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गिल्लू
महादेवी वमाा
05/05/2020 1NibhaVerma CMS G N 1 Lucknow
जीवन परिचय
जन्म - 26 माचा ,1907 फर्राखाबाद ,उत्ति प्रदेश
मृत्यु - 11 सितंबि , 1987 इलाहाबाद , उत्ति प्रदेश
शिक्षा - इंदौि समशन स्कू ल िे प्रािंसिक सशक्षा प्राप्त की I
िन 1932 में इलाहाबाद ववश्वववद्यालय िे
िंस्कृ त में एम. ए. पाि ककया I
काययक्षेत्र - उपन्यािकाि , कवययत्री , लघु कथा लेखखका
05/05/2020 2Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
महादेवी वमाा जी की प्रमुख कृ यतयााँ व
उल्लेखनीय िम्मान
प्रचशित कविता संग्रह - नीहाि , िश्श्म , नीिजा , िांध्यिीत , दीपसशखा
िप्तपर्ाा , प्रथम आयाम , अश्नन िेखा
रेखाचचत्र - अतीत के चलगचत्र , स्मृयत की िेखाएाँ
संस्मरण - पथ के िाथी , मेिा परिवाि , िंस्मिर्
निबंध - संग्रह - श्ृंखला की कड़ियााँ , वववेचनात्मक िद्य ,िाहहत्यकाि
की आस्था तथा अन्य यनबंध
आपको िन 1956 में पद्म िूषर् , 1982 में ज्ञानपीठ पुिस्काि ,
वषा 1988 में पद्म वविूषर् िे िम्मायनत ककया िया I
05/05/2020 3Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
िंस्मिर्
स्मृनत के आधार पर ककसी विषय पर अथिा ककसी व्यक्तत पर शिखखत
आिेख संस्मरण कहिाता है I
संस्मरण को साहहक्त्यक निबंध की एक प्रिृवि भी मािा जा सकता है
ऐसी रचिाओं को संस्मरणात्मक निबंध कहा जाता है I
संस्मरण में िेखक जो कु छ स्ियं देखता है और अिुभि करता है ,
उसी का चचत्रण करता है I
िेखक की स्ियं की अिुभूनतयााँ तथा संिेदिाएाँ संस्मरण में अंतनियहहत
रहती हैं I
05/05/2020 4Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
प्रस्तुत िंस्मिर् के पााँच चिर्
प्रथम चरण - चिल्िू ि िेखखका की प्रथम मुिाकात
द्वितीय चरण - चिल्िू ि िेखखका के बीच संबंधों की
घनिष्ठता
तृतीय चरण - चिल्िू के जीिि में प्रथम िसंत का आिमि
चतुथय चरण - चिल्िू सभी प्राखणयों में अपिाद ूपप
पााँचिााँ चरण - संिेदििीि चिल्िू के जीिि का अंत काि
05/05/2020 5Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
अचािक एक हदि सिेरे कमरे से बरामदे
में आकर मैंिे देखा दो कौिे एक िमिे
के चारों ओर चोंचों से छु िां - छु िौिि
जैसा खेि खेि रहे हैं I
05/05/2020 6Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
िबने कहा कक कौवे की चोंच का
घाव लिने के बाद यह बच नहीं
िकता , अतः इिे ऐिे ही िहने
हदया जाए I पिंतु मन नहीं माना
उिे हौले िे उठाकि अपने कमिे
में ले आई , कफि र्रई िे िक्त
पोंछकि घाव पि पेंसिलन का
मिहम लिाया I
रूई की पतली बत्ती दूध िे
सििोकि जैिे - तैिे उिके नन्हे
िे मुाँह में लिाई पिंतु मुाँह खुल
न िका औि दूध की बूंदे दोनों
ओि दुलक िई I
05/05/2020 7Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
कई घंटे के उपचार के उपरांत
उसके मुाँह में एक बूाँद पािी
टपकाया जा सका।
तीििे हदन वह इतना अच्छा हो िया
कक मेिी उाँिली अपने दो नन्हें पंजों
िे पकिकि नीले कााँच की मोयतयों
जैिी आाँखों िे इधि -उधि देखने
लिा।
तीि -चार मास में उसके क्स्िग्ध रोयें
,झब्बेदार पूाँछ और चंचि चमकीिी आाँखें
सबको विक्स्मत ििीं।
05/05/2020 8Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
जब मैं शिखिे
बैठती तब अपिी
ओर मेरा ध्याि
आकवषयत करिे की
उसे इतिी तीव्र
इच्छा होती थी कक
उसिे एक अच्छा
उपाय खोज
निकािा।
उसके समझदारी और
काययकिाप पर सबको
