हेनरी इलियट के अनुसार “यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं और व्यवहारिक जीवन पर प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है”
2. व्यावहारिक मनोववज्ञान का अर्थ
दैनिक जीवि में मिोवैज्ञानिक निद्ाांतों और नियमों का
अिुप्रयोग।
पररभाषा
हेिरी इनियट के अिुिार “यह मनोववज्ञान की ऐसी शाखा है वजसमें शुद्ध औि ववशेषकि
प्रायोविक मनोववज्ञान की वववियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं औि
व्यवहारिक जीवन पि प्रयोि किने का
प्रयास वकया जािा है”
3. अिुप्रयुक्त या व्यावहाररक मिोनवज्ञाि वह क्षेत्र है जो
मिोनवज्ञाि के निद्ाांतों पर कें नित होता है एवां उिका अध्ययि करता
है। व्यावहाररक मिोनवज्ञाि अमूतत निद्ाांतों और प्रयोगशािा आधाररत प्रयोगों का वास्तनवक दुनिया के
पररणामों के पररप्रेक्ष्य में अध्ययि करता है। यह शास्त्र मूतत पररणामों को प्राप्त करिे के निए मिोनवज्ञाि के
निद्ाांतों की पुनि करिे का प्रयाि करता है।
मौनिक मिोनवज्ञाि ज्ञाि और प्रयोग
के नवस्तार के निए गहरे एवां िूक्ष्म ज्ञाि
की तिाश करता है जबनक व्यावहाररक
मिोनवज्ञाि अनजतत ज्ञाि को वास्तनवक
जीवि में उपयोग पर कें नित होता है।
4. उद्देश्य
व्यावहाररक मिोनवज्ञाि मािव के व्यावहाररक पक्ष िे िांबांनधत होता है
नजिमे अिि जीवि की व्यावहाररक िमस्याओां का अध्ययि नकया जाता है। इिके िाथ-िाथ यह मािव आचरण
में वाांछिीय पररवतति िािे में िहायक होता है। और व्यवहार िे िम्बांनधत िमस्याओां का िमाधाि करिे में भी
महत्वपूणत भूनमका निभाता है। व्यावहाररक मिोनवज्ञाि का उद्देश्य व्यनक्त की नवनभि गनतनवनधयों का वणति,
भनवष्यवाणी तथा
नियांत्रण करिा होता है। नजिके फिस्वरूप व्यनक्त
अपिे जीवि को बुनद्मता पूणत ढांग िे िमझ िके
और अपिे आि-पाि के वातावरण (मिोवैज्ञानिक,
िामानजक एवां प्राकृ नतक) के िाथ िफितापूवतक
अांतःनिया कर िके ।
6. िगभग 5152 वषत पहिे पारांपररक चांि कै िेंडर के
अिुिार मागतशीषत माि के शुक्ि पक्ष के 11 वें नदि (िवांबर -
नदिांबर) यानि मागतशीषत माह के शुक्ि पक्ष की एकादशी के नदि गीता का उपदेश नदया गया था जो
व्यावहाररक मिोनवज्ञाि का एक अद्भुत उदाहरण है। के वि अपिे नवचारों के माध्यम िे श्री कृ ष्ण िे
अजुति के िभी भ्रम दूर
कर नदए थे और उिे मािनिक
रूप िे अपिा कततव्य निभािे के
निए तैयार कर निया था।
7. आिुवनक व्यावहारिक मनोववज्ञान के संस्र्ापक
ह्यूगो मस्टरबगत को
आधुनिक व्यवहाररक
मिोनवज्ञाि का िांस्थापक
मािा जाता है।
8. अरस्तु और प्िेटो िे िेकर पेस्टिोजी, फ्ाांनिि गाल्टि,
नवनियम स्टित, थोरांडाइक, वॉिटर स्कॉट और नफर ह्यूगो मस्टरबगत िे
नशक्षा एवां जीवि में मिोनवज्ञाि की भूनमका पर प्रकाश डािा है। इि दौराि कई महत्वपूणत पुस्तकों
जैिे “The soul of child” (William Thierry Preyer, 1892); “Teachers
handbook of Psychology” (James Sully, 1886); “Witness
Testimony” (William Stern, 1910); Educational Psychology (E. L.
