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LIB _ HINDI
पुस्तकालय - विज्ञान और प्रौद्योविकी अनुसंधान में संरचना और विशा क
े वलए एक
शक्तिशाली सहायक मािगिवशगका
Dr Jai Singh
M Tech Ph D
Retd Director ICAR Institute
Mob: 8958463808 E mail: jsingh;sre@gmail.com
पररचय
प्राचीन काल से, पुस्तकालयों को ज्ञान, विद्या, साक्षरता, वशक्षा, रचनात्मकता और
निीनता क
े प्रिेश द्वार क
े रूप में पहचाना जाता रहा है। भारत में प्राचीन पुस्तकालयों क
े
प्रमाण 2500-1500 ईसा पूिग क
े वमलते हैं। तक्षवशला 6 िीं शताब्दी ईसा पूिग से 300
ईस्वी तक, जेतिन मठ (श्रािस्ती यूपी), विहार में नालंिा विश्वविद्यालय (तीसरी शताब्दी
ईसा पूिग, 300-850 ईस्वी) में एक विशाल पुस्तकालय पररसर था वजसे धमगिंज,
जिद्दल, कान्हेरी, वमवथला, ओिंतपुरी, सोमपुरी, उज्जैन, िल्लभ, और विक्रमवशला क
े
नाम से जाना जाता था। ये सभी अस्थल िैज्ञावनक और तकनीकी अिधारणाओं क
े क्षेत्ों में
सीखने क
े क
ें द्र क
े रूप में अंतरराष्ट्र ीय ख्यावत प्राप्त कर चुक
े हैं - जैसे परमाणु, अणु
और पिाथग अिधारणाएं ; िुरुत्वाकर्गण िल और सापेक्षता क
े वनयम; प्रक
ृ वत क
े वनयम;
मानि शरीर संरचना; ििाइयााँ और सजगरी; शारीररक, मानवसक और सामावजक स्वास्थ्य;
संिेिी धारणा; पयागिरण का पोर्ण और संतुलन; जीिन प्रिंधन और कायग प्रिंधन; योि
विज्ञान; मूल प्राक
ृ वतक कारणों की अिधारणा; राजनीवतक और आवथगक विचार;
सामावजक, आवथगक और आध्याक्तत्मक क्षेत्; खिोल विज्ञान, तत्वमीमांसा और
आध्याक्तत्मकता; जल आपूवतग, पररिहन प्रिाह, प्राक
ृ वतक एयर क
ं डीशवनंि, जविल वचनाई
और वनमागण इंजीवनयररंि की वडजाइन और योजना; पृथ्वी क
े अंिर चुंिकीय और विि् युत
तरंिो का लिातार िहना; आवि और भी अनेक महत्वपूणग घािनायों का विक्तित वििरन
वमलता है। िेिों में
उपलब्ध िैज्ञावनक ज्ञान का उपयोि नासा, ईएसए, इसरो और अनेक अन्य संस्थानों द्वारा भी
वकया जा रहा है।
अनुसंधान, प्रवक्रयाओं और प्रयोिों का एक व्यिक्तस्थत अिलोकन है। विज्ञान द्वारा सभी
प्रकार की
िैज्ञावनक िवतविवधयों को िैज्ञावनक तक
ग क
े आधार पर िेहतर विधान खोजने क
े वलए नए ज्ञान
की खोज की जावत है और िैधता और विश्वसनीयता क
े साथ व्यापक लक्ष्य को प्राप्त करने
क
े वलए वकए जा रहे प्रयासों, संसाधनों और धन को कम से कम करना होता है ।
इसवलए, एक ररसचग स्कॉलर हमेशा अपने ररसचग एं ड डेिलपमेंि प्रोजेक्ट पर उससे पूछे
जाने िाले वनम्नवलक्तखत सिसे संभावित प्रश्ों को ध्यान में रखना पड़ता है : (i) क्या,
(ii) क्यों, (iii) वकसक
े वलए, (iv) कि, (iv) वकतना। शोधकताग नया ज्ञान
उत्पन्न करने क
े वलए आिे िढ़ता है वजसका उपयोि िह नए और अच्छी िुणित्ता उत्पािों
/ प्रौद्योविकी की मांिों को पूरा करने में मिि करने क
े वलए नई तकनीक, उत्पािों,
सेिाओं या प्रणावलयों को िनाने में कर सकता है जो मौजूिा और या भविष्य की
समस्याओं को अवधक तेजी से, सुरवक्षत और आसानी से हल कर सकते हैं। शोधकताग
अिधारणा की पररकल्पना करता है और लवक्षत समस्या का समाधान लाने की विशा में
एक दृढ़ पथ पर आिे िढ़ने क
े वलए विचार उत्पन्न करता है। िह चुने िए विर्य पर ठोस
तावक
ग क और उवचत तक
ग क
े वलए खुि को तैयार करता है वक मौजूिा वनष्कर्ों में अंतराल
(Gap) क्या हैं, जो अंतराल को पािने क
े वलए आिे की जांच क
े माध्यम से ज्ञान की
वनरंतरता को स्पष्ट् करता है। प्रौद्योविकी अनुसंधान क
े इस प्रारंवभक विंिु पर पुस्तकालय
एक मािगिशगक क
े रूप उभर कर कायग करता है। पुस्तकालय नए अन्वेर्णों क
े माध्यम से
अंतरालों (research gaps) को कम करने क
े वलए चुने िए शोध विर्य पर मौजूिा ज्ञान पर
संग्रह, वमलान, सारांश, संश्लेर्ण और अत्याधुवनक ज्ञान की व्याख्या में शोधकताग की
सहायता और समथगन करता है। इस प्रस्तुवत में पुस्तकालय द्वारा विज्ञान और प्रौद्योविकी
अनुसंधान में संरचना और विशा क
े वलए सशि सहायक मािगिवशगका को स्पष्ट् करने का
विनम्र प्रयास वकया िया है।
1. अनुसंधान: अनुसंधान नए ज्ञान का वनमागण है और/या मौजूिा ज्ञान का निीन और
रचनात्मक विवध से उपयोि करना है तावक वकसी विवशष्ट् कायगक्षेत् क
े अंतरित
वनष्कर्ों/समस्याओं क
े समाधान क
े वलए सत्यावपत प्रयोि क
े माध्यम से नई अिधारणाओं,
पद्धवतयों और समझ को उत्पन्न वकया जा सक
े ।
(लेखक की दृवष्ट् से)।
2. अनुसंधान क
े तत्व:
I: अनुसंधान समस्या की पहचान - चुनौवतयााँ और लक्ष्य,
ii. इक्तच्छत समस्या वििरण क
े आसपास विज्ञान-तकनीकी सावहत्य की समीक्षा,
iii: वनविगष्ट् पररकल्पना का विकास (वपछला ज्ञान और िेखी िई प्रिृवत्तयााँ),
iv: विर्य – डेिा क
े क
ें वद्रत स्रोत,
