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Organic spices
भारतीय मसाले - पोशक ऊर्ाा गृह - र्ैविक उत्पादन और प्रसंस्करण तकनीक - एक लघु समीक्षा
Prof (Dr) Jai Singh (ARS)
M.Tech, Ph D
Retd Director, ICAR – CIPHET
Mob:8958463808 E mail : jsingh.sre@gmail.com
र्ैविक मसाले पररचय और सारांश
भारतीय मसाले अपनी बेहतरीन सुगंध और स्वाद क
े कारण विश्व में अवितीय स्थान रखते हैं। इसवलए
भारतीय मसालों की िैवश्वक बार्ारों में काफी मांग है। भारत में 109 मसालों में से 65 से अवधक वकस्में उगाई
र्ाती हैं। भारत में उगाए र्ाने िाले प्रमुख मसाले काली वमचा, सफ
े द मिर्च, इलायची, अदरक, हल्दी और
वमचा, र्ीरा, शाहजीरा, . स ौंफ. मेथी, कसूरी िेथी, धवनया, वचरोन्र्ी कब्र, , दालर्ीनी. ल ौंग. कबाब र्ीनी,
कोकि, अदरक, सोौंठ, कल ंर्ी). जामित्री, लहसुन, प्यार्, अजिायन, विल । इन्हें िगीक
ृ त वकया गया है
र्ैसे मूल: (र्ीरा बीर्, धवनया बीर् धवनया, काली सरसों बीर् मोहरी, हल्दी हल्दी, वमचा पाउिर लाल वमचा,
हींग हींग, गरम मसाला वमवित मसाला पाउिर); पूरक: (स ंफ बीर् स ंफ, मेथी बीर् मेथी, वनगेला बीर्
कल ंगी, अर्िाइन बीर् अर्िाइन) और सुगंवधत: (हरी इलायची इलायची, काली इलायची काली इलायची,
दालचीनी स्टिक दालचीनी, ल ंग ल ंग, र्ायफल र्ायफल, र्ावित्री, क
े सर क
े सर, तेर्पत्ता तेर्पात) ।दुवनया
भर में र्ैविक मसालों का महत्व बढ़ रहा है क्ोंवक उपभोक्ता खेती और प्रसंस्करण क
े द रान कीटनाशकों,
हावनकारक रंगों और अन्य रसायनों क
े उपयोग से सािधान रहते हैं। इसवलए, र्ैविक रूप से उत्पावदत और
संसावधत इन ज्वलंत समस्याओं का व्यिहाया विकल्प है। मसालों का उपयोग खाद्य उत्पादों क
े स्वाद और
सुगंध क
े साथ-साथ विवभन्न स ंदया प्रसाधनों, और फामाास्युवटकल उद्देश्ों क
े वलए भी वकया र्ाता है।
मसालों से तैयार वकए र्ाने िाले प्रमुख मूल्य िवधात उत्पाद हैं : एसेंस तेल, ओवलयोरेवसन, मसाला पाउिर,
करी पाउिर और र्ैविक बीर्। मसाले हावनकारक सूक्ष्मर्ीिों क
े विकास को रोककर, अवप्रय गंध और
स्वाद को कम करक
े और खराब होने की प्रविया को धीमा करने क
े वलए प्राक
ृ वतक एं टीऑस्टििेंट क
े रूप
में काया करक
े भोर्न को संरवक्षत करने में महत्वपूणा भूवमका वनभाते हैं। र्ैविक रूप से उगाए गए मसाले
विकास और उपर् क
े मामले में अकाबावनक उिारकों क
े साथ समान प्रदशान करते हैं और गुणित्ता क
े
मामले में अकाबावनक की तुलना में उत्तम प्रदशान करते हैं। िैज्ञावनक अध्ययन बताते हैं वक र्ैविक मसालों
क
े उत्पादन में कई विटावमन, खवनर् और एं र्ाइम होते हैं।
र्ैविक खेती क
े प्रमुख लाभ:
वनयाात मांग और इसक
े अवतररक्त, र्ैविक मसाले अत्यवधक लाभकारी हैं। र्ैविक उत्पाद उच्च
गुणित्ता िाले, सुरवक्षत, पोषक और पयाािरण क
े अनुक
ू ल हैं। र्ैविक खेती क
े वलए रूपांतरण
अिवध और मान्यता प्राप्त एर्ेंसी िारा प्रमाणीकरण की प्रविया से गुर्रने क
े वलए न्यूनतम दो
िषा की आिश्कता होती है।
र्ैविक मसाला खेती क
े वलए प्रमुख इनपुट:-
र्ैविक खाद: गोबर की खाद, भेड़ की खाद. पोल्ट्री खाद. तेल क
े क, िमीकम्पोि, हरी खाद
र्ैसे सनहेम्प, ढैंचा, फवलयां, फसल क
े अिशेष, पोल्ट्री खाद, खेत और घरेलू अपवशष्ट ,घरेलू
सीिेर् आवद का उपयोग वकया र्ाता है।
प्राक
ृ वतक र्ैि उिारक: प्राक
ृ वतक उिारक वर्समें िाहक आधाररत सूक्ष्म र्ीि र्ैसे राइर्ोवबयम,
एजोटोबैक्टर, एजोस्टिररलम, नीला-हरा शैिाल, एर्ोला, माइकोराइर्ा और फॉस्फोबैक्टीररया शावमल हैं।
प धों क
े विकास को बढ़ािा देने िाले र्ैविक उत्पाद: यह तरल खाद है र्ो सड़े हुए प धों क
े अक
ा र्ैसे वक
यूपेटोररयम खरपतिार और स्टिररवसविया से प्राप्त होता है, वर्सका उपयोग प धों क
े विकास को बढ़ािा देने
क
े वलए वकया र्ाता है।
धवनया - बीर्ोपचार एिं खाद की आिश्कता
बायोइनोक
ु लेंट एजोस्टिररलम या एजोटोबैक्टर प्लस 10 टन भेड़ खाद/हेक्टेयर िारा बीर् और
वमट्टी का उपचार करने से 9 स्टव
ं टल/हेक्टेयर बीर् की उपर् वमली। टराइकोिमाा विराइि
(CFU106 @ 4 ग्राम/वकग्रा बीर् क
े साथ) और नीम क
े क (150 वकग्रा/हेक्टेयर) क
े साथ
बीर् विड़काि से मुरझाने की घटना कम हो र्ाती है।
र्ीरा:6-8 टन गोबर की खाद या 5 टन/हेक्टेयर खाद और एजोस्टिररलम या एजोटोबैक्टर
िारा बीर् उपचार 5t भेड़ खाद/हेक्टेयर क
े साथ उच्च बीर् उपर् प्राप्त हुई।
स ंफ: खाद की आिश्कता 10 से 15 टन/हेक्टेयर एफिाईएम प्लस एजोस्टिररलम @ 500
ग्राम/हेक्टेयर बीर् िारा बीर् उपचार और वमट्टी क
े अनुप्रयोग (2.5 वकग्रा/हेक्टेयर) से
उच्चतम उपर् प्राप्त हुई।
मेंथी:, खाद की आिश्कता एफिाईएम (10 टन/हेक्टेयर) प्लस एक टन नीम क
े क/हेक्टेयर
क