आश्चयय होता था I
मैंिे फू ि रखिे की एक
हल्की डशिया में रुई
बबछाकर उसे तार से
खखड़की पर िटका हदया।
िही दो िषय चिल्िू का घर
रहा।
05/05/2020 9Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
चिल्िू को पकड़कर एक िंबे
शिफ़ाफ़े में इस प्रकार रख देती कक
अििे दो पंजो और शसर के
अनतररतत सारा िघु िात शिफ़ाफ़े
के भीतर बंद रहता।
िह मेरे पैर तक आकर सरय से परदे पर
चढ़ जाता और कफर उसी तेजी से
उतरता I उसका यह दौड़िे का क्रम तब
तक चिता जब तक मैं उसे पकड़िे के
शिए ि उठती i
05/05/2020 10Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
05/05/2020Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow 11
भूख िििे पर चचक् -चचक् करके मािो
िह मुझे सूचिा देता और काजू या
बबस्कु ट शमि जािे पर उसी क्स्थनत में
शिफ़ाफ़े से बाहर िािे पंजों से पकड़ कर
उसे कु तरता रहता I
चिल्िू के जीिि का
प्रथम िसंत आया।
िीम - चमेिी की िंध
कमरे में धीरे -धीरे आिे
ििी। बाहर की
चििहररयााँ खखड़की की
जािी के पास आकर
चचक् - चचक् करके ि
जािे तया कहिे ििीं।
चिल्िू को जािी के
पास बैठकर अपिेपि
से बाहर झााँकते
देखकर मुझे ििा कक
इसे मुतत करिा
आिश्यक है।
05/05/2020 12Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
मैंने कीलें यनकालकि जाली
का एक कोना खोल हदया
औि इि मािा िे गिल्लू ने
बाहि जाने पि िचमुच ही
मुश्क्त की िााँि ली I
इतने छोटे जीव को घि में
पले कु त्ते - बबश्ल्लयों िे
बचाना िी एक िमस्या थी I
05/05/2020 13Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
मेरे कमरे से बाहर जािे पर चिल्िू भी
खखड़की की खुिी जािी की राह बाहर
चिा जाता और हदिभर चििहररयों के
झुंड का िेता बिा , हर डाि पर
उछिता - कू दता रहता और ठीक 4:00
बजे खखड़की से भीतर आकर अपिे
झूिे में झूििे ििता I
05/05/2020 14Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
मुझे चौंकाने की इच्छा
उिमें न जाने कब औि
कै िे उत्पन्न हो िई थी।
किी फू लदान के फू लों में
यछप जाता ,किी पिदे
की चुन्नट में औि किी
िोनजुही की पवत्तयों में।
मेरे पास बहुत से पिु -पक्षी
हैं और उिका मुझसे ििाि
भी कम िहीं है , परंतु उिमें
से ककसी को मेरे साथ मेरी
थािी में खािे की हहम्मत हुई
है , ऐसा स्मरण िहीं आता।
05/05/2020 15Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
चिल्िू इि में अपिाद था I मैं
जैसे ही खािे के कमरे में
पहुाँचती िह खखड़की से निकिकर
आंिि की दीिार बरामदा पार
करके मेज पर पहुाँच जाता और
मेरी थािी में बैठ जािा चाहता I
बड़ी कहठिाई से मैंिे उसे थािी
के पास बैठिा शसखाया , जहााँ
बैठकर िह मेरी थािी में से
एक -एक चािि उठाकर बड़ी
सफ़ाई से खाता रहता।
05/05/2020 16Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
काजू उिका वप्रय
खाद्य था।
उसी बीच मुझे मोटर दुघयटिा में आहत होकर
कु छ हदि अस्पताि में रहिा पड़ा I उि हदिों
जब मेरे कमरे का दरिाजा खोिा जाता , चिल्िू
अपिे झूिे से उतरकर दौड़ता और कफर ककसी
दूसरे को देखकर उसी तेजी से अपिे घोंसिे में
जा बैठता I
05/05/2020 17Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
मेरी अस्िस्थता में िह तककए पर
शसरहािे बैठकर अपिे िन्हें - िन्हें
पंजों से मेरे शसर और बािों को
इतिे धीरे - धीरे सहिाता रहता कक
उसका हटिा एक पररचाररका के
हटिे के समाि ििता।
05/05/2020 18Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