v: डेिा (प्रायोविक, पयगिेक्षणीय), विवधयों और प्रोिोकॉल, सॉफ्टिेयर, हाडगिेयर, आवि
का उपयोि वकया जाना है,
vi: डेिा व्याख्या तकनीक को पररभावर्त करना,
vii: स्वीकायग िैज्ञावनक पद्धवत (व्यिक्तस्थत अिलोकन, ििीकरण और डेिा की व्याख्या) क
े
अनुसार अनुसंधान उद्देश्य क
े अनुसार पररणाम मापना,
viii: िैधता (सही प्रवक्रया), विश्वसनीयता (पुनरािृवत्त और सिीकता),
ix: उद्देश्यों क
े अनुसार अनुसंधान पररणाम की प्रयोज्यता,
x: वनष्कर्ग समस्या को हल करना और या नया ज्ञान िनाना,
xi: वनणगय लेने की प्रवक्रया क
े वलए शोध क
े वनष्कर्ों की ररपोिग करना,
xii वसफाररशें सेि करना, आवि।
3 . प्रौद्योविकी अनुसंधान और विकास (TRD): प्रौद्योविकी अनुसंधान और विकास
निाचार, आविष्कार, वडजाइन, सुधार और नए प्रकार क
े उत्पािों, औजार, िैजेि्स,
उपकरण (equipment), उपकरण (apparatus) और मशीनरी क
े वनमागण का पहला चरण
है, वजसमें उपयोि क्षेत् और औद्योविक क्षेत् में पहंचने से पहले पायलि प्रोिोिाइप का
परीक्षण, उपयोविता वसक्तद्ध, िनािि और विवनमागण , उत्पािन प्रवक्रया / उपयोिकतागओं क
े
वलए वनमागण सक्तिवलत हैं ।
4. प्रौद्योविकी अनुसंधान और विकास (TRD) तत्व:
i: चुने िए विर्य क
े तहत कवमयों, सीमाओं और िास्तविकता की जरूरतों का िोध,
ii: उद्देश्य / लक्ष्य - जहां शोधकताग िांवछत उद्देश्य तक पहंचने का अनुमान लिाता है।
iii: वनधागररत लक्ष्य क
े वलए अिधारणाएं , वसद्धांत और िैज्ञावनक/तकनीकी कानून,
iv: अनुसंधान िस्तु क
े िारे में ितगमान क्तस्थवत-कला-विश्लेर्ण और ितगमान वसद्धांतों का
व्यिक्तस्थतकरण,
v: अिधारणा (conceptualization) - रचनात्मक आलोचनात्मक सोच, तक
ग (logic) तक
ग
(reasoning), आिशग समाधान पर पहंचने क
े वलए,
vi: व्यिहायगता - कवमयााँ, तथ्य या प्रवक्रयाएाँ , साक्ष्य या संभािनाएाँ , जो पररयोजना की
िांछनीय और व्यिहायग क्तस्थवत तक पहाँचने को सीवमत या िावधत करती हैं,
vii: स्पष्ट्, सुसंित और प्राप्त करने योग्य तकनीकी कायगक्रम,
viii: क्षेत्/प्रयोिशाला/कायगशाला में तक
ग प्रिशगन (logic demonstration) द्वारा प्रयोिात्मक या
अधग-प्रायोविक (semi – experimental) मॉडल का सत्यापन,
ix: प्रोिोिाइप / उत्पाि वडजाइन और उत्पािन / वनमागण,
x: इक्तच्छत पररचालन िातािरण में प्रिशगन मूल्ांकन,
xi: हेडोवनक स्क
े ल क
े तहत उत्पाि की स्वीकायगता,
xii: आिश्यकताओं क
े अनुसार प्रोिोिाइप / उत्पाि सत्यापन।
5. अनुसंधान लक्ष्य और उद्देश्यों क
े विकास में पुस्तकालय सहायता:
अनुसंधान लक्ष्य (purpose ), अनुसंधान उद्देश्य (प्रमुख मुद्दे), अनुसंधान से संिंवधत
प्रश्
(कोई िैकक्तल्पक), और अनुसंधान पररकल्पना, िो या िो से अवधक अनुसंधान चर
(research variables) क
े िीच संिंधो का अनुमान (prediction), अनुसंधान पररयोजना क
े
मुख्य लक्ष्य या व्यापक उद्देश्य की व्याख्या करने में लाइब्रेरी सहायक रहते हैं। इन शतों को
विवशष्ट् और क
ें वद्रत होने क
े िजाय व्यापक और पररचयात्मक होना चावहए। एक धीमी
प्रवक्रया विकवसत करने और अंवतम रूप िेने क
े वलए काफी सोच और समय िेती है।
पुस्तकालय विर्य – िस्तु क
े आसपास परामशग, क्षेत् में वपछले संिंवधत अध्ययनों का
विश्लेर्ण अभीष्ट् अनुसंधान लक्ष्यों और उद्देश्यों पर प्रभािी अिधारणा िे रहे हैं.
6. अनुसंधान एिं विकास विर्य को खोजने और पररष्क
ृ त (refining) करने में पुस्तकालय
सहायता:
अनुसंधान और विकास पररयोजना विर्य को नए उत्पािों/उपकरणों/मशीनरी/सेिाओं को
नया करने/सुधारने/शुरू करने क
े वलए की जाने िाली िवतविवधयों को स्पष्ट् रूप से वचवत्त
करने की आिश्यकता है। यह अनुसंधान पुस्तकालय है जो अन्वेर्क से पूछताछ क
े माध्यम
से अनुसंधानकताग का मािगिशगन और सहायता कर सकता है जैसे वक (i) कौन (Who) -
जनसंख्या समूह / उत्पाि विकासकताग / उद्योि / विस्तार विशेर्ज्ञ / योजनाकार / नीवत
वनमागता और इसी तरह; (ii) What (क्या) - उत्पाि / उपकरण / मशीनरी का
प्रकार और आकार; (iii) कहााँ (Where) - ग्रामीण / शहरी / अधग शहरी / िुिगम
क्षेत् / शैवक्षक मानक / आवथगक क्तस्थवत और जलिायु, आवि; कि - समय; (v) Why
( क्यों) - महत्व। पुस्तकालय विर्य को पररष्क
ृ त (refining) और अंवतम रूप (finalization)
िेने में भी सहायता करता है जैसे वक यवि विर्य यह िहत संकीणग है, तो पयागप्त
प्रकावशत सामग्री नहीं वमल सकती है, यवि विर्य िहत व्यापक है तो संक्षेप और विंिु को
इंवित करने में सक्षम नहीं हो सकता है। इसवलए, विर्य को स्पष्ट् रूप से लक्ष्यों और
उद्देश्यों की ओर ले जाने की आिश्यकता है।
7. अनुसंधान एिं विकास विर्य की पहचान: आर एं ड डी िवतविवध, समाधान लाने क
े
वलए निीन (novel), रचनात्मक, व्यिक्तस्थत और हस्तांतरणीय और / या पुनरुत्पावित होनी
चावहए.