े प्रयोग और एजोस्टिररलम, एजोटोबैक्टर और राइर्ोवबयम क
े साथ माइिोवबयल टीकाकरण
से 13.9 स्टव
ं टल/हेक्टेयर की उपर् वमली।
कॉिोमॉम: नीम क
े क (एनसी) + िमी कम्पोि (िीसी) संयुक्त अनुप्रयोग में प्रवत प्लॉट (12
प धों में से) 1.3 वकलोग्राम सूखे क
ै प्सूल दर्ा वकए गए।
इलायची: नीम क
े क (2.9 टन/हेक्टेयर) या िमीकम्पोि (@15 टन/हेक्टेयर) क
े प्रयोग से अक
े ले एनपीक
े की
तुलना में इलायची की उपर् में 52% की िृस्टि हुई।
काली वमचा क
े पोषक तत्व:: 10 वकलो गोबर की खाद + 500 ग्राम नीम की खली + 500 ग्राम राख + 2 वकलो
िमीकम्पोि र्ैिउिारक क
े साथ - एजोस्टिररलम और पी घुलनशील बैक्टीररया (20 ग्राम)।रोग और कीट
वनयंत्रण: टराइकोिमाा (50 ग्राम) और स्यूिोमोनास (आईआईएसआर 6) (50 ग्राम) प्रवत बेल
और 1% बोिो वमिण (बीएम) और नीम तेल (5 एमएल एल-1) का विड़काि करें।
अदरक: पोषक तत्व: 20 टन एफिाईएम + 2 टी नीम क
े क + 1 टी राख + 4 टी िमीकम्पोि/हेक्टेयर,
एजोस्टिररलम और पी-घुलनशील बैक्टीररया (20 ग्राम/बेि)नीम क
े क @ 2 टी हेक्टेयर-1 एनपीक
े @ 75,
50, उत्पादन में सूक्ष्म पोषक तत्वों (5 वकग्रा Zn, 2 वकग्रा बी और 1 वकग्रा मो प्रत्येक हेक्टेयर-1) क
े साथ 50
वकग्रा हेक्टेयर-1 उन्नत तेल और ओलेरोवसन।
हल्दी: र्ैविक पैक
े र्: 20 टन एफिाईएम + 2 टी नीम क
े क + 1 टी राख + 4 टी िमीकम्पोि/हेक्टेयर,
एजोस्टिररलम और पी-घुलनशील बैक्टीररया (20 ग्राम/बेि)
ल ंग, र्ायफल और दालचीनी: 25 वकलोग्राम FYM क
े साथ 250 ग्राम P2O5 पेड़-1 िषा-1, इसक
े अलािा
300 की दर से N और K का प्रयोग और 1000 ग्राम P2O5 पेड़-1 िषा-1 वनरंतर उत्पादकता क
े वलए इष्टतम
था।
प्यार्: प्यार् की िृस्टि, उपर्, गुणित्ता और अथाव्यिस्था पर र्ैविक खाद क
े विवभन्न स्रोतों क
े प्रभाि का
अध्ययन करने क
े वलए वकए गए क्षेत्र प्रयोग में उच्चतम प धे की ऊ
ं चाई (42.3 सेमी), पवत्तयां/प धा (8.1),
पत्ती का व्यास (1.46 सेमी) दर्ा वकया गया। , पत्ती-क्षेत्र सूचकांक (4.26), क
ु ल शुष्क पदाथा उत्पादन/प धा
(7.59 ग्राम), बल्ब का तार्ा िर्न (143.7 ग्राम), बल्ब उपर् (42.8 टन/हेक्टेयर), गदान का व्यास (1.42
सेमी), बल्ब का व्यास (6.02 सेमी) ), बल्ब की लंबाई (5.36 सेमी), बल्ब का आकार सूचकांक (32.26
सेमी2/बल्ब), एस्कॉवबाक एवसि (26.1 वमलीग्राम/100 ग्राम), क
ु ल घुलनशील ठोस (14.4%), अपचायक
शक
ा रा (3.98%), गैर अपचायक शक
ा रा (9.05) %), क
ु ल चीनी (13.03%), सकल ररटना (4,72,000), शुि
ररटना (3,61,557) और लाभ: लागत अनुपात (4.27) वमला था। इससे िष्ट है वक रासायवनक खाद की तुलना
में र्ैविक प्यार् का उत्पादन िैज्ञावनक र्ैविक क
ृ वष पिवतयााँ अपनाने से अच्छा रहता है।
मसालों में प्रमुख कीट: एवफि्स, विप्स, र्ैवसि्स, व्हाइटफ्लाई, माइट्स, हॉपर, बग्स, सीि िाि, शूट
बोरर, िाइस बीटल, स्क
े ल, मैगॉट्स, िीविल, क
ै टरवपलर, बालों िाली क
ै टरवपलर, कोवकि्स, , लीफ
साइलीि, लीफ खवनक, वपत्त बनाने िाले विप्स, वपत्त वमर्, तना िे दक, क
ै प्सूल िे दक, राइजोम िेविल, थैला
क
ृ वम, र्ड़ िे दक, अंक
ु र िे दक, शीषा अंक
ु र िे दक, और वमलीबग, आवद।
मसालों क
े भंिारण में कीट: भंिारण की अिवध मैं बीर् मसालों को संिवमत करने िाली सबसे आम
कीट प्रर्ावतयां हैं: वसगरेट बीटल, लैवसयोिमाा सेरीकोना, ि
र ग िोर बीटल िेगोवबयम पैवनवकयम और
सीि िाि वसिोल अस्टल्बपेवनस। भृंग, कीट,भारतीय मील, पतंगा, प्यार् कीट/प्यार् मक्खी, िैवियोलस
विप्स, आवद।
भंिाररत मसालों की सुरक्षा: नीम गोल्ड 0.5%, वनंवबवसविन 0.5%, नीम का तेल 1.0%, मिली क
े तेल का
रेवर्न 3%, वशमला वमचा का अक
ा 1%, मेवलया वमवित बीर् का अक
ा 0.1 - 0.5%, िोमोलीना ओिोरेटा की
सूखी पवत्तयां, मेवलया क
ं पोवर्टा, िराइकोनोस नि - भंिाररत मसालों को सुरवक्षत रखने क
े वलए िोवमका,
िाइकोस्टस्मस पेंटावफला, चूरा आवद का उपयोग वकया र्ाता है।
मसाला फसलों में कीट एिं रोग को वनयंवत्रत करने क
े वलए र्ैविक उत्पाद।
ये ऐसे उत्पाद साधन या तरीक
े हैं वर्नमें प्राक
ृ वतक शत्रुओं का उपयोग नाशीजीि कीटों, रोगों और
खरपतिारों को वनयंवत्रत करने क
े वलए वकया र्ाता है । प्रमुख र्ैविक कीटनाशी में टराइकोिमाा विररिी,
टराइकोिमाा हरवर्यानम, िाउिेररया, बेवसयाना, मेटाररवजयम अवनसोप्ली, िवटावसवलयम लेकानी,
सुिोनोमास फ्लोररसेंस, बैवसलस बी.टी., एन.पी.िी., नीम का तेल, शावमल हैं ।र्ैविक कीट
वनयंत्रण: नीमास्त्र - (रस िीड़ा िाले कीट एिं िोटी सुंिी इवलयान क
े वनयंत्रण - 100 लीटर प्रवत एकड़
की दर से स्प्रे करें); ब्रम्हास्त्र - कीट और बड़ी सूंिी इवलयान क
े वनयंत्रण क
े वलए - 3 - 4 लीटर / एकड़
का विड़काि करें। अविअस्त्र - ताना कीट क
े वनयंत्रण क
