1. समस्या समाधान: एक परिचय
डॉ राजेश वर्ाा
असिस्टेंट प्रोफे िर (र्नोसवज्ञान)
राजकीय र्हासवद्यालय आदर्पुर, सहिार, हररयाणा
2. कु छ महत्वपूर्ण कथन
“मनुष्य को जीवन में कठिनाइयाां जरूिी होती हैं
क्योंकक सफलता का आनांद उिाने के ललए वे बहुत
आवश्यक हैं”
“जजस ठदन आपके जीवन में कोई समस्या नहीां आती है,
तो यह सुननजश्चत है कक आप सही िाह पि नहीां जा िहे हैं”
“हम अपनी समस्याओां का समाधान उसी सोच से
नहीां कि सकते हैं जजससे वे उत्पन्न हुई थी”
3. पररभाषा
"समस्याओं के समाधान खोजने की प्रक्रिया"।
"ऐसी संज्ञानात्मक प्रक्रिया जो कु छ समस्याओं या बाधाओं के
परिणामस्वरूप शुरू होती है औि क्रकसी समाधान या लक्ष्य तक पहंचने पि समाप्त हो
जाती है"।
समस्या समाधान ऐसी सोच होती है जो एक क्रवक्रशष्ट समस्या के समाधान
की
ओि क्रनर्देक्रशत होती है
क्रजसमें र्दोनों अर्ाात
प्रक्रतक्रियाओं के गठन औि
संभाक्रवत प्रक्रतक्रियाओं में
से चयन शाक्रमल होते हैं
(Solso, 2006)।
4. परिचय
एक प्यासे कु त्ते की गर्दान से 6 फु ट की िस्सी से बंधी है औि पानी से भिा
एक बतान 10 फीट र्दूि िखा
हआ है। कु त्ता उस बतान तक कै से पहंचेगा
(Solso, 2006, p 453)?
समस्या समाधान उच्च स्तिीय
प्रसांस्किर् क्षमता का सूचकाांक होता
है। सभी वैज्ञाननक, कला औि साठहजत्यक
ववकास समस्या समाधान के ही परिर्ाम हैं। जीवन के हि
कदम पि मनुष्य [वास्तव में सभी प्राणर्यों] समस्याओां
औि चुनौनतयों का सामना किता है।
5. औि क्रर्दलचस्प रूप से वे संज्ञानात्मक क्षमता के माध्यम से क्रवक्रभन्न िणनीक्रतयां
तैयाि किते हैं औि क्रफि इन समस्यों का समाधान किते हैं। यह एक क्रवशेष प्रकाि की सोच
होती है क्रजसमें कई प्रकाि के क्रवचाि औि अवधािणाएं शाक्रमल होती हैं जो संज्ञानात्मक
संसाधनों के उपयोग के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।
समस्या समाधान की अपनी ही कु छ समस्याएं होती हैं! जैसे: -
(i) मानक्रसक क्रवन्यास (Mental Set),
(ii) प्रकायाात्मक क्रस्र्िता
(Functional Fixedness),
(iii) अक्रभप्रेिणा का आभाव
(Lack of Motivation), औि
(iv) पुक्रष्ट पूवााग्रह
(Confirmation bias)।
6. (i) मानक्रसक क्रवन्यास (Mental Set) – यह मन की एक ऐसी
क्रस्र्क्रत होती है क्रजसमे पहले से जांचे-पिखे औि आजमाए हए मानक्रसक
तिीकों को अपनाकि समस्या
से क्रनपटने की कोक्रशश की
जाती है (Solso, 2006)।
उद्दीपक की प्रकृ क्रत के
आधाि पि, मानक्रसक
क्रवन्यास, प्रत्यक्षण औि
क्रचंतन में वृक्रि किता है
औि सार् में उन्हें
अवरुि भी किता है।
7. (ii) प्रकायाात्मक क्रस्र्िता (Functional Fixedness) – क्रकसी वस्तु के
सामान्य काया पि क्रस्र्ि िहना। यह शब्र्द काला डनकि द्वािा 1945 में सुझाया गया र्ा।