8.. पररकल्पना विकास क
े वलए लाइब्रेरी सपोिग: कोई भी शोध पररकल्पना, अपेक्षा या
भविष्यिाणी (prediction) का एक ियान है वजसे शोधकताग द्वारा परीक्षण वकया जाएिा,
विवशष्ट्, स्पष्ट् और परीक्षण योग्य प्रस्ताि या िैज्ञावनक अनुसंधान क
े संभावित पररणाम क
े
िारे में भविष्य कहनेिाला ियान।
9.अनुसंधान पररयोजना - कायगक्रम वचत्ण:
I. स्पष्ट् रूप से पररभावर्त उद्देश्य,
II. सभी संिंवधतों द्वारा समझने योग्य अिधारणाओं का उपयोि करना,
III. अनुसंधान प्रवक्रयाओं का विक्तित वििरण,
IV. स्पष्ट् रूप से पररभावर्त अनुसंधान वडजाइन,
V. महत्व प्रकि करने क
े वलए पयागप्त रूप से पयागप्त रूप से डेिा का विश्लेर्ण
करना,
VI. उपयुि विश्लेर्ण पद्धवत का उपयोि करना,
VII. डेिा की िैधता और विश्वसनीयता की जााँच करना।
10. अनुसंधान कौशल विकवसत करने में पुस्तकालय सहायता:
i: अनुसंधान विचार क
े िारे में महत्वपूणग (critical) सोच: इसमें कल्पना, रचनात्मकता, तक
ग
Logic), तक
ग (reasoning), िैचाररक सोच, प्रस्तावित शोध विचार की सच्चाई, िास्तविकता
और िैधता की जांच करने क
े वलए पेशे का िेहतर ज्ञान शावमल है।
ii:समस्या समाधान कौशल: कल्पनाशील और अवभनि प्रवक्रया क
े माध्यम से मुद्दों की
पहचान, पररभावर्त और विश्लेर्ण करने की क्षमता
iii:विश्लेर्णात्मक कौशल: अनुसंधान डेिा जानकारी एकत् करने, तुलना करने और संश्लेवर्त
करने की क्षमता (डेिा समेकन करना, तुलना करना और उत्तरिावयत्व), डेिा और
प्रासंविक जानकारी।
iv:सूचना प्रसार कौशल: अनुसंधान क
े तकागधार और पररणाम (औवचत्य और पररणाम)
(अनुसंधान क
े लक्ष्य, उद्देश्य, पररणाम और वनष्कर्ग) को संप्रेवर्त करने की क्षमता।
v:अनुसंधान डेिा की पुवष्ट् और प्रिंधन:
vi:अनुसंधान डेिा प्रिंधन (RDM) कौशल: डेिा िनाना/एकवत्त करना, संसाधन करना,
विश्लेर्ण करना, प्रकावशत करना, संग्रह करना/संरवक्षत करना, डेिा का पुन: उपयोि
करना)
11. वसस्टमैविक वलिरेचर ररव्यू में लाइब्रेरी सपोिग:
विज्ञान-तकनीक सावहत्य समीक्षा (review) एक कठोर (rigrous), अच्छी तरह से पररभावर्त
व्यापक सारांश है जो स्थावपत ज्ञान, विचारों, ताकत और कमजोरी (SWOT) क
े अध्ययन
क
े इक्तच्छत क्षेत् में प्रकावशत होता है, एक शोधकताग द्वारा आिमनात्मक अनुसंधान दृवष्ट्कोण
में वकया जाता है जहां कई िुणात्मक शोध अध्ययनों क
े वनष्कर्ग एकीक
ृ त होते हैं ,
मूल्ांकन और व्याख्या की जावत है। यह विर्य पर ज्ञान का आधार प्रिान करता है,
अनुसंधान में अंतराल (gaps) की पहचान करता है, अवतररि शोध की आिश्यकता को
न्यायोवचत ठहराता है, अनुसंधान वनष्कर्ों का समथगन करने क
े वलए साक्ष्य प्रिान करता
है, िोहराि (duplication and repetition) को रोकता है, वपछले शोधकतागओं द्वारा अप्रयुि
या कम उपयोि की जाने िाली कायगप्रणाली, वडजाइन, और मात्ात्मक और िुणात्मक
रणनीवतयां पर प्रकाश डालता है। पुस्तकालय वपछले और ितगमान विज्ञान-तकनीकी विकास
का िरैक रखकर शोधकतागओं का समथगन (support) करना जारी रखता है। प्रासंविक क्षेत् में
विज्ञान-तकनीकी विकास से पूणगतया अिित करा कर शोधकताग को अभीष्ट् सहयोि तथा
मािग िशगन प्रिान करता है करता रहता है
i:अनुसंधान प्रयोिात्मक डेिा प्रवत पुस्तकालय सहायता : डेिा आिश्यक इकाई हैं और मूल
शोध वनष्कर्ों को मान्य करने और समथगन (support) करने क
े वलए िेखी िई, उत्पन्न या
वनवमगत, एकत्, ररकॉडग, विश्लेर्ण और संसावधत की िई तथ्यात्मक जानकारी है। अनुसंधान
डेिा को प्राथवमक डेिा क
े रूप में ििीक
ृ त वकया िया है (प्रायोविक आधाररत उत्पन्न या
शोधकताग द्वारा नए वसरे से एकत् वकया िया) और वद्वतीयक डेिा मौजूिा स्रोतों से वकसी
और द्वारा एकत् वकया िया और शोध अध्ययन क
े भाि क
े रूप में संसावधत वकया िया)।
डेिा (वडवजिल और या िैर-वडवजिल प्रारूप) उत्पन्न करने या पररणामों को िोहराने क
े
वलए आिश्यक साधन, जैसे वक क
ं प्यूिर कोड, प्रायोविक तरीक
े और उपयोि वकए िए
उपकरण, और आिश्यक व्याख्यात्मक और प्रासंविक सूचना चर विवनिेश (variables
specifications) की व्याख्या करने की आिश्यकता है।
ii:अनुसंधान चरों (variables) की पहचान करने क
े वलए पुस्तकालय सहायता:
: चर (variables) विज्ञान-तकनीक अनुसंधान में अध्ययन और व्याख्या की िई
जानकारी की िुवनयािी इकाइयााँ हैं। शोधकताग प्रत्येक चर क
े मूल्ों का सािधानीपूिगक
विश्लेर्ण और व्याख्या करते हैं तावक यह समझ सक
ें वक चीजें एक-िू सरे से क
ै से
संिंवधत हैं। शोध में पररितगनशील मापन योग्य विशेर्ताएाँ , िुण, विशेर्ताएाँ या क्तस्थवत की
विशेर्ताएाँ हैं वजन्हें अध्ययन में संिंध या प्रभािों को िेखने क
े वलए हेरफ
े र, पररिवतगत और
वनयंवत्त वकया जाता है। अनुसंधान चरों (variables) की पहचान अनुसंधान की योजना
िनाने, वडजाइन करने और विकवसत करने की मूलभूत आिश्यकता है। चर को मापने
योग्य कारकों क
े संिभग में पररभावर्त वकया जा सकता है वजन्हें िे पररमावणत और मापते
हैं। विज्ञान-तकनीक अनुसंधान में, स्वतंत् (पूिगिती) और आवश्रत (पररणाम/पररणाम) चर
महत्वपूणग होते हैं, वजसक
े आधार पर एक अध्ययन वकया जाता है। स्वतंत् चर िह है वजसे
शोधकताग एक अध्ययन क
े भीतर वनयंवत्त करता है या अन्यथा हेरफ
े र करता है। आवश्रत
चर को एक प्रयोि में मापा जाता है, जो एक पररणाम को िशागता है। आवश्रत और स्वतंत्
चर क
े िीच संिंध िेखा जाता है वक स्वतंत् चर क
