Teaching and learning is a process that includes many variables. These variables interact as learners work toward their goals and incorporate new knowledge, behaviours, and skills that add to their range of learning experiences.
This document includes the following elements:
- Teaching
- Learning
- Relationship between teaching and learning
- Phases of teaching
- Principles of teaching
मनोविज्ञान एवं शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। बिना मूल्यांकन के शिक्षा तथा मनोविज्ञान ही नहीं अपितु मनुष्य का समग्र जीवन ही व्यर्थ है। मूल्यांकन निरंतर तथा विस्तृत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। जिसमे किसी मापन की उपयोगिता के सम्बन्ध में निर्णय लिया जाता है अथवा मापन का परिणामों को मूल्य प्रदान किया जाता है। मूल्यांकन के अंतर्गत किसी वस्तु, घटना, या व्यक्ति से सम्बंधित किसी पक्ष का मूल्य निर्धारित किया जाता है। अत मूल्यांकन द्वारा परिमाणात्मक तथा गुणात्मक दोनों प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।
मूल्यांकन= मापन (परिमाणात्मक सूचना) + मूल्य निर्धारण (गुणात्मक सूचना)
का समापन तब होता है जब आकलन के पश्चात् अधिगम में सुधार हेतु प्रयत्न किये जाते हैं।
मनोविज्ञान एवं शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। बिना मूल्यांकन के शिक्षा तथा मनोविज्ञान ही नहीं अपितु मनुष्य का समग्र जीवन ही व्यर्थ है। मूल्यांकन निरंतर तथा विस्तृत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। जिसमे किसी मापन की उपयोगिता के सम्बन्ध में निर्णय लिया जाता है अथवा मापन का परिणामों को मूल्य प्रदान किया जाता है। मूल्यांकन के अंतर्गत किसी वस्तु, घटना, या व्यक्ति से सम्बंधित किसी पक्ष का मूल्य निर्धारित किया जाता है। अत मूल्यांकन द्वारा परिमाणात्मक तथा गुणात्मक दोनों प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।
मूल्यांकन= मापन (परिमाणात्मक सूचना) + मूल्य निर्धारण (गुणात्मक सूचना)
का समापन तब होता है जब आकलन के पश्चात् अधिगम में सुधार हेतु प्रयत्न किये जाते हैं।
bhasa kaushal ppt describing its definition and its types with appropriate diagrams and figures.
shravan kaushal
wachan kaushal
pathan kaushal
lekhan kaushal
Black Board Writing Skill ( श्यामपट्ट लेखन कौशल )Patidar M
It is one the important teaching skill. Teacher trainees practice this skill under micro teaching subject. Here they learn essential activities of black board along with standing position, how to use black board, how to write on the black board as well as what kind of precaution teachers should be used while using black board. In this ppt you will get information about meaning, role uses and components of black board writing skill. Lesson plan along with observation table on black board writing skill is also discussed with ppt. Hope this ppt help you in your leaning.
The lecture method is a teaching method where the instructor acts as the primary information giver. The instructor typically stands in front of the students and may use a visual aid, such as a PowerPoint presentation, chalkboard or handout
NCF 2005
national curriculum framework 2005
राष्ट्ट्रीय पाठ्यचयाड रुपरेखा 2005
एनसीएफ 2005 का विकास
मार्गदर्शी सिद्धान्त Guiding Principles
प्रमुख सुझाव Key suggestions
1. ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ा जाए।
2. पढाई को रटन्त प्रणाली से मुक्त किया जाए।
3. पाठ्यचर्या पाठ्यपुस्तक केन्द्रित न रह जाए।
4. कक्षाकक्ष को गतिविधियों से जोड़ना ।
5. राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान विद्यार्थी तैयार हो।
6.परीक्षा को अधिक लचीला बनाना ।
bhasa kaushal ppt describing its definition and its types with appropriate diagrams and figures.
shravan kaushal
wachan kaushal
pathan kaushal
lekhan kaushal
Black Board Writing Skill ( श्यामपट्ट लेखन कौशल )Patidar M
It is one the important teaching skill. Teacher trainees practice this skill under micro teaching subject. Here they learn essential activities of black board along with standing position, how to use black board, how to write on the black board as well as what kind of precaution teachers should be used while using black board. In this ppt you will get information about meaning, role uses and components of black board writing skill. Lesson plan along with observation table on black board writing skill is also discussed with ppt. Hope this ppt help you in your leaning.
