2. TABLE OF CONTENT:-
•INTRODUCTION
•MORPHOLOGY
•INDUSTRIAL USE
•AREA AND PRODUCTION
•LAND PREPARATION
•SEED AND SOWING
•TYPES OF MAIZE
•VARIETY
•METHOD OF SOWING
•WATER MANAGEMENT
•MANURE AND FERTILIZER
•WEEDS
•DISEASE
•INSECT
•HARVESTING
•SHELLING
•PRODUCTION
•IMPORTANT POINT
3. INTRODUCTION
इसे (Maize) अन्न वाली फसलों की रानी कहा जाता है
(queen of cereal crops) क्योंकक इसकी उत्पादकता अन्य
फसलो अधिक होती है। शहरी क्षेत्रों में इसक
े हरे भुट्टों का
बडा बाजार उपलब्ध है। इसक
े आटे से रोटटयााँ भी बनाई जाती
हैं। मक्क
े का उपयोग मुर्गियों एवं पशुओं क
े आहार में ककया
जाता है। इसक
े हरे तना या सूखी कडवी भी पशुओं को
खखलाया जाता है। मक्क
े क
े भुट्टों को पकने क
े ठीक पहले
तोडकर इन्हें भूनकर खाया जाता है। इससे सूप एवं आटे से
ववभभन्न खाद्य उत्पाद भी बनाये जाते हैं। पूरे ववश्व में
पॉपकॉनि बडे चाव से खाये जाते हैं।
4. MORPHOLOGY
मक्का एक द्ववभलंगाश्रयी (Monocious)
पौधा है जजसमें नर व मादा पुष्प एक ही
पौधे पर अलग-अलग जगह पाये जाते
है।
SILKS: – Female flower of maize.
TASSEL: – Male flower of maize.
5. मक्क
े क
े दाने में :-
•10% प्रोटीन,
•4% तेल,
•70% काबोहाइड्रेड्स,
•5-7% वसा
•3-5% रेशा एवं
•2% खननज पाया जाता है।
INDUSTRIAL USE (औद्योधिक उपयोि) :
मक्का को उद्योगों में ववभभन्न रूपों में उपयोग ककया जाता है। दानों से बने
आटा से कॉनिफ्लेक्स बनाये जाते हैं। इसका तेल भी खाना बनाने में उपयोग ककया जाता है।
मक्का से स्टाचि भी ननकाला जाता है। यह शराब बनाने में भी उपयोग ककया जाता है। इससे
स्टाचि-आधाररत गोंद भी बनाई जाती है। इसक
े अनतररक्त मक्का का उपयोग टेक्सटाइल
(कपडा उद्योग) एवं दवाई उद्योगों में भी ककया जाता है। मक्क
े का उपयोग सावुन बनाने क
े
उद्योग में भी ककया जाता है। उक्त क
े अनतररक्त, मक्का का उपयोग एभसटटक एभसड,
लैजक्टक एभसड, ग्लूज़, पेपर, प्लाजस्टक, डाई, भसंथेटटक रबर, रेजज़न, कृ त्रत्रम चमडा, बूट
पॉभलश आटद क
े ननमािण में ककया जाता है।
6. AREA AND PRODUCTION (क्षेत्र एवं उत्पादन) :
•गेहूाँ एवं धान क
े बाद ववश्व में मक्का का तीसरा स्थान है।
•उत्पादकता की दृजष्ट से ववश्व में अमेररका का स्थान प्रथम है जजसक
े बाद
यूरोप का क्रम है।
•ववश्व में मक्क
े क
ु ल खेती क्षेत्र का 5.4% भाग भारत में है, जजससे ववश्व
उत्पादन का 1.7% उत्पादन भारत में होता है।
•क्षेत्रफल एवं सकल उत्पादन की दृजष्ट से भारत में उत्तर प्रदेश का स्थान
प्रथम है जबकक कनािटक में इसकी उत्पादकता सबसे अर्धक है।
7. CLIMATE (जलवायु) :
•मक्का एक उष्णीय पौधा है जो गमि एवं तर जलवायु में अच्छा होता है।
•Maize एक कम प्रकाश अवर्ध का पौधा (short day plant) एवं C4 प्रकार क
े प्रकाश
संश्लेषण वाला पौधा है।
•यह कम एवं अर्धक मृदा नमी, दोनों क
े भलए बहुत संवेदनशील होता है।
•अच्छे अंक
ु रण क
े भलए 21°C तापमान आवश्यक होता है।
•तथा वृद्र्ध क
े भलए 32°C तापमान आवश्यक होता है।
•मक्का की खेती रबी, जायद, खरीफ तीनों मौसमों में की जा सकती है।
8. LAND PREPARATION (भूमम की तैयारी) :
सभी मक्का उत्पादन क्षेत्रों में गमी क
े टदनों में 2-3 जुताई आवश्यक है।
खरपतवारों क
े ननयंत्रण क
े भलए भूभम की गहरी जुताई मददगार होती है। इससे भूभम में
नमी का संरक्षण भी बढ़ता है। इसी प्रकार क्यारी एवं क
ू ड या मेंड एवं क
ुं ड (ridge &
furrow) पद्धनतयााँ अद्िध-शुष्क (Semi-arid) एवं उपार्द्ि (Sub-humid) क्षेत्रों क
े भलए
उपयोगी होती हैं।
जजंि टेरेमसंि (Zingg Terracing): इस ववर्ध में खेत क
े 75% भाग में मक्क
े की खेती
जाती है। इस भाग को ढ़लावदार (Slopy) रखा जाता है।
9. SEED AND SOWING (बीज एवं बुवाई) :
अच्छा उत्पादन प्राप्त करने क
े भलए 60,000 से 80,000 पौधे/हे. इष्टतम पाये गये है । ववभभन्न
फसल पद्धनतयों क
े भलए बीज दर ननम्न हैं:-
•शुद्ध फसल क
े भलए- 20-25 ककग्रा./हे. (60×25 सें.मी. या 75×20 सें.मी.)
