1. अवधान की ववशेषताएं
डॉ राजेश वर्ाा
अविस्टेंट प्रोफे िर (र्नोववज्ञान)
राजकीय र्हाववद्यालय आदर्पुर, वहिार,
हररयाणा
2. अर्ा
संवेदी या मनोवैज्ञाननक इनपुट के प्रनि की जाने वाली प्रनिनिया
के नलए संज्ञानात्मक संसाधनों को इकट्ठा करने में
लगने वाले श्रम
को अवधान
कहा जािा है।
साधारण शब्दों में, बाहरी या आंिररक उद्दीपकों के नलए स्वैनछिक या
अनैनछिक रूप से ध्यान देने की प्रनिया।
3. पररभाषा
वह प्रविया वजिके र्ाध्यर् िे एक िर्ूह िे दूिरों की अपेक्षा कु छ उद्दीपकों को ही चुना
जाता है, को आर्तौर पर अवधान कहा जाता है (NCERT, XI)।
ऐिी वस्र्वत वजिर्ें व्यवि के िंज्ञानात्र्क िंिाधन पयाावरण के कु छ वववशष्ट पहलुओं
पर ही कें वित होते हैं और कें िीय तंविका तंि उद्दीपकों के प्रवत प्रवतविया करने की तत्परता की
वस्र्वत र्ें होता है (एपीए)।
िंक्षेप र्ें, वकिी वववशष्ट
उद्दीपक के प्रवत कें वित
जागरूकता की वस्र्वत को
अवधान कहा जाता है।
4. अवधान की कु ि नवशेषिाएँ
अवधान संज्ञान (Cognition) का घटक होिा है और कु ि मनोवैज्ञाननक
िो इसे संज्ञान से पूवव की प्रनिया/अवस्था मानिे हैं।
1. अवधान एक चयनात्मक प्रनिया है।
2. प्रयत्षण अवधान का ही पररणाम होिा है।
3. अवधान लक्ष्य-ननदेनशि
या उद्दीपक-प्रेररि हो सकिा
है (Yantis, 1993)।
4. संवेदी या माननसक
घटनाओं पर एकाग्रिा
(Solso, 2006) अवधान के
नलए पूवव शिव होिी है।
5. 5. अवधान एक गनिशील और मोबाइल माननसक प्रनिया होिी है।
6. यह सभी-या-कोई नहीं नसद्ांि पर काम करिा है यानी या िो हम नकसी
उद्दीपक पर पूरा ध्यान देिे हैं या निर नबलकु ल भी नहीं। अथावि अवधान आधा-
अधूरा नहीं होिा।
7. उद्दीपक की नवशेषिाओं के आधार पर अवधान एक उद्दीपक से दूसरे
उद्दीपक की और स्थानांिररि होिा रहिा है।
8. अवधान व्यनि
की माननसक नस्थनि
और अन्य मनोवैज्ञाननक
चरों पर भी ननभवर
करिा है।
6. 9. अवधान एक ऐसी व्यनिपरक और अमूिव घटना होिी है नजसके पररणाम
वस्िुननष्ठ होिे हैं।
10. अवधान प्रनिया जागरूकिा से ननकटिा से संबंनधि होिी है।
11. उद्दीपक की प्रकृ नि
के आधार पर अवधान
आकनषवि करने वाला या
प्रनिकारक भी हो सकिा
है।
12. ‘रूनच’ अवधान के
प्रमुख ननणावयक कारकों
में से एक कारक होिा है।
7. 13. इसकी अवनध लक्ष्यों की पूनिव िक ही सीनमि होिी है।
14. इसकी प्रकृ नि गनिशील होिी है नजसमे मोटर समायोजन (Motor
adjustment) की आवश्यकिा होिी है।
15. अवधान उद्देश्यपूणव होिा है जो मनो-जैनवक आवश्यकिाओं द्वारा ननदेनशि
होिा है।
16. अवधान के िीन प्रमुख घटक होिे हैं अथावि् संज्ञानात्मक (Cognitive),
इछिा-शनि संबंधी (Conative) और भावात्मक
(Affective)।