िशमययों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो
चिल्िू ि बाहर जाता , ि अपिे झूिे में बैठता।
उसिे मेरे निकट रहिे के साथ िरमी से बचिे का
एक िया उपाय खोज निकािा था। िह मेरे पास
रखी सुराही पर िेट जाता और इस प्रकार समीप
भी रहता और ठंडक में भी रहता।
05/05/2020 19Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
चििहररयों के जीिि की अिचध 2 िषय से
अचधक िहीं होती , अतः चिल्िू की जीिि
यात्रा का अंत आ ही िया I उस हदि उसिे
ि कु छ खाया ि बाहर िया I रात में अंत
की यातिा में भी िह अपिे झूिे से
उतरकर मेरे बबस्तर पर आया और ठंडे पंजों
से मेरी िही उंििी पकड़ कर हाथ से
चचपक िया , क्जसे उसिे अपिे बचपि की
मरणासन्ि क्स्थनत में पकड़ा था I
05/05/2020 20Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
पंजे इतिे ठंडे हो रहे थे कक मैंिे जािकर हीटर
जिाया और उसे उष्णता देिे का प्रयत्ि ककया I
परंतु प्रभात की प्रथम ककरण के स्पिय के साथ ही
िह ककसी और जीिि में जाििे के शिए सो िया
I
05/05/2020 21Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
मैंिे उसका झूिा उतार कर
रख हदया है I खखड़की की
जािी बंद कर दी है , परंतु
चििहररयों की िई पीढ़ी
जािी के उस पार चचक् -
चचक् करती ही रहती है
और सोिजुही पर बसंत
आता ही रहता है I
05/05/2020 22Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
सोिजुही की िता के िीचे चिल्िू
को समाचध दी िई है , इसशिए कक
उसे िह िता सबसे अचधक वप्रय
थी I
05/05/2020 23Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
धन्यिाद
!!!
05/05/2020 24Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow

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Gillu

  • 2. जीवन परिचय जन्म - 26 माचा ,1907 फर्राखाबाद ,उत्ति प्रदेश मृत्यु - 11 सितंबि , 1987 इलाहाबाद , उत्ति प्रदेश शिक्षा - इंदौि समशन स्कू ल िे प्रािंसिक सशक्षा प्राप्त की I िन 1932 में इलाहाबाद ववश्वववद्यालय िे िंस्कृ त में एम. ए. पाि ककया I काययक्षेत्र - उपन्यािकाि , कवययत्री , लघु कथा लेखखका 05/05/2020 2Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 3. महादेवी वमाा जी की प्रमुख कृ यतयााँ व उल्लेखनीय िम्मान प्रचशित कविता संग्रह - नीहाि , िश्श्म , नीिजा , िांध्यिीत , दीपसशखा िप्तपर्ाा , प्रथम आयाम , अश्नन िेखा रेखाचचत्र - अतीत के चलगचत्र , स्मृयत की िेखाएाँ संस्मरण - पथ के िाथी , मेिा परिवाि , िंस्मिर् निबंध - संग्रह - श्ृंखला की कड़ियााँ , वववेचनात्मक िद्य ,िाहहत्यकाि की आस्था तथा अन्य यनबंध आपको िन 1956 में पद्म िूषर् , 1982 में ज्ञानपीठ पुिस्काि , वषा 1988 में पद्म वविूषर् िे िम्मायनत ककया िया I 05/05/2020 3Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 4. िंस्मिर् स्मृनत के आधार पर ककसी विषय पर अथिा ककसी व्यक्तत पर शिखखत आिेख संस्मरण कहिाता है I संस्मरण को साहहक्त्यक निबंध की एक प्रिृवि भी मािा जा सकता है ऐसी रचिाओं को संस्मरणात्मक निबंध कहा जाता है I संस्मरण में िेखक जो कु छ स्ियं देखता है और अिुभि करता है , उसी का चचत्रण करता है I िेखक की स्ियं की अिुभूनतयााँ तथा संिेदिाएाँ संस्मरण में अंतनियहहत रहती हैं I 05/05/2020 4Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 5. प्रस्तुत िंस्मिर् के पााँच चिर् प्रथम