bhasa kaushal ppt describing its definition and its types with appropriate diagrams and figures.
shravan kaushal
wachan kaushal
pathan kaushal
lekhan kaushal
14. पठन कौशल
• साधारण अर्थ में पठन कौशल से तात्पर्थ है कक ललखित भाषा को पढ़ना।
• भाषा कौशल में पठन कौशल का अर्थ है ललिी हुई भाषा को उच्चाररत करना तर्ा भाग को ग्रहण करना।
• भाषा लशक्षण में पठन कौशल पर सबसे अधधक ध्र्ान दिर्ा जाता है। पठन ज्ञान प्राप्त करने का सबसे आसान एवं
सरल तरीका है।
•
पठन कौशल का महत्व
• र्ह ववद्र्ाधर्थर्ों क
े सवाांगीण ववकास में सहार्क है छात्र शुद्ध उच्चारण सीि सकते हैं।
• शब्ि भंडार में वृद्धध करने में सहार्क होता है।
• व्र्ाकरखणक ज्ञान में वृद्धध करने में सहार्क।
• महान व्र्क्ततर्ों की जीवनी एवं आत्मकर्ा ए पढ़कर उनक
े आिशथ गुणों का आत्मसात कर
सकता है।
• नवीन पुस्तकों को बहकर नवीन जानकारी प्राप्त कर सकता है।
• पढ़कर समर् का सिुपर्ोग कर सकता है।
•
15. पठन कौशल क
े उद्िेश्र्
• बालकों को सही स्वार्थ तर्ा भाव क
े अनुसार पढ़ाना लसिाना तर्ा भाव को ग्रहण करना
चादहए।
• शुद्ध पठन लसिाना।
• पठान क
े द्वारा छात्र ववराम धचन्ह, अधथववराम आदि धचन्हों का प्रर्ोग समाज जाता है।
• पठन से स्वाध्र्ार् की प्रवृवि जागृत करना।
• सही उच्चारण,, ध्वनन, उधचत बल आदि पठन से छात्र सीि जाता है।
• पठन से शब्ि भंडार में वृद्धध होती है।
16. लेिन कौशल
• मौसिक रूप क
े ऄन्तगर्त भाषा का ध्वन्र्ात्मक रूप एवं भावों की मौसिक ऄसभव्र्सतत है। जब आन ध्वसनर्ों
को प्रतीकों क
े रूप में व्र्तत िकर्ा जाता है और आन्हें सलसपबऊ करक
े स्र्ासर्त्व प्रिान करते हैं, तो वह भाषा का
सलसित रूप कहलाता है। भाषा क
े आस प्रतीक रूप की सशक्षा, प्रतीकों को पहचान कर ईन्हें बनाने की दिर्ा
ऄर्वाध्वसन को सलसपबद्ध करना सलिना है।
•
लेिन कौशल का महत्व
•लेिन कौशल (राइद ंग क्स्कल) जीवन क
े हर क्षेत्र में काम
आता है।
•ललिने से-मानलसक स्मृनत क्षमता शॉपथ होती है
•ललिना र्ह एक व्र्र्ाम है
•इस लेिन कौशल सीिने की क्षमता में वृद्धध,
•इस लेिन कौशल से लॉक्जकलधर्ककं ग बढ़ती है
•लेिन कौशल से रचनात्मकता बढ़ती है,
िास कर ललिने से शांनत, ख़ुशी लमलती है।
17. •एक शोध क
े अनुसार ललिने की प्रकिर्ा से मक्स्तष्क में बेहतर तरीक
े से चीजें छप जाती-जाती है।
•अपनी समस्र्ाओं को पेपर पर ललिने से प्रनतरक्षा प्रणाली मज़बूत होती है सार् ही सार् शरीर क
े ज़ख़्म भी बहुत तेजी
से भरते हैं और जो व्र्क्तत ललिते नहीं हैं वह तनाव एवं धचंता से ग्रस्त होते हैं।
लेिन कौशल क
े उद्िेश्र्
•वणों को ठीक-ठीक ललिना सीिना।
•सुन्िर लेि का अभ्र्ास करना।
•शुद्ध अक्षर ववन्र्ास का ज्ञान कराना।
•वातर् रचना क
े ननर्मों से पररधचत होना।
•ववचार ताकक
थ क िम में प्रस्तुत करना।
•अनुभवों का लेिन करना।
•ललवप, शब्ि, मुहावरों का ज्ञान होना।
•वातर् रचना, शुद्ध वतथनी, ववराम धचन्हों का प्रर्ोग लसिाना।
•छात्रों को सृजनात्मक शक्तत और मौललक रचना करने में ननपुण
बनाना।