The lecture method is a teaching method where the instructor acts as the primary information giver. The instructor typically stands in front of the students and may use a visual aid, such as a PowerPoint presentation, chalkboard or handout
NCF 2005
national curriculum framework 2005
राष्ट्ट्रीय पाठ्यचयाड रुपरेखा 2005
एनसीएफ 2005 का विकास
मार्गदर्शी सिद्धान्त Guiding Principles
प्रमुख सुझाव Key suggestions
1. ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ा जाए।
2. पढाई को रटन्त प्रणाली से मुक्त किया जाए।
3. पाठ्यचर्या पाठ्यपुस्तक केन्द्रित न रह जाए।
4. कक्षाकक्ष को गतिविधियों से जोड़ना ।
5. राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान विद्यार्थी तैयार हो।
6.परीक्षा को अधिक लचीला बनाना ।
प्रकृतिवाद (Naturalism) पाश्चात्य दार्शनिक चिन्तन की वह विचारधारा है जो प्रकृति को मूल तत्त्व मानती है, इसी को इस बरह्माण्ड का कर्ता एवं उपादान (कारण) मानती है। यह वह 'विचार' या 'मान्यता' है कि विश्व में केवल प्राकृतिक नियम (या बल) ही कार्य करते हैं न कि कोई अतिप्राकृतिक या आध्यातिम नियम। अर्थात् प्राक्रितिक संसार के परे कुछ भी नहीं है। प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन आदि की सत्ता में विश्वास नहीं करते।
“Assessment of Learning is the assessment that becomes public and results in statements or symbols about how well students are learning. It often contributes to pivotal decisions that will affect students’ futures. It is important, then, that the underlying logic and measurement of assessment of learning be credible and defensible.”
अधिगम का आकलन वह आकलन है जो सार्वजनिक होता है और छात्रों के अधिगम के की व्याख्या शब्दों अथवा प्रतीकों के रूप में करता है। यह अक्सर विद्यार्थियों के भविष्य से सम्बंधित महत्वपूर्ण निर्णयन में सहायक होता है। यह तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब अधिगम के आकलन का माप और उसमे अन्तर्निहित तर्क विश्वसनीय और रक्षात्मक हो।”
2. Table of
Contents!
➔ शक्षण
➔ अ धगम
➔ शक्षण: त्र-ध्रुवीय
प्रि क्रिया
➔ शक्षण की वशेषताएं
➔ अ धगम की वशेषताएं
➔ शक्षण क
े चरण
➔ शक्षण क
े सद्धांत
3. शक्षण क
े एक ऐसी प्रि क्रिया है
िजसक
े द्वारा शक्षक अपने ज्ञान
को संप्रिेषणीय क
ु शलता क
े आधार
पर अपने वद्या थर्थयों को उस ज्ञान
से आत्मसात कराता हैं।
सरल शब्दों में कहा जाए तो
शक्षण एक ऐसी प्रि क्रिया है िजसमे
बालक क
े अंदर उपिस्थ त
अंत नर्थ हत शि तयों को वक सत
कया जाता हैं।
शक्षण
4. अ धगम व्यवहार में
प रणामी प रवतर्थन क
े
साथ जानकारी को
आत्मसात करने की
प्रि क्रिया है।
अ धगम
5. शक्षण को एक त्र-ध्रुवीय प्रि क्रिया
माना गया है। शक्षण क
े लए हमें
छात्र, अध्यापक और पाठ्यक्रिम की
जरूरत पड़ती है। इसी वजह से
शक्षण को त्र ध्रुवीय प्रि क्रिया माना
गया है।
त्र-ध्रुवीय प्रि क्रिया
शक्षण
शक्षण: त्र - ध्रुवीय प्रि क्रिया
6. ● शक्षण और अ धगम दोनों
औपचा रक या अनौपचा रक हो
सकते हैं।
● दोनों लक्ष्य उन्मुख हैं।
● अच्छे शक्षण से अच्छी शक्षा प्रिाप्त
होती है।
● अच्छे शक्षण में अच्छे संचार कौशल
की आवश्यकता होती है और अच्छी
शक्षा क