•संक
ु ल ककस्मों की – 18-20 Kg/ha – रबी फसल क
े भलए – 20-25 Kg/ha
•चारा क
े भलए- 40-50 कक.ग्रा./हे. अर्धकांश क्षेत्रों क
े भलए मक्क
े की बुवाई की दूरी 45×20 से.मी. अच्छी पाई
गई है।
Corn For Fodder Corn For Grain Purpose
10. मक्का क
े प्रकार (Types of Maize) :
•Dent Corn (Zea mays var. identata sturt)– दक्षक्षण अमेररका में उगाया जाने वाला मक्का का प्रमुख प्रकार हैं। इसक
े दाने
क
े शीषि में पीला या सफ
े द रंग का धब्बा (dent) बना होता है। (दाने क
े जल्दी से सूखने एवं कोमल स्टाचि क
े भसक
ु डने क
े
कारण मक्क
े क
े बीज में हल्का गड्ढा या डेन्ट बन जाता है।)
•Flint Corn (Zea mays var. indurate sturt)- भारत में इसकी खेती बडे पैमाने पर की जाती है। इसे यूरोप, एभशया, मध्य
अमेररका एवं दक्षक्षण अमेररका में उगाया जाता है।
•Popcorn (Zea mays var. verta stust)– इस मक्का में अद्भुत गुण होते हैं। इसक
े दाने का आकार छोटा होता है परंतु
इसका गूदा बहुत कडा होता है। जब इन दानों को गमि ककया जाता है तब दाने क
े अंदर दबाव बनता है एवं एका-एक यह फ
ू ट
जाता है तथा दाना बाहर की तरफ पलट जाता है।
•Sweet Corn (Zea mays var saccharata sturt)– इसक
े गूदा क
े मुख्य भाग होते हैं शक
ि रा एवं स्टाच जो इसक
े दानों में
पकने क
े पहले मीठा स्वाद देते हैं। पकने क
े बाद इसक
े दाने वपचक जाते हैं। इसक
े भुट्टों को खाने क
े भलए पकने क
े पहले
तोड भलया जाता है। इसे मुख्य रूप से अमेररका क
े आधे उत्तरी भाग में उगाया जाता है।
•Flour corn (Zoa mays var anylacea Sturt)– इसमें गूदा नमि होता है। इसक
े दाने कोमल होते है। हााँलाकक,
इसक
े कई रंगों को उगाया जाता है परंतु सफ
े द और नीले रंग क
े दाने वाले मक्का की खेती ज्यादा की जाती है।
इसे अमेररका एवं दक्षक्षण अफ्रीका में उगाया जाता है।
•Pod Corn (Zea mays var tunicate kulesh)– इसक
े प्रत्येक दाने फली में बंद होते हैं। यह एक प्राचीन मक्का
है अतः इसका कोई आर्थिक महत्व नहीं है।
•Waxy corn (Zea mays var ceratina kulesh)– जब इसक
े गूदे को काटा या तोडा जाता है तब यह मोम जैसा
टदखाई देता है। यह टैवपयोका क
े समान स्टाचि पैदा करता है जजससे र्चपकने वाले सामान बनाये जाते हैं।
11.