चरण - चिल्िू ि िेखखका की प्रथम मुिाकात द्वितीय चरण - चिल्िू ि िेखखका के बीच संबंधों की घनिष्ठता तृतीय चरण - चिल्िू के जीिि में प्रथम िसंत का आिमि चतुथय चरण - चिल्िू सभी प्राखणयों में अपिाद ूपप पााँचिााँ चरण - संिेदििीि चिल्िू के जीिि का अंत काि 05/05/2020 5Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 6. अचािक एक हदि सिेरे कमरे से बरामदे में आकर मैंिे देखा दो कौिे एक िमिे के चारों ओर चोंचों से छु िां - छु िौिि जैसा खेि खेि रहे हैं I 05/05/2020 6Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 7. िबने कहा कक कौवे की चोंच का घाव लिने के बाद यह बच नहीं िकता , अतः इिे ऐिे ही िहने हदया जाए I पिंतु मन नहीं माना उिे हौले िे उठाकि अपने कमिे में ले आई , कफि र्रई िे िक्त पोंछकि घाव पि पेंसिलन का मिहम लिाया I रूई की पतली बत्ती दूध िे सििोकि जैिे - तैिे उिके नन्हे िे मुाँह में लिाई पिंतु मुाँह खुल न िका औि दूध की बूंदे दोनों ओि दुलक िई I 05/05/2020 7Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 8. कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुाँह में एक बूाँद पािी टपकाया जा सका। तीििे हदन वह इतना अच्छा हो िया कक मेिी उाँिली अपने दो नन्हें पंजों िे पकिकि नीले कााँच की मोयतयों जैिी आाँखों िे इधि -उधि देखने लिा। तीि -चार मास में उसके क्स्िग्ध रोयें ,झब्बेदार पूाँछ और चंचि चमकीिी आाँखें सबको विक्स्मत ििीं। 05/05/2020 8Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 9. जब मैं शिखिे बैठती तब अपिी ओर मेरा ध्याि आकवषयत करिे की उसे इतिी तीव्र इच्छा होती थी कक उसिे एक अच्छा उपाय खोज निकािा। उसके समझदारी और काययकिाप पर सबको आश्चयय होता था I मैंिे फू ि रखिे की एक हल्की डशिया में रुई बबछाकर उसे तार से खखड़की पर िटका हदया। िही दो िषय चिल्िू का घर रहा। 05/05/2020 9Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 10. चिल्िू को पकड़कर एक िंबे शिफ़ाफ़े में इस प्रकार रख देती कक अििे दो पंजो और शसर के अनतररतत सारा िघु िात शिफ़ाफ़े के भीतर बंद रहता। िह मेरे पैर तक आकर सरय से परदे पर चढ़ जाता और कफर उसी तेजी से उतरता I उसका यह दौड़िे का क्रम तब तक चिता जब तक मैं उसे पकड़िे के शिए ि उठती i 05/05/2020 10Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 11. 05/05/2020Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow 11 भूख िििे पर चचक् -चचक् करके मािो िह मुझे सूचिा देता और काजू या बबस्कु ट शमि जािे पर उसी क्स्थनत में शिफ़ाफ़े से बाहर िािे पंजों से पकड़ कर उसे कु तरता रहता I
  • 12. चिल्िू के जीिि का प्रथम िसंत आया। िीम - चमेिी की िंध कमरे में धीरे -धीरे आिे ििी। बाहर की चििहररयााँ खखड़की की जािी के पास आकर चचक् - चचक् करके ि जािे तया कहिे ििीं। चिल्िू को जािी के पास बैठकर अपिेपि से बाहर झााँकते देखकर मुझे ििा कक इसे मुतत करिा आिश्यक है। 