े लए अच्छे सुनने क
े
कौशल की आवश्यकता होती है।
● शक्षण और अ धगम दोनों क
े लए
कौशल, रचनात्मकता, बुद् धमत्ता
और निश्चत सद्धांतों पर काम
करने की आवश्यकता होती है।
शक्षण और अ धगम क
े
बीच संबंध
7. ● अ धगम समायोजन है
● अ धगम वकास है
● अ धगम वातावरण क
े
प रणामस्वरूप होता है।
● अ धगम क्रियाशील है।
● अ धगम व्यि तगत व
सामािजक दोनों है।
अ धगम की वशेषताएं
8. शक्षण सामािजक
प्रि क्रिया है ।
● शक्षण सुझावत्मक होना
चा हए।
● शक्षण प्रिेरणादायक होता है।
● शक्षण ने सु नयोिजत होता है
।
● शक्षण दया एवं सहानुभू त
पूणर्थ होता है।
● शक्षण लोकतां त्रक प्रि क्रिया को
बढ़ावा देता है।
शक्षण की वशेषताएं
9. शक्षक और छात्रों क
े बीच
कक्षा की बातचीत
● पूवर्थ-स क्रिय चरण
● इंटरएि टव चरण
● पोस्ट-एि टव चरण
शक्षण क
े चरण
10. पूवर्थ-स क्रिय
चरण यह चरण एक पाठ की
योजना को संद भर्थत
करता है।
इस चरण में उन सभी
ग त व धयों को शा मल
कया जाता है जो एक
शक्षक कक्षा-कक्ष शक्षण
से पहले या कक्षा-कक्ष
में प्रिवेश करने से पहले
करते हैं।
योजना चरण
11. इंटरएि टव
चरण इस प्रि क्रिया में, शक्षक
शक्षा थर्थयों को मौ खक
उत्तेजना प्रिदान करता है।
यह उत्तेजना व भन्न प्रिकार
की हो सकती है जैसे प्रिश्न
पूछना, छात्रों की
प्रि त क्रियाएँ सुनना और
मागर्थदशर्थन प्रिदान करना,
स्प टीकरण देना।
कायार्थन्वयन
चरण
12. पोस्ट-एि टव
चरण यह शक्षण का
मूल्यांकन चरण है।
यह तब होता है जब
शक्षक ने कक्षा छोड़
दी है और कक्षा में
जो हुआ है उस पर
एक नज़र डालने की
को शश करता है।
मूल्यांकन
चरण
13. शक्षण क
े सद्धांत ● क्रियाशीलता अथार्थत करक
े
सीखने का सद्धांत
● अ भप्रिेरणा का सद्धांत
● रु च का सद्धांत
● जीवन से संबंध स्था पत
करने का सद्धांत
● व्यि तगत को जागृत करने
का सद्धांत
● पुनबर्थलन का सद्धांत
14. अ भप्रिेरणा का
सद्धांत
यह बालकों में रू च
उत्पन्न करने का
माध्यम है| प्रिेरणा
संचार होने पर बालक
शीघ्र पाठ को सीखने
का प्रियास करता है|
रू च का सद्धांत
शक्षण को स्प ट,
सुपाच्य,पठनीय एवं
रु चपूणर्थ बनाने क
े लए
प्रित्येक पाठ में एक
लक्ष्य नधार्थ रत हो तभी
रू च उत्पन्न की जा
सकती है|
15. स्वयं करक
े सखने का
सद्धांत
यह वकास का आधार
स्व क्रिया है| बालक क
े
शरीर और मिस्त क को
क्रियाशील बना कर ही
उसे सही ढंग से
सखाया जा सकता है|
जीवन से संबंध स्था पत
करने का सद्धांत
प्रित्येक वद्याथर्थी क
े वल
उन क्रियाओं अथवा
वषय में ही अ धक
रु च लेता है िजनका
उसकी अपनी नजी
जीवन से संबंध होता है।
16. व्यि तगत को जागृत करने
का सद्धांत
प्रित्येक छात्र बुद् ध, स्वभाव,
योग्यता,रू च हो छमताओ एवं
आवश्यकताओं में एक सा नहीं
होता इस दृि ट से सभी
वद्या थर्थयों क
े वकास हेतु
समान अवसर प्रिदान करने क
े
लए शक्षक को योग्य
वद्या थर्थयों को आगे बढ़ने क
े
लए उ चत नदर्देश देने चा हए।
पुनबर्थलन का सद्धांत
शक्षण प्रि क्रिया में पुनबर्थलन का
अथर्थ है, ऐसे उद्दीपन का प्रियोग
करना या उन्हें प्रिस्तुत करना यह
उन्हें हटाना ता क कसी अनु प्रिया
क
े होने की संभावना बढ़ जाए।
जैसे कक्षा में सही उत्तर मलने
पर य द शक्षक वद्याथर्थी को
कोई पुरस्कार दे तो वद्याथर्थी से
फर वैसे ही व्यवहार की
संभावनाएं बढ़ जाती है ।
17. Thanks!
Do you have any
questions?
Please connect with me
at
jagpreetkaur.18@lic.du.ac.in