े वलए, फ
ू लों में होने िाली सूर्न - प्रवत एकड़
200 लीटर पानी में 5 लीटर अविआस्त्र का विड़काि करें); तशपणी अक
ा - सभी प्रकार क
े रस तंबाक
ू
कीट और सभी इस्टियों क
े वनयंत्रण क
े वलए प्रवत एकड़ 200 लीटर पानी में 5 - 8 लीटर तशपणी का
विड़काि करें। धतूरे की पवत्तयां और बीर् का पाउिर, नीम क
े बीर् और पवत्तयों का पाउिर, नीम का
तेल, नीम की खली। नीलवगरी, बेशरम की पवत्तयों का पाउिर भी कीटनाशक क
े रूप में उपयोगी
सावबत हुआ है।
मिली का तेल, नीम का तेल, नीम क
े बीर् की वगरी का अक
ा , नीम की खली, सरसों की खली, तंबाक
ू का
काढ़ा, राल साबुन, गोमूत्र, प्यार् का अक
ा मसालों में विवभन्न कीड़ों, कीटों और बीमाररयों को वनयंवत्रत करने
में उपयोगी बताया गया है। अनुसंधान क
े पररणामों से यह भी पता चला है वक मसाला फसलों से प्राप्त प ध
संरक्षण रसायनों का उपयोग पारंपररक वसंथेवटक कीटनाशकों क
े सुरवक्षत प्रवतस्थापन क
े रूप में बड़ी
संख्या में कीटों और बीमाररयों को वनयंवत्रत करने क
े वलए विवभन्न तरीकों से वकया र्ा सकता है।
ट्राईकोग्राि: ट्राईकोग्राि एक अत्यौंत सूक्ष्म कीट् (ततैया) है जो अनेक प्रकार क
े शत्रु कीट्ोौं पर आक्रिण
करता है। यह एक अौंडा-परजीिी है जो शत्रु कीट् क
े अण्ोौं िें अपना अौंडा देकर उन्हें नष्ट कर देता है।
िेट्ामजयि एनीसोप्ली: यह मिस्तृत रूप से मिट्टी िें पाया जाने िाला फ
ु फ
ु न्दी है जो कीट्ोौं पर आक्रिण
करता है। इसक
े पानी िें तैयार घोल को मिट्टी िें या फसल क
े ऊपर फ
ै लाया जाता है। मिट्टी िें मिलाने क
े
मलए इस घोल का एक मकलोग्राि गोबर की खाद िें मिलाकर प्रमत एकड़ की दर से मिट्टी िें मिड़काि्
मकया जाता है।
बैक्टीररया कीट्रोगाणु बैमसलस युमथमजयेंमसस (बी.ट्ी.):यह मिट्टी िें पाया जाने िाला बैक्टीररया है जो अनेक
प्रकार क
े कीट्ोौं क
े अलािा क
ृ मियोौं (नीिट्ोड) को भी िारता है। यह पाउडर ि तरल रूप िें उपलब्ध है।
इसे 1 से 1.5 मकलोग्राि प्रमत हेक्टेयर की दर से मिड़काि् करते हैं।
कीट् मिषाणु (िायरस):ये बैक
ु लो िाइरस होते हैं जो अपने मिशेष शत्रु कीट् िें ही पलते बढ़ते हैं और उन्हें
रोगग्रमसत कर िार डालते हैं।
कीड़ों को वनयंवत्रत करने क
े वलए र्ैविक एर्ेंट / जीमित प्राक
ृ मतक शत्रु: प्रोटोर्ोआ और अन्य स्थानीय
प्राक
ृ वतक र्ैि शत्रु र्ैसे मकवड़यााँ, कीड़े, घुन, नेमाटोि, पक्षी, किक, बैक्टीररया, िायरस आवद कीड़ों की
आबादी को वनयंवत्रत करने में मदद करते हैं। ट्राईकोग्राि एक अत्यौंत सूक्ष्म कीट् (ततैया) है जो अनेक
प्रकार क
े शत्रु कीट्ोौं पर आक्रिण करता है।िेट्ामजयि एनीसोप्ली यह मिस्तृत रूप से मिट्टी िें पाया जाने
िाला फ
ु फ
ु न्दी है जो भृौंग, मततली ि पतौंगे, बग, र्ीौंट्ी ि ततैये तथा मट्ड्डे िगच क
े कीट्ोौं पर आक्रिण करता
है।
िाइक्रोमबयल कीट्नाशक: ये बैक्टीररया, किक और िायरस समहत सूक्ष्मजीिोौं से प्राप्त होते हैं फसलोौं को
नुकसान पहौंर्ाने िाले कीड़ोौं को लमित करते हैं।
बैक्टीररयाबैक्टीररया कीट्रोगाणु: बैमसलस युमथमजयेंमसस (बी.ट्ी.)यह मिट्टी िें पाया जाने िाला बैक्टीररया है
जो अनेक प्रकार क
े कीट्ोौं क
े अलािा क
ृ मियोौं (नीिट्ोड) को भी िारता है। इसक
े आक्रिण से कीट् की
आहार नली ि िुख मनष्क्रिय हो जाते हैं तथा कीट् तुरौंत िर जाता है। प्रक
ृ मत िें बेमललस थूररनजैंमसस और
और बेमसलस प मपली नािक बैक्टीररया कीट् मनयौंन्त्रण िें प्रभािकारी है।
कीट् मिषाणु िायरस: ये बैक
ु लो िाइरस होते हैं जो अपने मिशेष शत्रु कीट् िें ही पलते बढ़ते
हैं अरु उन्हें रोगग्रमसत कर िार डालते हैं। प्रक
ृ मत िें न्यूष्क्रियो पालीहाइड
र ोमसस िायरस और
ग्रेन्यूलोमसस िायरस नािक िायरस कीट् मनयौंत्रण िें प्रभािकारी हैं। प्रक
ृ मत िें न्यूष्क्रियो पालीहाइड
र ोमसस
िायरस और ग्रेन्यूलोमसस िायरस नािक िायरस कीट् मनयौंत्रण िें प्रभािकारी हैं।
फफ
ूूँ द: 90 प्रमतशत कीट्, उनकी मिमभन्न अिस्थाएौं (अौंडे, सूडी, प्यूपा, व्यस्क) फफ
ूूँ द क
े आक्रिण से नष्ट
हो जाते हैं। बैक्टीररया[ प्रक
ृ मत िें बेमललस थूररनजैंमसस और और बेमसलस प मपली नािक बैक्टीररया कीट्
मनयौंन्त्रण िें प्रभािकारी है िायरस प्रक
ृ मत िें न्यूष्क्रियो पालीहाइड
र ोमसस िायरस और ग्रेन्यूलोमसस िायरस
नािक िायरस कीट् मनयौंत्रण िें प्रभािकारी हैं।
वमत्र कीट/परर्ीिी कीट: ये लवक्षत कीटों और बीमाररयों को मारते हैं। इनमें लेिी बग, प्रेयररंग मेंवटस,
नेमाटोि, िाइिर माइट, व्हाइटफ्लाई, विप, पाइरेट बग. गन्धी कीड़ा, क्यूलेक्स, एमफड, एपीस, आवद
शावमल हैं।
मसालों और मसाला उत्पादों का भंिारण: मसालों का भंिारण साबूत और वपसा हुआ दोनों रूपों में वकया