े जिाि में वनभगर चर क
ै से ििलता है।
स्वतंत् चर में हेरफ
े र वकया जाता है और आवश्रत चर को शोधकताग द्वारा मापा जाता है।
12. िुवनया भर में विज्ञान-तकनीकी अनुसंधान और विकास सूचना तक पहंच क
े वलए
पुस्तकालय सहायता:
पुस्तकालय (ज्ञान क
ें द्र) पुस्तकों, ई-पुस्तकों, ऑवडयो पुस्तकों, पवत्काओं, पवत्काओं,
लेखों क
े रूप में उपकरण और तकनीकों क
े माध्यम से िुवनया भर में विज्ञान और
प्रौद्योविकी सूचना में निीनतम प्रिवत क
े साथ शोधकताग को अप-िू -डेि करने में महत्वपूणग
भूवमका वनभा रहे हैं। ग्रन्थसूची, आिवधक पवत्काएं , समाचार पत्, पांडुवलवपयां, क
ै सेि
िेप, सीडी-रोम, सीडी, डीिीडी, सार, आईएसओ मानक, वपछले प्रासंविक शोध
वनष्कर्ग और अनुसंधान सामग्री को क
ु शल, त्वररत, व्यिहायग, आवथगक, सुलभ और
उपयोिी में खोजने में इलेक्टरॉवनक और वडवजिल सेिाएं तरीका अपना रहे हैं।
शोधकतागओं, प्रौद्योविकी विकासकतागओं, वशक्षकों, छात्ों, नीवत वनयोजकों, प्रशासकों और
विस्तार विशेर्ज्ञों को विश्वव्यापी विज्ञान-तकनीकी प्रामावणक जानकारी आसानी से और
शीघ्रता से प्रिान करने क
े उद्देश्य से, भारतीय क
ृ वर् अनुसंधान पररर्ि (ICAR) ने राष्ट्र ीय
क
ृ वर् अनुसंधान और वशक्षा प्रणाली (NARES) पुस्तकालयों क
े वलए क
ृ वर् में ई-संसाधनों क
े
वलए क
ं सोविगयम (लोकवप्रय रूप से CERA क
े रूप में जाना जाता है) की स्थापना की।
ितगमान में 65 संस्थानों, 4 डीम्ड विश्वविद्यालयों, 14 राष्ट्र ीय अनुसंधान क
ें द्रों, 13
वनिेशालय/पररयोजना वनिेशालयों, 6 राष्ट्र ीय ब्यूरो, 4 क
ें द्रीय क
ृ वर् विश्वविद्यालयों और 64
राज्य क
ृ वर् विश्वविद्यालयों से युि 170 संघ सिस्य हैं। यह IP प्रमाणीकरण, िस्तािेज
वितरण अनुरोध प्रणाली (DDR) क
े माध्यम से पवत्काओं/ई-संसाधनों तक पहाँच प्रिान कर
रहा है और ररमोि एक्सेस सुविधा (Ez - प्रॉक्सी) क
े माध्यम से पहाँच प्रिान कर रहा
है।
13. नए खाद्य उत्पाि विकास और ितगमान उत्पाि में सुधार क
े वलए पुस्तकालय सहायता:
भोजन एक कच्चा, पका हआ या प्रसंस्क
ृ त खाद्य पिाथग है। पुस्तकालय ज्ञान और कौशल
क
े वलए उपलब्ध सावहत्य को स्क
ै न करने और ितगमान उत्पािों में इक्तच्छत अंतराल Intended
gaps) का पता लिाने में मिि करता है, वजससे एक नए या िेहतर उत्पाि क
े वलए
विचार और सूत् तैयार होते हैं। SWOT (ताकत, कमजोररयां, अिसर और खतरे)
विश्लेर्ण, िरेंवडंि इंग्रेवडएं ि्स, रेवसपी फॉमूगलेशन, इंग्रेवडएं ि एक्सेवसविवलिी, इंग्रीवडएं ि
उपलब्धता - साल भर या मौसमी रूप से, उपभोिा क्या
चाहता है, स्क्रीवनंि (िेवजंि माक
े ि प्लेस), स्वीकायगता, वनयामक कारक (कानूनी) में
भी मिि करता है। विचार), सुविधाएं (संरचनात्मक और उपकरण) उपलब्धता, िुणात्मक
और मात्ात्मक पैरामीिर, लाित प्रभािशीलता, शेल्फ जीिन (वकतने समय तक एक
उत्पाि अपनी िुणित्ता िनाए रखेिा), खराि होना, सुरक्षा (संिू र्ण), वनमागण प्रवक्रया,
पैक
े वजंि, रासायवनक, भौवतक, संिेिी परीक्षण , संिेिी िुण। एक िार जि शोध विचार
/ विर्य (idea / topic) को अंवतम रूप िे विया जाता है तो इसे सूत्ीकरण चरण में ले
जाया जाता है। उपभोिा परीक्षण और वनकिस्थ विश्लेर्ण क
े वलए पहले उत्पाि को छोिे
पैमाने पर िनाया जाता है। उत्पािन उपकरण, लाित और िक्षता वनधागररत करने क
े वलए
स्वीकायग उत्पाि को िढ़ाया जाता है।
15. नए उपकरण विकास और ितगमान उपकरण मशीनरी में सुधार क
े वलए पुस्तकालय
सहायता:
प्रोिोिाइप: प्रोिोिाइप एक अद्धग तैयार उपकरण संस्करण है वजसमें उपयोिकताग परीक्षण क
े
वलए उपयोि की जाने िाली अंवतम उपकरण मशीनरी की सभी विशेर्ताओं और कायों को
शावमल कताग है। प्रोिोिाइप िवतविवधयों की प्रवक्रया - विर्य को अंवतम रूप िेना, समग्र
िुंजाइश, ितगमान उपकरण मशीनरी क
े साथ सीमाएं , संभावित समाधान अिधारणाएं ,
कायागत्मक आिश्यकताएं , संरचनात्मक आिश्यकताएं , पररचालन आिश्यकताएं , कायागत्मक
और संरचनात्मक विवनिेश (specifications), वडजाइन विचार, इलेक्टर ो-मैक
े वनकल घिक और
असेंिली, मशीन वनयंत्ण मोिसग, पंप, िाल्व, आवि, प्रोिोिाइप वनमागण, परीक्षण
वडजाइन, प्रिशगन परीक्षण, ब्लैक होल का पता लिाना, शोधन और प्रवक्रया विकास,
पररकल्पना की पुवष्ट् या खंडन, लाित, रखरखाि, तेज और धीमी िवत से चलने िाले
स्पेयर पाि्गस, आउिपुि अनुक
ू लन, उपयोिकताग स्वीक
ृ वत, आवि।
17. अनुसंधान डेिा विश्लेर्ण और व्याख्या तकनीक में पुस्तकालय सहायता: अनुसंधान और
विकास (आर एं ड डी) प्रयोि क
े िौरान, ज्ञान िढ़ाने क
े वलए िड़ी मात्ा में व्यिक्तस्थत
डेिा एकत् वकया जाता है और इक्तच्छत शोध विर्य पर समस्या समाधान पर पहंचने क
े
वलए इसका उपयोि वकया जाता है। नए उत्पाि या प्रोिोिाइप परीक्षण क
े पररणाम
सत्यावपत और मान्यकरण वकया जाता है।
सारांश:
अनुसंधान और पुस्तकालय िोनों परस्पर संिंवधत हैं। इसवलए पुस्तकालय को विज्ञान-
प्रौद्योविकी अनुसंधान और विकास की नींि माना जाता है। विद्वानों का मानना है वक उच्च
िुणित्ता िाली आसानी से सुलभ सामग्री क
े वलए एक संसाधनपूणग और तकनीकी रूप से
उन्मुख पुस्तकालय क
े साथ ही अनुसंधान संभि है क्योंवक यह िुवनया भर में विकवसत
अतीत और ितगमान विज्ञान-तकनीकी िैज्ञावनक जानकारी, अनुसंधान आिश्यकताओं और
अनुसंधान प्रवक्रयाओं का भंडार है। पुस्तकालय हमेशा ििलती प्रौद्योविवकयों और शोधकतागओं
की आिश्यकता क
े अनुरूप नए अनुसंधान सहायता सेिा पैिनग क
