक साथ एक से अनधक है
उद्दीपकों या घटनाओं पर ध्यान कें निि रखने की क्षमिा को नवभानजि
अवधान कहा जािा है। इस प्रकार के अवधान के नलए एक ही समय में
कई उद्दीपकों पर ध्यान कें निि करने के नलए संज्ञानात्मक संसाधनों को
नवभानजि नकया जािा है।
इसे मपटीटानस्कं ग के
रूप में भी समझा जा
सकिा है अथााि जो
व्यनि एक साथ कई
काम करिा है उसे
मपटीटानस्कं ग कहिे हैं।
8. उदाहरण के नलए ड्राइनवंग के करिे समय संगीि सुनना। ननरंिर अभ्यास के
माध्यम से नवभानजि अवधान में भी सुधार नकया जा सकिा है। हालांनक,
कु ि अध्ययनों से पिा चलिा है नक एक साथ एक से अनधक वस्िुओं पर
हमारा ध्यान बनाए रखना संभव नहीं होिा है; बनपक
होिा ये है की हमारा
ध्यान कायों के बीच
िेजी से नशफ्ट होिा
रहिा है।
9. (iv) वैकनपपक (Alternating) अवधान – एक साथ नवनभन्न
उद्दीपकों के बीच एकाग्रिा को नशफ्ट या नस्वच करने की क्षमिा को
वैकनपपक (Alternating) अवधान कहा जािा है। वैकनपपक
अवधान संज्ञानात्मक संसाधनों में पाये जाने वाले लचीलेपन को इंनगि
करिा है। इस िरह का अवधान सबसे अनधक नकसी नबिी के न्ि में काम
करने वाले
सेपसमैन में पाया
जािा है जो एक ही
समय में कई सारे
ग्राहकों को सेवा
देिा है।
10. उपरोि चसचात अवधान के प्रकारों के अलावा सवसभन्न पुसस्तकाओं और
पुस्तकों र्ें अवधान के सनम्नसलसित प्रकारों पर भी प्रकाश डाला गया है: -
(i) प्राथनमक (Primary) अवधान;
(ii) सहज या नननरिय (Effortless) अवधान;
(iii) बाह्य (External) अवधान;
(iv) आंिररक (Internal) अवधान;
(v) अनैनछिक
(Involuntary)अवधान;