र्ाता है। वपसे हुए मसालों की तुलना में साबूत मसालों का र्ीिन काल अवधक होता है क्ोंवक वपसे हुए
मसाले अपनी सुगंध और स्वाद र्ल्दी खो देते हैं।
भंिारण में मसालों का खराब होना:
सुगंध और स्वाद का नुकसान: यह मसालों में िाष्पशील तेल क
े नुकसान क
े कारण होता
है;(ii) मसालों में रंग ब्लीवचंग ऑिीर्न, प्रकाश, नमी और तापमान क
े कारण होता
है;(iii) मुक्त प्रिावहत प्रक
ृ वत का नुकसान, क
े वक
ं ग और गांठ: यह नमी क
े प्रिेश क
े
कारण होता है;(iv) सूक्ष्मर्ीिी विक
ृ वत: यह नमी सोखने और कीड़ों क
े संिमण क
े कारण
होता है। मसालों का भंिारण: नमी का स्तर 8-10% से कम रखें। साबुत मसालों को पॉलीथीन लाइन िाले
बैग या एचिीपीई/पीई बुने हुए बोरे में संग्रवहत वकया र्ाना चावहए। इलायची क
ै प्सूल लकड़ी या धातु क
े
क
ं टेनरों में 75 माइिोन काले पॉलीवथलीन नमी अिरोधक क
े साथ पंस्टक्तबि। वमचा को संपीवड़त थैवलयों में
संग्रवहत वकया र्ाना चावहए। पाउिर िाले मसाले तेर्ी से खराब होते हैं। इन्हें धातु या एचिीपीई/पीपी र्ार
में संग्रवहत वकया र्ाना चावहए। भंिारण गृहों को काबानिाइऑिाइि गैस या नीम/इक्ूवलप्टस तेल उपयोग
करक
े धूवमत वकया र्ाना चावहए या प्यार्/लहसुन का पाउिर विड़कना भी उपयोगी पाया र्ाता है।
मसालों में तेल क
े प्रकार और तेल की मात्रा: (i) स्टस्थर तेल - यह गैर-िाष्पशील तेल है; (ii) िाष्पशील तेल -
यह प्राक
ृ वतक सुगंवधत य वगकों का एक समूह है; (iii) आिश्क तेल - यह पवत्तयों, तनों, िाल, बीर्ों,
फलों, र्ड़ों और मसालों क
े एियूिेट्स क
े भाप या पानी क
े आसिन का तरल उत्पाद है और (iv)
ओलेओरेवसन - ये मसालों और अन्य र्ड़ी-बूवटयों से क
ें वित अक
ा हैं र्ो हैं खाद्य पदाथों में योर्क क
े रूप में
उपयोग वकया र्ाता है।
मसालों में तेल मात्रा: वमचा क
े बीर् (16-25%), प्यार् क
े बीर् (21.86%-25.86%), लहसुन - (0.34%),
काली वमचा (3-6% और र्ामुन और पवत्तयों में 1.24 से 5.06 0.15-0.35%), सफ
े द वमचा- एसेंस तेल (1.5-
2.2%), हरी इलायची क
े बीर् (3.30 से 4.52% और पवत्तयां 0.99-1.08%),अदरक -
प्रक
ं द में (40%-70% और एसेंस तेल(1.5%-3%) होता है।),ल ंग - (16%), र्ायफल
वगरी-(24 - 40% स्टस्थर तेल और 5 - 15% एसेंस तेल),र्ीरा -(2.4 - 4%), काला र्ीरा
((43.7%), दालचीनी - िाल (4% िाष्पशील),तेर्पत्र - (0.8),हल्दी - सूखे प्रक
ं द (3-6%
एसेंस तेल),स ंफ क
े बीर् – एसेंस तेल (3.5-6%),धवनया - (0.2%-1.5% िाष्पशील तेल,
13%-20% िसा तेल, एसेंस तेल 1.87%-2.33%),अर्िायन - (5% एसेंस तेल), कल ंर्ी
(32-40 %) , तुलसी बीजोौं (17.8 %), वचया बीर् (31.39 to 32.39 %), आवद।
मसालों का प्रसंस्करण: मसाला प्रसंस्करण क
े चरणों में सफाई (कांटे, धूल और गंदगी), ग्रेविंग, पीसना,
चूवणात करना, िीलना, शल्कन (flaking, Chafing), वमिण करना, भूनना, िानना, सामग्री संभालना, थोक
और खुदरा भंिारण, बैच वनमााण, लीक प्रूफ एं टी बैक्टीररयल पैक
े वर्ंग / पैवक
ं ग और बार्ार प्रबंधन शावमल
हैं। ददारा पीसने का काया मसाला चक्की, हथ ड़ा/प्लेट/वपन वमल ( hammer / plate / pin mill) िारा
वकया र्ा सकता है। अवत सूक्ष्म पीसाई गेंद, र्ेट, रोलर वमल (ball / jet / rollermill) का उपयोग करक
े
की र्ाती है। क
ु टीर और िोटे पैमाने पर मसाला चक्की को प्राथवमकता दी र्ाती है। मसाला उत्पादों को 8 -
10% से कम नमी की मात्रा पर उपचाररत और सन शेि या 50-60 विग्री सेंटरीग्रेट तापमान पर गमा हिा िाले
ि
र ायर में सुखाया र्ाता है। एिपेलर एिप्रेशन, एिट्रू जन कोल्ड प्रेवसंग, िीम विस्टिलेशन और सॉल्वेंट
एिप्रेशन मसालों से तेल, आिश्क तेल और ओवलयोरेवसन वनकालने क
े वलए उपयोग की र्ाने िाली
सामान्य तकनीक हैं।
मसालों की गुणित्ता बनाए रखने और खराब होने से बचाने क
े वलए कटाई क
े बाद मसालों की संभाल में
उवचत सुखाने और उपचार करना आिश्क है। सुखाने से मसालों से पानी वनकल र्ाता है, र्ो रासायवनक
और एं र्ाइमेवटक प्रवतवियाओं को धीमा कर देता है और माइिोवबयल विकास को रोकता है और शेल्फ
लाइफ को बढ़ाने में भी मदद करता है। मसालों की गुणित्ता, आकषाण मूल्य, स्वाद, रंग स्टस्थरता और
सुरक्षा और वचवकत्सीय गुणों को संरवक्षत करने क
े वलए महत्वपूणा हैं। इसवलए, प्रसंस्करण और भंिारण से
पहले मसालों की गुणित्ता, सुरक्षा और वचवकत्सीय गुणों को संरवक्षत करने क
े वलए पकने क
े बाद प्रसंस्करण
से पहले उवचत उपचार, और भंिारण महत्वपूणा है।
आभार:
यह लघु समीक्षा आईसीएआर संस्थानों और क
ृ वष विश्वविद्यालयों क
े शोध वनष्कषों पर आधाररत
है। मैं सभी ज्ञात और अज्ञात क
े प्रवत आभार व्यक्त करता हं।

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Organic spices.docभारतीय मसाले - पोशक ऊर्जा गृह - जैविक उत्पादन और प्रसंस्करण तकनीक - एक लघु समीक्षाx

