1. गुलदाऊदी की व्यावसाययक खेती
• गुलदाऊदी एकशाकीय बहुवर्षीय पौधा है, जिसे क्म्पोजिर्ट फ
ू ल क
े अंतगटत
श्रेणीबद्ध ककया गया है।
• वतटमान में गुलदाउदी एक लोकप्रिय पौधे क
े रूप में उभरकर आई है। भारत
में शोभाकारी पौधों में इसने तीसरा फ
ू लदान में तथा अन्य सिाने क
े स्थान
ग्रहण कर ललया है।
• इसकी अनेक ििाततयााँ हैं। लमनाट, बर्न, छोर्ी, मध्यम और बड़ी गुलदाऊदी
लगभग सभी रंगों से युक्मत एवं आकार में प्रवलभन्नता ललए उगने क
े ललए
उपलब्ध है। मुख्यतः यहााँ पर सफ
े द उअर पीले रंग की गुलदाऊदी की
अधधक मांग है।
2. गुलदाऊदी क
े पौधे क
ै से तैयार करें तथा कब लगाएँ?
• इसका िसारण बीि एवं वानस्पततक दोनों प्रवधधयों द्वारा होता है।
• वानस्पततक िसारण मुख्यतः िड़ से प्रवकलसत तनों, तनों की कटर्ंग द्वारा होता है।
• सकर में िब 5-6 पप्रियााँ तनकल िाती आती है, उस समय इसे मातृ पौधे से अलग कर ललए िाता
है।
• सकर को क्पोस्र् खाद (गोबर की खाद: पिी की खाद तथा लमट्र्ी २:२:1 क
े अनुपात में लमलाकर
एक च्मच सुपर फास्फ
े र् लमला देते हैं) गमले में भरकर सघन लगा देते हैं।
• कटर्ंग क
े द्वारा बनाना गुलदाऊदी की लगभग सभी ििाततयों में िचललत है।
• शीर्षट कटर्ंग (ल्बाई 5-6 से. में. था व्यास 3.२ -4.8 मी.मी.) क
े स्वस्थ पौधों से िून माह क
े मध्य
सेिुलाई माह क
े अंत तक िड़ प्रवकलसत करने क
े ललए चयतनत कर ललया िाता है।
• िड़ों क
े प्रवकास क
े ललए इंडोल ब्यूर्ेररक एलसड से कटर्ंग को उपचाररत का 5x5 से. मी. की दुरी में
क्मयाररयों में तथा गमलों में लगा टदया िाता है।
• कटर्ंग से पौध बनने की िकिया 3-4 सप्ताह में पूरी हो िाती है। अब इन्हें िततरोप्रपत ककया िा
सकता है।
3. बीज द्वारा :
• गुलदाउदी की एक वर्षीय ककस्मो को पौध शाला में बीि बो कर पौध तैयार
करें|इसमें बीिों को फरवरी क
े महीने में लगाये | लसंगल और कोररयन वगट
की ककस्मो को बीि द्वारा ही तैयार ककया िाता है |
सकर/कल्लो द्वारा :
• इस प्रवधध में गुलदाउदी क
े पौधे को िब उसका फ
ू ल मुरझाने लगता है
िमीन से लगभग 15-20 से.मी. ऊपर से कार्े | इसक
े बाद िनवरी-फरवरी
में पौधे की िड़ क
े पास से बहुत से संकर कल्ले तनकलना िारंभ हो िाते
है, जिन्हें सावधानीपूवटक तनकालकर 10 इंच आकार क
े गमले में लगाये |
कल्ले में िड़ रहती है, इसललये ककसी तरह का हारमोन आटद िड़
तनकालने क
े ललए लगाने की आवश्यकता नहीं होती है, लेककन कल्लो को
लगाने क
े बाद गमले को हल्की छायादार िगह पर रखे |
4. कट िंग/कलम द्वारा :
• इसक
े ललये भी िथम फ
ू ल समाप्त होने क
े बाद उपरोक्मत प्रवधध की तरह ही पौधे की ऊपरी
भाग को कार्ें जिससे कल्ले तो तनकलते ही है साथ ही तने की गांठो पर से शाखाये
तनकलती है |इन नयी शाखाओं को ऊपर से लगभग 5-8 से.मी. लंबाई में गांठ क
े ठीक
ऊपर से कार्ें| इसक
े बाद शाखाओ क
े तनचले भाग से िड़ तनकलने क
े ललए क
ु छ पप्रियों
हर्ाकर िड़ वृद्धध कारक िैसे- सेराडडक्मस, क
े राडडक्मस, रूर्ाडडक्मस, आटद से उपचाररत करे |
• उपचाररत करने क
े बाद शाखाओ को रूटर्ंग मीडडया जिसमे 2 भाग लमर्र्ी 1 भाग मोर्ी
बालू तथा एक भाग पिी की खाद हो, 5 से. मी की दूरी पर तछद्र बनाकर कलम को लगाये
| उपरोक्मत लमश्रण में कलम को लगाने क
े पहले 1-2 िततशत फॉरमलीन क
े लमश्रण से
उपचाररत करने से कलम में गलने की बीमारी लगने की संभावना समाप्त हो िाती है |
कलम लगाने का उपयुक्मत समय उिरी और पूवी भारत में िून-िुलाई है | रुटर्ंग लमश्रण में
कटर्ंग लगाने क
े बाद उसे अद्टधछायादार स्थान पर रखे तथा रोिाना 2-3 बार पानी देते
रहे, जिससे नमी बनी रहे | फरवरी की अपेक्षा िून-िुलाई में कलम रोपने से फ
ू लने में
लगभग 5-6 महीने कम समय लगता है |
• कलम द्वारा तैयार ककये गये पौधे में संकर द्वारा तैयार पौधे की अपेक्षा अनावश्यक
शाखायें भी कम तनकालती है |
5. खखलने का माह लगाने का माह प्रयतरोपण माह
अक्मतूबर िून से अंत में िुलाई का अंततम सप्ताह
नब्बर िुलाई क
े आरंभ अगस्त क
े आरंभ
टदसबंर िुलाई क
े मध्य अगस्त क
े मध्य
िवनरी िुलाई क
े अंत अगस्त क
े अंत
गुलदाऊदी खखलने का माह
6. गुलदाऊदी की कौन-कौन ककस्में है?