े वनरंतर विकास की
प्रवक्रया में िने हए हैं। इसक
े वलए उपयोि वकए जाने िाले आधुवनक उपकरण हैं:
ऑिोमेशन सॉफ्टिेयर - कोहा, एिरग्रीन सोल LibSys; वडवजिाइजेशन सॉफ्टिेयर -
डीस्पेस जीएसडीएल एिीसीडी; सामग्री प्रिंधन प्रणाली — ड
ु पल जूमला; ई-पुस्तक प्रिंधन
- क
ै लीिरी; ऑनलाइन जनगल — कोरल, आरएफआईडी; िेि-स्क
े ल वडस्किरी सविगसेज -
EBSCO, VuFind, आवि, जो अपने उपयोिकतागओं क
े प्रवत पुस्तकालय क
े प्रभाि को
िढ़ाएिी और शोधकतागओं
क
े वलए सहूवलयत प्रिान कवतग रहेिी।

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पुस्तकालय - विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान में संरचना और दिशा के लिए एक शक्तिशाली सहायक मार्गदर्शिका

  • 1. LIB _ HINDI पुस्तकालय - विज्ञान और प्रौद्योविकी अनुसंधान में संरचना और विशा क े वलए एक शक्तिशाली सहायक मािगिवशगका Dr Jai Singh M Tech Ph D Retd Director ICAR Institute Mob: 8958463808 E mail: jsingh;sre@gmail.com पररचय प्राचीन काल से, पुस्तकालयों को ज्ञान, विद्या, साक्षरता, वशक्षा, रचनात्मकता और निीनता क े प्रिेश द्वार क े रूप में पहचाना जाता रहा है। भारत में प्राचीन पुस्तकालयों क े प्रमाण 2500-1500 ईसा पूिग क े वमलते हैं। तक्षवशला 6 िीं शताब्दी ईसा पूिग से 300 ईस्वी तक, जेतिन मठ (श्रािस्ती यूपी), विहार में नालंिा विश्वविद्यालय (तीसरी शताब्दी ईसा पूिग, 300-850 ईस्वी) में एक विशाल पुस्तकालय पररसर था वजसे धमगिंज, जिद्दल, कान्हेरी, वमवथला, ओिंतपुरी, सोमपुरी, उज्जैन, िल्लभ, और विक्रमवशला क े नाम से जाना जाता था। ये सभी अस्थल िैज्ञावनक और तकनीकी अिधारणाओं क े क्षेत्ों में सीखने क े क ें द्र क े रूप में अंतरराष्ट्र ीय ख्यावत प्राप्त कर चुक े हैं - जैसे परमाणु, अणु और पिाथग अिधारणाएं ; िुरुत्वाकर्गण िल और सापेक्षता क े वनयम; प्रक ृ वत क े वनयम; मानि शरीर संरचना; ििाइयााँ और सजगरी; शारीररक, मानवसक और सामावजक स्वास्थ्य; संिेिी धारणा; पयागिरण का पोर्ण और संतुलन; जीिन प्रिंधन और कायग प्रिंधन; योि विज्ञान; मूल प्राक ृ वतक कारणों की अिधारणा; राजनीवतक और आवथगक विचार; सामावजक, आवथगक और आध्याक्तत्मक क्षेत्; खिोल विज्ञान, तत्वमीमांसा और आध्याक्तत्मकता; जल आपूवतग, पररिहन प्रिाह, प्राक ृ वतक एयर क ं डीशवनंि, जविल वचनाई और वनमागण इंजीवनयररंि की वडजाइन और योजना; पृथ्वी क े अंिर चुंिकीय और विि् युत तरंिो का लिातार िहना; आवि और भी अनेक महत्वपूणग घािनायों का विक्तित वििरन वमलता है। िेिों में उपलब्ध िैज्ञावनक ज्ञान का उपयोि नासा, ईएसए, इसरो और अनेक अन्य संस्थानों द्वारा भी वकया जा रहा है। अनुसंधान, प्रवक्रयाओं और प्रयोिों का एक व्यिक्तस्थत अिलोकन है। विज्ञान द्वारा सभी प्रकार की िैज्ञावनक िवतविवधयों को िैज्ञावनक तक ग क े आधार पर िेहतर विधान खोजने क े वलए नए ज्ञान की खोज की जावत है और िैधता और विश्वसनीयता क े साथ व्यापक लक्ष्य को प्राप्त करने क े वलए वकए जा रहे प्रयासों, संसाधनों और धन को कम से कम करना होता है । इसवलए, एक ररसचग स्कॉलर हमेशा अपने ररसचग एं ड डेिलपमेंि प्रोजेक्ट पर उससे पूछे जाने िाले वनम्नवलक्तखत सिसे संभावित प्रश्ों को ध्यान में रखना पड़ता है : (i) क्या,
  • 2. (ii) क्यों, (iii) वकसक े वलए, (iv) कि, (iv) वकतना। शोधकताग नया ज्ञान उत्पन्न करने क े वलए आिे िढ़ता है वजसका उपयोि िह नए और अच्छी िुणित्ता उत्पािों / प्रौद्योविकी की मांिों को पूरा करने में मिि करने क े वलए नई तकनीक, उत्पािों, सेिाओं या प्रणावलयों को िनाने में कर सकता है जो मौजूिा और या भविष्य की समस्याओं को अवधक तेजी से, सुरवक्षत और आसानी से हल कर सकते हैं। शोधकताग अिधारणा की पररकल्पना करता है और लवक्षत समस्या का समाधान लाने की विशा में एक दृढ़ पथ पर आिे िढ़ने क े वलए विचार उत्पन्न करता है। िह चुने िए विर्य पर ठोस तावक ग क और उवचत तक ग क े वलए खुि को तैयार करता है वक मौजूिा वनष्कर्ों में अंतराल (Gap) क्या हैं, जो अंतराल को पािने क े वलए आिे की जांच क े माध्यम से ज्ञान की वनरंतरता को स्पष्ट् करता है। प्रौद्योविकी अनुसंधान क े इस प्रारंवभक विंिु पर पुस्तकालय एक मािगिशगक क े रूप उभर कर कायग करता है। पुस्तकालय नए अन्वेर्णों क े माध्यम से अंतरालों (research gaps) को कम करने क े वलए चुने िए शोध विर्य पर मौजूिा ज्ञान पर संग्रह, वमलान, सारांश, संश्लेर्ण और अत्याधुवनक ज्ञान की व्याख्या में शोधकताग की सहायता और समथगन करता है। इस प्रस्तुवत में पुस्तकालय द्वारा विज्ञान और प्रौद्योविकी अनुसंधान में संरचना और विशा क े वलए सशि सहायक मािगिवशगका को स्पष्ट् करने का विनम्र प्रयास वकया िया है। 1. अनुसंधान: अनुसंधान नए ज्ञान का वनमागण है और/या मौजूिा ज्ञान का निीन और रचनात्मक विवध से उपयोि करना है तावक वकसी विवशष्ट् कायगक्षेत् क े अंतरित वनष्कर्ों/समस्याओं क े समाधान क े वलए सत्यावपत प्रयोि क े माध्यम से नई अिधारणाओं, पद्धवतयों और समझ को उत्पन्न वकया जा सक े । (लेखक की दृवष्ट् से)। 2. अनुसंधान क े तत्व: I: अनुसंधान समस्या की पहचान - चुनौवतयााँ और लक्ष्य, ii. इक्तच्छत समस्या वििरण क े आसपास विज्ञान-तकनीकी सावहत्य की समीक्षा, iii: वनविगष्ट् पररकल्पना का विकास (वपछला ज्ञान और िेखी िई प्रिृवत्तयााँ), iv: विर्य – डेिा क े क ें वद्रत स्रोत, v: डेिा (प्रायोविक, पयगिेक्षणीय), विवधयों और प्रोिोकॉल, सॉफ्टिेयर, हाडगिेयर, आवि का उपयोि वकया जाना है, vi: डेिा व्याख्या तकनीक को पररभावर्त करना, vii: स्वीकायग िैज्ञावनक पद्धवत (व्यिक्तस्थत अिलोकन, ििीकरण और डेिा की व्याख्या) क े अनुसार अनुसंधान उद्देश्य क े अनुसार पररणाम मापना, viii: िैधता (सही प्रवक्रया), विश्वसनीयता (पुनरािृवत्त और सिीकता), ix: उद्देश्यों क े अनुसार अनुसंधान पररणाम की प्रयोज्यता, x: वनष्कर्ग समस्या को हल करना और या नया ज्ञान िनाना, xi: वनणगय लेने की प्रवक्रया क े वलए शोध क े वनष्कर्ों की ररपोिग करना, xii वसफाररशें सेि करना, आवि।