  • 1. Organic spices भारतीय मसाले - पोशक ऊर्ाा गृह - र्ैविक उत्पादन और प्रसंस्करण तकनीक - एक लघु समीक्षा Prof (Dr) Jai Singh (ARS) M.Tech, Ph D Retd Director, ICAR – CIPHET Mob:8958463808 E mail : jsingh.sre@gmail.com र्ैविक मसाले पररचय और सारांश भारतीय मसाले अपनी बेहतरीन सुगंध और स्वाद क े कारण विश्व में अवितीय स्थान रखते हैं। इसवलए भारतीय मसालों की िैवश्वक बार्ारों में काफी मांग है। भारत में 109 मसालों में से 65 से अवधक वकस्में उगाई र्ाती हैं। भारत में उगाए र्ाने िाले प्रमुख मसाले काली वमचा, सफ े द मिर्च, इलायची, अदरक, हल्दी और वमचा, र्ीरा, शाहजीरा, . स ौंफ. मेथी, कसूरी िेथी, धवनया, वचरोन्र्ी कब्र, , दालर्ीनी. ल ौंग. कबाब र्ीनी, कोकि, अदरक, सोौंठ, कल ंर्ी). जामित्री, लहसुन, प्यार्, अजिायन, विल । इन्हें िगीक ृ त वकया गया है र्ैसे मूल: (र्ीरा बीर्, धवनया बीर् धवनया, काली सरसों बीर् मोहरी, हल्दी हल्दी, वमचा पाउिर लाल वमचा, हींग हींग, गरम मसाला वमवित मसाला पाउिर); पूरक: (स ंफ बीर् स ंफ, मेथी बीर् मेथी, वनगेला बीर् कल ंगी, अर्िाइन बीर् अर्िाइन) और सुगंवधत: (हरी इलायची इलायची, काली इलायची काली इलायची, दालचीनी स्टिक दालचीनी, ल ंग ल ंग, र्ायफल र्ायफल, र्ावित्री, क े सर क े सर, तेर्पत्ता तेर्पात) ।दुवनया भर में र्ैविक मसालों का महत्व बढ़ रहा है क्ोंवक उपभोक्ता खेती और प्रसंस्करण क े द रान कीटनाशकों, हावनकारक रंगों और अन्य रसायनों क े उपयोग से सािधान रहते हैं। इसवलए, र्ैविक रूप से उत्पावदत और संसावधत इन ज्वलंत समस्याओं का व्यिहाया विकल्प है। मसालों का उपयोग खाद्य उत्पादों क े स्वाद और सुगंध क े साथ-साथ विवभन्न स ंदया प्रसाधनों, और फामाास्युवटकल उद्देश्ों क े वलए भी वकया र्ाता है। मसालों से तैयार वकए र्ाने िाले प्रमुख मूल्य िवधात उत्पाद हैं : एसेंस तेल, ओवलयोरेवसन, मसाला पाउिर, करी पाउिर और र्ैविक बीर्। मसाले हावनकारक सूक्ष्मर्ीिों क े विकास को रोककर, अवप्रय गंध और स्वाद को कम करक े और खराब होने की प्रविया को धीमा करने क े वलए प्राक ृ वतक एं टीऑस्टििेंट क े रूप में काया करक े भोर्न को संरवक्षत करने में महत्वपूणा भूवमका वनभाते हैं। र्ैविक रूप से उगाए गए मसाले विकास और उपर् क े मामले में अकाबावनक उिारकों क े साथ समान प्रदशान करते हैं और गुणित्ता क े मामले में अकाबावनक की तुलना में उत्तम प्रदशान करते हैं। िैज्ञावनक अध्ययन बताते हैं वक र्ैविक मसालों क े उत्पादन में कई विटावमन, खवनर् और एं र्ाइम होते हैं।
  • 2. र्ैविक खेती क े प्रमुख लाभ: वनयाात मांग और इसक े अवतररक्त, र्ैविक मसाले अत्यवधक लाभकारी हैं। र्ैविक उत्पाद उच्च गुणित्ता िाले, सुरवक्षत, पोषक और पयाािरण क े अनुक ू ल हैं। र्ैविक खेती क े वलए रूपांतरण अिवध और मान्यता प्राप्त एर्ेंसी िारा प्रमाणीकरण की प्रविया से गुर्रने क े वलए न्यूनतम दो िषा की आिश्कता होती है। र्ैविक मसाला खेती क े वलए प्रमुख इनपुट:- र्ैविक खाद: गोबर की खाद, भेड़ की खाद. पोल्ट्री खाद. तेल क े क, िमीकम्पोि, हरी खाद र्ैसे सनहेम्प, ढैंचा, फवलयां, फसल क े अिशेष, पोल्ट्री खाद, खेत और घरेलू अपवशष्ट ,घरेलू सीिेर् आवद का उपयोग वकया र्ाता है। प्राक ृ वतक र्ैि उिारक: प्राक ृ वतक उिारक वर्समें िाहक आधाररत सूक्ष्म र्ीि र्ैसे राइर्ोवबयम, एजोटोबैक्टर, एजोस्टिररलम, नीला-हरा शैिाल, एर्ोला, माइकोराइर्ा और फॉस्फोबैक्टीररया शावमल हैं। प धों क े विकास को बढ़ािा देने िाले र्ैविक उत्पाद: यह तरल खाद है र्ो सड़े हुए प धों क े अक ा र्ैसे वक यूपेटोररयम खरपतिार और स्टिररवसविया से प्राप्त होता है, वर्सका उपयोग प धों क े विकास को बढ़ािा देने क े वलए वकया र्ाता है। धवनया - बीर्ोपचार एिं खाद की आिश्कता बायोइनोक ु लेंट एजोस्टिररलम या एजोटोबैक्टर प्लस 10 टन भेड़ खाद/हेक्टेयर िारा बीर् और वमट्टी का उपचार करने से 9 स्टव ं टल/हेक्टेयर बीर् की उपर् वमली। टराइकोिमाा विराइि (CFU106 @ 4 ग्राम/वकग्रा बीर् क े साथ) और नीम क े क (150 वकग्रा/हेक्टेयर) क े साथ बीर् विड़काि से मुरझाने की घटना कम हो र्ाती है। र्ीरा:6-8 टन गोबर की खाद या 5 टन/हेक्टेयर खाद और एजोस्टिररलम या एजोटोबैक्टर िारा बीर् उपचार 5t भेड़ खाद/हेक्टेयर क े साथ उच्च बीर् उपर् प्राप्त हुई। स ंफ: खाद की आिश्कता 10 से 15 टन/हेक्टेयर एफिाईएम प्लस एजोस्टिररलम @ 500 ग्राम/हेक्टेयर बीर् िारा बीर् उपचार और वमट्टी क े अनुप्रयोग (2.5 वकग्रा/हेक्टेयर) से उच्चतम उपर् प्राप्त हुई। मेंथी:, खाद की आिश्कता एफिाईएम (10 टन/हेक्टेयर) प्लस एक टन नीम क े