Thorndike, 1903); “Psychology
and Industrial Efficiency”
(Musterberg, 1913) इत्यानद
प्रकानशत की गई नजिमें
मिोनवज्ञाि की व्यावहाररकता
पर प्रकाश डािा गया।
9. इि दौराि कई अांतरराष्रीय िांगठिों का निमातण हुआ
नजन्होंिे इि नवषय को िोगों के करीब िािे में अपिी भूनमका निभाई।
कु छ पनत्रकाएँ भी शुरू की गई नजन्होंिे िये िये अिुिांधािों एवां निद्ाांतों तक आम िोगों की पहुांच
बिाई। “Psychological Clinic,
Journal of applied Psychology,
Association of Consulting
Psychologists, American
Association of Applied
Psychology इत्यानद।
10. मिोनवज्ञाि को व्यावहाररकता में िािे के निए 1921 में
टरमि द्वारा जीनियि स्टडी आरम्भ की गई और हरमैि रोशा द्वारा रोशा
स्याही धब्बा टेस्ट का निमातण नकया गया। 1925 में मिोनवज्ञाि िे िेिा में अपिी
उपयोनगता िानबत की। वॉटिि िे व्यवहारवाद की शुरुआत की और नदखाया नक वातावरण का
व्यनक्तत्व पर िाथतक प्रभाव पड़ता है। 1928 में मागतरेट मीड िे िानबत नकया नक िामानजक
कारकों में पररवतति करके बच्चों
के व्यवहार में पररवतति
नकया जा िकता है।
11. 1938 में मरे एवां मॉगति िे TAT का निमातण नकया। मिोनवज्ञाि
का प्रयोग िगभग हर क्षेत्र में होिे िगा, उदाहरण के निए नशक्षा, िैदानिक, िैन्य,
स्वास््य आनद। इिके बाद तो मिोनवज्ञाि का नवस्तार तेजी िे हुआ। 1979 में एनिज़ाबेथ
िोफ्टुि िे चश्मदीद गवाह की रचिा की नजिके कारण मिोनवज्ञाि न्यानयक प्रणािी में अपिी जगह बिािे में िफि
हुआ नजिके फिस्वरूप फोरेंनिक मिोनवज्ञाि का जन्म हुआ और उिे मान्यता प्राप्त हुई। इिके बाद तो मिोनवज्ञाि िे
आनथतक क्षेत्र, राजनिनतक, िमाज,
िांगठिात्मक एवां खेि में भी अपिी
उपयोनगता िानबत की। इि प्रकार
मिोनवज्ञाि एक िांबा िफर तय करके
आज के आधुनिक युग तक पहुँच
चुका जहाां यह आनटतनफनशयि
इांटेनिजेंि के नवकाि में भी अपिा
योगदाि दे रहा है।
13. बहुनवकल्पीय प्रश्न
(Multiple Choice Questions)
Q 1. दैनिक जीवि में मिोवैज्ञानिक निद्ाांतों और नियमों का अिुप्रयोग कहिाता है?
a. मिोनवज्ञाि b. अिामान्य मिोनवज्ञाि
c. िामान्य मिोनवज्ञाि d. व्यावहाररक मिोनवज्ञाि
Q 2. व्यनक्त की व्यवहाररक िमस्याओां का िमाधाि करिे के निए प्राय मिोनवज्ञाि की नकि
शाखा का उपयोग नकया जाता है?
a. व्यावहाररक मिोनवज्ञाि b. िांज्ञािात्मक मिोनवज्ञाि
c. प्रायोनगक मिोनवज्ञाि d. निया शोध मिोनवज्ञाि
14. Q 3. गीता उपदेश कब नदया गया था?
a. कानततक एकादशी b. मागतशीषत एकादशी
c. कानततक एकादशी शुक्ि पक्षd. मागतशीषत एकादशी शुक्ि पक्ष
Q 4. आधुनिक व्यवहाररक मिोनवज्ञाि का िांस्थापक नकिे मािा जाता है?
a. निगमांड फ्ायड b. ह्यूगो मस्टरबगत
c. नवनियम जेम्ि d. प्रोफे िर अस्थािा
Q 5 1921 में जीनियि स्टडी की शुरुआत नकि मिोवैज्ञानिक िे की?
a. बीएफ नस्किर b. जॉि वाटिि
c. िुईि टमति d. जेपी नगिफोडत
15. िघुउत्तरात्मक प्रश्न
(Short Answer Questions)
Q 1. व्यावहाररक मिोनवज्ञाि को पररभानषत कीनजए?
Q 2. व्यवहाररक मिोनवज्ञाि के उद्देश्य पर प्रकाश डानिए।
Q 3. निद् कीनजए नक श्री कृ ष्ण द्वारा नदया गया गीता उपदेश व्यावहाररक मिोनवज्ञाि का एक
अद्भुत उदाहरण है।
Q 4. मिोनवज्ञाि िे नकि-नकि क्षेत्रों में अपिी उपयोनगता िानबत की है नकन्हीं चार का िाम
निनखए।
Q 5. नकन्हीं चार नवश्व प्रनिद् मिोवैज्ञानिकों के िाम निनखए।