  • 3. 3 . प्रौद्योविकी अनुसंधान और विकास (TRD): प्रौद्योविकी अनुसंधान और विकास निाचार, आविष्कार, वडजाइन, सुधार और नए प्रकार क े उत्पािों, औजार, िैजेि्स, उपकरण (equipment), उपकरण (apparatus) और मशीनरी क े वनमागण का पहला चरण है, वजसमें उपयोि क्षेत् और औद्योविक क्षेत् में पहंचने से पहले पायलि प्रोिोिाइप का परीक्षण, उपयोविता वसक्तद्ध, िनािि और विवनमागण , उत्पािन प्रवक्रया / उपयोिकतागओं क े वलए वनमागण सक्तिवलत हैं । 4. प्रौद्योविकी अनुसंधान और विकास (TRD) तत्व: i: चुने िए विर्य क े तहत कवमयों, सीमाओं और िास्तविकता की जरूरतों का िोध, ii: उद्देश्य / लक्ष्य - जहां शोधकताग िांवछत उद्देश्य तक पहंचने का अनुमान लिाता है। iii: वनधागररत लक्ष्य क े वलए अिधारणाएं , वसद्धांत और िैज्ञावनक/तकनीकी कानून, iv: अनुसंधान िस्तु क े िारे में ितगमान क्तस्थवत-कला-विश्लेर्ण और ितगमान वसद्धांतों का व्यिक्तस्थतकरण, v: अिधारणा (conceptualization) - रचनात्मक आलोचनात्मक सोच, तक ग (logic) तक ग (reasoning), आिशग समाधान पर पहंचने क े वलए, vi: व्यिहायगता - कवमयााँ, तथ्य या प्रवक्रयाएाँ , साक्ष्य या संभािनाएाँ , जो पररयोजना की िांछनीय और व्यिहायग क्तस्थवत तक पहाँचने को सीवमत या िावधत करती हैं, vii: स्पष्ट्, सुसंित और प्राप्त करने योग्य तकनीकी कायगक्रम, viii: क्षेत्/प्रयोिशाला/कायगशाला में तक ग प्रिशगन (logic demonstration) द्वारा प्रयोिात्मक या अधग-प्रायोविक (semi – experimental) मॉडल का सत्यापन, ix: प्रोिोिाइप / उत्पाि वडजाइन और उत्पािन / वनमागण, x: इक्तच्छत पररचालन िातािरण में प्रिशगन मूल्ांकन, xi: हेडोवनक स्क े ल क े तहत उत्पाि की स्वीकायगता, xii: आिश्यकताओं क े अनुसार प्रोिोिाइप / उत्पाि सत्यापन। 5. अनुसंधान लक्ष्य और उद्देश्यों क े विकास में पुस्तकालय सहायता: अनुसंधान लक्ष्य (purpose ), अनुसंधान उद्देश्य (प्रमुख मुद्दे), अनुसंधान से संिंवधत प्रश् (कोई िैकक्तल्पक), और अनुसंधान पररकल्पना, िो या िो से अवधक अनुसंधान चर (research variables) क े िीच संिंधो का अनुमान (prediction), अनुसंधान पररयोजना क े मुख्य लक्ष्य या व्यापक उद्देश्य की व्याख्या करने में लाइब्रेरी सहायक रहते हैं। इन शतों को विवशष्ट् और क ें वद्रत होने क े िजाय व्यापक और पररचयात्मक होना चावहए। एक धीमी प्रवक्रया विकवसत करने और अंवतम रूप िेने क े वलए काफी सोच और समय िेती है। पुस्तकालय विर्य – िस्तु क े आसपास परामशग, क्षेत् में वपछले संिंवधत अध्ययनों का विश्लेर्ण अभीष्ट् अनुसंधान लक्ष्यों और उद्देश्यों पर प्रभािी अिधारणा िे रहे हैं. 6. अनुसंधान एिं विकास विर्य को खोजने और पररष्क ृ त (refining) करने में पुस्तकालय सहायता:
  • 4. अनुसंधान और विकास पररयोजना विर्य को नए उत्पािों/उपकरणों/मशीनरी/सेिाओं को नया करने/सुधारने/शुरू करने क े वलए की जाने िाली िवतविवधयों को स्पष्ट् रूप से वचवत्त करने की आिश्यकता है। यह अनुसंधान पुस्तकालय है जो अन्वेर्क से पूछताछ क े माध्यम से अनुसंधानकताग का मािगिशगन और सहायता कर सकता है जैसे वक (i) कौन (Who) - जनसंख्या समूह / उत्पाि विकासकताग / उद्योि / विस्तार विशेर्ज्ञ / योजनाकार / नीवत वनमागता और इसी तरह; (ii) What (क्या) - उत्पाि / उपकरण / मशीनरी का प्रकार और आकार; (iii) कहााँ (Where) - ग्रामीण / शहरी / अधग शहरी / िुिगम क्षेत् / शैवक्षक मानक / आवथगक क्तस्थवत और जलिायु, आवि; कि - समय; (v) Why ( क्यों) - महत्व। पुस्तकालय विर्य को पररष्क ृ त (refining) और अंवतम रूप (finalization) िेने में भी सहायता करता है जैसे वक यवि विर्य यह िहत संकीणग है, तो पयागप्त प्रकावशत सामग्री नहीं वमल सकती है, यवि विर्य िहत व्यापक है तो संक्षेप और विंिु को इंवित करने में सक्षम नहीं हो सकता है। इसवलए, विर्य को स्पष्ट् रूप से लक्ष्यों और उद्देश्यों की ओर ले जाने की आिश्यकता है। 7. अनुसंधान एिं विकास विर्य की पहचान: आर एं ड डी िवतविवध, समाधान लाने क े वलए निीन (novel), रचनात्मक, व्यिक्तस्थत और हस्तांतरणीय और / या पुनरुत्पावित होनी चावहए. 8.. पररकल्पना विकास क े वलए लाइब्रेरी सपोिग: कोई भी शोध पररकल्पना, अपेक्षा या भविष्यिाणी (prediction) का एक ियान है वजसे शोधकताग द्वारा परीक्षण वकया जाएिा, विवशष्ट्, स्पष्ट् और परीक्षण योग्य प्रस्ताि या िैज्ञावनक अनुसंधान क े संभावित पररणाम क े िारे में भविष्य कहनेिाला ियान। 9.अनुसंधान पररयोजना - कायगक्रम वचत्ण: I. स्पष्ट् रूप से पररभावर्त उद्देश्य, II. सभी संिंवधतों द्वारा समझने योग्य अिधारणाओं का उपयोि करना, III. अनुसंधान प्रवक्रयाओं का विक्तित वििरण, IV. स्पष्ट् रूप से पररभावर्त अनुसंधान वडजाइन, V. महत्व प्रकि करने क े वलए पयागप्त रूप से पयागप्त रूप से डेिा का विश्लेर्ण करना, VI. उपयुि विश्लेर्ण पद्धवत का उपयोि करना, VII. डेिा की िैधता और विश्वसनीयता की जााँच करना। 10. अनुसंधान कौशल विकवसत करने में पुस्तकालय सहायता: i: अनुसंधान विचार क े िारे में महत्वपूणग (critical) सोच: इसमें कल्पना, रचनात्मकता, तक ग Logic), तक ग (reasoning), िैचाररक सोच, प्रस्तावित शोध विचार की सच्चाई, िास्तविकता और िैधता की जांच करने क े वलए पेशे का िेहतर ज्ञान शावमल है।