12. राज्य अततमिग्रपकनेवाली जल्दीपकनेवाली माध्यमअवधि देरसेपकनेवाली
पंजाब
H*: वववेक-17 एवं 21,
PEEH-5
H : PAU-352, PEH-3,
JH 3459, प्रकाि
H : HM-4, HM-
8, एवं 10, DK 701
H: PMH-3,PMH-
1, बुलंद, pro-311, Bio-
9681, NK-61
हररयाणा
H: वववेक – 17 एवं 21
PEEH-5
H: HHM-1, PAU
352, पूसाअलीहाइब्रिड -3
JH-3359, प्रकाि, X-
3342
H:HM-2, HM-
4,8 एवं 10, DK-701
H;PMH-3, बुलंद, HM-
5, NK-61 PRO-311,
BIO-9681, SEED TECH
-2324
उत्तर प्रदेि
H:वववेक -5,15, 17, 31
and 27 PMH-2
H: JH-3459, प्रकाि ,
PEH-2, X-3342
C: पूसा कमपोजजट-4
H:HM-8 and
10 मालवीयहाइब्रिडमक्का
-2, BIO-9637
बुलंद
छत्तीसिढ़ H: वववेक -27 H: प्रकाि, X-3342 C: प्रताप मक्का -5
H: PEHM-1 Pioneer-30
V 92 EVM 30 R 26
BIO-9681, Pro- 4640
AND 4642
VARIETY ककस्में :
13. METHOD OF SOWING (बुवाई की ववधि) :
•अच्छा उत्पादन प्राप्त करने क
े भलए मक्क
े की बुवाई मेंडों (ridges) क
े बाजू में डडबभलंग
ववर्ध से करना चाटहए।
•बीजों की बुवाई 2-3 सें.मी. की गहराई पर करें।
•मेंडों (ridges) में बुवाई करने से भसंचाई एवं जल ननकास, दोनों में सहायता भमलती है।
INTER-CRPOPING (अन्तः कृ वि) : समय पर खरपतवारों का ननयंत्रण आवश्यक
है। समय पर एवं सही तरीक
े से अन्तः कृ वष कक्रयाएाँ (ननंदाई-गुडाई) करने से भूभम में
वायु का संचार बढ़ता है जजससे उत्पादन अच्छा होता है।
14. WATER MANAGEMENT (जलप्रबन्ि) :
•सूखा एवं जल भराव, दोनों क
े भलए मक्का संवेदनशील होता है। मक्का क
े भलए उपलब्ध मृदा
नमी की इष्टतम सीमा 80-75% है।
•मध्यम भूभमयों में भसंचाई का अन्तराल 6-10 टदनों में एक बार करना चाटहए।
•मक्का की क
ु ल जलमांग 530-800 भम.मी. तक होती है जो मौसम तथा फसल मौसम में हुई
वषाि पर ननभिर करता है।
•TASSELING (मक्का में नर मंजरी) एवं भुट्टा बनने (Silking) की अवस्थाएं भसंचाई क
े भलए
संवेदनशील होती हैं। बुवाई क
े बाद 40 टदनों तक मक्क
े की फसल जल भराव क
े भलए
संवेदनशील होती है।
•प्रथम भसंचाई – नरमंझरी (Tasseling) आते समय। तथा द्ववतीय भसंचाई – मादामंझरी
(Silking) आते समय । . भसंचाई की
•क्राजन्तक अवस्था- टेसभलंग व भसजल्क
ं ग
15. पोिकतत्व मसंधित फसल अमसंधित फसल
नाइट्रोजन 120-150 80-100
फास्फोरस 60-75 40-50
पोटाि (मृदापरीक्षणक
े
आिार पर)
35 35
जजंकसल्फ
े ट (3 सालमें
एकबार)
25-50 25-50
मक्का की फसल में अनुिंमसत पोिक तत्वों की मात्रा कक.ग्रा./ हे. इस प्रकार है।
16. WEEDS खरपतवार-
•मक्क
े की फसल में कई प्रकार क
े खरपतवार आते हैं। इनमें से प्रमुख हैं- दूब, सांवा, मोथा,
जंगली रागी, भसलयारी, कनकौआ (क
े ना) गोखुरू, टहरणखुरी मकोय, हजारदाना, स्टाइगा आटद।
•मक्का की फसल में दो अन्तः कृ वष एवं दो बार हाथों से ननंदाई करनी चाटहए।
•गुडाई का कायि कतारों क
े बीच में करना चाटहए। इससे पौधों क
े आधार में भमट्टी भी चढ़ जाती
है जो पौधों को अनतररक्त सहारा देने का काम करती है
CHEMICAL CONTROL OF WEED (रासायतनक खरपतवार तनयंत्रण) :
•मक्क
े की फसल में शुरू क
े 6-7 सप्ताह खरपतवारों क
े भलए क्रांनतक अवस्था होती है।
•खरपतवार की सघनता एवं उसक
े अनतक्रमण की अवर्ध क
े अनुसार मक्का में उत्पादन 15-20% तक
कम हो सकता है।
•भसमाजजन या एट्राजजन की 2 कक.ग्रा./हे. मात्रा को अंक
ु रण क
े पूवि उपयाग करने से खरपतवारों का प्रभावी
ननयंत्रण हो जाता है।
•जब मक्का क
े पौधे लगभग 20 सें.मी. ऊ
ाँ चाई क
े हों एवं चौडी पत्ती वाले खरपतवार खेत में हों तो 2,4-D
की 1.5 से 2.0 कक.ग्रा. मात्रा/हे. की दर से डालें।
17. रोि (DISEASE) -
डाऊनी ममल््यु (तुलामसता रोि)
•यह मक्का की प्रमुख रोग है।
•यह रोग पेरेनोस्पोरेलेज मैडडस नामक कवक द्वारा फ
ै लता है।
मक्का का सफ
े द कमलका (White bud) रोि –
•मक्का क
े पौधे क
े ऊपरी भाग की. पवत्तयां सफ
े द रंग की हो
जाती है।
•यह रोग मुख्यतः जजंक की कमी से होता है।
•इसकी रोकथाम क
े भलए जजंक सल्फ
े ट @ 20-25 kg/ha.