क/हेक्टेयर क े प्रयोग और एजोस्टिररलम, एजोटोबैक्टर और राइर्ोवबयम क े साथ माइिोवबयल टीकाकरण से 13.9 स्टव ं टल/हेक्टेयर की उपर् वमली। कॉिोमॉम: नीम क े क (एनसी) + िमी कम्पोि (िीसी) संयुक्त अनुप्रयोग में प्रवत प्लॉट (12 प धों में से) 1.3 वकलोग्राम सूखे क ै प्सूल दर्ा वकए गए। इलायची: नीम क े क (2.9 टन/हेक्टेयर) या िमीकम्पोि (@15 टन/हेक्टेयर) क े प्रयोग से अक े ले एनपीक े की तुलना में इलायची की उपर् में 52% की िृस्टि हुई। काली वमचा क े पोषक तत्व:: 10 वकलो गोबर की खाद + 500 ग्राम नीम की खली + 500 ग्राम राख + 2 वकलो िमीकम्पोि र्ैिउिारक क े साथ - एजोस्टिररलम और पी घुलनशील बैक्टीररया (20 ग्राम)।रोग और कीट वनयंत्रण: टराइकोिमाा (50 ग्राम) और स्यूिोमोनास (आईआईएसआर 6) (50 ग्राम) प्रवत बेल और 1% बोिो वमिण (बीएम) और नीम तेल (5 एमएल एल-1) का विड़काि करें।
  • 3. अदरक: पोषक तत्व: 20 टन एफिाईएम + 2 टी नीम क े क + 1 टी राख + 4 टी िमीकम्पोि/हेक्टेयर, एजोस्टिररलम और पी-घुलनशील बैक्टीररया (20 ग्राम/बेि)नीम क े क @ 2 टी हेक्टेयर-1 एनपीक े @ 75, 50, उत्पादन में सूक्ष्म पोषक तत्वों (5 वकग्रा Zn, 2 वकग्रा बी और 1 वकग्रा मो प्रत्येक हेक्टेयर-1) क े साथ 50 वकग्रा हेक्टेयर-1 उन्नत तेल और ओलेरोवसन। हल्दी: र्ैविक पैक े र्: 20 टन एफिाईएम + 2 टी नीम क े क + 1 टी राख + 4 टी िमीकम्पोि/हेक्टेयर, एजोस्टिररलम और पी-घुलनशील बैक्टीररया (20 ग्राम/बेि) ल ंग, र्ायफल और दालचीनी: 25 वकलोग्राम FYM क े साथ 250 ग्राम P2O5 पेड़-1 िषा-1, इसक े अलािा 300 की दर से N और K का प्रयोग और 1000 ग्राम P2O5 पेड़-1 िषा-1 वनरंतर उत्पादकता क े वलए इष्टतम था। प्यार्: प्यार् की िृस्टि, उपर्, गुणित्ता और अथाव्यिस्था पर र्ैविक खाद क े विवभन्न स्रोतों क े प्रभाि का अध्ययन करने क े वलए वकए गए क्षेत्र प्रयोग में उच्चतम प धे की ऊ ं चाई (42.3 सेमी), पवत्तयां/प धा (8.1), पत्ती का व्यास (1.46 सेमी) दर्ा वकया गया। , पत्ती-क्षेत्र सूचकांक (4.26), क ु ल शुष्क पदाथा उत्पादन/प धा (7.59 ग्राम), बल्ब का तार्ा िर्न (143.7 ग्राम), बल्ब उपर् (42.8 टन/हेक्टेयर), गदान का व्यास (1.42 सेमी), बल्ब का व्यास (6.02 सेमी) ), बल्ब की लंबाई (5.36 सेमी), बल्ब का आकार सूचकांक (32.26 सेमी2/बल्ब), एस्कॉवबाक एवसि (26.1 वमलीग्राम/100 ग्राम), क ु ल घुलनशील ठोस (14.4%), अपचायक शक ा रा (3.98%), गैर अपचायक शक ा रा (9.05) %), क ु ल चीनी (13.03%), सकल ररटना (4,72,000), शुि ररटना (3,61,557) और लाभ: लागत अनुपात (4.27) वमला था। इससे िष्ट है वक रासायवनक खाद की तुलना में र्ैविक प्यार् का उत्पादन िैज्ञावनक र्ैविक क ृ वष पिवतयााँ अपनाने से अच्छा रहता है। मसालों में प्रमुख कीट: एवफि्स, विप्स, र्ैवसि्स, व्हाइटफ्लाई, माइट्स, हॉपर, बग्स, सीि िाि, शूट बोरर, िाइस बीटल, स्क े ल, मैगॉट्स, िीविल, क ै टरवपलर, बालों िाली क ै टरवपलर, कोवकि्स, , लीफ साइलीि, लीफ खवनक, वपत्त बनाने िाले विप्स, वपत्त वमर्, तना िे दक, क ै प्सूल िे दक, राइजोम िेविल, थैला क ृ वम, र्ड़ िे दक, अंक ु र िे दक, शीषा अंक ु र िे दक, और वमलीबग, आवद। मसालों क े भंिारण में कीट: भंिारण की अिवध मैं बीर् मसालों को संिवमत करने िाली सबसे आम कीट प्रर्ावतयां हैं: वसगरेट बीटल, लैवसयोिमाा सेरीकोना, ि र ग िोर बीटल िेगोवबयम पैवनवकयम और सीि िाि वसिोल अस्टल्बपेवनस। भृंग, कीट,भारतीय मील, पतंगा, प्यार् कीट/प्यार् मक्खी, िैवियोलस विप्स, आवद। भंिाररत मसालों की सुरक्षा: नीम गोल्ड 0.5%, वनंवबवसविन 0.5%, नीम का तेल 1.0%, मिली क े तेल का रेवर्न 3%, वशमला वमचा का अक ा 1%, मेवलया वमवित बीर् का अक ा 0.1 - 0.5%, िोमोलीना ओिोरेटा की सूखी पवत्तयां, मेवलया क ं पोवर्टा, िराइकोनोस नि - भंिाररत मसालों को सुरवक्षत रखने क े वलए िोवमका, िाइकोस्टस्मस पेंटावफला, चूरा आवद का उपयोग वकया र्ाता है। मसाला फसलों में कीट एिं रोग को वनयंवत्रत करने क े वलए र्ैविक उत्पाद। ये ऐसे उत्पाद साधन या तरीक े हैं वर्नमें प्राक ृ वतक शत्रुओं का उपयोग नाशीजीि कीटों, रोगों और खरपतिारों को वनयंवत्रत करने क े वलए वकया र्ाता है । प्रमुख र्ैविक कीटनाशी में टराइकोिमाा विररिी, टराइकोिमाा हरवर्यानम, िाउिेररया, बेवसयाना, मेटाररवजयम अवनसोप्ली, िवटावसवलयम लेकानी, सुिोनोमास फ्लोररसेंस, बैवसलस बी.टी., एन.पी.िी., नीम का तेल, शावमल हैं ।र्ैविक कीट वनयंत्रण: नीमास्त्र - (रस िीड़ा िाले कीट एिं िोटी सुंिी इवलयान क े वनयंत्रण - 100 लीटर प्रवत एकड़ की दर से स्प्रे करें); ब्रम्हास्त्र - कीट और बड़ी सूंिी इवलयान क े वनयंत्रण क े वलए - 3 - 4 लीटर / एकड़