  • 5. ii:समस्या समाधान कौशल: कल्पनाशील और अवभनि प्रवक्रया क े माध्यम से मुद्दों की पहचान, पररभावर्त और विश्लेर्ण करने की क्षमता iii:विश्लेर्णात्मक कौशल: अनुसंधान डेिा जानकारी एकत् करने, तुलना करने और संश्लेवर्त करने की क्षमता (डेिा समेकन करना, तुलना करना और उत्तरिावयत्व), डेिा और प्रासंविक जानकारी। iv:सूचना प्रसार कौशल: अनुसंधान क े तकागधार और पररणाम (औवचत्य और पररणाम) (अनुसंधान क े लक्ष्य, उद्देश्य, पररणाम और वनष्कर्ग) को संप्रेवर्त करने की क्षमता। v:अनुसंधान डेिा की पुवष्ट् और प्रिंधन: vi:अनुसंधान डेिा प्रिंधन (RDM) कौशल: डेिा िनाना/एकवत्त करना, संसाधन करना, विश्लेर्ण करना, प्रकावशत करना, संग्रह करना/संरवक्षत करना, डेिा का पुन: उपयोि करना) 11. वसस्टमैविक वलिरेचर ररव्यू में लाइब्रेरी सपोिग: विज्ञान-तकनीक सावहत्य समीक्षा (review) एक कठोर (rigrous), अच्छी तरह से पररभावर्त व्यापक सारांश है जो स्थावपत ज्ञान, विचारों, ताकत और कमजोरी (SWOT) क े अध्ययन क े इक्तच्छत क्षेत् में प्रकावशत होता है, एक शोधकताग द्वारा आिमनात्मक अनुसंधान दृवष्ट्कोण में वकया जाता है जहां कई िुणात्मक शोध अध्ययनों क े वनष्कर्ग एकीक ृ त होते हैं , मूल्ांकन और व्याख्या की जावत है। यह विर्य पर ज्ञान का आधार प्रिान करता है, अनुसंधान में अंतराल (gaps) की पहचान करता है, अवतररि शोध की आिश्यकता को न्यायोवचत ठहराता है, अनुसंधान वनष्कर्ों का समथगन करने क े वलए साक्ष्य प्रिान करता है, िोहराि (duplication and repetition) को रोकता है, वपछले शोधकतागओं द्वारा अप्रयुि या कम उपयोि की जाने िाली कायगप्रणाली, वडजाइन, और मात्ात्मक और िुणात्मक रणनीवतयां पर प्रकाश डालता है। पुस्तकालय वपछले और ितगमान विज्ञान-तकनीकी विकास का िरैक रखकर शोधकतागओं का समथगन (support) करना जारी रखता है। प्रासंविक क्षेत् में विज्ञान-तकनीकी विकास से पूणगतया अिित करा कर शोधकताग को अभीष्ट् सहयोि तथा मािग िशगन प्रिान करता है करता रहता है i:अनुसंधान प्रयोिात्मक डेिा प्रवत पुस्तकालय सहायता : डेिा आिश्यक इकाई हैं और मूल शोध वनष्कर्ों को मान्य करने और समथगन (support) करने क े वलए िेखी िई, उत्पन्न या वनवमगत, एकत्, ररकॉडग, विश्लेर्ण और संसावधत की िई तथ्यात्मक जानकारी है। अनुसंधान डेिा को प्राथवमक डेिा क े रूप में ििीक ृ त वकया िया है (प्रायोविक आधाररत उत्पन्न या शोधकताग द्वारा नए वसरे से एकत् वकया िया) और वद्वतीयक डेिा मौजूिा स्रोतों से वकसी और द्वारा एकत् वकया िया और शोध अध्ययन क े भाि क े रूप में संसावधत वकया िया)। डेिा (वडवजिल और या िैर-वडवजिल प्रारूप) उत्पन्न करने या पररणामों को िोहराने क े वलए आिश्यक साधन, जैसे वक क ं प्यूिर कोड, प्रायोविक तरीक े और उपयोि वकए िए
  • 6. उपकरण, और आिश्यक व्याख्यात्मक और प्रासंविक सूचना चर विवनिेश (variables specifications) की व्याख्या करने की आिश्यकता है। ii:अनुसंधान चरों (variables) की पहचान करने क े वलए पुस्तकालय सहायता: : चर (variables) विज्ञान-तकनीक अनुसंधान में अध्ययन और व्याख्या की िई जानकारी की िुवनयािी इकाइयााँ हैं। शोधकताग प्रत्येक चर क े मूल्ों का सािधानीपूिगक विश्लेर्ण और व्याख्या करते हैं तावक यह समझ सक ें वक चीजें एक-िू सरे से क ै से संिंवधत हैं। शोध में पररितगनशील मापन योग्य विशेर्ताएाँ , िुण, विशेर्ताएाँ या क्तस्थवत की विशेर्ताएाँ हैं वजन्हें अध्ययन में संिंध या प्रभािों को िेखने क े वलए हेरफ े र, पररिवतगत और वनयंवत्त वकया जाता है। अनुसंधान चरों (variables) की पहचान अनुसंधान की योजना िनाने, वडजाइन करने और विकवसत करने की मूलभूत आिश्यकता है। चर को मापने योग्य कारकों क े संिभग में पररभावर्त वकया जा सकता है वजन्हें िे पररमावणत और मापते हैं। विज्ञान-तकनीक अनुसंधान में, स्वतंत् (पूिगिती) और आवश्रत (पररणाम/पररणाम) चर महत्वपूणग होते हैं, वजसक े आधार पर एक अध्ययन वकया जाता है। स्वतंत् चर िह है वजसे शोधकताग एक अध्ययन क े भीतर वनयंवत्त करता है या अन्यथा हेरफ े र करता है। आवश्रत चर को एक प्रयोि में मापा जाता है, जो एक पररणाम को िशागता है। आवश्रत और स्वतंत् चर क े िीच संिंध िेखा जाता है वक स्वतंत् चर क े जिाि में वनभगर चर क ै से ििलता है। स्वतंत् चर में हेरफ े र वकया जाता है और आवश्रत चर को शोधकताग द्वारा मापा जाता है। 