क
े साथ प्रयोग करें।
HARVESTING (कटाई) :
•मक्का क
े हाइत्रिड्स 90-110 टदनों में पक जाते हैं।
•फसल क
े पकने पर भुट्टे का नछलका हरे-पीले रंग का हो जाता
है एवं दाने इतने कडे हो जाते हैं कक इन्हें नाखून से नहीं दबाया
जा सकता।
•भुट्टे को उनक
े दानों क
े 20% नमी की अवस्था में तोड लेना
चाटहए।
18. SHELLING (तछलाई) –
तोडे गये भुट्टों को छीलकर 2-3 टदनों क
े भलए धूप में सूखने क
े भलए छोड
देना चाटहए।
दानों को ननकालने का काम या तो डंडे से पीटकर ककया जा सकता है
अथवा हाथ या मशीन चभलत मक्का नछलाई (maize shetting shellers)
यंत्रों से।
दानों को छीलने क
े बाद इनकी सफाई कर 10-12% नमी क
े स्तर तक
सुखाकर भण्डाररत करना चाटहए।
पॉपकॉनि वाले भुट्टों को 30-35% नमी की अवस्था में काटना चाटहए तथा
इन्हें धीरे-धीरे छाया में सुखाना चाटहए।
भुट्टों से इनक
े दानों की नछलाई 12% नमी क
े स्तर पर करना चाटहए।
Popping क
े भलए नमी की इष्टतम मात्रा 12-14% होती है।
19. PRODUCTION (उत्पादन) :
•हाइत्रिड मक्का का उत्पादन 40-50 जक्वंटल/हे
•स्थानीय ककस्मों से 25-30 जक्वंटल/हे. का उत्पादन प्राप्त हो
जाता है।
20. IMPORTANT POINTS (मुख्य ब्रबन्दू)
• मक्का C4. पौधा व पर परार्गत प्रोटोएन्ड्री फसल है। (protoandry में male flower पहले mature हो जाता
है।)
•अनाजों में सबसे अर्धक उत्पादन क्षमता क
े कारण अदभुद फसल (Miracle crop) कहते है।
•मक्का को अनाजों की रानी (Queen of cereals) भी कहते है।
•इसका दाना क
े ररयोजप्सस कहलाता है।
•मक्का गमि जलवायु का पौधा व जल भराव क
े प्रनत संवेदनशील है।
•इसमें में प्रोटीन जीन (Zein) क
े रूप में पाई जाती है जजसमें टट्रप्टोफ
े न एवं लाइसीन अभमनों अम्लों की कमी
पाई जाती है।
•मक्का एक द्ववभलंगाश्रयी (Monocious) पौधा है जजसमें नर व मादा पुष्प एक ही पौधे पर अलग-अलग जगह
पाये जाते है।
•इसक
े नर पुष्प को टेसल (Tassel) कहते है तथा टेसल हटाने की प्रकक्रया को डी टेसभलंग (De- tasseling) कहते
है।
•मक्का में मादा पुष्पक्रम को भसल्क (Silk) कहते है तथा पौधे पर मादा पुष्पक्रम आने को भसजल्क
ं ग (Silking)
कहते है।
•पौधों से नर पुष्प (परागकण) हटाने की कक्रया इमास्क
ु लेशन (Emasculation) कहलाती है।
•मक्का सायलेज (हरेचारे) क
े भलए सबसे उपयुक्त फसल है। लगातार अर्धक समय तक मक्का खाने से मनुष्य
में गंजापन (Pellagrat) रोग होता है।
•Teosinte :- मक्का का नजदीक जंगली पूविज (जंगली मक्का) पौधा है।