वस्तुओं को के वल उनके परिक्रचत
उपयोगों के संर्दभा में प्रत्यक्रक्षत
किने की प्रवृक्रत्त (Solso, 2006)।
यह प्रवृक्रत्त वस्तुओं के सामान्य
उपयोग से पिे उपयोग किने में
एक प्रकाि की मानक्रसक बाधा
उत्पन्न किती है। उर्दाहिण के
क्रलए यक्रर्द आप पेंक्रसल को
चींक्रटयों के क्रलए पुल बनाने में
उपयोग किते हैं तो इसका अर्ा
है क्रक आपने कायाात्मक क्रस्र्िता
को पाि कि क्रलया है।
8. (iii) अक्रभप्रेिणा का आभाव (Lack of Motivation) – एक व्यक्रि
अपनी संज्ञानात्मक क्षमता के आधाि पि समस्या समाधान में सक्षम तो है लेक्रकन
उसमे प्रेिणा का अभाव है। ऐसी क्रस्र्क्रत में क्रकसी समस्या का
सवाश्रेष्ठ समाधान खोजना
मुक्रककल हो जाता है। कई बाि
ऐसा होता है की लोग आसानी
से हाि मान लेते हैं औि कोक्रशश
किना छोड़ र्देते हैं। यह सब
प्रेिणा की कमी के कािण
होता है।
9. (iv) पुक्रष्ट पूवााग्रह (Confirmation Bias) – पुक्रष्ट पूवााग्रह का अर्ा है
‘आने वाली सूचनाओं में स्वयं के क्रवचािों औि क्रवश्वासों की पुक्रष्ट किने’ से होता है।
यह सूचना के प्रक्रत एक प्रकाि का संज्ञानात्मक पूवााग्रह औि उसकी
चयनात्मक व्याख्या [स्वयं की
मान्यता के अनुसाि] होती है।
पूवााग्रह वांक्रछत परिणामों,
संवेगात्मक मुद्दों औि प्रबल
मान्यताओं के प्रक्रत अक्रधक
मजबूत होते हैं (क्रवक्रकपीक्रडया)।
10. समस्या समाधान की ववशेषताएां
1. हि समस्या के क्रलए एक क्रवक्रशष्ट समाधान की आवयककता होती है।
2. कभी-कभी एक समाधान कई समस्याओं को सुलझाने में काम आ जाता है।
3. समस्या
समाधान के वल
इंसान ही नहीं
किता बाकी सभी
जीव भी किते हैं।
4. समस्या
समाधान में संभव
समाधानों में से
सवाश्रेष्ठ समाधान
का चयन क्रकया
जाता है।
11. 5. समस्या को हल किने की क्षमता अपेक्षाकृ त बेहति
सांज्ञानात्मक क्षमता का सांके त होता है।
6. समस्या समाधान अवलोकन, प्रत्यक्षर्, बुद्धध,
िचनात्मकता औि सकािात्मक धचांतन का प्रकायण होता है।
7. समस्या समाधान लक्ष्य ननदेलशत होता है जजसमे प्रािांलभक
औि
अांनतम अवस्था
होती है।
12. िर्स्या िर्ाधान की कु छ र्हत्वपूणा सवसधयााँ
(i) प्रयास एवं त्रुक्रट (यांक्रत्रक या मशीनी समाधान) (Trial and
Error),
(ii) कलन क्रवक्रध (एल्गोरिर्दम, Algorithms),
(iii) अनुभव पि
आधारित या स्वतः
शोध प्रणाली
(ह्युरिक्रस्टक्स,
Heuristics), एवं
(iv) अन्तर्दाक्रष्ट
(Insight)।
13. (i) प्रयास एवं त्रुक्रट – इस क्रवक्रध में क्रकसी समस्या के क्रवक्रभन्न
समाधानों को िक्रमक रूप से तब तक आजमाया जाता है जब तक क्रक
सबसे अच्छा समाधान न क्रमल जाए।
उर्दाहिण के क्रलए ईमेल
खाते का पासवडा भूल
जाने पि अलग-अलग
पासवडा डाल कि खाते
में प्रवेश किने की
कोक्रशश किना।
14. (ii) कलन क्रवक्रध (एल्गोरिर्दम, Algorithms) – इसे गक्रणत के सवालों को हल
किने के क्रनयमों की प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है। एल्गोरिर्दम स्पष्ट रूप से
परिभाक्रषत चिणों की एक श्रृंखला होती है जो एक क्रनक्रित प्रकाि की समस्याओं को हल
किने के क्रलए प्रयोग की जाती है। क्रकसी क्रवक्रशष्ट समस्या को हल किने के क्रलए चिण-र्दि-
चिण क्रवक्रशष्ट प्रक्रिया प्रयुि होती है। यह क्रवक्रध सवोत्तम समाधान सुक्रनक्रित किती है लेक्रकन
इसमें र्ोड़ा समय जरूि लगता है। गक्रणतीय सूत्र एल्गोरिर्दम के सबसे अच्छे उर्दाहिण होते हैं।
कं प्यूटि क्रकसी
समस्या के समाधान पि पहंचने
के क्रलए इस पिक्रत का ही
उपयोग किते हैं। एल्गोरिर्दम
हमेशा अमल में नहीं लाए जा
सकते हैं अर्ाात वे हमेशा
व्यावहारिक नहीं होते हैं।
15. (iii) अनुभव पि आधारित या स्वतः शोध प्रणाली (ह्युरिक्रस्टक्स, Heuristics) –
इसे 'अनुभवक्रसि क्रनयम' (Rule of Thumb) के रूप में भी जाना जाता है। पूवा
अनुभवों के आधाि पि यह एक प्रकाि का क्रशक्रक्षत अनुमान होता है। अक्रधकांशतः मनुष्य
समस्या समाधान के क्रलए ह्युरिक्रस्टक्स का उपयोग किना पसंर्द किते हैं क्योंक्रक समस्या
समाधान के क्रलए यह आसान औि तेज़ तिीका होता है। लेक्रकन हेयूरिक्रस्टक्स से हमेशा सही
समाधान तक पहंचना संभव नहीं होता है।
ह्युरिक्रस्टक्स क्रवक्रभन्न प्रकाि
के होते हैं जैसे क्रक द्योतक,
लक्ष्य से पीछे की औि
चलना, लक्ष्य को छोटे-छोटे
उप-लक्ष्यों में क्रवभाक्रजत
किना औि साधन-अंत-
क्रवश्लेषण इत्याक्रर्द ।
16. (iv) अन्तर्दाक्रष्ट – वोल्फगैंग कोहलि (1917) ने अपनी प्रक्रसि पुस्तक 'र्द
मेंटक्रलटी ऑफ एप्स' में समस्या समाधान की यह क्रवक्रध सुझाई है। जब क्रकसी समस्या
का हल अचानक क्रमलता है, तो आमतौि पि इसे 'अहा' पल कहते हैं, क्रजसे
साधािणतया ‘क्रर्दमागी की बत्ती जलना’ भी कहा जाता है। अंतर्दाक्रष्ट में मक्रस्तष्क
क्रकसी औि क्रिया में
व्यस्त िहते हए
समस्या को क्रफि से
संगक्रठत किता है
(Durso et al.,
1994) क्रजससे
समस्या समाधान
में मर्दर्द क्रमलती है।
17. उत्तर
कु त्ता उि बर्ान के पाि जाकर पानी पी िकर्ा है
क्योंसक रस्िी सिफा उिकी गदान र्ें ही बंधी
थी!!
18. सन्दभण:
1. NCERT, XI Psychology Text book.
2. Solso, R. S . (2006). Cognitive Psychology. New Delhi:
Pearson.
3. Ciccarelli, S. K. & Meyer, G. E. (2016). Psychology. New
Delhi: Pearson.
4. Durso, F., Rea, C.
& Dayton, T. (1994).
Graph-theoretic
confirmation of
restructuring during
insight. Psychological
Science, 5, 94-98.