12. िुवनया भर में विज्ञान-तकनीकी अनुसंधान और विकास सूचना तक पहंच क े वलए पुस्तकालय सहायता: पुस्तकालय (ज्ञान क ें द्र) पुस्तकों, ई-पुस्तकों, ऑवडयो पुस्तकों, पवत्काओं, पवत्काओं, लेखों क े रूप में उपकरण और तकनीकों क े माध्यम से िुवनया भर में विज्ञान और प्रौद्योविकी सूचना में निीनतम प्रिवत क े साथ शोधकताग को अप-िू -डेि करने में महत्वपूणग भूवमका वनभा रहे हैं। ग्रन्थसूची, आिवधक पवत्काएं , समाचार पत्, पांडुवलवपयां, क ै सेि िेप, सीडी-रोम, सीडी, डीिीडी, सार, आईएसओ मानक, वपछले प्रासंविक शोध वनष्कर्ग और अनुसंधान सामग्री को क ु शल, त्वररत, व्यिहायग, आवथगक, सुलभ और उपयोिी में खोजने में इलेक्टरॉवनक और वडवजिल सेिाएं तरीका अपना रहे हैं। शोधकतागओं, प्रौद्योविकी विकासकतागओं, वशक्षकों, छात्ों, नीवत वनयोजकों, प्रशासकों और विस्तार विशेर्ज्ञों को विश्वव्यापी विज्ञान-तकनीकी प्रामावणक जानकारी आसानी से और शीघ्रता से प्रिान करने क े उद्देश्य से, भारतीय क ृ वर् अनुसंधान पररर्ि (ICAR) ने राष्ट्र ीय क ृ वर् अनुसंधान और वशक्षा प्रणाली (NARES) पुस्तकालयों क े वलए क ृ वर् में ई-संसाधनों क े वलए क ं सोविगयम (लोकवप्रय रूप से CERA क े रूप में जाना जाता है) की स्थापना की। ितगमान में 65 संस्थानों, 4 डीम्ड विश्वविद्यालयों, 14 राष्ट्र ीय अनुसंधान क ें द्रों, 13 वनिेशालय/पररयोजना वनिेशालयों, 6 राष्ट्र ीय ब्यूरो, 4 क ें द्रीय क ृ वर् विश्वविद्यालयों और 64 राज्य क ृ वर् विश्वविद्यालयों से युि 170 संघ सिस्य हैं। यह IP प्रमाणीकरण, िस्तािेज वितरण अनुरोध प्रणाली (DDR) क े माध्यम से पवत्काओं/ई-संसाधनों तक पहाँच प्रिान कर
  • 7. रहा है और ररमोि एक्सेस सुविधा (Ez - प्रॉक्सी) क े माध्यम से पहाँच प्रिान कर रहा है। 13. नए खाद्य उत्पाि विकास और ितगमान उत्पाि में सुधार क े वलए पुस्तकालय सहायता: भोजन एक कच्चा, पका हआ या प्रसंस्क ृ त खाद्य पिाथग है। पुस्तकालय ज्ञान और कौशल क े वलए उपलब्ध सावहत्य को स्क ै न करने और ितगमान उत्पािों में इक्तच्छत अंतराल Intended gaps) का पता लिाने में मिि करता है, वजससे एक नए या िेहतर उत्पाि क े वलए विचार और सूत् तैयार होते हैं। SWOT (ताकत, कमजोररयां, अिसर और खतरे) विश्लेर्ण, िरेंवडंि इंग्रेवडएं ि्स, रेवसपी फॉमूगलेशन, इंग्रेवडएं ि एक्सेवसविवलिी, इंग्रीवडएं ि उपलब्धता - साल भर या मौसमी रूप से, उपभोिा क्या चाहता है, स्क्रीवनंि (िेवजंि माक े ि प्लेस), स्वीकायगता, वनयामक कारक (कानूनी) में भी मिि करता है। विचार), सुविधाएं (संरचनात्मक और उपकरण) उपलब्धता, िुणात्मक और मात्ात्मक पैरामीिर, लाित प्रभािशीलता, शेल्फ जीिन (वकतने समय तक एक उत्पाि अपनी िुणित्ता िनाए रखेिा), खराि होना, सुरक्षा (संिू र्ण), वनमागण प्रवक्रया, पैक े वजंि, रासायवनक, भौवतक, संिेिी परीक्षण , संिेिी िुण। एक िार जि शोध विचार / विर्य (idea / topic) को अंवतम रूप िे विया जाता है तो इसे सूत्ीकरण चरण में ले जाया जाता है। उपभोिा परीक्षण और वनकिस्थ विश्लेर्ण क े वलए पहले उत्पाि को छोिे पैमाने पर िनाया जाता है। उत्पािन उपकरण, लाित और िक्षता वनधागररत करने क े वलए स्वीकायग उत्पाि को िढ़ाया जाता है। 15. नए उपकरण विकास और ितगमान उपकरण मशीनरी में सुधार क े वलए पुस्तकालय सहायता: प्रोिोिाइप: प्रोिोिाइप एक अद्धग तैयार उपकरण संस्करण है वजसमें उपयोिकताग परीक्षण क े वलए उपयोि की जाने िाली अंवतम उपकरण मशीनरी की सभी विशेर्ताओं और कायों को शावमल कताग है। प्रोिोिाइप िवतविवधयों की प्रवक्रया - विर्य को अंवतम रूप िेना, समग्र िुंजाइश, ितगमान उपकरण मशीनरी क े साथ सीमाएं , संभावित समाधान अिधारणाएं , कायागत्मक आिश्यकताएं , संरचनात्मक आिश्यकताएं , पररचालन आिश्यकताएं , कायागत्मक और संरचनात्मक विवनिेश (specifications), वडजाइन विचार, इलेक्टर ो-मैक े वनकल घिक और असेंिली, मशीन वनयंत्ण मोिसग, पंप, िाल्व, आवि, प्रोिोिाइप वनमागण, परीक्षण वडजाइन, प्रिशगन परीक्षण, ब्लैक होल का पता लिाना, शोधन और प्रवक्रया विकास, पररकल्पना की पुवष्ट् या खंडन, लाित, रखरखाि, तेज और धीमी िवत से चलने िाले स्पेयर पाि्गस, आउिपुि अनुक ू लन, उपयोिकताग स्वीक ृ वत, आवि। 17. अनुसंधान डेिा विश्लेर्ण और व्याख्या तकनीक में पुस्तकालय सहायता: अनुसंधान और विकास (आर एं ड डी) प्रयोि क े िौरान, ज्ञान िढ़ाने क े वलए िड़ी मात्ा में व्यिक्तस्थत डेिा एकत् वकया जाता है और इक्तच्छत शोध विर्य पर समस्या समाधान पर पहंचने क े वलए इसका उपयोि वकया जाता है। नए उत्पाि या प्रोिोिाइप परीक्षण क े पररणाम सत्यावपत और मान्यकरण वकया जाता है।
  • 8. सारांश: अनुसंधान और पुस्तकालय िोनों परस्पर संिंवधत हैं। इसवलए पुस्तकालय को विज्ञान- प्रौद्योविकी अनुसंधान और विकास की नींि माना जाता है। विद्वानों का मानना है वक उच्च िुणित्ता िाली आसानी से सुलभ सामग्री क े वलए एक संसाधनपूणग और तकनीकी रूप से उन्मुख पुस्तकालय क े साथ ही अनुसंधान संभि है क्योंवक यह िुवनया भर में विकवसत अतीत और ितगमान विज्ञान-तकनीकी िैज्ञावनक जानकारी, अनुसंधान आिश्यकताओं और अनुसंधान प्रवक्रयाओं का भंडार है। पुस्तकालय हमेशा ििलती प्रौद्योविवकयों और शोधकतागओं की आिश्यकता क े अनुरूप नए अनुसंधान सहायता सेिा पैिनग क े वनरंतर विकास की प्रवक्रया में िने हए हैं। इसक े वलए उपयोि वकए जाने िाले आधुवनक उपकरण हैं: ऑिोमेशन सॉफ्टिेयर - कोहा, एिरग्रीन सोल LibSys; वडवजिाइजेशन सॉफ्टिेयर - डीस्पेस जीएसडीएल एिीसीडी; सामग्री प्रिंधन प्रणाली — ड ु पल जूमला; ई-पुस्तक प्रिंधन - क ै लीिरी; ऑनलाइन जनगल — कोरल, आरएफआईडी; िेि-स्क े ल वडस्किरी सविगसेज - EBSCO, VuFind, आवि, जो अपने उपयोिकतागओं क े प्रवत पुस्तकालय क े प्रभाि को िढ़ाएिी और शोधकतागओं क े वलए सहूवलयत प्रिान कवतग रहेिी।