  • 4. का विड़काि करें। अविअस्त्र - ताना कीट क े वनयंत्रण क े वलए, फ ू लों में होने िाली सूर्न - प्रवत एकड़ 200 लीटर पानी में 5 लीटर अविआस्त्र का विड़काि करें); तशपणी अक ा - सभी प्रकार क े रस तंबाक ू कीट और सभी इस्टियों क े वनयंत्रण क े वलए प्रवत एकड़ 200 लीटर पानी में 5 - 8 लीटर तशपणी का विड़काि करें। धतूरे की पवत्तयां और बीर् का पाउिर, नीम क े बीर् और पवत्तयों का पाउिर, नीम का तेल, नीम की खली। नीलवगरी, बेशरम की पवत्तयों का पाउिर भी कीटनाशक क े रूप में उपयोगी सावबत हुआ है। मिली का तेल, नीम का तेल, नीम क े बीर् की वगरी का अक ा , नीम की खली, सरसों की खली, तंबाक ू का काढ़ा, राल साबुन, गोमूत्र, प्यार् का अक ा मसालों में विवभन्न कीड़ों, कीटों और बीमाररयों को वनयंवत्रत करने में उपयोगी बताया गया है। अनुसंधान क े पररणामों से यह भी पता चला है वक मसाला फसलों से प्राप्त प ध संरक्षण रसायनों का उपयोग पारंपररक वसंथेवटक कीटनाशकों क े सुरवक्षत प्रवतस्थापन क े रूप में बड़ी संख्या में कीटों और बीमाररयों को वनयंवत्रत करने क े वलए विवभन्न तरीकों से वकया र्ा सकता है। ट्राईकोग्राि: ट्राईकोग्राि एक अत्यौंत सूक्ष्म कीट् (ततैया) है जो अनेक प्रकार क े शत्रु कीट्ोौं पर आक्रिण करता है। यह एक अौंडा-परजीिी है जो शत्रु कीट् क े अण्ोौं िें अपना अौंडा देकर उन्हें नष्ट कर देता है। िेट्ामजयि एनीसोप्ली: यह मिस्तृत रूप से मिट्टी िें पाया जाने िाला फ ु फ ु न्दी है जो कीट्ोौं पर आक्रिण करता है। इसक े पानी िें तैयार घोल को मिट्टी िें या फसल क े ऊपर फ ै लाया जाता है। मिट्टी िें मिलाने क े मलए इस घोल का एक मकलोग्राि गोबर की खाद िें मिलाकर प्रमत एकड़ की दर से मिट्टी िें मिड़काि् मकया जाता है। बैक्टीररया कीट्रोगाणु बैमसलस युमथमजयेंमसस (बी.ट्ी.):यह मिट्टी िें पाया जाने िाला बैक्टीररया है जो अनेक प्रकार क े कीट्ोौं क े अलािा क ृ मियोौं (नीिट्ोड) को भी िारता है। यह पाउडर ि तरल रूप िें उपलब्ध है। इसे 1 से 1.5 मकलोग्राि प्रमत हेक्टेयर की दर से मिड़काि् करते हैं। कीट् मिषाणु (िायरस):ये बैक ु लो िाइरस होते हैं जो अपने मिशेष शत्रु कीट् िें ही पलते बढ़ते हैं और उन्हें रोगग्रमसत कर िार डालते हैं। कीड़ों को वनयंवत्रत करने क े वलए र्ैविक एर्ेंट / जीमित प्राक ृ मतक शत्रु: प्रोटोर्ोआ और अन्य स्थानीय प्राक ृ वतक र्ैि शत्रु र्ैसे मकवड़यााँ, कीड़े, घुन, नेमाटोि, पक्षी, किक, बैक्टीररया, िायरस आवद कीड़ों की आबादी को वनयंवत्रत करने में मदद करते हैं। ट्राईकोग्राि एक अत्यौंत सूक्ष्म कीट् (ततैया) है जो अनेक प्रकार क े शत्रु कीट्ोौं पर आक्रिण करता है।िेट्ामजयि एनीसोप्ली यह मिस्तृत रूप से मिट्टी िें पाया जाने िाला फ ु फ ु न्दी है जो भृौंग, मततली ि पतौंगे, बग, र्ीौंट्ी ि ततैये तथा मट्ड्डे िगच क े कीट्ोौं पर आक्रिण करता है।
  • 5. िाइक्रोमबयल कीट्नाशक: ये बैक्टीररया, किक और िायरस समहत सूक्ष्मजीिोौं से प्राप्त होते हैं फसलोौं को नुकसान पहौंर्ाने िाले कीड़ोौं को लमित करते हैं। बैक्टीररयाबैक्टीररया कीट्रोगाणु: बैमसलस युमथमजयेंमसस (बी.ट्ी.)यह मिट्टी िें पाया जाने िाला बैक्टीररया है जो अनेक प्रकार क े कीट्ोौं क े अलािा क ृ मियोौं (नीिट्ोड) को भी िारता है। इसक े आक्रिण से कीट् की आहार नली ि िुख मनष्क्रिय हो जाते हैं तथा कीट् तुरौंत िर जाता है। प्रक ृ मत िें बेमललस थूररनजैंमसस और और बेमसलस प मपली नािक बैक्टीररया कीट् मनयौंन्त्रण िें प्रभािकारी है। कीट् मिषाणु िायरस: ये बैक ु लो िाइरस होते हैं जो अपने मिशेष शत्रु कीट् िें ही पलते बढ़ते हैं अरु उन्हें रोगग्रमसत कर िार डालते हैं। प्रक ृ मत िें न्यूष्क्रियो पालीहाइड र ोमसस िायरस और ग्रेन्यूलोमसस िायरस नािक िायरस कीट् मनयौंत्रण िें प्रभािकारी हैं। प्रक ृ मत िें न्यूष्क्रियो पालीहाइड र ोमसस िायरस और ग्रेन्यूलोमसस िायरस नािक िायरस कीट् मनयौंत्रण िें प्रभािकारी हैं। फफ ूूँ द: 90 प्रमतशत कीट्, उनकी मिमभन्न अिस्थाएौं (अौंडे, सूडी, प्यूपा, व्यस्क) फफ ूूँ द क े आक्रिण से नष्ट हो जाते हैं। बैक्टीररया[ प्रक ृ मत िें बेमललस थूररनजैंमसस और और बेमसलस प मपली नािक बैक्टीररया कीट् मनयौंन्त्रण िें प्रभािकारी है िायरस प्रक ृ मत िें न्यूष्क्रियो पालीहाइड र ोमसस िायरस और ग्रेन्यूलोमसस िायरस नािक िायरस कीट् मनयौंत्रण िें प्रभािकारी हैं। वमत्र कीट/परर्ीिी कीट: ये लवक्षत कीटों और बीमाररयों को मारते हैं। इनमें लेिी बग, प्रेयररंग मेंवटस, नेमाटोि, िाइिर माइट, व्हाइटफ्लाई, विप, पाइरेट बग. गन्धी कीड़ा, क्यूलेक्स, एमफड, एपीस, आवद शावमल हैं। मसालों और मसाला उत्पादों का भंिारण: मसालों का भंिारण साबूत और वपसा हुआ दोनों रूपों में वकया र्ाता है। वपसे हुए मसालों की तुलना में साबूत मसालों का र्ीिन काल अवधक होता है क्ोंवक वपसे हुए मसाले अपनी सुगंध और स्वाद र्ल्दी खो देते हैं। भंिारण में मसालों का खराब होना: सुगंध और स्वाद का नुकसान: यह मसालों में िाष्पशील तेल क े नुकसान क े कारण होता है;(ii) मसालों में रंग ब्लीवचंग ऑिीर्न, प्रकाश, नमी और तापमान क े कारण होता है;(iii) मुक्त प्रिावहत प्रक ृ वत का नुकसान, क े वक ं ग और गांठ: यह नमी क े प्रिेश क े कारण होता है;(iv) सूक्ष्मर्ीिी विक ृ वत: यह नमी सोखने और कीड़ों क े संिमण क े कारण होता है। मसालों का भंिारण: नमी का स्तर 8-10% से कम रखें। साबुत मसालों को पॉलीथीन लाइन िाले बैग या एचिीपीई/पीई बुने हुए बोरे में संग्रवहत वकया र्ाना चावहए। इलायची क ै प्सूल लकड़ी या धातु क े क ं टेनरों में 75 माइिोन काले पॉलीवथलीन नमी अिरोधक क े साथ पंस्टक्तबि। वमचा को संपीवड़त थैवलयों में संग्रवहत वकया र्ाना चावहए। पाउिर िाले मसाले तेर्ी से खराब होते हैं। इन्हें धातु या एचिीपीई/पीपी र्ार में संग्रवहत वकया र्ाना चावहए। भंिारण गृहों को काबानिाइऑिाइि गैस या नीम/इक्ूवलप्टस तेल उपयोग करक े धूवमत वकया र्ाना चावहए या प्यार्/लहसुन का पाउिर विड़कना भी उपयोगी पाया र्ाता है। मसालों में तेल क े प्रकार और तेल की मात्रा: (i) स्टस्थर तेल - यह गैर-िाष्पशील तेल है; (ii) िाष्पशील तेल - यह प्राक ृ वतक सुगंवधत य वगकों का एक समूह है; (iii) आिश्क तेल - यह पवत्तयों, तनों, िाल, बीर्ों, फलों, र्ड़ों और मसालों क े एियूिेट्स क े भाप या पानी क े आसिन का तरल उत्पाद है और (iv) ओलेओरेवसन - ये मसालों और अन्य र्ड़ी-बूवटयों से क ें वित अक ा हैं र्ो हैं खाद्य पदाथों में योर्क क े रूप में उपयोग वकया र्ाता है।
  • 6. मसालों में तेल मात्रा: वमचा क े बीर् (16-25%), प्यार् क े बीर् (21.86%-25.86%), लहसुन - (0.34%), काली वमचा (3-6% और र्ामुन और पवत्तयों में 1.24 से 5.06 0.15-0.35%), सफ े द वमचा- एसेंस तेल (1.5- 2.2%), हरी इलायची क े बीर् (3.30 से 4.52% और पवत्तयां 0.99-1.08%),अदरक - प्रक ं द में (40%-70% और एसेंस तेल(1.5%-3%) होता है।),ल ंग - (16%), र्ायफल वगरी-(24 - 40% स्टस्थर तेल और 5 - 15% एसेंस तेल),र्ीरा -(2.4 - 4%), काला र्ीरा ((43.7%), दालचीनी - िाल (4% िाष्पशील),तेर्पत्र - (0.8),हल्दी - सूखे प्रक ं द (3-6% एसेंस तेल),स ंफ क े बीर् – एसेंस तेल (3.5-6%),धवनया - (0.2%-1.5% िाष्पशील तेल, 13%-20% िसा तेल, एसेंस तेल 1.87%-2.33%),अर्िायन - (5% एसेंस तेल), कल ंर्ी (32-40 %) , तुलसी बीजोौं (17.8 %), वचया बीर् (31.39 to 32.39 %), आवद। मसालों का प्रसंस्करण: मसाला प्रसंस्करण क े चरणों में सफाई (कांटे, धूल और गंदगी), ग्रेविंग, पीसना, चूवणात करना, िीलना, शल्कन (flaking, Chafing), वमिण करना, भूनना, िानना, सामग्री संभालना, थोक और खुदरा भंिारण, बैच वनमााण, लीक प्रूफ एं टी बैक्टीररयल पैक े वर्ंग / पैवक ं ग और बार्ार प्रबंधन शावमल हैं। ददारा पीसने का काया मसाला चक्की, हथ ड़ा/प्लेट/वपन वमल ( hammer / plate / pin mill) िारा वकया र्ा सकता है। अवत सूक्ष्म पीसाई गेंद, र्ेट, रोलर वमल (ball / jet / rollermill) का उपयोग करक े की र्ाती है। क ु टीर और िोटे पैमाने पर मसाला चक्की को प्राथवमकता दी र्ाती है। मसाला उत्पादों को 8 - 10% से कम नमी की मात्रा पर उपचाररत और सन शेि या 50-60 विग्री सेंटरीग्रेट तापमान पर गमा हिा िाले ि र ायर में सुखाया र्ाता है। एिपेलर एिप्रेशन, एिट्रू जन कोल्ड प्रेवसंग, िीम विस्टिलेशन और सॉल्वेंट एिप्रेशन मसालों से तेल, आिश्क तेल और ओवलयोरेवसन वनकालने क े वलए उपयोग की र्ाने िाली सामान्य तकनीक हैं। मसालों की गुणित्ता बनाए रखने और खराब होने से बचाने क े वलए कटाई क े बाद मसालों की संभाल में उवचत सुखाने और उपचार करना आिश्क है। सुखाने से मसालों से पानी वनकल र्ाता है, र्ो रासायवनक और एं र्ाइमेवटक प्रवतवियाओं को धीमा कर देता है और माइिोवबयल विकास को रोकता है और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने में भी मदद करता है। मसालों की गुणित्ता, आकषाण मूल्य, स्वाद, रंग स्टस्थरता और सुरक्षा और वचवकत्सीय गुणों को संरवक्षत करने क े वलए महत्वपूणा हैं। इसवलए, प्रसंस्करण और भंिारण से पहले मसालों की गुणित्ता, सुरक्षा और वचवकत्सीय गुणों को संरवक्षत करने क े वलए पकने क े बाद प्रसंस्करण से पहले उवचत उपचार, और भंिारण महत्वपूणा है। आभार: यह लघु समीक्षा आईसीएआर संस्थानों और क ृ वष विश्वविद्यालयों क े शोध वनष्कषों पर आधाररत है। मैं सभी ज्ञात और अज्ञात क े प्रवत आभार व्यक्त करता हं।