05/05/2020 12Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 13. मैंने कीलें यनकालकि जाली का एक कोना खोल हदया औि इि मािा िे गिल्लू ने बाहि जाने पि िचमुच ही मुश्क्त की िााँि ली I इतने छोटे जीव को घि में पले कु त्ते - बबश्ल्लयों िे बचाना िी एक िमस्या थी I 05/05/2020 13Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 14. मेरे कमरे से बाहर जािे पर चिल्िू भी खखड़की की खुिी जािी की राह बाहर चिा जाता और हदिभर चििहररयों के झुंड का िेता बिा , हर डाि पर उछिता - कू दता रहता और ठीक 4:00 बजे खखड़की से भीतर आकर अपिे झूिे में झूििे ििता I 05/05/2020 14Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 15. मुझे चौंकाने की इच्छा उिमें न जाने कब औि कै िे उत्पन्न हो िई थी। किी फू लदान के फू लों में यछप जाता ,किी पिदे की चुन्नट में औि किी िोनजुही की पवत्तयों में। मेरे पास बहुत से पिु -पक्षी हैं और उिका मुझसे ििाि भी कम िहीं है , परंतु उिमें से ककसी को मेरे साथ मेरी थािी में खािे की हहम्मत हुई है , ऐसा स्मरण िहीं आता। 05/05/2020 15Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 16. चिल्िू इि में अपिाद था I मैं जैसे ही खािे के कमरे में पहुाँचती िह खखड़की से निकिकर आंिि की दीिार बरामदा पार करके मेज पर पहुाँच जाता और मेरी थािी में बैठ जािा चाहता I बड़ी कहठिाई से मैंिे उसे थािी के पास बैठिा शसखाया , जहााँ बैठकर िह मेरी थािी में से एक -एक चािि उठाकर बड़ी सफ़ाई से खाता रहता। 05/05/2020 16Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 17. काजू उिका वप्रय खाद्य था। उसी बीच मुझे मोटर दुघयटिा में आहत होकर कु छ हदि अस्पताि में रहिा पड़ा I उि हदिों जब मेरे कमरे का दरिाजा खोिा जाता , चिल्िू अपिे झूिे से उतरकर दौड़ता और कफर ककसी दूसरे को देखकर उसी तेजी से अपिे घोंसिे में जा बैठता I 05/05/2020 17Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 18. मेरी अस्िस्थता में िह तककए पर शसरहािे बैठकर अपिे िन्हें - िन्हें पंजों से मेरे शसर और बािों को इतिे धीरे - धीरे सहिाता रहता कक उसका हटिा एक पररचाररका के हटिे के समाि ििता। 05/05/2020 18Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 19. िशमययों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो चिल्िू ि बाहर जाता , ि अपिे झूिे में बैठता। उसिे मेरे निकट रहिे के साथ िरमी से बचिे का एक िया उपाय खोज निकािा था। िह मेरे पास रखी सुराही पर िेट जाता और इस प्रकार समीप भी रहता और ठंडक में भी रहता। 05/05/2020 19Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 20. चििहररयों के जीिि की अिचध 2 िषय से अचधक िहीं होती , अतः चिल्िू की जीिि यात्रा का अंत आ ही िया I उस हदि उसिे ि कु छ खाया ि बाहर िया I रात में अंत की यातिा में भी िह अपिे झूिे से उतरकर मेरे बबस्तर पर आया और ठंडे पंजों से मेरी िही उंििी पकड़ कर हाथ से चचपक िया , क्जसे उसिे अपिे बचपि की मरणासन्ि क्स्थनत में पकड़ा था I 05/05/2020 20Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 21. पंजे इतिे ठंडे हो रहे थे कक मैंिे जािकर हीटर जिाया और उसे उष्णता देिे का प्रयत्ि ककया I परंतु प्रभात की प्रथम ककरण के स्पिय के साथ ही िह ककसी और जीिि में जाििे के शिए सो िया I 05/05/2020 21Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 22. मैंिे उसका झूिा उतार कर रख हदया है I खखड़की की जािी बंद कर दी है , परंतु चििहररयों की िई पीढ़ी जािी के उस पार चचक् - चचक् करती ही रहती है और सोिजुही पर बसंत आता ही रहता है I 05/05/2020 22Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow
  • 23. सोिजुही की िता के िीचे चिल्िू को समाचध दी िई है , इसशिए कक उसे िह िता सबसे अचधक वप्रय थी I 05/05/2020 23Nibha Verma CMS G N 1 Lucknow