1. जन्म – 9 अगस्त 1896
मृत्यु – 16 सितम्बर
1980
जन्म स्थान – स्विट्ज़रलैंड
डॉ जीन पियाजे एक जंतु पिज्ञान पिपकत्सक और मनोपिज्ञापनक थे |
2. जीन सियाजे की प्रमुख रचनाएँ
1. द साइकोलॉजी ऑफ़ द िाइल्ड
2. िोस्सिपिलटी एं ड नेसेपसटी
3. द साइकोलॉजी ऑफ़ इंटेपलजेंस
4. द लैंग्वेज एं ड थॉट ऑफ़ द िाइल्ड
3. •जीन पियाजे 1925-1929 में िे नीिटेल पिश्वपिद्यालय में प्रोफ
े सर थे |
•1929 में िे जीनेिा पिश्वपिद्यालय क
े संकाय में िाल मनोपिज्ञान क
े प्रोफ
े सर
क
े रूि में शापमल हुए |
•1955 में उन्ोंने जीनेिा में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ जनेपटक
एपिस्टोमोलोजी की स्थािना की और इसक
े पनदेशक िने |
•जीन पियाजे ने 1920 क
े आरम्भ में संज्ञानात्मक पिकास क
े पसद्ांत का
प्रपतिादन पकया |
4. •जीन पियाजे ने व्यािक स्तर िर संज्ञानात्मक पिकास का
अध्ययन पकया|
•पियाजे क
े अनुसार िालक द्वारा अपजित ज्ञान क
े भंडार का
स्वरुि पिकास की प्रत्येक अिस्था में िदलता है और िररमापजित
होता रहता है|
•पियाजे क
े संज्ञानात्मक पसद्ांत को पिकासात्मक पसद्ांत भी
कहा जाता है |
5. पियाजे क
े पसद्ांत
भाषा एिं पििार का
पसद्ांत
नैपतक पिकास का
पसद्ांत
संज्ञानात्मक पिकास
का पसद्ांत
पिकासात्मक पसद्ांत
6. सियाजे क
े सिद्ाांत क
े िांप्रत्यय
• अनुक
ू लन –
• बालक ां में वातावरण क
े िाथ
िमाय जन स्थासित करने की
जन्मजात प्रवृसि ह ती है, सजिे
अनुक
ू लन कहते है|
• सियाजे ने अनुक
ू लन क
े प्रसिया
की द उि सियाए बताई हैं |
•1- आत्मिातकरण
• िूवव ज्ञान में नवीन ज्ञान व सवचार
ज ड़ना|
•अथवा नवीन जानकाररय ां क िूवव
प्रचसलत य जना में यथावत
व्यवस्वस्थत करना|
7. •2- िमाय जन
•नयी य जना बनाना या िुरानी य जना क िांश सित करना
अथवा वतवमान स्कीमा में िुिर करने,सवस्तार करने में
िररवतवन करने िे है
•िाम्यिारण –
•िाम्यिारण एक ऐिी प्रसिया है सजिक
े द्वारा बालक
आत्मिातकरण तथा िमाय जन की प्रसिया क
े मध्य एक
िांतुलन स्थासित करता है |
• न ट-
• िाम्यिारण की प्रसिया बालक ां क
े िूवव अनुभव ां िर ही
सनभवर नहीां करती बस्वि उनकी शारीररक िररिक्वता िर भी
सनभवर करतीहैं।
8. िांरक्षण-
सियाजे क
े इि िांप्रत्यय िर मन वैज्ञासनक ां ने िवावसिक श ि सकया।
िांरक्षण िे तात्पयव वातावरण में िररवतवन तथा स्वस्थरता द न ां क
िहचानने एवां िमझने की क्षमता तथा सकिी वस्तु क
े रूि रांग में
िररवतवन क उि वस्तु क
े तत्व में िररवतवन िे अलग करने की क्षमता
िे ह ता है।
िांज्ञानात्मक िांरचना-
बच्चे का मानसिक िांगठन या मानसिक क्षमताओां क
े िेट क
'िांज्ञानात्मक िांरचना' कहते हैं।
स्कीमा-
एक मानसिक िांरचना ज िामासजक िांज्ञान क सनदेसशत करती है या
जब बालक क
े िामने क ई वस्तु आती है तब वह उिे िांगसठत करक
े
एक अथव देने का प्रयाि करता है इिे स्कीमा कहा जाता है।
सवि
े न्दन-
सवक
ें द्रण िे तात्पयव सकिी वस्तु या चीज क
े बारे में वस्तुसनष्ठ या
वास्तसवक ढांग िे ि चने की क्षमता िे ह ता है।