2. • प्रच्छन पाठ्यचयाा विद्यालय क
े उन क्रियाओं एिं पाठ्यिम से
संबन्धित है जो विद्यालय की नीतत में प्रत्येक्षक रूप में
ललखित नह ं होती है | परंतु जो क्रिर भी विद्यालय से
संबन्धित अनुभिों का एक तनयलमत एिं प्रभािी अंग होता है|
• इस पाठ्यिम को हम अंततनाहहत एिं अप्रत्येक्ष भी मान सकते
है |
• इसे हम उन प्रभािों क
े रूप में भी मान सकते है जो बालकों में
अध्ययन क
े लिक्षणेत्तर एिं न मापने योग्य अधिग म को
प्रभावित करते है |
3. • यह ऐसे पाठ, मूल्य एिं पररप्रेक्ष्य होते है न्जधहें कक्षा / विद्यालय में
अनौपचाररक एिं अनायास ह में पढ़ाया जाता है |यह ललखित रूप
में नह होता है|
• इसक
े द्िारा विद्यालय में विद्याधथायों तकअव्यक्त अकादलमक,
सामान्जक एिं सांस्कृ ततक संदेि संप्रेवित होती है |
• यह सकारात्मक एिं नकारात्मक दोनों प्रकार क
े अधिग म अनुभिों को
सम्माललत करता है जो स्पष्ट पाठ्यचयाा (explicit pathycharya )
में सम्माललत नह ं होते है क्रकधतु इसक
े पररणामस्िरूप विद्याधथायों क
े
दृन्ष्टकोण, मूल्य एिं विश्िास में पररितान होता है |
4. • प्रच्छन पाठ्यचयाा इस अििारणा पर आिाररत क्रक विद्याथी
विद्यालय में इस प्रकार क
े पाठों को ग्रहण करते है जो उनक
े
औपचाररक पाठ्यचयाा में िालमल नह ं है जैसे -
➢सहपाहठयों एिं लिक्षकों क
े साथ सम्प्रेिण एिं अंतःक्रिया |
➢विलभधन समूह, िग ा एिं समुदाय का प्रत्येक्षण|
➢सामान्जक रूप से स्िीकाया एिं अस्िीकाया व्यिहार एिं सोच |
इसे प्रच्छन या छ
ु पा हुआ पाठ्यचयाा इस ललए कहा जाता है क्यूंक्रक
यह अधिकांितः लिक्षकों, विद्याधथायों एिं िृहद समुदाय क
े द्िारा
अनुत्तररत एिं अपर क्षक्षत
रहते है |
5. जे.सी. अग्रिाल क
े अनुसार प्रच्छन पाठ्यचयाा िह सब विश्िास,मूल्य
एिं समझ है जो बालक को उसक
े िैक्षक्षक संस्था से प्राप्त होते है,
औपचाररक लिक्षा द्िारा नह ं िरन अप्रत्यक्ष रूप से |
जैसे – काया में तनयलमतता एिं बाह्य अलभप्रेरणा क
े प्रतत सम्मान की
भािना|
सेलर एिं अलेक्जेंडर क
े अनुसार तीन तरह की अनाधिकृ त अधिग म
पररन्स्थततयााँ प्रच्छन पाठ्यचयाा में हो सकती है –
➢ विद्यालय की प्रबंिकीय एिं संग ठनकत्मक व्यिस्थाओं का स्िरूप |
➢ विद्यालय का समाजिस्र अथाात िहा का समान्जक
िातािरण,समान्जक जीिन की प्रक्रिया और विद्यालय एिं पररिार क
े
बीच आपसी संबंि |
6. ➢ विद्याधथायों काअपने लिक्षकों एिं विद्यालय क
े प्रतत िारणा एिं लिक्षकों का
अपने विद्याधथायों क
े प्रतत बतााि |
इस प्रकार यह तीन बातों से संबन्धित है –
1. प्रसािन
2. समान्जक िातािरण
3. प्रततबबंब
प्राथलमक रूप से इसका संबंि विद्यालय क
े समाजीकरण की प्रक्रिया
से इसललए प्रत्येक्ष एिं अप्रत्येक्ष रूप से विद्याथीयों क
े भािी जीिन से
संबन्धित है |
कोहलबग ा क
े अनुसार यह नैततक विकास का िाहक है|
इसकी भूलमका बालक क
े नैततक एिं सामान्जक विकास में है |
7. • डॉल क
े अनुसार प्रत्येक विद्यालय का तनयोन्जत, औपचाररक,
आधिकाररक पाठ्यचयाा क
े अततररक्त एक अतनयोन्जत,
अनौपचाररक एिं हहड्डेन पाठ्यिम भी होता है |
• दोनों ह पाठ्यचयाा को क्रकसी हद तक सुिारा जा सकता है |
विद्यालयीकरण क
े इस अनौपचाररक पक्ष को सुिारने क
े ललए
भी क
ु छ काया क्रकए जा सकते है | आिारभूत रूप से प्रच्छन
पाठ्यचयाा विद्याधथायों का अपना पाठ्यचयाा होता है, न्जसक
े
माध्यम से िे अपने विद्यालय क
े भीतर अपना समंजस्य
स्थावपत करते है |
• प्रच्छन पाठ्यचयाा औपचाररक पाठ्यचयाा को सुदृधढ़ एिं उसका
िंडन भी कर सकते है |
8. • प्रच्छन पाठ्यचयाा क
े श्रोत
➢अधिग म िातािरण का भौततक संग ठन
➢लिक्षकों का विद्याधथायों क
े साथ व्यिहार
➢सहपाठी समूह
➢मौखिक संस्कृ तत
➢पाठ्यचयाा क
े ललए आिश्यक बनाम तनिााधचत वििय
➢सहपाहठयों क
े मध्य क्रियाकलाप एिं िाताालाप
➢विद्यालय संग ठन का उद्देश्य बनाम िास्तविक प्रचार
➢रूहढ़िाद धचरण
➢सांस्कृ ततक िग ा
➢हाि भाि
9. प्रच्छन पाठ्यचयाा की विशेषतायें-
➢इसका एक तनन्श्चत स्िरूप नह ं होता है|
➢इसका कायाालयीन रेकॉडा नह ं होता है|
➢यह ललखित नह ं होता है, यह मौखिक एिं क्रियात्मक होता है |
अतः लिक्षकों प्रच्छन पाठ्यचयाा क
े प्रतत जाग रूक रहना
चाहहए जो उनकी कक्षा में प्रेवित होता है|