फ
ू ल खखलने का माह प्रजायत का नाम प्रजायत का रिंग
अक्तूबर शरदमाला सफ
े द
शदरहार पीला
अजय गुलाबी
नवम्बर नानको पीला
पपिंक जीन गुलाबी
का न बाल सफ
े द
लाल परी लाल
सी-२ सफ
े द
टदसबिंर क
ुिं दन पीला
जुबली सफ
े द
जयिंती पीला
बीरबल साहनी सफ
े द
जनवरी पूजा गुलाबी
सुनीता बैंगनी
जया लाल
नीललमा बैगनी
7. खादें ककलोग्राम प्रयत एकड़
आखखरी िोताई क
े समय यूररया 160 ककलो, लसंगल सुपर फासफ
े र्
500 ककलो और ्यूरेर् ऑफ पोर्ाश 133 ककलो ितत एकड़ में डालें।
पौधे की देखभाल
•हायनकारक की और रोकथाम
चेपा: यह मुख्य तौर पर फ
ू ल तनकलने क
े समय हमला करता है। ये कीर् डंठल,
तने, फ
ू ल, कललयों आटद में से रस चूसते हैं।
यटद इसका हमला टदखे तो रोगोर 30 ई सी या मैर्ालससर्ोक्मस 25 ई सी, 2 लमली
को ितत लीर्र पानी में लमलाकर स्िे करें।
8. पौधे का ट ड्डा: यटद इसका हमला टदखे तो रोगोर 30
ई सी 2 लम.ली. या िोफ
ै नोफॉस 25 ई सी 2 लम.ली.
को ितत लीर्र पानी में लमलाकर स्िे करें।
बबहार सुिंडी और अमेररकन सुिंडी: बबहार सुंडी मुख्य रूप से
पौधे क
े पिों को खाती है िब कक अमेररकन सुंडी पौधे की
कललयों और फ
ू लों को खाती है।
बबहार सुंडी की रोकथाम क
े ललए, जक्मवनलफॉस 2 लम.ली.
को ितत लीर्र पानी में डालकर स्िे करें। अमेररकन सुंडी
की रोकथाम क
े ललए, नुवािॉन (डाइक्मलोरोफॉस) 2-3
लम.ली. को ितत लीर्र पानी में डालकर स्िे करें
9. पत्तों पर सफ
े द धब्बे: यह ओइडडअम
कराईसैन्थेलम क
े कारण होता है। पिों और तनों
पर सफ
े द रंग क
े धब्बे देखे िा सकते हैं।
इस बीमारी की रोकथाम क
े ललए क
ै राथेन 40 ई
सी, 0.5 % की स्िे करें।
•बीमाररयािं और रोकथाम
पत्तों पर काले धब्बे: यह सेप्र्ोररया िाइसैंथेमेला और एस.
ओबेसा क
े कारण होता है। इसक
े कारण पिों पर गोल
आकार क
े सलेर्ी भूरे रंग क
े धब्बे पड़ िाते हैं। पिे अपने
आप पीले रंग में बदल िाते हैं और कफर मर िाते हैं।
इस बीमारी की रोकथाम क
े ललए जिनेब या डाइथेन एम-
45@400 ग्राम ितत एकड़ की स्िे करें।
10. सूखा: इस बीमारी से पिों पर भूरे और पीले रंग
क
े धब्बे पड़ िाते हैं, जिससे पिे मर िाते हैं।
यटद इसका हमला टदखे तो डाइथेन एम-45
@400 ग्राम ितत एकड़ की स्िे 15 टदनों क
े
अंतराल पर करें।